हमारी सेना ज़िन्दाबाद
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हम सोकर बिताते हैं रैना
पर जागी रहती है सेना।
जब कहीं आ जाती बाढ़
होने लगता सब उजाड़
जब अनुशासन सीमा भंग होती
आतंकी प्रवृति उद्दण्ड होती
जब युद्ध के बादल छाते हैं
रण पिशाच मण्डराते हैं
जब प्राकृतिक आपदा होती है
सब्र अपना माद्दा खोती है
जब देश सम्मान की बात आती
तब जिव्हा एक ही गान गाती।
हमारा हर योद्धा ही हीरा है
इसने हर बाधा को चीरा है
सागर लहरों को झेला है
शत्रुओं को दूर तक ठेला है
पर्वतों की ऊंचाई नापी है
शत्रु की रुह भी कांपी है
बर्फीली घाटियों को इन्होंने चूमा है
इनके शौर्य से चप्पा चप्पा झूमा है
इनके सहारे देश सुरक्षित है
इनकी बाहों में अभिरक्षित है।
सेना हमारी वह पूंजी
जिसकी ललकार आकाश तक गूंजी।
सेना के जांबाज सिपाही,
राम भक्त हनुमान हैं।
ये अंगद नल-नील जामवंत,
मेरे भारत की शान हैं।
पलभर में ये सिंधु लांघ दें,
पल में पर्वतराज नाप लें।
संकटमोचक बने देश के,
ये भारत के वीर महान हैं।
दुष्टों को ये धूल चटावें,
भारत का परचम लहरावें।
अमन-चैन के हैं रखवाले,
मेरे भारत की जान हैं।
द्वापर के अर्जुन हैं इनमें,
कालजयी हैं देखो रण में।
त्रिशूल पिनाका है सेना में,
चन्द्रहास खड्ग सा भान हैं।
ना कोई है रंगे मज़हब,
देश सेवा व्रत महान है।
सबसे ऊँचा रहे तिरंगा,
इस पर जान कुर्बान है।
भूपेन्द्र डोंगरियाल
25/04/2018
25-4-2018
सेना
*****†****
मैं भारत की शान हूँ
सेना बड़ी बलवान हूँ
जो देखे बुरी नजर से
उसकी मैं अंतिम श्वास हूँ।
जननी छाया में पला पढ़ा
अब देश की खातिर जीना है
जीवन एक मिला मुझको
उसे विस्मरणीय करना है।
जन्मदात्री के बदले अब
लाखों माओं का लाल हूँ
शत शत नमन करूँ तुझको
तेरा मैं अभिमान हूँ।
न मौसम देखा न तन देखा
लक्ष्य मेरा प्रतिलक्षित है
भारत की सीमा रेखा पर
दृष्टि मेरी अर्जुन सी है।
ईद,दिवाली ,होली,मेला
गोली की धुन पर होती है
ढोल,नगाड़े लगते अब
जीवन की एक पहेली है।
यही मेरी हरियाली है
यही जीवन की काशी है
मैं भारत की शान बना
यही मेरी हमजोली है।
अंत समय मे ,मैं सैनिक
लौट तिरंगे में आऊं
अपने भारत की शान में
रक्त रंगोली बना जाऊँ।
वीणा शर्मा,पंचकूला