पुस्तक परिचय








सादर नमन 🙏"भावों के मोती"

आप सभी को बताते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है कि समूह के "सक्रिय सदस्य रचनाकार" अब "पटल पर"अपनी प्रकाशित पुस्तक "एकल संग्रह" का परिचय दे सकते हैं.... प्रचार/प्रसार कर सकते हैं...इस हेतु.....

1)आपकी पुस्तक का मुखपृष्ठ और आख़िरी पृष्ठ का चित्र,मय पुस्तक के भीतर की 8-10/इच्छानुसार रचनाओं को सम्मिलित करते हुए "समूह एडमिन"को मेसेंजर पर प्रेषित करना हैं... यदि बाहर पुस्तक की कीमत अंकित न हो तो कृपया वह भी अवश्य इंगित करें .. 

2)आपकी पुस्तक अवलोकन /समीक्षा हेतु "पटल" पर प्रेषित की जायेगी...

टीम "भावों के मोती"



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नमस्कार "भावों के मोती"



11/02/2020
🌷पुस्तक परिचय-9🌷
*नाम पुस्तक :-मुट्ठी भर जुगनू 


लेखक :-🌷डॉ. राकेश तैलंग 🌷



आज आपके समक्ष मैं उपस्थित हुई हूँ अणुव्रत विश्व भारती, राजसमंद के आदरणीय श्री डॉ. राकेश तैलंग जी(शिक्षाविद एवं साहित्यकार),(बालोदय प्रकल्प विभाग के निदेशक )द्वारा रचित शिक्षा यात्रा के अनुभवों पर आधारित रेखाचित्र पुस्तक" मुट्ठी भर जुगनू " की समीक्षा एवं विवेचना लेकर।राकेश तैलंग

" मुट्ठी भर जुगनू " सहज,सरल तरीके से भावों,विचारों को आबाद करती घनेरे फलदार वृक्ष की भांति हैं।जिसे जितना सहेज,आत्मसात किया जाए उतना अधिक मीठा फल भविष्य में शिक्षा में प्राप्त हो सकता है।
सुखद,गाम्भीर्य लिए कटाक्ष,व्यंग्यात्मक शैली में बालमन की झाँकी को बखूबी उजागर किया है।राकेश जी ने जिन क्षणों को जिया,महसूस किया ,उसको रेखाचित्र के माध्यम से प्रकट करना सरल नही।क्षण-क्षण भर की अनुभूतियों पर अधिकांशतः ध्यान नही जाता परन्तु राकेश जी उन्ही पर अनोखी,श्रेष्ठ पुस्तक रच डाली।
रेखाचित्र वर्तमान समय में यदा-कदा ही लिखे जाते हैं।आपने रेखाचित्र को लाकर पुनः सोई विधा को उर्जावान कर दिया है।
विद्यालयों की छोटी - छोटी यादों ,क्षणों को यथा- विद्यालय में घण्टी का बजना, गुरु द्वारा मात्र आँखों के विद्यार्थी में डर पैदा करना ,छड़ी उठाना-लगाना, तीव्र आवाज़ से भय उतपन्न करना आदि ऐसी बहुत सी महीन बातों को रेखाचित्र का माध्य्म बनाया।
"मुठ्ठी भर जुगनू" विद्यालय के धरातल की वास्तविकता है।मानों या न मानों लेखक द्वारा सच्चे शिक्षक का बालमन यहाँ प्रस्फुटित हुआ है।
बचपन,विद्यालय की यादें शिक्षक के मन मे कुलबुलाती रही जिसे पुस्तक में समेट दिया गया ।एक शिक्षक की जीवन दृष्टि कितनी भव्य हो सकती है विद्यार्थी के प्रति ,अनुपम है।आपकी दिव्य दृष्टि बधाई की पात्र है।
बदलते परिवेश में,समय की मांग को देखते हुए पुस्तक में अधिकांश बातें विचारणीय है जिन्हें आज के शिक्षक को भी समझना जरूरी है।
पुस्तक निःसन्देह बहुत से प्रश्नों को पाठकों,शिक्षकों के समक्ष रखती है।एक नन्हा मासूम,कोमल हृदय बालक क्या चाहता है,क्या अभिभावक वर्तमान शिक्षा प्रणाली से संतुष्ट है,क्या प्रत्येक कार्य को थोपना भर शिक्षा मात्र रह गई है?मनोवैज्ञानिक दृष्टि का लेखक ने सहारा लिया है जो कि प्रत्येक शिक्षक को लेना भी चाहिए।
लेखक के अनुसार ही "अतीत को मीठे शहद की तरह चाटने के दो तरीके हैं।चटखारे ले लेकर अंदर उत्तरों या एक एक बूंद ठहराव के साथ..........घटना या व्यक्ति को परत दर परत याद करना रस में निमग्न होना है और इसके किसी एक अंश को जुगनुओं की चमक की तरह महसूस कर लेना एक और तरीका है।यहां रस क्षणिक बोध है।, लेकिन.....देखन में छोटे लगे घाव करे गम्भीर।" "बदलाव कितना भी क्यों न हो ये यूनिवर्सल है।शाश्वत है।इन्हें किसी धूल,मिट्टी सने अयस्क के ही रूप में खोजकर उन्हें थोड़ा सा सँवार दें।" "अतीत के अंधेरों को खंगालना,साँप-बिच्छुओं के दंश से आत्मभीत बचपन से अधातन अपने आस-पास बिखरे स्कूल के खंडहरों में मिले मुठ्ठी भर जुगनुओं का भंडार खोज लखपति बन गया हूँ।"लेखक अनुसार "यह अंजुरी भर रेखाचित्र हैं।"
अब नजर डालते है क्रमशः रेखाचित्रों पर।"फर्क है डर और डर में" में ,बहुत कठोर दिखने वाले हेडमास्टर में अंततः माँ से भाव मिल ही जाते हैं।"स्कूल घर जैसा और घर स्कूल जैसा आज लगने लगा है। कभी वज्र से कठोर तो कभी फूलों से भी कोमल"जी हाँ, शिक्षक के दो रूप यहाँ मिलते हैं।
"अपराधी कौन" एक सार्थक संदेशात्मक सृजन है।व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।"फड़फड़ाती किताबें बस्तों में बंद घण्टी की मीठी धुन के बीच नए सर और भैरूलाल का तन।"
"झूमता मुस्काता स्कूल " में व्यंग्य की बौछार है।प्रकृति से सरोबार उत्तम सृजन।निश्छल भोला बालपन जिस पर स्वतः बारम्बार तरस आ जाता है।"दूर नदी का श्वेत रजत परिधान झील की चादर पर फैला - फैला सा जाए।सुबह मुँह अंधेरे कोहरे से बदल धरती पर उतर बरस पड़ने को आतुर।"मानों प्रकृति पुस्तक में साक्षात आ गई हो।" "छप-छप-छप खुद नही दूसरों को गीला करने में मज़ा आता हैं।छपाक - छपाक ।"बेहतरीन सृजन,बालमन की चंचलता उजागर है इसमे।
"हमने स्कूल को घर माना था" में लेखक सरल तरीके से अपना मत रखते हैं"हमने स्कूल को घर माना था-कितने हैं जो अब भी ऐसा मानते हैं।"
"सरल और कठिन किसने सिखाया" में लेखक कहते हैं"सरल और कठिन-यह विद्यार्थी की सोच नहीं।किसी पहुंचे हुए शिक्षक की सोच है।"बेहद सटीक विश्लेषण।
"आप किसके लिए हैं" में लेखक सार्थक मत व्यक्त करते हैं।बच्चों व अभिभावकों को प्रधानाचार्य से मिलने हेतु भी स्लिप पकड़वाना उन्हें गंवारा नही।वह कहते हैं" बिना चपरासी, बिना स्लिप वाली एंट्री।अपनापन तभी बनता है जब...संचालन के मायने यों निकलते हैं।"इसके अतिरिक्त पगडण्डी, नेतृत्व की पढ़ाई, अधिकार बोध,बाल-सभा आदि श्रेष्ठ रेखाचित्र हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में लगभग 50 रेखाचित्रों को सम्मिलित किया गया हैं जो एक से बढ़ कर एक हैं।
अंत मे परिशिष्ट के अंतर्गत ,पुस्तक का निचोड़ दिया गया है या कहें कि जान डाल दी गई है।
कुल मिलाकर,यह पुस्तक प्रत्येक शिक्षक के हाथों में अवश्य होनी चाहिए अथार्त प्रत्येक शिक्षक को इस पुस्तक"मुट्ठी भर जुगनू" का गहन अध्ययन करना चाहिए।प्रस्तुत पुस्तक मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी उत्तम है।
मेरी नज़र में शिक्षकों के लिए यह मील का पत्थर साबित होगी।
डॉ. राकेश तैलंग जी को मैं,पुस्तक की हार्दिक बधाई देती हूँ एवं क्षमा प्रार्थना भी ,कहीं समीक्षा में चूक रह गई हो तो।
अंत मे आ0 ऋतुराज दवे जी का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे यह अनुपम पुस्तक भेंट की।आपको व तैलंग जी को पुनःनमन।



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11/01/2020
🌷पुस्तक परिचय-8🌷

*नाम पुस्तक :-आपकी नज़र  


           लेखक :-🌷 चन्दर मोहन "चन्दर"(आ0 CM Sharma जी) 🌷





हिंदी काव्य जगत में अनेकों अनमोल,कालजयी पुस्तकों का आगमन हुआ।पुस्तकें लेखक के स्व भावों,विचारों का रत्न रूप होती हैं।एक ऐसे ही रत्न को आप सभी के समक्ष रखने जा रहें हैं।
आ0 श्री चन्दर मोहन'चन्दर' जी यानीआ0 CM Sharma जी की पुस्तक""आपकी नज़र"""।
"आपकी नजर" पुस्तक भक्ति भाव से आरम्भ होती 9 खंडों की पुस्तक है। 140 से अधिक रचनाएँ विभिन्न विधाओं में समाहित।लगभग प्रत्येक रचना में प्रकृति को आपने किसी न किसी रूप में व्यक्त किया।प्रकृति से आपका लगाव रचनाओं में स्पष्ट झलकता दिखाई पड़ता है।
पृष्ठ पचास पर "जलेबी" शीर्षक में मानवीकरण मार्मिक रूप में व्यक्त हुआ"तुम क्या जानो प्राकृतिक अप्राकृतिक के मर्म को...जालिम हाथ मेरी रचना बिगड़ देते हैं...अपने मन मुताबिक संवार देते हैं..अपने स्वाद की खातिर.."उम्दा मार्मिक अभिव्यक्ति।
पुस्तक में बहुत सरल,सरस् भाषा का प्रयोग हुआ।क्लिष्ट भाषा से लेखक बचकर रहें है।
शीर्षक चयन बहुत उम्दा किया गया है।यथा-लोरी,सन्मार्ग पर धर तू पग,सिर्फ तीन दृश्य,जोगी पीर बढ़ती जाए...आदि।
पुस्तक में आर्थिक,सामाजिक एकता सौहार्द,पारिवारिक, नैतिक एवं बाल सुलभ चंचल मन के समस्त परिवेशों पर लेखक की कलम चली।आपकी लेखनी संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर धरातल से जुड़े भावों को लेकर उत्तम हरे-भरे खलियानों की भांति अपने विचारों से उत्तम पुस्तक का निर्माण करती है।
"कभी लगता है दो कदम पर मंजिल मिल जाएगी..मिलों दूर भागता हूँ फिर ना उम्मीद वापिस लौट आता हूँ....छाँव मे भी तपती रेत का अहसास होता है..""हृदय की व्यथित भावनाएं पढ़ते ही आह निकल जाती है।
भाग तीन "नज़्म कविता"में..शीर्षक"तुम चुपके से आती हो" मे लेखक कहते है " शब मदहोश दिल बैचैन हो जाता है... अधखुली पंखुड़ियों से जब तुम मुस्कुराती हो...तमन्नाओं को पंख मिल जाते हैं.."। "यूं चुपके से" में " पायल की छन-छन मोहब्बत की लहरें,यूं मिल के समीर सँग गुनगुनानें लगे हैं.."इश्क प्रकृति का बेहतरीन मिलन हो गया है।
भाग चार'ग़ज़ल/गीतिका' में शीर्षक "कशमकश" में "जिंदगी मेरी तो यारों सिगार की मानिंद सी है..एक काश आग सी लपकती है तो दूसरे धुंआ सी देती है.."जिंदगी का बहुत शानदार वर्णन।
भाग पांच ,'लघु कथा' में शीर्षक "क्या करूँ मैं....."में बूढ़ी अम्मा की मार्मिक स्नेहमयी कथा है।कथा उस समय सार्थक हो जाती है जब सम्पूर्ण कथा आंखों से समक्ष सजीव होती नज़र आए...यही इस लघु कथा के साथ हुआ है।बेहतरीन,शानदार भावों को समेटे श्रेष्ठ लघु कथा।लेखक ने रचनाओं में कुछ उपमानों का भी प्रयोग किया है जिससे कृति की अर्थवत्ता में चार - चाँद लग गए है।
अंतिम भाग "बेटियों को समर्पित" है जिसमे निसन्देह स्नेह की पराकाष्ठा अपार है।
हालाकिं अधिकतर सभी पुस्तकों में कहीं न कहीं भूलवश टंकण त्रुटि रह जाती है वही इस पुस्तक में तीन चार जगह हुआ ।
समूह आ0 CM Sharma जी को हार्दिक बधाई देता है एवं अगली पुस्तक के लिए प्रतीक्षारत है।अपार शुभकामनाएं एवं बधाई आदरणीय🙏
जय हो..........


11/08/2019
🌷पुस्तक परिचय-7🌷
*नाम पुस्तक :-संवाद के लिए 









शुभ साँझ 🌇

नमस्कार "भावों के मोती"
🙏
11/08/2019

📚पुस्तक परिचय-6📚
साथियों एक बार पुनः एक नई पुस्तक "संवाद के लिए"के साथ उपस्थित हूं...इसके लेखक "श्री त्रिलोकी मोहन पुरोहित"इनकी साहित्य क्षेत्र में उपलब्धियों के बारे में कहूँ तो बेमिसाल है.. कमाल का समर्पण और सृजन यात्रा है...

पुस्तक प्रकाशन की "भावों के मोती"परिवार की ओर से आपको ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ और बधाई है.. 🌹💐🙏
आपकी इस नई पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की है उदयपुर के समर्पित साहित्यकार आ. Tarun Kumar Dadheech जी ने...

"लेखक परिचय"

*नाम पुस्तक :-"संवाद के लिए"
लेखक : श्री त्रिलोकी मोहन पुरोहित
*जन्म तिथि - 10फरवरी 1958
*पिता:-श्री लक्ष्मीनारायण पुरोहित
*माता :-श्रीमती गीता देवी पुरोहित
*शिक्षा - पोस्ट ग्रेजुएशन (हिंदी, संस्कृत), बी. एड.
*सृजन की विधाएँ - सभी

*प्रकाशित कृतियाँ -

1)सत्य के नहीं होते पंख
2)सधे हाथों की थाप
3)श्री मनहरण चरित्र (प्रबंध काव्य)
*प्रसारण:-आकाशवाणी एवँ दूरदर्शन से काव्य पाठ एवं कहानी वाचन
*संपादन :- स्मृति, प्रस्तुति, प्राकट्य, उद्धव, दिव्य पथ, कवि-मन, जयवर्धन l

*प्राप्त सम्मान - सारस्वत सम्मान- श्रीनाथ साहित्य संगम नाथद्वारा गोकुलानंद तैलंग सम्मान -श्री द्वारकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद कांकरोली l

महाप्रभु वल्लभाचार्य सम्मान-श्री वल्लभाचार्य तृतीय पीठ कांकरोली
जिला कलेक्टर राजसमंद द्वारा सम्मान l
मनोहर मेवाड़ स्मृति हिंदी-साहित्य सम्मान
जॉइंट्स ग्रुप द्वारा हिंदी सेवी सम्मान मगसम दिल्ली द्वारा शतक वीर एवं रजत रचना प्रतिभा सम्मान
मगसम पटना शाखा द्वारा रजत रचना प्रतिभा सम्मान
मगसम दिल्ली द्वारा लाल बहादुर साहित्य रत्न सम्मान
काव्य विभूषण साहित्य मंडल नाथद्वारा, राजसमंद
*संप्रति - अकादमिक निदेशक, सोफिया संस्थान, कांकरोली, भावा राजसमंद
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प्रकाशक :-बोधि प्रकाशन
आवरण :- डॉ.सत्यनारायण सुथार
प्रकाशन वर्ष:-2019
पुस्तक मूल्य:-150
पुस्तक प्राप्ति के लिए सम्पर्क:-

9414174179
पुस्तक प्राप्ति लिंक - https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2467395346645454&id=100001250395143
📗 "पुस्तक समीक्षा"📙

समीक्षक :-"तरुण कुमार दाधीच"
सर्व रितु विलास
मेन रोड
उदयपुर, 313001
मोबाइल 94141 77572

लेखन अपने आप में एक दायित्व पूर्ण कार्य हैl इसका मूल कारण यह है कि एक तरफ लेखक को भाषा निर्माण और भाषाई मानकों का निर्वाह करना होता है तो दूसरी तरफ उसे विषय वस्तु संबंधी तथ्य तथ्य विवेक और सार्थक संप्रेषण के दायित्व का निर्वहन करना होता है कविता लिखते समय जिस भाषाई स्वतंत्रता को कभी काम में लेता है उसी से उसकी रचनाओं में अनुभूतियों का प्राकट्य होता है lवह अपने भावों एवं विचारों को सृजनात्मक आयाम प्रदान करता हैl

मुझे इस बात का हर्ष है कि त्रिलोकी मोहन पुरोहित जी की नवीनतम कृति "संवाद के लिए" आपश्री के कर कमलों में हैl श्री पुरोहित का नाम साहित्य के क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित एवं सुपरिचित है lआप हिंदी- साहित्य की कई विधाओं में विगत तीन दशक से लेखन से जुड़े हैं आपने अब तक जो भी साहित्य- सृजन किया है वह सार्थक और उद्देश्यपूर्ण है l
श्री त्रिलोकी पुरोहित ने अपनीपद्य रचना "संवाद के लिए" विविध विषयों को छूकर गीतों के माध्यम से अपने धरातल पर ले जाने का प्रयास किया हैl वे अपने इस भागीरथ प्रयास में सफल भी हुए हैंl प्रस्तुत काव्य संग्रह में 56 गीत रचनाएँ संगृहीत हैं lसभी रचनाएँ यथार्थ के धरातल पर खरी उतरती दिखाई पड़ती है l
संग्रह की पहली ही रचना "संवाद के लिए"पुरोहित की उच्च कोटि की रचना कही जा सकती है प्रस्तुत रचना में आपने अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व के द्वंद्व को बखूबी व्यक्त किया है lसंवाद के लिए मुलाकात का जो दृढ आधार चित्रात्मक रुप से अभिव्यक्त किया है l सृजन को अपना मूल मंत्र मानने वाले श्री पुरोहित ने स्वयं के साथ पाठकों को भी "करें सृजन दिन रात" के लिए प्रेरित किया है l"व्यर्थ है" कविता में कवि का यथार्थ रूप प्रकट हुआ है वहीं "विश्वास" में उनका आशावादी स्वर प्रकट हुआ है l"रचें नया संसार" आपकी सुंदर कविता है जो हमें कर्म के प्रति सजग रहने का संदेश देती है "गीता के पृष्ठों" पर कविता में जिस भूमि पर कवि ने अपनी कलम चलाई है वह हमें झकझोर देती हैl "मौन" कविता में उनका मुखर स्वर बहुत कुछ प्रकट कर जाता है lप्रकृति- चित्रण की दृष्टि से आपकी "कई दिनों से" कविता प्रभावशाली बन पड़ी हैl
संग्रह की रचनाओं में कवि व गीतकार पुरोहित ने अपने विश्वास की तलाश को प्रतीकात्मक आस्थाओं में कुशलता से चित्रित किया है lवह बहुत ही मार्मिक बन पड़ा है lसाथ ही, वे दायित्वों का निर्वाह करते हुए नए संसार की रचना करना चाहते हैंlक्योंकि, बिना दायित्व निर्वहन के नव सृजन की कल्पना साकार नहीं होतीl
संग्रह की रचनाओं में कई स्थलों पर स्वांतः सुखाय की अपेक्षा बहुजनहिताय की भावना परिलक्षित होतीl है वर्तमान परिवेश में एक सर्जनधर्मा जन का ऐसा सर्जन कर्म स्तुत्य कहा जाएगाl कृतिकार ने अपने भावों और विचारों को यथार्थ के धरातल पर उपस्थित कर पाठकों को एक नवीन दिशा देने का प्रयास किया है lयह नवीन दृष्टि पाठकों में नवचेतना का संचार करने में सफल सिद्ध हुई हैl
मेरा यह मानना है कि जब कोई सर्जनधर्मा जन अपने भावों और विचारों को अनुभूत कर अभिव्यक्त करता है तब उनके काव्य में प्रभावशीलता जाती है l यही कारण है कि श्री त्रिलोकी मोहन पुरोहित का प्रस्तुत काव्य संग्रह निसंदेह पठनीय बन पड़ा है l
कवि की प्रस्तुत कृति सार्थक और उद्देश्यपरक प्रतीत होती हैl क्योंकि, कभी अपना प्रयास इस बात के लिए अवश्य करता है कि विवेच्य विषय पर भावानुकूल विचारों के साथ पाठकों को अभीष्ट सामग्री दे सके lयही सार्थक प्रयास कवि ने किया हैl आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि प्रस्तुत काव्य-संग्रह का साहित्यकारों एवं विद्वतजनों में स्वागत होगा l
शुभकामनाओं के साथ 💐💐

"तरुण कुमार दाधीच"

 — Triloki Mohan Purohit और Tarun Kumar Dadheech के साथ.
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नमस्कार "भावों के मोती"

🙏
12/06/2019

🌷पुस्तक परिचय-5🌷
*नाम पुस्तक :-ज़िंदगीनामा कुछ लम्हे -कुछ सपने



                   लेखिका :-🌷मीनाक्षी भटनागर 🌷


*नाम पुस्तक :-ज़िंदगीनामा

कुछ लम्हे -कुछ सपने
लेखिका : मीनाक्षी भटनागर
*जन्म तिथि - 26-दिसम्बर
*जन्म स्थान - लखनऊ
*शिक्षा - पोस्ट ग्रेजुएशन रसायन विज्ञान
*सृजन की विधाएँ - छंद मुक्त , गीत ,पिरामिड ,तांका,चोका , लघुकथा , पत्रलेख

*प्रकाशित कृतियाँ - जि़दंगीनामा-कुछ लम्हे, कुछ सपने

*प्राप्त सम्मान - आनलाइन मंच से सम्मानित, काव्य गोष्ठियाँ आयोजन में सम्मानित..
*संप्रति - अध्यापन , अब लेखन
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प्रथम प्रकाशन :-अयन प्रकाशनृ
प्रकाशक :- श्री भूपी सूद
प्रकाशन वर्ष:-2019
पुस्तक मूल्य:-170 ,
पुस्तक प्राप्ति के लिए सम्पर्क
श्री भूपी सूद
9818988613

पुस्तक प्रकाशन की समूह की ओर से बहुत-बहुत बधाई... अनेकानेक शुभकामनाएं...👏👏💐🌹💐🌹🎉🎉🎉🎉🎊🎊

आ0मीनाक्षी भटनागर जी की"ज़िंदगीनामा कुछ लम्हे -कुछ सपने" पुस्तक की रचनाएँ पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.. जिसकी अधिकांश रचनाएँ छंदमुक्त हैं..
बरसात, चाँद, हवा जैसे प्राकृतिक विषयों को भी बहुत खूबसूरती से जीवन और उससे जुड़े सार्थक संदेशों के साथ संयुक्त किया गया है..बानगी देखिएगा..
"उधार की रोशनी से
चांद...
अपना ही घर नहीं भरता पूरा जग जगमगाता है.. "

"हवा आज तुम भीगी भीगी सी हो क्या दर्द किसी का देख लिया

या खुद ही दर्द की मारी हो.."
रचनाओं में पीड़ा है.. प्रेम है.. सामयिक चिंतन है.. हालातों पे व्यंग्य भी..

"मुद्दे रोज के उठाते रहे

कभी राम तो कभी रहीम को जगाते रहे.."

"मैं तब भी ड्यूटी पर होता हूँ... "

पुलिस की जिंदगी जैसे एक अछूते विषय पर हृदयस्पर्शी सृजन किया है...जो आपकी संवेदना का परिचायक है....👏👏

"टीआरपी की दुनिया में तुम मजबूर से हो गए हो

कुछ तो दिखाना है सोच कर
उल्टे को सीधा सीधे को उल्टा क्यों दिखाने लगे..."
आज की दिखावे की परिस्थितियों पर व्यंग्य और रोष व्यक्त करती हैं...

कुल मिलाकर आपकी पुस्तक वाकई एक जिंदगीनामा है.. जिसमें अपने आस-पास के व्यवहारिक विषयों सहित अपने चिंतन को बेहद प्रभावी और सशक्त तरीके से उकेरा है...

सामाजिक सद्भाव और चिंतन को प्रेरित कर एक साहित्यकार के धर्म का निर्वहन बखूबी निभाया है..

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

"भावों के मोती"की ओर से आपको अपनी प्रथम पुस्तक प्रकाशन की बहुत सारी बधाइयां 🎊🎉🎂🍰और आगे भी अनेक साहित्यिक उपलब्धियों की आशाओं के साथ आपको बहुत सारी शुभकामनाएँ.. l🙏🌹
ऋतुराज दवे

पुस्तक प्राप्ति लिंक -

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शुभ साँझ 🌇
नमस्कार "भावों के मोती"
साथियों एक बार पुनः उपस्थित हूँ, समूह के सक्रिय रचनाकार डॉ0सुरेंद्र सिंह यादव की पुस्तक "उपवन( रंग बिरंगी कविताओं का)"की लघु समीक्षा/परिचय  के साथ.. 
🙏
             01/06/2019
        🌷पुस्तक परिचय-4🌷
*नाम पुस्तक :-"उपवन( रंग बिरंगी कविताओं का)"




लेखक :-🌷डॉ0सुरेंद्र सिंह यादव 🌷



*जन्म तिथि – 1-7-1940

* जन्म स्थान - मुरादाबाद
* शिक्षा – बी.एस.सी एम.बी.बी.एस 
* सृजन की विधाएँ - कविता
* प्रकाशित कृतियाँ – दो, 
1. सिर्फ तुम्हारे लिये , 2 .उपवन रंग बिरंगी कविताओं का                           
*प्राप्त सम्मान –  कोई नहीं
        
प्रथम प्रकाशन :-सिर्फ तुम्हारे लिए 
प्रकाशक :- स्वयं
प्रकाशन वर्ष:-2015
पुस्तक मूल्य:-रु.50/-मात्र

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आ0डॉ0सुरेंद्र सिंह यादव को उक्त पुस्तक प्रकाशन की समूह की ओर से बहुत-बहुत बधाई... अनेकानेक शुभकामनाएं...👏👏💐🌹💐🌹🎉🎉🎉🎉🎊🎊

आ0डॉ0सुरेंद्र सिंह यादव की"उपवन (रंग बिरंगी कविताओं का)" पुस्तक पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.. नाम के अनरूप वाकई कविताओं में जीवन के अनेक रंग शामिल किये गए हैं... द्वय पंक्तियों में तुक के साथ क्रमिक लेखन आपकी विशेषता है.. 
आपका  अंदाज़ बड़ा चुटीला है हलके फुल्के हास्य में मर्म छिपा होता है... रचनाओं में बड़ी साफगोई है.. मूलतः रचनाएँ भावप्रधान है.. किन्तु व्यंग्य और व्यथा भी प्रखर दृष्टिगत होती है.. आपने अपने जीवन के परिचय सहित अन्य सामयिक घटनाओं पर बेबाक विचार प्रस्तुत किये हैं..अपने जीवन की घटनाओं का सहज काव्य रूपांतरण किया है..  आपने अपनी रचनाओं में असमय खोई पत्नी को सदैव रचनाओं में स्वप्न संवाद या  किसी न किसी रूप में जीवंत रखा है..और आपके  प्रेम और दर्द  को  पाठक भी शिद्द्दत से महसूस करता है... बानगी देखिये.. 
यादें तुम्हारी
तुम चलीं गई दूसरे लोक रह गई तुम्हारी यादें।
रखी है सहेज कर मैंने तो आपकी सारी बातें।।



प्रवाहमयी सहज और सरल काव्य के रूप में सीधी सपाट दिल की बातें हैं... 



"भावों के मोती"की ओर से आपको अपनी इस दूसरी पुस्तक प्रकाशन की बहुत सारी बधाइयां 🎊🎉🎂🍰और आगे भी अनेक साहित्यिक उपलब्धियों की आशाओं के साथ आपको बहुत सारी शुभकामनाएँ.. l🙏🌹

ऋतुराज दवे 
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निम्न लिंक पर जाकर पुस्तक आर्डर की जा सकती है.. 
उपवन (रंग बिरंगी कविताओं का) https://www.amazon.in/dp/9388727169/ref=cm_sw_r_sms_apa_i_OPK8CbRN0TMGE


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नमस्कार "भावों के मोती"🙏

साथियों "पुस्तक परिचय"की श्रंखला में एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है..🌹

22/05/2019

🌷पुस्तक परिचय-3🌷

*नाम पुस्तक :-"उम्मीद की किरण"


*लेखिका :- आ0डॉ0ऊषा किरण


*जन्म तिथि - 14 अगस्त

*जन्म स्थान - परसौनी नाथ, मुजफ्फरपुर (बिहार)
*शिक्षा - बी.एड, पीएच. डी. (समाजशास्त्र)
*सृजन की विधाएँ - कविता, कहानी, हास्य - व्यंग्य, दोहे,कुंडलियां , गजल
*प्रकाशित कृतियाँ - उम्मीद की किरण, तू अपराजिता (एकल काव्य संग्रह) (तेरे मेरे गीत, स्वर निनाद, सुहानी भोर (प्रकाशन प्रक्रिया में एकल संग्रह) तेरे मेरे शब्द, शब्द कलश, स्त्री एक आवाज, शब्द - शब्द कस्तूरी , शब्दों का कारवाँ, मुक्त तरंगिनी (साझा संग्रह)
*प्राप्त सम्मान - काव्य संपर्क सम्मान - 2018, शब्द कुंज सम्मान 2018, काव्य सागर सम्मान 2018, माँ शारदे सम्मान - 2018, नारी शक्ति सागर सम्मान - 2019 08-
*संप्रति - शिक्षण और लेखन
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प्रथम प्रकाशन :-
प्रकाशक :- सत्यम प्रकाशन,झुंझुनू
प्रकाशन वर्ष:-2019
पुस्तक मूल्य:- ₹155

पुस्तक प्रकाशन की समूह की ओर से बहुत-बहुत बधाई... अनेकानेक शुभकामनाएं...👏👏💐🌹💐🌹🎉🎉🎉🎉🎊🎊

डॉ उषा किरण की"उम्मीद की किरण" पुस्तक पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.. नाम अनुरूप मुखपृष्ठ बेहतरीन है और रचनाएं भी उम्मीद की किरण जगाती है...कविताओं के विषय का चयन ऐसा है कि पाठक का जुड़ाव तुरंत हो जाता है.. अधिकांश रचनाएँ छंदमुक्त हैं जिनका सन्देश सशक्त है और सबसे अच्छी बात जो किताब के शीर्षक को सही साबित करती है.. वो यह कि कहीं निराशा/नकारात्मकता नहीं झलकती... रचनाएँ व्यक्तिगत केंद्रित न हो कर वृहद दृष्टिकोण रखने वाली हैं... आदर्शवाद के साथ उच्च कोटि का बोध लक्षित होता है...मानवीय संवेदना से युक्त और भावपूर्ण सृजन है.. कुछ टंकण त्रुटियाँ अवश्य अखरती हैं.... लेकिन बेहद मामूली है..
कुल मिलाकर एक सराहनीय पुस्तक जो मानवीय भावनाओं और संवेदनाओं से ओत-प्रोत है और देशप्रेम, नीति मूल्यों का संवर्धन करती है...
नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पुस्तक आर्डर की जा सकती है...
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
"भावों के मोती"की ओर से आपको अपनी प्रथम पुस्तक प्रकाशन की बहुत सारी बधाइयां 🎊🎉🎂🍰और आगे भी अनेक साहित्यिक उपलब्धियों की आशाओं के साथ आपको पुनः अनेकानेक शुभकामनाएँ.. l🙏🌹
ऋतुराज दवे

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नमस्कार "भावों के मोती"🙏


साथियों "पुस्तक परिचय"की श्रंखला में एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है..🌹
🙏


16/05/2019

🌷पुस्तक परिचय-2🌷

*नाम पुस्तक :-"मैं खुद को ही खुद लिख दूँ.. "




लेखक:-श्री गोविन्द सिंह चौहान l


निवासी:-भागावड़,तहसील -भीम, जिला -राजसमंद, राजस्थान..
शिक्षा:- एम. ए. राजनीति विज्ञान (1988 )
जन्म- 16-04-1966
प्रथम प्रकाशन :-
प्रकाशक :- बोधि प्रकाशन,जयपुर
प्रकाशन वर्ष:-2019
पुस्तक मूल्य:-120₹+30₹=150₹

"27वर्षों से 80%विकलांग एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त "आ.गोविन्द सिंह चौहान" निवासी भागवड, जिला-राजसमंद राजस्थान को अपनी प्रथम पुस्तक" मैं खुद को खुद लिख दूँ.. " प्रकाशन की समूह की ओर से बहुत-बहुत बधाई... अनेकानेक शुभकामनाएं...👏👏💐🌹💐🌹🎉🎉🎉🎉🎊🎊
आपकी रचनाओं में जीवन की गहन अनुभूति..दर्शन बोध, उत्कृष्ट बिंब दृष्टिगत होते हैं...विषय पर बेहद पकड़.. एक भी शब्द व्यर्थ नहीं जाने देते... कुछ रचनाएँ बड़ी गूढ़ार्थ लिए चकित कर देने की क्षमता रखती हैं... आपने अक्षमता से संघर्ष करते हुए साहित्य में जीवन समर्पित किया, सकारात्मकता और प्रेरक रूप में मिसाल कायम की है...
"भावों के मोती" के जिन रचनाकारों ने उन्हें पुस्तक प्रकाशन हेतु आर्थिक सहयोग(कुल 19500₹) प्रदान किया था..
आ0सुमित्रानंदन पंत जी
आ0सी.एम.शर्मा जी
आ0वीणा शर्मा वशिष्ठ जी
आ0नवलकिशोर जी
आ0पूर्णिमा साह जी
आ0मुकेश राठौर जी
आ0ऋतुराज दवे जी
आ0रेणु रंजन जी
को आदरणीय गोविंद सिंह जी द्वारा उन्हें आभारस्वरूप एक प्रति भिजवाए जा रही है.. एक योग्य विद्वान हेतु मेरे व्यक्तिगत अनुरोध पर आप द्वारा किये गए सहयोग का जितना धन्यवाद दूँ कम है...🙏 यह पुस्तक अमेज़न पर भी उपलब्ध है इसका लिंक भी यहां शेयर कर रहा हूँ..
https://www.amazon.in/MAIN-KHUD-LIKH-DOON-POE…/…/ref=sr_1_1…
मूल्य मात्र 120+30=150/₹,लेखक की मदद के उद्देश्य से एक प्रति यहाँ से भी मंगवाई जा सकती है..
25-01-1992 को सिरोही में एक सड़क दुर्घटना में गर्दन से नीचे का भाग निष्क्रिय हो गया। एक हाथ के सहारे व कोहनियों के बल पर जीवन से सतत संघर्ष।
रुचि- लेखन व अध्ययन।
#प्रकाशित पुस्तकें
""""""""""""""""""""
1. "क्षत्रिय रावत राजपूत समाज-इक आईना" (ऐतिहासिक संदर्भ की पुस्तक )
2. "अजमेर मेरवाड़ा-क्षत्रिय रावत दर्शन" (सामाजिक विश्लेषणात्मक पुस्तक )
3. "चौहान वंश और ऐतिहासिक तथ्य"( शोध पुस्तिका )
4. कविता संग्रह "मैं खुद ही को खुद लिख दूँ"--बोधिप्रकाशन-जयपुर से प्रकाशित
# साहित्यालोचन मंच ब्यावर के काव्य संकलन"आहिस्ता-आहिस्ता" में चार रचनाएं व विभिन्न सामुहिक संग्रह पुस्तकों में रचनाएं प्रकाशित।
# पुष्कर-2014, ब्यावर-2017, भीम-2018 के प्रतिभा सम्मान समारोह में हिंदी साहित्य लेखन हेतु सम्मानित।
# उदयपुर की प्रतिष्ठित साहित्यिक,सामाजिक व वैचारिक संस्था द्वारा "राष्ट्रीय युगधारा सम्मान-2017" से सम्मानित।
# सृजन-सम्मान बहुआयामी सांस्कृतिक साहित्यिक संस्था रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा चौहदवें अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन जयपुर में "हिन्दी मित्र सम्मान 2017" से सम्मानित।
# काव्य गोष्ठी मंच-कांकरोली से "काव्य मित्र सम्मान" से सम्मानित तथा राजस्थान साहित्यकार परिषद द्वारा "श्री गोकुलानंद तैलंग स्मृति सम्मान" से विभूषित।
# मंज़िल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम) गाज़ियाबाद-उत्तरप्रदेश द्वारा "शतकवीर सम्मान-2019" से सम्मानित।
# एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन। प्रतिष्ठित समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में लेख,कविताएं,लघुकथाएं प्रकाशित।
# रावत-राजपूत समाज जागरण हेतु पाक्षिक विचारोत्तेजक लेखन ।
स्थाई पता --
"""""""""""""
नाम -गोविन्द सिंह चौहान
गाँव - भागावड़
पोस्ट - भीम
जिला - राजसमन्द ( राज.)
पिन. 305921
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मो. 9783207045
मो. 9588921285
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नमस्कार "भावों के मोती"🙏

साथियों "पुस्तक परिचय"की श्रंखला में एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है..🌹
29/03/2019

🌷पुस्तक परिचय-1🌷

नाम पुस्तक :-"बचपन.... काश !कहीं ठहर जाता" l






लेखिका:श्रीमती भार्गवी रविंद्र जी 


निवासी:-बैंगलोर(कर्नाटक)

शिक्षा:- सागर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी की उपाधि

प्रथम प्रकाशन :-कानपुर की साहित्यिक पत्रिका "मंच"में नज़्म और और कविताएं छपी

प्रकाशक :- मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, भोपाल

प्रकाशन वर्ष:-2019

पुस्तक मूल्य:-145₹+डाक खर्च

साथियों आज "पुस्तक परिचय"की श्रंखला का प्रारम्भ आदरणीय "भार्गवी रविंद्र " जी की पुस्तक "बचपन.... काश !कहीं ठहर जाता" से कर रहा हूँ...
नागपुर में जन्मी श्रीमती भार्गवी रविंद्र विगत कई वर्षों से हिंदी में कविता लेखन का कार्य कर रही हैं, उनकी यह स्वान्तः सुखाय गतिविधि रही है जिसमें उन्हें भरपूर आनंद आता है और यह आनंद आपकी रचनाओं में मुखर हुआ है... l
डॉ शशि राय( पूर्व सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली, उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति) के शब्दों में यह पुस्तक... भाषा का लावण्य विचारों की उन्मुक्तता, उर्दू शब्दों का बहुत सुंदर और सटीक प्रयोग कविता के सौंदर्य को द्विगुणित कर देता है, उनकी अधिकांश कविताओं में जीवन के विभिन्न आयामों की चर्चा की गई है कभी वह बचपन की बात करती हैं, तो कभी बीते हुए सुहाने दिनों की याद करती हैं जीवन के दार्शनिक पक्ष की चर्चा उनकी कविताओं में बढ़-चढ़कर नजर आती हैl प्राकृतिक सौंदर्य के वाहक जैसे धूप, वृक्ष, गगन, रात, चांद आदि को भी उन्होंने अपनी कविताओं का हिस्सा बनाया है उनकी कविताओं में विविधता है जैसे गीत, ग़ज़ल नज़्म, मुक्तक, अशआर आदि.. l
शुद्ध मन से किया गया उत्कृष्ट लेखन जब प्रकाशित होता है तो वह लेखक की परिधि से बाहर आकर पाठकों तक पहुंचता है...
दक्षिण भारत में हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए हिंदी दिवस मनाने की परंपरा का निर्वहन अपने शैक्षणिक संस्थाओं में करना साथ ही हिंदी नाटकों का मंचन,हिंदी में वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन आपकी हिंदी के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता हैl
"मेरी कलम से" मैं आदरणीया लिखती हैं... "अंत में इतना ही कहूंगी कि मेरे इस लघु प्रयास को साहित्यिक समीक्षा के रूप में न देखें इसे मेरी जिंदगी से जुड़े एहसासों का सफरनामा एक छोटा प्रयास समझ कर पढ़ें.."
"भावों के मोती" परिवार की ओर से इस पुस्तक के प्रकाशन की हार्दिक बधाई !!आपको उत्कृष्ट साहित्य जीवन की अनेकानेक शुभकामनाएं !💐🌹🙏
विशेष:-पुस्तक सीधे ही आदरणीया से मेसेंजर पर संपर्क कर मंगवाई जा सकती है l

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