परिचय
दिनांक-२६-६-२०१९
नाम - रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
पिता - स्व.श्री फदाली लिल्हारे
माता - स्व.श्रीमति - हीरा लिल्हारे
पत्नि - मीना लिल्हारे
पता - ग्राम - पोस्ट चिखला, तहसील किरनापुर,जिला बालाघाट (म.प्र.)
जन्मतिथि - २१-०४-१९८५
शिक्षा - एम.ए.हिन्दी साहित्य प्रथम श्रेणी डी.एड. (नेट परीक्षा उत्तीर्ण हिन्दी साहित्य)
संप्रति - शिक्षक (शास.उच्च.माध्य. विद्यालय माटे (किरनापुर)
वार्तालाप -९१७९६०५९६७,६२६४८७६८७५
ईमेल -ramprasadlilhare1985@gmail.com
रूचि - लेखन, खेलकूद,गायन
लेखन - छंदबद्ध, छंदमुक्त कविता, गीत, ग़ज़ल, गीतिका ,मुक्तक, विभिन्न जापानी विधा (हाइकु,तांका,आदि)
सम्मान - कानन कुसुम सम्मान,छंदश्री सम्मान,दोहारत्न सम्मान,मुक्तक सम्राट सम्मान, विभिन्न पटलों - सोपान, आगाज, उड़ान,काव्योदय, शीर्षक समिति, गीतकार साहित्यिक मंच,साहित्यदीप, साहित्यिक उद्गार,काव्यसंगम आदि विभिन्न मंचों द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, विभिन्न मंचों पर काव्यपाठ एवं सम्मान।देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित एवं सांझा संकलन में कविताएं प्रकाशित।
दोस्त - कोई नहीं,सभी
पसंदीदा कवि- सूर्यकांत त्रिपाठी'निराला'
पसंदीदा रचना - "संसद से सड़क तक" (धूमिल)
*****************************
परिचयात्मक रचना
दोहा छंद
'राम' कहे मुझको सभी,चिखला मेरा ग्राम।
पेशे से मैं वृंद हूँ , शिक्षा देना काम।।
*******************************
बालाघाट जिला लिखूँ, किरनापुर तहसील।
मुझको जीवन में कभी,मिली न घर से ढील।।
*******************************
'सरस्वती' मम मात हैं,पिता 'फदाली' लाल।
समा गये पहले बहुत,यमक काल के गाल।।
*******************************
बेटी मेरी 'मैथिली', 'मीना' पत्नी नाम।
घर का संचालन करें, करे सिलाई काम।।
*****************************
कविता लिखना शौक है,भाता हॉकी खेल।
शर्मीला व्यवहार है, रखूँ न ज्यादा मेल।।
*****************************
हिंदी मुझको प्रिय बहुत, है मेरी पहचान।
चकाचौंध से दूर हूँ, हूँ सादा इंसान।।
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रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
दिनांक-२६-६-२०१९
नाम - रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
पिता - स्व.श्री फदाली लिल्हारे
माता - स्व.श्रीमति - हीरा लिल्हारे
पत्नि - मीना लिल्हारे
पता - ग्राम - पोस्ट चिखला, तहसील किरनापुर,जिला बालाघाट (म.प्र.)
जन्मतिथि - २१-०४-१९८५
शिक्षा - एम.ए.हिन्दी साहित्य प्रथम श्रेणी डी.एड. (नेट परीक्षा उत्तीर्ण हिन्दी साहित्य)
संप्रति - शिक्षक (शास.उच्च.माध्य. विद्यालय माटे (किरनापुर)
वार्तालाप -९१७९६०५९६७,६२६४८७६८७५
ईमेल -ramprasadlilhare1985@gmail.com
रूचि - लेखन, खेलकूद,गायन
लेखन - छंदबद्ध, छंदमुक्त कविता, गीत, ग़ज़ल, गीतिका ,मुक्तक, विभिन्न जापानी विधा (हाइकु,तांका,आदि)
सम्मान - कानन कुसुम सम्मान,छंदश्री सम्मान,दोहारत्न सम्मान,मुक्तक सम्राट सम्मान, विभिन्न पटलों - सोपान, आगाज, उड़ान,काव्योदय, शीर्षक समिति, गीतकार साहित्यिक मंच,साहित्यदीप, साहित्यिक उद्गार,काव्यसंगम आदि विभिन्न मंचों द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, विभिन्न मंचों पर काव्यपाठ एवं सम्मान।देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित एवं सांझा संकलन में कविताएं प्रकाशित।
दोस्त - कोई नहीं,सभी
पसंदीदा कवि- सूर्यकांत त्रिपाठी'निराला'
पसंदीदा रचना - "संसद से सड़क तक" (धूमिल)
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परिचयात्मक रचना
दोहा छंद
'राम' कहे मुझको सभी,चिखला मेरा ग्राम।
पेशे से मैं वृंद हूँ , शिक्षा देना काम।।
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बालाघाट जिला लिखूँ, किरनापुर तहसील।
मुझको जीवन में कभी,मिली न घर से ढील।।
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'सरस्वती' मम मात हैं,पिता 'फदाली' लाल।
समा गये पहले बहुत,यमक काल के गाल।।
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बेटी मेरी 'मैथिली', 'मीना' पत्नी नाम।
घर का संचालन करें, करे सिलाई काम।।
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कविता लिखना शौक है,भाता हॉकी खेल।
शर्मीला व्यवहार है, रखूँ न ज्यादा मेल।।
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हिंदी मुझको प्रिय बहुत, है मेरी पहचान।
चकाचौंध से दूर हूँ, हूँ सादा इंसान।।
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रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
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दिनांक-१-११-२०१९
विषय- प्रार्थना
मुक्तक
आदरणीय श्री मंच को निवेदित
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
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कर रहे खिलवाड़ जो भी बच्चियों की आन से।
बस चले मेरा तो उनको मार दूँ मैं जान से।
क्या बिगाड़ा था किसी का जो सजा ऐसी मिली-
हो किसी के साथ यूँ मत प्रार्थना भगवान से।
प्रार्थना है ईश से सबको मिले खुशियाँ यहाँ।
गम न हो कोई कभी सुख से खिले अखियाँ यहाँ।
दरमियाँ शिकवे-गिले जो फाँसले सब दूर हो-
मित्र मित्रों संग औ' सब संग हो सखियाँ यहाँ।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
बहनें हर्षित हो रहीं, आया भाईदूज।
माँग रहीं रब से दुआ, भाई हो महफ़ूज।
भाई हो महफ़ूज, हमेशा उन्नति पाएं।
खुशियाँ मिले अपार,दु:ख पास नहीं आएं।
भाईयों से आज, मिलेंगे हमको गहनें।
मन में भर उल्लास,खुशी मना रही बहनें।(०१)
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रक्षा करना भ्रात की, जग के पालनहार।
देखों भाईदूज पर, बहने करें पुकार।
बहने करें पुकार,बला भाई की हर लो।
विनती बारम्बार, खुशी से झोली भर दो।
भ्रातदूज पर आज,सभी भाई लो दीक्षा।
जैसे हों हालात, करें बहनों की रक्षा।(०२)
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दीप/दीपावली
गीतिका
मात्रा विधान -१६,१४ की यति से =३० । अंत १ या २या ३गुरू वाचिक
आदरणीय मंच को निवेदित
वस्तु चीन की मत अपनाना, अबकी बार दिवाली में।
मिट्टी के सब दीप जलाना, अबकी बार दिवाली में।।
प्रेम भाव बस रखना मन में,नहीं नफरतें दिल में हो।
बैर भाव मन अहम न लाना, अबकी बार दिवाली में।।
तेज पटाखें नहीं फोड़ना, ध्यान धरा का सब रखना।
फुलझड़ियों से काम चलाना, अबकी बार दिवाली में।।
अनजाने जो भूल हुई हो, खत्म करो मन से सारी।
कड़वाहट तुम सभी भुलाना, अबकी बार दिवाली में।।
जाँति-पाँति अरु ऊँच-नीच सब,ऐसे भाव न मन में हो।
सारे इंसानियत दिखाना, अबकी बार दिवाली में।।
दरमियां न अब रहे फासलें, रखो ध्यान इन बातों का।
दूरी मन की सभी मिटाना, अबकी बार दिवाली में।।
धूम धड़ाका, चमक-दमक से, दूर रखो सब बच्चों को।
कपड़े सूती ही पहनाना, अबकी बार दिवाली में।।
मात-पिता की बातें सुनना,नित्य मान उनका करना।
कसमे वादें सभी निभाना, अबकी बार दिवाली में।।
शिकवे गिले किसी से भी हो, भूलो तुम उन सारो को।
रूठे हैं जो उन्हें मनाना, अबकी बार दिवाली में।।
हिंदू-मुस्लिम सिख- ईसाई, भाव नहीं मन में रखना।
मानवता की अलख जगाना, अबकी बार दिवाली में।।
तेरा मेरा इसका उसका, त्याग करो इन भावों का।
समानता का पाठ पढ़ाना, अबकी बार दिवाली में।।
भाई-भाभी चाचा- चाची, आपस में सब मिलकर के।
गीत सभी खुशियों के गाना, अबकी बार दिवाली में।।
ईर्ष्या द्वेष नहीं हो मन में, झूठ रंज सब को त्यागो।
सच्चाई का पाठ पढ़ाना, अबकी बार दिवाली में।।
कुछ कारणवश खट्टापन हो, दिल के भीतर भरा हुआ।
मीठी मिश्री खूब खिलाना, अबकी बार दिवाली में।।
काज न कोई ऐसा करना, मात-पिता की शान घटे।
मात-पिता का मान बढ़ाना, अबकी बार दिवाली में।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
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हम सबका अधिकार है,करिए सब मतदान।
है सबका कर्त्तव्य भी,सुनो लगाकर कान।।
जागरूक होकर करें,
मत का सभी प्रयोग।
वोट करो निस्वार्थ ही,
चाह रखो मत भोग।।
रिश्ते नाते छोड़कर,
करो योग्य को वोट।
बिना डरे सब वोट दो,
कभी न लेना नोट।।
होता है अनमोल मत,इसकी की कीमत जान।
हम सबका अधिकार है, करिए सब मतदान।।
वोट करो सब योग्य को,
जाति-पाति को छोड़।
ऊँच-नीच की भावना,
के बंधन को तोड़।।
प्रजातंत्र में वोट का,
होता बहुत महत्व।
कहें मुख्य मत को सभी,
प्रजातंत्र का तत्त्व।।
मत उनको ही दीजिए, रखें सभी का मान।
हम सबका अधिकार है, करिए सब मतदान।।
उठकर ऊपर धर्म से,
रखो ध्यान बस कर्म।
वोट करो होकर निडर,
करो न कोई शर्म।।
मत की कीमत है बहुत,
मत होता अनमोल।@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@त पाने करते सभी,
यहाँ बहुत-सा झोल।।
लोभ मोह की बात पर,तनिक न देना ध्यान।
हम सबका अधिकार है,करिए सब मतदान।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश
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रचना क्रमांक-०१
- लावणी छंदारित सृजन
मात्रा विधान -१६,१४ की यति से =३० । अंत १ या २या ३गुरू वाचिक
वस्तु चीन की मत अपनाना, अबकी बार दिवाली में।
मिट्टी के सब दीप जलाना, अबकी बार दिवाली में।।
प्रेम भाव बस रखना मन में,नहीं नफरतें दिल में हो।
बैर भाव मन अहम न लाना, अबकी बार दिवाली में।।
तेज पटाखें नहीं फोड़ना, ध्यान धरा का सब रखना।
फुलझड़ियों से काम चलाना, अबकी बार दिवाली में।।
अनजाने जो भूल हुई हो, खत्म करो मन से सारी।
कड़वाहट तुम सभी भुलाना, अबकी बार दिवाली में।।
जाँति-पाँति अरु ऊँच-नीच सब,ऐसे भाव न मन में हो।
सारे इंसानियत दिखाना, अबकी बार दिवाली में।।
दरमियां न अब रहे फासलें, रखो ध्यान इन बातों का।
दूरी मन की सभी मिटाना, अबकी बार दिवाली में।।
चमक-दमक अरु धूम धड़ाका, दूर रखो सब बच्चों को।
कपड़े सूती ही पहनाना, अबकी बार दिवाली में।।
मात-पिता की बातें सुनना,नित्य मान उनका करना।
कसमे वादें सभी निभाना, अबकी बार दिवाली में।।
शिकवे गिले किसी से भी हो, भूलो तुम उन सारो को।
रूठे हैं जो उन्हें मनाना, अबकी बार दिवाली में।।
हिंदू-मुस्लिम सिख- ईसाई, भाव नहीं मन में रखना।
मानवता की अलख जगाना, अबकी बार दिवाली में।।
तेरा मेरा इसका उसका, त्याग करो इन भावों का।
समानता का पाठ पढ़ाना, अबकी बार दिवाली में।।
भाई-भाभी चाचा- चाची, आपस में सब मिलकर के।
गीत सभी खुशियों के गाना, अबकी बार दिवाली में।।
ईर्ष्या द्वेष नहीं हो मन में, झूठ रंज सब को त्यागो।
सच्चाई का पाठ पढ़ाना, अबकी बार दिवाली में।।
कुछ कारणवश खट्टापन हो, दिल के भीतर भरा हुआ।
मीठी मिश्री खूब खिलाना, अबकी बार दिवाली में।।
काज न कोई ऐसा करना, मात-पिता की शान घटे।
मात-पिता का मान बढ़ाना, अबकी बार दिवाली में।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
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रचना क्रमांक-०२
विधा - मुक्तक(दोहा)
१.
दीप-मालिका सज गयी,
देखिए द्वार-द्वार।
आयी हैं दीपावली,
दीपों का त्योहार।
जग-मग-जग दीपक जलें,
देखो चारोंओर-
माता लक्ष्मी की कृपा,
खुशियाँ मिले अपार।
***************************
२.
दीप-मालिका यूँ सजी,
जुगनू का ज्यों झुण्ड।
सजी हुईं हो चाँदनी,
ज्यों धरती के मुण्ड।
छिल-मिल-छिल चमकें धरा,
जैसे मोती माल-
धरती के हाथों लगा,
कोई हीरा गुण्ड।
*************************
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश
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कुछ हाइकु
दृग सौन्दर्य
आकर्षक प्राचुर्य
श्रृंगार शौर्य
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वास्तविकता
भीतरी सौन्दर्यता
सर्व मान्यता
*************
सौन्दर्य बोध
गूढ़ गहन शोध
त्यागिये क्रोध
************
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश
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ग़ज़ल
२१२२ २१२२ २१२
*************************
यूँ गरीबों को सताना छोड़ दे।
साथ मीरों का निभाना छोड़ दे।
*************************
कब मिली हैं सोचने से मंजिलें
काम कर, करना बहाना छोड़ दे।
*************************
सीख कुछ तो तू जमाने से जरा
सोच कुछ अनुभव पुराना छोड़ दे।
*************************
जो सुकूं तू चाहता हैं जीस्त में
बेव़फा से दिल लगाना छोड़ दे।
*************************
मान पाना है जहां में तो यहाँ
लूटकर तू धन कमाना छोड़ दें।
*************************
यत्न रूठे को मनाने कर मगर
जो न माने तो मनाना छोड़ दे।
************************
शेर कहलाना तुझे तो 'राम' सुन
आँख मुफ़लिस को दिखाना छोड़ दे।
****************************
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
विधा - दोहा छंद
माँ ममता की खान है,भावों का संसार।
चाहें जो भी हाल हो,सदा लुटाती प्यार।।(०१)
*******************************
मात ह्रदय रहता सदा,बसा हुआ बस नेह।
माँ की ममता पर कभी,करना मत संदेह।।(०२)
********************************
माँ ममता का रूप है, सबसे करें ममत्व।
बैर किसी से है नहीं,सबसे हैं अपनत्व।।
******************************(०३)
माँ की ममता का यहाँ,दिखें न कोई तोड़।
रखती है परिवार को, हर मुश्किल में जोड़।।(०४)
********************************
माँ की ममता से बड़ा,यहाँ न कोई भाव।
ममता मरहम-सी लगे,भरती सारे घाव।।(०५)
******************************
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
पता नहीं चलता अब की कौन यार किसका है
अपने ही देते है दगा #एतबार किसका है।
बिकी है न्यायपालिका अब सारी की सारी
सजा किसे मिली और अत्याचार किसका है।
बंदिशे रही नहीं चलती है अब तानाशाही
करिए जो भी है करना इनकार किसका है।
न इतराओ तुम जो मिला धन जरा-सा तो
क्षणिक है जीवन फिर इतना खुमार किसका है।
फायदे का है सौदा पाने है सभी आतुर
सारे हामी भरते पर इकरार किसका है।
दिखे बाहर जो गोरे अंदर से है काले
जानोगे कैसे अच्छा व्यवहार किसका है।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
हिन्द-देश के वासी हैं हम,हिन्दी अपनी शान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।
निज भाषा का करो सदा सब,
नित आदर सत्कार।
रहो सभी से मिलजुल करके,
छोड़ो सब तकरार।
गर्व हमें हिन्दी भाषा पर,हिन्दी अपनी जान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।
भटक गए हैं कुछ साथी तो,
उन्हें दिखाओं राह।
ठेस न पहुँचे कभी किसी को,
रखिए ऐसी चाह।
हिन्दी भाषा का सब मिलकर,करिए नित सम्मान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।
बातचीत करिए हिन्दी में,
खास रहें या आम।
हिन्दी भाषा में ही हो अब,
सब सरकारी काम।
दर्ज राष्ट्रभाषा के पद पर,करिए सब अभिमान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।
हिन्दी है बिन्दी के जैसे,
सदा बढ़ाती साज।
मधुर-मधुर हैं शब्दावलियाँ,
सब भाषा सरताज।
लेन-देन हो सब हिन्दी में,रखिए इसका ध्यान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
"चुनाव"
दी चुनाव ने दस्तक प्यारे।
चर्चा चली गली गलियारे।
चिंता में नेता हैं सारे।
जनता के हैं वारे-न्यारे।
**********************************
मौसम देख चुनावी आया।
नेताओं का मन हरसाया।।
रोज करेंगे झूठा वादा।
मुद्दे कम अरु बक-बक ज्यादा।।
*******************************
जाति-पाति की बात करेंगे।
इक दूजे पर दोष मढेंगे।।
जनता को भगवान कहेंगे।
हँसकर उनके दर्द सहेंगे।।
*****************************
बड़ी-बड़ी डींगे हाकेंगे।
इसके उसके घर झाकेंगे।।
पाने वोट करेंगे अनशन।
अर्पित कर देंगे तन-मन-धन।।
*********************************
माँगे मत सब जाकर घर-घर।
इसकी टोपी उसके सर पर।।
हाथ जोड़ सब पूजन करतें।
जनता को सर आँखो धरतें।।
********************************
बात करेंगे लोक लुभावन।
सबको दोषी खुद को पावन।।
खोलूँ गाँवों में विद्यालय।
घर-घर में होगा शौचालय।।
*******************************
गठबंधन के होंगे चर्चे।
खूब करेंगे पैसे खर्चे।।
आरोपों की झड़ी लगेगी।
देशभक्ति की लगन जगेगी।।
********************************
वादों की होगी बौछारें।
दिन में दिखलाएंगे तारें।।
दौर चुनावी होगा जब तक।
बात चलेगी बस यह तब तक।।
**********************************
जीतेंगे सबको भूलेंगे।
वादों को जुमला बोलेंगे।।
यही चुनाव रीति है यारो।
दाना फेंको चिड़िया मारो।।
********************************
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
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शीर्षक - दस्तक
विधा - छंद (चौपाई)
"चुनावी दस्तक"
दी चुनाव ने दस्तक प्यारे।
चर्चा चली गली गलियारे।।
चिंता में नेता हैं सारे।
जनता के हैं वारे-न्यारे।।
********************************
मौसम देख चुनावी आया।
नेताओं का मन हरसाया।।
रोज करेंगे झूठा वादा।
मुद्दे कम अरु बक-बक ज्यादा।।
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जाति-पाति की बात करेंगे।
इक दूजे पर दोष मढेंगे।।
जनता को भगवान कहेंगे।
हँसकर उनके दर्द सहेंगे।।
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बड़ी-बड़ी डींगे हाकेंगे।
इसके उसके घर झाकेंगे।।
पाने वोट करेंगे अनशन।
अर्पित कर देंगे तन-मन-धन।।
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माँगे मत सब जाकर घर-घर।
इसकी टोपी उसके सर पर।।
हाथ जोड़ सब पूजन करतें।
जनता को सर आँखो धरतें।।
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बात करेंगे लोक लुभावन।
सबको दोषी खुद को पावन।।
खोलूँ गाँवों में विद्यालय।
घर-घर में होगा शौचालय।।
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गठबंधन के होंगे चर्चे।
खूब करेंगे पैसे खर्चे।।
आरोपों की झड़ी लगेगी।
देशभक्ति की लगन जगेगी।।
********************************
वादों की होगी बौछारें।
दिन में दिखलाएंगे तारें।।
दौर चुनावी होगा जब तक।
बात चलेगी बस यह तब तक।।
********************************
जीतेंगे सबको भूलेंगे।
वादों को जुमला बोलेंगे।।
यही चुनाव रीति है यारो।
दाना फेंको चिड़िया मारो।।
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स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट(म.प्र.)
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
२१२ २१२ २१२ २१२
###################
आशिकी है बनी आशिकों के लिए
बेबसी है बनी मुफ़लिसों के लिए।
कुछ न चाहूँ खुदा तुझसे रहमों करम
जिंदगी हो मेरी दोस्तों के लिए।
कीजिए सामना अब तो डटकर जरा
सीख है ये मेरी लड़कियों के लिए।
खो न जाएं कहीं हम सफर में कभी
#हमसफ़र चाहिए रास्तों के लिए।
साथ देने का वादा करें तू अगर
जान दे दूँ तेरी हसरतों के लिए।
इश्क में पड़ के मजनू बने जो यहाँ
इक ठिकाना बने पागलों के लिए।
कोई सजदा करें आरजू ये नहीं
तालियाँ तो मिले हौसलों के लिए।
धूप के साथ हो छाँव क्या बात हो
आशियाने बने बिजलियों के लिए।
तोड़ दो बंदिशे सबको उड़ने भी दो
आसमां हो खुला पंछियों के लिए।
क्या करें मानता ही नहीं कोई अब
औषधी ही नहीं है गधों के लिए।
साथ देता नहीं कोई भी 'राम' अब
बेकसी है बनी बेबसों के लिए।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश
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