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ब्लॉग संख्या :-372
सादर सुप्रभात,नमन एवं वंदन।
🙏🌹💐🌹
🌹भावों के मोती🌹
30/4/2019
"लू/गर्मी"
(1)
लू का कहर
दुपट्टो की बहार
युवा नाखुश।।
(2)
गर्मी की मार
रोता मन बदन
ए सी से चैन।।
(3)
आम का पन्ना
बच्चों की बोतल में
लू को चिढ़ाता।।
(4)
मन की गर्मी
स्नेह की ठंडक से
पल में जमी।।
(5)
रोता किसान
गर्म चोर ने लूटी
स्वर्णिम खेती।।
(6)
हांफता कुत्ता
गर्मी की चुभन से
काटने दौड़ा।।
(7)
लू का तांडव
बेघर का जीवन
ले कर उड़ी।।
(8)
गर्मी ने रची
श्वेत वस्त्र की मांग
भरा श्मशान।।
(9)
गर्मी श्रृंगार
चौतरफा है सजी
नींबू लड़िया।।
(10)
पंछी क्रंदन
बिन पानी सकोरे
गर्मी से रूठे।।
वीणा शर्मा वशिष्ठ
स्वरचित,मौलिक
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तपती दोपहरी में सब पसीना पसीना है।
तरसती बून्द को फटा धरती का सीना है।
बरसे आग अम्बर से सुबह से रात तक।
कहें है जेठ जिसे बडा जालिम महीना है।
जलते पांव तपती राह ढूंढे घनी सी छांव।
इसी का नाम मरना इसी का नाम जीना है।
सूखते दरिया ओ शज़र मरती है जिन्दगी।
किसने जलाया और किसने पानी छीना है।
अपनी खताओ की और क्या सजा होगी।
पानी को तरसना और आग को पीना है।
विपिन सोहल
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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक लू,गर्मी
विधा लघुकविता
30 अप्रैल 2019,मंगलवार
अंगारे बरसे अम्बर से
गर्मी से सब हैं बेहाल
सदा पसीना तन भिगोवे
सरिता सूख गई और ताल
धरती धधक रही पैरों में
उष्ण ताप असहनीय है
लू चलती ले गर्म हवाएं
जीवजन्तु सब दयनीय हैं
प्रचंड भास्कर तपे नभ में
शीतल नीर सदा नर तरसे
गगन मध्य जब बदरी आवे
देख उसे मन अति हरखे
जीवजन्तु खग छाया ढूंढे
बैर भाव त्याग नित जीते
शेर बकरी दोनों मिलकर
नदी किनारे वे जल पीते
लू चिपकती काया ऊपर
ज्वर से नर ग्रसित होता है
जलती त्वचा जी घबराता
पलंग पकड़ अक्सर रोता है
कालचक्र चलता रहता है
गर्मी सर्दी बरखा मौसम
धूप छाँव से आते जाते हैं
जीवन बनता इनसे उत्तम।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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नमन मंच -भावों के मोती
दिनांक-30,04,2019
विषय शीर्षक-लू/गर्मी
विधा- मुक्तक
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मौसमे गर्मा का संघात आजकल यह जल ही जीवन है ।
ज़िन्दगानी पै वज्राघात प्यास से जो व्याकुल तन मन है ।
सर्द हवाएँ लू में बदलीं सूरज खेपें भेज रहा नित,
सम्त मग़रब की है हरकात बेकली ने रोंदा गुलशन है ।।
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स्वरचित- राम सेवक दौनेरिया " अ़क्स "
बाह-आगरा (उ०प्र०)
दिनांक-30.04.2019
द्वितीय प्रस्तुति
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भीषण गर्मी की तपन,हुआ पसीना मेह ।
भूमि तपे है भाड़ जिमि,भुनी जात है देह ।।
=================
राम सेवक दौनेरिया " अ़क्स "
बाह -आगरा (उ०प्र०)
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नमन भावों के मोती
दिनांक - 30/04/2019
आज का विषय - गर्मी/लू/ग्रीष्म
विधा - हाइकु
पड़ा अकाल
जीव जंतु बेहाल
ये ग्रीष्म काल
गर्म मौसम
तन तरबतर
कैसा सफर
उफ ये गर्मी
सूखे नदियां ताल
कैसा ये साल
गर्मी की मार
सूखते खलिहान
दुःखी किसान
गर्मी की धूप
मिलता है सुकून
पेड़ की छाया
जागो जगाएं
आओ पेड़ लगाएं
गर्मी भगाएं
गर्मी या सर्दी
ऋतु परिवर्तन
प्रकृति चक्र
छाए बादल
गर्मी से छुटकारा
मौसम प्यारा
लू बलखाती
ज्यों मृगहि दौड़ती
कैसा आलम
खेत किसान
सीमा पर जवान
गर्मी या सर्दी
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
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।। लू / गर्मी ।।
गर्मियों के आते ही
मच्छर खुशी मनाते हैं ।
जाने कहाँ से आके वो
शहनाई रोज सुनाते हैं ।
कुछ मच्छर तो दिन में
ही राग अलाप जाते हैं ।
गर्मी के मौसम जाने
क्यों इनको खूब भाते हैं ।
हवाओं के तेवर होते
लू का नाम वो पाते हैं ।
जथा नाम तथा काम
वो अपना खूब निभाते हैं ।
कभी कभी तो लगे ज्यों
हमको चाँटे भी लगाते हैं ।
हर इंसान की खबर लूँ
यही मंसूबे उनके कहाते हैं ।
हर सजीव की सहनशीलता
को शायद वो अजमाते हैं ।
पत्ते तो बेचारे कोमल होते
तप कर वो मुरझाते हैं ।
पंछी नीड़ से नही निकलते
प्यास से वह अकुलाते हैं ।
सूर्यदेव कितने अच्छे पर
गर्मियों में वह रूलाते हैं ।
सिर्फ एक मच्छर है जो
बेखौफ आतंक फैलाते हैं ।
बच्चों की तो छुट्टीं होतीं
ये दिन उनको खूब सुहाते हैं ।
हम तो हर एक मौसम का
'शिवम' खूब लुत्फ उठाते हैं ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 30/04/2019
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🙏नमन मंच🙏
🙏आदरणीय जन🙏
🙏को नमन🙏
विषय-गर्मी/लू
दिनांक-३०-४-१९
🌿🌲🌿🌲🌿
प्यारी-प्यारी चिड़िया रानी
ढूंढने निकली दाना, पानी
#गर्मी से वह मुरझाई
वापस फिर चहक न पाई
🌿🌿🌿
होता गर कहीं सकोरा
केवल पानी होता कोरा
जान बचा लेता फिर पानी
आँगन चहकती चिड़िया रानी🌿🌿🌿
कल्याण गागर तुम भरवालो
एक सकोरा तुम बनवालो
बच जाये पक्षी की जान
न हो विलुप्त इसकी पहचान !!🌿🌿🌿
🍁स्वरचित🍁
सीमा आचार्य(म.प्र.)
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नमन मंच
दिनांक .. 1/5/2019
विषय .. लू/गर्मी
विधा .. लघु कविता
***********************
सुन सावँरिया प्रिय बावरिया,
इतनी तेज है धूप।
कैसे मिलने आये तुमसे,
लग जाये ना लू।
...
सरसर सरसर हवा चले पर,
जल ना जाये रूप।
सूरज तपता आग उगलता,
पानी जलता सूप।
...
मिलना हो तो आकर मिल जब,
कम हो जाये धूप।
इतनी गर्मी मे कैसे,
देखोगे मेरा रूप।
....
दिन ढल जाये तो आ जाना,
देखना मेरा रूप।
शेर हमेशा ही कहते है,
मै इक सुन्दर हूर।
.....
स्वरचित ...
शेर सिंह सर्राफ
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1भा.30/4/2019/मंगलवार
बिषयःःः #लू/ गर्मी#
विधाःःःकाव्यःःः
इस गर्मी के मौसम में तो
सब जीवजंतु बेहाल हुए।
लू गर्मी से लगता है जैसे,
स्वस्थ शरीर निढाल हुए।
नहीं पानी का ठौर ठिकाना।
नहीं हो पाता है आना जाना।
ढूंढे छांव आसरा मिल जाऐ,
सूखे कंठ क्या पीना खाना।
बहे पसीना भीषण गर्मी में।
नहीं लगता मन भी गर्मी में।
जल तलाशते फिरें पशु पक्षी
सभी परेशान हैं इस गर्मी में।
क्यों नदी जलाशय सूख रहे हैं।
क्यों ताल तडाग सब रूठ रहे हैं।
इसके कारण और निवारण हेतु,
बिशेष तकनीक नहीं ढूंढ रहे हैं।
स्वरचितः ः
इंजी.शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
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1*भा.#लू /गर्मी #काव्यः ः
30/4/2019/मंगलवार
30अप्रैल2019
लू/गर्मी
💐💐💐
गर्मी के मौसम में,
धूप होती है तेज।
लग जाती है लू,
जब निकलते हैं धुप में।
लू लग जाये तो,
कच्चे आम को उबालकर,
अंग में लगाओ और,
उसीका पियो शर्बत।
सदा पानी पीकर,
निकलो अपने घर से।
बचाव होगी लू से,
पानी की ना होगी कमी अंग में।
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
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नमन भावों के मोती ,
मंमलवार
३० , ४ , २०१९ ,
गर्मी ,लू ,
कहर गर्मी
बेहाल हर प्राणी
तलाश पानी
सूखते ताल नदी
बडी़ बेरहमी ।
गर्मी की शान
धरती परेशान
पक्षी हैरान
गर्म हवा शैतान
शीतल जल महान ।
फलों के राजा
ककडी़ खीरा खाजा
गर्मी में ताजा
ठंडाई महाराजा
कूलर ए.सी . पंखा ।
पेड़ लगायें
राहगीर सुस्तायें
गर्मी भगायें
जल स्तर बढायें
राहत हम पायें ।
प्याज है अच्छा
बिके पुदीना सस्ता
जल आहार
कर लें व्यवहार
गर्मी सदाबहार ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
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नम्म माँ शारदे
विषय गरमी
विधा.. हाइकु
दिनांक.. 30/4/2019
1
भीषण ताप
झुलसे भू गगन
रोये किसान
2
गरमी काल
बनता विकराल
सभी बेहाल
3
ग्रीष्म की ऋतू
झुलसी हरियाली
रो रहा माली
4
सूखते कुँए
रोती हुई नदिया
प्यासे है खेत
5
गर्मी सौतन
रोती पनिहारिन
झांकती कुआँ
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
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नमन "भावों के मोती"
विषय- लू / गर्मी
30/04/19
मंगलवार
विधा- दोहे
सूर्य अनल बरसा रहा , लू से मिले न चैन ।
यत्र- तत्र - सर्वत्र ही , हर प्राणी बेचैन।।
बिना धुंए के जल रही , धरती चारों ओर।
केवल मानव ही नहीं, व्याकुल हैं सब ढोर।।
तपन हो रही रात-दिन , कहीं न शीतल छाँव।
भीषण गरमी में कहीं , बढ़ते कभी न पाँव।।
हरियाली का दूर तक , मिलता नहीं निशान।
गरमी की इस तपन से , हर इंसां हैरान ।।
इस गरमी में सूखते , नहरें औ तालाब।
जल की भी आपूर्ति का , मिलता नहीं जवाब।।
वृक्षों की छाया नहीं, नहीं हरित उद्यान।
तपित धरा पर व्यक्ति को,कहाँ मिले आराम।।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
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नमन भावों के मोती
दिनांक - 30/04 /2019
विषय - गर्मी /लू
🏜️🏖️🏖️🏖️🏖️🏖️
गर्मी आकार देखो गाँव में।
घनी पीपल की छाँव में।
गर्मी के क्या खूब दिन हैं।
जो एसी, कूलर के बिन है।
बाहर लू सन - सन चलती है।
दरी ठंडी छाँव में बिछती है।
दिन गर्मी के बड़े निराले।
बच्चे होते खूब मतवाले।
तरबूज बड़ा ललचाता है।
खरबूज भी खूब हर्षाता है।
पन्ना, शर्बत और ठंडाई।
मुँह में पानी भरते भाई।
कोयल की कूक मनभाई।
बुलाती सबको है अमराई।
शहरों की गर्मी, उफ! गर्मी।
हुए लोग बेहाल हाय! गर्मी।
दिन फिर गए एसी, कूलर के।
ठंडाई मिट्टी के कुल्हड़ के।
भाता नहीं उसके बिन रहना।
बिजली के नखरों का क्या कहना।
तपते कंक्रीट के जंगल हैं।
हुई गर्मी बड़ी अमंगल है।
डॉ उषा किरण
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नमन मंच 🙏
दिनांक- 30/4/2019
शीर्षक-"लू/गर्मी"
विधा- कविता
**************
मौसम गर्मी का आया,
धूप, तपन खूब लाया,
कैसे बहार हम निकले,
लू का कहर है छाया |
ठंडई पीने को मन करता,
आइसक्रीम से जी नहीं भरता,
ए. सी, कूलर दिन रात चलते,
गर्मी से कुछ राहत दिलाते |
जीव जन्तु भी हुए बेचैन,
नदियां सूखी और तालाब,
मच रहा है हाहाकार ,
सबका हो रहा बुरा हाल |
एक गुज़ारिश सबसे करूँ,
पानी का करना सब दान,
कुछ पानी छत पर रखना,
पंछियों को देगा राहत |
मिट्टी के मटके का पानी,
ठंडा, शीतल मन को भाता,
घर के बाहर भर कर रखना,
राहगीर की प्यास बुझाना |
गर्मी तो कहर बरसायेगी,
समझदारी हमारी काम आयेगी,
अपना और बच्चों का रखना ख्याल,
गर्मी में कम निकलना बाहर |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
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नमन भावों के मोती
दिनांक : - ३०/४/०१९
विषय : - लू / गर्मी
☀🌕🌕🌕☀☀☀
" हमारे मजदूर "
चिलचिलाती गर्मी
दौड़ रही लू है
फिर भी वें तप्त लोह पर
बार - बार करता प्रहार है।
झूलते हाथ- पैर
है वें अस्सी (८०) के पार
पर हौसला हैं जवां
ढ़ोते खुद से ज्यादा भाड़।
पर्वत को राय बनाकर
उपजाऊ मैदान बनाते हैं
बेजान मिट्टी को देखो
वें कितनी सुन्दर आकृति देते हैं।
सूर्य के किरण सा तेज लेकर
वें चमकते रहतें है
हाँ, कर्मनिष्ठ मजदूर हमारे
न रुकते न थकते हैं
मेहनत के राह पर हमें
चलना सिखाते हैं।
स्वरचित : - मुन्नी कामत। 😊
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भावों के मोती : चयनित शब्द : गरमी/लू
********************************
मौसम ने ली अँगड़ाई रे
********************
मैं सुन रहा हूँ बदलते मौसम की आहट
शीत ऋतु ने किया धरा से प्रस्थान तो गरम हवाके झोंकों ने मचाया शोर
मेघ को चीर झाँकने लगा बाँका दिन,निशा ने भींच लिया बाँहों मे उजली भोर।
सुन रहा हूँ मैं शाख़ से पत्तों के टूटने की आहट
पीत परिधान में लिपटी रुखी बिखरी,धूल से भरी राहें मिल जाती है मुझे हर मोड़ पर
आम से लदी डाल पर मधुर स्वर में गाती कोयल उड़ जाती है मुझसे नया रिश्ता जोड़कर ।
सुन रहा हूँ मैं गलियों में गूँजती बच्चों की खिलखिलाहट
ग्रीष्म ऋतु का आगमन,नीलाभ तले देर रात तक ठहाके लगाता बुढ़ापा संग बचपन
नींबूपानी,ठंडाई, क़ुल्फ़ी मलाई, ख़रबूज़ा-तरबूज़ा,खटी मीठी चाट दे नित निमंत्रण ।
सुन रहा हूँ मैं बंजारन हवा की झललाहट
रक्तिम आभा से दहकते गुलमोहर की छाँव में श्रमबिंदू पोंछता थकाहारा पथिक
गरम लू के चक्रवात के घेरे से भागने को आतुर मन - बेचैन,भयभीत और आतंकित।
सुन रहा हूँ मैं ढलते शाम की बौखलाहट
सर्दी की रातों मे ठिठुरती शाम कोने में दुबकी धूप को सहलाए और पुचकारे
मौसम ने जो ली अँगड़ाई ,यौवन की मस्ती में इठलाती हवा ठहर गई मेरे द्वारे ।
सुन रहा हूँ वादी मे गूँजते भोरों की गुनगुनाहट
इधर रवि रश्मि से आलोकित धरा,उधर पतंग गगन पर मनोहारी चित्र उकेरता
रंगब्रंगी तितलियाँ डार डार फूलों का रस चूसती , कही व्यथित मन गीत गाता।
सुन रहा हूँ मैं वसंत के आगमन की सरसराहट
प्रकृति ने किया मनुहार ,धूप से कुम्हलाया मौसम अनायास ही लगा सजने सँवरने
नव वसन धारे , शोख़ियाँ लुटाते , उन्मादित सा दिन लगा वादी में रंग भरने ।
सुन रहा हूँ मैं अपने अंतर्मन की छटपटाहट
रे ! व्याकुल मन, ज़रा ठहर ,धीरज धर ,मौसम ने ली अँगड़ाई रे
तू भी मुस्कुरा, साज़ उठा ,कोई नया गीत गुनगुना,फैल गई तरुणाई रे ।
मौसम ने ली अँगड़ाई रे !!
स्वरचित (c)भार्गवी रविन्द्र ......बेंगलूर
सर्वाधिकार सुरक्षित
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आदरणीय भाई बलवीर जी अभिनदंन ।लू"//गर्मी ।
सूरज ने फैलाई प्रचडं रश्मियो सेअग्नि सा ताप ।
झुलस रहे जड चेतन सभी ।
पानी की कमी ,लू काप्रभाव सभी पर ।
पक्षियों केलिये सब करो दाना पानी का जतन ।
प्यासे को पानी भूखे को अन्न यही सेवा महान ।
लगाऔ बड पीपल नीम जो दे घनी छाया ।
दे घनी छाया व शीतलता,बसेरा पक्षियो का ।
इससे बचेगे लू//गर्मी से पथिक आदि सभी ।
स्व रचित
दमयंती मिश्रा गरोठ ।
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भावों के मोती दिनांक 30/4/19
लू / गर्मी
हास्य कविता
बीबी ने कहा:
गुस्से से
"है गर्मी उफान पर
मत लो पंगा मुझ से
ऐसी लू चलाऊगी
हो जाओगे
चित चारों खाने
वैसे ही पारा 43 डिग्री
लिया पंगा तो
हो जाएगा 53 डिग्री
दिमाग जलेगा
जब धू धू कर
छू न सकोगे
मुझे फू फू कर
करना हैं काम
सारे तुमको
मुझ को बस
लगे प्यारा
कूलर घर में
लाओ दूध , सब्जी और
छोड़ने जाओ बच्चों को
जाओ फिर तुम आफिस।"
देख बीवी का रूख कड़ा
हाथ जोड़ पति खड़ा
करे विनती सूर्य देव से :
"बंद करो
ये अत्याचार
वैसे ही आजकल बीवी है
दैत्याकार "
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
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नमन भावों के मोती
विषय--लू/ गर्मी
दिनांक--30–4–19
विधा ---दोहे
1.
सूर्य वृषभ में जब रहे,लू चलती भरपूर।
धरती तपती आग सी,श्रम करता मजदूर ।।
2.
इतनी गर्मी बढ़ गई,फटा महंगा दूध ।
चली गई बिजली मुई,रोता मां का पूत।।
3
राहत गर्मी से मिले,मिले पेड़ की छाँह।
प्राणी हारे अरु थके, पायँ शांति की बाँह।।
4.
होगी अति जब तपन की, अति जब होगा घाम ।
जलद ' हितैषी'जब गिरें, गर्मी लगे लगाम ।।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र)451551
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नमन मंच
**आज का विषय--"लू/गर्मी "*
लेखन विधा -- हाइकु
हो गई भोर
चल पड़ी है रश्मि
धरा की ओर।
उड़ान भरी
चिड़िया सुनहरी
ज्यों रश्मि पड़ी।
बजे घंटाल
तू जाग मुसाफ़िर
हुआ उजाल।
बढा है रवि
पश्चिम दिशा ओर
बदली छवि।
धूप जवानी
बदली है कहानी
चाहिए पानी।
बदला रूप
परेशान नर-नारी
बढी है धूप।
राकेशकुमार जैनबन्धु
गाँव-रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा
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नमन"भावो के मोती"
30/04/2019
"लू/गर्मी"
हाइकु
1
घर लपेटा
ये कुविचारों की" लू"
बिखरी आस्था
2
क्रोध की गर्मी
सुख-चैन जलाया
विवेक खोया
3
जलती धरा
रवि आग बबूला
बूँद की प्यासी
4
गर्मी दुस्तर
तन स्वेद से तर
हाल,बेहाल
5
खेतों में काम
भारतीय किसान
गर्मी ली जान
6
गर्मी की धूप
सुखा ताल-तलैया
खग व्याकुल
7
धरा जलती
आसमां निहारती
बरखा आस
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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भावों के मोती
30/04/19
विषय - गर्मी, लू (तपिश)
अगन बरसती आसमां से जाने क्या क्या झुलसेगा
ज़मीं तो ज़मीं खुद तपिश से आसमां भी झुलसेगा
जा ओ गर्मी के मास समंदर में एक दो डुबकी लगा
जिस्म तेरा काला हुवा खुद तूं भी अब झुलसेगा
ओढ के ओढनी रेत की पसरेगा तूं बता कहां
यूं बेदर्दी से जलता रहा तो सारा संसार झुलसेगा
देख आ एक बार किसानों की जलती आंखों मे
उजडी हुई फसल मे उनका सारा जहाँ झुलसेगा
प्यासे पाखी प्यासी धरती प्यासे मूक पशु बेबस
सूरज दावानल बरसाता तपिश से चांद झुलसेगा
ना इतरा अपनी जेष्ठता पर समय का दास है तूं
घिर आई सावन घटाऐं फिर भूत बन तूं झुलसेगा।
स्वरचित
कुसुम कोठारी।
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
नमन भावों के मोती 🙏🙏
आज का विषय - गर्मी/ लू
विधा- काव्य
ठंडी सोई ओङ रजाई
गर्मी ने ली है अंगङाई
घर में रहें या जायें दफ्तर,
एसी के बिन आए चक्कर।
कहे पसीना टपक टपककर,
ठंडी के दिन ही थे बेहतर।
एसी को गुरूर हुआ है,
पंखे को नहीं कोई पूछ रहा है
बिजली बिल ने सबकी बाट लगाई।
ठंडी सोई ओङ रजाई
गर्मी ने ली है अंगङाई।।
सज-धज कर जब निकली नार,
मेकप पूरा हुआ बेकार।
कजरा बह गया,लाली लिप गई ,
देख आइना खुद ही डर गई
मुन्ना डर गया,मुन्नी डर गई
पति डर गया देख लुगाई।
ठंडी सोई ओङ रजाई,
गर्मी ने ली है अंगङाई।।
न कोई एसी न कोई बंगला
टूटी चप्पल,फटा है गमछा
फिर भी सीना तान खङा है
भरी दुपहरी खेत जोतकर
इसने सबका पेट भरा है
इसको देख आंख भर आई
ये भी तो इंसान है भाई ।
ठंडी सोई ओङ रजाई,
गर्मी ने ली है अंगङाई।।
नीति अग्रवाल
स्वरचित
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
नमन मंच को
दिन :- मंगलवार
दिनांक :- 30/04/2019
विषय :- लू/गर्मी
भीषण गर्मी में..
सहते रहे लू के थपेड़े वो..
जिम्मेदारियों से..
रहे सदा जकड़े वो..
तुम तो समझ न पाए..
उस पिता का समर्पण..
जिसने किया तुमको..
तन-मन-धन अर्पण..
तुम्हारे आज पर..
है उनके कल के हस्ताक्षर..
उज्ज्वल भविष्य हो तुम्हारा..
झेले कितने तूफां उन्होंने..
संवारने को कल तुम्हारा..
तुम हुए अब कृतघ्न...
जा बैठे अब घर से दूर..
छोड़ बेसहारा उन्हें..
जिनके थे तुम आँख के नूर..
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
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नमन मंच को
दिन :- मंगलवार
दिनांक :- 30/04/2019
विषय :- लू/गर्मी
द्वितीय प्रस्तुति
सूर्य धधक रहा..
पारा भड़क रहा..
रिकॉर्ड तोड़ती गर्मी..
मूक प्राणी भटक रहा..
प्यासी हुई धरा अब..
उग्र ज्वाला उगल रही..
तीव्र होती रश्मि अब..
रक्तिम आभा बिखेर रही..
चौंधियाती आँखें..
सुखते कंठ..
लू के गर्म थपेड़े..
रखे है..
धरा को जकड़े..
त्राही त्राही कर रहे जन..
लेकर सुलगते तन..
उजाड़ होती प्रकृति अब..
कर रही रुदन..
इस टूटते रिकॉर्ड पर..
इतरा रहे हम..
अनजाने ही सही..
मौत बुला रहे हम..
दोहन करके प्रकृति का..
ऐश कर रहे हम..
पेड़ पौधे न लगाकर..
इसका क्षरण कर रहे हम..
बिगड़ता संतुलन प्रकृति का..
आगाह कर रहा हमें..
नित नव त्रासदी देकर..
आगाह कर रही हमें..
आओ हम वृक्ष लगाएं..
धरा को सुंदर बनाएं..
करें संरक्षण प्रकृति का..
इसे मंदिर एक सुंदर बनाएं
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
नमन मंच
दिनांक:-30/04/2019
विषय:-लू/गर्मी
**************************
तरुवर छाया की आस लिए,
तरबतर हुआ ये सारा तन,
भीषण #गर्मी में जल रहे,
हरे- भरे ये सुंदर वन !!
बारहसिंगा न मृग बचे,
किट पतंगा न खग बचे!
दिखे न धरती बनी-ठनी
ढूंढता पथिक छांव घनी!!
अधर कांपे कंठ भी तड़पे
पसीना सिर से नीचे बरसे
धरती निचोड़ सुखा दी सारी,
मानव अब बूंद-बूंद को तरसे !!
अग्नि लपट अब नभ से गिरती
गर्म हवायें चहुँ ओर से लिपटी!
अग्नि बाण से तन को चुभते,
दिनकर की किरणें जब पड़ती !!
सुख रहे डाल ,पात झड़ गए,
घरौंदे भी पंछी के उजड़ गए ,
फिर कैसा विकास तेरा मानव,
अब सारे वन यूँ ही कट गए !!
भीषण #गर्मी के मारे अब
हमारे सारे गांव जल गए !!
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रचना:-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
चांगोटोला, बालाघाट ( मध्यप्रदेश )
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नमन मंच को 🙏🙏
दिनांक 30/4/2019
विषय _लू/गरमी
विधा हाईकु
1) पड़ती गर्मी
झुलसती वसुधा
राहत पानी।
2) लू से बेहाल
सूखते खलिहान
दुखी किसान।
3) ठंडा शर्बत
लगे मनभावन
कैरी चटनी।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
तनुजा दत्ता (स्वरचित)
भावो के मोती
दिनांक ३०|०४|२०१९
वार - मंगलवार !
विषय - गर्मी !
विधा- दोहे !
सुभ्रमर दोहा !
२१गुरु ६ लघु !
भारी गर्मी ताप है , ज्वाला का अंबार!
सारी देह समाधि में, साक्षी है संसार !!१
श्येन दोहा !
१९ गुरु १० लघु
देखा पृथ्वी में घना , वायुदाब अणु जोश !
गहरा पीड़ा कुंड है , खोया है संतोष !!२
मर्कट दोहा
१७ गुरु १४ लघु!
काया प्यारी दाजती , मन चाहत है छाँव !
देती अविरल आग है ,भागे मानव ठाँव !!३
करभ दोहा
१६ गुरु १६ लघु!
तेज ताप चहुँ और है , छाया है घर बार !
वैभव चढा पहाड़ में, कष्ट बढा संसार !!४
गयंद दोहा !
१३ गुरु २२ लघु!
देह चहे शीतल हवा , मृदुल लगे जलधार!
बादल बरसे है नही, लू में बढत विकार !!५
छगन लाल गर्ग विज्ञ !
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"नमन-मंच"
"दिनांक-३०/४/२०२९"
"लू/गर्मी"
कौन है जो "लू" के थपेड़ों से है अन्जान
हममें से किसी ने भी,नही देखा है भगवान
ऊपर बैठे है जो,वही है सर्व शक्तिमान
बदलते रहते ऋतुओं का चक्र ,वही है सृजनहार।
गर्मी में "लू"के चलते, बटोही होते परेशान
पशु पंछी का हाल बेहाल, सूर्यदेव करो कृपा तुम आज।
"लू' लगने से हमें बचाओं भगवान।
दिनोंदिन गर्मी बढ़ा है,चिंतन करें हम आज
कैसे रूके गर्मी का प्रकोप, जब ग्लोबल वार्मिंग है भरपूर।
एक व्यक्ति, एक पेड़ लगायें जरूर
हरी भरी हो जायेगी धरा हमारी
गर्मी होगी दूर
गर्मी तो है मौसमी मेहमान, आय और जाये
हमें रहना है इस धरा पर,इसे कौन समझाये।
स्वरचित-आरती श्रीवास्तव।
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30/4/19
भावों के मोती
विषय - लू/गर्मी
🌞🌞🌞🌞🌞
लौटने लगी सारी रौनकें
रंग प्रकृति के साथ में लेकर
उफ़ आ गई गर्मी हुई हालत खराब
सूरज ने बदल लिए हाव-भाव
गर्मी से अब सब घबराएं
सूरज से अपने मुँह छुपाएं
सोचता सूरज यही बार-बार
क्यों उसका इतना तिरस्कार
क्रौध से तमतमाया सूरज
बरसाता अंबर से आग
धूप का बरसे जम कर कहर
चैन मिले बस रात्रि पहर
लगते "लू"के गरम थपेड़े
प्रकृति के नियम से मौसम बदले
पसीने से लथपथ सब बेहाल
गरमी ने किया जीना मुहाल
चटकने लगी खेतों की धरती
पड़ने लगी जोरों की गर्मी
घटने लगा जल का स्तर
तड़पते प्यास से बेचारे नभचर
दिन प्रतिदिन बढ़ता पारा
खेतों में जूझता किसान बेचारा
कड़ी धूप में बहाए पसीना
मजदूरों का कष्टकारी है जीना
न एसी,कूलर न पंखा पास
न ढंग की छत न घर है पास
गर्मी करती हाल-बेहाल
इसलिए बहार के जाते ही
सब करते बारिश का इंतजार
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित ✍
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नमन "भावों के मोती"🙏
30/04/2019
हाइकु (5/7/5)
चंद हाइकु गरमी पर
1)
नमी को छीना
सूरज के तेवर
छूटा पसीना
2)
रवि का हाथ
लू मार रही फूँक
धरा अलाव
3)
रवि की गश्त
दुबकी दुपहरी
गरमी सख्त
4)
रवि ने भेजी
गरमी के हाथों से
आम की पेटी
5)
रवि के तीर
घायल होते प्राण
उड़ता नीर
6)
सूखे हलक
गर्मी करती मार्च
सूनी सड़क
7)
रवि का चूल्हा
धरती बनी तवा
सिकती हवा
(8)
प्राण सहमे
रवि का तोपखाना
शोले बरसे
9)
झुलसी रात
सूरज की भट्टी में
पिघला दिन
10)
गर्मी का जोर
कूलर पीते पानी
मचाये शोर
11)
उधड़ी रात
बिजली पर कैंची
बिगड़ा दिन
स्वरचित
ऋतुराज दवे
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दिनांक-30/04/2019
दिन-मंगलवार
शीर्षक-लू/गर्मी
विधा-मुक्त
बहती जाती लू
झुलस-झुलस जाते बदन
प्राणी धरती के सभी
हरे भरे सब वन उपवन
रुष्ट धरा से है गगन
दिनकर का उत्ताप
आज सभी ले जाऊंगा
जल मैं अपने साथ
मेघ कहाँ पर खो गये
बाकी नही निशान
व्याकुल है सारा जगत
हलक में अटकी जान
रातें भी ऐसी लगें
जैसे अगन मशान
लेकिन जिनमे धीर है
सहनशील सक्षम
वक़्त चले उनको मिलें
मीठे फल हरदम
जो जन छोड़ें कर्म पथ
सर्दी हो या ताप
उनकी कटती ज़िन्दगी
रो-रो सह संताप।
स्वरचित
~प्रभात
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लू के थपेड़े
शरीर ही निचोड़े
भीगे कपड़े।।।
भीषण गर्मी
वो डिहाइड्रेटेड
जेब में प्याज।।।
चढ़ता पारा
सूखती नदी धारा
व्याकुल पशु।।।
टूटे नियम
काटते हरे वृक्ष
अथाह गर्मी।।।
पक्षी अचेत
सूखी ताल तलैया
आग बरसी।।।
धूप में गोरी
नतीजा सनबर्न
चेहरा काला।।
ओजोन पर्त
हो गयी क्षतिग्रस्त
कारक हम।।।
भावुक
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नमन भाव के मोती
दिनांक 30 अप्रैल 2019
विषय लू/ गर्मी
विधा हाइकु
1
व्याकुल जीव
तपती वसुंधरा-
मध्यान्ह सूर्य
2
प्यासी वसुधा
मनुष्य परेशान-
ज्येष्ठ आतप
3
लू के थपेड़े
बेल का शरबत-
स्वस्थ शरीर
4
मनुष्य पोंछे
माथे पर पशीना-
गर्म समीर
5
छाया खोजता
व्याकुल राहगीर-
बाग के बाग
6
आदमी ढूंढ़े
शीतल उपवन-
ज्येष्ठ महीना
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
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लू/गर्मी
लू लगती है हमको तुमको
लगती नहीं किसानों को।
एसी में भी गर्मी लगती
उन लुटेरे हैवानों को ।
पेड़ की छाया लगे सुहानी
उन मेहनतकश किसानों को।।
ओले पड़ने से ठंडक मिलती
उन शहरी इंसानों को। ।
आग जैसे गोले लगते
उन बेबस किसानों को।।
छाता लेकर चले अमीरी
अंगोछा ना किसानों को।
देश की सीमा पे प्रहरी
देखो जलते उन जवानों को।।
आशीर्वाद आटा भावे
नेता और अमीरों को ।
गेहूं काट पसीना बहावे
दाम ना किसानों को।।
आइसक्रीम और मैंगो शेक
खूब भाता अमीरों को ।
ठंडी ठंडी लस्सी पीते
संतुष्टि है किसानों को ।।
बोतल वाला मिनरल वाटर
भाता है अमीरों को ।
मटकी वाला ठंडा पानी
शीतलाता है किसानों को।।
लू लगती है हमको तुमको
लगती नहीं किसानों को।।
एमके कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा
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"लू"
स्वरचित पांच हाइकु
(1)
भीषण गर्मी
लू का हो अत्याचार
तृषित कर्मी
(2)
ज्वलित लौ सी
फुफकार रहीं लू
हा!सर्पिली सी
(3)
अग्नि लहर
लू ढहाती कहर
अरे! ठहर
(4)
चश्मा लगाए
छतरी बल खाए
हा!लू सताए
(5)
रे नरेन्दर
लू में भी सिकंदर
घर के अंदर
___
स्वरचित
डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली
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नमन भावों के मोती
30/4/2019
विषय--लू, गर्म हवा
विधा--हाइकु
1--
तपे भास्कर
सुबह दोपहर
गर्म हवाएं
2--
आषाढ़ जेठ
बढ़ता लू प्रकोप
प्रचंड वेग
3--
अंगार सी लू
व्याकुल जनजीवन
वारिद चाह
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
स्वरचित
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नमन सम्मानित मंच
(लू/गर्मी)
*******
उत्तर भारत मे उत्तर-पूर्व,
पश्चिम से पूरब की ओर,
बहने वाली प्रचण्ड उष्ण,
शुष्क हवाऐं होतीं लू।
ग्रीष्म ऋतु के लू काल में,
तापमान मे होती वृद्धि,
भीषण गर्मी में लू लगना,
एक भयावह सी बीमारी।
लवण और जल का ह्रास,
लू लगने का लक्षण खास,
श्रम से स्वेद बहा करता,
रोमछिद्र से जल रिसता।
उष्माघात प्रायः ही घातक,
तनिक बचाव भी अपरिहार्य,
उष्णकाल मे भोजन पानीका
समुचित सेवन भी आवश्यक।
--स्वरचित--
(अरुण)
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आप सभी को हार्दिक नमस्कार
आज के विषय पर प्रस्तुति
विषय-लू/ गर्मी
गर्म हवा है चल रही,आकुल करती गात।
तन- पर काँटे चुभ रहे,मौसम खेले फाग।।
हरर -हरर करता पवन,गाता दीपक राग।
सप्त -अश्व पर बैठ कर,सूरज उगले आग।।
भाये शीतल पेय सब,एसी कूलर आज।
आतप भारी है मचा,ग्रीष्म पहने ताज।।
बूँद -बूँद पानी टपक,चलती नल की साँस।
पंछी तड़पे प्यास से,कहाँ नीर की आस।।
रहना बचकर ही सभी,आई रितु खतरनाक ।
पानी पीना कम नहीं,सही रखे परिताप।।
स्वरचित
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
30-4-2019
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लू
🎻🎻🎻
खूब चल रहे लू के थपेडे़
सूर्य रहता पूरे दिन ही फफेडे़
कूलर एसी भी हाँफ रहे हैं
ठण्डी हवाओं के हैं मिजाज़ टेडे़।
चाँदनी का मिजाज़ भी बिगडा़ हुआ है
लगता है उसको कोई सदमा हुआ है
सब ओर ही तीखी जलन हो रही है
मग़र नहीं दिखता कहीं कोई धुँआँ है।
एक नई लू चुनाव की है चलती
लटकी जलेबी सबको ही छलती
विकास की इसमें आशा भी पलती
पर अपनी ये जि़न्दगी ऐसे ही ढलती।
प्रकृति की लू है थोडे़ समय की
चुनावी लू में गरमी है भय की
लेकिन दोनों में है एक चीज़ प्रभावी
और वह है शीतल तसल्ली के पय की।
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तिथि - 30/4/19
विधा - दोहे
विषय - गर्मी,/ लू
गरमी से हे साजना , तन मन है बेहाल
शिमला हम को ले चलो , कुछ तो बदले हाल
गरम थपेड़े से लगें , गरमी अगन लगाय
काहे निकले धूप में , छतरी लेकर जाय
रवी देवता हैं कुपित , कैसे उसे मनाय
वरुण देवता साथ दें , झट पानी बरसाय
लू हमको बैरन लगे , अभी न खोलो द्वार
गरमी में घर में रहो , चैन सहित परिवार
गरमी में तन मन जले , शीतल जल मन भाय
बर्फ डाल शरबत पियो , मन शीतल हो जाय
खूब बेल शरबत पियो , खाओ डट कर सेब
पानी पी घर से चलो , प्याज राख लो जेब
सरिता गर्ग
स्व रचित
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2भा.30/4/2019/मंगलवार
बिषयःःः #लू /गर्मी#
विधाःःःकाव्यःःः
गर्मी के झंझावातों से भगवन,
शायद जैसे तैसे भी बच जाऊँ।
पर मृगमरीचिकाओं की लू से,
प्रभु कब तक कैसे बच पाऊँ।
गर्मी भरी द्वेष भावनाओं की।
गर्मी भरी अनंत कामनाओं की।
आतंकवाद की कितनी उमस है,
गर्मी बडी बहुत दुर्भावनाओं की।
कहीं चुनाव चुनौती है गर्मी की।
क्या आवश्यकता इसमें गर्मी की।
यह चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है
अभी जरूरत है शीतल सर्दी की।
भाषण चलते हैं भीषण गर्मी में।
आश्वासन मिलते भीषण गर्मी में।
गर्म आचार संहिता का उल्लंघन,
सबका धुंआधार शोषण गर्मी में।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
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2भा.#लू /गर्मी #काव्यः ः
30/4/2019/मंगलवार
भावों के मोती
बिषय- लू/ गर्मी
उफ़! ये गर्मी
तन से बहे पशीना
मुश्किल हो गया जीना।
हे प्रभु! कुछ तो दया कर
हम बेबश जनों पे
हवा ठंडी बहा दे
बूंदें बारीश की दिखला दे।
मर न जाएं हम कहीं
इस लू की मार से
सहा न जाता अब और
हम गरीबों से तेरा सितम।
स्वरचित
निलम अग्रवाल, खड़कपुर
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नमन मंच
30/04/19
लू /गरमी
***
सूरज का ताप
अपनी चरम सीमा पर,
अखबारों की खबरें
रिकॉर्ड गर्मी
वजह हम आप
जितनी गर्मी उतने एयर कंडीशनर
बढ़ते एयर कंडीशनर और
बाहर का ताप बढ़ता हुआ
विज्ञापन "गर्मी मे स्वेटर पहन लो"
एक वर्ग को चिढाता हुआ ।
तब धूप से बेहाल,
मजबूर है अन्नदाता,
ताप में काम के लिए
मजदूर अपना पेट पालने के लिए
इमारतें बनाने मे,
इन्हें न "लू," लगती न "गर्मी",
न लस्सी भाती, न कुल्फी,
आसमान से अंगारे बरसते हुए
बड़ी गर्मी है भाई।
स्वरचित
अनिता सुधीर
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सादर नमन भावों के मोती
30/04/2019
शीर्षक - लू
विधा - हाइकु
1-
स्वर्णिम चुन्नी,
लू धूल धूप सनी,
चाल तूफानी ।
2-
लू भरमाए,
आम गए बौराए,
मिठास पाए ।
3-
जग अलाव
लू खेलती है दाँव,
छिपी है छाँव ।
-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित
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नमन मंच
"भावों के मोती"
दिनाँक-
30/4/2019
विषय-लू/गर्मी
ग्रीष्म ऋतु की हुई
दस्तक,हवा हो गयी कुछ ज्यादा
सख्त ,गये जिस तरह बदल रुख
तुम अपना वैसा ही
बदला है हवा ने भी रुख अपना
हो शुष्क नमी अपनी खो, देती
है अब थपेड़े ,जिस
तरह गये तुम छोड़
अकेले खाने जिंदगी के थपेड़े
गर्मी में जलती धूप
मुझे कठोर बनाती
है मर्ग मारीचिका की तरह तुम्हारे आने का आश्वसन
देती है ।
सुनहरी तपती धूप
पसीने से तरबतर
मैं बाट जोहती हूँ
ये लू पसीने को
ठंडा कर मन को
सुकून से भर देती
है।
मैं बेसुध हो जाती
हूँ मिलन की गर्माहट से,आंखों
से बहता है गर्म नीर नदी सा
मन बैचेन हो खो
जाता है स्वप्न मे
उन उठते मन विचार आकुल कर
देते हैं न जाने कहाँ
पहुँच जाती हूं सोचती हूँ
'नैनो से जब नैना
मिलेंगे न जाने नैनो
से क्या कहेंगे
करेंगे कभी शिकायत तो कभी
लगाएंगे उन्हें सीने से,तो कभी चूमकर उनके हाथों को उनसे
दिल की बात कहेंगें ,न बोलेंगे वो
न हम जुबां खोलेंगे
बस धड़कनों से
धड़कनों की बात
कहेंगें ।।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर (म.प्र.)
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शुभ संध्या
शीर्षक--।। लू/गर्मी ।।
द्वितीय प्रस्तुति
मत कहो बदला तेवर सूर्य का
उसका तो ध्येय है जन सेवा ।
आयेगी बारिश तब मिलेगा मेवा
पर हवा तो हवा उड़ी हवा में
कहीं गिराये पेड़ तो कहीं चँदेवा ।
गालों में लगे चाँटे डरे सब ही
लू आयी भागो रे देवा रे देवा ।
कोई प्याज जेब में लिये लू खातिर
कोई अस्पताल में कहे हे महादेवा ।
हवा हवा है कब कैसी चले यह
चिराग हमेशा डरे उसे है जान लेवा ।
कभी प्रिय का संदेश भी देय 'शिवम'
अजीब शय हैं जग में ध्यान सदा देवा ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 30/04/2019
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मौलिक रचना
शीर्षक - गर्मी, लू ।
कविता का शीर्षक - पेट की आग
तप रहा है
सूरज बहुत
आग रही
है बरस ।
जला रहा
सब कुछ
नहीं करता
कोई तरस ।
पशु-पक्षी भी
दुबके पड़े हैं
किसी न किसी
छाँव में ।
गली – नुक्कड़
सुन्न हैं सब
जैसे रहता ही
न हो कोई
गाँव में ।
मुंह – सिर
गमछे से लपेटे
वो चला रहा
कुदाल है ।
अपने आप से
बातें करता
विचारों का बुन रहा
जाल है ।
सोचता है कभी
सब कुछ छोड़
जाऊं भाग ....
पर
जानता है वो
“कायत”
ये आग तो कुछ नहीं
सबसे बड़ी होती है
पेट की आग.....
कृष्ण कायत
मंड़ी डबवाली ।
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
नमन मंच
30-04-2019
हाइकु-लू/गर्मी
1
लू के थपेड़े
दरक रहे रिश्ते
पीर घनेरे
2
गर्मी रे दैया
स्नेहरिक्त तलैया
रंभाती गैया
3
सियासी गर्मी
चुनाव का मौसम
वादें बेशर्मी
4
आँसू भी सूखे
छटपट परिंदा
लू या दरिंदा?
5
गर्मी का पारा
टपटप पसीना
मन बेचारा
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
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सादर नमन
विधा-हाईकु
विषय-लू
१
लू तलवार
घायल तन मन
नींबू अमृत
२
जुलाई में लू
कृषक इंतजार
बरसे मेघ
३
लू करे वार
गरीब परेशान
धनी अंजान
****
सादर नमन
स्वरचित-रेखा रविदत्त
30/4/19
मंगलवार
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
यह गर्मी
उफ्फ! तपती धरा
आह!
विचरते प्यासे पँछी
सड़कों पर
भटकते
तरसते लोग!
कितना विदीर्ण है
पर सच है
न मिलते उन्हें
इर्द-गिर्द
नदियां,सरोवर,झील
बस...
चुभती रहती है
अन्तस् में कोई कील!
✍परमार प्रकाश
#स्वरचित
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
नमन भावों के मोती ,
आज का विषय , गर्मी , लू ,
दिन , मंगलवार ,
दिनांक, ३०,४ ,२०१९ ,
विधा , छंद मुक्त ,
वैसाख जेठ की वैसे ही गर्मी ,
उस पर ये चुनाव की गर्मी ।
गर्म हवायें कुछ तो सतायें ,
राजनीति की बढी़ उच्चस्तर गर्मी।
लू लपट से फिर भी बच जायें ,
कैसे राजनीति के फिकरों से बच पायें ।
गरमी की बात जब जब चलती ,
ताली बच्चों के हाथों से बजती ।
तरह तरह के शरबत लस्सी कुल्फी ,
आइस्क्रीम की बहार ऋतु आम की आती ।
सैर सपाटे पिकिनिक मुलाकात नानी से होती ,
स्कूल की छुट्टी दिनभर मौजमस्ती सुनना कहानी ।
सुविधा सम्पनता में मौसम की परवाह नहीं होती ,
गुरुवत कोे ही हर समय होती है परेशानी ।
बिषमता की दूर हो जाये अगर गरमी ,
लू लगने की फिर कहीं बात नहीं चलनी ।
स्वरचित , मीना शर्मा ,मध्यप्रदेश ,
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
नमन भावों के मोती 🌹🙏🌹
30-4-2019
विषय:-गर्मी
विधा :-दोहा
चढ़ा वैशाख है अभी , चलती लू विकराल ।
रहते सब भयभीत हैं , बिगड़ा हाल अकाल ।।१।।
ए सी कूलर चल रहे , शीत पेय का जोर ।
घनी घाम में पी रहे , ईख सरस पुरज़ोर ।।२।।
अतिथि सत्कार कर रहे , शीत पेय के साथ ।
गर्मी का आनंद है , लगे नहीं लू माथ ।।३।।
गर्मी ऋतु सुख दायिनी , लोग भूलते बैर ।
पीपल नीचे बैठ कर , पूछ लेत हैं ख़ैर ।।४।।
स्वलिखित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 (.हरियाणा )
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नमन भावों के मोती
दिनाँक-30/04/2019
शीर्षक-गर्मी , लू
विधा-हाइकु
1
तपी धरती
लू का हुआ प्रकोप
बेहाल गर्मी
2
सूखे तड़ाग
व्याकुल जीव जंतु
भारी गर्मी में
3
ज्येष्ठ महीना
सूरज का तेवर
लू की बहार
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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प्रस्तुति 01
30 अप्रैल 2019
" लू/गर्मी "
समय आज लू/गर्मी का जरा सँभल के रहो/चलो
सिर कनपटी और अधिक से अधिक शरीर ढक के रहो/चलो
जब भी कभी निकलना ही पड़े दोपहर के गर्म मौसम में
भरपूर पानी पी के कुछ खा के और पानी साथ लेकर निकलो
रास्ते में शिकंजी/शर्बत/निम्बूपानी/नारियल पानी और लस्सी का भरपूर प्रयोग करते चलो
खीरा ककड़ी तरबूज खरबूजा अंगूर और ऐसे फलों/सलादों का खूब प्रयोग करो
यदि ए सी से निकल कर जा रहे तो कमरे के बाहर पाँच मिनट रुक शरीर को बाहर के तापक्रम से नियोजित करो
बाहर से आकर ठंडे फ्रिज के पानी से परहेज़ करो
सभी नशे दारू सामिष भोजन को गर्मी में त्याग दो
बाहर के खाने पिज़्ज़ा नूडल चाइनीज़ से बच के रहो
बासी खाने से परहेज़ करो
यदि आपने यह सब कर लिया तो लू/गर्मी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती
आप इस कठिन काल मे निरोगी और सुखमय जीवन जियें ..ऐसी हार्दिक शुभकामनायें...
(स्वरचित)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
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नमन मंच
"भावों के मोती"
दिनाँक-
30/4/2019
विषय-लू/गर्मी
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गर्मी का प्रकोप है लूँ भी चले बडी भारी 😁
बचके रहना काम है जान है अति यारी 😊
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बीमारी भंडार करे , बस बीमारियों के अवशेष
खयाल खुद ना रखें तो बने बीमारी का ढेर 😉
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अपने साथ जीव जंतु प्रथ्वी पर हैं अनेक 😃
मानवता निभाइये ,दीजिये भोजन पानी अनेक
🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾
नदी ,नलकूप, तालाब के यूँ तो भंडार हैं अनेक
गर्मी में प्यासे को पानी पिलाना दान में एक 😊
🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾
जूस, सिकंजी , लस्सी , पीने से मिलती है तरावट
दास मलूका कह गये 😂 झूठी नहीं लिखावट
🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾
बाद मे न कहना गर्मी ने और लूँ ने किया परेशान
"नीलू" तो कहती रही ,😂 शर्बत , सिकंजी देगा आराम
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स्वरचित
नीलम शर्मा#नीलू
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