Saturday, February 22

शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र"21 फ़रवरी2020

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ब्लॉग संख्या :-663
विषय शिव,महाकाल, शाश्वत,रुद्र
विधा काव्य

21 फरवरी, महाशिवरात्रि,2020

है गिरीश महेश महाकाल
है गंगाधर है ओम्कारेश्वर।
तुम त्रिलोकी अंतर्यामी हो
जय जय जग तेरी नागेश्वर।

तुम शाश्वत जय भोले शंकर
तुम कैलाशी प्रिय अविनाशी।
गांजा भांग धतूरा सेवन कर
ॐ वास करे गङ्गा तट काशी।

त्रयम्बकेश्वर जय जय रामेश्वर
शीश जटा प्रिय चन्दा शौभित।
अमरनाथ केदारनाथ हिमगिरि
विश्वनाथ जग तुम अलौकिक।

उमापति गणपति के पालक
कर त्रिशूल मृग चर्म कटि धारी।
डमरू धारी त्रिपुंड शौभित सिर
अनवरत करे प्रभु बैल सवारी।

पार्वती पति है कैलाशी प्रभो
नित भक्तों पर कृपा ही करना।
भाव भक्ति हम कुछ न जानते
भोलेनाथ पदकमल दो शरणा।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
शिव भजन
धुन - जहां डाल डाल पर.......


मनोकामनाएं भक्तों की
है सब पूरी करने वाले
शिव शंकर भोले भाले
शिव शंकर भोले भाले
हे महाकाल हे महारुद्र
चंद्र त्रिशूल डमरू वाले
शिव शंकर भोले भाले
शिव शंकर भोले भाले

अमृत दायिनी गंगा का
प्रभु तुमने मान किया है
प्रभु तुमने मान किया है
सृष्टि में बना रहे जीवन
परहित विषपान किया है
परहित विषपान किया है
नीलकण्ठ शिव शम्भु हैं
सबकी पीड़ा हरने वाले
शिव शंकर भोले भाले
शिव शंकर भोले भाले

सब देवों के पूज्य देव
महादेव हैं नाम तुम्हारा
महादेव हैं नाम तुम्हारा
जिसपे संकट पड़े यहां
वही तेरा नाम पुकारा
प्रभु तेरा नाम पुकारा
दीन दयालु काशीनाथ
बाबा झोली भरने वाले
शिव शंकर भोले भाले
शिव शंकर भोले भाले

शिव गंगाधर व्योमकेश
भैरव औघड़ रूप तुम्हारे
भैरव औघड़ रूप तुम्हारे
अपनी कृपा बनाए रखना
सर पर जग भूप हमारे
सर पर जग भूप हमारे
मुण्ड सर्प बाघम्बर पहने
"सोहल" भक्तों के रखवाले
शिव शंकर भोले भाले
शिव शंकर भोले भाले

विपिन सोहल स्वरचित
शिवरात्रि
आज का दिन बड़ा पावन, बहुत ही सुहावन है।
आज भोला ब्याहने जाएगे गौरा के संग दिवस लुभावन है।

सारे गण भी बहुत ही प्रसन्न है, मन बड़ा हर्षावन है।
नंदी तो आज आगे आगे भागे जाते हैं, कैसा मन पावन है।
गौरा नगर के लोग आकुल है व्याकुल है, मन बड़ा भयावन है।
गौरा ने बड़ा तप कीनों है तब आज यह दिन पावन आयो है।
देव गण, ऋषि गण सारे प्रसन्न भयो, आज शिवरात्रि आयो है।
हमहुँ तो बाबा जलवा चढ़ा के, ढे़र सारा आशीष पायो है।

स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ डॉ कन्हैया लाल गुप्त किशन उत्क्रमित उच्च विद्यालय ताली सिवान बिहार 841239
प्रथम प्रस्तुति
महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को

🌹हर हर महादेव 🌹

सर पे जटा जटन में गंगा ।
तुम ही भीम जो तोड़े जंघा।।

दुखियन के तुमने दुख हारे।
कितने रूप न तुमने धारे।।

ओ कैलासी ओ अविनाशी।
जहाँ बसे तुम है वो काशी।।

उज्जैनी में महाकाल हो।
त्रिनेत्रधारी तुम त्रिकाल हो।।

तुम्हरी लीला है अनंत।
भजें तुम्हें सदा ही संत।।

जिसके तुम सदा साथ हो।
कैसे भला वो अनाथ हो।।

कहें जिन्हें हम सब वैरागी।
वो हैं सच्चे तुम्हरे रागी।।

हम कहायँ कहाँ वैसे दास।
सुन लेना फिर भी अरदास।।

तुम्हें कहें सब भोलेनाथ।
तुम्हें पाये जो भये सनाथ।।

कृपा 'शिवम' पर सदा ही करना।
मन मंदिर में सदा विचरना।।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 21/02/2020

स्वरचित।

सुना था इक गाना बचपन से।
"सत्यं शिवं सुन्दरम्।।
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर है
सुंदर ही शिव है।।"

सत्य यही है अब जाकर जाना
मन-करम, वचन पहचाना।।
जो सत्य है वही शिव है
और जो शिव हैं वहीं सुंदर है।
अर्थात सत्य ही कल्याणकारी है
और जो कल्याणकारी होते हैं
वही सुन्दर होते हैं।।

जग में हैं जो मंगलकारी
जो हरते हैं पाप सभी का।
और हैं मुक्ति के वो धाम
उनका ही है "शिव" नाम।।

आध्यात्मिक ज्ञान-गुण,शक्ति-पुंज।
धारण करता मनुज जो भी मन
दानवी संस्कार दूर भगाकर
करते देवत्त्व का स्थापन।।

आत्मिक ज्ञान की खोलो खिड़की
मन-बुद्धि से शिव में रम लो।
सुख-शांति की भर जाय गागर।
मिल जाय शिवतत्व का सागर।।

शिव भोले औगढदानी हैं
जनहित को अर्पन देहदानीं हैं।
पीया हलाहल जग की खातिर
वो त्रिनेत्रधारी महावरदानी हैं।।
***

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
21/02/2020
दिनाँक - 21/02/2020
विषय - शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र
============

आदिदेव व महादेव सब ,
कहते तुमको नर - नारी I
रखो लाज तुम शरण गहे की,
बम - बम भोले भण्डारी ll

नीलकण्ठ हो औघड़दानी ,
पालनकर्ता संहारी l
सच्चे दिल की सुन पुकार शिव ,
भर देते झोली न्यारी Il

रोक प्रबल आवेग गंग का ,
जटा शीश उलझाया है I
उचित वेग से नीर उतारा ,
भूमण्डल हर्षाया है ll

हर - हर महादेव सब बोलें ,
शशि को है सरताज किया I
कातिर वाणी सुने न कोई ,
उसको तू भयमुक्त किया ll

भूत - प्रेत हैं संगी - साथी ,
बिच्छू सर्प रमे तन में l
बाघम्बर एकमात्र वसन है ,
योग समाया क्या मन में ll

बेल , बेर , जौ , भाँग, धतूरा ,
जो भी अर्पित करता है l
"माधव" मनोकामना पूरी ,
सकल दुःख तू हरता है ll

#स्वरचित
#सन्तोष कुमार प्रजापति "माधव"
#कबरई जिला - महोबा ( उ. प्र. )

दिनांक-21/02/2020
विषय- महाशिवरात्रि।


शंकर ही अर्पण है,
शंकर ही तर्पण है।
संस्कृति का दर्पण है
ब्रह्मांड के कण-कण मे है
शून्य से शिखर तक
हर मन की धड़कन मे है।
विष को किये शमन
उर्जा का अनंत ऊर्धवा गमन है
अणु से परमाणु तक
क्लांति आभा मन मन में है।
कैलाश पर बैठे बैरागी
दिग्दर्शन मन प्रसन्न।
उनकी कृपा की वारिश मे
मनवा भीगा पोर-पोर छन्न छन्न।

मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज।


दिनांक-21/02/2020
विशेष आयोजन- शिव/ रूद्र/ महाकाल


जलधि तरंगो ने बढ़कर
जिसके चरण पखारे।
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर ने
बाबा भोले के केश संवारे।।

दिनकर आकर सबसे पहले
करता जिसकि बंदन।
कर से करूं याचना उसकी
उर से है शिव का अभिनंदन।।

वरदान से तेरे वसुंधरा पे
रोज बरसता कंचन।
गरल मिला समुद्र से
अद्भुत रीति का कैसा बंधन...?

मिट्टी हीरा कण-कण मोती चमके
भाल पे तेरे रोली चंदन।
नित नये भाव प्रस्फुटित हो
आराधना में तेरे ,मेरे स्वर व्यंजन।।

कैलाश पर बैठा बैरागी

जटाओ से बहती जिसके गंगा।

दर्शन करके उसके

हर मन हो जाता चंगा।।

स्वरचित
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज।
विषय--शिव/महाकाल/शाश्वत
_______________________
है शिव शंकर जय गंगाधर
महा शंभू शिव जय जटाधर
भुजंग धारी जय शिवशंकर
क्रोध रूप शिव महा भयंकर

भस्म लपेटे महाकाल तुम
कालों पे सदा विकराल तुम
सृष्टिकर्ता तुम प्रलयंकर
नीलकण्ठ शंभु शशिशेखर

महादेव जय अर्द्धनारीश्वर
देवों के देव जय अमृतेश्वर
शिव भोले शंकर त्रिपुरारी
जटाजूट शिव डमरू धारी

जगकर्ता जय शिव शुभकारी
त्रिनेत्र धारी असुर संहारी
जय विश्वेश्वर जय कैलाशी
शिवशंकर जय अविनाशी

शिव ही शक्ति शिव ही दृष्टि
शिव-शक्ति से ही यह सृष्टि
शिव के समीप माँ पार्वती
दिव्य स्वरूप जगती निहारती

श्वेतांबर बाघंबर अंगे
नंदी भृंगी भुजंग संगे
शिव शंभू शुभ ज्योतिर्लिंगम्
पावन पुनीत हैं महालिंगम्

शिव ही धरती शिव ही अंबर
उमापति सदा शिव शंकर
शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर
शिव की शक्ति बसी मन अंदर

बिल्व पत्र प्रिय भांग,धतूरा
उसके बिना नहीं भोग है पूरा
देवों में यह देव निराला
शिव कैलाशी बाबा भोला
***अनुराधा चौहान*** स्वरचित
विषय-शिव,महाकाल,शाश्वत,रुद्र
विधा- हाइकु

दिनांक- 21/02/2020

देवों के देव
महेश नीलकंठ
भैरवनाथ।1

वृहत रात्रि
सृष्टि आरंभकाल
कैलाशपति। 2

हे महाकाल
करो गरल पान
बारह रात्रि। 3

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

द्वितीय प्रस्तुति
भावों के मोती
विधा- माहिया छंद

दिनांक- 21/02/2020

जय बाबा बर्फानी
औघड़नाथ अनथ
अतुलित महिमा गानी 1

काँवरती जल भरते
भोले शंकर का
बम - बम गुंजन करते 2

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
आज का "विशेष आयोजन"विषय
☘️"शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र"☘️
===============================
जब संकट में आ गया,था ये जगत तमाम।
विष तब धारा कंठ में ,..नीलकंठ है नाम।।
------------------
जीवन है तेरी कृपा,. . तुम हो काल सदेह।
हे शम्भू हम पर सदा,रखना अपना नेह।।
-----------------
पूर्ण करें धन धान्य से ,स्वस्थ करें वो देह।
पूजा शंकर की करें ,.... उनसे राखें नेह।।
-----------------
शिवशम्भो संकट हरौ,कालों के तुम काल।
तेरी किरपा के बिना,.. होत हाल बेहाल।।
-----------------
सभी दुखों की है दवा ,सब का है उपचार।
शिवशंकर के नाम को , रटिये बारम्बार।।
-----------------
जब कोई न सहाय हो,.. . देव और इंसान।
तब तुम ही संकट हरौ ,हे शंकर भगवान।।
----------------
दिया नेह सब जगत को ,फिर भी खुश ना कोय।
नेह करो शिव शम्भु से,.. ..खुश राखें जो तोय।।
------------------
चाहत सारीं पूर्ण हों ,.. बन जायें सब काम।
अगर कार्य आरम्भ हों,ले शंकर का नाम।।
-----------------
शिवशंकर का नाम हो ,यदि जीवन का पाथ।
सुख की चाबी फिर सदा ,.. होगी उसके हाथ।।
=================================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी

विषय - शिव/महाकाल/शाश्वत/रुद्र
21/02/20

शुक्रवार
मुक्तक

गूँज रहे हैं सभी शिवालय बम बम भोले के स्वर से।
मंत्रमुग्ध सब भक्त हो रहे शिव के रूप मनोहर से।
आशुतोष, गंगाधर सबकी मनोकामना पूर्ण करें-
भव-चरणों में नतमस्तक हैं आज सभी पावन उर से।

बाघम्बर तन पर शोभित ,मस्तक पर चन्द्र सुशोभित है।
नीलकण्ठ,विषधर का शिवमय भाव हृदय में पूजित है।
बेलपत्र ,फल, पुष्प चढ़ाकर भक्त प्रफुल्लित हैं होते -
आज शिवालय 'हर हर महादेव' के स्वर से गुंजित है।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर

Ashwani Kumar Chawla 💐महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं💐
🍁ॐ नमः शिवाय🍁
अंग अंग है मेरा तेरा ही गुण गाय।
ओम 
नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
रहो अंग संग सदा बनो सहाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
कोई नहीं है मेरा भोले इक तेरे सिवाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
विष पीकर सारे जग का नीलकण्ठ कहलाय।
ओम नमः शिवाय,ओम नमः शिवाय।।
सुन्दर वर की चाह में हर बाला धोक लगाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
मन मंदिर से मेरे भोले काम क्रोध मिटाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
माँ गौरा संग भोले बाबा नंदी पर चढ़ आय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
बस जाओ मन मंदिर में खड़ा हूँ पलक बिछाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
✍🏻गौराशंकर का नाम सुन मनवा है सुख पाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
✍🏻माला तो कर में फिरें,जिव्हा फिरें मुख माय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
✍🏻नैनों के वाणी नहीं औऱ वाणी से कुछ कहा ना जाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
✍🏻देख के सुंदर रूप तुम्हारा, बावरे नैना नीर बहाय।
ओम नमः शिवाय,ओम नमः शिवाय।।
"ऐश"खड़ा है तेरे दर पे अपना शीश झुकाय।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।।
🍁ऐश...(स्व रचित)🍁
🍁अश्वनी कुमार चावला,अनूपगढ़,श्रीगंगानगर
शीर्षक- महाकाल / रुद्र /शिव
सादर मंच को समर्पित -

🍋🍎 मुक्तक 🍎🍋
**********************
🍀 महादेव / शिव/ आशुतोष /नीलकंठ 🍀
🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹

हे महादेव हे शिव शंकर ,
रुद्रावतार दिखला जाओ ।

हे त्रिपुरारी बम-बम भोले ,
फिर त्रिशूल लेकर आ जाओ ।

प्रभु अनादि शंकर हर-हर हो ,
श्री सेतु बन्ध रामेश्वर हो --

पालक भी हो संहारक भी,
वसुधा संताप हटा जाओ ।।

🌺🌴🌸🍎

हे विश्वनाथ हे नीलकंठ ,
खोलें त्रिनेत्र तम दूर करें ।

शिव लिंग रूप ज्योतिर्लिंगी ,
आतंकवाद को चूर करें ।

ओ३म् नमः शिवाय , ओ३म् नमः शिवाय
डमरू बाजे डम- डम --

गौरी के संग कृपा करके
मानव जन सुख भरपूर करें ।।

🌹🌻🍀🌺🌴🍎

🍊🍀..रवीन्द्र वर्मा मधुनगर आगरा
दिनाँक - 21/2/2020
विषय- शिव/महाकाल/रुद्र
विधा - दोहा गजल

🌷सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं🌷

शिव सत्यम साकार है, हरि ॐ नमः शिवाय,
शिवम आदि आधार है, हरि ॐ नमः शिवाय।

शोभित शशि शिव भाल पर, बहे जटा से गंग,
सबके पालनहार है, हरि ॐ नमः शिवाय।

बाघाम्बर तन पर सजे, रहते समाधि लीन,
नीलकंठ अवतार है, हरि ॐ नमः शिवाय।

हाथ त्रिशूल रखे सदा, तन पर लिपटे नाग,
बम बम की झंकार है, हरि ॐ नमः शिवाय।

डम डम डम डमरू बजे, करते तांडव नाच,
असुरों का संहार हैं, हरि ॐ नमः शिवाय।

जो शिव को लेते मना, होते पूरे काज,
करते बेड़ा पार है, हरि ॐ नमः शिवाय।

सच्चे मन से पूजिये, करते संकट दूर,
लीला अपरम्पार है, हरि ॐ नमः शिवाय।

स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा "वागीश"
सिरसा (हरियाणा)
🌹शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र🌹

भगवान शिव के 43 नामों से सृजित
यह रचना..

नमामि शिव,शम्भू,शशिशेखरः
नमामिश्च रूद्र,महादेव, महेश्वरः
पिनाकी, वामदेव, विरूपाक्षायः
नमामि कपर्दी,नीललोहित,शंकरः

नमः खटवांगी, नमः शूलपाणी,
नमः विष्णुवल्लभे,नमः श्रीकण्ठे।
नमः शिपिविष्टे , अंबिकानाथाय,
नमः त्रिभुवनपतै नमःनीलकण्ठै।

हे कृपानिधि,शिवाप्रिय,सुरसूदन,
नमः ललाटाक्ष, कपाली,गंगाधरः।
हे कैलाशपति,त्रिपुरांतक,गिरिरेश्वर,
नमः मृगपाणी,वृषभारूढ़, जटाधरः।

नमः सदाशिव,वीरभद्र,प्रजापति,
नमः भुजंगभूषणं,नमः विश्वेश्वरः।
नमः पाशविमोचन,नमः महादेव,
नमःअनंत,तारक,अव्यक्त,परमेश्वरः।

स्वरचित :-राठौड़ मुकेश
21/02/2020शुक्रवार
विषय-शिव/महाकाल/रूद्र/शाश्वत
विधा-हाइकु
❤️🌷❤️🌷❤️🌷
हे!महाकाल
जगत हित किया
गरलपान👌

शिवाराधना
महाशिवरात्र में
मोक्षदायक👍

शिव-पार्वती
करना आराधना
पातक नाश💐
🍀🌸🍀🌸🍀🌸
श्रीराम साहू "अकेला"

21-2-2020
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(1)
शिव सबके आराध्य हैं,
कहते वेद पुराण।
शिव-शिव-शिव रटते रहो,
निश्चित हो कल्याण।।

(2)
शिव की कर आराधना,
कट जाएँगे कष्ट।
शिव-पुराण विस्तार से,
करता है यह स्पष्ट।।

(3)
शिव को भजते हैं सभी,
राजा रंक फकीर।
खुश होकर शिव शम्भु ने,
बदली है तकदीर।।

(4)
शिव भक्तों की टोलियाँ,
आती गंगा तीर।
गंगा जल के स्नान से,
मिट जाती सब पीर।।

(5)
शिव के पूजन से मिलें,
हमें पदारथ चार।
शिव देते वरदान जब,
सपने हों साकार।।

~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया

दिशुक्रवार/21.2.2020
विषय-शिव,शाश्वत,रुद्र,महाकाल
विधा -दोहे
1.
शिव यानी कल्याण को, समझे गर इंसान।
जीवन के आनन्द का, हो सकता है भान ।।
2.
उपासना से शीघ्र जो, हों प्रसन्न औ शांत।
आशुतोष भगवान वो, मात भवानी कांत।।
3.
स्वयं काल के काल हैं, महांकाल कहलायँ।
रुद्र प्रलय के ईश हैं ,यदा कदा दर्शायँ ।।
4.
नित्य अनादि अनंत हैं,शाश्वत हैं भगवान।
वेद श्वांस बने जिनकी, वो ही विद्यावान।।

******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी (म.प्र.)451551
दिनांक-21-2-2020
विषय-शिव/महाकाल

लाखों टनों दूध से
भोले का अभिषेक हो रहा
एक बच्चा कातर हो
खड़ा कतार में रो रहा

भोले बाबा तो हैं
बस भाव के भूखे
क्षण में प्रसन्न हो जाते
पाकर भांग बेल पत्र रूखे सूखे

नाग,भूत प्रेत पशु खग
सबका थामते हाथ चलते
शंकर के परिवार में
सब हिलमिल साथ में रहते

ऊँचे पर्वत पर बैठे कैलाशी
भस्म से करें महाकाल शृंगार
विष शमन कर बने नीलकंठ
शिवोपासना अनुपम त्यौहार

इस विज्ञान से छुपा हुआ है
अद्भुत बड़ा महा विज्ञान
पिंड रूप में प्रछिप्त हैजीवन
यही है एक मात्र संज्ञान

शिव ही शक्ति शक्ति ही शिव है
बिन शक्ति के शिव तो शव है
शिव सृजन का आधार है
संहार नहीं प्रकृति का उद्धार है

प्रकृति का कोई अंत नहीं है,
ये तो सनातन अनंत है
जिस दिल में शिव बसे है,
वह मानो योगी संत है।

देखो फिर आयी है शिव की रात
मन चक्षु से देखें शिव शक्ति की बारात
रात्रि जागरण कर हो शिव से शिव का संवाद
अद्भुत सौगात है मन डमरू का अनहद नाद

प्रतीकात्मक है कांवड़ यात्रा
सुख की मात्रा महादेव की महायात्रा
शीश पे अविरल गंग प्रवाह
सती के हृद से उठती है आह

बिल्वपत्र और भंग के भोगी
महेश कैलाशी हैं अनादि योगी
पोषण और संवेदना में प्रभु हैं प्रकटित
अणु परमाणु में होते प्रस्फुटित

संहार से पूर्व सर्जन करते
कण कण में शिव शंकर बसते
रात्रि जागरण कर आशुतोष को मनाएं
जन जन शिव शक्तिमय हो जाएं।।

*वंदना सोलंकी*©स्वरचित
21-2-2020

दिनांक _21/2/2020
विशेष आयोजन_शिव/रुद्र/महाकाल

आज की थीम पोस्ट के तहत

तूँ भोला सब जग से निराला!
विष निकला उसको पी डाला!!
आग़ बहे तुम्हरे रग रग में!
पालन करते हो सब जग के!!
तुम्हरा आदि ना अंत है कोई!
देवों में तुमसा नहीं कोई!!
मृत्युंजय हो महा विनाशी!
औगढ दानी हो अविनाशी!!

ओमकार है तुम्हरी वाणी!
शिव रक्ष्यामं,शिव पाहिमाम!!
शिव शरणागत,शिव रक्षामं!
तुम्ही शून्य हो तुम्ही इकाई!!
तुम्हरे भीतर नमः शिवाय!!
भांग घतूरा भोजन तुम्हरा!
बेल पत्र अति प्रिये है तुम्हरा!!

जटा में गंगा ,,,चाँद मुकुट है!
कभी सरल कभी अति विकट है!!
आग में जन्में हो अविनाशी!
शक्ति भी तेरे दरस को प्यासी!
कृपा राम रावण को दीन्हा!
तांडव हो और ध्यान भी कीन्हा!!
आँख तीसरी जब तुम खोले!
हिले धरा और स्वर्ग भी डोले!

गूंज उठे हर दिशा छितिज़ में!
नाद तुम्हारा बम बम बोले!!
यक्ष स्वरूपाय जटा धाराय!
पिनाक हस्ताय सनातनाय!
दिव्याय देवाय दिगंबराय!
तस्मई यकाराय नमः शिवाय!!

भांग धतूरा बेल पत्र मन,
तुझको अर्पण करती हूँ!
श्रद्धा भाव का सुमन हाँथ ले,
जीवन भी अर्पित करती हूँ!!

ॐ नमः शिवाय

# मणि बेन द्विवेदी

विषय -शिव/महाकाल/शाश्वत
दिनांक-21-02-2020

#महाशिवरात्रि पर विशेष #आराधना
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ नम: शिवाय
******************
देवाधिदेव महादेव की वंदना, ,
====================
पंच्चामर छंद में,,,,,,
( 8 +8 वर्ण 12 मात्राभार व 1 2,12 1 2 1 2 , 1 2 1 2 1 21 2 की आवृति, अंत तुकांत से करें,,,
*******************************
नमो शिवाय शंकरा, नमामि हे सुरेश्वरा
कृपा करो उमेश्वरा , प्रभो शिवे महेश्वरा !
~~
सुकंठ मुंडमाल है, ,,,सुवेश वेश औघरा
भजामि राम नाम की, सदा जपैं रमेश्वरा !
~~
भुजंग अंग में लसे ,,,,, प्रचंड हैं भयंकरा ,
विरूप रूप को कहै , शिवे स्वरूप सुंदरा !
~~
सुसंग शैलजा सती , ,,,,विराजती मनोहरा
सदा निवासनी हिया,शिवाप्रिया शुभांकरा!
*********************************
*********************************
हिमालया विराजते, ,,,,,सुशांत साधना करें
मयंक शीश शोभिते,,,, सुगंग पावनी बहें !
~~
कृपालु हो दयालु हो, शिवे शिवे विशंभरे
कलेश ना कभी रहे , ,,प्रभो शिवे दया करें !
~~
त्रिनेत्र शंभु खोलते, विनाश काल आ पड़े
भजामि ओम नाम की,जपा करें क्षमा करें
~~
उमेश प्रार्थना करूॅ , हिया प्रकाश से भरें!
सुप॔थ में सदा रहूॅ , ,,,,पुनीत साधना करें !
~~
*********************************
रचनाकार = ब्रम्हाणी वीणा हिंदी साहित्यकार
विषय : शिव स्तुति
विधा : पद (गीत)
दिनांक : 21.02.2020
दिन : शुक्रवार
============================
तर्ज :- मेनू इश्क दा लग गया रोग

शिव स्तुति

भोले बाबा तू सुन ले पुकार,
तेरे चरणों में सागर है प्यार।
थोड़ा देदो ना हमको उधार,
तेरे चरणों में सादर है प्यार।।
(1.)
ना पीछे हटे कदम... , खाते हैं हम कसम... ,
भोले बाबा का जयकारा लाते बम बम बम।
शीश दुश्मन का देंगे उतार....
भोले बाबा तू सुन ले पुकार....

(2.)
पूरे कर दो अरमान..., दे दो मूर्ख को ज्ञान...,
कब से भजन करूँ चरणों में, कुछ तो कर लो ध्यान।
डमरू वाले तू करतार...
भोले बाबा तू सुन ले पुकार....

(3.)
गंगा सिर से बहती..., विष घूँट गले रहती...,
देवों के महादेव हो शंकर दुनिया यूँ कहती।
दूर कर दो ना.... अंधकार...
भोले बाबा तू सुन ले पुकार...

( 4.)

ये पलटन वीरों की... , वीर अहीरों की...
श्री कृष्ण के वंशज और अर्जुन से तीरों की।
तेज गंगा सी है धार...
भोले बाबा तू सुन ले पुकार...

नफे सिंह योगी मालड़ा ©

दिनांक- 21 - 02 - 2020
आयोजन - विषय - शिव / महाकाल
पर मंच के समझ सादर प्रस्तुत
*******************************
महा शिवरात्रि पर्व की आप सभी को
हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई
*******************************

शिव कैलाशी गंगाधारी , करते बैल सवारी |

मुण्ड माल गल धारण करते ,
भस्म लगाएं तन में -
और नहीं कुछ भाए खाएं ,
भंग - धतूरा वन में ,

लीला तुम्हारी देख-देख , दुनियादारी हारी |
शिव कैलाशी गंगाधारी , करते बैल सवारी ||

कहते हैं नटराज तुम्हीं को ,
सबको खूब नचाते -
भक्त खडे़ हो द्वार तुम्हारे ,
गीत खुशी के गाते ,

देवों के हो देव तुम्हीं तो , करते लीला न्यारी |
शिव कैलाशी गंगाधारी, करते बैल सवारी ||

दे देते वरदान सभी को ,
हो तुम भोले-भाले -
अमृत देते त्याग ‌तनिक में ,
पीते विष के प्याले ,

सर्प लपेटे सर पे चंदा , छवि लगती अति प्यारी |
शिव कैलाशी गंगाधारी , करते बैल सवारी ||

एल एन कोष्टी
गुना म प्रदेश
स्वरचित एवं मौलिक
21 /2//2020
शिव,महाकाल,, शाश्वत,, रुद्र
शिव ही सत्य शिव ही सुंदर
शिव है सबसे निराला
शिव ही महाकाल शिव ही शाश्वत
जो पहने मुंडों की माला
दुनिया को धन दौलत दे खुश तो रहें वीराने में
देवों के हितकारी स्वयं हलाहल पी डाला
ऐसे दानी भोलेनाथ पल भर में खुश हो जाते हैं
धूनी रमाए बैठे और पिएं भंग का प्याला
एक विनय मेरी भी प्रभु जी नजर कृपा की बनाए रखना
मैं क्या अर्पण करुं शम्भु तुम्हीने
सब कुछ दे डाला
,स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार

दिनांक 21/2/ 2020
विषय- शिव

शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरी महिमा अपरंपार!
जटाओं में गंगा विराजे हैं,
माथे पर चंदा साजे है,
गले सर्पों की माला है,
संग भूतों की बारात,
शिव शंकर भोलेनाथ!
भस्म भभूति रमायी तन पर,
चले निराले दूल्हा बनकर,
गौरा मैय्या वधू बनी है,
राह निहारे सखियों साथ,
शिव शंकर भोलेनाथ!
काले पीले सब बाराती,
नाचे अंबर झूमे धरती,
चले हैं गाते ढोल बजाते,
दूल्हे राजा को ले साथ,
शिव शंकर भोलेनाथ!
तेरी महिमा अपरंपार !!
स्वरचित एकता शर्मा

दिनांक- 21/02/2020
विधा- कविता
***************
शिव हैं भोलेभंडारी,
बाम में गौरा बैठी प्यारी,
गोदी में गणपति विराजे,
द्वारे पर नंदी साजे |

गौरा ने तपस्या की,
भोले को मनाया था,
रूप श्रृंगार नहीं देखा,
स्वामी अपना बनाया था |

भोले तो भावों के भूखे,
श्रद्धा सुमन उनको भाये,
मंहगी भेंट वो न चाहें,
बोलो ऊँ नम: शिवाय |

महाशिवरात्रि आज है आई,
मंदिरों में गूँजे शहनाई,
शिव-गौरा दुल्हा और दुल्हन,
मन को भा रही ये मूरत |

स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
दिनांक 20-02-2020
विषय- शिव/महाकाल/रुद्र

ओंकार है महिमा तेरी शंभु भोलेनाथ,
एक हाथ त्रिशूल है डमरू दूजे हाथ।
बाघम्बर तन ओढ़त हैं शीश गंगधार,
रक्षा करो भोले बाबा रहना सदा साथ।

देवों के देव महादेव कालों के महाकाल,
तन पर भस्म रमाए हैं गले में सर्पमाल ।
ऊंचे कैलाश में शोभित भोले का वास,
त्रिनेत्रधारी जगदीश्वर जटा है चंद्रभाल।

भूत गणादि नंदी तेरे संग में विराजते,
पार्वती गणेश कार्तिक संग में साजते
उद्धार करे सबका महेश्वर रुद्र भूतनाथ।
आदर्श परिवार की महिमा हैं बखानते।

प्रजापति दक्ष यज्ञ में शिव स्वयं ही गए,
रक्षा में संसार की जो कालकूट पी गए।
अकाल मृत्यु को सदा मृत्युंजय टालते,
कंठ में हलाहल से नीलकंठ हो जी गए।

दुखहारी डमरूधारी त्रिपुंड ललाट धारते,
दुग्ध बिल्वपत्र शिवलिंग पर हैं विराजते।
अक्षत केसर चंदन भस्म सोहे माथे पर,
भांग धतूरा बेर फल चरणों में हैं वारते ।

क्रोधित हो तीसरा नेत्र जब शिव खोलते।
त्रिलोक नक्षत्रमंडल ब्रह्मांड सदा डोलते।
महिमा रौद्र रूप नटराज की अपार है,
ॐ नमःशिवाय का जयकार सभी बोलते।

शिव का जहाँ ध्यान हो है वहीं शिवाला ,
कृपा से भोलेनाथ की संसार में उजाला।
कल्याणकारी आशुतोष व्योमकेश रूप,
कामना को पूर्ण करे दिगंबर भोला भाला।

क्लेश तम का नाश करते है बाघचर्म अंग,
एकादश रुद्र चौंसठ योगिनियां हैं संग।
षोडश मातृकाएँ व भैरव सहचर सदा,
आरुढ नंदी पर बारह ज्योतिर्लिंग के रंग।

कुसुम लता 'कुसुम'
आर के पुरम
नई दिल्ली
विषय -शिव/महाकाल
दिनांक-21/01/2020
महाशिवरात्रि

चढ़ा रहे मंदिरों में जल फूल बेलपत्री
धूम धाम से भक्त मना रहे शिवरात्रि
शिव की महिमा का गुड़गान
करते सदा रामायण गीता वेद पुराण
भक्तो के तन मन मे शिव चमत्कार
करते रक्षा जन की कई रूप में लेते अवतार
जीवन जानते घटाना और बढ़ाना
रखते नजर धरा पे देते सब को अन्न दाना
पंडित कहते रोग मुक्तिदाता
महामृत्युंजय जप से मृत्यु का भय मर जाता
हे कैलाश के वाशी
दो वरदान खुशहाल रहे भारतवाशी
आप सती के प्रिय प्रभु
आप पार्वती के संम्प्रभु
हे दया निधि के विराट सागर
आप ने राम रावण को किया उजागर
हम सब खड़े आपकी प्रार्थना में
हम पर भी दया करें जीवन साधना में
दीप जलाता भक्त हर रात्रि
चड़ा रहें मंदिरों में जल फूल बेलपत्री।।

उमाकान्त यादव उमंग
मेजारोड प्रयागराज
शीर्षक शिव/ महाकाल
दिनांक 21/02 /2020।


ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय
कालों के काल
जय महाकाल ।

शीश पर सोहै जटा भाल,
मस्तक पर चंद्रमा त्रिकाल ।
डाले नर मुंडो की माल
भस्म भभूति का श्रृंगार ।

जय श्री शंभू
डम -डम डमरू धारी ।
त्रिकालदर्शी त्रिपुरारी
डम -डम डमरू त्रिशूल धारी।

पार्वती को व्याहन चले
भूत प्रेत संग ले बाराती।
सुनैना हिमालय संग
श्री शंभू उतारे आरती ।।

स्वरचित, रंजना सिंह


दिनांक- 21 - 02 - 2020
आयोजन - विषय - शिव / महाकाल

महा शिवरात्रि पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई

जय भोले भंडारी तेरी महिमा अति प्यारी।
देवों के देव महादेव तुम्हें पूजे हर नर-नारी।

उमा पति शिवशंकर कृपा हम पर हो जाये,
सृष्टि के रचयिता तुम ही जन-जन को भाए।

महाशिवरात्रि पर्व पे शिव घर में रहे विराज,
श्रद्धालु उमड़ रहे, गूँज रहे हर मंदिर आज।

बेलपत्र चढ़ाऊँ श्रद्धा भाव से तुम्हें मनाऊँ,
सुमन अर्पित करूँ सिंघाड़े का भोग लगाऊँ।

दूध,दही,घृत,गंगाजल से,भक्त करें अभिषेक,
भक्तों का सैलाब है, करें रुद्र महाअभिषेक।

कावड़ लेकर चल दिये भक्त जनों में जोश,
हर-हर-महादेव जय भोले जयकारा मदहोश।

है सृष्टि के आधार प्रभु, तुम ही पालनहार,
कष्टों को दूर करें, भक्तों पर करों उपकार।

 सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
21/2/20
विषय..शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र

विधा..गीत
तर्ज.. ऐ मालिक तेरे बंदे हम..।
ऐ बंदे तुझे क्या है गम...
बोले मुख से अगर बोल बम
पाप धुल जायेगा......
भाग्य खुल जायेगा.....।
दुनिया चूमेगी तेरे कदम..
भोले बाबा का गर नाम ले।
उनके चरणो को थाम ले।
तू वही पायेगा .....
जो भी फरमायेगा.....
मांग दिल से न रख कुछ वहम।
जग मे उसकी बडी शान है।
देने वाले वही दान है।
है विधाता वही......
जग के दाता वही......
भरी दोलत जहाँ है अगर
कोई पाया नही पार है।
पूजता जिनको संसार है।
आओ धाम चले.......
भोले से मिले.........
बोलना प्रेम से बम बम।।
ऐ बंदे तुझे क्या है गम.....
स्वरचित
रीतू गुलाटी.।ऋतंभरा
विषय-शिव /महाकाल
तिथि-21/2/20

वार- शुक्रवार

देवों में देव शिव भोला तू,
हे महाकाल है मायावी तू,
हिमालय पर है ड़ेरा तेरा,
हर दिल में समाया तू,
देवों की रक्षा की खातिर,
पी बैठा जहर का प्याला तू,
सर्पों का तू करें श्रृंगार,
पहने सिंह दुशाला तू,
हो दुराचारी, या सदाचारी,
हृदय में सबके बसता तू,
घड़ा पाप का जब भर जाता,
राख रगड़ तांड़व करता तू।
***
स्वरचित- रेखा रविदत्त
दिनांक, २१,२,२०२०.
दिन, शुक्रवार .

विषय, शिव, महाकाल, शाश्वत, रुद्र

शिव हैं त्यागी शिव अनुरागी, बस शिव ही सत्य और सुदंर हैं ।

शिव का पूजन करने का मतलब , इन सभी गुणों को आत्मसात करना है ।

हम गरल पियें जन हित के लिए , परित्याग करें अपनी अभिलाषाएं ।

भस्म करें हम असत्य व राक्षसी प्रवृत्ति , दुनियाँ में नफरत न रह पाये ।

देवों के देव हैं महादेव सदा शुभ दाता, प्राणियों को प्रेम शिव सिखलायें ।

महा तपस्विनी, महाशक्ति माँ गौरा , निज तप बल से शंकर को पायें।

हम मनुज स्वरूप को शिवमय करके, जब चाहें तब शिव को पायें।

स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना, मध्यप्रदेश .
तिथि - २१/०२/२०२०
दिवस - शुक्रवार

विषय - शिव/महादेव
---------------------------------------

शिव की महिमा सबसे न्यारी
शिव की भक्ति है हितकारी।
पल में हो जाते प्रसन्न हैं-
महादेव संतन सुखकारी।

शिव योगी हैं शिव संसारी।
इन्हें पूजती दुनिया सारी।
करे आरती और वंदना -
नमन करे पूजे नर नारी।

जग में ऊंचा है शिव नाम।
शिव आते हैं सबके काम।
नाथ अनाथ के महादेव हैं-
कोटि-कोटि है इन्हें प्रणाम।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित

दिनांक--२१--०२--२०२०
विषय--शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र

विधा--हाइकु

++++++++++++++++++++

शिव रात्रि में
जग-मग धरती
मगन लोग

लगता मेला
करते जागरण
शिव मंदिर

शिव पूजन
नित-नित करना
सुखी जीवन

शिव सुन्दर
भांग धतूरा भाए
चढ़ाते लोग

रानी कोष्टी गुना म प्र स्वरचित एवं मौलिक
21/2/20

हे प्रभू
आप ही
ब्रह्मा ,विष्णु, हो।
आप ही
इंद्र अग्नि ,वायु हो।
आप ही
आठो ग्रहों में निहित हो।
आप
भू ,भुव,स्व हो।
आप
सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड
के सृस्टि कर्ता हो।
सभी
सूक्ष्म ,स्थूल,
में आप ही समाए हो।
आपके
तेज से सारा
संसार चमकता है।
हे
धरा, गगन,जल
में विराजमान शिव
जनम मरण के शाश्वत सत्य
हम
आपके
चरण कमलों की
बंदना करते है।
नमन भावों के मोती मंच
21-02-2020
द्य

हे भोलेशंकर

हे भोलेशंकर!
आप तो सभी का कल्याण करते हैं न
तो हे भोलेशंकर
दीन दुखियों को दिन भर
क्योंं जूझना पड़ता है
अनगिनत तकलीफ,दर्द
हे कृपालु!
अपनी कृपादृष्टि दिखाइये उन पर
हाँ हे भोलेशंकर
उनके जीवन के दर्द का भी
कर दीजिए अंत
अपनी कृपादृष्टि दिखाइये
दूर कर दीजिए उनका समस्त दुःख।।

हे कृपानिधि!
जरुरतमंदों की सुन लीजिए
करुण पुकार और दूर कर दीजिए
उनके जीवन से दुख की काली रात
सहन करते हैं असहनीय दर्द निर्धन
हाँ हे शूलपाणि
लेकर कलयुग में अवतार
अपने शूल से कर दीजिए
समस्त दुराचारियों का संहार
हे महाकाल!
जगत में सर्वत्र सुख और शांति हो
दीजिए आशीष आज आप।।

©कुमार संदीप
मौलिक,स्वरचित
नमन मंच
21/02/20

नाम शिव का जपते रहिये ,
भक्ति शिव की करते रहिये,
लोक त्रिय के स्वामी भोले,
शम्भु शिव दुख हरते रहिये ।

शम्भु,शिव में भेद समझिये
शम्भु को साकार समझिये ।
रूप की पूजा सरल बड़ी
ज्ञान शिव के लिये समझिये ।

गले में साँपों की माला,
हाथ में डमरू मतवाला ,
जटा से गंगा उतरी है,
ओढ़ते हैं मृग की छाला।

उमापति शिव अविरामी है
सत्य शिव सुंदर स्वामी हैं
काल के महाकाल बाबा
जगत के अंतरयामी हैं ।

सृष्टि के निर्माता शिव हैं,
विधाता विष्णु रुद्र शिव हैं,
ज्योति का रूप धारण करे
ज्ञान के वरदाता शिव हैं।

स्वरचित
अनिता सुधीर
विषय - शिव
विधा - दिग्पाल छंद
दिन - शुक्रवार
दिनांक - 21-02-2020
********************

जय शिव हरे पुरारी, भव भय हरो खरारी।
सुन लो अरज हमारी, बरसे कृपा तिहारी।।
ब्रम्हांड के विधाता, सुख धाम के प्रदाता।
निष्काम भक्ति दाता, जग त्राण काल त्राता।।

है भाल चंद्र शोभित, तम को करे तिरोहित।
डमरू करे सु घोषित, जग मात्र प्रेम पोषित।।
है ब्याल शुभ्र माला, उदरस्थ कूट हाला।
मृगछाल वस्त्र डाला, पूजित रहे शिवाला।।

सुरसरि जटा विराजे, कर मध्य माल साजे।
नटराज नृत्य राजे, चहुँ दिस निसान बाजे।।
गल हार नाग सोहे, नव रूप काम मोहे ।
गाकर भजन व दोहे, हर भक्त बाट जोहे।।

कब तक लडूँ समर में? है प्राण भी अधर में।
है नाव अब भंवर में, धारो त्रिशूल कर में।।
व्यापे न मोह माया, हो पाप मुक्त काया।
तव साथ नाथ भाया, गुणगान लोक गाया।।

हरि हर सदा सनातन, है काल से पुरातन।
तव नाम पतित पावन, त्रय ताप जग नसावन।।
शिव रूप नित्य ध्याता, जुड़ता अगाध नाता।
जो भक्त गीत गाता, फल, पुण्य शीघ्र पाता।।



पूर्णतः मौलिक एवं_स्वरचित

विनीत मोहन औदिच्य
सागर, मध्य प्रदेश
त्रिशूल डमरू धारी
शिव भोला भंडारी
त्रिलोचन का धारी
शिव भोला भंडारी

गौरा जिसकी नारी
ओर नंदी है सवारी
कैलाश पर बिराजे
भांग जिसे है प्यारी

है भक्तों का रखवाला
पीता जहर का प्याला
भस्म को अंग लगाऐ
पहने सर्पों की माला

नेत्र जो तीसरा खोले
सारा ब्रम्हांड है डोले
ब्रह्मा विष्णु भी हारे
तब माँ काली बोले

स्वरचित कुसुम त्रिवेदी
मनहरण घनाक्षरी में मेरी एक स्वरचित रचना आपलोगो के समक्ष समीक्षार्थ रख रही हूँ--

**वर त्रिपुरारी है**
---------------------------------
राजा हिमांचल घर,
आया देखो कैसा वर।
पहने मृगछाला वो-
औ' त्रिशूल धारी है।

गाँजा-भाँग खाने वाला,
भस्म को लगाने वाला।
जटा में गंगा बिराजे-
गले नागधारी है।

भूत - प्रेत बाराती है,
हाड़ा - बिढ़नी गाती है।
लीला अजब - गजब-
बैल की सवारी है।

मैना देख अकुलाई,
गौरी मन ही मुस्काई।
गौरा सुकुमारी के तो-
वर त्रिपुरारी है।
--------------------------------
-- रेणु रंजन
( स्वरचित )
21/02/2020

विषय - शिव/महाकाल/रुद्र
दिनांक - 21/02/2020


शिव लय भी है और प्रलय भी।
कला भी है और काल भी।
पूर्ण स्वयंभू रुद्र है।
खुद में नर भी है नार भी।

वो स्वामी है वो दाता है।
वो संहारक वो त्राता है।
तांडव करता वो क्रोध में।
योग का भी वो ज्ञाता है।

वो गुरु है ज्ञान का सागर।
रोके विष कंठ में पीकर।
साकार रूप निराकार भी।
चंदा शीतल भुजंग हार।

डमरू भी और त्रिशूल भी।
गंगाजल और विष भी।
भुजंग हार गर्दन लपटे।
भैरव भी और सुंदर भी।

स्वरचित
बरनवाल मनोज
धनबाद, झारखंड
विशेष आयोजन
विषय : शिव

तिथि : 21.2.2020

शिव, विष पिया था तुमने
तब भी उद्देश्य था उद्धार!
आज भी आवश्यकता है
पाप-विष से समाजोद्धार।

तब बने थे नीलकंठ-
मचा दो तांडव आज
पाप कर्म, पाखंड धर्म
सब का कर दो संहार।

ऐसा डमरू बजा शिव-
शिव ही शिव बचे केवल,
अशिव का हो जाए नाश-
कलयुग का करो उद्धार।

मिटाओ समाज से सारे
कुरीतियां और कुकर्म,
मिटा कर कोड़ी खाज
समाज को दो संवार।

हे नीलकंठ, हे जगतार
आवश्यक पुनः इकबार
कुसंस्कारों को पिला विष-
जीवित कर दो सुसंस्कार।
-- रीता ग्रोवर
-- स्वरचित
"शिव/महाकाल/शाश्वत/रूद्र"

II छंद - चौपाई II

कहते हैं शमशान निवासी, रोम रोम रम रहा सुवासी...
आदि अंत का जो है ज्ञाता, महादेव वो है कहलाता..

पी कर ज़हर अमृत देता वो, वैरागी मन से ऐसा वो...
जीवन मौत समाये रहते, मृत्युंजय हो जग में रमते....

आदि अंत में भी जो रहता, सत्य असत्य परिभाषित करता..
जड़ चेतन में जो अविचल है, वही शाश्वत शिव निर्मल है..

दुख लेके सुख देता है जो, भोला बम बम भोला है जो....
वंदन रूप करे हम उसका, सत्यम शिवम सुंदरम उसका...

II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
21.02.2020
भस्म हुई जब सती अग्नि में, धधक उठी तब ज्वाला।
भय प्रचण्ड तब महादेव ने रौद्र रूप धर डाला।
यक्षराज का ग्रीवा काट कर ताण्डव ही कर डाला।

हवन कुण्ड से उठा लिया शव शिव ने काँधा डाला।
***
कई युगों तक शिव के मन मे प्रेम विरह सी ज्वाला।
मन बैरागी हो गया उनका प्रीत हृदय से त्यागा।
तब हिमगिरि के श्वेत महल मे जन्मी थी इक बाला।
पिता हिमालय माता नयना पार्वती सम आभा।
***
जैसे जैसे समय बीतता भुवन रूप रच डाला।
शंकर वरण की कामना में तप मे डूबी काया।
भय प्रसन्न तब महादेव ने सती मोह को त्यागा।
शिवरात्रि के महादिवस पर पार्वती को व्याहा।
***
आज का दिन ही वो अदभुद दिन है रात की अनुपम छाया।
शिव ने वरण किया जिनका वो जग जननी है माता।
आओ मंगल गान करे मन पाप त्याग गुणगान करे।
शिव गौरी के महा मिलन पे शेर की कविता आप पढे।

शेर सिंह सर्राफ
विषय-शिव/महाकाल/रुद्र

महाकाल अवधूत तुम,शिवजी भोलेनाथ।
काटो फंदा काल का,रख दो सिर पर हाथ।।

पावन व्रत शिवरात्रि का,मन भावों की धार।
जो भी इस व्रत को रखे, पाए कृपा अपार।।

नीलकंठ भगवान तुम, बने स्वयंभू आप।
आए हैं हम शरण में ,करें आप का जाप।।

गंगाधर हम दूध से, करें रुद्र अभिषेक।
भाँग धतूरा है सभी,केवल मन है एक।।

अवढरदानी तुम सदा, शिव कैलाशी नाथ।
मन में हो छवि आपकी, सदा रहो तुम साथ।

मैं सेवक अति दीन हूंँ, आश्रय दीजै नाथ।
शरण गही है आपकी,चरणों मे है माथ।।

शिव जी मैं वंदन करूं, दोनों कर को जोड़।
वर देना मुझको सदा , मुख मत लेना मोड़।।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
विषय-रुद्र/शाश्वत
हे ,रुद्र!
बनो रौद्र।
करो संहार,
त्रस्त संसार।

तुम शाश्वत,
तुम अनादि,
तुम अजन्मा,
तुम अनन्त।

निराकार भी,
निर्विकार भी ,
मनमोहक ,
निर्हंकार भी।

मूक शारदा,
मूक लेखनी।
मूक शेष है,
मूक विधाता।

कौन लिखा है!
कौन लिखेगा!
सदा अवर्णित,
सदा अतुलनीय,
हे करुणामय!!
तेरी गाथा।🙏.

स्वरचित-सरिता '"विधुरश्मि

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