Thursday, February 13

"वीर/शहीद/यादें/नम"14फरवरी2020

ब्लॉग की रचनाएँसर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नहीं करें 
ब्लॉग संख्या :-656
14/02/2020
"वीर/शहीद/नम/यादें"
***
*****************
नम नयनों ने नेह नीर ,छलक-छलक छलकाए
पग-पग पारस प्रेम पुष्प ,पथ पर बिछते जाए
जय - जय भारत - भारती,नारे नर-मन मुख
अंतस ,अंबर, आकुल-आतुर, श्रद्धा पुष्प बरसाए।।

किंचित कायर कुटिल कदम,करे छदम प्रहार
धधक धैर्य ज्वाला रही, धीरज धर ना नार
चंदन चित्त ,चंदा चले,चक्षु,चकवा रोए
लांघ लाज रावण रहे,कर काट शीश तन तार।।

स्वरचित,वीणा शर्मा वशिष्ठ
विषय वीर,शहीद,याद,नम
विधा काव्य

14 फरवरी 2020,शुक्रवार

नम हो जाते नयन देश के
भर उठती वज्र सी छाती।
नमन शहीदों को करते हैं
गीत विदाई भारती गाती।

अमर शहीदों तुम्हें नमन
अनाम उत्सर्ग हुये सब।
देख रहा है जग नियन्ता
आँखे मूंदे रो रहा है रब।

भारत माता के सम्मान में
अगणित वीर कुर्बान हुये।
रिपुदल हाहाकार मचाया
खाई खोदी रिपु गिरे कुये।

कुरुक्षेत्र महाभारत भूमि
रुंड मुंड यँहा पर लड़ते।
अमर शहीदों की भूमि ये
सदा वीर नित आगे बढते।

मातृभूमि हित बलि हो गये
वीर शहीद गोली खाता।
माँ करुणा से अति भरकर
हिय लगाती भारतमाता।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

विषय -- 🌹याद🌹आ जाओ नैन ये छलके हैं
आँखों से आंसू ये ढलके हैं।
ये कैसा हवा ने स्वर छेड़ा
याद आय वो लम्हे कल के हैं।

तुमसे ही खुशी के नगमें हैं
है दुखी हर इक महकमे हैं।
पैगाम न किसी भी कोने से
एक दुख ही मेरे हक में हैं ।

सिर्फ एक तुम्हारी याद है
वरना तो ये दिल नासाद है।
उस याद में रस घोल जाओ
हर शय से दिल में घात है।

इस दिल पर तुमने राज किया
हर बिगड़ा तुमने काज किया।
ये श्रेय तुम्ही को कविता का
तुमने इसका आगाज़ किया।

मेरे सपनों की तुम रानी हो
इक टूटे दिल कि कहानी हो।
इन यादों के गुलशन की 'शिवम'
रानी ही नही महारानी हो।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 14/02/2020
विद्या :- पद ( छंदबद्ध कविता)
दिनांक :-14/02/2020
=================================

पद, प्रतिष्ठा छोड़कर ,और छोड़कर उपाधियाँ ।
हाथ जोड़कर खड़े हैं वन,घन,नदी व वादियाँ ।।
मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा , चर्च जाएँ बाद में ।
सबसे पहले पूजते हैं शहीदों की समाधियाँ ।।

कविता की चाहत

मैं नहीं चाहती सुनकर मुझको , कोई रूठा मुस्काए ।
मैं नहीं चाहती की महफिल की खुशियों में गाया जाए।।
मैं नहीं चाहती प्रशंसा कर , प्रेमिका को रिझाया जाए ।
मैं नहीं चाहती मंदिर में गा , हरि को हर्षाया जाए ।।

मैं नहीं चाहती भूले, भटके राहगीर को राह दिखलाऊँ ।
मैं नहीं चाहती पत्थर दिल को,मोम बनाकर पिंघलाऊँ।।
मैं नहीं चाहती कि हिंसक को ,पाठ प्रेम का सिखलाऊँ ।
मैं नहीं चाहती सहानुभूति दे , आँखों आँसू बरसाऊँ ।।

गा देना नफे सरहद पर जहाँ अड़े,खड़े हों वीर जवान ।
जिनके दम पर नींद चैन की सोता सारा हिंदुस्तान।।
मुझे गा देना जहाँ न पहुँचें , औहदे और उपाधियाँ ।
जिनकी यादों में खड़ी हों, गुम - शुम,मूक समाधियाँ ।।

मैं 【नफेसिंह योगी मालड़ा 】 घोषणा करता हूँ, मेरे द्वारा उपरोक्त प्रेषित रचना मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित और अप्रेषित है। मैं संस्था को इसके प्रकाशन की स्वीकृति देता/देती हूँ।
[ नफे सिंह योगी मालड़ा © ]
शीर्षक- शहीदों की याद, नमन
सादर मंच को समर्पित -


🌺🇮🇳 गीतिका 🇮🇳🌺
***********************
🌻🇮🇳 शहीदों को नमन 🇮🇳🌻
🌹🍀 छंद -विधाता 🍀🌹
मापनी- 1222 , 1222 , 1222 , 1222
समान्त- आस , पदांत - होता है
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️

रहें जो अडिग सत पथ पर ,
उन्हें विश्वास होता है ।
गढ़ें जो कीर्ति, यश जग में ,
वही इतिहास होता है ।।

हमारे राष्ट्र का गौरव
हमें है जान से प्यारा ,
बने हैं देश की खातिर ,
यही अहसास होता है ।

जिये हैं हम इसी के हेतु ,
अपना देश भी न्यारा ,
पुरानी शौर्य गाथा का ,
सदा आभास होता है ।

जमाना जानता है यह ,
हमें भी शान्ति है प्यारी ,
मगर जो चाल चल लड़ते ,
उन्हें सन्त्रास होता है ।

तभी तो वीर सेनानी ,
चटाते धूल दुश्मन को ,
करे नापाक हरकत जो ,
उसी का ह्रास होता है ।

हमीं हैं आन पर मिटते ,
सदा ही देश रक्षा को ,
रगों में रक्त है जब तक ,
लड़ेंगे , भास होता है ।

पुकारे भारती माँ अब ,
लहू की है शपथ हमको ,
वतन पर मिटने वालों का ,
शहीदी वास होता है ।।

🏵🍥☀️🌳🌷

🌹🌲**.. रवीन्द्र वर्मा आगरा

14 / 2/ 2020
बिषय, वीर,, शहीद, यादें

भारत के वीर शहीदों की जब यादें आती हैं
सीना चौड़ा हो जाता है आँखें यूं भर आती हैं
प्राणों की आहुति दे दी भारत माँ की शान में
जरा भी आंच न आने दी धरती के सम्मान में
हम सब की खातिर स्वयं चिरनिंद्रा में सो गए
जान की आहुति देकर अमर शहीद हो गए
जिस माता की गोद में खेले धन्य है वो माता भी
बारम्बार नमन करता बनकर उसे बिधाता भी
हो भारत के गौरव अमर तुम्हारा नाम रहे
जगमग ज्योति जले तुम्हारी जब तक सूरज चाँद रहे
स्वरचित,, सुषमा, ब्यौहार
विषय शहीद
विधा कवित

दिनाँक 14.2.2020
दिन शुक्रवार

शहीद
💘💘💘

शहीद हस्ताक्षर हैं,स्वर्णिम स्वर्णिम
देश की सुरक्षा में,इनकी छवि रहती अग्रिम
पर ये हस्ताक्षर ,बहुत ही मार्मिक हैं
इनसे पीडा़यें भी,मिलतीं एकदम हार्दिक हैं।

कोई गोद हुई सूनी,कोई उजड़ गया सिंदूर
मन का मीत कैसे आये, चले गया वह इतनी दूर
समय भी हो जाता कभी, एकदम ही इतना क्रूर
कि जीवन के मधुर सपने, होते अनायास ही सारे चूर ।

किसी के यौवन का,खिल रहा होता बसन्त
किसी का प्यार घुटनों से,झाँकता है दिग दिगन्त
किसी किशोरी की आँखों में,सपनों के जब खुलते तन्त
हो जाता एक झटके में ही,
सारे खेलों का ही अन्त।

कैसे न छलकेंगे फिर,बोझिल होते ये नयन
कैसे कर लेंगे हम,अपनी खुशियों का फिर चयन
ये शहीद हमारी सुरक्षा के, हैं अमर अभिलेख
शत शत नमन करता हूँ मैं,इनकी छवि को देख।

जय हिन्द

स्वरचित
सुमित्रा नन्दन पन्त
शीर्षक - शहीद/नमन/याद

वतन पे जां निसार कर दूध का कर्ज़
चुका जाते है

नमन शत शत जिनके हिस्से में ये
मुकाम आते है

शहादत देख के उनकी देवता फूलो
को बरसाते है

खुशनसीब है वो मिट्टी का कर्ज़ चुका
के जाते है

दीवाने आजादी के गीत आजादी के
गाते है

शहीद हो आजादी की राहो में
सेहरा सजाते है
आशा पंवार
माँ ने जब भी लाल बाँकुरा खोया होगा।
चीख मारकर बालक कोई , रोया होगा।
चूड़ी तोड़ सुहागन ने सर्वस्व लुटाया होगा।
बूढा बाप न किसी रात फिर सोया होगा।।

आँख सामने गुजरे होंगे कितने मंजर।
तड़प तड़प कर रोया होगा तभी समंदर।
दर्द के कितने तूफां उठते होंगे मन
में-
बेटे ने जब कफ़न तिरंगा पहना होगा।।

बादल ने गर्जन कर के दी होगी गाली।
चमक बिजलियों ने दागी होगी दुनाली।
दुश्मन को ललकार कहा होगा फिर नभ ने -
बता कौन अब तेरा जग में होगा माली ।।

नम आंखों से दे देते बस उन्हें विदाई
बीता पूरा बरस किसी को याद न आई
कुर्बानी वीरों की दिल से नहीं भुलाना
पीछे उनके परिवारों को गले लगाना।

सरिता गर्ग
स्व रचित

14/02/2020शुक्रवार
विषय-वीर/शहीद/यादें/नम

विधा-हाइकु
🌹🌹🌹🌹🌹🌹

आज के दिन

पुलवामा में हुए

वीर,शहीद👌

आज के दिन

माटी में मिल गए

मिट्टी के लाल👍

आज के दिन

याद करते हुए

आँखें हैं नम💐

आज के दिन

शत-शत नमन

शहीद पूत🎂

पुलवामा के

सपूत-शहीदों को

है श्रद्धाञ्जलि✍️
🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️
श्रीराम साहू अकेला

नमन🙏
कविता ~ वो नहीं आये
~°~
देश की तुम पर जिम्मेदारी,
मैं भी कुछ लगती हूँ तुम्हारी।
तिरंगे की प्रदक्षिणा करके,
घूंघट का पट खोल गये थे।
जल्दी आऊंगा बोल गये थे।।
"वो नहीं आये"
~°~
सुबह गयी कई शाम भी आयी,
मौसम की बीती वो अंगड़ाई।
मन पे आहट जब भी ठुनके,
खोली किवाड़ हर दस्तक सुनके।
जोर हवा का झोंका आया।।
"वो नहीं आये",
~°~
गयी दिवाली आयी होली,
आयी उनके यारों की टोली।
रंग गुलाल बेरंगी होकर ,
पानी जैसे गये भिगोकर।
जबभी खुशी का मौका आया।।
"वो नहीं आये"
~°~
आये थे सपने में वो आकर चले गये,
सावन में आयेंगे फिर बताकर चले गये।
साजन का सपने जैसा वो प्यार देखुंगी,
अबकी उनका यह भी इकरार देखुंगी।
आखिर खयाली छौंका आया।।
"वो नहीं आये"
~°~
सन्तोष परदेशी

दिनाँक - 14/2/2020
विषय - वीर/शहीद


(पुलवामा में शहीद जवानों को विनम्र श्रद्धांजलि💐💐)

माँ भारती के वीर जवानों दी तुमने कुर्बानी,
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ये अमर कहानी,

देश के तुम काम आए हो जाने यह जग सारा,
है आपसे ही आबाद हरदम हिंदुस्तान हमारा,
छिप कर वार करना ये है बुज़दिल की निशानी
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ये अमर कहानी,

काँप उठता था जहाँ सारा अर्जुन की टंकार से,
हिल जाती थी धरा जो लक्ष्मण की हुंकार से,
उन्ही वंशज की संतान हैं थी ये बात बतानी
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ये अमर कहानी,

तेरे ही घर में घुसकर तुझको मार गिराएंगे,
खून का बदला खून से लेकर सबक सिखाएंगे,
बहुत हो गया अब बहुत कर ली तूने शैतानी
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ये अमर कहानी,

सिर कटना मंजूर पर तिरंगे को न झुकने देंगे,
शहीदों की शहादत का जरूर बदला लेंगे,
खून अब खौल रहा हर बच्चें-बच्चें की जुबानी
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ये अमर कहानी,

माँ भारती के वीर जवानों दी तुमने कुर्बानी,
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी ये अमर कहानी,

स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
सिरसा (हरियाणा)

दिनांक-14 2-2020
विषय-वीर,शहीद, याद/नमन

विधा-कविता

नई दुल्हन को सुहाग सेज पर छोड़कर
वो वीर युद्ध पर चला गया
हाथों की मेंहदी भी न छूटी थी
देश हित में निज प्राण प्रिया को रुला गया

क्या बीती होगी उस माँ पर
जब अर्थी आयी होगी आंगन में
सीना छलनी हुआ होगा
फख्र भी हुआ होगा कि कमी न छोड़ी सुपुत्र के लालन पालन में

कैसे कोई गाथा लिखे इन वीर शहीद जवानों की
कलम छोटी पड़ जाती है हर भाषा और ज़ुबानों की

नहीं टूटा उनका हौसला पर्वत चीर दिए थे निज नाखूनों से
पर्वत पर दुश्मन झाँक रहे थे बुजदिल बच न पाए भारत देश के वीर जवानों से

वीर बांकुरों ने जब ललकारा हुंकार भरी शिव के तांडव सी
शेरों ने मार भगाया दुश्मन को भागी वो फौजें चकित बकरी सी

ऐसे वीर जवानों के शव के दर्शन तीरथ सम होते हैं
नमन उन शहीदों के आलय को
जो शिवालय समान ही होते हैं

उन वीरों की कुर्बानी को याद करके
जन जन के मन भावुक हो जाते हैं
गर्वित होते हैं हम सभी भारतवासी
नापाक दुश्मनों को देते चेतावनी
वतन पर आँच न आने देंगे हम जरा सीI

*वंदना सोलंकी©️स्वरचित
14/2/2020
विषय- वीर,शहीद ,याद,नमन


पुलमावा हमला 14फरवरी 2019
हुतात्मायों को श्रृद्धांजलि🙏 ।

कब तक गीदड़ों के हाथों
नाहर यूं प्राण गंवाऐंगे ,
बंधे हाथ कानून के
और हर्जाना "वीर "चुकाऐंगे ,
कब तक लाचारी का
ये अंधा धंधा पनपेगा ,
कब तक वीरों की बेवाएं
तिरगों को धुन रोयेंगी,
सिन्दूरी मांगों को अपनी
रक्त लाल से धोयेंगी ।।

स्वरचित

कुसुम कोठारी।
विषय-वीर ,शहीद, याद, नमन
विधा-छंदमुक्त कविता


देश हो गया था निस्तब्ध मौन,
अंतरात्मा बिलख रही थी
धैर्य बँधाये कौन?

यादें उन शहीद वीर बेटे
भाइयों की तड़पाती हैं।
श्रंद्धाजलि देने को आंँखें
हमारी आँसू बरसाती हैं।

जाने कबसे चले आ रहा
यह मौत का तांडव,
धोखेबाजी का अनवरत
क्रम थमा भला कब?

हमें बचा कर खुद
इस वार को सीमा पर
अपने पर झेलते हुए
तुम चिर निद्रा में सो गए
दूर हुए हम सबसे
कहीं तारों में मिल खो गए।

खौला था क्रोध
रक्त में लावा बनकर
जो स्ट्राइक बन कर
बहा, कुछ सुकून मिला।

हे,देश के वीर सपूतो !
अपने अश्रुओंकी श्रद्धांजलि
और ह्रदय के श्रद्धा सुमन
अर्पित करते है तुमको।

भारत माँ के लाड़ले
अमर वीर शहीदों!
सो रहे हो चिर निद्रा में
पर अमर हो
करोड़ों दिलों में।

नमन है तुमको।
नमन है तुमको।
🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌹
🇮🇳जय हिंद,🇮🇳
जय भारतमाता

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
विषय -वीर /शहीद
दिनांक 14/02/2020


उन वीर शहीदों को अर्पण ,
अश्रु भरे नैनो से श्रद्धा सुमन।
जो मरे नहीं हो गए अमर,
प्यासी धरती पर बहा रक्त,
वे कफ़न तिरंगा ओढ़ चले,
उन वीर शहीदों को नमन ।
जो मिटे देश की रक्षा में ,
मरते दम तक डटे रहे ,
उन्हें नमन शत-शत नमन।

स्वरचित, रंजना सिंह
14/02/2020
वीर /शहीद /नम /यादें

वीर शहीद

माँ के आंचल में गिरा लहू,
बनकर सुर्ख गुलाब था।
गुलजार था वतन जिन से,
जो अब तक महताब था।

ठगी रह गई थी भारत माँ,
रत्ती भर तुमको पाकर।
रख बेदाग जिसके आँचल को,
कूच किए तुम शीश कटा कर।

जिसके दम से ही होती है,
होली, ईद और दीवाली।
वतन बेफिक्री में सोता है,
वे सरहद पर करते रखवाली।

क्या नहीं कोई जानता,
कितने यहां जयचंद हैं?
हमारी सुरक्षा व्यवस्था में,
कितने लगे पैबंद हैं ?

क्या मजाल उन गीदरों की,
जो सम्मुख सिंहों के आते ?
भारती को शेरों के आगे,
वह कायर क्या टिक पाते ?

हमने तो हर बार है हारा,
अपने घर के गद्दारों से।
माटी का सौदा करने वाले,
वतन के उन मक्कारों से।

ऐ! वतन के प्यारों सुन लो,
उस ताबूत को भूल न जाना,
श्रद्धा सुमन हृदय में रखना,
कुछ अश्रु अर्पित कर देना ।

डॉ उषा किरण

14/02/20
वीर /शहीद /यादे /नम

पुलवामा की हृदय विदारक घटना के एक वर्ष बीतने पर वीर शहीदों को शत शत नमन
विधा *दोहा छन्द गीतिका*
**

घात लगाकर दे गए, आतंकी आघात।
एक वर्ष अब बीतता,ह्रदय व्यथित दिन रात।

ओढ़ तिरंगा सो गये ,पुलवामा के वीर ,
आँखे नम हैं याद में,द्रवित मातु अरु तात ।

आयी थी विपदा बड़ी ,किया पाक को खाक,
बदला रिपु से ले लिया,उसकी क्या औकात ।

वीर शहीदों का लहू ,कहता बारम्बार,
नाश करो अब शत्रु का ,करता वो उत्पात ।

व्यर्थ न होगा साथियों,रहे अमर बलिदान,
वादा करते हम सभी ,अरि को देंगे मात ।

कोटि कोटि उनको नमन ,जिनके तुम हो लाल ,
अर्पित श्रद्धा सुमन ये ,नहीं सहें अब घात ।

परिभाषित कर प्रेम को,गाथा लिखी महान ,
प्रेम दिवस अब है अमर,वीर हुये विख्यात ।

********
अनिता सुधीर
लखनऊ
भावों की मोती।
शीर्षक-शहीद/ यादें।

स्वरचित।तुम ही हो मेरे वैलेंटाइन
थे और रहोगे प्रिय।
आऊंगी हर रोज तुम्हारी समाधि पर
चढ़ाऊंगी हर रोज एक रोज।
लाल ,पीला ,गुलाबी,नारंगी,श्वेत,
तुम्हारे व्यक्तित्व को करते व्यक्त।
तुम्हारे प्रेम को अभिव्यक्ति देता
गुलाबी गुलाब प्रिय था तुम्हें।
बहुत देते थे मुझे हर शाम
दिलकश मुस्कुराहट के साथ।
जब भी जाते थे मां की सेवा में
उत्साह से भरे मैं देती थी तुम्हें नारंगी गुलाब
और तुम मांगते थे सदैव लाल गुलाब।
मैं हंसकर सभी रंग सौंप देती
क्योंकि मेरे सभी रंग तुम थे
और तुम्हारे सभी रंग मेरे।
तुम्हारी याद में मेरा हर दिन है
समर्पित तुम्हारी यादों के लिए
जैसे तुम कर गये अपना जीवन अर्पित
अपने देश अपनी मातृभूमि के नाम।।
प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
14/02/2020


14.2.2020
शुक्रवार

विषय -वीर/शहीद/याद/
नम

पुलवामा के वीर शहीदों
🌷🌷🌷🌷🌷

पुलवामा के वीर शहीदों नमन तुम्हें सौ बार है
मिला तुम्हें आशीष हृदय से
भारत माँ का प्यार है ।।

तुमने रक्षाहित भारत के,प्राणों का उत्सर्ग किया
सुख और शांति,सुरक्षित जीवन pमानो सबको स्वर्ग दिया
ग़द्दारों ने छल से-बल से तुमको आ कर मारा है
जाएगा बलिदान तुम्हारा व्यर्थ नहीं इस बार है ।।

घर के भेदी ने दुश्मन से,मिल कर सेंध लगाई है
स्वार्थ की ख़ातिर कुछ लोगों ने देश से की बेवफ़ाई है
चुन-चुन कर बाहर लाना है,देश के उन ग़द्दारों को
एक-एक भारतवासी अब,लड़ने को तैयार है ।।

सूना घर सूना आँगन है,जब से तुम हो चले गए
है अफ़सोस यहाँ हर दिल में अपनों से ही छले गए
अमर रहेगा नाम तुम्हारा, स्वर्णाक्षर इतिहास में
मर मिटना निज देश की ख़ातिर, सर्वोत्तम उपहार है ।।

लिपट तिरंगे में आए तुम,निज जीवन बलिदान किया
शान तिरंगे की रखने को,वार हृदय पर झेल लिया
तुम रक्षक प्रहरी स्वदेश के,तुम सपूत भारत माँ के
शीश झुका कर नमन तुम्हें,हर पल बारम्बार है ।।

स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘


शहीदों को भावपूर्ण श्रंद्धांजलि.....🙏🙏सरहद के उस पार जवान
शहीद हुए देश का नौजवान
तिरंगा से लिपटा शव आया द्वार
लहू से लथपथ बेजान जिन्दगी
शहादत पर जान लुटाने वालों
वो पल कभी न भुला पाएंगे
14 फरवरी पुलवामा हमला में
सैनिकों ने की कुर्बान जिंदगी
कुछ नयी नवेली दुल्हन थी
हाथों से अभी न उतरी मेंहदी
हो गई आज सूनी कलाई
कैसे कटेगी नादान जिन्दगी
चहूं ओर फैली है उदासी
तार-तार हो गई जिन्दगी
आंखों से आंसू बह रहे
हो गई गुमनाम जिन्दगी
ख्वाब अधूरा, शौक अधूरा
बताये दिल-ए-हाल जिन्दगी
इतनी भीड़-भाड़ में भी वो
तन्हाई से परेशान जिन्दगी
कोरे कागज पे लिखे अरमान
मिटे अश्क से दास्तां-जिन्दगी
मन भी सूना,मांग भी सूनी
मुकद्दर का फ़रमान जिन्दगी
तन्हाई में कैद,वो खालीपन
अकेलेपन का अहसास
भीड़-भरी दुनियां में आज
सिसक रही वीरान जिन्दगी।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
शहीदों को कोटिश नमन 🙏💐
दिनांक- 14/02/2020
शीर
्षक- वीर/शहीद/याद/
विधा- छंदमुक्त कविता
*******************
14फरवरी का ये दिन,
मोहब्बत का दिन कहलाता,
वतन के सच्चे थे आशिक,
सिर जिनके आगे झुक जाता |

घर-घर से निकले थे चिराग,
देश को सुरक्षित करने को,
दुश्मन की वो काली छाया,
निगल गई मेरे अपने को |

कहीं माँ-का कलेजा फटा,
कहीं पिता का सूरज डूबा,
पत्नी का सुहाग उजड़ा,
बच्चों से उनका पापा बिछड़ा |

दिल दहलाती है वो घटना,
पुलवामा में जो घटित हुई,
शहीद हुए वतन की ख़ातिर
वीर सिपाही मेरे देश के थे |

जय हिंद

स्वरचित- *संगीता कुकरेती*

दिनांक 14-2-2020

सर
हद खड़े सैनिकों को,वीणा सलाम करती हैं।
जिनकी वजह ही मेरा देश,चैन की नींद सोता है।।

हर गोली को सीना तान,वह सीने पर ही खाता है।
आँख उठाता जब दुश्मन,उसे वह मार गिराता है।।

उनकी वजह से ही तो,मेरा देश सुरक्षित रहता है।
विषम परिस्थितियों से,सदा जूझ रहा वो होता है।।

पर कोई भी उनके प्रति, सहानुभूति न रखता है।
सरकार दे रही तनख्वाह,यही सोच जन रखता है।।

धरती माँ का कर्ज,एक वही लाल अदा करता है।
अपनों की परवाह नहीं,जीवन समर्पित करता है।।

दे बलिदान राष्ट्र हित,बलिवेदी पर वो चढता है।
भारत माँ आजाद रहे,यही अभिलाषा रखता है।।

नमन देश सैनिकों को,जो फर्ज बखूबी निभाता है।
खुद को न्योछावर कर,सरहद तिरंगा फहराता है।।


वीणा वैष्णव
कांकरोली
14/2/20
(पुलवामा में शहीद की पत्नी की ब्यथा ) नमन उन शहीदों को और अथाह साहस से भरे उनके परिवारों को मेरा शत शत अभिनंदन


पिया मिलन का आसरा ले
बैठी थी। एक नवयौवना
चिर निद्रा तब भंग हुई।
तार जब थमाया बूढ़े पिता ने
ले बहूं पढ़ पत्र को
औऱ बता मुझको जरा
आरहा कब लाल मेरा
औऱ कब तक आएगा।
दिल धडकता है मेरा
देख कर इस तार को
खोल कर पतिया पिया की
दिल तड़फ कर रो उठा
आस में जिसके मैं बैठी
वो तो कब का जा चुका
दे उचित उत्तर पिता को
कमरे में वो आ गई
देख न ले बहते आँसू
जार जार वो रो पड़ी
बंद कमरे में पिया की
यादो को तलाश रही
ओढ़ कर लाली चुनरिया
ओर प्रियतम की बंदूक ले
सेज पर ऐसे वो लेटी
लता सी लिपट कर
मानो कह रही पिया से
तू गया तो क्या सनम
रखूंगी तेरी निशानी
दूँगी ये बंदूक उसको
जो छिपा है कोख में
मान रखूंगी तिरंगे का
और तेरे शान का

स्वरचित
मीना तिवारी

शीर्षक- शहीद

किसी क
ा छिन गया सिंदूर
किसी का छिन गया था लाल।
पर झुकने न दिया वीरों ने
अपनी भारत माँ का भाल।

नमन उन वीर सपूतों को
जो समा गए काल के गाल।
याद करेगा ये देश उन्हें
दिन महीने क्या सालों साल।

कीर्ति न फीकी पड़े उनकी
फेंके दुश्मन न कोई जाल।
सावधान तुम रहना 'शिवम'
शत्रु कब चलवे कोई चाल।

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 14/02/2020

विषय -वीर,शहीद, याद, --
दिनांक -14.2.2020

विधा --- मुक्तक

1.
भारत माँ की रक्ष में, वो जो हुए शहीद।
उनकी कुर्बानी सदा बनी रहेगी दीद ।
पत्नी शहीद की सदा, है आदर के योग्य-
देश के नागरिक रहें, शहीदों के मुरीद ।
2
हुई बरसात अश्क की , बढा वेदना जाल।
छूटा प्रिय का साथ जब, याद आ रहा काल।
सीमा पर संघर्ष में वो जब हुए शहीद--
गौरव क्षण की याद में, सिर ऊँचा तत्काल ।

******स्वरचित********
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी (म. प्र.)451551
सरहद पर लुटा आए जो जानो तन नमन उन्हें।
जो खेले आग से जिंदा जल शोले बन नमन उन्हें।


होम किया जीवन ज्वलंत राष्ट्रप्रेम की ज्योति से।
किया प्राणों को अर्पित आहूति सम नमन उन्हें।

अडिग रहेगा मान देश का चाहे जान चली जाए।
लहराया नभ वीर तिरंगा जन गण मन नमन उन्हें।

गए छोड बिलखता घर आंगन न पीछे मुड देखा।
निज सुख त्याग किया रण भीषणतम नमन उन्हें।

रीते रह गए स्वप्न कई मन की मन में आशाएं।
बलिबेदि पर चढे हंसे तरुण देह मन नमन उन्हें।

तडपे आंचल जननी का यह न कभी घाव भरेगा।
क्या देखे राह दे गये मां विप्लव रूदन नमन उन्हें।

बिलख रहे भ्राता भगिनी है परिणय संगिनी बेसुध।
मामा काका रोए पिता पाषाण हुए नम नमन उन्हें।

घर का घाट बन गया अब नहीं जीवन में कोई बाट।
राखी रोए फीकी होली हुई दीवाली गम, नमन उन्हें।

स्मृतियाँ खडी लखाएं क्षण क्षण बीता भूल न पाए।
संगी साथी करे शिकायत क्यूँ हुए न हम नमन उन्हें।

सो गए कर आरती जिये सनातन ए मां भारती।
कर गए तुम्हारे हवाले जो है वतन नमन उन्हें।

विपिन सोहल। स्वरचित
दिनांक १४/२/२०२०
दिवस शुक्रवार
पुलवामा के शहीदो को नमन
😂😂😂😂😂
रागनियां मस्त थी, यौवन सांसौ में,
बहारें खिली थी,अल्हङ अंगड़ाई लिए,
मौसम भी मल्हार का,
मौज में था निर्भीक ।

दिये बुझ गये, चिरागों के साये में,
रोंश़नी गुम हो गई चढ़ती धूप में,
चिथड़े उड़ गये,घरों के चिरागों के,
जो थे अभी रोश़नी किये हुए,उम्र थी काफी,जवानी तबाह हो गई,
शोले बरसते गये,
अश्क भी साथ छोड़ गये,
सावन की भरी फुहार में,
भटक रहा निर्भीक रोशनी की तलाश में,
अंधेरे हाथ में लिए हुए।
हवायें नथी इस कदर तूफ़ान आया,
पत्ता भी न हिला फिज़ाओ का,
तिनका-तिनका विखर गया आशियाँ,
इन्सानियत खोदी जालिमो ने,
फूल खिले थे हैंमानो की राह में,
मासूम निगाहें देखती बागों को,
उम्मीद थी कलियां खिलेंगी ,
बीज जोथे बोये हुए ।
अबतो चिराग़े ढूँढ़ती उम्मीदें,
बुझे चिरागों के तले,
छिटक कर दामन छोड़गये,
पथरीली ऑंखों के अश्क सूखे हुए ।
बदकिस्मती की मय्यत,
निर्भीक फिर रहा कांधेपर लिए हुए,
जालिमों ने तोड़दी माला
मोती जो थे पिरोये हुए ।
संगीनो के साये में बैठे हैं मासूम,
दूर खड़ा जालिम,
होंठों पर मुस्कान लिए हुए ।

भंवरे बहा रहे अश्क,
वसंत को खिज़ा खा गयी,
बदहवास हैं सभी
जालिमों की रहनुमाई से,
चंद शब्द निंदा के बोलते है गिरगिट,
प्यास मासूमों के लहू की लिए हुए ।
निशां नही पडते जम़ी पर,
तबाही को जलता है काफिला संगीनों के साये में जय-जयकार,
बेगुनाहों के जिस्मों के चिथड़ों की माला पहने हुए,
अजीब चलन है हमारा,
दोंड़ते है देखने को काफिला अपनी तबाही का,
तमन्ना बहारों की लिये हुए ।
नाम रोशन होता है जालिमो का,
सजा ऐ महफिल हुस्न-इश्क की,
जाम हाथों में,
निरीह जन्ता के लहू का लिये हुए ।
स्वंय रचित प्रमाणित
गौरीशंकर बशिष्ठ निर्भीक नैनीताल उत्तराखण्ड
विषय- वीर/शहीद/यादें/नम
14/02/20

शुक्रवार
कविता

देश में उठा क्रोध का ज्वाल
शत्रु ने छीने उसके लाल,
आज यह राष्ट्र बनेगा काल
करेगा बैरी को बेहाल।

व्यर्थ न जाएगा बलिदान
देश का रक्षक वीर जवान,
सभी करते उनका सम्मान
हमें हैं वीरों पर अभिमान।

नमन है वीरों का शत बार
याद उनको करता संसार,
पुण्य भावों का ले उपहार
समर्पित करते पुष्प हज़ार।

मातृभूमि अब रही पुकार
मेरे पुत्रों का लो प्रतिकार,
नहीं तुम बनना आज उदार
न हो अब कोई अत्याचार।

दिशाओं में गूँजे हुंकार
करे सेना शत्रु पर वार,
मिटाए उसका अत्याचार
तभी होगा भारत - उद्धार।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
भावो के मोती
दिनांक..14/2/20

विषय..वीर..शहीद..याद
कहाँ सोचा था,
ऐसा हो जायेगा।
देश की खातिर,
जान वो गंवायेगा।
अभी तो सेहरा भी,
माँ ने नही बांधा था।
अभी अभी तो प्रिया को
वैलेटाइन कहना था।
अभी अभी नव शिशु को
पिता का प्यार देना था।
अभी दोस्तो को अपनी शादी की
तारीख बताना बाकी था।
अपनी होने वाली दुल्हन को
शादी का जोड़ा देना बाकी था।
अभी अभी तो छोटी बहना
को डोली मे बिठाना बाकी था।
आह! कितनी दुखद घटना घटी,
धरा लाशो से है पटी।
,सीने मे भड़क रही है, आग की चिंगारी
हर आँख निःशब्द सिसक रही है।
श्रद्वा सुमन अर्पित करते हम,
शहीदो को नमन करते है।
त्याग बलिदान की गाथा उनकी,
अब भारत माता गायेगी।
गूंजेगे आकाश मे नारें,
ऋणी रहेगा कण कण,
उनकी याद आयेगी।
जय हिंद।
स्वरचित
रीतू गुलाटी..।ऋतु
हिसार हरियाणा

दिनांक-14/02/2020
विषय-शहीद


लिखूँ जब मैं कभी

इश्क की एक इबादत।

लिख जाए मेरी कलम से

शहीदों की शहादत।।

आजादी की शाम को

कभी ढलने ना देंगे।

शहीदों की कुर्बानी को

बदनाम ना होने देंगे।।

बची हो लहू की

एक बूंद जब तक।

भारत मां तेरा आँचल

नीलाम ना होने देंगे।।

मुकुट हिमालय का

,हृदय में हो तिरंगा।

कुर्बानी मे रंगा बसंती चोला

आंचल में हो गंगा।

प्रदीप्ति दीप्तिमान हो

मस्तक ललाट कीर्तिमान हो।

तिरंगा प्रकाशमान हो

इंकलाब जग में गुणगान हो।।

चतुर्दशिक यशगान हो

प्रकाश पुंज अभयदान हो।

आहुति प्राणवान हो

लहू की बूंद बलिदान हो।

कस्तूरी से प्यारी लगे

इस देश की माटी

केसर की क्यारी लगे

कश्मीर की घाटी..........?

स्वरचित

सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज

शुक्रवार
शहीदो को श्रद्धांजलि
विषय -वीर /शहीद /याद /नमन

रवि के जैसे चमकते वीर
देश सेवा को रहे अधीर
कितनी मुश्किल है पीर
वीर के शहादत की
पीड़ा का महाकाव्य
परिवार को देकर
वीरों ने सबकी हिफाजत की
नव वधू, नव शिशु , नव घर
वीर सबको परे रखकर
मातृभूमि खातिर कटाते
अपना सिर ,
साहसी वीर को
बारम्बार प्रणाम
आज हम सब
करते आराम
वीरों के लिए
चलो करे अगुवाई
सुविधा वीरों
को मिले ऐसी
जैसे लेते वी.आई. पी
वीर हमारे अभिनेता
हर युग में रहते तैयार
चाहे द्वापर युग, कलियुग
हो या हो युग त्रेता
आओ वीरों की
मदद कर दे उन्हें
सुन्दर सा तोहफा

स्वरचित
शिल्पी पचौरी

*भारत के सपूत *

भारत माँ की चरण धूलि,
चंदन माथे धरता हूँ ।
सपूत हूँ नाम वतन के ,
जीवन अर्पण करता हूँ ।

बहे शोणित यूँ रगों में,
दहकते अंगारों सा
सिंधु प्रलय सा उठती
लहरें,
उर में ललकारों का

सिंहनाद हूँकारें भरकर,
शत्रुओं से नित लड़ता हूँ।

माँ की कोख निहाल होती
माटी का कर्ज चुकाता हूँ
अस्मिता की रक्षा खातिर
साँसें अर्पण कर जाताहूँ

मातृभूमि के परवाने बन,

ज्वाल चिता पर जलता हूँ

इस माटी की गंध में लिपटे
जाने कितने- कितने नाम
राणा, शिवा, सावरकर जैसे
है वतन के ये अभिमान
राज गुरू चंद्रशेखर बन
हँसकर फांसी चढ़ता हूँ

बेड़ियों में जकड़ी माता
जब- जब अश्रु बहाती है
सिसक उठती हैं सदियाँ
बूँद -बूँद कीमत चुकाती है

बन राम ,कृष्ण अवतरित होता
पीड़ा जगत की हरता हूँ

युगों- युगों से चलती आई
भारत की अमर कहानी
जब -जब संकट आया भू पर
बेटों ने दी ,सदा कुर्बानी
जन गण मन साँसों में
भर कर
वतन को नमन करता हूँ।

स्वरचित
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
14-2-2020

विषय, वीर , शहीद, याद, नम .
दिनांक, १ ४,२,२०२०.

दिन, शुक्रवार.

हमेशा वीर शहीदों की कुर्वानी.
इनआँखों को नम कर जाती है।
देश की खातिर मर मिटने की,
अधिकतर मंशा रंग ले आती है।

सबक सिखायें हम दुश्मन को,
बेहद फड़कने रग रग लगती है।
पुलवामा सी निर्ममता देख कर,
प्रतिशोध की आग भड़कती है।

शहीद हुए हैं जो देश की खातिर ,
उन्हें नमन हर धड़कन करती है।
हम शहीदों की शौर्य गाथाऐं गायें,
हम से तिरंगे की शान ये कहती है।

स्वरचित , मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश .

विषय- वीर, शहीद, याद, नम
कविता


भारत मां के वीर लाडलों,नमन मेरा स्वीकार करो।
नम आंखों में प्यार भरा है,वीरों इसे स्वीकार करो।।

भारत मां की रक्षा हेतू, तुमने अपना बलिदान दिया।
सर्वस्व लुटा कर भी तुमने, तनिक नहीं अभिमान किया।।

मान तिरंगे का रखने को, तुमने जीवन दान किया।
लिपट तिरंगे में जब आए, देश ने गौरव गान किया।।

तुम बिन घर आंगन है सूना, याद तुम्हारी आती है।
लेकिन जो काफिर हैं घर में, शर्म न उनको आती है।।

तुमने अपना काम किया, और अमर देश का नाम किया।
हम भी जीवन सफल करें, ऐसा गौरव मय काम किया।।
(अशोक राय वत्स)©® स्वरचित
रैनी, मऊ, उत्तरप्रदेश

चल रही थी :मलय वसन्ती,
कब समय का फेर हो गया।
चातक -चकोर के क़िस्से थे अभी,

मधुमास था अभी,अब 'वेलेंटाइन डे हो गया।।
अभी 'रसिक 'थे 'भ्रमर-भ्रामरी,'
कब 'लवर्स' का शोर हो गया।।
लाते थे संदेशा 'विहग 'कभी,
"वाट्सएप्प," मैसेंजर "प्रेमियों का परवाज हो गया।।
पढ़ संदेशा कामिनि शरमा जाती थी,
आँचल के कोने को दबा दाँत से मुसकाती थी,,
अब नैनो का श्रृंगार, बाँहों का आलिंगन हो गया।।
मात पिता को देख प्रिय लज्जा से छिप जाते थे,
हाथ डाल हाथों में "टाटा वॉयवॉय" का रिवाज हो गया।।
ये कैसा "वेलेंटाइन डे" का आगाज हो गया।।

तिथि 14/2/2020/शुक्रवार
विषय-*वीर /शहीद /याद /नमन*

काव्य

नमन तुम्हें है वीर सपूतों,
हुऐ शहीद तुम सरहद पर।
धन्य हुई है भारत माता,
जिसके वीर डटे सरहद पर।

छोड़ चले देश की खातिर,
अपना सब कुछ वार दिया।
हर शहीद को याद करेंगे,
जिसने जीवन उपहार दिया।

मात पितु भाई बहन छोड़ें,
छोड़ गऐ अवला दारा को।
बेटे बिटिया पूछ रहे हैं,
ढूंढ रहे अपने कारा को।

ऋणी रहें करते हम वंदन।
पग धूल तुम्हारी शुभ चंदन।
जय-जय भारत के रखवाले,
शतशत बार करें अभिनंदन

स्वरचित,
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म प्र
जय-जय श्री राम राम जी

*वीर/ शहीद/ याद/नमन*काव्य
14/2/2020/शुक्रवार
भाव के मोती
विषय- वीर शहीदों की याद में

दिनांक 14 2020
पुलवामा में शहीद हुए वीर जवानों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
शहीदों की शहादत का सदा यश गान करती हूं
जिनके शौर्य की गाथाएं नस नस में साहस भरती है
मैं ऐसे अमर शहीदों का नित -नत हो
वंदन करती हूं।
जब तक सूरज चंदा चमके
जब तक अनल में ज्वाल जले
जब तक दिवाकर में प्रकाश
जब तक धरा में धैर्य रहे

जब तक कल कल कल कर तुमुल वेग से अचला भू पर बहती है
जब तक सिंधु का अट्टहास
वीरों की गाथाएं गाये
मैं ऐसे वीर सपूतों का शत-शत अभिनंदन करती हूं
मैं ऐसे अमर शहीदों का नित-नत हो वंदन करती हूं
है धन्य धन्य यह देश जहां पर
ऐसे वीर जवान हुए
धन्य धन्य वह कोख हुई
धन्य धन्य यह वसुंधरा
मैं ऐसे अमर शहीदों का.......
मैं ऐसे वीर सपूतों का........
स्मृति गौरवान्वित है इस मातृभूमि पर जन्म लिया
जिस मातृभूमि पर वीरों ने अपना सब कुछ वार दिया
जब-जब पुलवामा की गौरव गाथा गाई जाएगी
वीरों की कुर्बानी याद बहुत आएगी
ऐसे अमर शहीदों का नित नत हो वंदन करती हूं
स्मृति श्रीवास्तव
एमएलबी
दिन :- शुक्रवार
दिनांक :- 14/02/2020

शीर्षक :- वीर/शहीद/याद/नम

कर्ज चुकाने माटी का..
औढ़ तिरंगा सो गए..
राष्ट्र रक्षा की वेदी पर..
ले अमरता खो गए..

खाकी का जो दाम था..
साँसों से वो तौल गए..
अंतिम अपनी साँसों सें..
जय हिन्द वो बोल गए..

किसी के सर के साये थे..
थे तारे किसी की आँख के..
किसी राखी थे हाथ वो..
तो सिंदूर किसी की मांग के..

है धन्य जननी उन वीरों की..
धन्य ये जन्मभूमि भारत की..
अपने खून से जो लिख गए..
इबारत जो अखंड भारत की..

स्वरचित :- राठौड़ मुकेश

नरसिंहपुर

दिनांक 14-02-2020
विषय-वीर/शहीद/याद...


दे लहू की महक, यह खिलाया चमन
उन शहीदों को मेरा है शत् शत् नमन....

हर जलाकर खुशी तन मिटा वो गये
रोशनी बन वतन में समा वो गये
ज़िन्दगी कर विषम खुद बनाया कफ़न
उन शहीदों को मेरा है शत् शत् नमन....

थी बहुत आस मन में मगर ढ़ह गये
वास्ता तोड़ निर्भय निमित्त बढ़ गये
'शान' फीकी नही हो गये वो दफ़न
उन शहीदों को मेरा है शत् शत् नमन...

खाई थी जो कसम पूरी वो कर गये
कर रिहा यह वतन दुष्ट से कर गये
हो गया है ऋणी जिनका धरती गगन
उन शहीदों को मेरा है शत् शत् नमन....

दे लहू की महक यह खिलाया चमन
उन शहीदों को मेरा है शत् शत् नमन...

डाॅ. राजेन्द्र सिंह "राही"

'खून है तो सींच दो'

ख़ून है तो सींच दो

जन्म भूमि की बेल को,
रोया करोगे याद कर
शहीदों के इस खेल को।

ये सदी शहीदों का
तूफान लेकर आई थी
कितने न दीये जले-बुझे
ये मशाल बुझ न पाई थी।

शहीद ही शहीद हैं
मेरे हिन्द के इतिहास में
अंधेरे के आवरण से
जो हमें ले आए प्रकाश में।

तो लो इस मशाल की कसम
जो इसे बुझाने आएगा
भारत मां की रक्षा के हित
हर वीर खड़ा हो जाएगा।

ख़ून है तो सींच दो
जन्म भूमि की बेल को।
(भारत के सभी अमर शहीदों को समर्पित)

श्रीलाल जोशी"श्री"
तेजरासर, बीकानेर।
(मैसूरू)

तिथि- 14/02/2020
दिन - शुक्रवार

" नतमस्तक हूँ पुलवामा "
ये सोच कर सैनिक थें चले,
खैरियत वतन का रहे ।
कारवां चली ही थी कि हाय ,
साँस शोर कर उठी ....सिसकियों भर उठी !!
और हम लुटे -लुटे वक्त से पिटे- पिटे
विक्षिप्त प्राण देखते रहें ......
कारवां गुजर गया आसमान देखते रहें ...

धूप भी खिली न थी,
कि हाय शहर धुआँ-धुआँ हुआ
लाशें पर लाशें पटी ...ये कैसा हादसा हुआ!
दुश्मनों की चाल का ये कैसा सिलसिला हुआ....
क्या शबाब था कि , लहू-लहू पिघल उठा ....
स्वप्न सारे ढेर हुए, आसमां बिलख उठा...
और हम लुटे -लुटे वक्त से पिटे- पिटै
विक्षिप्त प्राण देखते रहें ....
कारवां गुजर गया आसमान देखते रहें!!

नज़र -नज़र को थी आँक रही
हाय ये किसकी नज़र लगी ....
दुश्मनों को इनकी कैसै ख़बर लगी !
यहाँ चल रही थी देशद्रोहियों की निति!
ईमानदारी में शंका हुई, भाईचारे में हो गई क्षति..
और हम लुटे लुटे वक्त से पिटे-पिटे ...
विक्षिप्त प्राण देखते रहें .....कारवां गुजर गया
हम आसमान देखते रहें ....

वो कैसी घड़ी थी कि ....
जिस्म के टुकड़े टुकड़े हुए ...
किसी के सर किसी के हाथ पाँव
के चिथड़े हुए ...
प्रिय न प्रिय को देख सकी...
हाय भाव गहन मन में रहे .....
पिता की गर्व से फूली छाती ,
माँ ने कहा - आज हम धन्य हुए ....
और हम लुटे लुटे वक्त से पिटे-पिटे
विक्षिप्त प्राण देखते रहें ...कारवां गुजर गया
आसमान देखते रहें ....
और आज एक साल पूरा हुआ
जैसे लग रहा आज की बात है
भारत माँ के वीर सपूतों को
तहे दिल से नमन वंदन
शत- शत नमन जय हिंद!!
रत्ना वर्मा
स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
204अम्बिका अपार्टमेंट
धनबाद झारखंड
14/02/2020
नमन मंच भावों के मोती समूह।गुरूजनों, मित्रों।


शत् शत् नमन करते हैं,
पुलवामा के शहीदों को।

मातृभूमि की रक्षा करने हेतु,
कुर्बानी दिया अपनी।

पीछे छोड़ गए बूढ़े मां-बाप,
रोते बिलखते बीबी बच्चे।

याद करेगा देश,
उनकी कुर्बानी को हरदम।

अमर शहीद हुए वो,
लोग नाम जपेंगे हरदम।

जबतक हैं ये चांद सितारे,
अमर रहेगा उनका नाम।

जबतक गंगा यमुना में है पानी,
सभी करेंगे उन्हें सलाम।

वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित

विशेष आयोजन - वीर /शहीद /याद /नम

विधा - विधाता छंद

*****************************
सुनो माँ भारती कहती, स्वयं बलिदान देना है।।
नहीं जाता सहा अब तो, प्रबल प्रतिशोध लेना है।।
वतन ये शोक में डूबा, गहनतम मौन है छाया।
शहीदों के मृतक ये शव, बता दो कौन है लाया???

लगी है चोट सीने में, बिलखती है कहीं ममता।
न आयेगा कभी क्या दिन?दिखायें जब प्रबल क्षमता।।
लहू भी चीख कर कहता, ये बलिदानी सपूतों का।
न देखो रास्ता अब तुम, गुनाहों के सबूतों का।।

कलेजा फट रहा माँ का, कहीं पर मांग सूनी है।
बहिन, भाई, पिता, बेटी, सभी की पीर दूनी है।।
उठीं है उंगलियां जिन पर, उन्हे ही कृत्य ये भाया।
किया है छेद थाली में, नमक जिसका सदा खाया।।

रखे दुश्मन जहर मन में, भरी है खोट रग रग में।
घटें वीभत्स घटनायें, सभी है त्रस्त इस जग में।।
करो रिपु दाँत सब खट्टे, यही उपकार अब होगा।
मिटे नामोनिशां तक भी, सही प्रतिकार तब होगा।।
पूर्णतः मौलिक एवं एवं_स्वरचित

विनीत मोहन औदिच्य
सागर, मध्य प्रदेश
दिनांक 14-02-2020
दिनांक 14-02-2020

पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि

सौगंध शहीदों के लहू की,
शहादत का बदला लेंगे ।
एक के बदले सौ मारेंगे,
रक्त का कर्ज़ चुका देंगे।

दुश्मन के कुत्सित मंसूबे,
शोणित में आग लगाते हैं।
घृणित कृत्यों से गद्दारों के,
हम लाल कई खो जाते हैं।

दुश्मन ने विश्वासघात कर,
इतिहास अपना दोहराया ।
अमानवीयता से गद्दारों की,
घर- घर में मातम छाया।

हाय विडंबना मेरे शहीदों,
हमें चैन की नींद सुलाते थे।
महफूज़ हमें रखने को वे,
हिम तम में रात बिताते थे।

पिता पुत्र भाई पति सैनिक,
शहीद वतन पर हो गए ।
पायल चुटकी कंगन टूटे,
स्वप्न बसंती कहीं खो गए।

मेरे पुलवामा के वीर शहीदों,
शहादत को भुला नहीं पाएँगे।
गाथाएं लिखने को तुम्हारी ,
अंबर भी छोटे पड़ जाएँगे।

हाय विडंबना उन अपनों की,
अवलंब जिन्होंने खोए हैं ।
आने की प्रतीक्षा में जिनकी,
ख्वाब असंख्य संजोए हैं।

कितने घरों के चिराग अभी,
धोखे से बुझाए जाएँगे?
कब दौर अमन का आएगा,
कब शोक बिगुल रुक पाएँगे।

बंदूक थमा दो हर भारतीय को,
नियम परिवर्तन हो कुछ ऐसा।
शहादत का मान बढा देंगे,
तांडव दिखला दें पुलवामा जैसा।

कुसुम लता 'कुसुम'
नई दिल्ली

वीर शहीद याद नमन

है नमन
वीर जवानों को
रहते सीमा पर
सदा मुस्तैदी से
न है ठंड की चिंता
न है गर्मी, बर्फवारी की
है ये शान
अखंड भारत के
हैं ये मान
हर भारतवासी के

करते हैं प्यार
घर परिवार से
करते उससे ज्यादा
भारत माँ से दुलार

रहते दिलों में
हर भारतवासी के
याद कभी
भुलाते नहीं
वन्देमातरम
जय हिंद का
करते उदघोष
हर भारतवासी

है सलाम
जल तल नभ
सेनाओं को
हमारी
है गर्व हम
भारतवासियों को
वीर जवानों पर
हमारे

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

विषय वीर ,शहीद
14/2/2020


शहीद

कुर्बान हुए खा कर गोली ,
शहीद हुई है वीरों की टोली ।

लगा ना पाये कहीं भी कोई ,.
इन बलिदानों की ..बोली ।

धरा आंसुओं. से रोई,
गगन ने छाती है खोली ।

वीरों का .मौत से रिश्ता ,
जैसे जोड़ी .आंचल चोली ।

देश प्रेम की कीमत क्या जाने ,
तू आतंकों. की है खोली ।

दिन होली है, रातें दिवाली ,
खेलते मौत से यह आंख मिचौली ।

तेरी भक्ति , देश प्रेम की शक्ति ,
इन से भरी हुई है मन की झोली।

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित
वार - शुक्रवार
तिथि - 14फरवरी 20

वीर/शहीद/याद/नम

रगों में खून खौल कर
आंँखो में उतर आया
पाक की यूंँ गद्दारी देख
शांत मन मेरा, बौखलाया।।
कलम मेरी आहत हुई
शांति की स्याही खत्म हुई
नापाकों के खून की
इसको अब चाहत हुई।।
शब्द -शब्द में रक्त उतरा
काग़ज़ लाल रंग से सना
कर ली पाक खूब मनमानी
सोच ले अब तू न रहा।।
बहुत शांत रखा तन को
खूब समझाया मन को
पर भाई चारा प्रीत प्रेम
कब रास आया तुमको।।
ले गीदड़, शेर की दहाड़ सुन
वीर की ललकार सुन
अब तो बस मुझको लग गई
फाड़ कर तुझे, रखने की धुन।
पंजा मैं मारूंँगा कहकर
तेरी तरह नहीं लडूंँगा छिपकर
ताकत हो तो जीत दिखाना
बहुत मुश्किल है हमें हराना।
शहीदों की मुझे कसम
कर न दूंँ तुझे ख़तम
तब तक न लूंँ मैं दम।
जब होगी तेरी आंँखो नम
तब होगा मेरा दर्द कम।
याद करेगा फिर तेरे करम
क्यों दिए हिंद को ज़खम।
क्यों दिए हिंद को ज़खम।।

जय हिंद

स्वरचित
गीता लकवाल
गुना मध्यप्रदेश


No comments:

Post a Comment

"अंदाज"05मई2020

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नही करें   ब्लॉग संख्या :-727 Hari S...