Saturday, March 28

"भक्ति-शक्ति/उपासना"25/3/2020

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ब्लॉग संख्या :-693
25/3/2020
"भक्ति-शक्ति/उपासना"
*
*****************
है
दुर्गा
अमृत
चमत्कार
भक्ति साकार
दैत्य संहारिणी
सुमङ्गल कारिणी।।

स्त्री
माता
त्रिनेत्री
उपासना
सुखकारक
शक्ति संचारक
भू कल्याण कारक।।

स्वरचित,वीणा शर्मा वशिष्ठ

25 मार्च 2020,बुधवार

माँ भक्ति में शक्ति होती
नव वर्ष का है सुस्वागत।
नव दुर्गे माँ करें उपासना
धन्य भाग्य हमारे जाग्रत।

जोता वाली पहाड़ा वाली
शेरावाली तुम सुख वरदा।
जनमानस विपदा ग्रसित
माँ तुम हो संकट की हर्ता।

दया ममता करुणा मूरत
माँ स्वयं तुम अन्तर्यामी।
भीर पड़ी तेरे भक्तों पर
याद कर रहे तुमको माई।

त्राहि त्राहि मची जगत में
जग संकट में आज सभी।
कोरोना की विपदा भारी
ऐसी पीर न देखी कभी।

जग जननी संकट हरनी
आज तुम्हारे द्वारे आये हैं।
भक्तिभाव हम क्या जाने
हो निरोग कामना लाये हैं।

स्वरचित, मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विषय - भक्ति-शक्ति

भक्ति में है शक्ति समायी
करना इसका हरदम भान!
आस्था की ज्योत जगाना
आस्थावान का है जहान!

दैवीय शक्ति है समायी
ज़र्रा-ज़र्रा करे बखान!
जब-जब इंसा सतपथ भूला
करा दिया उसने अनुमान!

कोरोना का कहर बरपा
ढूढ़ नहि पाए हम निदान!
क्या हमारी सामर्थता है
समझ गया है आज इंसान!

संकट हरो हे माँ भवानी
विपदा 'शिवम' पड़ी है आन!
भूलें हुईं जो माफ करो
कर दो मानव का कल्यान!

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 25/03/2020
माँ सम्भालो
💘💘💘💘💘

विप
त्ति में देखता बच्चा केवल माँ की ओर
उसी में दिखती है उसको एक सुदृड़ डोर
वहीं मिलता उसको ऐसा सुन्दर छोर
जहाँ पाता है साँत्वना उसकी हर पीडा़ का शोर।

माँ! नवरात्रि के तुम्हारे नौ पावन रुप
हरे लें कोरोना की जलती तपती धूप
भोले भाव ही मिले रघुराई
माँ तुममें आस्था सबकी है समाई।

किसका न जाने छाया अभिशाप
त्राहिमाम् त्राहिमाम् का चारों ओर विलाप
धूम्रविलोचन सा यह कोरोना
लेकर डोल रहा यम की छाप।

जगदम्बे! करो आकर सबकी सम्भाल
कर दो यह जग फिर से निहाल
क्यों विभत्स नृत्य करता अकाल
तुम्हारे साथ तो जुडे़ हैं महाकाल।

जय जगदम्बे माँ

तू मुझमें रहे
अविरल
अविरत
सतत।

प्राण वायु दे
हर क्षण
हर कण
प्रतिपल ।

दे
श्वेत धवल
प्रकाश मन
कर उज्ज्वल ।

हो सर्वजग मंगल
हर जीवन तमस
धर तेरा वरद हस्त
मस्तक पर ।

भक्ति दे
शक्ति दे
उपासना हो
तेरी सफल ।

नव संवत्सर
हो सुखकर
शीतल हो
अंतर्मन ।।।।

स्वरचित
अंजना सक्सेना

🌺🌺 #विक्रम_संवत_2077 🌺🌺

नौ
 दुर्गा का आगमन , सजा हुआ पंडाल ।
कोयल के संगीत पर , भंवरे छेड़ें ताल ।।

संवत नामकरण सृष्टि ,पर करता इक बात ।
इस दिन उदय हुआ सूर्य,की सृष्टि शुरुआत।।

चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा ,हरियाली हर ओर ।
पेड़ों पर कोपल नयी , हुई सुहानी भोर ।।

कोमल कोपल डाल पर,पात-पात पर हर्ष ।
तार सभी झंकृत करें ,मन के नूतन वर्ष ।।

कन्या दुर्गा पूजती , करें देवता गर्व ।
भारत नूतन वर्ष ये , लगता पावन पर्व ।।

नफे सिंह योगी मालड़ा ©
25/3/2020/बुधवार
नव संवत्सर/भक्ति शक्ति/उपासना


जयति‌ जयति जय जगदम्बे।
काट दें मां भव के फंदे।
दुनिया में फैले खुशहाली,
सभी रहें मां हम चंगे।

भक्ति शक्ति दें तुम माते।
कर उपासना तेरी माते।
नवसंवत्सर श्रीगणेश करें,
जगत कष्ट तुम हरलें माते।

जय विपति विनाशक माते।
दुखनाशक सबकी हो माते।
शैलपुत्री मां चरण पड़े,
सुखदायक तुम सबकी माते।

मां का अभिनंदन करते हैं।
नित नूतन वंदन करते हैं।
श्रृद्धा सुमन भेंट चरणों में,
नवदुर्गे हम वंदन करते हैं।

भर दें मां कुछ भक्ति भावना।
करलें हम भी मां उपासना।
जगजननी जय जगतारिणी,
वर दें मां हमें शक्ति साधना।

हिन्दू नववर्ष मंगलमय हो.

आया हिन्दू नववर्ष, मनाओं हर्ष कि हो उत्कर्ष.

माँ दुर्गा की अराधना से प्रारंभ हो नव हिन्दू वर्ष.
हे माँ हमें शक्ति दो, भक्ति दो, दानवों का मर्दन कर सके ऐसा हम में शक्ति दो.
आया वैश्विक महामारी कोरोना, जग में भर गया त्रास, हे देवेश्वरी दुर्गा मां, इसका कर दो सर्वनाश.
समस्त मानवता पर यह छिपा शत्रु घहराया है.
कर दो माता ऐसी कृपा, जग का भय त्रास हर दो.
माँ मन में विश्वास भर दो, मानवता पर यह ममता कर दो.
हम गाते रहे सदा गुण तेरे ऐसा मन में आस विश्वास भर दो.
यह नव हिन्दू वर्ष मंगलमय हो जाये, ऐसा नव अमृत नव मंत्र भर दो.

स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
उत्क्रमित उच्च विद्यालय सह इण्टर कालेज ताली सिवान बिहार 841239
दिनांक -25/03/2030
विषय - शक्ति / भक्ति



हिमगिरि के उत्तुंग शिखर
करें मां का श्रृंगार।
जलधि तरंगो ने बढ़कर आगे
मां के पांव पखार।।
ज्योति के वैभव से
सज रहा आज मां का दरबार।
कोई ला रहा उपहार
कोई चढ़ा रहा फूलों का हार।।
भक्त करें भक्ति से
मां करें भक्तन का उद्धार।
मां है शक्ति का स्रोत
जिनकी महिमा है अपरंपार।।
पूर्ण साधना, पूर्ण आराधना से
करें माँ के प्रसाद को अंगीकार।
ज्ञान की दिव्य आभा से
सबके जीवन को दो तार।।
अकिंचन खड़ा द्वार पे
कर दो मां हम पे यह उपकार।
मिटे अज्ञान हमारी
तेरे वाणी से बहे ऐसी बयार।।
रम रही सप्त स्वर रागिनी में
एक पल में कटे कालिमा यामिनी में

स्वरचित
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
सादर मंच को समर्पित -

🌹🌻 गीतिका 🌻🌹
*************************
🍎 शक्ति उपासना 🍏
🌺🌻आधार- छंद गीतिका 🌻🌺
मापनी-2122 , 2122 , 2122 , 212
समान्त-आर, पदांत-माँ
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आज आकर अर्चना को कीजिए स्वीकार माँ ।
एक तेरा ही सहारा , दिजिए नित प्यार माँ ।।

क्या करें अर्पण तुझे हम, तुच्छ है सब शान में ,
भाव लाये हैं हृदय से अश्रुपूरित धार माँ ।

शक्तिरूपा देवि है तू , खड्गधारी चण्डिका ,
दैत्य आतंकी मिटा , कर शान्ति का उपकार माँ ।

हो गये हैं आज भी कुछ असुर पैदा देश में ,
पाप , अत्याचार पर बरसाइये तलवार माँ ।

तू महामाया व अम्बे , शारदे कमलासिनी ,
शैलजा है चन्र्दघंटा , वैष्णवी जगतार माँ ।

अन्नपूर्णा नित महालक्ष्मी बनी मंशा सदा ,
भारती माँ राष्ट्र का भर दो महा भण्डार माँ ।

मात नव झनकार दे , गूँजे स्वरों की रागिनी ,
लेखनी सत पथ बहे , नव गीत हों गुंजार माँ ।।

🌹🍀☀️🌻🌺


🌻🌴**....रवीन्द्र वर्मा आगरा

आज का विषय- नव संवत्सर
दिनांक- 25/03/ 2020
दिवस-बुधवार
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नवल प्रभात की नवल रश्मियों से आलोकित जीवन पथ हो
बहे हृदय में प्रेम की धारा
दूर उर का तुम हो
नव वर्ष मंगलमय हो।

मिट जाएं सब राग- द्वेष
बस अपनत्व ही अपनत्व हो
नई उम्मीद नई आशाओं से
पुलकित यह जीवन हो
नव वर्ष मंगलमय हो।

छठ जाएं दुःख के बादल
विघ्न- बाधाएं सब खत्म हों
फूल खिलें खुशियों के
घर- आंगन में
चहुंदिश फैले प्रेम सुगंध हो
नव वर्ष मंगलमय हो।

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नए साल का नया सवेरा खुशियों से भर जाए
दुःख की काली रात कभी लौट न वापस आए।

सुख- समृद्धि और आनंद से घर आंगन भर जाए
नए अनुभवों के नए रंग से जीवन यह रंग जाए।

सूरज की नई किरणें नित आश नई जगाएं
फूलों की तरह हर सपना सच हो के मुस्काए।

कामयाबी के फूल खिलें आप कदम जहां बढ़ाएं
सफलताओं का सर्वोच्च शिखर आपको मिल जाए।

भारतीय नववर्ष आगमन की अनंत मंगलकामनाएं।

स्वरचित- सुनील कुमार
जिला- बहराइच, उत्तर प्रदेश।


विषय - भक्ति/शक्ति/उपासना
स्वरचित।

तेरी भक्ति में शक्ति मां
तेरी भक्ति में समर्पन।
वाणी नहीं है काबिल
कैसे करूं मैं वन्दन?
सौ-सौ जन्म मिलें भी,
ना कर पायें अभिनन्दन।।
***
तू है जगत् की जननी
मैं हूं अधम सी बालक।
भक्तों को प्यार करती ,
भंडार उनके भरती।
दुष्टों का नाश करती,
रक्त से सिंगार करती।
तेरी महिमा अनंत माता,
तुझे फल फूल ही बस भाता।।
***
तेरे अनेकों रूप मां,
हर रूप में है मेहरवां।
पूजा जो तेरी करता,
नित शान्ति चित् वो रहता।
गम़ न उसके पास आयें,
ना ही रोग कोई सतायें।
उसकी बुद्धि रहे ठिकाने,
बस मां की ममता जाने।।
***
मैं तेरी भगत माता,
न गुणगान मुझको आता।
बस तेरी कृपा की चाहत,
करूणामयी दे राहत।
हरदम हृदय में हो वास तेरा
न हो लौकिक जगत बसेरा।
बस इतनी कृपा तू करना,
मन डूबे हरदम तेरे चरना।।
******

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
२५/३/२०२०

भक्ति भाव से पूजें माँ को,नमन करूँ दिन रात
चरणों में जो ध्यान लगाये,समस्त मिटे संताप,
अम्बे माँ जगदम्ब भवानी, जग की पालन हार,
मन की ज्योति जला दे हो जाऊँ भव सागर से पार,।

नवरात्रि में करूँ मैं अर्चन,दर्शन दो एक बार,
त्रस्त हुए जनमानस सारे,संकट से माँ उबार,
श्रद्धा भक्ति से हो जाता दुखियों का उद्दार,
भक्ति में कितनी शक्ति है देख ले अब संसार ।
विधा : छंद मुक्त

नव दुर्गा
माँ दुर्गा के नव रूप
नौ दिन आराधना
दुर्गा के नौ रूपों की
प्रथम दिवस शैलपुत्री स्वरूपा
दायें हाथ त्रिशूल धारिणी
बायें हस्त है कमल सुशोभित
द्वितीय दिवस है ब्रह्मचारिणी ज्योतिर्मयी और भव्य स्वरूपा
तृतीय दिवस माँ चन्द्रघटा है
अर्द्ध चन्द्र मस्तक पर साजे
घण्टे की ध्वनि सुन
दैत्य- समाज हृदय भी काँपे
चतुर्थ दिवस कूष्मांडा देवी
सूर्य लोक में विचरण करती
तन द्युति
सूर्य चमक सी दिखती
पंचम दिवस आराधना करते
स्कंदमाता का अर्चन करते
बल ,बुद्धि,यशदात्री माता
मनोकामना पूरन करती
षष्ट दिवस कात्यायनी माता
मनचाहा वर देने वाली
रोग, शोक, सन्ताप मिटाती
सप्तम दिवस माँ कालरात्रि
पराशक्तियों पर
काला जादू कर
ग्रह बाधाएं दूर भगाती
रंग काला और बाल बिखरे
चामुण्डा का रूप धरे
अरि पर बिजलियाँ गिराती
अष्टम दिवस महागौरी का
शक्ति अमोघ यह पाप विनाशे
नवम दिवस सिद्धिदात्री का
सभी सिद्धियां देकर हमको
मोक्ष मार्ग पर यह ले जाती
कमलासन और सिंह सवारी
कल्याणी माँ, शक्ति स्वरूपा
नव दुर्गा भर आँचल मेरा
दीन दुखी के दर्द मिटा कर
जगती में भर दे उजियारा

सरिता गर्ग
25 - 03 - 2020
शीर्षक - नव संवत्सर, भक्ति-शक्ति, उपासना
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

माता से है प्रार्थना,
कर जग का कल्याण।
जग कल्याणी है यही,
कहते वेद पुराण।।

हाथ जोड़कर हम खड़े,
हे माँ तेरे द्वार।
दुख फैले चारों तरफ,
करो मात उद्धार।।

~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
शीर्षक -नव संवत्सर /भक्ति- शक्ति
दिनांक- 25/03/2020


भारतीय नव संवत्सर........ ..
जीवन में लाए खुशियां अपार।
हर चेहरे पर हंसी सजाए ,
भक्ति में शक्ति का हो संचार।

मां आदिशक्ति जगदंबा भवानी,
करुणामयी जग पर दया करो।
अखिल विश्व पर विपदा भारी,
जगत जननी सब पर कृपा करो।

देवताओं की तुम विजयदात्री,
दानवों की तुम संहारक हो ।
भक्तों की पीड़ा हरने वाली,
मां ममता का स्रोत बहाती हो ।

इस महाप्रलय की बेला में ,
फिर से कठिन परीक्षा है।
अपने घर से न निकलो ,
ऐसी ही मां की इच्छा है।।

स्वरचित ,मौलिक रचना
रंजना सिंह
प्रयागराज
,दि.25.3.20
शीर्षकः भक्ति-शक्ति उपासना
~जय जगदम्बे दुर्गे.~

गीतिकाः
*
सुर-ऋषि-मुनीश्वर पूजिता,नवरात्र की नवशक्तियाँ।
सर्व मंगलकर शुभद ,अर्चन-स्तव। अभिव्यक्तियाँ।

नव मूर्तियाँ जो शक्ति की,दुर्गा कही जातीं वही,
'शैलपुत्री' प्रथम जिनकी , तपोमय अनुरक्तियाँ।

जो 'ब्रह्मचारिणि' दूसरी , सद्ब्रह्म - प्राप्ति सहायिका,
है तीसरी शुचि 'चंद्रघंटा' , चंद्र - युत संसक्तियाँ।

जिसके उदर संसार - संस्थित , चतुर्थी 'कूष्माण्डा',
शुभ 'स्कंदमाता' पाँचवीं ,सुर - सैन्य पूरक रिक्तियाँ।

'कात्यायनी' षष्ठी सुभग , सुर - कार्य हित सिद्धि-प्रदा,
है 'कालरात्री' सातवीं ध्वंसक अचर-चर पंक्तियाँ।

जो 'महागौरी' आठवीं तपसी , नवीं मोक्ष - प्रदा,-
वह 'सिद्धिदात्री' नाम , फलप्रद अटल नवधा भक्तियाँ।।

--डा.उमाशंकर शुक्ल'शितिकंठ'
नव संवत्सर का शुभ स्वागत है|
सबको मंगल मय होवे|
सुख सम्पति आरोग्य दे सबको|
सबका कल्याण सदा होवे|

नव संवत्सर में व्याधि आ गयी|
चहुं ओर सन्नाटा पसरा है |
सबको किसकी नजर लगी है|
दहसत का हर सू पहरा है|
बड़ी संकट की घड़ी है|
परीक्षा की ये घड़ी है|,
आई नव रात्रि अब संहार इस ,
महिषासुर का हो जायेगा|
धूप दीप कर्पूर से ,
हवन की लपट से ,
शंख,ढोल ,झांझ ,मंजीरे ,
करताल की ध्वनियों से,
ये कोरोना का दहसत ,
भी भस्म हो जायेगा|

माँ के चरणों में हम सिर झुकाएंगे,
उनकी पूजा अर्चना भक्ति करेंगे|
नव दिनों तक श्रद्धा का पर्व मनायेंगे,
माँ के नाम का.जयकारा लगायेंगे |
पूरी श्रद्धा से करेंगे.जागरण ,
रात भर भक्ति गीत गायेंगे|

मां की हमने उपासना सदा ही किया,
इस संवत्सर में नवो दिन भजन गायेंगे|
व्रत उपवास रख करेंगे माँ की उपासना,
माँ के चरणों में समर्पित हो जायेगे|
भक्तों की झोलियाँ माँ भरेगी सभी की,
सब खुशी से माँके भजन गायेंगे|

मैं प्रमाणित करता हूँ कि यह मेंरी
मौलिक रचना है|
विजय श्रीवास्तव
मालवीय रोड
गांधी नगर
बस्ती
उ०प्र०
बिषय - नव संवत्सर

हिन्दू नववर्ष चैत्र नवरात्रि नव संवत्सर आया है।

नव वर्ष का प्रथम दिन, नया उल्लास छाया है।

सौंदर्य पूर्ण वातावरण खिल रहे उपवन में फूल,
श्रंगार धरा पर सुंदर हरियाली से लहराया है।

मंगलमय, सुखद अनुभव मन में हर्षोल्लास है,
नव पल्लव सुशोभित सुमन चमन गुलज़ार सजाया है।

छोड़कर गिले-शिकवे हम एक-दूजे को माफ करें,
द्वेष, घृणा, त्यागकर हम सबको गले लगाया है।

हिन्दू नव वर्ष का नवल सौंदर्य पूर्ण आगमन,
भक्ति-शक्ति, उपासना, घर पुष्पों से सजाया है।

चैत्र मास की प्रतिप्रदा को माँ दुर्गा का अवतार हुआ,
जन-जन में भक्ति का भाव, नव संचार जगाया है।

आशा की किरणें लेकर घर - घर में दीप जलाना है,
स्वर्णिम प्रकाश की किरणें बिखेर नव दिनकर आया है।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
विषय - नव संवत्सर/भक्ति शक्ति/उपासना
25/03/20

बुधवार
दोहे

नव -संवत्सर में करें , कुछ ऐसे संकल्प।
मिले सभी को प्रगति के, सुंदर-उचित विकल्प।।

चैत्र मास के प्रथम दिन , सजता माँ दरबार।
इसी पुण्य तिथि पर लिया, दुर्गा ने अवतार ।।

शक्ति, ज्ञान औ प्रेम की ,तू अतुलित भंडार।
माँ दुर्गे ! हम सब करें,तेरी जय-जयकार।।

रमा ,सरस्वति ,कालिका , की अद्भुत अवतार।
तेरे चरणों में मिले , जीवन-सुख का सार ।।

दुर्गा माँ ! शक्ति तेरी , सचमुच अपरंपार ।
तेरी करुणा कर रही , कष्टों का निस्तार।।

सभी भक्त नवरात्र पर , भजते माँ का नाम।
अम्बे माता प्रेम से , करती पूरे काम।।

माता के दरबार में , होता मंत्रोच्चार।
उसकी पूजा से मिले , सबको शांति अपार।।

लहंगा माँ का लाल है , और चुनरिया लाल।
लाल तिलक से शोभता , तेरा गर्वित भाल।।

जगजननी, जगदम्बिका, जग की शान्ति-निधान।
सबको सुख-समृद्धि का , दो माता वरदान ।।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर

बिषय - नव संवत्सर

हिन्दू नववर्ष चैत्र नवरात्रि नव संवत्सर आया है।

नव वर्ष का प्रथम दिन, नया उल्लास छाया है।

सौंदर्य पूर्ण वातावरण खिल रहे उपवन में फूल,
श्रंगार धरा पर सुंदर हरियाली से लहराया है।

मंगलमय, सुखद अनुभव मन में हर्षोल्लास है,
नव पल्लव सुशोभित सुमन चमन गुलज़ार सजाया है।

छोड़कर गिले-शिकवे हम एक-दूजे को माफ करें,
द्वेष, घृणा, त्यागकर हम सबको गले लगाया है।

हिन्दू नव वर्ष का नवल सौंदर्य पूर्ण आगमन,
जीवन में खुशियाँ अपार, घर पुष्पों से सजाया है।

चैत्र मास की प्रतिप्रदा को माँ दुर्गा का अवतार हुआ,
जन-जन में भक्ति का भाव, नव संचार जगाया है।

आशा की किरणें लेकर घर - घर में दीप जलाना है,
स्वर्णिम प्रकाश की किरणें बिखेर नव दिनकर आया है।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
25/3/2020
बिषय, भक्ति, शक्ति, उपासना

माँ दुर्गा भवानी तुम्हारी किस बिधि करूँ उपासना
श्रद्धा सुमन अर्पित कर यही मन की भावना
नहीं है शक्ति मुझमें इतनी करूँ तुम्हारी अर्चना
हाथ जोड़कर मैया भवानी करूँ तुम्हारी वंदना
आदिशक्ति दुर्गा मेरी सारे जग की माता हो
तेरे इशारे से पृथ्वी डोले सबकी भाग्य बिधाता हो
तेरे गुण गाते ब्रह्मा विष्णु शंभु भवानी हैं
वेदों ने माँ तेरी महिमा बखानी
किवड़ियां बंद तेरी मैया द्वारे कैसे आऊँ
कोरोना के कारण माँ दर्शन कैसे पाऊँ
इस संकट को दूर करो माँ विपदा हर लो सारी
तेरे भक्तों पर पड़ी मुसीबत
दूर करो माँ महामारी
स्वरचित, सुषमा ब्यौहार
शीर्षक- भक्ति /शक्ति / उपासना
वि
धा- कविता
*************
भक्तिमय होगा अब संसार,
अाया नवरात्रि का त्यौहार,
हमको माँ बचाने है आई,
कोरोना तेरी शामत आई |

रक्तबीज क्यों ऐसा बना ?
कण-कण से तू पैदा हुआ,
महामारी का ये तेरा वार,
खत्म कर रहा ये संसार |

जीवन में आया भूचाल,
कोरोना फैला रहा जाल,
नव दुर्गे में शक्ति अपार,
माँ ही करेंगी तेरा संहार |

🙏जय माता दी🙏

स्वरचित- संगीता कुकरेती
विषय-नव संवत्सर
दिनांक-25.3.2020

विधा --दोहे

1.
श्रद्धा अरु विश्वास से, भक्ति शक्ति का ओज।
महिमा नारी शक्ति की, अंते कन्या भोज ।।
2.
चैत्र नवरात्रि दिवस में,भरा मातृ सम्मान।
नवसंवत्सर हो शुरू, भारतीय अभियान।।
3.
पर्व गुड़ी पड़वा मने, महाराष्ट्र अरु देश।
शांति खुशी का उदय हो,सब कुछ बने विशेष ।।
4.
नवल वर्ष नव प्रतिपदा, बने सौख्य की खान ।
जन गण और राष्ट्र का,सदा होय उत्थान ।।
5.
मन के भाव पवित्र हों, बुरे कर्म से दूर ।
महिषासुर मर्दन कथा,जग भर में मशहूर।।
6.
भले सदा जगते रहें, और सोयँ शैतान।
संयम अरु संकल्प से,हो सकता कल्याण ।।

**************************
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551

दिनांक-25-3-2020
विषय-नवसंवत्सर/उपासना


आया नवसंवत्सर का शुभ दिन
साध्य ऋतु के पावन नौ दिन।

करो माँ जगदम्बे की उपासना
श्रवण मनन ध्यान और साधना।

प्रथम माता शैलपुत्री पधारी
दूजे दिन ब्रह्मचारिणी कुमारी।

मात चंद्रघंटा तिथि तृतीया में आईं
संग अपने नव निधियां लाईं।

कुष्मांडा के उदर में जग है समाया
भक्तों ने माँ का जयकारा लगाया।

पंचम रूप में उपस्थित स्कंदमाता
माँ का ध्यान बड़ा ही सुखदाता।

षष्टम दिवस में आईं माँ कात्यायनी
जगत तारिणी माता जीवनदायिनी।

विकराल रूप धरे आईं कालरात्रि
अनोखा न्यायिक रूप शुभदात्री।

महा गौरी हैं सौम्य स्वरूपा
मुदित मनभावन रूप अनूपा।

सिद्धि दायक हैं सिद्धिदात्री मैया
माँ बिन कौन है जगत खिवैया।

शांति दायक हैं माता जनकल्याणी
शक्ति स्वरूपा अम्बे भय हारिणी।

अंबे तुम हो सिंह वाहिनी
मनो वांछित फल प्रदायिनी।

सप्त चक्र में स्थित हो ध्यान
माँ का रूप है स्वर्ण समान।

खड्ग,शूल,शंख,गदा चक्र धारी
माँ का रुप है बड़ा ही मनोहारी।

संतोष धन ही है सर्वश्रेष्ठ धन
अति भौतिकता से हो दूर सब जन।

सात्विक भाव से हो भवानी पूजा
जीवन में न कष्ट न आए दूजा।।

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित
नई दिल्ली
विषय..उपासना
जै माँ शैलपुत्री

तेरा पार ना पाया
देश तेरा माँ, परदेस तेरा माँ
सारे जग की माँ भवानी हो।
हिमाचल की प्यारी,माँ
जाने सारी दुनिया है।
शिवशंकर की तू पटरानी
तू ही पर्वत वाली है।
हाथ सर पर माँ रख दे
तेरा ध्यान धरे जो।
मैया भक्तो की झोली
तू पल मे भर देती हो।
जै माँ शैल पुत्री,
तेरा पार ना पाया।

दिनांक_२५/३/२०२०
शीर्षक_भक्ति की शक्ति

संस्मरण

करीब आठ साल पहले की बात है, दिसंबर की ठंड जोड़ों पर थी, घर पर मैं अकेली थी, दोनों बच्चे पढ़ाई के सिलसिले में शहर से बाहर थे पतिदेव भी आँफिस के काम से शहर से बाहर गये थे। लेकिन अचानक ये क्या हुआ भंयकर ठंड की रात,और रात के आठ बज रहे थे और मैं भंयकर बुखार से पीड़ित हो गई,सर भी बहुत दुःख रहा था,दवा तो घर में उपलब्ध था लेकिन खाना बनाने वाला कोई नही,और खाली पेट दवा ले नहीं सकती थी, मुझमें इतनी भी हिम्मत नही बची थी कि पड़ोस की घंटी बजाकर कुछ मदद मांगू,भूख और बुखार से मेरा बुरा हाल हो रहा था,तभी मेन डोर की घंटी बजी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी ठंड रात में इस समय कौन आया होगा,और मैं किसी भी मेहमान के लिए चाय बनाने तक की स्थिति में नही थी, किसी भी तरह से दरवाजा मैं खोली तो देखती हूं कि हाथ में बड़ा सा थाल जो पकवानों से भरा हुआ था लिए मेरे बिल्डिंग में नई आये नीचे के नीचे माले की पड़ोसिन खड़ी थी, जिनसे मेरा अभी तक ढ़ग का परिचय नही हुआ था,जब मैं ने आश्चर्च से पूछा कि वे क्या लेकर आई है तो वे बहुत ही आत्मियता से बोली,कल क्रिसमस था मैं कल नही आ पाई,आपके लिए पकवान लाई हूं,अभी मेरी जिज्ञासा शांत नही हुई थी मैंने उनसे फिर पूछा लेकिन बिल्डिंग में चौदह घर है क्या आप सबके घर पकवान दी है, उन्होंने जवाब दिया नही सिर्फ तीन चार घर उसमें से आप एक है,उनके जाने के बाद मैंने सभी पकवानों का आंनद उठाया और फिर दवा खाकर गहरी नींद में सो गई,और हां सोने के पहले अपनी इष्ट देव भोलेनाथ व माता दुर्गा को अनेक धन्यवाद देना नहीं भूली,क्योंकि मुझे पता था की मेरी भक्ति में शक्ति है और वे ही रूप बदल कर मेरी मदद करने आये थे।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव
कुछ दोहे


आओ हे जग मात अब,संकट भये अपार।
फँसी नाव मझधार है,आकुल है संसार।।

रक्षा करिए मात अब, होता हाहाकार।
फैला भीषण ताप है,करो कष्ट संहार।


निशी पर्व आया नवल,भरिए आस उजास।

चैत्र पावनी प्रतिपदा,दुख संकट हो नाश।।

बन कर चंडी कालिका,आओ माँ संसार ।
रक्त बीज है नाचता,खप्पर धरो सँवार।।

नजर बंद सब हो गये,करते करुण पुकार।
मौत द्वार पर है खड़ी,मनुज हुआ लाचार।।

अमरबेल सा फैलता,संक्रामक ये रोग।
निज मुँह फाड़े दौड़ता,करता मानव भोग।।

शीघ्र हरो अब पीर माँ, देकर आँचल छाँव ।
चरण शरण सब राखिके, मिटा रोग हर ठाँव।।

सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़

षय-भक्ति शक्ति उपासना
दिनांक 25-3-2020



एक ही प्रार्थना तुझसे मांँ,सबको सद्बुद्धि तू दे।
पूजा रोज तेरी करे,जननी को कोई दुख ना दे ।।

स्वर्ण सिंहासन माँ, भले नहीं बिठाए उसको ।
बस भरपेट खाना खिलाए, थोड़ा सम्मान दे।।

महलों में रहने का ठौर ना सही, एक कोना दे।
लेकिन खुद से दूर कर ,वृद्धाश्रम ना भेज दे।।

दुःख देखे बेटे के खातिर,देखने को तरसती है ।
तेरी पूजा रोज करे,पर एक दिन जननी को दे।।

वो घर में भूखी रोती है,भोग रोज तुझे ही लगे,
दे बुद्धि मांँ उसको,दो रोटी बस जननी को दें।।

इस नवरात्रि,बस एक ही आशीष मांँ सबको दे ।
जननी का अपमान ना करें,बस थोड़ा प्यार दे।।

बुढ़ापा बचपन है,तो थोड़ा पागलपन होता है।
अपने बच्चों की तरह,थोड़ा उन्हें भी स्नेह दे।।

तेरी तरह ही मांँ,सब उस जननी की पूजा करें।
यही सुविचार, हर जन हृदय तू आज भर दे।।

वीणा वैष्णव



मुझ में शक्ति भर मांँ,अपने दिव्य प्रकाश से ।
दीन दुखियों की करू सेवा,तेरे आशीर्वाद से।।

सूर्य तेज फीका पड़ा,मांँ के नयन ज्योति से।
तू ही शक्ति तू ही भक्ति, राह दिखा प्रेम से।।

मांँ तेरा रूप निराला,देख जग बिसराया है ।
इस दिव्य रूप आगे,कुछ नजर ना आया है।।

ललाट लाल टीका सोवें,नथनी तेरे नाक में ।
नहीं हटती नजर मेरी, मांँ तेरे दिव्य रूप से।।

अंधेरे उजाला हुआ, मांँ तेरी दिव्य जोत से ।
सूरज प्रकाश फीका,नयन जोत प्रकाश से ।।

मेरा जीवन समर्पित माँ,जनहित परिवेश में।
सबका भला करूं सदा,माँ तेरे आशीष से।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली
मोती
विषय : भक्ति शक्ति


भक्ति में कितनी शक्ति होती है
जलती माँ की दिव्य ज्योति है।
करे उपासना जो नवरात्रि में
मिलता उसको वर मोती है।
माँ भवानी खुद चल आती
जिसकी माँ में श्रद्धा होती है।
अखंड जोत घर घर जल रही
देख कर माँ प्रसन्न होती है।
नवमीं को जो कन्या पूजे
माँ उसके सब दुख धोती है।
भक्ति में कितनी शक्ति होती है
जाती माँ की दिव्य ज्योति है।

विनोद वर्मा 'दुर्गेश'
दिनांक, २५,३,२०२०
दिन, बुधवार

विषय, नव संवत्सर, भक्ति शक्ति, उपासना

उपासना शक्ति की नव जीवन देती है , आत्मिक उन्नति होती है हमारी।

प्रेम दया करुणा ममता मिलती है, अवगुणों की मिटती है बीमारी।

नव संवत्सर की शुरुआत होती है मातृशक्ति की आराधना से।

परिचय सबका फिर से होता है , माता रानी की कृपा से।

माँ की अहमियत हम समझ पाते हैं,नतमस्तक होते हैं चरणों में।

यश वैभव सुख समृद्धि मिलती हैं, हमको माँ के आँचल में।

जीवन मंगलमय बनता है , माँ की उपासना करने में।

स्वरचित , मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश .

विषय .. चैत्र नववर्ष
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🌻
सकल भू लोक का निर्माण, ब्रहृमा ने किया था जो तिथि।
है चैत्र शुक्ला प्रतिपदा सा,श्रेष्ठ दिन है वो तिथि।
नव सृजन का मधुमास है, तम दूर दिव्य प्रकाश है।
पुष्पो से उपवन है भरे, मनभाव अन्तर्नाद है।
🌻
यह चैत्र मास का प्रतिपदा,माँ शक्ति का जयगान।
इस मास के नौ तिथि को ही,श्रीराम का अवतार है।
यह चैत्र मास का शुक्ल पक्ष,हिन्दू का पावन मास है।
इस पक्ष के दिन पुर्णिमा,जन्मे जो प्रभु हनुमान है।
🌻
इस मास मे वो भाव है,जहाँ भक्त अरू भगवान है।
नववर्ष की मंगल तिथि, तुम्हे शेर का प्रणाम है।
🌻

स्वरचित एवं मौलिक
शेर सिंह सर्राफ
बुधवार/25मार्च/2020
शीर्षक- भक्ति/ शक्ति/ उपासना

विधा - कविता

आश -निराश के गहन धूप में,
आया है नवरात्र।
कर लो सभी अराधना माँ की,
माँ सबकी करती बेड़ा पार।।

हर तरफ़ कोहराम मचा है ,
कोरोना ने कहर ढाई है।
ऐसे में माँ बचाने हम सब
को आईं हैं ।।

संकट की घड़ी है, ना कोई सामग्री है।
मन ही मन जप लो माँ का नाम ।
नव दुर्गा में गज़ब की शक्ति ,
माँ ही करेंगी कोरोना का संहार ।।

लेकिन तुम भी नियम संयम रखो ,
ना जाओ द्वार के पार ।
घर -आँगन स्वच्छ रखो, कर लो इसे स्वीकार।
जो नियम संयम है रखता ,
माँ होती हैं उसी पर मेहरबान ।।

स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
रत्ना वर्मा
धनबाद- झारखंड
25/3/20
भक्ति शक्ति / उपासना


माँ की
उपासना के
आये दिन
माँ ही करती
रक्षा सबकी
भक्ति में ही
समायी शक्ति

होती माँ प्रसन्न
सच्चे मन की
भक्ति से

है जब
संकट में देश
माँ ही
पार उतारेगी
कर लो
नौरात्र में
नौ देवी पूजन
करे
हर देशवासी
उपसना भक्ति
है माँ
शक्ति अपार
करती
दुष्टों का संहार

बन आया है
कोरोना
दुष्ट राक्षस
आज
करो घर
पर ही
उपासना
आज

सुनेगी माँ
हर भक्त
की पुकार
नौ रात्र में
ही होगा
उसका संहार

रखो धीरज
करो पालन
नियमों का
जब होगा
देश संकट मुक्त
करेंगे तब
सब अचरज

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

विषय - नवसंवत्सर

वर्ष प्रतिपदा (हिंद का नववर्ष)

चैत्र शुक्ल प्रथम दिवस पर
हर ओर फैला हर्ष ही हर्ष है।
हिन्दुओं का नववर्ष है यह
हिंद का नववर्ष है।।

मध्य रात्रि की घोर तिमिर में
दबे पांव यह कभी न आता।
किटकिटाते दांतों के संग
हाड़ कँपाते कभी न आता।।
ठुंठ पड़े पेड़ों को देख के
भला प्रकृति खुश कैसे होए।
बूंद ओंस की ऐसे बिखरी
लगे अम्बर भी जमकर रोए।।
छ्द्म खुशी आनंद का रहता
शोर शराबे का उत्कर्ष है।
हिन्दुओं का नववर्ष है यह
हिन्द का नववर्ष है।।

लाल सुनहले रथ गामी होकर
ऊषा पहली किरण फैलाती।
शीतल पवन के झोकों के संग
बगीया जीवन की महकाती।।
मधुर कूक कोयल का ह्रदय में
नव जीवन का उल्लास दिलाता।
नव कोपल संग तरु भी जैसे
झुमझुमकर हंसता गाता।।
खेतों की सौंधी मिट्टी को
स्वयं प्रकृति कर रहा स्पर्श है।
हिन्दुओं का नववर्ष है यह
हिन्द का नववर्ष है।।

ब्रह्मा द्वारा सृष्टि का भी
हुआ प्रारंभ इसी दिन से।
विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
विक्रम संवत इसी दिन से।।
राम का राजतिलक इसी दिन
रामराज का स्वप्न साकार।
युद्धिष्ठिर का तिलक दिवस भी
नव चेतन ने लिया आकार।।
प्रेम शौर्य अभिमान और
शुभ शांति से भरा दिवस है।
हिन्दुओं का नववर्ष है यह
हिन्द का नववर्ष है।।

स्वरचित
बरनवाल मनोज 'अंजान'
धनबाद, झारखंड

विषय : नवरात्रि, उपासना आदि
विधा : हाईकू

तिथि : 25.3.2020

मैया नमन
महामारी दमन
चिंता गमन।

शक्ति स्वरूपा
खड्गधारी चंडिका
दैत्य दंडिका।

प्रीत आभास
नवरात्रि की रास
हृदय हास।

क्षेत्री बीजन
नवरात्र सींचन
श्रद्धा भीगन।

कृपा सर्वम
नवरात्र पर्वम
मन हर्षम।

सौभाग्य दात्री
पूजन नवरात्रि
कृतार्थ यात्री!

-रीता ग्रोवर
- स्वरचित
विषय भक्ति शक्ति उपासना
दिनांक २५ /०३/२०२०


जय माँ शारदे
गंगोदक सवैया
आठ रगण

शैलपुत्री सुनो कष्ट माता हरो आपके द्वार पे हाथ जोड़ें सभी।

आप ही हो उमा आप ही हो रमा माँ हरो ताप आ के हमारे अभी ।

माँ करूं वंदना आपकी मैं सदा कीजिए भक्त पे माँ कृपा तो कभी।

माँ उजाला करो ज्ञान का दान दो पीर भी ये धरा की मिटेगी तभी।

स्वरचित
संदीप कुमार बिश्नोई
दिनांक- २५/०३/२०२०.
विषय- नव संवत्सर/भक्ति-शक्ति/उपासना

विधा-रचना
===================
आओ प्रिय ! हम दूर-दूर से दें नव वर्ष बधाई ।
कोरोना की आमद से हम बाहम रखें जुदाई।।
विनती करते हैं अम्बे से सोग हमारे हरना।
करके ग़म को क्षीण बहादो मात खुशी का झरना।।
यह नव संवत्सर सिखलाता प्रेम करें हम सबसे।
बसें यहाँ सुख -सम्पति नाना दुआ माँगते रब से।।
कहने को हम जुदा-जुदा मज़हब को मान रहे हैं।
लेकिन हम सब भाई-भाई यह संज्ञान रहे हैं।।
हुई आपदा आज मुखातिब दूर इसे प्रभु! करदो।
हम सब चंगे रहें बन्धु सब लहर सुखों की भरदो ।।
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पूर्णतः मौलिक व स्वरचित-
राम सेवक दौनेरिया 'अ़क्स'
बाह-आगरा उ०प्र०
शीर्षक भक्ति की शक्ति

जय नील सरस्वती तारा जय ।
जय -जय शारदा माता जय।।
हमें ज्ञान का नित्य प्रकाश करो। हमारे अंतर में नीत ध्यान भरो।। जग को तुम ज्ञान देती हो ।
बुद्धि का वरदान देती हो ।।
अपने साधक पर हाथ धरो ।
हमें ज्ञान का नित प्रकाश करो।। जय नील सरस्वती तारा जय ।
जय -जय शारदा माता जय।
शुभ कार्यों का मन में ज्ञान करो। पावन विचारों का ध्यान भरो।। मनुजता के हम काम आएं ।
सत्य की राह पर हाथ थाम चलो। जय नील सरस्वती तारा जय ।
जय -जय शारदा माता जय।
अज्ञान का दूर अंधकार करो। भेदभाव का मन से भाव हरो
सब तुझे नित ध्यायें मां ।
मेरी विनती स्वीकार करो।।
स्वरचित रचना
प्रीति शर्मा" असीम"
नालागढ़ हिमाचल प्रदेश


विषय- नवसंवत्सर, भक्ति,शक्ति,उपासना
दिनाँक- 25/03/2020


नवसंवत्सर उल्लासमय
आगमन दुर्गा शक्ति का।
ह्रदय विभोर हो गया,
पावन भाव है भक्ति का।

उपासना माँ करते हैं ,
दया इतनी कीजिए ।
व्याधि फैली जो विश्व मे,
समेट उसको लीजिए।

करबद्ध विनती है आपसे,
अश्रुपूरित मेरे नयन हैं।
आपदा से व्यथित हो ,
मूक हो रहे बैन हैं।

हे करुणामई जगत जननी ,
आपका ही सहारा है ।
हे! असुर मर्दिनी अंबिके ,
आपने असुरों को मारा है।

आदिशक्ति भवानी,काली,
करुणा अब बरसा दीजिये।
स्वस्थ सबको कीजिये,
भस्म व्याधि को कर दीजिए।

आशा शुक्ला

शीर्षक -भक्ति -शक्ति
माँ हो तुम शक्ति की दाता
भक्ति और मुक्ति की दाता
जो नर है तुमको ध्याता
बल ,बुद्धि ,विद्या ,आयु पाता
ज्ञान की हो तुम देने वाली
सब संकट हर लेने वाली
चार पदारथ की देने वाली
तुम लक्ष्मी ,दुर्गा या काली
आज करें हम तुम्हें नमन
यहाँ मची है प्रलय प्रबल
इसके आगे सब जग हारा
एक मात्र हो तुम्हीं सहारा
कर दो निरोगी यह जग सारा
माँ दे दो शक्ति का सहारा
स्वरचित
मोहिनी पांडेय

"अंदाज"05मई2020

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