Tuesday, March 10

" सड़क सुरक्षा"07मार्च 2020

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ब्लॉग संख्या :-678

दिनांक 7/03/2020
विषय सड़क सुरक्षा

,सड़क सुरक्षा के नाम पर लूटामारी है
हैलमेट तिगुने दाम में लेना लाचारी है

पुलिस भी कर रही अत्याचार
लोगों में मच गया हाहाकार

अनाप शनाप पैसा वसूल रहे पुलिसवाले
चौगुना अर्थदंड लगा रहे रखवाले

अपराधी बेखौफ सड़क से गुजर जाता है
सीधा सादा हत्थे चढ़ जाता है

सारे कागजात के बाद भी चालान कट जाता है
सड़क सुरक्षा अभियान मुँह चिढ़ाता है।।

स्वरचित
सीमा आचार्य(म.प्र)


दिनांक- ०७/०३/२०२०
शीर्षक-सड़क सुरक्षा
विधा- शब्दावली
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जब भी घर से चले निकल कर रहता है असुरक्षित मानव।
सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना बहुत मुनासिब।।
होनहार घटना तो वैसे ईश कृपा से टल जाती है।
फिर भी अपना फ़र्ज़़ बने है हरदम चौकन्ना रहना है।
चौराहों पर बत्ती देखो अगर लाल हो तो रुक जाओ।
हरी नज़र आ जाए तुमको तो सरपट दौड़े ही जाओ।
दौड़ रहें हैं लाखों बाहन सड़कों पर है मारा-मारी।
हरदम मौत खड़ी है सिर पर सब को रखनी है हुशियारी।
स्कूटर पर या बाइक पर हेलमेट है बहुत ज़रूरी।
और पैर में जूते पहनें बनती है अपनी मजबूरी।
आगे पीछे, दाएँ बाएँ ध्यान नहीं तुम हटने देना।
ऊपर वाला देखन हारा और नहीं कुछ लेना देना।।(शुभस्तु) 🙏🙏
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'अ़क्स' दौनेरिया

विषय सड़क सुरक्षा
विधा काव्य

07 मार्च 2020,शनिवार

जन्म मृत्यु प्रभु अधीन है
वह नियंता स्वामी जग है।
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
कंटक से भरे हुये डग हैं।

वाहन जब भी हो हाथ में
करो नियंत्रण सदा गति पर।
देखो ,आगे पीछे बांये सब
हेलमेट धारण करो सिर पर।

सड़क सुरक्षा अति जरूरी
घरवाले सब चिंता करते हैं
बच्चे पत्नी राह देखते सब
अब आएंगे उत्सुक रहते हैं।

बांयी और ही कदम बढाओ
द्रुतगति से आगे नही बढ़ना।
यातयात के मिले संकेत तब
ध्यानमग्न हो उनको पढ़ना।

सड़कों पर रेले चलते नित
भीड़भाड़ से भरे मार्ग सब।
सोच समझकर आगे बढ़ना
दुर्घटना घट जावे पल कब?

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम


दिन शनिवार
विषय सडक सुरक्षा


जीवन बडा मूल्यवान

सुन ले भइया
बात मेरी सुनना
गाडी धीरे चलाना
रखना तू ध्यान रे
जीवन बडा मूल्यवान रे
ये जीवन बडा मूल्यवान रे
सुन ले भईया ....

जब भी बाईक लेकर निकलो
हेलमेट हमेशा तुम पहन लो
ज्यादा रेस वेस नही लगाना
तुमको घर है वापस जाना
रखना नियमों का सदा ध्यान रे
ये जीवन बडा मूल्यवान रे
सुन ले भईया .....

मोटर गाडी जब भी चलाना
सीट बेल्ट जरूर लगाना
बाते वाते नही तुम करना
नशा वशा नही तुम करना
दुर्घटना मे चली जाती जान रे
ये जीवन बडा मूल्यवान रे
सुन ले भईया ......

कोई भी गाडी,कोई जब चलाए
सावधानी सुरक्षा जरूर अपनाए
हडबडाहट नही कभी करना
जल्दी वल्दी नही कभी करना
रहना हर घडी सावधान रे
ये जीवन बडा मूल्यवान रे
सुन ले भईया......

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद
विषय - सड़क सुरक्षा
प्रथम प्रस्तुति


पीकर गाड़ी चलाये जो!
जान अपनी गंवाये वो!
हेलमेट नही लगाये जो!
जान अपनी गंवाये वो !

तेज गाड़ी चलाये जो !
जान अपनी गंवाये वो !
मस्ती को फरमाये जो!
जान अपनी गंवाये वो !

वाहन को न तेज चलाओ !
सुरक्षा के नियम अपनाओ !
सुरक्षा में तुम हाथ बँटाओ !
सुरक्षा के नियम अपनाओ !

सड़क नही है किसी एक की!
राह पकड़ो सदा विवेक की!
जान की कीमत है हरेक की!
पूंजी रखना स्वविवेक की!

कहाँ हार्न कितना बजाऐं !
ध्वनि प्रदूषण से बचाऐं!
ज़ेबरा क्रॉसिंग जहाँ पाऐं!
थोड़ा सा वहाँ रूक जाऐं!

छोटी छोटी सावधानी !
दिलाएंगी न हमें हानी!
गालियाँ नही 'शिवम' खानी!
संग रखना मीठी बानी !

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम

7/3/20
विषय-सड़क



बाबू जी धीरे चलना।
राह में जरा संभालना।
यहाँ बड़े बड़े गड्ढे है।
पानी से सब भरे है।
कीचड़ से सारे सने है।
बरसात में बने नहर है।
गर जाओगे यहाँ से।
ठुमके लगाओ गे तुम।
हँसते है वो सारे।
वो साथी जो खड़े है।
बनती है जब सड़के।
लूट जाते है खजाने।
कुछ भ्रस्ट तंत्र पनपते।
कुछ राजनीति करते।
बर्बाद होती जनता।
तन मन और धन से।
मोदी जी से बिनती।
खींचो जरा इनकी चोटी।
लगाते जो लाल टीका।
पहने ईमान चोला।

स्वरचित
मीना तिवारी
विषय - सड़क सुरक्षा
07/03/20

शनिवार
कविता

कितनी कोशिश कर रही सरकार है ,
पर न रुकती हादसों की मार है।

बन रहे कानून यातायात के ,
पर न थमती सड़क पर रफ्तार है।

न स्वयं के स्वास्थ्य की चिंता कोई,
न किसी की जिंदगी से प्यार है।

धैर्य से चलता नहीं वाहन कोई,
सड़क पर अब व्याप्त अनाचार है।

कितने प्राणों की बलि चढ़ती मगर ,
नशे का न रुक रहा व्यापार है।

न सुरक्षा सड़क पर मिल पाएगी,
जब तलक जनता में भ्रष्टाचार है।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
दिनांक-०७/०३/०२०२०
शीर्षक-सड़क सुरक्षा


हेलमेट है रक्षा कवच

पहिए के संग वाहनों का आविष्कार हुआ,
तेज गति से यात्रा का सपना साकार हुआ।

सावधानी से चलने वाले सुरक्षित पहुंच जाते हैं ,
लापरवाही करनें वाले बिच राह में रह जाते हैं।

यातायात के नियमों को भी हमें नहीं टालना,
अक्षरशः सदा ही इनकी करनी होती पालना।

दाये-बाये,आगे-पीछे देख कर ही हमें बढ़ना,
ताकि हो न जाए कोई भी अनहोनी दुर्घटना।

सिर की चोट से बचने की हुई है अच्छी खोज,
हेलमेट है रक्षा कवच,समझो न इसे बोझ ,

शराब पीकर मत लगाना तुम गाड़ी के हाथ ,
गाड़ी चलाते वक्त ना करना मोबाइल पर बात।

यातायात नियमों का पालन मन में ठान लिया,
हेलमेट और सीट बेल्ट का महत्व जान लिया ।

जल्दबाजी के चक्कर में भी हो जाती है घटना,
ओवरलोड वाहनों के कारण भी होती दुर्घटना।

हादसों को बढ़ा देते है, ओवर टेक और मोड़,
रखें सावधानी,ना करें हड़बड़ी एवं भागदौड़।

वाहन चलाने की गति भी होती लक्ष्मण रेखा,
जिन्होने लांघी,उन्हें दुर्घटनाग्रस्त होते देखा ।

तुमसे अनेक जिंदगियों के जुड़े हुए हैं तार,
गाड़ी चलाते वक्त मन में रखना यह विचार।

गति पर नियंत्रण,सिग्लन देख रुक-बढ़ जाते हैं,
वें अवश्य ही सुरक्षित अपनी मंजिल को पाते हैं।

रामगोपाल आचार्य
पीपली आचार्यान, राजसमंद

विषय : सड़क सुरक्षा
विधा : कविता

तिथि : 7.3.2020

ट्रेफ़िक की रेलमपेल
भोंपुओं की झेलमझेल,
गति की भागमभाग
समयाभाव आगमआग,
रुकने को तैयार न कोई
झुकना करे स्वीकार न कोई,
जनसंख्या से ज़्यादा कारें
सुरक्षा नियम भी कैसे पारें!
कभी जाम तो कभी दुर्घटना
रोड रेज की नित नई घटना,
घर से निकले तो भाग्य को वारे
घर लौटेंगे या नहीं प्यारे!
बम्पर बम्पर चिपके सारे
नियमों को मत करो किनारे,
अपनाओ जनता सड़क-सुरक्षा-नियम
स्वयं को भी बचाओ, संग बचाओ अपने प्रियम।

--रीता ग्रोवर
--स्वरचित
7 /3 /2020
बिषय,, सड़क सुरक्षा

जीवन की रेस में वाहन भी दौड़ते हैं
सड़कों पर अपना भाग्य आजमाते हैं
पल भर में जिंदगी तिनके सी बिखर जाती है
तब कहीं सड़क सुरक्षा नजर आती है
सावधानी पूर्वक वाहन चलाऐं
स्वयं सुरक्षित दूसरों को बचाऐं
आगे बढ़ने की लालसा में जोखिम न उठाऐं
धैर्यता विवेक से संकट से बचें बचाऐं
दुर्घटना से देर भली
संयम से सब बला टली
हेलमेट हमारा सुरक्षा कवच है
अनहोनी से बचने हेतु ए अति आवश्यक है
सावधानी बरतें यातायात व्यवस्थित होगा
संभलकर चलें जीवन.सुरक्षित होगा
घर पर राह देखते आपके अपने जो दुलारे हैं
आप उनको वह आपको जान से भी प्यारे हैं
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
दिनांक, ७,३,२०२० .
वार, शनिवार .

विषय , सड़क सुरक्षा

हमें सड़क सुरक्षा लग रही क्यों जी का जंजाल ,
लापरवाही जब जब हुई आया है तब तब काल ।

है सावधान रहना भला क्यों बुरी लग रही बात ,
देखो थोड़ा सोचकर इसमें छुपा है क्या जज्वात।

जो न भाषा समझें प्रेम की रहें सख्ती को तैयार,
हो जाते हैं कभी कभी दण्डित होने से होशियार।

आत्मकेंद्रित हम हुए ये इसका ही है अविष्कार,
सड़कों पर लूटपाट के संग संग होते हैं बलात्कार।

है आपाधापी इस कदर रहे नहीं काबू में रफ्तार,
जान गवां कर क्या मिले हम कुछ तो सोचें यार।

होती दुर्घटना से देरी भली ये बड़े काम की बात ,
हम रखें व्यवस्थित सड़क को हो न सके आघात।

हो परस्पर सहयोग भाव और इंसानियत का साथ,
जरूरी सड़क सुरक्षा के लिए बढ़ाएं अपना हाथ।

स्वरचित, मधु शुक्ला .
सतना , मध्यप्रदेश .
तिथि-7/3/2020/शनिवार
विषय-*सड़क सुरक्षा*

विधा- काव्य

इन सडकों ‌पर चाहे जैसे चलें ,सड़क हमारे बाप की।
सचमुच आपको पता नहीं ये यह सडक नहीं है आपकी।

हम चाहें तो यहीं पर सोऐंगे
अपनी खटिया डालेंगे।
जो भी हटाए यहां से हमको उसको बहुत ही मारेंगे।

सड़क सुरक्षा आपको करना हमको नहीं कुछ करना जी।
वांऐ दाऐं हम न जानें हमें यहां नहीं कुछ करना जी।

बाप हमारे यहां सांसद मंत्री हम विधायक वाले हैं।
सड़क बनबाते जो विधायक ने वही हमारे साले हैं।

नंगे नाच नचें हम सड़कों टोल टैक्स नहीं देना है।
सड़क सुरक्षा की अपनी गारंटी खोद बना
फिर देना है।
अपने धंधे ऐसे ही चलते फिर सड़क खोद बनबाते,
करें सुरक्षा चाहे जितनी
हमें उल्टा सीधा करना है।

जब मरना सबको ही एकदिन क्यों दुर्घटना की बात करें।
गाड़ी चले जब दारू पीकर अपने साथ दो चार मरें।
खूब घटे घटनादुर्घटनाऐं क्यों करें हम सब चिंताऐं,
सड़क सुरक्षा से पहले अपनी स्वयं सुरक्षा की बात करें।

स्वरचित,
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय गुना म प्र जयजय श्रीराम रामजी

भा,*सड़क सुरक्षा*काव्य

विषय-सड़क सुरक्षा
दिनांक ७-३-२०२०



आए दिन होती दुर्घटना,सुन मन होता परेशान।
हेलमेट को बोझ अभी तक,क्यूं मान रहा इंसान।

गति नियंत्रण में नहीं,अपनी क्षमता से अनजान।
यातायात नियम पालन नहीं,और बनता महान।

अनमोल जीवन को,क्यों कर रहा वो ऐसे बर्बाद।
दुर्घटना से देर भली,समझ नहीं रहा वो इंसान।

सड़क नियमों का पालन,नहीं कर रहा नादान।
अपनी ही गलती से, तू मनु दे रहा सदा जान।

कभी-कभी अपनी गलती,ले रहा ओर की जान।
किसी माँ का लाडला वो,बन रहा तू क्यूं हैवान।

प्रभु श्रेष्ठ रचना मनु, कर ले इसका थोड़ा मान।
बच्चों के खातिर ही सही,तू रख ले थोड़ा ध्यान।

शराब पी गाड़ी चलाएं,तुझसे आमजन परेशान।
सड़क सुरक्षा जीवन सुरक्षा,इससे वो अनजान।

कहती वीणा समझ जा ,कोई नहीं तेरे समान।
ट्रैफिक नियम पालन कर,जीवन बना आसान।



वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय - सड़क सुरक्षा
द्वितीय प्रस्तुति


सड़क पर आजकल मौत नाचती है
जाने क्यों नज़र ये नही बाँचती है!!

सड़क पार करती बुढ़िया चोट खायी
बेचारी लेटी आज खाँसती है!!

कुसूरवार कौन है नही मालूम
कुसूरवार को वो रोज ताकती है!!

कैसे हो भला उसका लापरवाही
किसी की ज़ीस्त में दुख टाँकती है!!

मौत कब कहाँ किस रूप में आ जाय
भला किसकी नज़रें ये भाँपती है!!

सजग रहो औ सजगता अपनाओ
दुनिया इंसानियतें तलाशती है!!

टक्कर मार भाग जायँ तमाशबीन
भीड़ अपने मोबाइल निकालती है!!

वहाँ दम निकल रहा होता है 'शिवम'
यहाँ भीड़ उसके चित्र उतारती है!!

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 07/03/2020
दिनांक ७/३/२०२०
शीर्षक-सड़क सुरक्षा


सुरक्षा का हम रखे ध्यान
तभी होगा हमारा कल्याण
रोज होती सड़क दुघर्टना
चाहे तो रोक पायेंगे हम
सड़क नियम को अपनाकर
सुरक्षित चले सड़क पर हम
इतना भी ये वक्र नही
जितना समझे है हम
आग्रह करूं मैं सभी से
सड़क सुरक्षा का ना हो प्रतिषेध (मना करना)
ज़ेबरा क्रौसिंग का रखकर ध्यान
करे सड़क सुरक्षित पार।
एक एक कदम हो सुरक्षित
रखें ध्यान सड़क सुरक्षा का
हम सुरक्षित तो परिवार सुरक्षित
तभी जीवन बने आसान
जीवन तो है एक उपहार
सड़क सुरक्षा हमारा अधिकार।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
भावों के मोती।
विषय-सड़क-सुरक्षा।
स्वरचित।
जान लो तुम सब नर नारी।
सड़क सुरक्षा बहुत जरूरी।।
नहीं करोगे ध्यान जो इसका
चुकानी पड़ेगी कीमत भारी।।

प्रथम नियम है ये इसका
निकलो घर से जब भी तुम
हेलमेट सिर पर पहनना जरूरी।।

जरूरी कागज भी हों पूरे
लाइसेंस भी साथ में रखो तुम।
रजिस्ट्रेशन इंश्योरेंस बहुत जरूरी
बचना है अगर आपदा से हरदम।।

सिग्नल पर हो ध्यान तुम्हारा
कभी ना तोड़ो नियम सड़क के
मिलेगा ना मौका फिर दोबारा।।

सड़क सुरक्षित तो
होगा जीवन सुरक्षित।
जीवन सुरक्षित है तो
रहेगा देश भी सुरक्षित।
देश की संपत्ति भी सुरक्षित।
देश के व्यक्ति भी सुरक्षित।
देश का भविष्य भी सुरक्षित।।

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा"
 मर रहे हो
मर जाओ
पर

किसी के फूल को
क्यों मुरझा रहे हो?
किसी के वृक्ष को
क्यों ढहा रहे हो?

मर रहे हो
मर जाओ!
पर
यह ध्यान भी रखो
रस्ते पर पार होते
कुछ अतीत भी है
कुछ भविष्य भी।

तुम
हाँ! तुम
धीमे चलाओ ना गाड़ी
जरा दुनिया को जानो
कितनी छूटी यहाँ गाड़ी।

~ परमार प्रकाश
विधा कविता
दिनाँक 7.3 2020
दिन शनिवार

सड़क सुरक्षा
🛵🚜🚘🚚🤹🏽‍♀️

यह विषय जुडा़ हुआ है हमारे जीवन से
एक अच्छे सुन्दर मन से और पूरे ही धन से
इसमें कोताही नहीं चाहिये बिल्कुल होनी
वरना हो सकती है कुछ भी अनहोनी।

सड़कें समतल हों गड्डे न हों
जबरदस्ती खुदे खड्डे न हों
आवारा जानवरों के अड्डे न हों
उखडे़ डामर से रस्ते भद्दे न हों।

हर बात की ही होती है कुछ तरकीब
पार्किंग न हो सड़कों पर बेतरतीब
इस तरह सँकरी हो जाती सड़कों से
दुर्घटना कर देती कईयों को बदनसीब।

सड़कों पर मिट्टी पत्थर के ढेर न हों
रौशनी हो पर्याप्त रस्तों में अंधेर न हों
सूचनापटों में कोई लीपापोती न हो
तीखे मोडो़ं पर सावधानी सोती न हो।

सड़कों का रखरखाव होता रहे निरन्तर
इनकी कमीं ही दुर्घटनायें करवातीं भयंकर
वाहनों पर नियन्त्रण रात में जब गड़बडा़ता
सड़क की बेरुखी से मौत का
ताण्डव ही छाता।

स्वरचित
सुमित्रा नन्दन पन्त
जयपुर



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