Friday, March 27

कोरोना/विषाणु/ महामारी- जागरूकता"21मार्च 2020

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ब्लॉग संख्या :-690
प्रदत्त विषय : कोरोना

।।दोहा गीत।।

कदम कदम खतरा बढ़ा, जीना हुआ मुहाल,
कोरोना कातिल बना, ले खड़ग और ढ़ाल।

चीन देश से बढ़ चला, रूप धरा विकराल,
जिस पर साया पड़ गया, किया हाल बेहाल।
सबको बस चिंता यही, कैसे करें बचाव,
सांस कभी थम न जाएं, देते सभी सुझाव।

सरपट दौड़ा आ रहा, धीमी हुई न चाल।
कोरोना कातिल बना, ले खड़ग और ढ़ाल।

धोते मल मल हाथ हैं, मिट जाए सब पीर,
अपने वतन लौट रहे, है खतरा गंभीर।
बच्चे बूढ़े सब डरें, आफत कैसी आई,
शालाएं भी बंद हैं, बंद हुई पढ़ाई।

दम तोड़ते पल पल में, बुरा हुआ है हाल।
कोरोना कातिल बना, ले खड़ग और ढ़ाल।

शाकाहारी जो रहा, नहीं हुआ बीमार,
लापरवाही छोड़कर, हरदम रह तैयार।
योग सदा करते रहें, तज झूठा अभिमान,
घोर आपदा से लड़ें, मिलकर वतन तमाम।

जोर शोर व हिल मिल के, हम सब ठोकें ताल,
कोरोना कातिल बना, ले खड़ग और ढ़ाल।

विनोद वर्मा 'दुर्गेश', तोशाम

विषय कोरान,विषाणु, महामारी,जागरूकता
विधा गद्य

21 मार्च 2020,शनिवार

कोरोना विषाणु वायरस विश्व विध्वंशक बन चुका है।विश्व जगत में कोहराम मचा हुआ है।रोगियों की संख्या प्रतिदिन गुणात्मक होकर बढ़ती ही जा रही है।सम्पूर्ण विश्व में भय का माहौल बना है।मानव दिनचर्या वायरल के कारण एकदम बदल चुकी है।
हमें दिन में कई बार साबुन से हाथों को धोना चाहिये।भीड़भाड़ के स्थान पर जाने से बचना चाहिये। घर में स्वछता बनाये रखना चाहिये,पानी उबालकर पीना चाहिये।सदा हाथ मिलाने से बचना चाहिए।

खाँसी जुकाम ज्वर होने पर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिये।यातायात से बचना चाहिये।सदा मुँह को मास्क बांधकर रखना चाहिये।लोगों से दूरी बनाकर रखना चाहिये।
सुबह शाम को टहलने पर पाबन्दी बनाये रखना चाहिये।एकांतवासी जीवन जीना चाहिए।स्वयं इस रोग से बचें एवम दूसरों को भी सुरक्षित रहने की प्रेरणा देवें।
हम भारतवासी विश्व भाईचारे के प्रतीक हैं।
विश्व कुटुंकम,विश्व सुरक्षा हमारे सद्संस्कारों में है।सभी स्वस्थ,सुखी रहें ,यह हमारे जीवन का मूल मंत्र है।अहिंसा परमो धर्म का पालन करने वाले,हम सभी लोक कल्याण में लगकर जन जन को ,इस आपदा से सुरक्षित रखने का प्रयास करें।लोक कल्याण हेतु सदा हमें आगे कदम बढ़ाना चाहिये।
भारत ऋषि मुनियों का देश है।विश्व पर्यावरण सुरक्षा हेतु हम सदैव जागरूक रहे हैं।हमारे पूर्वजों ने सदा गाय के घृत से यज्ञ करके,विश्व पर्यावरण स्वच्छता में सहयोग किया है।आज भी मांगलिक कार्य का शुभारंभ यज्ञ की आहुति से करते हैं।पेड़ लगाकर,हरियाली देना हमारा स्वभाव है।सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्चेन्तु मा कश्चिद् दुख भाग भवेत। यह लोक कल्याणक मंत्र हमने विश्व जगत को दिया है।
है प्रभु ! समूर्ण विश्व में शांति सुरक्षा कायम रहे।विश्व जगत हमारा स्नेहमयी परिवार है।काल सुकाल प्रकृति का नियम है।अति शीघ्र विश्व को कोरोना वायरस से मुक्ति मिले।जय हिंद।जय भारत।
21/03/20
वायरस कोरोना

छंदमुक्त
***
वायरस ने जब पैर फैलाये
सिंहासन सबका डोल गया
"विषाणु" विष अणु बन कर
जब फ़ेफ़डों को लील गया ।
हथियारों के जखीरे धरे रहे
परमाणु बम जो डराते रहे
प्रोटीन परमाणु ने काम तमाम किया
दुनिया का जीना हराम किया ।
अहम् के किले कुछ ऐसे ढहे
अस्तित्व के संकट में सब कुछ बहे
प्रत्यारोप ,प्रकोप का प्रलाप चला
प्रलय प्रवर्धन से अब हाल बुरा ।
ये भविष्य की बानगी भर है
प्रकृति से जो खिलवाड़ किया
जीव की जो ये आह लगी
फिर दूर से प्रणाम किया ।
वायरस वायरल हो रहा
नकली सेनेटाइजर का बाजार बढ़ा
दिमाग में घुसे वायरस ने
मास्क का घिनौना खेल चला ।
कोरोना वायरस का रोना है
इसकी कोई दवा नहीं
आकार परिवर्तित हो जाये
प्रबंधन आसान हो जाये ।
पर ...दिमाग में घुसे कुटिल
वायरस के हमले से कौन बचाये
उसका एंटीवायरल कौन बनाये!

स्वरचित
अनिता सुधीर

दोहा छन्द गीतिका
तुकांत आक

कनिका कपूर की लखनऊ को सौगात पर
**
पढ़े लिखों को देखिये,हो गयी बुद्धि खाक।
नेता मंत्री मौज में,शहर हुआ नापाक ।।

बोझ व्यवस्था पर बढ़ा ,बढ़ता मन में क्षोभ,
क्षणिक लाभ ये देखते,जनता खड़ी अवाक ।

निम्न कोटि की सोच ने ,किया हाल बेहाल,
कारागृह में डालिये ,बात कहूँ बेबाक ।

रोजी रोटी बंद है, होती बंद दुकान,
कैद घरों में हो गये ,मारो एक फटाक।

मुसीबतें कितनी बढ़ी,कितना फैला रोग ,
शर्म करो करतूत पर ,धूमिल करते नाक ।

स्वरचित
अनिता सुधीर
प्रकृति का संदेश-वाहक
कोरोना वायरस

आज दुनिया से दूर जाकर
मेरी खुद से मुलाकात हुई
अपनो बेगानो के बारे में
सोचने का अवसर मिला।
प्रकृति के मैं करीब आई
खिड़की में बैठी मैं
तभी यह ख्याल आया
बाहर बगिया के
पेड़ पौधों ने मुझे समझाया
यह कोरोना वायरस
दुनिया में क्यों आया
बहुत किया हमने
प्रकृति से खिलवाड़
आसमान से धरती तक
सताया ,तोड़ा,बदला
ईश्वर की रचना को
पर्वत काटे,नदियों को बाँधा
सागर में घुसपैठ करी
आसमान में यान चलाकर
नीचे-ऊपर किया प्रदूषित
कब तक सहन करेगा ईश्वर
प्रकृति का संदेश सुनाने
हम सब को फिर से समझाने
प्रकृति-दूत बन कर आया है
कोरोना ने जग को चेताया है
आज हम घरों में
एकांत के क्षणों में
इस पर करें पुनः विचार
जी लें वही जीवन
अपनों के पास
बच्चों को समय देकर
शाकाहारी भोजन बना कर
घर में बना खाना खाकर
टीवी पर अपनों के साथ
कोई फ़िल्म देख कर
कैरम,लूडो या ताश खेलकर
ये वायरस आया है
हमारी सोच बदलने
परम् आनन्द की अनुभूति कराने
किताबों में रस लें
शॉपिंग मॉल,क्लब, बाजारों
पार्टियों को छोड़
घर में वक्त गुजारे
नानी -दादी की कहानियाँ
सुने और सुनायें
वक्त आ गया है
प्रकृति की चेतावनी सुनें
यही सब कोरोना ने आज
हम सब से कराया
साफ-सफाई का समझाया
अभिवादन का ढंग सिखाया
मांसाहार का त्याग कराया
डरें नहीं और धीरज धारें
समय की मांग को हम पहचानें
कोरोना ने जो सबक सिखाया
चिंतन कर सब उसको मानें
दिव्यशक्ति ने दिया सन्देशा
इसे न करना अब अनदेखा।।

सरिता गर्ग
विषय- कोरोना
21/3/2020

विधा- श्रृंगार छंद

#कोरोना का होय प्रतिकार।
हाथ को धोना बारंबार।
करो हर्बल चीजें उपयोग।
स्वच्छता से हो जीवन भोग।

बनाओ साबुन से तुम झाग।
धुलेंगे दूषित सारे दाग।
लगा लें अपने मुख पर मास्क।
कठिन किंचित लगता है टास्क।

नमस्ते की अपनालो रीत।
मिटा लो अपने मन से भीत।
बनाओ हरित सकल परिवेश।
रोग फिर हो जाए लवलेश।

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

विषय - कोरोना
प्रथम प्रस्तुति


कॅरोना ने कर दिया है
हर एक की नाक में दम!
हिन्दू हो या मुसलमान
हर इक को दिया है अलम!

और भूलो उस कुदरत को
और उसका सारा मरम!
कुदरत है कुदरत रहेगी
कौन करेगा उस पर सितम!

चाहे तो तोड़ सकती वो
पल भर में हमारे वहम!
कुदरत की कदर करो
न करो कभी झूठा अहम्!

भूलें अपनी स्वीकारो
लो नेकी की 'शिवम' कसम!
उठाओ आज से अब से
कोई नेक सा एक कदम!

हरि शंकर चौरसिया 'शिवम'
स्वरचित 21/03/2020

दिनांक- 21/03/2020
शीर्षक- कोरोना/महामारी/विषाणु/जागरूकता
िधा- छंदमुक्त कविता
********************
सुनो गौर से दुनियां वालो,
हाथ-पैर अपने धो डालो,
पूरा अपना जोर लगा लो,
कोरोना चेन तोड़ डालो,
एक दिन का मोल पहचानो,
घर पर ही समय बिता लो |

ये विषाणु दुनियां घूम रहा है,
निमंत्रण हमसे मांग रहा है,
स्वाभिमान कम नहीं इसका,
जो बुलाये वही घर इसका,
फैल के हो जाता ये सबका |

खांसी, जुकाम की ये दुकान,
इन लक्षणों से इसकी पहचान,
जनता जागरूक हो जाओ ,
अपने देश से इसको भगाओ,
अच्छा नहीं है ये मेहमान |

स्वच्छता से चिड़ इसको भारी,
तभी फैला रहा ये महामारी,
हाथ मिलाकर खुश ये होता,
मिलता इसको हमले का न्योता,
फिर ये बिमारी के बीज बोता |

अपील मोदी जी की सुनना,
जनता कर्फ्यू का पालन करना,
इसी में होगी सबकी भलाई
चाल कोरोना की समझो भाई,
हाथ जोड़ दो इसको विदाई |
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
दिनांक २१/०३/२०२०
विषय-कोरोना महामारी जागरुकता

विधा- राजस्थानी कविता

‌‌कोरोना री जंग जीतालां
✌️✌️✌️✌️✌️✌️
बीमारियां तो गणी हुणी
ओर तरे-तरे की देखी,
पण अणी 'कोरोना' जसी
हुगली बिमारी पेली बार देखी।

मनख हवांगाड़ी में उड़-
उड़ न परदेशाउं आईरियां ,
आपणे लारे अणी रोग ने
भारत देश में लाईरियां।

छोटी-छोटी आंखियां वाळां
चीनियां कीदी शुरूआत,
धीरे-धीरे गणां मुल्कां का
अनियंत्रित वेग्या हालात।

रेणो हाउंचेत, भारतीय
संस्कृति ने राखणी याद,
विदेशी भी इने मानग्या
पाछा अतरां वरसां रे बाद।

करणूं नमस्ते,छेटी उबा
रेन करणी आपा के वात,
गळे नी मलणुं, ओर
नी मलाणुं कणीउं हाथ।

कोरोना री बीमारीउं इटली,
फ्रांस की जनता भाग री,
मनखां री देखो वठे
ठेरियां री ठेरियां लागरी।

मुंडा पे मास्क बांधणुं
रे रे न हाथां ने धोणा,
हाउंचेत रेवोला तो पछे
आगे नी पड़ेला रोणा ।

जनता कर्फ्यू को पालन करा
घंटियां,ताळियांई वजावां,
अणी 'कोरोना' रोग ने
आपका देश उं परो भगवां।

पाश्चात्य संस्कृति की
सब वातां थोथी,बेकार है ,
अठे ऋषि-मुनियां रां
जाच्यां-परख्यां संस्कार है।

दस-पन्द्रा दन री वात
भीड़-भाड़ में जाओ मती,
अणी बिमारी ने बारे सूं
आपणे घर में लाओ मती।

'रामगोपाल' केवे 'कोरोना'
पे सब मिल न प्रहार करालां,
जीत तो निश्चित वेई आपाणी
दुष्ट रावण रो संहार करालां ।

-रामगोपाल आचार्य
कांकरोली, राजसमंद

शीर्षक- कोरोना / विषाणु
सादर मंच को समर्पित -


🌻 गीतिका 🌻
🌺🍀 कोरोना 🍀🌺
**************************
मापनी- 212 - 212 - 212 - 212
🍎🌻🍎🌻🍎🌻🍎🌻🍎🌻🍎

लोग टूटी छतें आजमाते रहे ।
मौत के वाइरस पास आते रहे ।।

भौतिकी होड़ में जी रहे थे सभी ,
जो खुली आँख तो बिलबिलाते रहे ।

राक्षसी भोग से विश्व ही हिल गया ,
जिन्दगी बच सकें खौफ खाते रहे ।

दौर ऐसा चला मौत ने डस लिया ,
दौड़ते , भागते डर घुसाते रहे ।

सात्विकी भारती साहसी हैं डटे ,
सादगी योग से हम बचाते रहे ।।

🌺🍀🌻🍎

🌴🌹....रवीन्द्र वर्मा मधुनगर आगरा
विषय-विषाणु,कोरोना,महामारी,जागरूकता
विधा-रचना

💐💐💐💐💐💐
पूरे विश्व में

कोरोना का कहर
से बचने के लिए
उपाय यह किया जाये कि
सम्पूर्ण देश मे हवन कराया जाए
हवन की ताकत से हर विषाणु
मर जाते हैं,
अपनाइए हिंदुस्तानी अंदाज
इस कहर से मुक्ति पाने का
यहाँ अच्छे अच्छे सिर झुकाते हैं
तो आओ सभी मिलकर यह प्रण ले
की अपने अपने स्थानों पर दिव्य
हवन करें
और दें सलाह सभी को
की वे भी अपने अपने स्थानों पर
हवन कराएं।

कंचन झारखण्डे
मध्यप्रदेश।
21/3/2020/शनिवार
*कोरोना /बिषाणु /महामारी /जागरूकता*

काव्य

कोरोना बिषाणु खतरनाक।
करें पाबंदी जहां आवश्यक।
रहें सावधान औरों को करें।
दवा पूर्व सफाई आवश्यक।

ये कोरोना नामक बिषाणु,
बडी तेजी से फ़ैल रहा है।
जागरूकता बहुत जरूरी,
महामारी सा फ़ैल रहा है।

बचाव एक दूजे से भी करें।
भीड़भाड़ से हम अभी बचें।
साफ सफाई का ध्यान रख,
वायरस सफाया सभी करें।

हाथ जोड सभी प्रणाम करें।
मारकर बिषाणु आराम करें।
निकलें बाहर अगर जरूरत,
बात काम मोबाइल से करें।

महामारी सी फ़ैल रही है,
करें प्रचार व्यापक पाबंदी।
मिलजुलकर लड़ना है सबको,
करे देश कोरोना हदबंदी।

स्वरचित,
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
२१/०३/२०२०
मुक्त छंद


विषय-कोरोना/ विषाणु/महामारी/जागरूकता

" माना खतरा बहुत बड़ा है'
कोरोना की मार से मित्रों, त्रस्त सकल संसार।
डरने की कोई बात नहीं, पर करलो उचित उपाय।।

सावधान उनसे तुम रहना, जो बने आवारा घूम रहे।
चंद पैसों के लालच में,वो महामारी हैं बांट रहे।।

घर में रहना घर में खाना, साफ सफाई को अपनाना।
फिर भी कोई बात न माने, उसको बस तुम दूर भगाना।।

यह महामारी एक विपदा है, विपदा में साथ निभाना है।
ऊँच नीच का भेद मिटा के, मानव धर्म निभाना है।।

अपना कर संयम जीवन में, कोरोना को हमें हराना है।
धर्म जाति से ऊपर उठ ,मानवता को आज बचाना है।।
माना खतरा बहुत बड़ा है, फिर भी मानव अडिग खड़ा है।
देखो कातिल पास खड़ा है, लेकिन सुरक्षा कवच बड़ा है।।
(अशोक राय वत्स) ©® स्वरचित
रैनी, मऊ, उत्तरप्रदेश 

भावों के मोती
दिनांक-२१/०३/२०२०/

विषय - कोरोना
विधा- हाइकु

१-
जागरूकता
कोरोना पर जीत
शेष अतीत
२-
इंसा बेबस
कोरोनावायरस
जीवन बस
३-
यें हाहाकार
केवल उपचार
सब लाचार
४-
गांव शहर
कोरोना का असर
सहमा घर
५-
बड़ी बिमारी
सब पर है भारी
यें महामारी
६-
हे भगवान
है विश्व परेशान
कर निदान
७-
भ्रम को छोड़ो
यें जन कर्फ्यू
एक निदान

आर.के.यादव
मझगांव रीवा

विषय - कोरोना वायरस पर जनजागृति
विधा - गीत

दिनांक - 21-03-2020
__________________
हां रे करने दिखावांला
हां हां रे करने दिखावांला
भारत की माटी सूं भायां
वायरस दूर भगावांला।
हां रे करने दिखावांला

अनुशासन संकल्प भाव ले
महामारी सूं दूर रेहस्यां रे।
साफ-सफाई और खाण पीण री
आदत शुद्ध करस्यां रे।
घर आंगन और पास पड़ोस में
कचरो नहीं फेलावांला
भारत री माटी सूं भायां
वायरस दूर भगावांला।
हां रे करने दिखावांला

रगड़ रगड़ ने हाथ धोस्यां
संयमित सब रेहस्यां रे
घर परिवार में सुरक्षित रेहस्यां
बाहर नहीं निकळस्यां रे।
सरकारी आदेशां को भाईला
पालन कर करवावांला
भारत री माटी सूं भायां
वायरस दूर भगावांला।
हां रे करने दिखावांला

सेवा कर्मी सेवा करतां
सेवा धर्म निभावे रे।
खुद की जान ने दांव लगाके
सबकी जान बचावे रे
सेवा दूत ने राम समझ ने
वां रो मान बढावांला।
भारत री माटी सूं भायां
वायरस दूर भगावांला।
हां रे करने दिखावांला

बाईस मार्च रविवार ने भायां
जनता कर्फ्यू राख्यो रे
सुबह सात सु रात पड़्यां ताई
घर मां ही रहज्यो रे।
पांच बजे जद शाम पड़ेला
मिल उत्साह बढ़ावांला।
भारत री माटी सूं भायां
वायरस दूर भगावांला।
हां रे करने दिखावांला
------------------------------
गोविंद व्यास रेलमगरा
एक तरफ कारोना वायरस
दूजी तरफ दंगे,
जगह-जगह हो रहे

मज़हबी नंगे
क्यूं बनारस वाले गा रहे
हर-हर गंगे।

तालिबान से हाथ मिलाता
शुरु खेल अमेरिका में
समझनें वाले समझ जाएं
न रहें किसी खुशफहमी में,
देश खड़ा चौराहे पे
हम हिंदू-मुस्लिम रो रहे
दुश्मन जैसा चाह रहा
खेल वही तो हो रहे,
साजिशें हैं दूर तक
मत लो आपस में पंगे,
क्यूं बनारस वाले गा रहे
हर-हर गंगे।

आग तुम्हारे सर पे है
सांप तुम्हारे घर में है,
चारों ओर दुश्मन का जाल
हम दंगों के दलदल में हैं,
भारत मां के रखवाले
भारत का अंग काट रहे
देखो अपनें अगल-बगल
कितने दुश्मन झांक रहे,
ख्वाब कश्मीर का पाल रहे
पड़ौस वाले भिखमंगे
क्यूं बनारस वाले गा रहे
हर-हर गंगे।

श्रीलाल जोशी'श्री'
तेजरासर, बीकानेर।
(मैसूर)
दिनांक-21/03/2020
विषय-कोरोना/वायरस--/महामारी


चारों तरफ है कहर की आधी
धुधली लगती शहर की आबादी।
अवनी अंबर में कैसा विधि का खेल
फैल रही कोरोना नागफनी बेल।।

गुमसुम सी है घर की चौपाले
खो गये मुस्कान ठहाके।
सूने सूने लगते सौम्या चेहरे
दिन रतिया कैसे काटे।।

चौपालों की हंसी मसखरी
प्रीत रीति के अरमान खो गये।
कोरोना ने हैवानो सा कर्म किया
पश्चिमी सभ्यता कहे हम इंसान हो गये।

सूनी हो गई नदियों की कोखे
घाट -घाट श्मशान हो गये।
वुहान ने दर्द दिया बेरहमी का
कोरोना भी तूफान हो गये।।

रीति के पनघट गुमसुम बैठे
व्यथित भाव चिकित्सक लौटे।
कहर की आंधी है मंडराती
घर-घर में कैदी इंसान हो गये।।

क्यों काट रहे हम वसुधा के
अंगों को गिन गिन।
नियति हमारी लगती खोटी
सूरज भी आज बेईमान हो गये।।

स्वरचित
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज

नमन-भावों के मोती
विषय-कोरोना

दिनांक-21/03/20
विधा- कोरोना पर बुन्देली गारी -:

कोरोना तेरी बँधजा ठठरी, हमरे गाँव न अइयो ।
अरे हमरे गाँव न अइये ,तू हमरे देश न अइयो ।
कोरोना तेरी हो जा होरी , हमरे गाँव न अइयो ।।

छुआछूत को रोग बड़ो तू सारे जग में फैलो ।
सावधानी जिनने न वरती उनको तूने गहलो ।
मानवता को तू दुश्मन है खबरदार सब रइयो।
कोरोना तेरी बँधजा ठठरी, हमरे गाँव न अइयो।।

सुनो लुगइयों तुमसे मुझको एक बात है कहना ।
सावधानी में रहे सुरक्षा गर कोरोना से बचना ।
जाघर वाघर कहीं न जाओ अपने घर में रइयो ।
कोरोना तेरी बँधजा ठठरी, हमरे गाँव न अइयो ।।

राम राम तुम करो दूर से हाथ गले न मिलना ।
मुंह नाक बाँध के राखो गर बाहर है चलना ।
कछु दिना की बात है बिन्ना गप्पे नहीं लगइयो ।
कोरोना तेरी बँधजा ठठरी,हमरे गाँव न अइयो ।।

नीम गिलोय तुलसी के पत्ता नीबू पानी पीना ।
कुनकनो करके पीना पानी स्वस्थ रहेगो सीना ।
बार-बार अपने हाथो को साबुन से धोती रइयो ।
कोरोना तेरी बँधजा ठठरी,हमरे गाँ न अइयो ।

स्वरचित
रामगोपाल ' प्रयास ' गाडरवारा म प्र

भावों के मोती
विषय--कोरोना

------------------------
हम हमेशा भूल जाते हैं, हमारे ऊपर भी कोई दिव्य शक्ति है,जो हमें हमारी गलतियों की कभी भी सजा दे सकती है, और आज़ दे भी रही है।
प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा आज़ हम सबके सामने है।अपनी सभ्यता-संस्कृति भूलने और गलत खान-पान का नतीजा सामने है।
नदियाँ दलदल बन गई! इन नदियों के जल को गंदगी में बदलने वाला मानव ही है। हरी-भरी धरती को बंजर बनाने वाला भी मानव है। आज़ हम खुद इस मौत के तांडव के जिम्मेदार बने हैं।
यह कोई वायरस नहीं प्रकोप है इस प्रकृति का प्रकोप है जो आज सम्पूर्ण विश्व को भुगतना पड़ रहा है।जब कभी प्रकृति हमसे कुछ लेती है, तो बदले में बहुत कुछ दे जाती है।और जब लेना शुरू करती है तो फिर महाविनाश शुरू कर देती है।
मानव सदा से ही संघर्षशील है,हर मुश्किल का सामना करने में सक्षम है।यह विपदा भी टलेगी।इस महामारी से निपटने के प्रयास निरंतर जारी हैं।पर यह निश्चित नहीं है हमें कब सफलता मिलेगी और कब-तक यह मौत का तांडव यूँ चलता रहेगा ‌
मानव ने प्रकृति को इतना प्रदूषित कर दिया है कि आज उसने स्वयं की सफाई का जिम्मा उठा लिया है।"ठीक वैसे ही जैसे माँ झाड़ू-पोछा करते समय सबको पैर ऊपर करके बैठने के लिए कहती है ताकि फर्श अच्छे से साफ हो दाग न दिखे, और बात नहीं सुनने पर सजा देती है"।
आज ठीक वैसे ही प्रकृति खुद अपने को साफ कर रही है, मानव घरों में कैद हो गया है।वाहन की आवाजाही घट गई, विमान कम उड़ रहे हैं।नतीजा सबके सामने है।सागर के किनारे साफ हो रहे हैं, झीलों के किनारे साफ हो रहे हैं। वायुमंडल से प्रदूषण घट रहा है।
पुराने संस्कारों को याद किए जा रहा हैं। मांसाहार बंद कर इंसान शाकाहार अपना रहा है।घर में बैठकर धूप, कर्पूर जलाकर हवा स्वच्छ कर रहा है। बड़े-बूढ़ों के साथ समय बिता रहा है।
यह सारी बातें क्या यह हमें सोचने पर मजबूर नहीं करती है कि मानव ने ही मौत को ललकारा है।

हर तरफ एक ही रोना,
कहर ढाया है कोरोना।
स्कूल कॉलेज बंद हुए,
बच्चे भी घर में तंग हुए।

मौत ने साया लहराया,
सारी दुनिया को डराया।
प्रकृति दे रही चेतावनी,
मानव मत कर मनमानी।

सभ्यता संस्कृति जिंदा रखो,
हाथ जोड़कर नमन करो।
सादा जीवन उच्च विचार,
स्वस्थ ज़िंदगी का आधार।

नीम लगाओ पीपल सींचो,
पुरखों के जीवन से सीखो।
गंदगी, प्रदूषण महामारी,
मानव की फैलाई बीमारी।

अब पछता के क्या फायदा,
हम सब भूल बैठे थे कायदा।
फिर अपनाओ रीत वही,
जिसमें स्वच्छता की सीख भरी।

***अनुराधा चौहान*** स्वरचित
विषय : कोरोना

*आओं कोरोना को अलविदा करें ....*

आओं कोरोना से डरकर
नही डटकर सामना करें ।
जनता कर्फ्यू की अपील
जन - जन स्वीकार करें ।।

कोरोना जैसी महामारी
को अब हम नमस्ते करें ।
आओं राष्ट्रधर्म निभाकर
जनता को जागरूक करे ।।

आपदा का समय है यह
अपनी सुरक्षा खुद करें ।
संकट की घड़ी में हम
नियमों का पालन करें ।।

संक्रमण फैलने से पहले
हम सावधानियां बरतें ।
घर-घर हो स्वच्छता कीट
स्वस्थ रहने का संकल्प लें ।।

प्रधान सेवक की बात मान
कर हम घर से न निकले ।
हमारे संकल्प और संयम
से कोरोना का दम निकले ।।

जब तक न हो कोरोना विदा
तब तक हम सजग,सतर्क रहें ।
जो लोग दूसरों की सेवा में लगे
उनका हम आभार व्यक्त करें ।

 गोपाल कौशल
नागदा जिला धार म.प्र.
99814-67300

रचना मौलिक एवं अप्रकाशित है
अधर्म की कतरनी।

इधर कोविड-19(कोरोना) वायरस को मजाक समझने वाले महाशय दीनानाथ को जब यह बुखार हुआ तो ग़ांव के समस्त लोग सचेत हो गए थे।पर इक्के-दुक्के ग़ांव के स्टेशन पर मिल जाते।जो इधर की उधर करते रहते।इनमें-मुनीराम,धनी राम और तेलूराम।जो अक्सर दिखाई देते।
आज भी है।
मुनीराम- 'दीनानाथ की हालात देखी?क्योंकर तड़प रहे थे?'
धनीराम- 'कर्म जो शुभ किये।शामत तो आनी थी।'
तेलूराम ने कहा- नहीं तो।ऐसे आदमी नरक के भागी है।
मुनीराम- पर मुझसे उनकी हालत देखी नहीं गई।तरस आ रही थी।
धनीराम-हराम के कर्म हलाल नहीं होते।तुम क्यों तरस खाते।उन्हें जब बीवी को मारते तरस नहीं आई।मरेगा अब देखना।
तेलू -पापी है,बेरहम है, रोज पत्नी को पीटता था।जबतक उस बेचारी को मौत न ले गई।
धनी- सही कहे तेलू।
पर मुनीराम चुप रहे।क्योंकि,दीनानाथ उनके अभिन्न मित्र थे उनकी मौत उन्हें गवारा नहीं थी।उन्होंने पापकर्म किये थे।इस बात से मुनीराम अछूते नहीं थे।फिर भी मुनीराम धर्म विरुद्ध बोलने से खुद को रोकने लगे।फिर सहसा बोले- मैं तो तरस खा लेता।पर यह जानलेवा बीमारी नहीं खाएगी।यह पापियों के लेने आती है,और लेकर जाएगी।
तेलूराम और धनीराम जान गए।अधर्म की कतरनी सच्ची से सच्ची मैत्री की डोर को भी काटने में देर नहीं लगाती।

- परमार प्रकाश
दिनांक-21-03-2020
शीर्षक-कोरोना/महामारी/विषाणु/जागरूकता

विधा- *दोहे*

कोरोना आतंक है , फैला चारों ओर।
रातें भी सहमी हुई, भय में होती भोर।।

खतरा जीवन के लिए, साँसें लेता छीन।
मानवता के नाश का, वाइरस यह नवीन।।

खुद सेहत पर ध्यान दें, बदलेंगे हालात ।
निकट किसी के न जाएं,करें दूर से बात।।

साबुन से ही हस्त को, धोएं अनेक बार।
रखें खुद का ध्यान अगर,कभी न हों बीमार।।

स्कूल काॅलेज में छुट्टी, बंद माॅल बाजार।
सारा विश्व जूझ रहा , ठप्प हुआ व्यापार।

यात्राएँ निरस्त हुई, सिनेमाघर भी सून ।
कैदी से घर में पड़े , मार्च भी लगे जून।।

हाथ मिलाना छोड़ दें, करें सदा नमस्कार।
मास्क पहन बचाव हो, न हो वायरस वार ।।

नित दिन बढ़ते जा रहे, कोरोना बीमार ।
नियंत्रण पर जागरूक, है भारत सरकार।

जीवन कई लील रहा, ये कोरोना आज।
बढ़ते इसके खौफ से,सहमा हुआ समाज।।

जनता कर्फ्यू शासन ने,अच्छी मुहिम चलाई
देश ने भी समर्थन की, पावन लौ जलाई ।।

सावधानी ही बचाव,बात सब को भायी।
ताली थाली बजा करें, हौसलाअफजाई।

कुसुम लता 'कुसुम'
नई दिल्ली

शीर्षक- कोरोना, विषाणु, महामारी, जागरूकता
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
कोरोना विषा
णु महामारी हैं
सकल विश्व है इससे त्रस्त
हे गनीमत भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति उत्कृष्ट विज्ञान
नही चलता कोरोना का बस
पर सजग रहो जागरूक रहो
भारतीय संस्कृति को मानो पोसो
नीम वृक्ष के बंदनद्वार सजाओ
नीम दंतधावन करो अब नित
नीम कोपल सेवन करो अब
सदियों से हम ऐसे करते आऐ
शवदाह अशौचादिक स्नान,
अब भूले बिसारे सभी हम
अब कोरोना ने बरपा कहर
अब जागो और सब जागो
मांसाहार को तत्क्षण त्यागो
शाकाहारी बन निरोग रहो
अधिसूचना का पालन करो
देश विदेश यात्रा टालो
झंझट न झांसा एकांत बांसा
युक्ति मानो हम सभी
🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩
स्वरचित
राजेन्द्र कुमार अमरा
दिनांक - 21/03/2020
विषय - "कोरोना खौफ और भारतीय संस्कृति"


मैं क्षमा चाहता हूँ। आज थोड़ा विषय से हटकर मैने अपने भावों को कविता के रुप में व्यक्त किए हैं।

कोरोना ने देखो क्या - क्या बदलाव कर दिया
सभी मनुष्यों को भारतीय संस्कृति से जोड़ दिया।

जो लोग करते थे हाय हेलो हाथ मिलाकर, आज वो हाथ जोड़ नमस्कार करते हैं
जो लोग करते थे अभिवादन गले मिलकर, आज वो ही दुर से राम राम करते हैं।

जो लोग ढूँढते थे अलग अलग होटलो में तरह तरह का स्वाद, आज वो घर के खाने को ही अपनी जिंदगी समझते हैं
जो लोग खाते थे बाहर चाऊमीन, पिज्जा, बर्गर, मोमोज, आज वो ही माँ के हाथ की रोटी भी चाव से खाते हैं।

जो लोग घूमते थे दिनभर मोलो और सिनेमा होलो में ,आज वो दिनभर घर बैठकर पढ़ते हैं
जो लोग करते थे पार्टी देर रात पब और बारो में, आज वो रात को जल्दी सो कर सुबह जल्दी उठते हैं।

जो लोग देखते थे नाटक, फिल्मे, गाने टेलिविज़न में, आज वो सिर्फ समाचार देखना पसंद करते हैं
जो लोग संभालते थे उठते ही इंस्टा, फेसबुक, वाट्सऐप , आज वो उठते ही वो सिर्फ अखबार पढ़ते हैं।

देखो कोरोना के खौफ से क्या - क्या हो रहा हैं
चारो ओर प्रदुषण, गंदगी, कचरा दूर हो रहा हैं
पृथ्वी भी कितनी सुंदर और स्वच्छ हो गई हैं
हर मानव भी इस कोरोना के खौफ से स्वस्थ हो रहा हैं।

दुआ करते है हम सब ये कोरोना संकट दुनिया से मिट जाए
हर व्यक्ति स्वस्थ होकर अपने - अपने घर लौट आए
छायी है जो मंदी, डगमगायी है जो अर्थव्यवस्था दुनिया की
ये मंदी और अर्थव्यवस्था पूरे देश और दुनिया की ठिक हो जाए।

कोरोना के बाद मत बदलना तुम फिर से अपनी दिनचर्या
अपनी भारतीय संस्कृति को हमेशा तुम अपनाये रखना
महामारी के कारण अपनायी है जो स्वच्छता व संस्कृति
इस स्वच्छता और संस्कृति को महामारी के बाद भी कायम रखना।

- प्रतिक सिंघल

दिनांक 21मार्च2020
विषय महामारी जागरुकता


खौफ भरा हो फिजाओं में
आहट पल पल भय की हो
पग पग डग यम हो भरता
कैसे कहो तुम निर्भय हो

घूलता जहर हवाओं मे नित
आने वाला पल हो अनिश्चित
हर खबर मे बढता डर हो
कैसे कहो तुम निर्भय हो

विष प्याला उंडेल गया कोई
पान करे ना शिव शंकर कोई
जहर घुल रहा हो नस नस में
कैसे कहो तुम निर्भय हो

जब चहुं ओर बस हाहाकार
खौफ डर और चीख पुकार
चिंतित सब देश व सरकार
कैसे कहो तुम निर्भय हो

पट बंद हुए सब आशाओं के
बादल छा गए निराशाओं के
मन मे विश्वास भी भयभीत
कैसे कहो तुम निर्भय हो

कैसे हाथ पर हाथ धरे बैठे
कैसे हार स्वीकार करे बैठे
रिपु जब नित आगे बढते हो
कैसे कहो तुम निर्भय हो

सोच समझकर काम करो
ना अब तनिक आराम करो
सावधानी मे चूक रही गर
कैसे कहो तुम निर्भय हो

विश्व सकल देखो लड रहा
शत्रु समक्ष देखो अड रहा
नादान बन जो घूमते फिरे
कैसे कहो तुम निर्भय हो

करना विचार सुरक्षा के बस
पालन विधान सुरक्षा के बस
एक गलती से चक्र टूटेगा तो
कैसे कहो तुम निर्भय हो

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद

तिथि 21/03/2020
शीर्षक कोरोना/विषाणु/महामारी/जागरुकता


हाय कोरोना

हाय कोरोना हाय कोरोना
तुम कोरोना से डरो ना
माना विश्व में तबाही मचायी है इसने
पर तुम भी सुरक्षा अपनाओ ना।

बचपन से सिखाया गया है हमें
जब कभी बाहर से आओ तो
हाथ-पैर धो कर अंदर आओ
स्वच्छता की आदत अपनाओ ना।

हमेशा रुमाल रखो अपने साथ
लगाओ अपने मुहँ पर मास्क
जब तक हो ना जरुरी
भीड़भाड़ से तुम बचो ना।

भारतीयता का मूल है अहिंसा
अहिंसा परमोधर्म:
सिखाया हमें बुद्ध-महावीर ने
बन अहिंसक तुम शाकाहारी बनो ना।

पश्चिमी संस्कृति बड़ी अच्छी लगती है तुम्हें
हाय,हेल्लो,पप्पी,झप्पी में भरमाये तुम
हाथ जोड़ कर करो नमस्ते, करो प्रणाम
अपनी श्रेष्ठ संस्कृति अपनाओ ना।

हमारे प्रधान मंत्री ने कियाआह्वान
स्व सुरक्षा के लिये जनता कर्फ़्यू का
रखो हमेशा याद, करो आभार
राष्ट्र की बात मानो ना।

अनिता निधि
दिन :- शनिवार
दिनाँक :- 22/03/20

विषय :- कोरोना/वायरस/महामारी
विधा :- कविता

माना खतरा बहुत बड़ा है।
पास मेरे मुँह बाये खड़ा है।
पर इसको पहचानों तुम
बात हमारी मानो तुम।
साफ सफाई को अपनाओ।
कोरोना को मार भगाओ।
विषाणु जनित बीमारी है।
जिससे दुनियाँ हारी है।
चला चीन से ये जापान।
फिर पहुँचा इटली ईरान।
ग्रीस अमेरिका हैं हैरान।
भारत की भी अटकी जान।
यदि इसको मार भगाना है।
तो यह कर्तव्य निभाना है।
जागरूकता को अपनाओ।
पास किसी के मत तुम जाओ।
हाथों को साबुन से है धोना।
दूर रहेगा रोग कोरोना।
जन कर्फ्यू में सबको जोड़ो।
को कोरोना की कड़ी को तोड़ो।।
स्वरचित
शिवेंद्र सिंह चौहन "सरल"
ग्वालियर मध्यप्रदेश
दिनांक 21/03/2020
विषय -कोरोना वायरस /महामारी



आऊँगी ....
ऐसा कहा था उसने
किंतु , शून्य लेकर आयेगी
ये नहीं कहा था

नहीं कहा था कि ,
रक्त , बादलों से बरसायेगी
जीवितो को कर्म ग्रह से
धर्म ग्रह पर्यंत यात्रा में
इस जन्म की सत्यता
दिखायेगी ....नहीं कहा था उसने

सूर्य का भी साया
जलता रहेगा ....
पानी की सतह पर
और हिमखंड में
उत्तप्त रहेगा
लीन हो कर भी .....
उस साये में ...
वो उभरती एक
कुमारी अग्नि कणिका सी होगी
ये नहीं कहा था .....

मैं पृथ्वी को
उसका सौंदर्य
लौटा कर ....
पुनः उसका श्रृंगार करूँगी
ये अवश्य कहा था ....
सुना है मैंने ...
सुन रहा था
मेरा अंतर्मन .....
जब अश्रु स्रोत में
दयनीयता बह रही थी
और नीरव वेदना
मौन क्रंदन
भिक्षा माँग रहें थे
मूक प्रार्थना में .....

हाँ ..
तब वो कह रही थी ..
मेरा सूक्ष्मतम शरीर
तुम्हारी स्थूलता का
विनाश करेगा .....
अनंत प्रलय का
आशीर्वाद भी दिया था उसने ...
जब मेरी कलम से
निविड़ एक पीड़ा
कागजों को छू रही थी ...
शीर्ष झुकाये
मैं भी ...महानिद्रा का
आवाहन कर रही थी ....
मैं उसे सुन रही थी ...


.....अनिमा दास ...
कटक , ओडिशा
दुनिया पर कोरोना

दुनिया पर कोरोना का कहर छाया जा रहा है.

कोरोना दुनिया को अपने आगोश में जा रहा है.
इटली भी प्रभावित, स्पेन भी प्रभावित
इराक, सूडान, भूटान जैसे सैकड़ों देश प्रभावित.
सारी दुनिया ढूँढ रही है बचने का इससे उपाय.
तुम भी सतर्क हो जाओ भाई, कर लो बचाव का उपाय.
नासा कहता है कि 29 अप्रैल को दुनिया हो जाएगी समाप्त.
सारी दुनिया असमंजस और डर भयाक्रांत है.
हे ईश्वर अब मदद करों, हम धरती के सारे लोग परेशान है.
हमारे डर, भय, संत्रास को हरो, हमें अपने दया का वरदान दो.
हमें अपने दया करुणा से हे ईश्वर तार दो, उबार दो.

स्वरचित कविता प्रकाशनार्थ
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
उत्क्रमित उच्च विद्यालय सह इण्टर कालेज ताली सिवान बिहार
विषय...कोरोना /विषाणु/महामारी/जागरूकता
जनता कर्फ्यू सफल बना लो तुम।

इस वक्त की फैली महामारी में
धैर्य से कुछ दिन रह लो अकेले।
ना तुम जाओ, साथी कही मेले मे।
कही ना घूमो दोस्तो के तुम रेले में।
मत घूमो,तुम यार बसो व रेलो में।
बचो इस भंयकर वायरस कोरोना सें।
जनता कर्फ्यू सफल बना लो तुम।
मत मिलाओ हाथ तुम,नमस्ते करो।
मास्क पहनो, मुंह पर,ऐसा करो।
दूर रहो, तुम मित्रो के सामानो से।
कुछ ना होगा,मत रहो ख्यालो में।
रोग आते देर लगे ना,ना रहो ख्यालो में।
जनता कर्फ्यू सफल बना लो तुम।
सावधानी इलाज से बेहतर है।
पढो लिखो,अपने बच्चो संग खेलो ना।
इस तरह कोरोना वायरस से बचो ना।।
स्वरचित
रीतू..।ऋतंभरा

ागलों की तरह,हर वक्त इधर उधर ना फिरा करो।
मौका मिला कुछ ,घर पर भी तो रुक जाया करो।

बहुत मिलाए हाथ तुमने,और मिल लिए गले तुम,
अब दूर से ही सबसे,तुम राम-राम कर लिया करो।

पूरखो के बनाए फॉर्मूले को, अब आत्मसात करो।
अपने संस्कार मान,उन्हें थोड़ा अपना लिया करो।

अनजान लोग करीब,तुम भूल कर ना जाया करो।
बहुत फैल रहा कोरोना,थोड़ी सावधानी रखा करो।

गंदे हाथों से चेहरे को,तुम बार बार ना छुआ करो।
बार-बार हाथों को धो,इस महामारी से बचा करो।

सावधानी ही सुरक्षा,बस तुम इतना याद रखा करो।
मुसीबत इस घड़ी में,जनता कर्फ्यू का पालन करो।

वीणा वैष्णव
कांकरोली
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सैनिक ,अर्धसैनिक
एवं पुलिस के माध्यम से
देश को बाहरी
एवं आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने...
खिलाड़ी ,कलाकार
अभिनेता ,चित्रकार
एवं किसी भी रूप में
किसी भी संस्था में रहकर
देश का नाम रोशन करने...
सामाजिक , राजनीतिक
आर्थिक ,धार्मिक , सांस्कृतिक
एवं शैक्षिक योगदान करने....

के अलावा आज हम..
अपने घर में स्वस्थ रहकर
बाहर न घूम कर
सोशल मीडिया के माध्यम से
जनता को जागृत करके
सरकार का सहयोग करके
हम कोरोना से लड़ सकते हैं
हम सच्चे देशभक्त बन सकते हैं
तो ..आओ...
हम देशहित में सहयोग करें
जय हिंद जय भा

दिनांक -21/03/2020
विषय- कोरोना

आज पूरी दुनिया का एक ही है रोना
कोरोना , कोरोना ,कोरोना ।
न कोई दवा , न कोई उपाय
सब हैं असहाय , कर रहे हाय -हाय ।
बड़े -बड़े हथियारों का जखीरा बेकार हो गया
एक वायरस के आगे उन्नत चिकित्सक विज्ञान लाचार हो गया ।
कोई कहे हाथ धोओ ,कोई कहे बनाओ दूरीहाय कैसी ये मजबूरी , हाय कैसी ये मजबूरी।
पर सोचो ! ऐसी स्थिति क्यों आई है?
प्रकृति को अँगूठा दिखा मानव ने नई विकृतियाँ जो बनाई हैं ।
मानव स्वयं को नियति नियंता समझ बैठा
ज्ञान का दंभ भरने वाला भस्मासुर बना बैठा ।
अब कहाँ से आए शिव की युक्ति ?
और मिले इस महामारी से मुक्ति ।
आओ सब मिल करें उस महाकाल से विनती
बचाओ मानव को , दे दो उसे इस विषाणु से मुक्ति ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
विषय -कोरोना
विधा - (लोकगीत)

***********************
कोरोना प्रकृति के साथ किया हुआ अत्याचार है भईया।
इससे जग की सारी डरी हुई आज सरकार हैं भईया।।

फेल हुआ विज्ञान ,ज्ञान सब पड़ा है सब पर भारी।
बने लाचार समझ न आवे सब डॉक्टर वैद्य पूजारी।।
घर घर करते आज दवा का अजब प्रचार हे भईया।
इससे जग की ....... .....भईया।।

अलग अलग सब जतन बतावे देखो अपनी बारी।
इसके कोप से सारी दुनिया में फैली ,है महामारी।।
दिन प्रतिदिन है खोज कर रहा ,कैसी ये वीमारी
मानव आज बना हुआ गजब का लाचार , भईया
इससे ।।

वेजुबानो को काट कर खाया करता जोरदारी।
पशु पंक्षी लाचार हुए तब बना था अत्याचारी।।
इसके काली करतूतो का सारा परिणाम है भईया।
मुँह पर बाँधे खोंच घूम रहा इंसान हैं भईया।।
इससे ...............

तन
सर में दरद तन में ज्वर ,सुखी खाँसी जब आवे।
जोड़ दर्द और डायरिया इसकी पहचान बतावे।।
हाथ जोड़ बस दूर से ही करो प्रणाम हे भईया।
कोरोना कर देगा बेजान ,तुम्हे इंसान हे भईया।।
इससे ......
चाइना में जन्मा, फिर इटली में कोहराम मचाया।
इसके आगे ड्रैगन भी हारा ऐसा कहर बरपाया।।
भूमण्डल के सब देशो में मचा हाहाकार हे भईया।
इससे जग की ........।।

सेनेटाइजर एक न मिलता ,मास्क की मारामारी।
पिजड़े में कैद रहो ,सरकार किया फरमान जारी।।
पशु पंक्षी सब मौज मनाते ,कैसी समय की मार हे भईया।
इससे .......।।

छबिराम यादव छबि
लोटाढ मेजा प्रयागराज
भावों के मोती।
विषय - कोरोना/वायरस /महामारी
स्वरचित।

पाबन्दी सब पर लगी, रोकथाम का जोर।
बचना कोरोना से गर, रहो घर में पुरजोर।।

दूर समाज से तुम रहो,खुद का रखो ध्यान।
अन्दर प्रभु को खोज लो,बाहर अंतर्ध्यान।।

सारे जग में हो रहा भैय्या
भारतीय संस्कृति का प्रचार।
वाह वाह रे कोरोना वायरस
वाह वाह रे कोरोना वायरस।।

जो भूल रहे थे अपनी प्यारी
सभ्यता संस्कृति का सत्कार
फिर से अपनी जड़ों में आयें
नमस्कार को अपनायें।
भूले हाय हेलो का व्यवहार... ।
वाह वाह रे कोरोनावायरस
वाह रे वाह वाह रे कोरोनावायरस...

जो ना धोते थे हाथों को
टॉयलेट पेपर था जिनका आधार।
हम तो पहले से ही स्वच्छता में
कह रहे थे बार हजार।
सौच से पहले सौच के बाद
खाने से पहले खाने के बाद
हर काम के बाद बार-बार
धोओ हाथ हर बार।
वाह वाह रे कोरोना वायरस.... ।

पर्यावरण का खतरा,
तब सारे विश्व ने माना।
पूजा पीपल,नीम,कदंब,
देते हमको प्राणवायु हैं जाना।
हरते प्रदूषण के कण-कणको
देते इम्यून सिस्टम को मजबूती।
जीत जायेंगे जंग हम यूं रखे ध्यान।
वाह वाह रे कोरोना वायरस।..

गंगा नदियां हमारी मां हैं
देती हमको खनिज लवण।
गाय हमारी दूजी मां है
इसकी हर चीज है पावन।
प्रकृति की हर चीज निराली
पूर्वजों ने ये बातें थीं जानी।
विज्ञान तकनीक ज्ञान संपन्न।
तभी तो जोड़ दिया जीवन से
चाहे पेड़,वनस्पतियां,नदियां।
जीव-जंतु पहाड़, आकाश
अग्नि,पवन,धरा या फिर जल
जीवन का अमृत है जाना इनमें
पहचाना जोड़ा सबको जीवन में।
वाह वाह रे कोरोना वायरस....

भारतीय संस्कृति का परचम लहराया
कहलाता था भारत सोने की चिड़िया।
तभी तो सब की लोलुप दृष्टि
रही सदा भारत के ऊपर।
कर लो कब्जा सब बद्नियत।

सारे जग में हो रहा भैय्या
भारतीय संस्कृति का प्रचार।
वाह वाह रे कोरोना वायरस
वाह वाह रे कोरोना वायरस।।
****
प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"
21/03/2020
21/03/2020
शीर्षक - कोरोना


फैला वायरस
ज्यादा डरो ना,
संस्कृति पाश्चात्य
इसे तजो ना ;
छूने से संक्रमण
नमस्ते करो ना,
विटामिन सी उत्तम
शाकाहार बनो ना ;
स्वच्छता का हो ख्याल
सजगता वरो ना,
यज्ञ से हवा शुद्ध
हवन करो ना ;
धैर्य धरो ना
भागेगा 'कोरोना',
स्व संस्कार उत्तम,
भारतीय बनो ना ।

-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित

21/3/2020
बिषय, कोरोना, बिषाणु, महामारी,, जागरूकता

कोरोना के बिषाणु फैला रहे महामारी
भयानक भयावह है एक विकराल बीमारी
इस ज्वलंत खतरे से निपटने के लिए करना होगी तैयारी
जागरूक जब हम होंगे तभी खत्म होगी बीमारी
इससे निपटने के लिए हम सभी हैं उत्तरदायी
न पड़ पाए किसी पर इसकी काली परछाई
बारम्बार हाथ धोना एक दूसरे से दूर हों
घर से बाहर तभी निकलें जब बहुत मजबूर हों
हाथ मिलाने के बजाय दूर से ही नमस्ते कर लेना
स्वस्थ रहने के लिए कुछ ए सूत्र समझ लेना
अच्छा मोका घर में बैठ प्रभु का भजन कर लेना
सभी सुरक्षित हों की भावना से चिंतन मनन कर लेना
स्वरचित, सुषमा ब्यौहार
विषय-कोरोना/ महामारी
दिनांक-21/03/2020


ये कैसी विपदा आन पड़ी है
मन है घबराया -घबराया ।
देश जूझ रहा कठिन परिस्थिति
ये कैसा संकट मंडराया।

जनजीवन सब है अस्त- व्यस्त
हर जन -जन है सहमा- सहमा।
चारों तरफ इंसानों में भय व्याप्त
प्रकृति भी कुछ है खफा- खफा ।

जनता कर्फ्यू का करें पालन हम,
औरों से भी हम करवाएं ।
घरों से बाहर ना निकले हम,
उद्देश्य को हम सफल बनाएं।

कोरोना महामारी से लड़ना होगा
जन-जन को जागरूक होना होगा
हाथ जोड़ अभिवादन करना होगा
पश्चिमी सभ्यता को भुलाना होगा।।

स्वरचित, मौलिक रचना
रंजना सिंह
प्रयागराज

दिनाँक-21/03/3020
शीर्षक-कोरोना

विधा-हाइकु
1.
कोरोना खौफ
सुनसान जहान
नाचती मौत
2.
घटी रौनक
सुनसान बाज़ार
फैला कोरोना
3.
संकट घड़ी
अर्थव्यवस्था ठप
रुका पहिया
4.
जनता कर्फ्यू
समर्थन जरूरी
सुरक्षा वास्ते
5.
ढूँढो उपाय
वैश्विक महामारी
रोग कोरोना
6.
जनता कर्फ्यू
प्रशासन सतर्क
कोरोना खौफ
7.
चीनी कोरोना
बे लगाम का घोड़ा
हुआ भगोड़ा
8.
गाँव शहर
कोरोना का कहर
फैला जहर
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
विषय - कोरोना वायरस/महामारी/जागरूकता
21/03/20

शनिवार
कुण्डलियां छंद

विश्व-आपदा बन गया , कोरोना का रोग।
प्रतिरोधन के वास्ते , हुआ त्वरित उद्योग।।
हुआ त्वरित उद्योग, चेतना सब में जागी।
मास्क पहन जो निकले,बने न उसके भागी।।
मंत्र यही है सत्य , हस्त- शोधन हो ज्यादा।
नहीं कष्ट दे हमें , आज यह विश्व-आपदा।।

मन में दृढ़ संकल्प औ, ईश्वर में विश्वास ।
नहीं रहेगा फिर यहाँ , कोरोना का त्रास।।
कोरोना का त्रास , स्वच्छ परिवेश बनाएँ।
मास्क पहनकर रहें,न किंचित हाथ मिलाएं।।
रहे सजगता आज ,यहाँ प्रतिपल जन-जन में।
तभी कोरोना दुख , न दे पाएगा मन में ।।

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
नमन भावों के मोती
दिनांक 21/3/2020


विषय _कोरोना

कोरोना कोरोना
कोरोना से डरोना
कितना सुन्दर कितना बढ़िया
जो संस्कार भूल गये थे सारे
एक कोरोना ने सबको सबक
सीखा दिया।
पिज्जा बरगर भूल गये
चावल रोटी खोज रहें सब
बन गये थे राक्षस सब
अपडेड करने के चक्कर मे
अंग्रेज बने फिरते थे सब,
हाय ,हेलो ,गले लगाना
भूला दिया एक कोरोना।
सावधानी बरतो भाई
कोरोना से डरोना
कितना मौका देता कोरोना
चार दिन तक गले में रहता
गरम पानी नमक मिलाकर
पी पी कर मारोना कोरोना।

विश्व गुरु भारत है ।
यह बात सबको समझा दिया कोरोना।

हाथ पैर धोना सीख गये सब
चूमना फैशन बना था
खास नहीं यह आम हुआ था
नमस्ते प्रणामापाती सीखा दिया कोरोना ।
सावधानी गर बरतेंगे तो
कुछ भी नहीं बिगड़ेगा
समय रहते डा .के पास से जाओ
आच्छै बच्चे जैसे घर में रहो
नियत साफ़ रखो
लोगों से अलग थलग रहो
कुछ नहीं करेगी कोरोना।

माधुरी मिश्र साहित्यकार कदमा जमशेदपुर

दिनांक-21-3-2020
विषय-कोरोना/महामारी

विधा-दोहा


पसरा है चारों तरफ ,
कोरोना आतंक।
त्राहि त्राहि जग में मचा ,
राजा हो या रंक।।

2)
कोरोना परहेज से,
स्वस्थ रहे इन्सान।
नमस्कार बस दूर से,
अर्पण हो सम्मान।।

3)

चमगादड़ के सूप का ,
किया खूब तब पान।
कोरोना विपदा पड़ी,
गईं बहुत सी जान।।

4)

मांस आहार त्याग दें,भोजन सात्विक पाक।
भरी भीड़ मत जाइए ,कोरोना हो खाक।।

5)

रखें ध्यान स्वास्थ्य का, स्वच्छ रखें परिवेश।
करो चिकित्सक मंत्रणा,न कोरोना प्रवेश।।

-वंदना सोलंकी©स्वरचित
नई दिल्ली
ई मुसीबत घड़ी,मिलकर सामना हम कर रहे हैं।
दो-चार दिन घर रुक जाएंगे,तो कौन से मर रहे हैं।

सब समझा रहे हैं,फिर भी वह समझ नहीं रहे हैं।
पागल कुत्ते ने काटा हो, ऐसे चहँओर दौड़ रहे हैं।

भुगत होगी चीन,देखो सावधान हमें कर रहा है।
और देखो हमारे नादानी,तो भी ना समझ रहे हैं।

जान बची लाखों पाए,यह भी हम सब भूल रहे हैं।
जान जोखिम में,जनता कर्फ्यू उल्लंघन कर रहे हैं।

सावधानी ही सुरक्षा, जानते हुए नहीं अपना रहे हैं।
जिनके समझ आया, वो ही सावधानी बरत रहे हैं।


वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक-२१/३/२०२०
शीर्षक_कोरोना


कोरोना,अब तुम जाओ ना
जाओ देश से दूर अब तुम
हरपल दहशत है तुम्हारा
पर मनोबल ना तोड़ सकोगे हमारा।

संस्कारों का देश हमारा
नमस्ते करते,हाथ जोड़े
गले ना मिलते किसी से हम
शाकाहारी हम भोजन करें।

स्वच्छता में हम आगे सदा
बच्चें बुढ़े पर हमारा ध्यान
जनता कफर्यू में हम जागे
उलटे पाव तुम भागे।

घर पर हम न अकर्मण्य रहे
करें योग, रहे निरोग
पूरा परिवार साथ रहेंगे
पूजा ,हवन मंगलध्वनी करेंगे।

देशहित में हम वो सब करेंगे
कोरोना तुमको भगा के रहेंगे
हाथ धोयेगे बार बार
हार जाओगे हमारे द्वार।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव
दिनांक - २१/०३/२०२०
दिन - शनिवार

विषय - कोरोना
------------------------------------------

महामारी है एक कोरोना।
इसके डर से तनिक डरो ना।
मरने से पहले ओ लोगो-
जीते-जी तो आप मरो ना।

कोरोना का कोलाहल है।
कंपित जिससे विश्व सकल है।
है उपचार न कोई दवाई -
सावधानी ही इसका हल है।

हाथों को धोएं रह - रह कर।
रखें पास हरदम सेनेटाइजर।
छींकें खांसें आप जब कभी
मुंह पर रख लें टिशू पेपर।

व्यक्ति संक्रमित कोई अगर हो।
मीटर भर का बस अंतर हो।
कोरोनावायरस का फिर तो -
उस पर ना कोई भी असर हो।

साफ़ सफाई को अपनाएं।
शाकाहारी भोजन खाएं।
अदरक,लौंग,दालचीनी से
कोरोना को दूर भगाएं।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित
21-3-2020/
कोरोना और सावधान

*******************
"सावधानी हटी दुर्घटना घटी'"
*************************
मैं तो रस्ते से जा रही थी,
सामने कोरोना आ रही थी।
मुझको..मुझको घूरने लगी तो मैं क्या करूँ............।
मैंने तो हाथ धोए थे,
मैंने तो मास्क पहना था।
मेरे पास आयी तो मैं क्या करूँ....।।
उसने हाथ बढ़ाया था,
मैं तो सावधान थी,
मैंने नमस्ते की ,,,,
उसने मुँह बिचकाया तो मैं क्या करूँ।
वो मेरे पीछे आ रही थी,
मैं उसको समझा रही थी।
मैंने सेनेटाइजर लगाया ,वो गिरी धड़ाम तो मैं क्या करूँ।।
मैं तो सावधान थी,
वो कोशिश कर रही थी।
सावधानी उसकी हटी
और दुर्घटना घटी तो मैं क्या करूँ।
सावधानी ही इलाज है।
गीतांजली वार्ष्णेय
कोरोना
**?********
कोरोना ,कोरोना,कोरोना
जाओना,जाओना,जाओ ना

खेलेंगें हम रंग लगा के
मानेंगें हम तुमको भगा के
होली में तुमको जिंदा जलाके,
भारत से तुम
जाओ ना,जाओ ना,जाओ ना
कोरोना कोरोना कोरोना।
चाहो तो तुम गुझियाँ खा लो,
चाहो तो तुम भांग चढ़ा लो,
मनाने होली और कहीं तुम
जाओ ना,जाओ ना,जाओ ना
कोरो ना.............
चीन ने तुमको जन्म दिया
पाकिस्तान ने गोद लिया
जाके वहीं पे गुझियाँ खाओ ना
कोरोना, कोरोना,कोरोना।
आये हो तो रंग में रंग दें,
चाहो तो तुम्हें धूल चटा दें
होली की आग से तुम
खेलो ना,खेलो ना, खेलो ना
कोरोना,कोरोना,कोरोना।
जिसने तुमको जन्म दिया
वहीं पे अपना रंग जमा लो,
जाके वहीं पे मेहमानी खालो,
खाके मेहमानी भारत से मेरे
जाओ ना,जाओ ना,जाओ ना
कोरोना, कोरोना,कोरोना।।
गीतांजली वार्ष्णेय
कोरोना में
ये करो ना
वो करो ना

घर ही में रहो ना
इसकी सहमति
सहभागिता दो ना
घड़ी ये आयी
के जब वक्त को तरसे इंसा
तब
भले ही मजबूरी में
लेकिन
संवार लो रिश्तों को
निखार लो इन पलों को
कुछ एक्सपेरिमेंट भी कर लो
ख़ुशी को भी खुश होने दो
कुछ नयी रस्मों-क़स्मो
का ज़िक्र आने दो
ना टेंशन को जीने दो
हरियाली को लहलहाने दो
फिकर को सिराहना दो
इसका सामना समय से कराने दो
कुछ वादे , पहेली, ठिठोली
को भी खिलखिलाने दो
ईश्वर का धन्यवाद करो ना
किसी से मिलो ना
जूलो ना
ऑनलाइन पूरे समय रहो ना
वर्क फ्रॉम होम
शिद्दत से करो ना
सम्मान , इस पहल का करो ना
सुरक्षित , सुखी रहो ना
कोरोना को दुखी करो ना
डॉ.शिखा
विषय: कैरोना
विधा : कविता

तिथि : 21.3. 2020

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

कैसा है अजब यह दौर
सन्नाटा छाया है हर ओर
हर चेहृरे पर भय लिखा
हुआ सब आनंद लोप।

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

क्या है यह कार्मिक दोष!
लगा कैरोना पर आरोप,
दुष्कर्म जो बीजे थे-
कलयुग, अब सह कोप।

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

सूने आंगन,सूनी गलियां,
मां के सीने से लगने को-
रो रहीं हैं मासूम कलियां ;
मनु, अब तो सत्कर्म रोप।

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

फीकी फीकी सी है भोर
सिमटा सिमटा है हर शोर
हर निगाह में प्रश्न समाए
उत्तरों पर कैसे हो गौर?

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

उठो एकजुट हो जाते हैं
सुरक्षा नियम पालन कर
बुरी घड़ी को, भुनाते हैं-
छोड़ते हैं आरोप प्रत्यारोप।

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

हाथ नहीं छू सकते तो क्या-
मुस्कानों से ही दिल छू लो
गले नहीं लग सकते तो क्या-
हौसलों को ही बल दे दो।

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

डॉक्टर ढूंढें दवा की शक्ति
प्रार्थना में भी प्रबल भक्ति
दोनों के संगम से मिले गी
कैरोना वायरस की कोर।

वायरस प्रकोप
हर ओर, तनी कैरोना तोप।

-रीता ग्रोवर
-स्वरचित

21.3.2020
शनिवार


विषय - केरोना
विधा - मुक्तक

(1)
#कोरोना पर पाबंदी,जनता की रज़ामंदी है
जनता कर्फ़्यू से ,सलामत रहने की,अक़्लमंदी है
जग जान गया है अब तो वैज्ञानिकता भारत की
अभिवादन से मिलने तक,अब थोड़ी पाबंदी है।।

(2)
रखें हम दूर ख़ुद को,ख़ुद से भी ,ज़माने से
#कोरोना पर हो पाबंदी,किसी भी अब बहाने से
नहीं फैलेगा कोई रोग,ग़र हम सब सजग होंगे
नियम सारे सुरक्षा के,सफ़ल हैं , बस निभाने से ।।

स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
भावों को के मोती
विषय कोरोना

दि0 21/3/20
कोरोना पर हाइकु क्षणिकाएँ
~~~~~~~~~~~~~~
(1)
कोरोना भाई
छोड़ आवारागर्दी
भाग यहां से
(2)
ओ रे कोरोना
तू कहाँ से आयो रे
भाग जा वहीँ
(3)
चल कोरोना
मार आतंकियों को
कोई न बचे
~विजय कांत वर्मा
21/03/2020
21/3/20

दहशत का आलम बढ़ा जन जीवन घबराए।
कोरोना का आतंक मचा कउनो नही उपाय।

सावधानी बस मूल मंत्र मोदी रहै समझाय।
मन इंद्री संयमित राखि के बैठो घर कुंडी लगाए।

वक्त गुजर जो ये जाएगा क्रम टूटे भरमाये।
जीवन बहुत अनमोल है मुश्किल में मिल पाए।

देखि एकता जनता की पी एम भी खुश हो जाय।
संकट में जो साथ रहै ऐसी जनता को पाय।

जागरूकता की ये मशाल जन मानस को भाय।
महामारी से चला निपटने जन जन का समुदाय।

भागा दौड़ी के इस जीवन मे पल शांति के पाय।
प्रेम बढ़ा परिवार में कर्फ्यू का वक्त पाय।

स्वरचित
मीना तिवारी
🌹#विधा-#कविता
कोरोना वायरस हुआ अचानक से जब उत्पन्न।
इस संक्रामित रोग से सारा विश्व हुआ तब सन्न।

जन्मा ये चीन में किया संपूर्ण विश्व को गमगीन।
उपचार इसका नही कोई रोकथामअति कठिन।

छूना नही किसी को बंद करो तुम मेल- मिलाप।
नही तो ये संपूर्ण दुनिया करती फिरेगी विलाप।

भारतीय संस्कृति का कर रहे आज सब मान।
हाथ जोड़ करो अभिवादन तभी बचेगी जान।

🌹©-#सारिका_विजयवर्गीय "वीणा"
🌹#नागपुर ( महाराष्ट्र)
विषय- महामारी/कोरोना
विधा-मुक्तक

**
भयभीत दूनियाँ सारी,
फैली ऐसी ये महामारी,
मान जनता कर्फ्यू का सुझाव,
करें कोरोना दूर करने की तैयारी।
***
भीड़ हुई जीवन पर भारी,
बिगड़ रही है रंगीन क्यारी,
करो हाथ मिलाने से परहेज,
दूर से बाँटों खुशियाँ सारी।
***
कोरोना की दहशत है सारी,
उम्मीदें हमने नहीं हैं हारी,
होगा कोरोना का विनाश,
है साथ जब दूनियाँ सारी।
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
21/3/20
शनिवार

आज का विषय : " कोरोना / विषाणु / महामारी - जागरुकता "
विधा : स्वतंत्र

दिन : शनिवार
दिनांक : 21.03.2020

गीत

कोरोना से बचना है तो ,
करें धुलाई हाथ की !
रेखाएं हाथों की उजली ,
लगे दिखाई आपकी !!

हाथ दुआओं के उठते हैं ,
हमें भरोसा नाम का !
हुआ ज़रूरी नाता घर से ,
नाता घर से काम का !
जंग अभी तो शुरू हुई है ,
बची लड़ाई आपकी !!

योगा , प्राणायाम ज़रूरी ,
सेहत की परवाह हो !
खाने में प्रोटीन विटामिन ,
शाकाहारी चाह हो !
खुली हवाएं और खिला मन ,
करे भलाई आपकी !!

जीवन का हम करें संरक्षण ,
यह तो अपने हाथ है !
अगर सुरक्षा देश चाहता ,
देना सबको साथ है !
दूरी आज बनी मजबूरी ,
भली जुदाई आपकी !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
विषय - कोरोना/विषाणु/महामारी - जागरूकता

ये महामारी है कोरोना।
सबकी लाचारी कोरोना।
जिस धरा ने जन्म दिया।
उस पर भी भारी कोरोना।

विषाणु बड़ा यह भयंकर।
जो पड़ जाता इसके चक्कर।
करता बरबाद न उसे केवल।
पड़ते बिमार उससे मिलकर।

अब नगर देश की बात नहीं।
दुनिया इससे बरबाद हुई।
त्राहि-त्राहि अब जग बोले।
स्पेन, ईरान, अमेरिका भी।

दवा ना कोई उपचार है।
संयम रखना व्यवहार है।
स्वंय सुरक्षा ही मानक।
सफाई ही आधार है।

धोएं हाथ बीच-बीच में।
खांसी या फिर छींक में,
नाक मुंह पर रखें रुमाल।
मास्क भी हर वक्त पहनें।

भीड़ भाड़ से रहें दूर।
सफर तभी जब हों मजबूर।
बेकार घूमना उचित नहीं।
सेनेटाइजर रखना जरूर।


स्वरचित
बरनवाल मनोज 'अंजान'
धनबाद, झारखंड

✍🏻💞 मेरा दिल 💞✍🏻
मेरा दिल बड़ा साफ़ है जी।
यहां सब कुछ माफ़ है जी।1।

क्
योंकि इस सुन्दर दिल में।
सदा से बसते आप है जी।2।

कोरोना के डर से ही हमने।
लगा रखा ये नक़ाब है जी।3।

साफ़ दिल वाले सताए जाए।
इसी बात का सन्ताप है जी।4।

जो करता है पीठ पीछे बातें।
वही आस्तीन का साँप है जी।5।

दिल में बसता है मेरे दिलबर।
लफ्ज़ो में उसकी छाप है जी6।

किसी का बुरा सोचना भी ।
"ऐश"के दिल में पाप है जी।7।
©️ऐश...21/03/20(स्वरचित)✍🏻😷
अश्वनी कुमार चावला,अनूपगढ़,श्रीगंगानगर
👍बचाव ही इलाज़ है👍👌

आदरणीय जनों को नमन
🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
विषय क
ोरोना
दिनांक 21/03/2020
विधा। लघुकथा

भोलू ऑफिस के लिए लेट हो गया था। बस में बहुत भीड़ थी।बेचारा दौड़ता, हांफता बस की तरफ चल पड़ा।
जैसे ही बस में चढ़ने को हुआ भीड़ ने पीछे ढकेल दिया। भोलू को तरकीब सूझी मुंह में कपड़ा बांधकर चिल्लाने लगा हटो!हटो! मुझे कोरोना वायरस है।
सारी भीड़ दहशत में उतरकर भागी तो भागी बस चालक भी उतरकर भाग गया।
😷😂
तब कहीं भोलू को अपनी भूल का अहसास हुआ कि लोगों को कोरोना से डराना नहीं है सतर्क करना है।

स्वरचित
सीमा आचार्य(म.प्र.)
दिनांक २१,३,२०२०
दिन , शनिवार

विषय , कोरोना,विषाणु, महामारी, जागरूकता,

अभी जन जागरण के द्वारा ही,
कोरोना से लड़ पाना संभव है।
महामारी ये अत्यधिक है घातक,
मानव जाति के लिए संकट है।

हाथों को धोते रहना बार- बार,
सबका घर में रहना ही बेहतर है।
हुआ जनता कर्फ्यू का आवाह्नन ,
ये विषाणु से लड़ने का हथियार है।

कोरोना का ये वायरस पनप रहा ,
हमारे आपस के मेलजोल से है।
दस बारह घंटे से ज्यादा कभी,
वायरस जिंदा नहीं रह सकता है।

हमारी दिन रात की दूरी मिलकर,
चौबीस घंटे से अधिक बनती है।
हम मिलकर कर्फ्यू को अपनायें,
अवश्य विषाणु मुक्त हो सकते हैं।

हम हँस कर नहीं टालें बातों को,
मंडराते खतरे से बचाव करना है।
मानव सभ्यता संरक्षण हेतु हमें,
सभी नियमों का पालन करना है ।

स्वरचित , मधु शुक्ला .
विषय:- जनता कर्फ़्यू
विधा :- कुण्डलिया छंद

☘️
जनता कर्फ़्यू जब लगे , देना सब सहयोग ।
मोदी जी का हो सफल , विषाणु हनन प्रयोग ।
विषाणु हनन प्रयोग , मिले थोड़ी सी राहत।
रखिये सब परहेज़ , नहीं हो कोई आहत ।
करिये अब जयकार , काम दिखता है बनता ।
दुष्कर भी हो काम , सफल करती है जनता ।।
( २ )
☘️
मानो जनक समान ही , मोदी का आदेश ।
सोच समझ कर देश हित , धरा रूप
दरवेश ।।
धरा रूप दरवेश , भलाई सोची सबकी ।
जनता कर्फ़्यू ख़ास , जान लो आज्ञा रब की ।
चिंतित है सरकार , इसी आशय से जानो ।
हो पालित आदेश , जनक की आज्ञा मानो ।।
( ३ )
☘️
जनता कर्फ़्यू से दिखी , सावधान सरकार ।
प्रगति शील की सोच की , होती जय जयकार ।।
होती जय जयकार , करें क़ाबू कोरोना ।
बने जनक सम तुल्य , कहें बस और न रोना ।
सोचा है उपचार , नहीं हो इसकी घनता ।
लगे रोग पर थाम , लगाया कर्फ़्यू जनता ।।
☘️

स्वरचित :-
ऊषा सेठी कमाल
शनिवार/21मार्च/2020
विषय - कोरोना

विधा- स्वतंत्र
********************
दुनिया भर में खौफ़ है।
बड़ा ही नाज़ुक दौर है।।
ज़रा संभल कर रहिए सभी।
कोरोना मौत लिए खड़ी ।।

बड़ा भयानक रोग आया है।
जिसमें छुआ छुत का साया है ।।
कुछ हद तक संभल कर रहिए।
बाहर आना जाना बंद करिए ।।

इसलिए तो सरकार ने रोक लगाया है।
जीवाणु से बचने का उपाय बताया है ।।
किसी से हाथ न मिलाएं ....
हाथ जोड़ कर शिष्टाचार अपनाए ।।

कोरोना वाइरस को फैलने से बचाए।
साबुन से बार बार हाथ धोएं।
सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
गरम खाना, गरम पानी ये है बहुत जरूरी।।

शाकाहारी भोजन सेवन , भीड़ भाड़ से रहें दूर।
लौंग, इलायची , रोक - रोग दालचीनी,
अदरक ....सेहत दे भरपूर ।।
छींक आएं तो रखें मुँह पर रूमाल ....
घर में हो एक दूसरे का ख़्याल ।।

स्वरचित मौलिक रचना
सर्वाधिकार सुरक्षित
रत्ना वर्मा
धनबाद -झारखंड

विषय-कोरोना/विषाणु/महामारी/जागरूकता
दिनाँक-21/93/2020

विधा-दोहा

कोरोना को फूँक दें, करें तेज अभियान।
स्वच्छ रखें घरद्वार को,खुद का रखें ध्यान।।

छोटे एक विषाणु ने,विश्व दिया झकझोर।
निगल लिए जीवन कई,मची तबाही घोर।।

बनी महामारी बड़ी, घातक है दुर्धर्ष।
बाइस को घर पर रहें,एक यही निष्कर्ष।।

रक्तबीज सा बन गया,लिए काल का रूप।
कोरोना है मौत का, ठंडा अंधा कूप।।

जागरूकता का करें,जनता मध्य प्रसार।
होगी निश्चित रूप से,कोरोना की हार।।

स्वरचित-आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश

आज का विषय__ करोना ,वायरस, महामारी।

आओ करोना चाहे जितना भी गलत इरादों के साथ।
हम भी संकल्प लेते हैं तुझे हराएंगे
विश्व से भगाएंगे।
तूं खाएगी एक दिन अपने मुंह की।
तेरे ही खोदे गड्ढे में हम तुझको ही गिराएंगे
माना नहीं है तेरा उपचार कोई ।
नहीं कोई दवाई है।
पर हमने भी संयम रखने की आज कसम मिल खाई है।

अपने ही घरों में हम बन्द हो कर रहेंगे कुछ दिन।
सारे काम काज भी घर से ही हम सब करेंगे कुछ दिन ।
साफ सफाई पूर्ण रूप से फिर करने
लग जाएंगे।
आज कसम खाते सब मिल कर तुझको दूर भगाएंगे।
तेरे ही खोदे गड्ढे में तुझको ही गिराएंगे।
साफ सफाई अपनाएंगे सबसे दूरी बनाएंगे।
हाथों को धोएंगे हम सब सवाक्षता को अपनाएंगे।
योग करेंगे मिल कर हम सब
प्राकृतिक वस्तु अपनाएंगे ।
गिलोय आंवला तुलसी हल्दी से
अपनी इम्यूनिटी शक्ति को बढ़ाएंगे।

आज कसम खाते सब मिल कर करोना को मिटाएंगे।
घर में पूजा पाठ करेंगे हवन धूप
मंत्रोच्चार करेंगे ।
सदभावना जगा के अपनी इस जग का कल्याण करेंगे।
जात पांत सब ईर्ष्या रंजिश दिल से मिटा के वैर भाव को ।
इस संकट की घड़ी में हम सब
एक दूजे के साथ खड़े हो।
सहयोग का भाव जगाएंगे।
करोना को जड़ से खत्म करेंगे
जड़ से मिटा भगाएंगे।

खुद के खोदे ही गड्ढे में करोना को हम गिराएंगे।

बच्चे और बुजुर्गों को घर से बाहर ना जाने देंगे।
जनता कर्फ्यू लगा लगा कर इस संकट की घड़ी में सबको करोना से बचाएंगे।

अपने संस्कार सभ्यता अपना कर दहशत होने ना देंगे
अाई घड़ी मुसीबत की लेकिन हम ना घबराएंगे।
करोना मार भगाएंगे।
मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
नमन मंच भावों के मोती
विषय - कोरोना

दिनांक - 21 - 03 - 2020
**********************

कोरोना एक महामारी |
बचने की भी हो तैयारी ||

हाथ रहे साबुन से ......धोते ,
नहीं रहेंगे हम-तुम ......रोते ,
अब भी जाग नहीं पाए हम -
रह जायेंगे हम-तुम ....सोते ,

सीखें हम सब बारी-बारी |
बचने की भी हो तैयारी ||

आस-पास में साफ - सफाई ,
करना मिलकर लोग - लुगाई ,
व्यर्थ नहीं बातों में ......आना -
होंगी कुछ भी सुनी - सुनाई ,

रहे स्वस्थ ये दुनिया सारी |
बचने की भी हो तैयारी ||

कहीं न झूठी ...शान दिखाए ,
व्यर्थ कहीं ना.....आए -जाए ,
समझ-समझ कर बातें सारी -
औरों की भी ....जान बचाए ,

करना भोजन शाकाहारी |
बचने की भी हो तैयारी ||

एल एन कोष्टी
स्वरचित एवं मौलिक
विषय:-कोरोना
दि०21-3-2020

विधा:- कविता
जनता कर्फ्यू का,
अनुपालन करिये |
कोरोना से तनिक,
न डरिये|
घर में रहिये|
बाहर न निकलिए|
स्वच्छ रहिये |
हाथों को धोते रहिये|
मुंह पर मास्क ,
लगाए रहिये|
हाथ किसी से न मिलाएं|
हाथ जोड़ नमस्ते करिये|
न भीड़ में जाइए|
न भीड़ होने दीजिए|
सुखी रहिये, स्वस्थ रहिये|
घर में रहिये|
22 मार्च को घर में
रहना है
बाहर नहीं जाना |
कोरोना वायरस की
रोक थाम करना है
जनता कर्फ्यू अभियान को,
सफल बनाइए|
कोरोना को दूर भगाइए|
मैं प्रमाणित करता हूं
यह मेरी मौलिक रचना है|
विजय श्रीवास्तव
मालवीय रोड
गांधी नगर
बस्ती

विषय:कोरोना
दिनांक 21/03/2020

विधा: छंद-मुक्त

कोरोना कोरोना का आतंक समाया
सभी तरफ भ्रामक भय फैलाया ।
हम सब रहे सचेत करे सफाई अभियान
आसपास की सतह को करे सुरक्षित
वाहन मोबाइल कम्पयूटर को करो सेनटाइज़
वाहनो को भी करो साफ निकलो कम घर से।
कोरोना..
सब मिल लडेंगे इस विषाणु से हर पल
दुरी रखना दोस्तो और मित्रों से
सादा खानपान इन दिनों विषेश
योगाभ्यास कर खुद को करो सशक्त ।
कोरोना ..
बच्चों संग घर बैठ खेलो पुराने खेलो को
लूडो ताश कैरम से मन बहला लो
सरकार के अभियानों पे गौर करो सब
जन्ता कर्फ़्यू को सब मिलकर सफल बनाओ।
कोरोना ...
लौंग कपूर का हवन करो सब
नीम आम की लकडी संग
अपने पुराने शास्त्रो मे छुपे
कोरोना के बचने के उपाय ।
कोरोना ...
भजन कीर्तन घर मे कर करतल संग
कोरोना वायरस को मार भगाओ।
पूरे विश्व मे हाहाकार मचा है
करो प्रार्थना सब के स्वस्थ जीवन का।
कोरोना ...
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव

 फैला कोरोना
तोड़ो जीवन चक्र
जनता कर्फ़्यू।।


स्वच्छता मुख्य
बचाव ही प्रमुख
भ्रम न पालें।।

भीड़ से दूर
रोगी रखे एकांत
लगाएं मास्क।।

नमाज पूजा
अपने घर करें
समाज सेवा।।

कोरोना रुके
अपनाएं निर्देश
ये राष्ट्र धर्म।।।

भावुक
दिनांक-21/3/2020
विषय- कोरोना/ विषाणु/ महामारी

कोरोना वायरस को कौन नही जानता !
संक्रमण से फैलता इंसान क्यों नही मानता !
वैश्विक महामारी इसको घोषित कर दिया ,
जन जीवन को अस्त - व्यस्त कर दिया ।
कितनी ज़िंदगी मौत की नींद सो गई ,
पीड़ित लोगों की भी शांति छिन गई ।
प्रशासन व्यवस्था के हाथ पाँव फ़ूल गए,
सुरक्षा ख़ातिर लोग घरों में क़ैद हो गए ।
जीव विज्ञान ख़ुद को ठगा सा मान रहा ,
अपने अपने स्तर पर मगर प्रयास कर रहा ।
कोरोना वायरस लाइलाज बना हुआ ,
रूस,अमेरिका,जापान तक सहमा हुआ ।
देश मेरा भी इस कोरोना से जूझ रहा ,
राष्ट्रीय स्तर पर बचाव अभियान चल रहा ।
मंत्री से संतरी तक निज कार्य कर रहा ,
जनता कर्फ़्यू का विनम्र आग्रह कर रहा ।
बिन मतलब के बाहर बिल्कुल नही निकलना ,
धैर्य संयम से ज़रा सा भी नही फिसलना।
इलाज से परहेज़ अच्छा यह उक्ति अपनाओ ,
एक दूजे के क़रीब तुम क़तई ना जाओ ।
साफ़ सफ़ाई पर तुम विशेष ध्यान देना ,
भूल से भी कोई ख़तरा मोल ना लेना ।
दहशत से ख़ुद को रखना कोसों दूर ,
असुविधा होगी पर तुम मत होना मजबूर ।
मिलजुल कर इस महामारी को भगाएँगे ,
फिर से अपना जीवन ख़ुशहाल बनाएँगे ।

संतोष कुमारी ‘ संप्रीति ‘
भावों के मोती
आज का विषय- कोरोना/विषाणु/ महामारी- जागरूकता

चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस आज वैश्विक पटल पर गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने खड़ा है। कोरोना वायरस ने कुछ ही दिनों में लगभग पूरी दुनिया में अपना पैर पसार लिया है इसका अभी तक कोई सटीक उपचार नहीं खोजा जा सका है। इन दिनों इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है।भारत में भी कोरोना का कहार साफ दिखाई दे रहा है। हमारे देश में अब तक 100 से भी अधिक लोग इसके संक्रमण के चलते काल के गर्त में समा गए हैं। हालांकि सरकार की सतर्कता के चलते अन्य देशों की तुलना में भारत में इसके संक्रमण के मामले कम सामने आए हैं। भारत में अभी इस संक्रमण की दूसरी स्टेज है। और सरकार इसे इसी स्टेज में रोकने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध है। कोरोना के संक्रमण पर पाबंदी लगाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश की जनता से रविवार 22 मार्च को सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक पूरे देश में जनता कर्फ्यू की अपील की है। जनता कर्फ्यू लागू करने का मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ना है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कोरोना वायरस सतह से फैलता है। इसे जीवित रहने के लिए इंसानी शरीर की आवश्यकता होती है।यदि कोरोना वायरस को 14- 15 घंटे तक इंसानी शरीर नहीं मिले तो यह हमारे वातावरण से या तो खत्म हो जाएंगे या बहुत कम हो जाएंगे। अतः कोरोना वायरस के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए हम सभी को 22 मार्च 2020 को सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक जनता कर्फ्यू के दौरान अपने घर पर रहकर एक जिम्मेदार नागरिक के कर्तव्यों का निर्वहन करना है। साथी- साथ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कुछ उपायों पर भी ध्यान देना है।जैसे कि बेवजह भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।यात्रा से बचें। इन दिनों विदेश यात्रा तो बिल्कुल न करें।क्योंकि अधिकतर देशों में यह वायरस फैला हुआ है। खांसते- छींकते वक्त मुंह पर कपड़ा जरूर लगाएं। खासंने- छींकने वालों से 1 मीटर दूर रहकर बात करें। विदेश से आने वाले लोगों से दूरी बनाए रखें। ऐसे व्यक्ति 14 दिनों तक घर में ही रहे तो ज्यादा बेहतर होगा। बाहरी लोगों को घर में आने से मना करें। अनावश्यक रूप से अतिथियों को आमंत्रित न करें।साफ- सफाई का विशेष रूप से ध्यान दें।बुजुर्गों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है। घर में बुजुर्ग हैं तो उनसे बाहर आने- जाने को मना करें।रुपए या पैसे छूने के बाद हाथ अवश्य धोएं। यदि मुमकीन हो तो इन दिनों डिजिटल पेमेंट ही करें।बार- बार अपना चेहरा नाक- कान-आंख न छुएं। अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। अभिवादन करते समय हाथ बिल्कुल न मिलाएं। बाहर जाने पर जहां साबुन पानी की व्यवस्था न हो वहां सैनिटाइजर का प्रयोग करें। खांसी बुखार या सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। उपरोक्त बातों को अमल में लाकर हम कोरोना के संक्रमण पर रोक लगा सकते हैं। बस जरूरत है एक सकारात्मक पहल की। जनता कर्फ्यू को सफल बनाने की भारत को करोना मुक्त बनाने की।

जनता कर्फ्यू सफल बनाएं
भारत को कोरोना मुक्त बनाएं।

स्वरचित- सुनील कुमार
जिला- बहराइच, उत्तर प्रदेश।

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"अंदाज"05मई2020

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