Wednesday, September 25

"कलाकार" 25 सितम्बर 2019

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नहीं करें 
ब्लॉग संख्या :-516
विषय कलाकार
विधा काव्य

25 सितम्बर 2019,बुधवार

प्रिय उपहार परमपिता का
कलाकारिता उसे ही मिलती।
अदम्य साहस बुद्धि बल से
कलाकारों में होती है गिनती।

दृढ़ संकल्प अतिशय साहस
वह लक्ष्य को कभी न भूलता।
चरेवेत्ति दिनकर सा चलता है
पंक पंकज जगति में खिलता।

कलाकार जीवन एकांकी
चिंतन मनन सदा वे करते।
परोपकार के लिये वे जीते।
परोपकार के लिये वे मरते।

सूक्षमादिसूक्ष्म दृष्टि से
चंद्र धरा चंद्रयान भेजते ।
राम कृष्ण चरित कल्पना
भक्ति महाकाव्य लिखते ।

रंग तूलिका लेकर चित्रकार
हू बहू चित्र बनाते जग में।
अद्भुत आनन्दित करते मन
खूबसूरती लाते वे रंग में।

सर्वगुण सम्पन्न कलाकार हैं
जो आलौकित करे ज्ञान से।
जगति के कल्याणक वे हैं
चमत्कार लाते हैं विज्ञान से।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

प्रथम प्रस्तुति

कलम ही सहेली कलम ही सहारा
हो सुख या दुख कलम को पुकारा ।।

कलाकार का जीवन भी क्या है
सब कुछ कला पर हो बलिहारा ।।

ऐसे ही न यह आऐं कलायें
यूँ ही न चमके भाग्य सितारा ।।

बेशक बीज ही कहलायें ये
पर पोषित करना होता यारा ।।

कितना त्याग औ कितना समर्पण
पूछो ये कलाकार से सारा ।।

गायकी स्वाद त्यागे कलमकार-
नींद त्यागे सबका लेखा न्यारा ।।

त्याग और तपस्या से ही सदा
कलाओं को यहाँ गया निखारा ।।

कलाकार का सम्मान हर एक
कला का सम्मान 'शिवम' विचारा ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 25/09/2019

25/ 9 /2019
बिषय,, कलाकार,,

अद्वितीय अद्भभुत होते कलाकार
अपनी कला को देते हैं साकार
बिभिन्न क्षेत्रों में होते माहिर
कौशलता से हो जाते जग जाहिर
मिट्टी को देते देवी देवताओं का स्वरुप
मानो साक्षात दर्शन कल्पना अनुरूप
किसी में खेल का कोई नटनागर
किसी के कंठ में सरस्वती घोल देतीं सातों स्वर
कला अनोखी ईश्वरीय सौगात है
वरना किसी में न इतनी बिसात है
कला की दक्षता जग में जाने जाते
लोगों के दिलों में रातों रात छा जाते
कला के लिए सदा सर्वदा समर्पण
कला में ही इनका सब अर्पण
तभी तो शदी के महनायक माने जाते
दादा फाल्के पुरस्कार हैं पाते
स्वरचित,, सुषमा, ब्यौहार

दिनांक-25/09/2019
विषय-कलाकार


वायु ,मेघ ,वर्षा क्या है

ना मेरा रूप ना मेरा रंग

ना ही कोई आकार हूँ

फिर भी मैं कलाकार हूँ......

ना आदि हूं ,ना अंत हूँ

मैं हाथों का चमत्कार हूं

मैं कलाकार हूं...........।

समर्पित लक्ष्यों के संघर्षो का

मैं मिटाता अंधकार हूं.........।

जब बढ़ता धरित्री पर अत्याचार

हर युगो में अवतरण होता मेरा

कला प्रदर्शन करता हूं शानदार

मैं व्योम का विस्तार हूं

मैं एक अद्भुत कलाकार हूं...

मैं अपनी कला का

वास्तविक हकदार हूं

बुद्धि के शीतोष्ण आंगन में

अभिव्यक्ति शून्यता,

कुरूपता का

मैं मुस्कान हूं ............

अपने दम पर पाए जो मुकाम

उन हाथों का मैं बहार हूं

मैं एक कलाकार.........

मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज

जो शब्दों से आकार गढे,
वो कलमकार कहलाता है।
जो रंगों से संगार गढे,

वो कलाकार कहलाता है।
**
उत्कृष्ट वही है कलाकार,
जिसकी रचना मे जीवन है।
जो शब्द गढें मानवता पर,
सर्वोत्तम उसका जीवन है॥
**
जीवन मे कोई पूर्ण नही,
हो कलमकार या कलाकार।
सर्घष भरा ये जीवन है,
हा शेर भी है इक कलमकार ॥

स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
25/09/2019
विषय-कलाकार...

**********************
तू है अद्भुत कलाकार,
तुझसे ही सारा संसार,
जीवन और मृत्यु पर ,
है केवल तेरा अधिकार!
तू शून्य है या विस्तृत है ?
या क्या है तेरा आकार !
तू अद्भुत कलाकार......
जीवन मे भरता उजियार,
मिटाकर सारा अंधकार!
तू है अद्भुत कलाकार....
तू जगत का सार है ,
और तू ही सबका आधार!
तू है अद्भुत कलाकार.......

स्वरचित-राजेन्द्र मेश्राम "नील"

25/9/2019
विषय-कलाकार
🌷🌻🌷🌻🌷

वो एक अद्भुत अनदेखा कलाकार है
उसकी शक्ति और महिमा अपरंपार है
उसने माटी से एक रूप बनाया
विभिन्न जीवों को साकार बनाया
सबसे अनमोल मानव तन बनाया
मन बुद्धि रिश्तों,नातों का संसार दिलाया
उसका न आदि न अंत कोई
वह तो करता चमत्कार है
वो एक अद्भुत अनदेखा
एक कलाकार है..

षडऋतुओं से उसने जग को सजाया
सूरज चाँद सितारों से नभ चमकाया
जल थल नभ सर्वत्र व्याप्त है वो
रूप रंग आकार से रहित है वो
भाव समर्पण से वो मिलता है
वही मिटाता अज्ञान का अंधकार है
वो सर्वव्यापी ईश्वर है
वो अदभुत अनदेखा कलाकार है ।।

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित®


शीर्षक़ - कलाकार
विद्या - छंद मुक्त

दिन - बुधवार

कलाकार ( काष्ठकार )

महापुरुषों के जीवन से उद्देलित
हो मूर्तियाँ है गढ़ता ,
कल्पना सिंचित कर कमलों से
मूर्तमय वह करता l

कभी आकर्षक फल-फूलों को
नया रूप हैँ देता ,
काष्ठ कला के नित नये नमूने
प्रेम प्रमुदित संवारता l

काळजयी युगम कृति बनाकर
अमूर्त पथ पर वह चलता,
आनंद कमल दिलों में खिला-
कर जगती का मन हरता l

ऐसा हमारा काष्ठकार दिन-
रैन हैँ मेहनत करता ,
सभ्यता-संस्कृति की झाकियों
का सिलसिला अनवरत चलता l

नयी पीढ़ियों को अजर संदेशित
कर, उपकार बड़ा है करता l

डॉ पूनम सिंह
मौलिक
लख़नऊ

25/09/19
विषय-कलाकार (अदीब)


तिश्नगी में डूबे रहे राहत को बेक़रार हैं
उजड़े घरौंदें जिनके वे ही तो परेशान हैं ।

रात के क़ाफ़िले चले कौल करके कल का
आफ़ताब छुपा बादलों में क्यों पशेमान है ।

बसा लेना एक संसार नया, परिंदों जैसे
थम गया बेमुरव्वत अब कब से तूफ़ान है ।

आगोश में नींद के भी जागते रहें कब तक
क्या सोच सोच के आखिर "अदीब "हैरान है ।

शजर पर चाँदनी पसरी थक हार कर
आसमां पर माहताब क्यों गुमनाम है ।

स्वरचित

कुसुम कोठारी।

पशेमान - लज्जित, शर्मिन्दा।
बेमुरव्वत - सहानुभूतिहीन या अवसरवादी।
अदीब - रचनाकार, कलाकार या साहित्य कार

विषय- कलाकार
दिनांक 25 -9-2019
कोई अंत नहीं जिसका, प्रभु वो उस ओर है।
उसकी माया का,कभी नहीं कोई छोर है।।

बन कलाकार, सृजन धरा कर रहा है ।
अपनी बनाई आकृतियों में, रंग भर रहा है।

सर्वव्यापी अनदेखा, वह अद्भुत कलाकार है।
उसी के हाथों में, सबकी जीवन डोर है ।।

मुसीबत में धैर्य रखना,राह बताना उस ओर है।
कलाकार बन नाच नचाता, हाथ जीवन डोर है।।

भटके को राह दिखाने, बनता कलाकार है।
डोर खींच उसकी, लाता वह सही राह है।।

वाह प्रभु, तेरी माया का नहीं अपरंपार है।
तेरी लीला जो समझे, वह बड़ा कलाकार है।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली

दिनांक............25/09/2019
विषय ............कलाकार

विधा..............कविता
############################'##
::::::::::::::::कलाकार::::::::::::::::::
कलाकार कला के उस,
बगिया का सृजन होता है।
जहाँ पर कला के पुष्प,
का पल्लवन होता है।

नित दिन-रात सखा सखियों के साथ।
बने कौशल कुशल लेकर अपने हाथ।

अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर,
अपनी प्रतिभा को उत्सर्जित कर,

एक नई आयाम को हासिल करने,
आसमान से भी ऊँची उड़ान भरने,

अपनी मन मंजिल को तलाश करने,
अपनी कला में जोश-उमंग को भरने,

कलाकार अपने कर्तव्य पथ पर
दृढ संकल्प रहता है।
इसलिए वह कला का नित,
नव सृजन करता है।

कलाकार कला की उपासना है।
त्याग व परिश्रम की साधना है।

कलाकार देता है संदेश........
सभ्यता संस्कृति सतकर्म संस्कार
सदगुण सदज्ञान सत्कार सदव्यवहार

कलाकार मूरत है.........
किसी की प्रेरणा का, किसी परिचायक का।
किसी की कल्पना का,किसी कृतिसाधक का।

ईश की इस अनुपम विधा का,
हर युग में हो अभिनंदन
हे कला के साधक आपको,
"श्रीवास'' का शत शत नमन।

(स्वलिखित)
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.

25/09/2019
"कलाकार"

छंदमुक्त
-----------------------------------
ब्रह्मांड की संरचना
जीवन की सृष्टि.....
ग्रह, नक्षत्र ,चाँद व तारे
सौर परिवार का सामंजस्य
अद्भुत है यह कलाकारी
कौन है इसका कलाकार ।

मानव देह है आश्चर्य समेटे
नौ छिद्रों की यह रचना
क्षिति,जल,पावक...
और गगन,समीरा...
पंचत्वों की है संरचना
अनुपम है इसकी कलाकारी
कौन है ये कलाकार....।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।

25/09/2019
"कलाकार"


अरी ओ बयां चिड़िया रानी
तेरी कलाकारी की न है सानी
तिनका-तिनका बटोर लाती
घोंसला तू बड़ी सुंदर बनाती
सीखा कहाँ से ये कलाकारी।

अरी ओ बयां चिड़ियाँ रानी
धागे की तरह तिनके बुनती
क्या मशीन छुपाये रखती
कब और कैसे ये काम करती
मुझे भी सीखा ये कलाकारी।

अरी ओ बयां चिड़िया रानी
तेरी कलाकारी के आगे ...
सबने हार है मानी...।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।।


25/09/19
कलाकार

***

दीवारों पर रंग बिरंगी पेंसिल
से आड़ी तिरछी रेखाओं का जाल
नन्हें हाथों का कमाल
कितने मासूम है ये कलाकार।

कोरे श्वेत कागज पर
मन के भाव को उकार
आम में रंग भर देते लाल
रंगों से अनजान ये कलाकार ।

रंगीन पेंसिल से रच
लेते एक अनोखा संसार
कल्पनाओं से बनाते नदिया पहाड़
इनसे बड़ा कौन है कलाकार ।

नन्हें हाथों मे पेंसिल
से कलम लेने लगा आकार
अब 'की बोर्ड 'के बटन अपार
भीड़ मे खो कर रह गए ये कलाकार ।

रंगों का अर्थ अब जानो
हरा है प्रगति ,पीला आशा का संचार
नीला है विश्वास ,लाल रंग है प्यार
जीवन कैनवास के स्वयं बनो कलाकार ।

स्वरचित
अनिता सुधीर

दिनांक-२५/९/२०१९
शीर्षक-"कलाकार"


कला के है हम पूजारी
कलाकार कहलाते है
गम में भी मुस्करा कर
हजारों गम हम छुपाते है।

सबके खुशी में खुश होकर
कला हम दिखाते हैं
कला को जो आकार दे
कलाकार कहलाते है।

सृष्टि रचयिता है कलाकार बड़ा
जिनके छत्रछाया में हम रहते हैं
कृतघ्न है वो मानव जो,
उनको भूल जाते हैं।

नारी है महान कलाकार
सृष्टि की सर्वोत्तम उपहार
हर कला में होकर निपुण,
बदल देती घर की तकदीर।

स्वरचित आरती श्रीवास्तव।

विषय :-कलाकार
विधा:-मुक्तक

🌷💝🌷💝🌷💝🌷💝

1)))

ये कौन है तिलस्मी जादू दिखा रहा है
कौन हवाओं में खुशबू सा घोल रहा है
कोई कलाकार लगता है पुराना शायद
अपनी पहचान आँखों से दिखा रहा। है

2))

कलाकारी कलाकार की रास आ गई
मीलों की दूरियाँ अब पास आ गई
लगता है कोई जादूगर है वो बड़ा
परियों की कहानी फिर याद आ गई।

3)))

कलाकार को खुद उपहार में क्या दे सकेंगे हम
काव्य के विधान में कुछ भाव बुनेंगे हम ।
आओ कलम को धार दें कि कह उठे कलम।
शब्दों के मोतियों के हार अब बना देंगे हम ।

स्वरचित
नीलम शर्मा#नीलू
आज का विषय, कलाकार
बुधवार

2 5,9,2019.

बेहिसाब हताश हो रहा आजकल कलाकार है,

कौन है कला का कद्र दान और कौन कला पे निसार है ।

पैतृक कला में खोये आजकल जो भी कलाकार हैं,

मोहताज पाई पाई को मन में फिर भी उत्साह है ।

चित्रकार आज बेकरार है उचित रंगों का अभाव है ,
भावों की अभिव्यक्ति में बहुत पड़ रहा दबाव है ,

कला के पुजारियों को आज बड़ा ही मलाल है ।

पूजते है गुलामों को रहा नहीं हुनर का खयाल है ,

समझता है जो भाव को वो सच्चा कलाकार है ।

कलाकार धन के अभाव में हो रहा कला से बेजार है ,

फर्ज है हमारा आज ये रखें हम कलाकार का खयाल हैं ।

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश 

विषय- कलाकार
दिनांक 25 -9-20
लाकार
जीवन इस धरा पर जिसने भी पाया
सबने भांति भांति रूप
में अपना किरदार निभाया।
हम सब कलाकार है
इस धरा पर, प्रभु के
भेजे हुये,
अपनी अपनी कला के
प्रदर्शन में लगे हुये।
पर डोर फिर भी उसके हाथ है,कुछ अपने मन की
कर लें, ये नहीं बस की बात है।
मैं भी एक अदना सी कलाकार हूँ
घर को हर पल सजा रही हूँ
काम जो भी मिले मुझे
शिद्दत से किये जा रही हूँ

परिणाम जो भी हो
देखा जायेगा
प्रतिदिन परीक्षाएं दिये जा रही हूँ।
✍️स्वरचित

कल्पना..,

दिनांक 25/09/2019
विषय:कलाकार

बिधा: छंद मुक्त कविता

ईश्वर की महिमा न समझू मै मूरख अज्ञान।
हर जीवन के हर पल का रखता पूरा हिसाब ।
वही है अन्नपूर्णा, फलदाता ,हम सबका रचनाकार
पूरे ब्राह्मण के रंग मंच में ,हम सब उसके कलाकार ।
किसी को कंठ सुरीला दे व भाषा लय व ताल
लता,आशा ,सुनिधि, किशोर जैसे हुए कई कलाकार ।
ईश्वर की महिमा .......
माँ की कलाकारी क्या लिखूं, निपुण सभी कलाओ मे
घर का रखरखाव हो या हो पाक कला है दक्ष कलाकार ।
हम सब के घर से जातेही,निपटा नित के काम
कभी चित्रकारी करती, लिखती सारा हिसाब रोज़ का
कभी जोडती खुद को ईश्वर से ,दिखे उसमे नित नया कलाकार।
ईश्वर की महिमा ......

स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश

दिनाँक - २५/०९/२०१९
विषय - "कलाकार"

विधा - कविता

" कलाकार "

अपने मन के भावों को कागज़ पर उकेरा करते हैं ,
कलाकार अपने आस पास खुशियां बिखेरा करते हैं ।

कभी इंद्रधनुष से रंग चुराते कल्पना की कूची चलाते ,
ज़िंदगी के कैनवास पर चित्र बना ये चित्रकार कहलाते ।

कभी मन की पीड़ा और खुशी सात स्वरों में सजाते हैं ,
कानों में मिश्री घुल जाए सुनकर ऐसे गायक बन जाते हैं ।

कभी विवशता कभी सहजता पैरों में जब घुँघरु बाँधा करती है ,
तब नर्तकी भरी सभा में सबके सामने जाकर नाचा करती है ।

जीवन के इस रंगमंच पर हम जो किरदार निभाया करते हैं ,
सब कलाकार ही तो हैं हम सब अपनी कला दिखाया करते हैं ।।

स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
©®आरती अक्षय गोस्वामी
देवास
मध्यप्रदेश
बिषय- कलाकार
कोई कलम का जादू दिखाए

कोई पत्थर से मूरत बनाए
कोई सरगम के साज सजाए
हर कोई है कलाकार
हर कोई अपना हूनर आजमाए।
नहीं कोई किसी से कमतर
बस मिले उन्हें एक अवसर
दुनिया को बदल के दिखाए।
करो कदर हर एक की
बढाओ हौसला आगे बढ़कर।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर


विषय:- कलाकर
विधा :- छंद मुक्त

भिन्न कला का है जो अंगीकार, है वो कलाकार।
कलम से करता है जो समाज सुधार, है वो कलाकर।
भिन्न रंगों से देता है जो नया आकार,है वो कलाकर।
रंगमंच से करता है जो सरोकार, है वो कलाकार।
ह्रदय में जिसके है परोपकार, है वो कलाकर।
प्रतिभा से करता अपने सपने साकार, है वो कलाकार।
संगीत है जिसके जीवन का आधार, है वो कलाकर।
कला धर्म है जिसके दिल की पुकार ,है वो कलाकार।
विपत्तियों में करता है जो चमत्कार , है वो कलाकर।
मुसाफिर
स्वरचित:- सोमेश सिन्हा
छत्तीसगढ़

25/09/19
विषय कलाकार

विधा छन्द मुक्त काव्य

कला क्या है
कलाकार क्या है
उत्तर छिपा है, जगत की रचना में
जगत क्या है?
प्रश्न बड़ा है
उत्तर सरल है
किंतु थोड़ा विचित्र है
जगत एक कलाकृति है
जिसका कलाकार ईश्वर है
जगत एक रंगमंच है
जगत का हर जीव एक कला है
किंतु हर जीव भी एक कलाकार है
जीवन ही कला है
कला ही जीवन है
हम सब तो एक माध्यम है
कलाकार की कूची के
विश्व कैनवास पर
कलाकार ईश्वर की अनुपम कृति सृष्टि है।

मनीष श्रीवास्तव
स्वरचित

विषय--कलाकार
दिनांक--25/9/2019


कलाकार सा कुछ है तो सही मेरे अंदर
मैं भी रंगमंच के कलाकार सी हूँ
निभाती हूँ रोज ही नए नए किरदार
मैं औरत हूँ,
मैं संसार के अबूझ अनगढ़ नारीत्व के सार सी हूँ।।

बन जाती हूँ कभी बहन,कभी प्रेयसी पुरुष की
कभी देती हूँ नए नए आयाम हर रिश्ते में
मैं औरत हूँ,
रोज ही गढ़ते नए नए रिश्ते के प्यार सी हूँ।।
मैं भी रंगमंच के इक़ कलाकार सी हूँ...

मिल जाती हूँ मैं तुमको कभी माँ के रूप में
कभी त्यागमय, कभी ममतामयी स्वरूप में
मैं औरत हूँ,
मैं लाड़-मनुहार से जुड़े रेशम के हर तार सी हूं।।
मैं भी रंगमंच के कलाकार सी हूँ..

बेटी हूँ,सोन चिरैया हूँ बाबुल तेरे आंगन की
रहूँगी जब तक महकाउंगी तुलसी तेरे द्वार की
मैं औरत हूँ,
मैं बंध जाऊँगी उस रिश्ते में खुशी से,जिसमे बाँधनहार सी हूँ।।
हाँ मैं ही संसार के रंगमंच की इक़ कलाकार सी हूँ Arpan@

स्वरचित
अर्पणा अग्रवाल

25/09/2019
शीर्षक - कलाकार


दुनिया एक रंगमंच
हर कोई कलाकार,
पूर्व निर्धारित
कुछ नहीं,
दृश्य संवारती
प्रकृति मही,
दिल के जज़्बात
संवादों का सार,
परिस्थितियाँ रचतीं
कलाकार का चरित्र,
जब तक सांसें
तब तक अभिनय,
हर ओर
नियति का जोर,
उच्च कर्म
मचाते शोर,
सभी यहाँ
कठपुतलियां,
सिर्फ एक रचनाकार
उसी के हाथों में
सबकी डोर ।

-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित


"अंदाज"05मई2020

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नही करें   ब्लॉग संख्या :-727 Hari S...