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ब्लॉग संख्या :-496
दिनांक .. 5/9/2019
विषय ... शिक्षक
******************
निःशब्द हूँ शिक्षक मेरे , मैं गुणगान कैसे करू।
ना वो शब्द है ना वो योग्यता, मै बखान कैसे करू।
**
मै जो भी हूँ जैसा भी हूँ, शिक्षा है गुरू मेरे आप की।
मेरे ज्ञान और विज्ञान का, दर्शन है गुरू मेरे आप की।
**
शिक्षा के हर इक सूक्ष्म का, विस्तार गुरू मेरे आप हो।
कविता मै जो भी लिख रहा, आधार गुरू मेरे आप हो।
**
जैसा सिखाया आप ने, वैसा हूँ आपके सामने।
जग श्रेष्ठ हो आप सूर्य हो, मै धूल आपके सामने।
**
शब्दों मे विप्लव भर दिया, मंम द्वेष का तर्पण किया।
ऐसा जगाया जोश की , नव शेर का उदभव किया।
**
यह दिवस है सम्मान का, गुरू ज्ञान के आभार का।
यह शेर की रचना भी है, मेरे गुरू के आभार का।
**
शेर सिंह सर्राफ
विषय ... शिक्षक
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निःशब्द हूँ शिक्षक मेरे , मैं गुणगान कैसे करू।
ना वो शब्द है ना वो योग्यता, मै बखान कैसे करू।
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मै जो भी हूँ जैसा भी हूँ, शिक्षा है गुरू मेरे आप की।
मेरे ज्ञान और विज्ञान का, दर्शन है गुरू मेरे आप की।
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शिक्षा के हर इक सूक्ष्म का, विस्तार गुरू मेरे आप हो।
कविता मै जो भी लिख रहा, आधार गुरू मेरे आप हो।
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जैसा सिखाया आप ने, वैसा हूँ आपके सामने।
जग श्रेष्ठ हो आप सूर्य हो, मै धूल आपके सामने।
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शब्दों मे विप्लव भर दिया, मंम द्वेष का तर्पण किया।
ऐसा जगाया जोश की , नव शेर का उदभव किया।
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यह दिवस है सम्मान का, गुरू ज्ञान के आभार का।
यह शेर की रचना भी है, मेरे गुरू के आभार का।
**
शेर सिंह सर्राफ
कुछ शब्द शेर के...
****************
इस रूग्ण जीवन का मेरे विस्तार है।
हर शक्स ही मेरा यहाँ उस्ताद है॥
****
जो कागजो पे ना लिखा वो बात है।
अब जिन्दगी से जंग ही किताब है॥
****
समझो अगर तो दर्द ना तो वाह है।
शिक्षा बिना इन्सान क्या इन्सान है॥
****
पूजो चरण गुरू वन्दना सम्मान है।
शिक्षा मिले हर शक्स को तो बात है॥
**
शेर सिंह सर्राफ
****************
इस रूग्ण जीवन का मेरे विस्तार है।
हर शक्स ही मेरा यहाँ उस्ताद है॥
****
जो कागजो पे ना लिखा वो बात है।
अब जिन्दगी से जंग ही किताब है॥
****
समझो अगर तो दर्द ना तो वाह है।
शिक्षा बिना इन्सान क्या इन्सान है॥
****
पूजो चरण गुरू वन्दना सम्मान है।
शिक्षा मिले हर शक्स को तो बात है॥
**
शेर सिंह सर्राफ
दिनांक 5/9/2019
विषय शिक्षक
*************
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ
अ आ ई से ज्ञान का महल खड़ा करता हूँ
ए बी सी ड़ी से अंतरराष्ट्रीय कोष बतलाता हूँ
मैं भूतकाल में पढ़ा
वर्तमान को अनुभव से समझाता हूँ
वर्तमान की पौध को
भविष्य का दरख़्त बनाता हूँ
हाँ हाँ मैं एक शिक्षक हूँ
बदलाव की क्षमता रही है मुझमें
पर समय संग मैं भी बदला रहा हूँ
कभी मिलता था सम्बोधन
गुरुदेव... गुरुजी जैसा
जिधर मैं बसता गुरुकुल वो कहलाता
तिलक धोती मुख पर ज्ञान का तेज
मोह माया से कोसों दूर
सम्मान भरपूर था
हाँ तब ही तो मैं शिक्षक था
विद्या अर्जन की प्रक्रिया बदली
विद्यालय बने
पारिश्रमिक तय हुए मेरे
बदलाव मुझमें भी हुए
धोती कुर्ता पेंट शर्ट साड़ी
हाथ में दण्ड मेरी पहचान बनी
उत्तीर्ण करा देना छात्रों को इतिश्री था
अब क्रोध मेरे जहन में रहता था
क्योंकि मैं शिक्षक था
बदलाव की बयार तेज हो गई
मुझसे पढ़े शिक्षितों की जमात बढ़ गई
शिक्षित जीवन में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई
पाठ्यक्रमों की बाढ आ गई
मैं भी बदला
पढ़ाने से पहले स्वयं पढ़ा
हाथ से छड़ी छूट गई
दिमाग में सवालों जवाबों की कड़ी जुड़ गई
हाँ मुझे स्वीकार्य है
पैसा के प्रति झुकाव बढ़ गया
मेरी आधुनिकीकरण प्रक्रिया होने को
संसाधन मुझे ही जुटाने है
कुछ मजबूरी मेरी भी है
बच्चे मुझे भी पढाने हैं
मैं आज का भविष्य बनाने का सेतु बना
हाँ मुझे गर्व है कि मैं शिक्षक बना।
लक्ष्मण सिंह
स्वरचित
विषय शिक्षक
*************
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ
अ आ ई से ज्ञान का महल खड़ा करता हूँ
ए बी सी ड़ी से अंतरराष्ट्रीय कोष बतलाता हूँ
मैं भूतकाल में पढ़ा
वर्तमान को अनुभव से समझाता हूँ
वर्तमान की पौध को
भविष्य का दरख़्त बनाता हूँ
हाँ हाँ मैं एक शिक्षक हूँ
बदलाव की क्षमता रही है मुझमें
पर समय संग मैं भी बदला रहा हूँ
कभी मिलता था सम्बोधन
गुरुदेव... गुरुजी जैसा
जिधर मैं बसता गुरुकुल वो कहलाता
तिलक धोती मुख पर ज्ञान का तेज
मोह माया से कोसों दूर
सम्मान भरपूर था
हाँ तब ही तो मैं शिक्षक था
विद्या अर्जन की प्रक्रिया बदली
विद्यालय बने
पारिश्रमिक तय हुए मेरे
बदलाव मुझमें भी हुए
धोती कुर्ता पेंट शर्ट साड़ी
हाथ में दण्ड मेरी पहचान बनी
उत्तीर्ण करा देना छात्रों को इतिश्री था
अब क्रोध मेरे जहन में रहता था
क्योंकि मैं शिक्षक था
बदलाव की बयार तेज हो गई
मुझसे पढ़े शिक्षितों की जमात बढ़ गई
शिक्षित जीवन में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई
पाठ्यक्रमों की बाढ आ गई
मैं भी बदला
पढ़ाने से पहले स्वयं पढ़ा
हाथ से छड़ी छूट गई
दिमाग में सवालों जवाबों की कड़ी जुड़ गई
हाँ मुझे स्वीकार्य है
पैसा के प्रति झुकाव बढ़ गया
मेरी आधुनिकीकरण प्रक्रिया होने को
संसाधन मुझे ही जुटाने है
कुछ मजबूरी मेरी भी है
बच्चे मुझे भी पढाने हैं
मैं आज का भविष्य बनाने का सेतु बना
हाँ मुझे गर्व है कि मैं शिक्षक बना।
लक्ष्मण सिंह
स्वरचित
दिनांक 5-9 -2019
🙏🌹शिक्षक दिवस🌹🙏
शिक्षक एक आईना है, छात्रों का बिंब नजर आता है।
शिक्षक जैसा होता है, छात्र वैसा ही बन जाता है।।
गीली मिट्टी का लोंदा,मां-बाप ने शिक्षक को सौंपा है।
उसे इंसान बनाने का, जिम्मा शिक्षक का होता है।।
भटके हुए को सही राह, शिक्षक ही दिखाता है।
अच्छे बुरे की परख, शिक्षक ही कराता है ।।
अज्ञानता को दूर कर, ज्ञान की जोत जलाता है।
दुनिया की परख करना हमें, शिक्षक ही सिखाता है।।
कमियों को दूर कर, गुणों को उजागर करता है।
भावी पीढ़ी समाज के लिए, वही तो तैयार करता है।।
आने वाली हर बाधा से, लड़ना शिक्षक सिखाता है।
देशहित बलिदान होने का, पाठ वही पढ़ाता है।।
जिंदगी जीने का हुनर, शिक्षक ही सिखाता है।
स्वाभिमान से कैसे जिए,सत्य पथ राह दिखाता है।।
संचित ज्ञान हमें देकर,हमारा भविष्य बनाता है ।
हर विद्या में हमें निपुण, शिक्षक ही करता है।।
शिक्षक समाज के लिए, सदा ही आदर्श होता है ।
अपने ज्ञान चक्षु से ,समाज को नई राह दिखाता है।।
कर दे कायाकल्प हमारा,वह शिक्षक ही होता है।
सत्य राह अडिग रहने की, शिक्षा वही देता है।।
प्रकाश पुंज बनकर, कर्तव्य सदा निभाता है।
प्रेम सरिता धारा बन,जीवन नैया पार लगाता है।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
🙏🌹शिक्षक दिवस🌹🙏
शिक्षक एक आईना है, छात्रों का बिंब नजर आता है।
शिक्षक जैसा होता है, छात्र वैसा ही बन जाता है।।
गीली मिट्टी का लोंदा,मां-बाप ने शिक्षक को सौंपा है।
उसे इंसान बनाने का, जिम्मा शिक्षक का होता है।।
भटके हुए को सही राह, शिक्षक ही दिखाता है।
अच्छे बुरे की परख, शिक्षक ही कराता है ।।
अज्ञानता को दूर कर, ज्ञान की जोत जलाता है।
दुनिया की परख करना हमें, शिक्षक ही सिखाता है।।
कमियों को दूर कर, गुणों को उजागर करता है।
भावी पीढ़ी समाज के लिए, वही तो तैयार करता है।।
आने वाली हर बाधा से, लड़ना शिक्षक सिखाता है।
देशहित बलिदान होने का, पाठ वही पढ़ाता है।।
जिंदगी जीने का हुनर, शिक्षक ही सिखाता है।
स्वाभिमान से कैसे जिए,सत्य पथ राह दिखाता है।।
संचित ज्ञान हमें देकर,हमारा भविष्य बनाता है ।
हर विद्या में हमें निपुण, शिक्षक ही करता है।।
शिक्षक समाज के लिए, सदा ही आदर्श होता है ।
अपने ज्ञान चक्षु से ,समाज को नई राह दिखाता है।।
कर दे कायाकल्प हमारा,वह शिक्षक ही होता है।
सत्य राह अडिग रहने की, शिक्षा वही देता है।।
प्रकाश पुंज बनकर, कर्तव्य सदा निभाता है।
प्रेम सरिता धारा बन,जीवन नैया पार लगाता है।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
5/9/19
विषय-शिक्षक
राधाकृष्णन
---------
विश्व प्रकाशित , वो भारत दर्शन
ज्ञान का दीपक, राधाकृष्णन
विकसित भारत, वो पथप्रदर्शन
चीर दे मूढ़ता वो, चक्र सुदर्शन
गुरुवर महान वो शत शत नमन
श्रध्दा सहित अर्पित,शब्दों का सुमन है ।
गुरुवर महान वो , शत शत नमन है ।
कृष्ण गीता प्रचार है तो ,कृष्णन उसका प्रसार है
घनघोर तिमिर में, विद्युत का प्रहार है ।
कलियों का निचोड़ वह ,मधुर पराग का सार है ।
गुरुवर महान वो माँ भारती के कन्ठ का हार है।
विश्व को बंधुत्व का वो,प्रेम पूर्ण पत्र है
स्वार्थ से ऊपर उठा वो,परमार्थ का मित्र है
हिन्द के बाग से महकता, प्रकृति का इत्र है ।
गुरुवर महान वो, माँ भारती का पुत्र है ।
जाति धर्म क्लेश में, वो मधुरस का श्लेष है ।
अखण्ड हिन्द सूत्र में, पिरोया वो फूल है ।
अज्ञान अंधकार को, वो शिव का त्रिशूल है ।
गुरुवर महान वो, पुण्य भूमि धूल है ।
वेद ग्रंथ पुराण में, वो तपस्या का ध्यान है ।
धर्म की धारणा में, वो कर्म का ही भान है ।
हिन्दुत्व संस्कृति का,वो बे मिसाल ज्ञान है।
गुरुवर महान वो, माँ भारती का प्राण है।
राष्ट्र के नेतृत्व को, वो रीति नीति ज्ञान है ।
ज्ञान विज्ञान को वो, बोध और शोध है।
देश के गुरुत्व को, वो संदेश महान है ।
श्रध्दा से झुकता, जिसको सारा जहाँन है ।
गुरुवर महान है ।गुरुवर महान है ।
●●●●●●
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित (स्वरचित)
बसना, महासमुंद (छ०ग०)
विषय-शिक्षक
राधाकृष्णन
---------
विश्व प्रकाशित , वो भारत दर्शन
ज्ञान का दीपक, राधाकृष्णन
विकसित भारत, वो पथप्रदर्शन
चीर दे मूढ़ता वो, चक्र सुदर्शन
गुरुवर महान वो शत शत नमन
श्रध्दा सहित अर्पित,शब्दों का सुमन है ।
गुरुवर महान वो , शत शत नमन है ।
कृष्ण गीता प्रचार है तो ,कृष्णन उसका प्रसार है
घनघोर तिमिर में, विद्युत का प्रहार है ।
कलियों का निचोड़ वह ,मधुर पराग का सार है ।
गुरुवर महान वो माँ भारती के कन्ठ का हार है।
विश्व को बंधुत्व का वो,प्रेम पूर्ण पत्र है
स्वार्थ से ऊपर उठा वो,परमार्थ का मित्र है
हिन्द के बाग से महकता, प्रकृति का इत्र है ।
गुरुवर महान वो, माँ भारती का पुत्र है ।
जाति धर्म क्लेश में, वो मधुरस का श्लेष है ।
अखण्ड हिन्द सूत्र में, पिरोया वो फूल है ।
अज्ञान अंधकार को, वो शिव का त्रिशूल है ।
गुरुवर महान वो, पुण्य भूमि धूल है ।
वेद ग्रंथ पुराण में, वो तपस्या का ध्यान है ।
धर्म की धारणा में, वो कर्म का ही भान है ।
हिन्दुत्व संस्कृति का,वो बे मिसाल ज्ञान है।
गुरुवर महान वो, माँ भारती का प्राण है।
राष्ट्र के नेतृत्व को, वो रीति नीति ज्ञान है ।
ज्ञान विज्ञान को वो, बोध और शोध है।
देश के गुरुत्व को, वो संदेश महान है ।
श्रध्दा से झुकता, जिसको सारा जहाँन है ।
गुरुवर महान है ।गुरुवर महान है ।
●●●●●●
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित (स्वरचित)
बसना, महासमुंद (छ०ग०)
दिनांक -05/09/19
विषय -शिक्षक
************
आदर्शों की घुट्टी पिलाकर
बाल जीवन संवारता शिक्षक
गुलाब के फूल सा खिलकर
महकता और महकाता शिक्षक
प्रतिदिन हमें उत्साहित कर
जीवन भव्य बनाता शिक्षक
ज्ञान का भंडार हमें देकर
बुद्धिमान बनाता शिक्षक
नैतिकता का पाठ पढ़ाकर
अच्छा इंसान हमें बनाता शिक्षक
सामाजिकता का सबक सिखाकर
जीवन सभ्य बनाता शिक्षक
जब बीच मजधार में फंस जाएं
तो नइया पार लगाता शिक्षक |
- सूर्यदीप कुशवाहा
स्वरचित व मौलिक
विषय -शिक्षक
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आदर्शों की घुट्टी पिलाकर
बाल जीवन संवारता शिक्षक
गुलाब के फूल सा खिलकर
महकता और महकाता शिक्षक
प्रतिदिन हमें उत्साहित कर
जीवन भव्य बनाता शिक्षक
ज्ञान का भंडार हमें देकर
बुद्धिमान बनाता शिक्षक
नैतिकता का पाठ पढ़ाकर
अच्छा इंसान हमें बनाता शिक्षक
सामाजिकता का सबक सिखाकर
जीवन सभ्य बनाता शिक्षक
जब बीच मजधार में फंस जाएं
तो नइया पार लगाता शिक्षक |
- सूर्यदीप कुशवाहा
स्वरचित व मौलिक
विषय शिक्षक
विधा काव्य
05 सितम्बर,2019,गुरुवार
दर्शनशास्त्री महामना गुरु
राधाकृष्णन नमन आपको।
जन्मदिवस है प्रिय आपका
सृद्धा सुमन प्रस्तुत आपको।
शिष्य गुरु पावन परम्परा
युगों युगों से है इस जग में।
कंटक सदा उठाये शिक्षक
नव उत्साह भरा जीवन में।
दानव को मानव कर डाला
शिक्षक ज्ञान सुधा के सागर।
कुम्भकार हो तुम जगति के
तम हरण किया जग आकर।
वाल्मीकि वशिष्ठ वेदव्यास
गुरु संदीपन द्रोण रंतिदेव ने।
जग आलौकित कर ही डाला
गुरु परम्परा श्री भू सर्वेश ने।
शिक्षक ज्ञान कल्प वृक्ष सा
जग विकास विकसित चमन।
ममता दया स्नेह प्रिय मूरत
शिक्षक दिवस पर गुरु नमन।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विधा काव्य
05 सितम्बर,2019,गुरुवार
दर्शनशास्त्री महामना गुरु
राधाकृष्णन नमन आपको।
जन्मदिवस है प्रिय आपका
सृद्धा सुमन प्रस्तुत आपको।
शिष्य गुरु पावन परम्परा
युगों युगों से है इस जग में।
कंटक सदा उठाये शिक्षक
नव उत्साह भरा जीवन में।
दानव को मानव कर डाला
शिक्षक ज्ञान सुधा के सागर।
कुम्भकार हो तुम जगति के
तम हरण किया जग आकर।
वाल्मीकि वशिष्ठ वेदव्यास
गुरु संदीपन द्रोण रंतिदेव ने।
जग आलौकित कर ही डाला
गुरु परम्परा श्री भू सर्वेश ने।
शिक्षक ज्ञान कल्प वृक्ष सा
जग विकास विकसित चमन।
ममता दया स्नेह प्रिय मूरत
शिक्षक दिवस पर गुरु नमन।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
सादर नमन भावों के मोती
05/09/2019
शीर्षक - शिक्षक
शिक्षक के ज्ञान प्रकाश से
निखरती कितनी प्रतिभायें,
हुनर सभी में होता है
साथ किसी का मिल जाये ।
सर पर हो हाथ शिक्षक का
मुश्किल बदले आसानी में,
हौंसला देता हिम्मत सबको
भरे जोश दिलों की रवानी में ।
संवरे व्यक्तित्व हर किसी का
आशीष गुरू का मिल जाये,
उड़ान भरे उन्मुक्त गगन में
अल्हड़ सा बचपन संवर जाये ।
-- नीता अग्रवाल
05/09/2019
शीर्षक - शिक्षक
शिक्षक के ज्ञान प्रकाश से
निखरती कितनी प्रतिभायें,
हुनर सभी में होता है
साथ किसी का मिल जाये ।
सर पर हो हाथ शिक्षक का
मुश्किल बदले आसानी में,
हौंसला देता हिम्मत सबको
भरे जोश दिलों की रवानी में ।
संवरे व्यक्तित्व हर किसी का
आशीष गुरू का मिल जाये,
उड़ान भरे उन्मुक्त गगन में
अल्हड़ सा बचपन संवर जाये ।
-- नीता अग्रवाल
नमन मंच भावों के मोती
5 /9 /2019
बिषय ,,शिक्षक,,
शिक्षक हमारे देश के निर्माता
नौनिहालों के भाग्यबिधाता
अति पावन गुरु शिष्य का नाता
गुरु का ही योगदान जो आसमां की ऊचाइयों तक जाता
शिष्य माटी गुरू कुम्हार
गढ़ गढ़कर दे घड़े सा संवार
ज्ञान चक्षु खोल दे जीवन निखार
सूक्ष्म से सूक्ष्म का करता विस्तार
ऐसे ही थे श्री राधाकृष्णन
वंदन उनको शत् शत् नमन
स्वरिचत सुषमा ब्यौहार
5 /9 /2019
बिषय ,,शिक्षक,,
शिक्षक हमारे देश के निर्माता
नौनिहालों के भाग्यबिधाता
अति पावन गुरु शिष्य का नाता
गुरु का ही योगदान जो आसमां की ऊचाइयों तक जाता
शिष्य माटी गुरू कुम्हार
गढ़ गढ़कर दे घड़े सा संवार
ज्ञान चक्षु खोल दे जीवन निखार
सूक्ष्म से सूक्ष्म का करता विस्तार
ऐसे ही थे श्री राधाकृष्णन
वंदन उनको शत् शत् नमन
स्वरिचत सुषमा ब्यौहार
विषय-शिक्षक
तिथि-05सितम्बर2019
वार-गुरुवार
विधा-मुक्तक
1
जीस्त को रोशन करे वो आफ़ताब है गुरु,
अँधेरों में राह दिखलाए वो माहताब है गुरु।
मुश्किलों से लड़ने का पैदा करे जो हौंसला-
हल करे हर सवाल 'रण' का वो जवाब है गुरु।।
2
कच्ची मिट्टी को अद्भुत नवल रूप देने वाला,
अथाह भंडार ज्ञान का वो व्यक्तित्व निराला।
आओ मिलकर याद करें उस अपने गुरु को 'रण'-
ख़ुद जलकर भरा जिसनें हमारी ज़िंदगी में उजाला।।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)
तिथि-05सितम्बर2019
वार-गुरुवार
विधा-मुक्तक
1
जीस्त को रोशन करे वो आफ़ताब है गुरु,
अँधेरों में राह दिखलाए वो माहताब है गुरु।
मुश्किलों से लड़ने का पैदा करे जो हौंसला-
हल करे हर सवाल 'रण' का वो जवाब है गुरु।।
2
कच्ची मिट्टी को अद्भुत नवल रूप देने वाला,
अथाह भंडार ज्ञान का वो व्यक्तित्व निराला।
आओ मिलकर याद करें उस अपने गुरु को 'रण'-
ख़ुद जलकर भरा जिसनें हमारी ज़िंदगी में उजाला।।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)
नमन भावों के मंच
विषय- शिक्षक
दिनांक 5-9 -2019
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस पर विशेष :--
शिक्षा बने जीवन ज्योति
पाँच सितम्बर को मिलकर शिक्षक दिवस मनाते हैं
शिक्षा बने जीवन ज्योति घर--घर अलख जलाते हैं।
गुरु के ज्ञान की महिमा तुम देखों अजब निराली है
बने इंजीनियर, डॉक्टर कोई अधिकारी बन जाते हैं।
बिन गुरु ज्ञान नहीं मिलता, सवाल मुश्किल होते है
गणित,विज्ञान,अंग्रेजी,कंम्प्यूटर का ज्ञान सिखाते हैं।
गुरु व शिक्षा का संबंध विधार्थी को राह दिखाना है
उलझे हर प्रश्न का जवाब देकर, नेक हल सुझाते हैं।
एक शिक्षक ही होता जो अच्छी शिक्षा नीति देते हैं
शिक्षक बिन ज्ञान अधूरा, गुरु की महिमा सुनाते हैं।
हमें जीवन में आगे बढ़ने को सदैव वो प्रेरित करते हैं
गुरु ज्ञान ही शिष्य को उनकी मंजिल तक पहुँचाते हैं।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
स्वरचित
विषय- शिक्षक
दिनांक 5-9 -2019
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस पर विशेष :--
शिक्षा बने जीवन ज्योति
पाँच सितम्बर को मिलकर शिक्षक दिवस मनाते हैं
शिक्षा बने जीवन ज्योति घर--घर अलख जलाते हैं।
गुरु के ज्ञान की महिमा तुम देखों अजब निराली है
बने इंजीनियर, डॉक्टर कोई अधिकारी बन जाते हैं।
बिन गुरु ज्ञान नहीं मिलता, सवाल मुश्किल होते है
गणित,विज्ञान,अंग्रेजी,कंम्प्यूटर का ज्ञान सिखाते हैं।
गुरु व शिक्षा का संबंध विधार्थी को राह दिखाना है
उलझे हर प्रश्न का जवाब देकर, नेक हल सुझाते हैं।
एक शिक्षक ही होता जो अच्छी शिक्षा नीति देते हैं
शिक्षक बिन ज्ञान अधूरा, गुरु की महिमा सुनाते हैं।
हमें जीवन में आगे बढ़ने को सदैव वो प्रेरित करते हैं
गुरु ज्ञान ही शिष्य को उनकी मंजिल तक पहुँचाते हैं।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
स्वरचित
शीर्षक-- शिक्षक
प्रथम प्रस्तुति
जलना होता है स्वयं
जब प्रकाश दे पाते हैं ।।
जलते दिये से पुछिये खुद
अँधेरे में रह जाते हैं ।।
अपनी परवाह नही करें
उलहना भी वो पाते हैं ।।
कैसे सही राह लाना
वो जुगत भी भिड़ाते हैं ।।
उदण्ड बालक कभी उन्हे
अपमान घूँट पिलाते हैं ।।
गला सूख जाते कभी
जब सतत कक्षा कहाते हैं ।।
कहें जिसे आसां कार्य
आसां न समझ आते हैं ।।
आजीवन सतपथ 'शिवम'
शिक्षक ही अपनाते हैं ।।
भूल कहाँ कैसे करें
वो साख जो बनाते हैं ।।
सच्चे अर्थों में शिक्षक
सच्चरित्रता अपनाते हैं ।।
सम्मान गर वो पाते हैं
तो कीमत भी चुकाते हैं ।।
शिक्षण कार्य पावन कार्य
लोक परलोक सजाते हैं ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 05/09/2019
प्रथम प्रस्तुति
जलना होता है स्वयं
जब प्रकाश दे पाते हैं ।।
जलते दिये से पुछिये खुद
अँधेरे में रह जाते हैं ।।
अपनी परवाह नही करें
उलहना भी वो पाते हैं ।।
कैसे सही राह लाना
वो जुगत भी भिड़ाते हैं ।।
उदण्ड बालक कभी उन्हे
अपमान घूँट पिलाते हैं ।।
गला सूख जाते कभी
जब सतत कक्षा कहाते हैं ।।
कहें जिसे आसां कार्य
आसां न समझ आते हैं ।।
आजीवन सतपथ 'शिवम'
शिक्षक ही अपनाते हैं ।।
भूल कहाँ कैसे करें
वो साख जो बनाते हैं ।।
सच्चे अर्थों में शिक्षक
सच्चरित्रता अपनाते हैं ।।
सम्मान गर वो पाते हैं
तो कीमत भी चुकाते हैं ।।
शिक्षण कार्य पावन कार्य
लोक परलोक सजाते हैं ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 05/09/2019
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम
दोहे
१.
सिखा ककहरा को किया,बहुत बड़ा उपकार।
गुरु के बिन झूठा लगे, यह सारा संसार।।
२.
भले -बुरे का ज्ञान दे, जीवन दिया सुधार।
गुरु से बढ़कर है नहीं,दुनिया में करतार।।
३.
कुटिया गुरु की स्वर्ग-सम,चरणों में चहुँ धाम।
गुरु औषधि हर मर्ज की,कर दें ऊँचा नाम।।
४.
गुरु के बिन समझो यहाँ,जीवन नर्क समान।
गुरु चरणों में जो रहें, बनतें वही महान।।
५.
गुरु ईश्वर से हैं बड़ा, माने सकल जहान।
सेवा गुरु की जो करे,मिले उसे सम्मान।।
६.
गुरु होते हैं दीप-सम, देते ज्ञान प्रकाश।
सदगुण ही बाँटे सदा,दुर्गुण करते नाश।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम
दोहे
१.
सिखा ककहरा को किया,बहुत बड़ा उपकार।
गुरु के बिन झूठा लगे, यह सारा संसार।।
२.
भले -बुरे का ज्ञान दे, जीवन दिया सुधार।
गुरु से बढ़कर है नहीं,दुनिया में करतार।।
३.
कुटिया गुरु की स्वर्ग-सम,चरणों में चहुँ धाम।
गुरु औषधि हर मर्ज की,कर दें ऊँचा नाम।।
४.
गुरु के बिन समझो यहाँ,जीवन नर्क समान।
गुरु चरणों में जो रहें, बनतें वही महान।।
५.
गुरु ईश्वर से हैं बड़ा, माने सकल जहान।
सेवा गुरु की जो करे,मिले उसे सम्मान।।
६.
गुरु होते हैं दीप-सम, देते ज्ञान प्रकाश।
सदगुण ही बाँटे सदा,दुर्गुण करते नाश।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
5/9//2019
विषय -शिक्षक
सभी शिक्षकों को सादर समर्पित
💐💐💐💐💐
गुरु दीपक बन,शिष्य में
ज्ञान का प्रकाश पुंज फैलाए
निस्वार्थ भाव से निज कर्म करे
लालच,स्वार्थ भावना पास न लाए
वो कुंभकार बन ऊपर से
निज हाथों की थाप लगाए
कोरी गीली अनगढ़ मिट्टी से
अज्ञानी,अनगढ़ को समर्थ बनाए
छात्रों की उपलब्धियों वो पर मान करे
उनकी उंचाईयों पर सहर्ष अभिमान करे
निज कृति की सफलता देख
मस्तक गुरु का गौरव से उठ जाए
गुरु करते हैं अगुणों में गुणों की तलाश
तराश कर मेहनत से बनाते सबसे खास
स्वयं पीछे रह कर वो बच्चों को आगे लाए
सच्चे शिक्षक नहीं चाहते अपनी कोई बड़ाई
बस अवगुण निकाल गुणों की करते हैं
रोपाई
कृष्ण की भांति एक आम शिष्य को अर्जुन सम खास बनाए
**वंदना सोलंकी**©®
विषय -शिक्षक
सभी शिक्षकों को सादर समर्पित
💐💐💐💐💐
गुरु दीपक बन,शिष्य में
ज्ञान का प्रकाश पुंज फैलाए
निस्वार्थ भाव से निज कर्म करे
लालच,स्वार्थ भावना पास न लाए
वो कुंभकार बन ऊपर से
निज हाथों की थाप लगाए
कोरी गीली अनगढ़ मिट्टी से
अज्ञानी,अनगढ़ को समर्थ बनाए
छात्रों की उपलब्धियों वो पर मान करे
उनकी उंचाईयों पर सहर्ष अभिमान करे
निज कृति की सफलता देख
मस्तक गुरु का गौरव से उठ जाए
गुरु करते हैं अगुणों में गुणों की तलाश
तराश कर मेहनत से बनाते सबसे खास
स्वयं पीछे रह कर वो बच्चों को आगे लाए
सच्चे शिक्षक नहीं चाहते अपनी कोई बड़ाई
बस अवगुण निकाल गुणों की करते हैं
रोपाई
कृष्ण की भांति एक आम शिष्य को अर्जुन सम खास बनाए
**वंदना सोलंकी**©®
सुप्रभात समूह के सभी साथियों को 🙏🙏
दिनांक 05/09/2019
विधा: कविता
विषय:शिक्षक
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
शिक्षक दिवस आज हम मनाते
डा0 सर्व पल्ली राधा कृष्णन का जन्मोत्सव ।
है दिन विशेष हर शिक्षक के लिए
स्कूलों में बच्चे देते खुश होकर
अपने बनाए कार्ड्स ब गुलाब
और सबसे अनमोल आदर और सत्कार ।
बाल मन सरल स्वभाव
कच्ची मिट्टी होते है सब
जो हम पढाते है और जो हम दिखाते है
करते वह अनुकरण हमारा हर पल ।
शिक्षक की जिम्मेदारियां अनेक ---
माँ है प्रथम शिक्षिका हम सबकी
उसकी शिक्षा बिना किसी स्वार्थ की
रखती वह हम सबका ध्यान
जीती वह हमारे सपनो को
रखना है हमें उसका मान
उस बिन जीवन है अंधकार ।
शिक्षक का है विशेष सामाजिक योगदान ---
करते हम देश के भावी नागरिकों का निर्माण
खाली पुस्तको का ञान नही अपितु
सिखलाना है समाज मे रहने के गुण
योग ञान, बडो का मान, देश प्रेम
देश की सोच, जल संरक्षण, वृक्षारोपण
स्वस्थ्य जीवन, कला,दायित्व और कर्तव्य ।
शिक्षक की है जिम्मेदारियां अनेक---
नमन मेरा उन सभी आदरणीय शिक्षकों को
जिनने सवारा मुझे तराशा कुछ इस तरह कि
आज मैं खुद को समर्पित कर सकू देश के उत्थान मे
साथ ही बन सकूँ मिसाल आती नई पीढ़ी का।
शिक्षक से आशायें अनेक---
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
स्वरचित रचना
नीलम श्रीवास्तव ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश
दिनांक 05/09/2019
विधा: कविता
विषय:शिक्षक
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
शिक्षक दिवस आज हम मनाते
डा0 सर्व पल्ली राधा कृष्णन का जन्मोत्सव ।
है दिन विशेष हर शिक्षक के लिए
स्कूलों में बच्चे देते खुश होकर
अपने बनाए कार्ड्स ब गुलाब
और सबसे अनमोल आदर और सत्कार ।
बाल मन सरल स्वभाव
कच्ची मिट्टी होते है सब
जो हम पढाते है और जो हम दिखाते है
करते वह अनुकरण हमारा हर पल ।
शिक्षक की जिम्मेदारियां अनेक ---
माँ है प्रथम शिक्षिका हम सबकी
उसकी शिक्षा बिना किसी स्वार्थ की
रखती वह हम सबका ध्यान
जीती वह हमारे सपनो को
रखना है हमें उसका मान
उस बिन जीवन है अंधकार ।
शिक्षक का है विशेष सामाजिक योगदान ---
करते हम देश के भावी नागरिकों का निर्माण
खाली पुस्तको का ञान नही अपितु
सिखलाना है समाज मे रहने के गुण
योग ञान, बडो का मान, देश प्रेम
देश की सोच, जल संरक्षण, वृक्षारोपण
स्वस्थ्य जीवन, कला,दायित्व और कर्तव्य ।
शिक्षक की है जिम्मेदारियां अनेक---
नमन मेरा उन सभी आदरणीय शिक्षकों को
जिनने सवारा मुझे तराशा कुछ इस तरह कि
आज मैं खुद को समर्पित कर सकू देश के उत्थान मे
साथ ही बन सकूँ मिसाल आती नई पीढ़ी का।
शिक्षक से आशायें अनेक---
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
स्वरचित रचना
नीलम श्रीवास्तव ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश
शिक्षक तुम्हें सादर नमन
तुम्हीं बनाते जीवन चमन
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
यह नहीं होता कभी बाधक
यह रहता जीवन भर साधक
शिष्य तराशना इसकी साधना है
वही इसकी बडी़ आराधना है।
यही हीरा बनाता चेलों को
बतलाता कैसे मिटाते झमेलों को
इस कर्मभूमि में सब खेल है
बतलाता कैसे खेला करते इन खेलों को।
मुश्किलों को आसान बनाना
क्या होता आत्मा का नहाना
कैसे मिलता ज्ञान का ख़जा़ना
कैसे बुनते सपनों का तानाबाना।
शिक्षक बनाता बहुआयामी
वही दूर करता है खा़मी
शिष्य को भीतर तक पढ़ लेता
वही बनाता उसको सुन्दर नामी।
शिक्षक तुम्हें सादर नमन
तुम्हीं बनाते जीवन चमन
तुम्हीं सिखलाते कैसे करते
अच्छी चीजों का चयन।
तुम्हीं बनाते जीवन चमन
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
यह नहीं होता कभी बाधक
यह रहता जीवन भर साधक
शिष्य तराशना इसकी साधना है
वही इसकी बडी़ आराधना है।
यही हीरा बनाता चेलों को
बतलाता कैसे मिटाते झमेलों को
इस कर्मभूमि में सब खेल है
बतलाता कैसे खेला करते इन खेलों को।
मुश्किलों को आसान बनाना
क्या होता आत्मा का नहाना
कैसे मिलता ज्ञान का ख़जा़ना
कैसे बुनते सपनों का तानाबाना।
शिक्षक बनाता बहुआयामी
वही दूर करता है खा़मी
शिष्य को भीतर तक पढ़ लेता
वही बनाता उसको सुन्दर नामी।
शिक्षक तुम्हें सादर नमन
तुम्हीं बनाते जीवन चमन
तुम्हीं सिखलाते कैसे करते
अच्छी चीजों का चयन।
शीर्षक- शिक्षक
सादर मंच को समर्पित -
🌻🌺 शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌻
🌺🌴 दोहे 🌴🌺
******************
🌹 शिक्षक / गुरु🌹
शिक्षक आदर पात्र हैं , दें सम्मान अपार ।
गुरु आशीष महान है, करे शिष्य उद्धार ।।
🌸🌻🍀🍊🌹
गुरु दें शिक्षा ज्ञान की, अन्तर्ज्योति निखार ।
सच्चाई की राह को , दें सच्ची पतवार ।।
🌴🌷🌸🍀🍊
शिक्षक दाता ज्ञान के, सत्य पढ़ायें खोज ।
दूर करें संशय सभी , हम दें आदर रोज ।।
🌹🍀☀💧🌻🌷
🍊🍀**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
सादर मंच को समर्पित -
🌻🌺 शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌻
🌺🌴 दोहे 🌴🌺
******************
🌹 शिक्षक / गुरु🌹
शिक्षक आदर पात्र हैं , दें सम्मान अपार ।
गुरु आशीष महान है, करे शिष्य उद्धार ।।
🌸🌻🍀🍊🌹
गुरु दें शिक्षा ज्ञान की, अन्तर्ज्योति निखार ।
सच्चाई की राह को , दें सच्ची पतवार ।।
🌴🌷🌸🍀🍊
शिक्षक दाता ज्ञान के, सत्य पढ़ायें खोज ।
दूर करें संशय सभी , हम दें आदर रोज ।।
🌹🍀☀💧🌻🌷
🍊🍀**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
05/09/19
शीर्षक- शिक्षक
आधुनिक निजी शिक्षा प्रणाली पर एक व्यंग्य :-
आजकल के कुछ टीचर, चिटर हो गए हैं,
बच्चे उनके लिए बस पैसे के मीटर हो गए हैं,
अभिभावकों को पैसे का झाड़ समझते हैं,
जेब को तो खजाने का कोई किंवाड़ समझते हैं,
जब भी खोले, पैसों की बारिश होनी चाहिए,
बस उनके ही स्कूल की सिफारिश होनी चाहिए,
आये दिन वो नये नए से ढेरो सांग रचते हैं,
अभिभावक के सामने कुछ डिमांड रखते हैं,
उनको पूरी करने में क्या क्या खोना पड़ता है,
क्लास में बच्चे को जलील तक होना पड़ता है,
फर्क नही पड़ता उन्हें, माँ बाप के उस दर्द से,
बच्चों को पढ़ाने में दब जाते हैं जो कर्ज से,
पर अभिभावकों की भी तो ये, मजबूरी ही है,
बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना जरूरी भी है,
उसी मजबूरी का ये, फायदा उठाना जानते हैं,
शिक्षा के नाम पर, लाखों कमाना जानते हैं,
क्या ऐसे ही शिक्षक के नाम का सम्मान होता हैं,
क्या इसीलिए ईश्वर से पहले गुरु का नाम होता है,
क्यों शिक्षा को यंहा उन्होंने व्यापार बनाके रखा है,
क्यों शिक्षा को भी पैसे का व्यवहार बनके रखा है,
–---------------------
गुरु था दाता ज्ञान का, आज गुरु राह भटकाये,
गुरु लुटेरा क्यों बना, यही मुझको चिंता खाये।
:- #प्रकाश_जांगिड़_प्रांश :-
शीर्षक- शिक्षक
आधुनिक निजी शिक्षा प्रणाली पर एक व्यंग्य :-
आजकल के कुछ टीचर, चिटर हो गए हैं,
बच्चे उनके लिए बस पैसे के मीटर हो गए हैं,
अभिभावकों को पैसे का झाड़ समझते हैं,
जेब को तो खजाने का कोई किंवाड़ समझते हैं,
जब भी खोले, पैसों की बारिश होनी चाहिए,
बस उनके ही स्कूल की सिफारिश होनी चाहिए,
आये दिन वो नये नए से ढेरो सांग रचते हैं,
अभिभावक के सामने कुछ डिमांड रखते हैं,
उनको पूरी करने में क्या क्या खोना पड़ता है,
क्लास में बच्चे को जलील तक होना पड़ता है,
फर्क नही पड़ता उन्हें, माँ बाप के उस दर्द से,
बच्चों को पढ़ाने में दब जाते हैं जो कर्ज से,
पर अभिभावकों की भी तो ये, मजबूरी ही है,
बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना जरूरी भी है,
उसी मजबूरी का ये, फायदा उठाना जानते हैं,
शिक्षा के नाम पर, लाखों कमाना जानते हैं,
क्या ऐसे ही शिक्षक के नाम का सम्मान होता हैं,
क्या इसीलिए ईश्वर से पहले गुरु का नाम होता है,
क्यों शिक्षा को यंहा उन्होंने व्यापार बनाके रखा है,
क्यों शिक्षा को भी पैसे का व्यवहार बनके रखा है,
–---------------------
गुरु था दाता ज्ञान का, आज गुरु राह भटकाये,
गुरु लुटेरा क्यों बना, यही मुझको चिंता खाये।
:- #प्रकाश_जांगिड़_प्रांश :-
दिनांक - 05 - 09 - 19
विषय - शिक्षक
विधा - गीत
============================
नमन गुरूवर ( शिक्षक )
- - - - - - - -
हमको दें पहचान गुरूवर |
है सर्व प्रथम स्थान गुरूवर ||
राह सदा दिखलाएं हमको ,
का खा गा सिखलाएं हमको ,
हाथ पकड़ के मंजिल तक ये
जान लगा लें जाएं हमको ,
बुद्धि भरी है खान गुरूवर |
हमको दें पहचान गुरूवर ||
हमसे कोई भूल अगर हो ,
जीवन में फिर शूल अगर हो ,
सही दिशाएं बतलाते है
आँख चढ़ी या धूल अगर हो ,
सदा लुटाएं ग्यान गुरूवर |
हमको दें पहचान गुरूवर ||
मैं भी मानूं तुम भी मानो ,
शक्ति गुरूवर की पहचानो ,
नित्य वंदना करना जी भर
आज अभी तुम मन में ठानो ,
देते है मुस्कान गुरूवर |
हमको दे पहचान गुरूवर ||
एल एन कोष्टी
गुना म प्र
स्वरचित एवं मौलिक
विषय - शिक्षक
विधा - गीत
============================
नमन गुरूवर ( शिक्षक )
- - - - - - - -
हमको दें पहचान गुरूवर |
है सर्व प्रथम स्थान गुरूवर ||
राह सदा दिखलाएं हमको ,
का खा गा सिखलाएं हमको ,
हाथ पकड़ के मंजिल तक ये
जान लगा लें जाएं हमको ,
बुद्धि भरी है खान गुरूवर |
हमको दें पहचान गुरूवर ||
हमसे कोई भूल अगर हो ,
जीवन में फिर शूल अगर हो ,
सही दिशाएं बतलाते है
आँख चढ़ी या धूल अगर हो ,
सदा लुटाएं ग्यान गुरूवर |
हमको दें पहचान गुरूवर ||
मैं भी मानूं तुम भी मानो ,
शक्ति गुरूवर की पहचानो ,
नित्य वंदना करना जी भर
आज अभी तुम मन में ठानो ,
देते है मुस्कान गुरूवर |
हमको दे पहचान गुरूवर ||
एल एन कोष्टी
गुना म प्र
स्वरचित एवं मौलिक
तिथि-05-09-2019
विषय आधारित रचना
शीर्षक:-#शिक्षक_हैं_दीपक
भलें माँ ने ममता दी
पिता ने संस्कार दिए
पर ...
शिक्षकों के उपकार
व आशीष से मनुज खड़े हो पाते हैं
स्वयं के पैरों पर
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां
नन्हें बालकों के
हांथ पकड़कर
डांटकर ,दुलारकर
सीखाते हैं,अक्षर ज्ञान
जिनसे बच्चे आगे चलकर
बनते हैं महान
और करते हैं नेक काम
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां।
शिक्षकों की डांट में
छूपा रहता है प्यार
उन्हीं की डांट व ज्ञान से
बच्चे बना पाते मंजिल का रास्ता
दूर कर पाते हैं
अज्ञान के अँधीयारों को
और बन जातें हैं
सूर्य के समान अद्वितीय
शिक्षक हैं दीपक
इनसे हीं रोशन है सारा जहां
लड़खड़ाते कदमों की
छड़ी होते हैं शिक्षक
समुद्र की गहराई से भी
गहरे गुणों से पूर्ण
साक्षात ईश्वर स्वरूप होते हैं शिक्षक
हरपल जिनके आशीर्वाद से
हम लोग सम्मान पाते हैं
वह इंसान और कोई नहीं
वह हैं शिक्षक
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही
रोशन है सारा जहां
©कुमार संदीप
स्वरचित
विषय आधारित रचना
शीर्षक:-#शिक्षक_हैं_दीपक
भलें माँ ने ममता दी
पिता ने संस्कार दिए
पर ...
शिक्षकों के उपकार
व आशीष से मनुज खड़े हो पाते हैं
स्वयं के पैरों पर
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां
नन्हें बालकों के
हांथ पकड़कर
डांटकर ,दुलारकर
सीखाते हैं,अक्षर ज्ञान
जिनसे बच्चे आगे चलकर
बनते हैं महान
और करते हैं नेक काम
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही रोशन हैं सारा जहां।
शिक्षकों की डांट में
छूपा रहता है प्यार
उन्हीं की डांट व ज्ञान से
बच्चे बना पाते मंजिल का रास्ता
दूर कर पाते हैं
अज्ञान के अँधीयारों को
और बन जातें हैं
सूर्य के समान अद्वितीय
शिक्षक हैं दीपक
इनसे हीं रोशन है सारा जहां
लड़खड़ाते कदमों की
छड़ी होते हैं शिक्षक
समुद्र की गहराई से भी
गहरे गुणों से पूर्ण
साक्षात ईश्वर स्वरूप होते हैं शिक्षक
हरपल जिनके आशीर्वाद से
हम लोग सम्मान पाते हैं
वह इंसान और कोई नहीं
वह हैं शिक्षक
शिक्षक हैं दीपक
इनसे ही
रोशन है सारा जहां
©कुमार संदीप
स्वरचित
भावों के मोती" समूह
दिनांक-5-9-2019
आप सभी प्रबुद्ध मनीषियों व मित्रों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाइयाँ
:आज 5 #सितम्बर को" #शिक्षक दिवस "की गरिमा में नव सृजित छंद,,,,
दुर्मिल सवैया छंद में [ 8 सगण =112 112 112 112,,112 112 112 112 ]=32 मात्रा भार
गुरु महिमा
=======
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺
*********************************
गुरुदेव कृपा करते जबहीं,
शुचि ज्ञान-सुधा बरसा करती /
*
यहि शिक्षक रूप सरूप धरैं,
तहि ज्ञानहि -दीप जला करती /
*
सदज्ञान बढै नव जोत जलै,
,शुभ पंथ-सुपंथ मिला करती /
*
गुरु मातु-पिता सम त्याग करैं,
प्रतिदान कभी न चुका करती //
********************************
********************************
गुरु ब्रह्म कहावत हैं जग में,
शिशु-शिक्षक ज्ञान सुधार करैं /
*
बिन ज्ञान सबै मनुवा पशु हैं,
तहि शिक्षक ज्ञान-प्रसार करैं /
*
गुरु,जीवन के भव सागर में,
पतवार बनैं,भव पार करैं /
*
शरणागत जो नत शिष्य रहै,
उनकी नइय्या गुरु पार करैं //
********************************
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित (गाजियाबाद)
दिनांक-5-9-2019
आप सभी प्रबुद्ध मनीषियों व मित्रों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाइयाँ
:आज 5 #सितम्बर को" #शिक्षक दिवस "की गरिमा में नव सृजित छंद,,,,
दुर्मिल सवैया छंद में [ 8 सगण =112 112 112 112,,112 112 112 112 ]=32 मात्रा भार
गुरु महिमा
=======
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गुरुदेव कृपा करते जबहीं,
शुचि ज्ञान-सुधा बरसा करती /
*
यहि शिक्षक रूप सरूप धरैं,
तहि ज्ञानहि -दीप जला करती /
*
सदज्ञान बढै नव जोत जलै,
,शुभ पंथ-सुपंथ मिला करती /
*
गुरु मातु-पिता सम त्याग करैं,
प्रतिदान कभी न चुका करती //
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गुरु ब्रह्म कहावत हैं जग में,
शिशु-शिक्षक ज्ञान सुधार करैं /
*
बिन ज्ञान सबै मनुवा पशु हैं,
तहि शिक्षक ज्ञान-प्रसार करैं /
*
गुरु,जीवन के भव सागर में,
पतवार बनैं,भव पार करैं /
*
शरणागत जो नत शिष्य रहै,
उनकी नइय्या गुरु पार करैं //
********************************
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित (गाजियाबाद)
नमन मंच
दिनांकः- 5-9-2019
वारः- गुरुवार
विधाः- छन्द मुक्त
शीर्षकः- शिक्षक दिवस पर समस्त शिक्षकों को सादर प्रणाम के साथ
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु महेश, हमारी आश।
हरें अन्धकार तम का फैलायें ज्ञान का प्रकाश।।
प्रथम गुरु हैं माता पिता लो भली प्रकार जान।
अन्य गुरुओं का भी कीजिये पूरा आप सम्मान।।
गुरु का रहता ऋण चुका नही सकते हम श्रीमान।
स्वयं को तो तुम गुरु का सदा ऋणी ही लो मान।।
अपने सभी शिक्षकों को करता हूँ मैं सादर नमन ।
हृदय के अनःतस्थल से करता उनका अभिनन्दन।।
रहूंगा कृतार्थ उनका मैं सदा अपने समस्त जीवन ।
रहेगा जीवन भर ही ऋणी उनका मेरा तन और मन।।
गया था उनके समक्ष निरक्षर,था नहीं कोई भीज्ञान ।
बनाया साक्षर उन्होंने ही व दूर किया मेरा अज्ञान ।।
उनकी शिक्षा से बना चिकित्सक पाया बड़ा सम्मान।
साथ सम्मान के ही किया मैनेअपना जीविकोपार्जन।।
शिक्षा का अधिकारी नहीं करे न शिक्षक का सम्मान।
आता नहीं काम ऐसे उद्दंड को कभी शिक्षा का ज्ञान।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव“
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
दिनांकः- 5-9-2019
वारः- गुरुवार
विधाः- छन्द मुक्त
शीर्षकः- शिक्षक दिवस पर समस्त शिक्षकों को सादर प्रणाम के साथ
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु महेश, हमारी आश।
हरें अन्धकार तम का फैलायें ज्ञान का प्रकाश।।
प्रथम गुरु हैं माता पिता लो भली प्रकार जान।
अन्य गुरुओं का भी कीजिये पूरा आप सम्मान।।
गुरु का रहता ऋण चुका नही सकते हम श्रीमान।
स्वयं को तो तुम गुरु का सदा ऋणी ही लो मान।।
अपने सभी शिक्षकों को करता हूँ मैं सादर नमन ।
हृदय के अनःतस्थल से करता उनका अभिनन्दन।।
रहूंगा कृतार्थ उनका मैं सदा अपने समस्त जीवन ।
रहेगा जीवन भर ही ऋणी उनका मेरा तन और मन।।
गया था उनके समक्ष निरक्षर,था नहीं कोई भीज्ञान ।
बनाया साक्षर उन्होंने ही व दूर किया मेरा अज्ञान ।।
उनकी शिक्षा से बना चिकित्सक पाया बड़ा सम्मान।
साथ सम्मान के ही किया मैनेअपना जीविकोपार्जन।।
शिक्षा का अधिकारी नहीं करे न शिक्षक का सम्मान।
आता नहीं काम ऐसे उद्दंड को कभी शिक्षा का ज्ञान।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव“
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
नमन-माँ शारदे
नमन-भावो के मोती
दिनांक-05/09/2019
विषय- शिक्षक
श्रद्धा सुमन संग वंदन
धरती कहती अंबर कहता
स्थान श्रेष्ठ गुरु का जैसे चंदन
जिनकी कृपा के नीर से
उस गुरु के चरणों का अभिनंदन।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में
मेरे भाल से शत शत वंदन।।
क ख ग घ जोड़ के सत पथ का
गुरु के ज्ञान का महिमामंडन।।
सुखद छाँव के आप हो तरुवर
कर में आपके अनंत प्रजनन।।
दीप जले या हो अंगारे
सजल नेत्र के प्रखर अंजन।।
शून्य से शिखर तक आप हो
हौसले कश्तियों के समुंदर....
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
नमन-भावो के मोती
दिनांक-05/09/2019
विषय- शिक्षक
श्रद्धा सुमन संग वंदन
धरती कहती अंबर कहता
स्थान श्रेष्ठ गुरु का जैसे चंदन
जिनकी कृपा के नीर से
उस गुरु के चरणों का अभिनंदन।।
हे गुरुवर तेरे चरणों में
मेरे भाल से शत शत वंदन।।
क ख ग घ जोड़ के सत पथ का
गुरु के ज्ञान का महिमामंडन।।
सुखद छाँव के आप हो तरुवर
कर में आपके अनंत प्रजनन।।
दीप जले या हो अंगारे
सजल नेत्र के प्रखर अंजन।।
शून्य से शिखर तक आप हो
हौसले कश्तियों के समुंदर....
मौलिक रचना
सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
दिनांक -5 सितंबर 2019
दिन -गुरुवार
दैनिक कार्य -
विधा -गीत (आधार छंद सार/ललित छंद )
शीर्षक - चाणक्य छला जाता है
जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता ।
बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता ।
इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
इंद्रासन ना ले ले तप से, मधवा भय से बोला ।
अहिल्या गौतम के अमृत से, जीवन में विष घोला ।
विश्वामित्र की भंग तपस्या, छल से करवाई थी ।
सत्ता रक्षा को पृथ्वी पर, इंद्र परी आई थी ।
काम क्रोध मद लोभों का फिर, दोष मढ़ा जाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
नेतृत्व से परिपूर्ण बनाके, गढ़ता कितने नेता ।
मंत्री हो या भूप सभी को, रुप यही है देता ।
पर सत्ता धारी बनते ही, लोग मदांध हुए हैं ।
काट दिए सिर उनके जिनके, झुक कर पांव छुए हैं ।
शस्त्र निपुण कर देने वाला, वाण यहां खाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
नंद वंश ने एका की जब, बात एक ना मानी ।
चंद्रगुप्त सा शासक गढ़ के, याद दिलाई नानी ।
राजा की रक्षा का उपक्रम, दुर्घटना बन आया ।
बिंदुसार ने माँ की हत्या, का आरोप लगाया ।
अपने ही निर्मित शासन को, छोड़ चला जाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
राष्ट्र निर्माता कहाता पर, अधिकार सभी छीने ।
बोलो कैसे चमका पाएं, तराशे विन नगीने ।
हाथ बांधकर कहते हैं ये, मटका गोल बनाओ ।
खरपतवार बिना काटे ही, स्वस्थ फसल उपजाओ ।
क्या कोई पतवार बिना उस, पार उतर पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
सेवा सेवा कह कर देखो, खूब जमाते सत्ता ।
छल से चलते पाते मोटा, वेतन पेंशन भत्ता ।
मान नहीं जिनका कोड़ी का, वो खुद को पुजवाते ।
सच्चे सेवक शिक्षक पर, झूठे दोष लगाते ।
निंदा प्रस्तावक बन निंदित, नेता ही आता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता ।
बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता ।
इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
-अंजुमन 'आरज़ू' ©✍
05/09/2019
दिन -गुरुवार
दैनिक कार्य -
विधा -गीत (आधार छंद सार/ललित छंद )
शीर्षक - चाणक्य छला जाता है
जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता ।
बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता ।
इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
इंद्रासन ना ले ले तप से, मधवा भय से बोला ।
अहिल्या गौतम के अमृत से, जीवन में विष घोला ।
विश्वामित्र की भंग तपस्या, छल से करवाई थी ।
सत्ता रक्षा को पृथ्वी पर, इंद्र परी आई थी ।
काम क्रोध मद लोभों का फिर, दोष मढ़ा जाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
नेतृत्व से परिपूर्ण बनाके, गढ़ता कितने नेता ।
मंत्री हो या भूप सभी को, रुप यही है देता ।
पर सत्ता धारी बनते ही, लोग मदांध हुए हैं ।
काट दिए सिर उनके जिनके, झुक कर पांव छुए हैं ।
शस्त्र निपुण कर देने वाला, वाण यहां खाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
नंद वंश ने एका की जब, बात एक ना मानी ।
चंद्रगुप्त सा शासक गढ़ के, याद दिलाई नानी ।
राजा की रक्षा का उपक्रम, दुर्घटना बन आया ।
बिंदुसार ने माँ की हत्या, का आरोप लगाया ।
अपने ही निर्मित शासन को, छोड़ चला जाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
राष्ट्र निर्माता कहाता पर, अधिकार सभी छीने ।
बोलो कैसे चमका पाएं, तराशे विन नगीने ।
हाथ बांधकर कहते हैं ये, मटका गोल बनाओ ।
खरपतवार बिना काटे ही, स्वस्थ फसल उपजाओ ।
क्या कोई पतवार बिना उस, पार उतर पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
सेवा सेवा कह कर देखो, खूब जमाते सत्ता ।
छल से चलते पाते मोटा, वेतन पेंशन भत्ता ।
मान नहीं जिनका कोड़ी का, वो खुद को पुजवाते ।
सच्चे सेवक शिक्षक पर, झूठे दोष लगाते ।
निंदा प्रस्तावक बन निंदित, नेता ही आता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता ।
बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता ।
इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
-अंजुमन 'आरज़ू' ©✍
05/09/2019
तिथिःः ः5/9/2019/गुरूवार
बिषयःः# शिक्षक #ः
विधाःः काव्यः ः
नमन करें हम गुरूवर तुमको
श्रद्धा सुमन समर्पित करते हैं।
यहाँ तक पहुंचे आपके कारण,
चरणों में भाव वंदना करते हैं।
इस माटी को तराश तराशकर
तुमने सोना गुरवर बना दिया।
वरना ऐसे ही इसमें मिल जाते,
हमें जीना गुरूवर सिखा दिया।
तुमने बनाऐ सभी मंत्री संतरी,
जग में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति।
सब गौरवान्वित हुए गुरूओं से,
वैज्ञानिक हों या हों उद्योग पति।
जन्म दिया माता पिता ने लेकिन,
हमें शिक्षक ने सम्मान दिलाया।
अपनी संस्कृति संस्कार में गूंथकर,
हमें सत्य मान स्वाभिमान बताया।
हम बारंम्वार करें गुरूजी वंदन।
श्रीगुरु चरणों की रज का वंदन।
आशीर्वचन और आशीष मिले,
हे गुरूदेवा शतशत अभिनंन्दन।
स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जयजयश्री रामरामजी
1*भा.#शिक्षक#काव्यः ः
तिथिःः5/9/2019/
बिषयःः# शिक्षक #ः
विधाःः काव्यः ः
नमन करें हम गुरूवर तुमको
श्रद्धा सुमन समर्पित करते हैं।
यहाँ तक पहुंचे आपके कारण,
चरणों में भाव वंदना करते हैं।
इस माटी को तराश तराशकर
तुमने सोना गुरवर बना दिया।
वरना ऐसे ही इसमें मिल जाते,
हमें जीना गुरूवर सिखा दिया।
तुमने बनाऐ सभी मंत्री संतरी,
जग में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति।
सब गौरवान्वित हुए गुरूओं से,
वैज्ञानिक हों या हों उद्योग पति।
जन्म दिया माता पिता ने लेकिन,
हमें शिक्षक ने सम्मान दिलाया।
अपनी संस्कृति संस्कार में गूंथकर,
हमें सत्य मान स्वाभिमान बताया।
हम बारंम्वार करें गुरूजी वंदन।
श्रीगुरु चरणों की रज का वंदन।
आशीर्वचन और आशीष मिले,
हे गुरूदेवा शतशत अभिनंन्दन।
स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जयजयश्री रामरामजी
1*भा.#शिक्षक#काव्यः ः
तिथिःः5/9/2019/
शिक्षक
💐💐💐
नमन मंच भावों के मोती। नमन गुरुजनों, मित्रों।
पहला शिक्षक मातु पिता।
दूजा जिन दीन्हीं ज्ञान।
अच्छी तरह से सीख लेना।
जो भी मिलता है इनसे ज्ञान।
हाथ पकड़ कर लिखना सिखाया।
रटा रटाकर पढ़ना सिखाया।
आज जो भी बन गये हम।
उन्हीं गुरु के कारण।
हाथ जोड़ कर करो सभी।
उन गुरुजनों को नमन।
....... वीणा झा......
.... स्वरचित....
बोकारो स्टील सिटी
💐💐💐
नमन मंच भावों के मोती। नमन गुरुजनों, मित्रों।
पहला शिक्षक मातु पिता।
दूजा जिन दीन्हीं ज्ञान।
अच्छी तरह से सीख लेना।
जो भी मिलता है इनसे ज्ञान।
हाथ पकड़ कर लिखना सिखाया।
रटा रटाकर पढ़ना सिखाया।
आज जो भी बन गये हम।
उन्हीं गुरु के कारण।
हाथ जोड़ कर करो सभी।
उन गुरुजनों को नमन।
....... वीणा झा......
.... स्वरचित....
बोकारो स्टील सिटी
दिनांक-5/9/19
विषय-शिक्षक
English medium school में टीचर मिलते है, लेकिन अध्यापक नही।
आप को अजीब लग सकता है पर बिल्कुल अजीब नही है, क्योंकि सरस्वती शिशु मंदिर के अध्यापकों और अंग्रेजी स्कूलों के टीचरों में जमीन आसमान का भेद है।
जहाँ सरस्वती शिक्षा विद्यालयो में शिक्षा को मंदिर और शिक्षक को गुरु की तरह माना जाता है।
गुरु शिष्यों में भेद नही करता।मेरी अग्रिम शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में ही हुई है।
आज जो भी संस्कार और संस्कृत का ज्ञान है।ये सब उन शिक्षकों की दी देन है।जिन्होंने न केवल पेंसिल चलाना सिखाया,बल्कि कमर चलाना भी सिखाया था।
संस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए ,दिनों तक मेहनत कराई जाती,गोद मे सर रख बड़े प्यार से हमारे गुरु जी कक्षा अध्यापक हमारा मेकअप करते थे।
पैरो में घुंघरू बांधना और कभी तो लहंगा भी ठीक से पहनाना ,सब बड़े प्रेम से करते थे।
पर शिक्षा के समय लकड़ी के पैमाने से लड़को की पिटाई भी की जाती थी।
गलती करने पर बालिकाओं को भी वो ही सजा मिलती थी।
1 से 20 तक के पहाड़े उल्टे और सीधे दोनो क्रम में सभी को कंठस्थ थे,
ये और बात है कि बच्चों की अंग्रेजी पढ़ाई ने वो सब भुला दिया।
पर अनुशासन के वो दिन आज भी याद आते है।
संध्या चतुर्वेदी
विषय-शिक्षक
English medium school में टीचर मिलते है, लेकिन अध्यापक नही।
आप को अजीब लग सकता है पर बिल्कुल अजीब नही है, क्योंकि सरस्वती शिशु मंदिर के अध्यापकों और अंग्रेजी स्कूलों के टीचरों में जमीन आसमान का भेद है।
जहाँ सरस्वती शिक्षा विद्यालयो में शिक्षा को मंदिर और शिक्षक को गुरु की तरह माना जाता है।
गुरु शिष्यों में भेद नही करता।मेरी अग्रिम शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में ही हुई है।
आज जो भी संस्कार और संस्कृत का ज्ञान है।ये सब उन शिक्षकों की दी देन है।जिन्होंने न केवल पेंसिल चलाना सिखाया,बल्कि कमर चलाना भी सिखाया था।
संस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए ,दिनों तक मेहनत कराई जाती,गोद मे सर रख बड़े प्यार से हमारे गुरु जी कक्षा अध्यापक हमारा मेकअप करते थे।
पैरो में घुंघरू बांधना और कभी तो लहंगा भी ठीक से पहनाना ,सब बड़े प्रेम से करते थे।
पर शिक्षा के समय लकड़ी के पैमाने से लड़को की पिटाई भी की जाती थी।
गलती करने पर बालिकाओं को भी वो ही सजा मिलती थी।
1 से 20 तक के पहाड़े उल्टे और सीधे दोनो क्रम में सभी को कंठस्थ थे,
ये और बात है कि बच्चों की अंग्रेजी पढ़ाई ने वो सब भुला दिया।
पर अनुशासन के वो दिन आज भी याद आते है।
संध्या चतुर्वेदी
विषय - शिक्षक
शिक्षक दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹🙏🙏
-----शिक्षक----
शिक्षक...
अज्ञान के अंधकार में
एक दीप टिमटिमाता
स्वयं जलकर
कष्ट सहकर
ज्ञान का पथ वो दिखलाता
अग्रसर हो उस पथ पर
हमने मंजिल को पाया
वो दीपक ही तो शिक्षक कहलाया
शिक्षक...
उपवन का एक माली
बच्चों की बगिया उसने पाली
ज्ञान रूपी यंत्र से
कली रूपी बच्चों को
गुलाब बना कर उसने महकाया
वो माली ही तो शिक्षक कहलाया
शिक्षक...
एक कुम्भकार
बालक मानो मिट्टी हो जैसे
माटी का बनाया मटका
ज्ञान चक्र चलाया ऐसे
आदर्श बन समाज का
प्रेम का सागर बहाया
छूकर जिसे स्वर्ण बने
वो पारस ही तो शिक्षक कहलाया
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
शिक्षक दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹🙏🙏
-----शिक्षक----
शिक्षक...
अज्ञान के अंधकार में
एक दीप टिमटिमाता
स्वयं जलकर
कष्ट सहकर
ज्ञान का पथ वो दिखलाता
अग्रसर हो उस पथ पर
हमने मंजिल को पाया
वो दीपक ही तो शिक्षक कहलाया
शिक्षक...
उपवन का एक माली
बच्चों की बगिया उसने पाली
ज्ञान रूपी यंत्र से
कली रूपी बच्चों को
गुलाब बना कर उसने महकाया
वो माली ही तो शिक्षक कहलाया
शिक्षक...
एक कुम्भकार
बालक मानो मिट्टी हो जैसे
माटी का बनाया मटका
ज्ञान चक्र चलाया ऐसे
आदर्श बन समाज का
प्रेम का सागर बहाया
छूकर जिसे स्वर्ण बने
वो पारस ही तो शिक्षक कहलाया
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
शीर्षक,,शिक्षक
गुरू ब्रह्म ,गुरु विष्णु, गुरुमहेश्वर गुरु गोविंद से बडा |
पहली पाठशाला परिवार माँ देती संस्कार |
पिता की छत्रछाया वटवृक्ष सी पर गुरु बिन अधूरा |
गुरु कुम्हार माटी से गढ़ता रुप सुदंर
मूल्यवान बना अग्रसर करदेता मूल्यांकन हेतु |
शिक्षक भर दे जीवन को उच्चतम आदर्शो से |
व्यक्तित्व निखार देश को देता अमूल्य हीरा |
यही तो माँ भारती के उज्ज्वल तम भविष्य का निर्माण कर्ता |
ऐसे श्रेष्ठ तम गुरू ओ नमन कोटिश बार बार |
ऐसे ही कई गुरू हुऐ है देश मे उनको नमन |स्वरचित,,दमयंती मिश्रा
गुरू ब्रह्म ,गुरु विष्णु, गुरुमहेश्वर गुरु गोविंद से बडा |
पहली पाठशाला परिवार माँ देती संस्कार |
पिता की छत्रछाया वटवृक्ष सी पर गुरु बिन अधूरा |
गुरु कुम्हार माटी से गढ़ता रुप सुदंर
मूल्यवान बना अग्रसर करदेता मूल्यांकन हेतु |
शिक्षक भर दे जीवन को उच्चतम आदर्शो से |
व्यक्तित्व निखार देश को देता अमूल्य हीरा |
यही तो माँ भारती के उज्ज्वल तम भविष्य का निर्माण कर्ता |
ऐसे श्रेष्ठ तम गुरू ओ नमन कोटिश बार बार |
ऐसे ही कई गुरू हुऐ है देश मे उनको नमन |स्वरचित,,दमयंती मिश्रा
*गुरू- वंदना*
*विधा-------ताटक- छंद*
गुरूवर तेरे कमलपद पर,
अपना शीष झुकाते हैं ।
शिक्षक हैं आप तो हमारे
सच्चा सबक सिखाते हैं ।
अज्ञानता के तिमिर हटा के ,
विद्या ज्योत जलाते हैं।
सन्मार्ग पर चलना सिखाया ,
संबल खूब बढ़ाते हैं।
बदले में कभी कुछ न चाहे ,
अपना फर्ज निभाते हैं।
गीली माटी को गढ़ देते ,
ईश रूप धर जाते हैं।
गुरू तो जीवन वरदान हैं ,
अमृत नित बरसाते हैं ।
अहंकार से परे रह सदा ,
निर्मल भाव सजाते हैं ।
शिक्षक तो विद्या सागर हैं ,
ज्ञान लहरें जगाते हैं ।
कर्म-साधक भविष्य-विधाता ,
भाग्य रेख बनाते हैं।
*धनेश्वरी देवांगन "धरा "*
*रायगढ़ (छत्तीसगढ़)*
*विधा-------ताटक- छंद*
गुरूवर तेरे कमलपद पर,
अपना शीष झुकाते हैं ।
शिक्षक हैं आप तो हमारे
सच्चा सबक सिखाते हैं ।
अज्ञानता के तिमिर हटा के ,
विद्या ज्योत जलाते हैं।
सन्मार्ग पर चलना सिखाया ,
संबल खूब बढ़ाते हैं।
बदले में कभी कुछ न चाहे ,
अपना फर्ज निभाते हैं।
गीली माटी को गढ़ देते ,
ईश रूप धर जाते हैं।
गुरू तो जीवन वरदान हैं ,
अमृत नित बरसाते हैं ।
अहंकार से परे रह सदा ,
निर्मल भाव सजाते हैं ।
शिक्षक तो विद्या सागर हैं ,
ज्ञान लहरें जगाते हैं ।
कर्म-साधक भविष्य-विधाता ,
भाग्य रेख बनाते हैं।
*धनेश्वरी देवांगन "धरा "*
*रायगढ़ (छत्तीसगढ़)*
आज का विषय, शिक्षक
दिन, गुरुवार
दिनांक, 5,9,2019.
आधारशिला जीवन की , रखता शिक्षक ही है ।
जन्म हमें देती है माँ, पर संवारता शिक्षक ही है ।
पालन तो पालक करते हैं, दिशा दिखाता शिक्षक ही है ।
जीवन की दुर्गम राहों को, सुगम करता शिक्षक ही है।
अज्ञान के अंधकार को, दूर करे शिक्षक ही है ।
भावों के खजाने को अनमोल बनाये शिक्षक ही है ।
ईर्ष्या द्वेष नहीं होता,प्रगति से खुशी हुआ शिक्षक ही है ।
ईश्वर से पहले पूज्यनीय, होता अपना शिक्षक ही है ।
हम कभी न भूलें, प्रतिबिंब हमारा होता शिक्षक ही है ।
स्वरचित , मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
दिन, गुरुवार
दिनांक, 5,9,2019.
आधारशिला जीवन की , रखता शिक्षक ही है ।
जन्म हमें देती है माँ, पर संवारता शिक्षक ही है ।
पालन तो पालक करते हैं, दिशा दिखाता शिक्षक ही है ।
जीवन की दुर्गम राहों को, सुगम करता शिक्षक ही है।
अज्ञान के अंधकार को, दूर करे शिक्षक ही है ।
भावों के खजाने को अनमोल बनाये शिक्षक ही है ।
ईर्ष्या द्वेष नहीं होता,प्रगति से खुशी हुआ शिक्षक ही है ।
ईश्वर से पहले पूज्यनीय, होता अपना शिक्षक ही है ।
हम कभी न भूलें, प्रतिबिंब हमारा होता शिक्षक ही है ।
स्वरचित , मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
आप सभी को हार्दिक नमस्कार
आज के विषय पर
घना तम में
जल उठा दीपक
शिक्षक बन
मार्गदर्शक
करता आलोकित
दिव्य सूरज
बुद्धि प्रवर
ईश से बढ़कर
मिले आसन
पावक पन
करते हैं दहन
अज्ञान पुंज
कर पकड़
सिखाते ककहरा
कलम धर
पथ ना भूलें
निज कर्म महान
दें सदज्ञान
शिष्य जीवन
करते सुरभित
बन चंदन
विवेक पूर्ण
ज्ञान चक्षु खोलते
अंधो की लाठी
बने सदैव
हड्डी रीढ़ आधार
शिक्षा संसार
प्रणम्य सदा
ज्ञान पुंज उजास
अज्ञान हरे।
स्वरचित
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
5-9-2019
आज के विषय पर
घना तम में
जल उठा दीपक
शिक्षक बन
मार्गदर्शक
करता आलोकित
दिव्य सूरज
बुद्धि प्रवर
ईश से बढ़कर
मिले आसन
पावक पन
करते हैं दहन
अज्ञान पुंज
कर पकड़
सिखाते ककहरा
कलम धर
पथ ना भूलें
निज कर्म महान
दें सदज्ञान
शिष्य जीवन
करते सुरभित
बन चंदन
विवेक पूर्ण
ज्ञान चक्षु खोलते
अंधो की लाठी
बने सदैव
हड्डी रीढ़ आधार
शिक्षा संसार
प्रणम्य सदा
ज्ञान पुंज उजास
अज्ञान हरे।
स्वरचित
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
5-9-2019
नमन मंच
05/09/19
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
सर्वपल्ली की याद मे ये दिवस मनाते है
श्रद्धा से शीश हम ,गुरुचरणों में झुकाते है
गुरु का जीवन मे है सर्वोत्तम स्थान
मन का तमस दूर कर देता प्रकाश ।
गुरु वशिष्ठ ,गुरु संदीपनी को नमन
जिनके शिष्य भगवान राम और कृष्ण ।
एकलव्य ने दे अँगूठा गुरु द्रोणाचार्य को
जग को बताया महत्व गुरु दक्षिणा का ।
आरुणि रात भर लेटे रहे खेत की मेड़ पर
गुरु धौम्य का आदेश ले सिर माथे पर ।
पहचान हम अपनी खो रहे आज
गुरु शिष्य सम्बन्ध का हो रहा ह्रास।
गुरु और शिष्य अपनी मर्यादा पहचाने
वही सम्मान दिला ये परम्परा बचा लें ।
अनिता सुधीर
05/09/19
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
सर्वपल्ली की याद मे ये दिवस मनाते है
श्रद्धा से शीश हम ,गुरुचरणों में झुकाते है
गुरु का जीवन मे है सर्वोत्तम स्थान
मन का तमस दूर कर देता प्रकाश ।
गुरु वशिष्ठ ,गुरु संदीपनी को नमन
जिनके शिष्य भगवान राम और कृष्ण ।
एकलव्य ने दे अँगूठा गुरु द्रोणाचार्य को
जग को बताया महत्व गुरु दक्षिणा का ।
आरुणि रात भर लेटे रहे खेत की मेड़ पर
गुरु धौम्य का आदेश ले सिर माथे पर ।
पहचान हम अपनी खो रहे आज
गुरु शिष्य सम्बन्ध का हो रहा ह्रास।
गुरु और शिष्य अपनी मर्यादा पहचाने
वही सम्मान दिला ये परम्परा बचा लें ।
अनिता सुधीर
नमन मंच भावों के मोती
दिनांक-05/09/2019
विषय-शिक्षक
**************************************
सही क्या है, गलत क्या है,
हमे सब कुछ बता देता,
कला जीवन की जितनी है,
गुरु सब कुछ सीखा देता!
बिखरते तार को सुरमय,
सुरीला साज बनाता है,
वो कच्ची मिट्टी से सुंदर,
सुहाना ताज बना देता !
वो अपने ज्ञान से निर्मल,
सरल शुद्ध मन बनाता है,
तभी तो धूल के कण को ,
मणि कंचन बनाता है !
की शिक्षक है हमारे मन ,
के भीतर दिव्य सी शक्ति,
कभी मिटने न पाये ज्ञान का,
ये धन बनाता है!
वो बनके रोशनी मन के,
अंधेरों को हटा देता,
जीत का मंत्र देता है,
विपत्ति को हरा देता,
अंधेरा हो भयानक तो,
दीया खुद बनके चलता है,
कठिन राहें सरल कर के,
नयी राहें दिखा देता!
स्वरचित-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
दिनांक-05/09/2019
विषय-शिक्षक
**************************************
सही क्या है, गलत क्या है,
हमे सब कुछ बता देता,
कला जीवन की जितनी है,
गुरु सब कुछ सीखा देता!
बिखरते तार को सुरमय,
सुरीला साज बनाता है,
वो कच्ची मिट्टी से सुंदर,
सुहाना ताज बना देता !
वो अपने ज्ञान से निर्मल,
सरल शुद्ध मन बनाता है,
तभी तो धूल के कण को ,
मणि कंचन बनाता है !
की शिक्षक है हमारे मन ,
के भीतर दिव्य सी शक्ति,
कभी मिटने न पाये ज्ञान का,
ये धन बनाता है!
वो बनके रोशनी मन के,
अंधेरों को हटा देता,
जीत का मंत्र देता है,
विपत्ति को हरा देता,
अंधेरा हो भयानक तो,
दीया खुद बनके चलता है,
कठिन राहें सरल कर के,
नयी राहें दिखा देता!
स्वरचित-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
5.9.2019
गुरूवार
विषय - शिक्षक
शिक्षक
शिक्षक शिक्षा दे रहे, देते अक्षर ज्ञान
प्रथम वर्णमाला के अक्षर,से होती पहचान ।।
उल्टी-सीधी रेखाओं से,बनते नाना चित्र
उस अनंत से हमें मिलाते,
मिलते सभी महान।।
कला और साहित्य
विविधता,सब रहस्य विज्ञान के
संशय मिटते जाते पल-पल,
करते हैं कल्याण।।
दिशा सुनिश्चित करते रहते,
जीवन मूल्य सिखाते हैं
आदर्शों को अपनाने के,दूर
हों सब व्यवधान।।
सेवा और सुरक्षा के हित
जागृत करते हैं’उदार’
देश का गौरव,देश की रक्षा,
देश का हो सम्मान ।।
स्वरचित
गुरूवार
विषय - शिक्षक
शिक्षक
शिक्षक शिक्षा दे रहे, देते अक्षर ज्ञान
प्रथम वर्णमाला के अक्षर,से होती पहचान ।।
उल्टी-सीधी रेखाओं से,बनते नाना चित्र
उस अनंत से हमें मिलाते,
मिलते सभी महान।।
कला और साहित्य
विविधता,सब रहस्य विज्ञान के
संशय मिटते जाते पल-पल,
करते हैं कल्याण।।
दिशा सुनिश्चित करते रहते,
जीवन मूल्य सिखाते हैं
आदर्शों को अपनाने के,दूर
हों सब व्यवधान।।
सेवा और सुरक्षा के हित
जागृत करते हैं’उदार’
देश का गौरव,देश की रक्षा,
देश का हो सम्मान ।।
स्वरचित
05/09/2019
"शिक्षक"
-----------------------------------
ज्ञान का दीप जलाने वाले...
प्रकाशित पथ दिखाने वाले...
अज्ञानता को हरने वाले.......
भूल को दर्पण दिखाने वाले..
गलती को क्षमा करने वाले...
शीशे को तरासने वाले........
कोहिनूर बनाने वाले..........
जिंदगी को समझाने वाले.....
गूढ़ रहस्यों को सुलझाने वाले
स्नेहमय दंड देने वाले.....
व्यक्तित्व निखारने वाले....
शिष्यों पर प्रभाव छोड़ने वाले
सरलता से जीने वाले....
प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले..
आदर्श और उच्च विचार वाले
आत्मबल,,मनोबल के धनी..
शिक्षक होते हैं हमारे...।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
नमन मंच
भावों के मोती समूह
5- 9- 2019
आज #शिक्षक दिवस पर उनकी #महत्ता को दर्शाते शिक्षक के चार प्रमुख स्वरुप चार तांको के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
1============= ( प्रथम शिक्षक )
--- प्रथम गुरु
---माता की पाठशाला
---शिक्षा आधार
--- बालक संरक्षण
--- संजोती है संस्कार //
2============= ( द्वितीय शिक्षक )
---शिक्षक गुरु
--- देता है ज्ञानदान
--- जीवन - ज्योति
--- बच्चे बनें महान
--- सीखें कर्म प्रधान //
3============= ( तृतीय शिक्षक )
--- प्रकृति गुरु
---सशक्त प्रकृति- माँ
--- मानवी रुप
--- नदी, धरा,बृक्ष भी
--- हैं शिक्षक स्वरुप //
4============= ( चतुर्थ शिक्षक )
--- मानव- मन
--- स्वयं का सच्चा गुरु
--- राजहँस सा
--- नीर क्षीर विवेक
--- आत्म शिक्षण देता //
***********************
ब्रह्माणी वीणा
**********************
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित
(गाजियाबाद)
भावों के मोती समूह
5- 9- 2019
आज #शिक्षक दिवस पर उनकी #महत्ता को दर्शाते शिक्षक के चार प्रमुख स्वरुप चार तांको के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
1============= ( प्रथम शिक्षक )
--- प्रथम गुरु
---माता की पाठशाला
---शिक्षा आधार
--- बालक संरक्षण
--- संजोती है संस्कार //
2============= ( द्वितीय शिक्षक )
---शिक्षक गुरु
--- देता है ज्ञानदान
--- जीवन - ज्योति
--- बच्चे बनें महान
--- सीखें कर्म प्रधान //
3============= ( तृतीय शिक्षक )
--- प्रकृति गुरु
---सशक्त प्रकृति- माँ
--- मानवी रुप
--- नदी, धरा,बृक्ष भी
--- हैं शिक्षक स्वरुप //
4============= ( चतुर्थ शिक्षक )
--- मानव- मन
--- स्वयं का सच्चा गुरु
--- राजहँस सा
--- नीर क्षीर विवेक
--- आत्म शिक्षण देता //
***********************
ब्रह्माणी वीणा
**********************
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित
(गाजियाबाद)
भावों के मोती
विषय=शिक्षक
============
शिक्षक रखे नींव भविष्य की
देकर सदा हमें सीख सही
कर्म पथ से विमुख न होना
विपत्ती हो चाहे कितनी बड़ी
कठिनाइयों से डर मत जाना
ठोकर से गिरे तो उठ जाओगे
नज़रों से गिरे तो न उठ पाओगे
सच्चाई के मार्ग पर बढ़ते जाना
पर ईमान से कभी न डगमगाना
यही सीख हमें देकर शिक्षक
करते अज्ञान का अंधेरा दूर
जीवन जियो चुनौतियों के साथ
पर हालात के आगे न होना मजबूर
***अनुराधा चौहान***स्वरचित
विषय=शिक्षक
============
शिक्षक रखे नींव भविष्य की
देकर सदा हमें सीख सही
कर्म पथ से विमुख न होना
विपत्ती हो चाहे कितनी बड़ी
कठिनाइयों से डर मत जाना
ठोकर से गिरे तो उठ जाओगे
नज़रों से गिरे तो न उठ पाओगे
सच्चाई के मार्ग पर बढ़ते जाना
पर ईमान से कभी न डगमगाना
यही सीख हमें देकर शिक्षक
करते अज्ञान का अंधेरा दूर
जीवन जियो चुनौतियों के साथ
पर हालात के आगे न होना मजबूर
***अनुराधा चौहान***स्वरचित
नमन भावों के मोती
दिनांक ५/९/१९
जय मां शारदे
मनहरण घनाक्षरी छंद
८८८७
विषय- शिक्षक
मोम सा पिघलता है दीप सम जलता है ,
तम से उबार कर जिंदगी संवारता।
गुरु रस खान बन सुधा रस दान कर ,
खोल ज्ञान चक्षु सब पल में उबारता।
तोड़ भव कूप फंद सब ये विश्वास अंध,
डाल सांचे बीच उसे खूब है निखारता।
सुमनों का ले के थाल अंजुलि में जल डाल ,
चरण गुरु के मैं भी पय से पखारता।
स्वरचित
संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
दिनांक ५/९/१९
जय मां शारदे
मनहरण घनाक्षरी छंद
८८८७
विषय- शिक्षक
मोम सा पिघलता है दीप सम जलता है ,
तम से उबार कर जिंदगी संवारता।
गुरु रस खान बन सुधा रस दान कर ,
खोल ज्ञान चक्षु सब पल में उबारता।
तोड़ भव कूप फंद सब ये विश्वास अंध,
डाल सांचे बीच उसे खूब है निखारता।
सुमनों का ले के थाल अंजुलि में जल डाल ,
चरण गुरु के मैं भी पय से पखारता।
स्वरचित
संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
शिक्षक दिवस पर विशेष
"""""""""""""""""""""""""""""
नैतिकता
"""""""""""
आजकल जिसे देखो! जहाँ देखो
शिक्षक बन सारे समय नई
नैतिकता की बातें करते हैं
मदिरा की पीठ थपथपाते हुए।
और... बेचारी
नैतिकता सिर झुकाएं
निश्चल खड़ी है खिड़की के पास।
शाकाहार के डण्ठलों पर जिन्दा
आम आबादी प्रजातंत्र के
स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबूओं
के स्त्रोत को निहार रही हैं।
एकाकी जीवन पाल के पीछे
छिप गया है घर का आकाश
और...
आँगन में मुरझाई घास
दीवारों से उठते आदमी के चेहरों पर
उभर आई नक़्क़ाशी में
नैतिकता का पानी खोज रही हैं।
शिक्षा के अत्याधुनिक चबुतरों
पर छितराए शासन में
बेचैनी खरीदते एकलव्यों में
उत्कट एकाकीपन भर रहा हैं
धूसर नदी के जल जैसा...।
बस! अब खुद की नैतिकता को
द्रोणाचार्य के भरोसे मत तराशो
क्यों इतनी उत्कंठा और जिज्ञासा से
देखते हो छद्मवेशी लोगों के चहरों को...।।
✍🏻 गोविन्द सिंह चौहान
"""""""""""""""""""""""""""""
नैतिकता
"""""""""""
आजकल जिसे देखो! जहाँ देखो
शिक्षक बन सारे समय नई
नैतिकता की बातें करते हैं
मदिरा की पीठ थपथपाते हुए।
और... बेचारी
नैतिकता सिर झुकाएं
निश्चल खड़ी है खिड़की के पास।
शाकाहार के डण्ठलों पर जिन्दा
आम आबादी प्रजातंत्र के
स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबूओं
के स्त्रोत को निहार रही हैं।
एकाकी जीवन पाल के पीछे
छिप गया है घर का आकाश
और...
आँगन में मुरझाई घास
दीवारों से उठते आदमी के चेहरों पर
उभर आई नक़्क़ाशी में
नैतिकता का पानी खोज रही हैं।
शिक्षा के अत्याधुनिक चबुतरों
पर छितराए शासन में
बेचैनी खरीदते एकलव्यों में
उत्कट एकाकीपन भर रहा हैं
धूसर नदी के जल जैसा...।
बस! अब खुद की नैतिकता को
द्रोणाचार्य के भरोसे मत तराशो
क्यों इतनी उत्कंठा और जिज्ञासा से
देखते हो छद्मवेशी लोगों के चहरों को...।।
✍🏻 गोविन्द सिंह चौहान
5/9/2019
गुरुवार
विषय -शिक्षक
आज हैं शिक्षक दिवस
आओ मनाय हर्ष हर्ष
याद आ रहे हैं वो बिते बर्ष
जब गुरुओ ने सिखलाई थी
abcd,ओलम और गिनती
ओर साथ ही सीधी लकीर बनाना,
मात्रायैं और बहुत से नये शब्द,
आज हैं....
गुरू ज्ञान से रहते लबरेज,
सजा देने मे भी न करे परहेज,
हर पल कुछ नया सीखने को करते आतुर,
जिससे शिष्यो का मन पडने को हो व्याकुल,
बडि क्लास मे आने पर दोस्त जैसे बनते हर्ष-2,
आज हैं....
सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं,व्यावहारिक ज्ञान भी सिखलाते,
गुरू ही देखना सिखाते ,फर्श से अर्श,
आज है शिक्षक दिवस
आओ मनाय हर्ष-2..
स्वरचित
शिल्पी पचौरी
गुरुवार
विषय -शिक्षक
आज हैं शिक्षक दिवस
आओ मनाय हर्ष हर्ष
याद आ रहे हैं वो बिते बर्ष
जब गुरुओ ने सिखलाई थी
abcd,ओलम और गिनती
ओर साथ ही सीधी लकीर बनाना,
मात्रायैं और बहुत से नये शब्द,
आज हैं....
गुरू ज्ञान से रहते लबरेज,
सजा देने मे भी न करे परहेज,
हर पल कुछ नया सीखने को करते आतुर,
जिससे शिष्यो का मन पडने को हो व्याकुल,
बडि क्लास मे आने पर दोस्त जैसे बनते हर्ष-2,
आज हैं....
सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं,व्यावहारिक ज्ञान भी सिखलाते,
गुरू ही देखना सिखाते ,फर्श से अर्श,
आज है शिक्षक दिवस
आओ मनाय हर्ष-2..
स्वरचित
शिल्पी पचौरी
नमन भावों के मोती
दिनाँक-05/09/2019
विषय-शिक्षक
विधा-मुक्तक विधाता छंद
जलाकर ज्योति शिक्षा की,
तिमिर से जंग हैं लड़ते।
कलम की रोशनी से ये,
अंधेरा दूर हैं करते।।
निशा का रूप कितना ही,
भयानक हो भले लेकिन-
लिए संकल्प मन में ये,
अडिग पथ पर बने रहते।।
गुरु बनने के खातिर ही,
जतन इतना किए हैं जो।
हजारों दर्द सीने में,
दफन अपने किए हैं जो।।
रवि चरणों में करता है,
नमन सौ बार उनके ही-
स्वतः रहके वहीं पर भी,
रतन हमकों किए हैं जो।।
न कोई वृक्ष ऐसा है,
जो छाया दे सके इतना।
दिया है आपने मुझको,
सहारा आज तक जितना।।
मुझे हथियार शिक्षा का,
दिया है आपने जब से-
हताशा अब नही होती,
भले अवरोध हो कितना।।
रविशंकर विद्यार्थी
सिरसा मेजा प्रयागराज
दिनाँक-05/09/2019
विषय-शिक्षक
विधा-मुक्तक विधाता छंद
जलाकर ज्योति शिक्षा की,
तिमिर से जंग हैं लड़ते।
कलम की रोशनी से ये,
अंधेरा दूर हैं करते।।
निशा का रूप कितना ही,
भयानक हो भले लेकिन-
लिए संकल्प मन में ये,
अडिग पथ पर बने रहते।।
गुरु बनने के खातिर ही,
जतन इतना किए हैं जो।
हजारों दर्द सीने में,
दफन अपने किए हैं जो।।
रवि चरणों में करता है,
नमन सौ बार उनके ही-
स्वतः रहके वहीं पर भी,
रतन हमकों किए हैं जो।।
न कोई वृक्ष ऐसा है,
जो छाया दे सके इतना।
दिया है आपने मुझको,
सहारा आज तक जितना।।
मुझे हथियार शिक्षा का,
दिया है आपने जब से-
हताशा अब नही होती,
भले अवरोध हो कितना।।
रविशंकर विद्यार्थी
सिरसा मेजा प्रयागराज
5-9-19 , गुरुवार
#शीर्षक_शिक्षक
----------------------
सच्चाई की - - राह दिखाए
सत्य, वही शिक्षक कहलाए
बाधाओं से कभी न डरता
जिम्मेदारी पूरी - - करता
शिक्षक की महिमा को जानो
उसके सद् गुण को पहचानो
बच्चों को जीना सिखलाता
साहस सब में खूब बढ़ाता
बिगड़ों को राहों पर लाता
ज्ञान बाँट कर दिव्य बनाता
थोड़े में ये करे गुजारा ।
शिक्षक हमको लगता प्यारा।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
#शीर्षक_शिक्षक
----------------------
सच्चाई की - - राह दिखाए
सत्य, वही शिक्षक कहलाए
बाधाओं से कभी न डरता
जिम्मेदारी पूरी - - करता
शिक्षक की महिमा को जानो
उसके सद् गुण को पहचानो
बच्चों को जीना सिखलाता
साहस सब में खूब बढ़ाता
बिगड़ों को राहों पर लाता
ज्ञान बाँट कर दिव्य बनाता
थोड़े में ये करे गुजारा ।
शिक्षक हमको लगता प्यारा।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
सादर नमन *भावों के मोती
आज का शीर्षक - "शिक्षक"
विधा - छंद मुक्त
दिन - गुरुवार
दिनांक - 05-09-2019
*********************
गुरुकुल परम्परा का पोषक होता था श्रद्धा का पात्र।
लेकिन अब शिक्षक समाज में है निरीह प्राणी सा मात्र।।
भौतिक युग की चकाचौंध ने बना दिया है इसको अंधा।
हुआ कृपण और व्यापारी ये विद्या बेच करे है धंधा।।
नहीं पढ़ाता मनोयोग से देता है कोरे व्याख्यान।
छल बल के उद्यम पर आश्रितचढ़े सफलता के सोपान।।
क्या निर्माण करेगा युग का जो चरित्र से हीन स्वयं हो।
विद्या भला विनय क्या देगी शिक्षक में जब भरा अहं हो।।
खोयी मर्यादा पाने को जीवन मूल्य बदलने होंगे।
त्याग और निष्ठा के मानक फिर स्थापित करने होंगे।।
जीर्ण-शीर्ण विद्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करनी होगी।
होने वंदनीय शिक्षक को कठिन तपस्या करनी होगी।।
ज्ञान दीप आलोकित होंगे छँट जायेगा गहन अँधेरा।
दीप्त सूर्य की स्वर्णिम किरणें लायेंगी इक नया सवेरा।।
पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
विनीत मोहन औदिच्य
सागर, मध्य प्रदेश
आज का शीर्षक - "शिक्षक"
विधा - छंद मुक्त
दिन - गुरुवार
दिनांक - 05-09-2019
*********************
गुरुकुल परम्परा का पोषक होता था श्रद्धा का पात्र।
लेकिन अब शिक्षक समाज में है निरीह प्राणी सा मात्र।।
भौतिक युग की चकाचौंध ने बना दिया है इसको अंधा।
हुआ कृपण और व्यापारी ये विद्या बेच करे है धंधा।।
नहीं पढ़ाता मनोयोग से देता है कोरे व्याख्यान।
छल बल के उद्यम पर आश्रितचढ़े सफलता के सोपान।।
क्या निर्माण करेगा युग का जो चरित्र से हीन स्वयं हो।
विद्या भला विनय क्या देगी शिक्षक में जब भरा अहं हो।।
खोयी मर्यादा पाने को जीवन मूल्य बदलने होंगे।
त्याग और निष्ठा के मानक फिर स्थापित करने होंगे।।
जीर्ण-शीर्ण विद्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करनी होगी।
होने वंदनीय शिक्षक को कठिन तपस्या करनी होगी।।
ज्ञान दीप आलोकित होंगे छँट जायेगा गहन अँधेरा।
दीप्त सूर्य की स्वर्णिम किरणें लायेंगी इक नया सवेरा।।
पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
विनीत मोहन औदिच्य
सागर, मध्य प्रदेश
विषय-शिक्षक
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।
शिक्षक शब्द को हमने बहुत मर्यादित सीमा में बांध दिया है ।
शिक्षक कहते ही हमारी दृष्टि अध्यापक तक सीमित हो जाती है , विस्तृत रूप से देखें तो शिक्षक शब्द व्यापक सत्ता रखता है, हर मानव के अंदर पुरा
ज्ञान होता है बस उसे जागृत कर व्यवहार में ढ़ालने का कार्य गुरु का होता है ,जो हर क्षेत्र में अलग-अलग हो सकते हैं । सामाजिक व्यवहार और संस्कार के शिक्षक माता-पिता और घर के बुजुर्ग, पाठशाला में अध्यापक,और आध्यात्मिक समझ के लिए धर्म गुरु ।
और कई बार व्यवहारिक जीवन में हमें नये-नये गुरु मिलते हैं ।
जीवन चक्र में चलते हुवे मार्ग में जो समयानुसार सही बोध दे वो भी शिक्षक है।
आध्यात्मिक गुरु की छवि मेरे विचार...
. कुम्हार सरीखा सदगुरु
अगर मिल जाए
मैं भी टांच बनु सुंदर आत्म स्वरूप ।
माटी और मानव
दोनों हैं प्रतिरूप
सही मन्तव्य पा जाएं
तो सार्थक
वर्ना सिर्फ धूल ।
धन्य हैं वो जिन्हें
जीवन घड़ने वाला
सच्चा कुम्हार मिल जाए
इस जहाँ तो क्या
सदा का आत्मानंद मिल जाए ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।
शिक्षक शब्द को हमने बहुत मर्यादित सीमा में बांध दिया है ।
शिक्षक कहते ही हमारी दृष्टि अध्यापक तक सीमित हो जाती है , विस्तृत रूप से देखें तो शिक्षक शब्द व्यापक सत्ता रखता है, हर मानव के अंदर पुरा
ज्ञान होता है बस उसे जागृत कर व्यवहार में ढ़ालने का कार्य गुरु का होता है ,जो हर क्षेत्र में अलग-अलग हो सकते हैं । सामाजिक व्यवहार और संस्कार के शिक्षक माता-पिता और घर के बुजुर्ग, पाठशाला में अध्यापक,और आध्यात्मिक समझ के लिए धर्म गुरु ।
और कई बार व्यवहारिक जीवन में हमें नये-नये गुरु मिलते हैं ।
जीवन चक्र में चलते हुवे मार्ग में जो समयानुसार सही बोध दे वो भी शिक्षक है।
आध्यात्मिक गुरु की छवि मेरे विचार...
. कुम्हार सरीखा सदगुरु
अगर मिल जाए
मैं भी टांच बनु सुंदर आत्म स्वरूप ।
माटी और मानव
दोनों हैं प्रतिरूप
सही मन्तव्य पा जाएं
तो सार्थक
वर्ना सिर्फ धूल ।
धन्य हैं वो जिन्हें
जीवन घड़ने वाला
सच्चा कुम्हार मिल जाए
इस जहाँ तो क्या
सदा का आत्मानंद मिल जाए ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी।
भावों के मोती
बिषय- शिक्षक
सादा जीवन उच्च विचार
होते जो ज्ञान का भंडार।
जीने का सलीका सीखाते हैं
सही राह दिखलाते हैं।
स्नेह आशीष जो अपने
शिष्यों पर नीत बरसाते हैं।
मेहनत और लगन के साथ
हर काम करना सीखाते हैं।
रुकना नहीं चलते रहना है,
वक़्त की किमत बताते हैं।
नमन शत् शत् बार उन्हें
जो उजास ज्ञान का फैलाते हैं।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
बिषय- शिक्षक
सादा जीवन उच्च विचार
होते जो ज्ञान का भंडार।
जीने का सलीका सीखाते हैं
सही राह दिखलाते हैं।
स्नेह आशीष जो अपने
शिष्यों पर नीत बरसाते हैं।
मेहनत और लगन के साथ
हर काम करना सीखाते हैं।
रुकना नहीं चलते रहना है,
वक़्त की किमत बताते हैं।
नमन शत् शत् बार उन्हें
जो उजास ज्ञान का फैलाते हैं।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
नमन मंच भावों के मोती
आज का कार्य
विषय ==शिक्षक
विधा -----दोहा
गुरु के लिए मेरी चंद पंक्तिया
गोविन्द से गुरुवर बड़े, गुरु हैं गुण के खान
कलुषित मन पावन करे, भरे हृदय में ज्ञान।
***
अन्धकार उर का मिटा, ज्ञान ज्योति जलाय।
ज्ञान पुंज गुरुवर सदा,हरि से देत मिलाय।
***
गुरु काशी काबा गुरु , गुरु ही चारो धाम।
गुरु ही वेद पुराण हैं, बाँचो सुबहो शाम।
***
बिना गुरु पावत नाहीं। कोई जग में ज्ञान।
जोत जलावत ज्ञान की,मिटता सकल अज्ञान।
***
गुरु कृपा जिसको मिले, उसकी नैया पार।
भवसागर से तार दे, गुरु ही तारणहार।
@ मणि बेन
आज का कार्य
विषय ==शिक्षक
विधा -----दोहा
गुरु के लिए मेरी चंद पंक्तिया
गोविन्द से गुरुवर बड़े, गुरु हैं गुण के खान
कलुषित मन पावन करे, भरे हृदय में ज्ञान।
***
अन्धकार उर का मिटा, ज्ञान ज्योति जलाय।
ज्ञान पुंज गुरुवर सदा,हरि से देत मिलाय।
***
गुरु काशी काबा गुरु , गुरु ही चारो धाम।
गुरु ही वेद पुराण हैं, बाँचो सुबहो शाम।
***
बिना गुरु पावत नाहीं। कोई जग में ज्ञान।
जोत जलावत ज्ञान की,मिटता सकल अज्ञान।
***
गुरु कृपा जिसको मिले, उसकी नैया पार।
भवसागर से तार दे, गुरु ही तारणहार।
@ मणि बेन
बिषयःः शिक्षक
विधाःः गीत
एक प्रयास मात्र
मिले चरण रज गुरु आपकी
वंदन आपको सुबहोशाम।
तुम उपकारी हम बलिहारी,
ले श्रद्धा सुमन करें प्रणाम।
शतशत गुरूवर तुम्हें प्रणाम। बारंम्वार तुम्हें...
इस मिट्टी को तुमने गुरूवर ,
गूंथ गूंथकर नाम दिया।
मेरा क्या अस्तित्व यहां पर,
इतना तुमने मान दिया।
मेरे तो तुम ही भयभंता
हे भगवंता तुम्हें प्रणाम।बारंम्बार तुम्हें.....
तुमने हमको राह बताई।
दुनियादारी हमें सिखाई।
नहीं जाने थे कुछ भी हम,
वर्णाक्षरों से मिली ऊंचाई।
हे मनमानस के संता
हे भगवंतातुम्हें प्रणाम।बारंम्बार तुम्हें......
संस्कार संस्कृति धोतक।
तुम्हीं संस्कारो के पोषक।
ज्ञानदान करते हो सबको,
सच्चे अवगुण के शोषक।
नहीं कोई पाऐं आदि अंता।
जय हो श्री गुणवंता।बारंम्बार तुम्हें......
हमें तुम्हीं से शिक्षा मिलती।
ज्ञानदान में भिक्षा मिलती।
बालकाल से हो संरक्षक,
शिक्षक से संरक्षा मिलती।
तुम मानस के हंसा।
हे सबके श्रुति संता।बारंम्बार तुम्हें.....
स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
विधाःः गीत
एक प्रयास मात्र
मिले चरण रज गुरु आपकी
वंदन आपको सुबहोशाम।
तुम उपकारी हम बलिहारी,
ले श्रद्धा सुमन करें प्रणाम।
शतशत गुरूवर तुम्हें प्रणाम। बारंम्वार तुम्हें...
इस मिट्टी को तुमने गुरूवर ,
गूंथ गूंथकर नाम दिया।
मेरा क्या अस्तित्व यहां पर,
इतना तुमने मान दिया।
मेरे तो तुम ही भयभंता
हे भगवंता तुम्हें प्रणाम।बारंम्बार तुम्हें.....
तुमने हमको राह बताई।
दुनियादारी हमें सिखाई।
नहीं जाने थे कुछ भी हम,
वर्णाक्षरों से मिली ऊंचाई।
हे मनमानस के संता
हे भगवंतातुम्हें प्रणाम।बारंम्बार तुम्हें......
संस्कार संस्कृति धोतक।
तुम्हीं संस्कारो के पोषक।
ज्ञानदान करते हो सबको,
सच्चे अवगुण के शोषक।
नहीं कोई पाऐं आदि अंता।
जय हो श्री गुणवंता।बारंम्बार तुम्हें......
हमें तुम्हीं से शिक्षा मिलती।
ज्ञानदान में भिक्षा मिलती।
बालकाल से हो संरक्षक,
शिक्षक से संरक्षा मिलती।
तुम मानस के हंसा।
हे सबके श्रुति संता।बारंम्बार तुम्हें.....
स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
दिनांक-५/९/२०१९
शीर्षक-शिक्षक"
नैतिकता का पाठ पढाये
जीवन पथ पर चलना सीखाये
अज्ञानता के तम को हरे,
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
दुनिया के झमेलों से अनजान
शिक्षक ने सीखाये ज्ञान तमाम
उन्नति के मार्ग प्रशस्त कराये
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
आकांक्षा, आवश्यकता में भेद बताये
बुद्धि विवेक का पाठ सीखाये
फर्श से अर्श पर हमें पहुँचाये
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
जीवन राह जो आसान बनाये
अन्तस में जो ज्योति जगाये
हर कर्म का जो मर्म बताये
ऐसे गुरु को शत शत नमन।
अध्यात्म का पाठ पढाये
सही ग़लत का भेद बताये
मूढ़ को मूर्धन्य बना दे
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
शीर्षक-शिक्षक"
नैतिकता का पाठ पढाये
जीवन पथ पर चलना सीखाये
अज्ञानता के तम को हरे,
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
दुनिया के झमेलों से अनजान
शिक्षक ने सीखाये ज्ञान तमाम
उन्नति के मार्ग प्रशस्त कराये
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
आकांक्षा, आवश्यकता में भेद बताये
बुद्धि विवेक का पाठ सीखाये
फर्श से अर्श पर हमें पहुँचाये
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
जीवन राह जो आसान बनाये
अन्तस में जो ज्योति जगाये
हर कर्म का जो मर्म बताये
ऐसे गुरु को शत शत नमन।
अध्यात्म का पाठ पढाये
सही ग़लत का भेद बताये
मूढ़ को मूर्धन्य बना दे
ऐसे शिक्षक को शत शत नमन।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
नमन् भावों के मोती
5/09/19
विषय शिक्षक
विधा हाइकु
स्नेह आशीष
गुरु का अभिदान
जीवन शिक्षा
रंग भरता
ब्लैकबोर्ड रंगता
ज्ञान बांटता
अक्षर ज्ञान
जीवन का विज्ञान
शिक्षक प्यार
नेह-ममता
भविष्य सवांरता
शिष्य रमता
शिक्षा आधार
जीवन के संस्कार
गुरू के द्वार
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
5/09/19
विषय शिक्षक
विधा हाइकु
स्नेह आशीष
गुरु का अभिदान
जीवन शिक्षा
रंग भरता
ब्लैकबोर्ड रंगता
ज्ञान बांटता
अक्षर ज्ञान
जीवन का विज्ञान
शिक्षक प्यार
नेह-ममता
भविष्य सवांरता
शिष्य रमता
शिक्षा आधार
जीवन के संस्कार
गुरू के द्वार
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
दिनाँक-05-09-2019
विषय-शिक्षक
विधा-वर्ण पिरामिड
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
1-है
होता
शिक्षक
अद्वितीय
आदरणीय
अविस्मरणीय
प्रथम पूज्यनीय।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
2-है
पूज्य
शिक्षक
विचारक
तम हारक
अंत:सुधारक
विषय विस्तारक।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
3- है
स्थान
प्रथम
ईश सम
हरते तम
सत्यम शिवम
है शिक्षक नमन।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
विषय-शिक्षक
विधा-वर्ण पिरामिड
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
1-है
होता
शिक्षक
अद्वितीय
आदरणीय
अविस्मरणीय
प्रथम पूज्यनीय।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
2-है
पूज्य
शिक्षक
विचारक
तम हारक
अंत:सुधारक
विषय विस्तारक।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
3- है
स्थान
प्रथम
ईश सम
हरते तम
सत्यम शिवम
है शिक्षक नमन।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
भावों के मोती
दिनांक -05-09-2019
बिषय -शिक्षक
###################
तिमिर भगाने जलाके निकला, छोटी सी श्रृंखला दीपों की |
लगाके गोता उर सागर में, पहन के माला वो सीपों की |
जले अकेला न दीप भू पर, तिमिर भगाने सभी जलेंगे |
एक कड़ी भी जो बुझ गई तो, अधूरे सपने नहीं सजेंगे |
मैं अपनी अंजलि लगा लूँ सब में, सलिल कह रही धुन गीतों की ||
तिमिर भगाने........................ ||
सभी पढ़ेंगे, तभी बढ़ेंगे, तभी सफलता के सुर सजेंगे |
रजनी का उद्दीपन करने, गुरु सभी दिल से जुट पडेंगे |
तभी बनुँगा सच्चा शिक्षक, तभी सुनुँगा मैं मीतों की||
तिमिर भगाने..........................||
जलूँगा तब में दीप जलेंगे, तभी धरा अंकुर मणि बोती|
तभी मिलेंगे गहरे सागर, चमकते हीरे चमकते मोती |
मात-पिता खुद से भी बढ़कर, बात करुँगा तब जीतों की ||
तिमिर भगाने..........................||
स्वरचित -गीता सिंह (आगरा)
दिनांक -05-09-2019
बिषय -शिक्षक
###################
तिमिर भगाने जलाके निकला, छोटी सी श्रृंखला दीपों की |
लगाके गोता उर सागर में, पहन के माला वो सीपों की |
जले अकेला न दीप भू पर, तिमिर भगाने सभी जलेंगे |
एक कड़ी भी जो बुझ गई तो, अधूरे सपने नहीं सजेंगे |
मैं अपनी अंजलि लगा लूँ सब में, सलिल कह रही धुन गीतों की ||
तिमिर भगाने........................ ||
सभी पढ़ेंगे, तभी बढ़ेंगे, तभी सफलता के सुर सजेंगे |
रजनी का उद्दीपन करने, गुरु सभी दिल से जुट पडेंगे |
तभी बनुँगा सच्चा शिक्षक, तभी सुनुँगा मैं मीतों की||
तिमिर भगाने..........................||
जलूँगा तब में दीप जलेंगे, तभी धरा अंकुर मणि बोती|
तभी मिलेंगे गहरे सागर, चमकते हीरे चमकते मोती |
मात-पिता खुद से भी बढ़कर, बात करुँगा तब जीतों की ||
तिमिर भगाने..........................||
स्वरचित -गीता सिंह (आगरा)
दिन :- बृहस्पतिवार
दिनांक :- 05/09/2019
शीर्षक :- शिक्षक
शिक्षक है रूप ईश्वर का,
नहीं कोई अपररूप इनका।
नेत्रहीन के नेत्र बनते,
पंगु के बनते कदम।
ज्ञान के दीप जलाकर,
प्रकाशित करते जीवन।
शिक्षक ही संस्कार है,
शिक्षक ही संस्कृति।
बिन शिक्षा के जीवन को,
घेर लेती विकृति।
शिक्षा ही प्रकृति है,
शिक्षा ही आकृति है।
शिक्षक से मिलता ज्ञान,
शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता।
शिक्षा ही बनाती गुणवान,
शिक्षक ही भाग्यविधाता।
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
दिनांक :- 05/09/2019
शीर्षक :- शिक्षक
शिक्षक है रूप ईश्वर का,
नहीं कोई अपररूप इनका।
नेत्रहीन के नेत्र बनते,
पंगु के बनते कदम।
ज्ञान के दीप जलाकर,
प्रकाशित करते जीवन।
शिक्षक ही संस्कार है,
शिक्षक ही संस्कृति।
बिन शिक्षा के जीवन को,
घेर लेती विकृति।
शिक्षा ही प्रकृति है,
शिक्षा ही आकृति है।
शिक्षक से मिलता ज्ञान,
शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता।
शिक्षा ही बनाती गुणवान,
शिक्षक ही भाग्यविधाता।
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
दिनांक - 05/09/2019
विषय- शिक्षक
विधा- चौपाई
गुरु की मार सहैं जो काया । उसने निर्मल रूप को पाया ।।
सहता नहीं जो घट थापा । कैसे कुटिलता गांवावत आपा ।।
सुन्दर वस्त्र होय जब गन्दा । मसलैं रजक पीटे स्वछन्दा ।।
निर्मल होय जब वस्त्र शरीरा । मानव धारण करत अधीरा ।।
कटैं वस्त्र जो दर्जी हाथे । मानव उसे चढ़ावत माथे ।।
ईंट सहैं मार रजगीरू । सुन्दर बुर्ज बनावत भीरू ।।
बढ़ई मार सहैं जो काठा । मार अखाड़ा सह बनैं पाठा ।।
सुंदर स्वर्ण सुनार तपावत । पीट-पीट बहु भांति बनावत ।।
सहते मार न स्वर्ण सुनारू । बनता कैसे कुण्डल हारू ।।
लौह गर्म कर हनैं लुहारा । विविध भांति बनैं औजारा ।।
ऋषिकान्त राव शिखरे
अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।
विषय- शिक्षक
विधा- चौपाई
गुरु की मार सहैं जो काया । उसने निर्मल रूप को पाया ।।
सहता नहीं जो घट थापा । कैसे कुटिलता गांवावत आपा ।।
सुन्दर वस्त्र होय जब गन्दा । मसलैं रजक पीटे स्वछन्दा ।।
निर्मल होय जब वस्त्र शरीरा । मानव धारण करत अधीरा ।।
कटैं वस्त्र जो दर्जी हाथे । मानव उसे चढ़ावत माथे ।।
ईंट सहैं मार रजगीरू । सुन्दर बुर्ज बनावत भीरू ।।
बढ़ई मार सहैं जो काठा । मार अखाड़ा सह बनैं पाठा ।।
सुंदर स्वर्ण सुनार तपावत । पीट-पीट बहु भांति बनावत ।।
सहते मार न स्वर्ण सुनारू । बनता कैसे कुण्डल हारू ।।
लौह गर्म कर हनैं लुहारा । विविध भांति बनैं औजारा ।।
ऋषिकान्त राव शिखरे
अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।
विषय: शिक्षक
मैं गुरु हूँ दीपक सा
मैं गुरु हूँ दीपक सा
चाहे खुद मैं जलता रहूँ।
पर जिंदगी की कठिनाइयों में
तुझे आंच तक न आने दूँ।।
मैं मानुष हूँ सुलझा सा
ना तुझे उलझाना चाहूं।
सब तेरे फायदा का होगा
चाहे तुझे डपटकर पढ़ाऊँ।।
कुछ ऐसा मत करना तुम
कि लोग मुझे भी बुरा कहे।
कुछ ऐसा मत करना बेटा
सम्मान तेरा भी ना रहे।।
गुरु-दक्षिणा यही होगी मेरी
तेरी प्रसिद्धि का समाज धरूँ।
तुंम करना कुछ ऐसा बेटा कि
तुझे शिष्य बताकर मैंनाज करूं।।
मैं गुरु हूँ दीपक सा
चाहे खुद मैं जलता रहूँ ।
पर संघर्ष भरी जिंदगी में
तुझे आंच तक न आने दूँ।।
स्वरचित
सुखचैन मेहरा
मैं गुरु हूँ दीपक सा
मैं गुरु हूँ दीपक सा
चाहे खुद मैं जलता रहूँ।
पर जिंदगी की कठिनाइयों में
तुझे आंच तक न आने दूँ।।
मैं मानुष हूँ सुलझा सा
ना तुझे उलझाना चाहूं।
सब तेरे फायदा का होगा
चाहे तुझे डपटकर पढ़ाऊँ।।
कुछ ऐसा मत करना तुम
कि लोग मुझे भी बुरा कहे।
कुछ ऐसा मत करना बेटा
सम्मान तेरा भी ना रहे।।
गुरु-दक्षिणा यही होगी मेरी
तेरी प्रसिद्धि का समाज धरूँ।
तुंम करना कुछ ऐसा बेटा कि
तुझे शिष्य बताकर मैंनाज करूं।।
मैं गुरु हूँ दीपक सा
चाहे खुद मैं जलता रहूँ ।
पर संघर्ष भरी जिंदगी में
तुझे आंच तक न आने दूँ।।
स्वरचित
सुखचैन मेहरा
नमन वंदन करती हूँ।
"शिक्षक" शीर्षकांतर्गत दोहा छंद रचना अपने सभी आदरणीय शिक्षक गण को समर्पित है --
(1)
शिक्षक से मिलता सदा, अमृत रूप में ज्ञान।
जिसको पीकर शिष्य का, मिट जाता अज्ञान।।
(2)
शिक्षक का जीवन सदा, होता शूल समान।
सुख त्याग करता सदा, शिष्यों का उत्थान।।
(3)
शिक्षक कर्म कभी नहीं, जहाँ हो भेदभाव।
ऐसे शिक्षण कार्य से, मिट जाता सद्भाव।।
(4)
उर में उच्च सदैव हो, गुरुवर का स्थान।
जिनके निर्मल ज्ञान से, मिटता है अज्ञान।।
(5)
शिक्षक उर में आपका, है ऊंचा स्थान।
सही दिखाये रास्ता, पायी सच्चा ज्ञान।।
(6)
शिक्षक होते हैं सदा , ज्ञानामृत की खान।
जितना सके, निकाल लो, बढ़ता जाए ज्ञान।।
-- रेणु रंजन
"शिक्षक" शीर्षकांतर्गत दोहा छंद रचना अपने सभी आदरणीय शिक्षक गण को समर्पित है --
(1)
शिक्षक से मिलता सदा, अमृत रूप में ज्ञान।
जिसको पीकर शिष्य का, मिट जाता अज्ञान।।
(2)
शिक्षक का जीवन सदा, होता शूल समान।
सुख त्याग करता सदा, शिष्यों का उत्थान।।
(3)
शिक्षक कर्म कभी नहीं, जहाँ हो भेदभाव।
ऐसे शिक्षण कार्य से, मिट जाता सद्भाव।।
(4)
उर में उच्च सदैव हो, गुरुवर का स्थान।
जिनके निर्मल ज्ञान से, मिटता है अज्ञान।।
(5)
शिक्षक उर में आपका, है ऊंचा स्थान।
सही दिखाये रास्ता, पायी सच्चा ज्ञान।।
(6)
शिक्षक होते हैं सदा , ज्ञानामृत की खान।
जितना सके, निकाल लो, बढ़ता जाए ज्ञान।।
-- रेणु रंजन
दि .- 05.09.19
विषय - शिक्षक
शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर नमन करते हुए....
**********************************
ज्ञान पुँज से आलोकित कर जिनने हमें सँवारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
अंक और अक्षर सिखलाये दिये प्रश्न के उत्तर.
जोड़ घटाना और साथ ही गुणा भाग भी रुचिकर.
हम कच्ची मिट्टी थे हमको दे आकार निखारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
लगे बहकने कहीं अगर तो राह उचित बतलाई.
अपने अनुभव से सिखलाई जीवन की सच्चाई.
कभी प्रेम से कभी डपट कर हमको दिया सहारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
मात पिता के बाद वही तो जीवन को महकाते.
इक आदर्श समाज बनाने का दायित्व निभाते.
शिक्षक से ही हर समाज का बनता सुखद नजारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
बदले वक्त के साथ ही लेकिन बदलीं दशा दिशायें.
इस बदले परिवेश ने बदलीं सबकी मनोदशायें.
अपेक्षाओं के बोझ तले शिक्षक लाचार बिचारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
ज्ञानपुँज से आलोकित कर जिनने हमें सँवारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
***********************************
#स्वरचित
प्रमोद गोल्हानी सरस
कहानी सिवनी म.प्र
विषय - शिक्षक
शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर नमन करते हुए....
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ज्ञान पुँज से आलोकित कर जिनने हमें सँवारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
अंक और अक्षर सिखलाये दिये प्रश्न के उत्तर.
जोड़ घटाना और साथ ही गुणा भाग भी रुचिकर.
हम कच्ची मिट्टी थे हमको दे आकार निखारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
लगे बहकने कहीं अगर तो राह उचित बतलाई.
अपने अनुभव से सिखलाई जीवन की सच्चाई.
कभी प्रेम से कभी डपट कर हमको दिया सहारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
मात पिता के बाद वही तो जीवन को महकाते.
इक आदर्श समाज बनाने का दायित्व निभाते.
शिक्षक से ही हर समाज का बनता सुखद नजारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
बदले वक्त के साथ ही लेकिन बदलीं दशा दिशायें.
इस बदले परिवेश ने बदलीं सबकी मनोदशायें.
अपेक्षाओं के बोझ तले शिक्षक लाचार बिचारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
ज्ञानपुँज से आलोकित कर जिनने हमें सँवारा.
उन शिक्षक के श्री चरणों में शत शत नमन हमारा.
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#स्वरचित
प्रमोद गोल्हानी सरस
कहानी सिवनी म.प्र
नमन मंच भावों के मोती
विषय : शिक्षक
विधा : विधाता छंद आधारित गीत
दिनांक : 05/09/2019
विधाता छंद
1222 1222
1222 1222
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
कृपा का हाथ हो उनका ,
महकते फिर सदा गुलशन ।
अंतरा
बना दें लौह को पारस ,
कृपा का हाथ जो कर दें ।
उन्हें मंजिल सदा मिलती ,
पगों में शीश जो धर दें ।
विधाता रूप धर आये ,
खिला देते सदा तन मन ,
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
अंतरा
मिटे तम दूर हो रजनी ,
जले जो ज्ञान की आभा ।
बनें रक्षक सदा अपने ,
करें सब दूर भव बाधा ।
बसा लो मन हृदय में तुम ,
सफल अपना करो जीवन ,
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
अपने अपने गुरू जी /शिक्षक
जी की जय
जय हिंद
स्वरचित : राम किशोर , पंजाब ।
विषय : शिक्षक
विधा : विधाता छंद आधारित गीत
दिनांक : 05/09/2019
विधाता छंद
1222 1222
1222 1222
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
कृपा का हाथ हो उनका ,
महकते फिर सदा गुलशन ।
अंतरा
बना दें लौह को पारस ,
कृपा का हाथ जो कर दें ।
उन्हें मंजिल सदा मिलती ,
पगों में शीश जो धर दें ।
विधाता रूप धर आये ,
खिला देते सदा तन मन ,
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
अंतरा
मिटे तम दूर हो रजनी ,
जले जो ज्ञान की आभा ।
बनें रक्षक सदा अपने ,
करें सब दूर भव बाधा ।
बसा लो मन हृदय में तुम ,
सफल अपना करो जीवन ,
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
धरा पर ईश हैं गुरुवर ,
करें राहें सदा रौशन ।
अपने अपने गुरू जी /शिक्षक
जी की जय
जय हिंद
स्वरचित : राम किशोर , पंजाब ।
शिक्षक
है
माता
जन्मदाता
पिता
बनाए कर्म प्रधान
शिक्षक
है भाग्य-विधाता
है शिक्षक की
महिमा अपार
देते पढाई के
साथ साथ
अपनत्व और
प्यार
हर संकट
परेशानी से
ऊबारे
बन दोस्त
और
भगवान
शिक्षक की
छत्र छाया में
पढ़ते
बच्चे अनेक
सब हैं
उनके लिए एक
करते हैं नमन
हम उनकों
बिना जिनके था
जीवन पंगु
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
है
माता
जन्मदाता
पिता
बनाए कर्म प्रधान
शिक्षक
है भाग्य-विधाता
है शिक्षक की
महिमा अपार
देते पढाई के
साथ साथ
अपनत्व और
प्यार
हर संकट
परेशानी से
ऊबारे
बन दोस्त
और
भगवान
शिक्षक की
छत्र छाया में
पढ़ते
बच्चे अनेक
सब हैं
उनके लिए एक
करते हैं नमन
हम उनकों
बिना जिनके था
जीवन पंगु
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
दिनाँक-05/09/2019
शीर्षक-शिक्षक,
गुरु बहा देता है ज्ञान सरिता
तोड़ देता है बाँध विचारों का
शिष्य को महासागर बनाने को
सृजन करता है नवाचारों का।
बड़े प्यार से मिलजुलकर गुरु
प्रकट करता ज्ञान के उदगार
सही समय करता मार्गदर्शन
बन सब बच्चों का मददगार।
शिक्षक का नहीं निश्चित आकार
स्वयं ढलकर मिटाता अंधकार।
मिटा अज्ञानता सपने साकार
सदगुरु की महिमा को आभार।
बदल गई पीढ़ी बदल गए सबके विचार
सही रास्ते लाने को गुरु भी हैं लाचार।
ढोरिया भी ढूंढ रहा अच्छा सा उपचार
आदर करके गुरु का अपनाओ सदाचार।
**************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
शीर्षक-शिक्षक,
गुरु बहा देता है ज्ञान सरिता
तोड़ देता है बाँध विचारों का
शिष्य को महासागर बनाने को
सृजन करता है नवाचारों का।
बड़े प्यार से मिलजुलकर गुरु
प्रकट करता ज्ञान के उदगार
सही समय करता मार्गदर्शन
बन सब बच्चों का मददगार।
शिक्षक का नहीं निश्चित आकार
स्वयं ढलकर मिटाता अंधकार।
मिटा अज्ञानता सपने साकार
सदगुरु की महिमा को आभार।
बदल गई पीढ़ी बदल गए सबके विचार
सही रास्ते लाने को गुरु भी हैं लाचार।
ढोरिया भी ढूंढ रहा अच्छा सा उपचार
आदर करके गुरु का अपनाओ सदाचार।
**************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
आप सभी को शिक्षक दिवस की बहुत बहुत बधाई
"शिक्षक"
अच्छा शिक्षक,
जीवन का आधार,
कच्ची मिट्टी को
देते हैं ये आकार,
विद्यालय की बगिया में,
संस्कारों के फूल खिले,
जीवन सफल हो जाए उसका,
जो शिक्षक के बताए पथ पर चले,
लालसा सुखों की छाँव की,
भविष्य पथ पर भ्रमाती है,
दुख में सब साथी छूटे,
शिक्षा ही बस साथी है।
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
5/9/19
वीरवार
"शिक्षक"
अच्छा शिक्षक,
जीवन का आधार,
कच्ची मिट्टी को
देते हैं ये आकार,
विद्यालय की बगिया में,
संस्कारों के फूल खिले,
जीवन सफल हो जाए उसका,
जो शिक्षक के बताए पथ पर चले,
लालसा सुखों की छाँव की,
भविष्य पथ पर भ्रमाती है,
दुख में सब साथी छूटे,
शिक्षा ही बस साथी है।
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
5/9/19
वीरवार
नमन मंच
विषय -शिक्षक
----------------
जब मन अबोध
तन कोमल था
सही गलत का
ज्ञान नहीं
हाथ पकड़ कर
सही मार्ग पर
ले जाये कौन ये
ध्यान नहीं
सारा जग को
जो राह दिखाने
आया है इस जग में
गुरु बंदना उसका
करता हूँ
मैं हर पल हर क्षण में
कच्चे घड़े की
भाँति था कभी
पीट पीट कर
दिया सहारा
पका कर सब को
अग्नि ज्वाला में
सब के जीवन को
सवारा
तब जाकर शीतलता आयी
जीवन में खुशिया है छायी
खुद ठोकर को खाकर ही
परिभाषा ठोकर की बतलाई
इस जग में सदा सरल जिसने
जीवन शैली अपनाई
संकट से कैसे जीतू मै
हार कर कैसे सम्हलू
अंधकार को चीर फाड़ कर
कैसे रवि रश्मि बन निकलूँ
गलती पर तब क्रोध दिखाकर
फिर अपने को मोम बनाकर
सबको ज्ञान दिया जीवन का
भवसागर से पार लगाने का
सार दिया है जन जन को
नमन नमन हे जग उद्धारक
नमन नमन हे जन के तारक
नमन तुम्हारे त्याग को भी
नमन तुम्हारे ज्ञान को भी
नमन करता है जग सारा
नमन जीवन के बाद में भी
छबिराम यादव छबि
मेजारोड प्रयागराज
05/09/2019
विषय -शिक्षक
----------------
जब मन अबोध
तन कोमल था
सही गलत का
ज्ञान नहीं
हाथ पकड़ कर
सही मार्ग पर
ले जाये कौन ये
ध्यान नहीं
सारा जग को
जो राह दिखाने
आया है इस जग में
गुरु बंदना उसका
करता हूँ
मैं हर पल हर क्षण में
कच्चे घड़े की
भाँति था कभी
पीट पीट कर
दिया सहारा
पका कर सब को
अग्नि ज्वाला में
सब के जीवन को
सवारा
तब जाकर शीतलता आयी
जीवन में खुशिया है छायी
खुद ठोकर को खाकर ही
परिभाषा ठोकर की बतलाई
इस जग में सदा सरल जिसने
जीवन शैली अपनाई
संकट से कैसे जीतू मै
हार कर कैसे सम्हलू
अंधकार को चीर फाड़ कर
कैसे रवि रश्मि बन निकलूँ
गलती पर तब क्रोध दिखाकर
फिर अपने को मोम बनाकर
सबको ज्ञान दिया जीवन का
भवसागर से पार लगाने का
सार दिया है जन जन को
नमन नमन हे जग उद्धारक
नमन नमन हे जन के तारक
नमन तुम्हारे त्याग को भी
नमन तुम्हारे ज्ञान को भी
नमन करता है जग सारा
नमन जीवन के बाद में भी
छबिराम यादव छबि
मेजारोड प्रयागराज
05/09/2019
विषय :--शिक्षक
विधा:--हाइकु
दिनांक:--05 / 09 /19
~~~~~~~~~~~~~~
1)शिक्षा की ज्योति
जलाकर शिक्षक
ज्ञान -जगाता
2)......
अक्षर ज्ञान
बाँटता है शिक्षक
राह दिखाता
3).......
अज्ञानी शिष्य
शिखर पे पहुँचे
शिक्षक द्वारा
4).......
गुरु पंडित
अनमोल प्रसाद
देता है शिक्षा
5)........
ज्ञान की धार
काटती अंधकार
शिक्षक - हाथ
डा.नीलम
विधा:--हाइकु
दिनांक:--05 / 09 /19
~~~~~~~~~~~~~~
1)शिक्षा की ज्योति
जलाकर शिक्षक
ज्ञान -जगाता
2)......
अक्षर ज्ञान
बाँटता है शिक्षक
राह दिखाता
3).......
अज्ञानी शिष्य
शिखर पे पहुँचे
शिक्षक द्वारा
4).......
गुरु पंडित
अनमोल प्रसाद
देता है शिक्षा
5)........
ज्ञान की धार
काटती अंधकार
शिक्षक - हाथ
डा.नीलम
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