Tuesday, September 3

"गणपति"2सितम्बर 2019

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ब्लॉग संख्या :-493


नमन मंच भांवो के मोती
विषय गणपति
विधा काव्य

02 सितम्बर 2019,सोमवार

प्रथम पूजनीय बुद्धि सागर
हर विपदा को जग की हरते।
गौरी नंदन विघ्न विनाशक
सुख शांति को जीवन में भरते।

एक दंत महाकाय लंबोदर
बुद्धि चातुर्य अद्भुत है तेरा।
संकट मोचक आप सभी के
हरण करो दुःख दारुण मेरा।

मूषक ऊपर नित करें सवारी
तुम हो करुण कृपा के सागर।
भादव माह की चतुर्थी पावन
जन्म लिया जन सुख दायक।

मोदक प्रिय मिष्ठान आपका
सदा कृपा बरसे श्री मुख से।
जीवन के आधार तुम ही हो
रिद्धि सिद्धि रहे घर तुम से।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

Damyanti Damyanti 

नमन मंच भावो के मोतीबहुत बहुत अनमोल आयोजन |
एक प्रयास |
अवतरण दिवस आया बप्पा का |

शुभता छाई चंहूँ ओर खुशियों का सेलाब |
माँ ने चाहा एक पुत्र निज हित रक्षक |
बनाया उबटन से एक निर्जीव पुतला |
स्मरण कर प्राण फूके उसमे सजीव हो उठा |
आये महादेव मिलन हेतु गोरी से |
द्वार रक्षक गणेश ने जाने न दिया |
कौधित हो युद्ध दोनो मे हुआ |
निज फर्से मार गिराया गणेश |
हाहाकार मंचा सकल ब्रम्हांड मे |
क्रौधित उमा ने दिया निज पति को कहा |
मुझे मेरा पुत्र चाहिये नही तो नष्ट हो ब्रम्हांड |
दिया आदेश सबको लाओ बालक शीश |
हाथी शीश ले आये लगाया धड से |
जीवित हो उठे दिया आषीश सबने |
आज से प्रथम पूज्य हो तुम वत्स |
करे इन नामो से आराधना तुम्मारी |
शुभता रिद्धि सिद्धि आंनद छाये|
एकदंत सूपकर्ण गजवदंन गजानन,
लम्बोदर गणनायक गोरी पुत्र गणेश,इभयवकत्राय ईशपुत्राय विघ्नहर्ता विश्ववद्धाय नागयज्ञपविताय बल बुद्धि प्रदाता |
देवो के देव बप्पा दो सुख शांति सकल मे |
यही अर्ज मेरीबाकि मर्जी आपकी |
दमयंती मिश्रा 
गरोठ मध्यप्रदेश

गणपति वन्दना
••••••••••••••••••••••••••••••••••
जय देव जय देव, जय मंगलकारी।
दुख हर्ता, सुख कर्ता,जय निर्विकारी॥

पार्वती शिव के, अशंधारी।
ऋृद्धि- सिद्धि संग,मंगलकारी॥

जय देव जय देव, जय देव स्वामी।
प्रथम पूजनीय , तुम सर्वव्यापी।

मोदक लड्डू से, भोग लगाये है।
मूषक वाहन , दिव्य सवारी ॥

जय देव जय देव , जय महा ज्ञानी।
योग क्षेम जन , कल्याण कारी॥

मात-पिता की, सेवा करे है जो।
परम्परा है वो, आपका स्वामी।

बुद्धि के दानी, हे अन्तर्यामी।
शेर कहे आप हो,जग स्वामी॥

जय देव जय देव, जय मंगलकारी।
दुख हर्ता सुख कर्ता, जय निर्विकारी॥

स्वरचित... शेर सिंह सर्राफ


सुप्रभात"भावो के मोती"
सभी को हरितालिका तीज एवं गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई
02/09/2019

श्री गणेश
1
सर्वप्रथम
श्री गणेश का नाम
पूर्ण हो काम
2
दूर्वा व हल्दी
प्रिय है गणपति
मोदक भोग
3
विश्व भ्रमण
शिव-गौरी शिखर
मूषक संग
4
सर्वप्रथम
जग करे वंदन
गौरीनंदन
5
धन कुबेर
गणपति का दंड
चूर घमंड

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल

नमन मंच भांवो के मोती
विषय गणपति
विधा काव्य

02 सितम्बर 2019,सोमवार

गणेश वंदना

विघ्नहरण, मंगलमय गजानन है जिनका नाम।
प्रथम पूज्य गणेश जी, शत्-शत् तुम्हें प्रणाम।

उमड़ रहे भक्त जन गणेशोत्सव का करें आगाज़,
पूर्ण करों भक्तों के काज हो जग में तुम्हारा नाम।

गौरा के तुम लाल हो, शिवशंकर के अभिमान,
कर जोड़ विनती करूं, बन जाये बिगड़े काम।

रिद्धि-सिद्धि संग पधारो होकर मूषक पे सवार,
कार्य सिद्ध हो जायेगा, मिले सभी को आराम।

मनोकामना पूर्ण हो और जग में हो पहचान,
स्तुति करूं नित-रोज तुम्हारी सुबह-शाम।

कृपा तुम्हारी बनी रहे नये शब्दों को नित खोज,
ब्रह्म, बिष्णु, महेश जी, राधा-कृष्णा, सीताराम।

हे प्रभु करूणानिधि गनपति दो शब्दों का भंडार,
यूं ही कृपा बनी रहे, दे गतिविधियों को आयाम।

सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
स्वरचित

नमन भावों के मोती
आज का विषय, गणपति
दिन, सोमवार

दिनांक, 2,9,2019,

नमो नमः श्री गणपति महाराज ,

करियेगा पूर्ण सब सबके काज ।

विध्नविनाशक हो प्रभु तुम मंगलकारी ,

स्वामी भक्त जनों की करियेगा रखवाली ।

हे गजानन हो तुम रिध्दि सिध्दि के दाता ,

जग में लम्बोदर तुम ही हो बुध्दि प्रदाता ।

महादेव सुत विनायक, कृष्णपिंगाक्ष, उमा है माता,

प्रथम पूज्यनीय लम्बोदर श्री विशालकाय नमः ।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,

नमन मंच भावों के मोती 
विषय गणपति 
तिथि 02-09-2019

विद्या काव्य रचना 

"विध्न विनाशक -गणपति"
---------------------------------
हे प्रथम पूज्य गणपति देवा 
हे विध्न विनाशक ,दुःखहर्ता 
स्वीकार करो तुम विनती हमारी ,
और ,आ जाओ तुम ...,
इस वसुधा पर सदा के लिए 
हरने को विपदा और अंधकार 
और .....,
फैलाने को प्रकाश 
ज्ञान और सुख समृद्धि का ,
हे गणपति हे विध्न विनाशक 
स्वीकार करो तुम विनती हमारी ,
और .....,
करो संहार उन दुष्टों का 
जो करते हैं उत्त्पात -देश में 
और फैलाते हैं डर लोगों में 
हे गणपति हे विध्न विनाशक 
स्वीकार करो तुम विनती हमारी ,
तुम्ही हो पूज्य प्रथम सब देवों में 
और बल बुद्धि में चतुर सभी से 
मोदक है प्रिय भोग तुम्हारा और 
मूषक है प्रिय वाहन 
जिस घर होती पूजा सदा तुम्हारी 
सुख सम्पति की देवी माँ लक्ष्मी संग 
कमी नहीं काहू की होये 
हे गणपति हे विध्न विनाशक 
स्वीकार करो तुम विनती हमारी ..||

शशि कांत श्रीवास्तव 
डेराबस्सी मोहाली पंजाब 
स्वरचित रचना .

गणपति विशेष विधा- गणेश वंदना
*********
जय गणेश उमापति पुत्र, 
तेरी हो रही जय जयकार, 
धरती पर तुम्हारा आगमन, 
मन में सबके है उल्लास |

विघ्नहर्ता हो तुम बप्पा, 
बुद्धि,विवेक के हो भंडार, 
सब देवों में हो प्रथम पूज्य, 
कोटि-कोटि तुम्हें प्रणाम |

मूसक की तुम करते सवारी, 
रिद्धि-सिद्धि है साथ तुम्हारे,
लड्डूवन का भोग तुम्हें भाता, 
सब जन करें आरती तुम्हारी |

स्वरचित- *संगीता कुकरेती*

दिनांक-02/09/2019

विषय- गणपति 

गाए हम गणपति जग बंदन

शंकर सुवन भवानी के नंदन।

स्तुति करें प्रथम गजानंद की

मोदक प्रिय मंगल अभिनंदन।।

विद्या वारिधि बुद्धि के दाता

दिव्य आलौकिक वेष विधाता।

छलके दृग बिंदु नभ में जिसके

लंबोदर है उनके अन्नदाता।।

सब देवन में देव प्रथम

जिसके वाहन मूषक कहलाता।

मूषक वाहन गिरी को लाघँती

करें हर्ष से हम उनकी आरती।।

सृष्टि जिसकी महिमा बखानती

चरणों के रज, करें हम उनकी आरती।

हे गौरी के लाल दुष्ट राक्षसों के काल....

मौलिक रचना

सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
दिनांक - 02 - 09 - 19
विषय - गणपति

विधा - गीत
मापनी - 221 1222 221 1222
=======================

है अर्ज सफल मेरे हर काज सदा करना |
सब दूर हमारे दुख गजराज सदा करना ||

कर जोड़ करूँ विनती 
दिन -रात निखारोगे ,
हो मोड़ भले कोई 
हर राह सँवारोगे ,

हो काज रुके मेरे आगाज सदा करना |
है अर्ज सफल मेरे हर काज सदा करना ||

हर वक्त तुम्हीं से ही 
फरियाद करूँगा मैं ,
तुम आन विराजोगे 
जब याद करूँगा मैं ,

हो खूब हमारा ही अंदाज सदा करना |
है अर्ज सफल मेरे हर काज सदा करना ||

है शेष नहीं कुछ भी
क्या भोग लगाऊँगा ,
ले नाम तुम्हारा ही 
बस दीप जलाऊँगा ,

ये भक्त निराला है तुम नाज सदा करना |
है अर्ज सफल मेरे हर काज सदा करना ||

एल एन कोष्टी गुना म प्र 
स्वरचित एवं मौलिक


 प्रथम वंदन तेराकरूं हेगणनायक, गजराज।
रिध्दि,सिध्दि संग विराजते
तुम्हरी कृपा से संवरते सब काज।

उमा महेश्वर जनक आपके
वे हैं जग के पालन हार।
हर शुभ काज में प्रभु 
होती तुम्हरी प्रथम वंदना
तब संवर जातेसब काज।
हे उमासुत !मेरी भी बिगड़ी
संवारो।दोआशीष अपार।
हे विघ्नहर्ता।चरण शरण की
आस लिए मैं आया तेरे व्दार।
प्रभु अब तो कृपा करदीजे
होजाये उध्दार।।

भावों के मोती समूह
विषय-गणपति
दिनांक--2/9/2019


शुभारंभ विद्याका करने से पहले
गणपति का वंदनकर उन्हें मनाते है
मां शारदा का भी संग में अर्चन कर
अपनी सुप्त बुध्दि जगाते हैं।
दोनों ही की कृपा प्राप्त कर
अपना‌ जीवन सफल बनाते हैं।
यदि कृपादृष्टि ना हो इनकी
जग में हम मूढ़ कहलाते हैं।
विद्या ज्ञान की खान है ये प्रभु।
चरण रज इनकी लेकर
अपना जीवन सफल बनाओ तुम।
मां शारदा और गणपति से
प्राप्त ज्ञान प्रसाद को जग में
वितरित करने का भी कदमबढ़ाओ तुम।।

प्रेषक=लक्ष्मीदत्तव्यास



सादर नमन भावों के मोती
विषय गणपति, गणेश

1-
हे
पूज्य
प्रथम
गणपति
सुधारो मति
जो भ्रमित अति
संसार माया गति |

2-
हैं
स्तुत्य
स्पंदन
गजानन
जग वंदन
पालन वचन
किया शीश अर्पन |
- नीता अग्रवाल 


भावों के मोती
2/09/19
विषय-गणपति

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।

झूलना चढ़ झुल रहे 
बिनायक ललना,
पालना में झूल रहे 
बिनायक ललना,
बिनायक ललना 
आये हमारे अंगना ,
मात पार्वती लेत बलईंया
ललना आज पधारे,
सोनईंया को डाल्यो झुलनों
दई-दई झोटा झूलावे,
चुटकी बजावे, लोरी सुनावे
सखियां मंगल गावे।
शैल पुत्री घर नौबत बाजे
दिगदिगंत दुंदुभी गाजे 
नैवेद्य लाओ,थाल सजाओ,
चंदन चोक पुराओ
मधुर-मधुर से मोदक लावो 
केशर थाल सजावो
हिलमिल आवो लोग-लुगाई 
गणपत आज मनाओ।

कुसुम कोठारी।


अरुणिम आभा, ज्यों खिलती
दिनकर दिर्घा, से मिलती
पंछी कलरव, गान करें 
मनसिज मूर्छा, भंग करे
अलसाई मनु, की तृष्णा 
उर से बोले, श्री कृष्णा 
भोर भैरवी, गान करें
तमस तिरोहित, वंद्य धरें। 
विघ्न विनाशक गजवदना! 
चरणों में निज नित रखना।
सिद्धि बुद्धि दे, तार हरे! 
वंद्य विनायक,विषज हरे। 
🌻🙏🙏🙏🙏🙏🌻
गणेश चतुर्थी पर सविशेष शुभकामनाओं सहित अशेष अभिनंदन,


भावों के मोती दिनांक 2/9/19
गणपति

करूँ विनती 
जोड़ हाथ
न छोड़े कभी 
गणपति साथ
है मंगल मूर्ति 
जग पालनहार
नहीं बिसराऊँ
पहनाऊॅ
मुतियन हार
लड्डू मोदक
लगाऊँ भोग
दूर हो जाऐ
सब रोग संताप

है विश्व में
पूज्य बप्पा
करूँ 
नित पूजन 
तुम्हारी 
बप्पा

करो
सफल 
मनोरथ 
सबके
देखूं मूरत 
गणपति 
मैं तक के

करूँ स्वागत 
बप्पा आपका 
आओ हर साल 
मेरे द्वारे

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल


वार सोमवार
विधाः- छन्द मुक्त

शीर्षकः- गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति जी स्तुति

एक ही साधे सब सधें, सब साधे सब जाय। 
प्रथम पूज्य गणेश जी को दीजे शीश नवाय।।

शीश नवाय के फिर गणेश जी की कृपा पायें।
ऋध्दि सिध्दी दोनों सरलता से प्राप्त हो जाय।। 

बिन पूजे आप, करे जो किसी देवता की पूजा।
पूजा रहे अधूरी,होगा नहीं उस जैसा मूर्ख दूजा।।

माता पार्वती के भक्त, माता के तुम आज्ञाकारी।
माता के आदेश के पालन में, गर्दन कटा डारी।।

माता का था आदेश, किसी को नहीं देना आने।
अड़ गये मार्ग में भगवान शिव को दिया जाने।।

आ क्रोध में चला दिया प्रभु ने गर्दन पर त्रिशूल।
चला पता माता को सीने में चुभे अनेकों ही शूल।।

आ क्रोध में माँ ने शिवजी को रौद्र रूप दिखाया।
हाथी का सिर लगवा कर आपको जीवित कराया।।

विघ्न कर्ता भी हो तुम प्रभु तुम ही हो विघ्न हर्ता।
पूजा करे जो तुम्हारी उसको विघ्न नहीं सताता।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित

विषय-गणपति विशेष 
****
जय गणेश ,,जय गणेश ,जय गणेश देवा
÷÷÷
सिद्धिविनायक श्री #गणेश #चतुर्थी केशुभ अवसर पर,,,नव सृजित
नव सृजित सोरठा छंद
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11+13 मात्रा,,,दोहा का उलटा
अंत तीन लघु चरणांत में हो तो और 
भी लालित्यपूर्ण है
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पूजहिं प्रथम गणेश,,,पार्वती शंकर सुवन/
मंगल मूरत वेश,,,कृपा करें संकट हरन //
*
बंदहु गणपति देव,गणनायक मंगल करन /
सिद्धि काज कर देव,सिद्धविनायक दुख हरन //
*
रिद्धि सिद्धि भरपूर ,देते हैं प्रभु ज्ञान-धन /
दीनन के दुख दूर ,करते हैं करुणाकरन //
*
संकट हरैं कलेश ,,,करें विनायक जो नमन /
मोदक खांय गणेश,,,वरदायक मंगलकरन //
*
वक्रतुंड अतिकाय ,लम्बोदर प्रभु गजवदन /
सुमिरैं जो मन लाय ,करैं कृपा करूणा- नयन//
************************************🌻🌻🌿🌻🌻🌿🌻🌻🌿🌻🌻🌿🌻🌻🌿
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित (गाजियाबाद)


नमन "भावों के मोती" मंच को समर्पित
श्री गणेशाय नमः
दिनांक 02/09/2019
विधा:पिरामिड 
विषय: गणपति 

श्री
भक्ति 
पूजति
गणपति 
मंगल मूर्ति 
वंदना भूपति
रिद्धि व सिद्ध पति।

ओम्
गज
गजव 
गजकण
गजानन जी
गजवक्त्र नमः
गणाध्यक्ष वंदन।

स्वरचित 
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश


नमन मंच भावों के मोती 
02/09/19

तमाल छन्द 19 मात्रा ,अंत गाल

गणपति भगवन का करते सत्कार।
सभी सजाते घर में वंदनवार ।।

मूर्ति स्थापना में रखिये ध्यान।
नहीं हो पर्यावरण को नुकसान।।

पूजा पंडाल में हुआ व्यापार
कहाँ खो गये हमारे संस्कार ।।

खंडित मूर्ति का नहीं तिरस्कार ।
गणपति बप्पा जीवन का आधार।।

आशीषों से भरा रहे संसार,
प्रभु चरणों में वंदन बारम्बार ।

स्वरचित
अनिता सुधीर




गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई सबको।
नमन मंच भावों के मोती। नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।


श्री गणेश चतुर्थी के अवसर पर मेरी यह रचना भावों के मोती समूह को समर्पित है।

जय श्री गणेश 
💐💐💐💐💐
हे गणपति विघ्न विनाशक।
बोले हमेशा तेरा जयकारा।

भक्तों की पीड़ा हरने वाले।
जग में गूंजे तेरा हीं नारा।

रिद्धि सिद्धि के संग विराजो।
गणपति मेरे घर पधारो।

लड्डू का भोग लगाएं तुमको।
गंगाजल से पांव पखारें।

धूप आरती से पूजन कर।
अपना जीवन धन्य बनायें।

हे गणेश तूं विघ्न विनाशक।
जीवन में मेरा कष्ट मिटायें।

करजोड़ी विनती करते हैं।
हमपर रहना सदा सहाय।

पूरी करते तूंहीं मनोकामना।
मन की आशा दियो पूराय

....... वीणा झा......
स्वरचित......
.......बोकारो स्टील सिटी..


नमनः भावों के मोती
दि.2/9/19.
विषयःगणपति

घनाक्षरीः
*
जय - जय गौरी-सुत गजानन एकदन्त,
आप सर्व-वंद्य देव-देव कहलाते हैं।
आपकी कृपा से होते अबुध सुबुद्धिमान, अशिव - विधान नहीं शेष रह पाते हैं।
संकट विकट विघ्न निकट न आते कभी,
उग्र अवरोध के शिखर ढह जाते हैं।
आपकी सुदृष्टि करती सुमंगलों की वृष्टि,
सृष्टि के अमाप-अभिशाप बह जाते हैं।।

--डा.'शितिकंठ'

नमन भावों के मोती,
दिनांक_२/९/२०१९
गणेश वंदना
हे गौरी पुत्र गजानन मोरे
प्रथम पूज्य भगवान
पूजा अर्चना करूँ तुम्हारी
करो वंदना स्वीकार।
हे गौरी पुत्र गजानन मोरे
प्रथम पूज्य भगवान।
पिताम्बर फूलों की माला
चंदन सोहे भाल
आओ लंबोदर तुम्हें बुलाऊं
होके मूषक सवार।
हे गौरी पुत्र गजानन मोरे
प्रथम पूज्य भगवान।
मनोकामना पूर्ण करो तुम
हे विघ्न हर्ता भगवान
ऋद्धि सिद्धि संग यहां पधारो
हे प्रथम पूज्य भगवान।
हे गौरी पुत्र गजानन मोरे
प्रथम पूज्य भगवान।
माँ संतोषी आत्मजा तुम्हारी
आत्मज है शुभ लाभ
हे गौरी पुत्र गजानन मोरे
प्रथम पूज्य भगवान।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।


नमन मंच भावों के मोती को सादर समर्पित
2 /9 /2019 
बिषय ,,गणपति
मात पिता की कर परिक्रमा
देवों में प्रथम पूजे जाते
सारे तीर्थ इनके चरणों में
गणपति हमें सिखलाते
सूपकर्ण वक्रतुंड महाकाय
दुनिया को समझाती
सूरत नहीं जमाने में सीरत पूजी जाती
नन्हें से मूसक से मिलता यही ज्ञान
छोटा बड़ा नहीं कोई बस कार्य हों महान
एक दंत. लंबोदर हमको यह बतलाते
बिघ्नहर्ता संकट नाशक कष्ट स्वयं पी जाते
कितने गुण बखान करूं क्षमता नहीं है मेरी
रिध्दी सिध्दी सहित पधारो राह निहारुँ तेरी
स्वरिचत, सुषमा ब्यौहार
तृतीय , भावांजलि


द्वितीय प्रस्तुति

हाइकु....… गणेश

प्रथम पूज्य
शिव गौरी नंदन
विघ्न हरण

गणनायक
मूषक है वाहन
मोदक भोग

गजमस्तक
बालक धड़ पर
गणेश देवा

मंगलदाता
चरण परिक्रमा
बुद्धि विधाता

हे एकदंत
रिद्धि सिद्धि दौ भार्या
सौभाग्यकारी

हे वक्रतुंड
शुभ लाभ दो पुत्र
शोभासम्पन्न

लक्ष्मी गणेश
विधिपूर्व पूजन
सुख संपत्ति

अनिता सुधीर



नमन भावों के मोती 
विषय - गणपति
02/09/19
सोमवार 
दोहे

गजमुख,गणपति ,गजवदन , लम्बोदर हैं नाम। 
गौरीनंदन ! तुम करो , पूर्ण सभी के काम ।।

मंगलमय गणपति करें , मन- मंदिर में वास।
आदिदेव की भक्ति से , पूरी हो हर आस।।

मूषकवाहन पर सदा , शोभित रहें गणेश ।
हरित - पीत पट से सजा, आदिदेव का वेश ।।

मंगल - कामों को सदा , तुम करते निर्विघ्न।
गिरिजासुत की शरण में, कोई न हो उद्विग्न।।

मात-पिता जिनके लिए , थे समस्त संसार ।
उनकी सेवा ही बनी , जीवन का आधार ।।

रिद्धि-सिद्धि के देवता , अतुल बुद्धि के कोष।
सबके दुख को दूर कर, दो मन को संतोष।।

स्वरचित 
डॉ ललिता सेंगर


विषय:- गणपति
विधा,ः--मुक्त
दिनांक:--02 /09 / 19
~~~~~~~~~~~~~~
तू है जग का तारण हारा
तुझसे ही पूरण सब कारज
तू आये तो कष्ट मिटे
तू ही हम सब का उद्धारक

कहते तूझको सब विघ्नहर्ता
तू है सिद्धविनायका
शंकर का तू पुत्र अनूठा
पार्वती की आँखन का तारा

रिद्धि-सिद्धि का तू सर्वेसर्वा
अष्टधातु नवनिधी का है दाता
मंगलमूर्ती तू कहावे गजपति
गणनायक तू ,वंदन तेरा होवे

आत्मशक्ति,बलदायका
दुःखहर्ता,सुफलदायका
अबकी बरस तू सुख लेकर आया
सारी उमर तू सुख बरसाना।

डा.नीलम
(स्वरचित)

भावों के मोती
हे गौरी पुत्र गजवदन !
करती हूं तुम्हारा बंदन।
ज्ञान दाता दुःख हर्ता
जगत कल्याण कर्ता
करूं नीत तुम्हारा ध्यान।
लड्डू धुप दीप पान 
फल-फूल करूं अर्पण
दो मुझ निर्बुद्धी को ज्ञान।
रिद्धि सिद्धि संग पधारो
मुझ गरीब की कुटिया में
हो जाए मेरा भी कल्याण।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर


दिनांक-02-09-2019

शीर्षक-हे विघ्नहर्ता!हे गजानन!

हे विघ्नहर्ता! हे गजानन!
करता हूँ वंदन बारम्बार,
हम सब हैं अबोध अज्ञानी
ज्ञान का वरदान प्रदान कीजिए।
विघ्न बाधा दूर कर दीजिए
मुश्किलों से डर न जाऊं कभी,
बाधाएं न रोक सके कदम मेरे
यह आशीष दीजिए।

हे भालचंद्र! हे एकदंत!
करता हूँ वंदन बारम्बार,
जग से दुराचार दूर करने
हेतू लीजिए अब अवतार,
दुष्ट पापियों का कीजिए संहार
मानवता हो गई अब शर्मसार,
माँ धरती की सुनिए पुकार
हे गणपति लीजिए कलयुग में अवतार।

हे गौरीसुत! हे बुद्धिनाथ!
करता हूँ वंदन बारम्बार,
दीन दुःखी का दुःख हर लीजिए
मंजिल मिल जाए सभी को
सत्य राह पर चलूं सर्वदा,
अहम,वहम से रहूं कोसों दूर
यह वरदान दीजिए
भय न बने बाधा मेरे पथ की।

हे मंगलमूर्ति! हे पीतांबर!
करता हूँ वंदन बारम्बार,
सभी का काज मंगल हो
देश की बेटियाँ महफूज़ रहे,
भूख,प्यास से न हो कोई परेशान
धर्म,जाती,रंग-रुप का न हो भेदभाव,
सर्वत्र शांति हो जग में
यह वरदान दीजिए, हाँ यह आशीष दीजिए।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित


29/2019
🌹🌺🌹🌺🌹🌺

गणेश वंदना

निशि दिन बप्पा तुम्हें पुकारूँ
सोच रही क्या तुझपे वारूँ
तेरे दरश की बस है आस
बप्पा,तुम हो मेरे पास !!

सुंदर रूप के दर्शन करुं मैं
पूजा करूँ, अर्चन करूँ मैं
कर दो मुझ पर दृष्टिपात
हर रूप में हो तेरा आभास !!

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित


नमन् भावों के मोती
मंच को समर्पित रचना
दिनाँक:2/9/19
विषय:जय गणपति

जय गणेश प्रभुदेव हमारे
रिद्धि - सिद्धि संग आओ 
माँ गौरी के राज-दुलारे
खुशियां हम पर बरसाओ
शिव जी की आँखों के तारे
हम पर दया दिखाओ
शुभ-लाभ हैं पुत्र तुम्हारे
अपनी कृपा लुटाओ
प्रथम पूज्य गणपति हमारे
जीवन में आ जाओ
जय गणेश प्रभु देव हमारे
रिद्धि - सिद्धि संग आओ।।

स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली


द्वितीय प्रस्तुति 
नमन :"भावों के मोती "मंच को समर्पित 
02/09/2019
विषय:"गणपति "
विधा :छन्द मुक्त वंदना

जय जय जय पार्वती के नन्दन 
नमन करू मै प्रतिदिन हर पल ।
मात पिता की सेवा करके 
प्रथम पूज्य का मान है पायो।।
जय जय...
भक्तों ने तुम्हे अपने भाव से पुकारा 
गान किया नित नये नाम से तुम्हारा।

एकदन्त, दयावंत ,लम्बोधर धारी
धूम्रवर्ण शूपकर्ण पीताम्बर धारी।
वरगणपति वरपद्र वरदविनायक
गजराज विघ्नहर्ता लम्बकर्ण धारी।।
जय जय जय...
माटी की मूर्ति बना करती स्थापना 
नित पूजूं तुझे मैं, पान,लौंग फूल से।
माथे त्रिशूल लागे,हल्दी चावल रोली
चतुर्भुज शोभा पावे खडग,दंत,मोदक।।
जय जय जय...
बुद्धि विशाल, सुनने की शक्ति माँगू 
बोलूं बोल कर्णप्रिय, दे दो सहन शक्ति ।
करू मैं सहयोग सबका ,एकता फैलाऊ
धूमधाम हर साल गणेशोत्सव मनाऊ।।
जय जय जय...
स्वरचित 
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश 


दिनांक 2-9-2019 

पार्वती काया उबटन,बनाया आदि शक्ति लाल।
सर धड़ अलग हुआ, पर नहीं हटे द्वार ।।

गौरा के अनुनय विनय, शिव डाल दिए प्राण
बदन गजमुख धारण, शोभा चाँद भाल।। 

चहुँओर आनंद बरसाते, सब करते गुणगान।
विघ्न हरता मंगल करता, शिव गौरा लाल।।

मंगल करने सदा ही आते,चतुर्थी को पहले आप ।
रिद्धि सिद्धि गणपति पधार, पूर्ण करते काज।।

विघ्न विनाशक, बल बुद्धि चतुर गोरा लाल।
हम सबके भाग्य विधाता, संकट तारते आप ।।

इस घोर कलयुग प्रभु, दे यही आशीष ।
वसुधा रक्षार्थ जरूरत पड़े, दे दे अपने प्राण ।।

वीणा वैष्णव
स्वरचित कांकरोली


मन भावों के मोती

जन्म दिवस
बधाई गणपति
जै जै गणेश 

हे विनायक 
नमामि गणपति
विशालकाय ।

पार्वती पुत्र
गणपति दयालु
भक्तों के दाता । 

जै गणपति
सुख समृद्धि दाता
शंकर सुत ।

बुध्दि विशेष
प्रथम पूजनीय
गणपति जी।

लड्डू का भोग
आरती गणपति
बाजे मृदंग ।

मंगल मूर्ति
विघ्नहर्ता गणेश
जै गणपति ।

भादों चतुर्थी
उत्सव गणपति
मेला, जुलूस ।

झाकी गणेश
गणपति विशेष
भक्तों की भीड़ ।

जै महाराज
दीजिए आशीर्वाद
गणपति जी ।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,


 नमन "भावों के मोती"
सोमवार दिनाँक:- ०२-०९-२०१९
विषय: गणपति विशेष

◆ गीतिका ◆

जय प्रथम पूज्य गणपति गणेश।
जय विघ्नविनाशक सुत महेश।

लेखनी सदा गतिमान रहे,
"भावों के मोती" दो विशेष।

हे गौरी सुत शंकर नंदन,
भक्तों को दो वाँछित अशेष।

घर आओ रिद्धि-सिद्धि के सँग,
धर रूप पृथक या पृथक वेश।

शुभ-लाभ संग लेते आना,
उनके ही सँग हो गृह-प्रवेश।

कर कृपा दृष्टि अपनी पावन,
हरिये जगती के सभी क्लेश।

ओम जी मिश्र 'अभिनव'


थिःः2/9/2019/सोमवार
बिषयःः ःतीजा एवं गणेश चतुर्थी
विधाःः काव्यः ः

करें गजानन गणपति पूजन,
इनसे रिद्धि सिद्धि धन पाऐं।
देंय वरदान ज्ञानधन गणेशा,
सभी सफल सिद्धि वर पाऐं।

जय गणेश गणपति वंदन।
रोज करें पूजन अभिनंदन
करें आरती शिवसुताय की 
चढें पुष्प रोली और चंदन।

तीजा गणेश मनाऐं नारियां,
सजतीं कर सोलह श्रंगार।
गौरी गौरा मनाऐं तीजा यह,
लेकर श्रद्धा सुमन उपहार।

गाऐं गीत ये मिलजुलकर,
सभी संग ठिठोली करती।
मजे मजे में सारी सखियाँ,
मन चाहे रंगरंगोली भरती।

सावन भादों मास सुहावने,
बहुत त्यौहार साथ में लाते।
दीपमालिका से ग्यारस तक,
ये खुशियाँ बटोरकर लाते।

स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.


विधाःः श्री गणेश वंदना ः

(बिशेष अनुरोध, ,कृपया समीक्षा करें)

जय श्री गणेश लंम्बोदराय नमः
जय एकदंत जय सुमुखाय नमः
रिद्धि सिद्ध साथ शुभ लाभ हों,
जय ज्ञानदेव गजकर्णकाय नमः

जय गणेशाय जय विकटाय नमः
जय धूम्रकेतवे हे शिवसुताय नमः
जयदेव श्रद्धा सुमन अर्पित तवम्
जय गणपतिम् हे गजाननाय नमः

जय गणाध्यक्षाय हे कपिलाय नमः
जय भालचंद्राय हे विनायकाय नमः
त्वम् ज्ञानदेवाय त्वम् गौरीनदनम्,
जय दुखहर्ताय जय शुभकर्ताय नमः

स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.


नमन ---भावो के मोती को समर्पित
दिनांक---२---९---१९
दिन------सोमवार
विषय------गणपति 
विधा------हाइकु
====================

1 - मंगल मूर्ति
हैं विघ्न विनाशक 
गणपति जी
*********************

2 - शिव तनय
कहे गौरी के लाला
गणपति को
************************

3 - प्रथम पूज्य
हैं बुद्धि प्रदायक 
गणपति जी
*************************

4 - मात- पिता के
हैं सदैव दुलारे 
गणपति जी
*************************

5 - रिद्धि सिद्धि के
हैं स्वामी गणपति
प्रात: नमन
************************

रानी कोष्टी म प्र गुना 
स्वरचित एवं मौलिक


विषय-गणपति
विधा-हाइकु
💐💐💐💐💐💐
(१)
हे ! गणपति
हे विघ्न विनाशक
क्लेश हर दो👌
💐💐💐💐💐💐
(२)
हे ! गजानन
प्रकाश पुंज भर
तम हर दो👍
💐💐💐💐💐💐
(३)
जय गणेश !
बुद्धि-विवेक दाता
विश्व विधाता💐
💐💐💐💐💐💐
(४)
हे ! विनायक
विद्या-बुद्धि दायक
बना लायक🎂
💐💐💐💐💐💐
(५)
गणनायक
तेजोमय कर दो
ज्ञान दायक☺️
💐💐💐💐💐💐
(६)
शब्दों में बाँधूँ
तुम्हारी महानता
कहाँ क्षमता😊
💐💐💐💐💐💐
(७)
हे ! लम्बोदर
ओ ज्ञान प्रदायक
अज्ञान हर😢
💐💐💐💐💐💐
(८)
गौरी नन्दन
महादेव-दुलारे
तमस हर👌
(९)
हे ! वक्र तुण्ड
महाकाय गणेश
निर्विघ्न करो💐
💐💐💐💐💐💐
(१०)
हे ! जनार्दन
जनता की जय हो
(कु)नेता क्षय हो🎂
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू अकेला


भावों के मोती
विषय-गणपति
============
पधारो प्रथम पूज्य गणेश
पधारो प्रथम पूज्य गणेश...
मूषक पर होकर सवार
घर-घर आए बप्पा मोरया
श्री लम्बोदर पीताम्बर पधारे
सज गए घर-आँगन वंदनवार
पूर्ण हुआ गणपति का इंतज़ार

पधारो प्रथम पूज्य गणेश
पधारो प्रथम पूज्य गणेश...
मोदक मिश्री भोग लगाएं
रिद्धी-सिद्धी शुभता को रिझाएं
एक दंत,दयावंत ,विनायक
पलकें बिछाए करते स्वागत
बजे ढोल-ताशे उड़ता गुलाल 
आज पधारे श्री गणराय

पधारो प्रथम पूज्य गणेश
पधारो प्रथम पूज्य गणेश...
हे विघ्न-विनाशक,गजनना हे
हे गौरी तनया भाल चन्द्र हे
सुन लो विनय संताप हरो हे
कष्ट मिटाओ मोरेश्वर हे
कर रहे विनती बारम्बार

पधारो प्रथम पूज्य गणेश
पधारो प्रथम पूज्य गणेश....
सुन लो शिव सुत विनती मेरी
भोग चढ़ाऊँ मोदक, मिश्री
लड्डु लाऊँ भर-भर थाली
कृपा करो हे सिद्धीविनायक
जल्दी न जाना अबकी बरस
सजे है रंगोली घर-द्वार
पधारो प्रथम पूज्य गणेश
पधारो प्रथम पूज्य गणेश....
***अनुराधा चौहान***स्वरचित



विषय=गणपति
============
लड्डुओं का भोग लगाएं
आए बप्पा मोरया
मोदक रच-रच बनाएं
आए बप्पा मोरया
जय श्री बप्पा मोरया
जय-जय बप्पा मोरया
पान चढ़े, फूल चढ़े
मेवा भरपूर चढ़े
रच-रच भोग लगाएं
आए बप्पा मोरया
श्री गणपति बप्पा मोरया
जय-जय बप्पा मोरया
एकदंत,दयावंत
कृपा बरसाने आ गए
पीताम्बर पहनकर
विघ्न मिटाने आ गए
लड्डु भर-भर चढ़ाओ
आए बप्पा मोरया
श्री गणपति बप्पा मोरया
जय-जय बप्पा मोरया
छवि है निराली
मूषक की सवारी
लम्बोदर पीताम्बर
कृपा बरसाने आ गए
चरणों में शीश झुकाओ
आए बप्पा मोरया
श्री गणपति बप्पा मोरया
जय-जय बप्पा मोरया


नमन भावों के मोती
दिनाँक-02-09-2019
विषय-गणपति
विधा-हाइकु
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
1-विघ्नहरण
गणपति नमन
सुखकरण।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
2-मंगल साजे
गणपति विराजे
दुंदुभि बाजे।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
3-करते हित
रिद्धि-सिद्धि सहित
गणपति जी।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित



 नमन भावों के मोती
दिनाँक-02-09-2019
विषय-गणपति

विधा -वर्ण पिरामिड
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
1-हैं
अति
दयालु
गणपति
विघ्नहरण
मंगलकरण
करूँ श्रद्धा अर्पण।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
2- हैं
शुभ
गणेश
विनायक
सुखदायक
मूषक वाहक
प्रथम वंदनीय।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺

सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित


दिन :- सोमवार 
दिनांक :- 02/09/2019
विषय :- गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं💐💐💐

हे गौरी नंदन...
करे जग वंदन..
सुन लो मेरी पुकार.... 
ओ गौरी सूत हम....आए तेरे द्वार...
रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता..
जग के हो तुम ही विधाता..
कर दो पूरण काज..ओ गौरी सूत..
प्रथम पूज्य तुम...
तुम ही विनायक...
तुम ही प्रभु हो.. बुद्धि दायक...
चरण पखारे तुम्हरे आज..
ओ गौरी सूत...
दुष्ट जन के तुम ही संहारक...
विघ्नहर्ता,मंगलकर्ता..
तुम ही हो प्रभु..
जग के तारहणहार..ओ गौरी सूत...
लडुअन का तुम्हें भोग लगाएं...
मस्तक ते सिंदूर चढ़ाएं..
उच्चासन पर तुमको बिठाएं... 
सुन लो प्रभु अरज हमार..ओ गौरी सूत आए ...

स्वरचित :- मुकेश राठौड़


नमन मंच
दिनांक-२-९-२०१९

गणेश वंदना (कुण्डलिया छंद)

(०१)

गजमुख रक्षा कीजिए, बढ़ा धरा पर पाप।
बदलो सब वरदान में,जितने हैं अभिशाप।
जितने हैं अभिशाप,गजानन सबको हरिए।
हो सबका उद्धार, काम कुछ ऐसा करिए।
कहे'राम'कविराय, हरो आकर सबके दुख।
करदो बेड़ा पार, करूँ विनती मैं गजमुख।

(०२)

करता तेरी अर्चना, हे! गणपति गणराज।
सिर पर रख दे हाथ जो,बच जाए फिर लाज।
बच जाये फिर लाज,शान ऊँची हो जाये।
दे ऐसा आशीष, खुशी जीवन में छाये।
कहे 'राम' कविराय,दुःख सबका है हरता।
मंगलमूर्ती नाम, ज्ञान की वर्षा करता।

(०३)

गणराजा गणराय जी,रिद्धि-सिद्धि करतार।
इच्छा पूरी कर सभी, वंदन बारम्बार।
वंदन ‌ बारम्बार, रहूँ तेरे चरणों में।
बस इतनी है आस, खुशी हो सभी घरों में।
हरने अत्याचार, विघ्न हरता अब आजा।
जनता है लाचार, सुनो विनती गणराजा।

(०४)

हरिए सारे विघ्न प्रभु, हरिए सारे क्लेष।
कृपा सभी पर कीजिए, रहें न कोई शेष।
रहें न कोई शेष, आस हों सबकी पूरी।
बैर करो सब दूर, मिटाओ मन की दूरी।
कहे'राम'कविराय, पूर्ति सबकी ही करिए।
सुनिए मूषकराज, द्वेष सब मन का हरिए।

(०५)

लंबोदर, आनंदघन, गिरजातनय गणेश।
सूपकर्ण,मंगलकरण,विघ्न हरण विघ्नेश।
विघ्न हरण विघ्नेश,ज्ञानदायक श्री स्वामी।
पूर्ण करो सब काज,सुनो हे!अन्तर्यामी।
हरकर सारे दोष,कृपा करिए नित सबपर।
आये तेरे द्वार, कष्ट हरिए लंबोदर।

स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)


जय जय गणेशा
2/9/2019
*****************
गौरी नंद गणेश जी,हरना सबकी पीर
मंगल जीवन हो सदा,नही नैन में नीर।

गणपति सुख के धाम है,वे जीवन का सार
विध्न हरण मंगल करण, मोहित मन संसार।

जीवन तुझको जो मिला,सत्कर्मों में ढाल
सीख गणेशा से सदा,श्रेष्ठ कर्म की चाल।

दिव्य ज्योति सम ज्ञान हो,गौरी नंद गणेश
सफल सकल सब कर्म हो,ज्योतिर्मय प्रथमेश।

वीणा शर्मा वशिष्ठ, स्वरचित,मौलीक, भावों के मोती साहित्यिक समूह को प्रेषित।

आप सभी को हार्दिक नमस्कार 
आज के विषय पर हाइकु 

विराजे घर 
पधारो गजमुख 
श्री लंबोदर 

विघ्न हरण 
हो मंगल मूरति
दर्प दलन 

हे सूप कर्ण
उमा शंकर सुत
शत नमन

राखो शरण
हे बुद्धि विनायक 
विवेक दाता

श्री पूजनीय
कार्तिकेय अनुज
आनंद दाता

स्वरचित सुधा शर्मा राजिम छत्तीसगढ़ 
2-9-2019

हे!गजानन ,चरणों में वंदन
गौरी नन्दन, जय जग वंदन।।

शंकर सुवन,मूषकवाहन ।
शुभगुणआनन,जय जग वंदन 
हे गजानन, चरणों में वंदन ।।

वरदविनायक,विघ्नविनाशन
विद्या बुद्धि आनन,जय जग वंदन 
हे गजानन, चरणों में वंदन,।।

क्षीरोद के सुमन,भाव मोती चंदन ।
स्वीकार करो प्रभु , जय जग वंदन ।।
हे!गजानन, चरणों में वंदन ।।
×××××××××××××××××
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित 
बसना, महासमुंद, (छ•ग•)

नमन - मंच
वार - सोमवार
विषय - गणेश

प्रथम पूज्य
शिव गौरी नंदन
करूं वंदन

भाग्य विधाता
रिद्धि सिद्धि के स्वामी
गौरी गणेश

बुद्धि प्रदाता
ज्ञान समृद्धि दाता
प्रभु गणेश

सुत महेश
अद्भुत रखे वेश
मिटाए क्लेश

मूषक साथ
मोदक प्रिय नाथ
पद्म है हाथ

मंगल मूर्ति
देवो के भी आराध्य
देवा गणेश

स्वरचित
गीता लकवाल
गुना मध्यप्रदेश


आयोजन - गणपति विशेष
दिनांक - ०२/०९/२०१९

दिन - सोमवार
------------------------------------------

जय जय गणपति दीनदयाला
रुप चतुर्भुज नयन विशाला।

मोदक प्रिय मुद मंगलदाता
कीरति तेरी जगत विख्याता।

उमा - महेश्वर सुत कहलाता
सुर नर मुनि जन तुमको ध्याता।

प्रथम पूज्य तुम देव हमारे
सबके बिगड़े काज संवारे।

एकदंत, गजकण, गणराया
सकल चराचर में तेरी माया।

जय गणेश तुम बुद्धि विधाता
तुम प्रताप सब जन सुख पाता।

ऋद्धि पति प्रभु सिद्धिविनायक
भुवनपति तुम अति सुखदायक।

लंबोदर तुम शुभगुणकानन
विघ्नेश्वर हैं विघ्नविनाशन।

शरण तुम्हारी जो जन आए
सो नर मनवांछित फल पाए।
"पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
दिनांक- 2/09/2019
विषय -गणपति

नमः गणपताय, नमः गणेशाय
नमः दुःख हरताय, नमः सुख कर्ताय 
आप ही ब्रह्मेश,आप ही ज्ञानेश
जय गणेशाय ,नमः गणेशाय
नमः प्रथम पूज्य ,नमः लम्बोदराय 
नमः विघ्न नाशाय ,नमः शिव सुताय
नमः पार्वती सुताय, नमः प्रियवदाय
नमः एकदंताय, नमः चतुर्भुजाय
नमः भक्त प्रियाय , नमः संत तारकाय 
नमः वक्रतुण्डाय, नमः गणपताय
जय गणेशाय ,नमः गणेशाय।
स्वरचित 
मोहिनी पांडेय
 नमन मंच🙏🏻🙏🏻
दिनांक-२/९/२०१९
वार-सोमवार
विष
य- गणपति प्रिय लड्डू
विधा-हाइकू।

🌹गणेश देवा,
पसंद लड्डू मेवा,
करूँ मैं सेवा।

🌹लड्डू की थाली,
है मूषक सवारी,
प्रसन्न देवा।

🌹गोरी- नंदन,
करूँ लड्डू अर्पण,
माथे चंदन।

🌹दे शुभाशीष,
भोग लड्डू विशेष,
सुत महेश।

🌹श्री लंबोदर,
चढ़े लड्डू घी तर,
विराजे घर।

©सारिका विजयवर्गीय "वीणा"
नागपुर ( महाराष्ट्र)






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