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ब्लॉग संख्या :-505
#बेटी_के_साथ_हिंदी_भी_बचाएंगे
#हम_हिंदी_हैं_हिंदी_सबको_बताएंगे✍️✍️🇮🇳✍️✍️
मुश्किलों के बीच
समय की धारा से
एक - एक बूँद चुरानी है
हालातों को हराना है
रूकावटों से रुकना नहीं
बढ़ते चलना है
हाथ पर हाथ रखने से
कुछ नहीं होगा
हमें उठना होगा
आँखों के आगे से
रातों का काफिला गुजारना होगा
चाहत को राहत का जरिया बनाना होगा
दुनिया पागल कहेगी
बेवकूफ कहेगी
कहने दो
हमें अकेले ही लड़ना होगा
सबसे आगे चलना होगा
साहस दिखाना होगा
कलम को हथियार बनाना होगा
हिंदी को हृदय से हिम्मत देनी होगी
देखो !
वो कितनी अकेली पड़ गई है
छूट गई है अपनों से
उसको साथ चाहिए
हमारा हाथ चाहिए
वो रूठी नहीं, टूटी है
हर पल - पल
कभी उसकी उँगली
हमारा सहारा हुआ करती थी
और आज....
उसे हमारा सहारा चाहिए
वह निरंतर निहार रही है
चलते अपनों को पर....
हम हैं जो मुड़कर भी
नहीं देख रहे
हमें कुछ भी फिक्र नहीं कि....
माँ भारती क्या कहेगी
वह कहेगी.... उन्नति के दौर में
स्पर्धा की दौड़ में
तुम्हें मेरी बेटी का ख्याल ही नहीं रहा
मानती हूँ ...
मानव बहुत मक्कार हो गया
उसे अपनों से ज्यादा परायों से प्यार हो गया
अपनी बेटी को कोख में मारने वाला
वह हैवान
भला माँ भारती की बेटी के बारे में
क्यों सोचेगा
खैर जो भी है
माँ ममता का सागर होती है
हम क्षमा माँग लेंगे
वो माफ कर देगी
पर हमें माँ भारती को
विश्वास दिलाना होगा
हमें अपना फर्ज निभाना होगा
हमें हिंद को जगाना होगा
अंधों की आँखें खोलनी होंगी
उन्हें यह एहसास कराना होगा कि....
अपनों के लिए अपने ही होते हैं
हिंदी हमारी आवाज है
आत्मा है
जननी है
पहचान है
हम कसम खाते हैं
वादा करते हैं
मरते दम तक दिल से निभाएँगे
जग-जगकर जुनून जगाएँगे
बेटी के साथ हिंदी भी बचाएँगे
हम हिंदी हैं
हिंदी
सबको बताएंगे
जय हिंदी
#हम_हिंदी_हैं_हिंदी_सबको_बताएंगे✍️✍️🇮🇳✍️✍️
मुश्किलों के बीच
समय की धारा से
एक - एक बूँद चुरानी है
हालातों को हराना है
रूकावटों से रुकना नहीं
बढ़ते चलना है
हाथ पर हाथ रखने से
कुछ नहीं होगा
हमें उठना होगा
आँखों के आगे से
रातों का काफिला गुजारना होगा
चाहत को राहत का जरिया बनाना होगा
दुनिया पागल कहेगी
बेवकूफ कहेगी
कहने दो
हमें अकेले ही लड़ना होगा
सबसे आगे चलना होगा
साहस दिखाना होगा
कलम को हथियार बनाना होगा
हिंदी को हृदय से हिम्मत देनी होगी
देखो !
वो कितनी अकेली पड़ गई है
छूट गई है अपनों से
उसको साथ चाहिए
हमारा हाथ चाहिए
वो रूठी नहीं, टूटी है
हर पल - पल
कभी उसकी उँगली
हमारा सहारा हुआ करती थी
और आज....
उसे हमारा सहारा चाहिए
वह निरंतर निहार रही है
चलते अपनों को पर....
हम हैं जो मुड़कर भी
नहीं देख रहे
हमें कुछ भी फिक्र नहीं कि....
माँ भारती क्या कहेगी
वह कहेगी.... उन्नति के दौर में
स्पर्धा की दौड़ में
तुम्हें मेरी बेटी का ख्याल ही नहीं रहा
मानती हूँ ...
मानव बहुत मक्कार हो गया
उसे अपनों से ज्यादा परायों से प्यार हो गया
अपनी बेटी को कोख में मारने वाला
वह हैवान
भला माँ भारती की बेटी के बारे में
क्यों सोचेगा
खैर जो भी है
माँ ममता का सागर होती है
हम क्षमा माँग लेंगे
वो माफ कर देगी
पर हमें माँ भारती को
विश्वास दिलाना होगा
हमें अपना फर्ज निभाना होगा
हमें हिंद को जगाना होगा
अंधों की आँखें खोलनी होंगी
उन्हें यह एहसास कराना होगा कि....
अपनों के लिए अपने ही होते हैं
हिंदी हमारी आवाज है
आत्मा है
जननी है
पहचान है
हम कसम खाते हैं
वादा करते हैं
मरते दम तक दिल से निभाएँगे
जग-जगकर जुनून जगाएँगे
बेटी के साथ हिंदी भी बचाएँगे
हम हिंदी हैं
हिंदी
सबको बताएंगे
जय हिंदी
नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित कविता
मौलिक
स्वरचित कविता
मौलिक
विधा -पद#हिंदी_मुझ_में_समायी_रहे
प्राथमिक उपचार के बल पर
भला कब तक कोई जिंदा रह सकता है
गोली लगे उसे
पूरा एक घंटा हो चुका था
दो-दो बनियानें बांधने के बाद भी
जाँघ से खून
रुकने का नाम नहीं ले रहा था
इसके बावजूद भी वह लड़ रहा था
उसका ध्यान दर्द पर नहीं
दुश्मन पर था
कुछ देर बाद
उसकी आँखें पथराने लगी
जुबान लड़खड़ाने लगी
बनियान से टपकता हुआ खून
ऐसे लग रहा था
जैसे घाव रो रहे हों
इतना सब कुछ होने के बाद भी
उसके बंदूक चलाने का अंदाज
बिल्कुल भी नहीं बदला
अपने साथी पर
खतरा नहीं आने दिया उसने
अंतिम पल तक
फतेह के बाद
ज्यों ही जय हिंद का नारा लगा
और तिरंगा फहराया तो...
सहसा उसकी आँखों से
आँसू फूट पड़े
और उसने एक हाथ से
तिरंगे की ओर इशारा करते हुए
अपने साथी से कहा कि...
मानता हूँ कि...
भारत माता खुश होगी मेरी शहादत पर
पर ...उसे बहुत दुख भी होगा
हमारी इस आदत पर
जो ..हम एक शहीद के
दस्तावेजों को भी
अंग्रेजी भाषा में लिखते हैं
क्या गुजरती होगी उस वक्त
हिंदी माँ के दिल पर
जबकि...हर शहीद
मरने से पहले जय हिंद पुकारता है
जिसमें साफ-साफ हिंदी झलकती है
वो जन्म देने के बाद भी
अपने आप को
सौतेली माँ ही समझती होगी
मानता हूँ कि...
मैं हिंदी को
देश की कार्यालयी अनिवार्य भाषा
नहीं बना सकता हूँ
मेरे पास वो ताकत नहीं है
हाँ पर... तुम मेरे लिए
इतना कर देना कि..
शहीद होने के बाद
पत्थर पर मेरा नाम हिंदी में लिखवा देना
ताकि ....मेरे मरने के बाद भी
हिंदी मुझ में समायी रहे
जय हिन्दी
नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित रचना
मौलिक
प्राथमिक उपचार के बल पर
भला कब तक कोई जिंदा रह सकता है
गोली लगे उसे
पूरा एक घंटा हो चुका था
दो-दो बनियानें बांधने के बाद भी
जाँघ से खून
रुकने का नाम नहीं ले रहा था
इसके बावजूद भी वह लड़ रहा था
उसका ध्यान दर्द पर नहीं
दुश्मन पर था
कुछ देर बाद
उसकी आँखें पथराने लगी
जुबान लड़खड़ाने लगी
बनियान से टपकता हुआ खून
ऐसे लग रहा था
जैसे घाव रो रहे हों
इतना सब कुछ होने के बाद भी
उसके बंदूक चलाने का अंदाज
बिल्कुल भी नहीं बदला
अपने साथी पर
खतरा नहीं आने दिया उसने
अंतिम पल तक
फतेह के बाद
ज्यों ही जय हिंद का नारा लगा
और तिरंगा फहराया तो...
सहसा उसकी आँखों से
आँसू फूट पड़े
और उसने एक हाथ से
तिरंगे की ओर इशारा करते हुए
अपने साथी से कहा कि...
मानता हूँ कि...
भारत माता खुश होगी मेरी शहादत पर
पर ...उसे बहुत दुख भी होगा
हमारी इस आदत पर
जो ..हम एक शहीद के
दस्तावेजों को भी
अंग्रेजी भाषा में लिखते हैं
क्या गुजरती होगी उस वक्त
हिंदी माँ के दिल पर
जबकि...हर शहीद
मरने से पहले जय हिंद पुकारता है
जिसमें साफ-साफ हिंदी झलकती है
वो जन्म देने के बाद भी
अपने आप को
सौतेली माँ ही समझती होगी
मानता हूँ कि...
मैं हिंदी को
देश की कार्यालयी अनिवार्य भाषा
नहीं बना सकता हूँ
मेरे पास वो ताकत नहीं है
हाँ पर... तुम मेरे लिए
इतना कर देना कि..
शहीद होने के बाद
पत्थर पर मेरा नाम हिंदी में लिखवा देना
ताकि ....मेरे मरने के बाद भी
हिंदी मुझ में समायी रहे
जय हिन्दी
नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित रचना
मौलिक
नमन मंच-भावों के मोती
दिनांक-14.09.2019
विषय शीर्षक-हिन्दी /हिन्दी दिवस
विधा-चन्द दोहे
========================
(01)
हिन्दी विश्व विमोहिनी,इसको दो सम्मान ।
जो सज्जित विज्ञान से,फिर क्यूँ कम है ध्यान।।
(02)
हिन्दी,सबल बनाइए,रख दिल में अहसास ।
जो पाले है गर्भ में,निखिल जगत इतिहास ।।
(03)
हिन्दी सेवा के लिए,झटिति भरो हुंकार ।
बढ़ो सृजनकारी बनो,प्रस्तुति दो उद्गार ।।
(04)
वही शुभ घड़ी आ गई,जिसके प्रति था ध्यान।
हिन्दी को सम्मान दो,क़ौमी बने ज़बान।।
(05)
भावों का चिन्तन करो,लिखो समादृत छन्द ।
हिन्दी सेवा के लिए,सजग बनो हर चंद ।।
============================
'अ़क्स' दौनेरिया
दिनांक-14.09.2019
विषय शीर्षक-हिन्दी /हिन्दी दिवस
विधा-चन्द दोहे
========================
(01)
हिन्दी विश्व विमोहिनी,इसको दो सम्मान ।
जो सज्जित विज्ञान से,फिर क्यूँ कम है ध्यान।।
(02)
हिन्दी,सबल बनाइए,रख दिल में अहसास ।
जो पाले है गर्भ में,निखिल जगत इतिहास ।।
(03)
हिन्दी सेवा के लिए,झटिति भरो हुंकार ।
बढ़ो सृजनकारी बनो,प्रस्तुति दो उद्गार ।।
(04)
वही शुभ घड़ी आ गई,जिसके प्रति था ध्यान।
हिन्दी को सम्मान दो,क़ौमी बने ज़बान।।
(05)
भावों का चिन्तन करो,लिखो समादृत छन्द ।
हिन्दी सेवा के लिए,सजग बनो हर चंद ।।
============================
'अ़क्स' दौनेरिया
14/09/2019
हाइकु - हिन्दी
शब्द फारसी,
लिपि देवनागरी,
है श्रेष्ठ हिन्दी ।
राष्ट्र की शान,
दिखावे का सम्मान,
महान हिन्दी ।
देश का दिल,
फिर भी बदहाल,
बेबस हिन्दी ।
झूठ दिखावा,
मुखौटा क्यों अंग्रेजी,
जब हैं हिन्दी ।
आंग्ल सौतन,
हिंदू भी भरमाये,
लजाये हिन्दी ।
-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित
हाइकु - हिन्दी
शब्द फारसी,
लिपि देवनागरी,
है श्रेष्ठ हिन्दी ।
राष्ट्र की शान,
दिखावे का सम्मान,
महान हिन्दी ।
देश का दिल,
फिर भी बदहाल,
बेबस हिन्दी ।
झूठ दिखावा,
मुखौटा क्यों अंग्रेजी,
जब हैं हिन्दी ।
आंग्ल सौतन,
हिंदू भी भरमाये,
लजाये हिन्दी ।
-- नीता अग्रवाल
#स्वरचित
नमन साथियों
हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं
दिनांक 14,,09,,2019
विषय,,हिंदी
देखों हिंदुस्तान की भाषा हिंदी हैं।
भारत के सम्मान की भाषा हिंदी है।।
प्रेम दया सद्भाव सहजता की जननी।
जन गण के मन की अभिलाषा हिंदी है।।
भारत माता के गौरव की शान हमारी हिंदी हैं।
संस्कार सद्भाव सहज पहचान हमारी हिंदी हैं।।
सदी पुरानी परंपरा को जिवित रखा जिसने अब तक।
अरबों भारत वासी का अरमान हमारी हिंदी हैं।।
दुनिया मे जिसने अपनी बोली का परचम लहराया।
देश धर्म का हृदय स्वाभिमान हमारी हिंदी हैं।।
कवियों ने जिसकी महिमा का गाया गान सदा दिल से।
वेदवाणी ऋषि मुनियों का वरदान हमारी हिंदी हैं।।
राज राष्ट्र जनपद जन जन तक अलख जगाया हैं जिसने
लोकतंत्र की आन बान सम्मान हमारी हिंदी हैं।।
स्वरचित
शिव कुमार लिल्हारे,, अमन
बालाघाट मध्यप्रदेश
हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं
दिनांक 14,,09,,2019
विषय,,हिंदी
देखों हिंदुस्तान की भाषा हिंदी हैं।
भारत के सम्मान की भाषा हिंदी है।।
प्रेम दया सद्भाव सहजता की जननी।
जन गण के मन की अभिलाषा हिंदी है।।
भारत माता के गौरव की शान हमारी हिंदी हैं।
संस्कार सद्भाव सहज पहचान हमारी हिंदी हैं।।
सदी पुरानी परंपरा को जिवित रखा जिसने अब तक।
अरबों भारत वासी का अरमान हमारी हिंदी हैं।।
दुनिया मे जिसने अपनी बोली का परचम लहराया।
देश धर्म का हृदय स्वाभिमान हमारी हिंदी हैं।।
कवियों ने जिसकी महिमा का गाया गान सदा दिल से।
वेदवाणी ऋषि मुनियों का वरदान हमारी हिंदी हैं।।
राज राष्ट्र जनपद जन जन तक अलख जगाया हैं जिसने
लोकतंत्र की आन बान सम्मान हमारी हिंदी हैं।।
स्वरचित
शिव कुमार लिल्हारे,, अमन
बालाघाट मध्यप्रदेश
## हिन्दी / दिन्दी दिवस ##
पाश्चात्य की झूठी बना कर ऐंठ
निज धरोहर की हमने चढ़ा दी भेंट ।।
भाषा विरासत में हमने है पायी
कर रहें हैं आज हम उसी से कुनेंट ।।
जरूरत के मुताबिक दवायें ली जाती
जरूरत मुताबिक भाषायें ली जाती ।।
निजता को भूल जो गैरों में झूलते
कहानी उनकी हास्यास्पद ही कहाती ।।
विश्व पटल पर हम पहचान खो रहे
एक नही ऐसे हजार बीज बो रहे ।।
संग्रहालय में दिखेगी भाषा संस्कृति
पाश्चात्य को जो बेवजह ढो रहे ।।
निज भाषा आज घुट घुट रोय है
आँसू से अपना दामन भिंगोय है ।।
तरस न उस पर किसी को 'शिवम'
झूठे अहं झूठे मद में खोय है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 14/09/2019
पाश्चात्य की झूठी बना कर ऐंठ
निज धरोहर की हमने चढ़ा दी भेंट ।।
भाषा विरासत में हमने है पायी
कर रहें हैं आज हम उसी से कुनेंट ।।
जरूरत के मुताबिक दवायें ली जाती
जरूरत मुताबिक भाषायें ली जाती ।।
निजता को भूल जो गैरों में झूलते
कहानी उनकी हास्यास्पद ही कहाती ।।
विश्व पटल पर हम पहचान खो रहे
एक नही ऐसे हजार बीज बो रहे ।।
संग्रहालय में दिखेगी भाषा संस्कृति
पाश्चात्य को जो बेवजह ढो रहे ।।
निज भाषा आज घुट घुट रोय है
आँसू से अपना दामन भिंगोय है ।।
तरस न उस पर किसी को 'शिवम'
झूठे अहं झूठे मद में खोय है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 14/09/2019
शुभ संध्या
नमन भावों के मोती
विषय-- हिन्दी / हिन्दी दिवस
विधा--मुक्तक
द्वितीय प्रस्तुति
हिन्दी का दुर्भाग्य अपने संग छोड़ रहे
दुख वो कहाँ कहे अपने मुँह मोड़ रहे ।।
अपने घर में अपनी ही हो उपेक्षा
दुख ये असहनीय ये पाप हम जोड़ रहे ।।
अग्रणी कहाते थे पिछलग्गू बन रहे
कुछ नही ध्यान मन ऐसे सन रहे ।।
जिसे देखो उसे इंगलिश फेंके
और भी क्षेत्र नही उनमें मन रहे ।।
हिन्दी की सहेली भाषायें पढ़ो
पढ़ कर हिन्दी में चार रंग भरो ।।
पर इंगलिस्तानी चाल बेहूदा
सोचो ''शिवम" कुछ तो गढ़ो ।।
हिन्दी की हम करें तरफदारी
रशियन भी हमें रही है प्यारी ।।
पर माँ का मोह खींचा हमको
छोड़कर रसिया कविता विस्तारी ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 14/09/2019
नमन भावों के मोती
विषय-- हिन्दी / हिन्दी दिवस
विधा--मुक्तक
द्वितीय प्रस्तुति
हिन्दी का दुर्भाग्य अपने संग छोड़ रहे
दुख वो कहाँ कहे अपने मुँह मोड़ रहे ।।
अपने घर में अपनी ही हो उपेक्षा
दुख ये असहनीय ये पाप हम जोड़ रहे ।।
अग्रणी कहाते थे पिछलग्गू बन रहे
कुछ नही ध्यान मन ऐसे सन रहे ।।
जिसे देखो उसे इंगलिश फेंके
और भी क्षेत्र नही उनमें मन रहे ।।
हिन्दी की सहेली भाषायें पढ़ो
पढ़ कर हिन्दी में चार रंग भरो ।।
पर इंगलिस्तानी चाल बेहूदा
सोचो ''शिवम" कुछ तो गढ़ो ।।
हिन्दी की हम करें तरफदारी
रशियन भी हमें रही है प्यारी ।।
पर माँ का मोह खींचा हमको
छोड़कर रसिया कविता विस्तारी ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 14/09/2019
नमन-भावो के मोती
दिनांक-14/09/2019
विषय-हिंदी दिवस काव्य लेखन
मधुमेह वाणी दिव्य राग
नित्य नूतन स्वर हिंदी साज
वीणा की झंकृत झंकार
माथे की बिंदी है हिंदी।।
श्वेत कमल से मांग सोहे
लेखनी जिसकी मन को मोहे।।
आज हिंदी की बिंदी चिंदी चिंदी ....
संस्कृत की लाडली बेटी
अन्य भाषा को संग लेकर चलती
भाषा सभ्यता की सरल अभिव्यक्ति
जो सर्वदा प्रकृति के संग रहती।।
हिंदी कहती अपनी व्यथा.....
मैं तो एक दिन की दुल्हन की गाथा
लेखनी की अनंत प्रजनन हूं
बिन दूल्हा की दुल्हन हूँ
इस दुल्हन की प्रथम चुंबन
दर्द स्याही से से कौन करेगा।
कपकपाँती कलम धार से
मेरी सिंदूरी मांग कौन भरेगा।।
भाषा की हूं मैं निबंध
इस दुल्हन का दर्शन कौन करेगा।।
भाषा की खादी को पहनकर
मेरे कक्ष में प्रथम शयन कौन करेगा..........................।।
मौलिक
रचना सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
दिनांक-14/09/2019
विषय-हिंदी दिवस काव्य लेखन
मधुमेह वाणी दिव्य राग
नित्य नूतन स्वर हिंदी साज
वीणा की झंकृत झंकार
माथे की बिंदी है हिंदी।।
श्वेत कमल से मांग सोहे
लेखनी जिसकी मन को मोहे।।
आज हिंदी की बिंदी चिंदी चिंदी ....
संस्कृत की लाडली बेटी
अन्य भाषा को संग लेकर चलती
भाषा सभ्यता की सरल अभिव्यक्ति
जो सर्वदा प्रकृति के संग रहती।।
हिंदी कहती अपनी व्यथा.....
मैं तो एक दिन की दुल्हन की गाथा
लेखनी की अनंत प्रजनन हूं
बिन दूल्हा की दुल्हन हूँ
इस दुल्हन की प्रथम चुंबन
दर्द स्याही से से कौन करेगा।
कपकपाँती कलम धार से
मेरी सिंदूरी मांग कौन भरेगा।।
भाषा की हूं मैं निबंध
इस दुल्हन का दर्शन कौन करेगा।।
भाषा की खादी को पहनकर
मेरे कक्ष में प्रथम शयन कौन करेगा..........................।।
मौलिक
रचना सत्य प्रकाश सिंह प्रयागराज
नमन मंच भावों के मोती
14/09/19
विषय हिंदी
**
सरसी छन्द में गीत
***
"हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
लिखी भक्ति मीरा की इसमें,लिखा प्रेम रसखान,
कबिरा के दोहों से सजती ,भाषा मातृ महान ।
प्रेमचंद जयशंकर करते ,हिंदी का गुणगान,
माखन,दिनकर महादेवि की ,कृतियां करें हिलोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
देवनागरी भाषा अपनी,रचते छन्द सुजान ,
चुन चुन कर ये भाव सजाती ,हिन्दी है अभिमान।
मान विदेशी का करना है ,सँस्कृति की पहचान,
नहीं बदल पायेगा कोई ,भाषा का भूगोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
हिन्दी का वन्दन अभिनन्दन, हिन्दी हो अभियान,
एक दिवस में क्यों बाँधें हम ,हिन्दी से हिन्दुस्तान।
रची बसी जीवन में रहती ,हिंदी है पहचान ,
मधुरम मीठी भाषा वाणी,रस देती है घोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल,
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।
स्वरचित
14/09/19
विषय हिंदी
**
सरसी छन्द में गीत
***
"हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
लिखी भक्ति मीरा की इसमें,लिखा प्रेम रसखान,
कबिरा के दोहों से सजती ,भाषा मातृ महान ।
प्रेमचंद जयशंकर करते ,हिंदी का गुणगान,
माखन,दिनकर महादेवि की ,कृतियां करें हिलोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
देवनागरी भाषा अपनी,रचते छन्द सुजान ,
चुन चुन कर ये भाव सजाती ,हिन्दी है अभिमान।
मान विदेशी का करना है ,सँस्कृति की पहचान,
नहीं बदल पायेगा कोई ,भाषा का भूगोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
हिन्दी का वन्दन अभिनन्दन, हिन्दी हो अभियान,
एक दिवस में क्यों बाँधें हम ,हिन्दी से हिन्दुस्तान।
रची बसी जीवन में रहती ,हिंदी है पहचान ,
मधुरम मीठी भाषा वाणी,रस देती है घोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल,
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।
स्वरचित
तृतीय प्रस्तुति
हिंदी भाषा का रचनाकार से वार्तालाप
क्यों हो क्लान्त शिथिल तुम
क्यों हो आज व्यथित तुम
इन ऊंचाइयों तक पहुँच
किस भाव से ग्रसित तुम ।
आज के हालात पर
चीत्कार करता मेरा मन
होता जब अधिकारों का हनन
अपनों में जब पराये हो जाये
विदेशी आ मुझे हीन दिखाए
सीमाओं, दिवस मे
बांध दिया जाय
तब वेदना से ग्रसित हो
बिंधता है मेरा तन ।
निर्मूल है तुम्हारी व्यथा
प्राचीनतम गौरवमयी
इतिहास रहा तुम्हारा
कोई छीन नही सकता
आकर,अधिकार तुम्हारा,
पहला शब्द तोतली भाषा
माँ के उच्चारण में हो तुम,
सम्प्रेषण के सशक्त
माध्यम मे हो तुम
जन जन में चेतना का
संचार करती हो तुम
कवियों की वाणी हो तुम
रस छंद अलंकार से सजी तुम
संस्कृत उर्दू बहन तुम्हारी
अंग्रेजी है अतिथि तुम्हारी
साथ साथ मिल कर रहो
एक दिवस का क्षोभ न करो
तुम हमारी शान हमारी पहचान
प्रतिदिन करते है तुम्हारा सम्मान
पर आज तुम्हें देते विशेष स्थान
हम हिंदी से ,हिंदी हिन्दोस्तान ।
©anita सुधीर
हिंदी भाषा का रचनाकार से वार्तालाप
क्यों हो क्लान्त शिथिल तुम
क्यों हो आज व्यथित तुम
इन ऊंचाइयों तक पहुँच
किस भाव से ग्रसित तुम ।
आज के हालात पर
चीत्कार करता मेरा मन
होता जब अधिकारों का हनन
अपनों में जब पराये हो जाये
विदेशी आ मुझे हीन दिखाए
सीमाओं, दिवस मे
बांध दिया जाय
तब वेदना से ग्रसित हो
बिंधता है मेरा तन ।
निर्मूल है तुम्हारी व्यथा
प्राचीनतम गौरवमयी
इतिहास रहा तुम्हारा
कोई छीन नही सकता
आकर,अधिकार तुम्हारा,
पहला शब्द तोतली भाषा
माँ के उच्चारण में हो तुम,
सम्प्रेषण के सशक्त
माध्यम मे हो तुम
जन जन में चेतना का
संचार करती हो तुम
कवियों की वाणी हो तुम
रस छंद अलंकार से सजी तुम
संस्कृत उर्दू बहन तुम्हारी
अंग्रेजी है अतिथि तुम्हारी
साथ साथ मिल कर रहो
एक दिवस का क्षोभ न करो
तुम हमारी शान हमारी पहचान
प्रतिदिन करते है तुम्हारा सम्मान
पर आज तुम्हें देते विशेष स्थान
हम हिंदी से ,हिंदी हिन्दोस्तान ।
©anita सुधीर
14सितंबर 2019
हिंदी दिवस की बधाई.. क्यों... भारत में हिंदी दिवस की जरूरत क्यों..
जो हमारी माँ है उसका सम्मान एक दिन....
एक विनती है कि हिंदी का सम्मान करे..
#हिंदी #व्यथा
पहचान मेरी तुझसे है नहीं किसी से डरती हूँ,
हिंदी हिंदी बोलू मै हिंदी को ही जपती हूँ l
कैसे हो तुम हिंदुस्तानी.. मुझको ही गर्त में डाल रहे,
हिंद के बेटे होकर.. हिंदी दिवस का मान करे ll
एक दिवस की माता हूँ क्या, एक दिवस सम्मान है,
मेरी धरती पर ही हिंदी दिवस, ये मेरा अपमान है,
क्या है इसकी जरूरत. मेरे हिंदुस्तान में, आंग्ल यहाँ पर राज करे... और मुझे अब श्मशान है ll
राष्ट्र भाषा का मान नहीं, न कोई सम्मान है,
इससे ज्यादा मेरे बच्चो.. क्या मेरा अपमान है ll
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
हिंदी दिवस की बधाई.. क्यों... भारत में हिंदी दिवस की जरूरत क्यों..
जो हमारी माँ है उसका सम्मान एक दिन....
एक विनती है कि हिंदी का सम्मान करे..
#हिंदी #व्यथा
पहचान मेरी तुझसे है नहीं किसी से डरती हूँ,
हिंदी हिंदी बोलू मै हिंदी को ही जपती हूँ l
कैसे हो तुम हिंदुस्तानी.. मुझको ही गर्त में डाल रहे,
हिंद के बेटे होकर.. हिंदी दिवस का मान करे ll
एक दिवस की माता हूँ क्या, एक दिवस सम्मान है,
मेरी धरती पर ही हिंदी दिवस, ये मेरा अपमान है,
क्या है इसकी जरूरत. मेरे हिंदुस्तान में, आंग्ल यहाँ पर राज करे... और मुझे अब श्मशान है ll
राष्ट्र भाषा का मान नहीं, न कोई सम्मान है,
इससे ज्यादा मेरे बच्चो.. क्या मेरा अपमान है ll
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
विषय:- "हिन्दी / हिन्दी दिवस"
दिनांक :- 14/9/19.
विधा :- "मुक्तक"
1.
हिन्दी है मेरी मातृभाषा, ये ही मेरा मान है।
ये ही तो मेरी शान भी, ये ही मेरी पहचान है।
अब बने ये विश्व-भाषा, ऐसे कुछ प्रयास हों,
दिल में छुपा वर्षों से मेरे,बस यही अरमान है।
2.
एक प्रश्न .....?
*************
सितम्बरचौदह को ही यादक्यों आती हैये हिन्दी।
समूचे साल क्यों मुखड़ा,छिपाए जाती है हिन्दी।
सुधीजन प्रश्न है तुमसे, जरा उत्तर सुझाओ तो,
"दिवस" केबादक्यों खामोश,ये रहजाती है हिन्दी।
3.
'पूज्य' है "देववाणी" से, मिली सौगात हिन्दी की।
सुनोगुणीजन दुर्दशा की,कहूँ क्याबात हिन्दी की।
अदालत में चिकित्सा क्षेत्र में,ना मान मिल पाया,
हमारे देश में ये, रह गयी औकात हिन्दी की।
दिनांक :- 14/9/19.
विधा :- "मुक्तक"
1.
हिन्दी है मेरी मातृभाषा, ये ही मेरा मान है।
ये ही तो मेरी शान भी, ये ही मेरी पहचान है।
अब बने ये विश्व-भाषा, ऐसे कुछ प्रयास हों,
दिल में छुपा वर्षों से मेरे,बस यही अरमान है।
2.
एक प्रश्न .....?
*************
सितम्बरचौदह को ही यादक्यों आती हैये हिन्दी।
समूचे साल क्यों मुखड़ा,छिपाए जाती है हिन्दी।
सुधीजन प्रश्न है तुमसे, जरा उत्तर सुझाओ तो,
"दिवस" केबादक्यों खामोश,ये रहजाती है हिन्दी।
3.
'पूज्य' है "देववाणी" से, मिली सौगात हिन्दी की।
सुनोगुणीजन दुर्दशा की,कहूँ क्याबात हिन्दी की।
अदालत में चिकित्सा क्षेत्र में,ना मान मिल पाया,
हमारे देश में ये, रह गयी औकात हिन्दी की।
14-09-2019
हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
हिंदी
(सार छंद,16,12 अंत-गुरु,गुरु)
हिंदी है अस्तित्व हमारा
हिंदी मेरी बोली
संवर्धन दायित्व हमारा
हिंदी के हमजोली
चक्षु खोलो सब हिन्दी बोलो
हिन्दी को अपनाओ
पराधीन रहे नहीं मानस
अब छुटकारा पाओ
रस छंद अलंकार विभूषित
सार सरल यह वाणी
है भाव भरा निजत्व प्यारा
उन्नत भाल अभिमानी
दूर क्षितिज में भी गुंजित हो
रुचिरा अपनी भाषा
जन मन उच्चार करे हिंदी
आज यही अभिलाषा।
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
हिंदी
(सार छंद,16,12 अंत-गुरु,गुरु)
हिंदी है अस्तित्व हमारा
हिंदी मेरी बोली
संवर्धन दायित्व हमारा
हिंदी के हमजोली
चक्षु खोलो सब हिन्दी बोलो
हिन्दी को अपनाओ
पराधीन रहे नहीं मानस
अब छुटकारा पाओ
रस छंद अलंकार विभूषित
सार सरल यह वाणी
है भाव भरा निजत्व प्यारा
उन्नत भाल अभिमानी
दूर क्षितिज में भी गुंजित हो
रुचिरा अपनी भाषा
जन मन उच्चार करे हिंदी
आज यही अभिलाषा।
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
३
सभी साथियों को
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विधा - गीत
आधार छंद - सरसी
छंद विधान - १६,११=२७ अंत गाल २१
हिन्द-देश के वासी है हम,हिन्दी अपनी शान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।।
निज भाषा का करें सदा सब,
नित आदर सत्कार।
रहें सभी से मिलजुल करके,
छोड़ें सब तकरार।
गर्व हमें हिन्दी भाषा पर,हिन्दी अपनी जान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।।
भटक गए हैं कुछ साथी तो,
उन्हें दिखाओं राह।
ठेस न पहुँचे कभी किसी को,
रखिए ऐसी चाह।
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विधा - गीत
आधार छंद - सरसी
छंद विधान - १६,११=२७ अंत गाल २१
हिन्द-देश के वासी है हम,हिन्दी अपनी शान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।।
निज भाषा का करें सदा सब,
नित आदर सत्कार।
रहें सभी से मिलजुल करके,
छोड़ें सब तकरार।
गर्व हमें हिन्दी भाषा पर,हिन्दी अपनी जान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।।
भटक गए हैं कुछ साथी तो,
उन्हें दिखाओं राह।
ठेस न पहुँचे कभी किसी को,
रखिए ऐसी चाह।
हिन्दी भाषा का सब मिलकर,करिए नित सम्मान।
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।।
बातचीत करिए हिन्दी में,
खास रहें या आम।
हिन्दी भाषा में ही हो अब,
सब सरकारी काम।
दर्ज राष्ट्रभाषा के पद पर,करिए सब अभिमान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।।
हिन्दी है बिन्दी के जैसे,
सदा बढ़ाती साज।
मधुर-मधुर हैं शब्दावलियाँ,
सब भाषा सरताज।
लेन-देन हो सब हिन्दी में,रखिए इसका ध्यान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
हिन्दी से ही मान हमारा, हिन्दी ही पहचान।।
बातचीत करिए हिन्दी में,
खास रहें या आम।
हिन्दी भाषा में ही हो अब,
सब सरकारी काम।
दर्ज राष्ट्रभाषा के पद पर,करिए सब अभिमान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।।
हिन्दी है बिन्दी के जैसे,
सदा बढ़ाती साज।
मधुर-मधुर हैं शब्दावलियाँ,
सब भाषा सरताज।
लेन-देन हो सब हिन्दी में,रखिए इसका ध्यान।
हिन्दी से ही मान हमारा,हिन्दी ही पहचान।।
स्वरचित
रामप्रसाद मीना 'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट (म.प्र.)
दिनांक-14/9/2019
शीर्षक- "हिन्दी/ हिन्दी दिवस"
विधा-कविता
*******************
हिन्दी का नहीं कोई तोड़,
हिन्दी देती सबको जोड़,
मैं हिन्दी, हिन्द मेरा वतन,
खिलता रहे इसका चमन |
आज हिन्दी कहाँ खो गई,
क्या गहरी नींद में सो गई?
कोई,क्यों नहीं इसे जगाता,
क्योंकि अंग्रेजी से जुड़ गया नाता |
आज हिन्दी बड़ी व्यथित है,
हमें देखकर बहुत चकित है ,
बोलने मैं क्यों लगती है शर्म,
हिन्दी भूलना क्या ये है धर्म |
सम्मानित अपनी भाषा हो,
जन-जन की अभिलाषा हो,
भारत का गौरव है हिन्दी,
माँ भारती के माथे की बिंदी |
स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
शीर्षक- "हिन्दी/ हिन्दी दिवस"
विधा-कविता
*******************
हिन्दी का नहीं कोई तोड़,
हिन्दी देती सबको जोड़,
मैं हिन्दी, हिन्द मेरा वतन,
खिलता रहे इसका चमन |
आज हिन्दी कहाँ खो गई,
क्या गहरी नींद में सो गई?
कोई,क्यों नहीं इसे जगाता,
क्योंकि अंग्रेजी से जुड़ गया नाता |
आज हिन्दी बड़ी व्यथित है,
हमें देखकर बहुत चकित है ,
बोलने मैं क्यों लगती है शर्म,
हिन्दी भूलना क्या ये है धर्म |
सम्मानित अपनी भाषा हो,
जन-जन की अभिलाषा हो,
भारत का गौरव है हिन्दी,
माँ भारती के माथे की बिंदी |
स्वरचित- *संगीता कुकरेती*
नमन मंच
विषय-हिंदी
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं 🙏🏻💐
हिंदी भारत माँ की बिंदी !
सुहाग की तरह प्यारी !!
जी जान से रक्षा करने!
करनी है हमें पहरेदारी!!
अंग्रेजों को मार भगाया!
अंग्रेजी से करली यारी!!
त्यक्ता माँ भारती को बना!
अंग्रेजी पर जाते बलिहारी!!
हिंदी बहुत उदास रहती!
अंग्रेजी सौतन सी लगती!!
क्या करूँ दर्द किसे सुनाऊँ!
किसको मैं अपना बनाऊँ!!
बच्चे बहुत ही मुझको प्यारे!
बचपन में अंग्रेजी के मारे!!
दादी कहती सेवफल खाओ!
मम्मी कहती एप्पल लाओ!!
बच्चे कुछ भी समझ ना पाएं!
मस्तिष्क चलना बंद हो जाए!!
सेवफल एप्पल खूब विचारे!
हर शब्द उलझे लगे अकारे!!
कहना इतना ही है मुझको!
हिंदी में ही पढ़ाओ सबको!!
हिंदी भारत माँ की शान हैं!
सुहाग सा चमकता निशान है!!
स्वरचित कुसुम त्रिवेदी
विषय-हिंदी
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं 🙏🏻💐
हिंदी भारत माँ की बिंदी !
सुहाग की तरह प्यारी !!
जी जान से रक्षा करने!
करनी है हमें पहरेदारी!!
अंग्रेजों को मार भगाया!
अंग्रेजी से करली यारी!!
त्यक्ता माँ भारती को बना!
अंग्रेजी पर जाते बलिहारी!!
हिंदी बहुत उदास रहती!
अंग्रेजी सौतन सी लगती!!
क्या करूँ दर्द किसे सुनाऊँ!
किसको मैं अपना बनाऊँ!!
बच्चे बहुत ही मुझको प्यारे!
बचपन में अंग्रेजी के मारे!!
दादी कहती सेवफल खाओ!
मम्मी कहती एप्पल लाओ!!
बच्चे कुछ भी समझ ना पाएं!
मस्तिष्क चलना बंद हो जाए!!
सेवफल एप्पल खूब विचारे!
हर शब्द उलझे लगे अकारे!!
कहना इतना ही है मुझको!
हिंदी में ही पढ़ाओ सबको!!
हिंदी भारत माँ की शान हैं!
सुहाग सा चमकता निशान है!!
स्वरचित कुसुम त्रिवेदी
नमन मंच
विषय -हिंदी
जय हिंद, जय हिंदी
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....
मैं हिंदी हूँ, शान तुम्हारी,
जन-जन में पहचान तुम्हारी।
पढ़कर मुझको होती है कवि,
दुनिया में जयकार तुम्हारी।।
डरती हूँ अपने लोगों में,
खो न जाऊँ आज कहीं मैं।
व्यथित बहुत है,मन मेरा पर,
तुमसे हूँ नाराज नहीं मैं।।
बढ़ चढ़कर आजादी की,
मैंने भी लड़ी लड़ाई थी।
जन को जागृत करने में,
अपनी भूमिका निभाई थी।।
तुलसी, सूर, कबीर ने मुझको,
दिया हमेशा मान बहुत।
पंत, निराला, दिनकर,
मुंशी जी पर है अभिमान बहुत।।
सरकारों से करूँ अपेक्षा,
करेंगी वो समृद्ध मुझे?
नहीं भरोसा इन पर मुझको,
देती हूँ यह काम तुझे।।
अब तक जिंदा रखा है तो,
आगे भी ऐसे ही रखना।
बनूँ राष्ट्रभाषा भारत की,
कुछ प्रयास ऐसा भी करना।।
रविशंकर विद्यार्थी
सिरसा मेजा प्रयागराज
विषय -हिंदी
जय हिंद, जय हिंदी
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....
मैं हिंदी हूँ, शान तुम्हारी,
जन-जन में पहचान तुम्हारी।
पढ़कर मुझको होती है कवि,
दुनिया में जयकार तुम्हारी।।
डरती हूँ अपने लोगों में,
खो न जाऊँ आज कहीं मैं।
व्यथित बहुत है,मन मेरा पर,
तुमसे हूँ नाराज नहीं मैं।।
बढ़ चढ़कर आजादी की,
मैंने भी लड़ी लड़ाई थी।
जन को जागृत करने में,
अपनी भूमिका निभाई थी।।
तुलसी, सूर, कबीर ने मुझको,
दिया हमेशा मान बहुत।
पंत, निराला, दिनकर,
मुंशी जी पर है अभिमान बहुत।।
सरकारों से करूँ अपेक्षा,
करेंगी वो समृद्ध मुझे?
नहीं भरोसा इन पर मुझको,
देती हूँ यह काम तुझे।।
अब तक जिंदा रखा है तो,
आगे भी ऐसे ही रखना।
बनूँ राष्ट्रभाषा भारत की,
कुछ प्रयास ऐसा भी करना।।
रविशंकर विद्यार्थी
सिरसा मेजा प्रयागराज
हिन्दी की छाँह
🍓🍓🍓🍓🍓
हिन्दी भाषा !सुन्दर शब्दों से मालामाल
स्वर और व्यँजनों से, भरा है इसका अनुपम थाल
एक से एक उपमायें ,और चमकते अलंकार
शोभित कर देते हैं इसका, मोहक शैली में श्रँगार।
सम्बन्धों से भरी हुई,अपनी ये जीवन नगरी
और सुन्दर सम्बोधनों से ,भरी है हिन्दी की गगरी
हर रिश्ते को अलग अलग ,ये भव्य एक रुप देती
शब्द पुष्पों से सजा, सुन्दर सा प्रारुप देती।
हिन्दी की और क्या कहें, यह है एक समृद्ध भाषा
विश्व मंच पर यह विराजे, ऐसी ही उठती अभिलाषा
हिन्दी का आँचल जब, सब ओर लहरायेगा
मधुर सम्बोधनों के सुन्दर,गीत विश्व भी गायेगा।
कृष्णम् शरणम् गच्छामि
🍓🍓🍓🍓🍓
हिन्दी भाषा !सुन्दर शब्दों से मालामाल
स्वर और व्यँजनों से, भरा है इसका अनुपम थाल
एक से एक उपमायें ,और चमकते अलंकार
शोभित कर देते हैं इसका, मोहक शैली में श्रँगार।
सम्बन्धों से भरी हुई,अपनी ये जीवन नगरी
और सुन्दर सम्बोधनों से ,भरी है हिन्दी की गगरी
हर रिश्ते को अलग अलग ,ये भव्य एक रुप देती
शब्द पुष्पों से सजा, सुन्दर सा प्रारुप देती।
हिन्दी की और क्या कहें, यह है एक समृद्ध भाषा
विश्व मंच पर यह विराजे, ऐसी ही उठती अभिलाषा
हिन्दी का आँचल जब, सब ओर लहरायेगा
मधुर सम्बोधनों के सुन्दर,गीत विश्व भी गायेगा।
कृष्णम् शरणम् गच्छामि
नमन 🙏भावों के मोती🙏
दिनांक 14 -9- 2019
विषय -हिंदी/ हिंदी दिवस🌹हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🌹🙏
आज हम सब मिलकर, हिंदी दिवस मनाते हैं ।
हिंदू हिंदी हिंदुस्तान, सबको याद दिलाते हैं ।।
14 सितंबर का दिन, हम सब के लिए खास है,
हिंदी दिवस के रूप में, आज ही बना इतिहास है ।
हर वर्ष आज ही के दिन, हिंदी दिवस मनाते हैं।
फिर हम अंग्रेजी को, इतना क्यों महत्व देते हैं ।।
अंग्रेजी बुरी नहीं, पर हम हिंदी क्यों बिसराते हैं।
क्यों बोलचाल में हम ,शब्द अंग्रेजी दोहराते हैं।।
गांवों का है देश हमारा, गांवों में हम रहते हैं ।
बड़े बुजुर्ग अनजान,उनके सामने अंग्रेजी दोहराते हैं।।
आज हिंदी दिवस पर, बड़े दुःख से यह बतलाती हूँ।
हिंदी की हालत कैसी, उस से रूबरू करवाती हूँ ।।
चहुँओर राज करती, वह भाषा अंग्रेजी होती है।
आजकल उसके सामने हिंदी, शो पीस सी नजर आती है।।
कहते हैं खुद को हिंदुस्तानी, पर हिंदी की पीड़ा किसने जानी।
बता अंग्रेजी को हिंदी से ऊंचा, खत्म कर दी कहानी ।।
अंग्रेजी केवल आशा है, विदेशियों की भाषा है ।
हिंदी अपनी जान है, इसी से तो अपनी पहचान है।।
अंग्रेजी बड़े गर्व से बोलता है, पर हिंदी से क्यों तोलता है।
अपने वतन में हिंदी बोल, देख कितना सुकून पाता है।।
विश्व की भाषा में हिंदी, जैसे मेरे ललाट पर बिंदी।
नहीं कर पाएगा बराबरी इसकी, देश का सम्मान है हिंदी।।
मान यह बढ़ाएगी, चहुँओर परचम लहराएगी ।
उठो जागो देश को बनाने वालों,देश को आगे, हिंदी बढ़ाएगी।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
दिनांक 14 -9- 2019
विषय -हिंदी/ हिंदी दिवस🌹हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🌹🙏
आज हम सब मिलकर, हिंदी दिवस मनाते हैं ।
हिंदू हिंदी हिंदुस्तान, सबको याद दिलाते हैं ।।
14 सितंबर का दिन, हम सब के लिए खास है,
हिंदी दिवस के रूप में, आज ही बना इतिहास है ।
हर वर्ष आज ही के दिन, हिंदी दिवस मनाते हैं।
फिर हम अंग्रेजी को, इतना क्यों महत्व देते हैं ।।
अंग्रेजी बुरी नहीं, पर हम हिंदी क्यों बिसराते हैं।
क्यों बोलचाल में हम ,शब्द अंग्रेजी दोहराते हैं।।
गांवों का है देश हमारा, गांवों में हम रहते हैं ।
बड़े बुजुर्ग अनजान,उनके सामने अंग्रेजी दोहराते हैं।।
आज हिंदी दिवस पर, बड़े दुःख से यह बतलाती हूँ।
हिंदी की हालत कैसी, उस से रूबरू करवाती हूँ ।।
चहुँओर राज करती, वह भाषा अंग्रेजी होती है।
आजकल उसके सामने हिंदी, शो पीस सी नजर आती है।।
कहते हैं खुद को हिंदुस्तानी, पर हिंदी की पीड़ा किसने जानी।
बता अंग्रेजी को हिंदी से ऊंचा, खत्म कर दी कहानी ।।
अंग्रेजी केवल आशा है, विदेशियों की भाषा है ।
हिंदी अपनी जान है, इसी से तो अपनी पहचान है।।
अंग्रेजी बड़े गर्व से बोलता है, पर हिंदी से क्यों तोलता है।
अपने वतन में हिंदी बोल, देख कितना सुकून पाता है।।
विश्व की भाषा में हिंदी, जैसे मेरे ललाट पर बिंदी।
नहीं कर पाएगा बराबरी इसकी, देश का सम्मान है हिंदी।।
मान यह बढ़ाएगी, चहुँओर परचम लहराएगी ।
उठो जागो देश को बनाने वालों,देश को आगे, हिंदी बढ़ाएगी।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
v
आयोजन --🌷हिन्दी दिवस 🌷पर काव्य लेखन
सादर मंच को समर्पित -
🙏हिन्दी दिवस पर अनन्त बधाइयाँ 🙏
🌻 गीतिका 🌻
*******************
🌹 हिन्दी 🌹
***********************
समांत - आर , पदांत- हिन्दी
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
शब्दिता संस्कार हिन्दी ।
राष्ट्र भाषा हार हिन्दी ।।
मातृ वाणी ज्योति उज्ज्वल ,
ज्ञान की आधार हिन्दी ।
प्रेम की वीणा अलोकिक,
हृदय की गुञ्जार हिन्दी ।।
व्याकरण ,रस, छन्द,अनुपम ,
शब्द लय शृंगार हिन्दी ।।
जय महादेवी निखारी ,
पन्त , दिनकर ज्वार हिन्दी ।
विश्व में साहित्य गुञ्जन,
श्रेष्ठ वैदिक सार हिन्दी ।
धर्म संस्कृति की प्रसारी ,
भारती का प्यार हिन्दी ।।
🌹🍀🐚🌷
🏵🌲**...रवीन्द्र वर्मा आगरा
सादर मंच को समर्पित -
🙏हिन्दी दिवस पर अनन्त बधाइयाँ 🙏
🌻 गीतिका 🌻
*******************
🌹 हिन्दी 🌹
***********************
समांत - आर , पदांत- हिन्दी
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
शब्दिता संस्कार हिन्दी ।
राष्ट्र भाषा हार हिन्दी ।।
मातृ वाणी ज्योति उज्ज्वल ,
ज्ञान की आधार हिन्दी ।
प्रेम की वीणा अलोकिक,
हृदय की गुञ्जार हिन्दी ।।
व्याकरण ,रस, छन्द,अनुपम ,
शब्द लय शृंगार हिन्दी ।।
जय महादेवी निखारी ,
पन्त , दिनकर ज्वार हिन्दी ।
विश्व में साहित्य गुञ्जन,
श्रेष्ठ वैदिक सार हिन्दी ।
धर्म संस्कृति की प्रसारी ,
भारती का प्यार हिन्दी ।।
🌹🍀🐚🌷
🏵🌲**...रवीन्द्र वर्मा आगरा
नमन मंच भावों के मोती
१४ सितम्बर २०१९
आप सभी को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं---
*************************************************
हिंदी हिन्द देश की भाषा है!
ये समस्त राष्ट्र की आशा है!!
इतिहास है ग़ौरव गाथा की!
संस्कृति,परम्परा की परिभाषा है!!
**
हम सब मिल कर सम्मान करें!
आओ हिंदी भाषा का मान करें!!
ये परम कर्तव्य हम सबका है!
निज भाषा पर स्वाभिमान करें!!
**
ये मीठी,सरल सुकोमल है!
ये सुन्दर,सरल मनोरम है!
साहित्य का सागर है अनंत!
समाहित ज्ञान का गागर है!!
**
शारदा के भाल का वरद हस्त!
है एकता की परम्परा अनुपम
हिन्द देश की भाषा है कालजयी
है सहज अभिव्यक्ति का आधार
हम सबको है हिंदी से प्यार!!
मेरे राष्ट्र को है हिंदी से प्यार!!
@ मणि बेन द्विवेदी
१४ सितम्बर २०१९
आप सभी को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं---
*************************************************
हिंदी हिन्द देश की भाषा है!
ये समस्त राष्ट्र की आशा है!!
इतिहास है ग़ौरव गाथा की!
संस्कृति,परम्परा की परिभाषा है!!
**
हम सब मिल कर सम्मान करें!
आओ हिंदी भाषा का मान करें!!
ये परम कर्तव्य हम सबका है!
निज भाषा पर स्वाभिमान करें!!
**
ये मीठी,सरल सुकोमल है!
ये सुन्दर,सरल मनोरम है!
साहित्य का सागर है अनंत!
समाहित ज्ञान का गागर है!!
**
शारदा के भाल का वरद हस्त!
है एकता की परम्परा अनुपम
हिन्द देश की भाषा है कालजयी
है सहज अभिव्यक्ति का आधार
हम सबको है हिंदी से प्यार!!
मेरे राष्ट्र को है हिंदी से प्यार!!
@ मणि बेन द्विवेदी
नमन मंच
14.9.2019
शनिवार
आयोजन -हिन्दी दिवस
विषय - हिन्दी/हिन्दी दिवस
🌹🌹हिन्दी दिवस 🌹🌹
हिन्दी प्रेम की भाषा, हमारी मातृभाषा है
बने यह विश्व की भाषा,यही मेरी अभिलाषा है
हिन्दी दिवस की
अनंत शुभमंगलकामनाएँ
🌹🌹🌹
आइए संकल्प लें
* हिन्दी में बात करेंगे
* हिन्दी सिखलाएँगे
* हिन्दीमय संसार करेंगे
* हम हिन्दी अपनाएँगे
🍁हिन्दी से प्यार कीजिए 🍁
हिन्दी से प्यार कीजिए,हिन्दी है जन की भाषा
ये हिन्द की है भाषा,भारत के मन की भाषा
पढ़ना, सरल है लिखना और बोलना सरल है
है स्वाभिमान अपना,सरलीकरण की भाषा ।।
अहसास है दिलाती ,यह देशभक्ति का ही
मन में अलख जगाती, यह देशप्रेम का ही
है बाँधती हृदय को,यह एकसूत्रता में
यह हर हृदय की भाषा, यह देश की है भाषा ।।
संस्कृत की ये है बेटी,संस्कृति को मान देती
निजता का ध्यान रखती ,निज को स्वमान देती
अपनाती हर ज़ुबाँ को,समृद्ध हो रही है
यह हर ज़ुबाँ की भाषा ,हिन्दोस्ताँ की भाषा ।।
अनजान है न कोई,पहचानते सभी हैं
अपनाना चाहते हैं,पर मानते नहीं हैं
मजबूरियाँ हैं कैसी, क्यों बोलते नहीं हैं ?
है यह चमन की भाषा, है यह अमन की भाषा।।
हर दिल में बस रही है, हर मन में हँस रही है
सबकी ज़ुबाँ पे सज कर, मुस्कान भर रही है
सब बोलते हैं हिन्दी,यह आम जन की भाषा
पहचान की ये भाषा, अभियान की है भाषा ।।
स्वरचित
🍁
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
14.9.2019
शनिवार
आयोजन -हिन्दी दिवस
विषय - हिन्दी/हिन्दी दिवस
🌹🌹हिन्दी दिवस 🌹🌹
हिन्दी प्रेम की भाषा, हमारी मातृभाषा है
बने यह विश्व की भाषा,यही मेरी अभिलाषा है
हिन्दी दिवस की
अनंत शुभमंगलकामनाएँ
🌹🌹🌹
आइए संकल्प लें
* हिन्दी में बात करेंगे
* हिन्दी सिखलाएँगे
* हिन्दीमय संसार करेंगे
* हम हिन्दी अपनाएँगे
🍁हिन्दी से प्यार कीजिए 🍁
हिन्दी से प्यार कीजिए,हिन्दी है जन की भाषा
ये हिन्द की है भाषा,भारत के मन की भाषा
पढ़ना, सरल है लिखना और बोलना सरल है
है स्वाभिमान अपना,सरलीकरण की भाषा ।।
अहसास है दिलाती ,यह देशभक्ति का ही
मन में अलख जगाती, यह देशप्रेम का ही
है बाँधती हृदय को,यह एकसूत्रता में
यह हर हृदय की भाषा, यह देश की है भाषा ।।
संस्कृत की ये है बेटी,संस्कृति को मान देती
निजता का ध्यान रखती ,निज को स्वमान देती
अपनाती हर ज़ुबाँ को,समृद्ध हो रही है
यह हर ज़ुबाँ की भाषा ,हिन्दोस्ताँ की भाषा ।।
अनजान है न कोई,पहचानते सभी हैं
अपनाना चाहते हैं,पर मानते नहीं हैं
मजबूरियाँ हैं कैसी, क्यों बोलते नहीं हैं ?
है यह चमन की भाषा, है यह अमन की भाषा।।
हर दिल में बस रही है, हर मन में हँस रही है
सबकी ज़ुबाँ पे सज कर, मुस्कान भर रही है
सब बोलते हैं हिन्दी,यह आम जन की भाषा
पहचान की ये भाषा, अभियान की है भाषा ।।
स्वरचित
🍁
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
नमन मंच
विषय हिंदी, हिन्दी दिवस
विधा काव्य
14 09 2019,शनिवार
प्रथम कवि वाल्मीकि को
आओ मिलकर नमन करे।
कालिदास बाणभट्ट भारवि
श्री चरणों पर सदा चंले।
देववाणी संस्कृत मधु भाषा
प्रिय तनया है हिन्दी वाणी।
झुक झुक शीश झुकाते नर
कर जोड़ निज नित पाणी।
महाकाव्यों को प्रिय भाषा दी
तुलसी सूर जयशंकर मैथिली।
लक्ष्य एक समाज सुधारना
जनता की नित ताली बजती।
रीतिकालीन कवि वर बिहारी
केशव देव पद्माकर शौभित।
प्यार दुलार जनता का पाया
रहीम ज्ञान अति अपरिमित।
गद्य पद्य अद्भुत संगम
भारतेंदु दिनकर द्विवेदी।
सप्त स्वरों की बजे बांसुरी
मिल जाते हैं जब चतुर्वेदी।
राष्ट्रभाषा प्रिय भारत की
मान बढ़ावे शान बढ़ावे ।
कोटि कोटि रसना वाणी
मिलजुल हिंदी सदा सजाएं।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विषय हिंदी, हिन्दी दिवस
विधा काव्य
14 09 2019,शनिवार
प्रथम कवि वाल्मीकि को
आओ मिलकर नमन करे।
कालिदास बाणभट्ट भारवि
श्री चरणों पर सदा चंले।
देववाणी संस्कृत मधु भाषा
प्रिय तनया है हिन्दी वाणी।
झुक झुक शीश झुकाते नर
कर जोड़ निज नित पाणी।
महाकाव्यों को प्रिय भाषा दी
तुलसी सूर जयशंकर मैथिली।
लक्ष्य एक समाज सुधारना
जनता की नित ताली बजती।
रीतिकालीन कवि वर बिहारी
केशव देव पद्माकर शौभित।
प्यार दुलार जनता का पाया
रहीम ज्ञान अति अपरिमित।
गद्य पद्य अद्भुत संगम
भारतेंदु दिनकर द्विवेदी।
सप्त स्वरों की बजे बांसुरी
मिल जाते हैं जब चतुर्वेदी।
राष्ट्रभाषा प्रिय भारत की
मान बढ़ावे शान बढ़ावे ।
कोटि कोटि रसना वाणी
मिलजुल हिंदी सदा सजाएं।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
दिनांक-14-9-2019
आयोजन-🌷हिन्दी दिवस🌷पर ,,,,हरिगीतिका छंद में भावाभिव्यक्ति,,,
जय हिन्दी जय हिन्द
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
नव निर्मित रचना
🏵🏵🏵🏵🏵
"हिन्दी की गरिमा "
🏵🏵🏵🏵🏵
#हरिगीतिका छंद में,,,,,,,
2212 ,2212,,2212 ,2212( मापनी)
समांत-आर
पदांत-है
🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻
**************************************
हिन्दी सरल मनभावनी, रचना-सृजन आधार है!
हर शब्द ज्यों मणिमालिका सी,काव्य का श्र॔गार है !!
***
ये भारती भाषा अनोखी,,,शिल्पगत सौंदर्य में,
आखर विहँसते मातु जैसे,,,,,,,,,प्रेम का संसार है!!
***
पहली हमारी मातृभाषा,,,,,,,'तूतली" में गुंजरित,
फिर लेखनी में ढल गई,,,,,जो शारदा का प्यार है!
***
भाषा यहाँ अगनित वतन में,किंतु ये प्रियभाषणी,
मनमोहनी वरदायिनी सम,,,,ज्ञान का भंडार है !!
**
ये झंकृता "वीणा" मृदुल सी,रागनी सुरसाधिका,
प्रिय श्याम की प्यारी बँसुरिया सी,मथुर झ॔कार है!!
**
कवि सूर तुलसी ने रचा,अनुपम सृजन ग्रंथावली,
ये सब गुणों की खान है ,,,,,,ये राम-ग॔गा धार है!!
**
हिन्दी हमारे हिंद की,पहचान व अभिमान भी,
माता हमारी है धरा सी,;;;;,,,;,,प्रेम की गुंजार है!!
*************************************
🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻
#"ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित( गाजियाबाद)
आयोजन-🌷हिन्दी दिवस🌷पर ,,,,हरिगीतिका छंद में भावाभिव्यक्ति,,,
जय हिन्दी जय हिन्द
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
नव निर्मित रचना
🏵🏵🏵🏵🏵
"हिन्दी की गरिमा "
🏵🏵🏵🏵🏵
#हरिगीतिका छंद में,,,,,,,
2212 ,2212,,2212 ,2212( मापनी)
समांत-आर
पदांत-है
🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻
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हिन्दी सरल मनभावनी, रचना-सृजन आधार है!
हर शब्द ज्यों मणिमालिका सी,काव्य का श्र॔गार है !!
***
ये भारती भाषा अनोखी,,,शिल्पगत सौंदर्य में,
आखर विहँसते मातु जैसे,,,,,,,,,प्रेम का संसार है!!
***
पहली हमारी मातृभाषा,,,,,,,'तूतली" में गुंजरित,
फिर लेखनी में ढल गई,,,,,जो शारदा का प्यार है!
***
भाषा यहाँ अगनित वतन में,किंतु ये प्रियभाषणी,
मनमोहनी वरदायिनी सम,,,,ज्ञान का भंडार है !!
**
ये झंकृता "वीणा" मृदुल सी,रागनी सुरसाधिका,
प्रिय श्याम की प्यारी बँसुरिया सी,मथुर झ॔कार है!!
**
कवि सूर तुलसी ने रचा,अनुपम सृजन ग्रंथावली,
ये सब गुणों की खान है ,,,,,,ये राम-ग॔गा धार है!!
**
हिन्दी हमारे हिंद की,पहचान व अभिमान भी,
माता हमारी है धरा सी,;;;;,,,;,,प्रेम की गुंजार है!!
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#"ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित( गाजियाबाद)
द्वितीय प्रस्तुति
नमन भावों के मोती समूह
14 सितम्बर पर विशेष
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
आज" हिन्दी दिवस" पर
देव नागरी हिन्दी मातृ भाषा
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
पारंपरिक छंद * मत्तगयंद छंद * में, ,,,
मात्रा भार = 211 211 211 211 _ 211 211 211 22 है /
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
********************************
देव सुता, कवि -मानस- हंसिनि ,
,लोकहुं लोक लुभावत हिन्दी/
मातु समान महान सुजानहि ,
मोद प्रमोद लुटावत हिन्दी /
मोहन की मुरली सम लागति ,
गान सुगान सुनावत हिन्दी /
सूर कबीर यथा रसखानहुॅ ,
छंद कवित्त सिखावत हिन्दी //
*******************************
आखर- आखर कंचन जैसन ,
लेख सुलेख रचावत हिन्दी /
मातु पिता सम लागति प्रेमिल ,
नेह -सुधा बरसावत हिन्दी /
देशज भाषहि नेक अनेकहि,
देवन -नागरि भावत हिन्दी /
भारत में महिमा गरिमा अति,
देश विदेशन छावत हिन्दी //
********************************
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
रचनाकार = ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित
नमन भावों के मोती समूह
14 सितम्बर पर विशेष
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
आज" हिन्दी दिवस" पर
देव नागरी हिन्दी मातृ भाषा
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
पारंपरिक छंद * मत्तगयंद छंद * में, ,,,
मात्रा भार = 211 211 211 211 _ 211 211 211 22 है /
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देव सुता, कवि -मानस- हंसिनि ,
,लोकहुं लोक लुभावत हिन्दी/
मातु समान महान सुजानहि ,
मोद प्रमोद लुटावत हिन्दी /
मोहन की मुरली सम लागति ,
गान सुगान सुनावत हिन्दी /
सूर कबीर यथा रसखानहुॅ ,
छंद कवित्त सिखावत हिन्दी //
*******************************
आखर- आखर कंचन जैसन ,
लेख सुलेख रचावत हिन्दी /
मातु पिता सम लागति प्रेमिल ,
नेह -सुधा बरसावत हिन्दी /
देशज भाषहि नेक अनेकहि,
देवन -नागरि भावत हिन्दी /
भारत में महिमा गरिमा अति,
देश विदेशन छावत हिन्दी //
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🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
रचनाकार = ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित
तृतीय प्रस्तुति
,#हिन्दी #दिवस पर विशेष,,,,
हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएं
,,मातृभाषा हिन्दी की महिमा
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
" मनहरण घनाक्षरी छंद"
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
एक पॅक्ति में 8+8+8+7 वर्णों की लयात्मकता के साथ तुकान्त आवश्यक है,,,,,,,,,,
हिन्दी भाषा
@@@@@
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
***************************
हिन्दी मधुगान लागै,वाणी वरदान लागै,
वीणा वरदायिनी सी,मन को लुभावती !!
हिन्दी है मइय्या सम", भाषा बड़ी गुणधाम ,
मीठी-मीठी बोलिन में,मिसरी घुलावती !!
यमुना कछारन,बजावैं श्याम बाँसुरी ज्यों,
वहै तान हिन्दी लागै,हिया दुलरावती !!
बरगद-छैंया लागै,पूनम जुन्हैया लागै ,
भारती के भाल हिन्दी-बिंदिया सुहावती !!
***************************
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
,#हिन्दी #दिवस पर विशेष,,,,
हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएं
,,मातृभाषा हिन्दी की महिमा
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
" मनहरण घनाक्षरी छंद"
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एक पॅक्ति में 8+8+8+7 वर्णों की लयात्मकता के साथ तुकान्त आवश्यक है,,,,,,,,,,
हिन्दी भाषा
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🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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हिन्दी मधुगान लागै,वाणी वरदान लागै,
वीणा वरदायिनी सी,मन को लुभावती !!
हिन्दी है मइय्या सम", भाषा बड़ी गुणधाम ,
मीठी-मीठी बोलिन में,मिसरी घुलावती !!
यमुना कछारन,बजावैं श्याम बाँसुरी ज्यों,
वहै तान हिन्दी लागै,हिया दुलरावती !!
बरगद-छैंया लागै,पूनम जुन्हैया लागै ,
भारती के भाल हिन्दी-बिंदिया सुहावती !!
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
चौथी प्रस्तुति
नमन मंच
भावों के मोती समूह
,,,मातृभाषा हिन्दी की महिमा
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
" मनहरण घनाक्षरी छंद"
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एक पॅक्ति में 8+8+8+7 वर्णों की लयात्मकता के साथ तुकान्त आवश्यक है,,,,,,,,,,
हिन्दी भाषा
@@@@@
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हिन्दी,काव्य-कामिनी है,कल्पना- विहंगनी सी,
छंद-मकरंद झरै,सुमन ज्यों मालती !!
मीरा की है नागरिया, सूर की पदावलिया,
तुलसी की अवधी में मधु छंद ढालती !!
मूरतिया ममता की,"माई " बोली शैशव की,
आँचल में गोद धरे,मइय्या ज्यूँ पालती !!
हिन्दी, वर्ण-मालिका से ,शब्दों का श्रृंगार करैं,
शारदा की पूजन में,ज्ञान-दिया बालती !!!!!!!
******************************
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित (गाजियाबाद)
नमन मंच
भावों के मोती समूह
,,,मातृभाषा हिन्दी की महिमा
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
" मनहरण घनाक्षरी छंद"
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
एक पॅक्ति में 8+8+8+7 वर्णों की लयात्मकता के साथ तुकान्त आवश्यक है,,,,,,,,,,
हिन्दी भाषा
@@@@@
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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हिन्दी,काव्य-कामिनी है,कल्पना- विहंगनी सी,
छंद-मकरंद झरै,सुमन ज्यों मालती !!
मीरा की है नागरिया, सूर की पदावलिया,
तुलसी की अवधी में मधु छंद ढालती !!
मूरतिया ममता की,"माई " बोली शैशव की,
आँचल में गोद धरे,मइय्या ज्यूँ पालती !!
हिन्दी, वर्ण-मालिका से ,शब्दों का श्रृंगार करैं,
शारदा की पूजन में,ज्ञान-दिया बालती !!!!!!!
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🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित (गाजियाबाद)
विश्व साक्षरता दिवस*पर हिन्दी का सम्पूर्ण योगदान,,,,,,,,
"" सुन"वीणा" के बोल,सभी को करै साक्षर /
""साहित्य मे अनमोल,चमकते हिन्दी आखर //
अपनी भाषा हिन्दी
~~~~~~~~~~~
🌷🌿🌷🌿🌷🌿🌷🌿🌷🌿🌷
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हिन्दी भाषा देश की,,,,,,सबसे मीठी बोल
डोर एकता सूत्र की,,,,,,,भाषा है अनमोल
भाषा है अनमोल,,,;,,लेखनी प्यारी लगती,
ज्यों मोती की माल,,,चमकती न्यारी लगती
चमके भारति-भाल ,,दमकती-बिन्दी-हिन्दी
है स्वदेश -सिरमौर,,,राष्ट्र की भाषा हिन्दी /
*********************************
*********************************
आख़र चमके स्वर्ण सम,,रचना रचे कमाल
हिन्दी अपनी सी लगै,,,,,भाषा रूप विशाल
भाषा रूप विशाल,,,कविता की है सरोवर,
देशज,क्षत्रिय संग,,,,,,,,देवनागरी धरोहर,
सुन "वीणा"के बोल,,,सभी को करैं साक्षर
लेखन मे अनमोल,चमकते हिन्दी आखर /
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित (गाजियाबाद)
"" सुन"वीणा" के बोल,सभी को करै साक्षर /
""साहित्य मे अनमोल,चमकते हिन्दी आखर //
अपनी भाषा हिन्दी
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हिन्दी भाषा देश की,,,,,,सबसे मीठी बोल
डोर एकता सूत्र की,,,,,,,भाषा है अनमोल
भाषा है अनमोल,,,;,,लेखनी प्यारी लगती,
ज्यों मोती की माल,,,चमकती न्यारी लगती
चमके भारति-भाल ,,दमकती-बिन्दी-हिन्दी
है स्वदेश -सिरमौर,,,राष्ट्र की भाषा हिन्दी /
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आख़र चमके स्वर्ण सम,,रचना रचे कमाल
हिन्दी अपनी सी लगै,,,,,भाषा रूप विशाल
भाषा रूप विशाल,,,कविता की है सरोवर,
देशज,क्षत्रिय संग,,,,,,,,देवनागरी धरोहर,
सुन "वीणा"के बोल,,,सभी को करैं साक्षर
लेखन मे अनमोल,चमकते हिन्दी आखर /
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित (गाजियाबाद)
विषय- हिन्दी
14/09/19
शनिवार
कविता
अपने ही आँगन में हिंदी क्यों फिर आज कराह रही है ,
हर भारतवासी से अपनी खोई गरिमा माँग रही है।
हिंदी ने तो पराधीन भारत में नए प्राण फूँके थे ,
एक सूत्र में बाँध सभी को स्वतंत्रता के मन्त्र दिए थे।
देश स्वतंत्र हुआ लेकिन हिंदी भाषा परतन्त्र हो गयी ,
एक विदेशी भाषा केसम्मुख वह् स्वयं विपन्न हो गयी।
क्या विदेश की भाषा किसी राष्ट्र को उन्नत कर पातीहै,
अपनी मातृभूमि की वाणी ही सबसे पूजित होती है।
भाषा तो एक राष्ट्रपुरुष की आत्मा का स्वरूप होती है,
बिना राष्ट्रभाषा के कैसे राष्ट्र -उन्नति हो सकती है।
हे भारत के पहरेदारों! भाषा का अभिमान जगाओ ,
हिंदी भाषा को भारत की तुम अनुपम पहचान बनाओ।
विश्व-पटल पर जब हिंदी को खोई गरिमा मिल जाएगी,
तभी समझिए मातृभूमि की सच्ची सेवा हो पायेगी।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
14/09/19
शनिवार
कविता
अपने ही आँगन में हिंदी क्यों फिर आज कराह रही है ,
हर भारतवासी से अपनी खोई गरिमा माँग रही है।
हिंदी ने तो पराधीन भारत में नए प्राण फूँके थे ,
एक सूत्र में बाँध सभी को स्वतंत्रता के मन्त्र दिए थे।
देश स्वतंत्र हुआ लेकिन हिंदी भाषा परतन्त्र हो गयी ,
एक विदेशी भाषा केसम्मुख वह् स्वयं विपन्न हो गयी।
क्या विदेश की भाषा किसी राष्ट्र को उन्नत कर पातीहै,
अपनी मातृभूमि की वाणी ही सबसे पूजित होती है।
भाषा तो एक राष्ट्रपुरुष की आत्मा का स्वरूप होती है,
बिना राष्ट्रभाषा के कैसे राष्ट्र -उन्नति हो सकती है।
हे भारत के पहरेदारों! भाषा का अभिमान जगाओ ,
हिंदी भाषा को भारत की तुम अनुपम पहचान बनाओ।
विश्व-पटल पर जब हिंदी को खोई गरिमा मिल जाएगी,
तभी समझिए मातृभूमि की सच्ची सेवा हो पायेगी।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
नमन - सम्मानित मंच
14-9-19 , शनिवार
विषय - हिंदी दिवस
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*हिंदी दिवस*
~~~~~~~
बढ़े एकता की कड़ी, हिंदी है आधार।
मत भटको हे साथियो,करो इसी से प्यार।।
हिंदी भाषा श्रेष्ठ है, मान रहा संसार।
कुटिल जनों की नीतियाँ, करती बहुत दुराव।
भाषा सीखो और भी, हिंदी को मत छोड़।
दुश्मन इसके हैं कई, उनकी टाँगें तोड़।।
संस्कृत की यह आत्मजा,भरा पड़ा भंडार।
शरण गहो इसकी सखा, कर देगी उद्धार।।
हिंदी भाषी कर रहे, हिंदी का अपमान।
उनको समझाना हमें, लेन इसका संज्ञान।।
~~~~~~~~~~
14-9-19 , शनिवार
विषय - हिंदी दिवस
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*हिंदी दिवस*
~~~~~~~
बढ़े एकता की कड़ी, हिंदी है आधार।
मत भटको हे साथियो,करो इसी से प्यार।।
हिंदी भाषा श्रेष्ठ है, मान रहा संसार।
कुटिल जनों की नीतियाँ, करती बहुत दुराव।
भाषा सीखो और भी, हिंदी को मत छोड़।
दुश्मन इसके हैं कई, उनकी टाँगें तोड़।।
संस्कृत की यह आत्मजा,भरा पड़ा भंडार।
शरण गहो इसकी सखा, कर देगी उद्धार।।
हिंदी भाषी कर रहे, हिंदी का अपमान।
उनको समझाना हमें, लेन इसका संज्ञान।।
~~~~~~~~~~
दि-14.9.19
शनिवार
आयोजन -हिन्दी दिवस पर काव्य लेखन
सादर मंच को समर्पित
मैं हिन्दी हूँ तेरे भारत कीअजब निराली
शान हूँ मैं
कबीर तुलसी मीरा के लिखे छन्दों की
पहचान हूँ मैं
सारे रस विधाएँ सब ताकत मेरी रूह की हैं
न जाने क्यूँ फिर भी किताबों से कहीं
गुमनाम हूँ मैं
इन्गलिश बोलकर क्यूँ लगे हो तुम इतराने
ईश्वर की घड़ी रचना हूँ और तेरे वेदों की
जान हूँ मैं
अंग्रेज़ी ने जकड़ा था माता को जंजीरों में
वतन पर मरने वालों के नारों का
सम्मान हूँ मैं
कभी थी मैं शास्त्र उपनिषदों की महारानी
क्यूँ मुझको आज लगता है कि तुम्हारा
अपमान हूँ मैं
स्वरचित। ममता सोनी
शनिवार
आयोजन -हिन्दी दिवस पर काव्य लेखन
सादर मंच को समर्पित
मैं हिन्दी हूँ तेरे भारत कीअजब निराली
शान हूँ मैं
कबीर तुलसी मीरा के लिखे छन्दों की
पहचान हूँ मैं
सारे रस विधाएँ सब ताकत मेरी रूह की हैं
न जाने क्यूँ फिर भी किताबों से कहीं
गुमनाम हूँ मैं
इन्गलिश बोलकर क्यूँ लगे हो तुम इतराने
ईश्वर की घड़ी रचना हूँ और तेरे वेदों की
जान हूँ मैं
अंग्रेज़ी ने जकड़ा था माता को जंजीरों में
वतन पर मरने वालों के नारों का
सम्मान हूँ मैं
कभी थी मैं शास्त्र उपनिषदों की महारानी
क्यूँ मुझको आज लगता है कि तुम्हारा
अपमान हूँ मैं
स्वरचित। ममता सोनी
भावों के मोती
विषय-हिंदी
________________
बहुत समय पहले की बात है।माँ भारती अपने सभी बेटों(धर्म) और अपनी समस्त बेटियों (भाषाओं) के साथ अपने विशाल घर(सम्पूर्ण भारत) में सुख-शांति से रहती थीं।
माँ भारती नख से शिखर तक सोने,चाँदी, हीरे-जवाहरात के आभूषणों से सुसज्जित थी।धन्य-धान की कमी नहीं थी,स्वर्ग से उतरी गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी, गोदावरी आदि नदियों में माँ भारती के बच्चों की जीवन अमृत मिला करता था।
एक दिन इंग्लिश लड़खड़ाते कदमों से माँ भारती से टकरा गई।माँ भारती को उसकी दुर्दशा देखकर दया आ गई, आखिर हमारी माँ भारती थी ही बहुत दयालु,हर किसी का बाँहें फैलाकर स्वागत करना आज भी उनके स्वभाव में बसा है।
अंग्रेजी को अपनी दशा सुधारने का मौका मिला,माँ भारती के प्यार का ग़लत इस्तेमाल किया गया।अंग्रेजी ने माँ भारती के पुत्रों को आपस में लड़वाना शुरू कर दिया।उनसे उनका साम्राज्य छीन कर अपने बेटों को दिया जाने लगा।
धीरे-धीरे माँ भारती के आभूषण भी उतरने लगे, अपने पुत्रों के लहु से लहुलुहान माँ भारती चित्कार उठी,माँ भारती की सभी बेटियों(भाषाओं) ने माँ को संभालकर, एकजुट होकर अपने गीतों में माँ की रक्षा करने का जज़्बा जगाया।
फिर क्या था माँ भारती के सभी पुत्र (धर्म) एक-जुट हो गए।युद्ध छिड़ गए,सदियाँ बीतने लगी पर माँ भारती की संतानें रण करती रही।
और फिर खुशियों भरे दिन आए माँ भारती फिर से मुस्कुरा उठी।हर तरफ खुशियाँ लहलहा उठी,पर जाते-जाते अंग्रेजी अपनी बेटियों (इंग्लिश और तहजीब) को पीछे छोड़ गई,जिसे आजाद भारत में भी सब हिंदी में ज्यादा अपनापन मिला।
हाँ सही तो कह रही हूँ, हिंदी में बोलने वाले को उतना सम्मान नहीं जितना इंग्लिश भाषा के व्यक्ति को मिलता है।एक दिन हिंदी को याद करते हैं,रोज ही क्यों नहीं, आजकल तो बच्चे भी जन्म से ही इंग्लिश सुनते हैं, बोलते हैं,माना इंग्लिश जरूरत बन गई है पर जहाँ जरूरत है वहीं इस्तेमाल करना चाहिए।
हम घर पर, दोस्तों के बीच, साधारण बोलचाल में तो हिंदी को प्राथमिकता दे सकते हैं और देना भी चाहिए हिंदी हमारी मातृभाषा में इसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
तो शरमाइए मत आज़ से अभी से शान से हिंदी बोलिए, लिखिए,यह हमारी सभ्यता है संस्कृति है हमारा मान-सम्मान और पहचान है।
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदोस्ता हमारा-हमारा
हिंदी है हम वतन है,
हिंदोस्ता हमारा-हमारा।
जय हिन्द
***अनुराधा चौहान*** स्वरचित
विषय-हिंदी
________________
बहुत समय पहले की बात है।माँ भारती अपने सभी बेटों(धर्म) और अपनी समस्त बेटियों (भाषाओं) के साथ अपने विशाल घर(सम्पूर्ण भारत) में सुख-शांति से रहती थीं।
माँ भारती नख से शिखर तक सोने,चाँदी, हीरे-जवाहरात के आभूषणों से सुसज्जित थी।धन्य-धान की कमी नहीं थी,स्वर्ग से उतरी गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी, गोदावरी आदि नदियों में माँ भारती के बच्चों की जीवन अमृत मिला करता था।
एक दिन इंग्लिश लड़खड़ाते कदमों से माँ भारती से टकरा गई।माँ भारती को उसकी दुर्दशा देखकर दया आ गई, आखिर हमारी माँ भारती थी ही बहुत दयालु,हर किसी का बाँहें फैलाकर स्वागत करना आज भी उनके स्वभाव में बसा है।
अंग्रेजी को अपनी दशा सुधारने का मौका मिला,माँ भारती के प्यार का ग़लत इस्तेमाल किया गया।अंग्रेजी ने माँ भारती के पुत्रों को आपस में लड़वाना शुरू कर दिया।उनसे उनका साम्राज्य छीन कर अपने बेटों को दिया जाने लगा।
धीरे-धीरे माँ भारती के आभूषण भी उतरने लगे, अपने पुत्रों के लहु से लहुलुहान माँ भारती चित्कार उठी,माँ भारती की सभी बेटियों(भाषाओं) ने माँ को संभालकर, एकजुट होकर अपने गीतों में माँ की रक्षा करने का जज़्बा जगाया।
फिर क्या था माँ भारती के सभी पुत्र (धर्म) एक-जुट हो गए।युद्ध छिड़ गए,सदियाँ बीतने लगी पर माँ भारती की संतानें रण करती रही।
और फिर खुशियों भरे दिन आए माँ भारती फिर से मुस्कुरा उठी।हर तरफ खुशियाँ लहलहा उठी,पर जाते-जाते अंग्रेजी अपनी बेटियों (इंग्लिश और तहजीब) को पीछे छोड़ गई,जिसे आजाद भारत में भी सब हिंदी में ज्यादा अपनापन मिला।
हाँ सही तो कह रही हूँ, हिंदी में बोलने वाले को उतना सम्मान नहीं जितना इंग्लिश भाषा के व्यक्ति को मिलता है।एक दिन हिंदी को याद करते हैं,रोज ही क्यों नहीं, आजकल तो बच्चे भी जन्म से ही इंग्लिश सुनते हैं, बोलते हैं,माना इंग्लिश जरूरत बन गई है पर जहाँ जरूरत है वहीं इस्तेमाल करना चाहिए।
हम घर पर, दोस्तों के बीच, साधारण बोलचाल में तो हिंदी को प्राथमिकता दे सकते हैं और देना भी चाहिए हिंदी हमारी मातृभाषा में इसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
तो शरमाइए मत आज़ से अभी से शान से हिंदी बोलिए, लिखिए,यह हमारी सभ्यता है संस्कृति है हमारा मान-सम्मान और पहचान है।
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदोस्ता हमारा-हमारा
हिंदी है हम वतन है,
हिंदोस्ता हमारा-हमारा।
जय हिन्द
***अनुराधा चौहान*** स्वरचित
तिथिःः14/9/2019/शनिवार
बिषयः हिंदी/हिंदी दिवस
रदीफः #हिंदी#
विधाःः काव्यः ः
लगती ललाट पर सुंन्दर बिंदी।
ऐसी ही सब भाषाओं मे हिंदी।
आलोक सभी इसी से फैलता,
सत्य संस्कृति सम्मान है हिंदी।
ये भारत का अभिमान है हिंदी।
सब भाषाओं की जान है हिंदी।
संस्कृत है भाषाओं की जननी,
पर भाषाओं की शान है हिंदी।
रच बस गई पूरे भारत में हिंदी।
फैल गई है जनमानस में हिंदी।
नित हिंदी का अस्तित्व बडा है,
बोलें गली,गांव ,शहर में हिंदी।
माना कुछ खिचड़ी हुई है हिंदी।
देखें फिरभी जीवंत हुई है हिंदी।
हिंदी दिवस मना एकदिन पूछते,
लगताकुछ तो बेबस हुई है हिंदी।
स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जयजयश्री रामरामजी
भा.रदीफः ः#हिंदी#काव्यः
बिषयः हिंदी/हिंदी दिवस
रदीफः #हिंदी#
विधाःः काव्यः ः
लगती ललाट पर सुंन्दर बिंदी।
ऐसी ही सब भाषाओं मे हिंदी।
आलोक सभी इसी से फैलता,
सत्य संस्कृति सम्मान है हिंदी।
ये भारत का अभिमान है हिंदी।
सब भाषाओं की जान है हिंदी।
संस्कृत है भाषाओं की जननी,
पर भाषाओं की शान है हिंदी।
रच बस गई पूरे भारत में हिंदी।
फैल गई है जनमानस में हिंदी।
नित हिंदी का अस्तित्व बडा है,
बोलें गली,गांव ,शहर में हिंदी।
माना कुछ खिचड़ी हुई है हिंदी।
देखें फिरभी जीवंत हुई है हिंदी।
हिंदी दिवस मना एकदिन पूछते,
लगताकुछ तो बेबस हुई है हिंदी।
स्वरचितःः ः
इंंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जयजयश्री रामरामजी
भा.रदीफः ः#हिंदी#काव्यः
14/09/2019
"हिंदी"
हाइकु
1
प्रकृत हिंदी
देवनागरी लिपि
माता समान
2
हिंद की बिंदी
भाल शोभायमान
हिंदी सम्मान
3
भावना मान
सहज व्याख्यान
हिंदी महान
4
विदेशी भाषा
हिंदी की सरलता
किया स्वीकार
पिरामिड
1
है
हिदी
सरल
अविरल
विदेशी भाषा
हिंदी ने तराषा
सबको दिया मान
2
है
हिंदी
महान
हिंद शान
दिलों की जान
मासूम नादान
देवनागरी लिपि।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"हिंदी"
हाइकु
1
प्रकृत हिंदी
देवनागरी लिपि
माता समान
2
हिंद की बिंदी
भाल शोभायमान
हिंदी सम्मान
3
भावना मान
सहज व्याख्यान
हिंदी महान
4
विदेशी भाषा
हिंदी की सरलता
किया स्वीकार
पिरामिड
1
है
हिदी
सरल
अविरल
विदेशी भाषा
हिंदी ने तराषा
सबको दिया मान
2
है
हिंदी
महान
हिंद शान
दिलों की जान
मासूम नादान
देवनागरी लिपि।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
हिन्दी दिवस पर समूह के सभी मित्रों को बधाई एवं शुभकामनायें कि आपकी ।
दिनांक 14/09/2019
विषय:हिन्दी
विधा:पिरामिड
🌹
है
हिन्दी
सम्मान
अभिमान
भाषा महान
बनाअभियान
जन जन योगदान।
है
काव्य
माधुर्य
दोहा छंद
सोरठा छंद
कुडलियाँ छंद
मात्रिक हिंदी छंद ।
हो
हिन्दी
विस्तार
रामायण
गीता का सार
कविता पुराण
महाभारत कथा।
वो
हिन्दी
सम्मान
गुणगान
माथे की शान
रचना सुजान
संस्कृति पहचान ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश ।
दिनांक 14/09/2019
विषय:हिन्दी
विधा:पिरामिड
🌹
है
हिन्दी
सम्मान
अभिमान
भाषा महान
बनाअभियान
जन जन योगदान।
है
काव्य
माधुर्य
दोहा छंद
सोरठा छंद
कुडलियाँ छंद
मात्रिक हिंदी छंद ।
हो
हिन्दी
विस्तार
रामायण
गीता का सार
कविता पुराण
महाभारत कथा।
वो
हिन्दी
सम्मान
गुणगान
माथे की शान
रचना सुजान
संस्कृति पहचान ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश ।
नमन : "भावों के मोती मंच "को समर्पित
द्वितीय प्रस्तुति
14/09/2019
विधा:कुडलियाँ छंद
विषय: हिन्दी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हिन्दी गौरव देश का,रखना सबको मान।
राष्ट्र भाषा मान मे,करते नित दिन गान ।।
करते नित दिन गान, कभी दोहा चौपाई।
आल्हा गाते शान,साथ बैठे संग साथी।।
प्रातःकाल करू ध्यान, लगा कुंकुम की बिंदी ।
पडती गीता सार,मन भाय अपनी हिन्दी ।।
हिन्दी लिखने की विधा,सीखू मैं नित रोज़ ।
भावों के मोती पिरो,होती कुछ कुछ खोज ।।
होती कुछ कुछ खोज, ज्ञान भाषा की आती।
लिखा हाइकु रोज़ , देते प्रेरणा साथी।।
कभी पिरामिड काव्य, सयाली छंद हूँ गाती।
किया कई प्रयास, रची काव्यो में हिन्दी ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
द्वितीय प्रस्तुति
14/09/2019
विधा:कुडलियाँ छंद
विषय: हिन्दी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हिन्दी गौरव देश का,रखना सबको मान।
राष्ट्र भाषा मान मे,करते नित दिन गान ।।
करते नित दिन गान, कभी दोहा चौपाई।
आल्हा गाते शान,साथ बैठे संग साथी।।
प्रातःकाल करू ध्यान, लगा कुंकुम की बिंदी ।
पडती गीता सार,मन भाय अपनी हिन्दी ।।
हिन्दी लिखने की विधा,सीखू मैं नित रोज़ ।
भावों के मोती पिरो,होती कुछ कुछ खोज ।।
होती कुछ कुछ खोज, ज्ञान भाषा की आती।
लिखा हाइकु रोज़ , देते प्रेरणा साथी।।
कभी पिरामिड काव्य, सयाली छंद हूँ गाती।
किया कई प्रयास, रची काव्यो में हिन्दी ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
दिनाँक 14/09/2019 दिन - शनिवार
विषय📷हिन्दी दिवस============================
हिंदी की हिन्दी करें ,नेता अफसर खाय।
बेगैरत संतान ये ,शर्म न इनको आय।।
--------------------------------------------
दुनिया के सब से बड़े ,लोकतंत्र का हाल।
निज भाषा कोई नहीं ,हाल बड़े बेहाल।।
-------------------------------------------
हिन्दी पखवाड़ा यहाँ ,ऎसे सदा मनाँय।
जैसे हम पितु मात का ,श्राद्ध कर्म करवाँय।
------------------------------------------
भारत ही एक देश है ,जिसमें ऎसा होय।
मुख्य अदालत की नहीं ,अपनी भाषा कोय।।
-----------------------------------------
अपनी भाषा बोलते ,अति संकोच दिखाँय।
अंग्रेजी को बोल वो ,गौरव से मुसकाँय ।।
------------------------------------------
वोट माँगने के लिए ,हिन्दी की लें आड़,
लेकिन पाकर वोट वो ,दें अंग्रेजी झाड़।
-----------------------------------------
हिन्दी भाषा सी नहीं ,जग की भाषा कोय।
जैसा बोलें सो लिखें ,घालमेल ना होय।।
============================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी
विषय📷हिन्दी दिवस============================
हिंदी की हिन्दी करें ,नेता अफसर खाय।
बेगैरत संतान ये ,शर्म न इनको आय।।
--------------------------------------------
दुनिया के सब से बड़े ,लोकतंत्र का हाल।
निज भाषा कोई नहीं ,हाल बड़े बेहाल।।
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हिन्दी पखवाड़ा यहाँ ,ऎसे सदा मनाँय।
जैसे हम पितु मात का ,श्राद्ध कर्म करवाँय।
------------------------------------------
भारत ही एक देश है ,जिसमें ऎसा होय।
मुख्य अदालत की नहीं ,अपनी भाषा कोय।।
-----------------------------------------
अपनी भाषा बोलते ,अति संकोच दिखाँय।
अंग्रेजी को बोल वो ,गौरव से मुसकाँय ।।
------------------------------------------
वोट माँगने के लिए ,हिन्दी की लें आड़,
लेकिन पाकर वोट वो ,दें अंग्रेजी झाड़।
-----------------------------------------
हिन्दी भाषा सी नहीं ,जग की भाषा कोय।
जैसा बोलें सो लिखें ,घालमेल ना होय।।
============================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी
नमन भावों के मोती मंच..
दिनाँक - 14/09/2019
विषय - हिंदी दिवस पर विशेष रचना
हिंद देश हिंदी दिवस, और हिंदी का मान..
अपने हिन्दुस्तान की, ये प्रमुख है पहचान..
हिंदी में है सभ्यता, सादगी का एहसास..
पूर्ण जगत भी कर रहा, अब इस पर विश्वास..
हिंदी जगत साहित्य की, महिमा अपरंपार..
छंद, व्याकरण, गद्य से, स्वर्णिम ये संसार..
प्रेम, पंत, देवी, बच्चन, दिनकर, सूर्य, प्रसाद..
महान हिंदी उपासकों को, नमन है मेरा आज..
हिंदी भाषा की चमक, फैली है चारों ओर..
अप्रवासी भी होते है, जान कर भावविभोर...
स्वामी जी ने जब दिया, धर्म संसद मे उद्गार..
पूर्ण शिकागो भी झूम उठा, सुन उनके सुविचार..
हिंद की धरा पे जन्म लिया, हिंदी ही मेरा मान..
अपनी इस पहचान पर,, मुझको है अभिमान...
स्वरचित - विनय गौतम (विनम्र)
दिनाँक - 14/09/2019
विषय - हिंदी दिवस पर विशेष रचना
हिंद देश हिंदी दिवस, और हिंदी का मान..
अपने हिन्दुस्तान की, ये प्रमुख है पहचान..
हिंदी में है सभ्यता, सादगी का एहसास..
पूर्ण जगत भी कर रहा, अब इस पर विश्वास..
हिंदी जगत साहित्य की, महिमा अपरंपार..
छंद, व्याकरण, गद्य से, स्वर्णिम ये संसार..
प्रेम, पंत, देवी, बच्चन, दिनकर, सूर्य, प्रसाद..
महान हिंदी उपासकों को, नमन है मेरा आज..
हिंदी भाषा की चमक, फैली है चारों ओर..
अप्रवासी भी होते है, जान कर भावविभोर...
स्वामी जी ने जब दिया, धर्म संसद मे उद्गार..
पूर्ण शिकागो भी झूम उठा, सुन उनके सुविचार..
हिंद की धरा पे जन्म लिया, हिंदी ही मेरा मान..
अपनी इस पहचान पर,, मुझको है अभिमान...
स्वरचित - विनय गौतम (विनम्र)
नमन भावों के मोती
विषय आधारित रचना
दिनांक-14-09-2019
वार-शनिवार
#हिंदी
हिंदी मात्र हमारी मातृभाषा नहीं
हिंदी एक एहसास है
हिंदी सरल,सहज,स्पष्ट भाषा है
हिंदी सभी भाषाओं से सुंदर भाषा है
हिंदी लिख-बोल हम खुद को गौरान्वित महसूस करते हैं
हिंदी हिंद की पहचान है
हिंदी को यूं ही हम माँ नहीं कहते
हिंदी को हम माँ की तरह मान-सम्मान देते हैं
हिंदी भाषा के प्रयोग से हम अपने भावों को सुगमता से व्यक्त करते हैं
हिंदी हमारे लिए मात्र भाषा नहीं
हिंदी मन का भाव है
हिंदी न केवल भाषा है
हिंदी मन के भावों को व्यक्त करने की भाषा है
हिंदी पूजनीय भाषा है
हिंदी मात्र भाषा नहीं हिंदी हमारे राष्ट्र की दिल की भाषा है।
©कुमार संदीप
विषय आधारित रचना
दिनांक-14-09-2019
वार-शनिवार
#हिंदी
हिंदी मात्र हमारी मातृभाषा नहीं
हिंदी एक एहसास है
हिंदी सरल,सहज,स्पष्ट भाषा है
हिंदी सभी भाषाओं से सुंदर भाषा है
हिंदी लिख-बोल हम खुद को गौरान्वित महसूस करते हैं
हिंदी हिंद की पहचान है
हिंदी को यूं ही हम माँ नहीं कहते
हिंदी को हम माँ की तरह मान-सम्मान देते हैं
हिंदी भाषा के प्रयोग से हम अपने भावों को सुगमता से व्यक्त करते हैं
हिंदी हमारे लिए मात्र भाषा नहीं
हिंदी मन का भाव है
हिंदी न केवल भाषा है
हिंदी मन के भावों को व्यक्त करने की भाषा है
हिंदी पूजनीय भाषा है
हिंदी मात्र भाषा नहीं हिंदी हमारे राष्ट्र की दिल की भाषा है।
©कुमार संदीप
नमन मंच भावों के मोती
14 / 9 / 2019
बिषय,, हिन्दी,,,, हिंदी दिवस
मातृ भाषा हिंदी को शत् शत् नमन
सभी भाषाओं की रानी जैसे ऋतुओं में सावन
भारत माता के भाल की बिंदी
शोभायमान सुसज्जित राष्ट्र भाषा हिंदी
यत्र तत्र सर्वत्र परचम फहराया
बिभिन्नताओं में भिन्नता .बिभिन्न परिवेश
अनेकों बिबिधता अनोखा भारत देश
भाषाओं के संगम में हिन्दी का प्रथम स्थान
सारे विश्व में सर्वोपरि हिंदी की पहचान
हिन्दी हमारी हृदयवासिनी हिंदी स्वभिमान
हिंदी हमारी पथप्रदर्शक हिंदी हमारा अरमान
हिंदी दिवस पर सभी को बहुत बहुत शुभकामना
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदी हमारी भावना
स्वरिचत ,,सुषमा ब्यौहार
14 / 9 / 2019
बिषय,, हिन्दी,,,, हिंदी दिवस
मातृ भाषा हिंदी को शत् शत् नमन
सभी भाषाओं की रानी जैसे ऋतुओं में सावन
भारत माता के भाल की बिंदी
शोभायमान सुसज्जित राष्ट्र भाषा हिंदी
यत्र तत्र सर्वत्र परचम फहराया
बिभिन्नताओं में भिन्नता .बिभिन्न परिवेश
अनेकों बिबिधता अनोखा भारत देश
भाषाओं के संगम में हिन्दी का प्रथम स्थान
सारे विश्व में सर्वोपरि हिंदी की पहचान
हिन्दी हमारी हृदयवासिनी हिंदी स्वभिमान
हिंदी हमारी पथप्रदर्शक हिंदी हमारा अरमान
हिंदी दिवस पर सभी को बहुत बहुत शुभकामना
हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदी हमारी भावना
स्वरिचत ,,सुषमा ब्यौहार
दिनाँक- १४/०९/२०१९
आयोजन- हिंदी दिवस पर काव्य लेखन
"मैं हूँ हिंदी"
तेरी संस्कृति का मैं ही तो पहचान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
मैं हूँ संस्कृतजा शुभ देववाणी हूँ मैं
मैं हूँ गौरव तेरा स्वाभिमान हूँ मैं
हिंद तेरा मैं यशकीर्ति और विज्ञान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
मैं हूँ सुविचारों का तेरे सरलीकरण
मन के भावों का तेरे हूँ वर्गीकरण
मेरे भारत मैं तेरी सुर अरु तान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
मन तरंगों की सुमधुर अभिव्यक्ति हूँ मैं
मेरे भारत तेरी अनुपम शक्ति हूँ मैं
शुभ विचारों के सुसागर का जलयान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
माँ की लोरी हूँ मधुरिम कहानी हूँ मैं
ध्यान, सत्संग तेरी जिंदगानी हूँ मैं
अरु मैं सागर से गहरा तेरा ज्ञान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
भारती के शुभ ललाट की बिंदी हूँ मैं
मातृभाषा हूँ तेरी हाँ हिंदी हूँ मैं
फिर क्यों अपने ही घर में, मैं गुमनाम हूँ?
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
पूर्णतः स्वरचित एवं मौलिक
- जयशंकर पाण्डेय (बलरामपुर, उ०प्र०)
आयोजन- हिंदी दिवस पर काव्य लेखन
"मैं हूँ हिंदी"
तेरी संस्कृति का मैं ही तो पहचान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
मैं हूँ संस्कृतजा शुभ देववाणी हूँ मैं
मैं हूँ गौरव तेरा स्वाभिमान हूँ मैं
हिंद तेरा मैं यशकीर्ति और विज्ञान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
मैं हूँ सुविचारों का तेरे सरलीकरण
मन के भावों का तेरे हूँ वर्गीकरण
मेरे भारत मैं तेरी सुर अरु तान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
मन तरंगों की सुमधुर अभिव्यक्ति हूँ मैं
मेरे भारत तेरी अनुपम शक्ति हूँ मैं
शुभ विचारों के सुसागर का जलयान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
माँ की लोरी हूँ मधुरिम कहानी हूँ मैं
ध्यान, सत्संग तेरी जिंदगानी हूँ मैं
अरु मैं सागर से गहरा तेरा ज्ञान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
भारती के शुभ ललाट की बिंदी हूँ मैं
मातृभाषा हूँ तेरी हाँ हिंदी हूँ मैं
फिर क्यों अपने ही घर में, मैं गुमनाम हूँ?
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ
पूर्णतः स्वरचित एवं मौलिक
- जयशंकर पाण्डेय (बलरामपुर, उ०प्र०)
नमन मंच "भावों के मोती"
१४/०९/२०१९
हिंदी दिवस- "अंग्रेजी की गिरफ्त में "
भारत में सैकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं, इसलिए 1947 में भारत की आजादी के बाद भाषा को लेकर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ था।तब आज़ाद भारत ने एकमत से निर्णय लिया कि राजभाषा हिंदी हीं होगी।
संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार कर लिया। यह निर्णायक,गौरवशाली,महत्वपूर्ण दिवस था 14 सितंबर 1949
देश के प्रथम प्रधानमंत्री प0 जवाहर लाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया और 14 सितंबर 1953 में इसे देश में पहली बार मनाया गया।
भारत विविधताओं का देश है।यहाँ भिन्न-भिन्न प्रांत में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैं ऐसे में एकता बनाने का आधार एक भाषा का होना जरूरी है, यथा शिक्षा का आधार मातृभाषा होना आवश्यक।
ताकि हम एक-दूसरे के भाव जानने का प्रयत्न करें और एक-दूसरे को भली-भांति समझ सके।
हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति का सरलतम और शक्तिशाली स्रोत है हिंदी। गाँधीजी ने इसे जनमानस की भाषा कहा है।आज राष्ट्रभाषा का अधिकार भले ही हिंदी को मिल गया हो किंतु पत्यक्ष में देखें तो देश पर अंग्रेजी की हीं हुकूमत चल रही है।
कहने भर को ही हिंदी राष्ट्रभाषा है अन्यथा पूरे देश पर अंग्रेजी हीं प्रभावी है।ऐसा कोई देश नहीं है जिसने किसी विदेशी भाषा को इतनी प्रतिष्ठा दी हो।
यद्यपि आबादी का एक छोटा सा वर्ग हीं
अंग्रेजी में दक्षता हासिल कर पाता है
किंतु उन्हें विशाल जन सम्प्रदाय का शोषण करने का अधिकार मिल जाता है।हिंदी भाषी लोग हीनभावना से ग्रसित है।उनको निम्न दर्जे का समझा जाता है।शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी के इस्तेमाल से हिंदी भाषा सिकुड़ती जा रही है।अंग्रेजी की महत्ता के कारण ही कई प्रतिभाशाली और योग्य लोगों को अवसर नहीं मिल पाता
सभी राज्य के लोग भी अंग्रेजी के अलावा अपनी स्थानीय भाषा का हीं इस्तेमाल करना सम्मानजनक समझते है। हिंदी का विकास रुक जाने की यह भी एक बड़ी वजह है।हमें सबसे पहले साहित्यिक जागृति पैदा करनी चाहिए।
अंग्रेजी पढ़ने व बोलने वाले लोग अपने देश की संस्कार-संस्कृति से सर्वथा अनभिज्ञ होते हैं और परिणाम स्वरुप उनका लगाव भी कम होता जाता है। हिंदी हिन्द का गौरव है किन्तुआज हिंदी की अवहेलना का दंश पूरा देश झेल रहा है जबकि अवमूल्यन का कारण भी समझ से परे है।
स्वयंसिद्ध कथन है कि एक बोली अथवा भाषा की मृत्यु का अर्थ पीढ़ी दर पीढ़ी संचित लोक संस्कृति और विरासत की अकाल मृत्यु है।
मुझे भारतीय चलचित्र जगत से अभी हाल में देखे गए दो हिंदी सिनेमा का स्मरण हो रहा है हिंदी-मीडियम और इंग्लिश-विंग्लिश
जिसमें आज के भारत की सजीव तस्वीर दर्शाई गई है।अंग्रेजी को अधिक वरीयता मिलना भारतीय संस्कृति के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने कहा है
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
समस्त देश में एक भाषा, एक लिपि, एक साहित्य, एक आदर्श हो तभी राष्ट्र आगे बढ़ सकता है। तभी राष्ट्र की उन्नति संभव है।
जय हिंद! जय हिंदी
स्वरचित 'पथिक रचना'
१४/०९/२०१९
हिंदी दिवस- "अंग्रेजी की गिरफ्त में "
भारत में सैकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं, इसलिए 1947 में भारत की आजादी के बाद भाषा को लेकर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ था।तब आज़ाद भारत ने एकमत से निर्णय लिया कि राजभाषा हिंदी हीं होगी।
संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार कर लिया। यह निर्णायक,गौरवशाली,महत्वपूर्ण दिवस था 14 सितंबर 1949
देश के प्रथम प्रधानमंत्री प0 जवाहर लाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया और 14 सितंबर 1953 में इसे देश में पहली बार मनाया गया।
भारत विविधताओं का देश है।यहाँ भिन्न-भिन्न प्रांत में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैं ऐसे में एकता बनाने का आधार एक भाषा का होना जरूरी है, यथा शिक्षा का आधार मातृभाषा होना आवश्यक।
ताकि हम एक-दूसरे के भाव जानने का प्रयत्न करें और एक-दूसरे को भली-भांति समझ सके।
हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति का सरलतम और शक्तिशाली स्रोत है हिंदी। गाँधीजी ने इसे जनमानस की भाषा कहा है।आज राष्ट्रभाषा का अधिकार भले ही हिंदी को मिल गया हो किंतु पत्यक्ष में देखें तो देश पर अंग्रेजी की हीं हुकूमत चल रही है।
कहने भर को ही हिंदी राष्ट्रभाषा है अन्यथा पूरे देश पर अंग्रेजी हीं प्रभावी है।ऐसा कोई देश नहीं है जिसने किसी विदेशी भाषा को इतनी प्रतिष्ठा दी हो।
यद्यपि आबादी का एक छोटा सा वर्ग हीं
अंग्रेजी में दक्षता हासिल कर पाता है
किंतु उन्हें विशाल जन सम्प्रदाय का शोषण करने का अधिकार मिल जाता है।हिंदी भाषी लोग हीनभावना से ग्रसित है।उनको निम्न दर्जे का समझा जाता है।शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी के इस्तेमाल से हिंदी भाषा सिकुड़ती जा रही है।अंग्रेजी की महत्ता के कारण ही कई प्रतिभाशाली और योग्य लोगों को अवसर नहीं मिल पाता
सभी राज्य के लोग भी अंग्रेजी के अलावा अपनी स्थानीय भाषा का हीं इस्तेमाल करना सम्मानजनक समझते है। हिंदी का विकास रुक जाने की यह भी एक बड़ी वजह है।हमें सबसे पहले साहित्यिक जागृति पैदा करनी चाहिए।
अंग्रेजी पढ़ने व बोलने वाले लोग अपने देश की संस्कार-संस्कृति से सर्वथा अनभिज्ञ होते हैं और परिणाम स्वरुप उनका लगाव भी कम होता जाता है। हिंदी हिन्द का गौरव है किन्तुआज हिंदी की अवहेलना का दंश पूरा देश झेल रहा है जबकि अवमूल्यन का कारण भी समझ से परे है।
स्वयंसिद्ध कथन है कि एक बोली अथवा भाषा की मृत्यु का अर्थ पीढ़ी दर पीढ़ी संचित लोक संस्कृति और विरासत की अकाल मृत्यु है।
मुझे भारतीय चलचित्र जगत से अभी हाल में देखे गए दो हिंदी सिनेमा का स्मरण हो रहा है हिंदी-मीडियम और इंग्लिश-विंग्लिश
जिसमें आज के भारत की सजीव तस्वीर दर्शाई गई है।अंग्रेजी को अधिक वरीयता मिलना भारतीय संस्कृति के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने कहा है
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
समस्त देश में एक भाषा, एक लिपि, एक साहित्य, एक आदर्श हो तभी राष्ट्र आगे बढ़ सकता है। तभी राष्ट्र की उन्नति संभव है।
जय हिंद! जय हिंदी
स्वरचित 'पथिक रचना'
हिंदी दिवस की शुभ कामनाएँ🌹
नमनभाक्षों के मोती 🌹🙏🌹
14-9-2019
विषय:- हिंदी
विधा :-ग़ज़ल
राष्ट्र का अभिमान है हिंदी ,
विश्व में सम्मान है हिंदी ।
हिमाद्रि के शिखरों से लेकर ,
हर क्षितिज का मान है हिंदी ।
सरल सर्वदा अभिव्यक्ति से ,
बन जाती ज़ुबान है हिंदी ।
जो हम लिखते वही बोलते ,
उच्चारण प्रधान है हिंदी ।
विश्व समूचा परिचित इससे ,
ईश्वरीय संज्ञान है हिंदी ।
चंद्र बिदु से ओम सुशोभित ,
अनहद का प्रमाण है हिंदी ।
सहोदरी सब भाषाओं की ,
रखे ये पहचान है हिंदी ।
तत्सम तद्भव देश विदेशी ,
अखिल हिंदुस्तान है हिंदी ।
जयशंकर ,दिनकर , वर्मा की ,
सूर्यकान्त के प्राण है हिंदी ।
संस्कृत बेटी देवनागरी ,
ज्ञान अरु विज्ञान है हिंदी ।
काव्य में रस अलंकारों का , सौंदर्य सामान है हिंदी ।
गान वर्ण -माला का सुनता ,
सुरलोक का गान है हिंदी ।
सौत अंग्रेज़ी रहे न रानी ,
घर-घर का अभियान है हिंदी ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
नमनभाक्षों के मोती 🌹🙏🌹
14-9-2019
विषय:- हिंदी
विधा :-ग़ज़ल
राष्ट्र का अभिमान है हिंदी ,
विश्व में सम्मान है हिंदी ।
हिमाद्रि के शिखरों से लेकर ,
हर क्षितिज का मान है हिंदी ।
सरल सर्वदा अभिव्यक्ति से ,
बन जाती ज़ुबान है हिंदी ।
जो हम लिखते वही बोलते ,
उच्चारण प्रधान है हिंदी ।
विश्व समूचा परिचित इससे ,
ईश्वरीय संज्ञान है हिंदी ।
चंद्र बिदु से ओम सुशोभित ,
अनहद का प्रमाण है हिंदी ।
सहोदरी सब भाषाओं की ,
रखे ये पहचान है हिंदी ।
तत्सम तद्भव देश विदेशी ,
अखिल हिंदुस्तान है हिंदी ।
जयशंकर ,दिनकर , वर्मा की ,
सूर्यकान्त के प्राण है हिंदी ।
संस्कृत बेटी देवनागरी ,
ज्ञान अरु विज्ञान है हिंदी ।
काव्य में रस अलंकारों का , सौंदर्य सामान है हिंदी ।
गान वर्ण -माला का सुनता ,
सुरलोक का गान है हिंदी ।
सौत अंग्रेज़ी रहे न रानी ,
घर-घर का अभियान है हिंदी ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
नमन भावों के मोती
हिन्दी दिवस की आप सभी आदरणीय को हार्दिक बधाई
हिन्दी को जय हिन्द
🌿💐 "हिन्दी" �🌿
भावों का संसार है हिन्दी,
सरल मधुर व्यवहार है हिन्दी।
अलंकरों से सुसज्जित,
भाषा का सरदार है हिन्दी।
जन-जन का अधिकार है हिन्दी
हिन्द का दुलार है हिन्दी !
सा रे ग म प ध नि सा
स्वर व्यंजन का उपहार है हिन्दी
हिन्द का श्रृंगार है हिन्दी,
रसों का भंडार है हिन्दी।
माँ का आँचल पिता की अंगुली,
हमको ऐसे स्वीकार है हिन्दी।
सन्तोष परदेशी
हिन्दी दिवस की आप सभी आदरणीय को हार्दिक बधाई
हिन्दी को जय हिन्द
🌿💐 "हिन्दी" �🌿
भावों का संसार है हिन्दी,
सरल मधुर व्यवहार है हिन्दी।
अलंकरों से सुसज्जित,
भाषा का सरदार है हिन्दी।
जन-जन का अधिकार है हिन्दी
हिन्द का दुलार है हिन्दी !
सा रे ग म प ध नि सा
स्वर व्यंजन का उपहार है हिन्दी
हिन्द का श्रृंगार है हिन्दी,
रसों का भंडार है हिन्दी।
माँ का आँचल पिता की अंगुली,
हमको ऐसे स्वीकार है हिन्दी।
सन्तोष परदेशी
अमृतमयी! तुझको करूँ,सादर नमन शत बार मैं,
माँ अक्षरा अक्षर रहे तेरा सुयश संसार में।
जागरण में, स्वप्न में, अभिव्यक्ति में, विचार में,
विचरण सदा करती रहे,जनजन के तू व्यवहार में।
संस्कृत की तू है वंशजा, संस्कृत से संस्कारित हुई,
पालि, प्राकृत, भ्रंश से, निजरूप में विकसित हुई।
स्वर,व्यञ्जनों से संगठित,लिपि नागरी में बद्ध है,
सरस, सुखद, सुबोधता , पदावली समृद्ध है।
शब्दार्थ बोधक शक्तियाँ, तुझमें सरसता भर रही,
मुख्यार्थ का बोधन सरल, है वृत्ति अभिधा कर रही।
रूढ़ि, प्रयोजन लिए, लक्ष्यार्थ बोधक लक्षणा,
व्यंग्यार्थ का बोधन करे, विशिष्ट शक्ति व्यंजना।
व्रज, पहाड़ी, बांगरू, हिंदी तेरे स्वरूप हैं,
कौरवी, अवधि, बघेली, आदि तेरे रूप है।
रूपकादि से अलंकृत हो सुशोभित हो रही,
नवरसों से नित्य ही माँ, तू उपासित हो रही।
पाया वर बरदाई ने, चौहान का यश गा गए,
राम का गुणगान कर, तुलसी अमरता पा गए।
सद्भाव दे कबीर ने, पाखण्ड को खंडित किया,
सूर ने संसार में वात्सल्य रस मंडित किया।
जायशी को यश मिला, हाँ प्रेम भक्ति गान से,
कृष्ण को तुमने मिलाया, मीरा और रसखान से।
काव्यांग का परिचय दिया,मतिराम,केशव दास ने,
गागर में है सागर भरा, कविवर बिहारीदास ने।
भारतेंदु और द्विवेदी, गद्यपथ पर ले गए,
पाई कृपा जब प्रेम ने, उपन्यास का युग दे गए।
प्रसाद यश कामायनी, प्रकृति मिलन श्रीपन्त का,
चिरविरह महादेवी का, विद्रोह सूर्य सन्त का।
हाला सरस हरिवंश की, प्रयोग नव अज्ञेय का,
आलोचनाएं शुक्ल की,और मूल नीरजश्रेय का।
दिनकर के राष्ट्र प्रेम का,प्रमाण भारत भारती,
अन्यान्य कविलेखक सदा,उतारते तेरी आरती।
सबके यश का हेतु तुम,सब पर है माँ कृपा तेरी,
तेरे सरस शब्दार्थ से, भूषित रहे वाणी मेरी।
भारत माँ का गौरव हो तुम,इस देश की बिंदी सी हो,
मेरी सुबह हिंदी से हो, और रात भी हिंदी से हो।
मन हो हिंदी को समर्पित, तन भी हिंदी का ही हो,
चौदह सितम्बर ही नही,हर दिन ही हिंदी का ही हो।
अमृतमयी! तुझको करूँ,सादर नमन शत बार मैं,
माँ अक्षरा अक्षर रहे तेरा सुयश संसार में।
स्वरचित - महेश भट्ट ' पथिक '
माँ अक्षरा अक्षर रहे तेरा सुयश संसार में।
जागरण में, स्वप्न में, अभिव्यक्ति में, विचार में,
विचरण सदा करती रहे,जनजन के तू व्यवहार में।
संस्कृत की तू है वंशजा, संस्कृत से संस्कारित हुई,
पालि, प्राकृत, भ्रंश से, निजरूप में विकसित हुई।
स्वर,व्यञ्जनों से संगठित,लिपि नागरी में बद्ध है,
सरस, सुखद, सुबोधता , पदावली समृद्ध है।
शब्दार्थ बोधक शक्तियाँ, तुझमें सरसता भर रही,
मुख्यार्थ का बोधन सरल, है वृत्ति अभिधा कर रही।
रूढ़ि, प्रयोजन लिए, लक्ष्यार्थ बोधक लक्षणा,
व्यंग्यार्थ का बोधन करे, विशिष्ट शक्ति व्यंजना।
व्रज, पहाड़ी, बांगरू, हिंदी तेरे स्वरूप हैं,
कौरवी, अवधि, बघेली, आदि तेरे रूप है।
रूपकादि से अलंकृत हो सुशोभित हो रही,
नवरसों से नित्य ही माँ, तू उपासित हो रही।
पाया वर बरदाई ने, चौहान का यश गा गए,
राम का गुणगान कर, तुलसी अमरता पा गए।
सद्भाव दे कबीर ने, पाखण्ड को खंडित किया,
सूर ने संसार में वात्सल्य रस मंडित किया।
जायशी को यश मिला, हाँ प्रेम भक्ति गान से,
कृष्ण को तुमने मिलाया, मीरा और रसखान से।
काव्यांग का परिचय दिया,मतिराम,केशव दास ने,
गागर में है सागर भरा, कविवर बिहारीदास ने।
भारतेंदु और द्विवेदी, गद्यपथ पर ले गए,
पाई कृपा जब प्रेम ने, उपन्यास का युग दे गए।
प्रसाद यश कामायनी, प्रकृति मिलन श्रीपन्त का,
चिरविरह महादेवी का, विद्रोह सूर्य सन्त का।
हाला सरस हरिवंश की, प्रयोग नव अज्ञेय का,
आलोचनाएं शुक्ल की,और मूल नीरजश्रेय का।
दिनकर के राष्ट्र प्रेम का,प्रमाण भारत भारती,
अन्यान्य कविलेखक सदा,उतारते तेरी आरती।
सबके यश का हेतु तुम,सब पर है माँ कृपा तेरी,
तेरे सरस शब्दार्थ से, भूषित रहे वाणी मेरी।
भारत माँ का गौरव हो तुम,इस देश की बिंदी सी हो,
मेरी सुबह हिंदी से हो, और रात भी हिंदी से हो।
मन हो हिंदी को समर्पित, तन भी हिंदी का ही हो,
चौदह सितम्बर ही नही,हर दिन ही हिंदी का ही हो।
अमृतमयी! तुझको करूँ,सादर नमन शत बार मैं,
माँ अक्षरा अक्षर रहे तेरा सुयश संसार में।
स्वरचित - महेश भट्ट ' पथिक '
भावों के मोती
१४/९/२०१९
विषय-हिंदी
हिंदी हमारी है मातृभाषा,
है विस्तृत भू-भाग की भाषा।
अनेक हैं उपभाषाएं इसकी,
बड़ा विस्तृत परिवार है इसका।
साहित्य-संस्कृति का मूल है ये,
सब भाषाओं के शब्दों को अपनाती।
नये प्रतिमान ये गढ़ती जाती।
बड़ा विशाल शब्द-कोश है इसका,
इतना सम्पन्न और है किसका।
जनसंपर्क की भाषा न्यारी,
अति मधुर श्रवण सुखकारी।
वैज्ञानिक शब्दावली से है संपन्न,
राजकाज की भाषा गई बन।
लिपि इसकी कहलाती देवनागरी
सुंदर सुकुमारी है ये रस की गागरी।
किसी भाषा से नहीं बैर इसका,
सहोदर सम रखती ध्यान सबका।
अखिल विश्व करे सम्मान इसका,
कई देशों में प्रथम स्थान इसका।
फिर भी न बन भाई ये राष्ट्र की भाषा,
देख-देख अति होती है हताशा।
माना अंग्रेजी है आज की जरूरत,
पर हम कैसे हो गए इतने बैगेरत।
क्यों इसे बोलने में हैं शरमाते,
टूटी-फूटी अंग्रेजी बोल इतराते।
इसके बिना बोलो क्या पहचान है अपनी,
यही हमारी साहित्य- संस्कृति की जननी।
जननी का हम अपमान करें क्यों?
इसको अपनाने में संकोच करें क्यों?
आओ मिल अभियान चलाएं
हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद दिलवाएं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
१४/९/२०१९
विषय-हिंदी
हिंदी हमारी है मातृभाषा,
है विस्तृत भू-भाग की भाषा।
अनेक हैं उपभाषाएं इसकी,
बड़ा विस्तृत परिवार है इसका।
साहित्य-संस्कृति का मूल है ये,
सब भाषाओं के शब्दों को अपनाती।
नये प्रतिमान ये गढ़ती जाती।
बड़ा विशाल शब्द-कोश है इसका,
इतना सम्पन्न और है किसका।
जनसंपर्क की भाषा न्यारी,
अति मधुर श्रवण सुखकारी।
वैज्ञानिक शब्दावली से है संपन्न,
राजकाज की भाषा गई बन।
लिपि इसकी कहलाती देवनागरी
सुंदर सुकुमारी है ये रस की गागरी।
किसी भाषा से नहीं बैर इसका,
सहोदर सम रखती ध्यान सबका।
अखिल विश्व करे सम्मान इसका,
कई देशों में प्रथम स्थान इसका।
फिर भी न बन भाई ये राष्ट्र की भाषा,
देख-देख अति होती है हताशा।
माना अंग्रेजी है आज की जरूरत,
पर हम कैसे हो गए इतने बैगेरत।
क्यों इसे बोलने में हैं शरमाते,
टूटी-फूटी अंग्रेजी बोल इतराते।
इसके बिना बोलो क्या पहचान है अपनी,
यही हमारी साहित्य- संस्कृति की जननी।
जननी का हम अपमान करें क्यों?
इसको अपनाने में संकोच करें क्यों?
आओ मिल अभियान चलाएं
हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद दिलवाएं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
हिंदी दिवस पर समर्पित मेरी कविता 🙏
मंच को नमनदिनांक -14/9/2019
विषय -हिंदी दिवस
हिंद की बिंदी मेरी पहचान
हिंदी भाषा मेरा अभिमान
संस्कृत भाषा इसकी माता
माँ बेटी - सा पावन नाता
बढ़कर आगे पहचान बनाई
जन -जन की भाषा बन पाई
बावन वर्णों की माला शृंगार
वैज्ञानिकता की इसमें मनुहार
उदारता का कोई भी जोड़ नही
इतर भाषा शब्दों से गुरेज़ नही
चार कालों में रचित इतिहास
आदिकाल से यूँ हुई शुरुआत
वीरों की गाथा का गुणगान
वीरता का करवाया रसपान
भक्तिकाल ही स्वर्णिम कहलाता
तुलसी, सुर,मीरा ,नाम याद आता
ज्ञान की ऐसी गंगा बहा गए कबीर
डुबकी लगा हो जाता निर्मल शरीर
रीतिकाल की बनी अनोखी रीति
राजा भी करते काव्य से प्रीति
एक नाम बिहारी उभरकर आता
भटके जयसिंह को राह दिखाता
शृंगार रस की रिमझिम बरसात
प्रेम में डुबोती मचलाती गात
काल आधुनिक तक आते -आते
भारतेंदु गद्यकाल पहचान बनाते
नई विधाओं की ख़ूब हुई भरमार
रचनाकारों का जुड़ा नया सरोकार
साहित्य समाज की गुहार लगाई
प्रेमचंद कहलाए क़लम के सिपाही
मुम्बई नगरी में फ़िल्मों का काम
हिंदी भाषा ही दिलाती उसे मुक़ाम
विज्ञापनों का अपना नामी बाज़ार
लाखों को दिलाती हिंदी रोज़गार
देश के कोने कोने में हिंदी सम्मान
भाषा,राजभाषा,राष्ट्रभाषा संज्ञान
गुण, शक्ति, अलंकारों की शान
विश्व पटल पर हिंदी का गुणगान
✍🏻 संतोष कुमारी ‘ संप्रीति ‘
स्वरचित एवं मौलिक
मंच को नमनदिनांक -14/9/2019
विषय -हिंदी दिवस
हिंद की बिंदी मेरी पहचान
हिंदी भाषा मेरा अभिमान
संस्कृत भाषा इसकी माता
माँ बेटी - सा पावन नाता
बढ़कर आगे पहचान बनाई
जन -जन की भाषा बन पाई
बावन वर्णों की माला शृंगार
वैज्ञानिकता की इसमें मनुहार
उदारता का कोई भी जोड़ नही
इतर भाषा शब्दों से गुरेज़ नही
चार कालों में रचित इतिहास
आदिकाल से यूँ हुई शुरुआत
वीरों की गाथा का गुणगान
वीरता का करवाया रसपान
भक्तिकाल ही स्वर्णिम कहलाता
तुलसी, सुर,मीरा ,नाम याद आता
ज्ञान की ऐसी गंगा बहा गए कबीर
डुबकी लगा हो जाता निर्मल शरीर
रीतिकाल की बनी अनोखी रीति
राजा भी करते काव्य से प्रीति
एक नाम बिहारी उभरकर आता
भटके जयसिंह को राह दिखाता
शृंगार रस की रिमझिम बरसात
प्रेम में डुबोती मचलाती गात
काल आधुनिक तक आते -आते
भारतेंदु गद्यकाल पहचान बनाते
नई विधाओं की ख़ूब हुई भरमार
रचनाकारों का जुड़ा नया सरोकार
साहित्य समाज की गुहार लगाई
प्रेमचंद कहलाए क़लम के सिपाही
मुम्बई नगरी में फ़िल्मों का काम
हिंदी भाषा ही दिलाती उसे मुक़ाम
विज्ञापनों का अपना नामी बाज़ार
लाखों को दिलाती हिंदी रोज़गार
देश के कोने कोने में हिंदी सम्मान
भाषा,राजभाषा,राष्ट्रभाषा संज्ञान
गुण, शक्ति, अलंकारों की शान
विश्व पटल पर हिंदी का गुणगान
✍🏻 संतोष कुमारी ‘ संप्रीति ‘
स्वरचित एवं मौलिक
नमन् भावों के मोती
दिनाँक:१४/०९/२०१९
विषय: हिन्दी
विधा:लघु कविता
अनुपम दिव्य मनोहारी,
हिन्दी पर दुनिया बलिहारी।
जीवन की अभिव्यक्ति हमारी,
निजभाषा सबको है प्यारी।
मातृभाषा परम दुलारी,
मुदित चिरंतन संस्कृति सारी।
निजभाषा उत्तम हितकारी,
भाषा ही सभ्यता हमारी।
माथे की बिंदिया हिन्दी न्यारी,
हिन्दुस्तान की उन्नति सारी।
सूर, कबीर तुलसी ,बिहारी,
हिन्दी की सुंदर फुलवारी।
अनुपम दिव्य मनोहारी,
हिन्दी पर दुनिया बलिहारी।
मनीष कुमार श्री
स्वरचित
रायबरेली
दिनाँक:१४/०९/२०१९
विषय: हिन्दी
विधा:लघु कविता
अनुपम दिव्य मनोहारी,
हिन्दी पर दुनिया बलिहारी।
जीवन की अभिव्यक्ति हमारी,
निजभाषा सबको है प्यारी।
मातृभाषा परम दुलारी,
मुदित चिरंतन संस्कृति सारी।
निजभाषा उत्तम हितकारी,
भाषा ही सभ्यता हमारी।
माथे की बिंदिया हिन्दी न्यारी,
हिन्दुस्तान की उन्नति सारी।
सूर, कबीर तुलसी ,बिहारी,
हिन्दी की सुंदर फुलवारी।
अनुपम दिव्य मनोहारी,
हिन्दी पर दुनिया बलिहारी।
मनीष कुमार श्री
स्वरचित
रायबरेली
नमन मंच
दिनांक-१४/९/२०१९
हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
"शीर्षक-हिंदी"
हिंद हमारा वतन है
हिंदी हमारी पहचान है
अज्ञ है जो इस भाषा से
उनको सीखना हमारा काम है।
हिंदी हमारी शान है
हमारी देश की जान है
सदा सम्मान करें हम इसका
उज्जवल भविष्य बनाना हमारा काम है।
कीर्ति सदा बनी रहे
ये हमारी माँ समान है
हर भाषा जाने जाने हम
पर मातृभाषा को ठूकराना,
अपराध है।
मौन क्रंदन कर रही है
जो हमारी पहचान है
अक्षर अक्षर से हिंदी को
पल्लवित पुष्पित करना
हमारा काम है।
सहज सरल है मातृभाषा
स्वागत परिचय, धन्यवाद, बधाई
हो संवेदना बस हिंदी में
अग्रेंजी तो पढ़ते हम
पर सोचते सदा हिंदी में।
ये तो हमारी मातृभाषा है
इसे बसाये हम बोली में
हिंदी का सर्वाधिक प्रयोग कर
प्रचार प्रसार करें हिंदी में।
अपने अपने स्तर पर सभी प्रचार करें
यह संकल्प करना जरूरी है
विश्व पटल पर यह गुरु बन उभरे
नमन करें हम हिंदी को।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
दिनांक-१४/९/२०१९
हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
"शीर्षक-हिंदी"
हिंद हमारा वतन है
हिंदी हमारी पहचान है
अज्ञ है जो इस भाषा से
उनको सीखना हमारा काम है।
हिंदी हमारी शान है
हमारी देश की जान है
सदा सम्मान करें हम इसका
उज्जवल भविष्य बनाना हमारा काम है।
कीर्ति सदा बनी रहे
ये हमारी माँ समान है
हर भाषा जाने जाने हम
पर मातृभाषा को ठूकराना,
अपराध है।
मौन क्रंदन कर रही है
जो हमारी पहचान है
अक्षर अक्षर से हिंदी को
पल्लवित पुष्पित करना
हमारा काम है।
सहज सरल है मातृभाषा
स्वागत परिचय, धन्यवाद, बधाई
हो संवेदना बस हिंदी में
अग्रेंजी तो पढ़ते हम
पर सोचते सदा हिंदी में।
ये तो हमारी मातृभाषा है
इसे बसाये हम बोली में
हिंदी का सर्वाधिक प्रयोग कर
प्रचार प्रसार करें हिंदी में।
अपने अपने स्तर पर सभी प्रचार करें
यह संकल्प करना जरूरी है
विश्व पटल पर यह गुरु बन उभरे
नमन करें हम हिंदी को।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं व बधाई
हिंदी दिवस हिंदी दिवस मना रहे हैं
चारों और अपनी मातृभाषा की
मची है होड़
हर कोई आज हिंदी की बोली
बोल रहा है, जो लिखते हैं इंग्लिश में
आज हिंदी लिखने में अटपटाये रहे हैं
पर फिर भी हिंदी दिवस मनाये रहे हैं
अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम
में पढ़ाये रहे हैं
दो एकम दो छोड़, टू वन जा टू
सिखाये रहे है ,आ आ इ ई छोड़
ऐ बी सी मे उन्हें उलझाये रहे हैं
हिंदी संस्कृत का नही किसी को ज्ञान
सबने बना दिया इंग्लिश को महान
क्या करें इंग्लिश जिसको नही आती
वो कैसे करें नौकरी,
ना ही हाथ आये कोई छोकरी
गीट पीट गीट पीट वाला छोकरा
हमको चाहिए
नहीं तो जनाब आप थोड़ा
साईड हो जाईए
कुछ ऐसी विचारधारा हर लड़की
और लड़के के मस्तिष्क में आ घूसी है
और हिंदी बोलने वालों की या
हिंदी लिखने वालों की हमने ही
ये गति की है,अगर हम देते हिंदी को मान
नहीं होता इंग्लिश का इतना सम्मान
एक कोने में बैठी इंग्लिश रो रही होती
और हिंदी अपने ही देश मे मुस्कुरा रही होती
आज हिंदी बिलख रही है रो रही है
इस पर नहीं किसी का ध्यान
थोड़ा सा दिया है हिंदी को जो सम्मान
उन कवियों व रचनाकारों को
मैं करती हूं नित प्रणाम
चलो रे चलो भाई चौदह सितंबर आया
देवी देवताओं की तरह अपनी
मातृभाषा का भी पूजन करवा दो
एक साल बाद फिर लौटकर आयेगा
हिंदी दिवस धूम से बना लो
ये त्यौहार तो बस साल में
एक बार ही आयेगा
स्वरचित =हेमा जोशी
हमने अपनी हिंदी भाषा का अनादर नहीं किया है बस जो हो रहा है उसे बताने की कोशिश की है , यदि कुछ हमसे गलत लिख गया हो तो उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी है
हिंदी दिवस हिंदी दिवस मना रहे हैं
चारों और अपनी मातृभाषा की
मची है होड़
हर कोई आज हिंदी की बोली
बोल रहा है, जो लिखते हैं इंग्लिश में
आज हिंदी लिखने में अटपटाये रहे हैं
पर फिर भी हिंदी दिवस मनाये रहे हैं
अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम
में पढ़ाये रहे हैं
दो एकम दो छोड़, टू वन जा टू
सिखाये रहे है ,आ आ इ ई छोड़
ऐ बी सी मे उन्हें उलझाये रहे हैं
हिंदी संस्कृत का नही किसी को ज्ञान
सबने बना दिया इंग्लिश को महान
क्या करें इंग्लिश जिसको नही आती
वो कैसे करें नौकरी,
ना ही हाथ आये कोई छोकरी
गीट पीट गीट पीट वाला छोकरा
हमको चाहिए
नहीं तो जनाब आप थोड़ा
साईड हो जाईए
कुछ ऐसी विचारधारा हर लड़की
और लड़के के मस्तिष्क में आ घूसी है
और हिंदी बोलने वालों की या
हिंदी लिखने वालों की हमने ही
ये गति की है,अगर हम देते हिंदी को मान
नहीं होता इंग्लिश का इतना सम्मान
एक कोने में बैठी इंग्लिश रो रही होती
और हिंदी अपने ही देश मे मुस्कुरा रही होती
आज हिंदी बिलख रही है रो रही है
इस पर नहीं किसी का ध्यान
थोड़ा सा दिया है हिंदी को जो सम्मान
उन कवियों व रचनाकारों को
मैं करती हूं नित प्रणाम
चलो रे चलो भाई चौदह सितंबर आया
देवी देवताओं की तरह अपनी
मातृभाषा का भी पूजन करवा दो
एक साल बाद फिर लौटकर आयेगा
हिंदी दिवस धूम से बना लो
ये त्यौहार तो बस साल में
एक बार ही आयेगा
स्वरचित =हेमा जोशी
हमने अपनी हिंदी भाषा का अनादर नहीं किया है बस जो हो रहा है उसे बताने की कोशिश की है , यदि कुछ हमसे गलत लिख गया हो तो उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी है
राष्ट्रभाषा हिन्दी
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर हमको है अभिमान।
हिंदी भाषा को मिले, भारत में सम्मान।
व्याकरण अलंकार मुहावरे हिंदी शब्दों में जान,
हिमालय से क्षितिज तक हिंदी का हो उत्थान।
कलमकारों की लेखनी, हिंदी का करें गुणगान,
कवि हिंदी में कविता लिखते हिंदी में गाएँ गान।
हिंदी शब्दों से ज्ञान मिले उच्चारण शब्द प्रधान,
सरल सौभ्य शब्द बोलना, हिंदी की है जुबान।
चन्द्रबिन्दु ॐ सुशोभित भाल पे चाँद शिव भगवान,
समूचे हिंदुस्तान में मिले, हिंदी को विराट स्थान।
देवनागरी लिपि इसकी हिंदी भाषा अति प्यारी,
काव्य-रस सौंदर्य वर्णन हिंदी की महिमा न्यारी।
सभी भाषाओं में श्रेष्ठ है हिंदी भारत की पहचान,
जयशंकर दिनकर निराला जी हिंदी इनकी शान।
हिंदी के हर शब्दों में छुपा हुआ है भरपूर ज्ञान,
हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी को मिले मान।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर हमको है अभिमान।
हिंदी भाषा को मिले, भारत में सम्मान।
व्याकरण अलंकार मुहावरे हिंदी शब्दों में जान,
हिमालय से क्षितिज तक हिंदी का हो उत्थान।
कलमकारों की लेखनी, हिंदी का करें गुणगान,
कवि हिंदी में कविता लिखते हिंदी में गाएँ गान।
हिंदी शब्दों से ज्ञान मिले उच्चारण शब्द प्रधान,
सरल सौभ्य शब्द बोलना, हिंदी की है जुबान।
चन्द्रबिन्दु ॐ सुशोभित भाल पे चाँद शिव भगवान,
समूचे हिंदुस्तान में मिले, हिंदी को विराट स्थान।
देवनागरी लिपि इसकी हिंदी भाषा अति प्यारी,
काव्य-रस सौंदर्य वर्णन हिंदी की महिमा न्यारी।
सभी भाषाओं में श्रेष्ठ है हिंदी भारत की पहचान,
जयशंकर दिनकर निराला जी हिंदी इनकी शान।
हिंदी के हर शब्दों में छुपा हुआ है भरपूर ज्ञान,
हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी को मिले मान।
सुमन अग्रवाल "सागरिका"
आगरा
विषय-हिंदी/हिंदी दिवस विषय लेखन
तिथि-14सितम्बर2019
वार-शनिवार
विधा-ग़ज़ल
1212 1122 1212 22(112)
हमारी सोच को दे मान बस वो हिंदी है,
बढ़ा दे राष्ट्र की जो शान बस वो हिंदी है।
नसों में बहते लहू की तरह बसी है जो,
हृदय की भाषा मेरी जान बस वो हिंदी है।
अगर मिले मुझे माफ़ी तो इतना कह दूँ मैं,
जो बन गई मेरा अभिमान बस वो हिंदी है।
सरल से शब्दों में अभिव्यक्ति की दे आजादी,
जो श्रेष्ठता की है पहचान बस वो हिंदी है।
ये मेरे देश के माथे की बन गई बिंदी,
हरेक दिल का जो सम्मान बस वो हिंदी है।
दिलाएं मान वही दिल से राष्ट्रभाषा को,
खिला दे होठों पे मुस्कान बस वो हिंदी है।
लिखो पढ़ो सभी बोलो यहाँ तो हिंदी में,
मिला जो 'रण' को ये वरदान बस वो हिंदी है।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)
तिथि-14सितम्बर2019
वार-शनिवार
विधा-ग़ज़ल
1212 1122 1212 22(112)
हमारी सोच को दे मान बस वो हिंदी है,
बढ़ा दे राष्ट्र की जो शान बस वो हिंदी है।
नसों में बहते लहू की तरह बसी है जो,
हृदय की भाषा मेरी जान बस वो हिंदी है।
अगर मिले मुझे माफ़ी तो इतना कह दूँ मैं,
जो बन गई मेरा अभिमान बस वो हिंदी है।
सरल से शब्दों में अभिव्यक्ति की दे आजादी,
जो श्रेष्ठता की है पहचान बस वो हिंदी है।
ये मेरे देश के माथे की बन गई बिंदी,
हरेक दिल का जो सम्मान बस वो हिंदी है।
दिलाएं मान वही दिल से राष्ट्रभाषा को,
खिला दे होठों पे मुस्कान बस वो हिंदी है।
लिखो पढ़ो सभी बोलो यहाँ तो हिंदी में,
मिला जो 'रण' को ये वरदान बस वो हिंदी है।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)
नमन् भावों के मोती
दिनाँक:14/09/2019
विषय:हिन्दी दिवस पर
विधा:कविता
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
विश्व में ऐसे उदाहरण विरल हैं
कुछ अंग्रेजीदां उगलते गरल हैं
हिन्द के विरुद्ध बोलतें चपल हैं
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
सब भाषाओं में जैसे कमल है
पवित्र भावों में भाव विह्वहल है
सहज स्वभाव चित्त निर्मल है
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
विश्व विकास की सम्बल है
हृदय हिन्दी के विशाल बल है
आँचल इसका विमल धवल है
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
स्वरचित
शिवेंद्र कुमार श्रीवास्तव
रायबरेली
दिनाँक:14/09/2019
विषय:हिन्दी दिवस पर
विधा:कविता
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
विश्व में ऐसे उदाहरण विरल हैं
कुछ अंग्रेजीदां उगलते गरल हैं
हिन्द के विरुद्ध बोलतें चपल हैं
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
सब भाषाओं में जैसे कमल है
पवित्र भावों में भाव विह्वहल है
सहज स्वभाव चित्त निर्मल है
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
विश्व विकास की सम्बल है
हृदय हिन्दी के विशाल बल है
आँचल इसका विमल धवल है
हमारी हिन्दी इतनी सरल है
स्वरचित
शिवेंद्र कुमार श्रीवास्तव
रायबरेली
नमन भावों के मोती
14/9/2019
विषय-हिंदी/हिंदी दिवस काव्य लेखन
*************
संस्कृत की दुलारी बेटी हिंदी
भारत माँ के माथे की सिंदूरी बिंदी
देश की है ये गौरवशाली भाषा
जन जन की है प्यारी भाषा
इसमें होती भावों की सहज अभिव्यक्ति
कल्पनाओं,सपनों को मिलती शक्ति
तुलसी कबीर,मीरा,रहीम रसखान
सब मिल करते हिंदी का गुणगान
इसमें भरे ज्ञान के अतुलित भंडार
महाकाव्य,कविता,नाटक का अद्भुत संसार
अलौकिक ज्ञान की इसमें निहित हैं निधियां
स्वतंत्र करो इसे न डालो अंग्रेजी की बेड़ियां
ये है हमारी राष्ट्र और मातृभाषा
निज हृदय की है ये अभिलाषा
पूरे विश्व में अब बढ़ रहा इसका मान
स्वदेश में फिर क्यों होता इसका अपमान ?
निजभाषा पर सदा ही गर्व कीजिये
इसे समुन्नत पुष्ट और पोषित कीजिये
**वंदना सोलंकी**©स्वरचित
14/9/2019
विषय-हिंदी/हिंदी दिवस काव्य लेखन
*************
संस्कृत की दुलारी बेटी हिंदी
भारत माँ के माथे की सिंदूरी बिंदी
देश की है ये गौरवशाली भाषा
जन जन की है प्यारी भाषा
इसमें होती भावों की सहज अभिव्यक्ति
कल्पनाओं,सपनों को मिलती शक्ति
तुलसी कबीर,मीरा,रहीम रसखान
सब मिल करते हिंदी का गुणगान
इसमें भरे ज्ञान के अतुलित भंडार
महाकाव्य,कविता,नाटक का अद्भुत संसार
अलौकिक ज्ञान की इसमें निहित हैं निधियां
स्वतंत्र करो इसे न डालो अंग्रेजी की बेड़ियां
ये है हमारी राष्ट्र और मातृभाषा
निज हृदय की है ये अभिलाषा
पूरे विश्व में अब बढ़ रहा इसका मान
स्वदेश में फिर क्यों होता इसका अपमान ?
निजभाषा पर सदा ही गर्व कीजिये
इसे समुन्नत पुष्ट और पोषित कीजिये
**वंदना सोलंकी**©स्वरचित
भावों के मोती
बिषय- हिंदी
संस्कृति की पहचान है हिन्दी।
देश का अभिमान है हिंदी।
साहित्य इसका अनमोल है
हम सबकी मुस्कान है हिन्दी।।
रस,छन्द, अलंकार से सजी
कविगोष्ठीयों की शान है।
संस्कार से करती श्रृंगार
भारत मां की आन-बान है।।
सोई हुई चेतना जगाती हैं
भटकों को राह दिखाती है।
भावों का एक समंदर है
सबकी संवेदना बन जाती है।।
सब भाषाओं की रानी है
ज्ञान का असीम भंडार है ।
देश की अमूल्य धरोहर हिंदी।
रखनी होगी सम्हालकर हिंदी।।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
बिषय- हिंदी
संस्कृति की पहचान है हिन्दी।
देश का अभिमान है हिंदी।
साहित्य इसका अनमोल है
हम सबकी मुस्कान है हिन्दी।।
रस,छन्द, अलंकार से सजी
कविगोष्ठीयों की शान है।
संस्कार से करती श्रृंगार
भारत मां की आन-बान है।।
सोई हुई चेतना जगाती हैं
भटकों को राह दिखाती है।
भावों का एक समंदर है
सबकी संवेदना बन जाती है।।
सब भाषाओं की रानी है
ज्ञान का असीम भंडार है ।
देश की अमूल्य धरोहर हिंदी।
रखनी होगी सम्हालकर हिंदी।।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
सादर नमन भावों के मोती
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
आयोजन - हिन्दी दिवस
विधा - हाइकु
दिन - शनिवार
दिनांक - 14-09-2019
*****************
हिंदी दिवस
लाया यक्ष प्रश्न
कैसे मनायें
है परित्यक्ता
अभिजात्य वर्ग की
अस्पृश्य हिंदी
भू पटल हो
हिंदी विराजमान
करें संकल्प
न हो विस्मृत
दैनिक व्यवहार
सरल हिंदी
जागे जो मान
समृद्ध हिंदी प्रति
अक्षुण्ण कीर्ति
लाये उन्नति
निज भाषा गौरव
हिंदी महान
है सुशोभित
भारती भाल बिंदी
सरस हिंदी
संस्कृत सुता
प्रसारित करती
ज्ञान प्रकाश।।
पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचितविनीत मोहन औदिच्य
सागर, मध्य प्रदेश
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
आयोजन - हिन्दी दिवस
विधा - हाइकु
दिन - शनिवार
दिनांक - 14-09-2019
*****************
हिंदी दिवस
लाया यक्ष प्रश्न
कैसे मनायें
है परित्यक्ता
अभिजात्य वर्ग की
अस्पृश्य हिंदी
भू पटल हो
हिंदी विराजमान
करें संकल्प
न हो विस्मृत
दैनिक व्यवहार
सरल हिंदी
जागे जो मान
समृद्ध हिंदी प्रति
अक्षुण्ण कीर्ति
लाये उन्नति
निज भाषा गौरव
हिंदी महान
है सुशोभित
भारती भाल बिंदी
सरस हिंदी
संस्कृत सुता
प्रसारित करती
ज्ञान प्रकाश।।
पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचितविनीत मोहन औदिच्य
सागर, मध्य प्रदेश
नमन मंच भावों के मोती
दिनांक- 14/09/19
विषय - हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
""""""""""""""""""
हिन्दी दिवस पर्व है
इस पर हमें गर्व है
उन्नति करे सदा राष्ट्रभाषा
हमारी यही है अभिलाषा
है बधाई हिन्दी दिवस की
सदैव आदर करो हिंदी की
अंग्रेजी का स्वार्थ छोड़ना होगा
हिन्दी से नाता जोड़ना होगा
हिन्दी का ना करे कोई अपमान
दुनिया में भी हो हिंदी का सम्मान
हम सब हिंदीभाषी कहलाए
हिंदी का विकास चहुंओर कराए
-सूर्यदीप कुशवाहा
स्वरचित एवं मौलिक
दिनांक- 14/09/19
विषय - हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
""""""""""""""""""
हिन्दी दिवस पर्व है
इस पर हमें गर्व है
उन्नति करे सदा राष्ट्रभाषा
हमारी यही है अभिलाषा
है बधाई हिन्दी दिवस की
सदैव आदर करो हिंदी की
अंग्रेजी का स्वार्थ छोड़ना होगा
हिन्दी से नाता जोड़ना होगा
हिन्दी का ना करे कोई अपमान
दुनिया में भी हो हिंदी का सम्मान
हम सब हिंदीभाषी कहलाए
हिंदी का विकास चहुंओर कराए
-सूर्यदीप कुशवाहा
स्वरचित एवं मौलिक
नमन भावों के मोती
विषय-हिन्दी दिवस
शनिवार/१४ सित.१९
विधा --दोहे
१.
अक्षर में कृष्ण 'अ' स्वयं
हिन्दी का आधार ।
शक्ति ' अ'की पहचान कर,बढ़े ' हितैषी 'प्यार।।
2.
हिन्दी में जो बात है , नहीं किसी में और।
हिंदी में चर्चा अगर, मुस्काता हर दौर।।
3.
गीत,लघुकथा गीतिका
सब हिन्दी की देन।
दोहा हो या कुंडली, मिले पढ़े से चैन ।।
4.
भाषाराष्ट्र बनी नहीं, भाषाराज कहाय।
हिन्दी की ये पीर अब, बिल्कुल सही न जाय।।
5.
चीनी के बाद जग में ,जादा बोली जाय।
हिन्दी अब बढ़ती सतत
विश्व पंख फैलाय।।
6.
तुलसी की भाषा यही, और सूर का गान ।
माखन से मिश्री मिली, ज्यों कबिरा रसखान।।
7.
हिन्दी हिंदुस्तान की, हस्ती का है गान ।
हिन्दी की उन्नति करे , बढ़े देश का मान।।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
विषय-हिन्दी दिवस
शनिवार/१४ सित.१९
विधा --दोहे
१.
अक्षर में कृष्ण 'अ' स्वयं
हिन्दी का आधार ।
शक्ति ' अ'की पहचान कर,बढ़े ' हितैषी 'प्यार।।
2.
हिन्दी में जो बात है , नहीं किसी में और।
हिंदी में चर्चा अगर, मुस्काता हर दौर।।
3.
गीत,लघुकथा गीतिका
सब हिन्दी की देन।
दोहा हो या कुंडली, मिले पढ़े से चैन ।।
4.
भाषाराष्ट्र बनी नहीं, भाषाराज कहाय।
हिन्दी की ये पीर अब, बिल्कुल सही न जाय।।
5.
चीनी के बाद जग में ,जादा बोली जाय।
हिन्दी अब बढ़ती सतत
विश्व पंख फैलाय।।
6.
तुलसी की भाषा यही, और सूर का गान ।
माखन से मिश्री मिली, ज्यों कबिरा रसखान।।
7.
हिन्दी हिंदुस्तान की, हस्ती का है गान ।
हिन्दी की उन्नति करे , बढ़े देश का मान।।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
नमन भावों के मोती
आज का विषय, हिन्दी
शनिवार
1 4,9,2019,
हिन्दी भाषा का सदा ,
करते हम गुणगान ।
संस्कृत इसकी जननी ,
है ये रस की खान ।।
तुलसी मीरा जायसी,
सूरदास रसखान ।
केशव व घनानन्द जी ,
बिहारी से सुजान ।।
हिन्दी भाषा में हुए ,
कितने काल महान ।
गायकी और मधुरता,
इन कालों की जान ।।
रस छंद अलंकार से ,
जड़ित शब्द में भाव ।
छायावादी युग दिखा ,
गीतात्मक प्रभाव ।।
हिन्दी भाषा में लिखे ,
तरह तरह के ग्रंथ ।
देव नागरी लिपि रही ,
सर्वश्रेष्ठ सुपंथ ।।
हिन्दी अपनी शान है ,
हिंदी अपनी जान ।
हिन्दी के अस्तित्व का ,
रहता हमको भान ।।
हिन्दी बिन्दी सी लगे ,
सजे हिन्द के भाल ।
अमर रहे हिंदी सदा ,
आयें जायें साल ।।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश
आज का विषय, हिन्दी
शनिवार
1 4,9,2019,
हिन्दी भाषा का सदा ,
करते हम गुणगान ।
संस्कृत इसकी जननी ,
है ये रस की खान ।।
तुलसी मीरा जायसी,
सूरदास रसखान ।
केशव व घनानन्द जी ,
बिहारी से सुजान ।।
हिन्दी भाषा में हुए ,
कितने काल महान ।
गायकी और मधुरता,
इन कालों की जान ।।
रस छंद अलंकार से ,
जड़ित शब्द में भाव ।
छायावादी युग दिखा ,
गीतात्मक प्रभाव ।।
हिन्दी भाषा में लिखे ,
तरह तरह के ग्रंथ ।
देव नागरी लिपि रही ,
सर्वश्रेष्ठ सुपंथ ।।
हिन्दी अपनी शान है ,
हिंदी अपनी जान ।
हिन्दी के अस्तित्व का ,
रहता हमको भान ।।
हिन्दी बिन्दी सी लगे ,
सजे हिन्द के भाल ।
अमर रहे हिंदी सदा ,
आयें जायें साल ।।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश
नमन भावों के मोती
आज का विषय, हिन्दी
दिन, शनिवार
दिनांक, 14,9,2019,
है
हिंदी
हमारी
मातृभाषा
शब्दों की खान
रस अलंकार
देवनागरी लिपि ।
ये
शान
गेयता
सरसता
सौंदर्य बोध
साहित्य सागर
हिन्दी का चमत्कार ।
जो
भाषा
विज्ञान
निर्मित है
हिन्दी के लिए
दुनियाँ में कहाँ
यही हमारी शान ।
थे
सूर
कबीर
रसखान
तुलसी,मीरा
भक्ति रस धारा
हिन्दी साहित्य प्यारा ।
अः
रस
भावना
कोमलता
प्रकृति बोध
कवि की कल्पना
भाव व्यक्त हिंदी में ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
आज का विषय, हिन्दी
दिन, शनिवार
दिनांक, 14,9,2019,
है
हिंदी
हमारी
मातृभाषा
शब्दों की खान
रस अलंकार
देवनागरी लिपि ।
ये
शान
गेयता
सरसता
सौंदर्य बोध
साहित्य सागर
हिन्दी का चमत्कार ।
जो
भाषा
विज्ञान
निर्मित है
हिन्दी के लिए
दुनियाँ में कहाँ
यही हमारी शान ।
थे
सूर
कबीर
रसखान
तुलसी,मीरा
भक्ति रस धारा
हिन्दी साहित्य प्यारा ।
अः
रस
भावना
कोमलता
प्रकृति बोध
कवि की कल्पना
भाव व्यक्त हिंदी में ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
नमन भावों के मोती
दिनांक - 14/9/2019
विषय - हिंदी
विधा - कुण्डली
🌹🌹हिंदी दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹
( 1 )
हिंदी की सेवा करे, हिंदी अपनी शान।
होगा हिंदी से भला, हिन्दू हिंदुस्तान।।
हिन्दू हिंदुस्तान, अगर हैं हिंदी शाला।
पाएं फिर सम्मान, जपो हिंदी की माला।।
हिंदी के संस्थान, सजाये माथे बिंदी।
जन-जन की आवाज,हिन्द की भाषा हिंदी।।
( 2 )
हिंदी से पहचान है, हिंदी से ही मान।
हिंदी से ही विश्व में, होगी अपनी शान।।
होगी अपनी शान, सभी हिंदी अपनाएं।
हिंदी पर हो गर्व, लिखें सबको लिखवाएं।।
कहता कवि बलबीर, सजे हिन्दी पर बिंदी।
मिलकर करो प्रयास, राष्ट्रभाषा हो हिंदी।।
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
दिनांक - 14/9/2019
विषय - हिंदी
विधा - कुण्डली
🌹🌹हिंदी दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹
( 1 )
हिंदी की सेवा करे, हिंदी अपनी शान।
होगा हिंदी से भला, हिन्दू हिंदुस्तान।।
हिन्दू हिंदुस्तान, अगर हैं हिंदी शाला।
पाएं फिर सम्मान, जपो हिंदी की माला।।
हिंदी के संस्थान, सजाये माथे बिंदी।
जन-जन की आवाज,हिन्द की भाषा हिंदी।।
( 2 )
हिंदी से पहचान है, हिंदी से ही मान।
हिंदी से ही विश्व में, होगी अपनी शान।।
होगी अपनी शान, सभी हिंदी अपनाएं।
हिंदी पर हो गर्व, लिखें सबको लिखवाएं।।
कहता कवि बलबीर, सजे हिन्दी पर बिंदी।
मिलकर करो प्रयास, राष्ट्रभाषा हो हिंदी।।
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
नमन भावों के मोती
दिनांक - 14/9/2019
आज का विषय - हिंदी
विधा - दोहा गीतिका
हिंदी से सौगात है, हिंदी से पहचान।
हिंदी मन की बात है, हिंदी से पहचान।।
बोल अंग्रेजी सभी, करते बड़ा गुमान।
हिंदी पर ये घात हैं, हिंदी से पहचान।।
एक सूत्र में बांध कर, रखना सबको साथ।
हिंदी की औकात है, हिंदी से पहचान।।
हिंदी कब से जूझती, पाने को निज स्थान।
कैसे ये हालात है, हिंदी से पहचान।।
हिंदी से ही विश्व में, चमका अपना हिन्द।
तभी विश्व विख्यात है, हिंदी से पहचान।।
होंगे हिंदी से सभी, हिन्दू हिंदुस्तान।
हिंदी अपनी मात है, हिंदी से पहचान।।
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
दिनांक - 14/9/2019
आज का विषय - हिंदी
विधा - दोहा गीतिका
हिंदी से सौगात है, हिंदी से पहचान।
हिंदी मन की बात है, हिंदी से पहचान।।
बोल अंग्रेजी सभी, करते बड़ा गुमान।
हिंदी पर ये घात हैं, हिंदी से पहचान।।
एक सूत्र में बांध कर, रखना सबको साथ।
हिंदी की औकात है, हिंदी से पहचान।।
हिंदी कब से जूझती, पाने को निज स्थान।
कैसे ये हालात है, हिंदी से पहचान।।
हिंदी से ही विश्व में, चमका अपना हिन्द।
तभी विश्व विख्यात है, हिंदी से पहचान।।
होंगे हिंदी से सभी, हिन्दू हिंदुस्तान।
हिंदी अपनी मात है, हिंदी से पहचान।।
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
तीसरी प्रस्तुति -
नमन भावों के मोती
दिनांक - 14/9/2019
विषय - हिंदी
विधा - छंदमुक्त कविता
----हिंदी भाषा---
आर्य भाषा परिवार में
हिंदी भाषा है महान,
तभी तो मिला इसे
राज भाषा का स्थान,
हिंदी अपनी भाषा है
करो इसका सम्मान,
अपनाकर तुम अंग्रेजी
करो न इसका अपमान,
हम हिन्दू हैं, हिन्दू रहेंगे,
हिंदुओं की भाषा हिंदी महान,
अगर हिंदी है तो है हिन्दू हैं
और हिन्दू हैं तो है हिंदुस्तान,
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
नमन भावों के मोती
दिनांक - 14/9/2019
विषय - हिंदी
विधा - छंदमुक्त कविता
----हिंदी भाषा---
आर्य भाषा परिवार में
हिंदी भाषा है महान,
तभी तो मिला इसे
राज भाषा का स्थान,
हिंदी अपनी भाषा है
करो इसका सम्मान,
अपनाकर तुम अंग्रेजी
करो न इसका अपमान,
हम हिन्दू हैं, हिन्दू रहेंगे,
हिंदुओं की भाषा हिंदी महान,
अगर हिंदी है तो है हिन्दू हैं
और हिन्दू हैं तो है हिंदुस्तान,
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)
नमन "भावो कै मोती"
14/09/2019
"हिंदी"
कविता
-----------------------------------
मैं बंगाल की बंगीय नारी
पर हिंदी है जान हमारी
हिंदी से मुझे प्यार है
लगती हमें प्यारी-प्यारी।
हिंदी में ही जीती हूँ
हिंदी के संग उड़ती हूँ
अपने मन के भावो को
हिंदी में ही सजाती हूँ।
हिंदी में है चिंतन मेरी
हिंदी में ही मनन मेरी
हिंदी में ही सोचा करती
हिंदी से समझूँ शान अपनी।
हिंदी के किस्से मैं कहती
मित्रों को हिंदी सिखाती
हिंदी से पहचान है मेरी
हिंदी है गौरव हमारी ।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
14/09/2019
"हिंदी"
कविता
-----------------------------------
मैं बंगाल की बंगीय नारी
पर हिंदी है जान हमारी
हिंदी से मुझे प्यार है
लगती हमें प्यारी-प्यारी।
हिंदी में ही जीती हूँ
हिंदी के संग उड़ती हूँ
अपने मन के भावो को
हिंदी में ही सजाती हूँ।
हिंदी में है चिंतन मेरी
हिंदी में ही मनन मेरी
हिंदी में ही सोचा करती
हिंदी से समझूँ शान अपनी।
हिंदी के किस्से मैं कहती
मित्रों को हिंदी सिखाती
हिंदी से पहचान है मेरी
हिंदी है गौरव हमारी ।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
नमन भावों के मोती
दिनाँक-14/09/2019
शीर्षक-हिंदी दिवस
***************
हिंदी देश का मान है
हिंदी देश की शान है
सबसे प्यारी भाषा हिंदी
इसकी न्यारी पहचान है।
हिन्द की बिंदी बने हिंदी
जीवन मेरे की अभिलाषा
लिखे भारत गौरवगाथा
हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा।
हिंदी की गजब बहार
एक अक्षर के अर्थ चार
सरल शब्दों में समझाती
कविता का सबको सार।
हलन्त बने पायल इसकी
बिंदिया माथे लगती है
अलंकार हैं श्रृंगार करते
भाषा प्यारी लगती है ।
संज्ञा सर्वनाम का ज्ञान कराती
हिंदी सबके मन को भाती
वैज्ञानिक है आधार इसका
हिंदी व्याकरण सब बताती ।
मैं हिंदी दिवस मनाता हूँ
क से का ख से खा बनाता हूँ
मात्राओं का ज्ञान कराने को
खेल खेल में सिखाता हूँ ।
हिंदी बड़े सहज भाव से आती है
जैसे लिखी जाती वैसे बोली जाती है
देवनागरी लिपि में मानक इसके
भारत की राजभाषा कहलाती है।
********************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर (झज्जर)
हरियाणा
दिनाँक-14/09/2019
शीर्षक-हिंदी दिवस
***************
हिंदी देश का मान है
हिंदी देश की शान है
सबसे प्यारी भाषा हिंदी
इसकी न्यारी पहचान है।
हिन्द की बिंदी बने हिंदी
जीवन मेरे की अभिलाषा
लिखे भारत गौरवगाथा
हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा।
हिंदी की गजब बहार
एक अक्षर के अर्थ चार
सरल शब्दों में समझाती
कविता का सबको सार।
हलन्त बने पायल इसकी
बिंदिया माथे लगती है
अलंकार हैं श्रृंगार करते
भाषा प्यारी लगती है ।
संज्ञा सर्वनाम का ज्ञान कराती
हिंदी सबके मन को भाती
वैज्ञानिक है आधार इसका
हिंदी व्याकरण सब बताती ।
मैं हिंदी दिवस मनाता हूँ
क से का ख से खा बनाता हूँ
मात्राओं का ज्ञान कराने को
खेल खेल में सिखाता हूँ ।
हिंदी बड़े सहज भाव से आती है
जैसे लिखी जाती वैसे बोली जाती है
देवनागरी लिपि में मानक इसके
भारत की राजभाषा कहलाती है।
********************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर (झज्जर)
हरियाणा
नमन मंच
दिनाँक -14/09/2019
शीर्षक हिंदी
द्वितीय प्रस्तुति
*************
मेरे हाथ लेखनी आती है
विराम चिह्न लगाती है।
' - ! ; ? : ! ? !० ""
जब थोड़ा सा रुक जाती है
तो अल्प विराम लगाती है।
' ' ' ' ' '
अल्प से ज्यादा रुक जाती है
तो अर्ध विराम लगाती है।
; ; ; ; ; ;
वाक्य लिखकर रुक जाती है
तो पूर्ण विराम लगाती है ।
। । । । । ।
जब प्रश्न पूछने लगती है
तो प्रश्न वाचक लगाती है।
? ? ? ? ? ?
दो शब्दों को जोड़ती है
तो योजक चिह्न लगाती है।
- - - - - -
कोई विवरण हमें बताती है
तो निर्देशक चिह्न लगाती है।
:- :- :- :- :-
किसी की कही बात बताती है
तो उद्धरण चिह्न लगाती है।
" " " " " "
हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य दर्शाती है
तो विस्मयादि बोधक लगाती है ।
! ! ! ! ! ! ! !
किसी शब्द को संक्षेप में लिखती है
तो लाघव चिह्न लगाती है ।
० ० ० ० ० ०
मेरे हाथ लेखनी आती है
तो विराम चिह्न सीखाती है।
' ? ; ! ? "" ? - ? . ! ? ०
मेरे हाथ लेखनी आती है
तो विराम चिह्न लगाती है।
******************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
दिनाँक -14/09/2019
शीर्षक हिंदी
द्वितीय प्रस्तुति
*************
मेरे हाथ लेखनी आती है
विराम चिह्न लगाती है।
' - ! ; ? : ! ? !० ""
जब थोड़ा सा रुक जाती है
तो अल्प विराम लगाती है।
' ' ' ' ' '
अल्प से ज्यादा रुक जाती है
तो अर्ध विराम लगाती है।
; ; ; ; ; ;
वाक्य लिखकर रुक जाती है
तो पूर्ण विराम लगाती है ।
। । । । । ।
जब प्रश्न पूछने लगती है
तो प्रश्न वाचक लगाती है।
? ? ? ? ? ?
दो शब्दों को जोड़ती है
तो योजक चिह्न लगाती है।
- - - - - -
कोई विवरण हमें बताती है
तो निर्देशक चिह्न लगाती है।
:- :- :- :- :-
किसी की कही बात बताती है
तो उद्धरण चिह्न लगाती है।
" " " " " "
हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य दर्शाती है
तो विस्मयादि बोधक लगाती है ।
! ! ! ! ! ! ! !
किसी शब्द को संक्षेप में लिखती है
तो लाघव चिह्न लगाती है ।
० ० ० ० ० ०
मेरे हाथ लेखनी आती है
तो विराम चिह्न सीखाती है।
' ? ; ! ? "" ? - ? . ! ? ०
मेरे हाथ लेखनी आती है
तो विराम चिह्न लगाती है।
******************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
नमन भावों के मोती
दिनांक -14/09/2019
शीर्षक -हिन्दी दिवस
==================
(हिन्दी हमारी शान)
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।........
चमकते तारे आसमां के ,
हैं भारत के वासी हम।
कोई चंद्र है कोई रवि,
कोई यहां भी है न कम।।
आसमां बनकर सदा,
हिन्दी मेरी पहचान है।
हिन्दी न केवल बोली भाषा ,
ये हमारी शान है।।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।...
पूरब है कोई पश्चिम,
कोई उत्तर है दक्षिण।
अलग अलग है बोलियां,
पर एक सबका है ये मन।।
अंग भारत के हैं सभी,
पर हिन्दी दिल की है धड़कन।
एकता में बांधे हमको,
इस पर हमें अभिमान है।।
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।...
बने राष्ट्रभाषा बनी राजभाषा,
मातृभाषा भी बनी,
आओ इसको हम संवारें,
हिन्दी के हम हैं धनी।
गर्व हिन्दी पर है हमको,
एकता में जोड़े सबको।
आंकते कम हैं इसे जो,
वे बड़े नादान हैं।।
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।.........
.....भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखण्ड)
(मौलिक/स्वरचित रचना)
दिनांक -14/09/2019
शीर्षक -हिन्दी दिवस
==================
(हिन्दी हमारी शान)
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।........
चमकते तारे आसमां के ,
हैं भारत के वासी हम।
कोई चंद्र है कोई रवि,
कोई यहां भी है न कम।।
आसमां बनकर सदा,
हिन्दी मेरी पहचान है।
हिन्दी न केवल बोली भाषा ,
ये हमारी शान है।।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।...
पूरब है कोई पश्चिम,
कोई उत्तर है दक्षिण।
अलग अलग है बोलियां,
पर एक सबका है ये मन।।
अंग भारत के हैं सभी,
पर हिन्दी दिल की है धड़कन।
एकता में बांधे हमको,
इस पर हमें अभिमान है।।
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।...
बने राष्ट्रभाषा बनी राजभाषा,
मातृभाषा भी बनी,
आओ इसको हम संवारें,
हिन्दी के हम हैं धनी।
गर्व हिन्दी पर है हमको,
एकता में जोड़े सबको।
आंकते कम हैं इसे जो,
वे बड़े नादान हैं।।
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।.........
.....भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखण्ड)
(मौलिक/स्वरचित रचना)
सादर नमन
विषय-हिंदी दिवस
हिंदी के बारे में आज,
आओ कुछ बातें करते हैं,
भूल कर कर अंग्रेजी को,
हिंदी की गलियों में चलते हैं,
सहित्यों की गलियों में चलकर,
कबीर, सुर, गालीब से मिलते हैं,
सुनकर उनके अंदाजों को,
गीत अपने भी दिलों में सजते हैं,
हिंदी का थामकर हाथ चलने में,
कुछ लोग आज भी शरमाते हैं,
छोड़ दो आज दामन अंग्रेजी का,
आओ मिलके हिंदी दिवस मनाते हैं
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
14/9/19
शनिवार
विषय-हिंदी दिवस
हिंदी के बारे में आज,
आओ कुछ बातें करते हैं,
भूल कर कर अंग्रेजी को,
हिंदी की गलियों में चलते हैं,
सहित्यों की गलियों में चलकर,
कबीर, सुर, गालीब से मिलते हैं,
सुनकर उनके अंदाजों को,
गीत अपने भी दिलों में सजते हैं,
हिंदी का थामकर हाथ चलने में,
कुछ लोग आज भी शरमाते हैं,
छोड़ दो आज दामन अंग्रेजी का,
आओ मिलके हिंदी दिवस मनाते हैं
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
14/9/19
शनिवार
हिंदी हमारी सभी भाषाओं की महतारी
मधुर प्यारी प्यारी सुरभित क्यारी क्यारी
छंद कवित्त सोरठा हो या कविता
सरगम बन जाती ज्यों बहती निर्झर सरिता
शब्द शब्द को माला सी संजोती
गागर में सागर सीप में मोती
पर्यायवाची शब्दों का भरा भंडार
कहीं यमक अनुप्रास अनुप्रेक्षा अलंकार
सागर सम अथाह इसकी गहराई
कितनी ही डुबकी लगाऐं थाह न पाई
हर भाषा का नगीना हर भाषा की नानी
दुनिया में और न कोई जैसा शानी
हिंदोस्तां हमारा हिंदी ए वतन
नमन नमन तुझको बहुबार नमन
स्वरिचत,, सुषमा ब्यौहार
द्वितीय प्रस्तुति,,
मधुर प्यारी प्यारी सुरभित क्यारी क्यारी
छंद कवित्त सोरठा हो या कविता
सरगम बन जाती ज्यों बहती निर्झर सरिता
शब्द शब्द को माला सी संजोती
गागर में सागर सीप में मोती
पर्यायवाची शब्दों का भरा भंडार
कहीं यमक अनुप्रास अनुप्रेक्षा अलंकार
सागर सम अथाह इसकी गहराई
कितनी ही डुबकी लगाऐं थाह न पाई
हर भाषा का नगीना हर भाषा की नानी
दुनिया में और न कोई जैसा शानी
हिंदोस्तां हमारा हिंदी ए वतन
नमन नमन तुझको बहुबार नमन
स्वरिचत,, सुषमा ब्यौहार
द्वितीय प्रस्तुति,,
हमारी हिंदी,
भारत के भाल की बिंदी,
इसकी चमक का क्या कहना,
एक वर्ण की सामर्थ्य चाहते है
आप गर देखना,
सिर्फ ॐ का करें सस्वर उच्चारण,
कट जाएं सारे बंधन,
किया गया एक वैज्ञानिक
अनुसंधान,
कौन सा पहला वर्ण
जो उपजा इस जहान,
विश्व की समस्त प्रकार की
आवाजों को रिकार्ड करने
का किया गया प्रयास,
फिर उन्हें एक साथ
गया बजाया,
इन आवाजों के समिश्रण
से निकली एक ही
गूंज,
उत्पन्न हुआ ॐ का
नाद,
फिर सब मानने पर
हुये मजबूर,
ॐ ही है सबका
आधार,
हिंदी लिपि में लिखी
या बोली जानें वाली सभी
क्षेत्रीय बोलियां
हिंदी की पूरक हैं,
यह बड़ी प्रचलित
है कहावत,
कोस कोस पे पानी
बदले,
चार कोस पे बानी,
ये हिंदी की भाषायी
समृद्धि है,
आज इन अभिन्न अंगों
को चाहते हैं बांटना,
अलग अलग भाषा का दर्जा
दिलाने का अनुचित
चल रहा है अनुचित प्रयास,
हिंदी को कमजोर
करने का चल रहा है
कुचक्र,
जो नही होगा सफल,
आओ हम सब नीद
से जागें,
भाषायी उन्मादी भागें,
हमारी हिंदी है कितनी
अद्भुत,
हमारा एक एक वर्ण देता
है पूरे वाक्य का
आभास,
देखिये कहां हैं
आप,
हे,
का,
भा,
उ,
का
वा,
तू
न,
जा।।
इन एक एक
अच्छरों
को दूसरी भाषा में लिखे,
तब हिंदी मां की
महिमा समझेगें,
जय हिंदी,
जय भारत के भाल की
बिंदी,
जय हिंद,
वन्देमातरम।।
भावुक
भारत के भाल की बिंदी,
इसकी चमक का क्या कहना,
एक वर्ण की सामर्थ्य चाहते है
आप गर देखना,
सिर्फ ॐ का करें सस्वर उच्चारण,
कट जाएं सारे बंधन,
किया गया एक वैज्ञानिक
अनुसंधान,
कौन सा पहला वर्ण
जो उपजा इस जहान,
विश्व की समस्त प्रकार की
आवाजों को रिकार्ड करने
का किया गया प्रयास,
फिर उन्हें एक साथ
गया बजाया,
इन आवाजों के समिश्रण
से निकली एक ही
गूंज,
उत्पन्न हुआ ॐ का
नाद,
फिर सब मानने पर
हुये मजबूर,
ॐ ही है सबका
आधार,
हिंदी लिपि में लिखी
या बोली जानें वाली सभी
क्षेत्रीय बोलियां
हिंदी की पूरक हैं,
यह बड़ी प्रचलित
है कहावत,
कोस कोस पे पानी
बदले,
चार कोस पे बानी,
ये हिंदी की भाषायी
समृद्धि है,
आज इन अभिन्न अंगों
को चाहते हैं बांटना,
अलग अलग भाषा का दर्जा
दिलाने का अनुचित
चल रहा है अनुचित प्रयास,
हिंदी को कमजोर
करने का चल रहा है
कुचक्र,
जो नही होगा सफल,
आओ हम सब नीद
से जागें,
भाषायी उन्मादी भागें,
हमारी हिंदी है कितनी
अद्भुत,
हमारा एक एक वर्ण देता
है पूरे वाक्य का
आभास,
देखिये कहां हैं
आप,
हे,
का,
भा,
उ,
का
वा,
तू
न,
जा।।
इन एक एक
अच्छरों
को दूसरी भाषा में लिखे,
तब हिंदी मां की
महिमा समझेगें,
जय हिंदी,
जय भारत के भाल की
बिंदी,
जय हिंद,
वन्देमातरम।।
भावुक
नमन मंच को
दिन :- शनिवार
दिनांक :- 14/09/2019
विषय :- हिन्दी/हिन्दी दिवस
हिंदी है उद्यान एक...
खिलते इममे सुमन अनेक...
शब्द-शब्द सुरभित करते...
भाषाओं की यह रेख...
अलंकृत रस छंद से...
मात्राओं के अनुबंध से...
खिलाती है ज्ञान पुष्प...
सजाती मधुर संबंध ये...
हिंदी है प्राणाधार...
है यही संस्कृति आधार...
गंगा सी तरल है हिंदी..
बहती बन अमृत है हिंदी...
है यह शान हिंद की...
कहाती है जान हिंद की..
होती रही फिर भी उपेक्षित...
रहकर मौन सब सह गई..
कहने को तो है मातृभाषा...
मात्र भाषा बनकर रह गई...
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
दिन :- शनिवार
दिनांक :- 14/09/2019
विषय :- हिन्दी/हिन्दी दिवस
हिंदी है उद्यान एक...
खिलते इममे सुमन अनेक...
शब्द-शब्द सुरभित करते...
भाषाओं की यह रेख...
अलंकृत रस छंद से...
मात्राओं के अनुबंध से...
खिलाती है ज्ञान पुष्प...
सजाती मधुर संबंध ये...
हिंदी है प्राणाधार...
है यही संस्कृति आधार...
गंगा सी तरल है हिंदी..
बहती बन अमृत है हिंदी...
है यह शान हिंद की...
कहाती है जान हिंद की..
होती रही फिर भी उपेक्षित...
रहकर मौन सब सह गई..
कहने को तो है मातृभाषा...
मात्र भाषा बनकर रह गई...
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
नमन मंच
भावों के मोती
विषय - हिंदी
आर्यावर्त की संस्कृत जिसकी माई
हिंदुकुश से गले मिली और हिंदी कहलाई ।
सिंधु सागर सी हिंदी
मीरा के गिरधर सी हिंदी ।
तुलसी ,कबीर और जायसी
सूरदास, रसखान की हिंदी ।
सब बोली भाषाओं से करती प्यार
सबको लगाती गले हिंदुस्तान की हिंदी ।
सुगढ़ शब्दों का भंडार हिंदी
मृदुल मुहावरों का अंबार हिंदी ।
मारिशस, फिलिपीन्स, नेपाल, फिजी, गुयाना
सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान
सब पर प्रेम लुटाया
अपनत्व का अनुराग हिंदी ।
अंग्रेजों से आजादी की बनी मशाल हिंदी
विदेशों के प्रेम से निहाल हिंदी ।
अपनों से उपेक्षित ,
औरों की अधिकारिक भाषा हिंदी
एकता के सूत्र की एकमात्र आशा हिंदी ।
गर्व करो तुम हिंदुस्तानी हो
ऊंचे स्वर में हिंदी बोलो
हिंदी अभिमानी हो ।
जय हिंद,जय हिंद. जय हिंदी
विश्व भाल की बनेगी एक दिन
स्वर्णिम बिंदी,
ये हमारी हिंदी ,ये तुम्हारी हिंदी
ये हमारी हिंदी ये तुम्हारी हिंदी ।
(स्वरचित)सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
भावों के मोती
विषय - हिंदी
आर्यावर्त की संस्कृत जिसकी माई
हिंदुकुश से गले मिली और हिंदी कहलाई ।
सिंधु सागर सी हिंदी
मीरा के गिरधर सी हिंदी ।
तुलसी ,कबीर और जायसी
सूरदास, रसखान की हिंदी ।
सब बोली भाषाओं से करती प्यार
सबको लगाती गले हिंदुस्तान की हिंदी ।
सुगढ़ शब्दों का भंडार हिंदी
मृदुल मुहावरों का अंबार हिंदी ।
मारिशस, फिलिपीन्स, नेपाल, फिजी, गुयाना
सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान
सब पर प्रेम लुटाया
अपनत्व का अनुराग हिंदी ।
अंग्रेजों से आजादी की बनी मशाल हिंदी
विदेशों के प्रेम से निहाल हिंदी ।
अपनों से उपेक्षित ,
औरों की अधिकारिक भाषा हिंदी
एकता के सूत्र की एकमात्र आशा हिंदी ।
गर्व करो तुम हिंदुस्तानी हो
ऊंचे स्वर में हिंदी बोलो
हिंदी अभिमानी हो ।
जय हिंद,जय हिंद. जय हिंदी
विश्व भाल की बनेगी एक दिन
स्वर्णिम बिंदी,
ये हमारी हिंदी ,ये तुम्हारी हिंदी
ये हमारी हिंदी ये तुम्हारी हिंदी ।
(स्वरचित)सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
नमन मंच
प्रतिभागी - आशुतोष तिवारी 'आशू'
दिनांक - १४/०९/२०१९
विषय - हिंदी
विधा - गीत
"हम पथिकों की प्यास बुझाती नीर हमारी हिंदी है..!
मृदु है किंतु अचल गिरि सी गम्भीर हमारी हिंदी है..!!
सृजन धर्म के साथ पुरातन भाव नया कर सकती है..
एक भाव को लिए हजारों तरह बयाँ कर सकती है..!
कोटि ज्वार जो पग चूमें वह तीर हमारी हिंदी है..!!
हम पथिकों की प्यास...............................!!१!!
पाठ प्रेम का हमें पढ़ाती, ज्ञान भोर कर देती है..!
अंतर्मन को रस वर्षा कर सराबोर कर देती है..!
मन से मन को जोड़े वह शमशीर हमारी हिंदी है..!!
हम पथिकों की प्यास...............................!!२!!
नगर ग्राम और अंचल तक में बसी हुई घर द्वारों में..
देवनागरी वस्त्र धारकर फिरती है उद्गारों में..
लाज रखे भावों की जो वह चीर हमारी हिंदी है..!!
हम पथिकों की प्यास...............................!!३!!"
कुमार आशू
प्रतिभागी - आशुतोष तिवारी 'आशू'
दिनांक - १४/०९/२०१९
विषय - हिंदी
विधा - गीत
"हम पथिकों की प्यास बुझाती नीर हमारी हिंदी है..!
मृदु है किंतु अचल गिरि सी गम्भीर हमारी हिंदी है..!!
सृजन धर्म के साथ पुरातन भाव नया कर सकती है..
एक भाव को लिए हजारों तरह बयाँ कर सकती है..!
कोटि ज्वार जो पग चूमें वह तीर हमारी हिंदी है..!!
हम पथिकों की प्यास...............................!!१!!
पाठ प्रेम का हमें पढ़ाती, ज्ञान भोर कर देती है..!
अंतर्मन को रस वर्षा कर सराबोर कर देती है..!
मन से मन को जोड़े वह शमशीर हमारी हिंदी है..!!
हम पथिकों की प्यास...............................!!२!!
नगर ग्राम और अंचल तक में बसी हुई घर द्वारों में..
देवनागरी वस्त्र धारकर फिरती है उद्गारों में..
लाज रखे भावों की जो वह चीर हमारी हिंदी है..!!
हम पथिकों की प्यास...............................!!३!!"
कुमार आशू
नमन भावों के मोती
दिनांक -14/9/2019
विषय -हिंदी दिवस
हिंदी है पहचान हमारी ,हिंदी हमारी शान
हिंदी है अभिव्यक्ति हमारी ,हिंदी ही है मान।
भाव और अनुभाव अपने हैं इसी में सजे ,
प्रेम करुणा त्याग तप हैं इसमें पगे ।
शब्दों की माला बनाकर जब है बाँधा छंद में
दे देती अगाध चिंतन भर देती आनंद में ।
यदि तुम्हें है छूना उचाइयों के शिखर को ,
तो जगाना प्रेम आदर और बचाना इसके अस्तित्व को।
अपनी माता अपनी भाषा से प्रेम करना तुम सभी,
देश क्या परदेश में गौरवान्वित होगे तुम तभी ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
दिनांक -14/9/2019
विषय -हिंदी दिवस
हिंदी है पहचान हमारी ,हिंदी हमारी शान
हिंदी है अभिव्यक्ति हमारी ,हिंदी ही है मान।
भाव और अनुभाव अपने हैं इसी में सजे ,
प्रेम करुणा त्याग तप हैं इसमें पगे ।
शब्दों की माला बनाकर जब है बाँधा छंद में
दे देती अगाध चिंतन भर देती आनंद में ।
यदि तुम्हें है छूना उचाइयों के शिखर को ,
तो जगाना प्रेम आदर और बचाना इसके अस्तित्व को।
अपनी माता अपनी भाषा से प्रेम करना तुम सभी,
देश क्या परदेश में गौरवान्वित होगे तुम तभी ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
भावों के मोती दिनांक 14/9/19
हिन्दी
बात कम
काम ज्यादा हो
हिन्दी की
चिंता कम
अपनाये ज्यादा
हो चाहे
केंद्र या राज्य
सरकार या
बैंक बीमा
हो सभी जगह
हिन्दी भाषा
न हो भेद
स्कूलों में
सभी जगह हो
हिन्दी भाषा
बढेगा मान
हिन्दी का
बढेगी शान
हिन्दी की
जब अपनाएंगे
देश विदेश में
प्यारी हिन्दी
करना है त्याग
हमें भी
अंग्रेजी का
हो इतनी
सशक्त
हिन्दी हमारी
कह सकें गर्व से
हिंदी हैं
हम वतन है
हिन्दोस्तां हमारा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
हिन्दी
बात कम
काम ज्यादा हो
हिन्दी की
चिंता कम
अपनाये ज्यादा
हो चाहे
केंद्र या राज्य
सरकार या
बैंक बीमा
हो सभी जगह
हिन्दी भाषा
न हो भेद
स्कूलों में
सभी जगह हो
हिन्दी भाषा
बढेगा मान
हिन्दी का
बढेगी शान
हिन्दी की
जब अपनाएंगे
देश विदेश में
प्यारी हिन्दी
करना है त्याग
हमें भी
अंग्रेजी का
हो इतनी
सशक्त
हिन्दी हमारी
कह सकें गर्व से
हिंदी हैं
हम वतन है
हिन्दोस्तां हमारा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
नमन भावों के मोती
१४-९-२९
हिंदी(कुंडलिया)
(१)
भारत अंतस रम रहे, हिंदी नूतन छंद।
धार लिया मन प्राण में,है क्या इसमें द्वन्द।।
है क्या इसमें द्वन्द, प्रेम से इसको बोलो।
लिखें बोल हर भाव,प्राणियों मन को खोलो।।
रचना रचती जाय, उतारो हिंदी आरत।
प्रांत -प्रांत को भाय, रमे हिंदी में भारत।।
(२)
अपनी हिंदी का करें,मन प्रण से जयगान।
डूबें हिंदी में सदा, रखना है यह ध्यान।।
रखना है यह ध्यान,पढ़ें भाषायें सारी।
संस्कृत उपजी शान, यही है सबसे न्यारी।।
रचना रचती जाय,एक कथनी हो करनी।
जीवन का व्यवहार, हृदय में हिंदी अपनी।।
स्वरचित
रचना उनियाल
१४-९-२९
हिंदी(कुंडलिया)
(१)
भारत अंतस रम रहे, हिंदी नूतन छंद।
धार लिया मन प्राण में,है क्या इसमें द्वन्द।।
है क्या इसमें द्वन्द, प्रेम से इसको बोलो।
लिखें बोल हर भाव,प्राणियों मन को खोलो।।
रचना रचती जाय, उतारो हिंदी आरत।
प्रांत -प्रांत को भाय, रमे हिंदी में भारत।।
(२)
अपनी हिंदी का करें,मन प्रण से जयगान।
डूबें हिंदी में सदा, रखना है यह ध्यान।।
रखना है यह ध्यान,पढ़ें भाषायें सारी।
संस्कृत उपजी शान, यही है सबसे न्यारी।।
रचना रचती जाय,एक कथनी हो करनी।
जीवन का व्यवहार, हृदय में हिंदी अपनी।।
स्वरचित
रचना उनियाल
नमन 'भावों के मोती'
दिनांक: 14 सितम्बर 2019
विषय : हिंदी
हिंदी भाषा
भारत रूपी कक्षा में जब आंग्ल भाषा का प्रवेश हुआ।
मुख्य पात्र : हिंदी
सहायक पात्र : आंग्ल
अन्य पात्र : बच्चे
भारत रूपी कक्षा में कुछ बच्चे(देशवासी)आपस में रंग विरंगी पोशाक पहने एक दूसरे के साथ बैठे हुये थे। कई काले कपडों में, तो कोई केशरिया में, कई सफेद में तो कई पीत वस्त्र धारण किये हुए थे। चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली थी। गम का नाम ओ निशां नहीं था। सांस्कृतिक सप्ताह जो चल रहा था।
आंग्ल भाषा ये सब देख कर बहुत हैरान हुई। कि ये सब कैसे कितना अद्भुत है।
(आंग्ल भाषा का कक्षा में प्रवेश)
आंग्ल भाषा : May I Come in...Mam.???
हिंदी भाषा। : जी, अवश्य। आपका इस कक्षा में स्वागत है।
आंग्ल भाषा : Thank You Mam...आंग्ल भाषा ने खास लहजे से कहा (आंग्ल भाषा को कुछ समझ में नहीं आया)
हिंदी भाषा : धन्यवाद।
आंग्ल भाषा ने कक्षा में प्रवेश किया।
हिंदी भाषा ने सभी बच्चों को उनकी नयी अध्यापिका से परिचय करवाया।
आंग्ल भाषा : How are you..???Students..
(बच्चे मौन)
हिंदी भाषा : बच्चों आपकी नयी अध्यापिका आपका हाल चाल पूछ रही है।
बच्चे : ठीक हैं...बहन जी।
आंग्ल भाषा : Ok Good...
फिर आंग्ल भाषा ने सोचा कि इस तरह से मैं इनको कुछ सीखा ही नहीं पाऊंगी तो उसने हिंदी भाषा से हिंदी सीखने का मन बनाया । और ठीक ठाक सीख भी ली।
क्लासें चलती रही
(एक महीने बाद )
आंग्ल भाषा: शु प्रभा...ट बच्चों । (इनकी बोली अभी भी आंग्ल से प्रभावित थी ।
बच्चे : बहन जी । शु प्रभा...ट नहीं होता .. सुप्रभात होता है। सब बच्चे हंसने लगे।
आंग्ल भाषा : तो बच्चों आप मुझे.. भहन जी नाही..मैडम जी बोलो गए आंग्ल भाषा में ।
बच्चे : ठीक है मैडम जी।
आंग्ल भाषा : मैं आपकौ इंग्लिश विषय पढ़ाऊंगी।
बच्चे : मैडम जी ये इंग्लिश क्या होती है..,??
हिंदी भाषा : बच्चों ये एक अन्य विषय है जो आपको अंग्रजो की तरह बोलना व लिखना सिखयेगा।
इस तरह से आंग्ल भाषा ने हिंदी भाषा की सहायता से 80 प्रतिशत बच्चों पर अपना प्रभाव जमा लिया । अंत में सिर्फ एक बच्चा ही हिंदी का रह गया।
हिंदी भाषा चिन्तित रहने लगी कि ऐसे तो मुझे समझने वाला कोई नहीं रहेगा।
फिर उसने उस एक बच्चे को कहा
हिंदी भाषा : मैं आपकी राष्ट्रभाषा हूँ मुझे समझने वाला अब तेरे सिवाय कोई नहीं रहा ।
बच्चा : बहन जी मैं आपके महत्व को पूरी क्लास में फैला दूंगा ।
उस बच्चे का प्रयास सफल हुआ । सभी बच्चे मूलतः हिंदी व द्विभाषी हो गए।
इस नाटकीय लेख में
क्लास = भारत
बच्चे = राज्य
तो मेरा कहना यही है कि आप अंग्रेजी भाषा सीखो लेकिन अपने पर हावी न होने दें । हिंदी भाषा को महत्व दो ।
स्वरचित
सुखचैन मेहरा
दिनांक: 14 सितम्बर 2019
विषय : हिंदी
हिंदी भाषा
भारत रूपी कक्षा में जब आंग्ल भाषा का प्रवेश हुआ।
मुख्य पात्र : हिंदी
सहायक पात्र : आंग्ल
अन्य पात्र : बच्चे
भारत रूपी कक्षा में कुछ बच्चे(देशवासी)आपस में रंग विरंगी पोशाक पहने एक दूसरे के साथ बैठे हुये थे। कई काले कपडों में, तो कोई केशरिया में, कई सफेद में तो कई पीत वस्त्र धारण किये हुए थे। चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली थी। गम का नाम ओ निशां नहीं था। सांस्कृतिक सप्ताह जो चल रहा था।
आंग्ल भाषा ये सब देख कर बहुत हैरान हुई। कि ये सब कैसे कितना अद्भुत है।
(आंग्ल भाषा का कक्षा में प्रवेश)
आंग्ल भाषा : May I Come in...Mam.???
हिंदी भाषा। : जी, अवश्य। आपका इस कक्षा में स्वागत है।
आंग्ल भाषा : Thank You Mam...आंग्ल भाषा ने खास लहजे से कहा (आंग्ल भाषा को कुछ समझ में नहीं आया)
हिंदी भाषा : धन्यवाद।
आंग्ल भाषा ने कक्षा में प्रवेश किया।
हिंदी भाषा ने सभी बच्चों को उनकी नयी अध्यापिका से परिचय करवाया।
आंग्ल भाषा : How are you..???Students..
(बच्चे मौन)
हिंदी भाषा : बच्चों आपकी नयी अध्यापिका आपका हाल चाल पूछ रही है।
बच्चे : ठीक हैं...बहन जी।
आंग्ल भाषा : Ok Good...
फिर आंग्ल भाषा ने सोचा कि इस तरह से मैं इनको कुछ सीखा ही नहीं पाऊंगी तो उसने हिंदी भाषा से हिंदी सीखने का मन बनाया । और ठीक ठाक सीख भी ली।
क्लासें चलती रही
(एक महीने बाद )
आंग्ल भाषा: शु प्रभा...ट बच्चों । (इनकी बोली अभी भी आंग्ल से प्रभावित थी ।
बच्चे : बहन जी । शु प्रभा...ट नहीं होता .. सुप्रभात होता है। सब बच्चे हंसने लगे।
आंग्ल भाषा : तो बच्चों आप मुझे.. भहन जी नाही..मैडम जी बोलो गए आंग्ल भाषा में ।
बच्चे : ठीक है मैडम जी।
आंग्ल भाषा : मैं आपकौ इंग्लिश विषय पढ़ाऊंगी।
बच्चे : मैडम जी ये इंग्लिश क्या होती है..,??
हिंदी भाषा : बच्चों ये एक अन्य विषय है जो आपको अंग्रजो की तरह बोलना व लिखना सिखयेगा।
इस तरह से आंग्ल भाषा ने हिंदी भाषा की सहायता से 80 प्रतिशत बच्चों पर अपना प्रभाव जमा लिया । अंत में सिर्फ एक बच्चा ही हिंदी का रह गया।
हिंदी भाषा चिन्तित रहने लगी कि ऐसे तो मुझे समझने वाला कोई नहीं रहेगा।
फिर उसने उस एक बच्चे को कहा
हिंदी भाषा : मैं आपकी राष्ट्रभाषा हूँ मुझे समझने वाला अब तेरे सिवाय कोई नहीं रहा ।
बच्चा : बहन जी मैं आपके महत्व को पूरी क्लास में फैला दूंगा ।
उस बच्चे का प्रयास सफल हुआ । सभी बच्चे मूलतः हिंदी व द्विभाषी हो गए।
इस नाटकीय लेख में
क्लास = भारत
बच्चे = राज्य
तो मेरा कहना यही है कि आप अंग्रेजी भाषा सीखो लेकिन अपने पर हावी न होने दें । हिंदी भाषा को महत्व दो ।
स्वरचित
सुखचैन मेहरा
नमन भावों के मोती
दिनाँक-14-09-2019
विषय - हिन्दी
विधा- वर्ण पिरामिड
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
1- है
हिंदी
सम्मान
प्राणवान
दैदीप्यमान
अलंकारवान
राष्ट्र का अभिमान।
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
2- क्यूँ
हिंदी
विह्वल
दो संबल
बने सबल
सहज निर्मल
साहित्य का आँचल।
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
दिनाँक-14-09-2019
विषय - हिन्दी
विधा- वर्ण पिरामिड
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
1- है
हिंदी
सम्मान
प्राणवान
दैदीप्यमान
अलंकारवान
राष्ट्र का अभिमान।
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
2- क्यूँ
हिंदी
विह्वल
दो संबल
बने सबल
सहज निर्मल
साहित्य का आँचल।
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
सर्वेश पाण्डेय
स्वरचित
नमन भावो के मोती
विषय- हिंदी
दिनांक- 14/09/2019
जैसे चमके हज़ारों तारों के बीच चाँदनी
वैसी ही हज़ारों भाषा में है हिंदी
जैसे चमके दुल्हन के माथे में बिंदी
वैसे ही भाषाओं में हमारी हिंदी
जिसमें बसा है अपनेपन का अहसास
अनजानो के बीच अपनी सी हिंदी
भारतमाता की पहेचान है
राष्ट्रभाषा हमारी हिंदी
पहेला शब्द जो बोला मैंने
उस प्रेम भाव का नाम है हिंदी
मधुर मनोहर शब्दों का है
अमृत जैसा मेल ये हिंदी
भावो और विचारों की जननी
भारत की पहचान है हिंदी
डॉक्टर प्रियंका अजित कुमार
स्वरचित
विषय- हिंदी
दिनांक- 14/09/2019
जैसे चमके हज़ारों तारों के बीच चाँदनी
वैसी ही हज़ारों भाषा में है हिंदी
जैसे चमके दुल्हन के माथे में बिंदी
वैसे ही भाषाओं में हमारी हिंदी
जिसमें बसा है अपनेपन का अहसास
अनजानो के बीच अपनी सी हिंदी
भारतमाता की पहेचान है
राष्ट्रभाषा हमारी हिंदी
पहेला शब्द जो बोला मैंने
उस प्रेम भाव का नाम है हिंदी
मधुर मनोहर शब्दों का है
अमृत जैसा मेल ये हिंदी
भावो और विचारों की जननी
भारत की पहचान है हिंदी
डॉक्टर प्रियंका अजित कुमार
स्वरचित
नमन मंच,
विषय :- हिंदी दिवस
हिन्द देश की शान है हिंदी,
जनजन की पहचान है हिंदी,
माँ की ममता जैसी लगती,
भारत का सम्मान है हिंदी,
हर शब्द कहानी कहता हे,
अविरल धारा सा बहता हे,
बन भाव श्रेष्ठ जो आदर का,
जन जन के मन मे रहता है,
एक राष्ट्र अभिमान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
जिसमे अंतर हर रिश्तो का,
जो है पैगाम फरिश्तो का,
मीठी मीठी सी खीर में जैसे,
स्वाद हो काजू पिस्तो का,
हम सबकी जैसे जान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
जो राष्ट्र जोड़ के रखती है,
निज माँ जैसी जो लगती है,
हिन्दुस्तां की धड़कन जैसे
हृदय मध्य जो बसती है,
जन गण मन का गान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
हो पूर्णिमा की धवल चांदनी,
या फिर पावन सरिता सी,
हो कर्णप्रिय सी कोई रागिनी,
या फिर कोमल वनिता सी,
राष्ट्रभक्ति का गुणगान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
स्वरचित:-#प्रकाश_जांगिड़_प्रांश
विषय :- हिंदी दिवस
हिन्द देश की शान है हिंदी,
जनजन की पहचान है हिंदी,
माँ की ममता जैसी लगती,
भारत का सम्मान है हिंदी,
हर शब्द कहानी कहता हे,
अविरल धारा सा बहता हे,
बन भाव श्रेष्ठ जो आदर का,
जन जन के मन मे रहता है,
एक राष्ट्र अभिमान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
जिसमे अंतर हर रिश्तो का,
जो है पैगाम फरिश्तो का,
मीठी मीठी सी खीर में जैसे,
स्वाद हो काजू पिस्तो का,
हम सबकी जैसे जान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
जो राष्ट्र जोड़ के रखती है,
निज माँ जैसी जो लगती है,
हिन्दुस्तां की धड़कन जैसे
हृदय मध्य जो बसती है,
जन गण मन का गान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
हो पूर्णिमा की धवल चांदनी,
या फिर पावन सरिता सी,
हो कर्णप्रिय सी कोई रागिनी,
या फिर कोमल वनिता सी,
राष्ट्रभक्ति का गुणगान है हिंदी,
भारत का सम्मान है हिंदी,
स्वरचित:-#प्रकाश_जांगिड़_प्रांश
जय माँ शारदा... 🌹🙏
नमन भावों के मोती
दि.- 14.09.19
विषय - हिंदी दिवस
विधा- दोहा - चौपाई(स्वैच्छिक )
------------------------------------------------
सभी को सादर नमन एवं हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं असीम शुभकामनायें......
*हमारी हिन्दी*
हिंदी बिंदी हिंद की,जन गण मन अभिमान |
इसका गौरव नित बढ़े,जाने सकल जहान ||
हिन्दी भाषा है सुखदाई |
मान करें मिल कर सब भाई ||
आन बान ये शान हमारी |
हिन्दी है जन जन को प्यारी ||
संस्कृत की ये सुता कहावे |
इसके शब्द सभी मन भावे ||
भारत के हर अंग समाई |
हर बोली की है ये माई ||
ममता और दुलार है, माँ का है आशीष |
हिन्दी के सम्मान में, नतमस्तक यह शीश ||
यही मातृभाषा भारत की |
जिसमें परिभाषा भारत की ||
ये ही तो पहचान हमारी |
इससे सच्ची शान हमारी ||
इसमें भी है वैज्ञानिकता |
इसमें समाहित आधुनिकता ||
हिन्दी को अपनाकर देखो |
खुद बोलो बुलवाकर देखो ||
हिंदी हर मुख में सजे,करें सभी स्वीकार |
सुखद और समृद्ध हो, हिंदी का संसार |
आओ इसका मान बढ़ायें |
इसको जन जन तक पहुचायें ||
भले अलग हों परंपरायें |
लेकिन सब हिंदी अपनायें ||
हिंदी का जब मान बढ़ेगा |
भारत नव यशगान गढ़ेगा ||
अब न रखो मन में कुछ शंका |
बजने दो हिंदी का डंका ||
हिन्दी हिन्दुस्तान के, गौरव का है गान |
हो हर दिन हिन्दी दिवस ,तब ही है उत्थान |
==========================
स्वरचित
प्रमोद गोल्हानी "सरस"
कहानी सिवनी म.प्र.
नमन भावों के मोती
दि.- 14.09.19
विषय - हिंदी दिवस
विधा- दोहा - चौपाई(स्वैच्छिक )
------------------------------------------------
सभी को सादर नमन एवं हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं असीम शुभकामनायें......
*हमारी हिन्दी*
हिंदी बिंदी हिंद की,जन गण मन अभिमान |
इसका गौरव नित बढ़े,जाने सकल जहान ||
हिन्दी भाषा है सुखदाई |
मान करें मिल कर सब भाई ||
आन बान ये शान हमारी |
हिन्दी है जन जन को प्यारी ||
संस्कृत की ये सुता कहावे |
इसके शब्द सभी मन भावे ||
भारत के हर अंग समाई |
हर बोली की है ये माई ||
ममता और दुलार है, माँ का है आशीष |
हिन्दी के सम्मान में, नतमस्तक यह शीश ||
यही मातृभाषा भारत की |
जिसमें परिभाषा भारत की ||
ये ही तो पहचान हमारी |
इससे सच्ची शान हमारी ||
इसमें भी है वैज्ञानिकता |
इसमें समाहित आधुनिकता ||
हिन्दी को अपनाकर देखो |
खुद बोलो बुलवाकर देखो ||
हिंदी हर मुख में सजे,करें सभी स्वीकार |
सुखद और समृद्ध हो, हिंदी का संसार |
आओ इसका मान बढ़ायें |
इसको जन जन तक पहुचायें ||
भले अलग हों परंपरायें |
लेकिन सब हिंदी अपनायें ||
हिंदी का जब मान बढ़ेगा |
भारत नव यशगान गढ़ेगा ||
अब न रखो मन में कुछ शंका |
बजने दो हिंदी का डंका ||
हिन्दी हिन्दुस्तान के, गौरव का है गान |
हो हर दिन हिन्दी दिवस ,तब ही है उत्थान |
==========================
स्वरचित
प्रमोद गोल्हानी "सरस"
कहानी सिवनी म.प्र.
नमन मंच "भावों के मोती"🙏
विषय:-हिन्दी
हाइकु(5/7/5)(1)
रंगीली "हिंदी"
भारत माँ के भाल
गौरव बिंदी
(2)
सम्पदा शब्द
"हिंदी" के सागर में
विधाएँ रत्न
(3)
किससे आस
अपने ही घर में
"हिंदी" निराश
(4)
स्वीकार भाव
"हिंदी"हिय विशाल
माता समान
(5)
आंग्ल प्रचार
उपेक्षा की शिकार
हिंदी लाचार
(6)
बिम्ब सौंदर्य
भावों के अलंकार
हिंदी श्रंगार
स्वरचित
विषय:-हिन्दी
हाइकु(5/7/5)(1)
रंगीली "हिंदी"
भारत माँ के भाल
गौरव बिंदी
(2)
सम्पदा शब्द
"हिंदी" के सागर में
विधाएँ रत्न
(3)
किससे आस
अपने ही घर में
"हिंदी" निराश
(4)
स्वीकार भाव
"हिंदी"हिय विशाल
माता समान
(5)
आंग्ल प्रचार
उपेक्षा की शिकार
हिंदी लाचार
(6)
बिम्ब सौंदर्य
भावों के अलंकार
हिंदी श्रंगार
स्वरचित
नमन--भावो के मोती
दिनांक__१४__९__१९
दिन____शनिवार
विषय__हिंदी /हिन्दी दिवस
विधा___हाइकु
======================
1 - हिन्दी उत्सव
चले अनवरत
करें प्रयास
********************
2 - शीर्ष हो हिन्दी
सरल व्यवहार
है अपनाती
*********************
3 - मृदु है भाषा
हैं नहीं लघुवर्ण
हिन्दी से मान
रानी कोष्टी म प्र गुना
स्वरचित एवं मौलिक
दिनांक__१४__९__१९
दिन____शनिवार
विषय__हिंदी /हिन्दी दिवस
विधा___हाइकु
======================
1 - हिन्दी उत्सव
चले अनवरत
करें प्रयास
********************
2 - शीर्ष हो हिन्दी
सरल व्यवहार
है अपनाती
*********************
3 - मृदु है भाषा
हैं नहीं लघुवर्ण
हिन्दी से मान
रानी कोष्टी म प्र गुना
स्वरचित एवं मौलिक
नमन मंच -भावों के मोती
दिनांक -14 सितंबर 2019
दिन -शनिवार आयोजन -हिंदी दिवस
पहचान है ये हिंदी
माँ शारदे का न्यारा, वरदान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥
हिंदी है गंगा यमुना, सी एक नदी पावन ।
स्वर और व्यंजनों की, लहरें है जिसमें बावन ॥
नव पीढ़ी आओ आगे, निज शक्तियां संभालो ।
पाना है संस्कृति तो, इस नीर में नहा लो ॥
संस्कृत सी प्यारी माँ की, संतान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥1॥
हिंदी किरीट अपना, हिंदी है माथ बिंदी ।
हिंदी की लोरियां सुन, बचपन में पाई निंदी ॥
हिंदी बिछा के सोऊँ, हिंदी ही ओढ़ती हूँ ।
इस हिंदी के सहारे, मैं हिंद जोड़ती हूँ ॥
एका के वास्ते इक, अभियान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥2॥
केशव कबीर मीरा, रसलीन ने संवारा ।
हम नव कवि हैं अब ये, दायित्व है हमारा ॥
हिंदी के शब्द मोती, लिक्खेंगे लिपि नागर ।
और बूंद बूंद करके, भर देंगे हिंदी गागर ॥
गोते जरा लगा लो, रसखान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥3॥
हिंदी है मातृ भाषा, भाषा न मात्र करना ।
दुनिया की श्रेष्ठ भाषा, है इसको ही तू वरना ॥
शोभा विहीन वरना, ये देश होगा अपना ।
उत्थान उन्नति का, ना सत्य होगा सपना ॥
अपना के इसको देखो, कल्याण है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥4॥
माँ भारती को उसका, सम्मान तो दिलाओ ।
भारत के नाम को अब, अनुवाद से बचाओ ॥
कहे इंडिया न कोई, भारत कहे जमाना ।
सार्थक तभी तो होगा, हिंदी दिवस मनाना ॥
भारत के लाड़लों का, अभिमान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥5॥
माँ शारदे का न्यारा, वरदान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥
- अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू'
दिनांक -14 सितंबर 2019
दिन -शनिवार आयोजन -हिंदी दिवस
पहचान है ये हिंदी
माँ शारदे का न्यारा, वरदान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥
हिंदी है गंगा यमुना, सी एक नदी पावन ।
स्वर और व्यंजनों की, लहरें है जिसमें बावन ॥
नव पीढ़ी आओ आगे, निज शक्तियां संभालो ।
पाना है संस्कृति तो, इस नीर में नहा लो ॥
संस्कृत सी प्यारी माँ की, संतान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥1॥
हिंदी किरीट अपना, हिंदी है माथ बिंदी ।
हिंदी की लोरियां सुन, बचपन में पाई निंदी ॥
हिंदी बिछा के सोऊँ, हिंदी ही ओढ़ती हूँ ।
इस हिंदी के सहारे, मैं हिंद जोड़ती हूँ ॥
एका के वास्ते इक, अभियान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥2॥
केशव कबीर मीरा, रसलीन ने संवारा ।
हम नव कवि हैं अब ये, दायित्व है हमारा ॥
हिंदी के शब्द मोती, लिक्खेंगे लिपि नागर ।
और बूंद बूंद करके, भर देंगे हिंदी गागर ॥
गोते जरा लगा लो, रसखान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥3॥
हिंदी है मातृ भाषा, भाषा न मात्र करना ।
दुनिया की श्रेष्ठ भाषा, है इसको ही तू वरना ॥
शोभा विहीन वरना, ये देश होगा अपना ।
उत्थान उन्नति का, ना सत्य होगा सपना ॥
अपना के इसको देखो, कल्याण है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥4॥
माँ भारती को उसका, सम्मान तो दिलाओ ।
भारत के नाम को अब, अनुवाद से बचाओ ॥
कहे इंडिया न कोई, भारत कहे जमाना ।
सार्थक तभी तो होगा, हिंदी दिवस मनाना ॥
भारत के लाड़लों का, अभिमान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥5॥
माँ शारदे का न्यारा, वरदान है ये हिंदी ।
इस हिंद देश की तो, पहचान है ये हिंदी ॥
- अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू'
नमन भावों के मोती 🌹🙏🌹14-9-2019
विषय:- हिंदी दिवस
विधा :-पद्य
हिंदी का सिंहासन हिमाद्रि ,
और पग पखारता है सिंधु ।
माथे का चंदन मलयाचल ,
सोहे है शीश पर रवि बिंदु ।
जन -जन की वाणी है हिंदी ,
अरु भरा है इसमें माधुर्य ।
गुणवता छुपी है शब्दों में ,
अर्थों में श्लेष का प्राचुर्य ।
सम्प्रेषण करती भावों का ,
वंदनीय भाषा है हिंदी ।
मात्राओं के भूषण पहने ,
माथे पर सूरज सम बिंदी ।
जब गीत फूटते हैं मन के ,
देती है भाषा धार उसे ।
हृदय के उमड़ते भावों को ,
निज भाषा दे शृंगार उसे ।
सूर , तुलसी , केशव अभिमान
रहीम बिहारी घना रसखान ।
कितने सपूत माँ हिंदी के ,
बढ़ाते हैं जो इसकी शान ।
जनक खड़ी के हैं भारतेंदु ,
महाप्राण दिनकर अरु प्रसाद ।
हिंदी का है गौरव इनसे ,
करे साहित्य ये शंखनाद ।
परदेश में पहचान मिलती ,
सहोदरी का भास दिलाती ।
इस से जन्मी सब भाषाएँ ,
माँ जननी को शीश झुकाती।
राजनीति के गलियारो में ,
अस्मिता को नहीं खोने दो ।
हिंदी के विस्तृत आँचल में ,
सब भाषाओं को होने दो ।
सीमित फ़ाइलों तक न रखिए ,
इसके प्रवाह को बहने दो ।
वर्चस्वी भाषा कवियों की ,
इसको गरिमामय रहने दो ।
हिंदी है भारत की बोली ,
विश्व तक इसे पनपने दो ।
देश के भाल की बिंदी को ,
सुंदर साकार से सपने दो ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
विषय:- हिंदी दिवस
विधा :-पद्य
हिंदी का सिंहासन हिमाद्रि ,
और पग पखारता है सिंधु ।
माथे का चंदन मलयाचल ,
सोहे है शीश पर रवि बिंदु ।
जन -जन की वाणी है हिंदी ,
अरु भरा है इसमें माधुर्य ।
गुणवता छुपी है शब्दों में ,
अर्थों में श्लेष का प्राचुर्य ।
सम्प्रेषण करती भावों का ,
वंदनीय भाषा है हिंदी ।
मात्राओं के भूषण पहने ,
माथे पर सूरज सम बिंदी ।
जब गीत फूटते हैं मन के ,
देती है भाषा धार उसे ।
हृदय के उमड़ते भावों को ,
निज भाषा दे शृंगार उसे ।
सूर , तुलसी , केशव अभिमान
रहीम बिहारी घना रसखान ।
कितने सपूत माँ हिंदी के ,
बढ़ाते हैं जो इसकी शान ।
जनक खड़ी के हैं भारतेंदु ,
महाप्राण दिनकर अरु प्रसाद ।
हिंदी का है गौरव इनसे ,
करे साहित्य ये शंखनाद ।
परदेश में पहचान मिलती ,
सहोदरी का भास दिलाती ।
इस से जन्मी सब भाषाएँ ,
माँ जननी को शीश झुकाती।
राजनीति के गलियारो में ,
अस्मिता को नहीं खोने दो ।
हिंदी के विस्तृत आँचल में ,
सब भाषाओं को होने दो ।
सीमित फ़ाइलों तक न रखिए ,
इसके प्रवाह को बहने दो ।
वर्चस्वी भाषा कवियों की ,
इसको गरिमामय रहने दो ।
हिंदी है भारत की बोली ,
विश्व तक इसे पनपने दो ।
देश के भाल की बिंदी को ,
सुंदर साकार से सपने दो ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
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