अशोक कुमार ढोरिया



दिनाँक-31/12/2019
शीर्षक-रात ,रजनी,विभावरी

विधा -हाइकु

1.
अंधेरी रात
टिमटिमाते तारे
लगते प्यारे
2.
छिपा सूरज
मुस्कराई रजनी
छाया अंधेरा
3.
बीती रजनी
छट गया अंधेरा
हुआ सवेरा
4.
शीतल रात
ठिठुरता चंद्रमा
तारों के साथ
5.
पूनम रात
धवल हुई धरा
खिली चाँदनी
6..
चंद्र किरणें
करती अठखेली
जल थल में
*************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


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दिनाँक-26/12/2019
शीर्षक-हसीं मौसम
विधा-हाइकु

1.
सावन मास
रिमझिम फुहार
हसीं मौसम
2.
खिले कुसुम
महका उपवन
हसीं मौसम
3.
छाये बादल
हसीं हुआ मौसम
आई बौछारें
4.
बसंत ऋतु
फूली पीली सरसों
हसीं मौसम
5.
हटा कोहरा
हसीं हुआ मौसम
चमकी धूप
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
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नमन मंच
दिनाँक-04/11/2019
शीर्षक-चलो एक गीत लिखते हैं
विधा-कविता
******************
भारत माँ का मान रखने
चलो एक गीत लिखते हैं
मिलजुल मिटाएं आतंक
हम एक विचार रखते हैं ।


सदियों पुरानी परंपरा का
आज भी सम्मान करते हैं
हिंदुस्तान की संस्कृति पर
चलो एक गीत लिखते हैं ।

अतिथि देवः भव संस्कार
हमारी एक मर्यादा रखते हैं
विश्व गुरु की रीत निभाने
चलो एक गीत लिखते हैं।

अनुशासन प्रिय रहकर हम
एक आदर्श देश बनाते हैं
सोने की चिड़िया भारत था
विदेशी भी गुणगान करते हैं।

आज़ादी पर कुर्बान हुए जो
उन वीरों को याद करते हैं
सच्ची देने श्रद्धांजलि उन्हें
चलो एक गीत लिखते हैं।
*********************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया


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नमन भावों के मोती
🙏🏻🌷🌺🌹🌸🥀🙏🏻
दिनाँक-29/10/2019
शीर्षक-भाई दूज
विधा-हाइकु

1.
प्रेम प्रतीक
भाई दूज का पर्व
माथे तिलक
2.
हाथ में थाल
खड़ी इंतजार में
तिलक वास्ते
3.
बहना लाई
प्रेम का उपहार
भाई के लिए
4.
पवित्र सोच
बढ़े उम्र भाई की
है उपहार
************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



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नमन भावों के मोती
दिनाँक-27/10/2019
शीर्षक - दीप ,दीपावली
विधा-कविता
*******************
झिलमिल-झिलमिल दीप जले आज दिवाली है
टिमटिम करते दीप जलते धरा पर रवानी है
दिल अपने झांक कर देखो किस आँख में पानी है
प्यार-प्रेम स्नेह उल्लास से दिवाली मनानी है ।


नन्हें नन्हें ननिहाल आज फुलझड़ी छुटाते हैं
हँसी खुशी एक दूजे से अपना हाथ बढाते हैं
लक्ष्मी गणेश को प्रसन्न करने दीप जलाते हैं
ईर्ष्या द्वेष दूर भगा प्यार का दीप जलाते हैं।

असंख्य जला कर दीप, रात को पूनम बनाते हैं
लक्ष्मी जी को पास बुलाने, अपने घर सजाते हैं
लक्ष्मी जी के स्वागत को द्वार फूल बिछाते हैं
सुंदर सुंदर रंग बिरंगी ,आंगन रंगोली बनाते हैं ।

आओ हम सब मिलकर प्रकाश का दीप जलाएं
ढेर सारा स्नेह बटोर खुशिओं का दीप जलाएं
कोई न रहे भूखा प्यासा सबको मिठाई खिलाएं
हटाकर काँटे नफरत के प्यार के फूल बिछाएं।

गरीब के घर में भी खुशियों का एक दीप जलाएं
दुर्गुणों से कर किनारा सदगुण हम अपनाएं
अंतरात्मा को शुद्ध करके सुंदर जहां बनाएं
आओ हम सब मिल कर यादगार दिवाली मनाएं ।
हलवा पूरी खील पतासे लक्ष्मी को भोग लगाएं
भोजन कपड़े देकर दान गरीब का घर महकाएं
घर घर में खुशी का दीप जले ऐसी अलख जगाएं
आओ हम सब मिलकर प्रकाश का दीप जलाएं।
प्रदूषण मुक्त हो दिवाली सबको मिल बैठ समझाएं
अमन चैन आये जग में, आतंकवाद जड़ से मिटाएं
इंसान इंसान बनकर इंसानियत की चार चाँद लगाएं
आओ आज हम सब मिलकर प्यार की दिवाली मनाएं।
*******************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-26/10/2019
शीर्षक-रूप , सौंदर्य
विधा-हाइकु


1.
सुंदर रूप
अगरबत्ती धूप
पूजा अर्चना
2.
लक्ष्मी गणेश
गजब का सौंदर्य
दिवाली रात
3.
मिट्टी के दीये
चमचमाती रात
पर्व सौंदर्य
4.
रंगोली द्वार
दीपावली सौंदर्य
उज्ज्वल घर
5.
प्यारी बिटिया
परिवार सौंदर्य
घर की लक्ष्मी
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया





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नमन भावों के मोती
दिनाँक -19/10/2019
विषय- समय आ गया है
आज विकास के नाम पर
जंगलों को काटा जा रहा है
शहरों के फैलाव के कारण
वन वीरान हो रहे हैं
वन्य प्राणियों का आशियाना खत्म होता जा रहा है
वृक्षा रोपण के नाम पर झूठे ढोंग किए जा रहे हैं
प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है
प्रकृति अपना रूप बदल रही है
धरती पर तापमान बढ़ता जा रहा है
हमारी औसत आयु घट रही है
आज समय आ गया है
अपनी जिम्मेदारी निभाने का
आतंक ,भेदभाव ,ईर्ष्या, लोभ, लालच को छोड़कर स्नेह,प्रेम ,भाई चारे ,शान्ति से मिलजुल कर रहने का
समय आ गया है
वृक्षारोपण कर धरा को हरा भरा बनाने का
प्रदूषण मिटाने का
शान्ति से रहने का
**************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-17/10/2019
शीर्षक-नारी श्रृंगार
सज धज कर खड़ी मैं
करके सोलह श्रृंगार
कब की खड़ी बात में
आओ मेरे भरतार।


करवा चौथ मनाने को
माँगू न गले का हार
एक तमन्ना दिल मेरे की
पाऊँ पिया तेरा प्यार ।

हार श्रृंगार सब फीके हैं
मिले न पिया का प्यार
एक दुआ माँगू रब से
सुखी रहे मेरा संसार।

आज करवा चौथ है
तुम बैठे इतनी दूर
आओ पिया संग मेरे
भरो मेरे मांग सिंदूर ।

सोलह हैं नारी श्रृंगार
पिया बिन सब बेकार
***************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया


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नमन भावों के मोती
दिनाँक-16/10/2019
शीर्षक-हल , समाधान
विधा-हाइकु


1.
प्रश्न अनेक
समाधान निकालो
भ्रष्टाचार क्यों
2.
मोदी ने किया
कश्मीर समाधान
देश के नाम
3.
कौन चाहता
समाधान दिल से
मिटे आतंक
4.
ढूंढो उपाय
बढ़े नहीं आतंक
अमन वास्ते
5.
आतंकवाद
करता है बर्बाद
समाधान क्या
6.
रिश्वतखोरी
सबकी कमजोरी
हल बताओ
7.
प्रश्न कठिन
समाधान आसान
करके देखो
8.
कौन ढूंढता
समाधान दिल से
मिटे गरीबी
9.
उलझी गूंथी
कश्मीर की समस्या
सुलझ गई
10.
देश हित में
कश्मीर समाधान
बढ़िया हुआ
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा





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नमन भावों के मोती
दिनाँक-14/10/2019
विषय-निर्भय
विधा-सायली छंद


1.
बच्चा
आ गया
माँ की गोद
निर्भय होकर
सोया
2.
अकेली
चौराहे खड़ी
जंगल में शेरनी
बिल्कुल निर्भय
बेखबर
*********
अशोक कुमार ढोरिया



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नमन भावों के मोती
दिनाँक-09/10/2019
शीर्षक-अभियान
विधा-हाइकु


1.
टीकाकरण
विशेष अभियान
स्वास्थ्य के लिए
2.
वृक्षारोपण
उत्तम अभियान
पवित्र कार्य
3.
गाँव शहर
स्वच्छता अभियान
देश की शान
**********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर (झज्जर)
हरियाणा



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मन भावों के मोती
दिनाँक-05/10/2019
शीर्षक-हलचल , थिरकन
विधा-हाइकु


1.
छाए बादल
हलचल नभ में
ओझल रवि

2.
चाँदनी रात
हलचल दिल में
प्यार की बात
3.
आती बरखा
हलचल पेडों में
फूटी कोपलें
4.
नृत्य डांडिया
थिरकन पैरों में
संग साथिया
5.
मिले नयन
हलचल दिल में
संग प्रेमिका
**********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



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नमन भावों के मोती
दिनाँक-01/10/2019
शीर्षक-प्रतिभा
विधा-हाइकु


1.
ज्ञान विज्ञान
असंख्य प्रतिभाएं
प्रगतिशील
2.
प्रतिभाशाली
बैठते नहीं खाली
सृजनशील
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-23/09/2019
शीर्षक-लोहा , लौह
🙏🏻🌹🌷🌹🌸🙏🏻


ठंडा लोहा गर्म लोहे को काट देता है,
अमन हमेशा क्रोध को मात देता है
उग्रवाद को पनाह देना बन्द करो
ये मानव जीवन को बर्बाद कर देता है।
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-16/09/2019
शीर्षक-आम आदमी
विधा-हाइकु


1.
आम आदमी
पिसता है लाजमी
दुःख दर्द में
2.
आम आदमी
रोता मंहगाई को
बेरोजगार
3.
आम आदमी
रीढ़ लोकतंत्र की
वोट की शक्ति
4.
भाग्य का मारा
कैसे करे गुजारा
आम आदमी
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-11/09/2019
शीर्षक-पहली पाती, पहला पत्र
विधा-हाइकु


1.
पहली पाती
दो दिलों को मिलाती
प्यार बढ़ाती
2.
पहला पत्र
गणेश जी के नाम
किया प्रणाम
3.
पहला पत्र
हिंदुस्तान के नाम
देशभक्ति का
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-23/08/2019
शीर्षक-कान्हा से प्रीत
विधा -गीत


आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा
कृष्ण-कृष्ण तो सब गावै
मन मै कोय कोय ध्यावै।
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।

राधा तेरी सबसे प्यारी
उसको कंठ लगा जा
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा

राधा तेरी खड़ी बाट में
तेरे दर्शन की वो प्यासी
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।
दूध की मटकी लावै गुजरी
उसको फोड़ के तू जाना
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा ।
नाचै गोपी सारी बनके तेरी दासी
आजा रे कन्हैया बनके बृजवासी
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।
सारी गोपियाँ करै रासलीला
एक बै सिर मोरपंख लगाना
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।
मात यशोदा तनै बुलावै
माखन रोटी खा जा।
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।
भगतन तेरे सब अर्जी लावै
एक बै दर्शन देके जाना
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।
अशोक करै कविताई
वो प्रेम तै करै गाना
आजा आजा रे
आजा आजा रे
कन्हैया एक बै आजा।
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -05/08/2019
शीर्षक-बादल , मेघ
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आओ बाबा आओ बाबा
बादल बाबा आओ जी।
भादो बीता सावन बीता
इतना ना तरसाओ जी।
मोर पपीहा कोयल बोले
रिमझिम वर्षा लाओ जी।
सूखे पेड़ तप गई धरती
पानी लेकर आओ जी ।
🥀🥀🥀🥀🥀🥀
गड़गड़ गड़गड़ ढोल बजा के
हमें न बहकाना जी।
गर्मी से सब बेहाल हुए
छमछम पानी बरसाना जी ।
छोड़ रूठना आकर बाबा
धरा पर पानी बरसाओ जी।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
बरसने का न नाम लेते
बादल बाबा हैं रूठे जी ।
अंधाधुंध कटाई पेड़ों की
मानव धृष्टता पर हैं ऐंठे जी।
मानव के आज प्रयास सारे
बिना हरियाली हैं झूठे जी ।
बिन पेडों के जीवन रूखा
प्रदूषण सबको है लूटे जी ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
बादल बाबा बोले हमको
पहले पेड़ लगाओ जी ।
हरी भरी हो धरती सारी
बाग़ बगीचे लगाओ जी।
छोड़ अपनी स्वार्थ भावना
सबको गले लगाओ जी ।
हरी भरी हो धरती सारी
मिलकर पेड़ लगाओ जी।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-04/08/2019
विषय -कर बुरा,हो बुरा
विधा-लघुकथा


एक समय की बात है कि एक पहाड़ी पर एक साधु रहता था।उसके पास शिवाय एक कुटिया के कोई धन संपत्ति न थी। वह शिवाय दो वक्त की रोटी के कोई इच्छा न रखता था।

पहाड़ी की तलहटी पर बसी एक छोटी सी बस्तीसे भीक्षा मांगकर वह जीवन यापन करता था।वह हर रोज पाँच सात घरों से रोटी लेकर वापिस अपनी कुटिया में चला जाता था।

साधू का हर रोज भीक्षा मांगना एक औरत को पसंद नहीं आ रहा था।वह उस साधू से ईर्ष्या करने लगी।यहाँ तक कि उसने साधू को ज़हर देकर मारने की योजना बना डाली और रोटी में ज़हर मिला देती है।
संयोग से उस दिन वह साधू सबसे पहले उसी घर में चला जाता है। रोटी लेकर अपने पात्र में रख लेता है और छः सात घरों से रोटी लेकर वापिस अपनी कुटिया में चला जाता है। कुटिया में जाकर भोजन करता है।सात रोटियों में से दो रोटी बच जाती हैं।वह ज़हर वाली रोटी उन्हीं में थी क्योंकि वह सबसे नीचे थी।
रविवार का दिन था।बच्चों ने मिलकर पहाड़ी पर जाने का मन बना लिया था। पहाड़ी पर घूमते हुए बच्चे थक गए थे उन्हें प्यास भी लगी थी। वे उस साधू की कुटिया में पहुँच गए।बच्चे साधू से प्रणाम करते हुए बोले-"साधू जी, हमें प्यास लगी है और हम थक गए हैं।" साधू बोले-"आओ ! बैठो , विश्राम करो। पानी पीओ।" उनमें से एक बच्चा बोला-"साधू जी, मुझे तो भूख लगी है।" साधू ने कहा -"बेटे पात्र में दो रोटी रखी हैं, आनन्द से खाओ।" उस बच्चे ने रोटी खाई और चन्द मिनट बाद ही भगवान को प्यारा हो गया।उसके साथियों ने तुरंत बस्ती में जाकर यह घटना बताई।बस्ती से काफी लोग एकत्रित होकर साधू के पास गए ।
जैसे ही लोगों की भीड़ ने उस मृत बच्चे को देखा।उसी समय भीड़ में शामिल एक औरत चिल्लाने लगी-"हाय! ये क्या अनर्थ हो गया है। ये तो मेरा ही बेटा है।"
वह विलाप करते हुए कहती है-"साधू को मारने के लिए मैंने ही रोटी में ज़हर मिलाया था। मैं दूसरे का बुरा चाहती थी। मेरा ही बुरा हो गया।"
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-20/07/2019
शीर्षक-नटखट बचपन
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🙏🏻
बचपन के खेल निराले
गुल्ली डंडा आँखमिचौली।
उछलकूद हँसी खुशी से
खेले हम हमजौली।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
याद पुरानी सब बचपन की
अब भी मन में ताजा।
कहती अम्मा शाम हो गई
अब तो घर पर आजा ।
🥀🥀🥀🥀🥀🥀
बड़े प्यार से भर बाँहों में
कितने लाड दिखाती
लोरी देकर थपकी देकर
अम्मा मुझे सुलाती।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
चला थाम कर हाथ पिता के
पथ पर चलना सीखा।
प्रथम गुरु माँ बाप मेरे
जीवन का मिला सलीका।
🌸🌸🌸🌸🌸
खेल खेल में बनते बंदर
चलें चाल मस्तानी ।
बचपन तो बचपन था जिसमें
करते हम मनमानी।
🌷🌷🌷🌷🌷
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-18/07/2019
शीर्षक-चिराग
विधा-हाइकु


1.
बुद्धि चिराग
अज्ञानता मिटाए
उज्ज्वल मन
2.
सूर्य चिराग
उज्ज्वल आसमान
उगले आग
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



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नमन भावों के मोती
दिनाँक -17/07/2019
शीर्षक-संयुक्त
विधा -हाइकु


1.
विलुप्त हुआ
संयुक्त परिवार
स्नेह अपार
2.
संयुक्त रूप
बहरूपिया बना
शिव पार्वती
3.
शिव पार्वती
संयुक्त अराधना
मंगलकारी
4.
संयुक्त राष्ट्र
सहयोगी सबका
विश्व संसद
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-15/07/2019
शीर्षक-रात ,रजनी
विधा -हाइकु
1.
अंधेरी रात
टिमटिमाते तारे
लगते प्यारे
2.
छिपा सूरज
मुस्कराई रजनी
छाया अंधेरा
3.
बीती रजनी
छट गया अंधेरा
हुआ सवेरा
4.
शीतल रात
ठिठुरता चंद्रमा
तारों के साथ
5.
पूनम रात
धवल हुई धरा
खिली चाँदनी
6..
चंद्र किरणें
करती अठखेली
जल थल में
*************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -10/07/2019
शीर्षक-अकेला
विधा-हाइकु
1.
स्वप्न हमारा
लक्ष्य बिन अकेला
जीवन मेला
2.
अकेला भला
संग दुष्ट मीत से
झूठे प्रीत से
3.
छोड़ झमेला
मोह माया का मेला
चल अकेला
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


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नमन भावों के मोती
दिनाँक-10/07/2019
शीर्षक-प्यार,प्रेम, नेह
विधा-सायली
देखो
तस्वीर तुम्हारी
दिलाती याद पुरानी
दिल कोठरी
प्यारी
रणक्षेत्र
मौन पड़े
प्रेम के बाण
दिल तरकश
स्तब्ध
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -09/07/2019
शीर्षक-परवाह , चिंता
विधा-हाइकु
1.
माँ की चिंता
बेरोजगार बेटा
गुजारा कैसे
2.
चिंता है भारी
आतंक महामारी
समाधान क्या
3.
चिंता विषय
बढ़ती जनसंख्या
ढूंढो उपाय
4.
चिंता कारण
जवान हुआ बूढा
जीना बेहाल
5.
जीना दूभर
भ्रष्टाचार कारण
चिंता मन में
6.
सफेद बाल
चिंता की है निशानी
पिचके गाल
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -08/07/2019
शीर्षक-सौभाग्य , दुर्भाग्य
विधा-हाइकु
1.
सौभाग्यशाली
सहनशील नारी
पत्नी हमारी
2.
सौभाग्यशाली
मांग भरे सिंदूर
सुहाग वास्ते
3.
बढ़ता नशा
दुर्भाग्य नहीं तो क्या
भटका युवा
4.
गरीब स्वप्न
टूट गया पल में
बना दुर्भाग्य
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन मंच
दिनाँक-07/07/2019
शीर्षक-बंधन
भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार सब पुकारें
उपचार करे न कोय
मिला नहीं है जब तक उनको
बन बैठे हैं बेचारे
तुम्हीं बताओ आज हमें
कौन हैं अछूते
रिश्वत लेते जो पकड़ा जाए
रिश्वत देकर ही वह छूटे
तुम्हीं बताओ आज हमें
कौन से बंधन टूटे ।
स्वच्छ वायु चाहिए सबको
पेड़ लगाए न कोय
खाँसी, टीबी, दमा, कैंसर
तोड़े जीवन के बंधन ।
प्यार प्रेम गहरा था
बैठा करते इकट्ठे
आज किसी को वक्त नहीं
कौन सी रेलगाड़ी है छूटे ।
तुम्ही बताओ आज हमें
कैसे ये बंधन टूटे ।
पानी पानी सब पुकारे
सदुपयोग करे न कोय
त्राहि त्राहि खूब मचेगी
पानी कहाँ से लाएंगे
पेट्रोल पंप की तर्ज पर
पानी पंप देख पाएंगे
तुम्ही बताओ आज हमें
कौन से बन्धन टूटे ।
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -06/07/2019
शीर्षक-सहारा
विधा-हाइकु
1.
डूबते वक्त
तिनके का सहारा
मिला किनारा
2.
बनो सहारा
तन मन धन से
दुःख दर्द में
3.
ऊँची उड़ान
विज्ञान है सहारा
जोश हमारा
4.
दिव्यांग व्यक्ति
बैसाखी है सहारा
मन न हारा
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -05/07/2019
शीर्षक-सफर आसान होता
छोटा सा थैला लेकर
जरूरी सामान लेकर
चलते सोच समझ कर
सफर आसान होता।
रुकने की व्यवस्था हो
वहीं रात्रि ठहराव हो
खाना पीना साथ हो
सफर आसान होता।
वहीं पर महफ़िल हो
गाना और बजाना हो
तालियों की आवाज हो
सफर आसान होता।
सावन का महीना हो
रिमझिम बरसात हो
ठंडी हवा चलती हो
सफर आसान होता।
खूबसूरत दृश्य हो
हाथ में कैमरा हो
अधर पे मुस्कान हो
सफर आसान होता।
भीड़ चाहे भारी हो
गुंडागर्दी ना हो
लूटखसोट ना हो
सफर आसान होता।
खाना चाहे हल्का हो
पानी स्वच्छ शीतल हो
प्रदूषण का नाम न हो
सफर आसान होता।
दिलों में प्यार हो
सहयोग भावना हो
सच्ची इंसानियत हो
सफर आसान होता।
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -02/07/2019
शीर्षक-अधिकार,हक
विधा-हाइकु
(द्वितीय प्रस्तुति)
1.
हक हमारा
भ्रष्टाचार मिटाना
कर्त्तव्य प्यारा
2.
बेटी का हक
पैतृक संपत्ति में
संवैधानिक
3.
सद कर्त्तव्य
अधिकार न छीनों
एक दूजे का
4.
सबको मिले
शिक्षा का अधिकार
एक समान
5.
आज़ादी वास्ते
अधिकार को लड़े
वीर जवान
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -02/07/2019
शीर्षक-अधिकार
*********
छोटा सा पौधा खड़ा,
भर रहा है आहें,
बड़ी कठिन है जिंदगी,
मेरी जीने की राहें।
मेरा भी बढ़ने का ,
आज पूरा है अधिकार,
फिर मानव क्यों करता है
मेरे पनपने का बहिष्कार।
मानव का भी कर्त्तव्य है
जाने मेरे भी अधिकार।
जीने की मुझे स्वतंत्रता दे दो
ले लो चाहे तुम सारी।
पर्यावरण शुद्ध रखने की
जिम्मेदारी है हमारी।
पेड़ों को बचाने की
समझदारी है तुम्हारी।
ले अधिकार ,कर्त्तव्य निभायें
है समझदारी हमारी।
**************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -01/07/2019
शीर्षक-वजह, कारण
वजह बताओ आज कैसे हुआ यहाँ आना
आए हो कुछ पाने को लेकर जरूर जाना।
फूल सा ये कोमल हृदय दे रहा हूँ तुझको
अपना मुझे बनाने को प्रेम से गले लगाना।
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक-30/06/2019
स्वतंत्र लेखन
विधा-लघुकथा
**********
रेगिस्तान में बसा एक बहुत बड़ा शहर अपनी ईमानदारी, रहन सहन ,भाईचारे के तौर तरीकों से आस पास के लोगों में मिसाल बना था।न कोई आपस में लड़ाई झगड़ा करता था औऱ न ही कोई नशे की लत का शिकार था।
लेकिन दुर्भाग्य की बात ,एक लाख की आबादी वाला शहर होते हुए भी मूलभूत सुख सुविधाओं से वंचित था।शहर में न कोई पार्क था न पानी की समुचित व्यवस्था थी।
एक बार चुनाव के दौरान वोट लेने को वहाँ एक नेता आया और उसने शहर के लोगों से वादा किया कि "आप लोग मेरे हाथ मजबूत करो मैं पूरे शहर के लिए पानी का प्रबंध व बहुत सारी सुविधाएं मोहिया करवाऊँगा।"शहर के लोगों ने नेता जी की बात पर विश्वास करते हुए एकजुटता का परिचय देते हुए सारे वोट उसके पक्ष में डाले।
सुयोग कि वह नेता चुनाव जीत गया। चुनाव जीतते ही वह शहर में धन्यवादी दौरा करने लोगों से रूबरू हुआ और उसी दिन से शहर की मूलभूत सुविधाओं पर अमल करना शुरू कर दिया।पाँच साल में शहर की तस्वीर बदल गई।शहर में पीने के पानी के साथ साथ खेतों में नहरी पानी भी मिल गया। उस नेता की बदौलत रेगिस्तान नैसर्गिक सौंदर्य में बदल गया। वहाँ कोयल कूकने लगीं।
शहर के लोगों ने अगले चुनाव में भी उसी नेता को एकतरफा वोट डालकर पुनः जीता दिया।नेता शहर की एकता, ईमानदारी की मिसाल पर खुश था।
शनै शनै राजयोग का नशा ,एक दिन उस नेता के दिमाग में आया कि शहर के लोगों की इतनी बड़ी एकजुटता कभी न कभी मेरे लिए खतरनाक सिद्द हो सकती है।यदि किसी कारणवश ये लोग मुझ से नाराज हो गए तो मेरी जमानत ज़ब्त कर सकते हैं। तो क्यों न इन्हें जातिवाद ,धर्म, सम्प्रदाय में विभाजित कर दिया जाए।
इस सोच के साथ नेता ने वहाँ एक बाग़ लगवा दिया और उसमें एक धार्मिक स्थल बनवा दिया और इसमें कुछ जातियों के प्रवेश
पर कुछ शर्त बना दी और कहा कि दूसरी जाति के लोगों के लिए भी जल्दी ही अलग से सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
नेता की इस सोच के परिणाम स्वरूप शहर के लोग जातिवाद और धर्म के शिकार हो गए। लोग एक दूसरे से लड़ने लगे।उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगों पर अत्याचार करने लगे।भाईचारे की मिसाल धूमिल होने लगी।अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण नेता ने श्याम , दाम, दंड, भेद की नीति से भाईचारे की मिसाल बने समाज को तबाह कर दिया।प्यार प्रेम भरे नैसर्गिक सौंदर्य के बाग़ में नफ़रत का पौधा रोप दिया।
************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -29/06/2019
शीर्षक-फासले, दूरी
विधा-हाइकु
1.
बढ़ाती दूरी
गरीबी, मजबूरी
बेरोजगारी
2.
घटती दूरी
बढ़ते संसाधन
विज्ञान धूरी
3.
रिश्तों में दूरी
जर, जोरू, जमीन
मन मुटाव
4.
कम है दूरी
मन मत हारना
मंजिल पाना
5.
विरह काल
अखरते फासले
दिल है रोता
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-27/06/2019
शीर्षक-परिवर्तन
🙏🏻🌺🌹🌷🌸🥀🙏🏻
पगार कम थी तो महगांई कम थी।
पगार बढ़ गई तो महगांई बढ़ गई
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
सीमित साधन थे इच्छाएं छोटी थी
साधन बढ़ गए इच्छाएं बढ़ गई
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
आपसी तालमेल था तब मीडिया नहीं था
मिडिया है तो लोगों में आपसी तालमेल नहीं है
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
मन मुटाव कम थे तो रिश्ते गहरे थे
मन मुटाव बढ़े तो रिश्तों में दूरियाँ बढ़ गई
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
तकनीक कम थी तो खर्च कम था
तकनीक बढ़ी तो खर्च बढ़ गया
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
जब जोश था तब होश नहीं था
अब होश है तो वो जोश नहीं है
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
जब हिम्मत थी तब साधन नहीं थे
अब साधन हैं तो हिम्मत नहीं है
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
जब कागज़ था तब लेखनी नहीं थी
अब लेखनी है तो कागज़ नहीं है
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
जब अमन चैन था तब धन नहीं था
अब धन हैं पर अमन चैन नहीं है
फिर परिवर्तन क्या हुआ ?
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स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -26/06/2019
शीर्षक-इंद्रधनुष
विधा-हाइकु
1.
काली घटा पे
सजकर आ बैठा
इंद्रधनुष
2.
बादल संग
अंबर भरे रंग
इंद्रधनुष
3.
प्यारी रंगोली
कुदरत के रंग
इंद्रधनुष
4.
वर्षा स्वागत
आया इंद्रधनुष
ऊँचे गगन
5.
लक्षण रेखा
बना इंद्रधनुष
वर्षा के बाद
6.
काली बदरी
माँग भरा सिंदूर
इंद्रधनुष
7.
काली बदरी
इंद्रधनुषी रंग
बनी दुल्हन
8.
देखने दौड़े
प्यारा इंद्रधनुष
लुप्त हो गया
9.
रंग बिरंगा
इंद्रधनुष बना
गगन सजा
10.
बरखा बाद
बना इंद्रधनुष
हर्षित धरा
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -25/06/2019
शीर्षक-मोबाइल, फोन
विधा-हाइकु
1.
रिश्ते हैं मौन
भूल गए कायदे
याद है फोन
2.
फोन है मेरा
एकमात्र सहारा
मितवा प्यारा
3.
आएगा फोन
सुन पाएगा कौन
बंद पड़ा है
4.
न जाने कौन
अपना बनाने को
दे गया फोन
5.
अकेली खड़ी
फोन इंतजार में
मेरी प्रेमिका
6.
एकांत भला
मोबाइल हाथ में
दिन व रात
7.
सावन मास
मटकाएंगे बात
फोन है पास
8.
तस्वीर तेरी
देखी मेरे फोन में
मन भा गई
9.
कब से खड़ी
थक गए नयन
फोन लगाओ
10.
कब आओगे
फोन पर बताओ
क्या क्या लाओगे
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -24/06/2019
शीर्षक-तपिश
विधा-हाइकु
1.
बढ़ी तपिश
प्रचण्ड हुए सूर्य
पेड़ सहारा
2.
ज्येष्ठ महीना
बढ़ गई तपिश
बेहाल काया
3.
तपिश शांत
रिमझिम बारिश
सावन मास
4.
बढ़ी तपिश
बेहाल हुए पेड़
आई बारिश
5.
शीतल जल
काबू करे तपिश
जिंदगी तर
6.
सूखे तालाब
तपिश हुई तेज
झुलसे पेड़
7.
बढ़ी तपिश
मुरझा गए पेड़
लू का प्रकोप
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -22/06/2019
शीर्षक-गवाह, सबूत
विधा-हाइकु
1.
झूठे सबूत
बने रस्सी का साँप
इंसाफ़ मौन
2.
वक्त गवाह
भूख और गरीबी
सपने स्वाहा
3.
सृष्टि हँसती
सबूत चाँद तारे
खिली चाँदनी
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक-21/06/2019
शीर्षक-योग, स्वास्थ्य
विधा-हाइकु
1.
स्वास्थ्य आधार
योगा व प्राणायाम
शुद्ध आहार
2.
पौष्टिक भोग
नित्य करना योग
स्वास्थ्य संयोग
3.
योग आसन
बिन पैसे की दवा
निरोगी हवा
4.
करके योग
कमाओ स्वास्थ्य धन
रहो निरोग
5.
अनोखी माया
योग से स्वास्थ्य पाया
निरोगी काया
6.
असाध्य रोग
होते रफ्फूचक्कर
निदान योग
7.
इक्कीस जून
विश्व योग दिवस
स्वास्थ्य प्रतीक
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक-20/06/2019
शीर्षक-दर्पण, आइना
विधा-हाइकु
1.
मेघ दर्पण
छपा इंद्रधनुष
सुंदर दृश्य
2.
सुंदर छटा
कुदरती आइना
इंद्रधनुष
3.
सूर्य दर्पण
चमकाता जग को
सृष्टि सेवक
4.
कटते पेड़
प्रदूषण आइना
देखते लोग
5.
चाँद दर्पण
प्रतिबिंब धरा का
गगन चढ़ा
6.
श्रम अर्पण
परिणाम दर्पण
लक्ष्य साकार
7.
साहित्य प्रेमी
समाज का दर्पण
कवि लेखक
8.
खाकर धोखा
दिखाते हैं आइना
वोटर लोग
9.
रिश्वतखोरी
भ्रष्टाचार आइना
क्या मजबूरी
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-19/06/2019
शीर्षक-किनारा, तट
विधा-हाइकु
1.
छोड़ दो नशा
जिंदगानी किनारे
बदलो दशा
2.
उठा तूफान
टकराई लहरे
समुद्र तट
3.
धोखे ने तोड़े
प्यार के तटबन्ध
प्यारे सम्बन्ध
4.
राम भरोसे
रहते बेसहारा
नदी किनारे
5.
नाव सहारे
आते हैं मछुआरे
रोज किनारे
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-18/06/2019
शीर्षक-पदक
विधा-लघुकथा
बिटिया अनायास ही मेरे दिमाग को झकझोर कर देने वाला सवाल पूछ उठती है। पापा ; इस धरती पर इंसान की तादात दिन प्रतिदिन सुरसा राक्षसी के मुख की तरह बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद धरती पर वनस्पति, वन्य जीव जन्तु विलुप्त होते जा रहे हैं।कई प्रजातियां तो नष्ट होने के कगार पर हैं।इसका क्या कारण है पापा ?
' बिटिया, इसका कारण इंसान ही है ।
इंसान अपने स्वार्थ वश कुदरत को मुट्ठी में लेकर सारे नियम कायदे ताक पर रख देता है ताकि वह कुदरत से बड़ा होने का तमगा ( पदक) भी स्वयं ले सके।
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -17/06/2019
शीर्षक-नीयत
विधा-हाइकु
1.
गंदी नीयत
खोटी इंसानियत
बढ़ाती कष्ट
2.
कोसते रिश्ते
बदहाल नीयत
बढ़ती दूरी
3.
बुरी नीयत
परिणाम बर्बादी
जाने आबादी
4.
छल कपट
पतन का कारण
गंदी नीयत
5.
ओच्छी नीयत
मार खाए निश्चित
अपनाए क्यों
6.
झूठ बोलना
दूजे घर झाँकना
गंदी नीयत
7.
भली नीयत
दुल्हन ही दहेज
छोड़ो लालच
8.
अच्छी नीयत
खुशहाल भारत
बनाए नेता
9.
बढाओ हाथ
पाओ सबका साथ
सच्ची नीयत
10.
सद नीयत
कुचलो भ्रष्टाचार
छोड़ो आतंक
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -16/06/2019
शीर्षक-पिता, पितृ
विधा-हाइकु
1.
प्रेम झरना
आसमान से ऊँचा
पिता का दिल
2.
पिता दीपक
संस्कारों का उजाला
राह दिखाता
3.
संस्कारी पिता
नेक राह चलता
आदर पाता
4.
पिता सूरज
परिवार ब्रह्मांड
मर्यादा धूरी
5.
पिता नाविक
परिवार की नैया
पार लगाता
6.
भाग्य का साया
पिता का आशियाना
सर्वत्र छाया
7.
करू वंदना
आदर्श बने पिता
सुख दुःख में
8.
पिता सागर
वात्सल्य का गागर
स्नेह उड़ेले
9.
पिता हमारा
हर सुख दुःख में
बना सहारा
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक -12/06/2019
शीर्षक-चक्रव्यूह
विधा-हाइकु
1.
चोर लुटेरे
रचते चक्रव्यूह
दिन व रात
2.
अधूरा लक्ष्य
जीवन चक्रव्यूह
मंजिल कहाँ
3.
मासूम बेटी
फँसी चक्रव्यूह में
बचाए कौन
4.
फँसा है चेला
अशिक्षा चक्रव्यूह
उबारे गुरु
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन भावों के मोती
दिनाँक-11/06/2019
शीर्षक-घर
विधा-हाइकु
1.
घर की शान
पहचाने बिटिया
मान मर्यादा
2.
अमूल्य धन
दो घरों का चिराग
शिक्षित बेटी
3.
बेघर हुए
नदी किनारे बसे
गरीब लोग
4.
बर्फ का घर
हिमालय पर्वत
भारत ताज
5.
बेघर किए
सुनामी लहरों ने
हज़ारों लोग
6.
खुला आकाश
गरीबी मजबूरी
घर अपना
7.
फूस झोपड़ी
गरीब का सपना
सुंदर घर
8.
सूखे पोखर
तड़फती मछली
हुई बेघर
9.
माँ का जिगर
वात्सल्य परिपूर्ण
प्यार का घर
10.
बिजली घर
गाँव और शहर
हैं जगमग
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -08/06/2019
शीर्षक-नीम
विधा-हाइकु
1.
कड़वा नीम
उपचार निराले
स्वस्थ्य बनाए
2.
नीम निम्बोली
नियामत हजार
दवा पोटली
3.
नीम की छाया
विश्राम करने को
पथिक आया
4.
निरोगी होता
काश मैं नीम बोता
स्वास्थ न खोता
5.
नीम हक़ीम
जीवन खिलवाड़
जादू टोटके
6.
नीम का पेड़
गुणकारी पत्तियाँ
रोगनाशक
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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दिनाँक-06/10/2019
शीर्षक-देवी माँ


प्यारी -प्यारी रे वाटिका तेरी प्यारी।
न्यारी -न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

संकट हरणी झोली भरणी, दुर्गे तेरा सहारा
दर्शन दे के आज ज्वाला, कर उद्धार हमारा ।
थारी -थारी रे मेहरबानी थारी ।
न्यारी-न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

56 भोग बना के माता, तेरी ज्योत जलाई
मांग सिंदूर श्वेत साड़ी तेरे तन पे सजाई ।
तैयारी-तैयारी रे करें तेरी तैयारी ।
न्यारी-न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

कृपा करो हे मात भवानी, अर्जी तेरी लगाई
मन्नत पाने को माता, रात तेरी जगाई ।
प्यारी-प्यारी रे वाटिका तेरी प्यारी ।
न्यारी-न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

चौबीस घंटे लगी रहे, तेरे दरश की आसा
एक बे मन्नत पूरी कर दे, मैं तेरे चरण का दासा।
प्यारी-प्यारी रे वाटिका तेरी प्यारी ।
न्यारी-न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

करने को कृपा माता, एक बे घर पे आना
अशोक करे कविताई, वो करे प्रेम से गाना ।
प्यारी-प्यारी रे माता मेरी प्यारी ।
न्यारी-न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

नेक नीति से भगतन आवै, करै गाना बजाना
म्हारी भी सुन लो मैया, दर्शन दे के जाना ।
ध्या री ध्या री रे , प्रजा तनै ध्या री ।
न्यारी-न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।।

नौ दिन तक होते भंडारे, लगता आना जाना
भजन कीर्तन करते नर-नारी, बन माँ के दीवाना ।
छा री छा री रे, धूम तेरी छा री ।
प्यारी -प्यारी रे वाटिका तेरी प्यारी
न्यारी -न्यारी रे शान तेरी न्यारी ।
*************
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
दिनाँक-11/09/2019
शीर्षक-पहली पाती, पहला पत्र

विधा-हाइकु

1.
पहली पाती
दो दिलों को मिलाती
प्यार बढ़ाती
2.
पहला पत्र
गणेश जी के नाम
किया प्रणाम
3.
पहला पत्र
हिंदुस्तान के नाम
देशभक्ति का
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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विधा-हाइकु

1.
अपने साथी
न हों विश्वासघाती
मार्गदर्शक
2.
कृष्ण सुदामा
बचपन के साथी
खेले साथ में
3.
जीवन साथी
बनते हिमायती
इक दूजे के
4.
कलम साथी
बढाती रिश्ते नाती
लिखती पाती
5.
मित्र का साथ
व्यवहार की बात
पसंद मुझे
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


विधा -हाइकु

1.
करके काम
फुरसत के पल
मिलेंगे कल
2.
काव्य करते
बैठ फुरसत में
साहित्य प्रेमी
3.
भागदौड़ में
फुरसत किसको
व्यस्त जीवन
4.
मूर्ति गणेश
फुर्सत से बनाई
मूर्तिकार ने
5.
मिली फुर्सत
बच्चे लगे कमाने
खिला जीवन
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा





विधा-हाइकु

1.
बुद्धि परीक्षा
नकल रहित हो
निगरानी में
2.
हुआ विकास
बुद्धि का परिणाम
नव विज्ञान
3.
दिमागी खोज
बनाई ब्रेल लिपि
अंधों के लिए
4.
हे शारदे माँ
दे सदबुद्धि हमें
राह दिखा दे
5.
हे दुष्ट पाक
हो जाएगा बर्बाद
भ्र्ष्ट बुद्धि से
**********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
विधा-हाइकु

1.
दिल है प्यासा
भँवरे ने तलाशा
प्रेम पराग
2.
उड़े पराग
सुगंधित धरती
बौराए बाग
3.
कर्म का फल
जीवन मकरंद
बने सफल
4.
पी के पराग
मदमस्त भँवरे
गाते हैं राग
5.
मधुर मधु
मकरंद फूलों का
पीते भँवरे
6.
पुष्प पराग 
भँवरे गाए राग
उपवन में
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
मिले मंजिल
उसूलों पर चल
जीवन भर
2.
सत्य, अहिंसा
सिद्धांत गांधी जी के
बने अमर
3.
झूठे उसूल
पतन का कारण
अपनाएं क्यों
4.
अच्छे उसूल
अतिथि देवो भव
सोच हमारी
5.
नेक सिद्धांत
आदर्श सनातन
प्यारी संस्कृति
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)

हरियाणा


शीर्षक-उपकार
विधा-हाइकु

1.
सृष्टि करती
उपकार अनेक
निःस्वार्थ भाव
2.
सपूत बेटा
भूले न उपकार
माता पिता का
3.
गुरु व चेला
मानते उपकार
सरस्वती का
4.
पति व पत्नी
उपकारी जीवन 
निभाते साथ
**********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


शीर्षक-अवसर , मौका
विधा-हाइकु

1.
बड़ी मूर्खता
अवसर गवांना
व्यर्थ बैठना
2.
अच्छी लगती
विवाह के मौके पे
मीठी गालियाँ
3.
आता जरूर
जीत का अवसर
ले के खुशियाँ
4.
देख के मौका
चोर और लुटेरे
डालते डाका
5.
दुल्हन मिली
सफलता पाकर
खुशी का मौका
6.
शिक्षा का मौका
नहीं देता ये धोखा
बड़ा अनोखा
7.
जीवन मौका
दिया भगवान ने
हर जीव को
8.
किसको मिला
अवसर जीने का
संघर्ष बिना
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा




विधा-हाइकु

1.
कैसे बचाएं
आज युवा पीढ़ी को
टूटते रिश्ते
2.
युवा जागृति
ये औद्योगिक क्रांति
देश प्रगति
3.
बेटी पढ़ाओ
युवा हाथ बढाओ
बेटी बचाओ
4.
युवा संसार
तकनीकी सुधार
आस अपार
5.
नशे की लत
युवाओं की आफत
जीवन नष्ट
6.
युवा संसार
रेडियो कार्यक्रम
सब सुनते
7.
युवा संदेश
हरा भरा हो देश
सृष्टि बचाओ
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
मिली खबर
सेना हुई तैनात
आतंकी ढेर
2.
मिला तमगा
फोटो अखबार में
बहादुरी का
3.
बांटी मिठाई
खबर नौकरी की
मिली बधाई
4.
बना शिक्षक
मिली आत्म संतुष्टि
खुश खबर
5.
लाते खबर
समाज का आइना
ये अखबार
6.
तड़पे दिल 
पहुँचा दो खबर
प्यारे पिया को
7.
झूठी खबर
फैलाती अफवाह
भ्रमित लोग
8.
रेडियो मेरा
सुनाता समाचार
देश विदेश
9.
लीक न करो
खबर सुरक्षा की
देश हित में
10.
मीडिया मौन
खबर विदेश की
बताये कौन
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



शीर्षक-फैसला
विधा-हाइकु

1.
फैसला होगा
राम मंदिर पर
सहमति से
2.
सही फैसला
खुश पक्ष विपक्ष
सुरक्षा पर
3.
फैसला आज
किसको मिले ताज
इंतज़ार है
4.
कैसा फैसला
जब बढ़े विवाद
न हो संवाद
5.
हुआ फैसला
पति और पत्नी में
ले के तलाक
6.
लिया फैसला
प्रकृति की सुरक्षा
वृक्षारोपण
7.
नेक फैसला
स्वच्छता अभियान
सहयोग से
8.
बजा नँगाड़े
सुनाते थे फैसला
दरबार में
9.
अच्छा फैसला
सहमति सबकी
मिलता न्याय
10.
फैसला लेंगे
सोच समझकर
भ्रष्टाचार पे
11.
करो फैसला
आतंकवाद पर
सोच विचार
12.
सही चुनाव
फैसला आप पर
वक्त की मांग
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
मर्यादा खोते
देश के नेता आज
वोट को रोते
2.
कोई न आया
आज हाथ अपना
वो काम आया
3.
आस पर ही
आसमान थमा है
जग जीवन
4.
संगीत सूत्र
सा रे गा मा पा धा नी
सीखो हे मित्र
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
स्वार्थ हमारा
सब कुछ है पैसा
दोस्ती किनारा
2.
डूबती नैया
पार लगाओ भैया
दूर किनारा
3.
नदी किनारे
कौन है निहारता
फैली गंदगी
4.
बनो सहारा
अवगुण किनारा 
दीन दुःखी का
5.
पार्क किनारे
चलते हैं फव्वारे
खिलते फूल
6.

बैठे किनारे
अठखेली पानी से
खेलते बच्चे
7.
भटक रास्ता
बिन पतवार के
कैसा किनारा
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा





विधा-हाइकु

1.
प्यार ने जोड़े
दो दिल अनजान
धोखे ने तोड़े
2.
खाकर धोखा
भटका पथ से
कौन है जीता
3.
चुनावी वादे
हर पाँच साल में
बनते धोखा
4.
भारत स्तब्ध
पुलवामा का धोखा
मलते हाथ
5.
पेड़ काटना
प्रदूषण फैलाना
खुद को धोखा
6.
नशा करना
अनपढ़ रहना
जीवन धोखा
***********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
रंग गुलाल
हुड़दंग होली का
सने हैं गाल
2.
फागुन मस्ती
रंग जबरदस्ती
चहके बस्ती
3.
हँसी ठिठौली
रंग बिरंगी होली
फ़ाग की मस्ती
4.
सबकी गोरी
खेले संग में होरी
रंग में सनी
5.
बृज की गोरी
उड़ा रंग गुलाल
खेलती होरी
6.
रंग बरसे
भीगे चुनर वाली
खेलो रे होली
7.
होली के रंग
रंगेंगे तन मन
प्यार के रंग
8.
होली के रंग
बिन प्यार प्रेम के
हैं बदरंग
9.
ठुमके गोरी
लगाकर गुलाल
फागुन होली
10.
रंगों की होली
बदलते दौर में
अकेली खेली
11.
उड़ा गुलाल
चेहरा हुआ लाल
लाल ही लाल
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा -हाइकु

1.
होली सन्देश
बढ़ाओ भाईचारा 
छोड़ दो द्वेष
2.
शिक्षा अधूरी
करते मजदूरी
क्या मजबूरी
3.
छूटती नहीं
लिखने की आदत
हाथ कलम
4.
बिन शीर्षक
कोशिश लिखने की
अच्छे हाइकु
5.
व्यस्त बहुत
काम की अधिकता
आज के दिन
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
फूटा अंकुर
मातृभूमि प्यार में
देश भक्ति का
2.
प्यार अंकुर
प्रस्फुटित दिल में
सींचा प्रेमी ने
3.
शिक्षा अंकुर
मिटाके अज्ञानता
पाता मंजिल
4.
सुप्त अंकुर
लेने हवा प्रकाश
उठा आकाश
5.
प्यारा अंकुर
उठा भर उमंग
नभ छूने को
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
कृष्ण कन्हैया
बृज का जादूगर
माखन चोर
2.
कृष्ण बाँसुरी
दिखाती है जादू
संग गोपियाँ
3.
कलम जादू
साहित्य जगत में
लगाती चाँद
4.
जादू चलाय
चितचोर कन्हैया
राधा रिझाय
5.
जादू दिखाएं
अधर कन्हैया के
ये बाँसुरियाँ

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



1.
बर्फबारी ने
लेकर करवट
ठंड बढ़ा दी
2.
पूर्वा हवा ने
बरसाया बादल
ली करवट
3.
बदल गया
मिजाज मौसम का
ले करवट
4.
कटती नहीं
लेकर करवटें
विरही रातें
5.
विरही रातें
बदलें करवट
प्रेमी याद में
6.
भाग्य भरोसे
करवट तलाशें
परीक्षा फल
7.
सावन मास
करवट प्यार की
पिया मिलन
8.
पल में प्यार
लेकर करवट
बैर भूलाता
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा -हाइकु

1.
आकर मेघ
करते झमाझम
खूब बरसे
2.
पवन कुंभ
आया मेघ बन के
लेकर जल
3.
उड़ा गुलाल
बादल हुआ लाल
होली के दिन
4.
बादल संग
अंबर भरे रंग
इंद्रधनुष
5.
काले मेघों पे
सजकर आ बैठा
इंद्रधनुष
6.
मेघ बुलाने
उठते स्वागत को
प्यासे पादप
7.
ताकते मेघ
वर्षा इंतज़ार में
प्यासे दादुर

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



दिनाँक-10/03/2019
स्वतन्त्र लेखन
विधा-लघुकथा


बिटिया अनायास ही मेरे दिमाग को झकझोर कर देने वाला सवाल पूछ उठती है। पापा ; इस धरती पर इंसान की तादात दिन प्रतिदिन सुरसा राक्षसी के मुख की तरह बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद धरती पर वनस्पति, वन्य जीव जन्तु विलुप्त होते जा रहे हैं।कई प्रजातियां तो नष्ट होने के कगार पर हैं।इसका क्या कारण है पापा ?


' बिटिया, इसका कारण इंसान ही है ।

इंसान अपने स्वार्थ वश कुदरत को मुट्ठी में लेकर सारे नियम कायदे ताक पर रख देता है ताकि वह कुदरत से बड़ा होने का तमगा भी स्वयं ले सके।

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा -हाइकु

1.
दौलत ले लो
लोटा दो बचपन
खिलौने दे दो
2.
बिन पैसे के
रहते हैं निर्धन
आलसी लोग
3.
अमूल्य धन
प्रकृति संसाधन
नष्ट न कर
4.
मन की सोच
बदलती धन से
है निसंकोच
5.
मिलती नहीं
बचपन की यादें
धन पोटली
*******
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा




1.
सुंदर मूर्ति
गढ़ी भगवान ने
नारी रूप में
2.
सुंदर नारी
फूलों से लदी डाली
लगती प्यारी
3.
प्यार नारी का
उपेक्षाओं से नहीं
दिल से होता
4.
घर में नारी
बच्चों की किलकारी
होती है प्यारी
5.
चार दीवारी
कैद हुई वो नारी
बन बेचारी
6.
घर में नारी
खिलती फुलवारी
शोभा निराली
7.
नारी सम्मान
करे न अपमान
देश महान
8.
प्रथम नारी
सृष्टि की फुलवारी
सोच हमारी
9.
धरा पे नारी
कुदरती रचना
सबसे प्यारी
10.
घर में नारी
बहुत जरूरी है
खेल में पारी
11.
घर की शोभा
सहनशील नारी
फूलों की क्यारी
12.
हैं वीरांगना
ये भारतीय नारी
युद्ध भूमि में
13.
वो वीरांगना
लड़ी थी लक्ष्मीबाई
रण क्षेत्र में
14.
आठ मार्च को
है महिला दिवस
नारी सम्मान
********
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



बचपन से वो मेरी साथी थी
लगती मुझे बहुत अच्छी थी
न उसको रूठना आता था
न मुझको रूठना आता था।

मैं उसके बिना बेचैन रहता
वह रहती बेचैन मुझ बिना
गहरा मुझसे उसका नाता था
मैं उसके बिना न रह पाता था।

जब मैं पढ़ने बैठ जाता था
वह चुपके चुपके आ जाती
खिड़की दरवाजे ताक झाक
मुझसे मिलने को वह आतुर।

वह किसी से न डरती थी
सिवाए मेरे पिता प्यारे से
देख पिता को मेरे कक्ष में
वह रफूचक्कर हो जाती थी।

पिता मेरे के जाते ही वह
आ जाती मेरे शयनकक्ष में
मुझे भी बहला लेती थी वो
तुरन्त साथ सुलाने के लिए।

शायद आप जानना चाहते हैं
वह कौन थी बता ही देता हूँ
वह और कोई नहीं थी दोस्तों
वह मेरी प्यारी प्यारी नींद थी।

अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा -हाइकु

1.
सच्ची श्रद्धा से
करें शिव पूजन
शिव हाजिर
2.
प्रथम पूजा
शिव पुत्र गणेश
कार्यसिद्धि को
3.
ये जटाधारी
ले नाग विषधारी
बम लहरी
4.
रुद्राक्ष माला
पहन मृगछाला
शिव तांडव
5.
शिव रिझाय
बेलपत्र चढाय
नमः शिवाय
6.
त्रिनेत्रधारी
महादेव सबके
कल्याणकारी
7.
भंग का घोटा
शिव को पसन्द था
छाल लंगोटा

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.
मौन पड़े हैं
दिल तरकश में
प्रेम के बाण
2.
नाजुक दिल
संभाल के रखना
टूट न जाए
3.
छोड़ चली तू
दिल दिया ही क्यों था
तड़फाने को
4.
तुम्हें पाने को
सपने संजोय थे
सच्चे दिल से
5.
रोता अकेला
जीना दूभर हुआ
तेरी याद में

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा




विधा -हाइकु

1.
सरहद पे
करते रखवाली
वीर जवान
2.
तिरंगा झंडा
सरहद पोस्ट पे
शान देश की
3.
पैनी नजर
सरहद पोस्ट पे
रहते योद्धा
4.
ये सरहद
इंसान ने बनाई
बीच दीवार
5.
देश की रक्षा
जिम्मेदारी हमारी
सरहद पे
6.
खेत किसान
सीमा पे जवान
देश की शान
7.
आतंकी पाक
सरहद पार से
रोके आतंक

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा





विधा-हाइकु

1.
पवन पुत्र
करें सबके काम
जय श्रीराम
2.
पवन पुत्र
ले आया संजीवनी
राम का भक्त
3.
मीठी सुगंध
उड़े संग पवन
हर्षित मन
4.
ठंडी पवन
सुहावना मौसम
मिटाए उष्म
5.
पवन संग
दौड़ पड़े बादल
बरसने को

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु

1.

खतरनाक
परमाणु प्रहार
प्रलयंकारी

2.

पुरानी चोट
बढ़ाती परेशानी
मन में खोट

3.

सिर में चोट
गम्भीर दुर्घटना
यादास्त खोयी

4.

लूट खसोट
दूषित समाज में
गहरी चोट

5.

दिल की चोट
सालती उम्र भर
प्यार खो कर

6.

अंतिम वार
अनुशासनहीन
शांति पे भारी

7.

आतंकवाद
खिलवाड़ देश पे
गम्भीर चोट
------

स्वरचित

अशोक कुमार ढोरिया

मुबारिकपुर(झज्जर)

हरियाणा



1.
मुँह बोलते
मन के उदगार
चित्रकला में
2.
रेत के घर
बनाता कलाकार
कला मिट्टी की
3.
रेत के घर
कला बचपन की
आज भी याद
4.
बादलों बीच
अठखेली करती
ये चंद्र कला
5.
अक्षर ज्ञान
सदगुरु पढाते
कला विज्ञान
6.
खुश रहना
पत्नी को समझाना
एक कला है
7.
शांत रहना
मूर्ख को समझाना
एक कला है
8.
कद्र कला की
शिल्पकार करता
रूप देकर
9.
स्वाद बढ़ाते
माहिर हलवाई
पाक कला में
10.
होनी चाहिए
कोई न कोई कला
सबके पास
11.
कला विचित्र
बनाता कलाकार
पानी पे चित्र

अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


विधा-हाइकु

1.

अंत निश्चित
जीवन सुनिश्चित
फिर चिंता क्यों

2.

अंतिम हद
तोड़ दी आतंक ने
पुलवामा में
3.
सब्र का अंत
पुलवामा में हुआ
बदला लेंगे
4.
अब करेंगे
हरगिज करेंगे
खात्मा पाक का

5.

सच्ची मुहिम
आतंक के खिलाफ
सभी चलाओ

******

स्वरचित

अशोक कुमार ढोरिया



विधा-हाइकु

1.

अंधेरे मार्ग
दीपक के सहारे
चलता गया
2.
शहीद बोला
एकमात्र सहारा
भारत प्यारा
3.
शहीद हुए
माँ के प्यारे लाडले
छूटा आसरा
4.
आँखों के तारे
भारत माँ के प्यारे
वीर हमारे
5.
हाथ लकुटि
दुर्बल का सहारा
डर भगाए
6.
आटा व दाल
निर्धन का सहारा
वक्त की रोटी
7.
बना सहारा
वृद्धावस्था पेंशन
वृद्ध लोगों का
8.
आँखों का तारा
पिता का इकलौता
बना सहारा
9.
हर देश का
जवान ही आसरा
सच्चा सेवक
10.
बिन आसरा
जीवन है नीरस
सब शून्य है

11.

बन आसरा
अनाथ बालक का
पालो जीवन

12.

पुलवामा में
बेटा हुआ शहीद
खोया आसरा

**********

स्वरचित

अशोक कुमार ढोरिया

मुबारिकपुर(झज्जर)

हरियाणा



विधा-हाइकु

1.

उठो भाइयो
मानवता के लिए
मिल के चलो

2.

ये पाकिस्तान
बनेगा कब्रिस्तान
आतंकियों का

3.

आंतक भारी
मानवता है हारी
उपाय सोचो

4.

ये पाकिस्तान
बर्बाद हो जाएगा
कुकृत्यों से

5.

छि ! पाकिस्तान
ये ओच्छी हरकत
मानवता पे

6.

हे दुष्ट पाक
करले यत्न लाख
बनेगी राख

7.

कोसों दूर है
सच्ची मानवता से
ये पाकिस्तान

8.

हुआ अमन
पथ मानवता का
लहू लुहान

9.

हे दुष्ट पाक
कौन करेगा माफ
बनेगी राख

10.

माँ की गोद में
मानवता पलती
लाड चाव से

********

स्वरचित

अशोक कुमार ढोरिया

मुबारिकपुर(झज्जर)

हरियाणा


विधा-हाइकु

1.
प्रतीक बना
वतन की आबरू
तिरंगा झंडा
2.

भारत माता
दुःखी , आतंकियों से
तनावग्रस्त
3.
भारत मेरा
तन मन में बसा
देश निराला
4.
आफत बना
पुलवामा हमला
साजिस पाक
5.
नहीं घटेगी
शक्ति हिंदुस्तान की
पाक कुत्तों से

अशोक कुमार ढोरिया
स्वरचित








विषय-हाइकु

1.

दें श्रद्धाजंलि
शहीदों की कुर्बानी
नमन करें

2.

देश की आन
पुलवामा में ढेर
प्यारे शहीद

3.

मुरझा गए
पुलवामा घाटी में
खिले प्रसून

4.

शहीद हुए
वीर जवां हमारे
देश के लिए

5.

दे गए ज़ान
बने देश की शान
वीर शहीद

6.

भीगे नयन
कोटि कोटि नमन
उदास मन
*******
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विधा-हाइकु


1.

ओ मूर्तिकार
मिट्टी को दे आकार
मूर्ति बनाओ
2.
मूर्ति मिट्टी की
मूर्तिकार बनाता 
रूप अनेक
3.
मिट्टी को पूजा
दिल से शहीदों ने
देश के लिए
4.
पहली वर्षा
महक उठी मिट्टी
फूटे अंकुर
5.
आई बरखा
कोमल हुई मिट्टी
फूटे अंकुर
*******

अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा



विषय-स्वतन्त्र
विधा-हाइकु

बसंत आती
किसलय संग में
असंख्य लाती

गुल खिलाता
बसंत इतराता
उपवन में

महक उठा
आँचल शारदे का
प्यारा बसंत

संगीत देवी
सदबुद्धि दायिनी
सरस्वती माँ

स्तुति करती
वीणावादिनी माँ की
आम की डाली

अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)


विधा-हाइकु

1.
संस्कार होते
घर की दहलीज
मान मर्यादा
2.
घर की शोभा
दहलीज बताती
मौन बनके
3.
भूखा भिखारी
दहलीज पे खड़ा
रोटी आस में
4.
सज जाती है
घर की दहलीज
कन्या जन्म से
5.
रह जाती है
कवारी दहलीज
बिन कन्या के

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)




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