Wednesday, April 17

"हृदय"15अप्रैल 2019

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                                           ब्लॉग संख्या :-359





मंच को नमन🙏
दिनांक-15/04/2019
शीर्षक-"हृदय"
विधा- कविता
***********
    ❤*माँ का हृदय*❤

माँ का हृदय होता विशाल,
इसमें होता प्यार ही प्यार |

हृदय की हर एक धड़कन,
बच्चों में डालती है जान |

अपनी खुशी से पहले माँ,
बच्चों के लिये सोचे कईं बार |

बच्चों की खुशी में खुश रहती,
माँ का हृदय इतना विशाल |

जब मैं होती हूँ परेशान,
माँ ही समझती मेरे भाव |

हृदय से जब मुझे वो लगाती,
सारी परेशानी छुमंतर हो जाती |

सबको मिले ममता की छाँव,
यही सबका होता अरमान |

   स्वरचित *संगीता कुकरेती*

नमन मंच
आज का विषय-हृदय
विधा-छंद मुक्त

"विशाल हृदय"

फैलाता प्रकाश धरा पर
रवि नित।

बिखेरता चंद्र भी छटा अपनी
चाँदनी संग।

है टिमटिमाते हैं तारें भी
सप्तर्षि संग।

हैं दौड़ लगाते आसमान में ग्रह
स्वर्ग स्थान भी है अंतरिक्ष में

है बादल,बिजली का
घर भी वहाँ।

कितना #विशाल_हृदय
है अंतरिक्ष का।

कितना कुछ करता है बिन बोले
फिर भी दम्भ नहीं भरता।

कुटिल चाल चलकर
मनु तेरी तरह।

 सीखो अंतरिक्ष से तुम भी
 मौन रहकर भी बहुत कुछ करना।

रचनाकार:-
राकेशकुमार जैनबन्धु
गाँव&पोस्ट-रिसालियाखेड़ा,
सिरसा,हरियाणा


सुप्रभात"भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन,🌹
सभी सदस्यों को बांग्ला नव वर्ष की हार्दिक बधाई,एवं शुभकामनाएं💐💐
15/04/2019
   "हृदय"
1
हृदय रोग
मृत्यु को निमंत्रण
उच्च स्पंदन
2
शब्दों के वाण
हर लेते हैं प्राण
हृदयाघात
3
पवन पुत्र
हृदय बसे राम
भक्ति अपार
4
हृदय गति
सदैव संतुलित
स्वास्थ्य शरीर
5
वसा जमाव
हृदय अवरोध
कर निरोध

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल


नमन मंच
"भावों के मोती"
15/4/2019
विषय-ह्रदय

तुम्हारा यूँ मुझे ,
कनखियो से देखना
देख कर
आँखो में बिजली की  चमक का कौंधना
 ज़ेहन में  आना अपने आप
फिर ख्यालो में
 मंद- मंद मुस्कुराते हुए
आँखे  बंद कर बैठ गए तुम
अचानक
तुमने थाम लिया
अपने ह्रदय को
बहुत तेज़ गति
से स्पंवित होने लगा तुम्हारा ह्रदय
तेज़ी से खून दौड़ने लगा धमनियों में
इतना तेज आह निकल गयी मुँह से
फिर उठे खुद को
पाने के लिए
दुनिया से लड़ने
क्यों है ये लड़ाई  ?
जबकि तुम वहीं हों अपने आप में
क्योंकि 
मैं वहीं हूँ
उस ह्रदय में
मैं वहीं हूँ तुम्हारे भीतर कहीं ,
 बस महसूस करो और पा लो
क्योंकि प्यार एक अहसास है ,
बसा है ह्रदय में जैसे मैं....बसी हूँ
तुम्हारे ह्रदय में ...और तुम मेरे ।
       स्वरचित
       अंज़ना सक्सेना
        इंदौर .(म.प्र.)

खिताब
सुनो,तुम्हारी खामोशी या चुप्पियों को जब
एक एक करके खोलता हु,मैं अपने
आपसे भी बस उसी वक्त बोल लेता हूँ....
कईं बार कहता हूं दिल को ,
चलो अब भूल भी जाये तुमको
हर बार यही कह देता है मेरा  दिल
ये बात तुम दिल से ही नही कहते....
चलो मेरे न हो सके तो कुछ ऐसा ही कर दो
जैसा पहले था मैं  , मुझे वैसा ही कर दो
क्या करूँ जख्म का भी मेरे,जब जब मरहम
लगाता हु आग ही लग जाती है ,आग ही लग
जातीं है...
तूने जो जला एक रात उसे चिराग कह दिया
जल रहा हैं कामेश बरसो से ,उसे कोई नाम ,
कोई खिताब ,कुछ भी तो नही,
कुछ भी तो नही??????
कामेश की कलम से
15 अप्रैल 2019
दिल को हृदय के समकक्ष मानते हुए प्रेषित की है
पटल विषय के अबुकुल न हो तो हटा दीजिएगा

नमन सम्मानित मंच
        (हृदय)
         ****
मृदुभाव  और  संवेदन  होते,
  मृदुल  हृदय  में  तनिक  कहीं,
    प्रिय से शुचि प्रियतम हो जाता,
      वश   में   होती   निखिल  मही।

सागर सी गहराई उरतल की,
  प्राप्य  सहज  भावों  के  मोती,
     सुख-दुख  प्रतिछाया  में शुचि,
         मानव   नयना  हँसती   रोती।

हृदयहीन   होते   यदि  मानव,
  चेतन पुतले से  विचरण करते,
    होता अभिशाप सरीखा भूतल,
       स्नेहामृत   को   सदा   तरसते।

ऊर्जा की अविरल धाराऐं शुचि,
  स्पंदित    होतीं    धड़कन    में,
    जीवन   प्राण   सभी   संरक्षित,
       प्राप्य  चारु  भगवान  हृदय में।
                              --स्वरचित--
                                 (अरुण)

15अप्रैल2019
    हृदय
नमन मन्च।नमस्कार
गुरुजनों,साथियों।
हृदय में बसा लो बस एक नाम।
सबसे प्यारा नाम श्री राम।

सुबह,शाम करो यही काम,
बस भज लो,
नाम श्री राम।

भवसागर से पार करेंगे वही,
जो भजन कर लोगे।

चिंता,फ़िक्र छोड़ दे प्राणी,
बस भज लो यही नाम,
सबसे प्यारा नाम श्री राम।

स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी

♥ हृदय ♥

हृदय अब निराशाओं से भरे हैं
लोग आज अपनों से ही डरे हैं ।।

संवेदनाएं हृदय की मर चुकीं
रिश्तों के अब अकाल पड़े हैं ।।

कहने को रिश्ते दिख रहे हैं पर
वो दिल से कम दिमाग से चले हैं ।।

इंसान को समझना अब मुश्किल
हर एक दूसरे की समझ से परे है ।।

हृदय इंसान को इंसान से जोड़ता
हृदय बिना इंसान रोबोट से दिखे हैं ।।

जितनी तरक्की उतनी ही गर्त में गये
माँ बाप से पूछो जो वृद्धाश्रम में बसे हैं ।।

कांतिहीन चेहरा बता ही देता 'शिवम'
हृदय के हाल अब अच्छे नही बुरे हैं ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 15/04/2019

🌹नमन भावों के मोती🌹
भक्ति रचना मन ह्दय से प्यासी हूँ
~~~~`
मैं अभिलाषा 
कान्हा तेरी
प्रीत  मे कितनी 
पागल  हूँ।

दूर  रही ज़ितना 
तुझसे  मैं उतनी  ही 
मे व्याकुल हूँ।

तुम  कही ओर 
मगन  हों  कान्हा
अपनी  ही
बाँसूरी की तान मे |
बड़े  रसिक हों
प्यारे  कान्हां
मधूर धुन के "
गुन गान मे |

फुरसत मिले तो '
 देंना  तुम
नज़रों  का "नजराना
तेरे  ही मन ह्रदय  की
बेचेंनीं हूं कान्हा
मैं एक "चाहत से भरी
उदासी हूँ।

मैं अभिलाषा 
कान्हा 'तेरी 
प्रीत  की कितनी
प्यासी   हूँ।

मैं एक लगन  हूँ
तेरे  मन की ' कान्हा
तुम हो मानोहर "
चित चौर 
हों "  माना

पर
अधर  मधुर के  हे
मुरली  वाले,
मानोंहर छवि से मन
हरने वाले |

जीत कर  तुम
मेरी लगन हरादो
हारने  कीं
 मैं अभिलाषी  हूँ |

मैं अभिलाषा  कान्हा
तेरे नयनन की'
कितनी प्यासी  हूँ
मेअभिलाषा कान्हा तेरी **

P rai rarhi

नमन भावों के मोती ,
आज का विषय , हृदय ,
दिन , सोमवार ,
दिनांक  , 15 ,4 , 2019 ,

पंचतत्व  से   निर्मित   ये  तन ,
स्पंदित  होता  है  धड़कन  से  |
भाव  वेदना  ऑसू  व  मुस्कान ,
जाग्रत  हृदय  ही  करता  मन से |
सदा  कोमलता का  यही प्रवाहक ,
होता  जीवन  का संचार  हृदय  से |
एहसासों  की  जो  दुनियाँ  सुदंरम्  ,
महसूस  होती  है  हमें  हृदय  से |
हमारा  जो भी है ये  जीवन  दर्शन ,
संग्रहित  होता  है  इसी  हृदय  से |
बन   गया  है   खिलौना  ये  आज ,
युग  जुड़  गया  है  अब  मशीन से |
भौतिक  जीवन  बन  गया है प्रधान ,
तारतम्य  अब  नहीं  रहा है  हृदय से |
देखते ही  नहीं  हैं  लोग  अब ये दिल ,
रिश्ता  सीधा  जुड़  गया  है  जेब  से |
हमें  बाँधकर रखा है जिसने अब तक ,
सदा ही डोर  वो  जुड़ती  है  हृदय  से |
बोझ  अधिक  न  पड़े  इस  दिल  पर ,
अब  अपनापन  हम  जोड़ें  हृदय  से |
माना प्रगति बहुत कर लिया है विज्ञान ,
कब तक साँसें चलेंगी कृत्रिम हृदय से |
खिला रहे  हमारा  जग  का  ये कानन ,
संसार  को  सुगंधित  करें हम हृदय से |

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,

1भा.15/4/2019/सोमवार,
बिषयःःः #हृदय#
विधाःःःकाव्यःःः

हृदयाभिनंदन हृदयपटल से,
जय जय जय हे श्रीरघुनंदन।
यहां सभी खुशहाल रहें हम,
दीनदयाल प्रभुश्री का वंदन।

हृदय  हुआ कलुषालय मेरा।
घिरा मोह ये हृदयालय मेरा।
उज्जवल करें रामजी इसको,
ये दिलदार बने देवालय मेरा।

है तन गोरा मन मैली छाया।
हाड मांस की उजली काया।
जब जीवन मरण तेरे हाथ में,
क्यों चिपकी ये गंदली माया।

जनजन होय हृदय प्रफुल्लित।
वातावरण हो  जाऐ कुसुमित।
प्रस्फुटित हो सौहार्द  हृदय में,
प्रभु प्रेमपुष्प होंय पल्लिवित।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी

#हृदय #काव्यः ः
1भा.15/4/2019/सोमवार


नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक    हृदय
विधा     लघुकविता
15 अप्रैल  2019,सोमवार

मरूमरिचिका सा घूमे नर
हरि दर्शन नित पाने को
हरि बसते हैं सदा हृदय में
वह अधीर प्रतिमा लाने को
        हृदय जीवन की गति होती
        मन दर्पण आकर्षित करता
        भक्तिभाव से ओतप्रोत हो
        पर कष्टों को नित वह हरता
सदसँस्कारित पावन हिय में
करुणा स्नेह समर्पण बसता
निज कर्त्तव्य करता जनहित
सदा हँसाता स्वयं भी हँसता
          हृदय दूरियां सदा मिटाता
          आलम्बन दुखियों को देता
          संघर्षों से नहीं घबराता वह
          परहित शिव विष पी लेता
पावनमय हृदय के अंदर
भावों के भगवान विराजे
राग द्वेष अभिमान दूर से
नित मनमोहन हिय में राजे
        गङ्गा से पावनमय हिय में
        छल कपट दम्भ न होते
        जीवन के इस भवसागर में
        सुख शांति नित खाते गोते
पर आत्मा होती परमात्मा
दीनदुःखी के आंसू पोंछो
दयावान हृदय भावना से
करुणामय चिंतन  सोचो।।
स्व0रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

दिल को हम बेकरार रखते हैं।
पर हसरतें  बे-शुमार रखते हैं।

दिल की  बैचनियां  कहें क्या।
कैसे  हम  इख्तियार रखते हैं।

तोड  देता  है  वो  हरेक वादा।
फिर भी हम  ऐतबार रखते हैं।

पा ही लेते हैं  मंजिलें आखिर।
वो  जो  सब्रो-करार  रखते हैं।

यूँ  मै  शक नहीं  किया करता।
ये  लोग  धोखे में यार रखते हैं।

कैसे उनसे हो मुहब्बत 'सोहल'।
वोह  तो  शर्ते  हजार  रखते  हैं।

                      विपिन सोहल


भावों के मोती
15/04/19
विषय शीर्षक हृदय

हृदय पटल पर
आ जाओ तुम कविता बन।

जीवन आंगन में रुनझुन रुनझुन
पायल बन छनको बस तुम
आ जाओ तुम कविता बन।

सूनी सांझ, खग लौटे नीड़ों में
  कलरव बन छा जाओ तुम
आ जाओ तुम कविता बन।

संतप्त"हृदय"एकाकी मन उपवन
सोम सुधा रस बन बरसो तुम
आ जाओ तुम कविता बन।

शब्द भाव अहसास बहुत है
अर्थ  बन सज जाओ तुम
आ जाओ तुम कविता बन।

निश्छल मन के कोरे सर सलिल में
कमलिनी बन खिल जाओ तुम
आ जाओ तुम कविता बन।
 स्वरचित।
             कुसुम कोठारी ।


🙏मंच को नमन🙏
आदरणीय गुरूजन को नमन
🙏🙏🌹🙏🙏
विषय-हृदय(१५-४-१९)
विधा-तांका

1 चातक पक्षी
  स्वाति बूँद है चाह
  क्यूँ छेड़ती हो
  हृदय अब मेरा
  बरसो मेरे लिए !!

2 रूपसी तुम
  हृदयाघात देती
  कटीले नैन
  मौन रहूँ हमेशा
  बताओ कब तक !!

3 सोन चिरैया
  मेरी बिटिया रानी
  हृदय बसे
  जब हंसती वह
  कोना कोना महके !!
👧स्वरचित👧
  सीमा आचार्य(म.प्र.)


आज का विषय ,हदय,
गजल पेश है साथियों,
अकेला आपने रहने दिया कब,
हृदय में और को बसने दिया कब।।1।।
उजालों की डगर देखी नहीहै,
अंधरों ने मुझे चलने दिया कब।।2
बिठाये सर्व था  अधरों पे पहरे,
मुझे कुछ आपने कहने दिया कब।।3।।
घृणा और द्वैष की इन आंधियों ने,
दीया सद्भाव का जलने दिया कब।।4।।
लिखा है भाग्यमें रोना रूलाना,
नियति नेआज तक हंसने दिया कब।।5।।
स्वरचित देवेन्द्र नारायण दासबसना।।
आज मोबाइल ने परेशान कर डाला भाईयों, एक शेर से लिखाथा।बाद में फिर भेजा हूं।शुभमध्यान्ह।।


नमन भावों के मोती
विषय- ह्रदय
विधा -लघुकविता

 ह्रदय की गंगोत्री से निकली,
भाव भरी सरिता निर्मल।
निश्छल मन की धवल धार,
बह चली करती कल कल।।

कविजन करें रसास्वादन,
शव्द शव्द पावन जल कण।
शीतल, निर्मल,उज्ज्वल,
शान्त ह्रदय हो जाये ततछण।।

रचनाकार
जयंती सिंह


नमन भावों के मोती
शीर्षक--हृदय
दिनांक--15-4-19
विधा ---दोहे
1.
सदा प्रशंसा शहद सी, मन की मधुर  सुवास।
खुली हृदय तारीफ से, पाते स्वप्न उजास ।।
2.
हृदय हृदय से बात हो , पड़े कभी नहीं गांठ ।
जीवन खुशियों से भरा, मधुर सुखद हों ठाठ ।।
3.
कर सकता है हृदय ही , भली बुरी पहचान।
सहयोगी हैं शेष सब, आंखें हों या कान ।।
4.
हृदय ठहाके चाहता, हँसी भरे आनन्द
आप हँसे तो दिल हँसे,मिटते सारे द्वंद ।।
5.
लिफ्ट छोड़ सीढ़ी चढ़ें, घूमें सुबहो शाम ।
योग करें,छोड़ें वसा, रुकें न 'दिल' के काम।
6.
मिठाई चॉकलेट अरु, डेरी आइसक्रीम ।
घी,ट्रांस्फेट खाय से, फेल हृदय की ' थीम'।।

******स्वरचित*******
     प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र)451551


नमन मंच को
दिन :- सोमवार
दिनांक :- 15/04/2019
शीर्षक :- हृदय

संवेदनाओं के ज्वर लिए..
आकांक्षाओं के भंवर लिए..
उत्कंठाओं से ऊब चूका..
हृदय पट पर आघात लिए..
जिंदगी नहीं सहज इतनी..
चंद सांसें ही महज जितनी..
सुख-दुख के ही हस्ताक्षर है..
काटो इसे कट जाए जितनी..
हृदय में रुदन चीत्कार है..
भावनाओं का समग्र उद्गार है..
जी ले हरपल जीवन संतोषी..
वही जीवन अब साकार है..
हृदय पट पर पर्दा न डालो तुम..
अपना विवेक जगा लो तुम..
मिटा लो अंतर्द्वंद अंतर्मन के..
जीवन से प्रीत लगा लो तुम...

स्वरचित :- मुकेश राठौड़..


नमन मंच
15-04-2019
हृदय
हृदय में कैद कुछ मृदुल भाव
कंप गौण अधर मौन शब्दाभाव
निगाहें पुलक पलक निर्निमेष
हृदय-स्पंद छंद संप्रेषित संदेश
माध्यम निर्दय-हृदय प्रतिहारी
भावहीन भाव लिए अति भारी
अपितु जोड़े धन पुरजोर प्रबंध
स्थापना-विपन्न स्नेहिल संबंध
हृदयबद्ध हृदय उद्भव ज्वार
तरंग विधि बैरी बंध प्रतिकार
साथी भ्रमित भाथी अंगीकार
धक-धक धौंकनी उष्ण अंगार
घन-चोट सघन किए लौहकार
हुलस-छिन्न हृदय में हाहाकार
-©नवल किशोर सिंह
       स्वरचित


दिनांक-15/04/2019
दिन-सोमवार
शीर्षक-हृदय
विधा-दोहे

शांत विवेकी जन हृदय,सदा विराजें राम
मुस्काते  जीवन  कटे , पूरण  होते  काम।

हृदय मिले आघात गर,बुरा न मानें संत
जैसी करनी जो करे,वैसा उसका अंत।

धीरज धारें जो सदा , हृदय नही उत्ताप
क्रोध जलाता स्वयं को,बढ़ता जाता ताप।

हृदय रहे व्याकुल सदा,जिसमे भरे विकार
निद्रा नहीं आती उसे ,बढ़ता जाता ज्वार।

जर्जर होता जिस्म है,खत्म हो रही साँस
हृदय विराजे राम अब ,पूरी होगी आस।

~प्रभात
 स्वरचित


तिथि 15/ 4/19
विधा - छंद मुक्त
विषय - हृदय

न कोई सन्ताप हृदय में
न कोई व्याकुलता घेरे
मन्द समीर बहे जीवन में
आनन्दित हों मन के घेरे
हृदय न टूटे वाण चुभे न
मन में कण्टक शूल चुभे न
सीधी सच्ची मन की बातें
खुश हो कर मैं सबसे बांटू
मन सागर के मोती सारे
खुशियाँ सीपी सबमें बाँटू
ईश भक्ति से मन आपूरित
पावन निर्मल हृदय हमारा
प्रभु मम हृदय सिंहासन साजे
भक्तिमय संसार हमारा
कोमल दर्पण कभी न टूटे
नाजुक ये संसार हमारा
हृदय भाव न किंचित टूटे
बहती जाए निश्छल धारा
हस्त लेखनी चलती जाए
बहती रहे हृदय रस धारा

सरिता गर्ग
स्व रचित


15/4/19
भावों के मोती
विषय - हृदय
🌼🌼🌹🌼🌼
जय जय जय बजरंग बली की
हर लो विपदा प्रभू हम सबकी
हृदय में केवल एक ही नाम
जय जय जय जय हनुमान
अंजनी पुत्र तुम बदन विशाला
पवनपुत्र प्रभू केसरी के लाला
जय बोलो श्री हनुमान लला की
आरती गाएं तेरी करो कृपा जी
श्रीराम जी के भक्त तुम प्यारे
हाथ जोड़ हम खड़े तेरे द्वारे
जय जय जय बजरंग बली की
हर लो प्रभू विपदा हम सबकी
भूत प्रेत तुमसे थर-थर कांपे
नाम सुनत सब डर के भागे
करे आराधना सकल जग तेरी
सुन लो प्रभू विनती भक्तों की
सूर्य को लीला जैसे फल जानकर
फेंक दो बुराई को भी जड़ से उखाड़
शांति का हो फिर से साम्राज्य
ले आओ प्रभू फिर से रामराज्य
ले जाओ संदेशा श्री राम के नाम का
बोलो फिर आकर करें अंत रावण का
बुराई का मिट जाए नामोनिशान
जय जय जय जय वीर हनुमान
हृदय में सियाराम की छवि बसाए
हनुमत राम के प्रिय भक्त कहलाए
राम नाम भक्त सुमिरन करलें
उस पर कृपा हनुमान जी करते
करलो सच्चे मन से आराधना
विघ्न दूर कर देंगे हनुमाना
जय जय जय बजरंग बली की
हर लो विपदा प्रभू हम सबकी
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित ✍


नमन भावों के मोती
15/4/2019::सोमवार
विषय,--हृदय,हिया
विधा-- पद

मोरे हिय मा बसौ घनश्याम!!
कर वंशी मुस्कान अधर पर,, मोहक ललित ललाम
मोर मुकुट कटि काछनि साजै,नैनन छवि अभिराम
चरण-धूल मस्तक पर राखूँ, मैं वृन्दावन धाम
निरख रहूँ बस तोरा मुखड़ा,और न कोई काम
छमछम छम बरसति ये अँखियाँ, सरस् बहै अविराम
नयन मूँद बैठूँ चरणन महि, देउ मोहि विश्राम
                                रजनी रामदेव
                                    न्यू दिल्ली


नमन 'भावों के मोती '
शीर्षक- हृदय
15/04/19
सोमवार
मुक्तक

हृदय में अरमान केवल राष्ट्र-भक्ति।
लक्ष्य एक महान केवल राष्ट्र-भक्ति।
और कुछ संसार  में  सोंचा नहीं है -
धर्म  व  ईमान  केवल  राष्ट्र-भक्ति ।

विस्मृत  कर  सारी  कटुताएँ।
छोड़   हृदय  की   दुर्बलताएँ।
भर  नूतन  उल्लास  हृदय में-
वर्तमान    का   रूप  सजाएँ|

स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर


हृदय
🎻🎻🎻

छोटा सा हृदय सागर से गहरा
इसमें ही त्रिलोकी रहता है ठहरा
पर हम उसे कहाँ ढूँढ पाये
जन्मों के जन्म हमने यूँ ही गँवाये।

निर्मल मन जन सो मोहि पावा
राम कहते वे उसे ही देते बुलावा
किन्तु हम तो करते छलावा
प्रपंचों में हो जाता उनका भुलावा।

सब ग्रन्थ कहते हृदय को साधो
वरना रहोगे तुम मिट्टी के माधो
समर्पण की महिमा बहुत ही है न्यारी
शान्त हृदय से फिर उसको आराधो।

हृदय में भरा है सारा ही मैला
इसलिये  ही दिखता झमेला झमेला
गन्दा है बहुत ये कर्मों का थैला
षणयन्त्रों का रोज़ ही निकलता है रैला।


नमन मंच  भावों के मोती
15/04/19
 विषय     हृदय
***
तुम बिन ऐसे जिये जैसे
सांसो के आने जाने के क्रम मे
निर्जीव धड़कता हुआ  हृदय ।
प्रेम के एहसासों से
भरा रहता था जो हृदय
विरह अग्नि में जलता हुआ
अकुलाहट ,बेचैनी से भरा हृदय ।
हृदय वेदना तुमसे कैसे कहे
तुम्हारी छवि को हृदय में समाए
तुम्हारी यादो के गहरे साये
बेकाबू हृदय की धड़कन बढ़ाये
लेखनी उदास शब्द रूठे है
विचार विरहणी बन बैठे है।
प्रिये अब आ जाओ
तप्त हृदय को तृप्त करो ।
अब तुम आ गए हो  तो
नाड़ियों का स्पंदन  दे रहीं
प्रमाण मेरे धड़कते हृदय का।

स्वरचित
अनिता सुधीर


रुग्ण हृदय
गाढ़ा हो गया रक्त
पीला शरीर।।

हृदयाघात
था उच्च रक्तचाप
रहें सतर्क।।

धड़का दिल
गर्भ में भ्रूण पुष्टि
मिला जीवन।।

टूटा हृदय
संतान व्यभिचारी
बड़ी बीमारी।।

भावुक


नमन भावों के मोती
दिनाँक -15/04/2019
शीर्षक-हृदय
विधा-हाइकु

1
दहेज प्रथा
हृदय विदारक
बनी कुप्रथा
2
खुश हृदय
मिलन की आस में
खड़ी प्रेमिका
3
स्वस्थ हृदय
शुद्ध पर्यावरण
निरोगी काया
4
प्यार के मोती
हृदय की सीप में
चमक उठे
5
भावों के मोती
भा गए हृदय को
दैनिक कार्य
6
पवित्र रिश्ते
हृदय में बसते
कभी ना टूटे
7
सुस्वागतम
हृदय से आभार
आप सभी का
8
माँ का हृदय
अथाह समुद्र सा
प्यार से भरा
9
माँ की ममता
हृदय में समाई
करुणामय
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


नमन भावों के मोती
विषय -ह्रदय
🌹🌹🌹🌹

तुमको पाकर अपने तीर ,
ह्रदय की पिघली पीर
अंखियों से बह निकली
हाय कलेजा चीर ।
क्षोभ सब बह गया
बनकर नैनों  का नीर
तुमको पाकर अपने तीर
मन का छूटा धीर ।
मैं भी बन बैठी
ज्यों  रांझा की हीर
तुम मेरे सुंदर स्वप्नों की तस्वीर ।
मैं इश्क की बन गई नज़ीर
मेरी तकदीर बनी
तुम्हारे हाथों की तहरीर ।
तुम्हारी मुस्कान बनी
मेरे पैरों की जंजीर ।
तुमको पाकर अपने तीर
तुमको पाकर अपने तीर ।

(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई  (दुर्ग )


नमन् भावों के मोती
15/4/19
विषय हृदय
विधा हाइकु

नाड़ी बताती
हृदय का स्पन्दन
स्वस्थ शरीर

स्वस्थ हृदय
जीवन का रहस्य
मानव तन

प्रेम आधार
हृदय धड़कन
जीवन सार

मृदुल भाव
हृदय का स्वभाव
नयन नीर

प्रभु हृदय
भवसागर पार
जीवन सार

विरहाग्नि में
हृदय तड़पता
प्रिय की याद

माता हृदय
वात्सल्य का सागर
पूरा संसार

मनीष श्री
रायबरेली
स्वरचित

नमन मंच को
विषय : ह्रदय
दिनांक : 15/04/2019
विधा : कविता

तो क्या बात थी

प्यार में कोई न रोता
तो क्या बात थी।
इश्क ह्रदय से होता,
तो क्या बात थी।
वो अपने बने पर,
दिल से नहीं ।
जैसे रिश्तों को ढोते
यहां हैं सभी।
होता कोई न मुखौटा
तो क्या बात थी।
इश्क ह्रदय से होता,
तो क्या बात थी।
बात मन की ही होती
गर जुबां पर।
इश्क बदनाम होता न
यूं जहाँ पर।
मैं भी बेचैन सोता,
तो क्या बात थी।
इश्क ह्रदय से होता,
तो क्या बात थी।
अब किसका करें हम,
फिर से भरोसा ।
जब हमराज अपना ही,
दे जाए धोखा।
दर्द सपनों में ही होता
तो क्या बात थी।
इश्क ह्रदय से होता,
तो क्या बात थी।

जय हिंद
स्वरचित : राम किशोर, पंजाब ।


नमन मंच
दिनांक .. 15/4/2019
विषय .. हृदय
विधा .. लघु कविता
**********************
....
सुप्त हृदय मे पुनः प्रेम का, अंकुर फिर फूटा हैं।
वर्षो बाद वो बिछडा साथी, रस्ते मे जो मिला हैं।
....
भूल रहा था जिन यादों को, फिर से झिझोरा हैं।
मन के दर्पण मे फिर छाया, सुन्दर सा मुखडा हैं।
...
हर वो लम्हें गुजरे पल की, आँखों के आगे हैं।
मन की सब कडवी बातों का, अब ना कुछ मतलब है।
...
सोच रहा हूँ क्यो झूठे अपमान का डंका पीटा।
मधुर सुनहरी यादों मे क्यो, कडवाहट को घोला।
...
मतभेदों को मनभेदों मे, बरबस ही क्यो बदल दिया।
शेर की कविता पूर्ण हुई ना, उसे अधूरा छोड दिया।
...
सम्बन्धों के पुनः समागम, पर कविता पूरी होगी।
तिमिर मिटेंगा जो मन का, तब ये रचना पूरी होगी।
...
घने कोहरे के छंटते ही, सुर्य उदित हो जायेगा ।
हृदय मे भाव पुराने थे जो, सामने वो आ जायेगा।
...

स्वरचित एंव मौलिक
शेर सिंह सर्राफ


प्रस्तुति 01

15 अप्रैल 2019

" हृदय "

हृदय किसी शरीर में रक्तसंचार का पम्प होता है

यह हर जीवित प्राणी में आवश्यक रूप से ये होता है

इसके जन्म से मृत्यु तक लगातार पूर्ण क्षमता से चलने पर ही

व्यक्ति का जीवित बने रहना संभव होता है

हृदय का इतना महत्व है कि इसके स्वस्थ रखने पर विशेष ध्यान रखना होता है

तम्बाकू गुटका शराब और सिगरेट इसे प्रभावित करने में सक्षम होता है

इसी लिये अपने हृदय को बचा कर रखिये

अपने जीवन को लंबा और निरोग ही रखिये

(स्वरचित)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव


नमन🙏
विषय-हृदय
विधा-लघु कविता

    'हृदय'

चकित हूँ मैं,
क्या पाषाण मनुष्य का हृदय,
कोमल होता है!!
क्या पाषाण हृदय ,
कोमल मनुष्य में होता है!!!

अनुचित है ये मेल,
विचित्र है ये खेल।

पर...देखा है मैंने,
कैसे कोमल नर पाषाण हृदय में,
पाषाण नर कोमल हृदय में,
दबाकर संवेदनाओं के ज्वार को,
कुटिल चक्रवाती दबाव झेल रहा है।

  सरिता 'विधुरश्मि'😊



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