Sunday, April 7

'''मत/वोट " 05अप्रैल 2019

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             ब्लॉग संख्या :-349
सोच विचार
न कर प्रतिकार
मताधिकार

वोट माँगते
चेहरे अनजान
झूठी मुस्कान

देते दस्तक
हैं वोट प्रचारक
नत मस्तक

वोट करना
हमारा अधिकार
करें प्रचार

सरिता गर्ग
स्व रचित

लोकतंत्र की यही पीड़ा है
आरक्षण डंक मारता कीड़ा है।
👏
फिर भी दर्द तो सहना होगा
आजन्म चुप रहना होगा ।😷

नहीं तो"वोट"फिसल जायेगा
अपना तो दम ही निकल जायेगा ।😍

देश को चाहे जितनी लगे घुन है
अपने को तो कुर्सी की धुन है
😎
फिर चाहे जो कीमत चुकानी पड़े
हम तो कुर्सी पर रहेंगे अड़े।😎

अपनी सत्ता आते ही मौज करेंगे
किसी सी.बी.आई. से नहीं डरेंगे ।👍

भ्रष्टाचार करके धाक जमायेंगे
पदच्युत होते ही लंदन भाग जायेंगे ।😂

पर मंजिल दूर कठिन डगर है
मन में बैठा एक डर है ।😥

घर का ही चौकीदार हमें ब्लॉक न कर दे
हमारा पत्ता साफ करके हमें फ्लॉप न कर दे ।।😥😥😥

💐💐स्वरचित💐💐
****सीमा आचार्य****

मताधिकार
जनतंत्र आधार
लगा बाजार।।


बिकते मत
घूमते खरीदार
मदिरा मांस।।

ओट की चोट
लोकतंत्र की धार
हो गयी कुंद।।

मत डालिये
स्वाधिकार प्रयोग
ये प्रजातंत्र।।

भावुक

"वोट/मत"
1
स्वैच्छिक वोट
सबका अधिकार
लोकतांत्रिक
2
वोटों का क्रेता
ढूँढ रहे बाजार
आज के नेता
3
वोटों की लुट
रो रहा लोकतंत्र
क्यों दादागिरी
4
माँग जनता
शांतिपूर्वक वोट
कौन सुनता
5
नेता में होड़
वोट बैंक की रक्षा
राष्ट्र का कोढ़

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल

वोट/मत
🍀🍀🍀
सोच,समझकर वोट दो,
जिसकी भी चुनो प्रतिनिधि।
क्योंकि वही तुम्हारा होगा नायक,
न्याय करेगा उलटी या फिर सीधी।

कभी गलत लोगों को ना चुनना,
सोचकर मत अपना देना।
कहीं ऐसा ना हो जाये कल,
जनता रह जाये भूखी,
और जेब भरे वो अपना।

तेरे एक मत का है,
बड़ा हीं महत्व।
इसलिये चुनो उसीको,
जो नायक हो उपयुक्त।
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी

नेता आयेगा वादे का लालच दिखायेगा ,
में वादों में नही आना है....
हमें जागरूक नागरिक कहलाना है ।।

नेता आयेगा प्रलोभन दिखायेगा ,
हमें प्रलोभनों में नही आना है...
हमें जागरूक नागरिक कहलाना है ।।

नेता आयेगा रिश्ता नजदीकी का बतायेगा ,
हमें रिश्तों में नही आना है .....
हमें जागरूक नागरिक कहलाना है ।।

नेता आयेगा हलुआ पूड़ी खिलायेगा 
दारू भी पिलायेगा ...
हमें पेटू नही कहलाना है ,
हमें जागरूक नागरिक का फर्ज निभाना है ।।

नेता आयेगा हमें गुदगुदायेगा ,
हमें बातों में बहलायेगा ....
हमें बातों में नही आना है ,
हमें जागरूक नागरिक का फर्ज निभाना है ।।

वोट हमारा कीमती है ''शिवम"
हमें इसकी कीमत भुनाना है ,
अपने देश के भविष्य का सवाल है ,
हमें अपने देश का भविष्य उज्जवल बनना है ।।

🇮🇳जय हिन्द🇮🇳

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 04/04/2019


राष्ट्र धर्म जग सर्वोपरि है
मत अर्थ सम्यक राय है
देश विरोधी देश प्रेम में
बहुत बड़ी अंतर खाय है
लोकतंत्र के महायज्ञ में
मिलकर सब आहुति देंगे
अमूल्य प्रिय मतों से हम
लोकप्रिय सरकार चुनेगें
संसद के पावन मंदिर में
कोई दानव घुस न पाए
ऐसा निर्वाचन हो मुल्क में
सुख शांति नित चैन लाए
नायक हो खलनायक न हो
जनतंत्र जनता के हित हो
मत अमूल्य उस दल को हो
जो राष्ट्र का परम् मीत हो
है मतदान अधिकार हमारा
जन मिलकर सरकार बनाते
जन धन स्वास्थ्य और सुरक्षा
शिक्षा दीप आलोक जलादे
हर नर के कर रोजगार हो
कभी पैसा अप व्येय न हो
निडर हो कभी भय न हो
सुख जीवन अमृतमय हो
मतदान दान नहीं होता 
हर मत अति बहुमूल्य है
यह दमकता और चमकता
जैसे हीरा अति अमूल्य है।।
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

गुणगान अपना हमें भाता इतना ,
सहज हो ही जाता हमको छलना |
मीठी मीठी बातों के बदले में हम ,
कर देते हैं समर्पण जीवन अपना |

राजनीति के गलियारों में जो सत्ता ,
बस सिक्का सफेद झूठ का चलता |
वैसे कहने को है जनता का शासन ,
बना पर सर्वोपरि सदा सेवक रहता |

यूँ तो सलाह मशविरा देना भाता ,
सबके बन जायें हम भाग्यविधाता |
उपयोग करना हो जब अपना मत ,
वोट मुफ्त की सेवाओं में भरमाता |

हम चाहें तो सब कुशासन बदल दें ,
पल भर में देश का भविष्य सँवार दें |
हम रहें कोसते शासन को ही हरदम ,
हम खुद को पहचान सब ही बदल दें |

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,


हम जी रहे,
लोकतंत्र में

जनप्रभुता,
राष्ट्र की जनता में होती है।
हमारी देश की,
शासन प्रणाली, संसदीय है।
और उतरदायी शासनप्रणालीहै,
हमें जनता केप्रति,
उतरदायी सेवक को चुनना चाहिए।
हमजिसे चुनते है,
वह दलीय उम्मीदवार होताहै,
वह जनसेवक नही ,
दल सेवक होता है,
हाइ कमान के तलवे
चाटने वाला होता है।
जी हजुरी कर
टिकट पाताहै।
इस लिये,आपसे।
मेरा निवेदन है,अपना मत,वोट
दलसेवक नही,
राष्ट्र सेवक
जनसेवक को अपना मत,वोट देकर चुनो,
अगर कल्याणकारी राष्ट्र देखना चाहते होतो,
लेकिन दलीय सरकार, राष्ट्र हितैषी, मृग तृष्णा है देशवासियों।
आपअपने मत,वोट का सदुपयोग करो जनसेवक चुनो।।
देवेन्द्र नारायण दासबसना छ,ग,।।


मत देना माता ऐसी बुद्धि कि,
कभी भ्रष्टाचाररियों को मत दें।
जो जात पांत में हमको बांटें 
मति हो कभी न इनको मत दें।

वोट मांगने जब ये नेता आते,
तब सभी बन कर आते गाय।
पांच बर्ष मे सभी सांड बनें ये 
फिर उल्टा हम बन जाते गाय।

हे बुद्धिदायिनी इन्हें बुद्धि देना,
जनता को आपस में नहीं बांटे।
वोट बटोरने हमें कभी नहीं ये,
हिंन्दू मुस्लिम धर्मों में नहीं छांटें।

कोई दूध का धुला नहीं है इनमें,
लगते सब एक थैली के चट्टेबट्टे
मत मिलने पर मति फिर जाती,
फिर हमें लगें अंगूर दूर के खट्टे।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी

1भा.#मत /वोट#काव्यः 

 वार -- शुक्रवार 
* शीर्षक शब्द ,- मत/वोट
* मतदान हेतु प्रेरक स्लोगन 
******************************
मतदान एक विश्वास है |
राष्ट्र में लाता प्रकाश है ||
***
उठ! चल आ मतदान करें |
अधिकार का सम्मान करें ||
***
मतदान करते है मतवाले |
देश बनाते है दिल वाले ||
***
आओ चले मतदान करें |
इस पर हम अभिमान करे ||
***
वोट हमारा है हथियार |
देकर खोलेंगे प्रगति द्वार ||
***
सही मतदान कर , राष्ट्र. को बचाना है |
वोट में कितनी ताकत ,दुनियाँ को बताना है ||
***
वंचित ना हो कोई, अब मतदान से |
जगाएं सभी को ,अपने आव्हान से ||
***
मत बैठ ,अब कर मतदान |
अपनी शक्ति,इससे पहचान ||
***
निर्भीक हो वोट देंगे, नहीं किसी से डरते |
अधिकार का प्रयोग करेंगे,हम कर्तव्य समझते ||
********************************
* देश में आगामी चुनाव में मतदान जरूर करें !! 
********************************
* प्रहलाद मराठा 
* स्लोगन स्वयं रचित ,मौलिक सर्व अधिकार सुरक्षित ....

का।
खूनी कुछ रंग है सियासत का।


क्या कहेंगे क्या करेंगे ना पता। 
ढंग ऐसे बेढंग है निजामत का।

इन्साफ़ बन्द है यूं किताबों में। 
जोर चलता नहीं अदालत का। 

उठाया सर तो कलम ही होगा। 
अब जमाना नहीं शराफत का। 

जो दिल लगाओगे मारे जाओगे। 
काम अब जुर्म है मुहब्बत का।

जान उनकी ही नहीं बची देखो।
जिनपे जिम्मा था हिफाज़त का।

कब उठोगे कब जाओगे 'सोहल'। 
इन्तजार क्या है कयामत का। 

विपिन सोहल


हम सबका अधिकार है,करिए सब मतदान।
है सबका कर्त्तव्य भी,सुनो लगाकर कान।।

जागरूक होकर करें,
मत का सभी प्रयोग।
वोट करो निस्वार्थ ही,
चाह रखो मत भोग।।
रिश्ते नाते छोड़कर,
करो योग्य को वोट।
बिना डरे सब वोट दो,
कभी न लेना नोट।।

होता है अनमोल मत,इसकी की कीमत जान।
हम सबका अधिकार है, करिए सब मतदान।।

वोट करो सब योग्य को,
जाति-पाति को छोड़।
ऊँच-नीच की भावना,
के बंधन को तोड़।।
प्रजातंत्र में वोट का,
होता बहुत महत्व।
कहें मुख्य मत को सभी,
प्रजातंत्र का तत्त्व।।

मत उनको ही दीजिए, रखें सभी का मान।
हम सबका अधिकार है, करिए सब मतदान।।

उठकर ऊपर धर्म से,
रखो ध्यान बस कर्म।
वोट करो होकर निडर,
करो न कोई शर्म।।
मत की कीमत है बहुत,
मत होता अनमोल।
मत पाने करते सभी,
यहाँ बहुत-सा झोल।।

लोभ मोह की बात पर,तनिक न देना ध्यान।
हम सबका अधिकार है,करिए सब मतदान।।

स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश


विधा - घनाक्षरी

चुनावी बिगुल बजा
नेता लोग सब सजा
जनता ले रही मजा
करो अब तैयारी

गली-गली में शोर हैं
चुनाव का ही दौर हैं
वोटरों की तो गौर हैं
भीड़ बड़ी हैं भारी

होंगे बड़े - बड़े वादे
क्या होंगे नेक इरादे
कैसे भी वोट दिला दे
हो रही मारामारी

देखो ये चुनावी प्रीत
चाचा ताऊ बुआ मीत
सुनो ढोंगियों के गीत
देखना होशियारी

चुनावी मौसम आया
नेता ने जाल बिछाया
फिर लोगों को हर्षाया
लगा ताकत सारी

चढ़ा हैं चुनावी रंग
छिड़ी सियासती जंग
देख कर रहे दंग
कैसी यह खुमारी

करना है मतदान
सुनो सब खोल कान
लोकतंत्र का सम्मान
सबकी हिस्सेदारी

बचना तुम खोटों से
लुभाएंगे ये नोटों से
करना चोट वोटों से
आपकी जिम्मेवारी

स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)


प्रजा तंत्र के देश में , चुनाव बना अनुष्ठान । 
सबको मिली स्वतंत्रता , करो वोट का मान ।।

सबका आकलन कर के , करिए फिर चुनाव । 
पश्चाताप न हो कभी , लगे महकने भाव ।।

मिलती दिशा समाज को , उन्नति करते लोग । 
होय सही मतदान जब , तभी सफल उपभोग ।।

सत्ता लोलुप से बचो ,कर्मठ को दो वोट ।
ज़िम्मेदारी दे निभा , कभी न मारे चोट ।।

मतदाता के हाथ में , कौन गल्त या ठीक । 
सोच समझ कर बुद्धि से , नई खींच ले लीक ।।

एक बार जो चुन लिया , उस पर करो यक़ीन । 
कर्म निष्ठ निकले नहीं , कुर्सी लीजो छीन ।।

अच्छा नेता जो मिले , उसका हो सम्मान । 
अगला जब चुनाव करो , पुन: दीजिए मान ।।

स्वरचित :-
ऊषा सेठी 
सिरसा 126055 ( हरियाणा )


वोट 
***
मैं वोट हूँ, मैं वोट हूँ 
नीयत में जिसके खोट 
उसे देता बड़ी चोट हूँ
मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ 
ये मेरी है कथा ,पर
आजकल है बड़ी व्यथा
प्रलोभनों की मार से
आरक्षण के धार से
आरोपों के वार से
अनर्गल प्रचार से
कर्जमाफी के शगूफे से
राफेल के धमाके से
पुलवामा की फिक्सिंग से
प्रमाण माँगने से
शवों की गिनती से
जब मुझे गिना जाने लगा
तो मैं काँपने लगा हूँ 
मैं हाँफने लगा हूँ ।
अस्तित्व होते हुए भी 
शून्यता में खोने लगा हूँ 
मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ 
लोकतंत्र का हथियार हूँ 
मतदाता का अधिकार हूँ 
नेताओं के गले की फाँस हूँ 
ई वी एम का त्रास हूँ
मतदाता पत्र का अतीत हूँ
नोटा का वर्तमान हूँ
मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ 
नोटा बढ़ रहा है
नेताओं ,जरा संभल जाना 
अब मेरी शक्ति बढ़ने लगी है
जनता को बेवकूफ न बना पाओगे 
अब अपने मुँह की खाओगे
राष्ट्रहित में काम करोगे 
तभी मुझे तुम पाओगे।
मतदाताओं तुमसे कुछ कहना है 
अब चुपचाप नहीं सहना है 
तुम जागरूक हो जाओ
नेताओं के बहकावे में न आओ
मेरा उपयोग करो 
मेरी शक्ति पहचानो
मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ ।

स्वरचित
अनिता सुधीर


वोट
नज़रों पर न ओट कीजिये
बूझ-जानकर वोट कीजिये

लोकतंत्र का पावन पर्व है
मदद में न खोट कीजिये

है उँगलियों में भी ताकत
बातें मन में नोट कीजिये

छल-छंद लिए घूमते जो
उनके ऊपर चोट कीजिये

नफरत की दीवार ढहा दे
ऐसा ही विस्फोट कीजिये

फले-फूले यह देश नवल
साथ मिल लहालोट कीजिये
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित


रचना 
==========================
भारत भू का लोकतंत्र, 
जग में बड़ा महान। 
मतदान अधिकार है, 
हम सबकी पहचान।। 
जागरूक बनकर सदा, 
करना अब मतदान। 
स्वच्छ छवि को ही चुनें, 
तब भारत बने महान।।
पोलिंग बूथ जरूर चलें, 
इसका रखें हम ध्यान। 
मत के ही अधिकार से, 
बढ़े जन जन का मान ।।
कभी न कोई छोड़ना, 
अपना यह अधिकार। 
अपने मत से सब चुनो, 
स्वच्छ छवि सरकार।। 
वोट से ही तुम चोट करो, 
फिर न कभी पछताना। 
मतदाता है बड़ा महान, 
सदा यह दिखलाना।। 
अपने महान लोकतंत्र का, 
आओ करें गुणगान।
भारत भू का लोकतंत्र, 
जग में बड़ा महान। 
मतदान अधिकार है, 
हम सबकी पहचान।। ...
............भुवन बिष्ट 
रानीखेत ,(उत्तराखंड )
(स्वरचित मौलिक रचना)


वोट

नेता आ गये,
आए वोट।
लगते अपने
मन में खोट,
जाता दिखता
अपना भत्ता।
सपनों में भी,
दिखती सत्ता,
हर ह्रदय में
जागा धर्म।
लोग नेताओं के
भूले कर्म।
अच्छे दिन का
देते लोभ।
नारों से ही
कटेगा रोग।
पूछे न कोई,
इनका काम,
भोले लोग हैं,
यहां तमाम।
हर किसी से,
हंसकर मिलते।
गले लगाते
चेहरे खिलते।
सत्ता मांगे
वोट ही चाहें
कुर्सी मिले तो
अलग हों राहें।
अच्छे लगते,
हाथ जोड़ते।
हर गली में
गाड़ी मोडते।
सबसे प्यार
न कोई वैरी।
सपने बांटे,
सिर्फ सुनहरी
बेच रहे सब
खूठे सपने।
चिरपरिचित,
फन से अपने।
मेला लगा है
वादों का।
झूठे मजबूत
इरादों का।
लगा टकटकी,
देखे किसान।
शायद कर दे,
कोई एहसान ।
कैसे होगा,
बिटिया का ब्याह,
कर्ज मुक्त हो,
मन में चाह।
युवा भी दिल में,
आस लगाए।
पूरे कर दें जो,
सपने सजाए।
देश का रक्षक,
दुविधा में है।
चोर तो अब,
सुविधा में है।
कोन करेगा,
सपने पूरे ।
कितने ही हैं,
काम‌ अधूरे ।
किस से आशा,
किसकी ओट।
नेता आ गये,
आए वोट।
लगते अपने
मन में खोट।

जय हिंद
स्वरचित : राम किशोर, पंजाब ।


विधा-मनहरण घनाक्षरी

आये देश मे चुनाव,लगा रहे नेता दाँव
कागज़ की हाथ नाव, जिस पे सवार हैं

मुख में हैं राखे राम, वादे करते हराम
राजनीति में तो सारे, रँगले सियार हैं

खेल बनी राजनीति,जनता से झूठी प्रीति
होगी कोई न अनीति, करते करार हैं

वोट का है अधिकार, करेंगे नहीं बेकार
नोटा का ये झुनझुना,न करें स्वीकार हैं
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
"वाजिब था वोट"

वाजिब था तुम्हारा
वोट देना हमें
मिला सरताज तुम्हारे कारण
अब होगी नई सुबह
बदलेंगे दिन अब तुम्हारे
हम तकदीर बदलने वाले हैं।

हम नेता 
बड़ी लग्न से
गरीबी हटाने चले हैं
उन घरों की,
जिनके पास निवाले नहीं है
पेट भरने को।

नंगे घूम रहे हैं बच्चे जिनके
पढने का है ज्ञान कहाँ,
जा रहे हैं भीख माँगने
पास के ही गाँव में
तार-तार है परिधान उनका
छत नहीं है रहने को।

खाने के लाले पड़े हुए हैं
काट रहें हैं नित जंगल
गैंस चूल्हा हैं कहाँ ,
नहा रहे हैं जोहड़ में
भैंस भी नहा रही वहाँ ,
वही पानी है पीने को।

कैसी काली रात है
उस माँ से पूछो
गायब है बच्चा जिसका
माँ बिलख रही है कई रातों से,
फूटी है किस्मत उनकी
किसकी नजर लगी है बस्ती को।

हो चली है बरसात भी अब
नदी उफन गई है पानी से,
बनी है बस्ती समुद्र सी
मवेशी भी डूब रहे
बह गई झोपड़ियाँ 
बहा ले गई घर के चिराग को।

भूखो मरने की नौबत आई
खा रहे हैं पत्ते अब
मिला सहारा हमें नेता का
की घोषणा घर बनाने की
टी.वी.पर आए हम दम्भ भरकर
दूर करूँगा कष्टों को।

खाने को दिया 
घर दे दिया है मैंने सबको
न अटकी राशि इस घोषणा की 
खड़ी देख रहा हूँ बस्ती,कागजों में
दोष किसे दोगे तुम अब
अफसरशाही या मुझको।

रचनाकार:-
राकेशकुमार जैनबन्धु
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा,


विधा-ग़ज़ल

मुल्क अपना इन दिनों कुछ अनमना है दोस्तों ।
यह निज़ामे तख़्त की आलोचना है दोस्तों ।

वोट की काली स्याही ने जला दी उंगलियां,
बच गया यह ज़िस्म , जिसको नोचना है दोस्तों !

रात मुझको ओढ़कर , बिटिया सुकूँ से सो गई ,
है सुबह महफूज़ कितनी , सोचना है दोस्तों ।

है खरा ईमान मेरा, पर निठल्ला है अभी,
कल सरे बाज़ार इसको बेचना है दोस्तों ।

इक बिना पहिये की गाड़ी ,नाम जिसका ज़िन्दगी,
जब तलक हम मर न जाएँ , खीचना है दोस्तों ।

#स्वरचित। .🖋️शैलेन्द्र श्रीवास्तव .


विधा --दोहे
1.
हर मतदाता वोट दे,जनता का तब राज।
वोट डालना इससमय,बहुत जरूरी काज।।
2.
सबसे पहले वोट दें,खुद चुनाव में वोट।
वोट पड़ें जितने अधिक वही सफल संकेत।।
3.
जनता की ये सोच हो , सभी करें मतदान।
स्वच्छ विचारों से सदा, होता है कल्याण।।
4
बटन दबाना सोचकर,क्षण भर के हम शेर।
अगर गलत चुनाव हुआ,हो जाएगी देर।।

*****स्वरचित********
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र)



लो फिर बिगुल बज उठा
तारीफों का शोर मचा
अपने मुंह सब मियां मिट्ठू
नचाते सब हथेली पर लट्टू

आजकल हम पर बड़े मेहरबान
मत से मतलब मतदान है पास
वोटों की खातिर हमसे है काम
पास में आ गए हैं अब चुनाव

मत दो या मत दो
पर अपने कर्तव्य का पालन करो
मत मतदाता का अधिकार है
अपने मत का दान करो

देखो,सोचो और समझो
वोट देने का हक न छोड़ो
सही समझो और सही चुनो
मतदान करो हाँ जरूर करो

बड़े बड़े वादे बड़े बड़े नाम
कैसे भी सभी को जीतना है चुनाव
वोटों की राजनीति में लगे सब
बातें हैं बड़ी-बड़ी काम हैं कम
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित


"शीर्षक-वोट/मत
वोट आपका है दूसरों का नही
किसी से डरने की जरूरत नही
यह आपका अधिकार है
कर्तव्य भी है यही।

अपना कीमती वोट
सही प्रत्याशी पर डाले जरूर
एक एक वोट की कीमत ज्यादा
यह बदल सकता है देश का भविष्य हमारा

सोचें, समझे करें वोट
यही है आपका असली हथियार
एक एक वोट का मोल अमोल
जाने, समझे तब करें वोट।

जिसको न हो कनक का मोह
जो स्वयं हो कनक समान
ऐसे प्रत्याशी चुनें आप
यही है मेरी अरज श्री मान।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।


***********
देश का माहौल चुनावी हुआ, 

जागरूक हो जाओ जी जनता, 
वोट डालने सबको है जाना, 
लोकतंत्र का यही है खजाना |

झूठे वादों पर कोई न जाना,
आँख खुली दिमाग रखना ताजा,
सही गलत की पहचान करना, 
सोच समझकर मतदान करना |

लोकतंत्र की ताकत है मतदान,
आम जनता की है पहचान, 
न बनाना कोई तुम बहाना, 
वोट डालने जरूर सब जाना |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*


चुनाव प्रचार को आये नेता जी 
दिखाई सबको बहुत प्रीत ।
कर बड़ी-बड़ी बातें 
सबका मन लिया जीत ।
जन का यह सच्चा सवेक
यही है सबका मीत ।
लो भाई सब जन मान गए 
देकर वोट निभायी रीत ।

जीत कर बनाई खुशियाँ
मिले नेता के रुप भगवान।
सभी करे नमन हंसकर
है यही हमारे कदरदान ।
याद आता है वो पल
बनकर आये थे मेहमान ।
किसी की कोई सूद न ली
ना जाने कहाँ हुए अन्तर्धान ।

डॉ स्वाति श्रीवास्तव माटी

विधा-हाइकु

1.
वादों की झड़ी
मत की धोखाधड़ी
चुनाव घड़ी
2.
झूठे वायदे
लोगों को बहकाते
वोट पाने को
3.
चुनावी पर्व
वोट की राजनीति
माहौल गर्म
4.
वोट अपना
मौलिक अधिकार
संवैधानिक
5.
देकर वोट
बनाते सरकार
देश के लोग
6.
नेता जी आते
लोगों को बहकाते
वोट लेने को
7.
मताधिकार
अमूल्य उपहार
लोकतंत्र में
8.
दुबके नेता
दिखते दरवाजे
वोट मांगते
9.
मन में खोट
बदनाम है वोट
कर लो नोट
10.
वोटर लिस्ट
हुई हैं अपडेट
चुनाव वास्ते
11.
बढ़ी सुरक्षा
मतदान के दिन
सेना तैनात
12.
मताधिकार
ये निष्पक्ष फैसला
लोकतांत्रिक
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

लोकतंत्र का आ गया, फिर पावन त्योहार।
नेता जी रैली करें, छपी खबर अख़बार।।

फिर चुनाव का दौर है, बने नयी सरकार ।
जनता का दायित्व है, करना मताधिकार ।।

मत देना अधिकार है, इसका करो प्रयोग।
अपना प्रतिनिधि खुद चुनो, छोड़ो पीछे लोग।।

राजनीति छायी रही, आज सुबह अखबार।
कोने कोने देश के, फैला भ्रष्टाचार।।

वादे पर वादे करें,नेता बोले बोल।
देते है अख़बार नित,खबर ढोल में पोल।।

आया इधर चुनाव है,नेता मांगे वोट।
पैर छुवें विनती करें,भरा हृदय में खोट।।

स्वरचित
गीता गुप्ता 'मन'


शीर्षक-मत, वोट 
लघु कविता 
एक तरफ गहरा कुआ है
दूझी तरफ अँधी खाई हैं।
एक तरफ कल मुंहा हैं
तो उधर भी जग हँसाई हैं।
हारे तो भारी गुँडागिर्दी , 
जीते तो सब काम फर्जी , 
राजनीति चलाएँ उनकी मर्ज़ी ।
मत -मत मिल बहुमत बनता 
दल-दल मिल दल-दल बनता ।
आज तो केवल फैलाए झोली , 
कब किसकी लूट ले डोली , 
कब किस दली के लगे गोली ।
आखिर न पढ़ पाये साक्षर
खुश हैं बस सरकार पा कर ।
राजनीति लूट का कारोबार हैं, 
मद मस्त हो करते अत्याचार हैंं।
तरस नहीं निर्धन पर पाँच वर्ष, 
मरे जिए कोई वो मनाए हर्ष ।
खोट नियत में मत वोट दिजिए, 
मतदान तपता लोहा पिट दिजिए।
मुंह दिखाई नोट की तुम ठुकराईये , 
मन मुस्काई चोट चूना तो लगाईये ।
स्वरचित -चन्द्र प्रकाश शर्मा 
"निश्छल"


है चुनावी वक्त जाग , प्रभात है ।
शक्ति को जागृत करें नवरात है ।।

राष्ट्र व्यापी यज्ञ है , आहुति करें ,
जो न जागे आज फिर आघात है ।

सोच कर मतदान करना है हमें ,
देश हित में यह नयी सौगात है ।

जो अलापें राग नफरत , द्वेष के ,
दें सबक उनको , यही औकात है ।

आज हमको चाहिए प्रतिनिधि सही ,
चूक जाने की न कोई बात है ।

देश रक्षा चाहिए आतंक से ,
शत्रु हों भयभीत , जो हालात है ।

जो रहे निर्भीक शासक चाहिए ,
विश्व गूँजे शौर्य की बरसात है ।।

🇮🇳🌺☀️🏵🇮🇳

🌻🌺**.... रवीन्द्र वर्मा आगरा 


शुक्रवार-5-4-2019
विषय-वोट/मतदान 

कलाधर घनाक्षरी में,,,भावाभिव्यक्ति 
2121212121212121
212121212121212
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भारती पुकारती,सुनो! स्वदेश के सुजान,
"देश ना झुके कभी,सम्मान जान जाइए!
वक़्त आ गया समीप,है चुनाव कर्णधार,
जो रहे प्रधान श्रेष्ठ, वोट डाल आइए!!
हिंद का हिंदुत्व मान,श्रेष्ठ धर्म है महान,
एकता रहै सदैव,शीश को झुकाइए!!
सर्वश्रेष्ठ कर्णधार,शीर्ष भा,ज,पा हमार,
जाति-भेद,द्वेष भाव,देश मे मिटाइए!!
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित ( गाजियाबाद)

असत्य के खिलाफ हूँ मैं 
सत्य के साथ हूँ मैं 
लोकतंत्र की पहचान हूँ मैं 

भारत का आम इन्सान एक मत दाता हूँ मैं .

कमजोरों बेबसों का सहारा हूँ मैं 
जनता का हथियार हूँ मैं 
नारी शक्ति का आत्मसम्मान हूँ मैं 
राजा हो या रंक सबके लिये एक समान हूँ मैं .

किसी के लिये रोशनी की किरण हूँ मैं 
दुष्टों भरष्टचारियों के लिये अन्धकार हूँ मैं 
आजाद गगन का पंछी हूँ मैं 
देश के गौरव की पहचान हूँ मैं .
स्वरचित :- रीता बिष्ट



वस्त्र रेशमी 
तन पर पहनें 
नेता मन्दिर जायें
प्रभु चरणों में लोट लोट कर
नत मस्तक हो जाएं
करें आरती पूजन अर्चन
घी का दीप जलायें
चुनाव जिता दो हे प्रभु
प्रसाद तेरा मैं पाऊँ
गर जीता विपक्ष से
स्वर्ण मुकुट पहनाऊँ
हाथ बाँध नेता सभी
घर घर अलख जगायें
वोट सभी देना मुझे
काम तुम्हारे आऊँ
गाँव गली हर शहर में
पक्की सड़कें बनवाऊं
जल की गंगा मैं बहा
सब की प्यास बुझाऊँ
अंधकार का नाम न होगा
हर घर में उजियारा होगा
देश की खातिर बलि बलि जाऊँ
अपने तन का रक्त बहाऊँ
नेता झूठे वादे करते
जनता का धन खाते
उन गलियों में कभी न जाते
जहाँ खातिर वोट की जाते
मत देने से कभी न चूको
यह अधिकार हमारा है
अपना नेता उसको चुन लो
जो हमदर्द हमारा है

सरिता गर्ग
स्व रचित


चुनाव हैं चुनाव हैं
फिर हुआ ऐलान है
कैसा नेता आप चाहते
सभी तरह के यहां मौजूद
है वे गुणों से भरपूर
भ्र्ष्टाचार, घपले,
हैं इनकी विशेषता,एक दूसरे
की टांग खींचने में इनकी
माहिरता,
हर जगह होते अपवाद 
कुछ होते बहुत शिष्ट व 
सदाचारी करत्ते जीवन व्यतीत
साथ पूरी ईमानदारी,
अब हमें सोचना है
पूरा सचेत रहकर मतदान
करना है,
आओ आओ अब अपने
अधिकार का उपयोग करो
वोट दो तुम वोट दो,स्वयं
जाओ अपने भाई भाभी,
माता पिता,ताऊ ताई ,चाचा
चाची अड़ोसी पड़ोसी सबको
लाओ उनको भी उनके अधिकार से अवगत कराओ
क्योकि हमारे फैसले पर इन 
नेताओ का भविष्य है,और इन
नेताओं पर देश का इसलिए
सच्चे और समर्थ बहादुर नेता
के हाथ देश की डोर सौंपकर
अपने देश की शान बढ़ाओ ।

अंजना सक्सेना


प्रदत्त शीर्षकःवोट/मत
*
देश के लिए जियो,
देश के लिए मरो।
देख कंठ सूखते,
मेघ मंद्र से झरो।

तेज - हीन हो रहा,
आज धर्म मानवी।
क्षुद्र जाति - वर्ग के,
अंध - मोह को हरो।

भारती सपूत हो,
धीर शूर साहसी।
न्याय से नहीं डिगो ,
झूठ - दंभ से डरो।

भेद - भाव खाइयाँ ,
काट - छाँट पाट दो।
स्नेह - बन्धुता भरा,
नीति - मंत्र उच्चरो।

चोट लोकतंत्र को,
वोट के लिए न दो।
राष्ट्र - अस्मिता बढ़े ,
उच्च भावना भरो।।

-(स्वरचित) डा.'शितिकंठ'


हाइकु /तांका 



वादों की लड़ी 
चुनावी फुलझड़ी 
वोटर बम

2
मताधिकार 
उपयोगिता जानो
देश संभालो

3
हर्ष उल्लास 
सुखद एहसास 
वोट की आस

4
वोट पलीता 
फूटे पाँचवे वर्ष 
हर्षित जन

5
एक भी वोट 
अनमोल है बड़ा
व्यर्थ न जाए 

6
अपना 'मत'
अपना लोकोत्सव 
अपना देश 

7
स्वतन्त्र 'मत'
लोकतंत्र का पर्व 
देश का गर्व 

8
हाथ जोड़ते 
कामचोर जो नेता
मांगते वोट 

9
वोट खातिर 
कही फूटते बम
चलती गोली
खेल रहे हैं देखो
नेता चुनावी होली

10
चुनावी पूजा
चाहिए वोट भिक्षा
पंडित मुल्ला 
लोकतंत्र का मंत्र 
एक है राजा रंक

(स्वरचित )
सुलोचना सिंह 
भिलाई, दुर्ग



इंद्र नगरी में हड़कम्प मचा है
चुनावी माहौल का रंगमंच सजा है
नये इन्द्र का चुनाव है
प्रत्याशियों की लम्बी कतार है
होड़ मची भारी है
काफी उठा पटक की तैयारी है
उर्वशी, रंभा, मेनका, की बीजी सेड्युल है
मोहरें भर भर थैलियां आ रही है
फलां फलां देवता को लांछित कर
स्टिंग ऑपरेशन करवाना है
अपना पलड़ा भारी हो तभी
जब दुसरों को ब्लैक लिस्ट करवाना हो
मतदान के समय तक आधो को
रन आउट करवा देना है
फिर मुकाबला कुछ आसान होगा
वोटरो के यहां जरूरत के
हिसाब से समान पहुंच रहे हैं
सभी को अपने वोट पक्के करने हैं
मतदाताओं की बनी चांदी है
बैठे-बैठे घर में दाना पानी है
कहीं ए-सी लग रहे हैं
कहीं नये वाहन दुपहिया तीन पहिया
अपनी अपनी हैसियत अनुसार आ रहे हैं
येन केन प्रकारेण अपने वोट बढ़ाने है
तीन चार महीना टटपुंछियों को
अगर बत्ती कर
पांच साल ऐश में
पुरे जीवन पुरे परिवार की वारी न्यारी
वाह री मुर्ख जनता बेचारी
फिर-फिर उल्लू बनने की तैयारी
इंद्र की सिगड़ी जब भी जले
जहाँ भी जले सुन ले
ओ मेरी मूरख प्रजा 
सेकी तूं ही जायेगी बारी बारी
स्वीट काॅर्न की तरह
नीबू नमक
(पहले के प्रलोभन)
बस तेरे भुनने की तैयारी।
वाह रे जनता बेचारी
अर्थ, मत के चक्कर में
क्यों मति गई मारी।

कुसुम कोठारी।

विधा-हाईकु

किमती वोट
नेता हैं खरीदार
है भ्रष्टाचार

जोड़ते हाथ
करते हैं प्रचार
माँगते वोट

हुए बालिग
वोट का अधिकार
सूची में नाम
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
5/4/19
शनिवार


विधा -- गीत 
+++++++++++++++++++++++++++

हर मतदाता भाई बहिन को वोट डालने जाना है
करने नव निर्माण राष्ट्र का सबको आगे आना है ||

मतदाता हैं तो मत डालें |
मिलकर अपना देश सँवारें |
लोकतंत्र के महापर्व स में -
हम भी अपना फर्ज निभालें |
हमें समझना है पहले फिर औरों को समझाना है |
हर मतदाता भाई बहिन को वोट डालने जाना है ||

हर मतदाता वोट करेगा |
इसमें न कोई खोट करेगा |
रहकर दूर लोभ व भय से-
हर बुराई पर चोट करेगा |
स्वविवेक से निर्णय लेकर लोकतंत्र महकाना है |
हर मतदाता भाई बहिन को वोट डालने जाना है ||

हम अपना सम्मान रखेंगे |
देश का गौरव गान रखेंगे |
वोट करे हर इक मतदाता-
इसका पूरा ध्यान रखेंगे |
मतदाता की ताकत क्या है सबको ये बतलाना है |
हर मतदाता भाई बहिन को वोट डालने जाना है ||

करने नवनिर्माण राष्ट्र का सबको आगे आना है |
हर मतदाता भाई बहिन को वोट डालने जाना है ||

************************************
#स्वरचित 


दिवस शुक्रवार 
समय 9:45pm
प्रस्तुति 3
विधा मुक्त 
चुनाव का बना माहौल, 
सब तरफ है हँसी मखौल, 
छल रहे है जनता को, 
बजा बजा कर वादों का ढोल l

पांच साल बाद देखो आये, 
संग में वादे हजार लाये, 
फिर से बजाएं अपने कपोल, 
डंके पर फिर करेंगे झोल ll

मतदाता को समझना होगा, 
कौन पराया कौन अपना होगा, 
नहीं है अगर कोई ढंग का तो, 
नोटा पर ऊँगली धरना होगा l
कुसुम पंत उत्साही 
स्वरचित 
देहरादून


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