Friday, April 19

"कदम"18अप्रैल 2019

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                                           ब्लॉग संख्या :-362




नमन मंच
दिनांक .. 18/4/2019
विषय .. कदम
विधा .. लघु कविता
********************
......
दो कदम साथ चल के तो देखो मेरे,
सच कहूँगा तुम्हे प्यार हो जायेगा।
थोडी अपनी कहो थोडी मेरी सुनो,
देखना ये सफर अपना कट जायेगा।
....
शर्म किससे तुम्हे गैर तो हम नही,
थोडे अंजान बस आदतो से ही है।
ये झिझँक त्याग कर साथ मेरे चलो,
जो कमी है अभी शर्म से ही तो है।
.....
थम के ही तुम चलो पर चलो तो सही,
देखना ये नजर कुछ बदल जायेगा।
शेर की भावना तो छिपी है मगर,
प्यार तेरा उभर कर नजर आयेगा।
....
दो कदम साथ चल के तो देखो मेरे,
सच कहूँगा तुम्हे प्यार हो जायेगा।
जो छिपा है मेरा भाव दिल मे तेरे,
सच मे होठों पे तेरे नजर आयेगा।
......
स्वरचित एवं मौलिक
शेर सिंह सर्राफ
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सुप्रभात"भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन,🌹
18/04/2019
    "कदम"
1
"भावो के मोती"
शानदार कदम
वार्षिकोत्सव
2
आगे कदम
अथक परिश्रम
मंगल यान
3
चंचला लक्ष्मी
कदम न ठहरे
एक जगह
4
कदमों तले
चमक सफलता
जगमगाता
5
एक कदम
जीवन का सफर
मित्र बंधन
6
जग को याद
कदमों के निशान
मृत्यु पश्चात

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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।। कदम ।।

कदम कदम पर पर्चे थमाती रही जिन्दगी
जाने क्यों मुझे आजमाती रही जिन्दगी ।।

कौन सा ओहदा वह देना चाही मुझको
हर विषय से वास्ता कराती रही जिन्दगी ।।

किसके साथ क्या हुआ नही पता मुझे
हर कदम ओकात दिखाती रही जिन्दगी ।।

कभी तो वेबजह ही उलझाया मुझको
समय पर कभी सुलझाती रही जिन्दगी ।।

क्या क्या मैं नाम दूँ कैसे करूँ बन्दिगी
हर कदम पहेलियाँ बुझाती रही जिन्दगी ।।

मन को भाये या न भाये मगर  'शिवम'
हर कदम नया गीत गाती रही जिन्दगी ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 18/04/2019
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तिथि - 18/4/19
विधा - छंद मुक्त
विषय - कदम

तुम्हें जब देखा
करीब से
पहली बार
दिल की जमीं पर
अपने खूबसूरत कदम रखती
गुजर गईं तुम
और मैं
अपलक देखता
रह गया
रूप को तुम्हारे
हृदय में समेटे
इस इंतजार में
कि आओगी तुम
एक बार फिर
मेरे सामने
खिल उठेगा
मेरे मन का
इंद्रधनुष
महक उठेगा मेरा घर
तुम्हारी महक से
जब पड़ेंगे
महावर लगे
कदम तुम्हारे
मेरे आँगन में
स्वर्ग से उतरी
अप्सरा सी तुम
छा गई हो
मेरे वजूद पर
आओ ,आ जाओ न
व्याकुल है मन
आतुर हैं नयन
देखने और सुनने को
तुम्हारे कदमों की आहट

सरिता गर्ग
स्व रचित
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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक     कदम
विधा       लघुकविता
18  अप्रैल  2019,गुरुवार

हर कदम ऐसा बढ़ाओ
जो मंजिल पर जाता हो
मत कदम पीछे हटाओ
दर्द कितना भी आता हो
      अंगद जैसा कदम अडिग हो
       साहस धैर्य और दृढ़ बल से
       सागर ऊपर सेतु बंधन हो
       वानर भालू नील और नल से
हर कदम में पदम सुहाना
नित आगे ही बढ़ते जाओ
खून पसीना सदा बहाओ
नित जीवन मधु फल पाओ
          लक्ष्य राह कंटक युक्त है
          संघर्षों से मंजिल मिलती
          सदा मुसीबत सहने पर ही
          कभी गाज गम की न गिरती
राम लखन और सीता ने
क्या दर्द वन नहीं सहे थे
पांचों पांडव और कुंती खुद
कपिलवस्तु को छोड़ चुके थे
           वह कदम आगे बढ़ने दो
           जो प्रगति पथ जाता हो
           लाख मुसीबत आवे जीवन
           गीत खुशी मन गाता हो
पैरों में छाले पड़ते नित
हाथ हथेली पडे फफोले
कर्मवीर आगे बढ़ते नित
जीवन मे न खाते धोखे।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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1भा.18/4/2019 गुरुवार
बिषयःःः#कदम#
विधाःःःकाव्यःःः

कदम बढाऊँ श्रद्धा भाव से,
माँ शारदा तेरे दर की ओर।
ज्ञानचक्षु खुल जाऐं सब मेरे,
दिखे प्रेममय सुंदर सी भोर।

जीवन प्रेमपूर्ण परिपोषित हो
कदम बढें खुशहाल जगत में।
यहां नहीं दिखे नैराश्य कहीं भी,
भक्तिभाव हो हरहाल भगत में।

मिलजुल रह सहयोग करें हम।
सदैव एकदूजे के मीत रहें हम।
कदम बढें परहित परोपकार में,
यहां आपसी सुखप्रीत रखें हम।

लेन देन हो सुख दुख में सबका।
प्रेमपरिपोषित हो माँ हर तबका।
ना खेंचू कदम पुरूषार्थ से पीछे,
सोचें जीवनडोर हाथ में उसका।

स्वरचितः ः
इंजी.शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
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#कदम #काव्यः ः
1भा.18/4/2019/गुरुवार


नमन भावों के मोती ,
आज का बिषय , कदम ,
दिन , गुरूवार ,
दिनांक, 18, 4 , 2019 ,

नन्हे कदम
खजाना खुशियों का
किलकारियाँ |

कदम स्कूल
अर्जित ज्ञानार्जन
जीवन ज्योति |

दुनियादारी
सिमटते कदम
आहत मन |

मंजिल प्यार
लय कदम ताल
हमसफर |

मैं और मेरा
घनघोर अंधेरा
रुके कदम |

अनुसरण
राहों पर कदम
महापुरुष |

कदम ताल
झंकृत परिवार
गृहस्वामिनी |

चंचला रमा
साधक मनोरमा
कदम रहा |

उत्तम मति
सफलता कदम
प्रयास निधि |

बने कदम
बहारों की मंजिल
सच्ची लगन |

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
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भावों के मोती दिनांक 18/4/19
कदम

है कदम
ताकत इन्सान की
मजबूत कदम
पहुंचाते है
मंजिल तक

दृढ़ रखो
अपने  ईरादे
विश्वास रखो
 पैरों पर
तभी  पहुचेंगे
कदम मंजिल तक

लडखड़ा  गये
कदम जिनके
वह डगमगा गये
राह में
हारो नहीं हार से
मजबूत कदमों से
पहुँचो मंजिल तक

है नहीं
मुश्किल कुछ भी
दुनियाँ में
बस कदमों को दो
गति और
पहुँचो मंजिल तक

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव  भोपाल
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नमन
"भावों के मोती"
दिनांक-
18/4/2019
विषय-कदम

रफ़्ता रफ़्ता चलता
ज़िंदगी का सफ़र
कभी छांव तो
कभी धूप का
मंज़र
हर वक़्त साथ
रहे मेरे तुम्हारे
कदम
महके कभी ये
जीवन बगिया
फूलों से
तो कभी
खर पतवारों
में उलझता
सफ़र
होगी आँसुओं की
बरसात
तो मुस्कुराहटों
के
चिराग ज़लेंगें
बन्जर ज़मी
में उम्मीदों
के फूल भी
खिलेंगें
ये सफ़र है
ज़िंदगी का
जनाब
कदमों के
दर्द की बात
न हो
न टूटे
कोई ख्वाब
तन्हाँ जीने
की बात
न हो
दुआ है
चलता रहे
ये सफ़र
यूँ ही
साथ हों
कदम
मेरे तुम्हारे
हाथों की
लकीरें
मिलती रहें
मेरी तुम्हारी ।।।।
       अंजना सक्सेना
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मुसाफिर  बढ़  चलो  दुनिया  सफर है।
कदम दर कदम चलो दुनिया  सफर है।

अरे हैरां हूँ जिन्दगी कितनी मुख्तसर है।
तुम चलो फिर भी  कि दुनिया सफर है।

हजारों  मुश्किलें  होंगी  ठोकर  लगेगी।
मिलेगी मंजिलें  चलो  दुनिया  सफर है।

मौसम कभी रस्ते  रोकर  कभी हंस के।
कट जायेंगे दिन  चलो दुनिया सफर है।

दुखेगा  दिल कभी  पांव  थकने लगेंगे।
बना के होैसला चलो  दुनिया सफर है।

वक्त  सब का मुकर्रर है  इस जमाने में।
हैं जो बची  सांसे चलो दुनिया सफर है।

                           विपिन सोहल

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नमन भावों के मोती
दिनांक : - १८/४/०१९
विषय  : - कदम

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ये पत्तों की सरसराहट
हवाओं के मल्हार से नहीं
तेरे कदमों की आहट से है,
बन्द हैं यहाँ सारे कपाट
खौफ आँधी से नहीं
तेरी मुहब्बत से है।

कहीं डूब न जाऊँ
तेरीआँखों की झील में
डर मौत से नहीं,
तेरे लिए तड़पती जिंदगी से है।

छोड़ो जाओ इस गली से
यहाँ रहती खामोशी है
तन्हाई में ही यह खुश होती
रहती जुदा महफ़िल से है।

स्वरचित: - मुन्नी कामत।
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आज का विषय कदम,
सब साथियों को नमस्कार,
गजल पेश है,
गम को दिल में छुपाए रखना,
प्यार का दीया जलाए रखना।।1।।
खुद आयेगी मंजिल सामने,
अपने कदम को बढा़ ए रखना।।2।।
ये चांदनी, जवाँ मौसस न मिले,
दिल में मुहब्बत जगाए रखना।।3।।
राह पर जरा संभल के चलना,
खुद को हमेशा बचाए रखना।।4।।
हाए कैसी सजा जीने  की,
मुरझाए गुल खिलाए रखना।।5।।
बहर से गजल की पहचान बनी,
राह बहर की बनाए रखना।।6।।
स्वरचित देवेन्द्र नारायण दासबसना छग।।
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🌹भावों के मोती  🌹
🌹सादर प्रणाम 🌹
    विषय=कदम
     विधा=हाइकु
=========

कैसा विश्वास
अपने ही खींचते
मेरे कदम

बढ़े कदम
जोश जबरदस्त
लक्ष्य की और

कदम तेरे
पड़े जिस घर में
स्वर्ग हो जाए

रुके ना हम
बड़े जब कदम
इश्क की और

रखे सम्हाल
हर एक कदम
आगे की और

पति व पत्नी
रखे कदम साथ
मंजिल पास

रखिये आप
जमी पर कदम
हवा में नहीं

स्वर्ग का सुख
माँ के कदम तले
सेवा तो मिले

===रचनाकार ===
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
18/04/2019
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🙏जय माँ शारदा
...सादर नमन भावों के मोती..
दि. - 18.04.19
विषय - कदम
          122  122  122  122
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                  ***
कदम दर कदम तुम बढ़ाकर तो देखो.
ज़रा ख़्वाब अपने  सजाकर  तो देखो.
                   ***
रखो हौसला  जिंदगी के  सफर  में,
कभी खुद को भी आजमा कर तो देखो.
                   ***
न  परवाह  कर  कौन  है  साथ  तेरे,
स्वयं साथ अपना निभा कर तो देखो.
                   ***
कदम  मंजिलें   चूम  लेंगी  तुम्हारे,
इरादे को मकसद बना कर तो देखो.
                   ***
चलो  राह  ऐसी  करे  याद  दुनिया,
दिलों में जगह तुम बना कर तो देखो.
                 ***
वतन से अगर प्यार है आपको फिर,
अमन चैन के गुल खिलाकर तो देखो.
                 ***
न अरमान पूरे अगर हो सके तो ,
उदासी हटा मुस्कुरा कर तो देखो.
                ***
"सरस" नेक ही राह चलना मुनासिब,
मिलेगा सुकूं पग  बढ़ा कर  तो देखो .
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              #स्वरचित
              प्रमोद गोल्हानी "सरस"
               कहानी- सिवनी म.प्र.
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नमन मंच को
विषय : कदम
दिनांक : 18/04/2019
विधा : कविता

ओ मेरी मां

तेरे आंचल की ममता,
मैं अब जा के समझा,
तू ही देती सहारा जब भी
हुआ परेशान,
तेरे कदमों में जन्नत है,
ओ मेरी मां।
मुझे माफ करना,
मैं जान न पाया।
तेरे ही तो भीतर,
है भगवन समाया।
अब सोचूं मैं कैसे,
मिलोगी कहां,
तेरे कदमों में जन्नत है,
ओ मेरी मां।
तुझे दुख ही देता,
रहा उम्र भर।
रोता तन्हाई में वो,
पल याद कर।
तू तो रौशन करे अब भी,
मेरे जहाँ,
तेरे कदमों में जन्नत है,
ओ मेरी मां।
एक तू ही तो थी,
जिसने समझा मुझे ।
बाकी हर कोई यहां
देता उलझा मुझे ।
तू जहां भी रहे,
हो खिला गुलसिताँ
तेरे कदमों में जन्नत है,
ओ मेरी मां।
तेरे कदमों में जन्नत है,
ओ मेरी मां।

सहृदय नमन अपने
माता-पिता जी को
🙏🙏🌺🌺🏵🏵🌹🌹

स्वरचित : राम किशोर, पंजाब ।
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भावों के मोती
विषय: "कदम" दिनांक..18.4.2019                          तुम आये मेरे जीवन में,
मन आल्हादित हो गया।
सच! फूली नहीं समायी मैं,
मन उपवन सा खिल गया।।
*********************
मधुर-ज्वार वात्सल्य भरा,
मेरा अंग-अंग हिलोर गया।
तुझको पाकर धन्य हुई मैं,
प्रभु का अनंत आभार किया।
**********************
पंखुड़ियों से कोमल होठों से,
जब तूने स्तन-पान किया।
तब यह स्वर्गिक सुख जाना मैंने,
 नारीत्व का अमर एहसास हुआ।।
***********************
तेरे नन्हें-नन्हें कदमों से,
घर-आंगन सब चहक उठा।
तेरी तोतली बोली सुनकर,
रोम-रोम झंकृत हो उठा।।
********************
काल-चक्र अविरल गति से,
क्रमवद्ध हो बढ़ता ही गया।
बचपन बीता,यौवन आया।
खुशी-खुशी तेरा ब्याह रचाया।।
***********************
बहू पाकर मैं गदगद हुई,
घर-आंगन फिर झूम उठा।
तेरी खुशहाल ज़िन्दगी देख,
मेरा मन-भ्रमर नाच उठा।।
*********************
पर इस सुख पर ग्रहण लग गया,
तू मुझे छोड़ कर अलग हो गया।
मेरी ममता रो-रो के चीत्कार उठी,
हे प्रभु!आखिर ऐसा क्यूँ  हुआ।।
*************************
अब तनहा-वीराना सा जीवन है,
मैं घुट-घुट कर जीती जाती हूँ।
रोज "प्रभु" से प्रश्न यही दोहराती हूँ,
अनुत्तरित पा ख़ुद रो के सो जाती हूँ।।
***************************
(स्वरचित)     ***"दीप"***
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नमन भावों के मोती
विषय---कदम
दिन -गुरुवार
दिनांक--18--4--19
विधा --मुक्तक

कदम भले बढ़ाइए,
पहले सोच लीजिए।
जिन्दगी के प्रश्न सब,
सोच के हल कीजिए।
सोच में भी लोच हो,
साथ अनुभव मंत्र हो--
क्रोध, लोभ पछाड़कर,
प्यार के पल खोजिए ।

*********************
      प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र)451551
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नमन सम्मानित मंच
       (कदम)
        *****
किसी  कार्य  हित  पहल  मात्र,
  कदम   उठाना   इंगित   करता,
    सकल  चराचर   चारु  सृष्टि  में,
      सद-कदमों  में   स्वास्था  रखता।

अति -महत्त्वपूर्ण  कदमों  की गति
  यदि नहीं सम्भलते  ठोकर निश्चित,
    बहके  यदि    यौवन   के   मद  में,
      कटे   जरापन     रोकर    निश्चित।

मान,  प्रतिष्ठा,  धन,  वैभव  सब,
  कदमों  की  शुचि  गति पर निर्भर,
    अनुचित  कदम  उठे  यदि किंचत,
       लोचन- स्वरूप  हो  जाते  निर्झर।

स्वर्ग  सृष्टि  में   कहीं  नहीं  श्रुत,
  केवल माँ के  कदमों में सुनिश्चित,
    भू  पर   रखना   कदम   प्रथमतः,
       शिशु को माँ श्री  ही   सिखलाती।

यदि  रोते  हुए   हृदय   को  कोई,
  सौंप  सके   मुस्कानें  पलभर  को,
     सहस्त्र स्वर्ग - सुख वृष्टि सघनतः,
       उसके कदमों में  होगी सुनिश्चित।
                             --स्वरचित--
                                 (अरुण)

@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
जिंदगी हर कदम आगे बढ़ती हैं
एक पल भी नहीं रूकती हैं
जिंदगी जब भी आगे कदम बढ़ाती हैं
अपने कुछ निशान छोड़ जाती हैं .

धीरे-धीरे  कदम रख ये जिंदगी
संग मेरे यादों का बसेरा हैं
वो कागज की कश्ती वो मासूम बचपन प्यारा हैं
जिसमें खुशियों का संसार प्यारा हैं .

ना जाने कितने मुश्किलों से गुजरती हैं जिंदगी
दो कदम चलने पर एक नये मोड़ से गुजरती हैं
ठोकर खाकर गिरती हूँ मैं हर बार
फिर भी हौसलों के संग जिंदगी के संग कदम से कदम मिलाती हूँ .

कदम मेरे आगे बढ़कर अब रुकेंगे नहीं
मन में विश्वास की लौ मैंने जलाई हैं
मंजिल पर ही कदम मेरे रुकेंगे
इससे पहले ये कभी नहीं झुकेंगे .
स्वरचित:-  रीता बिष्ट
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

मंच को नमन🙏
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏😊🌹
दिनांक -18/4/2019
शीर्षक-"कदम"
विधा- कविता
************
जीवन डगर के मुसाफिर हम,
कदम कदम पर कठिन डगर,
सही दिशा में हमें चलना होगा,
फूँक-फूँक कर रखना है कदम |

कदम कदम पर चौराहें होगें,
भ्रमित हो जायेगा तब ये मन,
मजबूत हमको बनना होगा,
सही मार्ग चुन रखना कदम |

जीवन के इस लम्बे सफर में,
कदम छोड़ जाते हैं निशान,
पद चिन्ह ऐसे हमको बनाने होगें,
अनुसरण करे जो हर इंसान |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

सादर अभिवादन
18-04-2019

बोझिल पग से चल चल के
घूँघट ओट में खूब संभल के
नागिन-सी लहराती अलकें
बेबसी से भींगी हुई पलकें
खन-खन खनकती चुड़ियाँ
पैजनियों की छनक छनाहट
संचित स्थावर दिल में प्रिय
तेरे वापस कदमों की आहट
-©नवल किशोर सिंह
      स्वरचित
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नमन"भावो के मोती"
18/04/2019
    "कदम"
###############
मन में हो पवित्रता
भावना गर हो बंधुता
दोस्ती की खातिर..
दो कदम तुम बढ़ो
चार कदम मैं चलूँ।

मन में हो विषमता
भाव गर हो शत्रुता
दुश्मनी की खातिर
दस कदम तुम बढ़ो
सौ कदम मैं पीछे हटूँ।

मन में हो सहजता
भाव गर हो मानवता
प्रीत प्रेम की खातिर
एक कदम तुम बढ़ो
दस कदम मैं चलूँ।

मन में हो स्वच्छता
 करनी हो धर्म की रक्षा
जंग भी स्वीकार है
दो-चार कदम तुम बढ़ो
दस-बारह कदम मैं बढ़ूँ।

मन में हो सद्भावना
भावना हो सौहार्द्रता
पैगाम हो शांति का
कुछ कदम तुम बढ़ो
कदम मेरे कभी न थके।।

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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,भावो के मोती
शब्द  कदम
१८ अप्रैल
💐💐💐💐
कदम दर कदम हम
मिलाकर चले।
दूसरों के दुखड़े मिटाते चले,
कहीं कोई रह जाए
मन से दुखी..
हम समझे न अपने को
तब तक सुखी।
ये पूरा वतन भाई बंधु सभी
न कोई धर्म अपना न उसका कोई
चलो चल के खोजे राहे नई।
तब ये विश्व होगा अलग सा नया
सभी मिल रहेंगे परिवार सा।
💐💐💐💐💐
स्मृति श्रीवास्तव
स्वरचित

@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
18/4/19
भावों के मोती
विषय-कदम
👣👣👣👣
मेरी दुनिया बदल के रख दी
बस एक मुलाकात ने
जब हम तुम मिले थे
संग जीने के वादे किए थे
चाँद की चाँदनी में
झिलमिलाते तारों के साथ
सर्द हवाओं के झोंके
चलते थे हम हौले-हौले
झील के किनारे
छोड़ते कदमों के निशान
मुझे आज भी याद है
ज़िंदगी के वो हसीं लम्हे
झील का किनारे
रिमझिम-सी बरसात में
हाथों में हाथ लिए
जाने कितने वादे किए
उमर दबे क़दम बढ़ती रही
संग तेरे नये ख्व़ाब बुनती रही
पीछे छूटे वो क़दमों के निशां
जो कभी थे हमारे प्यार के गवाह
संभाल कर रखें हैं आज भी मैंने
खूबसूरत वो पल ज़िंदगी के
अपने पास दिल के करीब
थोड़ी फ़ुरसत फिर से दे ज़िंदगी
उन लम्हों को फिर से जीने की
बदली जिन लम्हों ने मेरी ज़िंदगी
उन लम्हों को चलो फिर से जी लें
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित ✍
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

शुभ संध्या
शीर्षक - ''कदम"
द्वितीय प्रस्तुति

कदम पड़े जब से तेरे
दिल क्या से क्या हो गया
मैं तो कुछ न था सनम
दिल शायर सा हो गया ....

कौन मुझे जाना होता
जो न जादू चलता तेरा
सितम कहें या रहम कहें
कुछ न कुछ तो हो गया ....

मैं तो कुछ न था सनम
दिल शायर सा हो गया ....

तेरे कदमों की आहट को
पहचाने यह दिल दूर से
जाने कैसा इन कदमों से
दिल का वाबस्ता हो गया ...

मैं तो कुछ न था सनम
दिल शायर सा हो गया ...

कदम कदम तुझे पुकारे
तेरा ही यह गुणगान करे
तेरी धुन में नाचे हरदम
यह दिल मोर सा हो गया ....

मैं तो कुछ न था सनम
दिल शायर सा हो गया ....

तेरे कदमों में दम निकले
तेरा ही नित यह दम भरे
तुझे देखकर कुछ न देखा
तुझमें 'शिवम' यह खो गया ....

मैं तो कुछ न था सनम
दिल शायर सा हो गया .....

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 18/04/2019
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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक-कदम
18-4-2019

पियूष पर्व छंद
2122,2122,212(मापनी)
सीमांत-आना
पदांत-आ गया
************************
जिंदगी में ,,जीत जाना आ गया !
मुश्किलों से ,,पार पाना आ गया !!
**
जब मिले काँटों सरीखी जिन्दगी,
अब गुलाबों सा,,,, हँसाना आ गया !
**
जीत भी है,,,,, हार भी है जिंदगी,
गम भुला के खिलखिलाना आ गया!
**
लक्ष्य भी जागृत जगा लें आज तो,
लें कसम ,वादा निभाना आ गया !
**
प्रात भी है,,, शाम भी है जिंदगी,
हर #कदम सूरज उगाना  आ गया //
***
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार

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नमन भावों के मोती ,
आज का विषय , कदम ,
दिन , गुरुवार ,
दिनांक, 18,  4 , 2019 ,

कदम तेरे ही पहचान बनेंगे , सोच समझकर ही  तुमको चलना |

बहके तो हमें बदनाम करेंगे , नाप तौलकर ही इनको रखना |

जब जब हम मुड़कर  देखेंगे ,अश्क हमारा ही हमको है दिखना |

कर्म हमारे ही आइना बनेंगे , इतिहास हमें इनसे ही है  लिखना |

सैनिक हम सत्य के बनेंगे ,तिरस्कार हमें असत्य का करना |

हम  देश प्रेम की राह चलेंगे , विकिसित हमें राष्ट को है करना |

प्रहरी हम समाज के बनेंगे , बुरी नीयत पर हमको  काबू करना |

शिक्षा की हम ज्योति बनेंगे , हमको  नष्ट कुरीतियों को है करना |

प्यार को नहीं हम बदनाम करेंगे , हमें राह  वासना रहित ही चलना |

घर परिवार को जोड़कर रखेंगे , हमें  रिश्तों में मलाल नहीं रखना |

हम चार कदम आगे  बढ़के चलेंगे , ईश्वरीय भक्ति कायम है  रखना |

जितने दिन भी दुनियाँ में जियेंगे , हमें  नियंत्रण कदमों पर है रखना |

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
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शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
18/04/2019
हाइकु (5/7/5) 
विषय:-"कदम" 👣
(1)🌆
आँगन साँझ
उतर आई निशा
"क़दम"शांत
(2)🌄
रवि का पथ
अंतहीन "कदम"
दौड़ता कर्म
(3)👩
सौभाग्य थाप
बिटिया के "कदम"
लक्ष्मी की छाप
(4)⛈️
वर्षा उतरी
सावन गीत गाते
भीगे "क़दमों"
(5)🏃‍♂️🏃
रिश्तों को गढ़ा
एक "कदम" बढ़ा
कारवाँ जुड़ा
(6)👣
विश्वास कर
साहसिक "कदम"
चूमे शिखर

स्वरचित
ऋतुराज दवे
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नमन मंच को
दूसरी रचना
विषय : कदम
दिनांक :18/04/2019

कदम

यह कदम ही तो हैं,
जो हमें सफलता की,
बुलंदिआं दे देते हैं।
यह कदम ही तो हैं,
जो कभी इंसान होने का,
हक भी छीन लेते हैं।
इन कदमों को रखें,
थोड़ा सोच विचार के।
जीत भी दिलाते कभी
बनें कारण हार के।
कदमों ने ही तो सारे,
कारवां समेटे हैं,
यह कदम ही तो हैं,
जो हमें सफलता की,
बुलंदिआं दे देते हैं।
चलते चलते कभी लगे,
गुलशन महक गये।
अंत फिर निश्चित है,
कदम जो बहक गये।
जिंदा है जिनका इंसान भीतर,
भगवान के चहेते  हैं,
यह कदम ही तो हैं,
जो हमें सफलता की
बुलंदिआं दे देते हैं।
कदमों पे रख ले तू,
अपने भरोसा।
लक्ष्य न भूले, छोड़ छल
कपट धोखा।
कर अनुसरण उनका जो,
जो तिरंगा लपेटे हैं
यह कदम ही तो हैं,
जो हमें सफलता की
बुलंदिआं दे देते हैं।
बुलंदिआं दे देते हैं।

जय हिंद

स्वरचित : राम किशोर, पंजाब ।
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मंच को नमन
दिनांक - 18/4/2019
विषय- क़दम

अहम् ये तेरा मेरा
हमें किस मोड़ पर ले आया !!!!
ना तुमने एक बार पलटकर देखा
हमने भी तुम्हें निजता से  ना पुकारा ।

आज फ़ासले हमारे  और तुम्हारे
नदी के दो पाट -से हो गए हैं
जीवन के इस सफ़र में  समझ लीजिए
कभी ना मिलने वाले राहगीर हो गए ।

कभी क़िस्मत से जो हम मिल गए थे
बिछुड़ना भी क़िस्मत ही समझ बैठे हैं
क्यों तुम गम  हमारा समझ नही पाए ?
हर बात में माँगा करते थे  केवल दुहाई !

हमने अनेक बार समझाना तुम्हें चाहा
पर तुम्हारी समझने की चाहत पंख लगा
सतरंगी आसमान में ऊँची उड़ान उड़ गई

जाना है मैंने तुमको बहुत ही क़रीब से
आज हमारी तरह तुम भी टूट चुके हो
किसी शाख़ से टूटे पत्ते की मानिंद
क़समों रस्मों के सब बंधन रूठे हैं

कितना अप्रासंगिक सा लगता है ,पर
दूर रहकर भी नज़दीकियाँ सी लगती
फिर से लौट आएगा हाँ ,लौट आएगा
ऐसी आस क्यों जगने लगती है ??

उधर से एक क़दम यदि तुम चलोगे
क़दम एक इधर से हम भी चल पडेंगे
नप जाएगी  एक दिन धरती की गोलाई
शायद किसी मोड़ पर आकर एक दिन
हम तुम तुम हम फिर मिल सकते हैं ....

संतोष कुमारी  ‘संप्रीति ‘
स्वरचित
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भावों के मोती
18/04/19
विषय  कदम

कदम जब रुकने लगे तो
मन की बस आवाज सुन
गर तुझे बनाया विधाता ने
श्रेष्ठ कृति संसार में तो
कुछ सृजन करने
होंगें तुझ को
विश्व उत्थान में,
बन अभियंता करने होंगें
नव निर्माण
निज दायित्व को पहचान तूं
कैद है गर भोर उजली
हरो तम, बनो सूर्य
अपना तेज पहचानो
विघटन नही,
जोडना है तेरा काम
हीरे को तलाशना हो तो
कोयले से परहेज
भला कैसे करोगे
आत्म ज्ञानी बनो
आत्म केन्द्रित नही
पर अस्तित्व को जानो
अनेकांत का विशाल
मार्ग पहचानो
जियो और जीने दो,
मैं ही सत्य हूं ये हठ है
हठ योग से मानवता का
विध्वंस निश्चित है
समता और संयम
दो सुंदर हथियार है
तेरे पास बस उपयोग कर
कदम रूकने से पहले
फिर चल पड़।

स्वरचित
 कुसुम कोठारी।

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नमन भावों के मोती
विषय -कदम
18 /5 /19

जीवन ध्येय
साहित्य की साधना
नेक कदम

लक्ष्य की ओर
प्रखर हो कदम
सफल तभी

धधक उठी
चूल्हे की दबी राख
सख्त कदम

सधे कदम
सफलता के द्वार
दृढ़ विचार

(स्वरचित) सुलोचना सिंह
भिलाई  (दुर्ग )

नमन भावों के मोती 🌹🙏🌹
18-4-2019
विषय:-क़दम
विधा :-दोहा

लिए गोद में घूमते , लगा महावर पाँव ।
रखती क़दम न राधिका , बनी हथेली ठाँव ।।१।।

करे बहाना थकन का , क़दम चले न एक ।
अंक पाश में भर लिया , दे बाँहों की टेक ।।२।।

विह्वल होकर प्रेम में , नाम गई निज भूल ।
एक क़दम कैसे चले  , चुभा प्रेम  का शूल ।।३।।

बढ़े क़दम जब प्रेम में , बने शूल भी फूल ।
पहरेदारी प्रीत की , बहुत उड़ाती  धूल ।।४।।

स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
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नमन मंच
विषय-कदम
विधा-गीत

प्रेम की पांखुरी हूँ तुम्हारी प्रियम
फूलों की एक दरी हूँ रखो न कदम।

आप ही आप हो उर के आँगन तले
महकती हर कली,पुष्प सारे खिले
डर ये लगता मुझे हो न मेरा वहम
फूलों--- - - - - -- - - - -

तेरी आहट से दिल ये प्रफुल्लित हुआ
वक्त के थे कदम  मैंने नित नित छुआ
हो न जाये कही तुझको खुद पर अहम
फूलों की ---- - - - - - - - - - - - - - -

यामिनी चल पड़ी अब निसीथ की ओर
कलरव करते विहग आने वाली है भोर
उर लगा लो मुझे तोड़ो न ये भरम
फूलों-- - - - - -   -       -


कदम से कदम  मिलाकर  चलो
रंज ओ गम सारे भुलाकर चलो।

तेरी देहरी  पर  हर  कोई आएगा
अपना सर  जरा झुकाकर चलो।

कामयाबी को अगर पाना है तुझे
एक ख़्वाब दिल में जमाकर चलो।

इतने  दुःखी  क्यों  होते  हो तुम?
ये जमाना है,बस सँभालकर चलो।

'परमार' यह तेरा रुतबा कैसा है?
कि जिधर चलो मुँह घुमाकर चलो।

~ परमार प्रकाश
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नमन भावों के मोती
दिनाँक-18/04/2019
शीर्षक-कदम
विधा-हाइकु

1.
लक्ष्मी कदम
धन की छमछम
जाने कुबेर
2.
बढ़े कदम
आपसी सहमति से
दोस्ती के लिए
3.
नन्हें कदम
बने हमसफ़र
बचपन में
4.
नन्हीं बिटिया
बढ़ा एक कदम
चली मंदिर
5.
रखो कदम
सोच समझकर
सही दिशा में
6.
भावों के मोती
साहित्यकारों वास्ते
अच्छा कदम
**********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन "भावों के मोती"🙏
18/04/2019
हाइकु (5/7/5) 
विषय:-"कदम"
1)
बाबुल द्वार
लक्ष्मी का आगमन
बेटी कदम
2)
भाव कदम
दौड़ते सरपट
कल्पना पृष्ठ।
3)
होते सफल
आशावादी कदम
मिले मंजिल।
4)
सत्कर्म मार्ग
सम्मानित कदम
मिलता यश।
5)
बहु कदम
हर्षित परिवार
महके घर।
स्वरचित
©सारिका विजयवर्गीय"वीणा"
नागपुर (महाराष्ट्र)
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"नमन-मंच"
"दिंनाक-१८/४/२०१९
"कदम"
मत रोको ,कदम उसका
बढ़ जाने दो आज उसे
तोड़कर बेड़ियाँ सदा के लिए
हो जाने दो आजाद उसे।

है वह आज की नारी
नही घबराती बाधाओं से
बढ़ा लेने दो कदम उसे
लांघ लेने दो दहलीज उसे।

बहुत छलि है दुनिया उसे
दुनिया को दिखलाने दो
उसके कदम़ मे भी दम है
आज उसे बतलाने दो।

पूरी दुनिया है उसके कदमो मे
यह एहसास उसमे जग जाने दो
सफलता उसका कदम चूमें
ऐसा आज हो जाने दो।
    स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
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