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ब्लॉग संख्या :-357विषय - मर्यादा/ राम नवमी
तेरा अर्चन मैं करूँ
हर दिन सुबहोशाम
मन में एक विश्वास है
मिल जाएंगे राम
दैत्यों का संहार कर
ऋषियों के कष्ट मिटाए
मर्यादा न तजि कभी
पुरुषोत्तम कहलाये
दौड़ा अश्वमेघ का घोड़ा
चक्रवर्ती कहलाये
धरा पैर पाषाण पर
तारणहार कहाये
जब जब पाप बढ़ा धरती पर
रूप बदल कर आये
दुष्ट दलन कर के सदा
शूरवीर कहलाये
वचन निभाने के लिए
छोड़ दिया था राज
राम नाम सुमिरन बिना
सधे ना कोई काज
अंतर्यामी राम है
उनका सुमरो नाम
कण कण में वो है बसे
हृदय बसे मेरे राम
सरिता गर्ग
स्व रचित
"मर्यादा"
प्रेम का गठबंधन
टूट गया, छूट गया
खुल गई गांठे
हर बोल उच्छल हो गए,
मर्यादा, टूट रही
घुट रही, लुट रही
सिमट रहा बड़प्पन
घूंघट, शर्म के औझल हो रहे l
ज़माना बदलाव का
या बदलाव ज़मानें का,
ठोकरों में गिरती
सयानी होती उम्र,
प्यार अपनों का
या अपनें पन का दायरा
सिमट के लुप्त हो रहा
अपने होने का गुमान l
बदहास टूटती परम्परांएं
मिट रही, घिस रही
हम ही मिटाते हुए
हम ही अकेले जीते ,
आशाओं के जाल में फ़से
मां-बाप, दादा-दादी
नाना-नानी,मामा-मामी
भाई-भावज, जीजा-जीजी
गांव के, पड़ौस के, मौहले के
रिश्ते कुछ दूर हो गए
मैं और मेरे में लुप्त हो गए ,
मर्यादा टूट रही,
लुट रही, घुट रही
सिमट रहा बड़प्पन
घूंघट शर्म के औझल हो गए l
श्रीलाल जोशी "श्री"
तेजरासर , बीकानेर ( मैसूरू )
चलें जीवन के काम सब मेरे राम भरोसे।
न रुपया कोड़ी दाम सब मेरे राम भरोसे।
खग मृग चातक धेनु करे ना कोई काज ।
बस चरें करें आराम सब मेरे राम भरोसे।
किसने फूल खिलाए किसने पर्वत बनाए।
सृष्टि के आयाम है सब मेरे राम भरोसे।
आग में जलना होगा फिर भी चलना होगा।
लड़ लेंगे यूं हर संग्राम सब मेरे राम भरोसे।
उठें सभी प्राणी भूखे भर पेट सभी हैं सोय।
सब के ही दाता राम सब मेरे राम भरोसे।
विपिन सोहल
बिषयः#मर्यादा/राम नवमी #
विधाःःःकाव्यःःः
आपश्री हैं मर्यादा पुरूषोत्तम
जय आदर्श पुरूष हे श्रीराम।
अवतरित हुए चैत्र नवमी को,
सरयूतट पवित्र अयोध्या धाम।
जय जय मर्यादा पुरूषोत्तम।
जय जय सीतापति श्रीराम।
मर्यादा कभी ना तोडी तुमने,
जय जय जय प्रभु राजाराम।
धीर वीर गंभीर रहे रघुनंदन।
आप श्री के चरणों में वंदन।
आज पुनीत वेला नवमी की,
जय जय जय श्री रघुचंन्दन।
जय रघुपति राघव राजाराम।
जय रघुवंशमणि जयरघुराम।
एकबार दर्शन दें पुरूषोत्तम,
हे रघुकुलदीपक श्रीसुखराम।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
पौरुष ,बल है अनूप
कमल -नयन श्रीराम
विष्णु अवतार हैं ।
मातृ- पितृ परमभक्त
भ्रातृ-प्रेमअति सशक्त
मर्यादा पुरुषोत्तम
रघुकुल के मान हैं।
जन- जन के नायक हैं
पतितों के पालक है
करुणामय दशरथ-सुत
दया के निधान हैं।
करने को दूर त्रास
रावण का किया नाश
परमवीर रघुवर की
गूँजती जयकार है ।
घर- घर में वंदनीय
सादर अभिनन्दनीय
कौशल्यानंदन की
महिमा अपार है ।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
दिनांक-
13/4/2019
विषय-
मर्यादा/राम
है राम
दशरथ का बेटा
जो जीवन कर मूल्यों
को जीता कहलाता
मर्यादा पुरषोत्तम राम ।
दूजा राम जो घट
घट में बैठा
देता तुझे आत्म ज्ञान
कर उसका सानिध्य हो जाओ तुम जीवन नैया पार ।
तीजा राम सकल
पसारा
है जो कण कण में बसता
चलता जिसके दम
पर सकल संसार ।
चौथा राम जो सबसे न्यारा
जो निराकार निलाम्ब राम
हो पाना उसे तो
पड़ेगा पहले स्वयं
को खोना ।
स्वरचित
अंजना सक्सेना
इंदौर (म.प्र.)
13अप्रैल2019
मर्यादा/रामनवमी
नमन मन्च।
नमन गुरुजनों,साथियों।
त्रेता में थे जन्मे राम।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम।
चैत्र मास रामनवमी था।
उसी दिवस को जन्मे राम।
मर्यादा..........
खेलते,कूदते बड़े हुये।
माता,पिता के प्यारे थे।
कौशल्या के आँखों के तारे,
अयोध्या के राजदुलारे थे।
एक दिन माँ कैकेयी के कारण।
14 वर्ष के लिए वन गमन किये।
वहाँ जाकर राक्षसों को मारा।
रावण का संहार किये।
रामनवमी की पवित्र तिथि को।
जन्मे दशरथ के प्यारे राम।
वन गमन देखते हीं दशरथ ने।
त्याग दिये अपने प्राण।
युगों,युगों तक याद रहेगी।
कथा ये श्री राम की।
इतिहास में दर्ज हो गया।
नाम श्री राम भगवान की।
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
🌼🌼🌼🌼🌼
हो रहा है शंखनाद
बाजे मृदंग करताल
अवध पुरी झूम उठी
घंटियों की गूंज उठी
बधाईयों का शोर मचा
आई है सुखद बेला
तिथि है नवमी की शुभ
शुभागमन शुक्ल पक्ष
मधुमास की बहार में
जन्म लिया प्रभू श्रीराम ने
कौशल्या के सुत अति प्यारे
दशरथ के तुम राजदुलारे
सुमित्रा,कैकयी के तुम लाला
चरणरज से अहिल्या को तारा
मातृ-पितृ के प्रभु अनुरागी
कष्टों के प्रभू तारनहारी
सियापति राम सब जन के प्यारे
मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते
एक पत्नी व्रत धर्म निभाया
रघुकुल रीति को आगे बढ़ाया
पिता के वचन का रखा मान
बिताया चौदह वर्ष वनवास
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित
राम नवमी,
13/4/2019
शनिवार
भावों के मोती
💐💐💐💐💐
आज राम नवमी के संग संग
आई दुर्गा अष्टमी!
राम से जीवन हो अपना
आशीष माँ दे अपना!!
मास चैत्र में जन्में
श्री रघुपति राघव राजा राम!
राम कथा से जुड़े हुए हैं
भारत की संस्कृति के तार !
रीति रिवाज संग त्यौहार
यही हमारे संस्कार!!
नया साल मंगलमय हो
आप सभी के संग मेरा,
खुशियां सबको हासिल हो
मनोकामना पूरित हो !!
स्मृति श्रीवास्तव
सूरत (स्वरचित)
नमन भावों के मोती
शीर्षक -मर्यादा/
रामनवमी
शनिवार/13-4 19
विधा ---दोहे
1.
चैत्र शुक्ल नवमी दिवस,जन्मे थे श्रीराम।
रघुकुल के उत्थान में,मर्यादा आयाम ।।
2.
राम सीय के ब्याह से, जुड़े दशरथ विदेह।
मिलकर विशाल राज्य दो,एक हो गए गेह।।
3.
रत्नाकर ने धो लिए, राम नाम से पाप।
मिला अंत मारीच को, किया राम का जाप।।
4
राम नाम की शक्ति से, हनुमत, भे बजरंग।
नाम,राम से अधिक है,फल पाकर सब दंग।।
5
सभी किया वो राम ने , जो करवाना चाह।
मर्यादा खुद ही रखी, लोक दिखाई राह ।।
6
बड़ा राम का नाम है, बड़ा राम का राज्य।
अन्ते नाता राम से, अन्य सभी हैं त्याज्य।।
*******स्वरचित*****
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र)451-551
भावों के मोती
13/04/19
शीर्षक- मर्यादा
राम से श्री राम बनने की
यात्रा कोई आसान तो नही थी,
सीता जैसी सह धर्मिणी से
विछोह कोई आसान तो नही था
महाराज दशरथ की प्रथम संतान
राज सुख के दावेदार
वन वन भटकना कोई
आसान तो नही था
अपने आकाश के सूर्य चंद्र
को कहीं और चमकने देना
कोई आसान तो नही था,
पुरुषोत्तम बनने के लिये
सब कुछ त्यागना कोई
आसान तो नही था ।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
13/04/19
राम
क्षणिका
1)
राम मात्र शब्द नहीं
राम आत्म तत्व हैं
जान, मूल भाव को
आत्मसात उन्हें करें
चरित्र का अनुसरण कर,
सुगम जीवन पथ करें।
2)
पथ हो रहे कंटक भरे
अन्याय ,झूठ अत्याचार
अब मार्ग मे खड़े ,
राह कोई नजर न आये
इससे कैसे बच पायें
स्वयं कल्कि बन
अवतरित हो जायें
विश्वास का संबल रख
हौसले से पग बढ़ा
जग के लिए मार्ग
प्रशस्त कर जायें ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
तिथि-१३:०४:१९
वार- शनिवार
🌹 राम नवमी🌹
त्रेता युग के राम की ,महिमा बहुत अपार।
रावण कुल नाशक बने, दशरथ राजकुमार।।
राम नाम को सिमरिए,कर कमलों को जोड़।
जब तक तुम में प्राण है,इसे कभी मत छोड़।।
राम ज्ञान का द्वार है,करता यह कल्याण।
सुखदायक ही जानिए, समझो रे इंसान।।
जिसके भीतर राम है,उसका बेड़ा पार।
राम नाम जप से पड़े, खुशियों की बौछार।।
जप तप करना है कठिन, बड़ा कठिन संन्यास।
राम सिमर कर हो गए,सारे व्रत उपवास।।
चंचल पाहुजा
दिल्ली
विधा- भजन
*******************
जय राम श्री राम जय जय राम...(2)
माँ कौशल्या हुई सौभाग्यशाली,
दशरथ की सोई किस्मत जागी,
अवधपुरी में आई है बहार,
जन्मे हैं राम हुआ बड़ा उपकार |
जय राम........ (2)
भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न के तुम भ्राता,
माँ सीता के तुम हो प्राण,
तुम्हारी महिमा है अपरम्पार,
करूँ तुम्हें बारम्बार प्रणाम |
जय राम......... (2)
पिता दशरथ का तुमने वचन निभाया,
मर्यादा पुरुषोत्तम जग ने बनाया,
वन में काटे चौदह साल,
वहाँ किया असुर संहार |
जय राम....... (2)
हनुमान को परम भक्त बनाया,
बालि और विभिषण को राज दिलाया,
सबरी, अहिल्या का किया उद्धार,
जग में तुम्हारी होती जय जयकार |
जय राम...... (2)
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
भावों के मोती दिनांक 13/4/19
मर्यादा
रहे मर्यादा में
इन्सान
तो बनेगी उसकी
पहचान
राम रहे मर्यादा में
पूजे जाते हैं
जन जन में
सीखे संस्कार
घरों से बच्चे अपने
बनें सहारा
बुजुर्गों के वे
ले आशीर्वाद
फ़ले फूले
राम सदृश्य
चरित्र बनाए अपना
प्रसन्न हो
माता पिता उनके
मन रहा है
जन्मोत्सव आज
रामनवमी का
खुशियों से
जरूरत है
राम के
आदर्शों को
हर इन्सान में
समाहित करने की
मिट जाएँ
जिससे
दुःख कलेश कष्ट
इन्सान के
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
दिनाँक-13/4/2019
विषय-मर्यादा ,राम नवमीं
विधा कविता
राम नवमीं
ये पावन पर्व भारत का,
सब मिलकर मनाते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम का,
जन्ममोत्सव मनाते हैं।।
चैत्र महीना, मधुर ऋतु
मनभावन मधुमास है।
अन्नपूर्णा वसुंधरा पर,
छाया नव प्रकाश है।।
भारत की है पुण्य धरा,
जहाँ जन्मे थे श्री राम जी।
सरयू तट की पावन लहरें
जय हो अयोध्या धाम की।।
घर घर तोरण बन्दनवार
दीप जलाएं हरेक द्वार।
मंगल गीत गायेंगे,
हम राम नवमीं मनाएंगे।।
रचनाकार
जयंती सिंह
नमन"भावो के मोती"
13/04/2019
"मर्यादा/रामनवमी"
🙏🙏
हे!राम,राघव,रघुपति....
छयालिस गुणों के अधिपति
दे दो हमें थोड़ी सुमति...
हे!कृपानिधान करो कल्याण।
जग के भव बंधन से बंध गई
माया के भँवर में फंस गई
तुम हो सबके अंतर्यामी
घट-घट वासी करो कल्याण।
दे दो हमें तेरे चरणों की भक्ति
दूर हो दुनिया से आशक्ति
मन की मूढ़ता कम जाए
हे!सर्वसमर्थ करो कल्याण।
बाल्मीकि और तुलसीदास
लीला तेरी किए बखान
महिमा तेरी अपरंपार
कैसे करुँ मैं तेरी गुणगान
हे!कौशल्या नंदन करो कल्याण।
छोटे बड़े का न था भेदभाव
स्वार्थ का भी किया त्याग
मन ,वचन कर्म से
प्रजा के लिए तैय्यार
राम राज्य है हमारा अभिमान
हे !मर्यादा पुरुषोत्तम करो कल्याण।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
"शीषर्क-रामनवमी"
जप ले मनुया,राम का नाम
हो जायेगा भवसागर पार
जय जय बोलो अवधपुरी की
जहाँ राम लिए अवतार।
राम से बढ़कर इस जग मे
और दूजा ना काम
सच्ची, लगन व सच्ची भक्ति से
भज लो प्रभू का नाम
है वे जग के तारणहार
आज रामनवमी के दिन
तुम्हें है शत शत बार प्रणाम
हे अविनाशी, कर दो मेरा कल्याण
गणिका तारे,अजामिल तारे
कब से ताके ,हम राह तुम्हारे
अबकी बार सुन लो अरज
तुम हमारी राम।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
प्रगटे राम नवमी श्री राम |
अयोध्या में जन्मे श्री राम ,
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम |
आज्ञाकारी पुत्र थे श्री राम ,
थे दुष्टों के संहारक श्री राम |
प्रजा के थे पालक श्री राम ,
श्रेष्ठ मिशाल राजा श्री राम |
बचन निभाने वाले श्री राम ,
सत्य पथ अनुगामी श्री राम |
आदर्श भ्राता बने थे श्री राम ,
विनम्र व अतुल वीर श्री राम |
सर्वदा रहेंगे पूजनीय श्री राम ,
परहित कारी जीवन श्री राम |
होगा कल्याण जपो श्री राम ,
समझो मर्यादा कहें श्री राम |
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश
दिनांक :- 13/04/2019
शीर्षक :- मर्यादा/राम नवमी
खिल उठा है आँगन देखो...
पूरा अवध है हरषाया..
कौशल उपवन खिला पुष्प..
पूरा अवध है महकाया...
सुंदर सौम्य छवि अतिसुंदर..
बाललीला अति मनभावन..
शुभ आगमन से जिनके..
हुआ पूरा अवध है पावन..
रघुकुल नंदन राज दुलारे..
माँ कौशल्या के आँख के तारे..
गुणागार करुणासागर..
चरण स्पर्श में अहिल्या तारे..
भक्तवत्सल प्रभु श्रीराम...
भक्त केवट आतिथ्य स्वीकारे..
भावविहल हो उठी सबरी...
देख प्रभु बेर खाए चटखारे..
महाबली बालि को संहारे..
सुग्रीव से मित्रता निभाए..
पितृ वचन ले शिरोधार्य..
मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए..
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
विषय-राम नवमी
आप सभी मित्रों को राम नवमी की बधाइयाँ,,,
भगवान श्रीरामचंद्र जी के जन्मोत्सव पर कुछ। भक्तिरस पूर्ण हाइकु,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
, श्री राम जन्मोत्सव
****************
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
राम नवमी
श्रीराम जन्मोत्सव
अयोध्या पुरी //🌹
,,बधाई बाजै
कौशल्या के अँगना
खेलै ललना//🌹
, रामावतार
, विष्णु स्वरूप जन्म
, जग तारन //🌹
ठुमक चले
, बालक राम लला
, घुंघरू बाजे //🌹
माता कौशल्या
, छबि पे बलिहारी
, मोहित मन //🌹
कौशल राजा
, दशरथ के भाग्य
, मुदित मन //🌹
प्रजा पालक
हिन्दू धर्म नायक
, श्री राम चन्द //🌹
,
राम चरित्र
, जीवन अमृतम़्
, रामायण में //🌹
***************************
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्य कार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित (गाजियाबाद)
दिनांक -13/4/19
शीर्षक-रामनवमी
विधा-छंद मुक्त कविता
धन्य हुई अवध पूरी,जन्मे राजा राम।
राम जन्म से बिगड़े हुए, बने सभी काम।।
राम जन्म की बधाई, मिल रही चारो ओर से।
धन्य हुई कौशल्या माई ,दे जन्म श्री राम को।
विस्मित हुई मात जब दर्शन दिए विराट रूप केे।
कर जोड़ किया विनय ,ले लो अवतार पुनः निज स्वरूप में।
आतंक से भयभीत सभी मुनि वशिष्ट के प्राँगण में।
पहुँचे कर जोर आज लेने श्री राम को।
राजा जनक के उत्सव में हुई राजाओ की भीड़।
रावण से ले कर सभी प्रतापी धीर।
उठा सके ना धनुष को कोई भी एक क्षण।
प्रत्यंचा चढ़ा कर जीता सीते का साथ।
हाय विडंबना की राज तिलक दिवस को मिला चौदह वर्ष वनवास।
वर्ष बिताये चौदह ,किया असुर का नाश।
रावण को मार कर हल्का किया भूमि का भार।।
लौटे सिय के साथ रघुनंदन
खत्म हुआ जब वनवास।
अवधवासियों को प्रभु मिलन की आस।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात
********************************
"*"*" मर्यादा पुरुषोत्तम"*"*"
भय बिन होय ना प्रीत,यह रीत,
यही नीत जगत को सिखलाया,
षठ संग षठ सा व्यवहार करो,
यह सज्जन जन को बतलाया,
नर रूप में जन्म नारायण का,
धरती को निष्चर हीन किया,
पाषाण अहिल्या उद्धार किया,
शबरी को जिसने चीन्ह लिया,
आज्ञां वन भ्रमण पिता की थी,
राज पाठ का सब त्याग किया,
सीता सी पत्नी खोकर जिसने,
रावण कुल का भी संहार किया,
नीति अनीति का पाठ पढ़ाने,
बाली का वध भी कर डाला,
स्वीकारी हनुमत सी सेवकाई,
लंका का दहन भी कर डाला,
मर्यादित हर कृत्य था उनका,
तब मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए,
ब्रहमास्त्र चलाने वाले भी तब,
शरणागत हो सब शीश झुकाए,
ऐसे श्रीराम के चरण कमलों में,
विनयवत है यह जग सारा,
दुर्गा की भी अब यही विनती है,
फिर जन्म लला लो दोबारा,,
#रचनाकार"*" दुर्गा सिलगीवाला सोनी
रघुकुल शिरोमणि कौशल्यानंदन
मर्यादा की मूर्ति धर्म के वंदन
वचन मात-पिता के निभाये
गये वनवास सिंहासन त्यागे
आ़ई जब अपने वचनों की बारी
बिना संकोच त्याग दी जनकदुलारी
सच्चे बंधु लक्ष्मण शत्रुध्न के
त्यागी भरत के भ्राता तुम
सखा सुग्रीव विभीषण के
वचन निभाये लंका
जीतकर दे आये
पतितों के तुम उध्दारक
तारी अहिल्या और शबरी तमाम
तुम सेवक सुखदाता
पवनपुत्र का साथ तुम्हें भाता
गुरू संग शिष्य बनकर जाते
संहार ताड़का दक्षिणा देते
जनक की पीड़ा मिटाते
प्रत्यंचा चढ़ा शिवधनुष पर
भरी सभा में सीता वरण है करते
रावण संहारा तुमने पुरूषोत्तम
अहंकार अभिमान को मारा
कर स्थापना सत्य की तुम
धर्म और मर्यादा निभाते
हे आर्यश्रेष्ठ तुम इसीलिये
मर्यादा पुरूषोत्तम हो कहलाते
----नीता कुमार(स्वरचित)
ह्रदय के रोम रोम में बसा लो अपने ये नाम
हर दिवस बोलो जय श्री राम
पूर्ण हो जायेंगे सब बिगड़े काम पूर्ण.
राम नाम जिनका अयोध्या हैं परम धाम
ऐसे प्रभु रघुवीर को अंतर्मन से प्रणाम
जीवन पग पर बढ़ाओ कदम
करते रहो प्रभु श्रीराम का गुनगान.
राम नवमी का हैं पावन दिन
जन्में आज प्रभु राम
सबके बनाते हैं बिगड़े काम
दुष्टों और दैत्यों का करते सर्वनाश .
भरतभूमि से दुष्टों और पापियों को मिटाना हैं
फिर से धरा पर खुशियों के पुष्प खिलाने हैं
फिर से धरा पर राम राज्य लाना हैं
राष्ट्र को फिर सफलता की सर्वोत्तम चोटी पर ले जाना हैं .
सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभ कामनायें
जय श्री राम जय भारत .
स्वरचित:- रीता बिष्ट
सादर नमन भावों के मोती
आज का कार्य---मर्यादा पुरुषोत्तम राम
विधा---मंगल गीत
आप सभी भाई बहनों को रामजन्मोत्स्व एवं दुर्गाष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!!
***********
सखी चैत्र मास अभिजीत घड़ी
मध्य दिवस जन्म लिये चारु लला
**
हरी जनम लिए अवधेश के घर!
सब लोग निहारत राम लाला !
***
बड़ी भाग अवध में अंजोर भयो
सखी गावत शुभ मंगल अंगना!
****
जब रोदन गूंजा अवध पुर में
लै आरती थाल चली अंगना!
****
महतारी बिलोकि रही सूत को
हिय हरषि झुलावत हैं पलना!
***
अब नौबत बाजत अवध पुरी
गुंजे मंगल गान बजे बजना!
****
नभ से सुर पुष्प करे वर्षा
घर आँगन खेलत हैं ललना!
***
जब रूप निहारी हिया हरसे
झट नैयनन देत सजा कजरा!
****
पट पीत पीताम्बर सोहे बदन
छम बाजत पावन में झन्झना!
****
हरि लालन रुप निरेखी सखी
छठि पूजत गोदी में लैय ललना!
***
बड़ी भाग अवध में अंजोर भयो
सखी गावत शुभ मंगल अंगना!
***
मोरे लाल को लागे न कोई बला
जननी जड़ देत है भाल दिठौना!
****
न्योछावर लाल के नृप लुटावें
कौशल्या लुटावत हैं कंगना!
****
भर नगर अवधपुर आज सजा
नर नारी मगन गावत रजना!
****
सखी आज अवधपुर भाग्य जगो
अवतार लिए है रघुनंद लला!
*****
..
# मणि बेन द्विवेदी
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१३/०४/२०१९
दिवस - गुरुवार
----------------------------------------------------------------
पालो भक्ती राम की, बढ़ जावे फिर ठाठ।
सत्य मार्ग का ज्ञान दे, रामायण का पाठ।।
रामायण का पाठ, सुखी संसार बनाता।
भव से करता पार, खुशी का सार दिखाता।।
कहें अर्श कविराज, आज तुम ये अजमालो।
पूरे होंगे काज, राम धुन मन में पालो।।
------------------------------------------------------------------
स्वरचित कुण्डल छंद
-------------------------------------------------------------------
विधान –ये एक [सम मात्रिक] है इसके प्रत्येक चरण में 22 मात्राए होती हैं, 12,10 पर यति होती है , यति से पहले और बाद में त्रिकल आता है और अंत में 2-2 आता है l कुल चार चरण होते हैं, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत होते हैं l
---------------------------------------------------------------
चैत मास की नवमी , राम जन्म लेवें।
नवरात्रि की नव खुशी, और बड़ा देवें।।
शरद मास की दसवीं, रावण वध कीहें।
नवरात्रि की शुभ घड़ी, पाप मिटा दीहें।।
---स्वरचित एवं मौलिक ---
Kavi DrHS Arsh Lucknawi--
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