Monday, October 14

"प्रतिभा " 1अक्टुबर 2019

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ब्लॉग संख्या :-522

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विषय प्रतिभा
विधा काव्य

01 अक्टूबर 2019,मंगलवार

सब गुण सम्पन्न कोई नहीं
प्रतिभा छिपी सभी के अंदर।
धूल जमी दर्पण के ऊपर
रज हटे नर लगता है सुन्दर।

भिन्न भिन्न स्वरूप कला के
भिन्न भिन्न मन चित्तवृत्तियाँ।
नृत्य गीत सङ्गीत चित्र लेखन
अति सुंदर भारत संस्कृतिया

खून पसीना सदा बहाते
प्रतिभा उभर सामने आती।
मनोवांछित वह फल देती
प्रतिभा विकास भू पर लाती।

कुछ प्रतिभाएं ईश प्रदत्त
जन्मजात मानस में होती।
प्रतिभाओं के बल से ही जग
जलती सदा ज्ञान की ज्योति।

प्रतिभा कँही क्रय नहीं होती
त्याग तपस्या करनी पड़ती।
नव जीवन देती दुनियां को
नित पीड़ित पीड़ा को हरति।

स्वरचित, मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

1/ 10/2019
बिषय ,,प्रतिभा,,

चहुंओर अड़चन ही अड़चन
चाहे बहुत घना हो कानन
मुशीबतों से कर मुकाबला
चाहे मंजिल का अधिक फासला
मन में कर दृढ़ विश्वास
संकल्पों की पूर्ण आस
यात्रा अरवरत जारी हो
मंजिल पाने की तैयारी हो
जो न होते कभी हताश
निरंतर करते रहते प्रयास
. उम्मीदों का हो विश्वास
पत्थरों को भी देते तराश
जिसमें प्रतिभा का भंडार हो
धैर्य क्षमता अपार हो
दुनिया की दीवारें उसका
क्या कर सकती हैं
पुष्प पल्लवित हो स्वयं महकती हैं
उसका जीवन निर्बाध आगे बढ़ता है
कोहनूर कितना ही छिपा हो
दूर से ही चमकता है
स्वरचित,, सुषमा,, ब्यौहार

प्रथम प्रस्तुति

औरों की नकल में निज वक्त गँवाते
अपनी छुपी प्रतिभा नही झाँक पाते ।।

हम अपनी प्रतिभा आँक नही पाते
आँकते भी तो लोग उँगली उठाते ।।

बिन माँगे ही सलाह मशविरा हमको
दुनिया वाले मुफ्त में ही दे जाते ।।

प्रतिभाओं के सामने सदा इक नही
हजारों हजारों रोड़े यहाँ आते ।।

प्रतिभा ईश्वर का वरदान कहाय
हम उस वरदान को यहाँ ठुकराते ।।

कैसी बिडंवनायें हैं कभी कभी
प्रतिभावान सदमें के शिकार कहाते ।।

पूछो उन धनवान प्रतिभा वालों से
कितनी प्रतिकूलता में जीवन बिताते ।।

कभी अपनों से भी लड़ते झगड़ते
और कभी कभी वो चोट भी खाते ।।

कामयाबी के परचम 'शिवम' यहाँ
कभी यूँ ही नही कोई फहराते ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 01/10/2019

अभी सक्रिय है
1/ 10/2019बिषय ::#प्रतिभा #
विधा ::काव्य

प्रतिभाओं का दमन नहीं हम
प्रतिभाओं का सम्मान करें ।
पडी सुस्त यहां जो प्रतिभाऐं
सबको जगा कर मान करें.।

इस भारत का गौरव हैं सब
इन पर हम अभिमान करें ।
देश विदेश में नाम कमाऐं.,
क्यों न इनका गुणगान करें.।

हम विनय करें मां चंद्रघंटा से
इनका घंटा चहुंओर बजे ।
पदक सदा ही पाऐं प्रतिभाऐं,
डंका अंम्बे चारों ओर बजे ।

प्रतिभा स्वयं प्रस्फुटित होती है
कुछ लाल गूदडी में भी पलते हैं ।
जिन पर हो भगवती की कृपा,
वो जहां रहें वहां पर भी फलते हैं ।

स्वरचित ::
इंजी शम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म प्रदेश
दिनांक .. 1/10/2019
विषय .. प्रतिभा

*******************

होती है दिल की कुछ बातें,
जो बस दिल ही सुन पाता है।
नजर भी बोलती है पर उसे,
बस नजर ही समझ पाता है॥
**
प्रतिभा तो हर एक मे है पर,
जानेगा बस वो ही।
जिसके मन की आँखे होगी,
जानेगा बस वो ही॥
**
भाव पढे मीरा के काँन्हा
नटवर नागर बनके।
सूरदास के शब्दों मे है,
काँन्हा बालक बनके॥
**
प्रेमी के मन बसे प्रेमिका,
चाँद के संग चकोरी।
शेर हृदय मे बसे है मोहन,
प्रीत रीति है तोरी॥
**
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
1/10/2019
विषय-प्रतिभा
==
===========
प्रायः व्यक्ति को
ज्ञात भी नहीं होता
कि कौन सी प्रतिभा
छिपी हुई है उसमें
यह उक्ति तो
सुनी ही है सबने
कि कुछ न कुछ तो
छिपा होता है सबमें
गुण विहीन नहीं होता
कोई भी इस जगत में
ज्यूँ हीरा छिपा होता है
कोयले की खदान में
कस्तूरी समाहित है
कस्तूरी मृग में
बस इसकी पहचान करके
निज प्रतिभा को प्रखर बनाना है
उर अंतर से खोज कर स्वयं को
प्रतिभावान बनाना है
विलक्षण प्रतिभाओं की
कमी नहीं है हमारे देश में
उस परम सत्ता के दिव्य गुण
निहित हैं सृष्टि के कण कण में ।।

**वंदना सोलंकी**©स्वरचित
दि.01अक्तूबर,19
विषयःप्रतिभा

*
झरदे प्रतिभा-अभिमन्त्रित जल
जीवन-जगती हो सुधा-स्नात।
स्वर्बीजांकुर मुस्करा उठें
करदे कुहेलिका भस्मसात।

वरदे ! कल्याणीया करदे
नरता का अंतस - रस विकास।
भरदे मानव - मानव में नव
शुचि सुस्मिति का उत्पल-विलास।।
-डा.'शितिकंठ'

विषय -🌹 प्रतिभा🌹
दिनांक 1-10- 2019

सं
घर्ष से निखरती है प्रतिभा ।
मुकाम पर पहुंचाती है प्रतिभा।।

नित नए मुकाम छूती है प्रतिभा।
हुनर अपना दिखाती है प्रतिभा।।

चीर बाधा राह बनाती है प्रतिभा।
चहुँओर परचम लहराती प्रतिभा।

सफलता का आधार है प्रतिभा।
कार्य में निपुणता पाती है प्रतिभा।

लगन मेहनत रंग लाती है प्रतिभा।
कुशलता से आगे बढ़ती है प्रतिभा।

असंभव संभव बनाती है प्रतिभा।
समाज में यश पाती है प्रतिभा ।।

वीणा वैष्णव
कांकरोली

01 - 10 - 2019, मंगलवार,
शीर्षक - **प्रतिभा**
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
विधा - मुक्तक
-----------------
प्रतिभा कुंठित हो रही,
चिंतन की यह बात,
आरक्षण की मार से,
सहती है आघात,
'वोट-बैंक' की नीतियाँ,
करती बंटाढ़ार-
आक्रोषित जनता बहुत,
बिगड़ रहे हालात।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
विषय--प्रतिभा
विधा--मुक्तक

दि--1-10-19/मंगलवार
1.
प्रतिभा की आभा को पहचानना जरूरी है ।
कुंठा न जन्मे ये भी जानना जरूरी है ।
देश अरु समाज का ये नाम ऊँचा कर देंगे --
हम उनके मददगार, ये जताना जरूरी है।
2.
प्रतिभा का पूजन सदा, खोले अगणित द्वार।
प्रतिभा-कार्य सरल करे,हो उससे उद्धार।
प्रतिभा अगर विनष्ट हो, जन गण धन की हानि--
प्रतिभा के उपयोग से, बढ़ें प्रगति के तार ।
*****स्वरचित****************
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551

आज का विषय, प्रतिभा
दिन, मंगलवार

दिनांक , 1, 9, 2019,

अदुभुत प्रतिभा के धनी,
हुए कितने लोग महान ।
प्रतिभा जिनकी देखकर,
हो गया सकल विश्व हैरान ।
जो नहीं जिये अपने लिए ,
आये थे बस लोगों के काम ।
जीवन उनका मिसाल बना,
करते हैं सब उनको सलाम ।
श्री राम कृष्ण की ये धरती ,
हुये जहाँ ध्रुव प्रहलाद महान।
गौतम बुद्ध , महावीर स्वामी,
विवेकानंद जिन्हें अतुलित ज्ञान।
अविष्कारक कितने गुणीं व ज्ञानी,
जीवन में लाया कितना सुधार।
समाज सुधारक शिक्षावेत्ता कई,
मानवता के लिए हुए बलिदान।
अपनी अपनी प्रतिभा पहचाने,
जीवन को करें सार्थकता प्रदान ।
इंसा जैसा कौन यहाँ जगत में,
पैदा हुआ है विवेकी बुध्दिमान ।

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश

1/10/2019::मंगलवार
विषय -प्रतिभा


*********************
महिलाएं होती हैं झरनों की तरह
पर्वतों के बीच वो बहती रही

माँ बहन बेटी ये रिश्ते खून के
पत्नी बन हर रिश्ता वो निभाती रही

चक्र जीवन का तेरा आसान हो
बन धुरी ये घूम जाती ही रही

है निकल घर से खड़ी मजबूत वो
काँधे से काँधा हरकदम मिलाती रही

जब बनी पी.एम्.या सी.एम्.देश की
प्रतिभा का लोहा मनवाती रही

क्यूँ मनाते एक दिन महिला दिवस
बात हमको ये कभी भाती नही
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
बिषय- प्रतिभा
एक कहावत है कि

होनहार बिरवान के होत चिकने पात
यह बात सच है कि
प्रतिभा बचपन में ही दिख जाती है।
मगर यह भी उतना ही बड़ा सच है कि
सुयोग के अभाव में
यह विकसित नहीं हो पाती।
हीरा भी पोलिश होने पर ही
चमकता है, मूल्यवान बन जाता है।
आज जरूरत है इन हीरो को
ढ़ूंढ कर चमकाने की।
वरना ये महज एक कांच का टुकडा
ही रह जाएगा।
इनका मूल्य बहुत थोड़ा रह जाएगा।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर

दिनांक १/१०/२०१९
शीर्षक-प्रतिभा"

कल तक थी जो प्रतिभावान नारी
आज हो गई प्रतिभा से खाली
नहीं मिला अवसर उसे
भूल गई वह अपनी प्रतिभा।

देख देख होती हैरानी
क्या से क्या हो गई वह नारी
उठो,जागो तुम आज
कदम बढ़ाओ फिर एक बार।

दो अवसर अपनी प्रतिभा को
प्रयास हो पूरा भरपूर
प्रतिभा उभर आयेगा जरूर
हर एक में छिपी है प्रतिभा।

बस मिले उन्हें एक उचित अवसर
जाति-धर्म से ऊपर हो प्रतिभा
हर एक कौशल को चाहिए उचित अवसर।
खो न जाये,वह परिस्थिति बस।

हर कोई नही बन सकता बड़ा सितारा
पर प्रयास हो भरपूर सदा
पहूँचे जब मंजिल पर प्रतिभा
प्रस्फूटित हो निखरे प्रतिभा।

नहीं हो प्रतिभा किसी का मुँहताज
हर एक की प्रतिभा हो उसके सिर के ताज।
हर एक प्रतिभा आये उभर
हर एक प्रतिभा को नमन है आज।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
दिनांक 01/10/2019
विधा : हाइकु

विषय: प्रतिभा
🌹🌹🌹
प्रतिभा पूर्ण
सरल व्यवहार
लेखनी शस्त्र।

प्रिय प्रतिभा
सवरना सदैव
नया स्वरूप ।

अमित कोश
प्रतिभा समाहित
बाटू संसार ।

अमितोत्सव
प्रतिभा विचरण
देवों की काव्या ।
🌷🌷🌷🌷🌷
स्वरचित
नीलम श्रीवास्तव
01/10/2019
"प्रतिभा"

################
कैसी है ये आरक्षण व्यवस्था
प्रतिभा को गुमराह है किया
प्रतिभा को विवश है किया
प्रखर बुद्धि, तीक्ष्ण मस्तिष्क
मेधा तालिका में इने गिने ही..
रह गये..।
सिसक रही है आज प्रतिभा
हाथ-पाँव भी शिथिल हो रहे
लानत है ऐसी व्यवस्था.....
प्रतिभा को सराहना मिले..
प्रतिभा को प्रोत्साहन मिले..
प्रतिभा को सम्मान मिले...
प्रतिभा को स्वतंत्रता मिले..
प्रतिभा को उपयुक्त स्थान मिले...।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।

शीर्षक-प्रतिभा
विधा -पद्य

दिनांकः 1:9:2019
मंगलवार

प्रतिभा गुणो की खान है,
इसका सब सम्मान करें ।
यह होती ईश्वर की देन है ,
इनका सदा गुणगान करें ।

जो होते श्रमशील हैं,
उनमें यह दिन रात बढे,
धैर्य हौसला रख कर ही ,
वे सतत जीवन में बढें ।

आगे बढने के अवसर दें,
इन्हें सदा उचित स्थान दें।
कभी करें नहीं अवहेलना,
इनकी प्रतिभा को मान दें ।

करो नहीं निराश इन्हें,
ये भारत की शान हैं ।
देश को ले जाते आगे,
सब करते हम अभिमान हैं ।

गरीब पिछडे या धनवान हों
प्रतिभा नहीं मोहताज है ।
इनसे ही देश बढे हमारा ,
हमे होता इनपर नाज है ।

स्वरचित
डॉ एन एल शर्मा जयपुर
डॉ नरसिंह शर्मा निर्भय जयपुर

01/10/19
विषय प्रतिभा

विधा हाइकु

परिश्रम से
निखरती प्रतिभा-
भाग्य उदय

ईश प्रदत्त
जन्म जात प्रतिभा-
मनुष्य कर्म

मनुष्य गुण
प्रतिभा से महान-
जीवन धन्य

खोयी प्रतिभा
शिक्षा के आभाव में-
निर्धन घर

मनीष श्री
स्वरचित
.
विषय " प्रतिभा"
दिनांक " 1/10/19.

विधा "दोहा"

1.
कौशल कैसे देखता, उज्जवल नवल बसंत।
आरक्षण जब कर गया, प्रतिभा का अन्त।
2.
प्रतिभा उन्नति की धुरी, जानै सकल ज़हान।
प्रतिभा जहाँ विनष्ट तो,समझो जन-गण हानि।
3.
जिसको ईश्वर ने दिया, प्रतिभा का वरदान।
जन-जन का प्यारा रहे, पाता है सम्मान।
4.
प्रतिभा की चाबी लगा, खोलो उन्नति द्वार।
सुगम करै सब जटिलता, हो जग का उद्धार।
5.
आरक्षण हावी हुआ, प्रतिभा है लाचार।
वोट-बैंक की नीतियाँ, कर गीं बंटाधार।

भावों के मोती
विषय-प्रतिभा

विधा-लघु कविता
==========
प्रतिभाएं छुपती नहीं
अभावों के बीच रहकर
मशहूर हो जाती हैं
कसौटी पर खरी होकर
मंज़िल पाने की चाह में
सबसे आगे निकल जाती है
भूल जातीं अभावों का दर्द
तोड़ देतीं रुकावट के पत्थर
अपनी जिद्द पे खरी उतरती है
नाम रोशन कर गुजरती हैं
न शानो-शौकत
न ही कोई साधन अच्छे
पूरे होते जरूर
जो देखे सपने सच्चे
प्रतिभाएं छुपती नहीं
निखरकर उजाला फैलातीं

अनुराधा चौहान स्वरचित 

01/10/2019
विषय -"प्रतिभा"
विधा -"हाइकु"(5/7/5)

(1)
स्वार्थ की तुला
"प्रतिभा"की कीमत
अगूंठा मिला
(2)
चप्पल घिसी
रोजगार ढूँढ़ते
"प्रतिभा"टूटी
(3)
तंत्र में खामी
"प्रतिभा"पलायन
देश की हानि
(4)
छुपे न रूप
तम चीर निकली
"प्रतिभा" धूप
(5)
तैयारी खास
"संघर्ष" की परीक्षा
प्रतिभा पास

स्वरचित
ऋतुराज दवे
विषय:--प्रतिभा
विधा:--मुक्त


छुपाये से भी
छुपती नहीं
गर दम प्रतिभा में हो
महलों में ही नहीं
छप्परों की
झिरियों से भी
झांक लेती हैं
प्रतिभा
मोहताज नहीं होतीं
किसी बैसाखी की
हो अपाहिज ही सही
तब भी मकाम
अपना पा ही लेती है
प्रतिभा।

डा.नीलम


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