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ब्लॉग संख्या :-463
नमन मंच
1/8/2019
आज का विषय
निर्णय /फैसला
निर्णय लेना सबसे
दुर्लभ कार्य
सही निर्णय
बनाता शिरोधार्य
गलत निर्णय
हर जगह
पछाड़ दे
हर पग
हर राह
निर्णय से जुडा
बचपन से
मरण तक
चलती
यह धुरी
हर एक इच्छा
निर्णय से ही
होती पूरी
शिक्षा
सम्पति
दंपति
बुजुर्ग
माँ -बाप
का सम्मान
यह सब
अच्छे निर्णय
की पहचान
स्वरचित
शिल्पी पचौरी
1/8/2019
आज का विषय
निर्णय /फैसला
निर्णय लेना सबसे
दुर्लभ कार्य
सही निर्णय
बनाता शिरोधार्य
गलत निर्णय
हर जगह
पछाड़ दे
हर पग
हर राह
निर्णय से जुडा
बचपन से
मरण तक
चलती
यह धुरी
हर एक इच्छा
निर्णय से ही
होती पूरी
शिक्षा
सम्पति
दंपति
बुजुर्ग
माँ -बाप
का सम्मान
यह सब
अच्छे निर्णय
की पहचान
स्वरचित
शिल्पी पचौरी
विधा काव्य
01 अगस्त 2019,गुरुवार
हम मानव हैं ईश नहीं सब
जीवन में सब त्रुटियां करते।
भावातिरेक से लिए फैसले
जीवन पर्यन्त बर्बादी भरते।
कई फैसले ईश अधीनस्थ हैं
बुरे भले सब को हम भोगते।
कर्मो पर होते हैं वे आधरित
सुख शांति तो कभी रोग दे।
सोचो समझो करो फैसला
वह निर्णय प्रगतिशील होता।
सत्य पर हो वह आधारित
जीवन में नर कभी न रोता।
मायाजाल जगत आच्छादित
सब स्वार्थ संसार मे लिपटे ।
बुरे निर्णयों के कारण नर खुद
सदा पुलिस डंडों वे पिटते।
कौन अपना कौन पराया
यह निर्णय भी छोटा नहीं है।
कोई साधु तो कोई शैतान
जो साथ दे सदमित्र वही है।
मात पिता गुरु के निर्णय से
बालक की तकदीर बदलती।
संस्कारों में ढाल ढाल कर
फिर प्रगति जग उसे मिलती।
जन्म मृत्यु अटल सत्य हैं
निर्णय तो खुद को करना है।
राम नाम रस प्याला पीलो
एक दिन तो सबको मरना है।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
01 अगस्त 2019,गुरुवार
हम मानव हैं ईश नहीं सब
जीवन में सब त्रुटियां करते।
भावातिरेक से लिए फैसले
जीवन पर्यन्त बर्बादी भरते।
कई फैसले ईश अधीनस्थ हैं
बुरे भले सब को हम भोगते।
कर्मो पर होते हैं वे आधरित
सुख शांति तो कभी रोग दे।
सोचो समझो करो फैसला
वह निर्णय प्रगतिशील होता।
सत्य पर हो वह आधारित
जीवन में नर कभी न रोता।
मायाजाल जगत आच्छादित
सब स्वार्थ संसार मे लिपटे ।
बुरे निर्णयों के कारण नर खुद
सदा पुलिस डंडों वे पिटते।
कौन अपना कौन पराया
यह निर्णय भी छोटा नहीं है।
कोई साधु तो कोई शैतान
जो साथ दे सदमित्र वही है।
मात पिता गुरु के निर्णय से
बालक की तकदीर बदलती।
संस्कारों में ढाल ढाल कर
फिर प्रगति जग उसे मिलती।
जन्म मृत्यु अटल सत्य हैं
निर्णय तो खुद को करना है।
राम नाम रस प्याला पीलो
एक दिन तो सबको मरना है।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
नमन भावों के मोती।
सुप्रभात गुरुजनों, मित्रों।
💐💐🙏🙏💐💐
निर्णय/फैसला
💐💐💐💐💐💐💐
हाइकु लेखन
1
सही निर्णय
सुनहरा भविष्य
खिले मुस्कान
2
सही फैसला
कानून से है होता
न्यायालय में
3
अच्छा निर्णय
दंडित अपराधी
सच की जीत
💐💐💐💐💐💐
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
सुप्रभात गुरुजनों, मित्रों।
💐💐🙏🙏💐💐
निर्णय/फैसला
💐💐💐💐💐💐💐
हाइकु लेखन
1
सही निर्णय
सुनहरा भविष्य
खिले मुस्कान
2
सही फैसला
कानून से है होता
न्यायालय में
3
अच्छा निर्णय
दंडित अपराधी
सच की जीत
💐💐💐💐💐💐
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
शीर्षक-फ़ैसला
विधा-छन्द मुक्त लेखन
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आज परीक्षा संगम तट है
मेरे लिए दुकूल सुहावन
किंकर्तव्य विमूढ़ बने तुम
मुझको साक्ष्य सभेंट फैसला
कितनी अजीब कितनी अद्भुत
यह पीर हृदय मेधा बिशाल
उत्ताप मुक्ति इच्छित सुयुक्ति
इक ओर प्रखर इक ओर सिहर
कोई टूटा कोई बिखरा
कोई फैला कोई सिमटा
क्या हार जीत क्या प्यार पीत
जो जीत गया वो हार गया
जो हार गया वो जीत गया
यह जटिल प्रश्न यह चटुल प्रश्न
फैसला नहीं तो अनुत्तरित क्यूँ
आखिर कुछ तो कहना होगा
मेरी सरहद या अपनी हो
सीमाओं में रहना होगा
मुझे न भाव लुभाना आता
मुझे न साक्ष्य जुटाना आता
अंगारों पर तुम चलते हो
मुझको ठण्डी राख बिछी है
दुग्ध दुग्ध में नीर नीर में
वापिस करने का मौका है
करो फैसला तुम ही वरना
या मुझको आदेशित करदो ।
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
राम सेवक दौनेरिया 'अ़क्स'
बाह-आगरा (उ०प्र० )
विधा-छन्द मुक्त लेखन
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आज परीक्षा संगम तट है
मेरे लिए दुकूल सुहावन
किंकर्तव्य विमूढ़ बने तुम
मुझको साक्ष्य सभेंट फैसला
कितनी अजीब कितनी अद्भुत
यह पीर हृदय मेधा बिशाल
उत्ताप मुक्ति इच्छित सुयुक्ति
इक ओर प्रखर इक ओर सिहर
कोई टूटा कोई बिखरा
कोई फैला कोई सिमटा
क्या हार जीत क्या प्यार पीत
जो जीत गया वो हार गया
जो हार गया वो जीत गया
यह जटिल प्रश्न यह चटुल प्रश्न
फैसला नहीं तो अनुत्तरित क्यूँ
आखिर कुछ तो कहना होगा
मेरी सरहद या अपनी हो
सीमाओं में रहना होगा
मुझे न भाव लुभाना आता
मुझे न साक्ष्य जुटाना आता
अंगारों पर तुम चलते हो
मुझको ठण्डी राख बिछी है
दुग्ध दुग्ध में नीर नीर में
वापिस करने का मौका है
करो फैसला तुम ही वरना
या मुझको आदेशित करदो ।
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
राम सेवक दौनेरिया 'अ़क्स'
बाह-आगरा (उ०प्र० )
शीर्षक -- फैसला/निर्णय
प्रथम प्रस्तुति
फैसला अब कौन करता सही
लगे ज्यों प्रभु की बदलती बही ।।
बेचारे किसानों की हालत जर्जर
कुपित रहें इन्द्रदेव बात न सही ।।
हर महकमें में आए दिन दिखे
अधिनस्थों से लेते पैसे दही ।।
दलाल तो दलदल में फूलें फलें
तर्क तरकीबों वाले गली गली ।।
रब के फैसले की किसे फिकर
सोच अब इंसान की है सतही ।।
बच्चे अब गुस्साये रहें 'शिवम'
स्वयं निर्णय लेने की प्रथा चली ।।
बड़े बूढ़ों की अब कदर कहाँ
अनुभव पोटली अब धरी धरी ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 01/08/2019
प्रथम प्रस्तुति
फैसला अब कौन करता सही
लगे ज्यों प्रभु की बदलती बही ।।
बेचारे किसानों की हालत जर्जर
कुपित रहें इन्द्रदेव बात न सही ।।
हर महकमें में आए दिन दिखे
अधिनस्थों से लेते पैसे दही ।।
दलाल तो दलदल में फूलें फलें
तर्क तरकीबों वाले गली गली ।।
रब के फैसले की किसे फिकर
सोच अब इंसान की है सतही ।।
बच्चे अब गुस्साये रहें 'शिवम'
स्वयं निर्णय लेने की प्रथा चली ।।
बड़े बूढ़ों की अब कदर कहाँ
अनुभव पोटली अब धरी धरी ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 01/08/2019
दिनांक .. 1/8/2019
विषय .. फैसला/ निर्णय
*********************
अभी फैसला आना है, अभी निर्णय होना बाकी है।
हम भारत के लोग है या, किसी और मुल्क के वासी है।
जानें कितने पानी बह गये, झेलम और चिनाब में,
अब भी आँसू उन आँखो में, हिन्दू जो काश्मीर कें।
पूरे मुल्क में हम ही रह गयें, जिनको जडों से काटा है।
काश्मीर का घर ना मेरा, तंम्बू मे ही बाँधा है।
इक बिल्ला और इक नम्बर लें, भटक रहे हम भारत में,
अभी फैसला बाकी है, हम घर के है की घाटी के।
क्या चित्कारें नही दिखी है, तुमको मेरे आँखो मे।
क्या तुमको अब नही रूलातें, शेर के शब्द व छालों से।
किसका निर्णय मानें हम, जब सत्ता ने ही छला हमें,
अपने ही घर मे बेबस है, गम फैला दिल पे छालों से।
स्वरचित एंव मौलिक
शेर सिंह सर्राफ
विषय .. फैसला/ निर्णय
*********************
अभी फैसला आना है, अभी निर्णय होना बाकी है।
हम भारत के लोग है या, किसी और मुल्क के वासी है।
जानें कितने पानी बह गये, झेलम और चिनाब में,
अब भी आँसू उन आँखो में, हिन्दू जो काश्मीर कें।
पूरे मुल्क में हम ही रह गयें, जिनको जडों से काटा है।
काश्मीर का घर ना मेरा, तंम्बू मे ही बाँधा है।
इक बिल्ला और इक नम्बर लें, भटक रहे हम भारत में,
अभी फैसला बाकी है, हम घर के है की घाटी के।
क्या चित्कारें नही दिखी है, तुमको मेरे आँखो मे।
क्या तुमको अब नही रूलातें, शेर के शब्द व छालों से।
किसका निर्णय मानें हम, जब सत्ता ने ही छला हमें,
अपने ही घर मे बेबस है, गम फैला दिल पे छालों से।
स्वरचित एंव मौलिक
शेर सिंह सर्राफ
🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀
विधा:-मालिनी छंद
विषय:-फैसला
111 111SS, S1SS,1SS
न न म य य
8 और 7 पर यति
हमदम रहते है, पास साये हमारे ,
पल पल चहके से,साजना वो हमारे।
हरदम दिल है ये, नाम तेरा पुकारे,
कब तक हम बैठें ,फैसलें को पुकारे।
मन मंदिर बसीं है, मूरती मोहना की,
दुल्हन बन गई वो, प्रीति ही जोगना की ।
प्रणय अब निशा को, तो बुलाती रही है।
समय थम रहा है,रात काली बड़ी हैं ।
स्वरचित
नीलम शर्मा#नीलू
विधा:-मालिनी छंद
विषय:-फैसला
111 111SS, S1SS,1SS
न न म य य
8 और 7 पर यति
हमदम रहते है, पास साये हमारे ,
पल पल चहके से,साजना वो हमारे।
हरदम दिल है ये, नाम तेरा पुकारे,
कब तक हम बैठें ,फैसलें को पुकारे।
मन मंदिर बसीं है, मूरती मोहना की,
दुल्हन बन गई वो, प्रीति ही जोगना की ।
प्रणय अब निशा को, तो बुलाती रही है।
समय थम रहा है,रात काली बड़ी हैं ।
स्वरचित
नीलम शर्मा#नीलू
जैसे किया हो फैसला, सिक्का उछाल कर।
आखों में उसने देखा था यूं, आखें डालकर।
दीवाने तो हम जैसे मिलेगें , हरेक मोड़पर।
तुम चलना जरा बाहोश दुपट्टा सम्हाल कर।
वो जो आ गये आगोश में तो सुकून आ गया।
फिर जो हुए रुखसत के बैचेनी बहाल कर।
बस इश्क को समझोगे तो तुम भी उसी रोज।
रख देगा जिन्दगी का, जब जीना मुहाल कर।
कुछ नये हैं उनके पैतरे हथियार है कुछ नये।
नश्तर चला दिया बेदर्द ने लफ्जों में डालकर।
लिखता है हरेक रात वो एक कशमकश नई।
कागज पे रख दिया है, कलेजा निकाल कर।
विपिन सोहल
आखों में उसने देखा था यूं, आखें डालकर।
दीवाने तो हम जैसे मिलेगें , हरेक मोड़पर।
तुम चलना जरा बाहोश दुपट्टा सम्हाल कर।
वो जो आ गये आगोश में तो सुकून आ गया।
फिर जो हुए रुखसत के बैचेनी बहाल कर।
बस इश्क को समझोगे तो तुम भी उसी रोज।
रख देगा जिन्दगी का, जब जीना मुहाल कर।
कुछ नये हैं उनके पैतरे हथियार है कुछ नये।
नश्तर चला दिया बेदर्द ने लफ्जों में डालकर।
लिखता है हरेक रात वो एक कशमकश नई।
कागज पे रख दिया है, कलेजा निकाल कर।
विपिन सोहल
सादर मंच को समर्पित -
🌹🍀 मुक्तक 🍀🌹
****************************
🍊 निर्णय /फैसला 🍊
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
फटा-फट कार्य है अच्छा
किन्तु गुण-दोष पहचानें ।
सत्यता धैर्य से परखें
हृदय रख होश , पहचानें ।
कार्यशैली त्वरित निर्णय
हिये में तोलना सुन्दर--
जल्दबाजी नहीं हितकर
जरूर व्यय कोष पहचानें ।।
🍏🍎☀🍊🌻
फटा-फट निर्णय तो करलें
मगर दिल तोल कर बोलें ।
धैर्य रख कार्य पहचानें
सत्य को घोल कर बोलें ।
पैर उतने ही फैलायें
रजाई-नाप हो जितनी--
चुनौती लक्ष्य की समझें
तभी दिल खोल कर बोलें ।।
🌹🍀 मुक्तक 🍀🌹
****************************
🍊 निर्णय /फैसला 🍊
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
फटा-फट कार्य है अच्छा
किन्तु गुण-दोष पहचानें ।
सत्यता धैर्य से परखें
हृदय रख होश , पहचानें ।
कार्यशैली त्वरित निर्णय
हिये में तोलना सुन्दर--
जल्दबाजी नहीं हितकर
जरूर व्यय कोष पहचानें ।।
🍏🍎☀🍊🌻
फटा-फट निर्णय तो करलें
मगर दिल तोल कर बोलें ।
धैर्य रख कार्य पहचानें
सत्य को घोल कर बोलें ।
पैर उतने ही फैलायें
रजाई-नाप हो जितनी--
चुनौती लक्ष्य की समझें
तभी दिल खोल कर बोलें ।।
1/8/2019
विषय -फैसला/निर्णय
🏵️🌹🏵️🌹🏵️🌹
उज्ज्वल भविष्य की इमारत
उचित निर्णय की नींव पर टिकी होती है
उस देश का भविष्य क्या होगा
जिसकी सरकार लचर ,निर्णय विहीन होती है
उचित क़ानूनी फैसलों से ही
किसी देश की आन बान औ शान बची होती है
बड़े बुजुर्गों के अनुभवी निर्णयों का मान रखने से
घर परिवार में खुशहाली ही होती है
जिंदगी के फैसले सिक्के उछाल कर नहीं किये जाते
कुछ तो रज़ा उस ऊपरवाले की भी होती है,,।।
-वंदना सोलंकी©️स्वरचित
विषय -फैसला/निर्णय
🏵️🌹🏵️🌹🏵️🌹
उज्ज्वल भविष्य की इमारत
उचित निर्णय की नींव पर टिकी होती है
उस देश का भविष्य क्या होगा
जिसकी सरकार लचर ,निर्णय विहीन होती है
उचित क़ानूनी फैसलों से ही
किसी देश की आन बान औ शान बची होती है
बड़े बुजुर्गों के अनुभवी निर्णयों का मान रखने से
घर परिवार में खुशहाली ही होती है
जिंदगी के फैसले सिक्के उछाल कर नहीं किये जाते
कुछ तो रज़ा उस ऊपरवाले की भी होती है,,।।
-वंदना सोलंकी©️स्वरचित
विधाःः काव्यःः
कोई फैसला नहीं कर सकता
जबतक न प्रभु आशीष मिले।
सदा प्रसन्नचित रह सकता हूँ ,
यदि मुझको ये प्रेमाशीष मिले।
लक्ष्य निर्धारित पहले कर लूं
तभी प्रारंम्भ कोई काम करूं।
गर नहीं लूं स्वविवेकी निर्णय,
तबतक न कोई सत्काम करूं।
उत्तम संस्कार मिलें बच्चों को
कोई ऐसा विद्यालय हम देखे।
हो आत्मशांति निर्णय क्षमता,
ऐसा कहीं प्रेमालय हम देखें।
सुरक्षित फैसला प्रभु के हाथों,
जो भी करें उनको ही करना।
हम तो केवल निमित मात्र हैं,
हमेंतो उनके संरक्षण में रहना।
यदि लें फैसले तो हों सर्वोत्तम।
आदर्श रखें श्रीराम पुरूषोत्तम।
पुरूषार्थ परोपकारी होंजीवन में,
करलें प्रगति हमभी उत्तमोत्तम।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
कोई फैसला नहीं कर सकता
जबतक न प्रभु आशीष मिले।
सदा प्रसन्नचित रह सकता हूँ ,
यदि मुझको ये प्रेमाशीष मिले।
लक्ष्य निर्धारित पहले कर लूं
तभी प्रारंम्भ कोई काम करूं।
गर नहीं लूं स्वविवेकी निर्णय,
तबतक न कोई सत्काम करूं।
उत्तम संस्कार मिलें बच्चों को
कोई ऐसा विद्यालय हम देखे।
हो आत्मशांति निर्णय क्षमता,
ऐसा कहीं प्रेमालय हम देखें।
सुरक्षित फैसला प्रभु के हाथों,
जो भी करें उनको ही करना।
हम तो केवल निमित मात्र हैं,
हमेंतो उनके संरक्षण में रहना।
यदि लें फैसले तो हों सर्वोत्तम।
आदर्श रखें श्रीराम पुरूषोत्तम।
पुरूषार्थ परोपकारी होंजीवन में,
करलें प्रगति हमभी उत्तमोत्तम।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
नमन भावों के मोती
विषय : निर्णय /फैसला
दिनांक : 01/08/2019
विधा : हाइकू
-------
बिकें फैसले
सवालों के घेरे में
न्याय व्यवस्था
--------------
उचित न्याय ,
सुख का अहसास ,
जज दिलाते
----------------
सबूतों पर
अदालतों में होते
सही फैसले
------------------
आंख में पट्टी
निष्पक्षता का भाव
न्याय व्यवस्था
------------------
उम्र गुजरी
तारीख पे तारीख
होता अन्याय
जय हिंद
स्वरचित : राम किशोर , पंजाब ।
विषय : निर्णय /फैसला
दिनांक : 01/08/2019
विधा : हाइकू
-------
बिकें फैसले
सवालों के घेरे में
न्याय व्यवस्था
--------------
उचित न्याय ,
सुख का अहसास ,
जज दिलाते
----------------
सबूतों पर
अदालतों में होते
सही फैसले
------------------
आंख में पट्टी
निष्पक्षता का भाव
न्याय व्यवस्था
------------------
उम्र गुजरी
तारीख पे तारीख
होता अन्याय
जय हिंद
स्वरचित : राम किशोर , पंजाब ।
#दिनांक"१"८"२०१९"
#विषय"निर्णय फैसला"
#विधा"काव्य"
#रचनाकार"दुर्गा सिलगीवाला सोनी"
""***"" निर्णय फैसले ""***""
दिल से लिए गए फैसले अक्सर ही,
नजदीकियों में बढ़ाते हैं फासले,
सम भावों का भी होता है तिरस्कार,
ध्वस्त कर देते हैं अपनों के हौसले,
समझ और बुझ के निर्णयों में हरदम,
बढ़ते हैं समग्र सहकारिता के भाव,
द्वंद ना उपजे कभी समुदायों में भी,
दूरगामी होते इसके अनुकूल प्रभाव,
दिल और दिमाग में जो हो सामंजस्य,
परिस्थितियों पर भी हो कड़ी नज़र,
दुर्गम पहाड़ भी हो जाते हैं समतल,
टकरा कर लौटतीं हैं समन्दर की लहर,
हर फैसले लीजिए सूझ और बूझ से,
फैसलों मैं ही सुनहरे भविष्य की डगर
एक ही फैसले से तू सिकन्दर बनेगा,
एक फैसला ही बनाएगा तुझे हिटलर
#विषय"निर्णय फैसला"
#विधा"काव्य"
#रचनाकार"दुर्गा सिलगीवाला सोनी"
""***"" निर्णय फैसले ""***""
दिल से लिए गए फैसले अक्सर ही,
नजदीकियों में बढ़ाते हैं फासले,
सम भावों का भी होता है तिरस्कार,
ध्वस्त कर देते हैं अपनों के हौसले,
समझ और बुझ के निर्णयों में हरदम,
बढ़ते हैं समग्र सहकारिता के भाव,
द्वंद ना उपजे कभी समुदायों में भी,
दूरगामी होते इसके अनुकूल प्रभाव,
दिल और दिमाग में जो हो सामंजस्य,
परिस्थितियों पर भी हो कड़ी नज़र,
दुर्गम पहाड़ भी हो जाते हैं समतल,
टकरा कर लौटतीं हैं समन्दर की लहर,
हर फैसले लीजिए सूझ और बूझ से,
फैसलों मैं ही सुनहरे भविष्य की डगर
एक ही फैसले से तू सिकन्दर बनेगा,
एक फैसला ही बनाएगा तुझे हिटलर
नमन भावों के मोती
विषय -फैसला/ निर्णय
दिनांक-1-8-19
विधा--दोहा मुक्तक
1.
निर्णय की जब हो घड़ी,बहुत सोचते लोग।
जल्दबाजी का निरनय, बन जाता है रोग ।
सोचें जब लें फैसला,जीवन बने न दंड--
सदा सफलता के लिए ,हो प्रयास का योग ।
2.
सोच समझकर फैसला,जब लेते हैं लोग ।
जीवन की भी सहजता ,के बनते हैं योग ।
राष्ट्र ' हितैषी 'कार्य को, भूले नहिं इंसान ---
देश हितों का लोक भी, कर सकता उपभोग ।
*******स्वरचित******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
विषय -फैसला/ निर्णय
दिनांक-1-8-19
विधा--दोहा मुक्तक
1.
निर्णय की जब हो घड़ी,बहुत सोचते लोग।
जल्दबाजी का निरनय, बन जाता है रोग ।
सोचें जब लें फैसला,जीवन बने न दंड--
सदा सफलता के लिए ,हो प्रयास का योग ।
2.
सोच समझकर फैसला,जब लेते हैं लोग ।
जीवन की भी सहजता ,के बनते हैं योग ।
राष्ट्र ' हितैषी 'कार्य को, भूले नहिं इंसान ---
देश हितों का लोक भी, कर सकता उपभोग ।
*******स्वरचित******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
आज का विषय, निर्णय, फैसला
गुरूवार
1,8,2019
हो निर्णय हमारा कोई भी , देता दिशा एक है नई,
हो चाहे उन्नति या हो अवनति, बात ये हम पर रही ।
विवेक जब तक साथ होगा , राह होगी ही सही ,
इन्सानियत के रास्ते कभी, गलत हो सकते नहीं ।
दुनियाँ में कभी भी कोई, जीता अकेले तो नहीं,
घर, समाज, देश इन सबसे, रहता जुड़ा है आदमी ।
निर्णय हमारा कोई भी कभी, सिर्फ होता हमारा है नहीं ,
होता है असरकारक सभी पर, बात ये मानी हुई ।
हो कदम अपना जहाँ पर, वहाँ स्वार्थ की न हो जमीं ,
सबके होंठों पर मुस्कान हो, आँख में न हो नमी ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
गुरूवार
1,8,2019
हो निर्णय हमारा कोई भी , देता दिशा एक है नई,
हो चाहे उन्नति या हो अवनति, बात ये हम पर रही ।
विवेक जब तक साथ होगा , राह होगी ही सही ,
इन्सानियत के रास्ते कभी, गलत हो सकते नहीं ।
दुनियाँ में कभी भी कोई, जीता अकेले तो नहीं,
घर, समाज, देश इन सबसे, रहता जुड़ा है आदमी ।
निर्णय हमारा कोई भी कभी, सिर्फ होता हमारा है नहीं ,
होता है असरकारक सभी पर, बात ये मानी हुई ।
हो कदम अपना जहाँ पर, वहाँ स्वार्थ की न हो जमीं ,
सबके होंठों पर मुस्कान हो, आँख में न हो नमी ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
1/8/1019
विषय-फैसला/निर्णय
द्वितीय प्रस्तुति...
🌹🌹🌹🌹🌹
जब से होश संभाला है
वह यही देखती आई है
घर के सब छोटे बड़े फैसले
पुरुष ही लिया करते हैं
चाहे पिता हों,भाई हों
अथवा पति हों या अब बेटे हों।
शादी का निर्णय पिता ने लिया
विवाहोपरांत शिक्षा या
नौकरी का निर्णय
पति या ससुराल वालो ने लिया।
बच्चे अपने भविष्य का फैसला
चुटकियों में ले लेते हैं
स्वयं अपने जीवनसाथी चुन
हमें हैरत में डाल देते हैं
कोई बात नहीं
हम उनकी रज़ा में हैं राज़ी
निर्भरता जब बेटों पर हुई
तभी तकरार शुरू हुई
फिर फैसला सुनाया गया
साल को महीनों में बांटा गया
बुजुर्ग दंपति को
अलग अलग रखने का निर्णय किया गया
वो स्त्री है,, चुप रही
नाती पोतों में,बेटे की गृहस्थी में
रच बस गई
बचपन से समझौते की
घुट्टी जो गई थी पिलाई
और पुरुष,,?
उसका निर्णय आप करें,,!!
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
विषय-फैसला/निर्णय
द्वितीय प्रस्तुति...
🌹🌹🌹🌹🌹
जब से होश संभाला है
वह यही देखती आई है
घर के सब छोटे बड़े फैसले
पुरुष ही लिया करते हैं
चाहे पिता हों,भाई हों
अथवा पति हों या अब बेटे हों।
शादी का निर्णय पिता ने लिया
विवाहोपरांत शिक्षा या
नौकरी का निर्णय
पति या ससुराल वालो ने लिया।
बच्चे अपने भविष्य का फैसला
चुटकियों में ले लेते हैं
स्वयं अपने जीवनसाथी चुन
हमें हैरत में डाल देते हैं
कोई बात नहीं
हम उनकी रज़ा में हैं राज़ी
निर्भरता जब बेटों पर हुई
तभी तकरार शुरू हुई
फिर फैसला सुनाया गया
साल को महीनों में बांटा गया
बुजुर्ग दंपति को
अलग अलग रखने का निर्णय किया गया
वो स्त्री है,, चुप रही
नाती पोतों में,बेटे की गृहस्थी में
रच बस गई
बचपन से समझौते की
घुट्टी जो गई थी पिलाई
और पुरुष,,?
उसका निर्णय आप करें,,!!
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
कार्य:-शब्दलेखन
बिषय:-फैसला
टुकड़ों में बंट गई जिंदगी,
अरमानों का हो गया फैसला।
तुमको पिया की सेज मिली,
समझो सबेरा हो गया ।।
हम थे मुसफिर बस यहां,
तुमको ठिकाना मिल गया।
खुशियाँ भी मेरी बीन लो,
दिल आज दुआ ये दे रहा।।
स्वरचित:
डॉ.स्वर्ण सिंह रघुवंशी, गुना
बिषय:-फैसला
टुकड़ों में बंट गई जिंदगी,
अरमानों का हो गया फैसला।
तुमको पिया की सेज मिली,
समझो सबेरा हो गया ।।
हम थे मुसफिर बस यहां,
तुमको ठिकाना मिल गया।
खुशियाँ भी मेरी बीन लो,
दिल आज दुआ ये दे रहा।।
स्वरचित:
डॉ.स्वर्ण सिंह रघुवंशी, गुना
01/07/2019
"फैसला/निर्णय"
################
कर्तव्यों को निभाया...
सद्कर्मों को ही जिया है..
सोचा नहीं क्या खोया..
और क्या पाया है...
फैसला वक्त के हाथों छोड़ा है..
रिश्तों की गरिमा को समझा..
प्रेम का बीज ही बोया है...
बड़ों का सम्मान किया..
छोटों को प्यार बाँटा है...
फैसला परिवार पे छोड़ा है..।
धर्म की राह पे चलना सीखा.
संस्कारों को ही जिया है..
परंपराओं को निभाते...
कुल की मान मर्यादा को संजोया है..
फैसला किस्मत के हाथों छोड़ा है....।
अन्याय का विरोध किया..
न्याय का ही साथ दिया है..
सच्चाई और ईमान कभी
न खोया है....
फैसला जो होगा होना है..।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
"फैसला/निर्णय"
################
कर्तव्यों को निभाया...
सद्कर्मों को ही जिया है..
सोचा नहीं क्या खोया..
और क्या पाया है...
फैसला वक्त के हाथों छोड़ा है..
रिश्तों की गरिमा को समझा..
प्रेम का बीज ही बोया है...
बड़ों का सम्मान किया..
छोटों को प्यार बाँटा है...
फैसला परिवार पे छोड़ा है..।
धर्म की राह पे चलना सीखा.
संस्कारों को ही जिया है..
परंपराओं को निभाते...
कुल की मान मर्यादा को संजोया है..
फैसला किस्मत के हाथों छोड़ा है....।
अन्याय का विरोध किया..
न्याय का ही साथ दिया है..
सच्चाई और ईमान कभी
न खोया है....
फैसला जो होगा होना है..।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
नमन भावों के मोती
।। फैसला/निर्णय
द्वितीय प्रस्तुति
फैसला प्रभु पर छोड़ा करो
सच्चाई से नाता जोड़ा करो ।।
यकीनन प्रभु सत्ता शाश्वत है
मायूसी न मन में लाया करो ।।
सत्य असत्य की लड़ाई यहाँ
जीता सच वक्त न जाया करो ।।
धैर्य परीक्षा जो आए कभी
राम का गुणगान गाया करो ।।
श्री राम के धैर्य को दाद देकर
आत्म बल साहस बढ़ाया करो ।।
पता न चले कब वो निर्णय करे
आत्मावलोकन न भुलाया करो ।।
भूल से न भूल प्रभु को 'शिवम'
सत पथ कदम नित बढ़ाया करो ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
।। फैसला/निर्णय
द्वितीय प्रस्तुति
फैसला प्रभु पर छोड़ा करो
सच्चाई से नाता जोड़ा करो ।।
यकीनन प्रभु सत्ता शाश्वत है
मायूसी न मन में लाया करो ।।
सत्य असत्य की लड़ाई यहाँ
जीता सच वक्त न जाया करो ।।
धैर्य परीक्षा जो आए कभी
राम का गुणगान गाया करो ।।
श्री राम के धैर्य को दाद देकर
आत्म बल साहस बढ़ाया करो ।।
पता न चले कब वो निर्णय करे
आत्मावलोकन न भुलाया करो ।।
भूल से न भूल प्रभु को 'शिवम'
सत पथ कदम नित बढ़ाया करो ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
नमन् भावों के मोती
दिनांक:01/08/2019
विषय:निर्णय/फैसला
विधा:कविता
सही समय पर सही फैसला
सुंदर जीवन की ढाल बने
नाजुक घड़ियों में रहे हौसला
भविष्य सदा खुशहाल बने
पंक्षी भी बनाते हैं घोंसला
उनका सुंदर संसार रहे
तूफ़ान चले या पड़े ओला
जीवन उनका आबाद रहे
खेल-खेल में सरल फैसला
जीवन का रुख मोड़ चले
भूल में भी गलत फैसला
बर्बादी की ओर ले चले
कठिन वक्त में बड़ा फैसला
संकट में मझधार बने
सही वक्त पर सही फैसला
सुंदर जीवन की ढाल बने
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
दिनांक:01/08/2019
विषय:निर्णय/फैसला
विधा:कविता
सही समय पर सही फैसला
सुंदर जीवन की ढाल बने
नाजुक घड़ियों में रहे हौसला
भविष्य सदा खुशहाल बने
पंक्षी भी बनाते हैं घोंसला
उनका सुंदर संसार रहे
तूफ़ान चले या पड़े ओला
जीवन उनका आबाद रहे
खेल-खेल में सरल फैसला
जीवन का रुख मोड़ चले
भूल में भी गलत फैसला
बर्बादी की ओर ले चले
कठिन वक्त में बड़ा फैसला
संकट में मझधार बने
सही वक्त पर सही फैसला
सुंदर जीवन की ढाल बने
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
शुभ संध्या 🙏🙏
पिरामिड विधा में लिखने का प्रथम प्रयास कर रही हूँ ।आपकी टिप्पणियों का स्वागत है:
#निर्णय/भरोसा
ले
दृढ़
निर्णय
सदमार्ग
पर चलने
सत्कर्म करने
सम्मानित होने का।
मैं
हम
हमारा
सांसारिक
माया से उठ
मिला कर हाथ
फैसला है अटल ।
है
सोच
अटल
मन साध
करे विश्वास
पूर्ण हो निर्णय
रणनीति अडिग ।
🙏🙏
#स्वरचित
#नीलम श्रीवास्तव
पिरामिड विधा में लिखने का प्रथम प्रयास कर रही हूँ ।आपकी टिप्पणियों का स्वागत है:
#निर्णय/भरोसा
ले
दृढ़
निर्णय
सदमार्ग
पर चलने
सत्कर्म करने
सम्मानित होने का।
मैं
हम
हमारा
सांसारिक
माया से उठ
मिला कर हाथ
फैसला है अटल ।
है
सोच
अटल
मन साध
करे विश्वास
पूर्ण हो निर्णय
रणनीति अडिग ।
🙏🙏
#स्वरचित
#नीलम श्रीवास्तव
नमन भावों के मोती
विषय - फैसला/निर्णय
01/08/19
गुरुवार
कविता
अत्याचारों की जब अति हो जाती है ,
शोषण से आवाज़ दबा दी जाती है।
पीड़ा से आहत होकर निरीह जनता ,
खुद फैसला सुनाने आगे आती है।
तहस-नहस होती हैं सभी व्यवस्थाएँ,
उच्च वर्ग की चाल डगमगा जाती है।
शोषित की हुंकार डराती है उसको,
छुपने की कोई युक्ति नहीं मिल पाती है।
धरती पर आ जाते हैं वे एक पल में,
शक्ति कोई भी उन्हें बचा न पाती है।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
विषय - फैसला/निर्णय
01/08/19
गुरुवार
कविता
अत्याचारों की जब अति हो जाती है ,
शोषण से आवाज़ दबा दी जाती है।
पीड़ा से आहत होकर निरीह जनता ,
खुद फैसला सुनाने आगे आती है।
तहस-नहस होती हैं सभी व्यवस्थाएँ,
उच्च वर्ग की चाल डगमगा जाती है।
शोषित की हुंकार डराती है उसको,
छुपने की कोई युक्ति नहीं मिल पाती है।
धरती पर आ जाते हैं वे एक पल में,
शक्ति कोई भी उन्हें बचा न पाती है।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
दिनांक १/८/२०१९
शीर्षक"-फैसला/निर्णय
तकदीर पर क्यों छोड़े
निर्णय हर बार
कुछ निर्णय स्वंय करें
प्रभु की आज्ञा मान।
शक्ति वह समर्थ के अनुसार
हो निर्णय हर बार
द्वेष स्पर्धा का भला
निर्णय में क्या काम।
दूरदर्शीता भी जरूरी
निर्णय के उस पार
आगे पीछे सौ बार सोचे
निर्णय में हर बार।
एक ग़लत निर्णय भी
कर दे बंटाधार
एक सही निर्णय लाये
जीवन में बहार।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
शीर्षक"-फैसला/निर्णय
तकदीर पर क्यों छोड़े
निर्णय हर बार
कुछ निर्णय स्वंय करें
प्रभु की आज्ञा मान।
शक्ति वह समर्थ के अनुसार
हो निर्णय हर बार
द्वेष स्पर्धा का भला
निर्णय में क्या काम।
दूरदर्शीता भी जरूरी
निर्णय के उस पार
आगे पीछे सौ बार सोचे
निर्णय में हर बार।
एक ग़लत निर्णय भी
कर दे बंटाधार
एक सही निर्णय लाये
जीवन में बहार।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
निर्णय,फैसला
01 08 2019
मानव मन से करे फैसला
शुभ अशुभ होई जाता है।
स्वविवेक से लिया फैसला
खुशहाली जग में लाता है।
वह निर्णय सबसे उत्तम है
जो नियन्ता जग करता है।
प्रकृति के हर कण कण में
सप्त रंग प्रभु नित भरता है।
जन्म मृत्यु निर्णय करता है
हर प्राणी की भूख मिटाता।
दीन हीन की विनती सुनता
नित संकट को प्रभु भगाता।
अडिग दृढ़ अनश्वर निर्णय
गर्मी वर्षा शरद ऋतु लाता।
कभी रूलाता कभी हँसाता
सुख शांति जग में बरसाता।
निर्णय किया अटल ईश्वर ने
हम कठपुतली वह नियन्ता।
माया जगत अंजाने सब नर
भक्ति भाव से पहिचाने संता।
सब निर्णय हैं स्व स्वार्थमय
अपनी ढपली अपनी गाता।
मातृभूमि हित करो फैसला
धन्य धन्य प्रिय भारत माता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
01 08 2019
मानव मन से करे फैसला
शुभ अशुभ होई जाता है।
स्वविवेक से लिया फैसला
खुशहाली जग में लाता है।
वह निर्णय सबसे उत्तम है
जो नियन्ता जग करता है।
प्रकृति के हर कण कण में
सप्त रंग प्रभु नित भरता है।
जन्म मृत्यु निर्णय करता है
हर प्राणी की भूख मिटाता।
दीन हीन की विनती सुनता
नित संकट को प्रभु भगाता।
अडिग दृढ़ अनश्वर निर्णय
गर्मी वर्षा शरद ऋतु लाता।
कभी रूलाता कभी हँसाता
सुख शांति जग में बरसाता।
निर्णय किया अटल ईश्वर ने
हम कठपुतली वह नियन्ता।
माया जगत अंजाने सब नर
भक्ति भाव से पहिचाने संता।
सब निर्णय हैं स्व स्वार्थमय
अपनी ढपली अपनी गाता।
मातृभूमि हित करो फैसला
धन्य धन्य प्रिय भारत माता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
II फैसला / निर्णय II नमन भावों के मोती....
आये हो मज़ार पे तो मेरी नज़रों में खामोशियों को देख...
दहकते जज़्बातों पे डाले कैसे कफ़न मैंने उसको देख....
दर्द के समंदर की गहराईयां नज़र आएंगी उनमें तुम्हें...
अपनी चेहरे को मेरे सीने पे टिका दिल से सुन के देख...
तबाही के मंज़र दास्ताँ मेरी सुनाएंगे जहां में जब कहीं....
दुनिया के सितम से पहले नाम तेरा ना आ जाए कहीं...
इस लिए मैंने अपने टूटे दिल को पिरो दर्द में यूं रखा है...
कभी हो गर फैसला हक़ तेरे में नाम अपना लिखा रखा है...
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
०१.०८.२०१९
आये हो मज़ार पे तो मेरी नज़रों में खामोशियों को देख...
दहकते जज़्बातों पे डाले कैसे कफ़न मैंने उसको देख....
दर्द के समंदर की गहराईयां नज़र आएंगी उनमें तुम्हें...
अपनी चेहरे को मेरे सीने पे टिका दिल से सुन के देख...
तबाही के मंज़र दास्ताँ मेरी सुनाएंगे जहां में जब कहीं....
दुनिया के सितम से पहले नाम तेरा ना आ जाए कहीं...
इस लिए मैंने अपने टूटे दिल को पिरो दर्द में यूं रखा है...
कभी हो गर फैसला हक़ तेरे में नाम अपना लिखा रखा है...
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
०१.०८.२०१९
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