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ब्लॉग संख्या :-473
🌹भावों के मोती🌹
पिरामिड
9/8/ 2019
"उड़ान"
(1)
हो
तुंग
उड़ान
दूरदर्शी
तरणि रथ
विजय सुपथ
चेतक समकक्ष।।
(2)
है
पिता
वाहन
महायान
गरूड़ मान
अति बलवान
धैर्य भरी उड़ान।।❤️
वीणा शर्मा वशिष्ठ
पिरामिड
9/8/ 2019
"उड़ान"
(1)
हो
तुंग
उड़ान
दूरदर्शी
तरणि रथ
विजय सुपथ
चेतक समकक्ष।।
(2)
है
पिता
वाहन
महायान
गरूड़ मान
अति बलवान
धैर्य भरी उड़ान।।❤️
वीणा शर्मा वशिष्ठ
नमन मंच ,भांवो के मोती
विषय उड़ान
विधा काव्य
10 अगस्त 2019,शनिवार
भरी उड़ान चंद्रयान ने
महि मयंक जा पहुँचा।
भारत ने पहिचान बनाई
स्व कर्म इतिहास रचा।
भरी उड़ान नोट बंदी की
काला धन समाप्त किया।
दुश्मन की सीमा में जाकर
शिविर आतंक ध्वस्त किया।
फिर हुंकार भरी भारत ने
सवर्णो को न्याय दिलाया।
तीन तलाक नारी कलंक
मिल संसद में साफ़ किया।
नव उड़ान भरी भारत ने
विश्व स्वर्ग अधिकार दिये।
तीन सौ सत्तर स्नेह बाधक
मुस्लिम हिन्दू एक किये।
भरो उड़ान दिकदिगन्त में
जग में स्व पहिचान बनाओ।
शुद्ध कर्म कर्तव्य डगर से
विश्व गुरु मिल इसे सजाओ।
ऐसी उड़ान भरो जीवन में
सोच सकारात्मक हो मन में।
परोपकार हित कदम बढ़ाओ
सुख शांति फैले जन जन में।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
विषय उड़ान
विधा काव्य
10 अगस्त 2019,शनिवार
भरी उड़ान चंद्रयान ने
महि मयंक जा पहुँचा।
भारत ने पहिचान बनाई
स्व कर्म इतिहास रचा।
भरी उड़ान नोट बंदी की
काला धन समाप्त किया।
दुश्मन की सीमा में जाकर
शिविर आतंक ध्वस्त किया।
फिर हुंकार भरी भारत ने
सवर्णो को न्याय दिलाया।
तीन तलाक नारी कलंक
मिल संसद में साफ़ किया।
नव उड़ान भरी भारत ने
विश्व स्वर्ग अधिकार दिये।
तीन सौ सत्तर स्नेह बाधक
मुस्लिम हिन्दू एक किये।
भरो उड़ान दिकदिगन्त में
जग में स्व पहिचान बनाओ।
शुद्ध कर्म कर्तव्य डगर से
विश्व गुरु मिल इसे सजाओ।
ऐसी उड़ान भरो जीवन में
सोच सकारात्मक हो मन में।
परोपकार हित कदम बढ़ाओ
सुख शांति फैले जन जन में।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
शीर्षक उड़ान
प्रथम प्रस्तुति
ख्वाहिश जगी ही थी आ गयी स्याह रात ।
लबों तक न आयी वो आँखों वाली बात ।।
उड़े क्या कुढ़े रहे हुई ऐसी तिलिस्मात ।
दूर भी न रहे मगर की नही मुलाकात ।।
उन संग उड़ना आसां न पर अकड़ साथ ।
ले जाऐंगें एक दिन हम चाँद पर बारात ।।
ज़ीस्त लगायी दाव रहे सिसकते जज़्बात
मिले आज दंग रहे वो ऐसी क्या थी बात ।।
और भी कई रिश्ते समझ लेते भ्रात ।
प्रेम के सब रिश्ते हैं छोड़ते न हाथ ।।
अब तो बीती उमर 'शिवम'कलम सौगात
यही कुछ लिखा देती दिल के हालात ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 10/08/2019
प्रथम प्रस्तुति
ख्वाहिश जगी ही थी आ गयी स्याह रात ।
लबों तक न आयी वो आँखों वाली बात ।।
उड़े क्या कुढ़े रहे हुई ऐसी तिलिस्मात ।
दूर भी न रहे मगर की नही मुलाकात ।।
उन संग उड़ना आसां न पर अकड़ साथ ।
ले जाऐंगें एक दिन हम चाँद पर बारात ।।
ज़ीस्त लगायी दाव रहे सिसकते जज़्बात
मिले आज दंग रहे वो ऐसी क्या थी बात ।।
और भी कई रिश्ते समझ लेते भ्रात ।
प्रेम के सब रिश्ते हैं छोड़ते न हाथ ।।
अब तो बीती उमर 'शिवम'कलम सौगात
यही कुछ लिखा देती दिल के हालात ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 10/08/2019
चिड़ियाँ अब उड़ने लगीं हैं घोंसलों के पार।
उड़ान बेटियों की भी हो गयी अंतरिक्ष पार।
कोई पायलट वैज्ञानिक कोई,
कोई आॅटो में ढूंढ़ती निज सार।।
बन सहारा कांधा दे बेटी अब
पहुँच गयी स्मशान के द्वार।।
अब नहीं बेटों से कम वो
छोड़ आडम्बर दो उसे प्यार।।
स्वरचित
मीनू "रागिनी "
10/8/19
मीनाकुमारी शुक्ला
राजकोट
उड़ान बेटियों की भी हो गयी अंतरिक्ष पार।
कोई पायलट वैज्ञानिक कोई,
कोई आॅटो में ढूंढ़ती निज सार।।
बन सहारा कांधा दे बेटी अब
पहुँच गयी स्मशान के द्वार।।
अब नहीं बेटों से कम वो
छोड़ आडम्बर दो उसे प्यार।।
स्वरचित
मीनू "रागिनी "
10/8/19
मीनाकुमारी शुक्ला
राजकोट
हथेली पे फिर शौक से जान रख।
थोड़ा सा सब्र और इत्मीनान रख।
कोई शै नही दूर रहें पावं जमीं पे।
निगाहों में चाहे तो आसमान रख।
जन्नत कहां अगर जो नहीं है यहाँ।
तू बस एक ख्यालों में अमान रख।
नंगी है तो कभी भरोसा न करना।
साथ में ही तलवार के मयान रख।
ना कुछ न छिपेगा लाख छिपा ले।
तू सच्चा करम सच्चा बयान रख।
दोस्त को ये दुश्मन बना सकती है।
सोच ले फिर तोल कर जबान रख।
किससे निभेगी छोड तुझे सोहल।
ऐसे नामुराद का ना अरमान रख।
माना कि मुश्किल ठहरना हवा में।
हैं शर्त इरादों के आगे उडान रख।
स्वरचित विपिन सोहल
थोड़ा सा सब्र और इत्मीनान रख।
कोई शै नही दूर रहें पावं जमीं पे।
निगाहों में चाहे तो आसमान रख।
जन्नत कहां अगर जो नहीं है यहाँ।
तू बस एक ख्यालों में अमान रख।
नंगी है तो कभी भरोसा न करना।
साथ में ही तलवार के मयान रख।
ना कुछ न छिपेगा लाख छिपा ले।
तू सच्चा करम सच्चा बयान रख।
दोस्त को ये दुश्मन बना सकती है।
सोच ले फिर तोल कर जबान रख।
किससे निभेगी छोड तुझे सोहल।
ऐसे नामुराद का ना अरमान रख।
माना कि मुश्किल ठहरना हवा में।
हैं शर्त इरादों के आगे उडान रख।
स्वरचित विपिन सोहल
सादर नमन
10-08-2019
उड़ान
सुख-सपनीली कथा कहती नानी
उस पार क्षितिज के परियाँ रानी
सज्जित पर-पसार नीला वितान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
भावी सपनों को धागों में बुनने
अंबर में बिखरे तारों को चुनने
लेकर नवल चंद्र या मंगलयान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
जो अंजाने, अनदेखे, अनछूये है
अपश्य रहस्य कुछ बने हुये है
उस रहस्य का तर्क-तथ्य-संधान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
निज कर-कौशल कृत रेखायें
पटल पर नामांकन कर आयें
जग में भू का बढ़े मान-सम्मान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
10-08-2019
उड़ान
सुख-सपनीली कथा कहती नानी
उस पार क्षितिज के परियाँ रानी
सज्जित पर-पसार नीला वितान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
भावी सपनों को धागों में बुनने
अंबर में बिखरे तारों को चुनने
लेकर नवल चंद्र या मंगलयान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
जो अंजाने, अनदेखे, अनछूये है
अपश्य रहस्य कुछ बने हुये है
उस रहस्य का तर्क-तथ्य-संधान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
निज कर-कौशल कृत रेखायें
पटल पर नामांकन कर आयें
जग में भू का बढ़े मान-सम्मान
चलो, अंतरिक्ष की भरे उड़ान
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
नमन भावों में मोती 🙏
***********************
दिनांक :-10/08/19
विषय :- उड़ान
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी नदी में पंख पसारे,
कभी छूने आसमान चले।
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी तिनकों के घर बनाए,
कभी ख्वाहिशों के महल चुनें।
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी तपती धूप में दौड़े,
कभी शीतल छाँव चले।
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी पहाड़ पर झंडे गाड़े,
कभी खोदने पाताल चले,
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी भँवर में गोते खाये,
कभी किनारों की ओर चले,
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी मंदिर में आलाप गाऐ,
कभी मस्जिद में नमाज पढ़े,
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कवि मन बड़ा ही चंचल,
बांधे से भी बांधा ना जाए,
कवि मन पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे।
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित
***********************
दिनांक :-10/08/19
विषय :- उड़ान
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी नदी में पंख पसारे,
कभी छूने आसमान चले।
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी तिनकों के घर बनाए,
कभी ख्वाहिशों के महल चुनें।
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी तपती धूप में दौड़े,
कभी शीतल छाँव चले।
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी पहाड़ पर झंडे गाड़े,
कभी खोदने पाताल चले,
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी भँवर में गोते खाये,
कभी किनारों की ओर चले,
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कभी मंदिर में आलाप गाऐ,
कभी मस्जिद में नमाज पढ़े,
कवि मन तो पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे,
कवि मन बड़ा ही चंचल,
बांधे से भी बांधा ना जाए,
कवि मन पंछी भया,
सपनों की उड़ान भरे।
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित
नमन🙏
विषय-उड़ान
विधा-लघु कविता
(1)
उड़ान
जीवन अल्प हो या अधिक,
संग मित्र हो या बधिक।
आगे कांटे हो या फूल,
कोई भर दे आँखों में धूल।
.
कंटकित हो सीमाएं सारी,
चाहे उफने सागर भारी।
इन हल्की-फुल्की बाधाओं की,
कर ली मैंने तैयारी।
हौसलों के पंख लगाकर,
अब उड़ान की मेरी बारी।
(2)
ना मैं विहग,
ना कृत्रिम यान कोई।
बस,विश्वास के पंख हैं,
सपनों.की उड़ान में खोई।
सरिता 'विधुरश्मि'😊(स्वरचित)
विषय-उड़ान
विधा-लघु कविता
(1)
उड़ान
जीवन अल्प हो या अधिक,
संग मित्र हो या बधिक।
आगे कांटे हो या फूल,
कोई भर दे आँखों में धूल।
.
कंटकित हो सीमाएं सारी,
चाहे उफने सागर भारी।
इन हल्की-फुल्की बाधाओं की,
कर ली मैंने तैयारी।
हौसलों के पंख लगाकर,
अब उड़ान की मेरी बारी।
(2)
ना मैं विहग,
ना कृत्रिम यान कोई।
बस,विश्वास के पंख हैं,
सपनों.की उड़ान में खोई।
सरिता 'विधुरश्मि'😊(स्वरचित)
नमन "भावो के मोती"
10/08/2019
"उड़ान"
कविता
**********************
अपनो का स्नेह संबल हो
गुरु का दिशा निर्देश हो
मित्रों की भावना साथ हो
ऐसी एक उड़ान भरो....
मुट्ठी में दूनिया जहान हो।
अरमानों का संग हो...
सातरंग के अपने सपने हो
नजरों के आगे मंजिल हो
हौसले के संग उड़ान भरो
पीढ़ियों के लिए मिसाल हो।
नील गगन की छाँव हो
सच्चाई, ईमान के पंख हो
मन में विश्वास और उमंग हो
अपने कर्मों से उडान भरो...
तेरे कदमों तले सफलता हो।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
10/08/2019
"उड़ान"
कविता
**********************
अपनो का स्नेह संबल हो
गुरु का दिशा निर्देश हो
मित्रों की भावना साथ हो
ऐसी एक उड़ान भरो....
मुट्ठी में दूनिया जहान हो।
अरमानों का संग हो...
सातरंग के अपने सपने हो
नजरों के आगे मंजिल हो
हौसले के संग उड़ान भरो
पीढ़ियों के लिए मिसाल हो।
नील गगन की छाँव हो
सच्चाई, ईमान के पंख हो
मन में विश्वास और उमंग हो
अपने कर्मों से उडान भरो...
तेरे कदमों तले सफलता हो।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।
नमन मंच
दिनांक १०/८/२०१९
शीर्षक उड़ान"
बाँधो मत बेटियों को
बेड़ियों के जंजीरों में
उन्मुक्त "उड़ान"भरने दो
जीवन के गलियारों में।
जीने का सामान अधिकार
फिर भेद क्यों संतानों में
उन्मुक्त हँसी सबका अधिकार
उन्मुक्त उड़ान चाहे वह आज।
मौन है वह ,पर कमजोर नहीं
अवसर मिले तो भरे "उड़ान"
हौसला है उसमें कहीं ज्यादा
कुंठित न हो उसकी प्रतिभा।
अवसर दो बढ़ाओ उसे आगे
उड़ान भर वह इतिहास रचें
नारी होना अभिशाप नही
यह तो सौभाग्य की बातें।
पराक्रम उसमें कम नहीं
आत्मविश्वास बढ़ाओ तुम
हार जीत तो सबके साथ
स्पर्द्धा में उसे उतरने दो।
इतनी भी अबोध नही वह
लक्ष्य उसे पा लेने दो
नारी है ,पर कमजोर नही
ऊँची उड़ान भर लेने दो।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
दिनांक १०/८/२०१९
शीर्षक उड़ान"
बाँधो मत बेटियों को
बेड़ियों के जंजीरों में
उन्मुक्त "उड़ान"भरने दो
जीवन के गलियारों में।
जीने का सामान अधिकार
फिर भेद क्यों संतानों में
उन्मुक्त हँसी सबका अधिकार
उन्मुक्त उड़ान चाहे वह आज।
मौन है वह ,पर कमजोर नहीं
अवसर मिले तो भरे "उड़ान"
हौसला है उसमें कहीं ज्यादा
कुंठित न हो उसकी प्रतिभा।
अवसर दो बढ़ाओ उसे आगे
उड़ान भर वह इतिहास रचें
नारी होना अभिशाप नही
यह तो सौभाग्य की बातें।
पराक्रम उसमें कम नहीं
आत्मविश्वास बढ़ाओ तुम
हार जीत तो सबके साथ
स्पर्द्धा में उसे उतरने दो।
इतनी भी अबोध नही वह
लक्ष्य उसे पा लेने दो
नारी है ,पर कमजोर नही
ऊँची उड़ान भर लेने दो।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
भावों के मोती
10/8/2019
शीर्षक-उड़ान
**********
शिक्षा की ताज़ी हवा से
चेतना की
खिड़कियां खुलीं
अस्तित्व से व्यक्तित्व
संवारने की राह मिली..!
नारी की प्रखर प्रतिभा
परदे में छुप नहीं सकती
इज़्ज़त आबरू के नाम की
बेड़ियों मे बंध नहीं सकती
हिन्द की बेटियां
अब ऊंची उड़ान भरने लगी हैं
अंतरिक्ष में भी वो
अपना परचम लहराने लगी हैं
फिर भी देखो
कैसी विडम्बना है !
कि उनकी उड़ान अब
कुछ लोगों के अहम को
दहलाने लगी है।
पतंग की तरह उड़ना
उसे गंवारा नहीं
जहाँ उसकी मरज़ी का
हो कोई इशारा नहीं
खुले गगन में
हौसलों की उड़ान
उसे लगती अब भली..।।
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
10/8/2019
शीर्षक-उड़ान
**********
शिक्षा की ताज़ी हवा से
चेतना की
खिड़कियां खुलीं
अस्तित्व से व्यक्तित्व
संवारने की राह मिली..!
नारी की प्रखर प्रतिभा
परदे में छुप नहीं सकती
इज़्ज़त आबरू के नाम की
बेड़ियों मे बंध नहीं सकती
हिन्द की बेटियां
अब ऊंची उड़ान भरने लगी हैं
अंतरिक्ष में भी वो
अपना परचम लहराने लगी हैं
फिर भी देखो
कैसी विडम्बना है !
कि उनकी उड़ान अब
कुछ लोगों के अहम को
दहलाने लगी है।
पतंग की तरह उड़ना
उसे गंवारा नहीं
जहाँ उसकी मरज़ी का
हो कोई इशारा नहीं
खुले गगन में
हौसलों की उड़ान
उसे लगती अब भली..।।
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
नमन मंच
दिनांक - 10-08-2019
विषय - उड़ान
विद्या - काव्य रचना
"उड़ान"
------------
उड़ने को बने हैं --हम
आसमां छूने को हैं--तैयार
बुलंद हौसलों के संग
राह मे आये
कितनी ही बाधायें
पार कर जायेंगे उसको हम
अपने --हौसलों से,
उड़ने को बने हैं --हम
मंजिलें भी आकर -पास
दूर चली जाती हैं
एक छण को
निराशा सी छा जाती है
फिर....
नई उम्मीदों के संग चल पड़े हैं
राह पर....उड़ने को
उड़ने को बने हैं --हम
पर, उड़ान बाकी है --अभी.. ||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब
स्वरचित मौलिक रचना
दिनांक - 10-08-2019
विषय - उड़ान
विद्या - काव्य रचना
"उड़ान"
------------
उड़ने को बने हैं --हम
आसमां छूने को हैं--तैयार
बुलंद हौसलों के संग
राह मे आये
कितनी ही बाधायें
पार कर जायेंगे उसको हम
अपने --हौसलों से,
उड़ने को बने हैं --हम
मंजिलें भी आकर -पास
दूर चली जाती हैं
एक छण को
निराशा सी छा जाती है
फिर....
नई उम्मीदों के संग चल पड़े हैं
राह पर....उड़ने को
उड़ने को बने हैं --हम
पर, उड़ान बाकी है --अभी.. ||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब
स्वरचित मौलिक रचना
नमन मंच भावों के मोती
10 /8 /2019
बिषय उड़ान,,
और ऊँची कर मन की उड़ान को
बस एक बार छू ले आसमान को
दिल की उत्कंठा को न छिपाना
कुछ कर दिखाने की चाहत का दीप जलाना
उत्कृष्टता की ओर कदम बढ़ाना
सार्थकता के मोती के भाव सजाना
उमंग साहस की बनें तस्वीर
फिर देखना क्यों न चमकेगी .
सोई तकदीर
सारे जहां में बुलंद हो तेरा सितारा
तेरे सामने नतमस्तक जमाना सारा
स्वरचित ,,सुषमा ब्यौहार
10 /8 /2019
बिषय उड़ान,,
और ऊँची कर मन की उड़ान को
बस एक बार छू ले आसमान को
दिल की उत्कंठा को न छिपाना
कुछ कर दिखाने की चाहत का दीप जलाना
उत्कृष्टता की ओर कदम बढ़ाना
सार्थकता के मोती के भाव सजाना
उमंग साहस की बनें तस्वीर
फिर देखना क्यों न चमकेगी .
सोई तकदीर
सारे जहां में बुलंद हो तेरा सितारा
तेरे सामने नतमस्तक जमाना सारा
स्वरचित ,,सुषमा ब्यौहार
भावों के मोती दिनांक 10/8/19
उड़ान
देखते नहीँ
पंछी ऊँचाई
वह तो
भरते है
खुल कर
उड़ान
एक परिवार सा
होता है
उनके लिए
ज़मीं औ
आसमां
रख कर
हौंसला
लगन और
मेहनत का
भरते उडान
लक्ष्य पर
तभी
चूमेंगी कदम
सफलताएं
न हो हताश
न होओ
विचलित
असफलताओं से
जो भरेगा
उड़ान
वही तो
देख पाऐगा
जमीं
तभी तो
कर पाऐगा
पंख मजबूत
उम्मीदों पर
माता पिता की
उतरो खरा
भरो उड़ान
जिन्दगी में
पहुँच जाओगे
जरूर
मंजिल तलक
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
उड़ान
देखते नहीँ
पंछी ऊँचाई
वह तो
भरते है
खुल कर
उड़ान
एक परिवार सा
होता है
उनके लिए
ज़मीं औ
आसमां
रख कर
हौंसला
लगन और
मेहनत का
भरते उडान
लक्ष्य पर
तभी
चूमेंगी कदम
सफलताएं
न हो हताश
न होओ
विचलित
असफलताओं से
जो भरेगा
उड़ान
वही तो
देख पाऐगा
जमीं
तभी तो
कर पाऐगा
पंख मजबूत
उम्मीदों पर
माता पिता की
उतरो खरा
भरो उड़ान
जिन्दगी में
पहुँच जाओगे
जरूर
मंजिल तलक
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
नमन भावों के मोती
विषय - उड़ान
10/08/19
शनिवार
कविता
कल्पनाओं के सुनहरे पंख फैलाकर मेरा मन , आज फिर आकाश में स्वच्छन्द उड़ना चाहता है।
मोह ,ममता ,लालसा और स्वार्थ के बंधन छुड़ाकर ,
एक सुंदर अंतहीन उड़ान भरना चाहता है।
मैं अभी तक मौन रह अन्याय सब सहता रहा था,
आज मेरा मन जुबान से सत्य कहना चाहता है।
इस सुगर्वित राष्ट्र पर कुर्बान है सर्वस्व मेरा ,
किन्तु मन निज भूमि-हित कुछ और करना चाहता है।
कितने भी तूफान मेरे लक्ष्य की राहों में आएँ ,
मन मेरा उन आँधियों से जंग लड़ना चाहता है।
है मेरी यह कामना संसार में हर जन सुखी हो ,
दिल तो चेहरों पर मधुर मुस्कान लाना चाहता है।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
विषय - उड़ान
10/08/19
शनिवार
कविता
कल्पनाओं के सुनहरे पंख फैलाकर मेरा मन , आज फिर आकाश में स्वच्छन्द उड़ना चाहता है।
मोह ,ममता ,लालसा और स्वार्थ के बंधन छुड़ाकर ,
एक सुंदर अंतहीन उड़ान भरना चाहता है।
मैं अभी तक मौन रह अन्याय सब सहता रहा था,
आज मेरा मन जुबान से सत्य कहना चाहता है।
इस सुगर्वित राष्ट्र पर कुर्बान है सर्वस्व मेरा ,
किन्तु मन निज भूमि-हित कुछ और करना चाहता है।
कितने भी तूफान मेरे लक्ष्य की राहों में आएँ ,
मन मेरा उन आँधियों से जंग लड़ना चाहता है।
है मेरी यह कामना संसार में हर जन सुखी हो ,
दिल तो चेहरों पर मधुर मुस्कान लाना चाहता है।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
नमन् भावों के मोती
दिनांक 10अगस्त19
विषय उड़ान
विधा कविता
जिंदगी निरन्तर चलती जाती
बिन पंखों वह उड़ न पाती
सफल जिन्दगी अनुपम थाती
साहस जिसका प्यारा साथी
परम पुनीत नीति की बाती
जीवन की होती जगमग ज्योति
सत्य अहिंसा सुंदर बाती
उड़े जिन्दगी ख़ुशी न समाती
प्रेम बिवस हो बिह्वल छाती
उड़ता मन निधियाँ हैं आती
मनीष श्री
स्वरचित
दिनांक 10अगस्त19
विषय उड़ान
विधा कविता
जिंदगी निरन्तर चलती जाती
बिन पंखों वह उड़ न पाती
सफल जिन्दगी अनुपम थाती
साहस जिसका प्यारा साथी
परम पुनीत नीति की बाती
जीवन की होती जगमग ज्योति
सत्य अहिंसा सुंदर बाती
उड़े जिन्दगी ख़ुशी न समाती
प्रेम बिवस हो बिह्वल छाती
उड़ता मन निधियाँ हैं आती
मनीष श्री
स्वरचित
नमन " भावों के मोती "
पटल
वार : शनिवार
दिनांक : 10.08.2019
आज का शीर्षक : उड़ान
विधा : काव्य
गीत
रोज उड़ाने भरता है मन ,
थकने का नहीं नाम !
हासिल जो होना है होगा ,
लगते हैं कहाँ दाम !!
बचपन के हैं पंख मुलायम ,
सीमित परीकथा तक !
जो सोचा पा जाए जवानी ,
दिखलाती है ताकत !
राज सफलता का मेहनत है ,
ढलती रोज है शाम !!
अगर उमंगें रंग भरें तो ,
चाहत बढ़ती जाती !
लक्ष्य साधना सीख गये तो ,
खुशियाँ झोली आती !
सफल उड़ानें वही रहेंगी ,
पा गये गर अंजाम !!
ढलती उम्र उड़ानें फीकी ,
रास नहीं हैं आती !
चुटकी भर संतोष मिले तो ,
आँखें हैं मुस्काती !
हाथ लिये खाली जाना है ,
दिखता पास है धाम !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
पटल
वार : शनिवार
दिनांक : 10.08.2019
आज का शीर्षक : उड़ान
विधा : काव्य
गीत
रोज उड़ाने भरता है मन ,
थकने का नहीं नाम !
हासिल जो होना है होगा ,
लगते हैं कहाँ दाम !!
बचपन के हैं पंख मुलायम ,
सीमित परीकथा तक !
जो सोचा पा जाए जवानी ,
दिखलाती है ताकत !
राज सफलता का मेहनत है ,
ढलती रोज है शाम !!
अगर उमंगें रंग भरें तो ,
चाहत बढ़ती जाती !
लक्ष्य साधना सीख गये तो ,
खुशियाँ झोली आती !
सफल उड़ानें वही रहेंगी ,
पा गये गर अंजाम !!
ढलती उम्र उड़ानें फीकी ,
रास नहीं हैं आती !
चुटकी भर संतोष मिले तो ,
आँखें हैं मुस्काती !
हाथ लिये खाली जाना है ,
दिखता पास है धाम !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
नमन भावों के मोती
विषय --उड़ान
विधा --दोहा मुक्तक
दिनांक --10-8-19
1.
द्वार खुलें पंछी उड़ें, हो आजाद उड़ान।
जेल गुलामी की कटी, मिले खुशी के गान।
अपने अपनों से मिले, मिला सुखद संसार-
धरा गगन सब खुश हैं,प्यारा प्रगति जहान।
2.
अपनी संसद ने दिया,भला भला वरदान।
ट्रिपल तलाक जीवित था, आफत में थी जान।
मुस्लिम महिला विजयश्री,हुआ नेक इंसाफ-
समझें शायद पुरुष भी, सबको चही उड़ान।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
विषय --उड़ान
विधा --दोहा मुक्तक
दिनांक --10-8-19
1.
द्वार खुलें पंछी उड़ें, हो आजाद उड़ान।
जेल गुलामी की कटी, मिले खुशी के गान।
अपने अपनों से मिले, मिला सुखद संसार-
धरा गगन सब खुश हैं,प्यारा प्रगति जहान।
2.
अपनी संसद ने दिया,भला भला वरदान।
ट्रिपल तलाक जीवित था, आफत में थी जान।
मुस्लिम महिला विजयश्री,हुआ नेक इंसाफ-
समझें शायद पुरुष भी, सबको चही उड़ान।
******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र ' हितैषी '
बड़वानी(म.प्र.)451551
शुभ साँझ
विषय-- उड़ान
विधा--ग़ज़ल
द्वितीय प्रयास
उड़ान भरते भरते कहाँ आ गये
डा० तो न बना शायर कहा गये ।।
फ़लक पर न लिखाए नाम तो
क्या जमीं पर सबको हँसा गये ।।
हौसले न छोड़े मंसूबे न तोड़े
कोई परचम हम भी फहरा गये ।।
बेशक उड़ान आखिरी कहायी
मगर कुछ तो जोर दिखा गये ।।
हौसला न छोड़ो हवा साथ देय
आखिर हवा अहबाब बना गये ।।
एक चुनौती मान बैठा 'शिवम'
शुक्र यार का जो दम भरा गये ।।
वो कहीं उड़ा तो मैं कहीं उड़ा
क़ाफ़िले मेरे संग भी आ गये ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 10/08/2019
विषय-- उड़ान
विधा--ग़ज़ल
द्वितीय प्रयास
उड़ान भरते भरते कहाँ आ गये
डा० तो न बना शायर कहा गये ।।
फ़लक पर न लिखाए नाम तो
क्या जमीं पर सबको हँसा गये ।।
हौसले न छोड़े मंसूबे न तोड़े
कोई परचम हम भी फहरा गये ।।
बेशक उड़ान आखिरी कहायी
मगर कुछ तो जोर दिखा गये ।।
हौसला न छोड़ो हवा साथ देय
आखिर हवा अहबाब बना गये ।।
एक चुनौती मान बैठा 'शिवम'
शुक्र यार का जो दम भरा गये ।।
वो कहीं उड़ा तो मैं कहीं उड़ा
क़ाफ़िले मेरे संग भी आ गये ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 10/08/2019
नमन मंच
दिनांक .. 10/8/2019
शीर्षक .. उडान
**********************
सपनों ने मेरी भर ली है, ऊँची बहुत उडान।
तुमको पा करके ही मेरी , बनेगी अब पहचान।
शैन शैने चला मगर अब, मंजिल मेरे पास।
तुमको पा लेना था मुश्किल, काम हुआ आसान।
मेहनत का फल मीठा होता, बात मेरी यह मान।
झूम उठी रस रंग मंजरी, शेर ने छेडी तान।
भावों के मोती भी छलके, छलके नैन हमार।
आप के आशीर्वचनो ने दी, शेर को ये पहचान।
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
दिनांक .. 10/8/2019
शीर्षक .. उडान
**********************
सपनों ने मेरी भर ली है, ऊँची बहुत उडान।
तुमको पा करके ही मेरी , बनेगी अब पहचान।
शैन शैने चला मगर अब, मंजिल मेरे पास।
तुमको पा लेना था मुश्किल, काम हुआ आसान।
मेहनत का फल मीठा होता, बात मेरी यह मान।
झूम उठी रस रंग मंजरी, शेर ने छेडी तान।
भावों के मोती भी छलके, छलके नैन हमार।
आप के आशीर्वचनो ने दी, शेर को ये पहचान।
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक- उड़ान
10/8/2019
कुछ सतरंगी,कुछ अतरंगी,
उड़ती जाती मेरी पतंग।
कुछ इठलाती, कुछ बलखाती,
उड़ती जाती मेरी पतंग।
मांझा रुपी साहस संगी
नीलगगन में नयी उमंग
संग हौसला भरे उड़ान
फर-फर करती मेरी पतंग।
आजादी की हवा मिले,
ले लेती है उत्तांग तरंग।
कैंची चले रूढ़ियों की,
कट जाती है मेरी पतंग।
कुछ सतरंगी कुछ अतरंगी
उड़ती जाती मेरी पतंग।
नई दृष्टि और नवाचार की,
उड़ती जाती मेरी पतंग।।
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
शीर्षक- उड़ान
10/8/2019
कुछ सतरंगी,कुछ अतरंगी,
उड़ती जाती मेरी पतंग।
कुछ इठलाती, कुछ बलखाती,
उड़ती जाती मेरी पतंग।
मांझा रुपी साहस संगी
नीलगगन में नयी उमंग
संग हौसला भरे उड़ान
फर-फर करती मेरी पतंग।
आजादी की हवा मिले,
ले लेती है उत्तांग तरंग।
कैंची चले रूढ़ियों की,
कट जाती है मेरी पतंग।
कुछ सतरंगी कुछ अतरंगी
उड़ती जाती मेरी पतंग।
नई दृष्टि और नवाचार की,
उड़ती जाती मेरी पतंग।।
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
🌹भावों के मोती🌹😊
10/8/2019
"उड़ान"
**********************
उड़ान में हौसला धैर्य होता है
विश्वास का अद्भुत मेल होता है
जब टूट जाता है आपसी विश्वास
क्या जीवन का अंतिम दिन होता है?
उदय अस्त जीवन का खेल है
सूरज भी आता जाता रोज है
बिन सूरज के दिन नही रुकता
यही जीवन का फलसफा होता है।।
कदम दर कदम चलते जाना है
भीड़ में नही तुम्हें खो जाना है
सत्य पर जब आंच लगा दी जाए
उस पल दुनिया खत्म नही मान लेना है।।
पर तो गिद्ध बाज कुतरना चाहेंगे
मौत से भी मिलाना चाहेंगे
पर,हौसला न खोना कभी
कदम दर कदम बढ़ते जाना।😊
वीणा शर्मा वशिष्ठ
10/8/2019
"उड़ान"
**********************
उड़ान में हौसला धैर्य होता है
विश्वास का अद्भुत मेल होता है
जब टूट जाता है आपसी विश्वास
क्या जीवन का अंतिम दिन होता है?
उदय अस्त जीवन का खेल है
सूरज भी आता जाता रोज है
बिन सूरज के दिन नही रुकता
यही जीवन का फलसफा होता है।।
कदम दर कदम चलते जाना है
भीड़ में नही तुम्हें खो जाना है
सत्य पर जब आंच लगा दी जाए
उस पल दुनिया खत्म नही मान लेना है।।
पर तो गिद्ध बाज कुतरना चाहेंगे
मौत से भी मिलाना चाहेंगे
पर,हौसला न खोना कभी
कदम दर कदम बढ़ते जाना।😊
वीणा शर्मा वशिष्ठ
नमन मंच
उड़ान
**
मन की है आज
स्वच्छंद उड़ान
कल्पना लोक मे
विचरता गतिमान
खुले आसमाँ के नीचे बैठे
ख्वाबों और जिज्ञासा की
उड़ान जा पहुँची नील गगन
चाँद तारों की दुनिया मे
अभी कितने रह्स्य अनसुलझे
कैसे अपनी धुरी पर गतिमान
सब ग्रह लय मे हैं बँधे हुए ,
अपनी "कल्पना" को
कैसा दिखा होगा
नीला ग्रह ,नील गगन से
दुखद रहा उसका गमन।
अगली उड़ान भरी मन ने
उड़ते उड़ते जा पहुँचा
लाल ग्रह पर अपना यान
वैज्ञानिकों को सलाम
जिनसे है देश का मान ।
उड़ता रहे मन
और ऊंची उड़ान
बौद्धिक क्षमता की
कमी नहीँ देश मे
रहस्यों की तह तक
अभी जाना है
याद है मन
आज उड़ान पर है
चलते है
चाँद पर अपना
आशियाना बनाना है ।
स्वरचित
अनिता
उड़ान
**
मन की है आज
स्वच्छंद उड़ान
कल्पना लोक मे
विचरता गतिमान
खुले आसमाँ के नीचे बैठे
ख्वाबों और जिज्ञासा की
उड़ान जा पहुँची नील गगन
चाँद तारों की दुनिया मे
अभी कितने रह्स्य अनसुलझे
कैसे अपनी धुरी पर गतिमान
सब ग्रह लय मे हैं बँधे हुए ,
अपनी "कल्पना" को
कैसा दिखा होगा
नीला ग्रह ,नील गगन से
दुखद रहा उसका गमन।
अगली उड़ान भरी मन ने
उड़ते उड़ते जा पहुँचा
लाल ग्रह पर अपना यान
वैज्ञानिकों को सलाम
जिनसे है देश का मान ।
उड़ता रहे मन
और ऊंची उड़ान
बौद्धिक क्षमता की
कमी नहीँ देश मे
रहस्यों की तह तक
अभी जाना है
याद है मन
आज उड़ान पर है
चलते है
चाँद पर अपना
आशियाना बनाना है ।
स्वरचित
अनिता
शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
10/08/2019
कविता
विषय:-"उड़ान"
उतरे आज चाँद पर
पहुंचे मंगल यान
तकनीक के पँख लगा
और जिज्ञासा भरे उड़ान...
हाथों को बस काम मिले
मेहनत को पूरा दाम
हौसलों को जो ईंधन मिले
और स्वप्न भरे उड़ान....
रोती मानवता मिली
स्वार्थ की चले दुकान
कहीं ज़मीन पर पैर नहीं
और अहम् भरे उड़ान....
भूख और गरीबी से
जाये न किसी के प्राण
संभावनाओं कोआकाश मिले
और कल्पना भरे उड़ान...
समय के सारे खेल हैं
झूठे सारे ग़ुमान
काया वस्त्र मिट्टी में मिले
और आत्मा भरे उड़ान....
स्वरचित एवं मौलिक
ऋतुराज दवे, राजसमंद(राज.
नमन "भावों के मोती"🙏
10/08/2019
कविता
विषय:-"उड़ान"
उतरे आज चाँद पर
पहुंचे मंगल यान
तकनीक के पँख लगा
और जिज्ञासा भरे उड़ान...
हाथों को बस काम मिले
मेहनत को पूरा दाम
हौसलों को जो ईंधन मिले
और स्वप्न भरे उड़ान....
रोती मानवता मिली
स्वार्थ की चले दुकान
कहीं ज़मीन पर पैर नहीं
और अहम् भरे उड़ान....
भूख और गरीबी से
जाये न किसी के प्राण
संभावनाओं कोआकाश मिले
और कल्पना भरे उड़ान...
समय के सारे खेल हैं
झूठे सारे ग़ुमान
काया वस्त्र मिट्टी में मिले
और आत्मा भरे उड़ान....
स्वरचित एवं मौलिक
ऋतुराज दवे, राजसमंद(राज.
भावों के मोती:
#दिनांक:१०"९"२०१९:
#वार:शनिवार:
#विधा:काव्य:
#विषय:उड़ान:
*""""""*उड़ान *""""""*
मंसूबे हैं ऊंची उड़ान के अपने,
पर लग गए हैं हमें सुरखाब के,
इरादे भी हैं अपने अफलातूनी,
बुलंदी में हौसले भी है रुआब के,
आसमां ही है अब मंजिल मेरी,
चांद तारे बन गए हैं मेरे ख्वाब,
अंजाम की किसे परवाह है अब,
आगाज़ भी हुआ है लाजवाब,
दुनिया देखेगी अब जलवे मेरे,
रखेगा जमाना भी मुझको याद,
हम पर जो उठेगी नज़रें टेढ़ी,
वो रह ना सकेगा जहां में आबाद,
सख्शियत से अपनी चौंक उठे हैं,
जग ने भी देखे हैं अपने अंदाज,
कदमों में अपने झुकने लगे हैं,
सत्ता सियासत तख्त ओ ताज,
उड़ जाने के अरमान हैं पाले,
बिन पंख हम बन गए परवाज़,
उड़ान अभी है बाकी अपनी,
निशाने में निगाहें गगन पर राज,
रचनाकार*"""*दुर्गा सिलगीवाला सोनी,
भुआ बिछिया जिला मंडला,
मध्यप्रदेश (भारत)
#दिनांक:१०"९"२०१९:
#वार:शनिवार:
#विधा:काव्य:
#विषय:उड़ान:
*""""""*उड़ान *""""""*
मंसूबे हैं ऊंची उड़ान के अपने,
पर लग गए हैं हमें सुरखाब के,
इरादे भी हैं अपने अफलातूनी,
बुलंदी में हौसले भी है रुआब के,
आसमां ही है अब मंजिल मेरी,
चांद तारे बन गए हैं मेरे ख्वाब,
अंजाम की किसे परवाह है अब,
आगाज़ भी हुआ है लाजवाब,
दुनिया देखेगी अब जलवे मेरे,
रखेगा जमाना भी मुझको याद,
हम पर जो उठेगी नज़रें टेढ़ी,
वो रह ना सकेगा जहां में आबाद,
सख्शियत से अपनी चौंक उठे हैं,
जग ने भी देखे हैं अपने अंदाज,
कदमों में अपने झुकने लगे हैं,
सत्ता सियासत तख्त ओ ताज,
उड़ जाने के अरमान हैं पाले,
बिन पंख हम बन गए परवाज़,
उड़ान अभी है बाकी अपनी,
निशाने में निगाहें गगन पर राज,
रचनाकार*"""*दुर्गा सिलगीवाला सोनी,
भुआ बिछिया जिला मंडला,
मध्यप्रदेश (भारत)
नमन "भावों के मोती।"
नमन मंच
विषय:- "उडान"
दिनांक :- 10/8/19.
कविता.......
"उडने दो!..."
युग बदल रहा है।
रूढियों का सूरज ढल रहा है।
उड़ने दो बेटियों को,
परिंदों की नाई,
बंदिशों से परे,
उन्मुक्त गगन में दूर छौर तक,
छूने दो शिखर,
हौसलों की उड़ान से।
खिलने दो भरपूर,
कि महका सकें चमन।
चढने दो सूर्य सा,
कि कर सकें प्रदीप,
सारा जहां।
बहने दो सरित-सम,
की मुदित रहे वे,
अपनी गति की लय में।
उगने दो,.....
ऊषा-किरण सम
फैलाने दो ज्योति,
शुचिता शुभ्रता की,
लाद ना देना उन पर,
अहसानों का भार,
बिना बैसाखियों के,
चलने दो, उमगने दो।
तोड़ने दो उन्हें,
वर्जनाओं की बेडियां,
और....! फाड़ने दो,
"अबला" की उपाधि।
क्या तुम्हारी समझ का आलंब,
बनने देगा...?उन्हें 'सबला'
क्यों भूले हो...?
उन्हीं से कायम है,
मानव का अस्तित्व,
अंश है वे,
अग्नि सुता का।
वे 'भूमिजा' आतुर हैं.
चीरने सीना धरा का।
मान सम्मान दो,
उनकी इस महारत को,
चढ़ना चाहती हैं वे,
आत्म-मुग्धता की सीढ़ियां,
पंख लगने दो,
उनकी इस चाहत को।
समझो तुम,
उनके उद्देश्य महान को।
रोको मत उनकी उड़ान को।.....
रोको मत उनकी उड़ान को।......
नमन मंच
विषय:- "उडान"
दिनांक :- 10/8/19.
कविता.......
"उडने दो!..."
युग बदल रहा है।
रूढियों का सूरज ढल रहा है।
उड़ने दो बेटियों को,
परिंदों की नाई,
बंदिशों से परे,
उन्मुक्त गगन में दूर छौर तक,
छूने दो शिखर,
हौसलों की उड़ान से।
खिलने दो भरपूर,
कि महका सकें चमन।
चढने दो सूर्य सा,
कि कर सकें प्रदीप,
सारा जहां।
बहने दो सरित-सम,
की मुदित रहे वे,
अपनी गति की लय में।
उगने दो,.....
ऊषा-किरण सम
फैलाने दो ज्योति,
शुचिता शुभ्रता की,
लाद ना देना उन पर,
अहसानों का भार,
बिना बैसाखियों के,
चलने दो, उमगने दो।
तोड़ने दो उन्हें,
वर्जनाओं की बेडियां,
और....! फाड़ने दो,
"अबला" की उपाधि।
क्या तुम्हारी समझ का आलंब,
बनने देगा...?उन्हें 'सबला'
क्यों भूले हो...?
उन्हीं से कायम है,
मानव का अस्तित्व,
अंश है वे,
अग्नि सुता का।
वे 'भूमिजा' आतुर हैं.
चीरने सीना धरा का।
मान सम्मान दो,
उनकी इस महारत को,
चढ़ना चाहती हैं वे,
आत्म-मुग्धता की सीढ़ियां,
पंख लगने दो,
उनकी इस चाहत को।
समझो तुम,
उनके उद्देश्य महान को।
रोको मत उनकी उड़ान को।.....
रोको मत उनकी उड़ान को।......
नमन मंच को
10/8/2018
विषय उडान
हाइकु
1
आज का बच्चा
नहीं दिल का सच्चा
फिरे उड़ता,
2
आज इंसान
कामयाबी उडान
भूले जहान
3
माता ओ पिता
इच्छाओं की उडान
भूली संतान
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
10/8/2018
विषय उडान
हाइकु
1
आज का बच्चा
नहीं दिल का सच्चा
फिरे उड़ता,
2
आज इंसान
कामयाबी उडान
भूले जहान
3
माता ओ पिता
इच्छाओं की उडान
भूली संतान
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
नमनः भावों के मोती
10/08/19 शनिवार
विषय - उड़ान
विधा -कविता
🧚♀️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️
बच्चों की उडान है न्यारी
रोज़ नये नये रास दिखाएँ ।
युवा की परिपक्व उडान
हर का अपना है आसमान ।
कुछ डाक्टर के सपने देखे
कुछ वकील बन मान बढाये।
जो योद्धा बन खडा सीमा पर
उनके आगे सब शीश झुकाये ।
नारी की उडान अनोखी
परिवार संग उसकी सफल उडान ।
करते हम सब है प्रण मिलकर
बेटियों की उडान के पंख बनेगें ।
देश की बेटियों ने रचकर इतिहास
किया गर्भित अपनी प्रतिभाओ से।
उडती रहना नभ,जल, भूतल में
हर्षित, अचंभित, दिव्यस्वपन में हम।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#स्वरचित
#नीलम श्रीवास्तव
10/08/19 शनिवार
विषय - उड़ान
विधा -कविता
🧚♀️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️🧚♂️
बच्चों की उडान है न्यारी
रोज़ नये नये रास दिखाएँ ।
युवा की परिपक्व उडान
हर का अपना है आसमान ।
कुछ डाक्टर के सपने देखे
कुछ वकील बन मान बढाये।
जो योद्धा बन खडा सीमा पर
उनके आगे सब शीश झुकाये ।
नारी की उडान अनोखी
परिवार संग उसकी सफल उडान ।
करते हम सब है प्रण मिलकर
बेटियों की उडान के पंख बनेगें ।
देश की बेटियों ने रचकर इतिहास
किया गर्भित अपनी प्रतिभाओ से।
उडती रहना नभ,जल, भूतल में
हर्षित, अचंभित, दिव्यस्वपन में हम।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#स्वरचित
#नीलम श्रीवास्तव
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