Wednesday, August 7

"हीरा/रत्न"5अगस्त 2019

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ब्लॉग संख्या :-468



विषय हीरा,रत्न
विधा काव्य

05 अगस्त ,2019 सोमवार

गहरे सागर गोते खाते नित
सागर की सतह पर जाते ।
तन तोड़ परिश्रम करते जो
वे ही भव्य रत्नों को पाते ।

मानव जीवन बहुमूल्य हीरा
करो कर्म परोपकार जीवन।
खून पसीना सदा बहाओ
खिल जाता जीवन उपवन।

सदशिक्षा जीवन का हीरा
मनोवांछित फल को पाता।
श्रेष्ठ कर्मों के बल पर ही
जीवन में खुशहाली लाता।

रत्न जड़ित मानव जीवन
तुम धरा पर स्वर्ग उतारो।
दीन हीन मुखों के ऊपर
प्यार भरी मुस्कान लाओ।

ईश वंदना भक्ति बल से
जीवन हीरा बन जाता है।
राम नाम अमृत प्याले से
सदा भक्त मुक्ति पाता है।

जन्म मरण तो कटु सत्य हैं
जीवन को साकारित कर ले।
जीवन अद्भुत अनमोल हीरा
सुख शांति जीवन में भर ले।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

शीर्षक-- हीरा/रत्न
विधा-- दोहा 
प्रथम प्रस्तुति


हीरे भी बिखरे यहाँ , माणिक यहाँ हजार
फर्क करना सीखले , होगा बेड़ापार ।।

कांकर पाथर में रमा , समझता होशियार 
माया में नित फँस रहा , भूला उर के तार ।।

समय यहाँ किसका रहा , सबने खायी मार 
समय रहते सीखले , 'शिवम' संगत का सार ।।

जौहरी मिल जाऐंगे , कर सच का सत्कार 
बिन पूँजी हो जाएगा , तेरा ये व्यापार ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 05/08/2019

नमन मंच
दिनांक ... ५••८••२०१९
विषय ... हीरा/रत्न

***********************

हीरा रत्न बिखर गया मोरा, माई बैठे रोय।
मर गया एक जवान देश पे, पीटे छाती रोय॥

नई बहुरिया के हाथों की, मेंहदी चीखे रोय।
तोड हाथ की लाल चूडियाँ, चीखे धरती रोय॥

आऊँगा जब लौट के घर तब, बहना को व्याहेगे।
वादा उसने तोड दिया अब, बहना आँसू रोय॥

बाप के मुँख से शब्द ना निकले, दिल मे हो वो रोय।
हीरा रत्न था बेटा मेरा, शेर हृदय भी रोय॥

स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ

 भावों के मोती
5/08/19
विषय-हीरा ,रत्न ।


सूर्य वंदन

जगा दिया कण कण 
हे ज्योतिर्मय ,
नवेली के सुनहरी 
आंचल से लहराके,
चहुँ लोक 
दसो दिशाओं में विस्तारित 
छवि तेजोमय तुम्हारी, 
अलंकृत हुई धरा,
पादप हस्त झूलाये
डाल पुष्प झुलना,
ज्यों नवागत स्वर्ण रूप शिशु,
झूले हिण्डोला ,
छवि तेरी निरखी न जाए
रुप न वरण्यो जाए,
तेरे तेज से कभी झूलसत जग 
तेरे तेज बिन रह ना पाए,
हे दिवाकर रत्न-ज्योति तेरी 
कोटि रत्नो से न्यारी,
कण-कण इस जगती का 
तेरे ऋण का आभारी ।

स्वरचित
कुसुम कोठारी।

नमन मंच ,भावों के मोती

विषय - हीरा, रत्न
05अगस्त2019 सोमवार नाग पंचमी

मित्र रत्न है जीवन का
जिसे जड़ लो तुम अपने मन में
वह सुन्दर और सलोना है
वह झाँके मन का कोना कोना है
दुःख तुम्हें हुआ तो वह रोये
दुःख दर्द देखकर वह खोये
मित्र दिल का साज है 
मित्र वह आवाज है
जीवन की कठिन परिक्षा में
पल पल रहता वह साथ है
कभी बरषता मेघ बनकर
सुन्दर सी वह बरषात है
कोमल हृदय को तृप्त करता
ऐसा मीठा एहसास है
जाड़े की ठिठुरन में
गरमी का आभास है
गर्म हवा के झोंकों में
शीतल पवन बहार है
हीरा जैसा मेरा मित्र
है तो बडा़ विचित्र
पर जीवन की इस धारा को
कर देता सुखमय सिंचित

धन्यवाद
मैं संध्या गर्ग त्रिपाठी
स्वरचित.कविता भावों के मोती, आभार

5/8/2019
नमन भावों के मोती।
नमन गुरुजनों, मित्रों।
हीरा/रत्न
💐💐💐
हाइकु लेखन
1
पहनो हीरा
अनमोल है होता
लाख टके की
2
अनमोल है
रत्नों में रत्न हीरा
जौहरी जाने
3
हीरे सा दिल
होता है जब तेरा
ईश मिलते

स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी

5/8/2019
द्वितीय प्रस्तुति
हीरा/रत्न
💐💐💐
हीरे सा दिल रखो,
वो होता लाख टके की।

मिलजुलकर रहोगे,
चर्चा में रहोगे सबकी।

गरीबों के लिए हो दिल में स्नेह,
कमजोर का साथ दो हमेशा।

जो पिछड़े हैं उनको,
उपर उठाना हमेशा।

छा जाओगे समाज में,
रहोगे हरेक दिलों में।

नेतृत्व करोगे सब पर,
रहोगे प्यारे हर दिलों में।

स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी

नमन मंच भावों के मोती
दिनांक 5/8/2019
शीर्षक हीरा/रत्न
......................

ज़िंदगी जब 
खत्म होने को आई
तब कहीं हमें
जीने का ढंग आया 

शमा जब बुझने लगी
तब जाकर कहीं 
महफिल में रंग आया।।

सब को जानने की
फिक्र जीवन भर करते रहे
स्वयं को पहचानना
हमें अब तक न आया।।

जीने का मक़सद
हमने न जाना
क्या है हमारी मंजिल
ये भी तो न जाना
अब तो यूँ लगता है जैसे
हमने ये हीरा जीवन
व्यर्थ ही तो है गँवाया

बुद्धि, विवेक से पूरित
मानव जीवन मिला
जीवन भर हम हर किसी से
करते रहे गिला
कभी हम जौहरी न बन पाए
न हमें हीरे जैसे 
निजअस्तित्व को परखना आया !!
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित

"तू ही तो मां शारदे का साज है" 

कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा, तो कहीं नाराजगीयों का बहाव मिलेगा ।
तू चल राही अपनी राहों पर ,जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा ।।

नहीं मिले किसी का साथ तो, निराश न होना ।
यहां सब पितल को चमकाने बैठे हैं ,तू हताश न होना ।।

जरूरी नहीं कि सबको हीरे की परख हो, तू लिख अपनी कलम को ना रुकने दे । वो आएगा जौहरी जिसे हीरे की परख हो ।।

अपनी कलम की ताकत को पहचान, और नित नया सृजन करती रह ।
दे अपनी कलम से समाज को नई दिशा ,अपना यह प्रयास आखरी दम तक ना रुकने दे ।।

तुझ पर मांँ शारदे की कृपा बनी रहेगी, क्योंकि तुम मांँ शारदे का साज है ।
चाह कर भी नहीं रोक पाएगा तुमको, क्योंकि तुम्हें से सब की आवाज है, तू ही तो मांँ शारदे का साज है ।। 
वीणा वैष्णव

भावों के मोती
शीर्षक- हीरा
जौहरी जैसे पहचान लेता
कांच और हीरे के फ़र्क को।
मैंने भी यार ढूंढ निकाला
इस जग के मेले से तुमको।।

हर सुख-दुख में था साथ
हाथों में लिए मेरा हाथ।
जब भी मैं हुआ उदास
तु ही था मेरे आसपास।।

धुप में तु छांव बन गया
सहरा में तु गांव बन गया।
आंसू में मुस्कान बन गया
थकान में आराम बन गया।।

स्वरचित- निलम अग्रवाल,खड़कपुर

5/8/2019
शीर्षक-हीरा/रत्न
विधा-लोक गीत(श्रृंगार रस)
द्वितीय प्रस्तुति
🌹🌹🌹🌹🌹
मोहे पिया पहना दे
हीरे को मंहगो हार
हँस के पिया जी
दूँगी अपनी बाहों का हार
गर जो वश में नहीं है
तो लाय दे सोने को हार
बस एक शर्त है मोरी
वामें जड़ें हो रत्न हजार
गर जे भी न कर पावो
तो लाय दो मोतियन को हार
जे भी तोय कीमती लागे
तो पहन लूँगी फूलन को हार
तुम ही सजन मोरे हीरा
हम रत्ना तुम्हारी नार
तुमसे ही तो शोभित है
पिया मेरो सोलह श्रृंगार ..!!
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित

नमन मंच भावों के मोती
5/8/ 2019 
बिषय ,हीरा /रत्न/
पत्थर सा ए जमाना मैं 
हीरा कहाँ से लाऊं
नकली चमक दमक में
वो रत्न कहाँ से पाऊं
पत्थरों को भी तराशा
दिल को दी दिलाशा
धोखे बहुत खाए कैसे
इसे समझाऊं
अभी तक हम जिन्हें समझते रहे फरिश्ते
धोखा दिया उन्हीं ने जो
मेरे अपने नजदीकी रिश्ते
मारी कटारी पीठ पर कैसे
गले लगाऊं
हम लुटते रहे वो लूटते रहे
वो तोड़ते रहे हम टूटते रहे
मन हो गया खाली इसमें किसे बिठाऊं
हीरा ,,रत्न ए सब गुजरे जमाने की बातें
अब तो झूठ कपट छल मिलती 
यही सौगातें
वीरां दिलों चमन का कैसे इसे महकाऊं
टूटे ए मन.के.साज 
निकलती नहीं आवाज
बनती नहीं लय मैं गीत 
क्या गुनगुनाऊं
स्वरचित ,,सुषमा ब्यौहार


भावों के मोती;
#दिनांक:५"८"२०१९;
#विषय:हीरा:रत्न;
#विधा:काव्य;
#रचनाकार:दुर्गा सिलगीवाला सोनी;

*"""""*हीरे की आत्म कथा*"""""*

मिट्टी व पत्थर रेत और मुरम ने,
दबा कर ही रखा मुझे सालों साल,
गर्भ से था मेरा सिर्फ इनसे ही नाता,
रिश्ता इनसे था अपनत्व का जाल,

मेरे जन्म से हुआ विस्थापन इनका,
मेरे उदय ने इनका हुआ बुरा हाल,
मुझ पर जब पड़ी पारखी की नज़र,
मुझे तराशा भी गया है बेमिसाल,

मैं बनकर हीरा जब चमका जहान मैं,
मेरी चमक से उठे दुनिया में सवाल,
मैं बैठा जाकर मुकुट और ताज में,
मैं बना कोहिनूर हुआ अजब धमाल,

मेरी चाहत में लोगों ने किया कमाल,
किए तख्ते पलट और मचाया बवाल,
जिसने भी मुझे देखा छूना पाना चाहा,
मेरे मोल में आई रत्नों से ऊंची उछाल,

बेमोल था मैं अब दुर्लभ हूं एक हीरा,
मैं बेशकीमती सब रत्नों से हूं आगे,
मैं मिल जाऊं अगर अभी तुझे भी
मेरी चिंता में तूभी रातों रात को जागे

विषय= हीरा/रत्न
============
हीरे से बड़ा अनमोल नगीना
कुदरत ने हमको दिया हैं
बस नज़र चाहिए पारखी
आँखों में बस जाए हीरा असली

एक मिला है हीरा अनमोल
कोहिनूर से दूना उसका मोल
उसकी तेज चमक से हो जाती
आँखें अंधी देश के दुश्मनों की

उपेक्षा सही गालियाँ सुनी
पर अपनी धुन में मगन वो गुणी
करते रहे देशहित के काम
भारत का विश्व में गूँजने लगा नाम

दुनिया उसके कार्य की कायल
वो रत्न बड़ा ही शुभदायक है
देखते ही उसके चमत्कार
सब करने लगे हैं उससे प्यार

कभी सर्जीकल स्ट्राइक कर दी
कभी भ्रष्टाचार मिटाने नोट बंदी 
अबकी किया बड़ा चमत्कार
यह मोदी जी तो बड़े कमाल

देश ने चुना यह अनमोल हीरा
जिसने दिया है नहीं कुछ छीना
कश्मीर से हटाकर दोनों धाराएं
पूर्णतः आज आजाद किया है
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित

नमन मंच
दिनांक ५/८/२०१९
शीर्षक-हीरा/ रत्न
कंचन महल बनाने को हम है बेकरार
हीरे का हार पहनने को हम है तैयार
क्षमा,दया, करूणा से हमारा ना सरोकार
हीरा मोती मूंगा से भरा घर भंडार।

कंचन महल बनाने को हम है बेकरार
"और-"और की चाह में नींद ना आवे रात।
देख पीड़ा दूसरों की, आँख भरे ना नीर
लोग मुझे अमीर कहे,हम दीनन के दीन।

है आशांका खोने का,हीरो का हार
अपनों से दूर हुये, खोये रिश्ते हजार।
मानव जन्म अमोल है,किये ना जीवन साकार
इसे ब्यर्थ गँवाये हम ,समझे जब ,जीवन लगे कगार।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।

 नमन मंच
शीर्षक-- हीरा/रत्न 
मात्रिक छंद

द्वितीय प्रस्तुति

हीरा सी अनमोल यह यारी 
चमक न गयी जिन्दगी गुजारी ।।

यही हमने एक दौलत जानी 
जिसने यह तकदीर सँवारी ।।

कुछ अल्फ़ाज़ हैं या शब्द हैं
जिनकी चमक रहती न्यारी ।।

सच्चाई से जोड़ ले प्रीत
छोड़ सारी झूठी खुमारी ।।

पत्थर भी छुये सोना बने 
बन तूँ ऐसा कर तैयारी ।।

छुये से शब्द चल पड़ें साथ 
बने लड़ी हो कविता प्यारी ।।

ऐसी प्रतिभा एक दिन में न
कभी भी गयी यहाँ निखारी ।।

हीरा हरेक में छुपा हुआ
क्यों न 'शिवम' नजर गयी डारी ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 05/08/2019

 भावों के मोती दिनांक 5/8/19
छंद मुक्त कविता 
हीरा / रत्न 


मिला है 
जीवन हीरा
लगाओ इसे
सदकर्मो में 
उड़ जाऐंगे 
प्राण पंछी बन
न रह जाऐगा
तब कुछ

है बच्चे हीरे
माता पिता के
उतरना है खरा 
उनकी उम्मीदों पर

रखता हैं 
पारखी निगाह
सुनार
पहचानता है
असली नकली
रत्न 
देते है खुशहाल 
जिंदगी 
असली रत्न
जीवन में 

बने सबके 
शुभचिंतक 
रखे सब का 
मान
रहें जहाँ भी
जिंदगी में 
हीरा बन 
रहेगी 
जीवन में 
शान

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

नमन भावो के मोती
आज का विषय -हीरा रत्न
विधाः- कविता
माना जाता हीरा ही मूल्यवान रत्न।
जीवों में मनुष्य को हीरे के समान।।

हीरा जला देने पर बनता है कोयला।
बुरे कर्म से मानव भी बनता कोयला।।

अच्छे कर्म करके बने रहो आप हीरा।
क्यों बनें कोयला बनाया प्रभु ने हीरा।।

कर प्रभु की उपासना बन जाओ हीरा।
कृष्ण की पूजा करके बन जाओ मीरा।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित

नमन,"भावों के मोती"🙏
शुभ साँझ
विधा:-चौपाई छंद
💐💐💐💐💐💐💐
विषय:-हीरा/रत्न

पीर हरो हे कृष्ण मुरारी, मैं तोहरे दरस को आई ।
हीरे मोती कछु ना चाही, अब ना दुनियाँ मोहे भाई ।।
आस लगाउ तेरे दरस की ,तेरी प्रित की बदरी छाई ।
माखन मिश्री मै हूँ लायी ,आओ तोहे भोग चढाई।।

धीर धरूँ अब कैसे कान्हा, लगन लगी अब तेरी भारी।
तू बन जाएं मोहन मेरा, मैं बन जाउं राधा प्यारी।।
बंशी जब तू मधुर बजाए,तभी अपना हृदय मैं हारी ।
आँखों से बहते हैं आँसू, ज्यो छलका सागर से खारी।।

स्वरचित
नीलम शर्मा #नीलू

1भा. नमन साथियों,
तिथिःः ः5/8/2019/सोमवार
बिषयःः #हीरा/रत्न#
विधाःः काव्यःः

चाहे कभी बन जाऊँ हीरा,
या बन जाऊँ अच्छा मोती।
सभी रहेंगे बेकार यहाँ यदि,
नहीं हो मनमंदिर में ज्योति।

हीरा तप तप कर बनता है।
भक्त तप करने से बनता है।
कठोर परिश्रम करें शरीर से,
अच्छा मानव तन बनता है।

रत्नजडित सिंहासन पर बैठें।
अथवा किसी फर्श पर बैठें।
जब तक नहीं योग्यता हम में,
है गुढगोबर चाहे अर्श पर बैठें।

मनमाणिक है मनसा अच्छी।
मन हीरा यदि करूणा सच्ची।
रतन विभूषित स्वयं हम मानें,
गर नहीं बन पाऐं हम दुर्भक्षी।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी

1.भा.#हीरा/रत्न#काव्यःः
5/8/2019/सोमवार

05/08/2019
नमन:भावो के मोती 
विषय: हीरा /रत्न

रत्नों मे राजा हीरा 
रहता था वह कोयले मे
पर समय के साथ परिपक्व हो
पा ली कठोरता अपने में 
निखारने मे लग गये रत्नाकर 
ज्यो ज्यो प्रहार वह सहने लगा 
आभा उसकी त्यों त्यो निखरने लगी।

मानव जीवन भी किसी हीरे समान 
प्रतिभा निखरती है ठोकरे खाने के बाद
जिसे मिल जाता है योग्य रत्नाकर 
निखर आती हैं उसमें पर्तिभा अपार
हर घर में पलते हीरे मोती पन्ने नीलम 
सिर्फ सवारने वाले रत्नाकर चाहिए ।
#स्वरचित 
नीलम श्रीवास्तव

नमन भावों के मोती
सोमवार
विषय,हीरा 
विधा, छंद मुक्त

हीरे जैसा दिल दिया था रब ने,
काँच हमीं ने बना दिया ।
खाईं ठोकरें इतनी जग कीं ,
दरारों से पाट दिया ।
विश्वासघात के चलते इसने,
बिष बेल का रूप लिया।
फूलों सा था जो कोमल ,
हमनें काँटों के संग बाँध दिया।
भटक रहा है, राह नहीं है ,
तेरी मेरी दुनियाँ में ।
कोहिनूर सा बन गया है ,
लगा है अपना आप मिटाने में।
सहज सुलभ हो हीरा जो ,
वो जन मानस को भाता है ।
दुर्लभ हीरा मार काट संग ,
आतंक जग में फैलाता है ।
चमक हीरे की नायाब होती,
रहता है प्रकाशित हमेशा ही ।
व्यक्तित्व हमारा हो हीरे सा ,
जो करे प्रकाशित संसार को ।
जहरीला हो न हीरे जैसा,
जो जीवन का नाश करे ।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश

नमन मंच भावों के मोती 
विषय। हीरा 
विधान पद्धरि छन्द
16 मात्रा अंत लगाल
*****
भारत का ये हीरा महान ,
सरल नहीं अब इनका बखान।
सबको मिले अब सम अधिकार,
देश का एक समान विधान ।

धारा सत्तर था इम्तिहान
प्रतिदिन झेलते सब अपमान।
आवश्यक था इसका निदान ,
ये लेकर आया नव विहान ।

होगा नहीं कोई हलकान,
आतंक की बंद हुई दुकान।
समझें इस मसले को जहान,
सबका विकास करता प्रधान।

जीवन में सब थे जब हताश
हीरा ये दे सबको प्रकाश।
कठोरता से करके प्रहार
करते बुराइयों का विनाश ।

उलझनें रहीं जग में तमाम,
इच्छाओं का मन है गुलाम।
देना होगा इस पर विराम,
मनुज तभी पाये है मुकाम ।

स्वरचित
अनिता सुधीर





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