Sunday, August 18

" अटल "17अगस्त 2019

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ब्लॉग संख्या :-479

निःशब्दता घेर लेती है,
हर दरख्त के गिरने के बाद ।
दिल का कोना रहेगा खाली,

''अटलजी'' के जाने के बाद ॥
**
कोई शब्द नही बचता है,
हर बाते बेमानी है ।
तुम हृदय सम्हाले रखना,
वो दिल मे ही रहते है।
**
वर्षो वर्ष मे कभी कभी,
कोई दिव्य सितारा जना ।
जन मानस की आकांक्षा,
पर, खुद को रखा खरा ॥
**
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ



 नमन मंच 
17/08/19 
अटल

***

प्रथम पुण्यतिथि पर शत शत नमन

युगपुरुष को शत शत नमन 
पथ अनुसरण का लें वचन।
अनुकरणीय था आचरन
सुवासित किया था चमन।
अद्भुत कौशल के धनी
कारगिल हो या पोखरन ।
स्वप्न देखा अखंड भारत
करते रहे शत्रु का दमन ।
इरादों में रहे वो अटल 
युगपुरुष को शत शत नमन ।

स्वरचित
अनिता सुधीर


सादर नमन मंच 
आज का कार्य 
विषय--अटल 


थी मौत भी बेबस सुनो करीब से गुज़र गयी! 
ना छू सकी तुझे #अटल वो दूर ही खड़ी रही। 
ना भूल पाएगा तुझे सदियों तलक तेरा वतन! 
#अटल जिजीविषा को देख मौत भी ठहर गयी!
****
अमूल्य रत्न देश का सुनो कहीं अब खो गया 
भारत का लाल चिर निद्रा में सदा को सो गया!
सरस प्रवृति रच गए स्वर्णिम इतिहास पोखरण! 
पंचतत्व में विलीन हो अज़र अमर वो हो गया! 
***
@ मणि बेन


श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की पावन स्मृतियों को भावभीनी श्रद्धांजलि एवं भावपूर्ण नमन ।

सत्य जीवन मृत्यु अटल। 

संघर्ष अग्नि सत्य अनल।

मन देह है जीव और वन।
फलित विचार और स्वप्न।

पुष्प ह्रदय की प्रसन्नता। 
कंटक अहित सी व्यग्रता।

निर्धन, तप्त, संतप्त, मन।
संतोष, उच्च , स्वर्ण, धन।

सुसुप्त जीवन, भंग तंद्रा। 
मृत्यु , मुक्ति, गहन निंद्रा।

जगत जीवन आहूति सम। 
आत्मिक है शाश्वत हवन। 

विपिन सोहल

भावों के मोती दिनांक 17/8/19
अटल


सत्य अटल है
कर्म अटल है
ईश् अटल है
अंतरिक्ष अटल है
ब्रह्माण्ड अटल है
सृष्टि अटल है
पृथ्वी अटल है
जल अटल है
वायु अटल है 
अग्नि अटल है 
आकाश अटल है
ये
जीवन अटल है 
और
मृत्यु अटल है

स्वलिखित 
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

अटल

जो थे स्मृतिपटल पर सदा,

वो आज भी नही हुए जुदा।
आज भी हैं वह,
चाँद सीतारों में,
निरभ्र गगन में ।
रहेंगे याद सदा के लिए ।
कविताओं के उपवन में ।
रहेंगे जीवित सदा,
हर भारतीयों के दिल में ।
प्रदीप सहारे

पहली बार देखा आपको कानपुर में,
प्लेट फार्म न. १ पर,
फिर हजारों बार टीवी पर ,

अब तो अंकित हो गये है आप
मेरे मन- मष्तिष्क पर,
मेरे दिल और चरित्र पर,
अटल जी आप अमर रहोगे
इस भारत की धरा पर
तारे बनकर चमक रहे हो
आर्यावर्त के आसमां में
हम आपके पद चिन्हो पे
चलते रहेंगे जीवन भर।

नमन।

सुप्रभात "भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन🌹
17/
08/2019
"अटल"
महान हस्ती श्रद्धेय अटल जी को शत-शत नमन🙏🙏🙏

देश की उन्नति के लिए..
कई बड़े-बड़े फैसले लिए
अदम्य साहस का परिचय देते रहे...
कदम-कदम पर ......
चुनौतियों को स्वीकार किया
अपने सुकर्मों एवं वाणी से..
नया इतिहास रच गये...
हिंद के सपनों को साकार किया......
मृत्यु भी जिससे हार गई
अमरता ने हाथ थाम लिया
स्वर्णाक्षरों ने......
इतिहास के पन्नों पर ..
नाम "अटल"लिख दिया।।

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल ।।

नमन मंच,भांवो के मोती
विषय अटल
विधा लघुकविता

17 अगस्त, शनिवार

हार नहीं मानूँगा जीवन में
रार नहीं छेड़ूँगा जीवन में।
अखंडित प्रिय मुल्क हमारा
झुकने न दूंगा इस जीवन में।

राजनीति के थे चाणक्य
मन मोहित सबको करते।
चेहरे पर मुस्कान लिये नित
चुटकी लेकर फिर वे हँसते।

साहस और विश्वास भर कर
किया पोखरण बम धमाका।
करगिल युद्ध समर जीतकर
माँ भारती का मुकुट सजाया।

प्रखर वक्ता अजातशत्रु वे
काल के कपाल पर लिखते।
अश्रु पूरित देवें सृद्धांजली
ऐसे सपूत मुश्किल से मिलते।

स्व0 रचित
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

नमन मंच भावों के मोती
17/8/2019
विषय-अटल बिहारी जी


#गीत

नयी आशा पली देखो,
जगी आशा भली देखो।

अटल दिल के पुरोधा थे,
विकलता जान जाते थे।
नयी राहें सुझाते थे,
विरोधी मान जाते थे।
जलाया दीप खुशियों का,
सुहानी हर गली देखो

नयी आशा पली देखो,
जगी आशा भली देखो।1

अटल थे कौल के पक्के,
वचन अपना निभाते थे,
नए संधान के अवसर,
अटल हरदम दिलाते थे,
रही पावन धरा उनसे,
सुवासित हर कली देखो।

नई आशा पली देखो,
जगी आशा भली देखो।2

न धन से आदमी बढ़ता,
कहानी वह सुनाते थे,
फकीरी मन रहा उनका,
धरा के रंग भाते थे,
बढ़े सम्मान भारत का
प्रभा प्यारी अली देखो।

नई आशा पली देखो,
जगी आशा भली देखो।3

कलम की धार पहचानी।
चुनौती झेल जाते थे
निशाना साधते थे जब
शत्रु भी मार खाते थे 
प्रलय जैसे चली देखो

नई आशा पली देखो,
जगी आशा भली देखो।4

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

भावों के मोती
बिषय- अटलजी
चाह है हम भी बनें 

तुम जैसे सीधेे सरल।
देशहित हर कार्य में
हम रहें तुम से अटल।।

हर सपने तुम्हारे अब
होंगे रफ्ता रफ्ता पूरे।
देश द्रोहियों की मंशा
अब न होने देंगे सफल।।

जाति-धर्म के नाम पर
न होगा यहां भेद-भाव।
दुश्मन न कर सकेगा
अब हमसे कोई भी छल।।

स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर

नमन मंच भावों के मोती

देश के शानदार कवि,साहित्यकार एक सुलझे हुए राजनीतिज्ञ स्व.अटल बिहारी जी को शत शत नमन

*****************************************
बहुत याद आया,
वो बहुत याद आया,
दूर हुआ आज हमसे ,
जैसे अपना ही साया!
बहुत याद आया,
वो बहुत याद आया!

मेरे अटल सा कोई नही,
था एक वरदान भारत का,
नही रहा कलम का सिपाही,
था ओ आन बान भारत का!

दिन में ही वो सूर्य अस्त हुआ,
स्वर्णिम चमकते भारत का,
एक फूल टूटकर मुरझा गया,
नए महकते भारत का !

कलम लड़खड़ाई लिखने को,
था दुलारा भारत का।
महामानव सबके लिए,
सबको प्यारा भारत का!

ये राजनीति का खालीपन, 
कैसे भर पायेगा कोई,
निशब्द हो गया अंतर्मन,
बखान क्या कर पायेगा कोई।

भारत की राजनीति का सितारा ,
कहीं जाकर खो गया,
साहित्य का वो पंडित,
अब तो चीर निद्रा में सो गया।

#राजेन्द्र_मेश्राम_नील


आज माननीय अटल जी की पुन्य तिथि है । अत: सबसे पहले उन्हे नमन करता हूँ । और माँ शारदे का गुणगान करते हुए प्रस्तुत है । ये मेरी पहली रचना 

।। अटल ।।


मैं अटल हूँ मुझको मत डिगाना 
खा चुका ठोकर और नही खाना ।।

दृढ़ता में ताकत है वह ताकत 
हमें लाना एक कहानी बनाना ।।

रूप रेखा बनी है उस पर हमें 
अच्छे से चल कर है बताना ।।

यह दृढ़ता माँगती है जाना
चीटी का दृढ़ निश्चय पहचाना ।।

ढुलमुल तरीका नही अच्छा
भूलकर नही यह अपनाना ।।

बुराइयाँ लिपटती हैं इससे
बुराइयों से खुद को बचाना ।।

सुना मंजिल चलकर आय 
यह हमको है आजमाना ।।

अटल इरादे आस्मां छुये 
हम क्या 'शिवम'जग जाना ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 17/08/2019

 भावों के मोती 
अटल जी की प्रथम पुण्यतिथि पर
💐💐💐💐💐💐💐
राजनीत
ि के प्रखर वक्ता
महान कवि सम्राट अटल
सौम्यता की मूर्ति अटल
भावनाओं के कुशल चितेरे
माँ भारती के सच्चे रत्न
किस किस रूप में याद करूँ
जीवन के हर क्षेत्र में थे तुम्हारे हस्ताक्षर
संगी ही नहीं विरोधी भी तुम्हारे पक्षधर
कैसा था ये सियासी अचरज 
राजनीति के कीचड़ में भी आप कमल की भाँति विरले थे
साहित्य के दरबार में भी आप सूर्य की तरह देदीप्यमान थे
जन जन के मन में छाप तुम्हारे गहरे थे
ऐसे युग पुरुष और ओजस्वी व्यक्तित्व को मेरा शत् शत् नमन
युगों युगों तक तुम्हें भुला ना पाएगा भारत का जन जन 
शहला जावेद


 नमन मंच भावों के मोती
17/8/2019/
बिषय, *अटल*

#########
नाम अटल था काम अटल था
रहा सदा परिणाम अटल था
रहे मनमौजी ज्यों हो फौजी
कारगिल का अंजाम अटल था
सेवा की देश की परिवेश की
हिंदुस्तान इनका धाम अटल था
अंत समय सौंप कर सब कुछ
भारत माँ की गोद में आराम अटल था
जहाँ भी खड़े बनी वहीं से कतार
कोई छोटा न रहा समानता का ब्यवहार
.ओजस्वी वाणी में जब जब बोलते थे
प्रत्येक हृदय में देश भक्ति रस घोलते थे
सब कुछ न्यौछावर कर दिया ऐसे भारत माँ के लाल
सदैव सर्वोच्च रहेगा इनका भाल
जब जब संकट आए खड़े हो गए बनकर भाल
.इन सच्चे सपूतों को पाकर भारतवासी हो गए निहाल
नाम सदा अटल रहेगा 
करते हैं हम बंदन 
नमन अटल जी तुम्हें शत् शत् न


नमन भावों के मोती 🙏
**********************
दिनांक :- 17/08/19
िषय :- अटल

निशब्द है धरा भी , असमान भी खामोश है, 
बोलती है कलमें, अटल युग ही खामोश है।

बोलते हैं शब्द, बातें कर रही है कहानियाँ, 
बार बार दौराहाती,अटल युग की कहानियां।

गूँज उठा अंबर भी , तोपे दे रही सलामियाँ,
लिख रही कलम, अटल युग की कहानियां।

थम गई है आज साँसे, नाम अमर कर गये, 
अटल रहे, अटल जीये,नाम अटल कर गये।

Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचितमन
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार


दि- 17-8-19
विषय- अटल
सादर मंच को समर्पित -

🌷🌺🌹 अटल 🌹🌺🌷
*****************************
🌺 शत नमन ,श्रद्धांजलि 🌺 🌼
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

स्तब्ध दिल और तन... मन...व्यथा 
शून्य हुयी भाव शब्दिता..।
एक ध्रुवतारा... जो उगा राष्ट्र को, 
पल -पल नित संघर्ष कर सत्य को। 

अटल इरादे, हर प्रण साधे, 
मोह न माया ,बढ़ा सिपाही, कलम , इरादे..। 
कालजयी कविता हर पथ उमड़ी, 
भारत माँ की दशा को मुखरित गूँजी..। 

कवि की गर्जना, अथक पत्रकारिता, 
देश धर्म, पाञ्चजन्य में बही शब्दिता ।
हिन्दू जीवन, हिन्दू तन -मन, 
हिन्दी को अर्पित था दिल - मन..। 

जीते रहे भारती को नित विचरे, 
जनसंघ से निखरे, उभरे, 
संसद में हर गरिमा साधी, 
राजनीति करके मर्यादी..। 

भाषण में थी चमत्कारिता, 
ओज, तथ्य , कर्म -धर्म, शालीनता, 
राष्ट्र दर्द, कवि मर्म, सहनशीलता, 
जीवन दर्शन,वाणी गम्भीरता। 

हार, जीत, में हार न मानी, 
राजनीति में रार न ठानी ,
गूढ़ मंत्र जन - जन में बसे थे , 
बिरोधियों के भी बने चहेते ।

शान्ति, विकास का बिगुल बजाया, 
विश्व में था परचम लहराया, 
हास्य, व्यंग से हाजिर जबाबी, 
गठ-बन्धन की नींव जमा दी ।

शीर्ष पहुँच निर्माण लीन रहे, 
रक्षा शक्ति, विज्ञान प्रगतिशील रहे, 
परमाणु परीक्षण ,शान्ति को प्रयास था, 
महा शक्तियों को अटल जबाब था। 

सत्ता लोभ सपने नहीं साधा, 
एक वोट पर पद था त्यागा। 
संघर्षों से सब को जोड़ा, 
देश भक्ति का व्रत नहीं छोड़ा। 

किन्तु तभी दैवीय ग्रहण जो सहे , 
वक्ता प्रखर थे मौन हो गये। 
गीत नये अबरूद्ध हो गये, 
कलम धनी थे शून्य खो गये। 

लम्बे काल मौत से ठनी थी, 
काल कपाल से जंग लड़ी थी। 
पर उनका होना ही ऊर्जा था, 
अटल सत्य से मौन बड़ा था। 

मौत बड़ी क्यों, बस एक पल की, वक्त अड़ा था, 
जीवन का यह सफर अभी तो और बढ़ा था। 
पर जो अटल... वह घड़ी आ गयी.., 
थमीं साँस..., गये अटल... पा गयी...।

सदा रहे जो अटल ओजस्वी, 
अटल युग का अवसान हो गया। 
काल के कपाल पर लिख-मिटा, 
कालजयी व्यक्तित्व, काव्य ....लो मौन सो गया...!! 

द्वितीय प्रस्तुति
विधा लघु कविता

अटल अनल अनिल भू अम्बर
अटल नीर सागर में उछले ।
अटल जगत भव्य रवि किरणें
अटल हृदयी विपदा सहले।

अटल प्रतिज्ञ स्वयं भीष्म थे
अटल रहे आज्ञाकारी राम।
अटल वही रहता जीवन में
अटल रहे नित करे सद्काम।

अटल अंतरिक्ष अटल तारे
अटल सदा हो हृदय इरादे ।
अटल बनो सदा दृढ़निश्चयी
अटल दृढ़ हो पूर्ण करो वादे।

अटल वही रहता जीवन भर
अटल बनकर कर्त्तव्य दृढ़ हो।
अटल रहना सहज नहीं होता
अटल यज्ञ में परहित कर हो।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।


🌷🌸🍀🌹🌻🌺🍃🍂🌼☀️🌻

🏵🌱🌱***....रवीन्द्र वर्मा आगरा 


नमन भावों के मोती 🙏
दिनांक - 17/08/2019
वार - शनिवार
विषय - अटल 

मेरे काव्य संकलन से - 

🙏🙏अटल🙏🙏 
*****************
युगों बाद जब एक सुयोग,
इस धरती पर आता है ।
भारती माँ की गोदी में,
अटल एक मुस्काता है।

महज नही तुम देह मात्र,
मृत्यु विजीत कर ले जिसको।
भाव हो जो हर हृदय के,
क्या काल मिटा पाया उसको !

हे ! भारत के नभ के ध्रुवतारा,
अवसान तेरा होगा कैसे !
नियति के भाल पर अमिट सा,
अटल लकीर तुम हो जैसे !!

स्व रचित 
डॉ उषा किरण


नमन भावों के मोती 
विषय - "अटल"
17/08/19
शनिवार 
कविता 

अटल थी लेखनी उनकी, अटल उनके इरादे थे।
अटल विश्वास से ऊंचाइयों पर लक्ष्य साधे थे।

अटल मुस्कान चेहरे पर,अतुल था ओज वाणी में-
सदा वक्तव्य उनके हर हृदय झकझोर जाते थे।

सुनेता थे, सुवक्ता थे , सुकवि थे व सुनिर्देशक, 
वे हर एक क्षेत्र में संयोजना के पुष्ट धागे थे ।

विश्व के मंच पर महिमा बढ़ाई मातृभाषा की,
सदा हिन्दी को ही अंतर के वे नजदीक पाते थे।

असंभव को बना संभव दिखाया शौर्य दुनिया को,
सतत यत्नों से पूरे कर दिए सब अपने वादे थे। 

समर्पित कर दिया जीवन उन्होंने राष्ट्र-सेवा में,
अटल जी हिन्द के नभ में चमकते ध्रुव सितारे थे।

सही अर्थों में उज्ज्वल -रत्न थे वे मातृभूमि के, 
अटलता के पुजारी! वे तो जन-जन के दुलारे थे।

अटल मृत्यु से भी करते रहे संघर्ष जी भरकर,
स्वतंत्रता-पर्व के शुभ दिन न अपने प्राण त्यागे थे।

स्वरचित 
डॉ ललिता सेंगर

विधाःः काव्यःः

अटल अटल थे अटल सत्य है।
अटल अमर हैं अटल मृत्यु है।
अटल अजर रहेंगे कहते हैं सब
अटल अटल से अटल कृत्य हैं।

तुम युग प्रणेता अटलबिहारी।
आप सर्वश्रेष्ठ थे अटलबिहारी।
भारत रत्न मिला बहुतेरों को,
सच्चे अधिकारी अटलबिहारी।

जननायक थे श्रीअटलबिहारी।
सर्वमान्य थे श्री अटलबिहारी।
अहंकार इन्हें कभी न छू पाया,
मृदु वक्ता थे श्रीअटलबिहारी।

मध्यम कदकाठी के फिर भी,
थे उच्चविचारी अटलबिहारी।
पक्ष विपक्ष के भी सम्मानीय,
हृदय सम्राट थे अटलबिहारी।

थे भारतमाता के गौरव तुम,
सदियों तक गुणगान रहेगा।
स्वर्णाक्षरों में नाम लिखा है,
है नाम अटलजी मान रहेगा।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी


17/8/19
भावों के मोती
विषय=अटल
==============
जिंदगी की धूप छांव में
हरदम वो अटल खड़े थे
मौत से ठान युद्ध
वो अटल जिए थे
न हार कभी मानी थी
न हार कभी मानेंगे
जिंदगी में हरदम
उनके अटल इरादे थे
काल के कपाल पर
गीत नए लिखते थे
साथ सभी के सुख-दुख में
कदम मिलाकर चलते थे
विशाल उनका हृदय था
जलाया आंधियों में दिया था
ऐसे महान व्यक्तित्व को
हरदम उन्होंने जिया था
बोलते थे वो सदा
मौत की उम्र है क्या
मैं जी भर जिया
मैं मन से मरूं
मैं लौटकर फिर आऊंगा
कूच से फिर क्यों डरूं
देख के तूफान की तेवरी तन गई
एक बार फिर उनकी
मौत से थी ठन गई
हारी भले ही जिंदगी से
उन्होंने यह जंग है
पर अपने अटल इरादों से
वो हमारे दिल में अजर अमर है
***अनुराधा चौहान***©️ स्वरचित
नमन मंच 🙏
दिनांक- 17/08/2019
विषय- "अटल"
भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पूज्य अटल बिहारी वाजपयी जी को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि 
🙏🙏🙏💐💐💐🙏🙏🙏
***************************
जो थे बहुत सरल, 
नाम था जिनका अटल, 
सालों-साल खिलाया कमल,
करूँ शत्-शत् उन्हें मैं नमन |

देश सेवा जिनका धर्म,
अच्छे किये उन्होंने कर्म, 
पैनी थी उनकी कलम, 
रचनाओं में हैं वे अटल |

इरादे जिनके थे अटल, 
सम्मानित भारत रत्न ,
युग पुरुष तेज व्यक्तित्व,
बार-बार हो उनका जन्म ||

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

स्वरचित *संगीता कुकरेती*


नमन भावों के मोती
दिनांक १७/८/२०१९
शीर्षक_"अटल"
कुशल राजनीतिज्ञ,प्रखर वक्ता
अटल रहेगें, ह्रदय में सदा
कवि हृदय, मनमोहक व्यक्तित्व
जनतंत्र के महानायक
कृतज्ञ रहेगा देश सदा
सदियों तक हे महापुरुष।
चेतना,स्फूर्ति जन जन में लाये
अटल भारत के अटल नेता
कालजयी सभी कृतियां
जनमानस में जागृति लाये
राष्ट्र प्रणेता,शत शत नमन
हे सदी के महानायक।
पथ प्रर्दशक, अनुकरणीय व्यक्तित्व।
शत शत नमन हे अटल पुरुष।
शत शत नमन हे युगपुरुष।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।


नमन मंच भावों के मोती🌹
17/8/2019
विषय-अटल भारत
**************
प्रखर वक्ता, ओजस्वी वाणी
बहुमुखी प्रतिभा के थे वो धनी
सरल मुस्कान से खिली उनकी छवि
हृदय से थे वो संवेदनशील कवि
अंधियारे में नव दीप जलाया
अखंड भारत का स्वप्न जगाया
नामस्वरूप अटल अडिग उनका व्यक्तित्व
आचार व्यवहार में दिखता था कृतित्व
थे अविराम अचल अटल
मेधावी बुद्धि पर बालक से सरल
देश हित किया सर्वस्व अर्पण
सादगी से बिताया सारा जीवन
भारत रत्न श्री अटल बिहारी
उनके जाने से अनाथ हो गई 
मानो दुनियाँ सारी
उनकी क्षति न कभी होगी पूरी
राजनीति में रह कर भी
कुनीति से सदा रखी दूरी
देश तुम्हारा सदा रहेगा ऋणी
अटल से मिलते अब न्यून गुणी ।।

✍️वंदना सोलंकी©स्वरचित
🙏विनम्र श्रद्धांजलि

 नमन "भावो के मोती"
17/08/2019
"अटल"

1
कवि "अटल"
श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ
श्रद्धा नमन
2
भारत रत्न
"अटल"विभूषित
हिंद गौरव
3
हिंदी भाषण
"अटल"संप्रेषण
"संयुक्त राष्ट्र"
4
हँसी-ठिठोली
भाषण हमजोली
"अटल"बोली
5
धरा कमल
नभ का ध्रुवतारा
"अटल"अंग

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।।


 नमन भावों के मोती
🌹शुभ दोपहरी🌹
17/8/2019
िषय-अटल
द्वितीय प्रस्तुति
***********
दृढ़ प्रतिज्ञ
अटल थे इरादे
आस जगा दें

महान कवि 
श्री अटलबिहारी
थे नेता संत

आशा के दीप
अटल,,जल रहे
युग युगांत

दिल में बसे
माननीय अटल 
बस देहांत

कविता मौन
अटल मृत्यु खड़ी
कठिन घड़ी

✍️वंदना सोलंकी©स्वरचित

नमन भावों के मोती"

दिनांक-17अगस्त 19
दिन- शनिवार

आज का शीर्षक

💐"अटल"💐

=================================

"अटल बिहारी जी के लिए श्रद्धाँजलि स्वरुप कुछ रचनाएँ "
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
================================
देश की घटिया राजनीति में,खिला कमल सा
गंदे नालों में ,... . सुरसरि के निर्मल जल सा
आते हैं जाते हैं नेता,. राजनीति में कितने पर
नहीं मिलेगा नेता कोई ,.... .कभी अटल सा।
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
आसमान में लाखों तारे ,...... . ध्रुव तारे सा कोई नहीं ,
बेहतर होगें हमसे लेकिन ,. .. देश हमारे सा कोई नहीं ,
राजनीति की तवारीख में ,.. . और भी कई महान हुए ,
लेकिन देश की राजनीति में,अटल हमारे सा कोई नहीं।
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
प्रतिद्वंदी कितने भी हों ,.... पर नहीं विरोधी कोई ,
मित्र तो सारी दुनिया थी,... पर शत्रु नहीं था कोई ,
राजनीति का अजातशत्रु था, पहला और . आखिरी ,
अटल सा नेता,..... ... मुश्किल ही मिलना है कोई।
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
बोलता भी था वो, ... तो कविता हुई है ,
आचरण में सदा ही,.... शुचिता रही है ,
साथ ग़र लोहा भी था ,.. कुंदन हुआ वो ,
शख़्सियत उस अटल की,.. ऎसी रही है।
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
नारंगी सरकार चला कर,.......... नई दिखाई राह,
अलग अलग फाँकें थीं अंदर,....... ऊपर एक पुराव,
सहमति असहमति का समन्वय,..... एक अनोखा,
विरोधियों के प्रति भी नहीं था, कोई कटुता का भाव।
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
जिसका अंतर्मन जीवन में ,.. नहीं हुआ संकीर्ण ,
सोच और व्यवहार का दर्शन ,सदा रहा विस्तीर्ण ,
आजातशत्रु था राजनीति का ,सारे देश का गौरव ,
महाप्रयाण देख कर उनका ,. होता हृदय विदीर्ण।

'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
राजनीति की आँखों का ,पानी चला गया ,
वाणी को भी दे जो वाणी ,.... चला गया ,
संसद को एक सूनापन दे ,... चला गया ,
कह शुचिता की एक कहानी,. चला गया।
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कोटि कोटि जब पुण्य हों,. दया काल की पाँय,
मात पिता तब अटल सा,... पूत धरा पर पाँय,
ऐसी मृत्यु देखकर जीवन ,. चाह करे मरने की ,
आज देश में नहीं किसी के ,आँसू नयन समाँय।
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"अटल जी को श्रद्धाँजलि में (कुछ हाइकू) "
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सूर्य छुपा है
आशा प्रकाश की है
जुगनुओं से
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राजनीति का
समन्वयक, एक
अजातशत्रु
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राजनीति में
सरस्वती का पुत्र
वाणी की वाणी
-------------------
था भारतीय
पर नेता था एक
अंतर्राष्ट्रीय
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"अटल जी की श्रद्धाँजलि के लिए दोहे "
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रही न पद की लालसा ,ना सत्ता की चाह ,
राजनीति में मिले ना ,ऎसा संत स्वभाव।
------------------------
कोटि कोटि जब पुण्य हों,. दया काल की पाँय,
उस घर में ही अटल से ,.. पूत धरा पर आँय ।
-----------------------------
राजनीति में अनूठा ,. वाणी का अवतार ,
कोई भी दुश्मन नहीं ,सब का पाया प्यार।
=========================

"अटल जी के लिए एक शेर"
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क्या बात दोस्तों की ,ये दुश्मन भी हमारे ,
मुश्किल पड़े,तो हमें ही बुलाते हैं ज़नाब।

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"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
"स्वरचित"
एटा --यूपी

7/8/2019
नमन मंच भावों के मोती।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
विषय---- अटल

तूं अटल है,अटल रहेगा।
जबतक धरती आकाश रहेगा।

तूं नभ का एक सितारा है।
हम सबका बहुत हीं प्यारा है।

अजय,अमर रहेगा नाम तुम्हारा।
गगन में गूंजेगा जयकारा।

तूं मरके भी सबके दिलों में अमर है।
जबतक है नभ में चांद सितारा।

जबतक गंगा यमुना में पानी है।
गुणगान तेरा हम गायेंगे।

तूं है भारत मां का सपूत।
तेरे आगे शीश झुकायेंगे।

वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित


 नमन मंच
17.8.2019
शनिवार 

विषय - अटल 
विधा - स्वपसंद 
ग़ज़ल

अटल जी

अटल तुम अटल थे,अटल ही रहोगे
मुस्कुराते रहे तुम,सफल तुम 
रहोगे ।।

मधुर नेह पूरित थी ,वाणी तुम्हारी 
मगर ओजमय ,गर्जना तुम रहोगे।।

जिए देश हित ,की है साहित्य सेवा 
निडर थे,निडर ही रहे और रहोगे।।

सजग ,दूरदर्शी थी ,दृष्टि तुम्हारी 
अमर साधना के , पुजारी रहोगे।।

राजनीति के ,कुशल चितेरे 
कर्मठ, सबल , सशक्त रहोगे।।

स्वरचित 
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘


नमन मंच 
भावों के मोती 
17-8-2019
बिषय- अटल जी 
विधा- अतुकांत शैली 
माननीय" अटल जी " को समर्पित
***************************
",हे युगप्रवर्तक,जन नायक
तुम हो स्वदेश के कर्णधार_/
अटल चेतना,अटल निश्चय,
तुम जन्मों !देश हित ,,, बारबार/
अभी गुलामी गई नहीं,
स्वाधीन-देश छवि कहीं नहीं !
आतंकवाद है धुआंधार 
बढ रहा समाज में जातिवाद,
हो रहा हर पल बलात्कार 
नारी -अस्मिता तार तार ,
अबलाएं करती चीत्कार!
तुमसे ऊंचा हो देश-भाल,
जन गण करता तुमको पुकार
आ जाओ,,तुम फिर एक बार
तुम हो स्वदेश के कर्णधार//
***********************
"मौत से ठन गई ,
बस एक दिन रुक गई//

🙏🙏🇮🇳🙏🙏🇮🇳🙏🙏
नमन युगपुरूष श्री अटल जी,,
विनम्र श्रद्धांजलि आपको !
मौत से लड़ गए,,,
महात्मा हो,,भीष्म पितामह की तरह,
राष्ट का ध्वज फहरा कर गए ,,,,,,,
देश आराधक हो, युग प्रवर्तक अटल वाणी 
अटल चेतना,राष्ट्रहित,
अटल जी कहकर गए
लौट कर आऊँगा,,वेश बदलकर,,
हम सब को देश सौंप कर,चले गए,,,,,,
अटल नाम है अटल रहेंगे ,
अटल जी अमर हो गए।!!
🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार #सुरक्षित (गाजियाबाद)

नमन भावों के मोती
आज का विषय, अटल
दिन, शनिवार
दिनांक,, 1 7,8,2019,

एक पत्रकार ओजस्वी वक्ता ,
रहे राजनीति के सच्चे ज्ञाता ।
कोमल हृदय मचलती कविता,
राष्ट्र धर्म का रही देती संदेशा ।
आदर्शों की करते रहे साधना,
लालच से नहीं मतलब रखना।
रखा विरोधियों से पावन नाता,
बना वैचारिक मतभेद रहता।
प्रधानमंत्री उनका बन जाना , 
रास नहीं बेईमानों को आया ।
गलत नीति से उनको हटाया ,
ईमानदारी के रहे सदा प्रणेता।
राष्ट्र हित के काम को करनाा,
लक्ष्य यहीजीवन का समझना। 
होते उनके जैसे कम ही ज्ञाता, 
अल्प काल में बहुत किया था। 
जन जन के रहे प्यारे वे नेता,
नमन उन्हें कौन नहीं करता।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश

नमन-भावो के मोती
विषय-अटल
दिनांक-17/08/2019

चिंगारी का खेल बहुत बुरा होता है........................
दूसरों के घर जलाने का सपना...
अपने ही घर में सच होता है...............................

आश्वस्त होकर उतरूंगा

जीवन- मरण के इस द्वंद में

घेर न पाएंगे मुझे विपक्षी

षड्यंत्रों के छल-छंद मे।।

कभी टूटेंगे भाखड़ा के तटबंध

रुठेंगे नानक के सृजित छंद

तब नवसृजन करने उतरेंगे

अटल बिहारी के मुक्तकंठ।।

मांगूंगा ईश्वर से ऐसी कविता

युवा पीढ़ी हो जायेगी विवेकानंद

मृत्यु से पहले देखूंगा विजय स्तंभ।।

उस असहाय की जीत के लिए

जिसके लिए दिवास्वप्न बन गई

उसके निश्चल मन का अंतर्द्वंद।।

जिसने क्रूर थपेड़ों से दम को तोड़ा

कपट व्यवस्था के निरुपाय दंभ ने मोडा़

कब बनेगा ए काले सूरज
इन असहायों के सपनों का सुखद मकरंद....।।

मृत्यु से कहते...... अटल बिहारी

कैसी अंजानी आहट आई
कौन नितांत अजनबी आया
जीवन की इस सूनी संध्या में
महाप्रयाण के आगोशो में
मुझे लूटने गजनवी आया
प्रारब्ध हमारा बोलेगा
तंत्र प्रबंधन के स्वरो में
दुनिया मुझको देखेगी
निश्चल कर्मों के करों में
मैं तुम्हें भूल गया था
जीवन की इस आपाधापी में
मेरे हृदय के द्वार पधारो
मृत्यु आलिंगन कि इस मधुर माटी में...................?

स्वरचित...
@ सर्वाधिकार सुरक्षित

सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज


नमन-भावों के मोती
दिनांक-17-8-19
दिन-शनिवार

विधा-हाइकु

अटल यादें 
जीवन पटल पे
साथ है सदा

रहे अटल
बातों पर अपनी
जीवन भर

अटल आप 
महान कविवर
रहे हो सदा

अमर रहे
अटल बिहारी जी 
आपका नाम

रानी कोष्टी
गुना म प्र

शुभ संध्या
नमन मंच
शीर्षक -- अटल 
द्वितीय प्रस्तुति

अटल तपस्याओं के चर्चे 
भरे पड़े हैं इतिहास में ।।

शाखाओं में झूमें हम 
जाऐं न जड़ों के पास में ।।

सीधी सरल राहें न भायें 
रहें भाँत भाँत के लिबास में ।।

किसी को क्या छलेंगे रहें 
खुद को छलने के प्रयास में ।।

डगमगाती ये मन की सुई 
बिठाय दे हमें उपहास में ।।

कोई किसी का नही सहारा 
सहारा है आत्मविश्वास में ।।

अटल रहो तो वृद्धि हो ये
कुछ आऐं हम उजास में ।।

आयी बला टल जाए 'शिवम'
अटल साधना ईश आस में ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 17/08/2019


 नमन् भावों के मोती
दिनांक:17/08/19
विषय:अटल 

विधा:कविता

शान्त ,सौम्य, मृदुभाषी अटल
जीवन-ज्ञान पारखी अविचल

निश्च्छल हृदय,ओजस्वी वक्ता
सयुंक्त राष्ट्र हिन्दी के प्रवक्ता

जन-मन का अभिमान अटल
प्रधानमंत्री वह सरल- विरल

हिन्दी काव्य की मधुर आवाज
राष्ट्र - प्रेम का सुंदर साज

प्रथम नीति निज राष्ट्र सुरक्षा
परमाणु परीक्षण देश की रक्षा

शान्ति दूत बन लाहौर यात्रा
कारगिल विजय-आगरा वार्ता

सड़क जाल व राष्ट्र विशाल
विकास की अदभुत मिसाल

कर्म-भावना व कर्तव्य प्रबल
जीवन - पथ पर सदा अटल

कोटि नमन् हे ! धीर अटल
धन्य - धन्य तुम वीर अटल

मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली

नमन मंच को
दिन :- शनिवार
दिनांक :- 17/08/2019
शीर्षक :- अटल

अटल थे इरादे जिनके,
अटल ही जिनका नाम।
माँ भारती के आँचल में,
खिला था जैसे एक चाँद।
अलौकिक रही छवि जिनकी,
सकल विश्व पटल पर भी।
खिलते रहे बनकर कमल,
राजनीति के दलदल में भी।
साहित्य के थे वो पुजारी,
जिंदगी सदा सरल गुजारी।
रहे सदा सात्विक महंत से,
बने भारत के तारणहारी।

स्वरचित :- मुकेश राठौड़


नमन भावों के मोती
आज का विषयः- अटल
करते है हम सब याद अब भी आपको अटल।
हुये नहीं विचलित आयी हो कितनी मुश्किल।।

किया संघर्ष हार भी आपने कभी नहीं मानी।
टिके नही सम्मुख आपके दुष्ट और अभिमानी।।

थे आप तो भारत माता के एक अन्मोल रतन।
करा गया है सम्मान आपका देकर भारत रत्न।।

जन जन के तुम प्यारे,भारत माता के हो दुलारे।
कहता व्यथित हृदय बसते हो तुम दिल में हमारे।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित

भावों के मोती
१७-८-१९
विषय -अटल(विजात छंद)
१२२२ १२२२
बड़ा था ओज पूरित स्वर,
करे मोहित सदा वह नर।

गुणी था श्रेष्ठ वक़्ता था,
लिखे रचना प्रवक्ता था।

बना वह देश का नेता,
चला फिर सत्य का जेता।

दिशाओं में चमकता है,
सितारा वो दमकता है।

बसा हैं आज यादों में,
सदा गुंजित निनादों में।

चलो सीखें सुभावों को ,
हरे मन हर अभावों को।

प्रणेता थे सुधारक भी,
यशस्वी थे विचारक भी।

अटल भावों अटल मन का
अटल नायक सभी जन का।
स्वरचित
रचना उनियाल


नमन मंच 
18/8/19.
विषय:- "अटल"
विधा :- 'हाईकू'

गुणी था श्रेष्ठ 
प्रणेता बनकर 
बढाया मान 

2.
थे सुधारक 
अटल विचारक 
राष्ट्र तारक 
3.
देश दुलारा 
जन जन का प्यारा 
कभी न हारा 
4.
दृढ इरादे
खिला बन कमल 
प्रिय अटल 
5.
ज्ञान अकूत 
सीधी सरल राह 
हिन्दी प्रवाह 
***********************
एल. आर. राघव "तरुण"
बल्लबगढ, फरीदाबाद।


सादर नमन
विधा-हाईकु
विषय- अटल

कवि महान
शब्दों की तलवार
अटल वाणी

महा नायक
हौंसलों से बुलँद
तेज ललाट

देश की शान
बनकर दबंग
नाम अटल
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
17/8/19
शनिवार


नमन मंच 
विषय :--अटल
विधा:--मुक्त 
-----------------------
मौन को मुखर कर 
मौन हो गया 
अटल था 
अटल रहा 
अचल हो गया 
हार नहीं मानी थी 
रार नहीं ठानी थी 
शांतमना था वो
शांति में 
लीन हो गया 
आतंक का भी
माथ जिसने 
झुका दिया 
हिमाच्छादित 
शिखर पर 
तिरंगा फहरता दिया
रेत के धोरों में 
आग लगा
देश को परमाणविक 
शक्ति बना गया
शांति मार्ग का 
प्रणेता 
अग्नि पथ पर
चल दिया 
अजातशत्रु रहा
जीवनभर
मसीहा बनकर
जनता का
मसीहत में 
लीन हो गया। 

डा. नीलम

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