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ब्लॉग संख्या :-478
नमन मंच
भावों के मोती को समर्पित
जय हिंद
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
वीर छन्द 31 मात्रा 16,15
पदान्त आल
चौपाई+चौपई
देशप्रेम
***
देशप्रेम की लौ जलती है,जलती रहे हजारों साल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
फाँसी के फंदे पर झूले,तब आजाद हुआ था देश,
अमर शहीदों के कारण है,उन्नत भारत माँ का भाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम.....
सीमा पर की तैनाती से,मौका मिलता उन्हें अपार,
खड़े देश के भीतर हम हों,सच्चाई की लिये मशाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम .....
हर भूखे को मिले निवाला, न हो नारि पर अत्याचार,
हो न सके अन्याय कदाचित,बन जायें हमइनकी ढाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम .....
भारत सोने की चिड़िया था, पुनः प्राप्त हो वो सम्मान,
स्वाभिमान से ध्वज फहरायें,अब तोड़ें दुश्मन की चाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम.....
स्वरचित
भावों के मोती को समर्पित
जय हिंद
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
वीर छन्द 31 मात्रा 16,15
पदान्त आल
चौपाई+चौपई
देशप्रेम
***
देशप्रेम की लौ जलती है,जलती रहे हजारों साल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
फाँसी के फंदे पर झूले,तब आजाद हुआ था देश,
अमर शहीदों के कारण है,उन्नत भारत माँ का भाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम.....
सीमा पर की तैनाती से,मौका मिलता उन्हें अपार,
खड़े देश के भीतर हम हों,सच्चाई की लिये मशाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम .....
हर भूखे को मिले निवाला, न हो नारि पर अत्याचार,
हो न सके अन्याय कदाचित,बन जायें हमइनकी ढाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम .....
भारत सोने की चिड़िया था, पुनः प्राप्त हो वो सम्मान,
स्वाभिमान से ध्वज फहरायें,अब तोड़ें दुश्मन की चाल।
अपने प्राणों की बाजी से ,रक्षा करते माँ के लाल।।
देशप्रेम.....
स्वरचित
नमन "भावों के मोती"
१५अगस्त२०१९
"वन्दे मातरम्"
**********
हर वर्ष मनाते आजादी का दिवस सभी,
तुम राम-राज का दिवस मना लो तो जानें...
है भारत भावविभोर!पन्द्रह अगस्त के आने से,
नवयुग में नव-चेतना जगा लो तो जानें...
झंडे लहराते हो हर शहरों-गाँवों में,
हर घर-घर की तुम लाज बचा लो तो जानें...
प्रभात फेरियाँ करते हो गलियों-चौबारों में,
जन-मन में जो तुम अलख जगा लो तो जानें...
वन्दे मातरम! कहने भर से भारत माँ धन्य नहीं होगी,
बलिदानी,अमर शहीदों का तुम मान बढ़ा लो तो जानें...
जन-गण के हे अधिनायक सुन!भाषण देने से क्या होगा...?
भारत के भूखे-नंगों तक, राशन पहुँचा दो तो जानें...
क्या होगा पोस्टर सदाचार का चिपका कर दिवारों पर,
नंगे होते संस्कारों से तुम त्राण दिला दो तो जानें...
डूबा है देश भ्रष्ट-आचरण में,सारी सीमाएँ टूट रहीं,
नूतन समाज की रचना का आगाज़ उठा लो तो जानें...
स्वरचित 'पथिक रचना'
१५अगस्त२०१९
"वन्दे मातरम्"
**********
हर वर्ष मनाते आजादी का दिवस सभी,
तुम राम-राज का दिवस मना लो तो जानें...
है भारत भावविभोर!पन्द्रह अगस्त के आने से,
नवयुग में नव-चेतना जगा लो तो जानें...
झंडे लहराते हो हर शहरों-गाँवों में,
हर घर-घर की तुम लाज बचा लो तो जानें...
प्रभात फेरियाँ करते हो गलियों-चौबारों में,
जन-मन में जो तुम अलख जगा लो तो जानें...
वन्दे मातरम! कहने भर से भारत माँ धन्य नहीं होगी,
बलिदानी,अमर शहीदों का तुम मान बढ़ा लो तो जानें...
जन-गण के हे अधिनायक सुन!भाषण देने से क्या होगा...?
भारत के भूखे-नंगों तक, राशन पहुँचा दो तो जानें...
क्या होगा पोस्टर सदाचार का चिपका कर दिवारों पर,
नंगे होते संस्कारों से तुम त्राण दिला दो तो जानें...
डूबा है देश भ्रष्ट-आचरण में,सारी सीमाएँ टूट रहीं,
नूतन समाज की रचना का आगाज़ उठा लो तो जानें...
स्वरचित 'पथिक रचना'
नमन भावों के मोती
प्रथम प्रस्तुति
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आज स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन है । अत: बहनों के सम्मान में कुछ कहना और स्वतंत्रता दिवस यानि वीरता का गुणगान करना लाज़िमी है प्रस्तुत है एक ऐसी ही रचना
नारियों की वीरता से इतिहास भरा पड़ा है
ये वो देश जहाँ नारियों ने भी युद्ध लडा़ है ।।
भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का मुकुट
ऐसे अनेकानेक हीरे मोतियों से जडा़ है ।।
रानी लक्ष्मी बाई रानी दुर्गावती अबंतीबाई
जिन्होने शौर्य की परिभाषा जग को बतायी ।।
युद्ध मैदान में अँग्रेजों के दांत खट्टे किये
मर कर भी जिनकी कहानी अमर कहायी ।।
जीजाबाई शिवाजी जैसे बेटे को जन्म दिया
वीरता क्या है नारी का सर गर्व से ऊँचा किया ।।
नारी का योगदान किसी माने कम न 'शिवम'
नारी ने भी नर के साथ जहर का घूँट पिया ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 15/08/2019
प्रथम प्रस्तुति
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आज स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन है । अत: बहनों के सम्मान में कुछ कहना और स्वतंत्रता दिवस यानि वीरता का गुणगान करना लाज़िमी है प्रस्तुत है एक ऐसी ही रचना
नारियों की वीरता से इतिहास भरा पड़ा है
ये वो देश जहाँ नारियों ने भी युद्ध लडा़ है ।।
भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का मुकुट
ऐसे अनेकानेक हीरे मोतियों से जडा़ है ।।
रानी लक्ष्मी बाई रानी दुर्गावती अबंतीबाई
जिन्होने शौर्य की परिभाषा जग को बतायी ।।
युद्ध मैदान में अँग्रेजों के दांत खट्टे किये
मर कर भी जिनकी कहानी अमर कहायी ।।
जीजाबाई शिवाजी जैसे बेटे को जन्म दिया
वीरता क्या है नारी का सर गर्व से ऊँचा किया ।।
नारी का योगदान किसी माने कम न 'शिवम'
नारी ने भी नर के साथ जहर का घूँट पिया ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 15/08/2019
सादर नमन मंच
दिन-गुरूवार
दिनाँक-१५/०८/१९
💐💐स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐💐
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
देश का नाम हमको करना है
साथ मिल जुलके यार रहना है।
🇮🇳🇮🇳
है मुहब्बत हमें वतन से अगर
सब रहे मिलके ये ही सपना है।
🇮🇳🇮🇳
राहबर देश के मुलाज़िम हैं
क्यूँ भला उनसे हमको डरना है।
🇮🇳🇮🇳
कैसा दुश्मन हो हम नही डरते
इस ज़माने से ये ही कहना है।
🇮🇳🇮🇳
ज़ान दे देंगे हम तिरंगे पर
अब हमें एक बनके रहना है।।
🇮🇳🇮🇳
बस मुहब्बत ही हो ज़माने में
नफ़रतें अब जरा न सहना है।
🇮🇳🇮🇳
धर्म-जाति के नाम पर 'आकिब'।
इस सियासत से अब न डरना है।।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
✍️आकिब जावेद,बाँदा
स्वरचित,मौलिक
15 अगस्त 2019
दिन-गुरूवार
दिनाँक-१५/०८/१९
💐💐स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐💐
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
देश का नाम हमको करना है
साथ मिल जुलके यार रहना है।
🇮🇳🇮🇳
है मुहब्बत हमें वतन से अगर
सब रहे मिलके ये ही सपना है।
🇮🇳🇮🇳
राहबर देश के मुलाज़िम हैं
क्यूँ भला उनसे हमको डरना है।
🇮🇳🇮🇳
कैसा दुश्मन हो हम नही डरते
इस ज़माने से ये ही कहना है।
🇮🇳🇮🇳
ज़ान दे देंगे हम तिरंगे पर
अब हमें एक बनके रहना है।।
🇮🇳🇮🇳
बस मुहब्बत ही हो ज़माने में
नफ़रतें अब जरा न सहना है।
🇮🇳🇮🇳
धर्म-जाति के नाम पर 'आकिब'।
इस सियासत से अब न डरना है।।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
✍️आकिब जावेद,बाँदा
स्वरचित,मौलिक
15 अगस्त 2019
नमन भावों के मोती... आज पन्द्रह अगस्त और रक्षाबन्धन का पावन पर्व दोनो एक ही साथ है इस सन्दर्भ मे मै शेर सिंह सर्राफ अपनी एक छोटी सी रचना के साथ आपके सम्मुख उपस्थित हूँ.... कुछ कमी हो तो क्षमा करेगे... जी धन्यवाद
***********************************
राष्ट्रवाद के सोपानों पर,
हमको भी चढना होगा।
भारत के वैभव गरिमा पर,
हमको भी मरना होगा॥
**
शीश भले ही कट जाए पर,
हमको ना झुकना होगा।
शान तिरंगे की खातिर हमे,
सबकुछ ही करना होगा॥
**
माटी का गुणगान करो ये,
मेरी पावन धरती है।
कई युगों से तपी हुई ये,
भारत की जो धरती है॥
**
राम कृष्ण से लेकर जाने,
कितने कर्म के रथी हुए।
युगों-युगों तक जिन्दा है,
ऐसे भी कुछ महारथी हुए॥
**
स्वर्ण युग भी देखा है तो,
देखा है पराभव भी इसने।
शक यवनों, मुगलो से लेकर,
गोरों के दुष्कृत्य इसने॥
**
कितने माँ के लाल मिट गये,
कितने सिन्दूर बिखर गये।
कितनी राखी बँधी नही,
भाई और बहन बिछड गये॥
**
तब जा करके पुनः मिली है,
भारत को पहचान नयी।
चमक रहा स्वर्ण मस्तक जिसका,
तीन रंग आधार नयी॥
**
रंग तिरंगा जैसा कोई,
शेर के मन को भाये ना।
मृत्यु भले आ जाये पर,
मेरे देश पे आँच ना आयेगा॥
**
आजादी की बलिवेदी पर,
दीपक एक जलाना है।
वचन स्वंय को देना है,
मेरे देश का मान बढाना है॥
**
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
***********************************
राष्ट्रवाद के सोपानों पर,
हमको भी चढना होगा।
भारत के वैभव गरिमा पर,
हमको भी मरना होगा॥
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शीश भले ही कट जाए पर,
हमको ना झुकना होगा।
शान तिरंगे की खातिर हमे,
सबकुछ ही करना होगा॥
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माटी का गुणगान करो ये,
मेरी पावन धरती है।
कई युगों से तपी हुई ये,
भारत की जो धरती है॥
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राम कृष्ण से लेकर जाने,
कितने कर्म के रथी हुए।
युगों-युगों तक जिन्दा है,
ऐसे भी कुछ महारथी हुए॥
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स्वर्ण युग भी देखा है तो,
देखा है पराभव भी इसने।
शक यवनों, मुगलो से लेकर,
गोरों के दुष्कृत्य इसने॥
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कितने माँ के लाल मिट गये,
कितने सिन्दूर बिखर गये।
कितनी राखी बँधी नही,
भाई और बहन बिछड गये॥
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तब जा करके पुनः मिली है,
भारत को पहचान नयी।
चमक रहा स्वर्ण मस्तक जिसका,
तीन रंग आधार नयी॥
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रंग तिरंगा जैसा कोई,
शेर के मन को भाये ना।
मृत्यु भले आ जाये पर,
मेरे देश पे आँच ना आयेगा॥
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आजादी की बलिवेदी पर,
दीपक एक जलाना है।
वचन स्वंय को देना है,
मेरे देश का मान बढाना है॥
**
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
2भा.नमन साथियों
तिथिःः15/8/2019/गुरूवार
मिसरा#तिरंगा झुकने नहीं देंगे #
विधाःः गजलःः
प्रयास मात्र,मात्रा भार पता नहीं
अब दुश्मनों को देश में घुसने नहीं देंगे।
शान अपने तिरंगे की झुकने नहीं देंगे।
शीश काटें सरहद पर इन हदुश्मनों के,
गला किसी जवान का कटने नहीं देंगे।
पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आए,
हम कभी शांति से जीने मरने नहीं देंगे।
सदैव उन्नति के शिखर चूमता रहे भारत,
पांव किसी शत्रु के यहाँ टिकने नहीं देंगे।
हम किसी भी देश से बोलते नहीं पहले
दिखाऐ आँख गोलियां रूकने नहीं देते।
जिऐं वतन के वास्ते मरें इसी के वास्ते,
हम तिरंगे का मान कभी गिरने नहीं देंगे।
शपथ लें आओ मिलजुलकर हम सभी,
जो छिपे राष्ट्रद्रोही उन्हें पनपने नहीं देंगे।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
तिथिःः15/8/2019/गुरूवार
मिसरा#तिरंगा झुकने नहीं देंगे #
विधाःः गजलःः
प्रयास मात्र,मात्रा भार पता नहीं
अब दुश्मनों को देश में घुसने नहीं देंगे।
शान अपने तिरंगे की झुकने नहीं देंगे।
शीश काटें सरहद पर इन हदुश्मनों के,
गला किसी जवान का कटने नहीं देंगे।
पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आए,
हम कभी शांति से जीने मरने नहीं देंगे।
सदैव उन्नति के शिखर चूमता रहे भारत,
पांव किसी शत्रु के यहाँ टिकने नहीं देंगे।
हम किसी भी देश से बोलते नहीं पहले
दिखाऐ आँख गोलियां रूकने नहीं देते।
जिऐं वतन के वास्ते मरें इसी के वास्ते,
हम तिरंगे का मान कभी गिरने नहीं देंगे।
शपथ लें आओ मिलजुलकर हम सभी,
जो छिपे राष्ट्रद्रोही उन्हें पनपने नहीं देंगे।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
नमन मचं को 🙏
दिनांक =15/8/2019
🇮🇳शीर्षक =राखी🇮🇳
आयी आयी राखी आयी
बहनो के मन को भायी राखी
घेवर और मिठाई लायी
रंग बिरंगी राखी लायी
मनभावन क्षण लाती राखी
भाई बहन को मिलाती राखी
अटूट प्रेम का भाव हर
घर मे बिखराती रारवी
खट्टी मीठी यादें लाती रारवी
ढेर सारा आशीष लायी
प्रेम भरे तोहफे भी लायी
आयी आयी राखी आयी
उस धागे में प्रेम का बंधन
दुआ और आशीष भर भर लायी
दीर्घायु हो भ्राता मेरा,दुख
तकलीफ से ना हो नाता तेरा
राजी खुशी हमेशा रहना
यही दुआ करती है तेरी बहना
🙏🏻स्वरचित=हेमा जोशी
दिनांक =15/8/2019
🇮🇳शीर्षक =राखी🇮🇳
आयी आयी राखी आयी
बहनो के मन को भायी राखी
घेवर और मिठाई लायी
रंग बिरंगी राखी लायी
मनभावन क्षण लाती राखी
भाई बहन को मिलाती राखी
अटूट प्रेम का भाव हर
घर मे बिखराती रारवी
खट्टी मीठी यादें लाती रारवी
ढेर सारा आशीष लायी
प्रेम भरे तोहफे भी लायी
आयी आयी राखी आयी
उस धागे में प्रेम का बंधन
दुआ और आशीष भर भर लायी
दीर्घायु हो भ्राता मेरा,दुख
तकलीफ से ना हो नाता तेरा
राजी खुशी हमेशा रहना
यही दुआ करती है तेरी बहना
🙏🏻स्वरचित=हेमा जोशी
जय हिन्द वन्देमातरम
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
तिरंगा
सारी दुनिया से न्यारा
है शान तिरंगा प्यारा
केसरिया रंग दिवाकर
है साहस हमें सिखाएं
ये श्वेत रंग मन भाएं
शांति का पाठ पढ़ाए
ये रंग हरा हरियाली
मन में विश्वास जगाएं
ये नीला चक्र निराला
जीवन का चक्र बताएं
चमके ज्यों नभ तारा
है शान तिरंगा प्यारा
सारी दुनिया से न्यारा
है शान तिरंगा प्यारा।।
जय हिन्द वन्देमातरम
स्वरचित
बिजेंद्र सिंह चौहान
चंडीगढ़
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
तिरंगा
सारी दुनिया से न्यारा
है शान तिरंगा प्यारा
केसरिया रंग दिवाकर
है साहस हमें सिखाएं
ये श्वेत रंग मन भाएं
शांति का पाठ पढ़ाए
ये रंग हरा हरियाली
मन में विश्वास जगाएं
ये नीला चक्र निराला
जीवन का चक्र बताएं
चमके ज्यों नभ तारा
है शान तिरंगा प्यारा
सारी दुनिया से न्यारा
है शान तिरंगा प्यारा।।
जय हिन्द वन्देमातरम
स्वरचित
बिजेंद्र सिंह चौहान
चंडीगढ़
भावों के मोती को समर्पित मेरी स्वरचित रचना
आज के दिन को पाने के खातिर कितनो ने जान गवां डाली
लाठी डंडों के दम पर तोपों की सरकार हिला डाली
अत्याचार को सह सह कर भारत का खून था खोल उठा
देखा साहस जब वीरों का अंग्रेजी सिहांसन डोल उठा
कितनो को जेल में बंद किया कइयों को फांसी दे डाली
पर भारत माँ के सपूतों का बलिदान गया नहीं खाली
भगत सिंह जैसे वीरों ने फन्दों को लिया था गले लगा
देख महान बलिदानो को था आजादी का जोश जगा
भारत माँ के नाम का चारों तरफ था जयजयकार हुआ
देख इनकी देशभक्ति को उनमे था डर का विस्तार हुआ
अब आजादी के आगे था हमे कुछ भी स्वीकार नहीं
अहिंसा के बल पर ली आजादी कोई तीर तलवार नहीं
आखिर जब थी मिली आजादी हिमालय भी मुस्काया था
पहली बार जब भारत की भूमि पर तिरंगा लहराया था
स्वतंत्रता पाने पर चारों दिशाओं में खुशियां छाई थी
इन खुशियों को सांझा करने मानो भारत माँ भी आयी थी
जिन्होंने दिलाई थी हमे आजादी आज उनका हृदय से सम्मान करूँ
जो शहीद हुए है उन वीरों को मैं प्रणाम करूँ
जब जब अखंड भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा
तब तब आज़ादी के दीवानों का नाम गर्व से गाया जाएगा
स्वरचित - जनार्धन भारद्वाज
श्री गंगानगर (राजस्थान)
आज के दिन को पाने के खातिर कितनो ने जान गवां डाली
लाठी डंडों के दम पर तोपों की सरकार हिला डाली
अत्याचार को सह सह कर भारत का खून था खोल उठा
देखा साहस जब वीरों का अंग्रेजी सिहांसन डोल उठा
कितनो को जेल में बंद किया कइयों को फांसी दे डाली
पर भारत माँ के सपूतों का बलिदान गया नहीं खाली
भगत सिंह जैसे वीरों ने फन्दों को लिया था गले लगा
देख महान बलिदानो को था आजादी का जोश जगा
भारत माँ के नाम का चारों तरफ था जयजयकार हुआ
देख इनकी देशभक्ति को उनमे था डर का विस्तार हुआ
अब आजादी के आगे था हमे कुछ भी स्वीकार नहीं
अहिंसा के बल पर ली आजादी कोई तीर तलवार नहीं
आखिर जब थी मिली आजादी हिमालय भी मुस्काया था
पहली बार जब भारत की भूमि पर तिरंगा लहराया था
स्वतंत्रता पाने पर चारों दिशाओं में खुशियां छाई थी
इन खुशियों को सांझा करने मानो भारत माँ भी आयी थी
जिन्होंने दिलाई थी हमे आजादी आज उनका हृदय से सम्मान करूँ
जो शहीद हुए है उन वीरों को मैं प्रणाम करूँ
जब जब अखंड भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा
तब तब आज़ादी के दीवानों का नाम गर्व से गाया जाएगा
स्वरचित - जनार्धन भारद्वाज
श्री गंगानगर (राजस्थान)
"भावों के मोती"
आयोजन-दृश्य/श्रव्य
विषय-स्वतंत्रता दिवस
तिथि-15अगस्त2019
वार-गुरुवार
विधा-ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222
फ़िज़ा में मज़हबी रंगों को अब टिकने नहीं देंगे,
कोई भी बीज दहशत का यहाँ उगने नहीं देंगे।
वतन मेरा ये हिंदुस्तां यही मेरा गुलिस्तां है,
यहाँ का फ़ूल कोई हम तो अब लुटने नहीं देंगे।
भरे हैं हौंसले हमनें ये शेरों जैसे फौलादी,
इरादे भी ये चट्टानी कभी मरने नहीं देंगे।
निगहबानी जो तुमने देखनी हो सरफरोशों की,
छुपे चाहे कहीं दुश्मन उसे छुपने नहीं देंगे।
बचाने को तेरी अस्मत कटे चाहे हज़ारों सर,
मग़र हम सर ये दुश्मन का कभी उठने नहीं देंगे।
ज़मीं से अर्श तक छाई वतन की अब ये रानाई,
ये लहराता तिरंगा इसको हम झुकने नहीं देंगे।
चले तूफ़ां यहाँ कितने कोई अब डर नहीं हमको,
शमा दिल में वतन की पर कभी बुझने नहीं देंगे।
करो तुम कोशिशें कितनी मगर अब जान लो इतना,
हवा कोई भी नफरत की यहाँ घुसने नहीं देंगे।
किसी को आजमाना हो तो आ के आजमा ले अब,
इसी दश्त-ए-जुनूँ को 'रण' कभी मिटने नहीं देंगे।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)
आयोजन-दृश्य/श्रव्य
विषय-स्वतंत्रता दिवस
तिथि-15अगस्त2019
वार-गुरुवार
विधा-ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222
फ़िज़ा में मज़हबी रंगों को अब टिकने नहीं देंगे,
कोई भी बीज दहशत का यहाँ उगने नहीं देंगे।
वतन मेरा ये हिंदुस्तां यही मेरा गुलिस्तां है,
यहाँ का फ़ूल कोई हम तो अब लुटने नहीं देंगे।
भरे हैं हौंसले हमनें ये शेरों जैसे फौलादी,
इरादे भी ये चट्टानी कभी मरने नहीं देंगे।
निगहबानी जो तुमने देखनी हो सरफरोशों की,
छुपे चाहे कहीं दुश्मन उसे छुपने नहीं देंगे।
बचाने को तेरी अस्मत कटे चाहे हज़ारों सर,
मग़र हम सर ये दुश्मन का कभी उठने नहीं देंगे।
ज़मीं से अर्श तक छाई वतन की अब ये रानाई,
ये लहराता तिरंगा इसको हम झुकने नहीं देंगे।
चले तूफ़ां यहाँ कितने कोई अब डर नहीं हमको,
शमा दिल में वतन की पर कभी बुझने नहीं देंगे।
करो तुम कोशिशें कितनी मगर अब जान लो इतना,
हवा कोई भी नफरत की यहाँ घुसने नहीं देंगे।
किसी को आजमाना हो तो आ के आजमा ले अब,
इसी दश्त-ए-जुनूँ को 'रण' कभी मिटने नहीं देंगे।
पूर्णतया स्वरचित,स्वप्रमाणित
अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)
द्वितीय प्रस्तुति
नमन मंच
15/08/19
सभी भाई बहनों को शुभकामनाएं
दोहा छन्द गीत
***
बाँधे बंधन नेह के ,पावन रेशम डोर।
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।।
तिलक सजा के शीश पर,बाँधे राखी हाथ,
बहना दे आशीष ये ,....खुशियां तेरे साथ।
मुश्किल में थामे रहो,.....उम्मीदों की डोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
रक्षा बंधन पर्व का ,करें सार्थक अर्थ,
प्रकृति की रक्षा करें,होंगें तभी समर्थ।
सबके इसी प्रयास से,है आशा की भोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
बैठा है झूठा अहम , पर्व हुये व्यापार,
इस जग में अनमोल है,भ्रात बहन का प्यार।
दोनों ही सम्मान की ,पकड़े रहिये डोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
अब ना अत्याचार हो ,बहना रही गुहार ,
क्षत्राणी की ये धरा ,तुम क्यों रही पुकार।
हाथ बढ़े जो काट दो,बदला लो तुम घोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
भूलेंगे हम नहि कभी,अमर अमिट बलिदान,
राखी ऐसी इक बने,......सुरक्षित रहें जवान।
रक्षा ये सब की करें , लिये खुशी की भोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
नमन मंच
15/08/19
सभी भाई बहनों को शुभकामनाएं
दोहा छन्द गीत
***
बाँधे बंधन नेह के ,पावन रेशम डोर।
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।।
तिलक सजा के शीश पर,बाँधे राखी हाथ,
बहना दे आशीष ये ,....खुशियां तेरे साथ।
मुश्किल में थामे रहो,.....उम्मीदों की डोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
रक्षा बंधन पर्व का ,करें सार्थक अर्थ,
प्रकृति की रक्षा करें,होंगें तभी समर्थ।
सबके इसी प्रयास से,है आशा की भोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
बैठा है झूठा अहम , पर्व हुये व्यापार,
इस जग में अनमोल है,भ्रात बहन का प्यार।
दोनों ही सम्मान की ,पकड़े रहिये डोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
अब ना अत्याचार हो ,बहना रही गुहार ,
क्षत्राणी की ये धरा ,तुम क्यों रही पुकार।
हाथ बढ़े जो काट दो,बदला लो तुम घोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
भूलेंगे हम नहि कभी,अमर अमिट बलिदान,
राखी ऐसी इक बने,......सुरक्षित रहें जवान।
रक्षा ये सब की करें , लिये खुशी की भोर,
खुशियों के त्यौहार में,भीगे मन का कोर।
बाँधे बंधन नेह के ,......पावन रेशम डोर।।
स्वरचित
अनिता सुधीर
नमन मंच भावों के मोती को समर्पित
दिनांकः-15-8-2019
शीर्षकः- ए वतन तेरे लिये जान कुर्बान करेंगे
देश की आज़ादी को अब नहीं कभी छिनने देंगे।
भारत की आज़ादी को कभी भी नहीं मिटने देंगे।।
तिरंगा हम वतन का अब कभी झुकने नहीं देंगे।
शत्रु को वतन के देश में कभी घुसने नहीं देंगे।।
किसी झन्डे को, तिरंगे से ऊपर उठने नहीं देंगे।
तिरंगे की शान, हम अब कभी मिटने नहीं देंगे।।
दुशमन को कभी तिरंगे अपमान करने नहीं देंगे।
तिरंगे की आन बान शान को कम करने नहीं देंगे।।
नज़र तिऱछी वतन पर दुश्मन की पड़ने नहीं देंगे।
असमत से तिरंगे की, किसी को खेलने नहीं देंगे।।
जयचन्दों व मीरजाफरों को भी पनपने नहीं देंगे।
आस्तीन में सभी सपोलों को कभी जीने नहीं देंगे।।
बहुत कर लिये आक्रमण शत्रु ने अब होने नहीं देंगे।
वतन के किसी भी शत्रु को धरा पर रहने नहीं देंगे।।
बहुत जी लिये ऐ वतन, तेरे लिये जान कुर्बान करेंगे।
परन्तु पहले तेरे सभी शत्रु मिट्टी में दफन कर देंगे।।
जय हिन्द जय हिन्द जय मेरे हिन्द की वीर सेना।
वतन के लिये हमको है जीना वतन के लिये मरना।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
दिनांकः-15-8-2019
शीर्षकः- ए वतन तेरे लिये जान कुर्बान करेंगे
देश की आज़ादी को अब नहीं कभी छिनने देंगे।
भारत की आज़ादी को कभी भी नहीं मिटने देंगे।।
तिरंगा हम वतन का अब कभी झुकने नहीं देंगे।
शत्रु को वतन के देश में कभी घुसने नहीं देंगे।।
किसी झन्डे को, तिरंगे से ऊपर उठने नहीं देंगे।
तिरंगे की शान, हम अब कभी मिटने नहीं देंगे।।
दुशमन को कभी तिरंगे अपमान करने नहीं देंगे।
तिरंगे की आन बान शान को कम करने नहीं देंगे।।
नज़र तिऱछी वतन पर दुश्मन की पड़ने नहीं देंगे।
असमत से तिरंगे की, किसी को खेलने नहीं देंगे।।
जयचन्दों व मीरजाफरों को भी पनपने नहीं देंगे।
आस्तीन में सभी सपोलों को कभी जीने नहीं देंगे।।
बहुत कर लिये आक्रमण शत्रु ने अब होने नहीं देंगे।
वतन के किसी भी शत्रु को धरा पर रहने नहीं देंगे।।
बहुत जी लिये ऐ वतन, तेरे लिये जान कुर्बान करेंगे।
परन्तु पहले तेरे सभी शत्रु मिट्टी में दफन कर देंगे।।
जय हिन्द जय हिन्द जय मेरे हिन्द की वीर सेना।
वतन के लिये हमको है जीना वतन के लिये मरना।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
नमन-भावो के मोती
विषय- स्वतंत्रता
दिनांक-15/08/2019
स्वतंत्रता ऐ काले सूरज यह कैसी आजादी है.......?
किसी के घर में पूरी रोटी
किसी के घर में आधी है
यह कैसी आजादी है...
स्वतंत्रता अधूरी फर्क अधूरा
यह कैसी बर्बादी है
देश अपना अब भी ना सुधरा
यह कैसी आजादी है....
स्वप्न अधूरा ख्वाब पूरा
पूर्ण स्वतंत्रता आधी है
यह कैसी आजादी है.....
एक है सड़कों की जीनत
एक महलों की शहजादी
यह कैसी आजादी है.....
भूखे पेट कैसे जश्न मनाए
उन्हें मुबारक आजादी
जिनके तन पर खादी है
यह कैसी आजादी.....
फिकर किसे है फक्र की
शहर में शातिर अपराधी हैं
आजादी के बाद स्याह अंधेरा
यह कैसी आजादी है....
प्रश्न आनेको मन में उठते
कौन इसका वादी है
कौन है इसका प्रतिवादी है
यह कैसी आजादी है......
किसी के घर में शादी है
हे राजमहल के हंस
तुम्हारे घर तो चांदी है चांदी है
यह कैसी आजादी है....
कलकत्ता की गलियों से पूछो
नौनिहाल सोते सड़कों पर
अधूरी स्वतंत्रता अधूरा ख्वाब
कौन है इसका परिवादी है
यह कैसी आजादी है.....
अर्धरात्रि का मध्य बिंदु
स्वप्नन सजोये विमल इंदु
किरण चमके सरस्वती सिंधु
यह कैसी आजादी है......
मौलिक रचना
स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
विषय- स्वतंत्रता
दिनांक-15/08/2019
स्वतंत्रता ऐ काले सूरज यह कैसी आजादी है.......?
किसी के घर में पूरी रोटी
किसी के घर में आधी है
यह कैसी आजादी है...
स्वतंत्रता अधूरी फर्क अधूरा
यह कैसी बर्बादी है
देश अपना अब भी ना सुधरा
यह कैसी आजादी है....
स्वप्न अधूरा ख्वाब पूरा
पूर्ण स्वतंत्रता आधी है
यह कैसी आजादी है.....
एक है सड़कों की जीनत
एक महलों की शहजादी
यह कैसी आजादी है.....
भूखे पेट कैसे जश्न मनाए
उन्हें मुबारक आजादी
जिनके तन पर खादी है
यह कैसी आजादी.....
फिकर किसे है फक्र की
शहर में शातिर अपराधी हैं
आजादी के बाद स्याह अंधेरा
यह कैसी आजादी है....
प्रश्न आनेको मन में उठते
कौन इसका वादी है
कौन है इसका प्रतिवादी है
यह कैसी आजादी है......
किसी के घर में शादी है
हे राजमहल के हंस
तुम्हारे घर तो चांदी है चांदी है
यह कैसी आजादी है....
कलकत्ता की गलियों से पूछो
नौनिहाल सोते सड़कों पर
अधूरी स्वतंत्रता अधूरा ख्वाब
कौन है इसका परिवादी है
यह कैसी आजादी है.....
अर्धरात्रि का मध्य बिंदु
स्वप्नन सजोये विमल इंदु
किरण चमके सरस्वती सिंधु
यह कैसी आजादी है......
मौलिक रचना
स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
नमन मंच:भावों के मोती को समर्पित
दिनांक:15/08/2019
विषय:स्वतंत्रता दिवस
विधा: मुक्तक
तिहत्तर वर्ष बीत गये ,हमको आजादी मिले
आज के युवा के लिए, गुलामी इतिहास बनी ।
फिर भी चित्रण देखते ही, उस समय का
नम हो जाते नयना सभी के ,रोमांच भर आता अभी भी।
चाहे वीरगाथा हो मणिकर्णिका या शौर्य हो पदमावती का
चाहे अहिसावाद हो गांधी का या नारा हो चंद्रशेखर का।
अनेकानेक नामो ने रचा इतिहास था अपनी भाषा से
नमन उन योद्धाओं को जिसने हमें आजाद भारत दिया ।
नमन उन रचना कारो का जिनने लिखा इतिहास तब का।
आज हम आजाद हैं, अपना संविधान व कानून है
सब धर्म है ,सर्व शिक्षा है, भारत का स्वर्णिम काल है ।
आज हम आजाद हैं अपना संविधान व कानून है ।
आज भारत का उभरता रूप व सम्मान है ।
रोज़ नये इतिहास है वह रच रहा
कभी चन्द्रयान का सफल परीक्षण व यात्रा
तो कभी नवीनतम टेक्नोलाजी की ट्रेन व बस है।
कभी आधुनिकतम तरीके से अस्पतालों मे इलाज
तो कही गगनचुंबी इमारतें , शिल्प कारी व चौडी सडके।
आज भारत तैयार है किन्ही भी चुनौतियों के लिए
सुनियोजित रणनीति से सीमाओं पे सैनिक चौकन्ना खडा।
चाहे क्रिकेट का मैदान हो,फुटबॉल या हाँकी का खेल
खिलाडी मात दे निरंतर करे गौरान्वित व प्रफुल्लित हमें ।
#स्वरचित रचना
# नीलम श्रीवास्तव ,लखनऊ ,उत्तर प्रदेश
दिनांक:15/08/2019
विषय:स्वतंत्रता दिवस
विधा: मुक्तक
तिहत्तर वर्ष बीत गये ,हमको आजादी मिले
आज के युवा के लिए, गुलामी इतिहास बनी ।
फिर भी चित्रण देखते ही, उस समय का
नम हो जाते नयना सभी के ,रोमांच भर आता अभी भी।
चाहे वीरगाथा हो मणिकर्णिका या शौर्य हो पदमावती का
चाहे अहिसावाद हो गांधी का या नारा हो चंद्रशेखर का।
अनेकानेक नामो ने रचा इतिहास था अपनी भाषा से
नमन उन योद्धाओं को जिसने हमें आजाद भारत दिया ।
नमन उन रचना कारो का जिनने लिखा इतिहास तब का।
आज हम आजाद हैं, अपना संविधान व कानून है
सब धर्म है ,सर्व शिक्षा है, भारत का स्वर्णिम काल है ।
आज हम आजाद हैं अपना संविधान व कानून है ।
आज भारत का उभरता रूप व सम्मान है ।
रोज़ नये इतिहास है वह रच रहा
कभी चन्द्रयान का सफल परीक्षण व यात्रा
तो कभी नवीनतम टेक्नोलाजी की ट्रेन व बस है।
कभी आधुनिकतम तरीके से अस्पतालों मे इलाज
तो कही गगनचुंबी इमारतें , शिल्प कारी व चौडी सडके।
आज भारत तैयार है किन्ही भी चुनौतियों के लिए
सुनियोजित रणनीति से सीमाओं पे सैनिक चौकन्ना खडा।
चाहे क्रिकेट का मैदान हो,फुटबॉल या हाँकी का खेल
खिलाडी मात दे निरंतर करे गौरान्वित व प्रफुल्लित हमें ।
#स्वरचित रचना
# नीलम श्रीवास्तव ,लखनऊ ,उत्तर प्रदेश
नमन मंच , भावों के मोती को समर्पित
विषय- श्रव्य काव्य
विधा- स्व रचित - आजादी की कविता
15 -8 -2019
आजादी को पाने के हित, लंबी लडी़ लड़ाई थी।
अपनों की दे कुर्बानी हमने, आजादी पाई थी ।
किसी ने अपने पति, किसी ने बेटों की भेंट चढ़ाई थी
बड़ी मुश्किल से मांँ हमने, आजादी पाई थी ।
इस आजादी की शाम, अब हम ना कभी होने देंगे।
शहीदों की कुर्बानी ,बदनाम नहीं होने देंगे ।
जब तक है शरीर में, खून का एक एक कतरा ।
मांँ तेरी जमीन को, नीलाम नहीं होने देंगे ।
आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर्व, हम मनाएंगे ।
उन शहीदों की कुर्बानी की, गाथा हम गाएंगे ।
370 धारा हटी, कश्मीर मस्तक बना हिंदुस्तान का।
इस बार शान से तिरंगा, घाटी में फहराएंगे ।
आओ झुक कर सलाम करें ,उन देश मतवालों को ।
हम बदनाम नहीं होने देंगे, शहीदों के त्याग को।
दे देंगे अपनी व, अपनों की कुर्बानी को।
लेकिन इस आजादी की, कभी शाम नहीं होने देंगे।
वतन के लिए मरने वालों को ही, जन्नत मिलती है।
जब तिरंगा हाथ में हो, हिम्मत मिलती है।
जब जब लहराता है, तिरंगा हिमालय की चोटी पर।
ऐसा लगता है माँ, अपने लाल को सलाम करती हैं।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय- श्रव्य काव्य
विधा- स्व रचित - आजादी की कविता
15 -8 -2019
आजादी को पाने के हित, लंबी लडी़ लड़ाई थी।
अपनों की दे कुर्बानी हमने, आजादी पाई थी ।
किसी ने अपने पति, किसी ने बेटों की भेंट चढ़ाई थी
बड़ी मुश्किल से मांँ हमने, आजादी पाई थी ।
इस आजादी की शाम, अब हम ना कभी होने देंगे।
शहीदों की कुर्बानी ,बदनाम नहीं होने देंगे ।
जब तक है शरीर में, खून का एक एक कतरा ।
मांँ तेरी जमीन को, नीलाम नहीं होने देंगे ।
आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर्व, हम मनाएंगे ।
उन शहीदों की कुर्बानी की, गाथा हम गाएंगे ।
370 धारा हटी, कश्मीर मस्तक बना हिंदुस्तान का।
इस बार शान से तिरंगा, घाटी में फहराएंगे ।
आओ झुक कर सलाम करें ,उन देश मतवालों को ।
हम बदनाम नहीं होने देंगे, शहीदों के त्याग को।
दे देंगे अपनी व, अपनों की कुर्बानी को।
लेकिन इस आजादी की, कभी शाम नहीं होने देंगे।
वतन के लिए मरने वालों को ही, जन्नत मिलती है।
जब तिरंगा हाथ में हो, हिम्मत मिलती है।
जब जब लहराता है, तिरंगा हिमालय की चोटी पर।
ऐसा लगता है माँ, अपने लाल को सलाम करती हैं।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
नमन मंच भावों के मोती को समर्पित
15/8 /2019
बिषय ,,स्वतंत्रता दिवस,, रक्षाबंधन
सज गई भू ओढ़कर चूनर हरियाली
वर्षा ऋतु पर यौवन छाया
पवन चले मतवाली
मेहंदी रचे हाथ पीहर को चली बहना
बाट जोहता खड़ा देहरी जो उसके घर का गहना
सीमा पार खड़े प्रहरी आजादी के दीवाने
भारत माँ शान वान में
मिट जाऐं ऐसे हैं वो परवाने
एक तरफ पावन पर्व
अनुरागों का रक्षाबंधन
दूसरी ओर स्वतंत्रता दिवस समस्त भारतीयों का मन भावन.
यहाँ भाई का बचन कोई आंच न आए बहन पर
वहीं सैनिकों का दृढ़ निश्चय कोई. आँख न उठाए वतन पर
बड़े गर्व से हम कहते हिन्दुस्तान हमारा है
आजादी का जश्न मनाने.
लिए तिरंगा न्यारा प्यारा है
देख़ो प्रभु ने कैसा संयोग बनाया है
एक हाथ में तिरंगा दूजे कलाई में बहना की छाया है
क्यों न मनाऐं खुशियां
पर्वों का मौसम आया है
स्वतंत्रता दिवस रक्षाबंधन को लेकर आनंदोत्सव छाया है
राखी बंधी कलाई से तिरंगा फहराऐंगे
भारत माँ की जय बोल
आजाद दिबस मनाऐंगे
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
15/8 /2019
बिषय ,,स्वतंत्रता दिवस,, रक्षाबंधन
सज गई भू ओढ़कर चूनर हरियाली
वर्षा ऋतु पर यौवन छाया
पवन चले मतवाली
मेहंदी रचे हाथ पीहर को चली बहना
बाट जोहता खड़ा देहरी जो उसके घर का गहना
सीमा पार खड़े प्रहरी आजादी के दीवाने
भारत माँ शान वान में
मिट जाऐं ऐसे हैं वो परवाने
एक तरफ पावन पर्व
अनुरागों का रक्षाबंधन
दूसरी ओर स्वतंत्रता दिवस समस्त भारतीयों का मन भावन.
यहाँ भाई का बचन कोई आंच न आए बहन पर
वहीं सैनिकों का दृढ़ निश्चय कोई. आँख न उठाए वतन पर
बड़े गर्व से हम कहते हिन्दुस्तान हमारा है
आजादी का जश्न मनाने.
लिए तिरंगा न्यारा प्यारा है
देख़ो प्रभु ने कैसा संयोग बनाया है
एक हाथ में तिरंगा दूजे कलाई में बहना की छाया है
क्यों न मनाऐं खुशियां
पर्वों का मौसम आया है
स्वतंत्रता दिवस रक्षाबंधन को लेकर आनंदोत्सव छाया है
राखी बंधी कलाई से तिरंगा फहराऐंगे
भारत माँ की जय बोल
आजाद दिबस मनाऐंगे
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
नमन मंच
15.8.2019
गुरूवार
चाँद भारत के जैसा नहीं
🌹🌹🌹🌹🌹
उन बहारों का मैं क्या करूँ
जिनमें भारत की ख़ुशबू नहीं
उन नजा़रों का मैं क्या करूँ
जिनमें भारत की रौनक नहीं।।
हैं वहाँ लोग दुनियाँ से आगे
सब हैं अब तक झुके उनके आगे
उनकी दुनियाँ का मैं क्या करूँ
जिनकी दुनियाँ में भारत नहीँ।।
चाँद पर जा रहा है ज़माना
इस धरा को है हमको सजाना
चाँद पर जा के मैं क्या करूँ
चाँद भारत के जैसा नहीं ।।
है कठिन ज़िन्दगी मुश्किलें हैं
ज़िन्दगी से बहुत हम लड़े हैं
उनकी सुविधा का मैं क्या करूँ
जिसमें जीवन की ख़ुशबू नहीं।।
स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार
15.8.2019
गुरूवार
चाँद भारत के जैसा नहीं
🌹🌹🌹🌹🌹
उन बहारों का मैं क्या करूँ
जिनमें भारत की ख़ुशबू नहीं
उन नजा़रों का मैं क्या करूँ
जिनमें भारत की रौनक नहीं।।
हैं वहाँ लोग दुनियाँ से आगे
सब हैं अब तक झुके उनके आगे
उनकी दुनियाँ का मैं क्या करूँ
जिनकी दुनियाँ में भारत नहीँ।।
चाँद पर जा रहा है ज़माना
इस धरा को है हमको सजाना
चाँद पर जा के मैं क्या करूँ
चाँद भारत के जैसा नहीं ।।
है कठिन ज़िन्दगी मुश्किलें हैं
ज़िन्दगी से बहुत हम लड़े हैं
उनकी सुविधा का मैं क्या करूँ
जिसमें जीवन की ख़ुशबू नहीं।।
स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार
नमन भावों के मोती....
आप सभी को स्वंत्रता दिवस एवं रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.... वन्दे मातरम... जय हिन्द की सेना.... जय हो....
II वतन इश्क़ से ऊंचा इश्क़ नहीं है... II
सुनो तुम आजाद हिन्द के वासी....
करना कभी तुम न हमसे किनारा...
देकर लहू हमने सींचा वतन है....
रहे ऊंचा मस्तक वतन ओ हमारा...
धरम न जाती कुछ भी न देखा...
वतन राह में न कभी ऐसी रेखा...
सूली चढ़े हैं हंस हंस के सभी जो....
तिरंगा यह चमका है सबसे प्यारा....
कदम से कदम मिला तुम चलना...
हाथ पकड़ दूसरे का तुम चलना...
दुश्मन की चालों में तुम न आना...
रखना विश्वास तुम अपना हमारा...
मनाओ जो होली रंग देश मिलाना...
दिवाली में इक दीप हमारा जलाना...
नहीं भूल जाना हमें याद रखना...
सांसें तुम सबकी में जीवन हमारा....
दीप आजादी का हमने जलाया...
लौ तुम इसकी न कम होने देना...
पड़े भीड़ अपने वतन पे अगर जो...
लहू से दिए की लौ तुम भी बढ़ाना....
वतन इश्क़ से ऊंचा इश्क़ नहीं है...
नस नस में इसको बहने दो भाई...
गंवाओ न यूं नशों में ज़िंदगानी...
'चन्दर' नशा देश सबसे है प्यारा...
II स्वरचित - सी.एम्. शर्मा II
आप सभी को स्वंत्रता दिवस एवं रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.... वन्दे मातरम... जय हिन्द की सेना.... जय हो....
II वतन इश्क़ से ऊंचा इश्क़ नहीं है... II
सुनो तुम आजाद हिन्द के वासी....
करना कभी तुम न हमसे किनारा...
देकर लहू हमने सींचा वतन है....
रहे ऊंचा मस्तक वतन ओ हमारा...
धरम न जाती कुछ भी न देखा...
वतन राह में न कभी ऐसी रेखा...
सूली चढ़े हैं हंस हंस के सभी जो....
तिरंगा यह चमका है सबसे प्यारा....
कदम से कदम मिला तुम चलना...
हाथ पकड़ दूसरे का तुम चलना...
दुश्मन की चालों में तुम न आना...
रखना विश्वास तुम अपना हमारा...
मनाओ जो होली रंग देश मिलाना...
दिवाली में इक दीप हमारा जलाना...
नहीं भूल जाना हमें याद रखना...
सांसें तुम सबकी में जीवन हमारा....
दीप आजादी का हमने जलाया...
लौ तुम इसकी न कम होने देना...
पड़े भीड़ अपने वतन पे अगर जो...
लहू से दिए की लौ तुम भी बढ़ाना....
वतन इश्क़ से ऊंचा इश्क़ नहीं है...
नस नस में इसको बहने दो भाई...
गंवाओ न यूं नशों में ज़िंदगानी...
'चन्दर' नशा देश सबसे है प्यारा...
II स्वरचित - सी.एम्. शर्मा II
नमन मंच भावों के मोती
15/8/2019
विधा- सार छंद
सुंदरता की प्यारी मूरत, देखो भारत माता।
जो लेता है जन्म यहांँ पर, धन्य-धन्य हो जाता।।
सोने की चिड़िया कहलाए, विश्व सकल पहचाने।
लाल चौक से लालकिले तक, रंग तिरंगा जाने।।
नारी राधा नारी सीता, भारत हरदम माने।
रेशम की डोरी का बंधन, युगों-युगों से जाने।।
पर्वों की है धरणी भारत, मन में आस जगाती।
ताप ग्रीष्म का घटा हुआ है, अतुलित आभा पाती।।
रक्षा-सूत्र बांँध के बहना, मन में आशा भरती।
सजी कलाई भैया की है, झांँकी सुंदर लगती।।
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
15/8/2019
विधा- सार छंद
सुंदरता की प्यारी मूरत, देखो भारत माता।
जो लेता है जन्म यहांँ पर, धन्य-धन्य हो जाता।।
सोने की चिड़िया कहलाए, विश्व सकल पहचाने।
लाल चौक से लालकिले तक, रंग तिरंगा जाने।।
नारी राधा नारी सीता, भारत हरदम माने।
रेशम की डोरी का बंधन, युगों-युगों से जाने।।
पर्वों की है धरणी भारत, मन में आस जगाती।
ताप ग्रीष्म का घटा हुआ है, अतुलित आभा पाती।।
रक्षा-सूत्र बांँध के बहना, मन में आशा भरती।
सजी कलाई भैया की है, झांँकी सुंदर लगती।।
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
नमन मंच
"भावो के मोती"को समर्पित
विषय-दृश्य श्रव्य काव्य
विधा-हरिगीतिका छंद में,,,,
"दासता की बेड़ियाँ"
*****************
हरिगीतिका छंद मैं,,,,,
2212 2212 2212 2212,,
सीमांत-अथा
पदांत-०
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
******************************************
सुन लो वतन के वासियों ! आजाद भारत की कथा
परतंत्रता की आग में जलती हुई,,,,,,,,दारुण व्यथा !
**
सदियाँ लगी हैं तोड़ने में,,,,,,, "दासता की बेड़ियाँ,
जब देश भी जलने लगा ,,,,,,,शोला बनी-अंतर्व्यथा!
**
कितने शहीदों ने वतन खातिर ,,,,,,दिया कुर्बानियां ,
वरना नहीं मिलती यहाँ,,,,,आजादियां फिर अन्यथा !
**
"आजाद हो भारत हमारा",,,,,,हर तरफ आवाज थी,
जिहाद जब बढ़ने लगा,,,,,,,ख्वाहिश हुई पूरी यथा !
**
टूटे सभी ब॔धन जटिल,,,,,,,,तब बेड़ियाँ कटने लगीं,
पन्द्रह अगस्त" आजाद भारत की,मनाते शुभ-प्रथा!
**
हम भारती सब ,,,,,,,,आज भी पूरी तरह आजाद ना,
संकल्प ये कर लो सभी,,जन-क्रांति होवै सर्वथा!
*******************************************
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित (गाजियाबाद)
"भावो के मोती"को समर्पित
विषय-दृश्य श्रव्य काव्य
विधा-हरिगीतिका छंद में,,,,
"दासता की बेड़ियाँ"
*****************
हरिगीतिका छंद मैं,,,,,
2212 2212 2212 2212,,
सीमांत-अथा
पदांत-०
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सुन लो वतन के वासियों ! आजाद भारत की कथा
परतंत्रता की आग में जलती हुई,,,,,,,,दारुण व्यथा !
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सदियाँ लगी हैं तोड़ने में,,,,,,, "दासता की बेड़ियाँ,
जब देश भी जलने लगा ,,,,,,,शोला बनी-अंतर्व्यथा!
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कितने शहीदों ने वतन खातिर ,,,,,,दिया कुर्बानियां ,
वरना नहीं मिलती यहाँ,,,,,आजादियां फिर अन्यथा !
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"आजाद हो भारत हमारा",,,,,,हर तरफ आवाज थी,
जिहाद जब बढ़ने लगा,,,,,,,ख्वाहिश हुई पूरी यथा !
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टूटे सभी ब॔धन जटिल,,,,,,,,तब बेड़ियाँ कटने लगीं,
पन्द्रह अगस्त" आजाद भारत की,मनाते शुभ-प्रथा!
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हम भारती सब ,,,,,,,,आज भी पूरी तरह आजाद ना,
संकल्प ये कर लो सभी,,जन-क्रांति होवै सर्वथा!
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🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित (गाजियाबाद)
नमन मंच ,भावों के मोती को समर्पित
विषय- श्रव्य काव्य
विधा -स्व रचित"वक्त का तकाजा"
15 -8- 2019
शेर सी दहाड़ जिसकी थी ,उसे खामोश होते मैंने देखा है l
वज्र सी कठोर थी जिसकी भुजा, उसे थरथराते मैंने देखा है ।।
यह कोठी ,ये बंगला, यह तेरे सब अपने ,यही रह जाने हैं ।
यही सच है ,खाली हाथ आते सब खाली हाथ जाने है ।।
क्यूं इस अहंकार में डूब रहा है, यह जोश,जवानी, चंद दिनों की है।
मैंने जहां में जवां को बुढा होते अपनी आंखों से देखा है ।।
वक्त रहते स्वीकार कर ले सच ,जाना तो एक दिन है ही।
फिर चाह कर भी कुछ ना कर पाएगा , सिर्फ पछताना है ।।
जिस दिन हो जाए खुद पर घमंड, एक चक्कर शमशान का लगा आना ।
तेरे जैसे कई वहां पर राख बने पड़े होंगे, यह सच समझकर आना ।।
बिगाड़ा है आज बुजुर्गों का ,अब अपना कल ही संवार ले।
देकर उनको चंद खुशियां ,कुछ अपना भी उद्धार कर ले ।।
क्योंकि आज के बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं ।
इसलिए तु उनका नहीं, स्वयं का थोड़ा सम्मान कर ले ।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
विषय- श्रव्य काव्य
विधा -स्व रचित"वक्त का तकाजा"
15 -8- 2019
शेर सी दहाड़ जिसकी थी ,उसे खामोश होते मैंने देखा है l
वज्र सी कठोर थी जिसकी भुजा, उसे थरथराते मैंने देखा है ।।
यह कोठी ,ये बंगला, यह तेरे सब अपने ,यही रह जाने हैं ।
यही सच है ,खाली हाथ आते सब खाली हाथ जाने है ।।
क्यूं इस अहंकार में डूब रहा है, यह जोश,जवानी, चंद दिनों की है।
मैंने जहां में जवां को बुढा होते अपनी आंखों से देखा है ।।
वक्त रहते स्वीकार कर ले सच ,जाना तो एक दिन है ही।
फिर चाह कर भी कुछ ना कर पाएगा , सिर्फ पछताना है ।।
जिस दिन हो जाए खुद पर घमंड, एक चक्कर शमशान का लगा आना ।
तेरे जैसे कई वहां पर राख बने पड़े होंगे, यह सच समझकर आना ।।
बिगाड़ा है आज बुजुर्गों का ,अब अपना कल ही संवार ले।
देकर उनको चंद खुशियां ,कुछ अपना भी उद्धार कर ले ।।
क्योंकि आज के बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं ।
इसलिए तु उनका नहीं, स्वयं का थोड़ा सम्मान कर ले ।।
वीणा वैष्णव
कांकरोली
नमन भावों के मोती
15-8-19, गुरुवार
विषय - रक्षाबंधन/ स्वतंत्रता दिवस
********************
विधा - दोहा
~~~~~~
दोहा
------
दिवसों में अति श्रेष्ठ है, आजादी का पर्व।
इसकी महिमा गा रहे, देव पितर गंधर्व।।
स्वतंत्रता जब हो नहीं, जीवन बनता नर्क।
देखी हमने त्रासदी, बहुत बड़ा है फर्क।।
बड़-भागी हम लोग हैं, दो-दो खुशियाँ साथ
कर में बाँधी राखियाँ, लिया तिरंगा हाथ।।
आजादी का पर्व अरु, राखी का त्योहार।
हर जन में देखो यहाँ, उमग रहा है प्यार।।
सरहद पर फ़ौजी खड़े, बंदूकें ले हाथ।
बहिनें भी पहुँची वहाँ, लेकर राखी साथ।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
~~~~~~~~~
( स्वरचित )
15-8-19, गुरुवार
विषय - रक्षाबंधन/ स्वतंत्रता दिवस
********************
विधा - दोहा
~~~~~~
दोहा
------
दिवसों में अति श्रेष्ठ है, आजादी का पर्व।
इसकी महिमा गा रहे, देव पितर गंधर्व।।
स्वतंत्रता जब हो नहीं, जीवन बनता नर्क।
देखी हमने त्रासदी, बहुत बड़ा है फर्क।।
बड़-भागी हम लोग हैं, दो-दो खुशियाँ साथ
कर में बाँधी राखियाँ, लिया तिरंगा हाथ।।
आजादी का पर्व अरु, राखी का त्योहार।
हर जन में देखो यहाँ, उमग रहा है प्यार।।
सरहद पर फ़ौजी खड़े, बंदूकें ले हाथ।
बहिनें भी पहुँची वहाँ, लेकर राखी साथ।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
~~~~~~~~~
( स्वरचित )
हाइकु रक्षाबंधन,
१/रक्षा बंधन,
पैदाइशी रिश्तों में,
ऊर्जा देता है।।१।।
रक्षाबंधन,
भाई बहन प्रेम,
पावन पर्व।।२।।
३/रक्षाबंधन,
मानवीय रिश्तों का,
प्रेम पर्व। हैं।।३।।
स्वरचित हाइकु कार देवेन्द्र नारायण दास बसनाछ,ग,।।
१/रक्षा बंधन,
पैदाइशी रिश्तों में,
ऊर्जा देता है।।१।।
रक्षाबंधन,
भाई बहन प्रेम,
पावन पर्व।।२।।
३/रक्षाबंधन,
मानवीय रिश्तों का,
प्रेम पर्व। हैं।।३।।
स्वरचित हाइकु कार देवेन्द्र नारायण दास बसनाछ,ग,।।
नमन् भावों के मोती
दिनांक:15अगस्त2019
विषय:स्वतन्त्रता दिवस
विधा:कविता
काट दासता की बेड़ी आजाद हुआ था हिन्द
भगे फिरंगी कर आपाधापी तोड़ फोड़ कर हिन्द
वन्देमातरम् की जयघोषों से गूँज उठा था हिन्द
बच्चा बच्चा बोल रहा था जय भारत जय हिन्द
नभमण्डल में गुंजायमान था नारा जय हिन्द
वीर शहीदों की गाथा से गूँज रहा था हिन्द
सतरंगी आसमान सजा कर बोला रहा था हिन्द
लाल किले पर फहर रहा था ध्वज तिरंगा हिन्द
स्वतन्त्रता के स्वागत में मग्न था पूरा हिन्द
बच्चा-बच्चा बोल रहा था जय भारत जय हिन्द
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
दिनांक:15अगस्त2019
विषय:स्वतन्त्रता दिवस
विधा:कविता
काट दासता की बेड़ी आजाद हुआ था हिन्द
भगे फिरंगी कर आपाधापी तोड़ फोड़ कर हिन्द
वन्देमातरम् की जयघोषों से गूँज उठा था हिन्द
बच्चा बच्चा बोल रहा था जय भारत जय हिन्द
नभमण्डल में गुंजायमान था नारा जय हिन्द
वीर शहीदों की गाथा से गूँज रहा था हिन्द
सतरंगी आसमान सजा कर बोला रहा था हिन्द
लाल किले पर फहर रहा था ध्वज तिरंगा हिन्द
स्वतन्त्रता के स्वागत में मग्न था पूरा हिन्द
बच्चा-बच्चा बोल रहा था जय भारत जय हिन्द
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
शुभ संध्या
नमन भावों के मोती
शीर्षक -- रक्षाबंधन
द्वितीय प्रस्तुति
🌹।। स्नेह बंधन ।।🌹
मेरी बहन ....दूर है भाई
मुझको फिकर सदा सतायी ।।
कहने को वो तेज है मगर
उसमें कोमलता दे दिखायी ।।
साथ साथ हम हँसे खेले
और साथ साथ की पढ़ाई ।।
नही चाहता था मैं दूर
मगर दूर किस्मत कहायी ।।
कोई खत न खबर सन्देशा
दिल रोए आँख भर आयी ।।
सबकी देखूँ भरी कलाई
मेरी सूनी कलाई पायी ।।
मेरे दाता खुश रहे वह
न आए गम की परछाई ।।
प्यार के बंधन बड़े अनूठे
जाने जग जाने जगताई ।।
देखकर उसकी सूरत 'शिवम'
मेरी आँख सदा छलकायी ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 15/08/2019
नमन भावों के मोती
शीर्षक -- रक्षाबंधन
द्वितीय प्रस्तुति
🌹।। स्नेह बंधन ।।🌹
मेरी बहन ....दूर है भाई
मुझको फिकर सदा सतायी ।।
कहने को वो तेज है मगर
उसमें कोमलता दे दिखायी ।।
साथ साथ हम हँसे खेले
और साथ साथ की पढ़ाई ।।
नही चाहता था मैं दूर
मगर दूर किस्मत कहायी ।।
कोई खत न खबर सन्देशा
दिल रोए आँख भर आयी ।।
सबकी देखूँ भरी कलाई
मेरी सूनी कलाई पायी ।।
मेरे दाता खुश रहे वह
न आए गम की परछाई ।।
प्यार के बंधन बड़े अनूठे
जाने जग जाने जगताई ।।
देखकर उसकी सूरत 'शिवम'
मेरी आँख सदा छलकायी ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 15/08/2019
सादर नमन भावों के मोती
15/08/2019
73वें स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
स्वतंत्रता दिवस इस बार का
लगता है सबसे जुदा,
वतन अपना सबसे पहले
बाद में ईश्वर खुदा ।
हटी धारा तीन सौ सत्तर
पाक के तेवर पचहत्तर,
हिंद अपना सिंह सरीखा
झुकना कभी न हमने सीखा,
लाल चौक पर गर्वोन्मुक्त
तिरंगा धूम मचायेगा,
कश्मीर की फिजाओं का रंग
फिर से चटख हो जायेगा ।
जिंदगी लौटेगी पटरी पर
हर चेहरा मुस्करायेगा,
खिलेगी केसर की क्यारी
सुवासित चमन हो जाएगा ।
रक्षा बंधन के पर्व ने भी
जिम्मेदारी की अदा,
भाई-बहन इक-दूजे का
हरदम देंगे साथ सदा ।
---- नीता अग्रवाल
#स्वरचित
15/08/2019
73वें स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
स्वतंत्रता दिवस इस बार का
लगता है सबसे जुदा,
वतन अपना सबसे पहले
बाद में ईश्वर खुदा ।
हटी धारा तीन सौ सत्तर
पाक के तेवर पचहत्तर,
हिंद अपना सिंह सरीखा
झुकना कभी न हमने सीखा,
लाल चौक पर गर्वोन्मुक्त
तिरंगा धूम मचायेगा,
कश्मीर की फिजाओं का रंग
फिर से चटख हो जायेगा ।
जिंदगी लौटेगी पटरी पर
हर चेहरा मुस्करायेगा,
खिलेगी केसर की क्यारी
सुवासित चमन हो जाएगा ।
रक्षा बंधन के पर्व ने भी
जिम्मेदारी की अदा,
भाई-बहन इक-दूजे का
हरदम देंगे साथ सदा ।
---- नीता अग्रवाल
#स्वरचित
नमन भावों के मोती
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
15 अगस्त
हमारे पूर्वजों ने जिस दिन स्वतंत्रता दिलायी
तिथि इतिहास में 15 अगस्त कहलाई
दिन था वो बड़ा सुनहरी
हर भारतवासी के सीने में उतरी थी आज़ादी की साँस गहरी
पर मन में था कुछ क्षोभ
क्योंकि आज़ादी के संग मन को मिला कुछ बोझ
फिरंगियों ने जब वतन को छोड़ा था
तब देश को दो टुकड़ों में तोड़ा था
दोनो देश के बीच खींची थी एक रेखा
इस रेखा ने कितनी माओं का दिल उजाड़ा
कितने घर और कितने रिश्तों को तोड़ा
वक़्त गया कठिन वो भी बीत
हमने फिर अपनों को जोड़ा है
वतन को नई ऊंचाइयों पर मोड़ा है
आओ सब मिलके आज़ादी की वर्षगांठ मनाए
गाँठ ऐसी लगाएं जो वर्षों तक ना टूट पाए
युगों युगों तक भारत का जयकारा लगाऐं
शहला जावेद
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
15 अगस्त
हमारे पूर्वजों ने जिस दिन स्वतंत्रता दिलायी
तिथि इतिहास में 15 अगस्त कहलाई
दिन था वो बड़ा सुनहरी
हर भारतवासी के सीने में उतरी थी आज़ादी की साँस गहरी
पर मन में था कुछ क्षोभ
क्योंकि आज़ादी के संग मन को मिला कुछ बोझ
फिरंगियों ने जब वतन को छोड़ा था
तब देश को दो टुकड़ों में तोड़ा था
दोनो देश के बीच खींची थी एक रेखा
इस रेखा ने कितनी माओं का दिल उजाड़ा
कितने घर और कितने रिश्तों को तोड़ा
वक़्त गया कठिन वो भी बीत
हमने फिर अपनों को जोड़ा है
वतन को नई ऊंचाइयों पर मोड़ा है
आओ सब मिलके आज़ादी की वर्षगांठ मनाए
गाँठ ऐसी लगाएं जो वर्षों तक ना टूट पाए
युगों युगों तक भारत का जयकारा लगाऐं
शहला जावेद
15/8/2019
नमन मंच।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
तिरंगा
मेरा भारत देश महान।
तिरंगा इसकी शान।
सोने की चिड़ियां कहलाती है।
सबको शरण ये दे देती है।
गाय को भी यहां माता कहते।
रखें सबका ध्यान।
मेरा भारत..........
गंगा, यमुना की धारा बहती।
सरयू,सतलज भी है बहती।
कितनी नदियां और पर्वत।
सब हैं इसकी शान।
मेरा भारत............
वीणा झा
स्वरचित
बोकारो स्टील सिटी
नमन मंच।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
तिरंगा
मेरा भारत देश महान।
तिरंगा इसकी शान।
सोने की चिड़ियां कहलाती है।
सबको शरण ये दे देती है।
गाय को भी यहां माता कहते।
रखें सबका ध्यान।
मेरा भारत..........
गंगा, यमुना की धारा बहती।
सरयू,सतलज भी है बहती।
कितनी नदियां और पर्वत।
सब हैं इसकी शान।
मेरा भारत............
वीणा झा
स्वरचित
बोकारो स्टील सिटी
नमन भावों के मोती
दिनांक - 15/11/2019
वार - गुरुवार
विधा - बाल गीत
विषय- स्वतंत्रता दिवस
******हम बच्चे हिंदुस्तान के***
हम बच्चे हिंदुस्तान के, हम बच्चे हिंदुस्तान के।
भगतसिंह की आन के और ऊधम सिंह की शान के।
भारत माँ के आँचल को हम, मिलकर आज सजायेंगे।
बाबू सुभाष, गाँधी और नेहरू, बनकर के दिखलायेंगे।
सपने सब साकार करेंगे, बापू के अरमान के।।
हम--
हिन्दू मुश्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई -भाई।
भाई को है भाई प्यारा, हम सबका बस एक ही नारा।
काम करेंगे हरदम मिलकर, भारत के कल्यान के।।
हम ---ल
देश में फैली हुई समस्याएं, मिलकर के निपटायेगे।
बिखरे बालों वाली माँ के, फिर सिन्दूर लगायेंगे।
मान रखेंगे हम सब मिलकर, वीरों के बलिदान के।
हम---
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, सब झंडों से है ये न्यारा।
निर्भय होकर इसके नीचे, वन्देमातरम गायेंगे।
अपने स्वराज की लाज रखेंगे, सत्य धर्म ईमान से।
हम---
अपने देश की आजादी के, हम सच्चे रखवाले हैं।
भारत की रक्षा की खातिर, शमशीर उठाने वाले हैं।
आँख उठायेगा जो दुश्मन, निकलेंगे तीर कमान से।
हम ------
सबको मिलाकर एक करेंगे, जाति वाद निपटाएंगे।
ऊँच नीच का भेद मिटाकर, रामराज्य को लायेंगे।
सपने तब फिर पूरे होंगे, शिवेन्द्र सिंह चौहान के।
हम----
स्वरचित
शिवेन्द्र सिंह चौहान"सरल"
ग्वालियर
मध्यप्रदेश
दिनांक - 15/11/2019
वार - गुरुवार
विधा - बाल गीत
विषय- स्वतंत्रता दिवस
******हम बच्चे हिंदुस्तान के***
हम बच्चे हिंदुस्तान के, हम बच्चे हिंदुस्तान के।
भगतसिंह की आन के और ऊधम सिंह की शान के।
भारत माँ के आँचल को हम, मिलकर आज सजायेंगे।
बाबू सुभाष, गाँधी और नेहरू, बनकर के दिखलायेंगे।
सपने सब साकार करेंगे, बापू के अरमान के।।
हम--
हिन्दू मुश्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई -भाई।
भाई को है भाई प्यारा, हम सबका बस एक ही नारा।
काम करेंगे हरदम मिलकर, भारत के कल्यान के।।
हम ---ल
देश में फैली हुई समस्याएं, मिलकर के निपटायेगे।
बिखरे बालों वाली माँ के, फिर सिन्दूर लगायेंगे।
मान रखेंगे हम सब मिलकर, वीरों के बलिदान के।
हम---
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, सब झंडों से है ये न्यारा।
निर्भय होकर इसके नीचे, वन्देमातरम गायेंगे।
अपने स्वराज की लाज रखेंगे, सत्य धर्म ईमान से।
हम---
अपने देश की आजादी के, हम सच्चे रखवाले हैं।
भारत की रक्षा की खातिर, शमशीर उठाने वाले हैं।
आँख उठायेगा जो दुश्मन, निकलेंगे तीर कमान से।
हम ------
सबको मिलाकर एक करेंगे, जाति वाद निपटाएंगे।
ऊँच नीच का भेद मिटाकर, रामराज्य को लायेंगे।
सपने तब फिर पूरे होंगे, शिवेन्द्र सिंह चौहान के।
हम----
स्वरचित
शिवेन्द्र सिंह चौहान"सरल"
ग्वालियर
मध्यप्रदेश
नमन भावों के मोती
15,8, 2019. 🇮🇳
गुरुवार
देश हमारा है सबसे प्यारा ,
हमको इस पे सदा नाज है ।
उत्सव स्वतंत्रता दिवस का,
आया तेहत्तरवां आज है ।
राष्ट्र ध्वज सबने है फहराया,
यह हम सबका अभिमान है ।
वीर शहीदों ने रंग लाया दिया ,
तिरंगे के लिए ही बलिदान है ।
आजादी जिनका ख्वाब रहा,
अमर उनका हो गया नाम है ।
आज भारत माता के बेटों का,
कितना हो रहा गुणगान है ।
हम याद रखें कर्तव्य हमारा,
भरना होंसलों की उड़ान है ।
राष्ट्र धर्म निज राष्ट्र हित का ,
रखना हमको हमेशा ध्यान है।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश
15,8, 2019. 🇮🇳
गुरुवार
देश हमारा है सबसे प्यारा ,
हमको इस पे सदा नाज है ।
उत्सव स्वतंत्रता दिवस का,
आया तेहत्तरवां आज है ।
राष्ट्र ध्वज सबने है फहराया,
यह हम सबका अभिमान है ।
वीर शहीदों ने रंग लाया दिया ,
तिरंगे के लिए ही बलिदान है ।
आजादी जिनका ख्वाब रहा,
अमर उनका हो गया नाम है ।
आज भारत माता के बेटों का,
कितना हो रहा गुणगान है ।
हम याद रखें कर्तव्य हमारा,
भरना होंसलों की उड़ान है ।
राष्ट्र धर्म निज राष्ट्र हित का ,
रखना हमको हमेशा ध्यान है।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश
(भाई का बहन के प्रति जब तिरंगे में घर आता है।वह नभ से बहन से संवाद करता है)
लिपट तिरंगा ओढ़नी , आज वीर घर आया है
भारत माँ चरणों तले , अपना शीश चढ़ाया है
न रोना तू प्यारी लाडो,, जय जय भारत बोलना
एक नही,दस नाग मिटा,भाई ये घर आया है।।
भूमि है ये वीरों की,तन मन सब न्यौछावर है
अंग भंग का डर नही,साहस मन का सागर है
बुरी नजर से देखे जो,भारत माँ की भूमि को
रक्त ओढ़नी देते है,मौत के हम सौदागर है।।
सुन ओ मेरी प्यारी बहना,राखी जब भी आएगी
धागा मेरे नाम का लेकर,सरहद पर तु जाएगी
मुश्किल से तू न घबराना,पग पीछे न ले आना
गीदड़ भभकी से न तेरी,चुनर कभी घबरएगी।।
वादा कर ले लाडो बहना, मान सदा ही रखेगी
सीमा पर तेरी ही राखी, सब हाथों में चमकेगी
देख कलाई वीरों की मैं,नभ से अश्रु झलकाउं
नैनों में सावन भादों हो,कूक तेरी ही चहकेगी।।
भाई को देख गगन में,बहना ने चीत्कार भरी
धरा सहमी तब डोल रही थी,दुर्गा बन हुंकार भरी
बहना बोली भइया मेरे,मान तेरा मैं रखूंगी
हृदय पीर भरा था और राखी की याद भरी।।
मुख न फेरा तूने,बलिदान सदा ही कर्म रहा
रण भेदी हुंकारों से तू,दो दो हाथ सदा रहा
भइया मेरा फौलादी था,एक बारूदी गोला था
तन को माने वह खिलौना,औ गोली से खेला था।।
लगता बारी अब है मेरी,मैं भी सरहद जाऊंगी
टूट पड़ूँगी दुश्मन पर, रानी झांसी बन जाऊंगी
गम न होगा लिपट तिरंगे,गर मैं वापिस आई तो
भाई तेरे मान की खातिर दुश्मन से भिड़ जाऊंगी।
क्रमश:.....
स्वरचित
वीणा शर्मा वशिष्ठ,मौलिक रचना
लिपट तिरंगा ओढ़नी , आज वीर घर आया है
भारत माँ चरणों तले , अपना शीश चढ़ाया है
न रोना तू प्यारी लाडो,, जय जय भारत बोलना
एक नही,दस नाग मिटा,भाई ये घर आया है।।
भूमि है ये वीरों की,तन मन सब न्यौछावर है
अंग भंग का डर नही,साहस मन का सागर है
बुरी नजर से देखे जो,भारत माँ की भूमि को
रक्त ओढ़नी देते है,मौत के हम सौदागर है।।
सुन ओ मेरी प्यारी बहना,राखी जब भी आएगी
धागा मेरे नाम का लेकर,सरहद पर तु जाएगी
मुश्किल से तू न घबराना,पग पीछे न ले आना
गीदड़ भभकी से न तेरी,चुनर कभी घबरएगी।।
वादा कर ले लाडो बहना, मान सदा ही रखेगी
सीमा पर तेरी ही राखी, सब हाथों में चमकेगी
देख कलाई वीरों की मैं,नभ से अश्रु झलकाउं
नैनों में सावन भादों हो,कूक तेरी ही चहकेगी।।
भाई को देख गगन में,बहना ने चीत्कार भरी
धरा सहमी तब डोल रही थी,दुर्गा बन हुंकार भरी
बहना बोली भइया मेरे,मान तेरा मैं रखूंगी
हृदय पीर भरा था और राखी की याद भरी।।
मुख न फेरा तूने,बलिदान सदा ही कर्म रहा
रण भेदी हुंकारों से तू,दो दो हाथ सदा रहा
भइया मेरा फौलादी था,एक बारूदी गोला था
तन को माने वह खिलौना,औ गोली से खेला था।।
लगता बारी अब है मेरी,मैं भी सरहद जाऊंगी
टूट पड़ूँगी दुश्मन पर, रानी झांसी बन जाऊंगी
गम न होगा लिपट तिरंगे,गर मैं वापिस आई तो
भाई तेरे मान की खातिर दुश्मन से भिड़ जाऊंगी।
क्रमश:.....
स्वरचित
वीणा शर्मा वशिष्ठ,मौलिक रचना
नमन भावों के मोती
दिन - गुरुवार
दिनाँक - 15/08/2019
विधा - ग़ज़ल
मापनी - 1222 1222 1222 1222
==========
बहिन की हो सके रक्षा वजह धागे सजाता हूँ I
मैं बच्चो की कलाई के लिये राखी बनाता हूँ ll
न मुस्लिम मानना मुझको न कहना गैर मजहब का l
वतन का नागरिक हूँ मैं इसे ही माँ बताता हूँ Il
न मतलब जाति धर्मों से मुझे इंसानियत प्यारी I
बड़ा भावन लगे सावन हृदय खुशियाँ मनाता हूँ Il
शुरू होते सभी उत्सव सदा सावन महीने से I
कभी बकरीद होली मैं व क्रिसमस भी मनाता हूँ ll
#स्वरचित
#सन्तोष कुमार प्रजापति "माधव"
#कबरई जिला - महोबा (उ.प्र.)
दिन - गुरुवार
दिनाँक - 15/08/2019
विधा - ग़ज़ल
मापनी - 1222 1222 1222 1222
==========
बहिन की हो सके रक्षा वजह धागे सजाता हूँ I
मैं बच्चो की कलाई के लिये राखी बनाता हूँ ll
न मुस्लिम मानना मुझको न कहना गैर मजहब का l
वतन का नागरिक हूँ मैं इसे ही माँ बताता हूँ Il
न मतलब जाति धर्मों से मुझे इंसानियत प्यारी I
बड़ा भावन लगे सावन हृदय खुशियाँ मनाता हूँ Il
शुरू होते सभी उत्सव सदा सावन महीने से I
कभी बकरीद होली मैं व क्रिसमस भी मनाता हूँ ll
#स्वरचित
#सन्तोष कुमार प्रजापति "माधव"
#कबरई जिला - महोबा (उ.प्र.)
नमन भावों के मोती
दिन :- गुरुवार
दिनांक:- 15/08/19
विधा :- गीत
विषय :- रक्षाबंधन
बांध रही हूँ राखी भैया, अपना वचन निभाना तुम।
जब भी बहना तुम्हें बुलाये, पास हमारे आना तुम।
हम तुम दोनों माँ जाये हैं, एक ही कोख से जन्म लिया।
बचपन से ही माँ बापू ने, पालन पोषण भरण किया।
बचपन की वो मीठी यादें, हर पल याद दिलाना तुम।
बांध रही हूँ ------
शादी होकर इक दिन भैया, मैं पीहर को जाऊँगी।
माँ की दी गई सारी सीखें, वहाँ पर मैं अपनाऊँगी।
मैं छोटी हूँ भूल भी जाऊँ, मुझको नहीं भुलाना तुम।
बांध रही हूँ -------
चाहे जो विपदायें आयें,भाई को दूर न वो कर पाएं।
रक्षा बन्धन के धागों से,उनको मिलकर दूर भगायें।
मैं चाहे विचलित हो जाऊं, लेकिन ना घबड़ाना तुम।
बांध रही हूँ ---------
आयेगा जब भी त्यौहार, भेजूँगी तुमको उपहार।
जीवन भर बढ़ता जाये, नित प्रत भाई बहन का प्यार।
मैं आऊँगी दौड़ी दौड़ी, मुझको सदा बुलाना तुम।
बांध रही हूँ -------
स्वरचित, स्वप्रमाणित
शिवेन्द्र सिंह चौहान (सरल)
ग्वालियर (म.प्र.)
दिन :- गुरुवार
दिनांक:- 15/08/19
विधा :- गीत
विषय :- रक्षाबंधन
बांध रही हूँ राखी भैया, अपना वचन निभाना तुम।
जब भी बहना तुम्हें बुलाये, पास हमारे आना तुम।
हम तुम दोनों माँ जाये हैं, एक ही कोख से जन्म लिया।
बचपन से ही माँ बापू ने, पालन पोषण भरण किया।
बचपन की वो मीठी यादें, हर पल याद दिलाना तुम।
बांध रही हूँ ------
शादी होकर इक दिन भैया, मैं पीहर को जाऊँगी।
माँ की दी गई सारी सीखें, वहाँ पर मैं अपनाऊँगी।
मैं छोटी हूँ भूल भी जाऊँ, मुझको नहीं भुलाना तुम।
बांध रही हूँ -------
चाहे जो विपदायें आयें,भाई को दूर न वो कर पाएं।
रक्षा बन्धन के धागों से,उनको मिलकर दूर भगायें।
मैं चाहे विचलित हो जाऊं, लेकिन ना घबड़ाना तुम।
बांध रही हूँ ---------
आयेगा जब भी त्यौहार, भेजूँगी तुमको उपहार।
जीवन भर बढ़ता जाये, नित प्रत भाई बहन का प्यार।
मैं आऊँगी दौड़ी दौड़ी, मुझको सदा बुलाना तुम।
बांध रही हूँ -------
स्वरचित, स्वप्रमाणित
शिवेन्द्र सिंह चौहान (सरल)
ग्वालियर (म.प्र.)
नमन मंच
भावों के मोती को समर्पित
विषय-रक्षा बंधन/ स्वतंत्रता दिवस
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं सभी बहनों व भाई को,,,
विधाता छंद में,,,,,
रक्षाबंधन
प्परम प्रिय सभी भाइयों को,,
❤️🍀❤️🍀❤️🍀❤️🍀
रक्षा बंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,,,,,भावोदगार सहित
रक्षाबंधन पर विशेष
****************
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
विधाता छंद= 1222 1222 1222 1222
🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁
**********************************
घड़ी आई सुहावन सी,कि हर घर में सजी राखी ।
बंधी भाई कलाई पे ,,,,,चमकती चाँद सी राखी ।
बहन भाई मिले इस दिन,मनाएं खुब मस्ती पल ,
बहुत प्यारी लगे राखी,,,दिलों को जीतती राखी ।
लुभाता पावनी नेहिल,,,,कलावा-नेह का धागा,
बहन भाई -हृदय को ,,प्रेम-रजु से बाँधती राखी ।
बहुत नजदीक करता ये,मिलन -त्योहार रिश्तों को
कहीं रूठा अगर भाई,,,,,,,हृदय को जोड़ती राखी ।
हमारा धर्म है पावन ,,,,,,,,,,,हमारे पर्व है पावन ,
सदा ही प्रेम से रहना,,,,,सिखाती है सखी- राखी ॥
मगन है प्रेम में प्रियजन,,,,,,,सजे थाली कलावे से,
बजे फिर नेह की "वीणा," थिरकती सावनी राखी॥
तिलक रोली लगाती भाल पे ,भाई जिए जुग-जुग,
सदा मन कामना रहती,,,,,,,रहे शुभकारनी राखी ॥
**********************************
🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁
ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
(गाजियाबाद)
भावों के मोती को समर्पित
विषय-रक्षा बंधन/ स्वतंत्रता दिवस
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं सभी बहनों व भाई को,,,
विधाता छंद में,,,,,
रक्षाबंधन
प्परम प्रिय सभी भाइयों को,,
❤️🍀❤️🍀❤️🍀❤️🍀
रक्षा बंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,,,,,भावोदगार सहित
रक्षाबंधन पर विशेष
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❤️❤️❤️❤️❤️❤️
विधाता छंद= 1222 1222 1222 1222
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घड़ी आई सुहावन सी,कि हर घर में सजी राखी ।
बंधी भाई कलाई पे ,,,,,चमकती चाँद सी राखी ।
बहन भाई मिले इस दिन,मनाएं खुब मस्ती पल ,
बहुत प्यारी लगे राखी,,,दिलों को जीतती राखी ।
लुभाता पावनी नेहिल,,,,कलावा-नेह का धागा,
बहन भाई -हृदय को ,,प्रेम-रजु से बाँधती राखी ।
बहुत नजदीक करता ये,मिलन -त्योहार रिश्तों को
कहीं रूठा अगर भाई,,,,,,,हृदय को जोड़ती राखी ।
हमारा धर्म है पावन ,,,,,,,,,,,हमारे पर्व है पावन ,
सदा ही प्रेम से रहना,,,,,सिखाती है सखी- राखी ॥
मगन है प्रेम में प्रियजन,,,,,,,सजे थाली कलावे से,
बजे फिर नेह की "वीणा," थिरकती सावनी राखी॥
तिलक रोली लगाती भाल पे ,भाई जिए जुग-जुग,
सदा मन कामना रहती,,,,,,,रहे शुभकारनी राखी ॥
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ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार
#स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
(गाजियाबाद)
नमन भावों के मोती
दिनांक - १५/०८/२०१९
दिन - गुरुवार
शीर्षक - हरकतों से बाज आ
----------------------------------------------
पाक तू नापाक नज़रें रख न हिन्दोस्तान पर
वरना तू मिट जाएगा तू जो आ गये हम आन पर।
ढूंढता दर दर फिरेगा हस्तियां अपनी मिट्टी
शक करेगा तू हमेशा ख़ुद की ही पहचान पर।
पाल मत झूठे भरम कि काश्मीर होगा तेरा
काश्मीर सामान नहीं जो बिकती हो दुकान पर।
याद कर पैंसठ, इकहत्तर, कारगिल की हार को
शर्म हो बाकी अगर तो सोच इस अरमान पर।
तू हमारी सब्र का अब और न ले इम्तिहान
राख़ कर देंगे गिरे जो बिजली बन पाकिस्तान पर।
दफ़न कर देंगे ज़मीं में तेरे सब नामोनिशान
रोएगा तू सौ सौ आंसू वीरान गुलसितान पर।
नाच मत बन्दर की तरह शह पे दूजे देश के
रहनुमा भी साथ न देंगे बनी जो जान पर।
बाज आजा हरकतों से अपनी अब भी वक्त है
वरना फिर पछताएगा तू अपनी कारस्तान पर।
"पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
#स्वरचित
दिनांक - १५/०८/२०१९
दिन - गुरुवार
शीर्षक - हरकतों से बाज आ
----------------------------------------------
पाक तू नापाक नज़रें रख न हिन्दोस्तान पर
वरना तू मिट जाएगा तू जो आ गये हम आन पर।
ढूंढता दर दर फिरेगा हस्तियां अपनी मिट्टी
शक करेगा तू हमेशा ख़ुद की ही पहचान पर।
पाल मत झूठे भरम कि काश्मीर होगा तेरा
काश्मीर सामान नहीं जो बिकती हो दुकान पर।
याद कर पैंसठ, इकहत्तर, कारगिल की हार को
शर्म हो बाकी अगर तो सोच इस अरमान पर।
तू हमारी सब्र का अब और न ले इम्तिहान
राख़ कर देंगे गिरे जो बिजली बन पाकिस्तान पर।
दफ़न कर देंगे ज़मीं में तेरे सब नामोनिशान
रोएगा तू सौ सौ आंसू वीरान गुलसितान पर।
नाच मत बन्दर की तरह शह पे दूजे देश के
रहनुमा भी साथ न देंगे बनी जो जान पर।
बाज आजा हरकतों से अपनी अब भी वक्त है
वरना फिर पछताएगा तू अपनी कारस्तान पर।
"पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
#स्वरचित
नमन: भावों के मोती मंच को समर्पित
दिनांक: 15/08/2019
द्वितीय स्वरचित रचना
विषय रक्षाबंधन
1-सयाली छंद : पाँच पंक्तियों की रचना जिसमें क्रमशः एक,दो,तीन, दो,एक शब्द आते है।
रक्षाबंधन
भाई बहन
रिश्तों का त्यौहार
रक्षा शपथ
जीवन्त ।
2-विधा : जापानी पद्धति की प्रचलित विधा:चोका
इसमें 5+7+5+7...7+7 शब्दों से बनाया जाता है ।
बहन भाई
आरती राखी टीका
रक्षा कवच
सन्तान हू अकेली
खुद की भाई
निभाया भाई फर्ज
पिता की पुत्री
बाधा रक्षा बंधन
दृण प्रतिज्ञा
खडी रही कर्मठ
अंतिम यात्रा तक।
#स्वरचित रचना
#नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
दिनांक: 15/08/2019
द्वितीय स्वरचित रचना
विषय रक्षाबंधन
1-सयाली छंद : पाँच पंक्तियों की रचना जिसमें क्रमशः एक,दो,तीन, दो,एक शब्द आते है।
रक्षाबंधन
भाई बहन
रिश्तों का त्यौहार
रक्षा शपथ
जीवन्त ।
2-विधा : जापानी पद्धति की प्रचलित विधा:चोका
इसमें 5+7+5+7...7+7 शब्दों से बनाया जाता है ।
बहन भाई
आरती राखी टीका
रक्षा कवच
सन्तान हू अकेली
खुद की भाई
निभाया भाई फर्ज
पिता की पुत्री
बाधा रक्षा बंधन
दृण प्रतिज्ञा
खडी रही कर्मठ
अंतिम यात्रा तक।
#स्वरचित रचना
#नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
तृतीय प्रस्तुति
घनाक्षरी वार्णिक छन्द
***
तू वीर है चट्टान है तू मेरा अभिमान है,
लिये रक्षा का भार तू ,देश का जवान है।
डरा न पायें आंधियां ,हँस के दी कुर्बानियां
बाधाओं में डिगे नहीं , तू देश की शान है ।
दिनकर का तेज ले,शत्रु पर वार करें ,
शौर्य की अद्भुत गाथा, से लिखे विधान है ।
माता की आँखों का तारा,तू बुढापे का सहारा
सिंदूर पत्नी माथे का ,राखी का सम्मान है ।
प्रेम समर्पण निष्ठा,की अद्भुत मिसाल है,
तू वीर है चट्टान तू , सपूत महान है ।
तन आजाद परिंदा,तुमसे ही ऊँचा झंडा
उन्नत मस्तक पर ,लिखे संविधान है ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
घनाक्षरी वार्णिक छन्द
***
तू वीर है चट्टान है तू मेरा अभिमान है,
लिये रक्षा का भार तू ,देश का जवान है।
डरा न पायें आंधियां ,हँस के दी कुर्बानियां
बाधाओं में डिगे नहीं , तू देश की शान है ।
दिनकर का तेज ले,शत्रु पर वार करें ,
शौर्य की अद्भुत गाथा, से लिखे विधान है ।
माता की आँखों का तारा,तू बुढापे का सहारा
सिंदूर पत्नी माथे का ,राखी का सम्मान है ।
प्रेम समर्पण निष्ठा,की अद्भुत मिसाल है,
तू वीर है चट्टान तू , सपूत महान है ।
तन आजाद परिंदा,तुमसे ही ऊँचा झंडा
उन्नत मस्तक पर ,लिखे संविधान है ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
मातृभूमि वन्दना
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
लोक पर उपकार में आतिथ्य और सत्कार में।
प्राणों को अर्पित किया ऋषियों ने भी बलिहार में।
शूर- वीरो की गाथाओं के भी जहाँ अम्बार है।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
गौतम और नानक है देते प्रेम का सन्देश है।
शश्य- श्यामल इस धरा का भक्ति भाव वेश है।
किंचित डिगे न मन कभी यही भान हर बार है।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
करूणा दया का भाव हो शान्त शीतल छांव हो।
धर्म, सेवा, कर्म, निष्ठा से सुशोभित हर गांव हो।
ऐसा ही पावन सदा पावनी गंगा मां का धार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
विपिन सोहल
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
लोक पर उपकार में आतिथ्य और सत्कार में।
प्राणों को अर्पित किया ऋषियों ने भी बलिहार में।
शूर- वीरो की गाथाओं के भी जहाँ अम्बार है।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
गौतम और नानक है देते प्रेम का सन्देश है।
शश्य- श्यामल इस धरा का भक्ति भाव वेश है।
किंचित डिगे न मन कभी यही भान हर बार है।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
करूणा दया का भाव हो शान्त शीतल छांव हो।
धर्म, सेवा, कर्म, निष्ठा से सुशोभित हर गांव हो।
ऐसा ही पावन सदा पावनी गंगा मां का धार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
जिस धरा पर जन्मे प्रभु राम कृष्ण अवतार हैं।
शत शत नमन हे पुण्य भूमि कोटिषः नमस्कार है।
विपिन सोहल
नमन भावों के मोती
दिनांक - 16/8/2019
विषय - स्वतंत्रता दिवस विशेष आयोजन
🇮🇳🇮🇳73 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी देशवासियों को बहुत बहुत बधाई🇮🇳🇮🇳
----भारत की आजादी----
15 अगस्त 1947 को
एक ऐतिहासिक घड़ी आई थी,
पराधीनता की तोड़ बेड़ियां
भारत ने आजादी पाई थी,
लाल किले की प्राचीर पर
जब तिरंगा फहराया था,
झूम उठा था हर भारतीय
सबका मन हर्षाया था,
आजादी पाने की खातिर
कितनों ने बलिदान दिया,
कितने फांसी झूल गए
कितनों ने सर्वस्व वार दिया,
भगत , सुखदेव , राजगुरु
देश की खातिर झूल गए थे,
मातृभूमि से बढ़कर कुछ नहीं था
घर बार सब भूल गए थे,
प्रताप , शिवाजी जैसे वीरों ने
कर दी न्योछावर अपनी जान,
सुभाष , शेखर , उद्यम सिंह ने
कर दिया सारा जीवन कुर्बान,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो
झांसी वाली रानी थी,
मेरा भारत आजाद भारत हो
सबकी यही कहानी थी,
तिरंगे की छत्रछाया में
गीत सभी ने स्वाधीनता का गाया,
कराने भारत को आजाद
मौत को भी गले लगाया,
थे वो बड़े मतवाले
जो करा गए भारत को आजाद,
आजादी के इस सूरज को कभीं न डूबने देगें आज के बाद,
माँ भारती की रक्षा खातिर
कर गए जो जीवन कुर्बान,
उन वीर शहीदों को शत-शत नमन
जो कर गए न्यौछावर अपनी जान,
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
दिनांक - 16/8/2019
विषय - स्वतंत्रता दिवस विशेष आयोजन
🇮🇳🇮🇳73 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी देशवासियों को बहुत बहुत बधाई🇮🇳🇮🇳
----भारत की आजादी----
15 अगस्त 1947 को
एक ऐतिहासिक घड़ी आई थी,
पराधीनता की तोड़ बेड़ियां
भारत ने आजादी पाई थी,
लाल किले की प्राचीर पर
जब तिरंगा फहराया था,
झूम उठा था हर भारतीय
सबका मन हर्षाया था,
आजादी पाने की खातिर
कितनों ने बलिदान दिया,
कितने फांसी झूल गए
कितनों ने सर्वस्व वार दिया,
भगत , सुखदेव , राजगुरु
देश की खातिर झूल गए थे,
मातृभूमि से बढ़कर कुछ नहीं था
घर बार सब भूल गए थे,
प्रताप , शिवाजी जैसे वीरों ने
कर दी न्योछावर अपनी जान,
सुभाष , शेखर , उद्यम सिंह ने
कर दिया सारा जीवन कुर्बान,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो
झांसी वाली रानी थी,
मेरा भारत आजाद भारत हो
सबकी यही कहानी थी,
तिरंगे की छत्रछाया में
गीत सभी ने स्वाधीनता का गाया,
कराने भारत को आजाद
मौत को भी गले लगाया,
थे वो बड़े मतवाले
जो करा गए भारत को आजाद,
आजादी के इस सूरज को कभीं न डूबने देगें आज के बाद,
माँ भारती की रक्षा खातिर
कर गए जो जीवन कुर्बान,
उन वीर शहीदों को शत-शत नमन
जो कर गए न्यौछावर अपनी जान,
स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
सुप्रभात
नमन भावों के मोती
शीर्षक-- 🌻रक्षाबंधन🌻
तृतीय प्रस्तुति
हर बंधन है खास यहाँ
हर बंधन का गुणगान है ।।
संस्कृति और सभ्यता में
भारत की ऊँची शान है ।।
भाई बहन का स्नेह बंधन
जिसका अपना इक स्थान है ।।
राखी का यह पावन पर्व
हमको इस पर गुमान है ।।
सदा रही और सदा रहेगी
ये भारत की जो पहचान है ।।
चलो मनायें राखी त्योहार
यह भावनाओं का सम्मान है ।।
बचपन की वो मधुरिम यादें
जिनमें छुपी यह मुस्कान है ।।
उनको सदा सहेज रखना
ये सूत्र स्नेह अरमान है ।।
ये सूत्र दुआ सलामत के
इनमें 'शिवम' हर निदान है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/08/2019
नमन भावों के मोती
शीर्षक-- 🌻रक्षाबंधन🌻
तृतीय प्रस्तुति
हर बंधन है खास यहाँ
हर बंधन का गुणगान है ।।
संस्कृति और सभ्यता में
भारत की ऊँची शान है ।।
भाई बहन का स्नेह बंधन
जिसका अपना इक स्थान है ।।
राखी का यह पावन पर्व
हमको इस पर गुमान है ।।
सदा रही और सदा रहेगी
ये भारत की जो पहचान है ।।
चलो मनायें राखी त्योहार
यह भावनाओं का सम्मान है ।।
बचपन की वो मधुरिम यादें
जिनमें छुपी यह मुस्कान है ।।
उनको सदा सहेज रखना
ये सूत्र स्नेह अरमान है ।।
ये सूत्र दुआ सलामत के
इनमें 'शिवम' हर निदान है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/08/2019
मन भावों के मोती🙏
स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏
मेरी एक छोटी सी रचना "भावों के मोती को समर्पित"
दिनांक- 16-08-2019
हम भारत के वासी हैं,
आजादी की कीमत जानते है।
मिलजुल कर रहते हमसब,
हर मजहब को मानते हैं।
ये मुल्क नही सिर्फ,
एक घर जैसा रिश्ता है।
हम इस बगिया के हर,
फूल को पहचानते हैं।
भांति-भांति की भाषा,
भांति-भांति के रंग बसते हैं।
हम हर रंग के अपने,
महत्व को मानते हैं।
कर्म और धर्म दोनों ही इस,
मिट्टी से कुछ इस तरह जुड़ते हैं।
इस मिट्टी से ही अब,
दुनिया वाले हमे पहचानते हैं।
ना झुकने देंगे इसकी आन,
चलो आज हमसब ये कसम खाते है।
शहीदों का व्यर्थ ना हो बलिदान,
अपने कर्म को ईमानदारी से निभाते हैं।
युगों तक आबाद रहे ये चमन,
माँ भारती को पुकार लगाते है।
स्वरचित व मौलिक
मोनिका गुप्ता
स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏
मेरी एक छोटी सी रचना "भावों के मोती को समर्पित"
दिनांक- 16-08-2019
हम भारत के वासी हैं,
आजादी की कीमत जानते है।
मिलजुल कर रहते हमसब,
हर मजहब को मानते हैं।
ये मुल्क नही सिर्फ,
एक घर जैसा रिश्ता है।
हम इस बगिया के हर,
फूल को पहचानते हैं।
भांति-भांति की भाषा,
भांति-भांति के रंग बसते हैं।
हम हर रंग के अपने,
महत्व को मानते हैं।
कर्म और धर्म दोनों ही इस,
मिट्टी से कुछ इस तरह जुड़ते हैं।
इस मिट्टी से ही अब,
दुनिया वाले हमे पहचानते हैं।
ना झुकने देंगे इसकी आन,
चलो आज हमसब ये कसम खाते है।
शहीदों का व्यर्थ ना हो बलिदान,
अपने कर्म को ईमानदारी से निभाते हैं।
युगों तक आबाद रहे ये चमन,
माँ भारती को पुकार लगाते है।
स्वरचित व मौलिक
मोनिका गुप्ता
नमन भावों के मोती
दिनांक १६/८/२०१९
स्वतंत्रता दिवस
वर्ल्ड कप न मिलने का समाप्त हुआ मलाल
काश्मीर में ३७०हटा, हुआ देश खुशहाल
सही मायने में स्वतंत्र हुआ है काश्मीर आज
पूरी स्वतंत्रता मिली हमें,गर्व से ऊँचा हुआ भाल।
देश स्वतंत्रता का मान रखना,है हमारा काम
सभी देशों से ऊपर है अपना भारत का नाम
नमन करें हर भारतीय,तुम हम सब का अभिमान
तन,मन धन समर्पित तुम्हें,करो स्वीकार प्रणाम।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
दिनांक १६/८/२०१९
स्वतंत्रता दिवस
वर्ल्ड कप न मिलने का समाप्त हुआ मलाल
काश्मीर में ३७०हटा, हुआ देश खुशहाल
सही मायने में स्वतंत्र हुआ है काश्मीर आज
पूरी स्वतंत्रता मिली हमें,गर्व से ऊँचा हुआ भाल।
देश स्वतंत्रता का मान रखना,है हमारा काम
सभी देशों से ऊपर है अपना भारत का नाम
नमन करें हर भारतीय,तुम हम सब का अभिमान
तन,मन धन समर्पित तुम्हें,करो स्वीकार प्रणाम।
स्वरचित आरती श्रीवास्तव।
नमन "भावो के मोती"
"स्वतंत्रता दिवस"
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
हमारा देश है हिंदुस्तान,
आओ मिलके करें जयगान।
तिरंगा है हमारी शान
करें जन-गण-मन गान
है। अनेकता में एकता..
भारत की अपनी पहचान
हमारा देश है हिन्दुस्तान.
आओ मिलके करें जयगान।
भिन्न -भिन्न धर्मों का मेल
भाषाओं के हैं रुप अनेक
सर्वधर्म है एक समान
हिंद हमारा है महान
हमारा देश है हिंदुस्तान
आओ मिलके करें जयगान
हमारी सेना हैं वीर जवान
माँ भारती पर जाँ कुर्बान
मिट्टी की खातिर देते प्राण
हैं दुश्मन के आगे सीना तान
हमारा देश है हिंदुस्तान
आओ मिलके करें जयगान।
स्वतंत्रता दिवस की देकर बधाई
सब तिरंगे की ले लें बलाई
कभी कम न होगी इसकी शान
हम सबका है ये अभिमान।।
हमारा देश है हिन्दुस्तान
आओ मिलकर करें जयगान।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल ।।
"स्वतंत्रता दिवस"
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
हमारा देश है हिंदुस्तान,
आओ मिलके करें जयगान।
तिरंगा है हमारी शान
करें जन-गण-मन गान
है। अनेकता में एकता..
भारत की अपनी पहचान
हमारा देश है हिन्दुस्तान.
आओ मिलके करें जयगान।
भिन्न -भिन्न धर्मों का मेल
भाषाओं के हैं रुप अनेक
सर्वधर्म है एक समान
हिंद हमारा है महान
हमारा देश है हिंदुस्तान
आओ मिलके करें जयगान
हमारी सेना हैं वीर जवान
माँ भारती पर जाँ कुर्बान
मिट्टी की खातिर देते प्राण
हैं दुश्मन के आगे सीना तान
हमारा देश है हिंदुस्तान
आओ मिलके करें जयगान।
स्वतंत्रता दिवस की देकर बधाई
सब तिरंगे की ले लें बलाई
कभी कम न होगी इसकी शान
हम सबका है ये अभिमान।।
हमारा देश है हिन्दुस्तान
आओ मिलकर करें जयगान।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल ।।
नमन मंच
16.8.2019
शुक्रवार
मेरा भारत वतन मेरा
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
दो मुक्तक
🌹🌹
(1)
है वतन भारत हमारा ,हम वतन की शान हैं
मातृभूमि पर हमारी, जान भी क़ुर्बान है,
विविध रंगों से बना है,विविधता में एक है
हिन्दू-मुस्लिम,सिख-ईसाई,
देश की हम जान हैं ।।
(2)
मेरा भारत,वतन मेरा,मेरी साँसों में बसता है
यहाँ की धूल-मिट्टी,फूल-कलियों में सरसता है,
कोई भी देश,मेरे देश से बढ़ कर
नहीं लगता
मेरा दिल देश की ख़ातिर ही
बस अब तो धड़कता है ।।
स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
16.8.2019
शुक्रवार
मेरा भारत वतन मेरा
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
दो मुक्तक
🌹🌹
(1)
है वतन भारत हमारा ,हम वतन की शान हैं
मातृभूमि पर हमारी, जान भी क़ुर्बान है,
विविध रंगों से बना है,विविधता में एक है
हिन्दू-मुस्लिम,सिख-ईसाई,
देश की हम जान हैं ।।
(2)
मेरा भारत,वतन मेरा,मेरी साँसों में बसता है
यहाँ की धूल-मिट्टी,फूल-कलियों में सरसता है,
कोई भी देश,मेरे देश से बढ़ कर
नहीं लगता
मेरा दिल देश की ख़ातिर ही
बस अब तो धड़कता है ।।
स्वरचित
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
नमन "भावो के मोती"
16/08/2019
"राखी/रक्षा बंधन"
1
ये
राखी
सुहाई
बंध गई
प्रेम दर्शाती
भाई की कलाई
बहना भी मुस्काई।
2
है
पर्व़
संस्कार
हर्ष द्वार
राखी त्योहार
बंधा जो संसार
भाई-बहन प्यार।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल।।
16/08/2019
"राखी/रक्षा बंधन"
1
ये
राखी
सुहाई
बंध गई
प्रेम दर्शाती
भाई की कलाई
बहना भी मुस्काई।
2
है
पर्व़
संस्कार
हर्ष द्वार
राखी त्योहार
बंधा जो संसार
भाई-बहन प्यार।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल।।
नमन मंच भावों के मोती🙏🏻
दिनांक 16 अगस्त 2019
दिन शुक्रवार
स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
💐💐💐
🙏🙏🙏
आज कुछ दोहे
आए हैं संयोग से, प्यारे दो त्यौहार ।
तीन रंग की राखियां, भाती अबकी बार ॥1॥
रक्षाबँधन आजादी, दो खुशियां हैं साथ ।
तीन रंग के सूत की, राखी बांधू हाथ ॥2॥
बहन भाइ के मन बसा, बचपन वाला प्यार ।
दोनों मिल खुश हो रहे, मिला मिलन उपहार ॥3॥
देश सुरक्षा कर रहे, ये भारत के वीर ।
हम सब बहनों के लिए है ये सच्चे वीर ॥4॥
वीर =जवान
वीर =भाई
लिए तिरंगा हाथ में, भारत की जय बोल ।
सभी रंग फीके यहां, तीन रंग अनमोल ॥5॥
आजादी संघर्ष से, हमने पाई मीत ।
भूलो मत बलिदान को, गाओ खुशी के गीत ॥6॥
शीश मुकुट कश्मीर का, विंध्याचल का हार ।
देश हमारा झूमता, पाकर यह उपहार ॥7॥
खुशहाली कश्मीर में, छाई है चहुँ ओर ।कोयल जश्न मना रहा, मेंढक करते शोर ॥8॥
खुद पर गर विश्वास हो, छू लेंगे आकाश ।
परचम लहराए कभी, पी ओ के में काश॥9॥
-अंजुमन आरज़ू ©✍
15/08/2019
दिनांक 16 अगस्त 2019
दिन शुक्रवार
स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
💐💐💐
🙏🙏🙏
आज कुछ दोहे
आए हैं संयोग से, प्यारे दो त्यौहार ।
तीन रंग की राखियां, भाती अबकी बार ॥1॥
रक्षाबँधन आजादी, दो खुशियां हैं साथ ।
तीन रंग के सूत की, राखी बांधू हाथ ॥2॥
बहन भाइ के मन बसा, बचपन वाला प्यार ।
दोनों मिल खुश हो रहे, मिला मिलन उपहार ॥3॥
देश सुरक्षा कर रहे, ये भारत के वीर ।
हम सब बहनों के लिए है ये सच्चे वीर ॥4॥
वीर =जवान
वीर =भाई
लिए तिरंगा हाथ में, भारत की जय बोल ।
सभी रंग फीके यहां, तीन रंग अनमोल ॥5॥
आजादी संघर्ष से, हमने पाई मीत ।
भूलो मत बलिदान को, गाओ खुशी के गीत ॥6॥
शीश मुकुट कश्मीर का, विंध्याचल का हार ।
देश हमारा झूमता, पाकर यह उपहार ॥7॥
खुशहाली कश्मीर में, छाई है चहुँ ओर ।कोयल जश्न मना रहा, मेंढक करते शोर ॥8॥
खुद पर गर विश्वास हो, छू लेंगे आकाश ।
परचम लहराए कभी, पी ओ के में काश॥9॥
-अंजुमन आरज़ू ©✍
15/08/2019
नमन मंच
आयोजन-स्वतंत्रता -दिवस विशेष
16/08/19
शुक्रवार
मुक्तक
मानव-मन में राष्ट्र-भक्ति की लौ जिस दिन जल जाती है ,
उसकी दुनिया स्वार्थ त्याग कर परहित में लग जाती है।
वह आजीवन मातृभूमि की रक्षा का व्रत ले लेता -
देश - धर्म हित प्राणों की आहुति उसको भाती है।
आन -बान और शान देश की कभी नहीं मिटने देंगे |
भारत माँ का तोहफा हम सब व्यर्थ नहीं जाने देंगे ।
विषम परिस्थितियों की बाधा हमको रोक नहीं सकती-
अपना तन -मन- धन माँ के चरणों में अर्पित कर देंगे ।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
आयोजन-स्वतंत्रता -दिवस विशेष
16/08/19
शुक्रवार
मुक्तक
मानव-मन में राष्ट्र-भक्ति की लौ जिस दिन जल जाती है ,
उसकी दुनिया स्वार्थ त्याग कर परहित में लग जाती है।
वह आजीवन मातृभूमि की रक्षा का व्रत ले लेता -
देश - धर्म हित प्राणों की आहुति उसको भाती है।
आन -बान और शान देश की कभी नहीं मिटने देंगे |
भारत माँ का तोहफा हम सब व्यर्थ नहीं जाने देंगे ।
विषम परिस्थितियों की बाधा हमको रोक नहीं सकती-
अपना तन -मन- धन माँ के चरणों में अर्पित कर देंगे ।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
नमन "भावो के मोती"
16/08/2019
"स्वतंत्रता दिवस/राखी/रक्षा बंधन"
1
रक्षा बंधन
प्रेम भाई-बहन
हर्ष अनंत
2
रेशमी डोरी
प्रेम से बंध गई
कलाई भाई
3
राखी त्योहार
हमारा है संस्कार
खुशी के द्वार
4
प्रेम की डोरी
भाई की कलाई पे
बहना बाँधी
5
ऐतिहासिक
"स्वतंत्रता दिवस"
"काश्मीर "अंग
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल।।
16/08/2019
"स्वतंत्रता दिवस/राखी/रक्षा बंधन"
1
रक्षा बंधन
प्रेम भाई-बहन
हर्ष अनंत
2
रेशमी डोरी
प्रेम से बंध गई
कलाई भाई
3
राखी त्योहार
हमारा है संस्कार
खुशी के द्वार
4
प्रेम की डोरी
भाई की कलाई पे
बहना बाँधी
5
ऐतिहासिक
"स्वतंत्रता दिवस"
"काश्मीर "अंग
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल।।
नमन
"भावों के मोती"
विषय-स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन
विधा-दोहे
1.
अगस्त पंद्रह की घड़ी , जनता है आबाद।
मुकुट सजा है मात का ,देश हुआ आजाद।
2.
दिल सबका खुश हो गया,देश कर रहा नाज
भारत माता सज गई , ओढा सर पर ताज।
3.
आया उत्सव नेह का ,धागा प्रेम प्रतीक।
रक्षा करता तात की ,व्याख्या करे सटीक।
राकेशकुमार जैनबन्धु
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा
"भावों के मोती"
विषय-स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन
विधा-दोहे
1.
अगस्त पंद्रह की घड़ी , जनता है आबाद।
मुकुट सजा है मात का ,देश हुआ आजाद।
2.
दिल सबका खुश हो गया,देश कर रहा नाज
भारत माता सज गई , ओढा सर पर ताज।
3.
आया उत्सव नेह का ,धागा प्रेम प्रतीक।
रक्षा करता तात की ,व्याख्या करे सटीक।
राकेशकुमार जैनबन्धु
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा
शुभ साँझ
नमन भावों के मोती
द्वितीय प्रस्तुति
🌹।। अनूठे बंधन ।।🌹
कुछ बंधन ऐसे भी बँध जाते
जिन्हे हम नाम नही दे पाते ।।
वह बंधन भी ऐसे होते हैं
ताज़ीस्त उपस्तिथि बतलाते ।।
आफ़ताब आते चले जाते
कुछ तो है जो वो खिंचे आते ।।
बारिश आए धरा मुस्काय
कितने श्रंगार उसको भाते ।।
क्या हमने कभी सोचा ये
आखिर कौन से हैं वो नाते ।।
नाम देना मुश्किल है इनको
यह एक अनूठी प्रीत दर्शाते ।।
यह परस्पर प्रीत की डोर है
क्यों न ये डोर हम सरसाते ।।
दिल में प्रीत बनाय रखो 'शिवम'
नाम से कुछ रूठ भी जाते ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/08/2019
नमन भावों के मोती
द्वितीय प्रस्तुति
🌹।। अनूठे बंधन ।।🌹
कुछ बंधन ऐसे भी बँध जाते
जिन्हे हम नाम नही दे पाते ।।
वह बंधन भी ऐसे होते हैं
ताज़ीस्त उपस्तिथि बतलाते ।।
आफ़ताब आते चले जाते
कुछ तो है जो वो खिंचे आते ।।
बारिश आए धरा मुस्काय
कितने श्रंगार उसको भाते ।।
क्या हमने कभी सोचा ये
आखिर कौन से हैं वो नाते ।।
नाम देना मुश्किल है इनको
यह एक अनूठी प्रीत दर्शाते ।।
यह परस्पर प्रीत की डोर है
क्यों न ये डोर हम सरसाते ।।
दिल में प्रीत बनाय रखो 'शिवम'
नाम से कुछ रूठ भी जाते ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/08/2019
नमन -मंच-भावो के मोती को समर्पित
दिनांक - 16- 08 -19
विधा-गजल
==================================
उठाता है नज़र कोई
नज़र उठने नहीं देगें
वतन की आबरू पर हाथ
हम रखने नहीं देगें
निभाए हैं बहुत रिश्ते
निभायेगें हमेशा पर
किसी को भी बुरी नीयत
कभी करने नहीं देगें
अमन ही चाहते हैं हम
अमन की बात भी करते
कभी माहौल दहशत का
यहाँ चलने नहीं देगें
करूँ वादा वतन से मैं
भले ही जान ये जाए
तिरंगा हम वतन का अब
कभी झुकने नहीं देगें
खुशी के गुल बिछाऊँगा
रहेगी सांस ये जब तक
कभी बारूद नफरत की
यहाँ बिछने नहीं देगें
रानी कोष्टी
गुना म प्र
स्वरचित एवं मौलिक
दिनांक - 16- 08 -19
विधा-गजल
==================================
उठाता है नज़र कोई
नज़र उठने नहीं देगें
वतन की आबरू पर हाथ
हम रखने नहीं देगें
निभाए हैं बहुत रिश्ते
निभायेगें हमेशा पर
किसी को भी बुरी नीयत
कभी करने नहीं देगें
अमन ही चाहते हैं हम
अमन की बात भी करते
कभी माहौल दहशत का
यहाँ चलने नहीं देगें
करूँ वादा वतन से मैं
भले ही जान ये जाए
तिरंगा हम वतन का अब
कभी झुकने नहीं देगें
खुशी के गुल बिछाऊँगा
रहेगी सांस ये जब तक
कभी बारूद नफरत की
यहाँ बिछने नहीं देगें
रानी कोष्टी
गुना म प्र
स्वरचित एवं मौलिक
नमन: भावों के मोती मंच को समर्पित
स्वरचित तीसरी रचना
विषय: स्वतंत्रा दिवस
बिधा: काव्य
कण-कण में गूँज रहे, देश भक्ति के गीत
स्कूलों में, संस्थानों में, चौराहों व कार्यालयों में
मन रहा स्वतंत्रता दिवस धूम धाम से
बच्चों कहते जयहिन्द ,जयभारत,
भारतमाता के नारे लगाते तिरंगा लेकर ।
पर मन मे विचार झकझोर रहे
क्या पूरी तरह स्वतंत्र हैं हम ?
आज के भारत की समस्याएं नई ।
जूझना है रोज़ बढते दूषित पर्यावरण से
करना है प्रतिदिन नये जतन जल संरक्षण के ।।
ताकि बचा पाये अपने प्राकृतिक संसाधनों को
गोबर गैस वैै सौर-ऊर्जा के विकल्प बढाने है।
ढूँढना व विकसित करना है, रोजगार के अवसर नये
बनाना है स्वावलंब युवा को, ताकि हर घर भोजन हो।।
देश को बचाना है ,आन्तरिक शत्रुओं से
बेटियाँ पढ लिख ,जिये अपने सपने ।
हम तभी निश्चिंत होगे ,स्वतंत्र भारत मे
मना सकेंगे सुख चैन से ,यह दिवस हर वर्ष ।।
# नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
स्वरचित तीसरी रचना
विषय: स्वतंत्रा दिवस
बिधा: काव्य
कण-कण में गूँज रहे, देश भक्ति के गीत
स्कूलों में, संस्थानों में, चौराहों व कार्यालयों में
मन रहा स्वतंत्रता दिवस धूम धाम से
बच्चों कहते जयहिन्द ,जयभारत,
भारतमाता के नारे लगाते तिरंगा लेकर ।
पर मन मे विचार झकझोर रहे
क्या पूरी तरह स्वतंत्र हैं हम ?
आज के भारत की समस्याएं नई ।
जूझना है रोज़ बढते दूषित पर्यावरण से
करना है प्रतिदिन नये जतन जल संरक्षण के ।।
ताकि बचा पाये अपने प्राकृतिक संसाधनों को
गोबर गैस वैै सौर-ऊर्जा के विकल्प बढाने है।
ढूँढना व विकसित करना है, रोजगार के अवसर नये
बनाना है स्वावलंब युवा को, ताकि हर घर भोजन हो।।
देश को बचाना है ,आन्तरिक शत्रुओं से
बेटियाँ पढ लिख ,जिये अपने सपने ।
हम तभी निश्चिंत होगे ,स्वतंत्र भारत मे
मना सकेंगे सुख चैन से ,यह दिवस हर वर्ष ।।
# नीलम श्रीवास्तव लखनऊ उत्तर प्रदेश
भावों के मोती मंच को समर्पित
एक स्वरचित रचना..
आजादी नहीं मिली है,
चरखे से बुने धागों से।
आजादी तो मिली है,
जवानों के बिलिदानों से।
सिसकती रही अहिंसा,
तानाशाही के कोनों में।
आजादी का परचम तो,
बुलंद हुआ अंग्रेजी कोड़ों से।
कुछ तो मशरूफ रहे,
अपने सियासती खेलों में।
आजादी तो बंद पड़ी थी,
क्रूर अंग्रेजों की जेलों में।
लड़ रहा थी हर वीर जवान,
अपनी अंतिम सांस तक।
आने नहीं दी कभी उन्होंने,
मातृभूमि के दामन में आँच तक।
वीर माँओं के सूतों ने,
खेल ऐसा रच डाला।
अंग्रेजी हुकूमत को,
तहस नहस कर डाला।
वंदे मातरम का उद्घोष,
रक्त की हर बूंद करती थी।
लहू बनकर आजादी,
नस नस में जिनके बहती थी।
हो गए वो बलिदान,
मातृभूमि की आन पर।
आँच न आने दी कभी,
उन्होंने तिरंगे की शान पर।
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
एक स्वरचित रचना..
आजादी नहीं मिली है,
चरखे से बुने धागों से।
आजादी तो मिली है,
जवानों के बिलिदानों से।
सिसकती रही अहिंसा,
तानाशाही के कोनों में।
आजादी का परचम तो,
बुलंद हुआ अंग्रेजी कोड़ों से।
कुछ तो मशरूफ रहे,
अपने सियासती खेलों में।
आजादी तो बंद पड़ी थी,
क्रूर अंग्रेजों की जेलों में।
लड़ रहा थी हर वीर जवान,
अपनी अंतिम सांस तक।
आने नहीं दी कभी उन्होंने,
मातृभूमि के दामन में आँच तक।
वीर माँओं के सूतों ने,
खेल ऐसा रच डाला।
अंग्रेजी हुकूमत को,
तहस नहस कर डाला।
वंदे मातरम का उद्घोष,
रक्त की हर बूंद करती थी।
लहू बनकर आजादी,
नस नस में जिनके बहती थी।
हो गए वो बलिदान,
मातृभूमि की आन पर।
आँच न आने दी कभी,
उन्होंने तिरंगे की शान पर।
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
स्वरचित गीत..
शीर्षक- "राखी का त्योहार"
(ऑडियो सहित)
रिमझिम सावन की बहार है-
राखी का पावन त्योहार है,
कानों में कह जाता मेरे-
भाई-बहन का विरल प्यार है.
रिमझिम सावन की बहार है....
बरस बाद द्वार पर आता-
ढेरों खुशियां भी संग लाता,
रंग बिरंगे शैशव की भी-
यादें सब ताजा कर जाता.
इस दिन का मेरी नजरों को
रहता सदा इंतजार है..
रिमझिम सावन की बहार है....
रेशम की राखी इतराई
बंधी कलाई पर मुस्काई
बहना को उपहार भेंट कर-
अनुपम सुख पाता है भाई
"भावों के मोती"झरते हैं-
पलकों पर पलता दुलार है
रिमझिम सावन की बहार है
शीर्षक- "राखी का त्योहार"
(ऑडियो सहित)
रिमझिम सावन की बहार है-
राखी का पावन त्योहार है,
कानों में कह जाता मेरे-
भाई-बहन का विरल प्यार है.
रिमझिम सावन की बहार है....
बरस बाद द्वार पर आता-
ढेरों खुशियां भी संग लाता,
रंग बिरंगे शैशव की भी-
यादें सब ताजा कर जाता.
इस दिन का मेरी नजरों को
रहता सदा इंतजार है..
रिमझिम सावन की बहार है....
रेशम की राखी इतराई
बंधी कलाई पर मुस्काई
बहना को उपहार भेंट कर-
अनुपम सुख पाता है भाई
"भावों के मोती"झरते हैं-
पलकों पर पलता दुलार है
रिमझिम सावन की बहार है
नमन मंच
भावों के मोती को समर्पित
रक्षाबंधन
भाई बहन का पावन बंधन
कहते हैं इसे रक्षाबंधन
बहना थी घर पर आई
भाई ने आगे की कलाई
बहन ने रक्षा सूत्र जड़ा
भाई का प्यार उमड़ पड़ा
बहना ने माथे पर टीका लगाया
मिठाई से मुँह मीठा कराया
भाई ने भी वादा किया
बहन की रक्षा का वचन दिया
राखी का त्योहार जब आता है
नई खुशियां,नई उमंगें लाता है
रानी कर्मवती ने भेजा धागा
इतिहास यही बताता है
हुमायूँ ने भी रखी थी लाज धागे की
अपना वचन निभाया था
बहन की रक्षा करके
सबको दिखलाया था
ऐसे हमारे पर्व हैं
सुंदर हैं संस्कार
सार्थक संदेश दे जाते हैं
भारत के त्योहार
---हरीश सेठी 'झिलमिल'
स्वरचित
भावों के मोती को समर्पित
रक्षाबंधन
भाई बहन का पावन बंधन
कहते हैं इसे रक्षाबंधन
बहना थी घर पर आई
भाई ने आगे की कलाई
बहन ने रक्षा सूत्र जड़ा
भाई का प्यार उमड़ पड़ा
बहना ने माथे पर टीका लगाया
मिठाई से मुँह मीठा कराया
भाई ने भी वादा किया
बहन की रक्षा का वचन दिया
राखी का त्योहार जब आता है
नई खुशियां,नई उमंगें लाता है
रानी कर्मवती ने भेजा धागा
इतिहास यही बताता है
हुमायूँ ने भी रखी थी लाज धागे की
अपना वचन निभाया था
बहन की रक्षा करके
सबको दिखलाया था
ऐसे हमारे पर्व हैं
सुंदर हैं संस्कार
सार्थक संदेश दे जाते हैं
भारत के त्योहार
---हरीश सेठी 'झिलमिल'
स्वरचित
नमन 'भावों के मोती' मंच
रक्षा-बन्धन भाई-बहन के प्यार का पर्व है और हर वो नारी जो किसी की बहन होती है भाई का घर छोड़ कर एक नए घर जाती है और नए रिश्ते को अपनाती है...वह हकदार होती है कि उसे भी वहाँ पूर्ण सम्मान और अपनापन मिले ...
भाई से निवेदन करती हुई एक बहन के रूप में अपने भावों को अपनी तीसरी प्रस्तुति के रूप में प्रस्तुत करती हूँ...
सुनो भैया मेरे !
बहुत अजीब होता है...
लड़कियों का मायके से
ससुराल चले जाना ......
अपने हाथों में
धान दूब, हल्दी वाले ....
सपनो की पोटली पकड़े
नैहर की ड्योढ़ी लाँघ जाना .....
पाँच बार अँजुरी में भरकर धान ...
लो भइया ! भर दिया तुम्हारा खलिहान
अजनबियों से बनाने चली हूँ पहचान
आसान नहीं है खुद को पराया कर जाना ...
ठीक ऐसे हीँ चलकर आएगी एक दिन ...
किसी बाबुल के बगीचे की फूल
महसूस करना .....
तुम्हारे घर आँगन का
खुशबू से महमहाना ...
जब आएगी भाभी बाबुल से लेकर विदाई
तुम समझना मत उसको पराई
मेरे वीर आज तुम यह वचन दुहराना ...
तुम मत करना यह भूल....
स्त्री को न समझना पाँव की धूल
बहुत बुरा होता है.....
बाबुल के आँगन की पाजेब का
बेड़ियों में बदला जाना.....
स्वरचित 'पथिक रचना'
रक्षा-बन्धन भाई-बहन के प्यार का पर्व है और हर वो नारी जो किसी की बहन होती है भाई का घर छोड़ कर एक नए घर जाती है और नए रिश्ते को अपनाती है...वह हकदार होती है कि उसे भी वहाँ पूर्ण सम्मान और अपनापन मिले ...
भाई से निवेदन करती हुई एक बहन के रूप में अपने भावों को अपनी तीसरी प्रस्तुति के रूप में प्रस्तुत करती हूँ...
सुनो भैया मेरे !
बहुत अजीब होता है...
लड़कियों का मायके से
ससुराल चले जाना ......
अपने हाथों में
धान दूब, हल्दी वाले ....
सपनो की पोटली पकड़े
नैहर की ड्योढ़ी लाँघ जाना .....
पाँच बार अँजुरी में भरकर धान ...
लो भइया ! भर दिया तुम्हारा खलिहान
अजनबियों से बनाने चली हूँ पहचान
आसान नहीं है खुद को पराया कर जाना ...
ठीक ऐसे हीँ चलकर आएगी एक दिन ...
किसी बाबुल के बगीचे की फूल
महसूस करना .....
तुम्हारे घर आँगन का
खुशबू से महमहाना ...
जब आएगी भाभी बाबुल से लेकर विदाई
तुम समझना मत उसको पराई
मेरे वीर आज तुम यह वचन दुहराना ...
तुम मत करना यह भूल....
स्त्री को न समझना पाँव की धूल
बहुत बुरा होता है.....
बाबुल के आँगन की पाजेब का
बेड़ियों में बदला जाना.....
स्वरचित 'पथिक रचना'
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