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ब्लॉग संख्या :-470
💐💐💐💐💐💐💐
नमन भावों के मोती।
नमन गुरुजनों, मित्रों।
उदित हुए भास्कर,
छंट गया अंधियारा।
दूर क्षितिज में,
लालिमा निकल आया।
जग गये पशु पक्षी,
जग गये लोग।
हो गई सुबह,
काम पे चले लोग।
नई उर्जा,नई स्फूर्ति,
फैल गई कण,कण में।
चिड़ियों का शोर गुंजा,
मस्ती छाई बच्चों में।
💐💐💐💐💐💐💐
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
नमन भावों के मोती।
नमन गुरुजनों, मित्रों।
उदित हुए भास्कर,
छंट गया अंधियारा।
दूर क्षितिज में,
लालिमा निकल आया।
जग गये पशु पक्षी,
जग गये लोग।
हो गई सुबह,
काम पे चले लोग।
नई उर्जा,नई स्फूर्ति,
फैल गई कण,कण में।
चिड़ियों का शोर गुंजा,
मस्ती छाई बच्चों में।
💐💐💐💐💐💐💐
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
स्वरचित
भानु/रवि/आफताब
प्रथम प्रस्तुति
🌷🌻🌷🌻🌷🌻
बुलन्द रहा है कभी मेरी
भी किस्मत का आफ़ताब ।।
लग गयी नजर दुनिया की
हम देखते रह गये ख्वाब ।।
किस्मत चमकी थी था मेरी
जानिब फिजाओं का बहाव ।।
अचानक रूख यह बदला
किस्मत का हो गया दुराव ।।
देखा न तब से वो सूरज
वो सुवह और वो शबाब ।।
काश कोई दे उन्हे पैगाम
या यह खूबसूरत गुलाब ।।
समझेंगे वह दिल की बात
जानेंगे अन्दाज लाजबाव ।।
कहूँ कभी सूरज कभी चाँद
सब उसीका 'शिवम'प्रभाव ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 07/08/2019
प्रथम प्रस्तुति
🌷🌻🌷🌻🌷🌻
बुलन्द रहा है कभी मेरी
भी किस्मत का आफ़ताब ।।
लग गयी नजर दुनिया की
हम देखते रह गये ख्वाब ।।
किस्मत चमकी थी था मेरी
जानिब फिजाओं का बहाव ।।
अचानक रूख यह बदला
किस्मत का हो गया दुराव ।।
देखा न तब से वो सूरज
वो सुवह और वो शबाब ।।
काश कोई दे उन्हे पैगाम
या यह खूबसूरत गुलाब ।।
समझेंगे वह दिल की बात
जानेंगे अन्दाज लाजबाव ।।
कहूँ कभी सूरज कभी चाँद
सब उसीका 'शिवम'प्रभाव ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 07/08/2019
नमन मंच,भांवो के मोती
विषय भानू ,भास्कर,अंशुमाली
विधा काव्य
07 अगस्त 2019,बुधवार
पूर्वांचल से उदित भास्कर
तम हरण करता प्रतिदिन।
गगन मध्य नवचित्र बनाता
विपदा पीड़ा हरता हर दिन।
उदित हुआ नव भानु संसद
धारा तीन सौ सत्तर हटा दी।
जग जन्नत प्रिय कश्मीर में
प्रगति हेतु मशाल जला दी।
भानु तो जग का जीवन है
यह जीवन का है आधारा।
षड ऋतुओ का संगम यह
जल थल नभ जीव सहारा।
श्रेष्ठ नायक भानु सम होता
दुःख दर्दो को सदा मिटाता।
भूतकाल कलंकित अक्षर
सदा चिंतन से करे उजाला।
भानु साक्षात परम देव तुल्य
हम दर्शन जिनके नित करते।
तिमिर हरण करता भानु नित
प्रगति पथ मानव नित चलते।
जगति का भास्कर संचालक
यह आलौकित जग को कर्ता।
स्वर्णिम तेज प्रखर किरणों से
हर संकट नित जगति के हर्ता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा ,राजस्थान।
विषय भानू ,भास्कर,अंशुमाली
विधा काव्य
07 अगस्त 2019,बुधवार
पूर्वांचल से उदित भास्कर
तम हरण करता प्रतिदिन।
गगन मध्य नवचित्र बनाता
विपदा पीड़ा हरता हर दिन।
उदित हुआ नव भानु संसद
धारा तीन सौ सत्तर हटा दी।
जग जन्नत प्रिय कश्मीर में
प्रगति हेतु मशाल जला दी।
भानु तो जग का जीवन है
यह जीवन का है आधारा।
षड ऋतुओ का संगम यह
जल थल नभ जीव सहारा।
श्रेष्ठ नायक भानु सम होता
दुःख दर्दो को सदा मिटाता।
भूतकाल कलंकित अक्षर
सदा चिंतन से करे उजाला।
भानु साक्षात परम देव तुल्य
हम दर्शन जिनके नित करते।
तिमिर हरण करता भानु नित
प्रगति पथ मानव नित चलते।
जगति का भास्कर संचालक
यह आलौकित जग को कर्ता।
स्वर्णिम तेज प्रखर किरणों से
हर संकट नित जगति के हर्ता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा ,राजस्थान।
नमन मंच
दिनांक .. 7/8/2019
विषय .. भानु/ भास्कर / अंशुमाली
****************************
शब्द श्रद्धाँजलि
निःशब्दता घेर लेती है हर इक दरख्त के गिरने के बाद।
दिल का कोना खाली रहेगा, सुषमा जी के जाने के बाद॥
**
भानु की सुषमा बिखर गयी, त्याग के अपना तेज।
शेर खडा निःशब्द ये सोचे, लिखूँगा कैसे शेर॥
**
भास्कर के आने से , पहले ही दुनिया छोड दी।
रातें के सन्नाटे मे ही, देह को वो त्याग दी॥
**
हे अंशुमाली आज दिन, कितना विराना लग रहा।
अब ना रही सुषमा स्वराज, यह देश सारा रो रहा॥
**
कोई शब्द नही बचता है, हर बातें बेमानी है।
तुम हृदय सम्हाले रखना, वो दिल मे ही रहती है॥
**
अब भास्कर के साथ ही, सुषमा सदा रह पायेगी।
ये शेर के शब्द पर, दुनिया इसे दोहरायेगी॥
**
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
दिनांक .. 7/8/2019
विषय .. भानु/ भास्कर / अंशुमाली
****************************
शब्द श्रद्धाँजलि
निःशब्दता घेर लेती है हर इक दरख्त के गिरने के बाद।
दिल का कोना खाली रहेगा, सुषमा जी के जाने के बाद॥
**
भानु की सुषमा बिखर गयी, त्याग के अपना तेज।
शेर खडा निःशब्द ये सोचे, लिखूँगा कैसे शेर॥
**
भास्कर के आने से , पहले ही दुनिया छोड दी।
रातें के सन्नाटे मे ही, देह को वो त्याग दी॥
**
हे अंशुमाली आज दिन, कितना विराना लग रहा।
अब ना रही सुषमा स्वराज, यह देश सारा रो रहा॥
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कोई शब्द नही बचता है, हर बातें बेमानी है।
तुम हृदय सम्हाले रखना, वो दिल मे ही रहती है॥
**
अब भास्कर के साथ ही, सुषमा सदा रह पायेगी।
ये शेर के शब्द पर, दुनिया इसे दोहरायेगी॥
**
स्वरचित .. शेर सिंह सर्राफ
भावों के मोती
सादर प्रणाम
विषय=भानु/भास्कर/अंशुमाली
विधा=हाइकु
💥💥💥💥
भानु सौपता
निशा को सत्ता सारी
शाम को रोज
💥💥💥💥
आस का दीप
प्रज्जवलित करे
भास्कर दादा
💥💥💥💥
आते ही भानु
ओढ़ छुपती निशा
श्वेत चादर
💥💥💥💥
भास्कर रथ
बैठकर धरा आती
किरणें सारी
💥💥💥💥
भोर के साथ
अंशुमाली ने खोले
दिन के ताले
💥💥💥💥
भास्कर बेटी
धूप करे आराम
पेड़ की छाँव
💥💥💥💥
भास्कर छुपा
बादलों के आड़ में
छाया अंधेरा
💥💥💥💥
भानु लगाता
दिन के गालों पर
धूप चमक
💥💥💥💥
भास्कर संत
ग्रीष्म करे हवन
खग आहुति
💥💥💥💥
भास्कर दादा
करे रोज भ्रमण
पूर्व पश्चिम
💥💥💥💥
भोर की झोली
बैठकर आया हैं
नन्हा भास्कर
💥💥💥💥
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
7/07/2019
सादर प्रणाम
विषय=भानु/भास्कर/अंशुमाली
विधा=हाइकु
💥💥💥💥
भानु सौपता
निशा को सत्ता सारी
शाम को रोज
💥💥💥💥
आस का दीप
प्रज्जवलित करे
भास्कर दादा
💥💥💥💥
आते ही भानु
ओढ़ छुपती निशा
श्वेत चादर
💥💥💥💥
भास्कर रथ
बैठकर धरा आती
किरणें सारी
💥💥💥💥
भोर के साथ
अंशुमाली ने खोले
दिन के ताले
💥💥💥💥
भास्कर बेटी
धूप करे आराम
पेड़ की छाँव
💥💥💥💥
भास्कर छुपा
बादलों के आड़ में
छाया अंधेरा
💥💥💥💥
भानु लगाता
दिन के गालों पर
धूप चमक
💥💥💥💥
भास्कर संत
ग्रीष्म करे हवन
खग आहुति
💥💥💥💥
भास्कर दादा
करे रोज भ्रमण
पूर्व पश्चिम
💥💥💥💥
भोर की झोली
बैठकर आया हैं
नन्हा भास्कर
💥💥💥💥
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
7/07/2019
7/8/2019
विषय - भानु/भास्कर/अंशुमाली
🌞🌞🌞🌞
रश्मि रथ पर सवार
धरा के प्रांगण में उदित भास्कर
विचरण करता नवीन ऊर्जा लेकर
दिनभर की थकन से विश्रांति पाने
रक्तिम वदन लिए सिन्धु की गोद में
विलीन होने को आतुर
गहन निशा का देख आगमन
लाज शरम से हो भयातुर
शनैःशनैः गोते लगाता
क्षितिज की ओर चला
रक्ताभ अंशुमाली
आशा की किरण छोड़
भानु ने जगत से विदा ली
हौले से कह जाता रवि कानों में
कल फिर उदित होगा नवीन ऊर्जा लेकर
जगत को संयम,अनुशासन
की सीख देता,ढांढस बंधाता
नवजागरण होता सबके जीवन में,,कहता,
बस रहना होगा प्रतिज्ञाबद्ध,अनुशासित होकर।।
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
विषय - भानु/भास्कर/अंशुमाली
🌞🌞🌞🌞
रश्मि रथ पर सवार
धरा के प्रांगण में उदित भास्कर
विचरण करता नवीन ऊर्जा लेकर
दिनभर की थकन से विश्रांति पाने
रक्तिम वदन लिए सिन्धु की गोद में
विलीन होने को आतुर
गहन निशा का देख आगमन
लाज शरम से हो भयातुर
शनैःशनैः गोते लगाता
क्षितिज की ओर चला
रक्ताभ अंशुमाली
आशा की किरण छोड़
भानु ने जगत से विदा ली
हौले से कह जाता रवि कानों में
कल फिर उदित होगा नवीन ऊर्जा लेकर
जगत को संयम,अनुशासन
की सीख देता,ढांढस बंधाता
नवजागरण होता सबके जीवन में,,कहता,
बस रहना होगा प्रतिज्ञाबद्ध,अनुशासित होकर।।
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
भावों के मोती
स्व.सुषमा स्वराज जी को शब्द श्रद्धांजलि अर्पित
🌼🌹🌼🌹🌼
🌺🌷🌺🌷🌺
देश का नाम
किया है सुशोभित
स्वराज भानु
विख्यात भानु
चीर निन्द्रा में गया
सुषमा साथ
अश्रुपूर्ण है
श्रद्धांजलि अर्पित
स्वराज भानु
गया है आज
देश भक्ति भास्कर
दे के स्वराज
आँखों में अश्क
सुषमा स्वराज जी
दिये क्यू आप
भानु प्रकाश
सुषमा स्वराज जी
अनेक साथ
भास्कर जैसा
स्वराज का प्रकाश
रहेगा सदा
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
7/08/2019
स्व.सुषमा स्वराज जी को शब्द श्रद्धांजलि अर्पित
🌼🌹🌼🌹🌼
🌺🌷🌺🌷🌺
देश का नाम
किया है सुशोभित
स्वराज भानु
विख्यात भानु
चीर निन्द्रा में गया
सुषमा साथ
अश्रुपूर्ण है
श्रद्धांजलि अर्पित
स्वराज भानु
गया है आज
देश भक्ति भास्कर
दे के स्वराज
आँखों में अश्क
सुषमा स्वराज जी
दिये क्यू आप
भानु प्रकाश
सुषमा स्वराज जी
अनेक साथ
भास्कर जैसा
स्वराज का प्रकाश
रहेगा सदा
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
7/08/2019
भावों के मोती
07/08/19
विषय-अंशुमाली
छंद मुक्त काव्य
निशांत का संगीत
लो चंदन महका और खुशबू उठी हवाओं में
कैसी सुषमा निखरी वन उपवन उद्यानों में
निकला उधर "अंशुमाली" गति देने जीवन में
निशांत का,संगीत ऊषा गुनगुना रही अंबर में
मन की वीणा पर झंकार देती परमानंद में
महा अनुगूंज बन बिखर गई सारे नीलांबर में
वो देखो हेमांगी पताका लहराई क्षितिज में
पाखियों का कलरव फैला चहुं ओर भुवन में
कुमुदिनी लरजने लगी सूर्य-सुता के पानी में
विटप झुम उठे हवाओं के मधुर संगीत में
वागेश्वरी स्वयं नवल वीणा ले उतरी धरा में
कर लो गुनगान अद्वय आदित्य के आचमन में
लो फिर आई है सज दिवा नवेली के भेष में
करें सत्कार जगायें नव निर्माण विचारों में।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
07/08/19
विषय-अंशुमाली
छंद मुक्त काव्य
निशांत का संगीत
लो चंदन महका और खुशबू उठी हवाओं में
कैसी सुषमा निखरी वन उपवन उद्यानों में
निकला उधर "अंशुमाली" गति देने जीवन में
निशांत का,संगीत ऊषा गुनगुना रही अंबर में
मन की वीणा पर झंकार देती परमानंद में
महा अनुगूंज बन बिखर गई सारे नीलांबर में
वो देखो हेमांगी पताका लहराई क्षितिज में
पाखियों का कलरव फैला चहुं ओर भुवन में
कुमुदिनी लरजने लगी सूर्य-सुता के पानी में
विटप झुम उठे हवाओं के मधुर संगीत में
वागेश्वरी स्वयं नवल वीणा ले उतरी धरा में
कर लो गुनगान अद्वय आदित्य के आचमन में
लो फिर आई है सज दिवा नवेली के भेष में
करें सत्कार जगायें नव निर्माण विचारों में।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
विषय,,,भानु भास्कर/अशु माली |
चड दिव्य रथ पर चले भुवन भास्कर |
अरुण सारथी सप्त अश्वारुड रथ पर |
बाल्यखिल्य मुनी करते स्तुति |
सुदंर रेशम सी बाल सूर्य की रश्मिया |
लगती मन भावन करती धरा सगं अठखेलियाँ |
देते शुभ संदेश उठो धरावासियो|
लो नवीन ऊर्जा चल पडो मंजिल पर |
डगर हो कठिन या सरल मेहनत से पानी |
जीवन मे सफल वही जो उठे मुझ से पहले |
स्वरचित,,,दमयंती मिश्रा
चड दिव्य रथ पर चले भुवन भास्कर |
अरुण सारथी सप्त अश्वारुड रथ पर |
बाल्यखिल्य मुनी करते स्तुति |
सुदंर रेशम सी बाल सूर्य की रश्मिया |
लगती मन भावन करती धरा सगं अठखेलियाँ |
देते शुभ संदेश उठो धरावासियो|
लो नवीन ऊर्जा चल पडो मंजिल पर |
डगर हो कठिन या सरल मेहनत से पानी |
जीवन मे सफल वही जो उठे मुझ से पहले |
स्वरचित,,,दमयंती मिश्रा
नमन "भावो के मोती"
07/08/2019
"अंशुमाली/भानु"
छंदमुक्त
**********************
अंशुमाली का उदय हुआ
मेरे मन के आँगन में...
मन से दूर हुआ अंधेरा..
जाग उठा मन का कोना-कोना.....
स्फुरित हुई इंग्ला,पिंगला..
झंकृत हुई सुषुम्ना....
नाच उठा तन-मन....
स्वर्णिम आभा से...
प्रफुल्लित हो उठा जीवन
नैनों में भरे ......
सप्तरंगों की प्रभा....
जागी अरमां...जागे सपने
झूम उठी दशों दिशाएँ...
हट गए निराशा के बादल
लगने लगी धरा....
नव दुल्हन....
खिल गया हर चमन..
हो गई पुरवाईया मगन
सागर की लहरें...
करे नर्तन...
महक उठा...नील गगन।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।
07/08/2019
"अंशुमाली/भानु"
छंदमुक्त
**********************
अंशुमाली का उदय हुआ
मेरे मन के आँगन में...
मन से दूर हुआ अंधेरा..
जाग उठा मन का कोना-कोना.....
स्फुरित हुई इंग्ला,पिंगला..
झंकृत हुई सुषुम्ना....
नाच उठा तन-मन....
स्वर्णिम आभा से...
प्रफुल्लित हो उठा जीवन
नैनों में भरे ......
सप्तरंगों की प्रभा....
जागी अरमां...जागे सपने
झूम उठी दशों दिशाएँ...
हट गए निराशा के बादल
लगने लगी धरा....
नव दुल्हन....
खिल गया हर चमन..
हो गई पुरवाईया मगन
सागर की लहरें...
करे नर्तन...
महक उठा...नील गगन।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।
नमन मंच भावों के मोती
7 /8/2019
बिषय,, भानु ,,भास्कर,,
नित नव संदेशा लाती भगवान भास्कर की किरण
मानों कह रही हैं हटा दो मन के आवरण
दीपक की तरह जलना तो क्या जलना
भानु के जैसे तपना और चलना
नित ही सभी के द्वार पर आना ही है उसको
चहुँ ओर प्रकाश फैलाना ही है उसको
यदि एक भी न निकले तो छा जाए अंधकार
मच जाए सारे जगत में हाहाकार
ए तो ईश्वरीय अनुपम उपहार
हे प्रभु भास्कर तुम्हे बहु बार नमस्कार
स्वरिचत ,,सुषमा ब्यौहार
7 /8/2019
बिषय,, भानु ,,भास्कर,,
नित नव संदेशा लाती भगवान भास्कर की किरण
मानों कह रही हैं हटा दो मन के आवरण
दीपक की तरह जलना तो क्या जलना
भानु के जैसे तपना और चलना
नित ही सभी के द्वार पर आना ही है उसको
चहुँ ओर प्रकाश फैलाना ही है उसको
यदि एक भी न निकले तो छा जाए अंधकार
मच जाए सारे जगत में हाहाकार
ए तो ईश्वरीय अनुपम उपहार
हे प्रभु भास्कर तुम्हे बहु बार नमस्कार
स्वरिचत ,,सुषमा ब्यौहार
नमन भावों के मोती
आज का विषय , भानु /भास्कर /अंशुमाली.
बुधवार
7,8,2019.
बिखरे भास्कर के तेज से सब नष्ट अवांछित हो गये ,
नव किरण के साथ ही हर तरफ नवरंग मुखरित हो गये ।
राहें अपनी अपनी चल पड़े सब राही नये जोश से,
जो मंजिलों की ओर बढ़ चले वो मन आनंदित हो गये ।
आभा उषा की बिखरी और झांका भानु वातायन से ,
देख अंशुमाली की छटा नव पुष्प प्रफुल्लित हो गये ।
गूँज उठतीं हैं दशों दिशायें प्रार्थना के नाद से ,
गूँजी घंटों की धुन से मन मंदिर आलोकित हो गये ।
मिल रहा नव जीवन प्रकृति को परोपकारी सूरज से ,
भानु से ज्योति के कई पुंज सृष्टि में समाहित हो गये ।
चलते रहो यही ले रहा मानव प्रेरणा दिनमान से ,
सोये थे जो भास्कर के संग में ही जाग्रित हो गये ।
मिट जाते हैं सारे अंधेरे भास्कर के प्रताप से ,
संभावना के सूर्य बहुत से धरा पर उदित हो गये ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश
आज का विषय , भानु /भास्कर /अंशुमाली.
बुधवार
7,8,2019.
बिखरे भास्कर के तेज से सब नष्ट अवांछित हो गये ,
नव किरण के साथ ही हर तरफ नवरंग मुखरित हो गये ।
राहें अपनी अपनी चल पड़े सब राही नये जोश से,
जो मंजिलों की ओर बढ़ चले वो मन आनंदित हो गये ।
आभा उषा की बिखरी और झांका भानु वातायन से ,
देख अंशुमाली की छटा नव पुष्प प्रफुल्लित हो गये ।
गूँज उठतीं हैं दशों दिशायें प्रार्थना के नाद से ,
गूँजी घंटों की धुन से मन मंदिर आलोकित हो गये ।
मिल रहा नव जीवन प्रकृति को परोपकारी सूरज से ,
भानु से ज्योति के कई पुंज सृष्टि में समाहित हो गये ।
चलते रहो यही ले रहा मानव प्रेरणा दिनमान से ,
सोये थे जो भास्कर के संग में ही जाग्रित हो गये ।
मिट जाते हैं सारे अंधेरे भास्कर के प्रताप से ,
संभावना के सूर्य बहुत से धरा पर उदित हो गये ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश
मंच भावों के मोती को नमन
विषय :-भानु /भास्कर /अंशुमाली।
विधा :- कविता
हे भानु !
तुम कैसे उगे हो
छाई नभ अंधियारी है
भासित होकर
तेरा.उगना नभ में
अंधियारे से लड़ने को।
सदा विजय
सत्य की होगी
भासित भास्कर उगने पर ।
अंशुमाली
आयेंगे जग में
विजय माल पहनाने को ।
शिवम् सुनदरम्
पथ पर चलकर ही
भानु भासित भानुमान् होंगे ः
स्वरचित :-उषासक्सेना
विषय :-भानु /भास्कर /अंशुमाली।
विधा :- कविता
हे भानु !
तुम कैसे उगे हो
छाई नभ अंधियारी है
भासित होकर
तेरा.उगना नभ में
अंधियारे से लड़ने को।
सदा विजय
सत्य की होगी
भासित भास्कर उगने पर ।
अंशुमाली
आयेंगे जग में
विजय माल पहनाने को ।
शिवम् सुनदरम्
पथ पर चलकर ही
भानु भासित भानुमान् होंगे ः
स्वरचित :-उषासक्सेना
तिथिःः7/8/2019/बुधवार
बिषयःः सूर्य/भानु/भास्कर
विधाःः काव्यःः
हम नमन भास्कर तुम्हें करें,
हो रविदेव ईश वरदान हमें।
नित उदित हो उदयांचल में,
तुम तमस हरण प्रधान हमें।
अरूणाचल से आकर तुम,
जडचेतन अंधकार मिटाते।
सभी ऋतुओं के हो स्वामी,
हर मौसम का भास कराते।
सुप्रभात तुम्हारी दया से हो।
उपजाऊ धरा ईशकृपा से हो।
जीवनशैली ही तुमपर निर्भर,
मौसम चक्र भानु कृपा से हो।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
बिषयःः सूर्य/भानु/भास्कर
विधाःः काव्यःः
हम नमन भास्कर तुम्हें करें,
हो रविदेव ईश वरदान हमें।
नित उदित हो उदयांचल में,
तुम तमस हरण प्रधान हमें।
अरूणाचल से आकर तुम,
जडचेतन अंधकार मिटाते।
सभी ऋतुओं के हो स्वामी,
हर मौसम का भास कराते।
सुप्रभात तुम्हारी दया से हो।
उपजाऊ धरा ईशकृपा से हो।
जीवनशैली ही तुमपर निर्भर,
मौसम चक्र भानु कृपा से हो।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
नमन भावों के मोती
07 अगस्त 19 बुधवार
विषय-भानु/भास्कर/अंशुमाली
विधा-हाइकु
💐💐💐💐💐💐
गहन निशा
भानूदय के साथ
नौ दो ग्यारह👍
💐💐💐💐💐💐
तारों की बस्ती
है चाँद नगर में
भानु अकेला👌
💐💐💐💐💐💐
भाष्कर उगा
जी भरकर पीया
ओस का प्याला💐
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू अकेला
07 अगस्त 19 बुधवार
विषय-भानु/भास्कर/अंशुमाली
विधा-हाइकु
💐💐💐💐💐💐
गहन निशा
भानूदय के साथ
नौ दो ग्यारह👍
💐💐💐💐💐💐
तारों की बस्ती
है चाँद नगर में
भानु अकेला👌
💐💐💐💐💐💐
भाष्कर उगा
जी भरकर पीया
ओस का प्याला💐
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू अकेला
नमन "भावों के मोती"
07/08/2019
"लघु बाल कविता"
सूरज है महान
सौर मण्डल में रूतबा पिता
सब ग्रहों को साथ घुमाता
अनुशासन का पाठ पढ़ाकर
करे कर्म का आहवान
सूरज है महान...
सूरज से ही बादल बन पाते
धरा की गोद में फूल नाचते
तम को हर ऊर्जा को भरता
धरा को देता प्राण
सूरज है महान...
सूरज से ही हम दृष्टि पाते
सृष्टि सुन्दरता की सुध पाते
चन्द्रमा को देकर चाँदनी
साधना सुबह से शाम
सूरज है महान...
ग्रहण क्षणिक कभी आ जाता
जीवन सुख दुःख को समझाता
निर्लिप्त भाव से चलता जाता
करता जीवन दान
सूरज है महान..
स्वरचित
ऋतुराज दवे, राजसमंद
07/08/2019
"लघु बाल कविता"
सूरज है महान
सौर मण्डल में रूतबा पिता
सब ग्रहों को साथ घुमाता
अनुशासन का पाठ पढ़ाकर
करे कर्म का आहवान
सूरज है महान...
सूरज से ही बादल बन पाते
धरा की गोद में फूल नाचते
तम को हर ऊर्जा को भरता
धरा को देता प्राण
सूरज है महान...
सूरज से ही हम दृष्टि पाते
सृष्टि सुन्दरता की सुध पाते
चन्द्रमा को देकर चाँदनी
साधना सुबह से शाम
सूरज है महान...
ग्रहण क्षणिक कभी आ जाता
जीवन सुख दुःख को समझाता
निर्लिप्त भाव से चलता जाता
करता जीवन दान
सूरज है महान..
स्वरचित
ऋतुराज दवे, राजसमंद
7/8/19
भावों के मोती
विषय=भानु/भास्कर/अंशुमाली
==0==0==🌞==0==0==
सुनहरे अश्वो के रथ पर सवार
आए भास्कर सुनहरी रश्मियों के साथ
कलियों ने उतारा ओस का घूँघट
अंगड़ाई ले इठलाती फूल बन मुस्काई
सूर्य रश्मियों ने जीवन को छुआ
प्रकृति का खिलखिलाया हर कोना
जीवन की सुगबुगाहट तेज हुई
ज़िंदगी अपनी मंज़िल की ओर दौड़ पड़ी
अंशुमाली धीरे-धीरे बीच अंबर पे आया
खिली-खिली धूप ने जग को नहलाया
प्रकृति खुलकर मुस्कुराने लगी
लो सांझ भी अब पास आने लगी
भानु समेटने लगे अपना बसेरा
रश्मियों ने समेट लिया आँचल अपना
फिर आएंगे भानु लेकर नयी भोर
चिड़ियों का बंद हुआ चहकने का शोर
सांझ के आते ही दे गए फिर से अंधेरा
कल भास्कर के साथ आएगा नया सबेरा
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित
भावों के मोती
विषय=भानु/भास्कर/अंशुमाली
==0==0==🌞==0==0==
सुनहरे अश्वो के रथ पर सवार
आए भास्कर सुनहरी रश्मियों के साथ
कलियों ने उतारा ओस का घूँघट
अंगड़ाई ले इठलाती फूल बन मुस्काई
सूर्य रश्मियों ने जीवन को छुआ
प्रकृति का खिलखिलाया हर कोना
जीवन की सुगबुगाहट तेज हुई
ज़िंदगी अपनी मंज़िल की ओर दौड़ पड़ी
अंशुमाली धीरे-धीरे बीच अंबर पे आया
खिली-खिली धूप ने जग को नहलाया
प्रकृति खुलकर मुस्कुराने लगी
लो सांझ भी अब पास आने लगी
भानु समेटने लगे अपना बसेरा
रश्मियों ने समेट लिया आँचल अपना
फिर आएंगे भानु लेकर नयी भोर
चिड़ियों का बंद हुआ चहकने का शोर
सांझ के आते ही दे गए फिर से अंधेरा
कल भास्कर के साथ आएगा नया सबेरा
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित
शुभ संध्या
नमन मंच
शीर्षक-- सूरज/आफ़ताब
मात्रिक छंद
तृतीय प्रस्तुति
जाने कहाँ जाकर छुप गया
वो मेरे सपनों का सूरज ।।
देखता ही रहा मैं उसको
नही मिला मिलन का महूरत ।।
कोई बताय कहाँ है वो न-
जिऊँगा उस बिन किसी सूरत ।।
दी किस्मत धोखा बना गयी
मुझको एक पाषाण मूरत ।।
ख्वाबों में आकर सताय वो
मैं उसके लिए हूँ बिसूरत* ।।
सूरज सा मिलना था खिलना
न पता था बुरा वक्त है घूरत ।।
दिल सूर्यमुखी मुरझाय 'शिवम'
दे ढांढस उसे है जरूरत ।।
बिसूरत*- चुपके चुपके रोना
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 07/08/2019
नमन मंच
शीर्षक-- सूरज/आफ़ताब
मात्रिक छंद
तृतीय प्रस्तुति
जाने कहाँ जाकर छुप गया
वो मेरे सपनों का सूरज ।।
देखता ही रहा मैं उसको
नही मिला मिलन का महूरत ।।
कोई बताय कहाँ है वो न-
जिऊँगा उस बिन किसी सूरत ।।
दी किस्मत धोखा बना गयी
मुझको एक पाषाण मूरत ।।
ख्वाबों में आकर सताय वो
मैं उसके लिए हूँ बिसूरत* ।।
सूरज सा मिलना था खिलना
न पता था बुरा वक्त है घूरत ।।
दिल सूर्यमुखी मुरझाय 'शिवम'
दे ढांढस उसे है जरूरत ।।
बिसूरत*- चुपके चुपके रोना
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 07/08/2019
भावों के मोती दिनांक 7/8/19
भानु / भास्कर
भयो भौर
चहके पंछी
फैली
सुनहरी किरणें
भानु की
नम: भानु
नया दिवस
नया संदेशा
ले कर आया
भास्कर
नम: भास्कराय
झूम उठी
प्रकृति-प्रेम से
फैला उजियारा
चहुंओर
करने आराधना
सूर्य देव की
ऊँ सूर्य देवताय नमः
पिता तुल्य हैं
देव भास्कर
करते हैं
जग का
कल्याण
नमन तुम्हें
करते हैं
देव दानव
और मानव
तुम हो
जग के
पालनहार
ऊँ नमः ब्रहमा
ऊँ नमः विष्णु
ऊँ नमः महेश
ऊँ नमः भास्कर
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
भानु / भास्कर
भयो भौर
चहके पंछी
फैली
सुनहरी किरणें
भानु की
नम: भानु
नया दिवस
नया संदेशा
ले कर आया
भास्कर
नम: भास्कराय
झूम उठी
प्रकृति-प्रेम से
फैला उजियारा
चहुंओर
करने आराधना
सूर्य देव की
ऊँ सूर्य देवताय नमः
पिता तुल्य हैं
देव भास्कर
करते हैं
जग का
कल्याण
नमन तुम्हें
करते हैं
देव दानव
और मानव
तुम हो
जग के
पालनहार
ऊँ नमः ब्रहमा
ऊँ नमः विष्णु
ऊँ नमः महेश
ऊँ नमः भास्कर
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
नमन "भावों के मोती"🙏
शुभ संध्या
💘💘💘💘💘💘💘
विषय:-सूरज/अंशुमाली
विधा:-लेख/पत्र
लो चाँद को उतारा है मैने
दिल के अहाते में ......पर ये भी शांत है
तुम्हारा हमसाया है हूबहू तुम नजर आ रहे हो
ये शीतल हवा इस झील की निरवता को झिंझोड़.....रही है.
वैसा ही द्वंद मेरे मन में चल रहा है ......
आखिर क्यों नहीं लौटे तुम ! क्यों नहीं कोई सवाल!
तुमने किये तुम जो मुहब्बत की दुहाई देते थे।........
आज किस दुनियाँ में खो गये ? क्यों आज तुम्हें.याद....
नहीं आई मेरी !
जबकि भोर की किरण अंशुमाली से
जब भी झाँकती थी तुम भी अपना चेहरा चादर से हटा कर
एक मुश्कान के साथ गुड मौर्निग बोला करते थे याद है न तुम्हें या भूल गये ?
जानते हो ना मैं हर रोज बस एक मैसेज से
ही खुश हो जाती पर नहीं तुम सब भूल चुके हो और मैं कुछ भी नहीं,
आज भी इन्तजार में बैठी हूँ आगोश में भर के चाँद को
शायद सूरज की पहली किरण मेरे और तुम्हारे जीवन का
नया सवेरा........ लेकर आये बस तुम्हारे इन्तजार में..
तुम्हारी नीलू
स्वरचित
नीलम शर्मा #नीलू
शुभ संध्या
💘💘💘💘💘💘💘
विषय:-सूरज/अंशुमाली
विधा:-लेख/पत्र
लो चाँद को उतारा है मैने
दिल के अहाते में ......पर ये भी शांत है
तुम्हारा हमसाया है हूबहू तुम नजर आ रहे हो
ये शीतल हवा इस झील की निरवता को झिंझोड़.....रही है.
वैसा ही द्वंद मेरे मन में चल रहा है ......
आखिर क्यों नहीं लौटे तुम ! क्यों नहीं कोई सवाल!
तुमने किये तुम जो मुहब्बत की दुहाई देते थे।........
आज किस दुनियाँ में खो गये ? क्यों आज तुम्हें.याद....
नहीं आई मेरी !
जबकि भोर की किरण अंशुमाली से
जब भी झाँकती थी तुम भी अपना चेहरा चादर से हटा कर
एक मुश्कान के साथ गुड मौर्निग बोला करते थे याद है न तुम्हें या भूल गये ?
जानते हो ना मैं हर रोज बस एक मैसेज से
ही खुश हो जाती पर नहीं तुम सब भूल चुके हो और मैं कुछ भी नहीं,
आज भी इन्तजार में बैठी हूँ आगोश में भर के चाँद को
शायद सूरज की पहली किरण मेरे और तुम्हारे जीवन का
नया सवेरा........ लेकर आये बस तुम्हारे इन्तजार में..
तुम्हारी नीलू
स्वरचित
नीलम शर्मा #नीलू
नमन मंच
दिनांक -७/८/२०१९
शीर्षक-सूर्य/भानु
धरा के कण कण को है
सूर्य के किरणों से प्यार
सात घोड़ों पर चढ़ कर आये
सूर्य देव बस करें कमाल।
नई उमंग,नई उत्साह
लेकर आये बस सूर्यप्रकाश
तम का डेरा भागे सरपट
खिले धरा के हर बाग।
कर्त्तव्य पथ पर निरंतर चलकर
करे बस वे विश्व कल्याण।
हर अँगना हो किरणों से रौशन
कूच कर जाये,गहन अन्धकार।
धरा के कण कण को है
सूर्य के किरणों से प्यार
नित नई संदेशा लेकर
उमंग जगाये आदित्यनाथ।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
दिनांक -७/८/२०१९
शीर्षक-सूर्य/भानु
धरा के कण कण को है
सूर्य के किरणों से प्यार
सात घोड़ों पर चढ़ कर आये
सूर्य देव बस करें कमाल।
नई उमंग,नई उत्साह
लेकर आये बस सूर्यप्रकाश
तम का डेरा भागे सरपट
खिले धरा के हर बाग।
कर्त्तव्य पथ पर निरंतर चलकर
करे बस वे विश्व कल्याण।
हर अँगना हो किरणों से रौशन
कूच कर जाये,गहन अन्धकार।
धरा के कण कण को है
सूर्य के किरणों से प्यार
नित नई संदेशा लेकर
उमंग जगाये आदित्यनाथ।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
नमन मंच
वार - बुधवार
तिथि - 07/08/2019
विषय - भानु/भास्कर/अंशुमाली
विधा - मनहरण घनाक्षरी
=============
आश्रित है जग सारा , रवि से ही तम हारा ,
ऐसे ज्योति पुञ्ज वाले , #भानु को नमन है I
चाहे जो भी पद मिले , गर न प्रकाश मिले ,
सारा मद चूर - चूर , करता नमन है I
ऊर्जा का अक्षय स्रोत ,संसाधन ओतप्रोत ,
नया युग नई ज्योति , बहुमूल्य धन है I
मन मेरे अंधियारा , करो देव उजियारा ,
"माधव" कर जोड़के , करता नमन है I
========
#स्वरचित
#सन्तोष कुमार प्रजापति "माधव"
# कबरई जि. - महोबा ( उ. प्र.
वार - बुधवार
तिथि - 07/08/2019
विषय - भानु/भास्कर/अंशुमाली
विधा - मनहरण घनाक्षरी
=============
आश्रित है जग सारा , रवि से ही तम हारा ,
ऐसे ज्योति पुञ्ज वाले , #भानु को नमन है I
चाहे जो भी पद मिले , गर न प्रकाश मिले ,
सारा मद चूर - चूर , करता नमन है I
ऊर्जा का अक्षय स्रोत ,संसाधन ओतप्रोत ,
नया युग नई ज्योति , बहुमूल्य धन है I
मन मेरे अंधियारा , करो देव उजियारा ,
"माधव" कर जोड़के , करता नमन है I
========
#स्वरचित
#सन्तोष कुमार प्रजापति "माधव"
# कबरई जि. - महोबा ( उ. प्र.
नमन भावों के मोती
विषय-भानु ,भास्कर
दिनांक --7-8-19
विधा --दोहे
1.
सूर्य ,प्रभाकर,भानु ,रवि,दिवाकर अरु दिनेश।
दिनकर,आदित्य,सविता, सम्यक भानु विशेष।।
2.
भानु रश्मि से दृश्य सब,भय भी रहता दूर।
दृश्य जगत से प्रेरणा, मिलती है भरपूर।।
3.
वृषभ राशि में भानु हो,हवा गर्म भरपूर।
धरती तपती आग सी,श्रम करता मजदूर।।
4.
इधर पसीना टपकता,उधर काटता घाम।
इतने लंबे समय क्यों,करें भास्कर काम ।।
******स्वरचित*****
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551
विषय-भानु ,भास्कर
दिनांक --7-8-19
विधा --दोहे
1.
सूर्य ,प्रभाकर,भानु ,रवि,दिवाकर अरु दिनेश।
दिनकर,आदित्य,सविता, सम्यक भानु विशेष।।
2.
भानु रश्मि से दृश्य सब,भय भी रहता दूर।
दृश्य जगत से प्रेरणा, मिलती है भरपूर।।
3.
वृषभ राशि में भानु हो,हवा गर्म भरपूर।
धरती तपती आग सी,श्रम करता मजदूर।।
4.
इधर पसीना टपकता,उधर काटता घाम।
इतने लंबे समय क्यों,करें भास्कर काम ।।
******स्वरचित*****
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र.)451551
नमन भावों के मोती
विषय - भानु , अंशुमाली , भास्कर
प्राची की डोली में ,
अंशुमाली संग बैठकर
ऊषा आयी, दिग् दिगंत में लाली छायी
सुनील नभ में स्वर्णिम आभा गहरायी ।
निशा आंगन से आते आते
ऊषा की पायल से गिर गए थे,
कुछ चन्द्रहास मोती
भानु ने आकर बटोर लिए सारे ।
(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
विषय - भानु , अंशुमाली , भास्कर
प्राची की डोली में ,
अंशुमाली संग बैठकर
ऊषा आयी, दिग् दिगंत में लाली छायी
सुनील नभ में स्वर्णिम आभा गहरायी ।
निशा आंगन से आते आते
ऊषा की पायल से गिर गए थे,
कुछ चन्द्रहास मोती
भानु ने आकर बटोर लिए सारे ।
(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
नमन भावों के मोती
विषय - भानु , अंशुमाली
1
खिले नीरज
चमकता सूरज
प्रभात बेला
2
सूर्य प्रकाश
वसुधा के आंगन
जागा जीवन
3
मेघ से खेले
भानु सखी किरण
आंख मिचौली
(स्वरचित)सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
विषय - भानु , अंशुमाली
1
खिले नीरज
चमकता सूरज
प्रभात बेला
2
सूर्य प्रकाश
वसुधा के आंगन
जागा जीवन
3
मेघ से खेले
भानु सखी किरण
आंख मिचौली
(स्वरचित)सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
नमन मंच
०७/०८/२०१९
विषय--भास्कर/भानु
भोर हुई अब जागो प्यारे
खटिया को पहले तुम त्यागो।
भानु रश्मियों को देखो तुम
जिनसे है गगन में रंगत आई।
होगा संचार उमंगों का
कर लो अब साथ भास्कर का।
उर्जा का स्रोत इसी है
खुशियां भी इसमें संचित हैं।
कभी सुहाए कभी सताए
कुदरत के नए खेल दिखाए।
फिर भी सबके मन को भाए।
(अशोक राय वत्स) © स्वरचित
०७/०८/२०१९
विषय--भास्कर/भानु
भोर हुई अब जागो प्यारे
खटिया को पहले तुम त्यागो।
भानु रश्मियों को देखो तुम
जिनसे है गगन में रंगत आई।
होगा संचार उमंगों का
कर लो अब साथ भास्कर का।
उर्जा का स्रोत इसी है
खुशियां भी इसमें संचित हैं।
कभी सुहाए कभी सताए
कुदरत के नए खेल दिखाए।
फिर भी सबके मन को भाए।
(अशोक राय वत्स) © स्वरचित
नमन् भावों के मोती
7अगस्त19
विषय :भानु,भास्कर,अंशुमाली
विधा:हाइकु
सुषमा जी को
🙏विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
कुछ हाइकु द्वारा
उदित भानु-
यादों की गठरी में
स्वराज संग
सुषमा भानु
राजनीति आंगन-
रिक्त प्रांगण
अस्त हो गयी
अंशुमाली सुषमा-
अश्रु सागर
देश निहाल
कश्मीर में सुषमा-
भास्कर भाल
7अगस्त19
विषय :भानु,भास्कर,अंशुमाली
विधा:हाइकु
सुषमा जी को
🙏विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
कुछ हाइकु द्वारा
उदित भानु-
यादों की गठरी में
स्वराज संग
सुषमा भानु
राजनीति आंगन-
रिक्त प्रांगण
अस्त हो गयी
अंशुमाली सुषमा-
अश्रु सागर
देश निहाल
कश्मीर में सुषमा-
भास्कर भाल
नमन् भावों के मोती
दिनांक:7/08/19
विषय:भानु,भास्कर, अंशुमाली
विधा:कविता
हे अंशुमाली!
उदित समय पर तुम होते हो
सम्पूर्ण विश्व रोशन करते हो
कर्तव्य निर्वहन तुम करते हो
सृष्टि चक्र नियमित रखते हो
हे अंशुमाली!
जीवन में रंग तुम भरते हो
हर रंग से आशा भरते हो
जीवों को ज्ञान सिखाते हो
कर्तव्य राह दिखलाते हो
हे अंशुमाली!
ऊर्जा के अनंत स्रोत हो
विश्व विजय उदघोष हो
सृष्टि सृजन आधार हो
जीवन का संसार हो
हे अंशुमाली!
हमें ज्ञान जीवन दे दो
कर्तव्य बोध मुझमें भर दो
उर का अन्धकार हर लो
जीवन में प्रकाश भर दो
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
दिनांक:7/08/19
विषय:भानु,भास्कर, अंशुमाली
विधा:कविता
हे अंशुमाली!
उदित समय पर तुम होते हो
सम्पूर्ण विश्व रोशन करते हो
कर्तव्य निर्वहन तुम करते हो
सृष्टि चक्र नियमित रखते हो
हे अंशुमाली!
जीवन में रंग तुम भरते हो
हर रंग से आशा भरते हो
जीवों को ज्ञान सिखाते हो
कर्तव्य राह दिखलाते हो
हे अंशुमाली!
ऊर्जा के अनंत स्रोत हो
विश्व विजय उदघोष हो
सृष्टि सृजन आधार हो
जीवन का संसार हो
हे अंशुमाली!
हमें ज्ञान जीवन दे दो
कर्तव्य बोध मुझमें भर दो
उर का अन्धकार हर लो
जीवन में प्रकाश भर दो
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
नमन भावों के मोती 🙏
दिनांक :- 07/08/19
विषय :- भानु /भास्कर /अंशुमली
हे अंशुमाली,
फैलादों उजियारा,
हुई प्रभात।
***********
नभ में भानु
रोशन हुआ जग,
फैला प्रकाश।
***********
भास्कर आए,
तेज प्रकाश लाए,
चमके सब ।
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित
दिनांक :- 07/08/19
विषय :- भानु /भास्कर /अंशुमली
हे अंशुमाली,
फैलादों उजियारा,
हुई प्रभात।
***********
नभ में भानु
रोशन हुआ जग,
फैला प्रकाश।
***********
भास्कर आए,
तेज प्रकाश लाए,
चमके सब ।
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित
"भावों के मोती"
विषय-भानू/भास्कर/अंशुमाली
"#भानू का सफर"
आई उषा की लाली
भानू का शुरू हुआ सफर
चमक उठे पर्वत शिखर
बजने लगे मन्दिर के घंटे
बंसीधर आए नजर
गूंजे तब आरती के स्वर
मद्धिम-मद्धिम
बढने लगा भानू डगर-डगर
बीत गया एक पहर
बदली-सी है छवि
शरद ऋतु का है कहर
देख रश्मि खिल उठी हर एक नजर
पखुड़ियाँ खिली पुष्प की
हो गई तितली फुर्र
मधु चूस रहा मधुकर
बीत गया समय
भानू ने पूरा किया सफर
होगा अब रात्रि पहर
रचनाकार:-
राकेशकुमार जैनबन्धु
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा,
विषय-भानू/भास्कर/अंशुमाली
"#भानू का सफर"
आई उषा की लाली
भानू का शुरू हुआ सफर
चमक उठे पर्वत शिखर
बजने लगे मन्दिर के घंटे
बंसीधर आए नजर
गूंजे तब आरती के स्वर
मद्धिम-मद्धिम
बढने लगा भानू डगर-डगर
बीत गया एक पहर
बदली-सी है छवि
शरद ऋतु का है कहर
देख रश्मि खिल उठी हर एक नजर
पखुड़ियाँ खिली पुष्प की
हो गई तितली फुर्र
मधु चूस रहा मधुकर
बीत गया समय
भानू ने पूरा किया सफर
होगा अब रात्रि पहर
रचनाकार:-
राकेशकुमार जैनबन्धु
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा,
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