सन्देश
ये किसका सन्देश आया।
मन मयूर मेरा नाच उठा।
धड़कन तेज हो गई मेरी।
सोया हुआ ख्वाब जाग उठा।
सजन तेरा हीं सन्देश है ये।
कि ऐसे मन मेरा व्याकुल है।
रोके से भी नहीं रुकता है।
हवा से भी तेज ये दिल पागल है।।
स्वरचित
बोकारो स्टील सिटी
अभी तुझ तक मेरा हे भगवान।
तुम मस्त पडे हो क्षीरसागर में
यहाँ परेशान होता हर इंन्सान।
हम कितनी और मुसीबतें झेलें,
इधर विह्वल व्याकुल है जनजन।
संतापों से प्रभुजी बचा ना कोई,
व्यथित हुआ यहाँ हर जन मन।
संन्देशे बहुत पहुंचाऐ गिरधारी,
मस्त घूम रहे कहीं गगनविहारी।
कहाँ कहाँ नहीं देखा तुम्हें हमने,
ढूँढें सब वन मधुवन कुंजविहारी।
बहुत हुआ अब सुधि लेलो बनवारी,
कुछ सुखशांति से जी लें हम भगवन।
ये दुनिया बहुत दुखित है मुरलीधर,
अब सबके कष्ट निवारें दुखभंजन।
स्वरचितः ः
इंजी.शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
पिया के देश बरस बदरवा।
मैं जल बिन मीन तड़पती
बूँदो से आग लगा बदरवा!!
बिजुरी संग बतिया रे बदरवा,
नैनन के बाण चला रे बदरवा
पलकें भीगी झर झर निर्झरती
टप टप टपके दृग नीर बदरवा!!
चंदा संग लुक छिप रे बदरवा,
इत उत डोलत खेल बदरवा।
रूठी चांदनी हाय देह जलाती
छिप के कर मधुमास बदरवा!!
करत ठिठोली समीर बदरवा,
खेलत फ़ाग तू मस्त मलंगा
अठखेली साजन संग करती
तन लपेटू भीनी गंध बदरवा!!
सुन जा, ओ रे सावन के बदरवा
भेजत पिया देश, संदेश बदरवा
मेघ झरे श्यामल ,प्रणयातुर भीगती
सरर सरर सावन महका रे बदरवा!!
------ डा. निशा माथुर
काँव काँव का शोर मचाये
नानी बोली कोई संदेशा आये
तब डाकिये का हम करें इंतजार
बाहर भीतर करें हर बार
युग बदला बदल गया जमाना
टेलीफोन ने लिया डाकिये का स्थान
लैंडलाइन की जब बजे घंटी
दौड़ पड़े घर के सारे सदस्य
सब मिलकर शोर मचाये
पहले हम पहले हम का गुहार लगाये
फिर मिलजुल कर सब बैठ बतियाये
घंटों चर्चा चले जो संदेशा आये
फिर वक्त ने करवट बदली
मोबाइल ने लिया टेलीफोन का स्थान
हर हाथ में एक मोबाइल
कौन भेजा क्या संदेशा आया
जाने न दुसरा कोई।
पहले संदेशा हो सुख या दुख का
घर भर साथ खुशियां मनायें
या फिर साथ घबराये
अब सब हैं अपने मे मग्न।
आओ चले अब प्रकृति की ओर
जब हमें प्रकृति भेजे कोई संदेश
करें न हम उसे अनदेखा ।
समझ जाये हम उसका संदेश।
सुधर जाये और हम करे प्रकृति से प्यार
तभी रहेगा हमारा जीवन आबाद
और जब आये ईश्वर का संदेशा
तज चले हम घर बार अनोखा
स्वरचित -आरती श्रीवास्तव।
जिसमें था सच्चा प्यार ख़ुशी थी बेशुमार.
अब तो खत संदेश सबको लगता हैं बेकार
व्हाट्सप्प फेसबुक ने कर ली जिसकी जगह
अख्तियार.
वो भी क्या दिन जब सबको संदेश खत का इंतजार था
बहन को भाई माँ बाप के संदेश का इंतजार था .
दिल में सच्चे जज्बात संदेश रूपी प्यार था
वक्त की आँधी ने सबको उड़ा दिया हैं .
जिंदगी को एक नये मोड़ पर खड़ा कर दिया है
जिसमें सिर्फ दिखावे का प्यार हैं .
# रीता बिष्ट
पन्ने-पन्ने में प्यार का
संदेशा लिखा जाए
प्रेम की स्याही हर इक
कलम में भरी जाए
वीरानो में भी जा के
दीप जलाया जाए
अँधेर सी दुनिया में
उजाला किया जाए
मिल के मोहब्बत का
आशिया सजाया जाए
फरेब की दुनिया में
ईमान बसाया जाए
आदमी हो दिलों को
दिल से तौला जाए
अब नफ़रत छोड़ के
मोहब्बत किया जाए
महक उठेगी फ़जा
प्यार की बातों से
दुश्मनो को भी अब
गले लगाया जाए
पन्ने-पन्ने में प्यार का
संदेशा लिखा जाए
प्रेम की स्याही हर इक
कलम में भरी जाए
@शाको
स्वरचित
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