Sunday, March 17

"जादू/जादूगर" 15मार्च 2019

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             ब्लॉग संख्या :-328


विधा--मुक्त
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चुरा कर ख्वाब आँख से मेरी
छवि अपनी छिपा देते हो
मेरी मुस्कान में नाम 
अपना सजा देते हो

क्या नाम दूं तुम्हे
प्रीत ,प्रियतम् ,चितचोर
या हो तुम कोई 
जादूगर

चाहतें मेरी दिल तुम्हारा
होता है
आँसूं मेरे आँख तुम्हारी
रोती है

कैसे तुमको मेरे मन के
भाव पता होते हैं
मेरे गम के बादल क्यों
तुम हृदयाकाश लेते हो

सच बतला दो तुमको
मैं क्या कहकर पुकारुं
सजना ,सांवरिया या फिर
जादूगर कहूँ

आईने में जब जब
सूरत अपनी देखी है
तब तब लगा वो मेरी नहीं
वो छब तुम्हारी है

कैसे तुम मेरे मन में आये हो
मेरी सुध बुध पर छाये हो
कहना हम कुछ चाहते हैं
पर तेरा नाम लिए जाते हैं

लगता है हमको जबसे
तुम हमें मिले हो
हम ही श्यामा हम ही श्याम
बने थे

कागज कलम दवात लेकर
कुछ लिखने की कोशिश की है
हर सफे पर बार-बार बस
तुम ही तुम नज़र आते हो

सच बतला दो तुम मेरे
प्रियतम् हो या हो कोई
जादूगर ।

डा.नीलम.अजमेर

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रंगा हुआ तेरी प्रीत के रंग
तू मेरा फागुन तुझसे ही बसंत
महकाया तूने जीवन मेरा
बस में नहीं दिल यह मेरा

तेरे काले-कजरारे नयना
मुझ पर कर गए जादू 
खोया तेरे ही ख्यालों में
सुध-बुध अपनी मैं खोकर

तेरी पायल की छम-छम
बजती हो कहीं पर सरगम
तेरी चूड़ियों की खनक से
संगीत बना मेरा यह जीवन

मोहिनी सूरत भोली-भाली
बातें तेरी बड़ी जग से निराली
मुझ पर चलाए अपना जादू
अब नहीं रहा मन पर काबू

तन्हाइयों में घिरा था मैं उदास
अकेला था मैं कोई नहीं पास
खुशियों को गया था मैं भूल
तन्हा था तन्हा जीने को मजबूर

पतझड़-सा था मेरा जीवन
तुम आई ज़िंदगी में बहार बनकर
अब जीवन का हर दिन बसंत है
छाए खुशियों के सतरंगी रंग है

खिल गई सपनों की क्यारी
दुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
सदियों का यह मिलन लगे
जब से तेरे सुर मेरे गीत बने
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित


हैं जादूगर
मोहक मतवारी
आंखें तुम्हारी

जादू जगाते
रसभरे अधर
अति मधुर

मनमोहिनी
सुरमई सागर
जादुई आंखें

मंचीय जादू
सम्मोहन प्रभाव
ऐन्द्रजालिक

विश्व प्रसिद्ध
भारतीय संस्कृति



जादुई कला

सरिता गर्ग
स्व रचित


मत जाना हुस्न की गली में हम बताते हैं
हमने देखा है हुस्न वालों को जादू आते हैं ।।

गुजरा कई साल पहले हुस्न की गलियों में 
आज तक न इस दिल पर काबू पाते हैं ।।

जादू ही होता है इनकी मासूम नजरों में 
खामखाह यह दिल अपना हम गंवाते हैं ।।

कमजोर नादान दिल वाले कतई न जायें 
अपना निशाना ये दिल पर ही लगाते हैं ।।

मंतर ऐसा मारें कभी तो एक नजर में ही
दिल गायब हो जाता और छटपटाते हैं ।।

तोड़ किसी के पास नही होता है ''शिवम" 
तोड़ स्वयं रखें पर तरस नही ये खाते हैं ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 15/03/2019

है जादूगर अरे मोहना
ये कैसा जादू कर डाला
मोर मुकुट पीताम्बर भव्य
गल शौभित वैजयंती माला
नटखट चँचल है नन्दलाला
ब्रज मंडल में धूम मचादी
जादू तेरा सर्वत्र आच्छादित
हर मानस में तू ही मुरारी
है राधा के प्रेम पुजारी
तेने कैसा जादू डाला रे
सुधबुध भूली सभी गोपियां
रोती हँसती ये ब्रजबाला रे
तेरी बंशी का सम्मोहन
तनमन जग सर्वत्र समाया
सुरलहरी आकर्षित करती
रास रचैया सबके मन भाया
मायावी अद्भुत जादूगर
तू कर्ता धर्ता है जग का
जन्म मृत्यु तेरे हाथों में
भला करे तू हर कण का
है जादूगर तू जादू से
जैसा चाहे जगत नचावे
सदा परीक्षा तू लेता है
कभी रुलावे कभी हँसावे
तनमन से समर्पित सारे
है जादूगर जादू कर दे
आतंकी आतंक मचाते
भारत की पीड़ा हर दे।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

विधा-दोहे

जादू बिखरा जगत में,कामिल किया कमाल
मानुष का चोला मिला , हम हैं मालामाल।

जादूगर गोले रचे,फेंक दिये आकाश
चंदा सूरज रात दिन,देते हमे प्रकाश।

कभी हँसाता है हमे,कभी बिगाड़े तान
कैसी ये जादूगरी , कौन सका है जान।

इक पल मिटती आस है,दूजे जाती साँस
जादूगर से जो मिले, रखना मन विश्वास।

सुख दुख चलते साथ हैं,मत करना संताप
जादू हो जब ईश का,सब कुछ साधे आप।

दुनिया में सबसे बड़ा , जादूगर भगवान
सहज काज होते सभी,उसका अटल विधान।

~प्रभात
स्वरचित


*****************
"प्रकृति का जादू"

सबसे बड़ा जादू तो प्रकृति ने दिखाया है, 
मैंने तो एक नन्हा बीज था बोया, 
पौधा उसे प्रकृति ने बनाया है ,
अहा! कितनी सुन्दर माया है |

जब वह बीज मिट्टी में सोया था,
सूरज ने तब उसे जगाया था,
बरखा की बूँदों ने फुंवार बनकर, 
फिर जल उस पर बरसाया था |

धीरे-धीरे पौधा और बड़ा, 
प्रकृति का जादू खूब चला, 
आज वो बड़ा सा पेड़ बना, 
फल, फूलों से लदा हुआ |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*

कान्हा तेरी मुरली का जादू

कान्हा तेरी मुरली का
ये कैसा जादू ??
चाहकर भी कर न पाएं 
हम खुद पर क़ाबू।।

तेरी मुरली की मधुरधुन
करे मुझे गुमसुम।
पहले मैं जाऊं.. पहले मैं..
छिड़े गोपियों में जंग।।

भाता है तेरा नटखटी भाव
बतियाने को करे मन।
सब कुछ किया वश में मेरा 
तन मन और धन।।

या तो बन्द कर मुरली वादन,
या बनो आँखो के उद्दीपन।
जन्माष्टमी के इस पावन पर
हर लो सब के व्याकुल मन।।

स्वरचित
सुखचैन मेहरा

नही कोई वादा आज मेरे नजर से

रिश्तो को निभाया है दिल के जिगर से।

सुना है कोई बाजीगर आया इस शहर में

जादूगर अपना जलवा बिखेरे इस नगर में।

उड़ा ले गई चिलमन की पत्तियां

न जाने कौन सी हवा चली किधर से।

नसीब ने कई खेल खेलें जहर से

नहीं खौफ रहा कोई अब जहर के कहर से

चले ओढ ले कब्र की पाक चादर

थक गयी जिंदगी नापाक सफर से।

$#@सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्या पीठ इटंर कालेज प्रयागराज

कलंदर

हे जादूगर हे नट नागर 
कैसी मोहनी डारे तूं
मैं ग्वालन एक भोरी सीधी
पहुंचो हुवो कलंदर तूं

बंसी धुन में कौन सो कामण
मोरे मन को बाधें तूं
जग को कोई काज न सूझे
मोरो चैन चुरायो तूं

मैं बस तूझको ही निहारूं
जग को खैवन हारो तूं
मैं बावरी बंसी धुन की
अपनी मस्ती में खोयो तूं

मैं एक नारी बेचारी 
पशु पाखिन को प्यारो तूं
काज छोड़ सब विधि आई
एक नजर ना डारे तूं।
स्वरचित 

कुसुम कोठारी ।


जादू चला ऐसा |
कलम की चर्चा |
लेखक सोया |
जागा जमाना |

जादूगर पैसा |
नाच नचाया |
जग बौराया |

जादू बसंत |
वसुधा अनंत |
उन्मत्त मन |
बरसात रंग |
ये जादूगरी |

रहता जादू |
घर परिवार |
रिश्तों की आड़ |

घायल पंछी ,
डोले वन वन |
वेदना बड़ी |
नयन बाण |
जादू की पडी |

काला जादू |
बिखर गया |
कितने डसते नाग |
अब लगी प्रभु से आस |

चल गया जादू ,
बातों का बिशेष |
शुभकामनाऐं अशेष |
आहत जनादेश |

गोरख धंधा ,
रात दिन |
चैन नहीं दिन रैन ,
जादूगर जादू करे |
नाचे छम छम ,
पागल मनवा बैचेन |

स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश 


💐💐💐
जादूगर के जादू को 
कहाँ समझ हम पाते।
हाथों की है सफाई या
नज़रों का है फेर।
पर जादूगर के जादू में
होते हम इतने तल्लीन
देख तमाशा जादूगर का
हमसब कुछ जाते हैं भूल।
जादूगर वो ऊपर वाला
कितना सुंदर करतब करता
सारी दुनिया को रचता है
फिर उसमें सुंदरता भरता
एक एक को निज जादू से
सर्वोत्तम होने को रचता।।
💐💐💐
स्मृति श्रीवास्तव
स्वरचित


बिषय:- जादू/जादूगरविधा:- सायली छंद

(1)
जादू
कौन दिखाता
सम्मोहन से बांध
लोग कहते
जादूगर
(2)
हमे
लगता जादू
जन्म- जीवन-मृत्यू
जादूगर दिखता
भगवंत

स्वरचित: 15-03-2019
डॉ.स्वर्ण सिंह रघुवंशी, गुना(म.प्र.)

मेरे जीवन घट में प्रेयसी,
अंगुरीय रस का हाला,

भर दे जिससे आयु हमारी,
बन जावे प्रिय मधुशाला।।१।।
सम्पर्कित संसार समझ लें,
हमने जादू कर डाला,
अब तक के गड़बड़ झाले का,
खुद हो जावे मुंह काला।।२।।
मेरे जीवन की रसवन्ती,
दिखने का द्वैत हमारा,
जग का जीवन जीने का,
रुपायित योग हमारा।।
स्वरचित देवेन्द्र नारायण दास बसना छ,ग,


जादू तेरी बातों में हो
या कसूर उम्र का था
हमारे जो अरमान थे
जी रहे सपनों को थे
या मरीचिका सा भ्रम था
कभी ऐसा ना कह देना 
यह सब मोहजाल था।

जादू तेरी नजरों की हो
या कसूर मेरे दिल का
यह बंधन प्रेम का था
या मोह के बाहुपाश थे
जो दिल के आसपास थे
कभी ऐसा ना कहना कि
वो बनावटी एहसास थे।

जादू तेरी शख्सियत में हो
या कसूर मेरी नादानियों की 
तेरी जो भी मेहरबानियाँ थी
सिर्फ दिल का बहलाना था
तुम कभी यह ना कह देना
बात सिर्फ उसूलों की थी।

स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल


हम अजनबी बनकर सफर कर रहे थे राहों में 
आपकी मोहब्बत ने ना जाने क्या जादू किया 
जिंदगी हमारी खुशियों से महकने लगी 

हर तरफ आपके मोहब्बत का जादू छाने लगा .

उनकी हर बात में जादूगरी की कशिश हैं 
बातों में उनकी शायरी की महक हैं 
देखकर उनको महफ़िल सजती हैं 
उनके इसी जादू भरे अंदाज से महफ़िल की रौनकें सँवरती और सजती हैं .

बेचैन दर्द-दे दिल को हर वक्त उनका इंतजार हैं 
उनकी कशिश से महफ़िल की शमा जलती हैं 
वो जाने क्या जादू करते हैं दिल के जख्म भर जाते 
दिल में लगे घाव मिट जाते हैं .

जादू हैं या हुनर उनकी शख्सियत में 
गुजरे जो पास से मुरझाये फूल खिल जाते हैं 
बुझे चहेरे खुशियों से खिल जाते हैं 
जिंदगी में खुशी की बहारें आ जाती हैं .
स्वरचित:- रीता बिष्ट


हाइकु 
1
जीवन मेला 
ईश है जादूगर 
खेलता खेला 
2
माटी इंसान 
साँसों की करामात 
ईश्वर का जादू 
3
देह खिलौना 
दिल है जादूगर 
साँसों की छड़ी 
4
है रंगमंच 
मनु कठपुतली 
ईश्वर जादू 
5
प्रकृति जादू 
हरियाली फैलती 
धरा हंसती 
6
कलम छड़ी 
शब्दों का हुआ जादू 
नाचे कविता 
कुसुम पंत "उत्साही "
स्वरचित 
देहरादून


विधा-हाइकु

1.
कृष्ण कन्हैया
बृज का जादूगर
माखन चोर
2.
कृष्ण बाँसुरी
दिखाती है जादू
संग गोपियाँ
3.
कलम जादू
साहित्य जगत में
लगाती चाँद
4.
जादू चलाय
चितचोर कन्हैया
राधा रिझाय
5.
जादू दिखाएं
अधर कन्हैया के
ये बाँसुरियाँ

स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

विधा=हाइकु 
========
मधुर बाते
करती मदहोश 
जैसे हो जादू

जग में सारे
जादू कहलाई
हाथ सफाई 

सबसे बड़ा 
जादूगर ईश्वर 
बाकी के ठग

हुआ मुश्किल 
परिवार पालना
दिखा के जादू 

चलता खूब 
पास हो प्रेम दया 
रिश्तों का जादू

अंधविश्वास 
भ्रमित है समाज 
जादू का खेल

सबसे बड़ा 
जग का जादूगर 
रूपया पैसा

शिक्षित जन
नहीं होता है दंग 
देख के जादू 

===रचनाकार ===
मुकेश भद्रावले 
हरदा मध्यप्रदेश 
15/03/2019


थक हार कर लौट रहा वह
मन मे उठे विचार अनेक
खड़ी धूप मे खड़ा रहा वह
मिला बस सवार एक

रिक्शाचालक भले है वह
है वह एक बिटिया का बाप
माथे पर आये पसीना
दे रहा अलग एहसास

घर पर बिटिया करती होगी इंतजार
सोच सोच मंद मुस्काये
घर पहुंच जब बिटिया को
गोद मे उठाये वह आज

बिटिया का रूप सलोना
भर देगा जादूई एहसास
नन्हीं बिटिया है जादूगरनी
हर लेगी तुंरत थकान।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव

दो जादूओ के बीच में ,
चले माया का व्यापार ,
एक जादू जब तू जन्मा!
दो नन्हे नैनो के साथ ।

कैसे रची यह काया ,
कैसे आए इसमें प्राण ,
कौन जाने छोटे से ,
कर पर क्या लिखा..
लकीरों में !

नैनो से जानी यह दुनिया ,
स्पर्श अनुभव दे गया ।
मोह माया प्रेम विरक्ति ,
सभी तो है जादूगर ।

जाने कैसे खेल दिखाए ,
कठपुतली सा हमें नचाए !
दूजा जादू मौत को समझो ।

जाने कैसे माला टूटे ,
सांसों के यह मोती बिखरे ..
रिश्ते रंग नजारे दुनिया ,
सब ही से तो नाता टूटे ।।

आसमा का वह जादूगर 
बार बार यह काया बदले 
दो जादू के बीच में चले 
देखो माया का व्यापार
नीलम तोलानी
स्वरचित


जादू था उसकी बातों में,
हर पल वह हमें लुभाती थी।
उसकी उन शोख अदाओं पर,
कुर्बान जवानी होती थी।
आती थी पवन के झोंके सी
मन को शीतल कर जाती थी।
उसकी चंचल अदाओं से,
मन उदगारों से भरता था।
आगे चल कर उदगार यही,
कविता का रूप धरते थे।
उसके आने से रौनक थी
महफिल की शमा जल जाती थी।
कैसे बतलाऊँ मैं सबको,
उससे मेरा क्या रिश्ता था।
जो भी था बस अहसास मात्र,
दिल में राहत भर जाती थी।
मैं नाम नहीं दे पाया था
वह रिश्ता ही कुछ ऐसा था।
वह रिश्ता बस प्यारा सा था।।
वह रिश्ता बस प्यारा सा था।।
(अशोक राय वत्स) स्वरचित
जयपुर


विषय:-"जादू" 

(1)
फाग का जादू
रंगीन सम्मोहन 
गायब आँसू
(2)
कर्तव्य दौड़ 
पिता जादू चिराग
घिसता रोज
(3)
हँसीऔआँसू
पल में सुख-दुःख
जीवन जादू
(4)
कृष्ण का जादू
बंसी पर गोकुल
कंस पे काबू
(5)
थिरके तन 
सात सुरों का जादू
गायब मन
(6)
मित्रता जादू
बूझे मन की बात 
मौन सँवाद
(7)
जिह्वा पे काबू
बदल दे जीवन
शब्दों का जादू
(8)
ममता जादू
लोरी का सम्मोहन
नींद आगम 
(9)
जादू सा दिखा
शशि का सम्मोहन
सागर खिंचा

स्वरचित 
ऋतुराज दवे


जादू/जादूगर
आँगन में ठंडा चूल्हा
चूल्हे पर चढ़ा भगोना
मुड़ा तुड़ा तिकोना
आलू से है लगे उबलने
भगोने में भाग्य औ सपने
फाके में बीती रात
तारे गिनते हो गया प्रभात
दरवाजे पर मुँह चिढ़ाती खूंटी
जंग लगी कुछ टूटी
मुर्गे ने जब दी बाँग
खूंटी पर भूख टाँग
कुलदेवी को गोहार
खेतों में भागा बनिहार
हाथ में लिए कुदाल
बंजर खेतों को किया निहाल
कुदाल है या कोई जादू है
तप लीन वो कोई साधु है
तिलिस्म या तपबल दिखा
जाने क्या क्या दिए उगा
निज भाग्य महज रहा सितमगर
बदल इसे न पाया वो जादूगर
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित

ऐ कलम दिखा कुछ जादू....
आया भावों का अभाव आज...
लिख कुछ जादुई सृजन...
पड़े छोड़े दिलों पर प्रभाव आज...
कर करिश्मा कोई...
दिखा जादुगरी तेरी....
तूने तो कई इतिहास लिखे है..
अमर हुए वो हर पृष्ठ है...
तूने जिसकी गाथाएं लिखी..
अमर हुए वो हर शख्स है...
फिर आज क्यों मौन है?
क्यों हर शब्द गौण है?
पार उतार दो भवसागर से...
बन जाओ पतवार मेरी...
हो जाए नाम मेरा भी...
कर दे हर आस पूरी मेरी..

स्वर
चित :- मुकेश राठौड़


दूर क्षितिज के पार से , 
किसने किया ये जादू देखो
फोड़ पत्थरों को अंकुर हँसा ।
गीत गाया पक्षियों ने 
बहेलिया अपने ही जाल में फंसा ।
कैसा अनूठा ये जादूगर 
जिसकी मुठ्ठी में है 
बंद आठों प्रहर ।
कैसे लगायी उसने 
नील गगन पर 
झिलमिल तारों की झालर ।
ये कौन बैठा छुपकर 
पकड़े सूरज की कॉलर ।
है फैलाया किसने 
अरूण और विधु के बीच 
सुंदर संवादों का ऐन्द्रिक जाल ।
पुरवाई बयार का जादू 
पछुआ पवन का टोना 
है उसके मन का कोना ।

(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )

विषय- जादू/जादूगर

शब्दों का जादू
बदलता जीवन
ले सुख-दुख

बरसे मेघ
कृषक का पसीना
दिखाता जादू

जादुई स्पर्श
ममता का आँचल
हरता पीर
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
15/3/19
शुक्रवार


मकता दमकता मंच
संगीत, शोर शराबा
उंगलियों का कमाल 
तलवार आर पार
तन रह गया आधा,
कभी कबूतर कपड़े 
से निकल कर भागा
कितने ही ऐसे जादू
जादूगर ने दिखाए
भ्रम और हाथ के 
करामात, मन हरषाये।
जीवन के वास्तविक रूप
मे जादूगर का क्या स्वरूप
ये कौन सा जादूगर 
बड़े कमाल का
जादू के अपने राज छिपाए 
इंद्रधनुष मे रंग भर जाए
चाँद तारों से अम्बर सजाये
नियम मे धुरी पर चलाये ,
हर विधा का जादू सिखाये
किसी को संगीत की मल्लिका बनाये 
कोई नृत्य का जादू बिखेरे 
वो कौन जादूगर है 
जो जीवन धन्य कर जाए ।

स्वरचित
अनिता सुधीर


अनेक तरह के जादूगर यहां,
कोई बातों का जादूगर है।
हाथों की सफाई दिखे कहीं,
कोई आंखो का जादूगर है।

बलि चढाऐं जादूगर कुछ,
जादू दिखाकर हमें रिझाते।
भरा तिलिस्म दुनियां में सारी,
कुछ जादू कर हमें बताते।

यहां रहता पर कहीं दिखता ये
कलाकार बडा मुरलीबजैया ।
गऊऐं चराते वन वन में मिलता,
मधुवन में मिलता रास रचैया।

हमें नेता जादू रोज बताते।
कब दल बदलें जान न पाते।
खाऐं मलाई पांच साल फिर,
कहां खो जाऐं समझ न पाते।

स्वरचितः ः
इंजी.शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी

3भा.15/3/2019(शुक्रवार)
#जादू/जादूगर
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