फरिश्ता
फरिश्ता कोई मजहब या कोई
भाषा का मोहताज नही होता।
वे तो भगवान के दूत होते है।
और हमारे समस्याओं के समाधान।
हर एक इंसान के अंदर।
होता है एक फरिश्ता
बस उसे देना है एक मौका।
अच्छे कर्म ही बनाते है फरिश्ता।
जब इंसान हो बिल्कुल
हैरान व परेशान
तो फरिश्ते ही लेते है
उसे संकट से निकाल।
जब चारो ओर घीरा हो अंधेरा
फरिश्ता देते है आशा का दीपक
का उजियारा।
हम। भी बन सकते है दूसरो
के लिए फरिश्ता
गरीब के बच्चों को पढ़ा कर
या किसी गरीब की बेटी की
शादी करा कर क्योंकि सेवा का
ही तो दूसरा नाम है जिंदगी
और फरिश्ता हम ही है
कोई और नही।
स्वरचित -आरती श्रीवास्तव।
भावों के मोती
मंगलवार 19/6/18
दैनिक कार्य
फरिश्ते
----------
भारत माँ के लाल फरिश्ते
कुदरत का कमाल फरिश्ते
दुश्मन ने जो आंख उठाई
कर देते बेहाल फरिश्ते
आन बान ईमान फरिश्ते
देश का दिल और जान फरिश्ते
हरदम खेले बाजी सिर की
मिट्टी पर कुर्बान फरिश्ते
शेरों की ललकार फरिश्ते
बिजली की तलवार फरिश्ते
देख के धड़कन रुक जाती
सीमा पर हाहाकार फरिश्ते
स्वरचित
सपना सक्सेना
फरिश्ते हर समय जन्म नहीं होते।
फरिश्ते हर किसी को नहीं मिलते।
फरिश्ते धरा पर तभी आते हैं जब मानवमूल्य ह्रास होते इन्हें दिखते।
बढते अत्याचार जब इस धरती पर,
भगवान अवतरित निश्चित ही होते।
फरिश्ते तभी आते हैं इस धरनी पर,
जब उनसे दुराचार सहन नहीं होते।
फरिश्तों का रूप निश्चित नहीं होता।
कहाँ मिल जाऐं सुनिश्चित नहीं होता।
परमात्मा सहायता सबकी ही करते हैं,
किस रूप में आऐं नियत नहीं होता।
फरिश्ता वही जो समय पर काम आ जाऐ।
बिगडी परिस्थितियों में जो काम आ जाऐ।
मानवीयता हमें तभी सच्ची दिखाई देती है,
जब ये मानव फरिश्ते सा बक्त पर आ जाऐ।
स्वरचितः
इंजी शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
फरिश्ता स्वयं का विश्वास है
यह धैर्य और साहस है
शौर्य और पराक्रम है
रश्मि है ज्योति है
आभा प्रभा है
यह समभाव सदाचार दयावान है
फरिश्ते में माँ सी ममता है
नन्हा सा निश्छल प्रेम है
प्रेममय ज्योती है
पहचान अपने फरिश्ते को
यह ईशवर की देन है
अद्भुत एक शक्ति है
अनमोल विभूति है
निर्मल मन में फरिश्ते का वास है
स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल
-----------
"ताउम्र तेरी तलाश में रहा
हर आहट पर फरिश्ता सा नजर आया तू।"
"ताउम्र इबादत में खुदा का नहीं
तेरा ही नाम लेता रहा
इस तरह से मोहब्बत थी तुझसे कि
तुझे ही फरिश्ता समझता रहा ।"
"महकता हुआ चमन था
मुस्कुराती हुई रात
एक मुलाकात हुई और
वह मेरा फरिश्ता हो गया ।"
"शाम में बाजार से जब खिलौना लेकर आया
एक मासूम सा बच्चा को
अपने पिता में फरिश्ता नजर आया ।"
"कई दिनो से भूखा तड़प रहा था
एक सूखी रोटी कौवों की चोंच से गिरी
कि भूखे बच्चों ने कौवों को फरिश्ता समझ बैठा ।"
"ताउम्र गुजरी हाजत में
जीवन की अंतिम घड़ी में रिहाई मिली
और मुजरिम ने हाकिम को फरिश्ता समझ बैठा ।"
"ताउम्र मैं सोचता रहा हूँ
कि ये फरिश्ता कौन है
कहाँ रहता है
क्या करता है
कोई कहता है यह आसमां में रहता है
कोई कहता है यह सबके दिलो में रहता है
अगर यह सबके दिलो में रहता है तो आदमी शैतानो सा क्यों करता है?
क्या फरिश्ता भी पत्थर दिल रखता है?"
@शाको
स्वरचित
No comments:
Post a Comment