******तमन्ना ******
सूर्य रश्मि के स्वर्ण पथ से
जीवन की शुरुआत हो
सपने मेरे बह जाए
बसंतो की धार में
ऐसी रंगीन बरसात हो
आलोकित कर दे जीवन गाथा
दामन में खुशियाँ अपार हो
खोल द्वार सोने दे माँ
जीवन में मेरे जब रात हो
मिले गोद तेरी जो चिरनिद्रा
में सो जाऊँ
ऐसी तमन्ना रहे हमेशा
बुझती ना कभी जज़्बात हो
स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल
सूर्य रश्मि के स्वर्ण पथ से
जीवन की शुरुआत हो
सपने मेरे बह जाए
बसंतो की धार में
ऐसी रंगीन बरसात हो
आलोकित कर दे जीवन गाथा
दामन में खुशियाँ अपार हो
खोल द्वार सोने दे माँ
जीवन में मेरे जब रात हो
मिले गोद तेरी जो चिरनिद्रा
में सो जाऊँ
ऐसी तमन्ना रहे हमेशा
बुझती ना कभी जज़्बात हो
स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल
तमन्नायें ही तकदीर हैं
तमन्नायें ही शमशीर हैं ।।
तमन्नाओं को समझिये
ये बनाती हाथ की लकीर हैं ।।
तमन्नाओं का जन्मों से जुडा़व है
देखिये किस तमन्ना से लगाव है ।।
मत करना समझने में देर ''शिवम"
ये बनातीं इंसा का स्वभाव है ।।
अच्छी तमन्नाओं से करें गठजोड़
ये देंगीं जीवन में नया मोड़ ।।
पहुँचायेंगी चर्मोत्कर्ष पर
बनायेंगी एक दिन बेजोड़ ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
5-6-2018
तमन्ना
तमन्ना थी मेरी एक ये
नदी जल धार बन जाऊँ
बहा कर बैर-भावों को
कहीं मैं दूर ले जाऊँ।।
नही शिकवें शिकायत हो
स्नेह की धार हो बाकी
फूलों से भरी एक वो
सजी मैं नाव बन जाऊँ।।
तमन्ना थी मेरी एक ये
ढले चेहरों को लेकर के
पवन झोकों तले से मैं
इंद्रधनुष के पार ले जाऊँ।।
वसंती राग हो पूरे
सुखद समीर बहती हो
अंनत इच्छाएँ भी उनकी
किसी कूची से रंग जाऊँ।।
वीणा शर्मा
प्यार की तुम कलम मे तेरी तहरीर हूं
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हो मेरा ख़्वाब तुम, तुम मेरी जिंदगी
हकीकत हो तुम मेरी मै तस्वीर हूं
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इश्क-ए-आॅख तुम हो गर मेरी यारा
मै तेरी आॅख का नज़र-ए-तीर हूं
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तुम मेरा सागर हो मे तुम्हारी लहर हूं
ड़गमगाती-ए-कश्ती का मै तदवीर हूं
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उल्फ़त,नफ़रत,तो लगी रहती यारों
ईश्क-ए-तेरी मे यारा तकदीर हू
*****
स्वरचित/मौलिक
मनमोहन पालीवाल
कांकरोली
9460942625
(05-06-2018
मेरी तमन्ना में तुम रहते हो
हर हसरत में अंगड़ाई भरते हो
कैसे न फख्र करूँ मुकद्दर पर अपने
आसमां के चांद हो मुझमें बसते हो
फलक से उतार कर दिल में बसाया है
तुम क्या जानों कितना खतरा उठाया है
बस इस तमन्ना में जीती हूं दिलबर
इक चुटकी ख्वाहिश को दिल का सबब बनाया है
गरुर में जीते हो अकड़ के चलते हो
दिल के कातिल हो आखों से वार करते हो
आरज़ू को मेरी यूं सरे आम रुसवा न कर
तेरी मोहब्बत गरुर है मेरा यूं मुझे बदनाम न कर
तेरे इश्क के सदके सर झुकाया है
मेरे रहनुमा तेरे कदमों में दिल लुटाया है
मेरी दिल की लगी से दिल्लगी न कर
मेरी मोहब्बत ने ही तुझे खुदा बनाया है
तुम हमदम हमनज़र हमनवां हो मेरे
दिल की तमन्ना आरजू अहसास हो मेरे
कैसे दिखाऊं दिल चीर कर दर्द मेरा
ज्यादा कुछ नहीं बस सरताज हो मेरे
स्वरचित : मिलन जैन
भा.5/6/2018(मंगलवार )शीर्षकःतमन्ना ः
तमन्नाऐं सभी किसी की पूरी नहीं होती।
इच्छाऐ हमेशा किसी की पूरी नहीं होती।
जिंन्दगी भर कामनाऐं करता रहता आदमी,
यूंही हसरतें सभी किसी की पूरी नहीं होती।
ये तृष्णा तमन्नाऐं हमारी बढती जाती हैं।
एक हटती दूजी पास खिसकती आती है।
बहुत मनोभावनाऐं पनपती हैं रोज मन में,
जितनी पूर्ति करें इनकी ये बढती जाती हैं।
आरजू करना कहीं कोई अधर्म नहीं होता।
करें सदइच्छा अपना कोई विधर्म नहीं होता।
पाली कुचेष्टाओं की तमन्नाऐं अगर किसी ने,
जमाने में इससे बडा कोई वेशर्म नहीं होता।
चाहता हूँ आसमां से तारे तोडकर लाऊँ।
दुष्टों को नरक में यहां से छोडकर आऊँ।
बहुत सी तमन्नाऐं हमने भी पाली हैं मगर,
लगता बहुत जल्दी जहाँ से कूचकर जाऊँ।
स्वरचितः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
तमन्नाओं मत उड़ो इतना के ज़मीं से कट जाऊं मैं....
सूरज की तपन से पिघल थम से फिर गिर जाऊं मैं....
होश में रह के उड़ोगे तो मैं भी संभल जाऊँगा....
बेहोश हो गिरा तो साथ तुमको भी ले डूब जाऊँगा मैं...
चाँद की तमन्ना ने आग लगा दी चाहतों को मेरे....
साँसों ने फिर जिस्म को जलाने की सजा दी मेरे....
तूफानों की ज़द पे सफ़ीने रहते आखिर कब तक....
उनको भी तमन्ना थी 'मरने' की लग के सीने से मेरे....
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