बिकते है बाजार में करोड़ो के कपड़े जिनमे भी जिस्म नंगा होता है।।
दुनिया मे सबसे कीमती लिबास बस जिस्म पर तिरंगा होता है।।
महबूब से दिल मे
देशभक्ति से बड़ी इस कायनात मे कोई शक्ति नही होती।
ये तो वो जोश होता है जिसमे बेटे की शहादत पर माँ भी नही रोती।।
जब चोला देशभक्ति का किसी तन से लिपट जाएगा
फिर उसको फिक्र नही गर सर भी देश पर कट जयगा।
""""स्वरचित-- विपिन प्रधान""
दुनिया मे सबसे कीमती लिबास बस जिस्म पर तिरंगा होता है।।
महबूब से दिल मे
देशभक्ति से बड़ी इस कायनात मे कोई शक्ति नही होती।
ये तो वो जोश होता है जिसमे बेटे की शहादत पर माँ भी नही रोती।।
जब चोला देशभक्ति का किसी तन से लिपट जाएगा
फिर उसको फिक्र नही गर सर भी देश पर कट जयगा।
""""स्वरचित-- विपिन प्रधान""
अटल खड़े हिमालय से
विद्रोहियों को ललकारें
देशभक्ति है अपनी सेवा
तन-मन इस पर वारें।।
निडर खड़े हिमालय सा
सीना है हमने पाया
ललकारें जो कभी हमें
सिंह रूप दिखलाया।।
देश की खातिर जीना मरना
हमने ये सब जाना
रहें सारथी कृष्ण जहाँ
फिर कैसे डर जाना।।
युगों युगों रक्षार्थ रहे हम
मातृभूमि सेवार्थ
तन-मन अब क्या चीज रही
रूहें इस पर वार।।
वीर शिवाजीऔर राणा
रूप था जो दिखलाया
धमनी में वह दौड़ रहा
फिर देशभक्त कहलाया।।
तपती गर्मी जैसे लावा
नही कभी घबराया
देशभक्ति की ज्योति लिए
सदा आगे मैं आया।।
वीणा शर्मा
शीर्षक - देशभक्ति
मेरे देश के वीर जांबाज
फौजी जब हुंकार भरें
कहर बनकर टूटें अरि पर
सरहद पर हाहाकार करें
दहल उठें आतंकी सीने
दुश्मन की धड़कन रुक जाये
चाहे हो फौलाद सामने
पल में नीचे झुक जाये
चीर के टुकड़े टुकड़े कर दें
अंजाम बुरा गद्दारी का
कौन मुकाबिल यम के हो
कौन दाव चले होशियारी का
मातृभूमि की रक्षा में निज
तन मन प्राण समर्पित हैं
देशभक्ति की राहों में
शीशों के पुष्प भी अर्पित हैं
सपना सक्सेना
स्वरचित
मेरे देश के वीर जांबाज
फौजी जब हुंकार भरें
कहर बनकर टूटें अरि पर
सरहद पर हाहाकार करें
दहल उठें आतंकी सीने
दुश्मन की धड़कन रुक जाये
चाहे हो फौलाद सामने
पल में नीचे झुक जाये
चीर के टुकड़े टुकड़े कर दें
अंजाम बुरा गद्दारी का
कौन मुकाबिल यम के हो
कौन दाव चले होशियारी का
मातृभूमि की रक्षा में निज
तन मन प्राण समर्पित हैं
देशभक्ति की राहों में
शीशों के पुष्प भी अर्पित हैं
सपना सक्सेना
स्वरचित
देश भक्ति के प्रश्न हर ज़गह ठहरे हैं
देश भक्ति के अर्थ बहुत ही गहरे हैं।
आप अपना काम निष्ठा से कीजिए
किसी तरह की कोई उत्कोच न लीजिए
गुप्त बातों की नहीं कहीं चर्चा करें
सरकारी कोष में व्यर्थ न खर्चा करें।
छिपे हुए जयचंदों का पर्दाफाश करें
आतंकी गतिविधियों वाले लोगों का नाश करें
ये देश के लिए कचरा हैं इन कचरों को साफ करें
राष्ट्र भावना रखें सदा राष्ट्र के साथ इन्साफ करें।
देश भक्ति में प्राण गंवाना गौरव की बात है
तिरंगे में लिपट कर आना इस शौर्य भक्ति की बरसात है
देश भक्ति भी ईश्वर का वन्दन है
क्योंकि इसमें भारत माॅ का स्पन्दन है।
अपनी योग्यता झोंक दो
गद्दार को एकदम रोक दो
जो देश हित में न बात करे
उसको तुरन्त ठोक दो।
देश भक्ति के अर्थ बहुत ही गहरे हैं।
आप अपना काम निष्ठा से कीजिए
किसी तरह की कोई उत्कोच न लीजिए
गुप्त बातों की नहीं कहीं चर्चा करें
सरकारी कोष में व्यर्थ न खर्चा करें।
छिपे हुए जयचंदों का पर्दाफाश करें
आतंकी गतिविधियों वाले लोगों का नाश करें
ये देश के लिए कचरा हैं इन कचरों को साफ करें
राष्ट्र भावना रखें सदा राष्ट्र के साथ इन्साफ करें।
देश भक्ति में प्राण गंवाना गौरव की बात है
तिरंगे में लिपट कर आना इस शौर्य भक्ति की बरसात है
देश भक्ति भी ईश्वर का वन्दन है
क्योंकि इसमें भारत माॅ का स्पन्दन है।
अपनी योग्यता झोंक दो
गद्दार को एकदम रोक दो
जो देश हित में न बात करे
उसको तुरन्त ठोक दो।
देश भक्ति
जिस मिट्टी में मेरा जन्म हुआ।
वह मिट्टी नही सोना है।
वह मेरे देश की मिट्टी है।
इसने मुझे सिंचा हैं।
इस मिट्टी में बड़े होकर
देश भक्ति की जज्बा तो
हम हर एक मे समाई है।
ये तो हमारी मातृभूमि है
पितृ भूमि और कर्मभूमि भी।
रोम रोम कर्जदार है मेरा।
माँ भारती मैं हूँ लाल तेरा।
जब भी मौका मिले मैं
उतारना चाहूं ऋण तेरा।
भाल उचाँ है हिमालय से माँ।
तन स्वच्छ है गंगाजल से माँ।
सुन्दर लाल है हम माँ तेरा
तेरी रक्षा करे हम माँ तेरा।
दुश्मन यदि आँख भी उठा ले
कर दू उसका हाल ,बेहाल मैं माँ।
स्वर्ग से सुन्दर है मेरा देश
है सोने की चिडिय़ा मेरा देश।
फिर से मैं तुम्हे सोने की चिड़िया
बना दूँ।तेरे नौनिहालों को
जगा दूँ।
देश है तो हम है।
देश ही हमारी शान है।
देश भक्ति ही हमारी
जीवन का अभिप्राय है।
स्वरचित -आरती -श्रीवास्तव
जिस मिट्टी में मेरा जन्म हुआ।
वह मिट्टी नही सोना है।
वह मेरे देश की मिट्टी है।
इसने मुझे सिंचा हैं।
इस मिट्टी में बड़े होकर
देश भक्ति की जज्बा तो
हम हर एक मे समाई है।
ये तो हमारी मातृभूमि है
पितृ भूमि और कर्मभूमि भी।
रोम रोम कर्जदार है मेरा।
माँ भारती मैं हूँ लाल तेरा।
जब भी मौका मिले मैं
उतारना चाहूं ऋण तेरा।
भाल उचाँ है हिमालय से माँ।
तन स्वच्छ है गंगाजल से माँ।
सुन्दर लाल है हम माँ तेरा
तेरी रक्षा करे हम माँ तेरा।
दुश्मन यदि आँख भी उठा ले
कर दू उसका हाल ,बेहाल मैं माँ।
स्वर्ग से सुन्दर है मेरा देश
है सोने की चिडिय़ा मेरा देश।
फिर से मैं तुम्हे सोने की चिड़िया
बना दूँ।तेरे नौनिहालों को
जगा दूँ।
देश है तो हम है।
देश ही हमारी शान है।
देश भक्ति ही हमारी
जीवन का अभिप्राय है।
स्वरचित -आरती -श्रीवास्तव
"देशभक्ति"
देशभक्ति तो हमारे खून की तासीर में होती है
वो हर देशवासी को सदा देशप्रेम की ही शिक्षा देती है
कुछ लोग हैं अपवाद जो इस फ़र्ज़ से हैं चूक जाते
और देशविरुद्ध करम करके अपना नाम डुबाते
देशभक्ति की देशवासियों पर सदा जीता है देश
बेशक़ उनकी भाषा खानपान या भिन्न भिन्न हों वेश
सब लोगों को मिलाकर ही एक देश बनता है
और उन्हीं के भरोसे देश विश्व मे अपना स्थान रखता है
(स्वरचित)
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धर्म है, सत्य है, शांति है
ईमान है, त्याग है, बलिदान है
हे देशभक्तों! आपकी कुर्बानियो से ही
अपना वतन "भारत" अमर है ।
1
मिली आजादी संभालो इसे
शहीदो का यशोगान करो
बनकर प्रहरी डटे रहो
सरहदो पे सीना ताने रखो ।
2
मिला तिरंगा लहराओ इसे
वीरो की गौरवगाथा गढ़ो
दिया अपना धड़ जिन्होने वतन को
उनकी समाधि पर नमन करो ।
3
पहन केसरिया वीर आगे बढ़ो
श्वेत रंग का सम्मान करो
सदा रहे अपना वतन हरा
अपने लहू से वतन को सींचा करो
4
जन गण मन का गुणगान करो
जिओ और जीनो दो का पाठ करो
गूंजे चारो दिशाओ में यश भारत का
नित्य माँ भारती का वंदन करो ।
@शाको
स्वरचित
" देशभक्ति"
माँ तुझे सलाम मैं करती हूँ,
लाल अपने को हँसते- हँसते,
तू सरहद पर भेज देती है,
चले गोलियाँ जब सरहद पर,
छाती तेरी छलनी होती है,
चौड़ी छाती कर बाप ने,
बेटों को सेना में भेजते हैं,
कर न्यौछावर प्राण सपूत ,
तिरंगा अपना लहराते हैं,
इनकी शहादत पर हिमालय ने,
शिश अपना झुकाया था,
देशभक्ति की गर्मी इतनी,
लेह लद्धाख की सर्दी में भी,
खून इनका गरमाया था,
उड़ा दुश्मनों के छक्के ये
हिमालय पर तिरंगा फहराते हैं
देकर जान देश की खातिर,
ये देशभक्त कहलाते हैं ।
दिल बंजारा गाये, सरहद पे, दिल बंजारा गाये,
सीने में एक हूक सी उठती जाने, किस घङी सांस थम जाये।
पहला प्यार मेरे देश की मिट्टी, जिसका कण-कण प्रियतमा
फुर्सत के लम्हों में दिल रूह से पूछे, तुम कैसी हो मेरी प्रिया
खामोश हवाओं संग लिख लिख भेजे, कैसी प्यार भरी चिट्ठियां
मां के संग बचपन को बांटे, और फिर सरहद की खट्ठी-मिट्ठियां।
बेताब निगाहें पल पल बूढे बाप को ढूंढे, बच्चें सपनों में पलते
जिगर को बांध फिर मोह्पाश सिपाही, वतन की राह पे चलते।
फिर भी दिल बंजारा गाये……..
सीने में एक हूक सी उठती जाने, किस घङी ये सांस थम जाये।
प्रश्नचिन्ह सी क्यूं बनी खङी है, देश की सरहद और सीमाऐ
सिहांसन ताज के लिये टूट रही, रोजाना कितनी ही प्रतिमायें।
अटल खङा वो द्वार देष के सामने, बैरी चक्रव्यूह सी श्रंखलाऐं
रण का आतप झेल, मस्ती, खेल, हाथ कफन लाखों प्रभंजनायें।
फिर भी दिल बंजारा गाये……..
सीने में एक हूक सी उठती जाने किस घङी ये सांस थम जाये।
क्षमा मांग तोङे मोह का बंधन, नीङ का करता तृण तृण समर्पित
भाल पर मलता मां चरणों की धूरी,तन क्या मन तक करता अर्पित।
सिंह सी दहाङ, शंखनाद सी पुकार, धूल धूसरित मिट्टी से सुवासित
मार भेदी को बाहुपाश से फिर, कर हस्ताक्षर, नाम शहीदों मे चर्चित।
फिर भी दिल बंजारा गाये
सीने में एक हूक सी उठती जाने किस घङी ये सांस थम जाये।
----- डा. निशा माथुर/8952874359(whatsapp)
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