Thursday, May 10

"सहारा"-10 मई 2018


शीर्षक : सहारा

हे हौंसला दिल में मेरे
सार्मथ्य का उद्गार करूं
ओरों के संताप को हर के
मजबूत एक सहारा बनूँ

मतलब परस्त इस दुनिया में
ना चमकता चांद बनूँ
बस इतनी सी ख्वाईश मेरी
बेसहारों का सहारा बनूं

जटिल जीवन संघर्ष तेरा
मातृ चरण आधार बनूं
ना छोडूं मझदार में उनको
तुम पर समर्पित जान करूं 

पीड़ा में संबल दूं नन्हों को
खिलखिलाता बचपन दूं
देश के भावी कर्णधारों का
निश्चल मनसे सहारा बनूँ

दीन दुखी लाचार और रोगी
जरूरतमंदो का ध्यान धँरू
बनूँ सहारा इनकाभगवन
कभी न इन से किनारा करूं

ऋणी बनी मैं जीव जगत की
सृष्टि प्रकृति देव जगत की 
दिया सहारा किया उपकार
वन्दन तुमको बारम्बार

स्वरचित मिलन जैन

"भावों के मोती "
दिन- बृहस्पतिवार 
तिथि - 10/5/18

शीर्षक - सहारा 

गीत 
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तेरी नज़रों के इशारों का सहारा है मुझे 
इस तबस्सुम के सितारों का सहारा है मुझे

ना हो ना सही किस्मत में गुलों का मखमल 
बांध रखा है आँचल से सांसों का संदल
रेशमी बांहों के सहारो का सहारा है मुझे 

लाख टूटे बलाएं सिर पर चाहे मेरे साथी
सांस टूटे भले न छूटेगा ये हाथ कभी 
तेरी आहट की बहारों का सहारा है मुझे ।


कोई भी नहीं हमारा है। 
कविता ही एक सहारा है। 


गम ,बेबसी ,बगावत में भी ,
ये करता नहीं किनारा है। 

आँसू से भींगे पलकों पर ,
सजाता ख्वाब दोबारा है। 

जब भी जो भी कहना चाहा ,
सुनने से नहीं नकारा है। 

दबा हुआ जो मेरे अंदर ,
बहती नदिया की धारा है। 

चुन-चुन कर मन के भावों को ,
इन कागजों पर उतारा है। 

मेरे बिखरे जज्बातों को ,
शब्दों में बांध सवारा है। 

हौसला बुलंद किया मेरा ,
ये मुझको सबसे प्यारा है।

-लक्ष्मी सिंह


जग के स्वामी अन्तर्यामी,
सारा जग तेरे ही सहारे।
तू ही बनाए मेरे बिगड़े काम।

दीनों को सँवारे दुखियों को उबारे,
रोते को हँसाए सबको खिलाए।
जग का स्वामी अन्तर्यामी,
सारा जग तेरे ही सहारे।
तू उँजियारा जग का हे स्वामी,
सबका है प्यारा तू ही सहारा।
सुन ले उसकी जिसने पुकारा,
तेरे सहारे निर्बल काया।
मन जो दुख मे जरा घबराया,
देने को सहारा तू ही आगे आया।
जग के स्वामी अन्तर्यामी,
सारा जग तेरे ही सहारे।
मन मे ज्योति आशा की जगाए,
पल पल रक्षा तू ही करे स्वामी।
भवसागर तारे जग के पालनहारे,
तू ही सँवारे तू ही सजाए।
जग के स्वामी अन्तर्यामी,
सारा जग तेरे ही सहारे।
©प्रीति



शीर्षक"-सहारा।'
माँ!मैं बनूँगी सहारा तुम्हारी।
तुमने रखा हमारा ख्याल

मै ख्याल रखूंगी तुम्हारी।
तुमने मेरे हर ख्वाब पूरे किये
मैं ख्वाब पूरा करूंगी तुम्हारी।
मेरी हर अनकही बाते समझने वाली
अब मैं अर्तःमन समझने लगी हुँ तुम्हारी।
माँ!तुमने मुझे पढ़ना सिखाया
अब मैं डिजिटल शिक्षक बनुँगी तुम्हारी।
तुमने मेरा बचपन सँवारा
मैं बुढापा सँवारूगीं तुम्हारी।
जो कुछ भी हूँ तुम्हारी वजह से
मै जीने का वजह तुम्हारी बनुंगी।
मत हो संसार से विरक्त
मैं अनुराग जगाऊँगी दुबारा।
भैया ही क्यों मैं भी बुढ़ापा का सहारा 
बनूंगी तुम्हारी।
स्वरचित -आरती श्रीवास्तव


 सहारा 
पड़े दुख कोई तो,
माँ-बाप को पुकारा है,

इतनी बड़ी दुनियाँ में,
माँ-बाप बच्चों का सहारा है,
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यौवन की दहलीज पे आकर,
ढूँढें आज ये नया सहारा है,
पकड़ प्रियतम का हाथ कहे,
प्रिय तु जीवन में सबसे प्यारा है।
**********************
आई अवस्था जब प्रौढ़,
छोड़ा साथ तुमने उनका,
आज बनो तुम सहारा उनका,
पकड़ अँगुली जिनकी, चलना सिखा। 
"रेखा रविदत्त"


(स्वरचित)प्रस्तुति 02

10 मई 2018


" सहारा "
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एक ईंट के सहारे पर ही दूसरी ईंट खड़ी होती है

ईंटों को एक दूसरे के सहारे जोड़ दीवार खड़ी होती है

दीवारों को जोड़ा एक दूसरे के सहारे तो घर बनता है

इसी प्रकार एक दूसरे इंसानों के सहारे समाज बनता है

और जब बहुत सारे समाज आपस में हैं जुड़ जाते

यकीं मानिये एक सशक्त समाज और देश बनता है

आइये हम सब एक दूसरे को दे के सहारा देश बनायें

और समस्त विश्व में हमारा तिरंगा गर्व से लहरायें

जय हिंद ..जय भारत..

WE LOVE OUR MOTHER COUNTRY INDIA..
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अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

"अंदाज"05मई2020

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