हिन्दी के सम्मान मे मित्रो ,
लिख लो कह लो आज ।
एक वर्ष के बाद पुनः फिर,
होगी इस पर बात ॥
**
बडे`बडे सम्मेलन होगे,
ढोल मंझीरे साथ ।
बडे-बडे बैनर पर होगा,
हिन्दी दिवस है आज॥
**
बोली जाती बहुत ही बोली,
भारत के सम्मान मे ।
पर हिन्दी को नही मिला जो,
दिखता है अब आज मे॥
**
नीति- नियन्ता वो भारत के,
किया है ऐसा काम ।
अंग्रेजी को शौर्य दिया अरू,
हिन्दी सिसके आज॥
**
मातृभूमि और जन भाषा का,
ना हो गर सम्मान।
शेर कहे कैसे समझेगे ,
नवपीढी ये बात ॥
आन है हिंदी,मान है हिंदी
मेरी तो पहचान है हिंदी
मान करूँ में निज भाषा ये
सरल सुलभ ज्ञान है हिंदी
💐💐💐💐💐💐💐
भारतेंदु महादेवी कबीरा
साहित्य उठा देखो जरा
मान बढ़ाया सब ही ने
हिंदी का कहीं मुकाबिला
💐💐💐💐💐💐💐
ओ मतवालों अंग्रेजियत के
पढ़ लो भाव हिंदी मत के
नवांकुरों को ज्ञान दो हिंदी
पीछे अंग्रेजी के नही भट के
💐💐💐💐💐💐💐💐
कुसुम शर्मा नीमच
चाहे गुजराती पंजाबी या हम सिंधी हों
मिलकर जब बोलें तब भाषा अपनी हिंदी हो
संस्कार और संस्कृति का देश हमारा है
अतिथि देवो भवः का दिया हमने नारा है
अहिंसा का पाठ पढ़ाते दुनिया सारी को
देते सम्मान हम इस धरा की नारी को
पढ़ो लिखों तुम ये खुद की ही अभिलाषा है
देवनागरी रुप हिन्दी अपनी भाषा है
जब तक धरती और ऊपर आसमान रहें
तब तक जग में हिंदी और हिंदुस्तान रहे।।
जय हिन्द वन्देमातरम
स्वरचित
बिजेंद्र सिंह चौहान
चंडीगढ़
--------
हिन्दी भारत की
अनुभूति है
अभिव्यक्ति है
रीति है
प्रीति है
संस्कृति है
प्रकृति है
यह दर्पण भी है
दीपक भी है
ज्ञान भी है
संवाद भी है
यह चिन्तन भी है
चेतना भी है
मूल्य भी है
दर्शन भी है
आदर्श भी है
सच कहूँ तो हिन्दी
सत्यम् शिवम् सुन्दर् है।
यह प्रजा की भाषा है
सम्पर्क भाषा है
राजभाषा है
राष्ट्रभाषा है
सच कहूँ तो
यह हमारी संवेदना की भाषा है।
यह स्वाधीनता संग्राम की भाषा थी
इसे भारत के ऋषि-मुनियों ने
सन्तों ने
तपस्वियों ने
सूफियों ने
संन्यासियों ने
साधुओं ने
अपने सिद्ध लक्ष्य
और
पवित्र आत्मा से
अंकुरित किया है।
हिन्दी जन-गण-मन की
प्रीति में पली-बढ़ी, उपजी है
इसमें हम सब का
लोक मंगल है
गरिमा का संवर्धन है
गौरव का पोषण है
यह हमारी सनातन
संस्कृति की अक्षुण्ण प्रवाह है।
हिन्दी हमारे रक्त में है
संस्कार में है
मत हिलाओ इनकी जड़ों को
इनकी जड़ों को हिलाना असंभव है।
हिन्दी को मिटाने
अरेबियन आये
यूनानी आये
कुषाण आये
तुर्की आये
मुगल आये
अंग्रेज़ आये
खुद मिट गये
पर
हिन्दी को मिटा ना सके।
हिन्दी में प्रवाह है
गति है
सरलता है
सहजता है
हिन्दी हमारी स्वाभाविक भाषा है।
ऐ हिन्दी तुझ में
जल, वायु,नदी, पर्वत, सर्दी, गर्मी, वसंत, उत्सव, उल्लास, उमंग सब मिलजुलकर रहते हैं और एकता का सुन्दर सुमन पुलकित करते हैं।
ऐ हिन्दी आप से ही है
हमारी शक्ल- सूरत, व्यवहार, विचार, स्वभाव, आचरण
आप हमारे समाज की बुनियाद हैं
आप आदमी की आत्मा का बाहरी रूप हैं
आपके बिना सभ्य समाज की कल्पना व्यर्थ है।
ऐ हिन्दी
तेरे अक्षर-अक्षर में
हमारी आत्मा का प्रकाश है
ज्यों ज्यों आप प्रौढ़ और पुष्ट होती हैं
हमारी आत्मा भी पुलकित होती जाती है।
ऐ हिन्दी
आप बिखरने वाली शक्तियों की परवाह नहीं करती हैं
आप हमारी एकता का प्रधान स्तंभ हैं
आप में ही हमारी एकता की सुवास है।
पर ऐ हिन्दी
भोली हिन्दी
तुम क्यों रोती हो ?
आखिर आँसू क्यों टपकाती हो
किसने तुम्हारे आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाया ?
किसने तुझे कुन्द करने की कोशिश की ?
किसने तुझे तुम्हारी अभिव्यक्ति पर ताला लगाया ?
सुनो ऐ दोस्तों !
हिन्दी की मूल प्रकृति को नष्ट ना करो
इसे व्यापार बाजार की भाषा ना बनाओ
हिन्दी से प्यार करो, मोहब्बत करो,
प्रेम करो।
आओ ऐ अहिन्दी भाषा- भाषी के लोगो
हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार करो।
जिस देश की एकता के लिए
न जाने कितने जवानों ने
स्वयं को बलिदान किया
उस देश की एकता के लिए
थोड़ी परेशानी उठाना पड़े तो
उठा लो
क्योंकि उन जवानो की तुलना में
हमारा त्याग नगण्य है।
दोस्तों!
राष्ट्र की एकता सर्वोपरि है
राष्ट्र की एकता के लिए
हिन्दी को राष्ट्रभाषा का
गौरव प्रदान करो।
राष्ट्रीय चेतना की गौरवगान करो
मत बोलो विदेशी भाषा
अपने ह्रदय और मस्तिष्क से
हिन्दी को प्रेम करो।
@शाको
स्वरचित
अप्रकाशित
हैं हिंदी हिंद की शान
इसमें बसा है पौराणिक ज्ञान
कवियों का है मान बढ़ाया
इसमें है वो ज्ञान,
हिंदी है हमारी शान
हिंद है हमारी जान
मधुर सरस्वती सा
वाणी है वरदान
करते है नमन मातृ को ,
दिया इस भाषा का ज्ञान,
अविरल अविरत ,
शब्दकोश है, करता हर कोई बखान
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
हिन्दी हिन्द देश की शान है
अमूल्य निधि करना मान है ।।
अपनी पहचान न खोई जाती ।
अपनी निधि न डुबोई जाती ।
क्यों न हमें इसका भान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
यह एक सूत्र में बाँधती है ।
आज ये अपनत्व माँगती है ।
क्यों हम इससे अन्जान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
राज भाषा का दर्जा दिया ।
गले कोई और लगा लिया ।
ये कितना बड़ा अपमान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
अपनों से ये अपमानित है ।
अपने ही घर में निन्दित है ।
मरण शैया पर है न ध्यान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
मातृ भाषा हम कहते हैं ।
और माँ से अनभिज्ञ रहते हैं ।
यह बड़ी अनूठी दास्तान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
नही रहेगी तब क्या होगा ।
गुलामी का एक चोला होगा ।
आगे किस पर करेंगे गुमान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
आज हमें यह सोचना होगा ।
यह आँसू हमें पोंछना होगा ।
क्यों हम ''शिवम" नादान है ।
हिन्दी हिन्द देश की शान है ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
शब्द से निःशब्द की ओर
यही तो है अन्तिम छोर,
जहाँ हो जाते भाव विभोर,
नहीं कटती कभी भी डोर।
हिन्दी !मुझको देती ,जीवन गीत,
यह मेरे मन की है, मीत,
इससे मेरी ,गहरी प्रीत,
अलंकरण युक्त,इसका किरीट।
मेरे प्राण! तुम हो ,भाषा से परे,
पर मेरे वन्दनवार ,हिन्दी से भरे,
मैंने हिन्दी के ,उत्कृष्ट शब्द गढ़े,
इनके सहारे पग, तुम्हारी ओर बढ़े।
यह कविता ही,तुमको अर्पण,
यही मेरी पूजा,यही अर्चन,
शब्द पुष्प लिये हूँ,दो दर्शन,
ओ महाकाल! अब क्यों अड़चन।
हिन्दी में कीजिये अपने सारे काम।
हिन्दी को ही कीजिये सदैव प्रणाम।।
दिवस पर अंग्रेजी से सब तौबा करो।
सारे कार्य, हिन्दी में ही किया करो।।
नमन हिन्दी, नमन हमारी मातृभाषा।
मैया समस्त तुम ही भारत की आशा।।
अन्य भारतीय भाषाओं की हो बहना ।
जो सब हैं समस्त भारत का गहना ।।
करें कुछ श्रीमान अंग्रेजी का गुणगान।
इनके बारे में कहूँ मैं अब क्या श्रीमान।।
दास बनाने वालों की भाषा का ही मान।
अपनी मातृ भाषा की रखते नहीं शान।।
अंग्रेजी में होते हैं केवल छब्बीस अक्षर।
हिन्दी में अक्षर व मात्राओं का भंडार ।।
कहते हैं जो हिन्दी वही है बोला जाता।
अंग्रेजी में लिखा कुछ बोला और जाता।।
इकतहर वर्ष बीत गये हुये हमें आज़ाद।
कर दो सब हिन्दी को शाद ओ आबाद।।
गुलाम बनाने वालों की भाषा के गुलाम।
नहीं बनेंगे, मातृ भाषा को करते प्रणाम।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित
हिंदी हमारे राष्ट्र की पहचान
हम हिंदी और ये हमारा हिन्दुस्तान
हिंदी हमारी मात्रभाषा
क्यों हिंदी बोलने में भारतीय शर्माता
क्यों अंग्रेजी को उपयोग में लाता
हिंदी दिवस क्यों साल में 1 बार है आता
आओ हम मिलकर ये संकल्प उठाए
अपनी मात्रभाषा को हम अपनाए
नहीं समझेगे इसको अल्प
ना होगा इसका कोई विकल्प
हिंदी बोलना कोई अपमान नहीं
इसके बिना हमारी कोई पहचान नहीं ।
स्वरचित एवम् अप्रकाशित
छवि शर्मा
(3)
चंद "हाइकु "
1
हिंदी दिवस
साहित्य धरोहर
एक त्योहार
2
हिन्दी भाषण
"स्वामी विवेकानंद"
देश गौरव
3
स्वदेश प्रेम
सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दी हमारी
4
आदर्श भाषा
हिंदी हमारी शान
गरिमामय
5
हिंदी के संग
मन में है उमंगें
मेरे सपने
6
हिन्दी से प्रेम
हमारी अभिलाषा
जगाती आशा
7
विनम्र हिंदी
विदेशी शिरोधार्य
अविचलित
8
मन की भाषा
उभरते जज्बात
हिन्दी आधार
9
हिंदी दिवस
साहित्य जागरण
आनंदमय
10
उदार हिंदी
समाये बहु भाषा
है समंदर
11
हिन्दी व्यथा
अन्तर्मन पुकारे
खोती अस्मिता
स्वरचित पूर्णिमा साह बांग्ला
हिंदी का सिंहासन हिमाद्रि ,
और पग पखारता है सिंधु ।
माथे का चंदन मलयाचल ,
सोहे है शीश पर रवि बिंदु ।
जनजन की वाणी है हिंदी ,
देव नागरी में माधुर्य है ।
छुप रही गुणवता शब्दों में ,
अर्थों में सौष्ठव प्राचुर्य है ।
सम्प्रेषण करती भावों का ,
विश्व वंद्य भाषा है हिंदी ।
मात्राओं के भूषण पहने ,
माथे पर सूरज सम बिंदी ।
जब गीत फूटते हैं मन से ,
भाषा देती है धार उसे ।
हृदय के उमड़ते भावों को ,
निज भाषा दे शृंगार उसे ।
सूर , तुलसी , केशव ,घना,
रहीम , बिहारी अरु रसखान ।
अगनित सपूत माँ हिंदी के ,
बढ़ाई जिन्हों ने इसकी शान ।
भारतेंदु , द्विवेदी, श्री निवास,
दिनकर, निराला अरु प्रसाद ।
राष्ट्रीय स्वाभिमान हिंदी के ,
करते ऐतिहासिक शंखनाद ।
करवाती पहचान प्रवास में ,
सहोदर सा आभास दिलाती ।
इससे जन्मी सब भाषाएँ ,
माँ जननी को शीश झुकाती ।
राजनीति की दुर्नीतियों से ,
अस्मिता न इसकी खोने दो ।
हिंदी के विस्तृत आँचल में ,
सब भाषाओं को होने दो ।
रखो न सीमित फ़ाइलों तक,
इसके प्रवाह को बहने दो ।
वर्चस्वी वाणी कवियों की ,
इसको गरिमामय रहने दो ।
हिंदी है भारत की बोली ,
इसे विश्व तक पनपने दो ।
भारत के भाल की बिंदी को ,
सुंदर साकार तुम सपने दो ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
House No 839
Sector 14
Gurgaon 122001 Haryana
Mo:- 9812284001
हिन्दी हैं तो है हिन्दुस्तान,
इस पर हमें है अभिमान,
इससे हमारी है पहचान ,
यही तो है हमारी शान |
संस्कृत, हिन्दी बहने है,
भारत माँ के सुन्दर गहने हैं,
भारत माँ जब करे श्रृगांर,
हिन्दी की बिन्दी बढाये मान |
इस भाषा में मिठास बहुत है,
कवियों ने रचा इतिहास इसी से,
संस्कृति की है ये अमूल्य खान,
मेरा दिल,मेरी जान इसपे कुर्बान |
*अप्रकाशित एंव स्वरचित*
*संगीता कुकरेती*
है बिंदिया ये माँ के माथे की।
जीवन का ही आधार है ये,
धड़कन है उसके दिल की ।
मान टिका है सारा इसपर,
सम्मान है उसके जीवन की।
बिन हिन्दी है हिन्द अधूरा
हिन्दी प्राणवायु है भारत की।
अंग्रेजी का घनघोर प्रदूषण,
मुरझायी घूमे बेटी भारत की ।
दूजों की गुलामी के आदि है,
दर्द समझ न पायेंगे हिन्दी की ।
घूम रहे सब देखो पूँछ दबाये
करते है गुलामी अंग्रेजी की ।
सोचो कल क्या होगा भारत,
जब खो जायेगी ये हिन्दी ही।
हिन्दी की सब करे उपेक्षा ,
जो प्राणवायु है भारत की ।
डॉ.सरला सिंह
"हिंदी" भाषा पर पिरामिड विधा में रचना--
1.
है
हिंदी
महान
भाषा ज्ञान
जाने जहान
पूरा अरमान
इसका करें मान।
2.
है
हिंदी
हमारी
खूब प्यारी
दुनिया सारी
ले लें जानकारी
सब भाषा पे भारी।
3.
ये
हिंदी
दिवस
है कालिक
भाषा माणिक
नियति जालिक
न हो औपचारिक।
--रेणु रंजन
संस्कृत की एक लाडो बिटिया है ये हिंदी,
बच्चे के मुँख से निकला प्रथम वर्ण ' माँ 'भी है हिंदी
सभी भाषा रूपी बहनो को साथ लेकर चलती है हिंदी,
हिंदी तो हिय से ही निकलती है,
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है , सरल है, ओजस्विनी और अनुठी है ये हिंदी,
प्रवास मे परिचय का सूत्र है,
मित्रता को जोड़ने की साँकल है ये हिंदी,
पढ़ने व पढ़ाने मे सहज है सुगम है,
किन्तु इसे बोलना आदमी को लगता दुर्गम है
साहित्य का असीम सागर है ये हिंदी,
तुलसी, कबीर , मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिंदी,
अंग्रेजी से इसका कोई बैर नहीं,
जो बोले हिंदी वो लगता गैर नहीं,
यूँ तो देश मे अनेको भाषाऐ है
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिंदी,
बिंदी बिन श्रृंगार अधूरा है जैसे,
हिंदी बिन देश अधूरा है ऐसे,
अजीब सा विरोधाभास है
विदेशी सीख रहे हिंदी दिन प्रतिदिन
हम देशी भूल रहे हिंदी निशदिन
हम हिंदी बोलने मे झिझके नहीं जिस रोज,
तब समझ लेना मित्रो अब हुआ हिंदी दिवस का 'ओज '
स्वरचित एवम् अप्रकाशित
शिल्पी पचौरी
मैं हिन्दी शान तुम्हारी
उठो जागो मेरे संतान
हिन्द तुम्हारा वतन
मैं तुम्हारी पहचान
सही उच्चारण से करो
मेरा अभिषेक
जो अनभिज्ञ है मुझसे
उसे दिलायो नीज
भाषा का ज्ञान
उज्जवल भविष्य करो तुम
हो तुम मेरा संतान
हर भाषा का हो तुम्हें ज्ञान
पर मैं तो हुँ माँ समान
मौन क्रदंन कर रही हूँ मैं
सिसकियों को सुनो मेरी संतान
पत्र ब्यवहार मे रखो मेरा मान
बच्चों को दो ज्यादा से ज्यादा
हिंदी का ज्ञान
वेद पुराण भी खिल उठेंगे
जब तुम करोगें मेरा सम्मान
उन्हें पढ़ने वाले भी बढ़ जायेंगे।
मेरे लाड़ले देश में आज
अपने देश में सौतेला व्यवहार
मुझे दुखित करता हैं मेरा संतान
तुम मेरे बच्चे मुझे मत भूलों
मैं हूँ तेरी पहचान
मैं तो हूँ समृद्ध भाषा
हमें और समृद्ध बनाओ आज
दिखावे के लिए नही
सच्चे दिल से अपनाओ आज
मैं तेरी मातृभाषा हूँ
फलक तक ले जाओ आज
यदि तुम साथ दो मेरा
बिश्व गुरू बन जाऊँ आज
स्वरचित -आरती श्रीवास्तव।
*विधा :- 'हाइकु' *
हिन्दी के शब्द,
कण-कण संगीत,
मधुर गीत,
नव प्रवाह,
स्वर बने कविता,
हिन्दी है प्रेमी,
शाश्वत रस में,
सहज प्रभा हिन्दी,
नव प्रेरणा,
हिन्दी वतन,
उपभाषा है,पाँच,
बोली अनेक,
गौरव गायें,
संयुक्तराष्ट्र संघ,
हिन्दी अटल,
मारिशस में,
हिन्दी बोलें सुषमा,
उन्नति गान,
हिन्दी भाषा में,
नव तरंगें गुंजे,
जग सम्मान,
हिन्दी भावों से,
मन हो प्रफुल्लित ,
काव्य सृजन,
कलम हम,
हस्ताक्षर वर्ण से,
हिन्दी सिन्ध,
सुबोध हिन्दी,
भारत की है ,शान,
माथे की बिंदी,
सरल शब्द,
हिन्दी छन्दमाला से,
भावों के मोती,
निज देश में,
निराश रोती हिन्दी
युवा से आशा,
सम्पर्क भाषा,
प्रयोजनमूलक,
हिन्दी संचार,
भक्ति प्रेम से,
रीति, वीर रसधार,
मौलिक हिन्दी,
"सुनीता पँवार" 'देवभूमि उत्तराखण्ड'
'स्वरचित' अप्रकाशित ( १४.९.२०१८)
हिन्द देश के हम वासी
हमारी हिंदी हिम् पहचान है
माँ भारती के भाल चढ़ी
ये स्वर्णिम सुरभित खान है
हिंदी संस्कृति की शान हमारी
देवनागरी उत्कृष्ट उत्थान है
स्वर, व्यंजन मिल अक्षर बावन
कलम पे बैठ बनते मन भावन
फूल सरीखे ये खिल जाते
देश दुनिया में नाम कमाते
अतुलित विधाओं से ये समाहित
अलंकार, छंद, रस बिम्ब अलौकिक
विलोम, पर्याय, समानार्थी, विग्रह
ये सब आभूषण हिंदी के
हिंदी गाती मीठी लोरियां
कभी सुनाती चटपटी कहानियाँ
ज्ञान सिखाती,शिक्षित करती
भावों से ये हमको भरती
अमीर खुसरो बने प्रथम रचेता
हिंदी सर्वधर्म समभाव प्रणेता
भक्ति भाव की बहाती सरिता
देश प्रेम की अलख जगाकर
ये मान तिरंगा बढ़ाती देश का
हिंदी सरल, सुबोध हमारी
सभ्यता की उदघोष रवानी
विज्ञान की वरदान कहानी
कोटिल कंठों की आवाज सुहानी
सघन छाँव से भरती ज़िंदगानी
पर आज ये क्यों बन गयी बेगानी
ये अपने ही देश में, बनी है परायी
अंग्रेजी ने इसकी, जड़ें है हिलायी
मान अंग्रेजी बड़े गर्व से है पाती
हिंदी आंसू बहा, घुट घुट के रह जाती
14सितंबर को खूब वाही वाही पाती
बाकि पुरे साल अपनेपन को भी तरस जाती
हे हमारी वागेश्वरी
क्षेत्रवाद, राजनीति से
उबारेंगे तुझको
जो करे तेरा अपमान
मिटा देंगे उसको
शिक्षा, व्यवहार में
अब तुझको रखेंगे
शपथ है हमारी, तू गौरव हमारा
मुकुट तेरा वापस से, गिरने ना देंगे
तुझे जगमगाकर आलोकित करेंगे
स्वरचित, पूर्णतया मौलिक
सीमा गुप्ता
अजमेर
हिन्दी संस्कृत की सहोदरी,
स्नेह अंचल में पली-बढ़ी।
पईयां-पईयां चलते - चलते,
नित्य नव सोपान चढ़ी।
स्वर्णिम उद्धृत छंद यह,
है काल दंड के भाल पर।
आओ हम समृद्ध करें,
हिन्दी को विश्व कपाल पर।
सरल सुबोध निर्झरिनी में,
बहती ऋचाएं अविरल होकर।
अग्रजा के भावों को लेकर,
बहती कल-कल स्वर देकर।
अब तक क्षेत्र जो वर्जित था,
तुमने प्रवेश वहाँ है पाया।
जैसे तरु तमाल भू पर,
मलयानिल लेकर के आया।
जिसकी तुम हो अधिकारी माँ !
हम वह सम्मान दिलाएंगे।
भ्रमित हैं जो सुत तेरे,
हठ से उनको भी जगाएंगे ।
भारत के उर की चीर प्यास,
जन-मन के कंठ की भाषा है।
नित्य नव लक्ष्य की ओर बढ़े,
यह चीर अभिलषित आशा है।
अप्रकाशित और स्व रचित
उषा किरण
1
आओ तुम्हे हिन्दी से मिलाए,
तत्सम, तद्भव शब्द बताएँ,
उपमाओं का ज्ञान कराए,
मातृभाषा हिन्दी से मिलाएँ,
एक शब्द में वाक्य समझाएँ,
गीत-मुक्तक,दोहे, छंद लिखाएँ,
हाइकु,तांका का ज्ञान कराएँ,
मातृभाषा हिन्दी से मिलाएँ
हिन्दी से बन गई हिंग्लिश,
आओ हिन्दी का दर्द बताएँ,
आज की पीढ़ी जुगाड़ भिड़ाए,
अंक लगाकर शब्द बनाएँ,
सोनू को 100नू लिखाएँ,
देख तरीका लिखने का,
हिन्दी आँसू बहाए,
हिन्दी हमारा मान है,
आओ मिलकर इसे बचाएँ।
स्वरचित-रेखा रविदत्त
हिंदी भाषी हैं हम
हिंदी की बोली हमारी
हैं बहुत ही मीठी और प्यारी .
हिंदी हैं हमारी विरासत हमारी पहचान
हिंदी बोलना हैं हमारी हैं शान
अपनी मातृभाषा पर हम सबको हैं बहुत अभिमान
हिंदी भाषा हैं जग में सबसे महान .
हिंदी के कई रूप अवधी बघेली ब्रज
कई हैं इसके स्वरूप
महान ज्ञानियों ने लिखे इस भाषा में पुराण
ऋषियों मुनियों और वेदों की हिंदी ने जग में कराई पहचान .
हिंदी की कथा कहती हैं कई कहानियाँ
दादा दादी नाना नानी की जबानियाँ
हिंदी का फैला हैं विश्व स्वरूप
देश विदेश में हिंदी ने फैलाया हैं डंका.
हिंदी भाषा पर हमे हैं गर्व
हमें हैं फक्र हिंदी भाषा पर
आओ जन जन से हिंदी की पहचान कराये
अपनी भाषा को विश्व में सबसे अलग पहचान दिलाएं.
स्वरचित :- रीता बिष्ट
जैसे मालकिन कोई अपने घर की किरायेदार बनी बैठी है
हिंदी दिवस मनाने को,क्या-क्या बंदोबस्त करते हैं
वो लोग जो अंग्रेजी में, अपने दस्तखत करते हैं
भेज कर अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में
चीख-चीख कर फिर हिंदी की वकालत करते हैं
हिन्दी दिवस फिलहाल ऐसे मनायी जा रही है
जैसे मर चुकी हो और बरसी मनाई जा रही है
हैं कितने जो जिया करते हैं जिंदगी हिन्दी में
ये दिन तो बस रस्म की तरह निभाई जा रही है
हिन्दी दिवस पर दिन भर भाषण हुआ
वेलकम से शुरू होकर थैंक्स पर समापन हुआ
लिया था व्रत जो पिछले साल इसी दिन
आज फिर लेने के लिए,बीती शाम ही उद्यापन हुआ
भले दुनिया जीतने की तैयारी रखो
पर नौजवानों थोड़ी तो खुद्दारी रखो
तुम्हीं हो मुस्तकबिल आने वाले कल के
हिन्दी से प्यार करो, अंग्रेजी की जानकारी रखो
स्थिति कुछ कुछ मेरे घर जैसी लगती है
संस्कृत दादी, हिन्दी मां, उर्दू मौसी लगती है
बिसरा कर सबको नाचता हूं उसके आगे-पीछे
ये अंग्रेजी जो मेरी बीवी जैसी लगती है
है नजरिया तुम्हारा, जो चाहे तुम यार समझो
बेकार, अनपढ़,जाहिल या गवांर समझो
बच्चा जो अपनी मां की गोदी में चिपका रहे
ऐसे ही हिन्दी से तुम मेरा प्यार समझो
क्या लिखूं ऐ हिन्दी तुझ पर पशोपेश यही है
तेरी गाथा गाने को, मेरे पास शब्दकोश नहीं है
अप्रकाशित व स्वरचित- अभिमन्यु कुमार
सब भाषा मे संगीत है,
सातो स्वर इसी से आये,
सब गीतों की मन मीत है l
हिंदी की महिमा है न्यारी,
भोली भाली हिंद की दुलारी,
अनेक भाषाएँ है यहाँ पर,
सब भाषाओं की जननी प्यारी l
सब पर उदारता दिखाए,
आंग्ल को भी गले लगाए,
तभी तो अब सारे मिलकर,
हिंद की माँ को आंख दिखाए l
अब तो होश मे आओ हिदुस्तानी,
क्यूँ करदी हिंदी तुमने बेगानी,
कैसे तुम फिर रह पाओगे,
जब हो जाएगी ये बेगानी l
कुसुम पंत
हिन्दू नही हिंदी हूं।
मानवता का परिचायक।।
एक सूत्र में पिरोकर ।
समरसता का संदेश दिया।।
हम अनेक है परएक रहे ।
दशोदिक् हिंदी प्रकाश फैलाऐ।।
हिंदी हमारी मातृभाषा ।
उर्ध्वमुखी पर विराम होती।।
दुनियावी तमाम भाषाऐ।
उधोमुखी तमगामी होती।।
हिंदी का संदेश यही।
उन्नत हो उन्नत अक्ष पहुंचो।
संसार को सरलतम् संदेश पहुंचाओ।।
देख कर पहचान जाऐ प्रथम।
देश का मान खुब बढाओ।।
भारत की पहचान है हिन्दी।
हर भारत वासी की जान है हिन्दी।
तुलसीदास की राम है हिन्दी।
सूरदास की श्याम है हिन्दी
जन मानस की साज है हिन्दी।
राष्ट्रभक्ति की आवाज है हिन्दी।
स्वर व्यंजन की पहचान है हिन्दी।
मधुर भजन की तान है हिन्दी।
माँ भारती का वरदान है हिन्दी।
रहीम और रसखान है हिन्दी।
शुद्ध वर्तनी शुद्ध उच्चारण।
शुद्ध सुस्पष्ट है इसका व्याकरण।
तदभव , तत्सम, देशज रंग है।
रस ,छंद,और अलंकार संग है।
आओ हम सब हिन्दी अपनाएं।
देवनागरी लिखते जांयें।
स्वरचित, स्वप्रमाणित
शिवेन्द्र सिंह चौहान (सरल)
ग्वालियर म.प्र.
१-
हिन्दी पर मुझको सदा, गर्व बहुत अतिरेक ।
जग में हैं सबसे सरल, इसमें भाव अनेक ।।
२-
हिन्दी भाषा से मिली, मुझे एक पहचान ।
मैं हिन्दु हिन्द देश की, निवास हिन्दुस्तान ।।
३-
सुन्दर अति अभिव्यंजना, सरल व सौम्य स्वरूप ।
यह शिरोमणि है सबका, हिन्दी-भाषा-रूप ।।
४-
हिन्दी है गरिमामयी, देवनागरी मूल ।
इसकी सुन्दर व्यन्जना, शब्द-शब्द है फूल ।।
५-
हिन्दी भाषा विश्व की, श्रेष्ठ रहे भगवान ।
जमकर दुनिया में सदा, पाए अति सम्मान ।।
६-
हिन्दी भाषा का दिवस, आज विशेष महान ।
अपनाओ दिल खोलकर, दो पूरा सम्मान ।।
७-
हिन्दी में सब काम हों, कर लो निश्चय आज ।
तब हिन्दी-उत्थान में, सुफलित होगा काज ।।
हिंदी की महिमा क्या कहे
हर जगह छा जाती
जब हिंदी में लिखते है
तो देश भक्ति की महक आती है
"तेरी आँखा का यो काजल.
DJ पर जब चलता है
तो क्रिश गेल के पैरऔर
दिल नाचने को मचलता है
मेरी हिंदी हर दिल
पर छा जाती है
नई पीढ़ी क्यों हिंदी
बोलने लिखने में शर्माती है
अब तोड़ डालो
शर्म की ये बेड़िया
जब बोलेगा हिंदी का शेर
तब भाग जाएगा अंग्रेजी का भेड़िया
खुले दिल से पंजाबी हिंदुस्तानियों को
नमन करने की अभिलाषा है
तभी तो कनाडा में आज
पंजाबी दूसरी राष्ट्रभाषा है
हमसे महान वो गुलाम हिंदुस्तानी थे
जिनको अंग्रेज तड़पाते थे
"खल टुमको डिल्ली आना है" हिंदी में
कहकर अपना आदेश सुनते थे।
स्वरचित--विपिन प्रधान
भाषा अस्मिता जगे--
साल गिरह
शब्दों में खिला
मान सम्मान मिला--
है कंठ हार
अंग्रेजी दौर
नित पल सहती--
प्रतियोगिता
हिंदी दिवस
भाषण समारोह--
करें चिरौरी
भूलिए मत
अपनी है संस्कृति --
हिंदी बोलिए
करें सम्मान
समस्त भाषाओं का--
हिंदी महान
अभिव्यक्ति हो
आन बान शान है--
हिन्दी हमारी
स्वरचित व मौलिक
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
(1)
सजीली "हिन्दी"
भारत माँ के भाल
गौरव बिंदी
(2)
सम्पदा शब्द
"हिन्दी" के सागर में
विधाएँ रत्न
(3)
किससे आस?
अपने ही घर में
"हिन्दी" निराश
(4)
स्वीकार भाव
"हिन्दी"हिय विशाल
माता समान
(5)
छूटता देश
"हिन्दी" के अवशेष
पन्नों में कैद
ऋतुराज दवे
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