Wednesday, December 12

"निवेदन "12दिसम्बर 2018

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ब्लॉग संख्या :-235



एक निवेदन तुमसे है,
मेरा करना स्वीकार ।
शरद शिशिर की रात मे,
करे प्रणय की बात॥
🍁
आ जाना जब शाम ढले तुम,
छुप के मेरे पास।
नैनो मे नैनो को भर के,
कट जाएगी रात॥
🍁
छंदो का एहसास करेगे,
कविता का निर्माण ।
सुरसरिता सी भाव बहेगे,
मेरा तेरे साथ ॥
🍁
लय मे बाँधा ना आ जाए,
इतना रखना ध्यान।
शेर के भाव सम्हाले रखना,
छलक ना जाए मान॥
🍁


तुम से मैं प्रभु किया निवेदन कई तरह से हाथ पसारे।
शीश नवाकर बार बार हरि रहा माँगता साँझ -सकारे।
फिर हो सन्मुख माँग रहा हूँ इसको पूर्ण संभवित रखना।
माँग मेरी परिपक्व माँग है इसमें कच्चापन मत रखना।
बहुतेरा सुदृण मर्यादित हूँ अभिप्रेरक आशावादी।
नहीं चाहता धन अरु दौलत नहीं चाहता सोना-चाँदी।
नहीं चाहता वैभव जग का नहीं चाहता राज घराने।
उच्च पदों से मोह भंग है वसन सुशोभित फटे पुराने।
लेकिन उर में चाह यही है विनती रत रहकर कहता हूँ ।
मैं सापेक्ष कृपा को तेरी कृपा नाथ दृढ़तर रहता हूँ।
मेरे इन नयनों के आगे खिले सदा फूलों का उपवन।
बहे समीर सुनूँ अलि गुंजन ओत प्रोत जिसमें हो तनमन।
प्रेम भाव उपजाने वाला मन पायी मधु का प्याला हो।
जब तक जियूँ प्रणय भूतल पर दृश्यमान साकी वाला हो।
स्वरचित -मैं(स्वयं)

यही निवेदन गौरीसुत तुमसे
आत्म शांतिमय जीवन हो।
नहीं दिखें झगडे झंझट कहीं
सबक मंगलमय जीवन हो।

रागद्वेष नहीं दिखे कहीं भी,
मंगल ही मंगल छा जाऐ।
हम सभी रहें मिलजुलकर,
सुखदभाव उर में आ जाऐ।

परोपकार को उद्धत्त हो मन,
मन निर्मल जीवन हो जाऐ।
वैरभाव नहीं दिखे कहीं भी,
सत्संगी ये जनमन हो जाऐ।

बारंम्बार निवेदन है प्रभुजी,
ज्ञानबृद्धि सबकी ही कर दें।
प्रेमदीप जले हर हृदय में,
मनशुद्धि हम सबकी कर दें।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय



रचयिता पूनम गोयल

आज सुबह मैं 
स्नान-ध्यान से निवृत होकर ,
पहुँची ईश के धाम !
फिर दर्शन करके श्रद्धापूर्वक , 
किया प्रभु-चरणों में प्रणाम ।।
तत्पश्चात् बड़े भक्तिभाव से ,
रक्खा एक नम्र निवेदन ।
हे ईश ! मेरी विनती सुन लो , 
आन पड़ी है
बड़ी उलझन ।।
मैं तो चाहूँ तेरी भक्ति ,
सफल बनाऊँ जीवन ।
कुनबा माँगे
खूब अन्न-धन ,
करने को जीवनयापन ।।
अब तुम्हीं बताओ , मेरे भगवन , 
क्या मैं बिन भक्ति जी पाऊँ ?
अन्यथा किन शब्दों में , 
मैं बच्चों को समझाऊँ ?
इतना सुनकर ,
प्रभु हुए खुश ,
और दे दिए दर्शन ।
फिर कहा मुझसे ,
जा , दिया सब-कुछ तुझे ,
बस रहना तू प्रसन्न ।।


गौ माता विनती करे , ले लो दूध अपार
माता गर कहते मुझे,करो न मुझ पर वार

एक निवेदन वृक्ष का, कर लो मुझ से प्यार
प्राणवायु दूंगा सदा , मैं हूँ प्राणाधार

नदियाँ पावन धरा पर , हैं जीवन आधार
मैली उनको मत करो , विनती बारम्बार

गुरू निवेदन हम करें , देना ज्ञान अपार
अहंकार मन का मिटे , मिले ज्ञान भंडार

मात पिता अनमोल हैं , आंखों का हैं नूर
भगवन विनती हम करें,कभी न करना दूर

साथ हमारे तुम रहो , विनय करें करतार
राह दिखाओ गर हमें , भव बाधा हो पार

सरिता गर्ग  



एक निवेदन तुमसे युवाओं 
तुम राष्ट्रहित मेँ काम करो ।

एक निवेदन तुमसे युवाओं,
तुम मातृभूमि हित काम करो ॥ 

जाती - पाती का भेद भुलाकर , 
सबको साथ लिए चलो , 
एक निवेदन तुमसे.......॥ 

देशहित का तुम रखो ध्यान 
ना अभिव्यक्ति की बात करो । 
धर्म नित - नए बनाकर , 
यूँ ना तुम बाघी बनो 
एक निवेदन तुमसे........॥ 

ना एक - दूजे की बुराई करो , 
ना अर्द्ध - ज्ञान का प्रसार करो , 
अपने मन की बुराइयों का 
सदा ही तुम नाश करो । 
एक भारत श्रेष्ठ भारत , 
यही तुम्हारा लक्ष्य हो , 
एक निवेदन तुमसे ........॥
विजय पालीवाल  


 निवेदन है अंग शिष्टाचार का,
मनुष्य के उत्तम व्यवहार का।
कितने ही कार्य होते पूर्ण,
लेकिन कभी ख्वाब भी होते चूर्ण।
बेटी के सुखद भविष्य का देखे स्वप्न,
लड़के वालों से करे विनम्र निवेदन।
मानता जाता उनकी हर मांग,
भूलकर दहेज-लोभियों के स्वांग।
बेटी के सुख की मांगता भीख
नहीं लेता दुर्घटनाओं से सीख।
जब सतायी जाती है बेटी,
बार-बार मांगी जाती नोटों की पेटी।
तब भी नहीं खुलती उसकी आंख,
ससुराल बेटी छोड़े तो लगता दाग।
करता निवेदन ले आंखों में पानी।
कैसे भी खुश रहें उसकी बिटिया रानी।
समाज की परवाह उसे ज्यादा रहती,
बेटी न जाने कितने दुख सहती।
देखते-देखते दुनिया लुट जाती,
तब पछताने से क्या बात बन जाती।

अभिलाषा चौहान




























































































































































































































































































































































































































































































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