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ब्लॉग संख्या :-406
नमन मंच को
दिनांक--3 /6/2019
विषय---प्रार्थना /दुआ
जग से निराश हो
मन से हताश हो
अन्तकरण हृदय का
कर उठता है प्रार्थना
लक्ष्य को भेद करती
विश्वास को दृढ़ करती
जीवन को सार्थक करती
सदा सच्ची प्रार्थना
सब रिश्ते टूट जाते
धोखा अपने ही दे जाते
एक लुटेरे को भी
वाल्मिकी बना देती है,प्रार्थना
आस्तिक की आस्था है
नास्तिक का त्राण है
सच्चे भक्त के लिए
नरसिंह रुप बन जाती है, प्रार्थना।
भक्त की भक्ति है
जीवन की शक्ति है
सनातन संस्कृति में
ब्रह्म स्वरुप है, प्रार्थना
स्वरचित------🙏🌹🙏
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नमन मंच भावों के मोती
तिथि 03/06/19
विषय। प्रार्थना
****
है परवरदिगार !
तुम सखा ,बंधु मेरे
आज मेरे मन के भावों को सुन...
मैं अनभिज्ञ नादान!
ढूंढ रही थी तुम को मस्जिद और गुरुद्वारे में
चौखट चौखट भटक रही थी गिरजाघर देवालय में
अहं पाल बैठी मैं कर्त्ता ,वहम कि भाग्यनियन्ता हूँ
मैं अज्ञानी खोज न पाई तुम अपरिमित अनंता को
सेवा का भाव लिए ढूंढा तुमको कर्तव्य निष्ठा से
मन की आंखों से देखा जब अपने अन्तरमन में
वहीं विराजे थे तुम जिसे मन ढूंढ रहा था बरसों से।
हम हाड़ मांस के पुतले ,तुम थामे जीवन डोर
हे जगदीश्वर,हे परमेश्वर अब मन की खिड़की खोल ।
मैं उम्मीदों की चादर क्यों लंबी खीचूँ,
मैं अरमानों की गठरी का क्यों बोझ बढाऊँ
सब पाने की चाहत में क्यों फरियाद लगाऊँ
उम्मीदों से परे पाया ,बेहिसाब झोली भर दी तुमने
इतनी चाहत अब थाम के हाथ मेरा पथ सुगम कर दो,
पकड़ी है आशा की डोर अब मिलन सहज कर दो
सद्भावना हो दिल में ले चल उजाले की ओर
ज्ञान संग अभिमान न आये ये विनम्रता दे दो और
प्रभु मैं लीन हो जाऊं तुममें,तुम बिन मैं कुछ भी नहीं
इतनी शक्ति दे दो तुम सर्वस्व न्योछावर कर दूँ यहीं ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
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नमन मंच भावों के मोती
प्रार्थना,दुआ
विधा लघुकविता
03 जून,2019 सोमवार
सोमवार सुमति मावस
करें प्रार्थना हम ईश्वर से।
दुआ करें सभी सुखी ह्नों
सब स्वस्थ ह्नों स्व घर से।
दवा से बढ़कर होती दुआ
लंगड़ा चलता अंधा देखे।
महा शक्ति की प्रिय कृपा से
सुख स्वर्गीम स्वयं ही लेखे।
महाकाल की करो प्रार्थना
भोले बाबा सबकुछ देते हैं।
संकट मोचक वे स्वंयम हैं
भक्त निवास हिय रखते हैं।
दुआ प्रार्थना भक्त साधन
दत्तचित्त मन से जो करता।
कड़ी भक्ति भक्त देखकर
सारे संकट को प्रभु हरता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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भावों के मोती
3/06/19
विषय - प्रार्थना, दुआ
पहली बारिश की दुआ
दस्तक दे रहा दहलीज पर कोई
चलूं उठ के देखूं कौन है
कोई नही दरवाजे पर
फिर ये धीरे धीरे मधुर थाप कैसी
चहुँ और एक भीना सौरभ
दरख्त भी कुछ मदमाये से
पत्तों की सरसराहट
एक धीमा राग गुनगुना रही
कैसी स्वर लहरी फैली
फूल कुछ और खिले खिले
कलियों की रंगत बदली सी
माटी महकने लगी है
घटाऐं काली घनघोर,
मृग शावक सा कुलाचें भरता मयंक
छुप जाता जा कर उन घटाओं के पीछे
फिर अपना कमनीय मुख दिखाता
फिर छुप जाता
कैसा मोहक खेल है
तारों ने अपना अस्तित्व
जाने कहां समेट रखा है
सारे मौसम पर मदहोशी कैसी
हवाओं में किसकी आहट
ये धरा का अनुराग है
आज उसका मनमीत
बादलों के अश्व पर सवार है
ये पहली बारिश की आहट है
जो "दुआ" बन दहलीज पर
बैठी दस्तक दे रही है
चलूं किवाडी खोल दूं
और बदलते मौसम के
अनुराग को समेट लूं
अपने अंतर स्थल तक।
स्वरचित
कुसुम कोठारी।
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।। दुआ/बददुआ ।।
दुआ बददुआ चले साथ साथ
दुआ दिलाये जीत बददुआ मात ।।
चलना संभल संभल राहें कठिन
करना सदा ही इनका आभास ।।
धर्म संकट भी यहाँ आए हजार
दुआ का मगर छोड़ना न हाथ ।।
माया महाठगिनी मति फेर देय
स्वारथ में भूलें पिता और मात ।।
दुआओं में धूल भी करे उपचार
बददुआ का साथ है अमा की रात ।।
भूल से भी 'शिवम' लगे बददुआ
दशरथ की भूल पुत्र शोक का श्राप ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 03/06/2019
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नमन भावों के मोती
आज का विषय, प्रार्थना, दुआ,
दिन, सोमवार
दिनांक, 3,6,2019,
प्रार्थना में जो असर रहता है, नहीं वो असर रहता किसी में,
परमात्मा का अंश बना रहता है , यहाँ हरेक जीव के अंर्त में ।
स्थान बना ही रहता है, करुणा दया का जिसके मन में,
ईश्वर साथ बना रहता है, होता है असर उसके निवेदन में ।
जो परोपकार में रत रहता है, नहीं कोई चाहत है जिसके मन में,
उसका भंडार भरा रहता है, दुआ की कमी नहीं होती जीवन में।
सबके लिए जो प्रार्थना करता है, आतीं रहतीं हैं खुशियाँ उसके आँगन में,
अपनापन मिलता रहता है, उम्र नहीं कटती कभी अकेलेपन में ।
हर घड़ी मेरी यही दुआ रहती है, बरसें खुशियाँ दुनियाँ भर में ,
प्रेम एकता जहाँ पर बसती है, प्रार्थना फलती है उस कानन में ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
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नमन ,🙏भावों के मोती
विषय-दुआ/प्रार्थना
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दुआओं का देखो बड़ा ही असर है
जिधर देखिये उधर ही तू बसर है
ये सुबहें ये राते वो महकती साँसें
उन साँसों पर पहरे का कहर है
कभी हँसना कभी मिल के रोना
मेरे हर तरफ यादों का शजर है
न सुनी तुमने हाल-ए-दिल वफाऐ
लगे चोट पर कहाँ जख्म-ए मरहम हैं
मन पर गिरी जो बातों की बूँदें
वो बारिश की बूँदे बड़ी बेरहम हैं
स्वरचित
नीलम शर्मा#नीलू
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दिनांक - 3/6/19
विषय - प्रार्थना
जो...... .ईश को देखे
वह आँख है ..प्रार्थना
जो उड़ सके उस तक
वह ...पाँख है प्रार्थना
दिल चीर के ..निकले
वह पीर है ....प्रार्थना
हर आँख.... भिगो दें
वह नीर है.... प्रार्थना
भटकते हुए .मन का
सम्बल है.....प्रार्थना
एक दुर्बल ...मन का
बल है ........प्रार्थना
प्रभु तक...जाने का
सोपान है....प्रार्थना
प्रभु को.....पाने का
साधन है.....प्रार्थना
मन वीणा को झनकाये
वह साज है......प्रार्थना
टूटे हुए .........दिल की
आवाज है.......प्रार्थना
दीनों की करुण.... ..पुकार है प्रार्थना
तपते तन पर ,शीतल फुहार है प्रार्थना
प्रभु दरस दिखाए , वो द्वार है प्रार्थना
कुछ नहीं जग में जीवनसार है प्रार्थना
सरिता गर्ग
स्व रचित
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3/6/19
प्रार्थना/दुआ
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सदा प्रार्थना हम यही करते हैं।
दुआओं में हरदम यही मांगते हैं।
सलामत रहे सभी जन इस धरा के।
प्रभु तुमसे बस यही चाहते हैं।
नहीं भूख,गरीबी सताये किसी को।
मिले यहां सबको भरपूर भोजन।
पूजा करें तेरी सदा खुश रहें वो।
नहीं यहां हो कोई भी दुःखी जन।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
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नमन मंच भावों के मोती
दिनांक-3/6/2019
शीर्षक- प्रार्थना /दुआ
विधा -कहानी
बचपन से सुनती आई थी मां के मुख से कि घर से बाहर निकल रही हो तो जरा पूजा के आले के सामने हाथ जोड़ लो ,ध्यान करो भगवान का।
और यंत्रवत यह सिलसिला यूं ही अनवरत चलता रहा । धीरे-धीरे जीवन की नैया आगे बढ़ने लगी।
पाठ्यक्रम में सदैव पढ़ाया जाता था की #प्रार्थना में अटूट शक्ति होती है टेनिसन की कविताओं में भी पढ़ा कि एक मनुष्य ही पृथ्वी पर ऐसा जीव है जो प्रार्थना कर सकता है ,अपने लिए और दूसरों के लिए और प्रार्थना एक ऐसी कड़ी है एक ऐसा बंधन है जो असीम सत्ता से हमें जोड़ देता है।
प्रार्थना में ऐसा बल है जो असंभव को भी संभव बना सकता है।
शर्त है कि निस्वार्थ भाव से की जाए।
शायद इसीलिए विद्यालयों की दैनिक दिनचर्या प्रार्थना से ही शुरू होती है किसी अन्य विभाग में तो ऐसा नहीं होता।
बात वर्ष 2007 की है जब सितंबर के महीने में मेरे पति डेंगू रोग से पीड़ित हो गए और हमें आनन-फानन में जिले के बड़े अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
खून की उल्टियां होने के कारण डॉक्टर ने मेरठ के लिए रेफर कर दिया।
रास्ते भर यही सोचती रही कि हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ।
सच ही कहते हैं अस्पताल और श्मशान जाकर आदमी दार्शनिक प्रवृत्ति का हो जाता है।
समीप के वार्ड में ही एक मरीज भर्ती थे जो गंभीर रूप से दुर्घटनाग्रस्त हुए थे।
अवसाद का माहौल था लेकिन मैंने मन ही मन ईश्वर से #प्रार्थना की कि हे प्रभु यदि मेरी प्रार्थना से इस परिवार का कोई भी कष्ट और संकट टल सकता हो तो कृपा करो।
8 दिन बाद इन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज मिल गया और 1 महीने बाद यह स्वस्थ हो गए।
अधिक तनाव लेने के कारण मैं बीमार पड़ गई।
3 महीने बाद उसी अस्पताल में जाने का मौका मिला तो खबर मिली कि वह मरणासन्न व्यक्ति भी सकुशल घर वापस चले गए थे। कुछ अरसे बाद मैं भी स्वस्थ हो गई।
शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
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जय माँ शारदे🙏🙏🌹🌹
नमन मंच ,,,भावों, के मोती
3/6 2019/
बिषय प़ार्थना
जो भी बुजुर्गों की लेता दुआएँ
फटकती नहीं बुरी बलाएँ
पहाड़ से संकट बन जाते राई
बज़ सी शक्ति दुआओं में समाई
ईश्वर से सदैव यही है प़ार्थना
रहे निर्मल हर दिल की भावना
छंट जाए बैर विद्वेश का अंधेरा
प्यार मोहब्बत का निकले सबेरा
आपस में हो सदा भाईचारा
वक्त वक्त पर हों इक दूजे का सहारा
बसुधैव कुटुंबम का हो बिचार
होती रहे प्यार की बौछार
स्वरचित ,सुषमा ,ब्यौहार,,
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आज का विषय दुआ,प्रार्थना,
आदरणीय अग्रज प्रणाम,
गजल पेश,
बादलों की तरह बढ़ते चल,
सूरज की तरह चढ़ते चल।।1।।
गम के फसाने पढ़ते चल,
मंजिल पे नजर रखते चल।।2।।
जीवन का पैगाम बहुत है,
जिन्दगी से निबाह करते चल।।3।।
सुनते रहो लोग जो कहते,
किस्मत अपना खुद लिखते चल।।4।।
बैठे बैठै सोच रहा,
खुद मे खुद को ढूंढ ते चल।।5।।
इस संसार में प्यार ही फले,
रब से(देव)दुआ माँगते चल।।6।।
स्वरचित देवेन्द्रनारायण दासबसना छ,ग,।।।
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नमन भावों के मोती
03-6-2019
विषय:- प्रार्थना
विधा :- हरिगीतिका
कर बद्ध करती प्रार्थना हूँ , काव्य में इक धार दो ।
हे ईश रचना जो करूँ मैं , छंद रस आधार हो ।
पाठक पढ़ें आनंद पाएँ , यह कृपा कर दीजिए ।
कवि धर्म का पालन करूँ मैं , यह मुझे वर दीजिए ।
कल्याण कारी लेखनी हो , गीत रस की खान हो ।
रसधार बहती प्रेम की हो , यह मुझे वरदान दो ।
कांता सदृश सुंदर लगे ये , कर्ण प्रिय रस घोल दे
माँ शारदा अपनी कृपा का , वर मुझे अनमोल दे ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
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II प्रार्थना / दुआ II नमन भावों के मोती....
विधा : ग़ज़ल - उठा हाथ सब का भला माँगना...
उठा हाथ सब का भला माँगना...
करूँ ना बुरा मैं दुआ मांगना...
न हो चमन खौफ परेशाँ ग़मज़दा...
करूँ कुछ ऐसा हौसला मांगना...
न हो 'आसिफा' कोई बेआबरू...
जहां रौशन दिमाग का मांगना...
मिले हो मुझे तुम खुदा का करम...
खुदा से भला और क्या मांगना...
रचा है बसा तू मेरे ही अँदर....
किसे चाहना और क्या मांगना....
छुपा है खुदा हर किसी में 'चँदर'...
खुदा से खुदा का बुरा मांगना ?...
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
०३.०६.२०१९
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नमन "भावो के मोती"
03/06/2019
"प्रार्थना/दुआ"
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फूलों के शहर में.....
हो प्यारा सा आशियां हमारा
प्रीत का रंग हो भरा...
मन की बगिया सदैव रहे हरा
प्रार्थना यही.....
ईश्वर से बार-बार करती हूँ।
खैरियत तुम्हारी.......
हवाओं से.....फिजाओं से
पूछ लेती हूँ....
सलामती तेरी......
रब से दुआ में माँग लेती हूँ।
जिस डगर तू चले.....
रोड़ा न आ जाए कहीं
डगर वही चलके.......
मैं भी देख लेती हूँ.......
ठोकर खाकर.......
गिर न जाना तुम.....
दुआ ऐसी सौ बार करती हूँ।
तेरी झोली में........
भरती रहे खुशियाँ.....
तेरे हिस्से का गम भी....
मिल जाए मुझे....
प्रार्थना यही ......
दिन -रात करती हूँ ।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल ।
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भावों के मोती दिनांक 3/6/19
प्रार्थना / दुआ
दुआ में है
बहुत ताकत दोस्त
जहाँ काम
आती नहीं दवा
दुआ असर
दिखा जाती है
मत लो
बददुआ गरीब की
दुआ कबूल
हो जाती है
बददुआ
मार जाती है
कबूल कर
मेरे मौला
मेरी दुआओं को
अमन चैन हो
मुल्क में
खुशहाल हो
हिन्दुस्तान मेरा
भर दे मैरी छोली
मौला दुआओं से
फकीर भूखा न रहे
भरा रहे आँचल
हर माँ का
दुआओं के लिए
उठे जब हाथ
मौला का हरदम
रहेगा साथ
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
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नमन
भावों के मोती
सोमवार
3 जून
💐💐
दुआ का जो असर देखा
दवा जब बेअसर देखी
वो इतनी काम आती है
वो रब से छीन लाती है।
कभी खाली न जाती वो
हमेशा रंग लाती वो
करो गर सच्चे दिल से तुम
वो हर शै से बचाती है।
💐💐💐
स्मृति श्रीवास्तव
स्वरचित
सूरत
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नमन भावों के मोती
विषय-प्रार्थना/दुआ
विधा-छंदमुक्त कविता
03/06/19 सोमवार
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"धुआँ "उठ रहा है
मतलब
यह तय है कि
"आग" लगी है
( भले कोई न माने)
"पानीदार लोग"
"पानी-पानी"
होने के बजाए
उसे और "हवा"
दे रहे हैं👌
और अपनी
"आग" बुझाने
में मस्त-मगन हैं👍
ऐसे बुरे व कठिन
वक़्त में,मैं यह प्रार्थना करने के अलावा
क्या कर सकता हूँ---
हे!भगवान-
आग लगे
उस हवा को
जो दे रही हवा
घर में लगी
आग को💐
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू अकेला
💐💐💐💐💐💐
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3/6/19
भावों के मोती
विषय- प्रार्थना/ दुआ
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हर दिल में बस एक ही दुआ
वर्षा ऋतु आए गर्मी मिटाएं
घनघोर घटाएँ ठंडी हवाएँ
झूमकर बरसे काली घटाएँ
तपन मिटे जीवन हँसे
प्यास बुझे धरती खिले
हो बरसात अबकी ऐसी
खुशियाँ झलक उठे कृषकों की
झूम उठे खेतों में फसलें
खुशियों की हो बारिश ऐसी
मेघ मल्हार गाएँ सब झूमके
दामिनी तड़के बहुत धूम से
झूमे लहराएँ तरुवर सारे
कोई मनोहर राग सुनादे
वसुंधरा उदास-सी बैठी है तैयार
बरखा बहार का करने इंतज़ार
मेघराज आएँ प्रेम रस बरसाएँ
धानी चुनरिया धरा को पहनाएँ
संदेशे लाते हैं बादल बार-बार
कभी धूप कभी छाँव
कभी झूमती हवाएँ
वर्षा के आगमन की
आकर झलकियाँ दिखाते
आस्मां में टिकी निगाहें
हर दिल में आस जगी है
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित✍
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सादर अभिवादन
नमन मंच
भावों के मोती
दिनांक : 3 -6- 2019 (सोमवार)
विषय : प्रार्थना/ दुआ
अजब हैरान हूं भगवन
कैसे प्रार्थना कर रीझाऊँ मैं
कोई वस्तु नहीं ऐसी
जिसे सेवा में लाऊं मैं
करूँ किस तरह आवाहन कि
तुम मौजूद हो हर जगह
निरादर है बुलाने को
अगर घंटी बजाऊँ मैं
अजब हैरान हूं भगवन
कैसे प्रार्थना कर रीझाऊँ मैं
तुम ही हो मूर्तियों में भी
तुमही व्यापक हो फूलों में
भला भगवान पर भगवान को
क्या कर चढ़ाऊं मैं
अजब हैरान हूं भगवन
कैसे प्रार्थना कर रीझाऊँ मैं
लगाना भोग कुछ तुमको
यह अपमान करना है
खिलाता है जो सारे जग को
उसे क्या कर खिलाऊँ मैं
अजब हैरान हूं भगवन
कैसे प्रार्थना कर रीझाऊँ मैं
यह रचना मेरी स्वरचित है
मधुलिका कुमारी "खुशबू"
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नमन मंच 🙏
दिनांक- 3/6/2019
शीर्षक- "प्रार्थना / दुआ"
विधा-नज्म
ख़ुदा ने अपनी शान दिखाई
डूबी कस्ती किनारे लगाई।।
लहरो में फंसा था सफ़ीना
ख़ुदा ने करामत दिखाई।।
सब रूपो में तू ही समाया
इंसानियत की करता भलाई।।
हर दुआ में हो शामिल तुम
दुनिया से तू मिटाता बुराई
दुनियावी में लगे रहे हमेशा
लेकिन तेरी याद तो आई।।
दिल रोये मन मुस्काये
ये पीड़ा बड़ी दुखदाई।।
नूर तर हुआ जो नूर से
ख़ुदा ने यूँ शान फरमाई।।
-आकिब जावेद
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नमन
भावों के मोती
३/६/२०१९
विषय-दुआएं
दुआएं जिंदगी में है बहुत जरूरी,
कमी इनकी कभी भी किसी से हो न पूरी।
न दुखाएं दिल किसी का,
न किसी की आंखें रोए।
करिए सदा काम ऐसे,
दुआएं सदा मिलती जाएं।
जहां बनता नहीं काम दवा से,
वहां पर काम आती हैं दुआएं।
सताकर किसी को न लो बद्दुआएं,
हंसी ले आओ किसी के
चेहरे पर।
कि सफल हो जाए ये जीवन।
मिटा दो दुख किसी के जीवन का,
कि हो जाए साकार ये जीवन।
न बोलो बोल कभी ऐसे
कभी,
कि रोए आत्मा किसी की।
करो व्यवहार सदा ऐसा,
कि मानवता मुस्कराए।
मिलेगी जो दुआएं तुमको,
बड़ी अनमोल वे होंगी।
तुलना उनकी कभी भी,
किसी से न होगी।
खिला दो फूल झुर्रियों में,
मिलेगा आशीष जी भरके।
समेटो फिर दुआएं तुम,
सदा झोलियां भरके।
बुरा हो वक्त जब किसी का
दुआएं काम कर जाती।
दुआओं के असर से तो,
मौत भी है टल जाती।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
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प्रार्थना
नमन् भावों केमोती
दिनांक 3 जून 2019
विषय- प्रार्थना दुआ
विधा कविता
बचपन से मैं बड़ा हुआ
दुआओं का साया साथ चला
क़दम क़दम पर ठोकरें लगी
माँ की दुआओं से महफ़ूज रहा
जमाने की ज़िल्लत से दो चार होता
सबकी दुआओं की छाया में रहा
ईश कृपा से दुनिया की खुशियों का खजाना मिला
मुश्किलों में भी कुदरत का सम्बल रहा
माँ बाप और गुरुओं का आशीर्वाद मिला
भाई बहन सबका साथ रहा
जीवन के हर मोड़ पर नवजीवन मिला
इष्ट मित्रों की प्राथनाओं का असर रहा
ईश्वर की प्रार्थना से अच्छी जिन्दगी मिली
प्रार्थना ही मेरी सम्बल रही
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
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दि- 3-6-19
विषय- प्रार्थना
सादर मंच को समर्पित -
🌺🙏 कविता 🙏🌺
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🌷🌻 प्रार्थना 🌻🌷
तू ही हम सब को राह बता
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
हम दीन दुखी अज्ञानी हैं ।
राहें अपनी अनजानी हैं ।।
जप तप पूजा विधि नहीं पता ।
तू ही हम सबको राह बता ।।
मद मोह पाश जकड़े रहते ।
नित काम क्रोध गलते रहते ।।
करते दिन-रात अनेक धता ।
तू ही हम सबको राह बता ।।
आये इस जग , कुछ कर पायें ।
जीवन का मर्म समझ जायें ।।
खुद की पहचान न अभी पता ।
तू ही हम सबको राह बता ।।
सत्कर्म धर्म को अपनायें ।
प्रार्थना करें , भव तर जायें ।।
हे दीनानाथ न और सता ।
तू ही हम सबको राह बता ।।
🍎🍊🍏🌺🌹
🌻🍀**...रवीन्द्र वर्मा आगरा
मो 0- 8532852618
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
नमन मंच
दिनांक .. 3/6/2019
विषय ... प्रार्थना/ दुआ
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तू लाख दुआ कर ले मुझसे दूर जाने की।
मेरी मन्नत उसी खुदा से है तुझे पास लाने की।
देखेगे हम भी किसकी दुआओ मे असर है।
तेरी नफरत जीतती है या मोहब्बत अमर है।
बेबाक बोलने की सजा कुछ भी तय करो पर।
अन्जाम मोहब्बत का बेबस ना होने देगे।
इन तेरे नाजो लय पे कई शख्स फिंदा होगे।
पर मेरी मोहब्बत सा आशिक ना फिर मिलेगा।
मरना नही है मुझको इस तेरी मोहब्बत मे।
हम साथ ही रहेगे मरने से पहले दोनो।
आयेगा नही कोई हम दोनो के बीच मे अब।
ये प्यार खत्म होगा हम दोनो के बाद ही अब।
स्वरचित ... शेरसिंह सर्राफ
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"नमन-मंच"
"दिनांक-३/६/२०१९"
"दुआ/प्रार्थना"
कोई नही है इस धरा पर
जिसे नही चाहिए दुआ
कनक नही आये काम
जितने काम आते है दुआ।
दुआ ले,और दुआ दे
हर रोज हम ऐसा काम करें
दुआ सलाम हम रोज करे
इससे हमारे संस्कार जुड़े।
नभ के टूटे तारो से
भला हम क्यों माँगे दुआ
करें हम एक दूजे की मदद
रब दे फिर हमें दुआ।
दुआओं का जब रहे साथ
आत्मविश्वास बढ़े अपने आप
बिगड़े काम भी बन जाये
मिल जाये जब रब की दुआ।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
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करूँ प्रार्थना हर क्षण प्रभु से
शुद्ध चरित्र ,आचार हो
परोपकार ही लक्ष्य हो अपना
ऐसा मन में विचार हो।
इतना दो सामर्थ्य भुजा में
जैसे यह पतवार हो
करूँ आकलन स्वयं, स्वयं का
भूल हमें स्वीकार हो।
रखूँ संतुलन सुख -दुःख में
त्याग,धैर्य हथियार हो
राग -द्वेष मिट जाए जग से
सबको सबसे प्यार हो।
सुंदर तन हो सुंदर मन हो
सुंदर वाणी व्यवहार हो
व्याकुलता भी शांत हो सके
ऐसी वीणा की झंकार हो।
सर्वेश पाण्डेय
03-06-2019
स्वरचित
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नमन सम्मानित मंच
(प्रार्थना)
******
क्रिया धार्मिक शुचित प्रार्थना,
सम्बन्ध जोड़ती परमशक्ति से,
ब्रह्माण्ड चारु के प्राँगण मे,
मानवीय शुचि उर मन से।
होती ध्वनित प्रार्थना अंतस से,
कंठोच्चारण नहीं समुचित,
भक्तिभाव मानस के पट पर,
राग लोभ से परे सुनिश्चित।
आत्मशक्ति का योगदान शुचि,
दृढ़तर करता भक्ति की शक्ति,
सत्यमेव ही मूल मंत्र शुचि,
आडम्बर में निहित न भक्ति।
परिष्कार व परिमार्जन की,
उत्तम प्रक्रिया चारु प्रार्थना,
शक्ति एवं ऊर्जा अर्जन हित,
सर्वोत्तम साधन शुचि प्रार्थना।
शुद्ध हृदय से ध्वनित प्रार्थना,
करती निस्सारण मानस के मल,
आकंठ भक्ति में डूबा मानव,
पाता निश्चित मनवांछित फल।
--स्वरचित--
(अरुण)
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नमन मंच को
दिन :- सोमवार
दिनांक :- 03/06/2019
विषय :- दुआ/प्रार्थना
आस्था का अस्तित्व,संजोती प्रार्थना...
सात्विकता को प्रमाणित करती प्रार्थना...
जलाती आशा के दीप अंतर्मन में...
जीवन के संमार्ग प्रशस्त करती प्रार्थना...
जगाती आत्मविश्वास प्रार्थना...
कराती ईश आभास प्रार्थना..
प्रार्थना शुद्ध करती अंतःकरण..
हो जब एकाग्र मन से चिंतन...
तनावपूर्ण मानसिकता का करे दमन..
प्रार्थना खिलाए भक्ति पुष्प हृदय उपवन..
प्रार्थना जागृत करती इन्द्रिय...
नवचेतना का करती संचार...
करो शुद्ध मन से सब प्रार्थना...
संस्कारित हो सकल संसार..
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
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नमन मंच
विषय-दुआ
ग़ज़ल-काफ़िया एवँ रदीफ़-
साभार सी.एम्.शर्मा जी🙏🙏🙏
03-06 2019
है उसका दिया सब तो क्या माँगना.....
दुआ में सभी का भला माँगना....
ख़ुशी बन के छाना खिजाओं में भी,
कभी न किसी का बुरा मांगना.....
जो नापाक नजरें उठी मुल्क पर,
मिटा दूँ उन्हें हौसला मांगना...
तू ही आरजू है तू ही जुस्तजू,
तू दिल में सजा ले तो क्या माँगना....
हवाले तेरे जिन्दगी अब है 'मन'
सलामत रहूँ मैं दुआ माँगना.....
स्वरचित-
गीता गुप्ता 'मन'
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शुभ संध्या
शीर्षक- ।। दुआ ।।
द्वितीय प्रस्तुति
काम तो नही मिला है कोई खास
पर दुआ का सिलसिला रखूँ पास ।।
भूखे को भोजन प्यासे को पानी
जाने न पाता कोई घर से उदास ।।
दौलत की खातिर बहुत ही भागे
मगर न लग सका कुछ भी हाथ ।।
भाग लिया अब जो भागना था
दौलत शोहरत किस्मत की बात ।।
और भी हैं सुख उन्हे न समझे
दुआयें जो लेते वो होते आज ।।
लेन देन का सब हिसाब है यहाँ
समझो ''शिवम" न फोड़ो माथ ।।
आज जो कुछ हम देंगे बोयेंगे
कल आये वही बन कर भाग्य ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 03/06/2019
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नमन भावों के मोती
विषय-प्रार्थना
विधा-पिरामिड
है
शक्ति
प्रार्थना
अभिव्यक्ति
ईश स्मरण
हृदय शोधन
विमल अंतर्मन ।
है
प्रेम
विश्वास
समर्पण
मन विचार
प्रार्थना उद्गार
मिटे सभी विकार।
श्री
पूज्य
दर्शन
कृतज्ञता
प्रभु विनय
प्रार्थना दीपक
जीवन प्रकाशित।
स्वरचित
गीता गुप्ता 'मन'
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नमन "भावो के मोती"
03/06/2019
"दुआ/प्रार्थना"
1
शक्ति प्रार्थना
यमराज भी हारा
सती की जीत
2
दुआ के हाथ
ईश्वर का हो साथ
भय न पास
3
दुआ मंजूर
सच हुए सपने
खुश अपने
4
नित्य प्रार्थना
पूजा व उपासना
आस्था के द्वार
5
सिंचित कर्म
सफलता चूमता
दुआ के हाथ
6
दिल से दुआ
असंभव, संभव
पूरी मुराद
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
03/06/2019
हाइकु (5/7/5)
विषय:-"प्रार्थना/दुआ"
(1)🙏
भरते घाव
उतरती प्रार्थना
छलके भाव
(2)🙏
मन की भाषा
ईश्वर से संवाद
प्रार्थना आशा
(3)🙏
प्रार्थना शक्ति
भक्ति का चमत्कार
शांति अपार
(4)🙏
प्रार्थना गंगा
अहं का विसर्जन
हृदय चंगा
(5)🙏
वो क्या दे पाए
गरीब की झोली में
धन दुआएँ
स्वरचित
ऋतुराज दवे
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नमन भावों के मोती
विषय प्रार्थना
विधा कविता
दिनांक 3.6.2019
दिन सोमवार
प्रार्थना
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प्रार्थना एक अनुपम भक्ति है
प्रार्थना में अद्भुत शक्ति है
प्रार्थना सुन्दर अनुरक्ति है
प्रार्थना में आत्मा महकती है।
प्रार्थना शब्दों का नहीं गठजोड़
यह है प्रभु पथ का सुन्दर मोड़
यह है गहरे भावों का निचोड़
इसमें दुर्भावों की छिपी है तोड़।
प्रार्थना जब लेती है भौतिक रुप
अच्छा होजाता इसका स्वरुप
सारे काम सुलभता से निपट जाते
चिन्ता के बादल सिमट जाते।
स्वरचित
सुमित्रा नन्दन पन्त
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भावों के मोती : चयनित शब्द : दुआ
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सालों पहले लिखी मेरी ये प्रारथना आज पहली बार भावों के मोती पटल पर साझा कर रहीहूँ ।सुबह उठते ही मन में ईशवर के आशीष के रुप में और रात सोने से पहले ईशवर का आभार प्रकट करते हुए इसे मन में दोहरा लेती हूँ ,मन शांत रहता है...........
सब कुछ तो है दिया तूने
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जो कुछ चाहा था तुमसे , वो सब पाया है तुमसे
हाथ उठाकर क्या दुआ माँगू,सब कुछ तो है दिया तूने ।
सुंदर सा संसार दिया , भरा पूरा परिवार दिया
और दिलों में प्यार दिया , सब कुछ तो है दिया तूने ।
आँखों में रौशनी दी , प्यारी सी ज़िंदगी दी
होंठों पर हँसी दी , सब कुछ तो है दिया तूने ।
नव चेतना,नव सृजन,नव रंग से भरी सुबह दी
चाँद तारों से आलोकित रात दी ,सब कुछ तो है तूने दिया ।
जब भी मन भयभीत हुआ ,बाधाओं से आशंकित हुआ
हाथ थाम कर दिया सहारा,सब कुछ तो है दिया तूने ।
मातृ तुल्य हरी भरी वसुंधरा ,संरक्षक सा सर पर आसमा
अन्न,जल,वायू से परिपूरित किया ,सब कुछ तो है तूने दिया ।
सत्य की राह चलते रहे,असत्य और अधर्म से बचे रहें
बस इतनी सी है दुआ और सब कुछ तो है दिया तूने ।
होंठों पर तेरा गीत रहे ,तू बनकर मेरा मीत रहे
हरदम तुझसे प्रीत रहे ,यही है दुआ तेरी कृपा रहे
.......सबकुछ तो है तूने दिया !
स्वरचित (c) भारगवी रविन्द्र .......१९८०
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नमन भावों के मोती
दिनाँक-03/06/2019
शीर्षक -दुआ,प्रार्थना
विधा -हाइकु
1
सच्ची प्रार्थना
प्रकट होती ज्योत्स्ना
मन मन्दिर
2
प्रार्थना शक्ति
प्रकट भगवान
मन मन्दिर
3
दैनिक कार्य
पाठशाला प्रार्थना
शारदे स्तुति
4
प्यारी बिटिया
बाबुल की दुआएं
घर बसाए
5
कपटी मन
दिखावे की प्रार्थना
कहाँ अमन
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स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन मंच को
दिनांक -3/5/2019
विषय-प्रार्थना
प्रार्थना है प्रभु से इतनी शक्ति बनाए रखना ,
अपने दुःख संकट में द्रढ़ता प्रबल बनाये रखना ।
न करूँ अभिमान स्वयं पर ,सुख में भी न भूलूँ तुमको ,
हे ईश्वर इतनी नम्रता बनाए रखना ।
जीवन के झंझावातों में ,मन के गहरे संतापों में ,
यही है प्रार्थना हे ईश्वर अपनी गरिमा बनाए रखना ।
जीवन की ऊंचाइयों में, मान-सम्मान की गहराइयों में ,
हे ईश्वर धरती पर टिका रहूँ ,ऐसी कृपा बनाए रखना ।
जब शोहरत का परचमलहराए ,
दुनिया सर आँखों पर बिठाए,
उस समय ऐसा हो ईश्वर अपनों से जुड़ाव बनाए रखना।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
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प्रार्थना हेतु
आवश्यक शुद्धता
तन मन की।।
करो प्रार्थना
हो पूर्ण समर्पण
जागृत मन।।
दुआ या श्राप
कर्मों का परिणाम
भोगता जीव।।
बांटते दुआ
बनकर फ़कीर
बनाया पेशा।।
स्वर्ग की सीढ़ी
खरीदते अमीर
करें प्रार्थना।।
मिलेगी दुआ
चाहिए सेवा भाव
द्रव्य है गौड़।।
प्रार्थना करो
शांति मिले आत्मा को
जो हुयी विदा।।
गंगा भावुक
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