Wednesday, June 26

"इंद्रधनुष "26 जून 2019

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ब्लॉग संख्या :-429


।। इंद्रधनुष ।।

कुदरत भी रंगीन हैं देखो नजारे 

इंद्रधनुष में सात रंग हैं कैसे प्यारे ।।

बरखा रानी बड़ी सुहानी आयी है
आस्मां में देखो बज रहे हैं नगाड़े ।।

चमक रही है बिजली लगे ज्यों
इंद्र कर रहे मुआयने द्वारे द्वारे ।।

मशाल लगा कर देख रहे हैं वह
बारिश कहां पर कितनी हैं डारे ।।

मेंढकों ने भी अपने स्वर साधे 
संगीत छिड़ गये हैं न्यारे न्यारे ।।

बरखा रानी की कैसी मेहरबानी 
किसानों के अब होंगे उआरे न्यारे ।।

इंद्रधनुष इन्द्र की 'शिवम' चुनौती
कला के नायाब नमूने ये हैं हमारे ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 26/06/2019

 नमन मंच भावों के मोती
दिनांक-26/6/2019
आज का विषय- इंद्रधनुष

विधा-संस्मरण

#इंद्रधनुष नाम सुनते ही आंखों के सामने एक सतरंगी सी छ्टा और आभा बिखर जाती है।पावस काल में जब वर्षा की बूंदे दग्ध दैहिक दैविक पापों को हर लेती थी तो उसके बाद नील गगन में इंद्रधनुषी छटा मन को आनंदित करने वाली होती थी।यह वही समय था जब बच्चे न बारिश में भीगने से गुरेज करते थे ना ही घर के बुजुर्ग उन्हें ऐसा करने से रोकते थे।
आकाश की सप्त वर्णी छटा किसी चमत्कार से कम नहीं लगती थी। बारिश और धूप एक साथ।
स्कूल गए तो शिक्षक गणों ने इसके पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत कराया कि श्वेत वर्ण जब प्रिज्म से या किसी पारदर्शी माध्यम से होकर गुजरता है तो सात रंगों में विभक्त हो जाता है तो अंग्रेजी के अध्यापक ने बताया सूत्र क्रमबद्ध रूप से इसके रंग याद करने की विधि
जो थी-Vibgyor
इतने छोटे थे कि इंद्रधनुष और हाफ मून में कोई अंतर दिखाई नहीं देता था। लेकिन मन में ललक उठती थी कि काश हम भी इस पर सवार हो जाए।
साधुवाद है उन अभिभावकों को जिन्होंने अपने बच्चों को प्राकृतिक बिंबो के सानिध्य का एहसास कराया और साधुवाद है उन अध्यापकों को जिन्होंने बच्चों को इसका ज्ञान कराया।
और अब तो केंद्रीय सरकार की बाल कल्याण स्वास्थ्य योजनाओं में सर्वोपरि नाम से गिनी जाती है इंद्रधनुष योजना, जो सात जानलेवा बीमारियों से बच्चों का प्रतिरोध करती है।
बचपन की यादें उड़ता हुआ विमान, जाती हुई छुक -छुक गाड़ी और बारिश के बाद आसमान में इंद्रधनुष की छटा देखने की उत्सुकता मानव को जीवंत कर देती है सच्चे मायनों में।काश फिर दिख जाए आकाश में तिरता हुआ इंद्रधनुष।

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित


 इन्द्रधनुष

वह गाँव का,

खूला आँसमान ।
निर्मल मन ।
प्यारा बचपन ।
वह बारीश की बूंदे,
मिट्टी की सुगंध ।
वह गोधूला की शाम ।
वह खूला आँसमान ।
खूले आँसमान में,
पश्चिम की दिशा ।
धीरे धीरे,
छाने लगी निशा ।
पंछी निकले,
अपने घर ।
मजदूर निकले,
अपने मकान ।
आँसमान में ,
दिखे सातरंगी कमान ।
कोई कहें,
राम का बाण ।
गिनते बार बार,
सातरंग को ।
समझाते,
अपने मन को ।
वह खूला आँसमान,
वह गोधूलि शाम ।

X प्रदीप सहारे


इन्द्रधनुष
💐💐💐
नमन भावों के मोती।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
हाइकु लेखन
💐💐💐💐
1
सतरंगा वो
आकाश में बनता
इन्द्र्धनुष
2
तेरी यादों का
इन्द्रधनुष कैद
मेरे दिल में
3
सातों रंग वो
चमके आकाश में
इन्द्रधनुष

स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी


विधा लघुकविता
26 जून 2019,बुधवार

गगन पटल पर रवि रश्मि से
भिन्न भिन्न स्वरूप सजाता।
सप्त रँगी अद्भुत रंगों से
इंद्रधनुष वह स्वयम बनाता।

रिमझिम बूंदे रवि निहारे
श्यामल बदरी के अंचल में।
अद्भुत अलौकिक रूप भव्य
दिखता है वह जल थल में।

इंद्रधनुष उपहार प्रकृति का
मन आकर्षित सबका करता।
अर्जुन के गांडीव धनुष को
मानो वह सप्त रंगों से भरता।

इंद्रधनुष आनंद प्रतीक जग
स्नेह नयनों से सभी निहारे।
वर्षा के पावनमय मौसम में
जन जन देखे कोई न हारे।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।


 नमन मंच
दिनांक .. 26/6/2019
विषय .. इन्द्रधनुष

**********************

इन्द्रधनुषी ख्वाब सजा कर,
आया हूँ मै पास तेरे।
हे मृगनयनी जगत सुन्दरी,
भाव करो स्वीकार मेरे॥
....
आओ नयनों पे नयना रख,
अन्तर्मन उदगार करे।
रिमझिम सी इस बारिश मे,
आलिंगन कर मनताप हरे॥
.....
भावों के मोती बिखराए,
हम सुप्त हृदय मे प्यार भरे।
निरस से है जो जीवन मे,
उनके मन मे श्रृँगार भरे॥
......
मन शेर का ये उतराया है,
बादल घनघोर सा छाया है।
थोडी सी धूप वहाँ निकली,
इक इन्द्रधनुष बन आया है॥
.....
स्वरचित एवं मौलिक
शेरसिंह सर्राफ

शोर्षक- इन्द्रथनुष
इन्द्रधनुष से चुराकर सात रंग
मैंने ख्वाबों में अपने रंग भरे।
वक्त के नीर ने,पता नहीं क्यों,
रंग सारे हौले हौले धो दिए।

एक बार फिर, वर्षों के उपरांत
चाह जगी है, देखूं उन ख़्वाबों को।
तितलियों से रंग लेकर भरूंगी
आज ही अपने रंगहीन ख्वाबों को।
स्वरचित
निलम अग्रवाल, खड़कपुर


दिनांक-२६/०६/२०१९

विषय- इंद्रधनुष

मोती जैसा चमक रहा है

इंद्रधनुष के अग्रभाग का प्यारा प्याला।

फिर जग में फैल रहा

दांडिम रंग का लाल उजाला।

शून्य गगन में कोलाहल कर 

आगे बढ़ता खग दल।।

इंद्रधनुष के स्वागत को

सहसा महक उठता कमल दल।।

ये मदमस्त नजारा लगता है

सूर्योदय के अरुणोदय का।।

तब धरा से नाता जुड़ता

स्वर्णिम सतरंगी डोरो का।।

खेलने लगी इंद्रधनुष की किरणें

जल की चंचल लहरों से।।

धरती सजने लगी

इंद्रधनुष के सतरंगी रंगों से।।

इसे देखकर चमक उठे

हंसो के दल प्यारे।।

सतरंगी सूर्य स्यंदन चमक रहे 

नदियों के किनारे।।

एक नन्ही कली भी बाट देख रही

इंद्रधनुष के उजाले की।।

मन उद्वेलित होता मधुरस

प्रभाकिरन के आने से।।

स्वरचित...
सत्य प्रकाश सिंह
प्रयागराज

26/6/2019/
बिषय इंद्रधनुष
जब नभमंडल पर बिखेरता
इंद्रधनुष अपनी छटा
मनमोहक मनभावनी
नीलांबर की घटा
ए सतरंगी सुहानी गगन
पटल पर छा जातीं
रिमझिम बौछारों के
संग प्रकृति में चार चांद
लगा जाती
लगता मानों धरा ने
स्वयं अंबर का श्रंगार किया
या फिर आसमां ने ए
अद्भुत उपहार दिया
क्यों न हम स्वयं को
इंद्रधनुष सा बना लें
इस सतरंगी जहां को
सकरात्मक सांचे में ढालें
न कोई शिकवा न कोई गिला
जो भी मिला भाग्य से मिला
स्वरचित,, सर्वाधिकार,,
सुषमा ब्यौहार,,


विषय - #इन्द्रधनुष 
*दोहा गीत*
======================

ईश्वर ने हमको दिया,क्या अनुपम उपहार |
इंद्रधनुष ये जिंदगी, रंगों का संसार ||

कितना सुखद सुहावना,
जीवन रूपी चित्र |
उत्तम ही रखिए यहाँ,
चेहरा चाल चरित्र ||
सुख-दुख मिलन वियोग के,
यहाँ समाहित रंग |
दिखलाती है जिंदगी,
नित्य निराले ढंग ||
रंग बदलते हैं यहाँ, मौसम के अनुसार |
इंद्रधनुष ये जिंदगी,रंगों का संसार ||

जीत हार के रंग भी,
मान और अपमान |
कर्म मुताबिक ही यहाँ,
पतन और उत्थान ||
कभी अकेलापन लगे,
कभी लगे सब साथ |
चढ़े स्वार्थ का रंग जब,
तो बदलें हालात ||
बने जहाँ तक कर चलो,जीवन में उपकार |
इंद्रधनुष ये जिंदगी, रंगों का संसार ||

प्रेम दया सद्भावना,
सत्य सरल व्यवहार |
जीवन में लाते यही,
सच्चा सुखद निखार ||
दंभ कपट छल द्वेष से,
रखें स्वयं को दूर |
मानवीय मूल्यों से,
जीवन हो भरपूर ||
उत्तम रंगों से करें, जीवन का उद्धार |
इंद्रधनुष ये जिंदगी, रंगों का संसार ||

जीवन के हर रंग से,
कर पाया जो मेल |
सच मानो वो ही सही,
खेल सका यह खेल ||
रंग सभी मिलकर हुए,
इंद्रधनुष का रूप |
इन रंगों में ही छुपा,
जीवन सार अनूप ||
समझ सके तो ठीक है,वरना सब बेकार |
इंद्रधनुष ये जिंदगी , रंगों का संसार ||

***************************
#स्वरचित 
प्रमोद गोल्हानी सरस
कहानी सिवनी म.प्र.



बिषयःः# इंन्द्रधनुष#
विधाःःकाव्यःः ः


इंन्द्रधनुष के सतरंगी रंगों से,
सबका मन मनोरंजन होता है।
पावन पावस में टप टप होती,
वो हर पल मनभावन होता है।

कभी छाती हैं घनघोर घटाऐं,
कहीं मेघ मल्हार सा गाते हैं।
निकले धूप जब बर्षा ऋतु में,
ये सुंन्दर इंन्द्रधनुष छा जाते हैं।

मनमयूर पुलकित झूमते लगते,
सबका उर आल्हादित होता है।
जब रश्मि बिखरती सतरंगी तो,
अपना हृदय उत्साहित होता है।

हों प्रस्फुटित जब रवि रश्मियां,
इंन्द्रधनुष विकसित हों चहुंओर।
खिलें हिय की कलियां प्रभु जी,
यहां मन प्रफुल्लित हों हर भोर।

स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी

1*भा.#इंन्द्रधनुष#काव्यः ः
26/6/2019/बुधवार

 भावों के मोती
26 06 19
विषय - इंद्रधनुष 


उत्तप्त धरा पर
रिमझिम बूंदों की फूहार 
ना होती किसी एक की,
सबकी सांझे होती इकसार।
इसलिए बरखा कहलाती
ऋतुओं की रानी
बंसत हो ऋतुराज चाहे,
उजड़ा सा होता बिन रानी ।
जीवन का अनुपम
श्रृंगार है बरखा
यादों की खुलती
संदूकची है बरखा 
भागती जिंदगी में
चैन के दो पल है बरखा 
जीवन का सतरंगी
"इंद्रधनुष" है बरखा ।
ले आती सुरम्य सौगातें
अम्बर का आह्लाद है बरखा
बंसत हो ऋतुराज चाहे,
ऋतुओं की रानी है बरखा।

स्वरचित 
कुसुम कोठारी।
Vandna Solanki 🌺🙏

26/6/2019
💐🌺🌹🎋🌿🌹🌺💐

मेरे लिबास पर बिखरीं हैं
इंद्रधनुषी गजलें

आँचल पर लिखे हैं
सतरंगी अल्फ़ाज़ !!

दिन में देख रही हूँ मै नारंगी ख़्वाब
हर अंदाज़ है मेरा लाजवाब !!

नीले आसमान सी चमक उठी नशीली आँखे
शर्मोहया से सुर्ख हो उठे मेरे गाल

थरथरा उठी है मेरी पीत काया
ये किसने हरे रंग की चूनर दी है डाल 

साँझ सी बैंगनी छाया मेरा रूप रंग निखारे
आ सजन !मेरे सतरंगी रंग में तू भी रंग जा रे !!

@वंदना सोलंकी©️स्वरचित


मंच को नमन 
26/6/19
विषय-इन्द्रधनुष 
विधा-हाइकु 
■■■■■■ 
1)
यादों के बाण 
इन्द्र धनु सन्धान
हर ले प्राण ।।
2)
इन्द्रधनुष 
खुशियों की झलक 
पल में लुप्त ।।
3)
रश्मियों बिन 
इन्द्रधनुष हीन 
व्याकुल मन ।।
■■■■■■ 
स्वरचित 
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित बसना,महासमुंद,छ ग

26जून2019
विषय इन्द्रधनुष
विधा हाइकु

बादलों बीच
इन्द्रधनुष रेख
बूंदें संरेख

इन्द्रधनुष
वैज्ञानिक घटना
बारिश संग

सतरंगी है
इन्द्रधनुष रंग
मेघ बारिस

घनप्रिया है
इन्द्रधनुष संग
वर्षा जीवन

मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली

नमन मंच भावों के मोती 
दिनांक 26 जून 2019 
दिन बुधवार
शीर्षक -इंद्रधनुष 
विधा -दोहा गीत

इंद्रधनुष छाये गगन,खिले धरा का रूप ।
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारुप ॥

इंद्रधनुष सा नेह तो, सतरंगी संसार ।
रंग मिलें मिलकर सजें, पायें रूप अनूप ॥
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारूप ॥

एक से दूजा यूँ जुड़ा, इंद्रधनुष पहचान ।
आकर्षण हे साथ में, बिछड़े रूप कुरूप ॥
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारूप ॥

इंद्रधनुष में सात हैं, जीवन रंग हजार ।
जो सब धीरज से सहे, वही रंग का भूप ॥
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारूप ॥

सुख दुख दोनों ही मिलें, जीवन पथ में साथ ।
इंद्रधनुष बनता तभी, संग घटा के धूप ॥
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारूप ॥

आशा और उमंग से, इंद्रधनुष के रंग ।
आशा बिन जीवन लगे, अंधकार का कूप ॥
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारूप ॥

इंद्रधनुष छाये गगन, खिले धरा का रूप ।
कुछ ऐसा ही है सखी, जीवन का प्रारूप ॥

रचना स्वरचित एवं मौलिक है ।
©®🙏
-सुश्री अंजुमन 'आरज़ू'
छिंदवाड़ा मप्र
Damyanti Damyanti 


विषय ;-इंद्रधनुष ।
26/6/2019 
बरसाती ऋतु मे गगन मे छाया इंद्रधनुष ।
सतंरगी छटा निराली बिखरे रंग अनेक ।
भारतीवासी भी है इंद्रधनुष सेहै ,रगं धर्म अलग फिर भी हम एक ।
स्नैह नेह बरसावौ सब पर एक समान ।
न देखो अमीर गरीब,जाति धर्म को ।
सब एक डोर से बंधे रहो ज्यू इंद्रधनुष ।आकाश मै.पा सहारा जलकणो का खिलता इंद्रधनुष ।
पडती छबि छटा धरा पर खिल उठतीतरुणाई ।
स्वरचित ;;;-दमयन्ती मिश्रा 
गरोठ मध्यप्रदेश ।

द्वितीय- प्रस्तुति

इंद्र धनुषी बचपन

ख्वाबों के दयार पर एक झुरमुट है यादों का
एक मासूम परिंदा फुदकता यहाँ - वहाँ यादों का ।

सतरंगी धागों का रेशमी इंद्रधनुषी शामियाना
जिसके तले मस्ती में झुमता एक भोला बचपन ।

सपने थे सुहाने उस परी लोक की सैर के
वो जादुई रंगीन परियां जो डोलती इधर उधर।

मन उडता था आसमानों के पार कहीं दूर
एक झूठा सच, धरती आसमान है मिलते दूर ।

संसार छोटा सा लगता ख्याली घोडे का था सफर
एक रात के बादशाह बनते रहे संवर संवर ।

दादी की कहानियों मे नानी थी चांद के अंदर
सच की नानी का चरखा ढूढते नाना के घर ।

वो झूठ भी था सब तो कितना सच्चा था बचपन
ख्वाबों के दयार पर एक मासूम सा बचपन।

एक इंद्रधनुषी स्वप्निल रंगीला बचपन।

स्वरचित

कुसुम कोठारी।

दूसरी प्रस्तुति
🌸🌸🌸🌸
जब छाये घनघोर घटाएं,
बरसे धरती पर पानी।

तत्काल उदित हुए सूर्य,
तो बन जाता इन्द्र्धनुष।

सात रंगों से बनता है ये,
मनभावन है ‌लागे।

बच्चे भागें इसके पीछे,
उन्हें सुहावन लागे।

छटा होती है निराली इसकी,
इसका रुप मोहे है मन।

लगता ऐसे, जैसे नभ ने,
सतरंगी पहन ली चुनरिया।

इसीलिए मन मोहे है मौसम ये,
छम,छम बरसे बदरिया।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी


🙏को नमन🙏 
दिनांक 26 जून 2019
विषय इंद्रधनुष

ना लाना बाबा खेल खिलौने
आज मैं ससुराल चली
ले लूंगी अपना #इंद्रधनुष
ना भूलूँ तेरी गोद पली

सब कहते हैं मैं हुई पराई
डोली मेरी दूर से आई
बाबा उर में भर लेना तुम
ना भूलूँ तूने लाड़ लड़ाई

आज वचन इतना दे देना
माँ से कानों में कह देना
मेरी लाडो आंगन की तुलसी में
ना भूलूँ तुझसे ये जुदाई

बाबा ना कहना मुझे पराई
यह बात जुबां पर कसम जो आई
मर जाऊंगी यही सोच कर
ना भूलूँ तूने रीत निभाई

स्वरचित
सीमा आचार्य (मध्य प्रदेश)

आज उठ रहे उमड़ घुमड़ कर
बादल कितने संग।
एक बरस रहा आसमान से
दूजे आँखों के मृदंग ।
पुलकित मन नाच रहा । पिया
सजा लूँ संग ।
बाहों के झूले में झूलूँ , सावन 
संग।
सतरंगी सपनों. मे खोऊँ पिया
संग
ऐसे बाँसुरी अधर लगूँ में
बनके राधिका
प्रीति हमारी ऐसी खिले ज्यो
इंद्रधनुष के रंग
हर दिन नया खिले ऐसे जिआ 
फैलाएं पख

स्वरचित
नीलम शर्मा # नीलू


सादर नमन मंच
26-06-2019
इंद्रधनुष
अनल ईंट की बनी दीवारें
मध्य हृदय एक मोम लिए
विगलित रंगों की विभक्ति
ये इंद्रधनुष है व्योम लिए

तीक्ष्ण ताप धधक उर में
सतरंगी सपनें होम किये
हृदय तरल हुए है शोषित 
शुष्क अधर है क्लोम लिए

घनघोर घटा घुमड़ मन में
नैनों से क्षरित ये क्षोम छले
वायु वेगित भी असंवेदी है
साँसों के सदा विलोम चले 

बेलाग लपट के यह लपटें
भस्मित तन-मन रोम किये
इंद्रधनुष के रंग विलोपित
छिटका चहुं तम तोम प्रिये
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित


 नमन मंच
इंद्रधनुष
हाइकु


आये है मेघ
बारिश पहनाती
रंगीन हार।

क्षितिज खुश
इंद्रधनुष जोड़े
धरा गगन।

वर्षा के मोती
रंग भरते कई
इंद्रधनुष।

रंगों का मेला
प्रकृति चित्रकारी
इंद्रधनुष।

श्वेत कपोत
इंद्रधनुष वक्र
नीलाभ घन।

खुशी बिखेरे
बरसाती कटोरा
इंद्रधनुष।

चहके पक्षी
हर्षाया बचपन
इंद्रधनुष ।

स्वरचित
गीता गुप्ता 'मन'


" भावों के मोती " पटल
वार : बुधवार 
दिनांक : 26.06.2019
आज का विषय : इंद्रधनुष
विधा : काव्य

गीत 

पावस की बूंदें कमाल है ,
मन को बहलाती हैं !
इंद्रधनुष भी रंग बिखेरे ,
उसमें ढल जाती हैं !!

रीते बादल लौट चले जब ,
संध्या घूंघट खोले !
सतरंगी डोली में बैठे ,
यादों के हिचकोले !
मूक गवाही नभ देता है ,
ऋतु भी इठलाती है !!

रंग समेटे हम बैठे हैं ,
मन की डोर निराली !
कभी हाथ हम खाली बैठे ,
कभी बजाते ताली !
लगे ज़िंदगी बड़ी अनूठी ,
यों ही बल खाती है !!

बिन रंगों के जीवन सूना ,
कैनवास ज्यों खाली !
अगर तूलिका चित्र उकेरे ,
छा जाती है लाली !
अँगड़ाई लेता जब यौवन ,
छवियाँ बहलाती है !!

दुनिया रंगबिरंगी जानो ,
मोहपाश में बांधे !
खुशहाली भी बैठा करती ,
इक दूजे के काँधे !
मुस्कानें जी भर पा जायें ,
वक्त को सहलाती हैं !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )


 नमन मंच भावों के मोती 
तिथि 26/06/19 
विषय इंद्रधनुष

***
रिमझिम बरसात है, 
भीगे अल्फाज है,
अलसायी सी सुबह, 
प्रियतम का साथ है।
उठो न.....चलो........
निकलो बंद कमरे से
धूप निकली है
ले रही अंगड़ाई नभ से ।
किरणें अपवर्तित ,
परावर्तित ,विसरित 
हो आसमाँ को 
सात रंगों से सजा रही,
चिड़ियों की चहचहाहट,
मौसम को खुशनुमा बना रही।
भीगे अल्फाजों को 
प्यार से संजोते हैं
अपनी कल्पनाओं को 
आओ नई उड़ान देते है
सुनहरी धूप का एक छोर पकड़,
इन्द्रधनुष के रंग चुरा लाते है।
सात रंगों को जीवन मे भर
सतरंगी सपने सजाते है ।

स्वरचित
अनिता सुधीर


सात रंगों की रेखाएँ
जब क्षितिज पर छाती है
दिखती भव्य धनुष सी वह
मन को आनंद विभोर कर जाती है।

सुन्दर सा लगता
हर दिशाएँ
दिल को छुता
ये मनमोहक रेखाएँ,
अद्भुत है ये
कुदरत का नजारा
जो बच्चे - बूढ़े सबको लुभाएँ।

ऐसे ही जीवन में
हर रंगों का समावेश हो,
देख जिसे जग हर्षित हो जाएं
इन्द्रधनुष हर मानव का आधार हो।

स्वरचित : - मुन्नी कामत।

तिथि - 26/6/19
विधा - कविता
विषय - इंद्रधनुष


सात रंग आकाश में 
जब जब खिलते जायें
अम्बर की शोभा बढ़े 
इंद्रधनुष कहलाये
इंद्रधनुष मन में खिले 
खुशियां मिलें अपार
लालायित मन हो उठे
पाने तेरा प्यार
बीच घटा के दिख रहे 
इंद्रधनुष के रंग
मनवा मेरा नाचता 
आज मयूरा संग
जीवन में बिखरे रहें 
सुंदर सातों रंग
मेरी खुशियों में पड़े
कभी न कोई भंग
मन पर मेरे खिल उठे
कुछ खुशियों के फूल
अम्बर में ज्यों खिल उठे
इंद्रधनुष के फूल
रंग भरे हों प्यार के
सजना तेरे संग
जीवन बगिया में खिलें
भाँति भाँति के रंग

सरिता गर्ग
स्व रचित


शीर्षक-इंद्रधनुष
विधा-हाइकु

1.
काली घटा पे
सजकर आ बैठा
इंद्रधनुष
2.
बादल संग
अंबर भरे रंग
इंद्रधनुष
3.
प्यारी रंगोली
कुदरत के रंग
इंद्रधनुष
4.
वर्षा स्वागत
आया इंद्रधनुष
ऊँचे गगन
5.
लक्षण रेखा
बना इंद्रधनुष
वर्षा के बाद
6.
काली बदरी
माँग भरा सिंदूर
इंद्रधनुष
7.
काली बदरी
इंद्रधनुषी रंग
बनी दुल्हन
8.
देखने दौड़े
प्यारा इंद्रधनुष
लुप्त हो गया
9.
रंग बिरंगा
इंद्रधनुष बना
गगन सजा
10.
बरखा बाद
बना इंद्रधनुष
हर्षित धरा
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा


 शुभ संध्या
शीर्षक-- ।। इंद्रधनुष ।।
द्वितीय प्रस्तुति


काश हमारा होता बस 
चुराकर लाता इंद्रधनुष ।।

सजाता तुम्हारे बालों में
हूर सी तुम जातीं सज ।।

जब आए ये बरखा रानी
मन में उठे यही हुलक* ।।

तुम बिन रंग न भाये ये
इंद्रधनुष से उठूँ सिसक ।।

बरखा रानी आयी मगर
तुम न आयीं यही कसक ।।

इंद्रधनुष तूँ क्यों चिढ़ाये 
जाने उनकी खबर न खत ।।

दूर कहीं तूँ छटा बिखेर
'शिवम' सूने घर को बख़्श ।।

हुलक*-- मन में उठ रही खुशी

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 26/06/2019


नमन भावों के मोती
26-06-19 बुधवार
विषय- इंद्रधनुष
विधा- हाइकु
💐💐💐💐💐💐
रंगीन चाप

आसमान में खींचा

इंद्रधनुष 👌
💐💐💐💐💐💐
मेघों के संग

नभ रंगोली भरे

इंद्रधनुष👍
💐💐💐💐💐💐
बारिश बाद

इंद्रधनुष बना

आसमान में🎂

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श्रीराम साहू अकेला

इन्द्रधनुष के रंगों जैसी, है रंग बिरंगी दुनियाँ ।

तरह तरह के रंगों की होतीं हैं सबकी खुशियाँ ।

अलग अलग रंग होता है सबके ही ख्वावों का,

इन्द्रधनुषी रंग नहीं सबके ख्वावों को है मिलता ।

लाचारी भूख, गरीबी, बीमारी और अपमान का,

सबके जीवन में रंग ज्यादा ही हमको है दिखता ।

जीवन इंद्रधनुष सा सतरंगी हो यहाँ जन जन का,

कोशिश सबकी हो ऐसी ही प्रयास हो यही हम सबका ।

अस्त न हों सपनें किसी के आंसूसे मेल न हो आँखों का,

खुश रहने का अधिकार हो अब हर इक बच्चे का ।

इंद्रधनुष पर हक न हो अब सिर्फ आसमान का ,

इंद्रधनुष भी वासी बन जाय अब इस धरती का।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,

"शीषर्क. इंद्रधनुष"
सात रंगो से सजा इंद्रधनुष
अनुपम छटा बिखराये
कभी जिंदगी लगे इंद्रधनुष सा
कभी नयन भर आये।

जीवन के विभिन्न मोड़ पर
इंद्रधनुष के रंग याद आये
लाल रंग अदम्य साहस भर
जीवन पथ पर ले जाये

हरा रंग खुशहाली बन
जीवन बगीया महकाये
इंद्रधनुष के सातो रंग
जीवन के पाठ पढ़ाये।

पहले बरसे बारिश धरा पर
फिर इंद्रधनुष छाये
जैसे जीवन बगीया मे
सुख दुःख साथ निभाये।

दर्प का बादल जब मन पर छाये
मन मलिन हो जाये
जब ये धूल हट जाये मन से
जिंदगी खुशनुमा हो जाये।

नभ के इंद्रधनुष हमें यही सीखाता
पहले हो जाये स्वच्छ नभ सा मन
फिर इंद्रधनुष छा जाये
जीवन बगीया महक जाये।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।



नमन "भावो के मोती"
26/06/2019
"इंद्रधनुष"
1
अंबर शोभा
इंद्रधनुषी छटा
हर्षित धरा
2
जीवन खिला
इंद्रधनुषी रंग
मन दबंग
3
सात ही रंग
इंद्रधनुष संग
नाचता मन
4
इंद्रधनुष
रश्मि का विकिरण
रंगों के संग
5
मेघों के संग
इंद्रधनुष खेल
रंगों का मेल

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल।

भावों के मोती दिनांक 27/6/19
इन्द्रधनुष 

रंग बिरंगी 
दुनियाँ सारी
फैली चहुंओर 
हरियाली
बरसे बरखा 
घुमड़ घुमड़ 
धरती हुई 
मतवारी
कारे बदरा 
घुमड़ घुमड़े
दिखे इन्द्रधनुष 
आसमां 

इन्द्रधनुष का 
है संदेश
जीवन
जियो सतरंगी 
प्रेम भाव 
रखे बनाए 
न रखो मन में 
कोई अंदेश

जीवन है 
चार दिन का
जीवन में 
मिले जहाँ
अपनापन 
ईश्वर वास 
है वहाँ 
हो जाए
दुनियां 
इन्द्रधनुष वहाँ 

स्वलिखित 
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल


#इन्द्रधनुष#
*हाइकु*

(1)
छटा निराली
सतरंगी सा चाप
इन्द्रधनुष

(2)
ली अंगडाई
इन्द्रधनुषी चाप
बरखा बूदें

(3)
इन्द्रधनुषी
सतरंगी चुनर
ओढ़े अम्बर

(4)

नव जीवन 
इन्द्रधनुषी खुशी
हर्षित मन

(5)

मेरा जीवन
बना इन्द्रधनुष
खुशी के रंग

स्वरचित *संगीता कुकरेती*

विषय:-इंद्रधनुष
विधा:- दोहा 

इंद्र देव के द्वार का , इंद्र धनुष आकार । 
लोग धरा के देखते , देवलोक साकार ।।१।।

झूलें सुर तिय गगन पर , दिया हिंडोला डाल ।
सतरंगी हैं डोरियाँ , दिखती बहुत कमाल ।।२।।

अंतरिक्ष में ब्रह्म है , इंद्रधनुष का रूप ।
मन की आँखें देखती , उसका यह अपरूप ।।३।।

इंद्रधनुष नभ पर बना , रहस्य देता खोल । 
सात रंग ब्रह्मांड के , कहते ईश खगोल ।।४।।

इंद्रधनुष की सूर्य ने , पींग गगन दी डाल ।
धरा लोक हैरान है , देख गगन की चाल ।।५।।

स्वरचित :-
ऊषा सेठी 
सिरसा 125055

सुखी धरा सा था मेरा जीवन, 
शीतल बूँदों सा प्यार है तेरा,
भूल कर सारे दुख- दर्द,
खिला इंद्रधनुष सा मन मेरा,
दुखों के काले बादल में,
ओजस तेरे प्यार का,
इंद्रधनुषी रंग लेकर,
आया दिन बहार का,
तेरी मीठी बातों से,
खिला कमल प्यार का,
छोड़ ना देना साथ मेरा,
वास्ता है तुम्हें अपने प्यार का।
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
26/6/19
बुधवार


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