Saturday, June 8

"नीम"08जून 2019

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ब्लॉग संख्या :-411





नमन मंच
विषय-नीम
विधा-मुक्तछंद

"नीम से भी कड़वा"

लक्ष्मण रेखा खींचती धरा पर
एक नागिन चली आई
सोया था करवट बदले एक मानुष
नागिन धीरे-धीरे खटिया पर चढी
देखा खर्राटे भरते उसको
फन फैलाया नागिन ने
फुफकार लगाई
न जागा मानुष
डस लिया नागिन ने उसको
असर न हुआ कुछ भी
चली पड़ी निराशा लिए
गुस्से में भरकर
उतारना था गुस्सा किसी पर
खोल बना रखा नीम की जड़ में
पहुँची नीम के पास
पर ये क्या मंजर था
डस लिया नीम के पेड़ को
दो-तीन बार गुस्से में भरकर
चीख निकल गई नीम की
पीले पड़ गए पत्ते नीम के
मर गया बेचारा
गल गया शरीर उसका
धराशायी हो गिर गया धरा पर
देख रह गई
नागिन आश्चर्य से
सोचने लगी अब
कितना जहरीला
हो गया है आज मानुष
वो भी नीम से कड़वा।

रचनाकार:-
राकेशकुमार जैनबन्धु
रिसालियाखेड़ा, सिरसा
हरियाणा,

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⛳भावों के मोती⛳
शीर्षक 🌳नीम🌳
सकल धरा    की शोभा है।
आयु आरोग्यता की खानि।
सुबह  शुरुआत  दंतधावन।
दुपहरी नीम    छावं पावन।
रात्रि शयन मे भी छत्रछाया।
त्वचाशुद्धि  वायुशुद्धिकारक।
निवौली खुब खाऐ बालक।
नीमतेल दीपक से मच्छर भगाऐ।
मत काटो मत काटो  मतकाटो।
वृक्षों मे जीवन है इसे जानो।
आओ लगाओ खुब बढाओ।
प्रकृति पर्यावरण बचाओ।
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
स्वरचित स्वानुभूत
राजेन्द्र कुमार अमरा
०८०६१९०७२९

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भावों के मोती
8  06  19
विषय - नीम
बाल कविता 

आंगन में नीम एक
देता छांव घनेरी नेक
हवा संग डोलता
मीठी वाणी बोलता
पंछियों का वास
नीड़ था एक खास
चीं चपर की आती
ध्वनि मन भाती
हवा सरसराती 
निबौलिया  बिखराती
मुनिया उठा लाती
बड़े चाव से खाती
कहती अम्मा सब अच्छे हैं
पर ये पंछी अक्ल के कच्चे हैं
देखो अनपढ़ लगते मोको
कहदो इधर उधर बिंट ना फेंको
सरपंच जी तक बात पहुंचा दें
इनके लिये शौचालय बनवा दें
अगर करे ये आना कानी
जहां तहां करे मन-मानी
साफ करो खुद लावो पानी
तब इन्हें भी याद आयेगी नानी।

(मुनिया एक देहाती लड़की जो आंगन में झाड़ू लगाती है हर दिन।) 

स्वरचित 
कुसुम कोठारी

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नमन भावों के मोती,
आज का विषय, नीम
दिन, शनिवार
दिनांक 8,6,2019,

नाम  नीम  का जब है  सुना,

बिगड़ जाता मुँह का स्वाद ।

 ये  जिह्वा ही  दुश्मन  बन  गई ,

रखती  नहीं  है  गुण को याद ।

इसे तो मीठा मीठा ही चाहिऐ,

लगता है इसको कडुवा बेकार ।

होता मीठे का कुछ असर नहीं,

बोल कर देती कडुवे का स्वाद ।

चाहे वृक्ष नीम का कडुवा सही,

इसका फल कडुवा होता नहीं।

रोग व्याधि में काम आता सदा,

शुध्द पर्यावरण को भी कर रहा।

औषधीय गुणों से रहता भरपूर ,

यह आकर्षित जग को कर रहा, 

दुनियाँ में नीम के गुणों के आगे। 

हरेक विवेकी नत मस्तक हो रहा।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,

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भावों के मोती,,,विषय आधारित लेखन,,

नीम का पेड़
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जीवन की भागदौड़ में 
छुट गया है वह सुख कहीं
छाया में बैठ दुःख दर्द कहना
गाँव के मोहल्लों की गलियाँ,
चौपालें,सब सूनी-सूनी
हो गई और खो गई वो आती
कड़वी-मिठी औषधीय गंध
कभी देखना उस वेदना को 
अकेला है अब नीम का पेड़!

आज हँसता-मुस्कुराता नहीं
खो दिया हैं टहनियों ने संगीत
पतझड़ में पत्तों को माँ बुहारती
बिखर  जाते थे गुनगुनाते गीत
सुबह -शाम पक्षियों का कलरव
सावन का झूला,जेठ का सुकून
खो चुका है नीम का पेड़!

सड़क किनारें कतारों में मुस्कातें
हरे-भरे छाऐ थे प्रकृति प्रतीक
अंग-प्रत्यंग भले ही हैं कड़वे पर
उतरती हैं इनसे प्राणमय साँसें
लेकर दीर्ध जीवन की मीठी रीत!

एक पौधा नीम रोंपे और करें सलामती,
की दुआएँ !

नव कोपलों में उमंग झाँकती
डाल-डाल जवानी बल खाती
दातून,काजल और भी दे देता
देश हृदय में बसने वाला ये
दानवीर सा भाव जगाकर
जीना सिखाता है नीम का पेड़
फिर न जाने क्यों!
कट रहा है नीम का पेड़।
बच्चों में बचपन के खेलभर देता,
गुल्ली-डण्डा,कभी हरकनी-हेंगा,
झूला-पालकी फेंक लाकड़ी रेला,
फुनगीयों में पंखेरूओं का डेरा,
वाहनों के जहरीले धुएँ को पिता,
प्रतिफल निःस्वार्थ भाव से
औषधीय अनमोल खजाना देता।
फिर क्यों
कट रहा है नीम का पेड़...!

गोविन्द सिंह चौहान

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🌳 नीम 🌳

काश हमें हो नीम से प्यार
कितने हैं इसमें उपचार ।।

सोचोगे अगर होगे हैरान 
निरोगी पूर्वजों का आधार ।।

घर में हो चाहे हो बाहर 
नीम का पेड़ नही विसार ।।

नीम दातून दन्त रक्षा
रहे सदा शुद्ध बयार ।।

नीम एक मिसाल 'शिवम'
सच्चाई से सीखो प्यार ।।

तन की रक्षा मन की रक्षा
सच्चाई से कैसी टकरार ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 08/06/2019

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नमन 
प्रदत विषय-नीम
8/6/19
कविता
.............
क्यों करते हो उपेक्षा हमारी
मैं दुःख हरण,सुखकारी नीम हूँ

निज हृदय में 
पशु,पंछियों को पालती हूँ
मनुजों को शीतलता दे 
प्यार से सम्भालती हूँ
मैं वैद्य हूँ मैं हकीम हूँ...

मेरी साँसों से टकरा कर लू
ठंडी सुखद बयार बन जाती है
मेरे अन्तस् की शीत ज्वाला
पथिक को कदापि न झुलसाती है
मैं प्राण वायु देने में प्रवीण हूँ...

मेरे उर में आशा के अंकुर
सर्वदा सतत फूट रहे हैं
नई पीढ़ी को महत्व समझाओ
जो प्रकृति से अब तक दूर रहे हैं
दूर नहीं मैं उनसे,मैं तो बहुत करीब हूँ
मैं औषधि युक्त नीम हूँ...

    @वंदना सोलंकी #स्वरचित

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🌹🙏जय माँ शारदे,🌹🙏
नमन,मंच भावों के मोती,,
8/6 / 2019/
बिषय,, नीम,,
 नीम को क्यों कहते हैं कड़वी
वो तो अनेकोंनेक काम आती है
 चाहे खुजली दांत दर्द
सभी प्रकार के रोगों को 
दूर ए भगाती है
 वैसे भी शब्द कड़वे भले हों
कहीं न कहीं बहुत कुछ 
कह जाते हैं
कभी कभी मीठे बोल 
खंजर का कार्य कर जाते हैं
किसी को जबाब देने से पहले
जो करें हम मनन
तो सुधर जाएगा हमारा भी चिंतन
नहीं तो करेला और नीम चढ़ा 
बात बिगड़ जाती है
रिश्तों में फिर दरार आ जाती है
दस्तूर निभाते निभाते 
ताउम्र गुजर जाती है
 फटे दिल भले सिल पर
सिलाई साफ नजर आती है
 किसी ने सही कहा 
तौल मोल के बोल
सदा सुखी रहना है तो 
मन की गांठें खोल
स्वरचित,,, सुषमा  ब्यौहार

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नमन भवों के मोती💐
कार्य:-शब्दलेखन
बिषय:- नींम

         💐बरखा गीत 💐
             *********

तर्ज-कच्ची नींम की निबौरी,
       सावन जल्दी आइओ रे।

नाचे मोर पपीहा बोलें,
गले में हिचकी भर-भर आवे।
मेघ आषाढ़ी घन-घन गरजें ,
सावन फुहारें रिम-झिम बरसें।।
बीच-बीच में बदरा बरसें ,
पकी निंबौरी टप-टप टपके ।
एकदम बिजुरी कैसी चमकी ,
जिआ में धक-धक धमकी ।।
      कच्ची नींम की निंबौरी.....(1)

( मेरे कविता संग्रह की कविता का एक अंश)
डॉ. स्वर्ण सिंह रघुवंशी
गुना (म.प्र.)
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8/6/2019
                  नीम
                🌸🌸
नमन भावों के मोती।
नमन गुरुजनों, मित्रों।
💐💐🙏🙏💐💐
नीम होता है बहुत तीता,
पर इसके गुण हैं बड़े।

स्वाद इसका तीता है।
पर ये औषधि के काम आता है।

इसके दंतवन करने से,
कभी दांत खराब ना होता है।

छाया देता है नीम का पेड़,
त्वचा के लिए है गुणकारी।

चिड़ियां निवौली खाती इसकी,
शुद्ध हवा होती इसकी।

प्रर्यावरण को शुद्ध बनाना है,
तो लगाओ एक पेड़ नीम का।

पंक्षी भी बनाते घोंसला,
नीम की डाली पर।

घाव की है औषधि नीम,
इसके पत्ते पानी में मिलाके लोग नहाते।

काटो मत नीम का पेड़,
अनेक गुण हैं इसके सब बतलाते।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
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नमन "भावों के मोती"
विषय-नीम
विद्या-लघुकथा
दिनांक-8-6-2019
वार-शनिवार

लघुकथा 
नीम का पैड़ 

बहू संजु कहाँ है?.. सासू माँ की आवाज आई.. रसोई में से राधा ने कहा.. "अपने रूम है, माजी, अभी बहुत गुस्से में हैं"... "बहू तू चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा" ये बोल माजी संजू के कमरे की तरफ चल पड़ी...जाकर दरवाजा खटखटाया, "बेटा संजू, दरवाजा खोलो, देखो दादी आई है"  संजू ने कहा " दादी मुझे कोई बात नहीं करना, आप हर वक्त मुझे ही कहती हैं, कभी पापा को भी कुछ कहो " दादी ने कहा "बेटा तुम दरवाजा तो खोलो, बैठकर बात करते हैं ना" संजू ने दरवाजा खोला, दादी ने संजू के बालों में हाथ घूमाया..बोली "क्या बात है?  बहुत गुस्से में हो" संजू "हाँ" हर वक्त पापा मुझे डाटते रहते हैं, बात बात में टोकना मुझे अच्छा नहीं लगता और आप व मम्मी भी उन्हें कुछ नहीं कहते, जब भी बोलना शुरू करते हैं बंद होने का नाम ही नहीं लेते, दोस्तों के सामने भी भाषण शूरू कर देते हैं, ये सब मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। तब दादी ने कहा "बेटा तेरे पापा की बात तुझे बुरी लगती है, पर वो ये सब तेरे अच्छे के लिए ही कहते हैं...ताकी तू हमेंशा खुश रहे। तुम्हें पता नहीं बेटा तुम्हारे पापा भी तुम्हारे जैसे ही थे। दादाजी भी तेरे पापा को यही सब कहते थे, और तेरे पापा भी नाराज हो जाते थे, तब मैं उन्हें एक बात कहती थी, आज तुम्हें बताती हूँ, तुम नीम के पैड़ के बारे में जानते हो ना, जब हम उसके नीचे बैठते हैं तो हमें गर्मी में ठंडक का एहसास होता है, पर जब हम उसके पत्ते खाते हैं, तो मुँह कड़वा हो जाता है, हम थू थू कर उसे थुक देते हैं पर वही नीम के पत्ते दवाई बन जाते हैं तो इंसान को स्वास्थ्य लाभ होता है। लोग नीम की ठंडी हवा में शांति का अनुभव करते हैं। अब तू ही बता क्या तेरे पापा और नीम का झाड़ एक से नहीं है। क्या तेरे पापा ने तुझे पालने पोसनेे में कमी रखी है तेरी हर फरमाइश को जी जान लगाकर पूरी नहीं करते? तू थोड़ा लेट हो जाए तो चिंता में इधर उधर चक्कर नहीं लगाते, हर समय तेरी मम्मी से तेरे बारे में पूछते रहते, संजू ने खाना खाया, संजू सो गया, वगैरे वगैरे। अब तूही बता तुझे इतना प्यार भी करते हैं या नहीं? तब संजू ने कहा हाँ दादी आपने बिल्कुल सही कहा है। पापा बिल्कुल नीम के झाड़ जैसे ही हैं ठंडी हवा के जैसा प्यार बहाते हैं और कड़वाहट की तरह जिंदगी की दवाई भी बन जाते हैं। मैं आज से उन्हें पापा की जगह नीम का झाड़ बोलूँ , चलेगा दादी " दादी..."चल हट बदमाश, अपने पापा की मजाक उड़ाता है"....और दादी पोता दोनों खिलखिला कर हँस पड़े, इतने में राधा भी काम निपटा वहां पहुंच गई

स्वरचित कुसुम त्रिवेदी

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नमन मंच को 🙏🙏
दिनांक _८/६/२०१९
विषय _नीम 
विधा _स्वतंत्र (लिखने की कोशिश की है) 
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घर के अहाते में  बुढ़ा
नीम का दरख्त था।  
उसकी विशाल शाखाएँ 
देता राहगीरों को छाया।  
औषधीय गुणों की खान 
टहनियाँ,  पत्ते,  निंबौरी 
त्वचा के लिए होते रामबाण। 
भीषण गर्मियों में उसकी शीतल
हवा,  जीवन में प्राणवायु भरता। 
चिड़ियों की चहचहाहट से, 
पूरा वातावरण गुंजायमान होता। 
उसकी छाया तले खेल कर हुई बड़ी 
बाबा से कहा, ये नीम  मत काटना! 
मेरे जाने के बाद मेरे होने का एहसास 
कराती रहेगी। बाबा नहीं रहे,  बुढ़ा 
दरख्त, आज भी दरबान बन खड़ा है।  
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तनुजा दत्ता (स्वरचित)

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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक   नीम
विधा      लघुकविता
08 जून 2019,शनिवार

कडुवा खट्टा खारा कसैला
मीठा सबको प्यारा लगता।
नीम किसलय जो नित खावे
सचमुच उसका भाग्य जगता।

जड़ तना पत्ती और सुमन
नीम अंग है स्वास्थ्य निशानी।
कडुवा जग में कटु साथ है
जीवन स्वस्थ तन रहे रवानी।

नीम हकीम स्वयं यह होता
प्राणवायु जीवन भर देता।
चर्मरोग हो या अति ज्वर हो
हर पीड़ा को यह हर लेता।

शीतल घनी नीम की छाया
जो सुखदा नित वरदा होती।
कडुवापन देता यह निश्चित
हर सुमन स्वास्थ्य का मोती।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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नमन "भावो के मोती"
08/06/2019
   "नीम"
"मुक्तकाव्य "
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घर के आँगन में बाबुजी ने 
स्थान दिया मुझे......धीरे-धीरे मैं बडा हुआ...
मेरे छाँव तले..माँ जी के साथ
करते थे प्यार भरी बातें..
घर में.. गूँजने लगी...किलकारियां
बचपन बीता.. मुन्नी-मोनू
शरारतें थी बड़ी प्यारी..
लड़ना-झगड़ना,रुठना-मनाना,प्यार-मनुहार..
वो भोलापन..
देखकर बाँछे खिल जाती 
थी मेरी..।
माँ बनाती मेरे फूलों से काजल.. आहा!!कजरारे नयन..फिर नजर उतारती.
मेरी फलियों को सुखाकर
तेल बनाती..नये पत्ते जब
आते..सभी दवा के रुप में
सेवन करते...रक्त परिस्कृत होता..गर्मियों के फोडे-फूंसीयों में लेप चढा़कर
स्नान कराती..छाल भी मेरे
बड़े काम है आते....
उपकारिता को समझ..
खुशी-खुशी दर्द झेलता..।

बेटी को विदा किया..
बेटे दूर देश को चले गए.
सभी अपनी दुनिया में..
मस्त हो गए... माँ-बाबुजी..
अकेले रह गए.. मैं सुख-दु:ख
में साथ रहा...।

बाबुजी बूढ़े हो गए..
एक दिन मेरे छाँव तले
खाट पर सोये.........
उसके बाद फिर कभी न जागे
माँजी रोती रही....
बच्चे आकर चले गए..
माँजी अकेली रह गई..
मेरे पास बैठकर आँसू बहाना
मैं साक्षी रहा..मूक खड़ा सब देखता रहा..
मेरी भी टहनियाँ सूख रहे..
धीरे-धीरे मैं भी ठूंठ बन रहा.
बस माँजी को देखकर जी रहा..घर की खिड़कियों से
अंदर की खामोशी झाँक लेता
पुरानी यादें ताजी हो जाती..
मैं भी अब बूढा़ हो गया..
पड़ोसी के बच्चे कहते देखो..
 " बुढ़ा नीम का पेड़"।।।

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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नीम औषधि
पत्ती फल व छाल
देती जीवन।।

नीम की छाया
हरे विभिन्न रोग
करे निरोग।।

नीम का तेल
कृमि नाशक शक्ति
करे शोधन।।

नीम की पत्ती
रक्त शोधक जड़ी
दे आक्सीजन।।

गंगा भावुक

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1*भा.8/6/2019/शनिवार
बिषयः#नीम#
विधाःः ः काव्यः ः

  हरा रंग नीम मनभावन।
    प्राणवायु देता है पावन।
       वाणी कडवी न हो मेरी,
          लगता रहूं सदा सुहावन।

   नीम हकीम नहीं बन पाऊं।
      परोपकार कर पुण्य कमाऊं।
         कडवा मुख से कभी न बोलूं,
            नीम औषधीय गुण मै गाऊं।

किसलय नीम निवोरी खाऊं।
  यहां नीम बृक्ष मै बहुत उगाऊं।
     जीवन में मधु मकरंद घोलकर,
        कर पुरूषार्थ कुछ नाम कमाऊं।

मै नीम बनूं ऊपर से प्रभुजी,
  कुछ मिश्री अंतरतम में घोलूं।
     अंग अंग परहित में लग जाऐ,
       जय सियाराम मैं जग में बोलूं।

स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.

   1*भा.#नीम #काव्यःः
8/6/2019/शनिवार

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नमन मंच भावों के मोती
विषय- नीम
विधा- दोहे

लगे जीभ पर कटु तनिक, गुण में शहद समान।
सूखे से लड़ता रहे, नीम हकीम महान।।1

मिट्टी कैसी भी मिले, उगती पौध तुरंत ।
काया से मजबूत है , पेड़ों में है संत।।2

नीम गुणों की खान है ,पत्ती हो या छाल।
त्वचा रहे विकार रहित, दोष रहित हों बाल।।3

दातुन इसकी कीजिए, दांँत बनें मजबूत।
आँगन में बो दीजिए, ये देवों के दूत।।4

शालिनी अग्रवाल
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
8/6/2019
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तिथि - 8/6/19
विधा - छंद मुक्त
विषय - नीम

नीम से कड़वे तुम
मिश्री से मीठे हो
अखरोठ के छिलके से
ऊपर से सख्त मगर
अंदर से मक्खन हो
नीम की कड़वी निम्बोली 
कभी बन जाते हो
मेरे अमृतफल हो
नीम से उदार हो
नीम ज्यों देता है
छाल , पत्ते ,टहनी
तुम कहाँ लौटने देते हो
याचक को हाथ खाली
यही बातें तुम्हारी
दिल को मेरे भाती हैं
पुरवैया में उड़ती
नीम पत्ती सी दुलराती हैं
नीम तले बैठी में
राह तेरी तकती हूँ
तेरे कड़वे अधरों का
स्वाद में चखती हूँ
मेरे नीम यूँ ही
सदा दुलराना तुम
नीम की कड़वाहट में
प्यार की मिठास
घोल जाना तुम

सरिता गर्ग
स्व रचित
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नमन भावों के मोती
दिनाँक -08/06/2019
शीर्षक-नीम
विधा-हाइकु

1.
कड़वा नीम
उपचार निराले
स्वस्थ्य बनाए
2.
नीम निम्बोली
नियामत हजार
दवा पोटली
3.
नीम की छाया
विश्राम करने को
पथिक आया
4.
निरोगी होता
काश मैं नीम बोता
स्वास्थ न खोता
5.
नीम हक़ीम
जीवन खिलवाड़
जादू टोटके
6.
नीम का पेड़
गुणकारी पत्तियाँ
रोगनाशक
*********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन मंच
दिनाँक 8।7।2019
विषय- नीम
विधा -दोहा

नीम नीम सारे कहें ,हकीम कहें न कोय।
नीम के उपयोग से ,रोग कभी ना होय।।

शीतल छायादार है ,पशु पक्षियों का ठाँव।
द्वार द्वार पर नीम हो, स्वस्थ्य रहेगा गाँव।।

वृक्षों के परिवार में, नीम गुणों की खान।
जीवनदायी है सदा, ये प्रकृति का वरदान।।

रचनाकार
जयंती सिंह

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नमन "भावो के मोती"
08/06/2019
      "नीम"
1
नीम कड़वा
बहु मर्ज की दवा
विशुद्ध हवा
2
घर के किस्से
बुढ़ा नीम का पेड़
बना गवाह
3
घर का वैद्य
पत्ते,फल व छाल
औषध नीम
4
नीम का पेड़
खिड़की के किनारे
चुप है खड़ा
5
नीम की फली
कड़वाहट भली
गुण औषधि

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
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नमन मंच
08-06-2019
नीम
जल-दान करने की नित आदी
मैया को सदा गुहराती थी दादी
तरुण नीम पर था लगा हिंडोला
डाली के दोलन में बचपन डोला
लघुवृत्त पत्र मचल करे ठिठोली 
नन्हें हाथों में भरे कटुक निबौली
चख चिल्लाते फल कटु अभक्ष्य
सींक-सी डंडियां फिर बना लक्ष्य
सुदृढ़ दंत कह अम्मा दे पैगाम 
मुख कटु दातून कर सुबह शाम
तपते घाम में घनी शीतल छांव
परेशान पथिक का सुखद पड़ाव
हुये सजग सान्निध्य में पलकर
जाना नीम तरु अति श्रेयस्कर
वैदिक स्रोत स्तोत्र सब सुन लिए
सकल अंग औषध का गुण लिए
चलें, आज पुनः संकल्प दुहरायें
आँगन में फिर एक नीम उगाएँ
-©नवल किशोर सिंह
    स्वरचित

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नमन
 विषय-नीम
**"**
दोहे**
दादी-नानी सब कहै,रोगी खावे नीम
तन के रोगदूर भगैं, चाहे जइयो जीम।
दो पत्ती नित नीम की, रोग भगाए दूर
वैद डाक्टर दूर भवै,चेत जाए तू मूढ़।
पेड़ नीम का रोप दो,आंगन छैंया रोज
बिटिया पाती पेड़ की, रोज पढ़ेगी मौज ।
रंजना सिन्हा सैराहा..
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सादर अभिवादन 
नमन मंच 
भावों  के मोती
 दिनांक : 8-6- 2019 (शनिवार)
 विषय : नीम
हाइकु
1
 नीम हकीम
 पीड़ा  को हर लेता
 स्वस्थ बनाता
2
  पत्ती या छाल 
नीम  गुणों की खान
 परोपकारी
3
 सुंदर काया
 प्रकृति वरदान
 नीम की छाया
4
 गुण औषधि 
 नीम कड़वापन 
भाग्य जगाता 

 यह मेरी स्वरचित है 
मधुलिका कुमारी "खुशबू"

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नमन मंच
8-6-2019

नीम ...... मेरे आँगन का नीम 

अपनेपन  का भास कराता मेरे आँगन का नीम
धूप छांव का  मेल  रचाता मेरे आँगन का नीम

उड़ते फिरते थकते  पंछियों को
एक ठांव सी दिलाता मेरे आँगन का नीम

सुधियों के गलियारों में यादों के
कितने अलाव जलाता मेरे आँगन का नीम

जो गुम गया  था कहीं शहर में ,वही
आस पास गाँव बसाता मेरे आँगन का नीम

कभी खिड़की से झांक अनजाने में
कितने ही भाव जगाता मेरे आँगन का नीम

चोट  खाए  ज़ख्मों पर बन दवाई
मरहम सा लग जाता मेरे आँगन का नीम

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित
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शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
08/06/2019
हाइकु (5/7/5)   
विषय:-"नीम " 

(1)
खो गए दोस्त
दुश्मन बन गई 
नीम सलाह 
(2)
छूटते गाँव 
शहर आ के ढूँढे 
नीम की छाँव 
(3)
छुपी मस्तियाँ 
कड़वे नीम नीचे 
मीठी स्मृतियाँ 
(4)
नीम सी बातें 
असर कर गई 
बन के दवा 
(5)
घर का वैद्य 
नीम दे स्वच्छ हवा 
मुफ्त की दवा 
(6)
लू भाग गई 
आँगन में मुस्तैद 
नीम प्रहरी 

स्वरचित 
ऋतुराज दवे

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नमन भावों के मोती
विषय- नीम
विधा- दोहा

पेड़ लगाओ नीम का, दूर करो सब रोग। 
इसके गुण को जानकर, सभी सुखों को भोग।।

डेंगू-मच्छर दूर कर, रखता नीम निरोग। 
तना, छाल, जड़, पात का, सेवन करते लोग।। 

नीम स्वाद कड़वा मगर, जीवन करे मिठास।
यह गुणकारी पेड़ है, इसका वास सुवास।।

-वेधा सिंह
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नमन मंच
दिनांक .. 7/6/2019
विषय .. नीम
*******************

उस पगदण्डी के पीछे है,
सुन्दर मेरा गाँव।
पीपल महुआ बेर नीम से,
भरा हुआ है गाँव।
...
हरी-भरी बँगिया मे मेरे,
आम के पेड हजार।
चौसा लंगडा नीलम के संग,
कपूरी दशहरी है नाम।
....
उसी बाँग मे माँ का चौरा,
है पूजा स्थान ।
नीम के पेड के नीचे होता,
माँ का पूजा पाठ।
....
वर्षो बीते गाँव को छोडे,
अब आती है याद।
माँ का चौरा नीम की छईया,
शेर को है सब याद।
...
शेरसिंह सर्राफ

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🌴🌻    दोहे    🌻🌴
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            🍏🌷   नीम   🌷🍏
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छाँव नीम की शीतला , पवन सुहाती गात ।
खुले गगन चौपाल में , नींद  चुराती   रात ।।

                🍀🍀🍀🍀🍀

खिली  नीम की नीबरी , आने को  मधुमास ।
नयी कोंपले  छागयीं , शीतलता    आभास ।।

                 🌷🌷🌷🌷🌷

वृक्ष गुणी अति नीम का , रोग विनाशक पात ।
शीतल तन-मन को रखे , औषधि है बरसात ।।

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सुबह खाइये  कोंपलें , रक्त निरोधक  नीम ।
त्वचा निखारे काँच सी , कहते वैद्य हकीम ।।

                  ☀☀☀☀☀

गिलोय चढ़ कर नीम से , पा जाती  गुण पूर्ण ।
व्याधि, ताप को नाशती , बहुत निरोगी  चूर्ण ।।

                  🍊🍏🍊🍏🍊

नीम-हकीम नहीं  भला , सदा  राखिये  दूर ।
नहीं  दक्षता  रोग  की , कर दे तन को  चूर ।।

                 🍊🌴🌷🍀🌺🍏

🌸💧**....रवीन्द्र वर्मा , मधुनगर ,आगरा 
                  मो0- 8532852618

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नमन भावों के मोती 
दिनांक-9/6/2019
शीर्षक -नीम
मेरे घर के द्वारे था एक बड़ा नीम का पेड़
जिसके लिए मन में अब भी भरा है नेह 
न जाने कितनी मधुर स्मृतियाँ जुड़ीं हैं उससे ।
 सावन के आते ही पड़ जाते थे उसमें झूले ,
 उसकी एक- एक डाल की खूबी हम आज भी नहीं भूले ।
वह सुबह से जल्दी जा अपनी मनपसंद डाल पर झूला डलवाना
झूले में आरामदायक चौकी लगवाना 
फिर हाथ में आम पापड़ ले खाते-खाते झूला झूलना
 दुनियाँ के सारे गम उस ख़ुशी में भूलना 
दूसरों को चिढ़ाना , खुद पर इतराना 
अपने झूले की खूबी का बखान करना 
कभी -कभी तो गिर कर भी झूले से न उतरना 
दुनियां का सबसे बड़ा सिंहासन उस झूले को ही समझना ।
सच में उस कड़वी नीम से बड़ी मीठी यादें जुड़ीं है ।
उसकी छाल का फुंसी पर लगाया जाना 
उसके गुछों से पंखा करना ,उसकी शीतल छाँव में घंटों खेलना 
कभी-कभी उसकी कड़वी निबौरी खा लेना 
फिर गंदा सा मुँह बनाना ,मीठी चीज़ की माँग करना।
सच में उस कड़वी नीम से बड़ी मीठी यादे जुड़ीं हैं 
जो आज भी मेरे अवचेतन मन में छुपी पड़ी हैं ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय

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शुभ संध्या
विषय -- । । नीम ।।
विधा-- ग़ज़ल
द्वितीय प्रस्तुति

नीम तले मैंने एक ग़ज़ल लिखी 
वो भी मीठी निकली खूब बिकी ।।

न जाने क्या मिठास है तुझमें
सुनाया मैंने जो थी तेरी सखी ।।

ताज्जुब कर रही थी वह नही
हो पा रहा था  उसको ये यकीं ।।

गजब का तेरा बाँकपन मिठास
न कभी रोगी हुआ न ही दुखी ।।

मिठास भी रही रोग भी न लगा
तूँ तो नीम से भी खास दिखी ।।

क्यों न दिल के आँगन में रखूँ
ज्यों नीम रहती थी घर में कभी ।।

गमे दिल क्या होगा 'शिवम'जब
रब की दुआ सुन्दर सौगात मिली

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 08/06/2019
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नमन साथियों

3*भा.8/6/2019/शनिवार
बिषयःः#नीम#ः
विधाःः काव्यः ः

मै और सिर्फ मेरा स्वार्थ
इसी को लेकर जी रहा हूँ।
कडवा नीम हूँ लेकिन,
स्वयं कडवे घूंट पी रहा हूँ।

आदमी मुझे कडवा बताता।
मगर मुझको खुद ही सताता।
क्या मैं सुख से जी रहा हूँ,
जब मुझसे ना कोई जताता।

मेरा अस्तित्व रंडवा गया है।
ये नीम सा मनवा हो गया है।
इश्क की बात बेमानी हुई है,
बेईमान कुनवा हो गया  है।

 कडवाहट फिजाओं में घुली है।
 क्या मुकाम किस की गली है।
 उठो  मन की गागर में झांको,
 नित हादसों पर दुनिया चली है।

हम नीम से कडवे रहें पर,
ये कडवाहट बाहर निकालें।
स्वार्थपरता भूलकर हम,
कुछ घुला जहर अमृत बनालें।

स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.

3*भा.#नीम# 
 8/6/2019/शनिवार
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नमन् भावों के मोती
8जून19
विषय नीम
विधा हाइकु

नीम का पेड़
प्रकृति उपहार
वैद्य का घर

घर की शोभा
दरवाजे की नीम
जीवनदायी

ग़ायब नीम
बीमारियों की फ़ौज
शहर गांव

शीतल हवा
पूरे गांव में बहे
स्वस्थ शरीर

अम्मा चढ़ाती
नीम पर जल है
भोर पहर

अम्मा जलाती
नीम पर दीपक
साँझ पहर

नीम दातून
स्वस्थ दांत-मसूढ़े
जीवन रक्षा

रक्षा कवच
छाल,पत्तियां,फल
मनुष्य लाभ

मनीष श्री
रायबरेली
स्वरचित

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नमन भावों के मोती 🌹🙏🌹
08-6-2019
विषय:-नीम 
विधा :- कुण्डलिया 

झूला डाला नीम पर , सावन में पी संग ।
खिलाते पी निबौरिया , मधुर प्रेम के रंग ।।
मधुर प्रेम के रंग , निबौरी मीठी लगती ।
स्वर्णिम मीठी पीत , खिला सैयाँ को ठगती ।
झूले का वह प्रेम , नहीं अब तक है भूला ।
चढी प्रेम की पींग  , भूलते कभी न झूला ।।
पी पिरोई निबौरियाँ , कंठ सजाया हार ।
देख सखी बौरा गई , अद्भुत ये मनुहार ।।
अद्भुत ये मनुहार , प्रेम को दुगुना करते ।
श्वेत नीम के पुष्प , माँग तारों सम भरते । 
रहे निबौरी याद , खिलाई प्रेम भिगोई ।
रहती कंठी  याद  , पिया की प्रेम पिरोई ।।

खाओ छील निबौरिया , रखिए तन नीरोग ।
पुष्प गुच्छ पत्ते सभी , करिए खूब प्रयोग ।।करिए खूब प्रयोग ,  चर्म  रोग नहीं रहते ।
रहें दाँत मज़बूत , वैद्य सारे हैं कहते ।
देख नीम के लाभ , पेड़ तुम यही लगाओ ।
करे पित्त को शांत , निबौरी रहते खाओ ।।
आँगन आँगन नीम है , सुंदर लगते गाँव ।
बूढे हुक्का पी रहे , बैठे उसकी छाँव ।।
बैठे उसकी छाँव ,  समय को बुरा बताते  । 
नए दौर को देख , शर्म से मरते जाते ।
दातुन लेते काट , नीम की देखें छाँगन ।
चलो उगाएँ नीम , रिक्त दिखता जों  आँगन ।।

दादी दातुन के कहे  , होते लाभ असीम   ।
कभी नहीं हो दंत क्षय , करिए दातुन नीम ।।
करिए दातुन नीम , स्वस्थ रखती दाँतों को।
करे उदर कृमि नष्ट , स्वच्छ करती आँतो को ।
करते नीम प्रयोग , पहनते जो हैं खादी ।
बनते ।
रहें स्वस्थ नीरोग , सदा कहती है दादी ।।

स्वरचित :-
ऊषा सेठी 
सिरसा 125055  ( हरियाणा )
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नमन            भावों के मोती
विषम           नीम
विधा             कविता
दिनांक          8.6.2019
दिन              शनिवार 

नीम
🎻🎻🎻

नीम तुम्हारा कड़वापन
बतलाता है अपनापन
तुम अच्छी निम्बोली देते
सुन्दर तुम्हारा भोलापन। 

तुम्हारी छाया बहुत ही गहरी
तुम हो पर्यावरण के प्रहरी
प्राणवायु की जब बात उठी तो
 हर निगाह पहले तुम्हीं पर ठहरी। 

तुम सारे दिन प्राणवायु लुटाते
गरम हवा में कुछ नरमी लाते
सूरज से तुम नैन मिलाते
उसका बहुत ताप पी जाते। 

प्रदूषण दूर करने में तुम हो निपुण
तुम में सुन्दर औषध के हैं गुण
दंतुली तुम्हारी सदा से है ख्यातिप्राप्त 
पूर्वजों के मंजन से आरम्भ होती उनकी थी प्रभात। 

स्वरचित
सुमित्रा नन्दन पन्त 
जयपुर
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नमन मंच
दिनांक -८/६/२०१९"
"शीर्षक-"नीम"
नही रहा वो बचपन प्यारा
नही रहा वो नीम का पेड़
जिससे जुड़ी हमारी यादें
प्यारा था वह नीम का पेड़।

उसके डाली पर झूला झूलना
लगता हमे अति सलोना
उसकी मीठी निबौली
लगते हमें रसीले आम।

सुबह शाम उसपर पक्षियों का कूजना
लगे हमें मधूर संगीत
कितना आनंद देता था वो
वह मेरे आँगन का नीम।

एक नीम का पेड़ हमे
बचपन मे देता था खुशियाँ अनेक
हर दौलत पर भारी था वह
आँगन का वह नीम का पेड़
 स्वरचित-आरती -श्रीवास्तव।

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माना कि स्वाद
में तिक्त है नीम।
लेकिन कई ओषधिय
गुणों से युक्त है नीम।।
इसके पर्ण सज जाते है
बन बंदनवार द्वार पर ।
खाई जाती है इसकी कोपले
गुडी पड़वा के त्यौहार पर ।।
बनकर दातुन दन्त
रोगों से बचाता है।
करता है रक्त शुद्ध 
संक्रमण को भगाता है।।
शुद्ध है इसकी हवा
शीतल है इसकी छाया।
इसके हर एक अंग में 
अदभूत गुण समाया।।
     उमा शुक्ला नीमच 
        स्वरचित
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नमन मंच 
आज का विषय -नीम
विधा -----मुक्त 

नीम अंधेरी रात में
आँगन के इक कोने में
जाग गईं पत्तियाँ नीम की
के चाँद उतर आया था
उसकी फुनगी पर

हवाओं के मधुर स्पर्श से
पत्ता -पत्ता महक गया
अमृत पाकर चंद्रमा से
औषध गुणों से भर गया

कोंपल -कोंपल कोमल -कोमल, रक्तिम हो गईं
बनकर रक्त शोधक 
जन-जन के काम आई

हरित पर्णिका पात-पात
रक्तबंध में बंध गई 
शांति,शीतलता का बन प्रतिक
कुपित* माता को शांत कर गईं 

कड़वी नीम की निबोली 
भी तो करती है जन कल्याण 
छुटपन की हर बिमारी को
करती है आत्मसात 

जिस पर तन कर खडा़ नीम है
जिससे ढका है उसका गात
वह चमड़ा भी आता चमड़ी के काम 
लगी चोट तो घिसकर उससे
लेते हैं औषधि का काम

पर सबसे अधिक प्रिय 
मुझको सावन में लगता है
जब झूला डलवा अपनी शाख पर, मुझे झुलाता है

हर सुबह सवेरे मेरे घर में
वो आक्सीजन लेकर आता है
तभी तो हर रात आते मेरे
आँगन की फुनगी पर चाँद 
उतर आता है। 

      डा. नीलम
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भावों के मोती दिनांक 8/6/19
विधा - हाइकु

नीम

कड़वा नीम
लाभकारी हमेशा
लगाओ वृक्ष

उपयोगी है
नीम पत्ती औ छाल
स्वस्थ हमेशा

छाया शीतल
आशीर्वाद बुजुर्ग
अंगना नीम

औषधि गुण
बीमारियां हो दूर
घर में नीम

स्वलिखित 
लेखक संतोष श्रीवास्तव  भोपाल
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4*भा.8/6/2019/शनिवार
बिषयःःःनीम
विधाःः ःहाइकुः ः

1/
कडवी दवा
ग्रीष्म कालीन हवा
नीम चैत्रिय
2/
कडवा नीम 
जादूगर हकीम
फोकट दवा
3/
पत्तियां जीम
सच जादुई नीम
अंग प्रत्यंग
4/
नीम कलिका
चैत्रमास भक्षिका
आषधि हवा
5/
हरित नीम
जीता उदाहरण
रोग क्षरण

स्वरचितःः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम रामजी
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 4* भा.#नीम#हाइकु ः
8/6/2019/शनिवार

नमन - मंच
वार - शनिवार
विषय - नीम
विधा - लघुकथा

विषय - नीम के अंतर्गत मेरी रचना नीम का पेड़

मंगलू के स्वर्ग सिधारने के तुरंत बाद,बड़े बेटे की बहू ने अपने पति से कहा-"अभी तो सारे लोग  इक्कठा है कमला के बापू ।"
"अभी करवा लो, जो भी बंटवारा करना है वो सबके सामने। 
"हाँ मैं भी यही सोच रहा हूँ।
कल तीये की बैठक के बाद ही बात छेड़ दूँगा।
अगले दिन सोहन ने अपने छोटे भाई को बिठाकर, घर का हिस्सा बाँट दिया बीच में एक दीवार बनाने का फैसला किया,मगर नीम का पेड़ बीच में आ रहा था।
दोनों भाईयों ने कटवाने का निश्चय किया।
तभी बहन मीरा बोली,इसे तो मत काटो।
दोनों भाभियाँ बोली-"क्या तुम आओगी अपने ससुराल से सफाई करने ?वो तो पिताजी नई काटने देते थे,नहीं तो हम तो कब का कटवा देते।
मीरा  ने भाभियों से बहस करने उचित नहीं समझाऔर अपने दोनों भाईयों को बिठाकर  कहने लगी-
"बताओ भईया इस पेड़ के साथ हमारी कितनी यादें जुड़ी है।
"पिताजी ने कितना संजोकर रखा था इस पेड़ को।
हम तीनों भाई- बहन  इसी के नीचे पले बड़े। खेले -कूदे।वो याद है झूले पर झूलते हुए सबसे ऊंची डाली को छूना।वो निबोरी खाना।
वो सुबह -सुबह इसकी दातून करनाऔर छोटे- मोटे घाव,फुंसी सब इस नीम ने ही ठीक किये है।

 नीम का पेड़  ऊपर से कह रहा था-" लाख समझा लो,कोई फायदा नहीं बेटी। ये वही करेंगे,जो इनकी पत्नियों ने कह दिया।
"इन्हें कुछ भी याद नहीं आएगा। काट लेने दो इन्हें।
जिनको पिता के जाते ही जायदाद का मोह है वो मेरी कीमत क्या जाने।
मुझे भी नहीं रहना इनके साथ।
नीम के पेड़ की बातें सुनकर मीरा समझ गईऔर अब उसने कुछ भी याद दिलाना उचित न समझा...

स्वरचित
गीता लकवाल
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सादर नमन
       नीम
राही को शीतल छाया,
मानव को निरोगी काया,
नीम में हैं अनेकों गुण,
प्रभू की ये अनोखी माया,
*
नीम स्वरूप पिता होते,
गुणों के ये बीज बोते,
डाँट इनकी कड़वी लगती,
पर जीवन में इसके फायदे होते,
*
नीम की कहानी दादा सुनाते,
पत्ते से ले छाल तक के गुण बताते,
स्वच्छ पर्यावरण इनकी देन,
हम सबको यही समझाते।
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
8/6/19
शनिवा

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