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ब्लॉग संख्या :-416
शीर्षक-- *पतंगा/परवाना*
जलने में ही जिसे मज़ा है
जलने में ही जिसे रज़ा है ।।
ऐसा दिल हो परवाने सा
समझो उसकी नही दवा है ।।
क्रांतिकारी विश्वास दिलाये
तब अँग्रेजों के दिल घबराये ।।
दो फँसी कितनों को दोगे
वो देश छोड़ने का मन बनाये ।।
भगत सिंह आजाद सरीखे
परवानों से दिल थे दीखे ।।
समझ गये थे तब अँग्रेज
काँटे बने थे उनके जी के ।।
हर गली और हर शहर
तोड़ फोड़ की थी डगर ।।
आजादी के परवानों की
'शिवम' देश में थी लहर ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 13/06/2019
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नमन मंच
दिनांक .. 13/6/2019
विषय .. पतंगा
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तू दीप बन के जो जली, मै भी पतंगा हो गया।
तू रात भर जलती रही, मै तुझमे ही जल खो गया।
......
दोनो जले थे रात भर, अश्को से बादल भर गया।
बरसा नही पानी मगर, मन आँसूओ से भर गया।
.....
क्या तुमने भी महसूस की, कुछ कमी थी जो रह गया।
ना मैने ही कुछ बात की, ना तूने ही कुछ है कहा।
......
मन शेर का डूबा रहा, चाहत अधूरा रह गया।
तू दीप बन जलती रही, मै प्रीत मे जलता रहा।
......
मै राग हूँ तुम रागिनी, मै प्रीत हूँ तुम कामिनी।
मन तृप्त पाकर है तुम्हे, मै दास हूँ तुम स्वामिनी।
......
स्वरचित ... शेरसिंह सर्राफ
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नमन मंच भावोंके मोती
शीर्षक पतंगा
विधा लघुकविता
13 जून 2019 ,गुरुवार
प्रेम पिपासु हम पतंगे
प्रेम हेतु हम क्या न करते
वक्त पड़े शमा के खातिर
जौहर करते और हम मरते
निष्ठा स्नेह समर्पण के धनी
रस मकरंद पान हम करते
हम मंडराते कली सुमन पर
गुलाब हेतु काँटों को सहते
हम पतंगे धुन के पक्के
जैसा चाहते जग में करते
मधु के प्यासे हम सब होते
नव पथ को हम नित वरते
बनो मानवी प्रिय पतंगे
ज्ञान ज्योति हिये में भरलो
परमपिता की करलो सेवा
जीवन निज सार्थक करलो
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
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नमन मंच-भावों के मोती
दिनांक-13.06.2019
शीर्षक-पतंगा
विधा-ग़ज़ल
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तमन्ना बनी है तरंगों की ख़ातिर ।
बसीं दिल में यादें उमंगों की ख़ातिर।।
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गुलों से भगा दो मगस अंगबीं को ,
यह अच्छा रहेगा पतंगों की ख़ातिर।।
*******
समुन्दर को क़त्रे से निस्बत नहीं है,
बिछाता है मौजें नहंगों की ख़ातिर ।।
*******
हस्र आहे मुहब्बत नहीं रास आया,
हुए रू ब रू शब्ज़ रंगों की ख़ातिर ।।
*******
बहेगा लहू देखना सरहदों पर,
भिड़े जंगजू आज जंगों की ख़ातिर।।
*******
मगस अंगबीं=मधुमक्खी,क़त्रा=बूँद,
निस्बत=लगाव,मौजें=लहरें,नहंगों=घड़ियाल,
हस्र=परिणाम,रू ब रू=सामने,प्रत्यक्ष|
जंगजू=सैनिक
आ०(गुलों से भगादो.........पतंगों की ख़ातिर ।इस शे'र का आशय यह है कि अगर मधुमक्खी फूलों पर जाएगी तो निश्चित है छत्ता बनाएगी फिर उस छत्ते मोम लिया जाएगा और मोमबत्ती बनेगी फिर वह जलाई जाएगी तो स्वाभाविक है कि पतंगे जलेंगे इस लिए सावधानी आवश्यक है।गम्भीर बात)
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आपका साथी-"अ़क्स" दौनेरिया
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भावों के मोती
मंच को सादर नमन
13/6/19
विषय-पतंगा
विधा-हाइकु
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1)
मोह का व्याधि
पतंगा को ले डूबा
आग समाधि ।।
2)
पतंगा कहे
निष्ठा सवाल पर
अग्नि परीक्षा ।।
3)
मिशाल बड़ा
प्रेम समर्पण का
पतंगा छोटा।।
4)
सैनिक प्यारा
युध्द की आग कूदा
परवान है ।।
@@@@@@@@@@
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित
बसना,महासमुंद,छ,ग,
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13/6/19
नमन मंच।
नमस्कार गुरुजनों,मित्रों।
💐💐🙏🙏💐💐
पतंगा
💐💐💐
दीपक जबतक जलता रहता,
पतंगा उसपे मंडराता रहता है।
चाहे जान भले हीं जाये,
पर लौ के इर्द-गिर्द हीं घूमता है।
देश की आजादी की खातिर,
कितने हीं मरे पतंगें की तरह।
जुनून था सवार आजादी का,
जान दिया देशप्रेम पर।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
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🌹🙏जय माँ शारदे,🙏🌹
नमन मंच भावों के मोती
13/6 2019/
बिषय ,,""पतंगा""
ए जीवन है क्षणभंगुर
ज्यों पानी का बुलबुला
चार दिन की दौलत
चार दिन का जलजला
किस के लिए समेटते
किस बात का गुरुर
जरा सी शोहरत क्या मिली
हम हो गए मगरुर
हम भी उस पतंगा की तरह
उजालों में ज्यादा
टिक नहीं पाते
ज्यों ही पर कटे
हो निर्जीव धरती पर
गिर जाते
दीपक की लौ जैसी
हमारी जिंदगानी
जब तक तेल तब तक
सांसों की मेहरबानी
स्वरचित,,"सुषमा ब्यौहार"
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नमन भावों के मोती
आज का विषय, पतंगा
दिन, गुरुवार
दिनांक, 1 3,6,2019
लगन पतंगे की अद्भुत है,
धुन का पक्का बड़ा पतंगा ।
रहे नेक अगर उद्देश्य है,
श्रेष्ठ होता है बन जाना पतंगा।
बीज विकास का जो बोता है,
करे सुरक्षा बन के पतंगा।
लोक हित में जल जाता है,
अपनी नहीं सोचता पतंगा।
आजादी के लिए लड़ना है ,
सोच देश बन गया पतंगा।
चला नहीं अंग्रेजों का सिक्का हैं,
जब बना हर भारतीय पतंगा।
जो नानक गौतम महावीर बना है,
हरि की लगन में हुआ पतंगा।
अमिट छाप अपनी छोड़ी है,
जज्वा उनका जैसे पतंगा।
ज्ञान दीप तब ज्योति बना है,
ज्ञानी जला जब बनके पतंगा।
प्रेम की खातिर ही जीना है,
उत्सर्ग भाव सिखा रहा पतंगा।
लक्ष्य जुनून जब बन जाता है,
मंजिल की राह दिखा रहा पतंगा।
जीवन पतंगे का प्रेरक है,
त्याग समर्पण सिखा रहा पतंगा।
निज हित से ऊपर उठना है,
यही बारबार दोहराता पतंगा।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
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,🌹नमन भावों के मोती🌹
13जून2019
समुन्दरों में
ज्वार जब आने लगे
डूब कर किनारे
भी प्यास बुझानें लगे
समझ लेना
लहरों. का दिल खो गया है
प्यास का
चाहत से मिलन हों गया है ।
बारिशों की
सोंधी सौंधी खुशबू
प्यासी मीट्टी को महकाने लगे
कुछ #पंतगों के पर ""
जमीं से उड़ कर जाने लगें
अपने ही तन से
खुद को बैेगाने से लगे
समझ लेना दिल
से कुछ तो खों गया है
ऋतु से ऋतुओं का
मिलन हो गया है
ये तनों की
ख्वाइश ख्वाइश न हो
धड़कनों पर खुद की
समझाइश न हो।
फिर भी खयाल बनकर
कोई मन पर छा ने लगे
समझ लेना दिल से
कुछ तो खो। गया है
प्रीत से प्रीत का
मिलन हो गया है
सोते से ही कोई
ख्वाब जगाने लगे
तेरे बिना चेहरे सब
दुनिया के बैेगानें लगे
यकीन को यकीन
कराना मुशकिल हों
समझ लेना
दिल से कुछ खो गया है ।
रूह से रुहों का
मिलन हो गया है।
स्व रचित
P rai rathi
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1*भा.13/6/2019/गुरुवार
बिषयःःपतंगा
विधाःः ःकाव्य ः
ज्ञान पतंगे बनकर दौडें,
मात शारदे हमको वर दे।
प्रेमानुरागी रहें सभी हम,
ऐसा मनमानस में भर दे।
जलें प्रेम के दीपक बनकर।
हम रहें प्रेम से मिलजुलकर।
रागद्वेष को भूलें पीयूष पतंगे,
रहें प्रेम पिपाशु हिलमिलकर।
प्रेम पतंगा शमा से करता।
ये जीवन न्योछावर करता।
शिक्षा प्यार की इससे लेवें
प्राण प्रीत में कैसे तजता।
हों मानवीय सद्गुण माते,
करें पुरूषार्थ सदा भरपूर।
भक्तिभाव में रहें सभीजन,
रहें वैर भाव से कोसों दूर।
प्रेमपुष्प विकसित हो मन में।
मकरंद घुले सबके जीवन में।
हो प्रीत पतंगे सी हरजन माते,
पुष्पित कुसुम खिले उर तन में।
स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
1*भा#पतंगा#काव्यः ः
13/6/2019/गुरुवार
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नमन- मंच को
विषय- पतंगा
दिनांक-13/06/2019
बड़ी जलन है इस ज्वाला में
पागल पतंगा जलता
मौन लौ की प्रिय हाला में।।
एक सदा भ्रम लेकर फिरता
लौ की आहों में करूण क्रंदन करता।
लौ की छाया नाच रही है
खोखली शून्यता में प्रतिपाद पतंगा।।
पावस रजनी में जुगनू चमके
स्वयं का विनाश कुर्बान पतंगा।।
चीर प्रवास श्यामल पथ में
विध्वंस करता नितांत पतंगा।।
भागी बनता भाग्य का
अपूर्ण विकिरण में अशांत पतंगा।।
वासना को तृप्त न कर पाता
दु स्वप्न देख पड़ा क्लांत पतंगा।।
लौ लाली में गिरता मतवाला
जीवन निशीथ का भ्रांत पतंगा।।
स्वरचित सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
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भावों के मोती
13/06/19
विषय - पंतगा ( परवाना )
आवाज शमा की जवाब पतगें का
आवाज दी शमा ने "ओ परवाने
तूं क्यों नाहक जलता है।
मेरी तो नियति ही जलना
तूं क्यों मुझसे लिपटता है" ।
परवाना कहता आहें भर ,
"तेरी नियति मेरी फितरत
जलना दोनो की ही किस्मत
तूं तो जलती रहती है
मैं तुझ से पहले बुझ जाता हूं"।
आवाज दी शमा ने ओ परवाने
तूं क्यों नाहक जलता है।
"मैं तो जलती जग रौशन करने,
तूं क्या देता दुनिया को
बस नाहक जल जल मरता है !"
"तूं जलती जग के खातिर
जग तुझ को क्या देता है
बस खुद को खो देती हो तो
काला धब्बा रहता है ।"
आवाज दी शमा ने ओ परवाने
तूं क्यों नाहक जलता है।
" मेरे फना होते ही हवा
मेरे पंख ले जाती है
रहती ना मेरे जलने की कोई निशानी
बस इतनी सी मेरी तेरी कहानी है ।"
बस इतनी सी मेरी तेरी कहानी है।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
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नमन भावों के मोती
प्रदत्त विषय-पतंगा/परवाना
13/6/2019
काव्य
............
मोह माया के चक्कर में
क्यों फंसता है प्राणी
निर्लिप्त, निर्मोही बन जा
छोटी सी तो है ज़िंदगानी
क्यों पतंगा बन कर
खुद को यूँ जलाता है
तेरे फ़ना होने से
रोशनी का क्या जाता है
अल्प अवधि जो पाई है
तो जुगनू ही तू बन जा
किंचित ही सही
किसी के जीवन को रोशन कर जा
परवाना बन कर व्यर्थ ही
तू अपना जीवन खोता है
अब जाग ज़रा ए बंदे!
असमय क्यों तू सोता है..?
@वंदना सोलंकी #स्वरचित
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नमन् भावों के मोती
13जून2019
विषय पतंगा
विधा हाइकु
कीट पतंग
सृष्टि का संतुलन
जीवन अंग
दीया जलता
पतंगे मंडराते
प्यार में फना
पतंगा ओढ़े
मोह का आवरण
मृत्यु वरण
रात का वक्त
परवाने का काल
जलती शमा
प्रेम कहानी
शमा परवाने की
राख निशानी
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
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13/6/19
भावों के मोती
विषय-पतंगा
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निशा गहराई शमा जली
पतंगे से मिलने को बेचैन हुई
शमा की लौ का दिवाना
उड़ चल पतंगा आवारा
अपने हस्र की कोई फ़िक्र नहीं
शमा से मिलने की लगन लगी
लिपट गया जा शमा से गले
प्रीत में उसकी धधक कर जला
यह कैसा प्रेम यह कैसा मिलन
इक पल का यह अद्भुत मिलन
शमा के प्रेम की ज्वाला में जला
हो गया पतंगा शमा से जुदा
बिछड़ी शमा प्रखर हो जली
दुनिया को सीख यही देती रही
प्रेम की उमर छोटी हो भले ही
आशा की किरण ने बुझने देना
हो चिराग तले अँधेरा भले
उजियारा कर औरों के लिए
अपने लिए तो हर कोई जिए
औरों के लिए कुछ पल तो जी
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित✍
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भावों के मोती दिनांक 13/6/19
पतंगा
विधा हाइकु
उड़ा पतंगा
है प्यार में पागल
मिसाल बना
आग से लड़ा
जूनून प्यार जीत
पतंगा मरा
जब पतंगा
कूदा लपटों पर
हारा जीवन
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
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नमन "भावो के मोती"
13/06/2019
"पतंगा"
1
प्रीत से रंगा
बहुरंग पतंगा
मन भी हरा
2
शमां ने कहा
पास ना आ पतंगा
दूर जा चला
3
जलती शमां
दीवाना सा पतंगा
मौत से मिला
4
दर्द भी मीठा
प्रीत का उदाहरण
पतंगा स्वाहा
5
मीत ढूँढता
मौत गले लगाया
लौ में पतंगा ।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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भावों के मोती
शीर्षक- पतंगा
सजना मैं समां तू पतंगा
प्यार तो है पावन गंगा।
मैं चन्दा तो तू चकोर
कभी न टूटेगी, प्रीत की डोर
तू सु्रज तो मै सुरजमुखी
देख तुझे होती हूं सुखी
व्यर्थ कर रहे हो संका।
अपने प्यार का बजेगा डंका।
स्वरचित
निलम अग्रवाल, खड़कपुर
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नमन मंच
दिनांक-१३/६/२०१९
"शीषर्क-पतंगा"
जीवन पतंगा
उम्मीद का दामन
छोड़ न पायें
उड़ता जाये
लिए आकांक्षा
हो सुखद परिणाम
भ्रम का ज्वाला
दे" अंह"श्रेष्ठ का भान
जब तक "स्वयं "न जले
समझ न पाये
क्षणभंगुर है जीवन
फिर भी दौड़ लगाये
जीवन भर।
स्वरचित-आरती श्रीवास्तव।
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नमन सम्मानित मंच
(पतंगा)
*****
भारतीय दर्शन अन्तर्गत,
तिर्यक योनि का कीट पतंगा,
सदा यामिनी में अति सक्रिय,
तितली से भिन्न तनिक पतंगा।
गति मयंक अनुरूप पतंगा,
विचरण करे ज्योत्सना में,
प्रेमी का उपमेय धरा पर,
सहर्ष प्राण उत्सर्ग करे।
दीपक को चाँद समझ भू पर,
वृत्ताकार उड़ा करता नित,
आलोक मात्र आकर्षण केन्द्र,
जिससे नित्य छला करता।
आज मनुज का मानसपट भी,
वासनात्मक सदृश पतंगा,
चिंतित प्राणों हित नहीं तनिक,
आसक्ति रंग मदहोश रंगा।
--स्वरचित--
(अरुण)
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नमन मंच " भावों के मोती '
13/06/19
विषय - पतंगा
*************
1,,
जले पतंगा ,,,
जग दिवाना कहे
दीपक मौन ,,।
2,,
प्रेम त्याग है।
सीख देता पतंगा ,,
स्वार्थी मानव,,,
3,,
विचारे बिना
जल जाता पतंगा
उजला प्रेम ,,,,,।
**********************
स्वरचित ----- विमल प्रधान
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नमन मंच
13-06-2019
पतंगा
मैं एक पतंगे सा जग में
था गतिशील अपने मग में
प्रीति की यह कैसी है रीति
तजे गए नियमन और नीति
उर तप्त एक आह भर कर
दीप शिखा जैसी दीप्ति पर
ज्वलित-जोत की उर कामना
या किसी तम को प्रक्षालना
मैं तन-मन होम कर डाला
अंगारे का बन गया निबाला
कठिन कृत्य जाते फिर भूल
शलभ सुलभ दीये का फूल
कामना यूँ ही मचलती रही
पतंगे को महज छलती रही
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
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नमन भावों के मोती
13-6-2019
विषय:- पतंगा
विधा :- कुण्डलिया
मरते प्रेमी प्रेम में , हो जाते क़ुर्बान ।
शलभ अग्नि के प्रेम में , दे देता है प्राण ।
दे देता है प्राण , सीख प्रेमी हैं लेते ।
करते क्षण की प्रीत , त्याग प्राणों को देते ।
सोहनी महींवाल , प्रेम थे सच्चा करते ।
प्रेम जगत की रीत , साथ में जीते मरते ।।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
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भाव के मोती : चयनित शब्द : पतंगा
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१)सबने देखा है दीपक का जलना
किसने देखा पतंगे का मर मिटना
वफ़ा की राह पर जो चल पड़ते हैं
वो नहीं जानते फिर पीछे हटना।
२)पतंगे की ज़िदगी मुख़्तसर सही
मगर,उसकी मुहब्बत बेअसर नहीं
चंद लमहों मे वो ज़िदगी जी गया
बस उसके दर्द की हमें ख़बर नहीं ।
३ या खुदा!किसी को पतंगे की सी ज़िंदगानी न देना
मुहब्बत के अंजाम की ये दर्द भरी कहानी न देना
बहुत जी जलता है उसे यूँ बेसब मिटता देखकर
आँसुओं का सैलाब न उमड़े,आँखों में पानी न देना ।
स्वरचित(c)भार्गवी रविन्द्र .....बेंगलूर .....१३/६/२०१९
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नमन मंच को
दिन :- बृहस्पतिवार
दिनांक :- 13/06/2019
विषय :- पतंगा
लिख दिया मैने ये पैगाम मुहब्बत का..
कुछ भी हो फिर अंजाम मुहब्बत का..
समझकर उसकी बेवफाई को वफा..
जिंदगी को दिया मैने नाम मुहब्बत का..
खामोश हो चल रही हर सांस दिल की..
मिला यही मुझको इनाम मुहब्बत का..
गीत गाती कोयल पेड़ों के झुरमुट से..
बना गवाह दरख्त ए आम मुहब्बत का..
#पतंगा बनकर भटक रहा ये नादान..
लेकर बस हसीं वो नाम मुहब्बत का..
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
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नमन भावों के मोती
विषय - पतंगा
मौत को चूमे
मस्त पतंगा झूमे
प्रीत को ढूंढे
चमक चाँदनी से पथ अपना
प्रशस्त करता पतंगा
देख धधकती लौ
मति भ्रम होता हाय
और प्राण अपने पतंगा खोता ।
(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
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II पतंगा II नमन भावों के मोती.....
विधा :: हाइकु
1.
पतंगा बन
जीवन समापन
प्रेम ही धन
२.
मन आलोक
आलोकमय ज्योति
पतंगा रीति
३.
दिव्या प्रकाश
चिन्मय है आकाश
पतंगा वास
II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II
१३.०६.२०१९
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नमन मंच-- भावों के मोती
13/6/2019::वीरवार
विषय--पतंगा
विधा-हाइकु
शमा से प्यार
जीवन देता हार
जल पतंगा
दीप रौशनी
परवाना पतंगा
सन्ध्या ढ़ले
कीट पतंगा
क्षण भँगुर आयु
चाहत वायु
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
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शमा जलती,
पंतगा की याद मे,
दोनों जलते,
दिल की लगी,
प्यार की आग जली,
दोनों जलते।।
प्यार की आग,
दीवाने ही जलते,
संसार हंसे।।
स्वरचित हाइकु कार देवेन्द्रनारायण दास बसनाछ, ग,।
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