Wednesday, June 5

"दीवाना"04जून 2019

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                                       ब्लॉग संख्या :-407

सुप्रभात "भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन🌹
04/06/2019
  "दीवाना"
क्षणिका
1
दीवाना भँवरा, आने से तेरे,
कलि-कलि खिल जाए।
तेरे गीतों को सुनकर,
फूल मंद-मंद मुस्कुराए,
जाने से तेरे,हर फूल
मुरझा जाए।।
2
 सत्कर्मों के पीछे
दीवाना जो हुआ,
यश कीर्ति मिला उसे,
हर कार्य सफल हुआ।।

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल

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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक    दीवाना
विधा       कविता
04 जून 2019,मंगलवार

अनन्य अद्भुत स्नेह का
नाम दीवानापन होता
सदा नहाता स्नेह सागर में
वह एकांकीपन में रोता

श्री कृष्ण प्रेम भक्ति में
थी दीवानी मीरा बाई
गरल बदल गया सुधा में
होती कृपा जिसपर साँई

मातृभूमि के दीवानों ने
चूम लिया फाँसी का फंदा
मरते मरते बोल रहा हर
जय हिंद जय भारत बंदा

मनमस्त मनमौजी होता
अदम्य शौर्य भरा पड़ा है
दीवानगी दिल में होती 
दीवानी के लिये खड़ा है

जग अलग थलग होकर
वह अपनी मस्ती में गाता
इसीलिये जीवन के अंदर
वह दीवाना ही कहलाता।।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

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नमन!भावों के मोती
दिनांक-4-6-2019
विषय- "दीवाना"
विधा-कविता(छंदमुक्त)
स्वरचित--

खिले हैं 'गुल 'सजा गुलशन-
बुलाते हैं किसे चुपचाप?
कभी भंवरा कभी तितली-
दुवारे पर वही पदचाप.

काला तन भ्रमर का रे-
रंगीली झूमती तितली,
वो अलबेला #दीवाना सा-
नीयत रस,रूप पर मचली.

बढ़ाता प्यार की पैंगे-
रसीली पंखुड़ी से जब,
कैद कर लेती हैं दिल में-
मानके उसको अपना रब.

पल भर की ये दीवानगी-
लगा दी जान की बाजी,
मिटाकर रख दिया खुद को-
किया  गुल को सदा  राजी.

स्वरचित--
डा. अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

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विषय -- दीवाना
विधा--ग़ज़ल

दीवानगी का आलम मत पूछो यारा
नही गया खुमार बीता जीवन सारा ।।

ख्वाब की मलिका कहें परियों की रानी
जाने क्यों जँचा न कोई यह दिल हारा ।।

आँखों आँखों में छीना दिल का चैन 
लफ़्ज़ों का तो जरा भी न लिया सहारा ।।

था कमाल उन जादुई नजरों का या
यह दिल ही था कुछ बेचारा न्यारा ।।

करता हूँ यह सवाल मैं खुद से ही
उनसे भी पूछूंगा हो दीदार हमारा ।।

रीता रीता रहा सदा ये दिल 'शिवम'
जब से हुई जुदाई रोता रहा बेचारा ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 04/05/2019

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नमन मंच -भावों के मोती
शीर्षक- दीवाना
विधा -ग़ज़ल
बह्र-2122 2122 212

गीत भी अब गुनगुनाना छोड़ दे,
बारहा तू हक जताना छोड़ दे।

रहबरी में अब सनम है जोर क्या,
आरजू फिर खनखनाना छोड़ दे।

दिन बदलते देर लगती ही नहीं,
चौखटें अब खटखटाना छोड़ दे।

रात काली बीत जाए तू अगर,
फेर कर नजरें चुराना छोड़ दे।

राज सारे अब दिलों के खोल तू,
मुफलिसी में बुदबुदाना छोड़ दे।

आज #दीवाना कहे हर बात को,
बेवजह तू हड़बड़ाना छोड़ दे।

फासले से हम सनम तेरे रहे,
तू अगर वादे निभाना छोड़ दे।

तीरगी तो खत्म होती ही नहीं,
तेल के दीपक जलाना छोड़ दे।

क्यूं सनम बेचारगी दिखती हमें,
अब कहीं फंदे गिराना छोड़ दे।

शालिनी अग्रवाल
4/5/2019
तर्ज-आपके पहलू में आकर.....
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

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नमन 🙏भावों के मोती
सुप्रभात सभी गुणीजनों को
🌷🌹🌷💐🌹
विषय:-दिवाना
विधा:- मुक्तक
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1)))
भूल से भी भूल कर जो भूल जाऊँ मैं तुम्हें
सर मेरे रख देना तुम सारी तोहमतें
लोग तब दिवाने कहेंगे ये तो एक दस्तूर है
हम कहीं मशहूर होंगे लेके सारी तोहमतें
2))))
गर दिवाने तुम हो तो बेबस नजर आना नहीं
निभाने को हर साँस के कतर में
मिट जाना यहीं
लो चलेंगे जिस्म से रूह में मिल जाना वहीं
पर जो मुकरो बात से चश्म-ए-नजर आना नहीं

स्वरचित
नीलम शर्मा #नीलू

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4/6/2019
💐💐💐
नमन मंच। नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
                      दीवाना
                   💐💐💐
जब हद से ज्यादा बढ़ता है स्नेह,
कोई भी दीवाना होता है।

चातक प्रेमी बारिश का,
दिन,रात प्रतीक्षा करता है।

प्रेम की दीवानी मीरा,
पी लिया जहर का प्याला।

लेकिन पीकर जहर भी मरी नहीं,
क्योंकि सिर पर उसके था हाथ प्रभु का।

सब कहते हैं यही,
प्रेम के वश में हैं भगवान।

प्रेम करो तो मीरा की तरह,
प्रेम में दीवाने रहो सुबहो शाम।
💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी

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भावों के मोती
4/06/19
विषय - दीवान 

                " वफा  ए ताज " 
आशिक की दीवानगी

शाहजहां ने बनवाकर ताजमहल
याद में मुमताज के, 
डाल दिया आशिकों को परेशानी में।

एक दिवाने ने लम्बे "इंतजार" के बाद 
किया "इजहारे" मुहब्बत
"नशा" सा छाने लगा था दिलो दिमाग पर 
कह उठी महबूबा अपने माही से
कब बनेगा ताज हमारे सजदे में
डोल उठा! खौल उठा!! बोला
ये तो निशानियां है याद में 
बस जैसे ही होगी आपकी आंखें बंद
बंदा शुरू करवा देगा एक उम्दा महल

कम न थी जानेमन भी
बोली अदा से लो कर ली आंखें बंद
बस अब जल्दी से प्लाट देखो
शुरू करो बनवाना एक "ख्वाब" गाह
जानु की निकल गई जान
कहां फस गया बेचारा मासूम आशिक
पर कम न था बोला
एक मकबरे पे क्यों जान देती हो
चलो कहीं और घूम आते हैं
अच्छे से नजारों से जहाँ भरा है,
बला कब टलने वाली थी
बोली चलो ताज नही एक फ्लैट ही बनवा दो
चांद तारों से नही" गुलाबों" से ही सजा दो 
उसको  पाने की हर कोशिश नाकाम
अब खुमारी उतरी सरकार की बोला
छोड़ो मैं पसंद ही बदल रहा हूं
आज से नई गर्लफ्रेंड ढूंढता हूं

मुझमे शाहजहां बनने की हैसियत नही
तुम मुमताज बनने की जिद पर अड़ी रहो
देखता हूं कितने और ताजमहल बनते हैं
हम गरीबों की "वफा" का माखौल उडाते है
जीते जी जिनके लिए सकून का
एक पल मय्यसर नही
मरने पर उन्हीं के लिये ताज बनवाते हैं।

स्वरचित 

                   कुसुम कोठारी।
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नमन भावों के मोती
आज का विषय, दीवाना
दिन, मंगलवार
दिनांक, 4,6,2019,

कौन  नहीं  है  दीवाना  यहाँ  पर,
कोई कम और कोई है ज्यादा।

कोई चाहता प्रिय का हित यहाँ पर,कोई अपना ही हित  ज्यादा।

दीवाने सब हुआ करते अपनी धुन के हैं यहाँ पर,

देशभक्ति की लगन होती किसी को किसी को नींद से ज्यादा।

होते हैं रूप रंग के तो  सब ही दीवाने यहाँ पर,

यहाँ होती है वफा किसी में कम तो किसी में ज्यादा।

ये सच है कि आस्तिक तो सभी हुआ करते हैं यहाँ पर ,

दिखावा करता है कोई कम तो कोई बहुत ही ज्यादा ।

सबको होती है दौलत की चाहत  यहाँ पर,

किसी को चाहिए जरूरत के लिऐ, तो किसी को जरूरत से ज्यादा।

होते हैं दीवाने बहुत से, ज्ञान के यहाँ पर,

दुनियाँ में कमाते हैं नाम, कोई कम तो कोई ज्यादा ।

हद  से ज्यादा जब होता है, दीवाना पन यहाँ पर ,

दे जाते उपहार मानवता को, कोई कम तो कोई ज्यादा।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,

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🙏भावों के मोती🙏
4/6/19
विषय-दीवाना 
विधा-हाइकु 
●●●●●●●●
1)
रवि दीवाना
हिम कण समेटे
कवि कविता ।।
2)
गोपी दीवानी 
मुरली मनोहर
कृष्णा माखन ।।
3)
मेघ सावन 
दीवाना पागल है 
घूमता फिरे ।।
4)
छवि नयन 
परस्पर निहारें 
दोनो दीवाने।।
5)
रास बिहारी 
दीवाना मोर वन 
झुमके नाचे।।
●●●●●●●●●●
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित

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नमन मंच
दिनांक .. 04/06/2019
विषय .. दिवाना
***********************
......
रंग छंद मकरंद पुष्प का मै दिवाना हूँ।
रूप धूप बरखा यौवन का मै परवाना हूँ।
...
आँखो मे संसार समाहित वो पैमाना हूँ।
छलका दे अधरो से बादल वो मस्ताना हूँ।
.....
शब्दों का सचंय करना व्यपार हमारा है।
सदा रहे जुड कर सबसे यह काम हमारा है।
....
एक बार आकर मिल लो तो ही हमको जानोगे।
शेर के मन मे छुपा हुआ,  यह प्यार पुराना है।
....

स्वरचित एवं मौलिक 
शेरसिंह सर्राफ
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4/6/19
भावों के मोती
विषय-दीवाना
____________________
जब भी देखूँ अपना मुखड़ा
छवि देखूँ में श्याम की
मनमंदिर में तुम्ही बसे हो
हुई दीवानी घनश्याम की

कानों में गूँजे हरपल मेरे 
मधुर मुरलिया श्याम तेरी
मोहिनी सूरत करे दीवाना
सुध-बुध भूली श्याम मेरी

काहे सतावे मोहे तू कान्हा
मोर मुकुट सिर पर नंदलाला
यशोमती मैया से कह दूँगी
बड़ा नटखट है तेरो कान्हा

रातों को मोहे सोने न दे
सपनों में जगावे सारी रात
छेड़े मोहे पकड़ कलाई
गोपियों संग रचावे रास

श्याम के रंग में मैं रंग गई हूँ
जित देखूँ मोहे दिखे श्याम
सुन री सखी अब तू ही बता
राधा बावरी या झूठा श्याम
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित ✍

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दि- 4-6-19
शीर्षक- दीवाना
सादर मंच को समर्पित -

          ☀️     गीतिका      ☀️
     ***********************
          🌻     दीवाना     🌻
     🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

मिलते हैं  यहाँ  सब  से , दर्पन की  तरह  हम ।
हो जायें कभी ओझल , धड़कन की तरह हम ।।

हमको  हैं  सदा  प्यारी , खिलती  हुई  कलियाँ ,
बस  जायें किसी  मन में , गुलशन की तरह हम ।

दीवाना    बना   देतीं ,  मद   मस्त   ये   वादी ,
खो  जायें  हँसी  आँचल , बचपन की तरह हम ।

फूलों  की  महक  हमको , महकाती   रही  हैं,
उलझे  रहे  भँवरों  की ,  गुंजन  की तरह हम ।

जो प्यार से मिलते हैं , दिल अपना  डुबो  कर ,
टँक  जाते  हँसी  चूनर , तुरपन की  तरह हम ।

दुनिया   के   झमेले  में , अवसाद  भी   पाये ,
कुछ  दंश  भी  झेले  हैं , उतरन  की तरह हम ।

आसान नहीं था कभी , मिल जाय भी मंजिल ,
गिर कर भी रहे उठते , फिसलन की तरह हम ।

बीते   हुये   लम्हों   के ,  यादों   के   झरोखे ,
डूबे  हैं  भरी उल्फत ,  तड़पन  की तरह हम ।

खुशी  और  गम  सँजोये , सरी  राह  जिन्दगी ,
यों  साथ  निभाते  रहे , बर्तन  की  तरह  हम ।

                 🌹🌴☀️🌻🌺

🏵🌻🍊**.....रवीन्द्र वर्मा आगरा 
                  मो0- 8532852618.


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II  दीवाना II नमन भावों के मोती.....

हिज्र खुश था कि मीत  से वसल हुआ नहीं...
वसल मस्त था यूं कि जैसे कुछ हुआ नहीं...
रिश्तों में दरार हो जाए मुमकिन है, मगर..
रूह के रिश्तों को कभी कुछ हुआ नहीं....

प्यार कहाँ मिलता और कहाँ खो जाता है....
हर कोई बस जवाब ही ढूंढता रहता है...
सागर तन्हा है गहरा है या ठहरा है वहीँ....
छटपटाहट नदी की भी वो पी जाता है.... 

'नीलकंठ' हर कोई जहां में हो नहीं सकता है...
मीरां सा दीवाना भी कहाँ कोई हो सकता है...
ध्रुव सा मस्ताना पैदा कब हर बार ही होता है... 
नज़र हो 'उसकी' तो पत्थर दीवाना हो सकता है...

II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II 
०४.०६.२०१९

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नमन "भावो के मोती"
04/06/2019
    "दीवाना"
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राह में दिल से दिल मिलाते जाइए।
प्रीत  का  दीया  जलाते  जाइए।।

कशमकश सी है जिंदगी तो क्या हुआ।
हौसलों   से   मुस्कुराते   जाइए।।

राह से बाधाएँ पार कर चलिए
आस का दीया जलाते जाइए।।

जा रहे है तोड़कर दिल को फिर।
खता।  मेरी   बताते   जाइए।।

दिल को दीवाना बनाया आपने।
अब दीवानापन मिटाते जाइए।।

आपको जाते न देखा जायेगा।
शाम का दीया बुझाते जाइए।।

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल

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भावों के मोती दिनांक 4/6/19
दीवाना

दीवाना तो यूँ ही
बदनाम है दोस्त 
कहो उनसे
वह इतराये नहीँ 
अपनी अदाओ पर   
इतना

हर कोई 
दीवाना होता है 
दोस्त 
किसी न किसी का
कोई दौलत का
तो 
कोई वतन का 

फकीर  को बदनाम 
किया पागल 
कह कर
लेकिन 
 देखता नहीं  कोई
दीवानगी उसकी
मौला पर

दीवाना बना कर
छोड़ा  उसने मुझे
न  रहा उसका  
अपनों  का 

दीवाना 
और क्या कहे
इस महफ़िल में यारों 
जब तलक 
रहेगी सांस 
न छोड़ूंगा साथ उसका

स्वलिखित 
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल 

स्वलिखित 
लेखक संतोष श्रीवास्तव  भोपाल

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नमन मंच
दिनांक .. 4/6/2019
विषय .. दिवाना
**********************

मन तितली बन के उडा. पहुचा उसके पास।
लेकिन  उसमे  ना  रहा,  पहले  जैसा  प्यास।
हृदय द्रवित है आज फिर, टूटा फिर से आस।
जूगनू बन तितली उडी, अब मै  जिन्दा लाश।
....
समय पखेरू बन गया, आया ना फिर पास।
जगती  सी  आँखे मे मेरे,अब भी है तू खास।
टृट न जाये अब कही, मिलने की सब आस।
शेर हृदय के भाव सब, सूख गए  इस  मास।
....
पढ लेना भावों को मेरे, बिना कहे इस बार।
कब तक तेरी आस निहारू, होकर के बेजार।
मै दिवानी हुई तो क्या है, मीरा भी इक नाम,
तू दिवाना हो जाए तो, शेर का हो साम्राज्य ।

स्वरचित एंव मौलिक 
शेर सिंह सर्राफ
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नमन भाव के मोती
 दिनांक 4 जून 2019 
विषय दीवाना 
विधा हाइकु

दीवाना घूमे
प्यार हुआ छलिया
जमाना घूरे

मीरा बावरी
गाती प्रभु का नाम
कृष्ण दीवानी

बच्चे करते
पूरी रात पढाई
अंक दीवाने

चप्पलें घिसी
नौकरी दीवानगी
बेरोजगार 

भक्त दीवाना
दर-दर भटके
ईश भजन

कवि दीवाना
मंचों पर विराजे
देश सुधार

ऊँचे शिखर
सत्ता की दीवानगी
रंक के नाम

©
मनीष श्रीवास्तव  
स्वरचित 
रायबरेली
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जय माँ शारदे,,
नमन मंच भावों के मोती
5 /6 19/
बिषय,, दीवाना 
मोह माया में मानव हुआ दीवाना
 मैं मेरा तक सीमित  बाकी सब बेगाना
स्वार्थ का इस कदर छाया सुरुर 
पैसा पद का सिर चढ़ा गुरुर
 इस तरह संस्कृति खोते जाओगे 
फिर तो नाते रिश्ते ढूंढते रह जाओगे 
स्वरचित,,,,, सुषमा ब्यौहार

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2*भा.4/6/2019/मंगलवार
बिषयःः#दीवाना#
विधाःः काव्यः ः

हिंदू मुस्लिम सिख इसाई।
आपस में सब भाई भाई।
भारतमाता सबकी माता,
नहीं मानें हम प्रीत पराई।

बनें दीवाने एक दूजे के,
रहें परस्पर मिलजुलकर हम।
रागद्वेष को छोडें सबही,
रहें प्रेम से हिलमिल कर हम।

दीवाने हों हम स्वदेश के,
जीवन की नश्वरता समझें।
जो कुछ है इस धरती का,
अपनी क्षणभंगुरता समझें।

अंतरतम में झांक झांक कर,
क्या असली नकली पहचानें।
ये माया मोह दीवानी दुनिया,
इसको सच फसली हम मानें।

सार यही जीवन का सचमुच,
खाली आऐ हैं खाली जाना।
प्यार दीवाने बनकर रह लें,
हमने जगत को जाली माना।

स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम

 2*भा.4/5/2019/मंगलवार
  #दीवाना#काव्यः ः

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"नमन-मंच"
"दिनांक-४/६/२०१९"
"शीर्षक-दीवाना"
दीवाना जिसे लोग कहे
होते वे मतवाले है
अपने धुन के पक्के वे
रहते सदा मस्ताने है।

हँसते हँसते जो सूली चढ़े
वे देशभक्ति के दीवाने थे।
सदा रहे गर्व हमें उनपर
वे आजादी के दीवाने थे।

हद से ज्यादा जब चाहे
होते वही दीवाने है
जग कहे मीरा दीवानी
पर असल मे हम दीवाने है

मोह माया को अपना माने
हम सभी तो दीवाने है
झूठे अहं को जब हम त्यागे
जग बने हमारा दीवाना है।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।

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दिन बुधवार:-5/6/2019
विषय :-दीवाना
सांझ ढलते ही जब
श़मा जल उठी तो
श़मा को देखकर 
परवाना आगया ।
दीवाना था वह तो
श़मा का सदा ही 
इश़्क में जलने को
परवाना बन गया 
श़मा ने समझाया
क्यों जलने चला है।
दूर रह मुझसे ही तू 
वृरना जल जायेगा
इश़्क में मेरे बता दे
क्या तुझे मिल पायेगा ।
ज़िंदगी को दावपर 
यूं न लगा परवाने 
तुझे जलता देखना
मुश़्किल हो जायेगा ।
जीं न सकूंगी मैं भी 
तेरे विना ओ दीवाने
दिल भी तो मेरा यह 
जल  ख़ाक हो जायेगा ।
स्वरचित :-उषासक्सैना

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नमन भावों के मोती मंच 
  आज का शीर्षक --दीवाना 
    तिथिं --४ जुन २०१९
    वार --मंगलवार 
   विधा -- मुक्तक
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वतन के दीवानों की ये कैसी हस्तियां ।
वतन के काम आई ये जवानी की मस्तियाँ ।
 वतन के नाम कर दी रूह और सांसे हमने ---
 सदा महकती रहे इसांनियत की बस्तियां ।

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 जिदंगी में भगत सा दीवाना ना देखा ।
  वतन की मुहोब्बत का ऐसा परवाना ना देखा ।
 फंदे पर झूलकर वतन के करीब आया वो ---
  मिटकर भी झुका नहीं ऐसा दीवाना ना देखा ।

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संदीप शर्मा 
अलवर राज .
स्वरचित....
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#नमन मंच:::भावों के मोती::
#विषय::::दीवाना दीवानी::
#वार::::मंगलवार::
#दिनांक:::४,६,२०१९:::
#रचनाकार:: दुर्गा सिलगीवाला सोनी

*"*"*""प्रेम दीवानी""*"*"*

 सुध बुध भी खोई चैन भी खोया,
 नहीं अखिंयन नींद मन भी रोया,
एक पल को दरस दिखा जा श्याम,
मैं भई तेरी दासी तू मेरा घनश्याम,

 इत उत तोहे ढूंढे मोरे नयन बावरे,
मोरी प्यास बुझा जा अब तो सांवरे,
  तोसे प्रीत का आस बंधी मन में,
  एक बिरह की आग जगी मन में,

  तुम बिन ना कटे रैना मनमोहन,
  तेरी हो गई मीरा बन गई जोगन,
  गालियन भटकी वन वन भटकी,
 मेरी जान कन्हैया तुम पर अटकी,

 मैंने तज दी लाज नारी आभूषण,
मेरी अरज़ सुनो छलिया ब्रजभूषण,
तोरे नाम का पी गई मैं बिष प्याला,
 जपकर गिरधर के नाम की माला,

  मैंने मान ली कान्हा तोहे भरतार,
  तू मान ले कन्हैया जगत भरतार,
 तेरे रंग में हूं रंगी तेरे रूप की ठगी,
 दिन रात से सदा तेरी चाह में जगी,

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नमन "भावो के मोती"
04/06/2019
     "दीवाना"
1
उम्र नादान
भविष्य कहाँ सोचा
दीवाना लोचा
2
ब्रज की बाला
दीवानी नंदलाला
कुंज गलियाँ
3
दीवानी "मीरा"
राजसुख भुलाया
पी लिया हाला
4
फिल्मी असर
क्षणिक आकर्षण
बना दीवाना
5
दिल दीवाना
जाम का मयखाना
कहा ना माना
6
नया है दौर
दौलत का दीवाना
विवेक हारा

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल

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शुभ साँझ
विषय-- दीवाना 
विधा-- ग़ज़ल
द्वितीय प्रस्तुति

वो वक्त था दीवाना या महफिल थी दीवानी 
समझा दो मेरी रानी , समझा दो मेरी रानी ।।

समझ नही आया वह चेहरा था नूरानी
या यह दीवाना दिल ही था कुछ नूरानी ।।

जागी जागी आँखें खुद से करे सवाल 
मगर जवाब नही आए रहे वही हैरानी ।।

सब कुछ बदला वक्त भी बदला मगर न
जाने क्यों इस दिल ने अब भी वही ठानी ।।

दीवानापन भी क्या शय होती ''शिवम"
पाने वाले पाये इसमें कोई उठाये हानी ।।

कैसे कैसे सँभालकर लाया जीवन नैया
तुझमें रब में फर्क न हमने कोई जानी ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 04/06/2019

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नमन भावों के मोती नमन आ0 वीना शर्मा वशिष्ठ जी

आज का कार्यः -दीवाना

पता न था आयेगा कभी ऐसा भी ज़माना।
मुझ जैसे इंसान को भी कहेगा सब दीवाना।।

भारी पड़ा रानी मुझे तुमसे दिल को लगाना।
नहीं पता था पर पडेगा इतना मल्य चुकाना।।

डाक्टर से ही मुझको पड़ेगा एक कवि बनना।
करते जो नमन श्रध्दा, से कहेंगे अब दीवाना।।

रुक नहीं सकती साथ कुछ समय और जाना।
विरह ही ने तुम्हारी बनाया रानी मुझे दीवाना।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी” 
स्वरचित

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नमन मंच को
दिन :- मंगलवार
दिनांक :- 04/06/2019
शीर्षक :- दीवाना

दीवाना हूँ मैं...
इन झील से दो नयनों का..
कुछ अनदेखे सपनों का..
समा जाऊँ इन जुल्फो में...
जो प्रतिरुप है घने बादलों का...
दीवाना हूँ मैं...
उन पलों का..
जो बितते हैं तुम्हारे साथ..
करते जब बातें दिलों की..
लेकर हाथों में हाथ..
दीवाना हूँ मैं...
तुम्हारी इन मुस्कानो का..
जिसे देख खिल उठती है कलियाँ..
होने से तुम्हारी आहट ही...
महक उठती है दिल की हर गलियाँ..
दीवाना हूँ मैं...
तुम्हारी उन अदाओं का...
द्वार तकती उन निगाहों का...
इंतजार रहता है जिनमें...
सदा मेरे सलामत घर आने का..
दीवाना हूँ मै...
तुम्हारे उस समर्पण का...
जो किया तुमने मेरे लिए...
थामकर हाथ मेरा....
सबकुछ छोड़ आई मेरे लिए...

स्वरचित :- मुकेश राठौड़

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नमन सम्मानित मंच
       (दीवाना)   
        ******
स्वलक्ष्य  प्राप्ति  के  हितार्थ,
  तन्मयता के चरम बिन्दु तक,
    विक्षिप्त मानसिक  स्थिति में,
      दीवाना हो  जाता  मानव मन।

चैतन्य मनस मे भौतिकतन का,
  किंचित  सीमा  तक  खो जाता,
    विश्वास आत्म का दृढ़तम शुचि,
      अंतर्स्वर    में     जा     छुपता।

कर्म,प्रेम और धर्म -सिन्धु में,
  दीवाना     आकंठ     डूबता,
    जग की स्तुति  या  निंदा का,
      कोई प्रतिकूल प्रभाव न होता।

दीवाना    कर्मानुसार     निज,
  मानव महा,सुधारक हो जाता,
    कुसंस्कार की   प्रतिच्छाया में,
      निसंदेह अतिचारी   बन जाता।
                               --स्वरचित--
                                  (अरुण)

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नमन मंच को
दिनांक --4-/6/2019
विषय-------दीवाना
मां कि सुन डांट व झिडकन
मन कभी कभी घबराता
पाकर पावस आँचल की छांव
मन हो जाता दिवाना।
कोयल की मृदु वाणी
मन सब का हर्षाये
रिमझिम बरसे सावन
मन हो जाता दीवाना।
प्रेम एक अन्नत साधना
मानव मन को सीचें
रुनझुन रुनझुन करता हृदय
मन हो जाता दीवाना।
सप्त स्वर वीणा के झंकृत
सुन हृदय करें स्पन्दन
एक राग,एक लय होते ही 
मन हो जाता दीवाना।
विचित्र प्रेम पुरुष,नारी का
कभी रूठना, कभी मनाना
देखें भाव जब ऐसे ही
मन हो जाता दीवाना।
युवा हृदय का आकर्षण
इक दूजे को खीचें
सीचें जब वो प्रेम रोग को
मन हो जाता दीवाना।
जीवन एक तरुवर है
जाने कब मुरझाए
कुछ कर्म ऐसे भी कर लो
जग हो जाये दीवाना ।
स्वरचित------;🙏🌹🙏

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शुभ साँझ भावों के मोती नमन मंच
04/06/19मंगलवार
विषय-दीवाना
विधा-हाइकु
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(१)
चाँद दीवाना
बारात ले निकला
तारों को साथ👌
💐💐💐💐💐💐
(२)
बावरा भया
दिनकर दीवाना
जेष्ठ महीना👍
💐💐💐💐💐💐
(३)
हवा दीवानी
सिहरन भर दे
तन-बदन☺️
💐💐💐💐💐💐(४)
दिल दीवाना
फगुनाने लगता
फागुन मास🎂
💐💐💐💐💐💐
(५)
मानें न मानें
वसंतागमन से
मन दीवाना💐
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू अकेला
💐💐💐💐💐💐
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शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
04/06/2019
कविता  
विषय:-"दीवाना "   

कोई दीवाना शोहरत का
कोई धर्म की सोहबत का 
मोहब्बत के दीवाने भी 
कभी मिल जाते हैं
पर उनके अंजाम देख
हम संभल जाते हैं
दीवानगी का आलम 
इतना पसरा है कि 
घरों की दीवारें खामोश है 
मोबाइल हँस  रहा है
कुछ नेता भी
कुर्सी के दीवाने है
अभिनेताओं को भी 
राजनीति में 
हाथ आजमाने हैं 
सेल्फी की दीवानगी
इस कदर बढ़ गई है.. 
अपनी ही नज़र में 
अपनी कदर बढ़ गई है.. 
कुछ दीवाने मातृ भूमि के  
ऐसे भी हैं जो देश बुन रहे हैं 
भीतरी और बाहरी दुश्मन से लड़ 
जागते हैं रात भर, खून दे रहें हैं l

स्वरचित 
ऋतुराज दवे
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नमन भावों के मोती 🌹🙏🌹
04-6-2019
विषय:- दीवाना 
विधा :- कुण्डलिया

करती कवि की लेखनी , वर्णन अद्भुत रूप ।
देवलोक की उर्वशी , दिखती है अपरूप ।।
दिखती है अपरूप , बना देती दीवाना ।
दिखा रहे तस्वीर , ढूँढ रहेआशियाना ।
दिखे वही सा रूप , खोजते सारी धरती ।
वर्णन अनुपम रूप , लेखनी कवि की करती ।। 
कर
स्वरचित :-
ऊषा सेठी 
सिरसा 125055 ( हरियाणा 

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नमन भावों के मोती 
विषय - दीवाना
04/06/19
मंगलवार 
कविता 

मातृभूमि  का   जो   दीवाना   हो  जाता  है,
उसका  तो  बस एक लक्ष्य ही बन जाता है।
तन-मन-धन से भारत-माँ का सेवक बनकर,
जीवन  भर  वह  गीत  देश  के  ही गाता है। 
उसको नहीं  रोक  सकती  पथ  की बाधाएं,
वह  उन  सबको  रौंद  राह  में बढ़ जाता है।
राष्ट्रधर्म  की   बातें  उसको   प्रेरित   करतीं,
और   बसंती   चोला   ही   उसको भाता है।
अंतिम  सांसों  तक  करता  धरती  की रक्षा,
और  तिरंगे  पर  सब  अर्पित  कर  जाता है।

स्वरचित 
डॉ ललिता सेंगर

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नमन भावों के मोती
दिनाँक - 4/6/2019
आज का विषय - दीवाना

**मीरा की भक्ति**

हुई बचपन से दीवानी 
                       सांवरे सलोने की,
सब कुछ उस पर वार दिया
             एक ही तम्मना पाने की।

मेरा पति गिरिधर गोपाल
                     मैं चरणों की दासी,
सुबहो शाम एक ही नाम
             कान्हा दर्शन की प्यासी।

कष्ट हरा हरि ने, बनाया
           काँटो को फूलों की शैय्या।
आई जब जब विपदा
         द्वारिकाधीश ने तारी नैय्या।

चरणामृत समझ मीरा ने
                 पिया विष का प्याला,
किया सुमिरन कन्हैया को
                 अमृतरस बना डाला।

अटूट भक्ति प्रगाढ़ प्रेम देख
          दिया चरणों मे शीर्ष स्थान,
गोपियों में राधा रानी
             भक्तों में थी मीरा महान।

             स्वरचित
         बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा(हरियाणा)


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नमन भावों के मोती
दिनाँक-04/06/2019
शीर्षक-दीवाना
विधा-हाइकु

1.
हुआ दीवाना
सुंदर फूल पर
मस्त भँवरा
2.
बाँसुरी वाला
खेलता बरसाना
प्रेम दीवाना
3.
कृष्ण दीवानी
मीरा हुई बावरी
सुन बाँसुरी
4.
बाल कन्हैया
बैठा कदम्ब पर
गोपी रिझाने
5.
चाँद अकेला
तारों बीच खेलता
बना दीवाना
6.
रात की रानी
चाँदनी की दीवानी
मन सुहानी
7.
खिलते फूल
इठलाते भँवरे
दीवानी हवा
**********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

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नमन : 'भावों के मोती'
     दि.4/6/19.
विषयः दीवाना
*
अतिरंजन नहीं,न अनुरंजन,
मन दीवाना,पागल - पागल।
बेबस   लाचारी   लौट   रही,
केवल खटका-खटका साँकल।

कैसे उसकी  कल कथा कहूँ,
है माप सका ,आकाश कौन?
सच मौन वही,जो सच कह दे,
झूठा सच कहकर, बचा कौन?
                     -डा.'शितिकंठ'

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सादर नमन
विधा-हाईकु
विषय-दीवाना
दिल दीवाना
ख्वाबों का आशियाना
पी को लुभाता
भौरा दीवाना
जीवन गवाँकर
फूल खिलाता
प्रेम दीवाना
गीत गुनगुगाता
खोया रहता
***
स्वरचित-रेखा रविदत्त
4/6/19
मंगलवार

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