Monday, November 5

"धन/धनतेरस/धन्वन्तरी/आयुर्वेद "05नवम्बर 2018

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महती आवश्यक्ता है धन 
धन को करते सभी यतन ।।
धन कैसा हो कितना हो 
चलो करें इस पर मनन ।।

धन की दैवी लक्ष्मी माता 
कौन न उन्हे शीष झुकाता ।।
धन से चलती जीवन गाड़ी
यश वैभव सब धन से आता ।।

धन को हमें कमाना है 
पर दिल नही दुखाना है ।।
लक्ष्मी माँ खुश न होती 
उनका तो आना जाना है ।।

पवित्रता से जो कमाता 
सच्ची पूजा बन जाता ।।
देर सबेर लक्ष्मी माँ आती 
हर सुख समृद्धि वो पाता ।।

साधन है धन साध्य नही 
इस बात पर करो यकीं ।।
बेतरतीवी लूट खसोट से
लक्ष्मी माँ कब खुश हुईं ।।

सच्ची पूजा जानो भाई
करो ''शिवम्" नेक कमाई ।।
यही है सच्ची धन की पूजा
पूर्वजों ने यह राह दिखाई ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 05/11/2018





धन्वंतरि का हुआ आगमन
हृदय पल्लवित हुआ चहुँ ओर
शुभ फलदायी,सुमंगल दायक

धन फेरी फैली हर ओर।
धूप-दीप से करो आरती
मेवों का सब भोग लगाओ
ध्यान,वंदना और नमन से
धन,वैभव की ज्योत जगाओ।


देव चिकित्सक धन्वंतरि का,
मास कार्तिक कृष्णपक्ष में,
हुआ अवतरण बसुधातल पर,
त्रयोदशी की शुभ तिथि को।

वैद्मक चारु प्रणेता धन्वंतरि,
संग धरा पर आयुर्वेद शुचि,
विज्ञान,कला,दर्शन मिश्रण भी,
उदित हुआ धनतेरस के दिन।

धन्य भाग्य धनतेरस की तिथि,
धन आगम लक्ष्मी श्री संग,
निर्धन के जीवन मूल्य बदलने,
आयुर्वेद संग काया के रंग।

अनिवार्य नित्य आवश्यकता,
आरोग्य और धन की महती,
मानव प्रजाति पर बनी रहे नित,
कृपा देव धन्वंतरि, माँ श्री की।
--स्वरचित--
(अरुण)


धनतेरस धन्वंतरि दिवस
माँ लक्ष्मी का हो गृह प्रवेश
ऐसी शुभकामनाएं मेरी
मिले सबको मंगलमय यश

करें पूजन माँ लक्ष्मी का
धन धान्य भंडार भरे
मिले आशीष प्रभु धन्वंतरि का
रहे रोग दोष सबसे परे

खुशियों से भरे घर आँगन
दीपों से हो उजियार
भर लो जोश उमंग मन में
लेकर ज्ञान उजियार

माँ लक्ष्मी की कृपा से
अन्न धन धरा पर बरसे
ऐसी विनती "मुकेश" की
दीन कोई रोटी को ना तरसे

स्वरचित :- मुकेश राठौड़



प्रकट धन्वन्तरि,अमृत कलश छलके
मांगल्यपूरित पदरोपण श्री चंचल के
विपन्न-विनाश,अपार धन बरसे
अपरम्पार रिद्धि सिद्धि से भरके
साकार सकल स्वप्न हो
धनतेरस धन्य-धान्य सम्पन्न हो
प्रचुर सम्पदा, विपुल परितोष
समृद्धि सतत संवृद्धि, पूर्ण कोष
वैकुंठवासिनी सर्वभूतहितप्रदा
रहे नित्यपुष्ट अनुग्रह सर्वदा
चहुँ सर्वमंगल,हर्षोल्लास सदा हो
आरोग्य-आच्छादित वसुधा हो।

-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित


विधा=हाइकु 
🌹🌹🌹🌹🌹
धन की वर्षा 
कर्म पुजारी यहाँ 
होती है रोज 

धनवंतरि
मंथन से निकाल
लाए हैं धन

यही है माया
जग में कहलाया 
स्वस्थ हो काया

उत्साह धन 
आओं बढ़ाए हम 
औरों में आज

शिक्षा का धन 
पाए प्रत्येक जन
खुशी अनंत 

स्वरचित 
मुकेश भद्रावले 


धन तेरस।
माँ लक्ष्मी वास करे।।
पूरे बरस।

रूप चौदस।
तन मन निखरे।।
बिखरे हर्ष।

शुभ दिवाली।
हर घर में फ़ैले।।
ये खुशहाली।

अन्नकूट पे।
माँ की रहमतों को।।
आओ लूट ले।

है भाईदूज।
बहनों का भविष्य।।
हो महफूज़।
©ऐश...
💫अश्वनी कुमार चावला,अनूपगढ़,श्री गंगानगर
💫काव्य गोष्ठी मंच,कांकरोली,राजसमन्द
जलधि मंथन प्राप्त धन्वंतरि


सह अमृत कलश अनमोल
दिवस पूजन धनतेरस
भरे भंडार रत्न अनमोल

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी
तिथि पावन पुनीता
धन धान्य पूरित वर
अनमोल निधि सुचिता

हर अंधकार जीवन के
ज्ञान दीप कर प्रज्वलित
मिले वर धनलक्ष्मी का
हो हर मन प्रफुल्लित

हर्षोल्लास का पर्व यह
मन उल्लास उमंग भरे
सह परिवार करे सब पूजन
हर दुख निर्धन का हरे

स्वरचित :- मुकेश राठौड़


जन्म दिवस धन्वन्तरि जी का कितनी खुशियाँ लाया है, 
धन, सौभाग्य, और स्वास्थ्य का ये संदेशा लाया है, 
हम स्वस्थ रहें धन कमायें धन ही सौभाग्य लाया है, 
आयुर्वेद की सीख बताने धनतेरस का दिन आया है |
उत्साह उमंग खुशी व उल्लास जन जीवन में छाया है, 
मिलते गले बधाई देते कितना प्यार उमडकर आया है, 
ये भाईचारा मेलजोल हमको त्योहारों ने सिखलाया है, 
प्रेम संमुदर में नहलाने दिन आज खुशी का आया है | 
खील खिलौने दीप मिठाई जाने क्या क्या सबको लेना है, 
शुभकामनाओं का पिटारा हमें आज खोल के रखना है, 
अपने मित्र पडोसी भाई बंधु, मुँह मीठा सबका करना है, 
आप सभी की आशीशों से, निज झोली हमको भरना है |

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश, 5,11, 2018

आरम्भ हो रहा आज दीपावली का पंचोत्सव।
धनतेरस से होता है आरम्भ,उसका प्रथम पर्व।।

कार्तिक मास की त्रयोदशी समुद्र गया बिलोया।
आज ही धनवन्तरी वैद्य, उससे बाहर आया।।

साथ अपने वह, दवाओं की पोटली भी लाया।
उन्ही के नाम पर, धनतेरस जाता है मनाया ।।

धनवन्तरी जी ने ईलाज में आयुर्वेद अपनाया।
गम्भीर से गम्भीर रोगों को उस ही से भगाया।। 

आज नया बरतन के रूप में धन जाता लाया।
जितना लाते है उसका तेरह गुना बढ़ जाता।। 

आपको अर्पित हैं धनतेरस की शुभकामनायें ।
धन आप सब मित्रों का तेरह गुना बढ़ जाये।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी

स्वरचित

पूरी करे धन्वंतरि, 
सबके मन की आस। 
रोग-दोष सब दूर रहें, 
जब आयुर्वेद हो पास। 
सच्चा सुख है सदा, 
स्वस्थ निरोगी शरीर। 
हर लेते भगवान, 
सबके मन की पीर। 
धनतेरस के दिन, 
होती उनकी उपासना। 
उनकी पूजा-पाठ से, 
पूरी हो मनोकामना। 
उत्तम काया-माया का, 
प्रभु देवें वरदान।
अमृत आयुर्वेद का, 
करो सदा रसपान।
आयुर्वेद में छिपा,
लम्बी उम्र का राज,
बडे़ - बडे़ रोगों का
होता तुरंत इलाज।
मंगलकारी पर्व पर,
सबके पूरे हों अरमान।
भगवान धन्वंतरि की कृपा,
से हो जीवन आसान।
धन कुबेर भर दें,
इस बार निर्धन के भंडार।
सब फूले धन-धान्य से,
हो गरीबी के दानव का संहार। 

अभिलाषा चौहान
स्वरचित

धनतेरस धनवंतरि आयुर्वेद के देव।
जयजय माँलक्ष्मी जय बुद्धि के देव।

आप पधारें रिद्धिसिद्धि सहित सभी,
लक्ष्मी बनाऐं निरोगीआयुर्वेद के देव।

सागर मंथन किया जब देवासुर ने तब
मदिरा ,शशि, लक्ष्मी अप्सराऐ निकले।
प्रारंम्भ दीप पर्व कार्तिक त्रयोदशी से,
जब ले अमृत कलश धनवंतरि निकले।

आयुर्वेद के जनक हैं ऋषि धनवंतरी
ऐसा हमें सब पुरातन ग्रंन्थ बतलाये।
खोजी देशी जडी बूटियां जिन्होंने,
वह महान ऋषि धनवंन्तरी कहलाये।

आज जन्मदिन है मानें हम सबजन,
कल रूप चतुर्दशी हम सभी मनाऐंगे।
परसों आऐगी दीपमालिका आगे फिर,
गोवर्धन पूजन कर भाईदूज मनाऐंगे।

श्रीराम सीतामाता का करते हैं वंदन।
श्रीरामलखन भरत शत्रुघ्न का है वंदन।
सभीजनों के जीवन मे आऐ खुशहाली,
नगरी श्रीराम अयोध्या का अभिनंन्दन।

इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
पाँच दिवसीय त्योहार की
देखो आज हुई शुरुआत
अमृत भर सोने के कलश लिए
समुँद्र-मंथन में प्रकट हुए धन्वंतरि भगवान।

आधि -व्याधि हट जाये
जब हम करें उनका ध्यान
भगवान को ध्यान कर
लेकर भगवान का आशीर्वाद
करे हम खरीदारी सोने, चाँदी 

या कोई धातु सामान
लक्ष्मी घर आ जाये
देने को आशीर्वाद
धनत्रयोदशी है आज।

वैसे, खरीदारी करना तो है बाहाना
खुश होने का यह तरीका है पुराना
खुश होना आज के जामाने मे
हैं सबसे मंहगा खाजाना

उपासना हम करें धन -लक्ष्मी का
पर उपेक्षा न करें गरीबों का
उनके घर भी खुशियाँ आये
यह फर्ज तो हमें ही है निभाना

अपनी फिजुलखर्ची रोक कर 
जब हम करें गरीबों की मदद
चेहरा उनका खिल जाये
संतुष्टि के भाव हमें आ जाये

धन्वंतरि है आयुर्वेद के जनक
सुधर जाये स्वास्थ्य हामारा
हम अपना ले जब आयुर्वेद का खाजाना
आयुर्वेद जब हम अपना ले
प्रकृति से हम स्वयं जुड़ जाये
स्वास्थ्य ही नही आध्यात्म का हो उत्थान
क्योंकि स्वस्थ शरीर से ही
हम करते हैं आध्यात्म का काम

आध्यात्म से हम ईश को समीप लाते
और हम यह जानते
प्रकृति ही है ईश का दूसरा नाम।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।

दीप जले तो रोशनी से जगमगाया आपका संसार हो 
पूर्ण आपका हर दिल का ख्वाब हो 
माता लक्ष्मी की आप सब पर बनी रहे कृपा 

इस धनतेरस आप घर धन्य धान्य से भरा हो .

सोने की पालकी पर माता लक्ष्मी पधारे आपके द्वार 
सुख सम्पति मिले आपको माता की कृपा से अपार 
ये धनतेरस आपके के लिये हो कुछ ख़ास 
घर में बना रहे सदा सुख सम्पदा का वास .

आपके घर धन की बरसात हो 
हरपल माता लक्ष्मी का साथ हो 
उन्नति का आपके सर पर ताज हो 
सुख शांति और प्रेम का वास हो .

मंगलमय शुभकामना पूर्ण आपका ये त्यौहार हो 
भेंट में मिले आपको खुशियों के उपहार 
धन की ज्योति का पुलकित प्रकाश हो 
ऐसे ही माता लक्ष्मी आपके साथ हो .
स्वरचित:- रीता बिष्ट

धनतेरस दे आपको , खुशियों की सौगात |
दिल से है शुभकामना , हो धन की बरसात ||

धनतेरस दिन आज है ,खुशियाँ मिले अपार |
लक्ष्मी की घर आपके , निश दिन हो बौछार ||

धनतेरस घर आपके , लाए खूब उमंग |
बरसों तक छाए रहे , खुशियों के हर रंग ||

धनतेरस पर आपको., दूँ मैं ये उपहार |
खुशियों का उतरे नहीं , कभी गले से हार ||

एल एन कोष्टी
गुना म प्र 
स्वरचित एवं मौलिक


धनतेरस है सामने,महँगाई की मार।
भूखे पडे गरीब है,करिये भव से पार।।

धनवानों मत फेंकिये,दे देना उपहार।
कुछ पैसे से हो सके,निर्धन का त्योहार।।

चाँदी उसकी है यहाँ,पैसा जिसके पास।
चुटकी बजते हो सदा,सारे मन की आस।।

धनतेरस पे दीजिए,निर्धन को कुछ दान।
सपना देखा रात को,पूर्ण करे अरमान।।

धनतेरस की कामना,सभी रहें खुशहाल।
निर्धन की थाली भरे,चलें एकता चाल।।

नवीन कुमार भट्ट

धनतेरस है आ गई,
खुशियाँ जग में छा गई।
शुभ हो सबका दिन ये,
यह मंगल कामना छा गई।

देखो दीपक सज रहे,
जगमग हैं बाजार।
जिसको जैसा चाहिए,
सबकुछ है तैयार।

प्रभु से इस अवसर पर,
मैं मांग रहा उपहार।
जन जन में खुशहाली छाए,
भर जाएं सब भंडार।

हाथ जोड़ विनती करुं,
मन भरे हर्ष उल्लास।
घर घर लक्ष्मी का वास हो,
निर्धनता क हो नाश।
(अशोक राय वत्स)जयपुर

विधा - कुण्डलियाँ
आदरणीय मंच को निवेदित

धनतेरस त्यौहार है,लाया खुशी अपार।
लक्ष्मी की होगी कृपा, हो जाये उद्धार।।
हो जाये उद्धार,
पुकार सुनो माँ सबकी।
विनती बारम्बार,
करूँ मैं माता अबकी।
आयुर्वेद अवतार,
करो पत्थर को पारस।
खुशियों का त्यौहार,
मनाओं सब धनतेरस।
***********************

आया पर्व प्रकाश का,तम का करो विनाश।
मुश्किल मिले हजार पर,होना नहीं निराश।।
होना नहीं निराश,
मुश्किलें सभी हटाओं।
मिट जाये अज्ञान,
ज्ञान का दीप जलाओं।
दीपों का त्यौहार,
सभी का मन हर्षाया।
मिटें सभी अँधियार,
प्रकाश पर्व है आया।
*********************

करके जगमग रोशनी,करिए तिमिर विनाश।
दूर करो अज्ञानता, करके ज्ञान प्रकाश।।
करके ज्ञान प्रकाश,
बनाओं सबको साक्षर।
मिलें सभी को ज्ञान,
न कोई रहें निरक्षर।
कहे 'राम'कविराय,
खुशी पाओ दुख हरके।
रहिए नहीं निराश,
हँसो नेक कर्म करके।
*********************

स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश

धन्वन्तरि जी आज के दिन प्रकट हुए 
उनकी कृपा से ही हम स्वास्थ्य के निकट हुए 
औषधियों के मर्मज्ञ, आयुर्विज्ञान के सर्वज्ञ
ऐसे लोग ही हो सकते केवल स्थितप्रज्ञ। 

धन के साथ स्वास्थ का मेल होना चाहिए 
पेट के साथ बिल्कुल नहीं खेल होना चाहिए
भोजन अनुरुप हो मौसम के सदा
कम चिकनाई और कम तेल होना चाहिए।

ताटंक छ्न्द

हे धन्वंतरि! विनय सुनो अब, हर ली जे विपदा सारी।
एक एक का कोना चमके, फिर आए मेरी बारी।
जो भूखे हैं कई दिनों से, उनको भोजन दे देना।
जूझ रहे जो बीमारी से, काय निरोग बना देना।

विनय करूँ सद्बुद्धि विधाता, वैभव धनिकों के दाता।
चूल्हा जले गरीबों का भी, रौशन मरघट हो जाता।
यह कैसा आशीष दिया है, पैसा चाँदी को पाता।
कोई मेवा मक्खन खाता, तो सूखी रोटी खाता।

दोहा

पाएं सुख समृद्धि सभी, तेरस धन्य कहाय।
कहना है संक्षेप में, सब पर कृपा सुहाय।।

----- बृजेश पाण्डेय बृजकिशोर 'विभात'
रीवा मध्य प्रदेश


1- धनतेरस
सुख,धन की वर्षा
कुबेर कृपा।

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2-आरोग्य पिता
नित्य आवश्यकता
श्री धन्वंतरि।

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3-धनतेरस
श्री का गृह प्रवेश
मन हर्षित।

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4-हे धन्वंतरि
आयुर्वेद प्रणेता
मंगल कुरु।

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सर्वेश पाण्डेय


धनतेरस की सबको बधाई
घर में हो रही थी पुताई,
सबने मिलकर हाथ बंटाया,
खुश है आज बहुत उत्साही l

मिटटी के दिए मै लेकर आयी,
बिटिया ने की उनकी रंगाई,
रंग बिरंगे सुंदर - सुंदर,
दीपक बन गए हमारे भाई l

एक अरज उत्साही लायी,
सुनों बहनो और मेरे भाई,
मिटटी के ही दीये जलाना,
किसी का घर दमकाना भाई l

जीवन का उद्देश्य बनाओ,
कभी नहीं पठाखे चलाओ,
हवा दूषित हो जाती है,
साँसो को ना दूभर बनाओ l
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
देहरादून
माँ शारदे धन्वंतरि, काली कपाली पद्मजा,
नूतन प्रदीप्त प्रदीपिका ,पद्मा प्रवाली शैलजा,
ज्योति पर्व प्रसाधिता, सामर्थ्य श्री सिंधु सुता,
अमीकुंभ निर्झर धार ,निर्मल संजीवनी नीरजा।

तमसा तिरोहित त्राण ,सृष्टि प्राण प्रिय दीपावली,
कृष्णा विभावरी अश्विनी,विरमित चंद्रिका चंद्रावली,
विजयी प्रकाश पूँज की, प्रेरित पुनित दीपोत्सवी,
मृतिका सुसज्जित दीप गाए,प्रज्वलित बिरूदावली।

धनदा धन्वंतरि धन्वी धात्री धारित धैर्य धारिणी,
सुख,सौभाग्य,संपत्ति,आयु,आरोग्य ऐश्वर्य कारिणी,
सहस्त्र कोटीशःनत शीश वंदन शुचि दैविक दीप को
साक्ष्य साधन सज्ज ज्योति श्रीमंत,दीन तम हरिणी।
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित:-रागिनी नरेंद्र शास्त्री
दाहोद (गुजरात) 


विधा -दोहा
---------------------
-1-
धनतेरस की धूम मे, लगी भीड चहु ओर ।
धन खरचै धन पाय हित, करत फिर रहै शोर ।।
-2-
कोई सोना को घरै, लावै को अकुलाय ।
कोई बरतन के लिये, पैसा रहे लुटाय ।।
-3-
खुश कुबेर होइ जाय तो, दौलत घर आ जाय ।
धन-दौलत से घर भरै, सुख-वैभव छा जाय ।।
-4-
धनतेरस मे धन मिलै, धन खरचै के बाद ।
ऐसा कहते लोग सब, रख अन्धे मन विश्वास ।।
-5-
धनतेरस, दीपावली, खुशियों से मनि जाय ।
खुशी, ज्ञान के दीप जलि, सब जन, मन हरषाय ।।

राकेश तिवारी " राही "

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