संघर्षों को समझना संघर्ष बहुत कुछ कहते हैं ।।
कुछ न कुछ संघर्षों से हरेक का है वाबस्ता
हासिल भी वही करता जो संघर्षों में हंसता ।।
संघर्ष करके ही यह आज मुकाम मिला है
शायर बनकर दुनिया का सलाम मिला है ।।
जब किस्मत में लिखा था बनना शायर
फिर क्या बनते हम यहाँ डा० या लायर ।।
बनने वाले बन गये उनके वह हालात थे
अपने तो बचपन से संघर्षों से मुलाकात थे ।।
क्यों हों खफा सुकून के भी पल मिले हैं
कौन हैं भला दुनिया में जो न दिल जले है ।।
रूलाया है तो हंसाया है वक्त का साया है
संघर्षों में फिजूल ही मानव मन अकुलाया है ।।
संघर्षों से मत घबड़ाना संघर्षों में गुनगुनाना
सम्पूर्ण भी वही करेंगे सीख 'शिवम' न भुलाना ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 22/11/2018
सफलता का मूल मंत्र है मेहनत, लगन और साहस । यदि ये हमसे दूर हैं तो हम जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते।सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जिन्होंने इसे कठिन संघर्षों से प्राप्त किया हो ।आसानी से मिली सफलता ज्यादा देर नही टिकती,क्यों कि उसमें संघर्षों की तपन नही होती। सफलता का स्वाद तो उसे ही मिलता है जिसने संघर्षों का नमक चखा हो ।
हर सफलता का मार्ग कठिनाइयों के पहाड़ अवरुद्ध करते हैं ,कभी सहरा में भटकना पड़ता है, कभी मुसीबतों के जंगल से गुजरना पड़ता है, कभी दुखों के सैलाब आते हैं ।संघर्ष की अग्नि में तप कर सोना बने इंसान के कदम चूमती है सफलता ,और तब वह पहले से भी ज्यादा मजबूत होता है , निखरता है ।
किसी भी समस्या से जूझने, सम्भलने और बाहर निकलने के बाद जो सफलता मिलती है वह सन्तुष्टि और परम् तृप्ति का अनुभव कराती है । जो संघर्ष नही करता ,उसका जीवन मृतक के समान है ।
संघर्ष जीवन की रवानी है
कभी आँखों से बहता पानी है
कभी उत्कर्ष की कहानी है
बिना संघर्ष मृत जिंदगानी है
सरिता गर्ग
संघर्ष जिन्दगी की अप्रितम कहानी
संघर्ष जीवटता कीअनुपम निशानी
संघर्ष ही दुनिया के उत्कर्ष की कहानी
संघर्ष ही इतिहास के कालखंडों की निशानी
संघर्ष ही विजय की सुंदर कहानी
संघर्ष ही उत्थान-पतन की निशानी
संघर्ष ही समुद्र मंथन की कहानी
संघर्ष ही वैज्ञानिक विकास की निशानी
संघर्ष ही मानव विकास की कहानी
संघर्ष ही जीवन्तता की निशानी
मनीष कुमार श्रीवास्तव
संघर्षों से जीवन में
आते निखार हैं
पत्थर में पीसकर ही
मेहंदी के रंग लाल है
संघर्षों से दुनिया में
चमचमाती चमक है
आग में तपकर ही
स्वर्ण बनते कुंदन हैं
संघर्षों से मन में
जागती आशाएं
प्रयासों के बाद ही
कागा की तृष्णा तृप्त हुए
संघर्षों के बाद ही
जठराग्नि शीतल है
चींटियों ने परिश्रम से
जमा किए अन्न के भंडार है
कृषक के श्रम और
संघर्षों के बाद ही
धरती धन धान्य से
परिपूर्ण है
संघर्षों से ही जीवन की मुस्कान है
संघर्ष के बगैर आनंद दुस्वार है
आनंद के बगैर जीना ही बेकार है
स्वरचित पूर्णिमा साह
(1)करे संघर्ष
नहीं रहें मलाल
जीत या हार
(2)लक्ष्य आसान
संघर्ष की बारीकी
पहले जान
(3)संघर्ष देता
अनमोल तोहफा
यादों की पूंजी
(4)बिना संघर्ष
मिलता जो सम्मान
होता बेकार
(5) होता है प्रेम
संघर्ष से कमाया
उन सभी से
(6)नहीं है आता
जीवन अनुभव
बिना संघर्ष
🌹स्वरचित🌹
मुकेश भद्रावले
जिंदगी एक संघर्ष की कहानी हैं
जिसमें कभी खुशियों के फूल खिलते हैं
कभी संघर्ष और दुःख के काँटे भी चुभते हैं
फिर भी जिंदगी हर पल बदलती हैं .
जिंदगी की राह कभी समतल हैं
कभी जिंदगी की राह टेढ़ी-मेढ़ी हैं
मुश्किलों से कभी घबराना नहीं
दुःखों के सैलाब में भी संघर्ष करना ही जिंदगी हैं .
दुःख के तूफानों में हिम्मत का दिया जलाकर रखो
हर कदम हर राह अपना हौसला बनाये रखो
गिरकर कर उठना फिर आगे बढ़ना ही जिंदगी हैं
हर राह एक नये संघर्ष से लड़ना ही जिंदगी हैं .
संघर्ष और हिम्मत से जीवन की राह बदल जाती हैं
तूफ़ान में डूबी नय्या भी पार हो जाती हैं
हौसलों के संग संघर्ष करने से राह के पाषाण भी हट जाते हैं
संघर्ष और हौसलों के संग मनुष्य हर पल एक नई दास्ताँ लिख जाता हैं .
स्वरचित:- रीता बिष्ट
संघर्षों से जो सुख हमें मिलता,
उसकी अनुभूति निपट निराली।
कष्ट कितने भी सह लें लेकिन,
फिर मिले हमें शक्तिखुशहाली।
आती जीवटता अपने जीवन में,
संघर्षों से निपुणता हमें मिलती है।
आत्मशक्ति बढे ग्लानि नहीं होती,
आत्मशांति संघर्षों से मिलती है।
उदास रहने से सुख नहीं मिलता।
जो लड परिस्थितियों से मिलता।
सदपथ चलकर दुखी मन भले हो,
पर संघर्षों से आत्मानुभव मिलता।
जीवनपथ को हम सुगम बनाऐं।
क्यों नहीं कांटे रोडे सभी हटाऐं।
अनुभव करें कित्ता सुख मिलता,
गर मिलकर जीवन सरल बनाऐं।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
संघर्ष-चोका
बढ़ा कदम
गतिशील आदम
भए मानव
संघर्ष से उद्भव
वन-कानन
निर्बन्ध विचरण
क्षुधा-भरण
तन का आवरण
पेट की आग
करुणा-भरी राग
घिसे पाषाण
बन्दर से इन्सान
बसता गाँव
बदलता सुभाव
सतत् संघर्ष
प्रगति औ उत्कर्ष
वंश-रक्षण
संघर्ष ही जीवन
विराम है मरण।
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
संघर्ष है साथी उसका जो, जीवन पथ का राही है,
संघर्ष निखारे मानव को, ये होता बडा़ उत्साही है,
संघर्ष बिना जीवन कैसा,ज्यों बोतल में भरी स्याही है,
जीवन का पन्ना कोरा ही रहा, जब कलम नहीं उठायी है,
संघर्ष बिना जीवन ऐसा, जैसे मानव गुलदस्ता कोई है,
सजावट बस घर की करता, खुशबू से मेल नहीं होता है,
देखो संघर्षों के चलते ही, ये सृष्टि यहाँ तक आ पहुँची है,
इसमें ऋषि मुनि प्रजा राजा, सबने ही भूमिका निभाई है,
वीरों ने जब संघर्ष किया, अपनी सरहदों ने सुरक्षा पाई है
जब नारी ने संघर्ष किया, तब ही चाँद पै वो जा पाई है,
संघर्ष करे पंछी दिन भर, तब पेट की आग बुझ पाई है,
जब जीवन जूझता रहता, तो मान सम्मान को पाता है,
पथ प्रदर्शक बन जाता, दूसरों को भी प्रेरणा दे जाता है |
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
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बन राही धुन का मतवाला तू,
हर हाल में चलते जाना तू।
बाधाएं कितनी ही आएं पथ में,
उनसे न घबराना तू।
पथ में घने अंधेरे छाएंगे,
अपने भी न साथ निभाएंगे।
जब साया भी न तेरा साथ चले,
तब भी आगे बढ़ते जाना तू।
संघर्ष किया न जीवन में
तो मंजिल कैसे पाएगा?
संघर्षों की ही ज्वाला में
तू तपकर कुंदन बन पाएगा।
तू तरूण शक्ति का पुंज अभी,
तू दृढ़ संकल्पी बन गया अगर।
पल में संकट टल जाएंगे,
तेरे जीवट से डरकर-झुककर।
थकना,रूकना ,डरना न कभी,
हर हाल में आगे बढ़ता जा।
संघर्षों के बलबूते पर,
जग में अपना परचम फहरा।
अभिलाषा चौहान
ये जिन्दगी संघर्षो में तपके
अठखेलियों संग पानी सी बह रही,
वो अम्बर सुख दे ना रहा और
ये धरती भी कहीं पसीजी नहीं।
मितवा! नयनों के नीर संग
जीवन के दुर्गम पथ, मुदित चलते रहें ,
सासों का कम्पित दमखम लिये,
उर में पुलकित चाह, खिलते रहें।
क्या हुआ गर इस जीवन में
परिस्थितियां कम से बहुत कमतर है,
तुम भी चलो और मैं भी चलूं,
थाम के हाथों में हाथ, फिर क्या गम है।
तेरे सुर को उच्छवास संगीत मिले,
मेरी कलम को तेरी हंसती प्रीत,
मुक्त प्रवाह प्रेम स्वच्छन्द हो हमारा
फिर ये जीवन उलझन की जीत।
धेर्य मेरा वो किलकित ध्रुवतारा ,
और जीवन सफर है कितना तूफानी,
हर क्षण को स्वीकृत करतें चलें हम,
अब ना हो नियति की मनमानी।
अपने हदय के सत्य को खोजें,आओ,
छोङें मोह-माया रिश्तों के बंधन
दो चार दिन का मेला, रेला ये साथी ,
फिर लम्हों लम्हों का सतसंग।
जीवन का बहुत अस्त्र-शस्त्र हैं
इसके संघर्षों का ढर्रा कभी नही बदला,
चौदह साल राम का भाग्य भी बदला
फिर मेरा भाग्य क्यूं नहीं बदला?
सुख के बाद दुख और दुख के बाद
सुख आता है ये कभी कहीं सुना था,
समय साथ ये कहावतें भी बदलीं,
उम्मीदों पे कब किसका जोर चला था।
जैसे ही नत हुये सोचो वहीं मृत हुये,
ज्यूं वृन्त से झर के सुमन होता हैं,
कर्म-क्षेत्र के यौद्धा हम मितवा, सुनो
हार के डर से, जीवन संघर्ष नही होता ?
-------डा. निशा माथुर/8952874359
पानी के बुलबुलों पर
ख्वाबों को करने पूरा
संघर्ष कठिन है करने
नाकामियों से डर कर
संघर्ष से जो हार मानें
जीवन सफल न होगा
किस्मत भरोसे रह कर
मायूस होकर यूं ही
कभी जिंदगी कटे न
जीने मिला है जीवन
जीवन सफल किए जा
कब तक यह जिंदगी है
इसका न कोई भरोसा
कामयाबी कदम चूमे
संघर्ष तुम ऐसा करलो
कितना कठिन है संघर्ष
देश के वीर जवानों का
हमारी सुरक्षा करने को
तूफानों से हरदम लड़ते
उनसे सबक लेकर
भिड़ जाओ हर मुश्किल से
मुमकिन नहीं सभी को
महलों का सुख मिलें ही
***अनुराधा चौहान***मेरी स्वरचित रचना
जीत निश्चित मिलेगी
गर संघर्ष करते रहेंगे।
बाधाऐं आऐं भले ही,
हम पीछे नहीं हटेंगे।
सदकर्म से नहीं डरें कभी
प्रगतिपथ पर आगे बढेंगे।
हार नहीं होगी हमारी गर,
दृढ संकल्प लेकर चलेंगे।
कंटक बहुत राहों में बिछे हों
या पुष्प अपनी वाहों पले हों
ध्येय पाने पग न पीछे हटाऐं,
संघर्ष अपने कदमों तले हों।
जीत ही उनको मिलेगी
जो हार से डटकर लडेंगे।
विपदा कदम चूमेंगी हमारे
अगर संघर्ष करते चलते।
स्वरचितः ः
इंजीशंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
संघर्ष मय जीवन
बनाता है पावन
सोना निखरता
जब ताप में पिघलता
गुलाब संघर्ष
रहे कंटक संग
खिलता जाये
नहीं घबराये
काँटों के बीच
मुस्काता जाये
मंजिल गुलाब सम
कंटक है राहे
सफलता पाए
कुसुम पंत "उत्साही "
स्वरचित
जूझे लड़े हर पल
वर्तमान जब हाथ है
फिर क्यो छोड़े कल
कर्मवीर मुसीबत सहता
कर्म करे वह् न डरता
भूखा प्यासा स्वयम रहता
वह् विपदा से नहीं घबराता
तन से दिनभर बहे पसीना
बिना काम वह् कभी रहे ना
लहू घूंट बना वह् प्रति पल
भूख प्यास को हरदम सहना
संघर्षों को उसने जीया
अपना और पराया समझा
दिया सभी को लिया कभी न
फिर भी जीवन उलझा उलझा
पीर पराई जो न समझे
उसका भी क्या जीवन जीना
संघर्षी धक्के जो खाये
उसके जीवन का क्या कहना
हरिश्चंद्र राम और पांडव
जिसने भी संघर्ष किया था
भयावह जीवन जीकर भी
फिर अमिय घूंट पिया था।
संघर्षों को जिसने देखा
सचमुच वह् जीवन होता है
संघर्षों से मुँह मोड़ता
वह् तो मुँह के बल रोता है
कडुवी औषध पीने वाले
स्वास्थ्य लाभ का सुख लेते
मीठा ज्यादा खाने वाले
मर्ज मधुमेह हर पल सहते
स्व0 रचित
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
संघर्ष की राह पर चलना है,
तपकर मेहनत की आग में,
लोहे को सोने में ढ़लना है,
गर्म हवाओं से डरे वो,
जो शीतल छाँव में रहता है,
काँटों से जो घबरा जाए,
मधुबन कहाँ उसका महकता है,
पिसकर संघर्ष के पाटों में,
हमें कभी रोना नही,
लक्ष्य रूपी हीरे को,
हार कर कभी खोना नही,
कर भाग्य पर भरोसा,
सब्र हमने करना नही,
संघर्ष से घबराकर अब,
आँखों में पानी लाना नही।
स्वरचित-रेखा रविदत्त
22/11/18
वीरवार
संघर्ष बिना है जीवन बेकार
संघर्ष से ही चले सारा संसार
संघर्ष ही जीवन का मूल आधार
संघर्ष की चक्की चलती
तो मेहनत का आटा पिसता
जो संघर्ष करने से नहीं है डरता
उसका सितारा हमेशा चमकता
संघर्ष करने वाले की कभी होती
नही हार ,गिर जाना गिरकर उठ जाना
यही संघर्ष है यही जीवन का सार
यहीं संघर्ष कराता है मानव का उद्धार
आलसी मानव हमेशा जीवन भर रोता है
जो संघर्ष करता वही हमेशा सफल होता है
संघर्ष ही जीवन का मूल आधार
संघर्ष बिना है जीवन बेकार
स्वरचित हेमा उत्सुक (जोशी)
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