Sunday, November 18

"दान "17नवम्बर 2018

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दान की महिमा अपरंपार
परमार्थ भावना होती साकार
दान सदा हितकारी होता
यह पुण्य भाव बड़ा कल्याणकारी होता
तज़कर स्वार्थ परार्थ भाव अपनाता
पुष्ट हो जाते जीवन मूल्य तब
वह दानवीर जग में कहलाता
सबसे बड़ा विद्या का दान कहलाता
अज्ञानता हरकर चहुँ ओर ज्ञान फैलाता
शिष्य कुंभ गुरु कुंभकार कहलाता
निज हुनर ,स्नेह से शिष्य जीवन बनाता
गुरु कहलाए दिये की बाती के समान
जल जाने में निहित उसका स्वाभिमान
ज्ञान प्रकाश से आलोकित होकर
शिष्य बन जाता ज्ञानवान
गुरु कहलाए पुष्प के समान
उसकी ज्ञान पंखुरियाँ होकर सुरभित
शिष्य जीवन में लाए वसंत बहार
सदाचार की सीख सिखाते
नैतिकता का पाठ पढ़ाते
ऊँच नीच का भेद भुलाकर
समरसता का सदा बोध कराते
करता शिष्य का चहुँमुखी विकास
देश भविष्य का वह भावी कर्णधार
विद्या दान ही महादान कहलाता
एक सभ्य शिक्षित समाज बन जाता
अपनी अस्मिता के बल पर ही
विद्या दान अजर अमर बन जाता

स्वरचित
संतोष कुमारी
नई दिल्ली
अपनी खातिर जीना भी क्या जीना है
मानव को दाता ने बहुत कुछ दीन्हा है ।।

फिर भी मानव रोये यह भूल बड़ी है
शुभ विचारों की जोड़िये कोई कड़ी है ।।

''दान प्रवृत्ति जो भी अपने मन जगाये 
कुछ न कुछ दाता उसे जरूर दिलाये ।।

कितनी कितनी तरह के दान दुनिया में
दान के काम से होता है मान दुनिया में ।।

दाता की दया के द्वार भी खुल जाते 
कोई न कोई धन के मालिक बन जाते ।।

अजमाइये ये बात कभी , है सौ में सच
सबको ही मिल सकता है यहाँ पर यश ।।

एक छोटी सी आदत डालिये दान की 
अपने संग संग समाज के कल्यान की ।।

देखो क्या कुछ है अपने पास देने को
मत फैलाओ हाथ सदा ही लेने को ।।

कर भला होगा भला यह सच ''शिवम"
इसी आस में हम भी देते कुछ ज्ञान मरम ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 17/11/2018
वैसे तो इस जग में हैं बहुत तरह के दान
दान की महिमा बड़ी है, है हर दान महान।
दान अन्न का वस्त्र का और है धन का दान
भूमि दान, गऊ दान है, है शिक्षा का दान।
दान वही करते यहां जिन्हें दान का ज्ञान
लेकिन इन सब दान में कन्यादान महान।
हर कन्या के पिता का होता है अरमान
वो भी अपनी बेटी का कर सके कन्यादान।
मिलता कन्यादान से सहस्त्र यज्ञों का फल
है मनुष्य कर्तव्य ये होता जन्म सफल।
याचक बेटे के पिता सा न जगत में कोई
दानी बेटी के पिता नहीं सरीखा कोई।
धन, अन्न, श्रम के दान का कुछ न कुछ है मोल
लेकिन कन्यादान का मोल बड़ा अनमोल।
"पिनाकी"

दान, धर्म और ईमान, मानव की हैं ये पहचान 
जब जागे भाव कल्याण, हो पाता तब ही दान। 

तरह तरह के दान बने, अलग अलग है इनका मान
कहीं दान अभिमान बने, तो करता कोई है गुप्तदान |

रक्त दान दे जीवन दान, इससे बड़ा नहीं कोई दान 
सहकर कष्ट दिया जब दान, भाव यही है बड़ा महान |

परहित कारी अंग दान, जन जन का इसमें कल्याण 
सहयोग भावना का ज्ञान, करता दूर मन का अज्ञान |

बनी रीत जब कन्या दान,तब हो गयी कन्या सामान
रह हृदय वेदना से अनजान, होता रहता है ये दान |

पीर परायी को पहचान, जग में जो करता है दान 
आशीष मिलें हो कल्याण, मिले उसे सच्चा सम्मान |

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,



दानपुण्य का महत्व बहुत है

दानवीर कहलाये कर्ण।
भारत ऋषिमुनियों की धरती,
दधीचि ऋषि मणि स्वर्ण।

हड्डी दान करने के लिए
सोंपा अपना सभी शरीर।
असुरों को मरवाया ऋषि ने
ऐसे हुऐ अनेकों बलवीर।

दान बहुत तरह के होते हम
जैसा जी चाहें कर सकते हैं।
अन्नदान वस्त्राभूषण दान,
देहदान स्वर्णदान कर सकते हैं।

विद्या दान करें तो अति उत्तम
दानपुण्य कभी व्यर्थ नहीं जाता।
दानपात्र को ही दान करें हम,
किया दान हमें आत्मसुख दाता।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.



शृंगार छंद 

एक हाथ से करो दान तुम,
सौ हाथों से लौटाए गा ।
दान करो निस्वार्थ भाव से,
वरना सौदा बन जाए गा ।

अन्न दान ,करो दान औषधि ,
ज्ञान दान यश दिलवाए गा ।
जल का दान महान दान है,
अंग दान यश दिलवाए गा ।
देने में मन आनंद पाता ,
मन उदारता भाव जगाता ।
प्रेम दया का भाव दिखाता ,
स्वार्थ कहीं गहरे छिप जाता ।
समझ दान की महिमा आती ,
बुरा समय जब है टल जाता ।
यथाशक्ति बेटी भगिनी को ,
दान कीर्ति अनन्य दिलवाता ।
आधुनिकता की अंधी दौड़ में ,
भूल गए हैं महिमा दान की ।
सम्बन्धों की गरिमा भूले ,
बातें भूले उनके सम्मान की ।
मोह का क्षय दान से होता ,
मन ऊपर क़ाबू जब होता ।
जो बच्चों से दान कराते ,
उच्च संस्कार उन्हें दिलाते ।
दायाँ हाथ किसी को दे कुछ ,
बायाँ ख़बर नहीं पाए गा ।
गुप्त दान की महिमा अद्भुत ,
श्रेष्ठ दान यह कहलाए गा ।

रचयित्री :-ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )



वह कली जो मेरे आंगन खिली,
नाजों से पली बाबुल की लाडली।

महकता था आंगन जिसके हंसने से,
खुशियां थी खिलखिलाती जिसके होने से।

बन आंखों का तारा चमकती थी वो,
दिल में हमारे धडकती थी वो।

वक्त हाथों से फिसला, फिसलता गया,
परंपरा निभाने का समय आ गया।

छोड बाबुल का घर अब उसे जाना था,
मां-पिता को कहां अब चैन आना था।

कैसे सौंपे किसी को हृदय की कनी,
सोचने से कभी बात कहां है बनी।

बेटी की विदाई की रीत कैसे बनी,
क्यों पराई हुई मां-पिता की जनी।

दान करना है उचित मैंने माना भला,
#कन्यादान उचित कैसे मानूं भला।

दान दे दी जब अपनी प्रिय लाडली,
सूना हुआ घर आंगन दिल की गली।

अपनी बेटी पर अपना हक न रहा,
सोचकर ये दिल तड़पता रहा।

बेटियां सदा रस की खान है,
इन पर निछावर दिलो जान है।

बेटियों को दिल से लगाकर रखो,
बेटियों को कभी कोई दुख न हो।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित



--------------------
-1-
वैसे तो जग मे बहुत, देखे दान अनेक ।
पर कन्या के दान का, दिखा शिला पे लेख ।।

-2-
अन्न दान से तृप्त हो, सुखी आत्मा होय ।
जन के मन मे सुख दिखे, ईश्वर को सुख होय ।।

-3-
दान किये धन न घटे, कहिगे दास कबीर ।
बिना दान धन न फलै, सोचै सभी अमीर ।।

-4-
दान, धरम करते रहो, जीवन सफल बनाव ।
मुक्ती का ये पथ दिखे, मत मन को भटकाँव ।।

राकेश तिवारी " राही " स्वरचित





चली जा रही हूँ
उजाला मैं करने
मुरझाई मुस्कानों में
प्रेम दान करने।
तरसती जो आँखें
प्रिय प्रेम पाने को
न्यौछावर करूँगी
प्रेम दीप सारे।
प्रेम दान देकर
निश्छल है मन
उतारूंगी नजरें
खिली मुस्कानों पर।
अकेले नही तुम
साथ मैं हूँ तेरे
घनघोर नभ सा
प्रेम दान भीतर मेरे।
माना है मैंने
बिन प्रेम जीवन अधूरा
श्वांसों को रोके
ज्यों जीवन का ठेला।

वीणा शर्मा वशिष्ठ



दान भी एक महान कर्म है
यह सबसे बड़ा मानवीय धर्म है
दान का क्षेत्र है बहुत बड़ा
दानवीर युगों तक रहता खड़ा। 

आज भी कर्ण को दानवीर कह याद करते
दानवीरों के लिए खुले मन संवाद करते
विधादान भी तो एक अनोखा दान है
गुरु की तो अलग विशेष ही पहचान है। 

आज के विज्ञान ने इसे अलंकृत कर दिया
दान की आॅखें लगा जीवन भी झंकृत कर दिया
अंग दान रक्त दान करने वाले महान हैं 
देव ह्दय रखने वाले ये पूजनीय इन्सान हैं। 

धन दान सम्पत्ति दान करते उनको तो सदा नमन
विकास का पहिया चला धरा को ये करते चमन
गायों के लिए पशुओं के लिए दान भी ज़रुरी है
इनके आगे तो पग पग पर ही अज़ब मज़बूरी है।



==============
दीजै दान सुपात्र को , पुण्य बहुत ही होय |
''माधव' खुद दोषी बनो ,याचक पात्र न होय ||

नकद दान ''माधव'' बचो , दीजै वस्तु तमाम |
याची खुद उपयोग कर , आशिष देय इनाम ||

भूखे को भोजन करा , प्यासे को जलधार |
निर आश्रित की मदद कर,यह दानी व्यापार ||

तन मन धन सेवा करो , करो मदद इंसान |
''माधव'' सच्चा दान यह, प्रथम पात्र पहिचान ||

याची पर तू नजर रख , करो दान भरपूर |
''माधव'' खुद सन्तुष्ट हो , रह गफलत से दूर ||



हाइकु
1
नेत्र का दान
सुखद अनुभूति
तम से ज्योति
2
दूध का कर्ज
कर स्वयं का दान
मातृ चरण
3
कर्म का दान
गिलहरी की भक्ति
सेतु निर्माण
4
माता महान
पुत्र को दिया दान
आत्म अभिमान
5
कर्म की शिक्षा
रोजगार का दान
स्व निर्भरता
6
स्वयं का दान
है आत्म समर्पण
प्रभु चरण

स्वरचित पूर्णिमा साह पश्चिम बंगाल




दान देने से हदय मे सुकून मिलता है
दान देने से पाप मुक्त ये जीवन होता है

दान ही है जो हृदय को चैन देता है
दान ही है जो ईश्वर से मिलाता है

दान की महिमा है न्यारी
इसको जाने दुनिया सारी

अन्नदान ,वस्त्र दान ,विद्यादान अभयदान ,धनदान, अंगदान

जो करें इनका दान 
वहीं कहलाता बहुत महान

विपरीत परिस्थिति में भी
जो मानव करें दान वही तो है महान 

सृष्टि करती उसका नित गुणगान
हमें मिले जो दानी महान उनके है ये नाम

बलिराज बलि ने दिया वामन
रूप धरे विष्णु को दान

धनुर्धर चौदह साल के बालक 
बर्बरीक ने क्या शीश दान 

जिन्हें मिला वरदान 
खाटू श्याम का नाम

सूर्यपुत्र कर्ण ऐसे थे महान
कुंडल कवच कर दिये उन्होंने दान

राजा हरिश्चंद्र ने क्या पत्नी पुत्र का दान
महर्षि दधीचि, एकलव्य, भामाशाह,राजा शिबी

यही कहलाये महादानी इनकी तो यही है कहानी
हर मानव को याद है इनकी कथा जुबानी
स्वरचित, हेमा उत्सुक (जोशी)




दान!!!
कृत्य महान,
जरूरतमन्द के लिए वरदान।
दान!!!
उच्च विचार,
परोपकारी व्यवहार।
दान!!!
कुछ अच्छा करने का स्व सुख,
दे आनन्द हरता दुख।
दान!!!
कर्तव्य जान,
दे ध्यान।
दान!!!
कृपणता पर चोट,
क्षय हो मन का खोट।
दान!!!
मानवीय संवेदना का प्रतीक
दान कर!!!
जरूरतमन्दों का दुख हर!!!
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स्वरचित:शैलेन्द्र दुबे
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