Saturday, November 10

"भाई -दूज "09नवम्बर 2018




भाई दूज का आया त्यौहार, 
भाई-बहन का अटूट है प्यार, 
रोली, गोले से थाल सजाकर, 
बहन कर रही भाई का इंतजार |

आज धूमधाम से पर्व मनायेंगें, 
खुशियों के दीप जलायेंगे, 
भाई के बहन रोली से तिलक करेंगी, 
सलामती की दुआ रब से करेंगी |

भाई-बहन का प्यार अमर है, 
उनका तो संसार गजब है, 
स्नेह का अटूट है ये बंधन, 
जात-पात का न कोई बंधन |

भाई दूज का आता रहे त्यौहार,
प्यार की मिलती रहे सदा सौगात,
सबके भाइयों की हो लम्बी उम्र,
बहनों को मिले प्यार, आशीर्वाद |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*


भाई बहन का पावन प्यार ।
बहनों का पुनीत त्यौहार ।।
फिर से रिस्तो की डोर को जगाने के लिये ।
आया भाईदूज प्रेम से मनाने के लिये ।
-1-
लडते है तकरार करे ।
रूठे फिर भी प्यार करे ।।
एक दूजे को भाव समझाने के लिये ।
आया भाईदूज प्रेम से मनाने के लिये ।।
-2-
हर बहनों को भाई प्यारा ।
होता चन्दा से भी न्यारा ।।
उसके मस्तक को तिलक से सजाने के लिये ।
आया भाईदूज प्रेम से मनाने के लिये ।।
-3-
इन रिस्तो की अमर कहानी ।
हर युग मे भी रही सुहानी ।।
एक डाली के पुष्प फिर मुस्काने के लिये ।
आया भाईदूज प्रेम से मनाने के लिये ।।

राकेश तिवारी "राही "
-----------------------------


शीर्षक- भाईदूज
रचना क्रमांक-०१
विधा - छंद(कुण्डलियां)
आदरणीय मंच को निवेदित

बहनें हर्षित हो रहीं, आया भाईदूज।
माँग रहीं रब से दुआ, भाई हो महफ़ूज।
भाई हो महफ़ूज, हमेशा उन्नति पाएं।
खुशियाँ मिले अपार,दु:ख पास नहीं आएं।
भाईयों से आज, मिलेंगे हमको गहनें।
मन में भर उल्लास,खुशी मना रही बहनें।
********************************

रक्षा करना भ्रात की, जग के पालनहार।
देखों भाईदूज‌ पर, बहने करें पुकार।
बहने करें पुकार,बला भाई की हर लो।
विनती बारम्बार, खुशी से झोली भर दो।
भाईदूज पर आज,सभी बहनें लो दीक्षा।
जैसे हों हालात, करें भाई की रक्षा।
*******************************

स्वरचित
रामप्रसाद मीना'लिल्हारे'
चिखला बालाघाट मध्य प्रदेश



रचना क्रमांक -०२
विधा - मुक्तक
आदरणीय मंच को निवेदित

साथ रहें भाई-बहिन,आया भाईदूज।
दुनियाँ में हरपल रहें,भ्रात-बहिन महफ़ूज।
भ्रात-बहिन के प्यार का, यहाँ नहीं है मोल-
भ्रात-बहिन का नित यहाँ,रिश्ता रहें अरूज। (अरूज- स्वस्थ)

स्वरचित


टीका बड़ा प्यारा है
बहना ने ये सँवारा है ।।
मेरी बहना कहती मेरा
भैया राजदुलारा है ।।

माँ ने कम बहन ने पाला
आँखों में काजल डाला ।।
उंगली पकड़ ले जाती थी
वो मुझको पाठशाला ।।

कैसे भूलूँ मैं वो प्यार 
बहना का लाढ़ दुलार ।।
''शिवम्" खुशी रहे मेरी बहना
फूले फले उसका घर द्वार ।।

भाई बहन का नाता प्यारा
सबसे सुन्दर सबसे न्यारा ।।
सदा सलामत रहे ये रिश्ता
रिश्तों से जग में उजियारा ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"


द्वितीय प्रस्तुति

चंदा सा उजियारा है
मेरा भैया प्यारा है ।।
आस जुड़ी मयके की
कोई तो हमारा है ।।

सबको भैया देना दाता
ससुराल में शान बनाता ।।
मात पिता न आजीवन हैं
भैया सदा साथ निभाता ।।

भावों की ये बहती धार 
रोती बहन वो अश्रु डार ।।
जिसके भाई नही होता
उन्हे रूलाते ये त्यौहार ।।

हो नजदीक या हो दूर 
मगर भाई हो एक जरूर ।।
''शिवम्" अर्ज यही बहन की
भाई से हर खुशी पुरनूर ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्




भैया दूज

बांधे स्नेह बहन भाई को
कोई स्वार्थ नहीं है मन में।
शायद ही कोई रिश्ता हो
हमारे इस स्वार्थी जग में।।

भैया दूज पर उमड़ पड़ा
भाई बहन का प्यार देखो।
लड़ना, झगड़ना बना रहे
भाई बहन का संसार देखो।।

लंबी उम्र की दुया करती है
बहन 'भैया दूज' का व्रत कर।
बदले में भाई भी बहन को 
सम्मान देता है उपहार देकर।।

यम को यमुना ने स्नेह बांधा
करवाया था, भरपेट भोज।
स्नान कर यमुना नदी में 
हुए पाप से मुक्त पापी लोग।।

एक मान्यता ये भी है जब जो
बहन के हाथ का भोज खाए।
वह भाई खुश नसीब है और
धन धान्य से परिपूर्ण हो जाए।।

स्वरचित
सुखचैन मेहरा



प्रस्तुति: दूसरी

देखो 'भैया दूज' का त्यौहार
लेकर आया है असीम प्यार।
भाई का जीवन सुखमय हो,
बहनों की बस यही है चाह।।

यूं तो खुश हैं परेशान करके
नहीं देख सकते परेशानी में।
हा ये रिश्ता है ही कुछ ऐसा 
द्वंदता बनी रहती है कहानी में।

जब दोनों संग होते है तो 
एक बार जरूर झगड़ते है।
कोई बात मनवानी हो तो
मिनतें, पैर तक पकड़ते है।।

उमंग से भरा आज का दिन
भाई की लंबी उम्र की चाहत।
जब नसीब में न हो बहन,तब
भावनाएं भी होती है आहत।।

स्वरचित 
सुखचैन मेहरा # 9460914014



प्रस्तुति: तीसरी

भैया दूज

एक नन्हा बालक 
हठ कर बैठा।
भैया दूज की 
कहानी सुनकर।
माँ दीदी के हाथ का
खाना खाऊंगा।
खाना खा कर 
धनवान बन जाऊंगा।
माँ कहां से लाती
उसकी बहन को,
बहन है ही नहीं थी
कैसे शांत करती
उसकी तृष्णा गहन को।
बालक हठ से कौन..
जीत पाया भला।
लिया है एक 
लड़की को बुला।
बोला ये बहन नहीं
ये तो है रुबा।(लड़की का नाम)
फिर माँ ने एक ऒर 
जुगत लडाई।
कपड़े की एक 
गुड़िया बनाई ।
उसके हाथ से है
खीर बनवाई।
हां अब जाकर
तृष्णा शांत हो पाई।
वो बालक कोई ऒर नहीं 
मैं खुद 'सुखचैन' था भाई..


भाईबहन के प्रेम का,

भैया दूज त्योहार।
यह ईश वरदान हमें,
अनुपम यह उपहार।

रक्षाबंधन दीपावली
होली पर भैया दूज।
बिशेष रूप से मनाऐं,
ये सुखी पर्व भाईदूज।

तिलक करें बहना भाई
रोली अक्षत चंदन से।
दें आशीष भाई बहना,
एक दूजे को वंदन से।

रहें यशस्वी भाईबहन 
प्रेम प्रगाढ़ बढता रहे।
जीवन सदा सुखद और,
स्नेह सौहार्द बढता रहे।

करें प्रार्थना ईश्वर से हम
भाईबहन खुशहाल रहें।
रिश्ता ये अजर अमर हो,
सदैव सुखी हरहाल रहें।


(2)

बहन भाई अप्रतिम त्योहार।

भाई बहना करें लाड दुलार।
रूठ जाऐं आपस ही ये दोनों,
करते रहते आपस में मनुहार।

लडते रोज झगडते आपस में।
बहुत लडाई करते बचपन में ।
चैन नहीं मिलता है इनको देखें
चिढाऐं अभी ये आयु पचपन में।

बहना रक्षा वचन मांगती तुमसे।
हर बहना की हमें रक्षा करना है।
हर नारी अपनी किसी की बहना,
कन्या हर बहना की रक्षा करना है।

स्वरचितः ः

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.




भाईदूज को तुमआना भैया

बाट जोहती तुम्हारी बहना।
बस मुझे चाहिए तेरा प्यार,
नहीं चाहती मैं कोई गहना।

यमुना ने यम से वर मांगा।
नहीं कोई गुस्सा करके मांगा।
मेरे घाट बहनभाई संग आऐं
नर्क कभी नहीं उन्हें ले जाना।

भैया हमेशा खुश तुम रहना।
भूल कभी बहना नहीं जाना।
जब भी जहाँ जरूरी हो भैया,
बुलाऊँ पास दौडकर तुम आना।

मातपिता नहीं जब अपने भैया।
अब तुम्हीं हो सबकुछ मेरे भैया।
मै आशीष तुम्हारा साथ चाहती
भाईदूज पर निश्चित आना भैया।


विधाःःः तांका ः
1)

हे भाईदूज
मातपिता आशीष
भाईबहना
यमुना यमराज
वरदान दुलार
2)
तू ईशाशीष
पधारे भाईदूज
जीवनोदय
रक्षक वरदान
भगवान महान
3)
जीवनडोर
मायका भाईदूज
ससुराल में
रक्षाबंधन हमें
क्यों सद्व्यवहार


रिश्तों का महापर्व भाईदूज
स्नेह बंध को बहन रही पूज ।
रिश्तों से भरी सीप पूछ रही
भूल रहें क्यों रिश्ते सबकुछ ।।

कन्या भार नही,न लो परीक्षा
वचन देकर करना तुम रक्षा ।
मेरे भ्रूण हत्यारे को देना ऐसी
सजा करें सारा जग ले शिक्षा ।।

बहना का प्यार बडा निराला
मर्यादाओं को युगों से पाला ।
परिवार की आन-बान-शान
बहन ने संकट हंसके संभाला ।।

पूछों उससे जिसने बहन को खोया
भाईदूज, रक्षाबंधन पर वह खूब रोया ।
बेटियों को खिलौना मत समझों
रक्षा करों बन बलि,हनुमान, कन्हैया ।।

 गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
9981467300
©स्वरचित® 07-11-18




बहन भाई को टीका लगाकर
पवित्र रिश्ते की उम्र बढाती हैं ।
भाईदूज पर्व का आएं रोजाना 
यह सुभाव दिल से सजाती हैं ।।

मेरा भैया जियें हजारों साल
ऐसा आशीष भरा गीत गाती हैं ।
लग न जाएं किसी की नजर
सलामती की दुआं करती हैं ।।

बडे प्यार से भाई-भोजाई को
वह अपने घर जब बुलाती हैं ।
उमंग के साथ बनाकर रंगोली
बडे हीं चाव से खाना बनाती हैं ।।

बहन बडी हो या छोटी वह तो
भाई को पाकर खुश हो जाती हैं ।
करती भाई की तिलक आरती
देकर श्रीफल वह मुस्काती हैं ।।

हर घर - आंगन की फुलवारी 
भाई-बहन जैसे दीया-बाती हैं ।
पवित्रता का ये अनंत प्रकाश 
तभी तो बहन दीया जलाती हैं ।।

 गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
©स्वरचित®07-11-18

भाई दूज

दीर्घ बरस पश्चात यमदेव पधारे
यमुना अति मुदित देख सगा दुआरे
रोली अक्षत से सज्जित कर थाल
चन्दन सुशोभित किए दिव्य भाल
अटूट आस्था,असीम नेह और प्यार
भाई दूज का अतुल भावमय त्योहार
हर्षित भगिनि के मन अनन्य कामना
दीर्घायु हो भाई,सुगम पथ का सामना


दूसरी प्रस्तुति
विधा-हाइकु

भाई दूज
1
है भाई दूज
मुदित है यमुना
पधारे यम
2
शुभकामना
भाई दूज के दिन
दीर्घायु भाई
3
अतुल प्यार
भाई का जयकार
भईया दूज

-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित



इस भैया दूज पर
सुनो भैया मेरे !
बहुत अजीब होता है...
लड़कियों का मायके से
ससुराल चले जाना ......

अपने हाथों में ...
धान, दूब, हल्दी वाले ....
सपनो की पोटली पकड़े 
नैहर की ड्योढ़ी लाँघ जाना .....

पाँच बार अँजुरी में भरकर धान ...
लो भइया ! भर दिया तुम्हारा खलिहान 
अजनबियों में बनाने चली हूँ पहचान 
आसान नहीं है खुद को पराया कर जाना .....

ठीक ऐसे हीं चलकर आएगी एक दिन ...
किसी बाबुल के बगीचे की फूल... 
महसूस करना तुम्हारे घर-आँगन का 
खुशबू से महमहाना .....

जब आएगी भाभी ...
बाबुल से लेकर विदाई
तुम समझना मत उसको पराई
मेरे वीर ! आज तुम यह वचन दुहराना ...

तुम मत करना यह भूल...
स्त्री को न समझना पाँव की धूल
कि बहुत बुरा होता है.....
बाबुल के आँगन की पाजेब का 
बेड़ियों में बदला जाना ....

स्वरचित "पथिक रचना"नैनीताल


प्रस्तुति1)
आया है आज भाईदूज का त्योहार
बहन का भाई पर बरस रहा है प्यार
बहन भाई का असीम प्यार का
साक्षी है हमारा यह त्योहार

भाई हो पास या बसा हो दूर बिदेस
दूरियां मायने रखती नही
भाई बहन के मध्य स्नेह बंधन से जुड़ा रहे भाई बहन का प्यार।

बहन तिलक लगाकर भाई को
करती यमराज से सुरक्षा की ब्यवस्था
बरसाती स्नेह, असीम आंनद भर
भाई को उर लगाती।

जिओ भैया तूम लख लख बरस
भाभी रहे सदा सुहागन
आज एक बहना माँग रही
अपने भाई की रक्षा का वरदान
आया है भाईदूज का त्योहार।
स्वरचित-आरती श्रीवास्तव ।

(2)

भैया देखो आया है आज
भाईदूज का त्योहार

तिलक माथे पर लगा दू तुझे
दे दू अमर होने का आशीर्वाद

युग युग जिओ भैया मोरे
बहना माँग रही है यही वरदान
बचपन बिता साथ साथ
आये न कोई अंह हमदोनों
के मध्य आज

नही चाहिए भैया तेरा
धन दौलत व राज पाट
बस मुझे दे देना भैया
मेरे हिस्से का थोड़ा प्यार

भाभी को तुम खुश रखना
तुम दोनों की खुशी संसार देख
बहना खुश होगी अपने आप
माँ बाप तो नही दे पाते

जीवन भर का साथ
आज एक वचन दो भैया
रखना तुम अपनी बहना का मान
आज आया भाईदूज का त्योहार।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।



भाई दूज का दिन बहनों को, बड़ा सुहाना लगता है, 
सबसे बड़ा अनमोल रत्न उन्हें, भाई अपना लगता है, 
चिरंजीवी हो भाई हमारा, सपना यही तो रहता है, 
स्नेह डोर से बंधा ये रिश्ता, मजबूत बहुत ही रहता है, 
भाई सम नहीं कोई दूजा, एहसास भाई दूज कराता है, 
रोलीतिलक और अक्षत से, भाई अभिषेक कराता है, 
फल मेवा मिष्ठान्न नारियल, कितनी भेंट प्रेम की पाता है, 
भाई बहन के पावन रिश्ते को, सहज सरस कर जाता है, 
अमर रहे ये रिश्ता जग में,हमको यही संदेशा दे जाता है, 
स्नेह प्रेम त्याग की धरती पर, रिश्ता ये फलने पाता है, 
चाहें बहन परायी हो जाये, पर नाता सदा ही रहता है, 
सुख दुख की छांव में पलकर, अमर सदा ये रहता है |

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश, 9,11,2018,



कितनी सुन्दर हमारी है संस्कृति 
उजागर करती सदा हमारी स्मृति 
सम्बन्ध सदा ही जीवन्त रहें
प्रेम खिले एक दूजे के प्रति। 

घर की बगिया में बहन की महक
कोयल की हो जैसे मोहक चहक
भैय्या दूज में निखर निखर जाये
खुशी में सब ओर बिखर बिखर जाये। 

बहन जिसमें अंश है माता का
जिसको सदा ध्यान है भ्राता का
भाई की खुशी के लिए जो
ध्यान करती विधाता का। 

भाई जो बहन को प्यार करता
अन्तर्मन से उसे दुलार करता
वही तो पहली अभिन्न होती
जिसकी बात स्वीकार करता। 

भाई बहन का यही असीम प्यार 
भैय्या दूज का है अनुपम त्योहार 
इसमें दिखता है प्रेम कैसे
एक दूसरे पर होता निस्सार। 

स्वरचित 
सुमित्रा नन्दन पन्त 
जयपुर



भैया दूज आई भैया
अब तो आ जा मेरे राजा
कब से तेरी राह निहारूं
आई मिलन की बेला आजा

राखी के बाद अब दिन आया
तेरी मेरी प्रीत मिलन का
आ जा अब बहुत याद आ रही
पूरा कर ख्वाब मन का

भले न लाना उपहार कोई
मुझे बस दर्शन की आस तेरी
करना फिर वादा रक्षा का
इतनी सी है आस मेरी

लगवा जा तिलक विजय का
हर राह तेरी आसान हो
हर सफलता तेरे कदम चूमे
चाहे जैसे अरमान हो

माँ से थोड़ी सीख ले आना
पापा का प्यार भी ले आना
खोई रहती हूँ यादों में सबकी
बहुत मुश्किल है भूल पाना

अब तो जल्दी से आओ भैया
बांट जोहती वो नन्ही चिरैया

स्वरचित मुकेश राठौड़


🍁
दीपावली के दूजे दिन,
होता है दिन खास ।
यम द्वितीया या भाई दूज है
भाई बहन का प्यार॥
🍁
सर्वकामना पूर्ति का,
अदभुद यह त्योहार ।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष,
यम द्वितीया का त्योहार ॥
🍁
यमुना ने यमराज का,
किया था जो सत्कार।
पाप मुक्त हो हर बंधन से,
प्रेम का इसमे सार॥
🍁
यह दिन भ्राता अरू भगनी के,
स्नेह दिवस के नाम।
भावों के मोती की बहनो,
सबको मेरा प्रणाम ॥
🍁
आज के दिन ही चित्रगुप्त की,
जयन्ति है श्रीमान ।
धर्मराज का लेखा-जोखा,
करते है भगवान ॥
🍁
आज का दिन है खास बडा ही,
उत्सव घर- परिवार ।
कायस्थो संग सब बँन्धू को,
शेर हृदय में प्यार॥
🍁
स्वरचित ... Sher Singh Sarraf


विषय - भाईदूज
1)
भाई-बहन का अनुपम बंधन,
भाई-दूज हो या रक्षाबंधन।
बिन भाई बहना का जीवन,
जैसे बिन वर्षा बीते सावन।
पिछले वर्ष भाई-दूज अनोखा,
नियति ने फिर कर दिया धोखा।
सूने नयन अब सूना जीवन,
आंखों से नित बरसे सावन।
कितना याद तुम आते हो,
पल-पल हमको तड़पाते हो।
दुआ यही है मेरी रब से,
करूं प्रार्थना मैं ये कबसे।
भाई-बहन का कभी साथ न छूटे,
भाग्य किसी का कभी न रूठे।
सब बहनों के भाई अमर हों,
खुशियों से त्योहार सजें हो।
बना रहे अनमोल ये रिश्ता,
भाई-बहन का पावन रिश्ता।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित
2)
सबसे अनुपम सबसे प्यारा
भाई-बहन का रिश्ता न्यारा
जन्म के साथ ही मिल जाता है
अटूट बंधन बंध जाता है
भाई-दूज पावन त्योहार, 
बहन-भाई का बढ़ता प्यार।
तिलक करे और आरती उतारे,
भाव-हृदय के समर्पित सारे।
जुग-जुग जिए मेरा प्यारा भाई,
बहना बस ये मनौती मनाई।
बस ये इक रिश्ता है ऐसा,
पुष्प के साथ सुगंध के जैसा।
यम-यमी के कथा प्रसंग से,
भाई-दूज मनता है तबसे।
रहे भाई-बहन की जोड़ी अमर,
उनके प्यार को किसी की
न लगे नजर।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित


भाई दूज प्रेम का अमित त्योहार है। 
बचपन की यादों में पिरोया प्यार है। 
दीपावली के बाद ये अनोखा हर्ष है।

स्नेह का उत्साह है ये कैसा कर्ष हैं । 
उत्सव नहीं है ये उत्सवों का हार है। 
भाई दूज प्रेम का अमित त्योहार है। 
बचपन की यादों में पिरोया प्यार है। 
यम और यमुना भाई बहन प्रतीक।
ऐसे बनें है जैसे है ज्योति और दीप।
पावन प्रेम के भावों का सत्कार है। 
भाई दूज प्रेम का अमित त्योहार है। 
बचपन की यादों में पिरोया प्यार है। 

विपिन सोहल


मन मंदिर नेह की दीप द्युति ,
अक्षत-रोली, बंधु ललाट युति, 
प्रिय भ्रातृ तिलक स्वीकार करें, 
भगिनी अर्पित वारित ज्योति,

अंतस की उर्मीयों का यौवन,
कच्चे धागे से बाँधा बचपन, 
कंकु की लाली सा खिलता भाई, 
भाई दूज को अनिमेष तपती एक बहन। 

स्नेह श्रुति अविरल कृति अवनि के आँचल में, 
भाई बहन शैशवी किल्लोल ममता के आँगन में ,
बहना करे प्रतिपल विनंती ईश चरणों में ,
भावज अटल अहीवात निखरे नियति के आंकल में,,,, 
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
रागिनी नरेंद्र शास्त्री 
दाहोद(गुजरात)



देखो सब आई है भाई दूज
भाई बहन के प्यार का प्रतीक है यह
बहना के हर्ष का प्रतीक है यह
हर भाई को रहता है इन्तजार
बहना लाती है प्यार अपार
माथे पर तिलक लगाती है
आरती भी वह कृती है
भाई की लम्बी आयु कामना
हर बहना ईश्वर से करती है
बदले में केवल प्यार पाकर
मन ही मन इठलाती है 
भाई की खुशियों के खातिर
हर बाधा से लड़ जाती है वह
ऐसा पावन पर्व है यह
बहनों का तो गर्व है यह
(अशोक राय वत्स)
स्वरचित


सूर्य देव की पत्नी के थे दो बच्चे
वो तो थे बड़े ही अच्छे 
यम और यमुना नाम था उनका 
प्रेम था दोनो भाई बहन मे सच्चा
यमुना अपने घर भ्राता को बुलाती 
लेकिन वो कभी नही आ पाता 
व्यस्त होने की कहानी वो बार बार दोहराता
एक दिन समय ऐसा आया 
यमुना ने यम को वचनबद्ध कराया
अपनी बहन के यहां आपको आना होगा
मेरे दुख और कष्टों को तुम्हें साथ ले जाना होगा यम पहुँचे यमुना के घर पर,
खुशी भर यमुना की आँरवो ने 
तब अश्रुधार बहायी
आओ भ्राता स्वागत गीत में गाऊँ
पूजा की थाली तुम्हारे लिये सजाऊँ ,भाई के
रोली टीका अक्षत गोले से तुम्हें मनाऊँ
अब भैया एक वर मैं तुमसे माँगू
प्रतिवर्ष बहना के घर तुम्हें आना होगा
प्रसन्न हुए यमदेव जी बहना को वर दे डाला
इस दिन यमुना में जो स्नान करेगा
या किसी गंगा नदी स्नान करेगा उसको कोई रोग ना सतायेगा, 

इस दिन भाई बहन के सारे दुख कष्टों को ले जायेगा इसी का नाम भैया दूज कहलायेगा ,
स्वरचित हेमा उत्सुक


प्रस्तुति 1
वर्ण पिरामिड 
है 
दूज 
त्यौहार 
समर्पित 
भाई बहन 
अटूट बंधन 
निभाते मिलकर 
2
ये 
पर्व 
अनोखा 
प्यारा रिश्ता 
जैसे फरिश्ता 
भ्रात खिलाता 
बहन ताके रास्ता 
कुसुम पंत उत्साही 
स्वरचित 
देहरादून


प्रस्तुति 2
कितना अनोखा कितना प्यारा, 
रिश्ता भाई बहन का न्यारा l
ये रिश्ता है बड़ा अनमोल, 
तोल सके न ये जग सारा l

दूज को आता ये त्यौहार, 
मिलने आये भाई हर बार, 
जीवन की ख़ुशी मिल जाती, 
बने वो जब गले का हार ll

नहीं चाहिये स्वर्ण आभूषण, 
उसको चाहिए वो प्यारा क्षण 
भाई बहन का प्यारा बंधन, 
जग में होता है अक्षुण l



भाई दूज पर व्यथित हृदय की हैं ,शुभ कामनायें।

प्रेम सहित तिलक बहन का भाई की आयू बढ़ाये।।.

दोनों बहन भाई यमुना के विश्राम घाट पर नहाये
यमराज पर भी पड़ती भारी प्यारी बहन की दुआयें।।

भाई आज स्नान करके बहनों से हैं तिलक कराते। 
वह भाई बहन के आशीष से यमलोक नही हैं जाते।

आज के दिन जो भी भाई, बहन से तिलक कराये।
वह भाई यमलोक जाने से ही, अपनी मुक्ति पाये।।

यमुना ने अपने भाई यमराज से मांगा यही वरदान।
प्रसन्नता से दे वरदान यम ने रखा बहन का मान।।

डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी
स्वरचित



सूर्य देव और देवी छाया की संतान
यम और यमुना उन दोनों के नाम
यमुना ने भाई यम को दिया निमंत्रण
कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष थी द्वितीया
इसलिए ‘यम द्वितीया ‘के नाम से जाना जाता
बहन यमुना ने भाई का ख़ूब किया आदर-सत्कार
यम ने यमुना को इच्छित वरदान दिया
ऐसे इस पौराणिक पर्व का चलन हुआ
रक्षा बंधन सरीखा पावन माँगलिक
भैयादूज कहो या कहो भाई दूज पर्व
बहन भाई के अटूट स्नेह को दर्शाता
भाई की दीर्घायु की बहन करती कामना
भाई प्रतिदान में बहन को उपहार देता
इसी विधि विधान से यह पर्व मनाया जाता 
आज अपनी छोटी बड़ी बहनों से कुछ निवेदन करना चाहती हूँ
भाई से प्रतिज्ञा उपहार लेना चाहती हूँ
जानती हूँ तुम मेरे इस निर्णय पर गर्व ही करोगे
तो सुनो मेरे प्रतिज्ञा उपहार की ज़ुबानी
किसी कन्या भूरण हत्या का ना जघन्य अपराध करोगे
किसी की बहन -बेटी का ना
मान-सम्मान हरोगे
वृद्ध माता-पिता के तुम श्रवण बनोगे
देश की रक्षा हेतु वचनबद्ध रहोगे
नेकी की राह पर सदा ही चलोगे
मानवता-धर्म को सदा अंगीकार करोगे ।
(🙏)

स्वरचित
संतोष कुमारी
नई दिल्ली



नेह-स्नेह,प्रेम-प्रीत का भाव लिए
रक्षा का संकल्प और दृढ़ विश्वास लिए/ रिश्तों का न्यारा-सा,प्यारा -सा बंधन है भाई -बहन के अटूट प्रेम का

भाई का विश्वास बहना,बहन की आस भाई है,संकल्प में मोतियों के हार सा सजा आपसी सद्व्यवहार
का निराला,अनूठा सा है ये बंधन

युगयुगांतर से देवताओं के वरदान-सा ,रिश्तों के पाकीजा पद्म की महक से परिवार की बगिया को
महकाता ,प्यारा-सा पर्व है भाई दूज का

बहन का अनुष्ठान है तो भाई का ये यज्ञ है ,भारत भूमि की पावनता में
लिपटे संस्कारों का पवित्र पर्व है
भाई दूज का ।।

डा.नीलम.अजमेर
स्वरचित

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