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काँटो को भूल
"अनुशासन" राह
खिलते फूल
आलस्य हाथ
अनुशासन नष्ट
जीवन कष्ट
ऋतुराज दवे
अनुशासन
अनुशासन नैतिकता का फल
सुसंस्कारित जग करता है
शिक्षा यही सिखाती हमको
तिमिर आलोकित भरता है
मात पिता भाई बहिन मिल
अनुशासन गुरु अंकुरित करते
सत्य असत्य अंतर करते वे
शिशु को नव नित सीख सिखाते
अनुशासन पारिवारिक कड़ी है
जोड़े ,सबको वह् रखता है
विनयशील बनकर मिलकर के
फिर,परिवार आगे बढ़ता है
परिवार,समाज राष्ट्र,विश्व मे
अनुशासन का बड़ा महत्व है
फूलों की माला से सजकर
विश्वव्यापी जग अपनत्व है
धर्मग्रन्थ अनुशासन स्रोत्र हैं
महापुरुष नव दिशा दिखाते
जीवन जगति स्वयं संघर्षी
साहस,धैर्य निज मार्ग बताते
अनुशासन को जिसने सीखा
जीवन मे उसने सब पाया
आशीर्वचन सभी का लेकर
विजय गान जगति में गाया
अनुशासन है,सब जीवन मे
धरती ऊपर यही स्वर्ग है
विश्व मानचित्र हम सब ही हैं
चाहे अपने अलग वर्ग हैं
दया,स्नेह,ममतामयी सेवा
आशीर्वचन अनुशासन से
स्वयं संतोषी जीता जीवन
हँसी खुशी मन भावन से
स्व0 रचित
गोविन्द प्रसाद गौतम
क्या होता श्रष्टि का भाई
सूरज जो करता कोताही ।।
कभी न थके भी न रूके
अनुशासन की देय गवाही ।।
अनुशासन ही शान बढ़ाये
अनुशासन ही मान बढाये ।।
आलस्य और अकर्मण्यता
जग में सदा मान घटाये ।।
अनुशासन की सीख महान
कर ''शिवम" इसकी पहचान ।।
अपनी तो होती ही भलाई
समाज का भी है कल्यान ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
नियत ठौर ग्रह टिके हुए हैं।
अनुशासन में बँधे हुए हैं।
परिभ्रमण अपनी कक्षा में,
नियम बद्ध हैं नपे हुए हैं।
अनुशासन
अनुशासन से बनते हैं लोग महान।
होता है देश का कल्याण।
जब कोई अनुशासन तोड़ता।
घटता उसका मान।
सबकुछ जाये विनाश की ओर।
छूटे गर अनुशासन की डोर।
सूरज उगे ये उसका काम।
वो सिखाता हमें अनुशासन।
काम करो सदा वक्त पर।
तोड़ो नहीं कभी अनुशासन।
स्वरचित
वीणा झा
दिन व रात
अनुशासन साथ
करे निर्वाह
2
अनुशासन
प्रकृति प्रशासन
मानिये सदा
3
जीव भोगता
तोड़े अनुशासन
प्रकृति रोष
4
जग है स्कूल
ईश अनुशासन
मानव तोड़े
5
माता व पिता
रखे अनुशासन
छड़ी महान
कुसुम पंत उत्साही
गर अनुशासन जीवन में रहता।
पालन नियम उर मन में रहता।
मानवीयता अंतस में होती तो,
सत्प्रकाश इस जीवन में रहता।
कल्याण करे सबका अनुशासन।
शुभकाम करे अपना अनुशासन।
नित नियम कायदों से चल पाऐं,
ये सुखद करे सबका अनुशासन।
बचपन से इसे संस्कारों में डालें।
अपनी संस्कृति संस्कारों में ढालें।
प्रथम परिणाम हमें ही देना होगा,
तभी हम उन्हें सद्विचारों में ढालें।
स्वमर्यादित यहां हमें रहना होगा।
स्वानुशासित ही हमें रहना होगा।
स्वानुशासन रह अनुपालन करते,
सुख परिभाषित हमें करना होगा।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
रेल सा मन
पटरी पे जीवन
अनुशासन
सफलता-सोपान
गंतव्य हो आसान।
-©नवल किशोर सिंह
पंकज होता आसान बहुत जीवन में पाना सिंहासन ।
उत्तम छवि उसकी होती है अपनाता जो अनुशासन ।
जन जन में भेद नहीं करता जो सत्य मार्ग पर चलता ,
अनुशासित राजा का ही है कहलाता भव्य प्रशासन ।।
आदेश कुमार पंकज
जीवन का सफर सुनहरा होता
जब जीवन में अनुशासन होता
अनुशासन करता सुंदर जीवन
सफलता का सिरमौर बनाता
भौतिक जीवन हो या आध्यात्मिक जीवन
अनुशासन करता सफल जीवन
हर सपना पूरा होता
जब अनुशासन का पालन होता
नैतिक अनुशासन का पालन
सुंदर समाज निर्माण कराता
प्रतिदिन सुबह शाम उठने का अनुशासन
रखता दूर बीमारी सब
स्वस्थ शरीर बनाता है
सुंदर मन रखता है
अनुशासन ही सर्वोत्तम है
दुनिया का अमूल्य निधि देता
अनुशासन से ही संभव है
सुंदर सुखद जीवन का निर्माण
अनुशासन का पालन करो
सुंदर समाज निर्माण करो
जब अनुशासन में रहते हैं
तो बीमारियां नहीं आ पाती हैं
सुंदर समाज में रहने को
अनुशासन में रहने को
देश का विकास करने को
अनुशासन पहली सीढ़ी है।
मनीष कुमार श्रीवास्तव
पाश लगे जब अनुशासित जीवन
तब चींटी को देखे हम
प्रकृति का सबसे छोटा जीव भी
चले अनुशासित पंक्तिबद्ध होकर
अंशुमाली हो या कलानिधि
अनुशासन को सब अपनाते
अम्बर मे देखो कितने तारे है
कब अनुशासन से पीछे भागते?
ऋतुचक्र भी अनुशासन का
पाठ पढा़ते जीवन भर
प्रकृति का कण कण है जब अनुशासित
हम मानव इससे क्यों कतराते?
अनुशासन है हमारे खातिर
याद हमें यह रखना होगा
पद ,प्रतिष्ठा और धन दौलत
हम अनुशासन अपनाकर ही पाते
विवेकानंद हो या बापू हमारे
अनुशासन के लिए जाने जाते
महान बनने के लिए एक पाठ
तो हमें पढ़ना होगा
लाख आये मुसीबतें जीवन में
अनुशासन को नही भूलना होगा
कदम कदम पर अनुशासित जीवन
हम सबकोअपनाना होगा
कदम कदम पर अनुशासित जीवन
हम सबको अपनाना होगा।
स्वरचित-आरती -श्रीवास्तव।
खुद का खुद पर शासन कहलाता अनुशासन
नहीं हैं हम पर किसी प्रकार का बंधन
यह नियमों से कराता हैं हमें अनुशरण
जिससे बनता हैं हमारा जीवन आदर्श और महान .
अनुशासन हैं संस्कृति और संस्कार
अनुशासन हैं प्रगति का आधार
कर्तव्यों और नियम से चलना हैं हमारी समझदारी
जीवन में अनुशासन हैं हमारी सभी के लिये जिम्मेदारी .
चलकर मेहनत परिश्रम चींटी सफर करती हैं मीलों
अनुशासन में रहकर सबको आगे बढ़ने का ज्ञान देती
खुद से ज्यादा बोझ उठाकर हर कदम आगे बढ़ती
गगन को जीने का लक्ष्य बनाकर अनुशासन से चलती .
अनुशासन से जुड़े हैं हम सभी जड़ चेतन
प्रकृति निशा और प्रभात सब एक साथ
अनुशासन की महिमा हैं विशाल
जो जीवन में निभाती हैं खुशियों की मिसाल .
स्वरचित:- रीता बिष्ट
"अनुशासन"विद्यालय की थी जो सीढ़ियाँ
अनुशासन का पाठ पढ़ती पीढियाँ
फिर भी करती थी शैतानियाँ
हम बच्चों की थी नादानियाँ
कक्षा में प्रश्नोत्तर की घड़ी
गुरुजी की पड़ती थी छड़ी
आदेश पालन में डटी
धूप में भी रहती खड़ी
गुरुजी का सम्मान किया
अनुशासन का पाठ लिया
बड़े बुजुर्गो ने भी साथ दिया
नहीं था किसी को गिला
अब तो बहुत कुछ बदल गया
कुछ-कुछ कारणों से
शिक्षकों के हाथों ने
छड़ी का साथ छोड़ दिया
अनुशासन ने भी मुंह फेर लिया
मानते नहीं विद्यार्थी दंड
बनते जा रहे हैं उदण्ड
व्यवस्था बिगाड़ रहे पाखण्ड
शिक्षा को कर रहे खण्ड-खण्ड
बच्चे तमाशा देख रहे
एक के कारण
सौ-सौ बच्चे बिगड़ रहे
विवेक शून्य से हो रहे
बड़े होकर
माता-पिता से ही झगड़ रहे
स्वरचित पूर्णिमा साह
चंचल मन बैरी कामनाऐं, हर एक के जीवन में होतीं हैं,
ये व्दार पतन का खोले हुए, बस खड़ीं राह में रहतीं हैं,
है चमक बड़ी इन राहों में, ये दिल को मोहतीं रहतीं हैं,
अपने कर्तव्य पथ से मानव को, ये भटकाया करतीं हैं,
जीवन को नियंत्रित करने को, कुछ मर्यादायें रहतीं हैं,
हम सब समझें मानें उनको, संस्कृति हमें यही कहती है,
जीवन में जब अनुशासन होगा, सही राह तभी मिलती है,
अनुशासित हो जो चलता, मंजिल उसको ही मिलती है,
खुद भी प्रकाशित होता वो, औरों को रौशनी मिलती है,
रात दिन सूरज चंदा नदियाँ सागर, इनसे प्रेरणा मिलती है,
अनुशासित न रहें ये जो, तो कारण विनाश का बनती है,
हम अपना लें जो अनुशासन को, जीवन नैया नहीं रूकती है,
देख कर हमारे जीवन को,सब को ही प्रेरणा मिलती है |
स्वरचित, मीना शर्मा
खुद पर खुद का शासन,
यही है अनुशासन,
नहीं है ये कोई बंधन,
ये तो है माथे का चंदन |
अनुशासन ने ही बाँधे,
जीवन के नक्षत्र सारे,
तभी सुबह सूरज निकले,
रात को निकले चाँद-सितारे |
विद्यार्थी का ये जीवन,
सफल नहीं बिना अनुशासन,
मंजिल उसको मिलेगी तभी,
जब होगा नियमों का पालन |
देश तरक्की नहीं कर सकता,
चाहे किसी का भी हो शासन,
उन्नत देश वही कहलाये,
जहाँ सभी में दिखे अनुशासन |
अनुशासन को जो अपनाये,
जीवन में वो सफलता पाये,
समय भी उसकी कदर करें,
हर पल आगे वो बढ़ता जाये |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
जब नहीं रहता खुद पर शासन
छिन्न-भिन्न हो जाता है अनुशासन
मर्यादा की भंगिमा नहीं रहती
सब ओर होता है मिथ्या भाषण।
आज शब्दों की गरिमा ध्वस्त है
सारी शालीनता ही पस्त है
एक विरोधी दूसरे से इतना त्रस्त है
कि वह आलोचना में ही व्यस्त है।
अनुशासन शायद दुबक गया है
या वो कहीं पर भटक गया है
या किसी बेरोज़गार की तरह
शायद फंदे से लटक गया है।
अनुशासन से चलता जीवन,
जीवन ध्येय बने अनुशासन।
सांसों की लय में अनुशासन,
धड़कन की लय में अनशासन।
सूर्य, चंद्रमा,तारे सब देखो,
मेघ,वायु, प्रकृति को निरखो,
सर्वत्र दिखेगा तुमको अनुशासन।
नियम से नियमित कार्य हैं होते,
नियम से पक्षी सोते-जगते।
नियम में रहना जिसने सीखा,
कोई नहीं फिर उसके सरीखा।
अनुशासन से अनुशासित जीवन
आलस्य,अकर्मण्यता का है दुश्मन।
मर्यादाओं का करके पालन,
बन जाता है उत्तम जीवन।
सफलता की सीढ़ी अनुशासन,
लक्ष्य प्राप्ति का बनता है साधन।
कठिन कार्य भी होते पूरे,
जीवन में गर हो अनुशासन।
अभिलाषा चौहान
नियम कायदे से चले,प्रात समय उठ जाय
जीवन में आगे बढ़े , सदा सफलता पाय
सूरज चाँद हैं बंधे , अनुशासन की डोर
बरखा बरसे समय पर ,बन में नाचे मोर
नदियाँ बहती एक रुख,सागर में मिल जाय
अनुशासन अनुगमन की,सीख हमें दे जाय
नित्य समय दैनिक करम , जो करता निज काम
हो जाता जीवन सफल , जग में पाता नाम
जड़ चेतन जीवन सभी अनुशासन के साथ
चक्र चले संसार का यह सब विधि के हाथ
चींटी लाइन में चले , सीख हमें दे जाय
कण कण दाना जोड़ती , तभी सफलता पाय
पंछी पलभर में उड़ें , नील गगन में दूर
पाठ पढ़ाते नियम का ,पंख थके हों चूर
डगर भले मुश्किल सही अनुशासन अपनाय
तरुवर ऊंचा ही सही , फल मीठा ही पाय
सरिता गर्ग
जीवन में सफल यदि होना है,
अनुशासन को अपनाना होगा।
यदि आगे हमको बढना है,
तो सबक यह हमको पढना होगा।
माना बहुतेरी बाधाएं होंगी,
हँस कर पार लगाना होगा।
कठिनाई चाहे जितनी हो,
हर पल हँस कर सहना होगा।
अनुशासन के बल पर हमको,
हर बाधा से लड़ना होगा।
जीवन के सफर मे हम सबको,
अनुशासन को अपनाना होगा।
अनुशासन की शिक्षा हमको,
आगे बढकर लेनी होगी।
अनुशासन एक तपस्या है,
तो यह तप भी हमको करना होगा।
जीवन की डगर में आगे बढने को,
अनुशासन को अपनाना होगा।।
(अशोक राय वत्स)
जब लगा था आपातकाल
तब विनोबा जी ने दिया नया नाम
'अनुशासन पर्व "
उसमे मचा हाहाकार,व्यर्थ कारावास, दंडित जन मानस
क्या यही है अनुशासन?
अनुशासन है स्थिरता
मार्गदर्शक पथ
संस्कारों का, अभिमान स्वाभिमान की दौलत
अंकुश बहते तिमिर पर
उजाले की ओर
आज जरूरी है अनुशासन नेताओं पर
उनकी उलजुलूल बाते, नफ़रत की आंधी जो कर रही बंटवारा जमी आसमां में
शांति प्रिय जानाधार पर
धर्म जाती के ऊपर
सत्ता के कटोरें में
हाथ फ़ैलाकर कुर्सी के रेस में
रस्सा खींची करते हुए
ओर चाट रहे लार टपकती जिव्हासे
आम नागरिक को अंध धृतराष्ट्र बनाके
स्वरचितडॉ नीलिमा तिग्गा
मर्यादा की चादर झीनी हो गई।अनुशासन की डोर जो ढीली हो गई।
स॔यम, नियम की लाठी खो गई
लज्जा शर्म भी लुप्त हो गई।
मर्यादा की चादर झीनी हो गई
अनुशासन की डोर जो ढीलीहो गई।
पापा की अक्ल छोटी हो गयी
मम्मी की उंगली छूट गई।
हम समर्थ हैं, हम सक्षम हैं।
जग को नई राह दिखाई गई।
प्रगति उन्नति बहुत सराहनीय
पर अपनी बुनियाद ही खोदी गई।
मर्यादा की चादर झीनीहो गई
अनुशासन की डोर जो ढीली हो गई।
हर किसी पर उंगली उठ गई
सीमा रेखा कहीं खो गई।
अन्तरमन अक्सर रोता है
मान सम्मान की प्रथा जो छूट गई।चादर झीनी मर्यादा की
अनुशासन की डोर जो ढीली हो गई।
स्वरचित
सुषमागुप्ता
अनुशासन के पथ से जो गुजरते हैं
काँटे भी बनके फूल मुस्कुरा उठते हैं
सफलता भी चूमती है उनके कदम
जो वक़्त का सम्मान किया करते हैं
ऋतुराज दवे
प्रकृति का सच्चा साधन,
जीवन में हो अनुशासन।
सूरज चाँद सितारे देखो,
नियम पूर्ण इनका प्रशासन।।
क्रम से सारी ऋतुएँ चलती
सुबह दोपहर और सांझ ढलती
बचपन ,यौवन और बुढ़ापा,
अपने क्रम से उम्र बढ़ती।।
पशु पंक्षियों में अनुशासन,
प्रकृति अनुरूप ये करते भोजन।जब जब मानव नियम तोड़ता
तब तब होता है करुण क्रंदन।।
रचनाकार
जयंती सिंह
"अनुशासन" राह
खिलते फूल
आलस्य हाथ
अनुशासन नष्ट
जीवन कष्ट
ऋतुराज दवे
अनुशासन नैतिकता का फल
सुसंस्कारित जग करता है
शिक्षा यही सिखाती हमको
तिमिर आलोकित भरता है
मात पिता भाई बहिन मिल
अनुशासन गुरु अंकुरित करते
सत्य असत्य अंतर करते वे
शिशु को नव नित सीख सिखाते
अनुशासन पारिवारिक कड़ी है
जोड़े ,सबको वह् रखता है
विनयशील बनकर मिलकर के
फिर,परिवार आगे बढ़ता है
परिवार,समाज राष्ट्र,विश्व मे
अनुशासन का बड़ा महत्व है
फूलों की माला से सजकर
विश्वव्यापी जग अपनत्व है
धर्मग्रन्थ अनुशासन स्रोत्र हैं
महापुरुष नव दिशा दिखाते
जीवन जगति स्वयं संघर्षी
साहस,धैर्य निज मार्ग बताते
अनुशासन को जिसने सीखा
जीवन मे उसने सब पाया
आशीर्वचन सभी का लेकर
विजय गान जगति में गाया
अनुशासन है,सब जीवन मे
धरती ऊपर यही स्वर्ग है
विश्व मानचित्र हम सब ही हैं
चाहे अपने अलग वर्ग हैं
दया,स्नेह,ममतामयी सेवा
आशीर्वचन अनुशासन से
स्वयं संतोषी जीता जीवन
हँसी खुशी मन भावन से
स्व0 रचित
गोविन्द प्रसाद गौतम
क्या होता श्रष्टि का भाई
सूरज जो करता कोताही ।।
कभी न थके भी न रूके
अनुशासन की देय गवाही ।।
अनुशासन ही शान बढ़ाये
अनुशासन ही मान बढाये ।।
आलस्य और अकर्मण्यता
जग में सदा मान घटाये ।।
अनुशासन की सीख महान
कर ''शिवम" इसकी पहचान ।।
अपनी तो होती ही भलाई
समाज का भी है कल्यान ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
नियत ठौर ग्रह टिके हुए हैं।
अनुशासन में बँधे हुए हैं।
परिभ्रमण अपनी कक्षा में,
नियम बद्ध हैं नपे हुए हैं।
अनुशासन से बनते हैं लोग महान।
होता है देश का कल्याण।
जब कोई अनुशासन तोड़ता।
घटता उसका मान।
सबकुछ जाये विनाश की ओर।
छूटे गर अनुशासन की डोर।
सूरज उगे ये उसका काम।
वो सिखाता हमें अनुशासन।
काम करो सदा वक्त पर।
तोड़ो नहीं कभी अनुशासन।
स्वरचित
वीणा झा
दिन व रात
अनुशासन साथ
करे निर्वाह
2
अनुशासन
प्रकृति प्रशासन
मानिये सदा
3
जीव भोगता
तोड़े अनुशासन
प्रकृति रोष
4
जग है स्कूल
ईश अनुशासन
मानव तोड़े
5
माता व पिता
रखे अनुशासन
छड़ी महान
कुसुम पंत उत्साही
गर अनुशासन जीवन में रहता।
पालन नियम उर मन में रहता।
मानवीयता अंतस में होती तो,
सत्प्रकाश इस जीवन में रहता।
कल्याण करे सबका अनुशासन।
शुभकाम करे अपना अनुशासन।
नित नियम कायदों से चल पाऐं,
ये सुखद करे सबका अनुशासन।
बचपन से इसे संस्कारों में डालें।
अपनी संस्कृति संस्कारों में ढालें।
प्रथम परिणाम हमें ही देना होगा,
तभी हम उन्हें सद्विचारों में ढालें।
स्वमर्यादित यहां हमें रहना होगा।
स्वानुशासित ही हमें रहना होगा।
स्वानुशासन रह अनुपालन करते,
सुख परिभाषित हमें करना होगा।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
रेल सा मन
पटरी पे जीवन
अनुशासन
सफलता-सोपान
गंतव्य हो आसान।
-©नवल किशोर सिंह
पंकज होता आसान बहुत जीवन में पाना सिंहासन ।
उत्तम छवि उसकी होती है अपनाता जो अनुशासन ।
जन जन में भेद नहीं करता जो सत्य मार्ग पर चलता ,
अनुशासित राजा का ही है कहलाता भव्य प्रशासन ।।
आदेश कुमार पंकज
जीवन का सफर सुनहरा होता
जब जीवन में अनुशासन होता
अनुशासन करता सुंदर जीवन
सफलता का सिरमौर बनाता
भौतिक जीवन हो या आध्यात्मिक जीवन
अनुशासन करता सफल जीवन
हर सपना पूरा होता
जब अनुशासन का पालन होता
नैतिक अनुशासन का पालन
सुंदर समाज निर्माण कराता
प्रतिदिन सुबह शाम उठने का अनुशासन
रखता दूर बीमारी सब
स्वस्थ शरीर बनाता है
सुंदर मन रखता है
अनुशासन ही सर्वोत्तम है
दुनिया का अमूल्य निधि देता
अनुशासन से ही संभव है
सुंदर सुखद जीवन का निर्माण
अनुशासन का पालन करो
सुंदर समाज निर्माण करो
जब अनुशासन में रहते हैं
तो बीमारियां नहीं आ पाती हैं
सुंदर समाज में रहने को
अनुशासन में रहने को
देश का विकास करने को
अनुशासन पहली सीढ़ी है।
मनीष कुमार श्रीवास्तव
पाश लगे जब अनुशासित जीवन
तब चींटी को देखे हम
प्रकृति का सबसे छोटा जीव भी
चले अनुशासित पंक्तिबद्ध होकर
अंशुमाली हो या कलानिधि
अनुशासन को सब अपनाते
अम्बर मे देखो कितने तारे है
कब अनुशासन से पीछे भागते?
ऋतुचक्र भी अनुशासन का
पाठ पढा़ते जीवन भर
प्रकृति का कण कण है जब अनुशासित
हम मानव इससे क्यों कतराते?
अनुशासन है हमारे खातिर
याद हमें यह रखना होगा
पद ,प्रतिष्ठा और धन दौलत
हम अनुशासन अपनाकर ही पाते
विवेकानंद हो या बापू हमारे
अनुशासन के लिए जाने जाते
महान बनने के लिए एक पाठ
तो हमें पढ़ना होगा
लाख आये मुसीबतें जीवन में
अनुशासन को नही भूलना होगा
कदम कदम पर अनुशासित जीवन
हम सबकोअपनाना होगा
कदम कदम पर अनुशासित जीवन
हम सबको अपनाना होगा।
स्वरचित-आरती -श्रीवास्तव।
खुद का खुद पर शासन कहलाता अनुशासन
नहीं हैं हम पर किसी प्रकार का बंधन
यह नियमों से कराता हैं हमें अनुशरण
जिससे बनता हैं हमारा जीवन आदर्श और महान .
अनुशासन हैं संस्कृति और संस्कार
अनुशासन हैं प्रगति का आधार
कर्तव्यों और नियम से चलना हैं हमारी समझदारी
जीवन में अनुशासन हैं हमारी सभी के लिये जिम्मेदारी .
चलकर मेहनत परिश्रम चींटी सफर करती हैं मीलों
अनुशासन में रहकर सबको आगे बढ़ने का ज्ञान देती
खुद से ज्यादा बोझ उठाकर हर कदम आगे बढ़ती
गगन को जीने का लक्ष्य बनाकर अनुशासन से चलती .
अनुशासन से जुड़े हैं हम सभी जड़ चेतन
प्रकृति निशा और प्रभात सब एक साथ
अनुशासन की महिमा हैं विशाल
जो जीवन में निभाती हैं खुशियों की मिसाल .
स्वरचित:- रीता बिष्ट
अनुशासन का पाठ पढ़ती पीढियाँ
फिर भी करती थी शैतानियाँ
हम बच्चों की थी नादानियाँ
कक्षा में प्रश्नोत्तर की घड़ी
गुरुजी की पड़ती थी छड़ी
आदेश पालन में डटी
धूप में भी रहती खड़ी
गुरुजी का सम्मान किया
अनुशासन का पाठ लिया
बड़े बुजुर्गो ने भी साथ दिया
नहीं था किसी को गिला
अब तो बहुत कुछ बदल गया
कुछ-कुछ कारणों से
शिक्षकों के हाथों ने
छड़ी का साथ छोड़ दिया
अनुशासन ने भी मुंह फेर लिया
मानते नहीं विद्यार्थी दंड
बनते जा रहे हैं उदण्ड
व्यवस्था बिगाड़ रहे पाखण्ड
शिक्षा को कर रहे खण्ड-खण्ड
बच्चे तमाशा देख रहे
एक के कारण
सौ-सौ बच्चे बिगड़ रहे
विवेक शून्य से हो रहे
बड़े होकर
माता-पिता से ही झगड़ रहे
स्वरचित पूर्णिमा साह
चंचल मन बैरी कामनाऐं, हर एक के जीवन में होतीं हैं,
ये व्दार पतन का खोले हुए, बस खड़ीं राह में रहतीं हैं,
है चमक बड़ी इन राहों में, ये दिल को मोहतीं रहतीं हैं,
अपने कर्तव्य पथ से मानव को, ये भटकाया करतीं हैं,
जीवन को नियंत्रित करने को, कुछ मर्यादायें रहतीं हैं,
हम सब समझें मानें उनको, संस्कृति हमें यही कहती है,
जीवन में जब अनुशासन होगा, सही राह तभी मिलती है,
अनुशासित हो जो चलता, मंजिल उसको ही मिलती है,
खुद भी प्रकाशित होता वो, औरों को रौशनी मिलती है,
रात दिन सूरज चंदा नदियाँ सागर, इनसे प्रेरणा मिलती है,
अनुशासित न रहें ये जो, तो कारण विनाश का बनती है,
हम अपना लें जो अनुशासन को, जीवन नैया नहीं रूकती है,
देख कर हमारे जीवन को,सब को ही प्रेरणा मिलती है |
स्वरचित, मीना शर्मा
यही है अनुशासन,
नहीं है ये कोई बंधन,
ये तो है माथे का चंदन |
अनुशासन ने ही बाँधे,
जीवन के नक्षत्र सारे,
तभी सुबह सूरज निकले,
रात को निकले चाँद-सितारे |
विद्यार्थी का ये जीवन,
सफल नहीं बिना अनुशासन,
मंजिल उसको मिलेगी तभी,
जब होगा नियमों का पालन |
देश तरक्की नहीं कर सकता,
चाहे किसी का भी हो शासन,
उन्नत देश वही कहलाये,
जहाँ सभी में दिखे अनुशासन |
अनुशासन को जो अपनाये,
जीवन में वो सफलता पाये,
समय भी उसकी कदर करें,
हर पल आगे वो बढ़ता जाये |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
जब नहीं रहता खुद पर शासन
छिन्न-भिन्न हो जाता है अनुशासन
मर्यादा की भंगिमा नहीं रहती
सब ओर होता है मिथ्या भाषण।
आज शब्दों की गरिमा ध्वस्त है
सारी शालीनता ही पस्त है
एक विरोधी दूसरे से इतना त्रस्त है
कि वह आलोचना में ही व्यस्त है।
अनुशासन शायद दुबक गया है
या वो कहीं पर भटक गया है
या किसी बेरोज़गार की तरह
शायद फंदे से लटक गया है।
अनुशासन से चलता जीवन,
जीवन ध्येय बने अनुशासन।
सांसों की लय में अनुशासन,
धड़कन की लय में अनशासन।
सूर्य, चंद्रमा,तारे सब देखो,
मेघ,वायु, प्रकृति को निरखो,
सर्वत्र दिखेगा तुमको अनुशासन।
नियम से नियमित कार्य हैं होते,
नियम से पक्षी सोते-जगते।
नियम में रहना जिसने सीखा,
कोई नहीं फिर उसके सरीखा।
अनुशासन से अनुशासित जीवन
आलस्य,अकर्मण्यता का है दुश्मन।
मर्यादाओं का करके पालन,
बन जाता है उत्तम जीवन।
सफलता की सीढ़ी अनुशासन,
लक्ष्य प्राप्ति का बनता है साधन।
कठिन कार्य भी होते पूरे,
जीवन में गर हो अनुशासन।
अभिलाषा चौहान
नियम कायदे से चले,प्रात समय उठ जाय
जीवन में आगे बढ़े , सदा सफलता पाय
सूरज चाँद हैं बंधे , अनुशासन की डोर
बरखा बरसे समय पर ,बन में नाचे मोर
नदियाँ बहती एक रुख,सागर में मिल जाय
अनुशासन अनुगमन की,सीख हमें दे जाय
नित्य समय दैनिक करम , जो करता निज काम
हो जाता जीवन सफल , जग में पाता नाम
जड़ चेतन जीवन सभी अनुशासन के साथ
चक्र चले संसार का यह सब विधि के हाथ
चींटी लाइन में चले , सीख हमें दे जाय
कण कण दाना जोड़ती , तभी सफलता पाय
पंछी पलभर में उड़ें , नील गगन में दूर
पाठ पढ़ाते नियम का ,पंख थके हों चूर
डगर भले मुश्किल सही अनुशासन अपनाय
तरुवर ऊंचा ही सही , फल मीठा ही पाय
सरिता गर्ग
जीवन में सफल यदि होना है,
अनुशासन को अपनाना होगा।
यदि आगे हमको बढना है,
तो सबक यह हमको पढना होगा।
माना बहुतेरी बाधाएं होंगी,
हँस कर पार लगाना होगा।
कठिनाई चाहे जितनी हो,
हर पल हँस कर सहना होगा।
अनुशासन के बल पर हमको,
हर बाधा से लड़ना होगा।
जीवन के सफर मे हम सबको,
अनुशासन को अपनाना होगा।
अनुशासन की शिक्षा हमको,
आगे बढकर लेनी होगी।
अनुशासन एक तपस्या है,
तो यह तप भी हमको करना होगा।
जीवन की डगर में आगे बढने को,
अनुशासन को अपनाना होगा।।
(अशोक राय वत्स)
जब लगा था आपातकाल
तब विनोबा जी ने दिया नया नाम
'अनुशासन पर्व "
उसमे मचा हाहाकार,व्यर्थ कारावास, दंडित जन मानस
क्या यही है अनुशासन?
अनुशासन है स्थिरता
मार्गदर्शक पथ
संस्कारों का, अभिमान स्वाभिमान की दौलत
अंकुश बहते तिमिर पर
उजाले की ओर
आज जरूरी है अनुशासन नेताओं पर
उनकी उलजुलूल बाते, नफ़रत की आंधी जो कर रही बंटवारा जमी आसमां में
शांति प्रिय जानाधार पर
धर्म जाती के ऊपर
सत्ता के कटोरें में
हाथ फ़ैलाकर कुर्सी के रेस में
रस्सा खींची करते हुए
ओर चाट रहे लार टपकती जिव्हासे
आम नागरिक को अंध धृतराष्ट्र बनाके
स्वरचितडॉ नीलिमा तिग्गा
मर्यादा की चादर झीनी हो गई।अनुशासन की डोर जो ढीली हो गई।
स॔यम, नियम की लाठी खो गई
लज्जा शर्म भी लुप्त हो गई।
मर्यादा की चादर झीनी हो गई
अनुशासन की डोर जो ढीलीहो गई।
पापा की अक्ल छोटी हो गयी
मम्मी की उंगली छूट गई।
हम समर्थ हैं, हम सक्षम हैं।
जग को नई राह दिखाई गई।
प्रगति उन्नति बहुत सराहनीय
पर अपनी बुनियाद ही खोदी गई।
मर्यादा की चादर झीनीहो गई
अनुशासन की डोर जो ढीली हो गई।
हर किसी पर उंगली उठ गई
सीमा रेखा कहीं खो गई।
अन्तरमन अक्सर रोता है
मान सम्मान की प्रथा जो छूट गई।चादर झीनी मर्यादा की
अनुशासन की डोर जो ढीली हो गई।
स्वरचित
सुषमागुप्ता
अनुशासन के पथ से जो गुजरते हैं
काँटे भी बनके फूल मुस्कुरा उठते हैं
सफलता भी चूमती है उनके कदम
जो वक़्त का सम्मान किया करते हैं
ऋतुराज दवे
जीवन में हो अनुशासन।
सूरज चाँद सितारे देखो,
नियम पूर्ण इनका प्रशासन।।
क्रम से सारी ऋतुएँ चलती
सुबह दोपहर और सांझ ढलती
बचपन ,यौवन और बुढ़ापा,
अपने क्रम से उम्र बढ़ती।।
पशु पंक्षियों में अनुशासन,
प्रकृति अनुरूप ये करते भोजन।जब जब मानव नियम तोड़ता
तब तब होता है करुण क्रंदन।।
रचनाकार
जयंती सिंह
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