Wednesday, May 15

"सीख/सबक"14मई 2019

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नहीं करें |
                                    ब्लॉग संख्या :-386
नमनः"भावों के मोती"
मंगलवार,दि.14/5/19.
  विषयःसीख/सबक

(लंका पुरी के सिंहद्वार पर हनुमान)
घनाक्षरीः
लोहित विलोचन, हुए विद्रूप लंकिनी के,
किया घन गर्जन ,खमण्डल हिला दिया।
तमक तमाचा जड़ा , वातजात गाल पर,
विकराल क्रोध का,कमाल दिखला दिया।
तोल  बलाबल , अतुलित बलधाम ने भी,
किया  सिंहनाद ऐसा , उर  दहला दिया।
वाम-हस्त मुष्टिका,जमायी अबला समझ,
अभिमानी बला को,सबक सिखला दिया।।

 -हनुमत हुंकार(खंडकाव्य),पृ.38 से उद्धृत
        रचयिता :डा.'शितिकंठ'

@@@@@@@@@@@@@@@@
पत्थर  से  सर  टकराना  क्या। 
है  जीते  जी   मर  जाना  क्या।

जब  कश्ती  ही  छूट  गयी  तो।
फिर  लहरों  से  घबराना  क्या। 

सूख  गए  हैं आंसू  अरमां  के। 
फिर बादल का बरसाना  क्या।

सीखा चाहत में  आज  सबक। 
है  अपना  क्या   बेगाना  क्या।

भवंरे  के  मन  की तुम जानोगे।
है कलियों का खिल जाना क्या।

खेत  चर  गये   खूब  गधे  जब। 
फिर  अब पीछे  पछताना क्या।

शर्म करो  कोई  जुर्म हो सोहल़। 
है  प्यार  मे  यूं  शरमाना   क्या़।

                       विपिन सोहल

@@@@@@@@@@@@@@@@
''सीख/सबक"

सबक सदा यहाँ मिलते हैं
मुरझाये फूल भी खिलते हैं ।।

गमज़दा क्या होना ज्यादा
सूर्य उगते हैं तो ढलते हैं ।।

कुछ गम में भी हंसते रहते
कुछ खुशी में आँखें मलते हैं ।।

जीवन है ये हंस कर जियो 
गम अपने आप भी टलते हैं ।।

ये जिन्दगी तो जिन्दगी है
मुकम्मिल हल न निकलते हैं ।।

तिमिर में जो ढूढ़ लें उजाला 
वो कभी न कभी संभलते हैं ।।

सबक से क्या घबड़ाना'शिवम'
ये साथ साथ ही चलते हैं ।।

जब तक सांसें ये खत्म नही
इतना भी न इनसे डरते हैं ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 14/05/2019

@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक     सीख,सबक
विधा        लघु कविता
14 मई 2019,मंगलवार

सीख मिलती मातपिता से
सीख मिलती गुरुजनों से
सीख मिलती बड़े बूढ़ों से
सीख मिलती सदसन्तो से

सीख सीख हम बड़े हुये हैं
सीख सदा सदमार्ग बताती
खून पसीना सदा बहाकर
जीवन जीना हमें सिखाती

सीख सिखाते सद्ग्रन्थ भी
भक्ति मार्ग हमें बतलाते
राम नाम नित प्याला पीकर
नर से नारायण कहलाते

सीख जीवनपर्यन्त प्रकिया
जन्म से मृत्यु तक चलती
यह सदा प्रेरणा स्त्रोत जग
कल छल छल निर्मल बहती

सीख सिखाती राष्ट्र भक्ति 
सैनिक सीमा पर डट जाता
लाख मुसीबत सदा झेलकर
सदा पुकारे जय भारत माता।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
@@@@@@@@@@@@@@@@

नमन
विषय-सीख
विधा-लघु कविता

"सीख"

कहाँ लाकर छोड़ 
दिया प्रकृति को
प्रतिस्पर्धा की होड़ में
कर दिया है धरा का
फर्श मेला
खोकर स्वार्थी दौड़ में
मौका अभी भी है
संभलने का
सीख,धरा और शून्य के मेल से।
@@@@@@@@@@@@@@@@


#स्वरचित  कविता

   शीर्षक-"सीखो"

भू-मंडल पर कितने सुंदर
बिखरे चमत्कार
इनसे #सीख मिलेगी बच्चों
मिलेंगे संस्कार

आओ उपवन में तुम देखो
पाखी की चहकार
खिल-खिल हंसना,मिलकर रहना
#सीख करो स्वीकार

नभ में नित चंदा सूरज को
आते जाते देखो
बांटो सबको सुख के पल-पल
और हर्षाते देखो

उदय-अस्त ही इस जीवन का
अटल सत्य कहलाता
#सीखो धरती पर कोई कुछ
लाता ना ले जाता

बागों में जाकर देखो
रे! फल से लदी डालियां
झुकना,नमन सभी को करना
#सीखो तुम रंगरेलियां

कोकिल,भ्रमर,पपीहे से भी
#सीखो गीत सुनाना
मधुर-मधुर बोलकर सबसे
#सीखो मीत बनाना 

        _____
#स्वरचित 

डा. अंजु लता सिंह 
नई दिल्ली
@@@@@@@@@@@@@@@@

1भा.14/5/2019/मंगलवार
बिषयःःः #सीख/सबक#
विधाःःःकाव्यःःः

 सीख मिली है मुझे अभी तक
   श्रीराम नाम से बडा ना कोई।
      जिसने जान लिया श्री राम को,
        ज्ञाता शायद उससे बडा ना कोई।

सीख मिली जिन्हें बशिष्ठ से,
  विश्वामित्र से धनुर्विद्या सीखी।
    माँ कौशल्या दी संस्कार शिक्षा,
       वचनबद्धता दशरथ से सीखी।

सबक सीख लें वचन निभाना।
  गीता रामायण में भरा खजाना।
    सत्य मार्ग क्या जीवन जीने का,
      मात्र कर्तव्यपरायणता दिखलाना।

ये जीवन जीना बडी कला है।
  क्यों हमें अपनों ने ही छला है।
    त्रेता, द्वापर और कलयुग देखे,
       कभी अपनों ने किया भला है।

सबक बिशेष जग में जीने का,
  नित परोपकार पुरुषार्थ करें हम।
    सत बचनबद्ध और चरित्रवान रह,
       सभी सदोपकार निस्वार्थ करें हम।

स्वरचितःः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
@@@@@@@@@@@@@@@@

1भा.#सीख /सबक #
14/5/2019/मंगलवार



नमन भावों के मोती
शीर्षक-सीख, सबक
दिनाँक-१४/०५/२०१९
**************************
मुट्ठी से फिसलती रेत से,
ज्यादा नही थोड़ा सीखिये,
समय पर जोर चलता नही,
कुछ सबक ले लीजिये!

कालचक्र में फंस गए,
यहां बड़े वीर बलवान,
ठोकर खाकर नही सीखे,
ओ मनुज मूर्ख अनजान!
अच्छाई अपनाकर तुम
दूर बुराई कीजिये!
समय पर जोर चलता नही,
कुछ सबक ले लीजिये !

सबक जिंदगी का,
जिसने नही सीखा यहाँ,
नाकाम होकर फिर,
ओ दर बदर भटकता रहा,
कर्म ही पूजा मानकर,
खुद समर्पण दीजिये !
समय पर जोर चलता नही,
कुछ सबक ले लीजिये!

*************************
स्वरचित रचना-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
चांगोटोला, बालाघाट ( मध्यप्रदेश )
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन भावों के मोती,
आज का विषय, सीख / सबक,
दिन, मंगलवार,
दिनांक, 14,5,2019,

उपवन था कोई  एक कहीं हरा भरा,

माली के दिल में था वो रचा बसा।

हर घड़ी  उसे ही वो  निहारना सँवारना,

था यही  उसकी जिंदगी का सिलसिला।

फिर एक दिन इक नया कुसुम था  खिला,

उसके मन को था वह बड़ा लुभा रहा।

 नजदीक जाकर उसने हौले से छुआ,

वह कुसुम  खिलखिला कर हँस दिया।

मन बीणा के तारों को वह  झनझना गया, 

फिर एक  डर उसके  दिल में समा गया था।

जल्द ही तो  मुरझा के फूल ये   बिखर जायेगा,

सूना हमारे चमन को फिर ये  कर जायेगा।

 देख कर भाव उसके फूल मुस्करा दिया,

बोला ये मेरा छोटा सफर है तो क्या हुआ।

 हृदय  में आपके हमनें  प्यार तो जगा दिया,

प्यार उत्साह उत्सर्ग ही नाम है जिंदगी का।

सोचें नहीं कभी हम हमें जग में क्या मिला,

याद रखें बस ये हमने जग को  क्या दिया।

पुष्प की सीख ये अब याद रख रहा बांगबां,

प्यार की सौगात को खुशी से सजा रहा बांगबां।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,

@@@@@@@@@@@@@@@@

तिथि - चौदह/पांच/ उन्नीस
विषय - सबक/ सीख

जिंदगी एक पाठशाला है
पढ़ाती है
हर पल सिखाती है
खूबसूरत इंसान बनाती है
ढेर से अनुभव दे जाती है
अनुभव की गठरी उठाये
सफल होते हैं
जिंदगी की दौड़ में
आगे बढ़ते हम
सबक मिलते हैं
परिवार, समाज और
देश विदेश से
पहला सबक
सिखाती है माँ
पिता, भाई बहन
दोस्त, रिश्तेदार
और पड़ौसी
गुरु की शिक्षा
होती अनमोल है
सीख जीवन सागर की
कश्ती है
तूफानी लहरों से बचाती
बहुत कुछ सिखाती है
प्रकृति की सीख निराली है
चुपके से सबक दे जाती है
सागर से गम्भीरता
धरती से धीरज
व्योम से विशालता
फूलों से खिलना और महकना
झरनों से हंसी
पवन से गति
चांद से शीतलता
सूर्य से तेज
पर्वत से स्थिरता
वृक्षों से विनम्रता का पाठ
कितनी खूबसूरती से
मौन रहकर भी
प्रकृति दे जाती है
आइए सीखे सबक
जड़ और चेतन से
सृष्टा की सुंदरतम सृष्टि से
बनायें जीवन खुशहाल
न रहे फिर कोई मलाल
सिखायें भावी पीढ़ी को
सीख लें खुद भी
जिंदगी के अनुभवों से

सरिता गर्ग
स्व रचित
@@@@@@@@@@@@@@@@


14/5/19
नमन मंच।
नमस्कार गुरुजनों ,मित्रों।
सबको/सीख
💐💐💐💐💐💐💐
वक्त से सीख ले,
वक्त बदलता रहता है।

दिन एक जैसे नहीं रहते,
इन्सान बदलता रहता है।

कौन मां,बाप,कौन बेटी,बेटा,
पैसे की सब यारी है।

जबतक तेरे पास है पैसा,
सबसे रिश्तेदारी है।

पैसा खत्म, रिश्ता खत्म,
कोई नहीं पूछता है हाल,

रिश्तेदार मुंह फेर लेते हैं,
जो कल तक थे तेरे लिए बेहाल।

समय से सीख लेनी पड़ती है,
चाहे हो अमीर या गरीब।

समय रहते चेतो इन्सान,
वरना कोसोगे अपना नसीब।।
💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
💐💐💐💐💐
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन "भावो के मोती"
14/05/2019
  "सीख/सबक"
छंदमुक्त
################
शीत,ग्रीष्म चाहे हो बरसात
कोहरे की घिरी हो चादर..
या काले मेघों का हो डेरा
सूरज लेकर आता हर दिन
एक नूतन सवेरा.....
हर परिस्थिति में ....
जीना सीखाता...
सीख सभी को दे जाता ।

जिंदगी का दूजा नाम है चलना..
गर भावनाएँ आहत हो..
गिरकर भी तू संभलना
साहस बटोर आगे बढ़ना
सबक लेकर है चलना..।

दुश्मन के वार से..
तलवार की धार से..
स्वयं को बचाता चल
दोस्त और दुश्मन को
अपने पराये को ..
पहचान के चल....
मन से मत हारना..
सबक जिंदगी से लेता चल..
मरने से पहले .....
जिंदगी जीता चल.....।।

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
@@@@@@@@@@@@@@@@


भावों के मोती
14/05/19
विषय- सीख

सच जहाँ हो कहना
 वहाँ चुप न रहना ,
सच कितना भी कड़वा 
सदा अमर ही रहता ,
झूठ के नही होते पांव
गिरता पड़ता चलता 
हवा के रुख में गर उड़ता रहा तो 
तूं अपनी जमी भी गंवा देगा , 
कितना भी हो मजबूत मनोबल 
दुखियों के गम में रोना सीख ,
सबसे सुंदर वही हवेली 
जो  'दिल'  कहलाती ,
तूं औरों के दिल में रहना सीख ,
हार जीत दो पल की कहानी
गिर गिर संभलना जीवन की रवानी ।

स्वरचित। 

            कुसुम कोठारी ।
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन मंच को
दिन :- मंगलवार
दिनांक :- १४/०५/२०१९
शीर्षक :- सीख/सबक

चलते-चलते राह में,
मिल जाता अनजान कोई।
दे जाता प्रेम-सद्भाव की,
सीख भी बच्चा नादान कोई।
नन्हें-नन्हें यारों सँग,
करते वो अटखेलियाँ।
मिल बांटकर खाते सभी,
वो मीठी-मीठी टॉफियाँ।
पल में ये झगड़ते,
पल में हो जाते एक फिर।
स्वभाव इतना लचीला इनका,
बन जाते ये नेक फिर।
अहं भाव न इनमें मिलता,
सबमें ये घुल मिल जाते।
जात,पात व धर्म ये जाने ना,
धर्म निरपेक्ष का सबक दे जाते।
अमीरी,गरीबी ये न देखे,
बस दोस्ती को निभा जाते।
एक साथ में बैठ,उठकर,
सबको समरसता सिखा जाते।
बच्चे होते नादान भले ही,
पर सीखा जाते मानवता ये।

स्वरचित :- मुकेश राठौड़
@@@@@@@@@@@@@@@@

🌷🌷जय मॉ शारदा,🌷🌷
भावों के मोती,
बिषय,, सबक ,सीख ,
14/5/2019 
नमन मंच,,
जीवन में हर शख्स एक बार
फिसलता जरूर है 
 इक ओर पड़ा रहता 
सारा गुरूर है
एक वक्त ऐसा भी आता है 
जो हमें बहुत  कुछ 
सबक  दे जाता है 
समय रहते सीख लिया
फिर तो जहॉ में जीत गए 
बरना अनाड़ी रह खाली 
घड़ा से रीत गए
किसी ने सही कहा 
सीख लो चाहे वह बच्चा हो
आगे का  हर कर्म 
तुम्हारा सच्चा हो
 जहॉ हमारा हित हो 
सबक लेंने में भलाई है 
फिर गलती स्वीकार करने
में क्या बुराई है

स्वरचित
@@@@@@@@@@@@@@@@

नमन "भावों के मोती"
शीर्षक----सीख/सबक

सबक सब सीखिये
जो रही जिंदगी सिखाय
पहले सबक खुद मानिये
फिर दीजिये औरन को सीख
हर असफलता एक सबक है
जो देती है आगे एक कदम बड़ाय
संभल-संभलकर आगे बढ़ो
हर ठोकर कहती यह समझाय
गुण-अवगुण हर मन बसे
पहचानों ज्ञान की आँखें खोल
जिसमें सुख मिले समाज को
उसे सबक और सीख दो बनाय
अनुभव से मिले सबक
असफलता से सीख
प्रयास से सफलता
और अभ्यास से ज्ञान
यह चारों मूलमंत्र जीवन के
गाँठ बाँध इन्हें सीख लो बनाय
जीवन सार्थक तब हो जायेगा
जब सीखेंगे लोग तुमसे यह सीख
----नीता कुमार 
    (स्वरचित)
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन       भावों के मोती
विषय      सीख
विधा        कविता
दिनांक     14/5/2019
दिन          मंगलवार

सीख/सबक
🎻🎻🎻🎻🎻

सीखने की आयु, भला कभी होती कहाँ
बैठ जाओ ज़रा, सीखने को मिले जहाँ
किताबी ज्ञान तो, होता नहीं कभी भी ज्ञान 
क्या करे कोई भी,व्यर्थ अपना इस पर अभिमान।

व्यावहारिक ज्ञान ही, सबसे बडी़ पूँजी है
जिसने सीखा इसे,उसकी ख्याति सब ओर गूँजी है
जो अपने ज्ञान को,व्यवहार में न बदल सका
उसकी  शिक्षा तो,जीवन भर की गूँगी है।

हम सीखें यदि तो,हमारा ज्ञान होता पूर्ण
हमसे कोई सीखे तो,हम हो जाते हैं परिपूर्ण
इस बीच यदि,कुछ भी न घटे तो
सब कुछ ही,रह जाता अपूर्ण।

स्वरचित

सुमित्रा नन्दन पन्त

जयपुर
@@@@@@@@@@@@@@@@



नमन मंच 
14/05/19 
सीख
***
सुबह सुबह  ही सीख से ,मोबाइल  भर जाय
पालन खुद  करते क्या ,प्रश्न  जेहन में आय।

स्वयं पालन करते नहीं  , दे बिन माँगे  भीख ।
थोड़ा भी पालन  करें ,जो दे सबको  सीख ।

निष्ठा लगन परिश्रम ही ,मानव  की पहचान 
 सीख का महत्व समझो, जीवन  हो आसान ।।

सीखने की सीमा नहीं ,करते रहो प्रयास
आयु बाधक नहीँ  रही ,मन में रखिये आस  ।।

उम्मीदों की नाव पर  ,रखिये पैर सँभार ।
सब दुख का कारण यही ,कोय न खेवनहार।।

स्वरचित 
अनिता  सुधीर
@@@@@@@@@@@@@@@@

नमन "भावों के मोती" 
विषय - सबक/ सीख
14/05/19
मंगलवार 
कविता 

जिंदगी हर घड़ी हमको सबक सच्चा सिखाती है।
दुखों की कालिमा में पथ उजालों का दिखाती है।

कभी  कर्तव्य  से होकर विमुख जब राह भूलें तो,
वही  देकर  सजा ,अवसर सुधरने का दिलाती है।

जो  वैभव  के  नशे  में चूर  हो करते अनैतिकता,
जिंदगी देकर ठोकर फिर जमीं पर ला गिराती है।

जहाँ   संवेदना   से   शून्य   होकर   टूटते  रिश्ते ,
विपत्ति के समय रिश्तों की गरिमा यह बताती है।

जो  जीते हैं सदा अपने लिए बस स्वार्थी बनकर,
यह दे संदेश सबके मन में परहित भाव लाती है।

स्वरचित 
डॉ ललिता सेंगर
@@@@@@@@@@@@@@@@


"नमन-मंच"
"दिंनाक-१४/५/२०२९"
"शीषर्क-सीख/सबक
नभ के बादल लगे सुहावन
उमड़ घुमड़ कर जल बरसाये
इससे मिले हमें सीख यही

चाहे हम जितने ऊपर उठ जाये
धरती पर हम लौट कर आये,
खग उड़ चले गगन की ओर
नीले नभ को छूने की होड़

थक हार कर जब वह वापस आये
हमें यह सबक सीखाये
पूरी दुनिया हम घूम के आये
सबसे न्यारा अपना घर कहलाये।

पंतग उड़े दूर गगन
डोर कसे जब पूरे हम
टूटे डोर पंतग गिरे धरा पर
ये हमें यही सीखाये,

सही संतुलन बेहद जरूरी
तभी चले रिश्तों की डोर
सबक मिले हमें कदम कदम पर
बस हमें हो सीखने की ललक।
    स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
@@@@@@@@@@@@@@@@


सीख  सभी को देता जीवन 

कभी  गिरा कर कभी उठाकर 
प्रेम  नेह  से  पाठ  पढ़ा कर 
कुचले , पटके,  कभी बचाकर 
खरी कसौटी पर कसता जीवन 
सीख  सभी  को  देता जीवन

कभी रूठता और . कभी मनाता
कभी छीन कर ,झोली भर जाता
कोष कुबेर का खाली कर जाता
कैसे कैसे  पाठ  पढ़ाता जीवन
सीख  सभी  को  देता  जीवन

सच्चे  मानव  की यही पहचान 
औरों के दुख दर्दो का रखे मान
सदा करे जो मधुर कर्मों का गान 
अवसर  सबको  देता  जीवन 
सीख  सभी  को  देता जीवन

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन भावों के मोती
14/5/2019::मंगलवार
विषय--सीख या सबक
विधा-- सरसी छन्द

सबक सीखना हो ग़र कोई, आओ गुरु के द्वार
गुरु ही होते हैं इस जग में, करते बेड़ा पार

जन जन को हैं शिक्षा देकर, करें बड़ा उपकार
गुरु चरनन में शीश नवाओ सदा करो सत्कार

तपा तपा कर देते हैं वो, कुंदन सा तैयार
फिर न रहते इस दुनियाँ में, होकर हम लाचार

सहन शीलता की मूरत वो, करें सहज व्यवहार
सूरत चाहे जैसी भी हो , सीरत अपरम्पार

शिक्षा इक अनमोल सा गहना,कण्ठ सजे ज्यूँ हार
एक अहम सी रहे भूमिका,गुरुदेव की यार
              रजनी रामदेव
                 न्यू दिल्ली
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन् भावों के मोती
14मई19
विषय -सीख/सबक
विधा-हाइकु
1
धैर्य रखना
जीवन संवरना-
धरा की सीख
2
मन गम्भीर
पर हृदय पीर-
सागर सीख
3
जीवन ऊँचा
पवित्रता का भाव-
पर्वत सीख
4
कर्म महान
विस्तृत आसमान-
पूरा संसार
5
जीवन मर्म
परोपकार धर्म-
प्रकृति सीख
6
शैक्षिक ज्ञान
जीवन का विज्ञान-
गुरु की सीख
7
प्यार संस्कार 
जगत व्यवहार-
माता की सीख
8
कठिन श्रम
अनुशासन पथ-
पिता की सीख
9
अकेला जीव
अनुभव सबक-
संसार चक्र
10
ज्ञान प्रधान
जीवन का सम्बल-
गीता सबक

मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
@@@@@@@@@@@@@@@@


शुभ संध्या
शीर्षक-- ''सीख/सबक"
द्वितीय प्रस्तुति

सीखों की न कभी कमी है
सीख न अब तक थमी है ।।

चाहे जितना सीख लें हम
आँख में फिर भी नमी है ।।

जिन्दगी तो प्रश्न ही रही 
अच्छों की मति घुमी है ।।

सीखने को सीख ही रहे 
पर बात न कोई जमी है ।।

ऐसा नही कि नास्तिक हूँ
आस्तिकता'शिवम' चूमी है ।।

पाठशाला जानी जिन्दगी
विद्यार्थी तुम विद्यार्थी हमी हैं ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 14/05/2019
@@@@@@@@@@@@@@@@


🙏जय माँ शारदा...
...नमन भावों के मोती....
दि. - 14.05.19
विषय - सीख/सबक 
मेरा प्रयास सादर निवेदित....  *****************************
             🌷#सबक 🌷
               ========

खूबसूरत   सबक   ये  भुलाना नहीं |
भूल कर भी किसी को सताना नहीं ||

ज़िंदगी  नाम   हँसने   हँसाने का है |
याद रखना किसी को  रुलाना नहीं ||

राह  आसां  नहीं  मंज़िलों  की यहाँ |
मुश्किलों  से  मगर  हार जाना नहीं ||

चोट जो भी मिले खुद ही सहना मगर |
जख़्म अपने  किसी को दिखाना नहीं ||

रंग पल पल  बदलता ज़माना यहाँ |
क्या फ़साना  बना दे ठिकाना नहीं ||

वक्त  को मान  देना  हमेशा उचित |
वक्त   बेकार  में  ही  गँवाना  नहीं ||

बात  सीधी व  सच्ची  कहो ऐ *सरस* |
बस  दिखावे  के नज़दीक जाना नहीं ||

********************************* 
     #स्वरचित 
      प्रमोद गोल्हानी सरस 
          कहानी सिवनी म.प्र.
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन "भावों के मोती"🙏🙏
शुभ साँझ
विषय-सबक
विधा-छंद मुक्त कविता
🍂🍁🍂🍁🍂🍁🍂🍁🍂🍁🍂🍁🍂

जिंदगी देती है खुद ही सबक ,इसे यूँ ही गवाना नहीं
राह में जो लगें ठोकर तुझे भूल कर उसे जाना नहीं

गिरकर खुद ही सम्भलना तुझ ही को है अब
गिरा कर जमाना उठाने कभी आया नहीं

पग पग पर मिलेंगे सबक जिन्दगी में तुझ को खुद
बनके खुद का गुरु बढकर परीक्षा देते जाना यहीं

माँ के आँचल में सीखा तूने जो पहला सबक 
उसकी निष्ठा ,विश्वास को छल करके जाना नहीं

पिता एक बरगद का कठोर छाया वृक्ष है
उसके सख्त फैसलों को भूल जाना नहीं

स्वरचित
नीलम शर्मा#नीलू
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन मंच १४?०५/२०१९
विषय -सबक/सीख
 सरसी छंद

सबक सीखने के लिए आओ,कभी हमारे पास
मन से जो भी सबक सीखता, उसका है कल्याण।

घूम घूम हमें शिक्षित करते, करते हैं उपकार
चरण पखारें यदि हम उनका तब भी होत न मान।

हमें सिखाते मान बढाते , करते हैं तैयार
नमन करें ऐसे गुरुवर को, करते बेड़ा पार।

ज्ञान का भंडार हैं वह तो, करते नहीं गुमान
सीख सिखाते ज्ञान बांटते, करते सृजन महान।

करें नमन जो ऐसे गुरु को, महिमा करें बखान
मिलती सदा सफलता उसको, होत न मन हलकान।
(अशोक राय वत्स) स्वरचित ©
जयपुर
@@@@@@@@@@@@@@@@


शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
14/05/2019
हाइकु (5/7/5)   
विषय:-"सबक" 

(1)
काम न आये 
किताबों के "सबक" 
ठोकरें गुरु 
(2)
कर्म की शक्ति 
सिखा गई "सबक"  
श्रमिक चींटी 
(3)
संभले कैसे 
जिंदगी के "सबक"  
मौसम जैसे 
(4)
देता "सबक"  
वोट एक ताकत 
नेता समझ 
(5)
जीवन कक्षा 
प्रेम "सबक"  पढ़ा 
हृदय जीता  

स्वरचित 
ऋतुराज दवे
@@@@@@@@@@@@@@@@


नमन भावों के मोती
दिनांक-14/5/2019
विषय-सीख/सबक
प्रकृति देती सीख सब कुछ बाँटने की 
सिखाती सबक  न प्रकृति से टकराने की ।
 जब-जब मानव प्रकृति का दोहन करता है 
प्रकृति का तांडव कठोर सबक सिखाता है ।
जीवन सीख और सबक का मिला- जुला मेला है।
मानव कभी सीख से तो कभी सबक से खेला है।
जब -जब स्वयं में अति विश्वास जागा,
सफलता का अंदाज दूर भागा।
तब मिला सबक स्वयं को सँभालने का ,
गलती सुधारने का।
जब-जब जोश में जबान खोली ,
सबक सीखा तोल के बोलने का ।
जब-जब भरोसा किया ज्यादा अपनों पर,मिली उपेक्षा ,मिली सीख,
जब धूप तेज़ होती है तो परछाई भी साथ छोड़ देती है।
सीख और सबक एक सिक्के के दो पहलू हैं ,
जीवन में सीख सीखते चलो ,सबक लेते चलो ।
स्वरचित
मोहिनी पांडेय
@@@@@@@@@@@@@@@@

14-5-2019
विषय:- सीख / सबक़ 
विधा :- कुण्डलिया

मिलते जीवन में सबक़ , जो क्षण जाते बीत ।
सिखलाता चुपचाप है , रह कर मौन अतीत ।।
रहकर मौन अतीत , शूल सारे दिखलाता ।
जो हो समय व्यतीत , वही शिक्षक बन जाता ।
मिले समय से सीख , पुष्प कैसे हैं खिलते । 
घटनाओं से सीख , सबक़ जीवन में मिलते ।।

स्वरचित :- 
ऊषा सेठी 
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
@@@@@@@@@@@@@@@@


सादर नमन
विधा-हाईकु
विषय- सीख
लगे ठोकर
जीवन अंधकार
सीख रोशनी
गमों का ताला
हृदय तलाशता
सीख की चाबी
सीख के बीज
विचारों की धरती
खुशियाँ फल
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
14/5/19
मंगलवार
@@@@@@@@@@@@@@@@



नमन मंच को 
14/5/2019
सबक /सीख 
1
देता सबक 
समय है शिक्षक 
ज्ञान बढ़ाता 
2
सबक कक्षा 
जीवन पाठशाला 
पढ़े इंसान 
3
कर्म की सीख 
जीवन पाठशाला 
ईश शिक्षक 
4
दिल के पन्ने 
प्रेमी रहे ढूंढते 
न मिले सीख 
5
छोटी बिटिया 
घर है पाठशाला 
माँ की सीख 
6
स्वयं पाठक 
बनते  कर्म शील 
मिलती सीख 
7
माँ के संस्कार 
उच्च होते विचार 
जीवन सीख़ 
कुसुम पंत उत्साही 
स्वरचित 
देहरादून
@@@@@@@@@@@@@@@@

सादर नमन
      " सीख"
माँ जब मैनें चलना सीखा,
खाकर ठोकर उठना सीखा,
जीवन की इस कठिन ड़गर में,
अपनों से ही सबक है सीखा,
***
गिरकर सदा संभले हम,
मिटा जीवन का हर तम,
सीख की रोशनी में,
बढ़ते रहे मेरे कदम,
***
मात-पिता सीख है संबल,
ना कपट ना मन में छल,
क्षण भर के सुख त्याग कर,
मिलती खुशियाँ हर पल।
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
15/5/19
मंगलवार
@@@@@@@@@@@@@@@@










No comments:

Post a Comment

"अंदाज"05मई2020

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नही करें   ब्लॉग संख्या :-727 Hari S...