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ब्लॉग संख्या :-391
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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक बेकरार,बैचेन
विधा लघुकविता
20 मई 2019,सोमवार
प्रभु बेचैन हूँ दर्शन पाने को
कृपा करो करुणा के सागर
भक्ति भाव मैं कुछ न जानु
कृपा करो प्रभु नटवर नागर
मन रहता है बेचैन नित
भक्ति कर मुक्ति को पालूं
है जग पालक अंतर्यामी
है नाथ निज रूप मैं जानु
दीनदयालु मंगलकर्ता हो
हिय सदा बेचैन ही रहता
दया करो भक्तों के ऊपर
पाप विनाशक पीड़ा हरता
भक्ति भाव अर्चन न जानु
प्रेम भाव को सबकुछ मानु
बेकरार रहता मन नित है
मोक्ष प्रदान करो प्रभु ज्ञानु।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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सुप्रभात"भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन,🌹
20/05/2019
"बेचैन/बेकरार"
1
भूखा है शिशु
भोजन की लालसा
बेचैन माता
2
सत्य दंडित
झूठी दलील देके
बेचैन न्याय
3
मन बेचैन
रिश्तों से मिला धोखा
विश्वास खोया
4
अमां की रात
चकोर बेकरार
कहाँ है चाँद
5
बेचैन युवा
रोजगार तलाश
निराशा हाथ
6
बेचैन मन
पिया गए विदेश
सताए याद
7
बेचैन शिक्षा
आरक्षण व्यवस्था
ह्रास प्रतिभा
8
नशे में युवा
विकास है बेचैन
राष्ट्र की चिंता
तांका
1
पिता की मृत्यु
माता विरहाकुल
बेचैन पुत्र
कटुसत्य सामना
विदेश से रवाना ।
2
चाँदनी रात
सरहद तैनात
पिया की याद
जिया है बेकरार
कटी जागके रात ।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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।। बेकरार/बेचैन ।।
कहाँ मिलता है अब वो करार
आज बेकरार सारा जमाना है ।।
हर एक किसी न किसी खातिर
व्याकुल बेचैन और दीवाना है ।।
दिन का चैन रात की नींद गायब
भूला रूप जिन्दगी का सुहाना है ।।
हमने पंछियों को देखा सुकून में
क्या मस्त बेफिक्र उनका तराना है ।।
मिलकर निकलें झुंड में सब गाते
शाम को अपने नीड़ में सुस्ताना है ।।
इंसा ने कुदरत के सारे नियम तोड़े
अब सुकूं का दूर उससे ठिकाना है ।।
दौलत शोहरत की हवस ने छीना
चैन आज इंसा अपनों में बेगाना है ।।
बेकरारी में कटें दिन करार आते ही
दूसरी मंजिल पर होता निशाना है ।।
बच्चों में भी नैतिकता संस्कार खत्म
दिल दिमाग महत्वाकांक्षी का खजाना है ।।
चैनोअमन की बात 'शिवम' अब पुरानी
जिन्दगी दौड़ धावक को प्रथम आना है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 20/05/2019
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20मई2019
💐💐💐💐
बेचैन/बेकरार
💐💐💐💐
नमन मंच।
सुप्रभात गुरूजनों, मित्रों।
💐💐💐💐💐💐
माँ,मैं हूँ बेचैन,
दर्शन दे दो मुझको।
मेरी अँखियाँ तरस रही है,
देखने को माता तुझको।
फूल,प्रसाद अर्पण किया मैंने,
धुप,दीप जलाया।
लड्डू,पेड़े प्रसाद चढ़ाकर,
माँ,मैंने तुझे मनाया।
कबतक दर पे खड़ी रहूँ मैं,
ये तो बतला दो मुझको।
मेरी अँखियाँ.........
पूजा,अर्चना करती रहती हूँ,
तेरे सिवा कोई ना मेरा।
माँ मुझको समझाओ आकर,
कबतक राह देखूँ मैं तेरा।
कब जीवन में होगा सवेरा,
ये तो कहो माँ मुझको।
मेरी अँखियाँ.......
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
💐💐💐💐💐💐💐
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नमन मंच
दिनांक .. 20/5/2019
विषय .. बेकरार /बेचैन
विधा .. गीत
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सखी रे सावन आया, पर वो नही आये..
बेचैन मेरे दिल को पिया, नित दिन तडपाये।
सखी रे सावन आया, पर वो नही आये...
...
बरखा जल की बूँदे मेरे, तन मे आग लगाये।
बहे जो पुरवा मेरे मन को, बेकरार कर जाये।
सखी रे सावन आया, पर वो नही आये..
.....
तडप रही मै जल बिन मछली, न जाने वो पीड बेदर्दी।
किसको पीड बताये।
सखी रे सावन आया, पर वो नही आये..
.....
गये पिया परदेश कमाने, ब्याह किया मोहे घर मे बिठा के..
गवनवाँ करया काहे।
सखी रे सावन आया, पर वो नही आये..
....
मिलन को तडपे तेरी सजनिया, कैसे बात बताये।
शेर सुनो ना कह पाऊँ मै, मन ही मन कुम्हलाये।
सखी रे सावन आया, पर वो नही आये...
......
स्वरचित एवं मौलिक
शेरसिंह सर्राफ
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नमन मंच
भावों के मोती,
शीर्षक :-बेकरार, बेचैन
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ये फ़िजा इस तरह से मचलने लगी,
बेकरार दिल को रंगों में रंगने लगी!
ये कलियाँ ये गलियां सजी इस तरह,
ये दुनियां अब सारी महकने लगी!
आकर के कानों में हवा इस कदर,
ये संदेशा सजन की कहने लगी!
ये गुलाबी,गुलाबी सा एहसास है,
घटा बनके आंगन ,बरसने लगी !
महबूबा मेरी जिंदगी से बड़ी
धड़कने दिल मे बनकर धड़कने लगी!
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रचनाकार-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
चांगोटोला, बालाघाट ( मध्यप्रदेश )
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दि- 20-5-19
सोमवार
विषय- बेकरार /बेचैन
सादर मंच को समर्पित -
🌺☀ मुक्तक ☀🌺
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🍀 बेकरार / बेचैन 🍀
🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧🎈💧
कभी-कभी बेचैन करतीं
कुछ घटनायें जीवन में ।
सब बातें अनुकूल न होतीं ,
न घबरायें जीवन में ।
बड़ी बात है सम ही रहना ,
सुख-दुख प्रभु की प्रसादी--
बेकरार होने से मीत ,
दिल मुरझायें जीवन में ।।
🌸🌻🎈🍀🌺
🍎🌾**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
मो0-8532852618
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बेचैन/बेकरार
द्वितीय प्रस्तुति
20मई19
मेरा दिल है बेकरार,
साजन,
आन मिलो।
पुछे सब सखियां,
कब आयेंगे,
मैं बनाती बहाने हजार।
साजन,
आन मिलो।
छोड़ दिया सजना,संवरना,
छोड़ दिया संसार।
तेरी हीं धुन में बैठी हूं साजन,
कब करोगे आके मनुहार।
साजन,
आन मिलो।
जब आओगे,तब आओगे,
अभी तो फोन हीं कर दो।
कह दूंगी सखियों से,
फोन आया है उनका,
आयेंगे दीवाली पर इस बार।
साजन,
आन मिलो।
मेरा दिल है बेकरार,
साजन,
आन मिलो।।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
💐💐💐💐💐
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सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज.
नमन -भावो के मोती
20/05/2019
बेकरार........।
क्यों लौ लड़खड़ा रही है
ये इस मजार की।
जरूर ये कब्र है
किसी बेकरार की।।
सिसकता चांद ,प्यासा कवि
उम्र भर की एक उदासी
रह गई बरकरार।।
एक कशिश दबी रह गई दिल में
गुमनाम रंजिश के द्वार।।
किससे शिकवा मैं करूं
किस पे करूं एतबार।।
जो चराग बुझ गये बेताबी में
कब तक करूं मैं इंतजार।।
स्वरचित
सर्वाधिक सुरक्षित
सती प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कालेज प्रयागराज
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20/5/19
भावों के मोती
विषय-बेकरार/बेचैन
विधा- हाइकु
🏵
तेज है घाम
पशु-पक्षी बेचैन
मिले न छाँव
🏵
गर्मी से चूर
बढ़ रही बेचैनी
बारिश दूर
🏵
अग्नि के बाण
सूर्य करे प्रहार
बेचैन धरा
🏵
नौ तपा शुरू
जेठ की दुपहरी
बेचैन मनु
🏵
बढ़ी बेचैनी
उगलता सूरज
क्रौध में आग
🏵
घिरते मेघा
मन है बेकरार
वर्षा की आस
🏵
झूमती धरा
बारिश में भीगती
बेचैनी मिटा
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित ✍
घाम(धूप)
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भावोंके मोती मंच को नमन ।
दिन सोमवार :-20/5/2019
विषय :-,बेखरार /बोचेन
यह बेकरारी क्यों है
दिल भी बैचेन है
शायद कही तूने भी
याद किया मुझको ।
बेकरार करके ही
तू जब से गया है
लौट के न आयेगा
कभी मुझको ज्ञात है ।
जानते हुये भी सब
दिल को न करार है
कैसी है ये बेकरारी
जो करता इंतजार है
स्वरचित :-उषासक्सेना
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भावों के मोती
20/05/19
विषय - बेचैन /बेक़रार
गिरे हैं पहाड़ो से संभल जायेंगे तो क़रार आयेगा।
खाके चोट पत्थरों की संँवर जायेंगे तो क़रार आयेगा।
नीले पहाडो से उतर ये जल धारे गिरते हैं चट्टानों पर
झरने बन बह निकले कल-कल तो क़रार आयेगा।
कहीं घोर शोर ऊंचे नीचे, फूहार मोती सी नशीली
विकल "बेचैन"मिलेगें सागर से तो क़रार आयेगा।
जिससे मिलने की लिये गुज़ारिश चले अलबेले
पास मीत के पहुंच दामन में समा जायेंगे तो क़रार आयेगा।
सफर पर निकले दीवाने मस्ताने गुज़र ही जायेंगे
लगाया जो दाव वो जीत जायेंगे तो क़रार आयेगा।
इठलाके चले बन नदी, फिर बने आब ए- दरिया
जा मिलेगें ये जल धारे समंदर से तो क़रार आयेगा।
स्वरचित
कुसुम कोठरी।
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मंच को नमन
शीर्षक: बेकरार
दिनांकः 20 मई 2019
बेकरार
-----------राज़ बदायूँनी
चलो हाल दिल का, सुनाया भी जाए।
कोई ख़ास अपना, बनाया भी जाए।।
बड़ा बेकरार होकर,उजड़ सा गया दिल।
प्यार के गुलों से, सजाया भी जाए।।
मोहब्बत के दामन पर दाग़ हैं हज़ारों।
कोई दाग़ दिल का, मिटाया भी जाए।।
ज़माने का कैसा , नज़रिया है यारो।
नज़ारों से परदा, हटाया भी जाए।।
अँधेरों में गुम है , प्यार की कहानी।
चिराग़-ए-मोहब्बत ,जलाया भी जाए।।
वफ़ाओं की राहों पर ,चलें न चलें वो।
किसी बेवफ़ा को, निभाया भी जाए।।
कोई बात कब तक, छुपाएं भी कैसे।
चलो "राज़" दिल का, बताया भी जाए।।
-------------
गीतकार:राज़ बदायूँनी
बाजार कलां उझानी
बदायूँ ( उ.प.)243639
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सादर नमन
दिल माँ-बाप का है बेचैन,
तक रहे राह भीगे नैन,
औलाद मस्ती में एश करे,
काली हो गई उनकी रैन।
*
बेचैन शख्स क्या आगे बढ़ेगा,
हर कदम पर वो गिरेगा,
करेगा जब तू संतोष धारण,
जीत का तेरे तब सेहरा बँधेगा।
*
तेरा बचपन महकता रहे,
बेचैनी तुझसे दूर रहे,
तेरे उज्जवल भविष्य की खातिर,
माँ -बाप ने कितने कष्ट सहे,
**
स्वरचित-रेखा रविदत्त
20/5/19
सोमवार
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1भा20/5/2019/सोमवार
बिषयः#ःबेकरार/बेचैन#
विधाःः काव्यः ःः
व्याकुल हूँ बेचैन बहुत प्रभु,
यहां कैसे क्या कुछ कर पाऊँ।
भरा अंतरतम में राग द्वेष तो,
कैसै भक्ति भजन कर पाऊँ।
नहीं प्रेमभाव है मेरे मनमें
मन अशांति का डेरा है।
मोह वासनाओं के वश में,
यहां चारों तरफ अंधेरा है।
बेकरार रहता दिल मेरा,
बेबस घृणाओं ने घेरा है।
संवेदनाऐं ही मर गई मेरी,
अदभुत तिमिर तमेरा है।
कुछ ऐसा कर दें मेरे भगवन,
सहानुभुति प्रभु सबसे रख लूँ।
नहीं रह पाऊँ बेचैन बिकल मै,
पुरूषार्थ परोपकार कुछ कर लूँ।
स्वरचितःः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम रामजी
1भा.#बेकरार/बेचैन#काव्यः ः
20/5/2019/सोमवार
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20/5/19
भावों के मोती
विषय -बेकरार/ बेचैन
द्वितीय प्रस्तुति
__________________
मैंने तुझको चुना
इक सपना बुना
तेरा हाथों में हाथ
चल दिए साथ-साथ
राहें अनजान थी
चल दिए जोश में
तेरे आगोश में
खुशियों का यह रास्ता
जन्मों का वास्ता
कभी मिट न सके
साथ तेरा मेरा
मैंने तुझको चुना
इक सपना बुना
होता बेचैन मन
तेरी सुनने को धुन
जब तलक साथ हैं
सपने बुनती नज़र
ख्वाहिशें प्यार की
दिल ए बेकरार की
रचती इक नया जहाँ
चलो चलें हम वहाँ
दीप तारों से लें
भरें चाँद से प्रकाश
खुशबुएं फूल से
महकाएं मन का जहाँ
मैंने तुझको चुना
इक सपना बुना
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित✍
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नमन मंच"
"दिंनाक-२०/५/२०१९"
"शीर्षक-बेचैन/बेकरार"
सिर जो अपना खुजा रहे हो,
क्यों बेचैन हो?जो छुपा रहो हो।
चलो मिल कर बैठे आज
खत्म हो जाये, बेचैनी की रात।
है अनुताप , तो कहो बात,
आईना बदलने से न होगा काम
जीवन नही शतरंज के बिसात
हर कर्म का हिसाब किताब।
अपनी अदालत मे बैठो आज
आत्मा बनेगी आज गवाह
उथल पुथल है जो अंदर
उलझन दूर करो अंदर।
वक्त कब ले करवट बदल
हो जायेगा कायापलट
चर्चा पहले अंदर,फिर बाहर कर लो
अंदर बाहर एक सा हो लो।
प्रभु ने जब कही मुझसे ऐसी बात
दूर हुआ बेचैनी, आया करार
ये तो थी सपनें की बात,
पर अब समझा मैं ये बात,
करें क्यों हम कोई ऐसा काम
बेचैन रहे हम दिन और रात
याद रखे हम सदा ये बात
अपने कर्म अपना हाथ।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
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,🙏🙏🌷🌷जय माँ शारदा🌷🌷🙏🙏
नमन मंच भावों के मोती
20/5/2019/
बिषय,, बेकरार ,बैचेन
जहॉ तक देखती हूँ
हर शख्स बेकरार है
किसी को दौलत का
किसी को शोहरत
का खुमार है
बनवटी दुनियॉ में
संबेदनाऐं खो गईं
स्वार्थ के भशीभूत
सदहृयता चिरनिद़ा में
सो गईं
मतलब के ही सारे
रिश्ते नाते रह गए
प़ेम सदभावना बाढ़
से बह गए
अति महत्वकांक्षा से
हर आदमी बैचेन है
समेटने की पिपासा से
दिन रात बैचेन है
अपनेपन के स्रोत सूखे
जैसे खड़े हों दरख्त रूखे
बुजुर्गों की बहुत बुरी है हालत
बेटा ही करता बाप से बकालत
युवा वर्ग है रहता
रोजगार में बैचेन
नेता को कुर्सी
बिन नहीं चैन
चलते रहो जब तक
मंजिल नहीं आएगी
रैन अंधेरी वो सुबहा
कभी तो आएगी
स्वरचित
सुषमा ब्यौहार
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आज का विषय बेकरार, बेचैन,
ग़ज़ल,पेश है साथियों,
जब सुहानी बरसात आती रातों में,
मुझको चंचल हवा छेड़ती रातों में।।१।।
मीठा मीठा दर्द जगाए रुला ये,
नाग-नागिन बनके लहराती रातों में।।२।।
सारा संसार अंधेरे में डूबा है,
बेचैन दिल सिसक उठती रातों में।।३।।
मन कहे कब मुरझाया फूल खिले गा,
ठंडी पावक सुलग रही रातों में।।४।।
नज़रों का मौन बुलावा पाकर,
चुपके चुपके पास आती रातों में।।
स्वरचित देवेन्द्र नारायण दास बसनाछ,ग,।।
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नमन "भावो के मोती"
20/05/2019
"बेचैन/बेकरार"(2)
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भोर भयो गैयन को लेके
चले कृष्ण मुरारी...
मैय्या यशोदा के आज्ञाकारी
गैयन का करे रखवाली...
ग्वाल-बाल सखा संग..
खेल में खो गए कन्हाई..
साँझ भयो..
घर की याद है आई..
देख बेचैन हो गए कन्हाई
गिनती में एक कम जो पड़ गई...
ढूँढे इधर -उधर मुरारी..
वंशी जब कृष्ण ने बजाई
गाय दौड़ी चली आई..
सखा संग घर लौट चले
दे दे ताली....
माखन मटका लिए..
मैय्या बेचैन हो रही..
देरी क्यों करे है कन्हाई..
नजर भर देख के ..
माता के नैन जो सुहाई..
आ जाए तो कान्हा की
लेगी बलाई........।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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🌸नमन भावों के मोती🌸
🙏गुरुवर को नमन🙏
विषय-बेकरार/बेचैन
दिनांक-20/5/19
विधा-हाइकु
1 बेचैन बूँद
मिलने को आतुर
तप्त धरा से
⛈⛈⛈⛈⛈⛈
2 बेकरार है
चाँद को गोद लेने
सुहानी शाम
🌙🌙🌙🌙🌙🌙
3 सरहद से
मिले पुत्र खबर
बेचैन माता
🇨🇮 🇨🇮 🇨🇮 🇨🇮
स्वरचित
-सीमा आचार्य-(म.प्र)
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नमनमंच
विषय बेकरार/बेचैन
हाइकु
**
धूप बैचैन
अमलतास छांव
मांगती चैन
*
बृद्ध बेचैन
कंपकंपाती सर्दी
दिल का दौरा
*
तुम्हारा खत
सैनिक सरहद
बेचैन दिल
*
मन बेचैन
सुलगती निराशा
एड्स आशंका
*
बेचैन आंखें
तिलमिलाता पेट
रोटी आहट
***
रंजना सिन्हा सैराहा-बांदा
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नमन मंच
20-05-2019
बेचैन-हाइकु
1.
सूरज पिया
धधकती दुनिया
बेचैन जिया
2.
बैरन छांह
बेचैन पपीहरा
प्रीत प्रदाह
3.
तड़प-ताप
नयनजल भाप
बेचैन लाप
-©नवल किशोर सिंह
स्वरचित
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नमन भावों के मोती,
आज का विषय, बेकरार, बैचैन,
दिन, सोमवार,
दिनांक, 20,5,2019,
मिरे बेकरार दिल को करार आ जाये,
अगर बेवफा सनम को प्यार आ जाये ।
बैचैन है माहौल बिजली न गिर जाये,
झूठ के गुलशन में न बहार आ जाये।
बंद हो गयीं दुकानें ईमान की सभी,
कैसे इस बात पर ऐतवार आ जाये ।
तस्वीर आदमी की बदली है आजकल,
कोई तो सच का अब आधार आ जाये ।
चलकर दुनियाँ का स्वरूप बदला जाये,
फिर वापस सपनों का संसार आ जाये।
भेदभाव नफरत की दीवार ढह जाये,
समानता का यहाँ व्यवहार आ जाये।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
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भावों के मोती
सादर प्रणाम
विषय=बेचैन
विधा=हाइकु
========
भटक रही
हवेली में पुरानी
बेचैन आत्मा
बेचैन धरा
आसमान निहारें
आजा रे इंद्र
दर्श को तेरे
बेचैन है नयन
ओ गिरधारी
बेचैन नेता
चुनाव परिणाम
का इंतजार
इश्क में तेरे
बेचैन जग सारा
नींद से हारा
नवल वधु
सीमा पर है जंग
आया न खत
कलम आज
लिखने को बेचैन
है इतिहास
===रचनाकार ===
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
20/05/2019
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शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
20/05/2019
हाइकु (5/7/5)
विषय:-"बेचैन"
(1)
मिले न नैन
सच सामने देख
झूठ बेचैन
(2)
इश्क़ की चोट
घायल हुआ दिल
रैन बेचैन
(3)
खुलती पोल
झूठ बजाये ढ़ोल
बेचैन चोर
(4)
ये कैसा प्रेम
कीमत नहीं मिली
अहं बेचैन
(5)
घायल भोर
रक्तिम अख़बार
आत्मा बेचैन
स्वरचित
ऋतुराज दवे
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शुभ संध्या
शीर्षक-- ''बेकरार/बेचैन"
द्वितीय प्रस्तुति
तुम्हारी मौजूदगी के वो लम्हे
कितने हसीं कितने सुहाने थे ।
क्या बताऊँ कैसे बताऊँ
कैसे वो खूबसूरत याराने थे ।
दिन में हकीकत में दीदार
रात में ख्वाबों के खजाने थे ।
जिस दिन तुम न मिलती थी
वो दिन दर्द के अफसाने थे ।
तुमसे मिलने के ढूढ़ा करे
हम नित नये नये बहाने थे ।
एक दिन की जुदाई भी
सही न जाये कैसे दीवाने थे ।
आज वर्षों की बेकरारी ने
लिखवाये यह तराने थे ।
सोचूँ सुनाऊँ तुमको मगर
अब दूर ''शिवम" ठिकाने थे ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 201/05/2019
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नमन मंच को
दिन :- सोमवार
दिनांक :- 20/05/2019
शीर्षक :- बेकरार/बेचैन
तेरी नजर में वो खुमार आज भी है,
तेरे लिए ये दिल बेकरार आज भी है।
वो यादों के महल जो बनाए थे मैने,
तेरे इंतजार में वो बेजार आज भी है।
न जाने तुझमें ऐसी क्या अदा सी है,
दिल तेरे इश्क का बीमार आज भी है।
वो इश्क की गलियाँ पुकारती है तुम्हें,
उन चौबारों को तेरा इंतजार आज भी है।
न पूछ दिल के हालात संगदिल "गजल",
इश्क की जेल में गिरफ्तार आज भी है।
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
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आज के दौर में
जीना बड़ा दुश्वार है ।
ओरोंकी क्या कहे
बचपन भी बेकरार है।।
विलुप्त हुआ ह्रदय से प्रेम
बची सिर्फ टकरार है।
परायों के लिए क्या अपनों
के लिए भी बंद दिल का द्वार है।।
हर एक को अपनी
काबिलियत पर खुमार है।
धर्म के नाम पर
हो रहा नरसंहार है।।
एकल है मगर फिर भी
बिखर रहे परिवार हैं।
समर्पण सह्योग की जगह
व्यर्थ का अंहकार है।।
बड़ रहा शिक्षा का
प्रचार-प्रसार है।
परंतु फिर भी फैला
अज्ञान का अंधकार है।।
खो गई प्रेम की पवित्रता
बड़ रहा व्यभिचार है।
कई कानूनों के बाद भी
न खतम हो रहा भ्रष्टाचार है।।
आज के दौर में
जीना बड़ा दुश्वार है।
हर शख़्स दुविधा में
हर शख़्स बेकरार है।।
उमा शुक्ला नीमच
स्वरचित
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नमन भावो के मोती
20/5/2019::सोमवार
विषय बेचैन
विधा--कुण्डलिया
जीवन की इस दौड़ में, पल भर को नहिं चैन
आपा धापी इसक़दर, रहें सदा बेचैन
रहें सदा बेचैन, सभी लगते हैं दुश्मन
अब अपनों के बीच,नहीं लगता है ये मन
कर लूँ लाख उपाय,उधड़ती रहती सीवन
कैसी भागमभाग मची है अपने जीवन
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
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नमन भावों के मोती
विषय - बेचैन /बेकरार
20/05/19
सोमवार
कविता
कब तक वीर जवान देश का अपने प्राण गँवाएगा,
कब तक माँ का लाल तिरंगे में लिपटा घर आएगा।
हैं बेचैन सभी के अंतर देख आसुरी कृत्यों को,
अब कोई आतंकवाद को सहन नहीं कर पाएगा।
सबके अंतर्मन में सुलगी एक प्रचण्डित ज्वाला है,
शीघ्र शत्रु में बदले का हर रूप सामने आएगा।
चूहों ने शेरों को धोखा देकर कुत्सित कार्य किया,
चुन-चुनकर इन चूहों के हर बिल को खोदा जाएगा।
सदियों से भारतमाता आतंकवाद से आहत है,
अब निश्चित इस दानवता का अंत किया ही जाएगा।
भारत की फौलादी सेना जिस दिन जिद पर अड़ बैठी,
आतंकी ठेकेदारों का नामो -निशान मिट जाएगा।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
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