Monday, May 6

"शक्ति/ताकत "6 मई 2019

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नहीं करें |
        ब्लॉग संख्या :-378



विषयानुसार कविता
तिथि 6 मई 2019
__
__
बैठ मत तु हार कर 
ताकत से प्रहार कर 
होश मे तु जोश रख 
जोर से प्रहार कर 

हार मत उम्मीद को 
वरण कर तू जीत को 
यूँ ही ना भयभीत हो 
होंसलों में रख जीत को ।

हौसलों मे उड़ान रख 
सामर्थ्य में पहचान रख 
शोक में भी तू अशोक बन 
विपदा की छाती पर ठन "

नाप नभ आकाश को 
छाती में भर विश्वाश को 
देख 'अंबर कब रोया हैं 
टूटते तारों को 
एेक ही जीत मिटा देती हैं 
सो सों पराजय की हारो को

रख ज़िन्दा खुद को 
पराजय की स्वीकारों में
हो विपदा "
भले ही हो अंधियारों में

बैठ मत तु हार कर
शक्ति से प्रहार कर
होंसलों मे जोश रख 
जोर से प्रहार कर ।

पी राय राठी
भीलवाड़ा, राज•


शीर्षक शक्ति,ताकत
विधा लघुकविता

06 मई 2019,सोमवार

शक्ति पुंज होता है मानव
सब जीवों में वह श्रेष्ठ है
बुद्धि बल और कौशल में
नर जग में अतिउत्कृष्ट है

शक्ति के बल से ही मानव
असंभव को संभव करता
सद्कर्मो से वह जीवन में
जैसा करता वैसा भरता

भक्ति से नर शक्ति पाता
शक्ति से वह क्या न करता
अंतरिक्ष में नयी खोज कर
नये रंग जीवन में भरता

शक्ति के बल पर ही हमने
अश्वभेद रण जग जीते हैं।
राणा कुंभा और शिवा के
संघर्षों में ही दिन बीते हैं

गाण्डीव धारी उठा अर्जुन
कुरुक्षेत्र में शौर भारी था
भीष्म कर्ण स्वयं द्रोण भी
खुद दुर्योधन लाचारी था

भुज बल से समृद्धि पाते 
भुजबल ही जग विकास है
विश्वयुद्ध ताकत ने जीते
भक्ति शक्ति जग निवास है

बचपन में स्वंय भरत ने
सिंह शावक दन्त गिने हैं
शक्तिशाली शूरवीरों ने
कंटक सदा पथ बीने हैं
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।


सुप्रभात"भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन🌹
06/
05/2019
"ताकत/शक्ति"
1
लौह समान
सच्चाई की ताकत
निडर बन
2
धर्म की शक्ति
स्वास्थ्य हो अंतर्मन
महाऔषधि
3
सदा वंदन
सुविचार की शक्ति
निर्भय मन
4
स्वयं की शक्ति
स्वाभिमान सुरक्षा
तू पहचान
5
सत्ता की शक्ति
दुरुपयोग न हो
स्वराष्ट्र हित
6
शक्ति प्रकृति
भूमंडल जीवित
सृष्टि निहित
7
वायु दवाब
सृजन चक्रवात
"फोणी"की शक्ति
8

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल

🇮🇳 गीत 🇮🇳
****************************
🌹 शक्ति / ताकत 🌹
☀️ छन्द - कल हंस ( मात्रिक)☀️
चार चरण - 2-2 समतुकान्त
मात्रा = 20 ( 11 , 9 यति )
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

भारत के प्रण वीर , ढाल बन जाओ ।
दुश्मन सीना चीर , शक्ति दिखलाओ ।।

मातृभूमि रज खेल , बने रण धीरा ।
चन्दन माटी चूम , हुए बल वीरा ।।
अमर तिरंगा हाथ , बढ़ो हुंकारो ।
शंखनाद का जोश , गीत गुंजारो ।।

राष्ट्र भक्ति ही धर्म , ज्वार सम धाओ ।
दुश्मन सीना चीर , शक्ति दिखलाओ ।।

जन्मदायिनी मात , दूध की छाया ।
भारत भू रक्षार्थ , पुष्ट की काया ।।
देश धर्म की आन , न मिटने देना ।
अमर भारती शान , न गिरने देना ।।

जब तक तन में जान, ज्वाल धधकाओ ।
दुश्मन सीना चीर , शक्ति दिखलाओ ।।

जीते खुद को सभी , नहीं यह जीना ।
देश प्रेम को जियें , अमर रस पीना ।। 
मानव रूपी जन्म , बहुत बड़भागी ।
अमर शहीद जवान , राष्ट्र अनुरागी ।।

वीर सपूता मात , धन्य कहलाओ ।
दुश्मन सीना चीर , शक्ति दिखलाओ ।।


।। शक्ति/ताकत ।।

शक्ति की सदा पूजा हुई है

शक्ति का रहा है बोलबाला ।
कोई शक्ति दुरूपयोग कर
करता है सरासर घोटाला ।

शक्ति का सदुपयोग करके
इंसान बनता जग में आला ।
भक्ति में भी शक्ति होती है
पियो प्रभु प्रेम का प्याला ।

जल धाराओं को जोड़ कर
बनता है एक बाँध निराला ।
योग शक्ति ऋषियों ने जानी
चमत्कारी शक्ति को संभाला ।

अणुशक्ति को जाना साइंस
परमाणु बम भी बना डाला ।
शक्ति खातिर 'शिवम' आज
साइंस सूर्य किरणें खंगाला।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 06/05/2019


भावों के मोती
6/05/19
विषय शक्ति, ताकत (बल) 


कालिया नाग का बल मर्दन 

एक कालिया नाग भयंकर
गरल विषधारी, बलशाली 
डर गरुड से आ छुपा कालिंदी की दाह
हुआ फूत्कार से यमुना का पानी विषाक्त
पीकर वो पानी विषेला
काल ग्रस्त होने लगे
बृज के जन लोग,लुगाई,नभचर पशु 
पीड़ा ये सह ना पाये बाल कन्हाई
गेंद को लेकर बहानो 
चढ़ कदम्ब से कुदे यमुना दाह
भय व्यापो सब सखन में 
लोग, लुगाई , बाबा- माई
सब आ जूटे यमुना के तीर
दे दुहाई , कृष्ण बुलावे
जल यमुना को भयो लाल
सब विचलित अधीर,
एक अचंभो तभी भयो 
मंद मुलकत नंद किशोर 
मर्दन कर दर्प विषधर को
निज वश कियो शक्ति से
चढ़ फणीधर के शीश
यमुना कूल प्रकट हुवे
जय - जय कार मची
दस दिशाओं में
करूणा नीधी बाहर निकसे
दियो अभय नाग को
उस को फिर निज धाम पठायो 
लियो गरुड़ से अभय दान ।

स्वरचित। 

कुसुम कोठारी।

6/5/19
भावों के मोती
विषय- शक्ति/ताकत

__________________
शक्ति विश्वास की
प्यार के एहसास की
हमें नहीं झुकने देती
ज़िद के आगे तूफ़ान की
शक्ति परिवार की
एकता के आधार की
कभी नहीं बहने देती
नफ़रत के सैलाब में
शक्ति शिक्षा की
हमारे आत्मज्ञान की
कभी नहीं हटने देती
हमको अपने ईमान से
शक्ति मानव धर्म की
सबसे अलग रखती
मिट जाए भले तन
दिलों में जिंदा रखती
शक्ति मित्रता की
बनती हमेशा ढाल
धूप हो या बारिश
बनकर रहती साया साथ
शक्ति धर्म की
सबको जोड़ती
जब होता दुरुपयोग
तो समाज को तोड़ती
शक्ति प्यार की
सबको गले लगाए
पिघलाए पत्थर दिल भी
मोम-सा नरम बनाए
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित

आज का विषय शक्ति ताकत,
वसुधा पर,
जीने के लिए,

सारे प्राणियों को,
ईश्वर नै,
बुद्धि के साथ साथ,
मानव को बुध्दि दी है
मानव 
जीवन में
खुद अपने,
जीवन पथ का,
खुद ही निर्माता हैं,
अपने बल, ताकत,शक्तिसे,
वसुधा पर,
अपना संसार
अलग बनाकर
जीने की कोशिश करता है।
प्रेम से सदैव
सीच सींचकर
हरा भरा
बनाकर
आनंद के साथ,
अपने लोगों के बीच
मिल कर रहताहै।
इसी का नाम,
जिन्दगी है। कुछ लोग
अपने ही लिए ही जीते हैं।।
विस्तार शादी,
विचार के लोग,
लूट खसोट,
मारकाट अपनाकर,
अपना राज्यखड़ा कर,
तानाशाह बनकर।
ताकत,बल,शक्तिकेबल पर
शासन कर जीते हैं।

स्वरचित देवेन्द्र नारायण दास बसना छ,ग,।

नमन मंच🙏
दिनांक- 6/5/2019
शीर्षक- "शक्ति/ताकत"
विधा- कविता
*************
"कलम की ताकत"

माँ शारदे करूँ तुम्हें नमन, 
ताकतवर कर दो मेरी कलम, 
लेखन हो खूब असरदार ,
सुन्दर हों उसमें विचार |

कलम सस्ती हो या मंहगी, 
भाव लिखने में न हो तंगी, 
कलम में शक्ति ऐसी भरना, 
माँ दुविधा मन से मेरी हरना |

अज्ञान की छाया दूर करना, 
ज्ञान का प्रकाश मुझमें भरना,
कलम से मैं जो इतिहास रचूँ,
सौ फीसदी सच्चाई लिखूँ |

लालच मन में कभी न अाये, 
दाग़ कलम पे न लग जाये, 
झूठ, फरेब मिटाने को ये, 
कलम मेरी तलवार बन जाये |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*

नमन मंच को
विषय : ताकत/शक्ति
दिनांक : 06/04/2019


शक्ति

न स्वंय पर अत्याचार सहूं,
ना भूल तेरे उपकार सकूं।
नम्रता बनी रहे ह्रदय में,
कभी बेबस ना लाचार रहूं।
मानवता रहूं सदा निभाता,
बस इतनी शक्ति देना दाता।
कभी दंभ न आए रावण जैसा, 
अकूत हो चाहे दौलत पैसा।
संकोच न हो मुझसे मदद में,
करदो ह्रदय दधीची जैसा ।
सबकी रहूं मैं खैर मनाता,
बस इतनी शक्ति देना दाता।
मोह न हो मुझे अपनों से बस,
हो न वास्ता सपनों से बस।
बनूं सहारा दीन दुखी का,
हो न लालसा रत्नों से बस।
भेदभाव मैं रहूं भुलाता,
बस इतनी शक्ति देना दाता।
धर्म के पथ पर बढ़ता जाउं,
दया करुणा से भर जाउं।
छोड़ ईर्ष्या द्वेष, मैं सबकी,
खुशी में ही खुशी मनाउं।
सुख दुख में मैं सम हो पाता,
बस इतनी शक्ति देना दाता।
न चाह हो उंची उड़ानों की,
बस कद्र करूं इंसानों की।
न भूलूं कभी उपकार तेरे,
सदा शरण चाहूँ भगवानों की।
चरणों में रहूं मैं शीश झुकाता,
बस इतनी शक्ति देना दाता।
बस इतनी शक्ति देना दाता।

जय हिंद

स्वरचित : राम किशोर, पंजाब 

नमन "भावो के मोती"
06/05/2019
"ताकत/शक्ति"

################
सच्चाई की शक्ति को पहचान
सच की राहों में चल मानव
होगी सदा तेरी जयगान...
यह झूठ से परेशान हो सकता है.....पर पराजित नहीं..
हे!मानव .....
सच्चाई की ताकत को तू पहचान......।।

धर्म की ताकत को पहचान.
धर्म के पथ पर चलकर..
मन रहता है निर्भय..
धर्म का होता न हार..
हे ! भक्त......
भक्ति में है परम शक्ति..
इसकी शक्ति है तेरी जान.।।

सत्कर्म में है ताकत...
कुकर्म न कर नादान...
हौसले से तू आगे बढ़.
होगी न कभी तेरी हार..
हे ! नर....
विचलित न हो सत्कर्म से
तेरे कर्म से है तेरी पहचाना।।

स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल

नमन भावों के मोती , 
विषय, शक्ति , ताकत, 
दिन, सोमवार, 

दिनाँक, 6, 5, 2019, 

हैं माँ जगदम्बा शक्ति स्वरूपा , 
ये नारी शक्ति को दर्शातीं हैं ।

घर में प्राण शक्ति जो करे प्रवाहित, 
वो नारी शक्ति ही होती है ।

इच्छा शक्ति जब होती है मन मे
असंभव को संभव कर जाती है ।

मन की शक्ति होती है बलशाली , 
ये हर मुश्किल हल कर लेती है ।

शक्ति प्रर्दशन का है दस्तूर पुराना , 
इसी से दुश्मन पर विजय मिलती है ।

बुध्दि बल होता सबसे सुखदाई, 
इससे अविष्कारों की बर्षा होती है ।

ताकत कलम की है सबकी पहचानी , 
यही हर अवगुण को हमेंं दिखाती है ।

उपयोग शक्ति का अगर सही हो , 
दुनियाँ की तस्वीर बदल जाती है।

स्वरचित, मीना शर्मा , मध्यप्रदेश,


सादर नमन
" शक्ति"
मेरी लाड़ो मेरी परी,

तू मेरे जीवन की आस,
शक्ति बनकर रही तू,
तू ही मेरे जीवन का उजास,
चेहरा तेरा देख कर,
उम्मीदों की कलियाँ खिलती गई,
शक्ति स्त्रोत तू मेरी बनकर,
गमों को तू मेरे हर गई,
बनकर शक्ति बेटियाँ,
करती करती बुलँद हौंसलें,
चुन-चुन तिनके उम्मीदों के,
बनते देखे हैं हमने घौंसले,
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
6/5/19
सोमवार

विधाःःःकाव्यःःः

आत्मशक्ति प्रभुभक्ति देना।
करें पुरूषार्थ माँ शक्ति देना।
डटे रहें सदा सरहद पर लडने 
इतनी जरूर हमें देशभक्ति देना।

आत्म रक्षार्थ हित डटे रहें हम।
नहीं आपस में ही बंटे रहें हम।
सभी बाधाओं से करें मुकाबला,
दुष्ट दुराचारियों से छंटे रहें हम।

शक्ति मिले संरक्षण करने की।
शक्ति मिले अवलंबन बनने की।
भगवत प्राप्ति हमें भी हो जाऐ
ताकत मिले भजन करने की।

प्रभु सुखी रहें सब संसारीजन,
सभी सपरिवार खुशहाल रहें।
बडें सुख समृद्धि सद्व्यवहारी
भर आत्मशक्ति नौनिहाल रहें।

स्वरचित ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.

शक्ति मन की 

भीख का कटोरा न 
मजबूरी की दलील 
न लाचारी का ढिढोरा 
हौसला की उड़ान से 
बसर किया जीवन 
स्वाभिमान की पोटली 
रहती थी तन पर
न कहानी न कविता 
न शब्दों में कोई बंद 
जिंदगी आईना रही 
हौसला रहा बुलंद |

स्वरचित -
-अनीता सैनी

 शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
06/05/2019
ाइकु (5/7/5) 
विषय:-"शक्ति/ताकत " 
(1)
प्रेम की शक्ति 
व्यक्तित्व बदलती 
गगन छूती 
(2)
तन की शक्ति 
उम्र चुरा ले गई 
चुप आसक्ति 
(3)
युवा ताकत 
बदल दे दुनियां 
हाथ जो काम 
(4)
बिकते तन 
रुपयों की ताकत 
बदले मन 
(5)
विरोधी पस्त 
आत्मबल ताकत 
झुकते शस्त्र 
(6)
स्वप्नों को बोना 
पसीने की ताकत 
उगता सोना 
(7)
सावित्री अड़े 
ममता की ताकत 
यम से भिड़े 

स्वरचित 
ऋतुराज दवे

नमन भावों के मोती
शीर्षक- ताकत/शक्ति
दिनांक-6-5-19
विधा --दोहे
1.
शक्ति कहाँ जो दूर हो , भय ,ताप और पाप।
हो अपार भगवत कृपा,मिटें सभी सन्ताप।।
2.
संयम बोलना में रखें , काम सहज हो जाय।
कम बोलें ताकत बचे, बढ़े शक्ति तब भाय।।
3.
रखें नियंत्रण बोल पर, प्राणशक्ति कम खर्च।
अनावश्यक बोलन से, शक्ति ह्वास है सर्च।।
4.
भोजन से ताकत मिले, हो शरीर मजबूत ।
काम करन को शक्ति हो, हों नव सोच प्रसूत।।
5.
ऊर्जा अथवा शक्ति बिन, सब कुछ लगे फिजूल।
काम,क्रोध पर रोक से , हो न शक्ति प्रतिकूल ।।

******स्वरचित*******
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी(म.प्र)451-551

 ताकत, शक्ति
नमन मंच
6.5.2019


यह भारत देश हमारी आन 
बन जाए हम इसकी शान 
अर्पित सदा तन मन प्रान 
मिल कर सब करें मतदान 
अपनी शक्ति बने पहचान 

मिटे जग का हर अनाचार
हर हृदय व्याप्त यही विचार 
मिटे यह सारा भ्रष्टाचार 
मिल कर सब करें मतदान 
अपने शक्ति बने पहचान 

हर मुख एक निवाला हो 
किसान हाल खुशहाला हो 
मन बसे प्रेम की हाला हो 
मिलकर सब करें मतदान 
अपनी शक्ति बने पहचान

मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित

मंच को नमन ।दिन:-सोमवार
6/5/2019 ।विषय:-,शक्ति /ताकत ।विधा :-हाईकू 
(1)
मन की शक्ति
सदा विजय पथ
पग रखती ।
(2)
तन की शक्ति 
ताकतवर कर
विजय करे ।
(3)
धन की शक्ति
सुख वैभव देती
सम्मान भरे ।
(4)
ज्ञान की शक्ति 
अनुरक्ति आसक्ति
हरण करे ।
(5)
आत्मा की शक्ति 
अंतर्ज्योति जलाये
अज्ञान हरे ।
स्वरचित :-उषासक्सेना



 "नमन-मंच"
"दिंनाक-६/५/२०१९"
शीर्षक -शक्ति/ताकत।

ऐसी शक्ति दो भगवान
धर्म अधर्म मे भेद कर सकूँ,
लड़ सकू अधर्म के विरुद्ध
इतनी शक्ति दो भगवान।

जीवन नैया कभी डगमगाये
सही धारा पर मैं ले आऊँ
धर्य ना खो दू मैं अपना
सबका संबल मैं बन जाऊँ।

सत्य असत्य मे कभी ठन जायें तो
मैं सदा रहूँ सत्य के साथ
भय न रहे मुझे किसी शत्रु का
अपनो की रक्षा सदा कर पाऊँ।

नवसृजन करूँ सुन्दर समाज का
इतनी शक्ति दो भगवान
तुम्हारी भक्ति ही मेरी शक्ति है
इसे स्वीकार तुम करों भगवान।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव


मैं ही भूत मैं ही भविष्य 
मैं समस्त सृष्टि की झंकार हूँ 
मैं ही शत्रु की चित्कार हूँ 
मैं ही शक्ति सरूपा आज की नारी हूँ .

मैं कभी मोम की तरह कोमल 
कभी शिला समान कठोर हूँ 
मैं ही ममता की छाँव 
मैं ही जीवन में खिलता खुशियों का गाँव हूँ 

मैं घर आँगन की शान हूँ 
मैं शक्ति की पहचान हूँ 
मैं कभी रोली कभी माथे की बिंदिया की पहचान हूँ 
मैं कभी माँ कभी बेटी कभी घर की लक्ष्मी कभी शक्ति का अवतार हूँ .

मैं विचारों की शक्ति हूँ 
मैं हौसलों की भक्ति हूँ 
मैं संगीत के सुरों और इंदरधनुषी रंगों का मिलन हूँ 
मैं आज की नारी हूँ मैं शक्ति स्वरूपा हूँ .
स्वरचित:- रीता बिष्ट

शुभ संध्या
शीर्षक-- ।। ताकत/शक्ति ।।
द्वितीय प्रस्तुति

ताक में धरकर आना ताकत
सिर्फ दिल लेकर के आना...
ये दिल वालों की बस्ती है
यहाँ दिल को पूजा जाना ...

दौलत हो तो दौलत रख आना
शोहरत हो तो शोहरत धर आना
तब ही मजा आयेगा यहाँ 
इसे इंसानियत का मंदिर माना..

हर ताकत विकार बढ़ाये 
भाई भाई से दूर कराये 
आखिर जग से हमको
खाली हाथ ही है जाना ....

यहाँ भोले भाले लोग रहते
यहाँ सब धरती पे बैठा करते 
मगर मजा बहुत है 'शिवम'
यह हमने स्वयं पहचाना....

ये दौलत की शहनाइयाँ 
ये शोहरत की ऊचाइयाँ 
दूरियाँ ही दूरियाँ बढ़ाती हैं
इनसे दूर खुद को लाना.....

ये दिल वालों की बस्ती है
यहाँ दिल को पूजा जाना..

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्


नमन "भावों के मोती"
विषय- शक्ति/ताकत
06/05/19
सोमवार 
कविता 

ईश की चिर साधना से मन की शक्ति मिल गयी ,
सत्य के पथ पर गमन की दिव्य दृष्टि खुल गयी।

भक्ति का उत्कर्ष मेरी कामना का मन्त्र था ,
इसलिए प्रभु की कृपा से मुझको तृप्ति मिल गयी।

मेरी क्या हस्ती है ,जो मैं स्वयं पर गर्वित रहूँ ,
मेरे मन से अहं की दुर्भावना भी मिट गयी।

लोग तो प्रभु- साधना में मौज -मस्ती देखते 
पर मेरी तो आत्मा नित वन्दना से धुल गयी ।

क्यों मैं हठ करके स्वयं ही हृदय को वश में करूँ ,
मेरी आत्मा स्वयं ही प्रभु -साधना में रम गयी ।

स्वरचित 
डॉ ललिता सेंगर

सादर नमन
विधा-हाईकु
विषय- शक्ति

प्रेम की शक्ति
आँसूओं पर भारी
भूलाए गम

ममता शक्ति
बनकर प्रकाश
राह दिखाती

शक्ति कलम
हौंसला बनी स्याही
उम्मीद शब्द

दृढ़ हौंसलें
इच्छा शक्ति आधार
सागर पार
*****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
6/5/19
सोमवार

नमन भावों के मोती
शीर्षक-ताकत/शक्ति
दिनांक-06/05/19
विधा- गीतिका

एक माली आसमां से,देखता है सब यहाँ|
शक्तिया सब खाक होकर,राख होती है यहाँ||
ताकते तन की कभी ना,काम आयेगी यहाँ|
फूल सब मिट्टी बनेंगे,गंध बिखरेगी यहाँ||

खेल हैं सब,खेलता हैं,वो गगन के पार से|
दंभ मिट जाए सभी के,एक उसके वार से||
शक्तियां तो रोज बनती ,है बिगड़ती रोज हैं|
गर्व और घमंड तो परम पिता का भोग है||

सुरेश जजावरा "सरल"

विषयानुरूप
०६.०५.२०१९
***********

शक्ति है ऊर्जा
प्राकृतिक साधन
चले जीवन।।

कायिक ऊर्जा
मेहनत से बढ़े
करो अर्जन।।

दिमागी ऊर्जा
प्रबलतम पुंज
खोज भंडार।।

आत्मिक ऊर्जा
करो ईश दर्शन
पवित्र मन।।

धन का बल
जीवन का संबल
संचय ध्येय।।

जन का बल
है सबसे प्रबल
क्रांति का स्रोत।।

दानवी शक्ति
करती उत्पीड़न
करो दमन।।

ईश्वरी शक्ति
करती संरक्षण
चले ब्रम्हांड।।

गंगा भावुक

 दिनांक7 मई 2019
यथार्थवादी _ कविता 

ना समय ठहरा 
ना उम्र ठहरी
खरीदतें है, 
सपनें 
भरी दुपहरी
मेहंदी को तो 
उतरना ही होता है
रची बसी
हाथों में ,
कितनी भी गहरी।

हम जीवन के 
मोह बंधन सें
कितने बंधवा,
एक दिन, 
जैसे सुहाग भरा
बाकी के दिन 
लगते हों, सब विधवा
दिन ढल जातें,
रातें काली ओैर गहरी
खरीदतें 
सपनें भरी दुपहरी

मेहंदी को तो 
उतरना ही होता है
रची बसीं हाथो में ,
कितनी भी गहरी।

मोह माया तो 
सिर्फ एक रात दूल्हा
एक रात की दुल्हन है ।
दुःख सुख में 
देखों आपस में ही' 
कितनी अनबन है।

चाहत तो बस , 
मृगरीचिका ठहरी
उतरना ही होता 
महंदी को तो, 
रची बसी हाथो में 
कितनी भी गहरी।

झूठे है दर्पण ,,
झूठे है 
श्रृंगार सभी
किन्तु हम , 
न सुलझने को 
तैयार कभी।
दुःख के आँसू. 
पल पल 
कान्हा याद 
दिलाते तेरी "।

मेहंदी को तो 
उतरना होता है
रची बसीं 
हाथों मे कितनी भी गहरी ।

🙏
रचनाकार
पी राय राठी
भीलवाड़ा राजस्थान

No comments:

Post a Comment

"अंदाज"05मई2020

ब्लॉग की रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं बिना लेखक की स्वीकृति के रचना को कहीं भी साझा नही करें   ब्लॉग संख्या :-727 Hari S...