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ब्लॉग संख्या :-396
।। खेल ।।
कैसा यह जीवन का खेल
कोई पास तो कोई फेल ।।
कोई बिना किये सब पाये
किसी की कर्म किये भी रेल ।।
लगे ये जीवन सजा कभी
निकल न पाये ऐसी जेल ।।
आजीवन ही कहीं कहीं
लगी रही दुखों की सेल ।।
लगे कभी कोई खेल की
कड़ी हम जो रहे हैं झेल ।।
जीत हार को क्या गुनें
दोनों की है ठेलमठेल ।।
आज हँसे कल रोऐ 'शिवम'
सुख दुख पर किसकी नकेल ।।
खेल अनोखा ऐसा है यह
कोई हँसा कोई रहा धकेल ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 24/05/2019
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नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक खेल
विधा लघुकविता
24 मई 2019,शुक्रवार
खेल कूदकर बड़े हुए हैं
भोगा अतुलित आनन्द
मिलकर माटी में हम खेले
आती भीनी भीनी गन्ध
छुपा छिपी बचपन में खेले
लड़ते भिड़ते वापस मनते
गिल्ली डंडा चौर सिपाही
काँच गोलियां जेब में भरते
खेल भावना से मिल खेलो
प्रतिपल सुख आनंद मिलता
रहो सदा मिल जुलकर सबमें
चेहरा उदासी भी खिल उठता
हाथ हिलाते पाँव हिलाते
जब शिशु बनकर हम आये
जीवन अद्भुत खेल है मित्रों
स्व कर्तव्य साथ निभांवे
आत्मविश्वासी खेल विजेता
वह संघर्षों से नित लड़ता।
जीवन जीना खेल नही होता
परिश्रम से नित आगे बढता।।
स्व0 रचित ,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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प्रदत्त शीर्षक: खेल
करके दूर तनाव को, नव स्फूर्ति संचार।
खेल करे मन और तन, त्वरित स्वस्थ निर्भार।
बचपन बीते खेल में, बढ़े हर्ष उत्साह।
कलुष भाव से दूर रह, सरल सहज सब राह।
खेल जंग मैदान में, खेल देश हित खेल।
किन्तु हृदय पर चोट कर, नहीं किसी सँग खेल।
खेल भावना जोड़ती, अपने-पन का भाव।
अखिल विश्व में प्रेम का, रहे न तनिक अभाव।
विजय पराजय भूलकर, भर उत्साह अपार।
रहे भावना टीम की, खेल खुशी आधार।
डॉ राजकुमारी वर्मा
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भावों के मोती
24/05 /19
विषय - खेल
छोटी कविता
यही खेल जीवन का
मधु ऋतु सुहाये सखी पतझर नही भाये।
अरे बावरी बिन पतझर ,मधु रस कैसे मन भाये
अंधकार नही तो बोलो कैसे जुगनु चमक पाये।
रजनी का जब गमन है होता तब उषा मुसकाये
सारा समय चमकता सूरज भी नही भाये।
निशा की कालिमा ही सूरज में उजाला भरती
जब घन अस्तित्व खोते तो धरती खूब सरसती।
फूल झरते हैं खिल के, पंक्षी फिर भी गाते
गिरा घोंसला पक्षी का फिर भी फूल मुस्काते।
किसी का आना किसी का जाना चलन यही दुनिया का
जगती में कोई मूल्य नही दुख बिन सुख का।
कोई हारा कोई जीता "यही खेल जीवन का"
हे री सखी पतझर बिनु मधु रस कैसे जीवन का।
स्वरचित
कुसुम कोठारी ।
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खेल
खेल-खेल में न जाने
मैं कब इतनी बड़ी हो गई
जिंदगी की भाग दौड़ में
मैं पतंग की लड़ी हो गई
डीली डोरी छोड़ी तो
मैं उलझ सी गई
ज्यादा खींची डोरी तो
मैं बिखर सी गई
कभी मैं प्यारी सी गुड़िया थी
किसी के हाथों की कठपुतली हो गई
किसी के घर की इज्जत तो
किसी के घर से पराई हो गई
पिंजरे में बैठी गुमसुम
कोई मैना सी हो गई
आसमां में उड़ना तो दूर
मैं चहकना भी भूल गई
आज बच्चों को खेलते देखा तो
बच्चों संग बच्चा हो गई
खेल खेल में न जाने
मैं कब इतनी बड़ी हो गई।
एमके कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा
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"नमन-मंच"
"दिनांक-२४/५/२०१९"
"शीर्षक-खेल"
स्मरण करें हम अपने बचपन
कितने सुनहरे दिन हमारे
नीत नये हम खेल खेलते
सीख जाते जीवन के पाठ अनेक।
कबड्डी हो या गिल्ली डंडा
टीम भावना से हम खेलते
ईमानदारी का पाठ भी सीखते
खेल खेल मे हम सब सीखते।
अनुशासित था जीवन हमारा
इसमें खेल का था बड़ा हाथ,
आज बच्चे खेलते मोबाइल गेम
नही सीख पाते मित्रता का पाठ।
हार जीत को सहजता मे नही लेते
करने लगते बिध्वसंक ब्यवहार
समय के साथ चलना जरूरी
संतुलन बनाए रखे हम।
खेल है स्वास्थ्यवर्द्धक
इसे न विध्वंसक बनाये हम।
खेल जरूरी हम सब के लिए
नीत खेले मनोरंजक खेल हम।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
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🌺,🙏🙏जय माँ शारदे,,🙏🙏🌺
नमन मंच भावों के मोती
24/5/2019
,,शीर्षक,, खेल,,,
जिसने जीवन को खेल
समझा उसने ही
उसे खिला दिया
जैसे कि नेताओं को
जनता ने सबक सिखा दिया
लापरवाही ,गुस्ताखी माफ
नहीं की जाती हैं
चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो
करनी सामने आती है
मानव इनको खेल
न समझे राजनीति हो या परिवार
धर्म ,कर्म अथवा हो ब्यबहार
ईश्वर को साक्षी मान सदैव
सदमार्ग पर चलते रहना
कठनाई पर्वत सम हों
राई समझकर सहना
नैतिक जिम्मेदारी की भावना
मन में जागेगी
सफलता ,सोहरत
पीछे पीछे भागेगी
स्वरचित ,,,सुषमा ब्यौहार,,,,
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राधिका हैं रची बसी, कृष्ण तन-मन में
राधा सखी संग बसे, नाच नाचन में,
मनभावन दृश्य देख, बसे ह्रदय में
राधाकृष्ण सभी रचे, रास गोकुल में।
गोकुलन में गाय चरा, जगत जगी जाय
कानन-कानन कर भेंट, कृष्ण मिली जाय,
ग्वालन संग खेल-खेल, भाग खुली जाय
कृष्ण-राधा लेत नाम, मोक्ष द्वार जाय।
भाविक भावी
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नमन "भावो के मोती"
24/05/2019
"खेल"
1
खेल भावना
हार-जीत स्वीकार
रहे सद्भाव
2
चाल पे चाल
शतरंज का खेल
शह व मात
3
सर्कस खेल
जान हथेली पर
जोखिम भरा
4
जादू का खेल
हाथ की है सफाई
विस्मित नैन
5
भाग्य का खेल
गर्दिश में सितारे
वक्त ने लूटा
6
विरुद्ध नीति
राजनीति का खेल
चाह सुनीति
7
चाँद ने खेला
छुप्पा-छुप्पी का खेल
मेघों के संग
8
सत्ता का खेल
कठघरे में आज
मन परेशां
9
साँप व सीढ़ी
वास्तविक जिंदगी
अद्भुत खेल
10
ईश खेलते
मयावी संसार में
माटी पुतले
11
गुड्डा,गुड़िया
बचपन का खेल
यादें पुरानी
12
आतंकी खेल
दहशत में हम
समाप्त कब
13
कितने तारे
उलझा बचपन
मस्ती से खेलें
14
खेल-खेल में
रुठना व मनाना
याद है लम्हा
15
आशक्ति जेल
जगमाया का खेल
इंसान बंदी
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
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नमन
भावों के मोती
💐💐💐
बचपन के ये खेल तमाशे
हम सबको तब कितने भाते!
इन सिक्कों , गोटी,कंचो से
हम गर्मी की दोपहरी बिताते!
संग मां ,पापा ,दादी खेले
जिससे हम बच्चे न झगड़े!
वो कहाँ गया अपना बचपन
इन खेल खिलौनों का संगम..
जो अब मोबाइल,टी,वी ने लिया
बचपना हमारा छीन लिया !!
💐💐
स्मृति श्रीवास्तव(स्वरचित)
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नमन भावों के मोती
दिनाँक- 24/05/2019
शीर्षक-खेल
विधा-हाइकु
1 .
सियासी खेल
राजनेता खिलाड़ी
कुर्सी की जीत
2.
नट का खेल
मेहनत का काम
दो रोटी वास्ते
3.
दोस्तों का मेल
बचपन के खेल
आज भी ताजा
4.
दिमागी खेल
शतरंज खेलना
आसान नहीं
5.
आँख मिचौली
बचपन का खेल
खेलते बच्चे
6.
अजब खेल
कठपुतली नृत्य
राजस्थान में
7.
धोखे का खेल
वोट की राजनीति
खेलते नेता
********
स्वरचित
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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नमन मंच🙏
सभी गुणीजनों को वंदन,अभिनंदन🙏😊
दिनांक-24/5/2019
विषय- "खेल"
विधा-बाल कविता
**************
चुन्नु,मुन्नु दो थे भाई,
खेल,खेल में हुई लड़ाई,
मम्मी एक ही गेंद ले आई,
अब तो बड़ी मुसीबत आई |
चुन्नु बोले ये गेंद है मेरी,
मुन्नु बोले ये गेंद है मेरी,
खेलें कैसे दोनों भाई ?
खेल,खेल में हुई लड़ाई |
मम्मी ने दोनों को समझाया,
दोनों को पास बैठाया,
एक,एक दिन दोनों रखना,
जिम्मेदारी को तुम समझना |
जो गेंद को संभालकर रखेगा,
अगला खिलौना उसे मिलेगा,
चुन्नु,मुन्नु को समझ में आई,
खेल,खेल में सुलझी लड़ाई |
😊😊😊😊😊😊😊😊
स्वरचित*संगीता कुकरेती*
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शुभ संध्या
शीर्षक -- (( खेल ))
द्वितीय प्रस्तुति
इश्क का भी खेल बड़ा अनोखा है
मिलता इसमें अक्सर ही धोखा है ।।
हो किस्मत का या कोई और हो
मगर दिल से जाये न ये रोका है ।।
दूर किसी दुनिया में ले जाये खेल
फूलों को हंसने का सुन्दर मौका है ।।
बेचारों की किस्मत काँटों में लिखी
इश्क उन्हे खुशियों का झरोखा है ।।
इश्क में कुछ बने कुछ बिगड़े हैं
हमने गलत राह दिल को टोका है ।।
हो कोई खेल उसूल न खोओ 'शिवम'
जीत हार वक्त की हवा का झोंका है ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 24/05/2019
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भावों के मोती दिनांक 24/5/19
खेल
खेल है
जिंदगी
खिलाड़ी हैं
सब
डोर है
पास उसके
नाचते हम
सुख दुःख
है दुनियां में
छोड़ो सब
उस पर,
खेल है
निराले उसके
कभी दे खुशी
तो कभी गम
स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल
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भावो के मोती
नमन
विषय-खेल
जिंदगी एक खेल ही हो है
जिसमे किसकी हार होगी
और किसकी जीत तय नही है
खेल में नियम बहुत है
पर ऐसा कौन है
जो उन नियमो को तोड़ कर
खेल में जितने का प्रयत्न नही करता है
पर असल मे जीतता वही है
जी नियम के साथ खेलता है
आज की इस जिंगदी में लोग
खेल ही तो खेल रहे है
कोई किसी की भावनाओ के साथ
कोई किसी की मन सम्मान के साथ
कोई अपने को कहा उठाने के लिए
कोई दुसरो को नीचा गिरने के लिए
पर सब लोग मंद में अंधे हो कर भूल जाते है
खेल जितना भी खेलो
खेल की असली डोर ऊपर वाले के हाथ है
जो सब देखता है
ओर अंतिम निर्णय वही लेता है
जिंदगी की इस खेल में जितना उसी को है
जो उसका असली हकदार है
स्वरचित
दीपिका मिश्रा
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नमन मंच
विषय: खेल
विधा हाइकू
२४/०५/२१९
कर्म हो पूजा
अंत पास या फेल
भाग्य का खेल !!
धूप में वर्षा
नियति रचे खेल
मेल बेमेल !!
ईश से मेल,
स्पष्ट , सत्य, सरल
बच्चो का खेल !!
स्वरचित: डी के निवातिया
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नमन भावों के मोती
विषय - खेल
1
जीना सिखाये
बचपन के खेल
सबसे मेल
2
वक्त वजीर
नियति खेले खेल
अनोखी जेल
3
गठबंधन
राजनैतिक खेल
जोड़ी बेमेल
4
श्वासों का खेल
सुख दुख की रेल
क्षणिक मेल
5
वक्त का खेल
राजा, रंक, फकीर
भाग्य जंजीर
6
छल का खेल
स्वार्थ की राजनीति
हार के द्वार
(स्वरचित )सुलोचना सिंह
भिलाई (दुर्ग )
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शुभ साँझ 🌇
नमन "भावों के मोती"🙏
24/05/2019
हाइकु (5/7/5)
विषय:-"खेल "
(1)🌙🌍
हारे न जीते
खेलते रस्साकस्सी
चांद -धरती
(2)⛅️
नभ आँगन
मेघ-रश्मि खेलते
आँख-मिचौली
(3)🎾
झूठ का खेल
जीवन के मैदान
हारती आत्मा
(4)🎳
कीचड़ फेंक
राजनीति खेलती
अजीब खेल
(5)🌳
स्वार्थ का खेल
पर्यावरण हारा
तोड़े नियम
(6)😒
रिश्तों ने खेले
भावनाओं के खेल
हृदय टूटे
स्वरचित
ऋतुराज दवे
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24/5/19
भावों के मोती
विषय- खेल
__________________
ज़िंदगी के खेल में
कभी हारते कभी जीतते
देखें जीवन के रंग अनेक
जन्म लेता है मानव
जीवन की पहली पारी में
असहाय सा पड़ा
कभी रोकर कभी हँसकर
अपने भावों को व्यक्त करता
खिलौने की तरह
कभी इस गोद कभी उस गोद
प्यार के साए में बढ़ता
थोड़ा बड़ा होते ही
दूसरी पारी शुरू होते ही
जुड़ने लगती माँ-बाप की इच्छाएं
कंधों पर बस्ते का बोझ
बचपन कहीं गुम होने लगता
प्रथम आने की सबको आस रहती
तीसरी पारी में
तो मंज़िल की तलाशते
सपनों को पूरा करने
निकल पड़ते घर से दूर
तकलीफों को सहकर सफल होते
घर बसाकर जीवन की नई शुरुआत करते
चौथी पारी में
अपने सपने तो कहीं दफ़न हो जाते
बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करने में
माता-पिता को खुश करने में
रिश्तों को टूटते हुए देख
खुद को हारता महसूस करते
अंतिम पारी में
एक बार फिर असहाय से पड़े
कभी रोकर कभी हँसकर
अपने भावों को व्यक्त करते
कभी प्यार कभी तिरस्कार सहते
एक बोझ के जैसे
जीवन को लगते हारने
ज़िंदगी के खेल निराले होते हैं
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित✍
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🙏🌹जय माँ शारदा
..सादर नमन भावों के मोती
दि.- 24.0519
विषय - खेल
विधा-स्वतंत्र ...(गीत)....
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जिंदगी है खेल इसे खेलना ही सार है |
हौसला ही तेरी जीत हार का आधार है ||
जिंदगी के खेल में तू कहाँ अकेला है |
देख ले जरा प्यारे लगा यहाँ मेला है ||
सब यहाँ तैयार हैं क्या तू तैयार है |
जिंदगी है खेल इसे खेलना ही सार है ||
मन से जो हार गया कुछ भी न पाएगा |
जीवन का गीत बता कैसे गा पाएगा ||
हिम्मत ही तेरी जीत का आधार है |
जिंदगी है खेल इसे खेलना ही सार है ||
जीत के उन्माद में तू हार को न भूलना |
दंभ अभिमान की बाहों में न झूलना ||
नाम वो कमा पाया जो रहा उदार है |
जिंदगी है खेल से खेलना ही सार है ||
सत्य न्याय के पथ पर हार भी मिली अगर |
करना स्वीकार उसे होगी आसान डगर ||
मान ले ये बात सरस मानता संसार है |
जिंदगी हैे खेल इसे खेलना ही सार है ||
जिंदगी है खेल इसे खेलना ही सार है |
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#स्वरचित
प्रमोद गोल्हानी सरस
कहानी सिवनी म.प्र.
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नमन
भावों के मोती
24/5/2019
विषय-खेल
किस्मत के खेल,
बड़े ही निराले हैं।
रंक बने राजा,
राजाओं के निकले दिवाले हैं।
सोचता है क्या,
और सामने क्या आता है
किस्मत से इंसान,
बाजी हार जाता है।
हुए भी कुछ विरले,
जिन्होने पासे पलट डाले हैं।
खेलते जो खतरों से,
वे बड़े ही दिलवाले हैं।
जीवन के खेल में,
सबसे आगे चलने वाले हैं।
जो खेलने से डर गए,
उन्होंने सदा हथियार डाले हैं।
जिंदगी के खेल भी,
बड़े अजब-निराले हैं।
सुख-दुख यहां,
बराबर डेरा डाले हैं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
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नमन भावों के मोती
24-5-2018
विषय:- खेल
विधा :- कुण्डलिया
लुक्का छिप्पी खेलते , उम्र गई है बीत ।
जितनी ख़ुशियाँ थी मिली ,गई सभी हैं रीत ।।
गई सभी है रीत , याद बचपन है आता ।
ले काग़ज़ की नाव , बीत सारा दिन जाता ।
होती जब तक साँझ , बने रहते थे गिप्पी ।
आता है अब याद , खेलना लुक्का छिप्पी ।।
Gippy =अधिक खाने वाले अथवा हुड़दंग ।
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
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नमन भावों के मोती
विषय - खेल
24/05/19
शुक्रवार
कुण्डली छंद
सच्चाई ने जीत का , पहना फिर से ताज।
खेल सियासत का यहाँ, खत्म हो गया आज।।
खत्म हो गया आज ,भाजपा ही अब आयी।
भारत - भू भी आज , धन्य होकर मुस्कायी।
सभी दलों ने मिलकर , हर नीति अपनाई।
और अंत में जीती , हृदय की सच्चाई।।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
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नमन् भावों के मोती
24/05/19
विषय-खेल
विधा-हाइकु
अजब खेल
कुदरत कहर
जीव संकट
मनुष्य खेल
प्राकृतिक विनाश
प्रकृति रुष्ट
बच्चे खेलते
क्रिकेट का मैदान
साँझ प्रहर
खेल भावना
हार जीत विरक्त
प्यार सद्भाव
पांसे बनाते
शतरंज की चाल
जीवन खेल
अंकों का खेल
राजनीति का मंच
लोकतंत्र में
मनीष श्री
स्वरचित
रायबरेली
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नमन भावों के मोती,
आज का विषय, खेल,
दिन, शुक्रवार,
दिनांक, 24,5,2019,
खेल व्यायाम
सबसे सुन्दर व्ववहारिक
मित्रता बनाये ।
शरीर स्वस्थ बनाये ।
बचपन के खेल
आते हैं याद
छुपा था उनमें
स्नेह दुलार ।
कितना था अपनापन
आपस में प्यार।
जीवन का खेल
बड़ा अजीब ।
सुकूँन की तलाश
आदमी बेतहाश ।
खेलता है खेल
आजीविका के लिए
रिश्तों के लिये
मोहब्बत के लिए
मंजिल के लिऐ
नहीं मिलता करार
सब खेल बेकार।
अभिलाषा जगत
अनुपम अपार
वैचारिक भिन्नता
खेल बिगाड़े ।
ईश्वर का खेल
चलता निरंतर।
कठपुतली मानव
नाचे उम्र भर
आत्मा की आवाज
जब दे साथ।
जीवन के खेल में
जीत की आस
प्रभु से मिलन
विजेता के हाथ।
हर खेल का यही रिवाज
संयम समर्पण
जीत का आगाज ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
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नमन मंच
विषय खेल
24/5/2019 शुक्रवार
जीवन का है अद्भुत खेल
मन की इच्छाओं के नाग
डस जाते जीवन की आस
लगा जाते जीवन में आग
सांप .कभी सीढी का मेल
जीवन का है अद्भुत खेल
कभी बसे आशाओं के गांव
बन जाते वो मन की ठावं
कभी करे यह डगमग नाव
यह धूप छांव का मेल
जीवन का है अद्भुत खेल
नैनो की कोर पर अटके
खुशियों में भी है छलके
भाव यूँ अनमोल बहके
सुख-दुख की दस्तक का मेल
जीवन का है अद्भुत खेल
मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित
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