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ब्लॉग संख्या :-376
नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक नायक
विधा लघुकविता
04 मई 2019,शनिवार
वीर धीर गम्भीर हो नायक
जिसके पीछे दुनियां चलती
स्नेह ओज जिसकी वाणी में
नित विकास की धारा बहती
चंद्रगुप्त अशोक बनकर
जो भारत की सेवा करता
स्वयं सुभाष भतसिंह बन
सुख शांति जीवन में भरता
अर्जुन सा बनता वह नायक
गांडीव को करता वह धारण
सीमा ऊपर सदा चौकस हो
जन जन का बनता हो तारण
स्वयं हेतु कभी न जीता वह
मातृभूमि हित है न्यौछावर
वतन विकास चहुर्मुखी हो
सदा जूझता रहता नरवर
वह मर्यादित जीवन जीता
शब्दों में हुँकार गरजती
आगे आगे वह खुद चलता
पीछे उसके दुनियां चलती
सुनायक सूरज प्रखर सा
चँदा सी शीतलता उसमें
परहित डग पर चरण धरे
बोलो ऐसी हिम्मत किसमें
परहित जीना परहित मरना
यह नायक का प्रिय चरित्र है
कोई पराया होता नहीं कभी
वह जगति का परम मित्र है।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
शीर्षक नायक
विधा लघुकविता
04 मई 2019,शनिवार
वीर धीर गम्भीर हो नायक
जिसके पीछे दुनियां चलती
स्नेह ओज जिसकी वाणी में
नित विकास की धारा बहती
चंद्रगुप्त अशोक बनकर
जो भारत की सेवा करता
स्वयं सुभाष भतसिंह बन
सुख शांति जीवन में भरता
अर्जुन सा बनता वह नायक
गांडीव को करता वह धारण
सीमा ऊपर सदा चौकस हो
जन जन का बनता हो तारण
स्वयं हेतु कभी न जीता वह
मातृभूमि हित है न्यौछावर
वतन विकास चहुर्मुखी हो
सदा जूझता रहता नरवर
वह मर्यादित जीवन जीता
शब्दों में हुँकार गरजती
आगे आगे वह खुद चलता
पीछे उसके दुनियां चलती
सुनायक सूरज प्रखर सा
चँदा सी शीतलता उसमें
परहित डग पर चरण धरे
बोलो ऐसी हिम्मत किसमें
परहित जीना परहित मरना
यह नायक का प्रिय चरित्र है
कोई पराया होता नहीं कभी
वह जगति का परम मित्र है।।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
नमन मंच
दिनांक : 4 मई 2019
विषय : नायक
जो जग के नायक होते हैं
वो कष्टों से कब रोते हैं
दुनिया की खातिर जीते हैं
वो जग की खातिर होते हैं
उनका जीवन सीधा साधा
वे रखते बस एक इरादा
कष्ट मिटाते हैं जन जन के
उनका वादा सच्चा वादा
सब की खातिर सुख बोते हैं
जो जग के नायक होते हैं
मौलिक , अप्रकाशित रचना
राजकुमार निजात
दिनांक : 4 मई 2019
विषय : नायक
जो जग के नायक होते हैं
वो कष्टों से कब रोते हैं
दुनिया की खातिर जीते हैं
वो जग की खातिर होते हैं
उनका जीवन सीधा साधा
वे रखते बस एक इरादा
कष्ट मिटाते हैं जन जन के
उनका वादा सच्चा वादा
सब की खातिर सुख बोते हैं
जो जग के नायक होते हैं
मौलिक , अप्रकाशित रचना
राजकुमार निजात
*नायक*
नायक बनना न आसान
लाना होता गुण महान ।।
फिल्म नही कि पर्दे पर
चेहरा भर से बने शान ।।
कोई लिखता गीत उसे
कोई देता सुर औ तान ।।
सर्वगुण सम्पन्न न कोई
कहीं है सबको व्यवधान ।।
दुनिया नायक लगे पूजने
नीव पत्थर का न ध्यान ।।
हम तुम क्या राम अधूरे
रावण ने दी टक्कर आन ।।
सूरज को भी राहु ग्रसा
हम एक गुण में करें गुमान ।।
सम्पूर्णता को बढ़ो 'शिवम'
अहम का यहाँ कैसा भान ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 04/05/2019
नायक बनना न आसान
लाना होता गुण महान ।।
फिल्म नही कि पर्दे पर
चेहरा भर से बने शान ।।
कोई लिखता गीत उसे
कोई देता सुर औ तान ।।
सर्वगुण सम्पन्न न कोई
कहीं है सबको व्यवधान ।।
दुनिया नायक लगे पूजने
नीव पत्थर का न ध्यान ।।
हम तुम क्या राम अधूरे
रावण ने दी टक्कर आन ।।
सूरज को भी राहु ग्रसा
हम एक गुण में करें गुमान ।।
सम्पूर्णता को बढ़ो 'शिवम'
अहम का यहाँ कैसा भान ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 04/05/2019
🌹नमन भावों के मोती🌹
4मई 2019
विषय_नायक
~~~~
भजलें बन्दे बन्दगी में नाम "
सुदर्शनधारी
नायक श्याम का |
उसकी रहमतों से ही
होते दिन के उजाले
वो अगर चाहें तो
रात के सीनें मे भी
सूरज को ऊगादें|
द्रोपदी के चीर भी
हरण से बच गए।
सार्थी बने
पांडवो के तो "
कोरवों के
सीनें छल गए।
बेैठ काल के
कपाल पर
नाग कालिये का
वध कर डाला
ज़िसके व्रज ने
कंस के प्राणों को भी
तज डाला।
देख सुदामा ""
सजल नयन भर आए
मित्रता एेसी "
की देख सुख भी भरमाए।
अबोध थी दुनिया
तो तत्व बोध करा गए
सार बन गीता का
चक्रधर
गीता मे ही समा ग्ए |
बांसुरी की धुनों से
सरस सरिताए बहा गए
किसिको राधा नाम प्रेम '
तो मीरा के "
गिरधर नागर बन
वसुंधरा पर छा गए
प्रकट्टय या
अप्रकट्टय रुप मे
जो आज
प्रभु विद्यमान है।
वही भूगोल "
वही सार ""
वही तत्व ज्ञान है ।
पी राय राठी
राजस्थान
4मई 2019
विषय_नायक
~~~~
भजलें बन्दे बन्दगी में नाम "
सुदर्शनधारी
नायक श्याम का |
उसकी रहमतों से ही
होते दिन के उजाले
वो अगर चाहें तो
रात के सीनें मे भी
सूरज को ऊगादें|
द्रोपदी के चीर भी
हरण से बच गए।
सार्थी बने
पांडवो के तो "
कोरवों के
सीनें छल गए।
बेैठ काल के
कपाल पर
नाग कालिये का
वध कर डाला
ज़िसके व्रज ने
कंस के प्राणों को भी
तज डाला।
देख सुदामा ""
सजल नयन भर आए
मित्रता एेसी "
की देख सुख भी भरमाए।
अबोध थी दुनिया
तो तत्व बोध करा गए
सार बन गीता का
चक्रधर
गीता मे ही समा ग्ए |
बांसुरी की धुनों से
सरस सरिताए बहा गए
किसिको राधा नाम प्रेम '
तो मीरा के "
गिरधर नागर बन
वसुंधरा पर छा गए
प्रकट्टय या
अप्रकट्टय रुप मे
जो आज
प्रभु विद्यमान है।
वही भूगोल "
वही सार ""
वही तत्व ज्ञान है ।
पी राय राठी
राजस्थान
दि- 4-5-19
विषय- नायक
सादर मंच को समर्पित -
🏵🍀 गीतिका 🍀🏵
*****************************
मापनी- 122 , 122 , 122 , 2
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
गयी बीत वह तो कहानी है ।
नयी राह मिल कर बनानी है ।।
चलें आज फिर एक हो जायें ,
गढ़ें नायकी जो निशानी है ।
वतन को जियें साथ नायक हम ,
कसम भारती की निभानी है ।
नहीं है पराया यहाँ कोई ,
दिलों में नयी प्रीति लानी है ।
हमें हौसला दे रहा नायक ,
यही प्यार की जिन्दगानी है ।
बढ़े जो वही पा गये नायकी ,
नया जोश हिम्मत जवानी है ।
जगें , बढ़ चलें राष्ट्र की खातिर ,
अभी विश्व भर कीर्ति पानी है ।।
🏵🍀🌷🍥🌻
🌲🌸🌷**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
विषय- नायक
सादर मंच को समर्पित -
🏵🍀 गीतिका 🍀🏵
*****************************
मापनी- 122 , 122 , 122 , 2
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
गयी बीत वह तो कहानी है ।
नयी राह मिल कर बनानी है ।।
चलें आज फिर एक हो जायें ,
गढ़ें नायकी जो निशानी है ।
वतन को जियें साथ नायक हम ,
कसम भारती की निभानी है ।
नहीं है पराया यहाँ कोई ,
दिलों में नयी प्रीति लानी है ।
हमें हौसला दे रहा नायक ,
यही प्यार की जिन्दगानी है ।
बढ़े जो वही पा गये नायकी ,
नया जोश हिम्मत जवानी है ।
जगें , बढ़ चलें राष्ट्र की खातिर ,
अभी विश्व भर कीर्ति पानी है ।।
🏵🍀🌷🍥🌻
🌲🌸🌷**....रवीन्द्र वर्मा आगरा
शेर की कविताएं..
दिनांक .. 4/5/2019
विषय .. नायक
विधा .. लघु कविता
*********************
.....
श्मशान भैरवी के चरणों मे,
मुक्तिबोध का बन्धन है।
माया ममता मे घिर हुआ पर,
शेर का पूरा जीवन है।
...
पाने की अभिलाषा भी है,
अरू मोक्ष की मुझको चाहत भी।
संसारिकता मे बँधा हुआ,
मै ढूँढू मुक्ति का वाहक भी।
....
मन क्या चाहे मै जानू ना,
उलझन ये विकट दिखाऊँ ना।
नायक हूँ या मै सन्यासी,
मनभेद है क्या मै जानू ना।
....
कुछ मार्ग दिखा दो तुम मुझको,
मन भटक रहा है हर पल क्यो।
क्या जीवन दर्शन बदल रहा,
ये संसित मन है हर पल क्यो।
....
स्वरचित एंव मौलिक
शेर सिंह सर्राफ
दिनांक .. 4/5/2019
विषय .. नायक
विधा .. लघु कविता
*********************
.....
श्मशान भैरवी के चरणों मे,
मुक्तिबोध का बन्धन है।
माया ममता मे घिर हुआ पर,
शेर का पूरा जीवन है।
...
पाने की अभिलाषा भी है,
अरू मोक्ष की मुझको चाहत भी।
संसारिकता मे बँधा हुआ,
मै ढूँढू मुक्ति का वाहक भी।
....
मन क्या चाहे मै जानू ना,
उलझन ये विकट दिखाऊँ ना।
नायक हूँ या मै सन्यासी,
मनभेद है क्या मै जानू ना।
....
कुछ मार्ग दिखा दो तुम मुझको,
मन भटक रहा है हर पल क्यो।
क्या जीवन दर्शन बदल रहा,
ये संसित मन है हर पल क्यो।
....
स्वरचित एंव मौलिक
शेर सिंह सर्राफ
4/5/19
नायक
💐💐
नमन मंच।
नमन गुरूजनो, मित्रों।
छंदमुक्त कविता
🌸🌸🌸🌸
नायक।
एक शब्द है।
पर इसके मायने बहुत गंभीर हैं।
जो हो सबसे अलग,
भीड़ में अलग नजर आये।
वो हो सकता है नायक।
जैसे राम, कृष्ण,
सबके नायक बने।
हम सब करते,
उनका अनुसरण।
उनके बताए रास्ते पर चलने हैं,
जीवन में उन्हें नायक कहते हैं।
सदा करें पूजन उनकी,
वो हैं हमारे नायक।
नाम लेकर उनकी,
करते सारे काम।
पूर्ण होती मनोकामना,
जब उनका नाम लेकर,
करते कोई काम।
नायक आगे चले,
सब उसके पीछे।
जो कहे नायक,
होंगे बात अच्छै।
💐💐💐💐💐
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
नायक
💐💐
नमन मंच।
नमन गुरूजनो, मित्रों।
छंदमुक्त कविता
🌸🌸🌸🌸
नायक।
एक शब्द है।
पर इसके मायने बहुत गंभीर हैं।
जो हो सबसे अलग,
भीड़ में अलग नजर आये।
वो हो सकता है नायक।
जैसे राम, कृष्ण,
सबके नायक बने।
हम सब करते,
उनका अनुसरण।
उनके बताए रास्ते पर चलने हैं,
जीवन में उन्हें नायक कहते हैं।
सदा करें पूजन उनकी,
वो हैं हमारे नायक।
नाम लेकर उनकी,
करते सारे काम।
पूर्ण होती मनोकामना,
जब उनका नाम लेकर,
करते कोई काम।
नायक आगे चले,
सब उसके पीछे।
जो कहे नायक,
होंगे बात अच्छै।
💐💐💐💐💐
स्वरचित
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
नमन मंच🙏
दिनांक- 4/05/2019
विषय- "नायक"
विधा- हाइकु
************
1)
ईश नायक
संसार को चलाता
भाग्य विधाता
2)
मैं हूँ नायिका
जीवन रंगमंच
तुम नायक
3)
संघर्षी आग
तपकर निकला
वही नायक
4)
प्रकृति प्रेमी
करें वृक्षारोपण
बनें नायक
5)
राष्ट्र का प्रेमी
होता कर्तव्यनिष्ठ
सच्चा नायक
6)
कवि नायक
साहित्य रंगमंच
भाव पिरोता
7)
दें रक्तदान
है मानव कल्याण
बने नायक
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
दिनांक- 4/05/2019
विषय- "नायक"
विधा- हाइकु
************
1)
ईश नायक
संसार को चलाता
भाग्य विधाता
2)
मैं हूँ नायिका
जीवन रंगमंच
तुम नायक
3)
संघर्षी आग
तपकर निकला
वही नायक
4)
प्रकृति प्रेमी
करें वृक्षारोपण
बनें नायक
5)
राष्ट्र का प्रेमी
होता कर्तव्यनिष्ठ
सच्चा नायक
6)
कवि नायक
साहित्य रंगमंच
भाव पिरोता
7)
दें रक्तदान
है मानव कल्याण
बने नायक
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
भावों के मोती दिनांक 4/5/19
नायक
होते हैं
जो देश पर
शहीद
वो नायक
होते है
जो करें
नाश दुश्मन का
वो नायक
होते हैं
जो करें
पूरे घर का
पालन पोषण
और चलें
साथ ले कर
वो माता पिता
नायक होते हैं
देश को दें
जो सही दशा
और दिशा
करें देश का
उत्थान , विकास
वो नायक
होते हैं
बच्चों को
दे शिक्षा और
करें भविष्य निर्माण
वो शिक्षक
नायक होते हैं
सलाम है ऐसे
भाग्य-विधाता को
क्यो कि
वे ही है
सच्चे नायक
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
नायक
होते हैं
जो देश पर
शहीद
वो नायक
होते है
जो करें
नाश दुश्मन का
वो नायक
होते हैं
जो करें
पूरे घर का
पालन पोषण
और चलें
साथ ले कर
वो माता पिता
नायक होते हैं
देश को दें
जो सही दशा
और दिशा
करें देश का
उत्थान , विकास
वो नायक
होते हैं
बच्चों को
दे शिक्षा और
करें भविष्य निर्माण
वो शिक्षक
नायक होते हैं
सलाम है ऐसे
भाग्य-विधाता को
क्यो कि
वे ही है
सच्चे नायक
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक नायक
विधा लघुकविता
04 मई,2019,शनिवार
नायक जग सुखदायक है
नायक शांति का दायक है।
जिसके पीछे जग चलता हो
सदा पूजनीय वह लायक है।
जो देता हो लेता न हो
स्व अंस पर भार उठावे।
वह प्रेरणा हो जगत की
दीन हीन पर नीर बहावे।
संत सम उसका जीवन
संघर्षों से सदा जूझता।
सब अपने हैं हम सबके
कोई उससे नहीं रूठता।
जो जग में समृद्धि भरदे
सदा विश्व का मान बढ़ावे।
नहीं अर्थ है उसका कोई
इसीलिये जननायक कहावे।
खून पसीना सदा बहाकर
नयी प्रेरणा सबको देता ।
वह चलता थकता नहीं
हर विपदा को हर लेता ।
नायक बनना खेल नहीं है
अंगारों पर चलना पड़ता।
सदा देश हित मन मे होता
देश तब ही आगे बढ़ता।
वह ऊपर से श्रीफल होता
अंतर में कोमलता रखता ।
नायक पद निर्वहन करता
असहाय को हिय में भरता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
शीर्षक नायक
विधा लघुकविता
04 मई,2019,शनिवार
नायक जग सुखदायक है
नायक शांति का दायक है।
जिसके पीछे जग चलता हो
सदा पूजनीय वह लायक है।
जो देता हो लेता न हो
स्व अंस पर भार उठावे।
वह प्रेरणा हो जगत की
दीन हीन पर नीर बहावे।
संत सम उसका जीवन
संघर्षों से सदा जूझता।
सब अपने हैं हम सबके
कोई उससे नहीं रूठता।
जो जग में समृद्धि भरदे
सदा विश्व का मान बढ़ावे।
नहीं अर्थ है उसका कोई
इसीलिये जननायक कहावे।
खून पसीना सदा बहाकर
नयी प्रेरणा सबको देता ।
वह चलता थकता नहीं
हर विपदा को हर लेता ।
नायक बनना खेल नहीं है
अंगारों पर चलना पड़ता।
सदा देश हित मन मे होता
देश तब ही आगे बढ़ता।
वह ऊपर से श्रीफल होता
अंतर में कोमलता रखता ।
नायक पद निर्वहन करता
असहाय को हिय में भरता।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
1भा*4/5/2019/शनिवार
बिषयःःः नायक
विधाःःःकाव्यःःः
जय रघुनंदन रघुकुलनायक।
जय रघुवंशी दुष्टों के संहारक।
कृपा निधान तुम दयावान हो
जय दयानिधान हे रघुनायक।
प्रभु जननायक हे जगदात्मा।
तुम नटवरनागर हो प्रेमात्मा।
शरण पडे श्रीराम चरणों में
पाप पापियो का करें खात्मा।
सब तुम्हें मानते अपना नायक,
अब राम राज्य की हमें जरूरत।
ये जनजीवन में मकरंद घोल दें,
मिले लडने से आपस में फुर्सत।
प्रभु वंदन हरजन अभिनंदन करते,
सबके दीनबन्धु तुम दीनदयालु हो।
अधिनायक नहीं तुम नायक राम
तुम पुरूषोत्तम तुम महाकृपालु हो।
स्वरचित ःः
इंजी.शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
1*भा#नायक# काव्यः ः
4/5/2019,शनिवार
बिषयःःः नायक
विधाःःःकाव्यःःः
जय रघुनंदन रघुकुलनायक।
जय रघुवंशी दुष्टों के संहारक।
कृपा निधान तुम दयावान हो
जय दयानिधान हे रघुनायक।
प्रभु जननायक हे जगदात्मा।
तुम नटवरनागर हो प्रेमात्मा।
शरण पडे श्रीराम चरणों में
पाप पापियो का करें खात्मा।
सब तुम्हें मानते अपना नायक,
अब राम राज्य की हमें जरूरत।
ये जनजीवन में मकरंद घोल दें,
मिले लडने से आपस में फुर्सत।
प्रभु वंदन हरजन अभिनंदन करते,
सबके दीनबन्धु तुम दीनदयालु हो।
अधिनायक नहीं तुम नायक राम
तुम पुरूषोत्तम तुम महाकृपालु हो।
स्वरचित ःः
इंजी.शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी
1*भा#नायक# काव्यः ः
4/5/2019,शनिवार
नमन भाव के मोती
दिनांक -4 मई 2019
विषय -नायक
विधा-हाइकु
1
जन कल्याण
राजा राज्य नायक-
प्रजा पालक
2
विश्व कल्याण
संत धर्म नायक-
सत्य असत्य
3
ज्ञान संस्कार
सर्वश्रेष्ठ नायक-
गुरू आशीष
4
रिमझिम वर्षा
वसुंधरा आँचल-
मेघ नायक
5
खेल मैदान
कप्तान है नायक-
टीम विजय
6
जिन्दगी सार
अनुभव नायक-
विश्व विख्यात
7
सृष्टि सृजन
भगवान नायक-
अखिल विश्व
स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव रायबरेली
दिनांक -4 मई 2019
विषय -नायक
विधा-हाइकु
1
जन कल्याण
राजा राज्य नायक-
प्रजा पालक
2
विश्व कल्याण
संत धर्म नायक-
सत्य असत्य
3
ज्ञान संस्कार
सर्वश्रेष्ठ नायक-
गुरू आशीष
4
रिमझिम वर्षा
वसुंधरा आँचल-
मेघ नायक
5
खेल मैदान
कप्तान है नायक-
टीम विजय
6
जिन्दगी सार
अनुभव नायक-
विश्व विख्यात
7
सृष्टि सृजन
भगवान नायक-
अखिल विश्व
स्वरचित
मनीष कुमार श्रीवास्तव रायबरेली
04-5-2019
विषय:-नायक
विधा :-कुण्डलिया
( १ )
नायक उद्यम से बने , करे लक्ष्य संधान ।
कर्मशील को ही मिले , बहुत बडा सम्मान ।।
बहुत बडा सम्मान ,लोग उसका यश गाते ।
दृष्टांत उसका ले , निकल आगे हैं जाते ।
होते सफल प्रयास , बने उद्यम फलदायक ।
कर्मशील को देख , कहें सब उसको नायक ।।
( २ )
अदृश्य नायक जगत का , जाने सकल जहान ।
एक मात्र संकेत से, चलते सबके प्राण ।।
चलते सबके प्राण , वही साँसें दे देता ।
स्वयम् खेल के लिए , खिलौने है गढ़ लेता ।
कोई भी खिलाड़ी , जगत में नहीं सादृश्य ।
चलते उसके बाण , रहे जो बनकर अदृश्य ।।
( ३ )
दुनिया के इस मंच पर , खेल रहे सब खेल ।
अपना हिस्सा खेल के , गाड़ी लेते ठेल ।।
गाड़ी लेते ठेल , जानते नहीं ठिकाना ।
होता कहाँ पड़ाव , नहीं कोई है जाना ।
नाटक कर के चले , रहे खाते सब बुनिया ।
आता जब बुलावा , छोड़ जाते हैं दुनिया ।।
बुनिया = बुँदिया मिठाई
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
विषय:-नायक
विधा :-कुण्डलिया
( १ )
नायक उद्यम से बने , करे लक्ष्य संधान ।
कर्मशील को ही मिले , बहुत बडा सम्मान ।।
बहुत बडा सम्मान ,लोग उसका यश गाते ।
दृष्टांत उसका ले , निकल आगे हैं जाते ।
होते सफल प्रयास , बने उद्यम फलदायक ।
कर्मशील को देख , कहें सब उसको नायक ।।
( २ )
अदृश्य नायक जगत का , जाने सकल जहान ।
एक मात्र संकेत से, चलते सबके प्राण ।।
चलते सबके प्राण , वही साँसें दे देता ।
स्वयम् खेल के लिए , खिलौने है गढ़ लेता ।
कोई भी खिलाड़ी , जगत में नहीं सादृश्य ।
चलते उसके बाण , रहे जो बनकर अदृश्य ।।
( ३ )
दुनिया के इस मंच पर , खेल रहे सब खेल ।
अपना हिस्सा खेल के , गाड़ी लेते ठेल ।।
गाड़ी लेते ठेल , जानते नहीं ठिकाना ।
होता कहाँ पड़ाव , नहीं कोई है जाना ।
नाटक कर के चले , रहे खाते सब बुनिया ।
आता जब बुलावा , छोड़ जाते हैं दुनिया ।।
बुनिया = बुँदिया मिठाई
स्वरचित :-
ऊषा सेठी
सिरसा 125055 ( हरियाणा )
नमन मंच को
दिन :- शनिवार
दिनांक :- 04/05/2019
विषय :- नायक
नायक एक किरदार है रँगमंच का..
करता अभिनय जीवन मंच का..
कभी रूलाता तो कभी हंसाता है..
चंद पलों में वो पूरी जिंदगी जीता है..
कभी घर की कहता है..
तो कभी देश की..
कभी नेता बनता..
तो कभी अभिनेता..
नायक है वह रँगमंच का..
करता मंचन सदा सत्य का..
दिखाता कभी आईना समाज को..
तो दिखाता कभी विकृत आज को..
छुपाता गम सदा अपनी असल जिंदगी के..
देता है संदेश कई वो खुशनुमा जिंदगी के..
कई चेहरे लगाता वह..
असल चेहरा छुपा के..
अंधेरों में रो लेता वो..
अपनी अश्कों को छुपा के..
गम का साया उस पर भी है..
पर कभी प्रदर्शन नहीं करता..
हर हंसीं पल तो दिखा देता..
पर गम अपने छुपा लेता..
सकारात्मक होता जीवन उसका..
प्रेरणादायक होता जीवन उसका..
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
दिन :- शनिवार
दिनांक :- 04/05/2019
विषय :- नायक
नायक एक किरदार है रँगमंच का..
करता अभिनय जीवन मंच का..
कभी रूलाता तो कभी हंसाता है..
चंद पलों में वो पूरी जिंदगी जीता है..
कभी घर की कहता है..
तो कभी देश की..
कभी नेता बनता..
तो कभी अभिनेता..
नायक है वह रँगमंच का..
करता मंचन सदा सत्य का..
दिखाता कभी आईना समाज को..
तो दिखाता कभी विकृत आज को..
छुपाता गम सदा अपनी असल जिंदगी के..
देता है संदेश कई वो खुशनुमा जिंदगी के..
कई चेहरे लगाता वह..
असल चेहरा छुपा के..
अंधेरों में रो लेता वो..
अपनी अश्कों को छुपा के..
गम का साया उस पर भी है..
पर कभी प्रदर्शन नहीं करता..
हर हंसीं पल तो दिखा देता..
पर गम अपने छुपा लेता..
सकारात्मक होता जीवन उसका..
प्रेरणादायक होता जीवन उसका..
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
नमन "भावो के मोती"
04/05/2019
"नायक"
लघु कविता
###############
दुनिया का मंच हो...
चाहे नाटक का रंगमंच हो..
भूमिका नायक की...
लुभाता हर किसी को...।
सच्चाई का देता साथ हो..
स्व स्वार्थ से परे हो...
दूरदृष्टि का न अभाव हो..
बुद्धि का करता सदुपयोग हो.
हर रिश्तों से परे हो......।
नायक बनना आसान नहीं..
यह करता कोई व्यापार नहीं.
किरदार इसका ......
हर किसी के वश में नहीं..।
परिवार हो.....
समाज हो.....
चाहे राष्ट्र हो.....
नायक होता स्तंभ है..।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
04/05/2019
"नायक"
लघु कविता
###############
दुनिया का मंच हो...
चाहे नाटक का रंगमंच हो..
भूमिका नायक की...
लुभाता हर किसी को...।
सच्चाई का देता साथ हो..
स्व स्वार्थ से परे हो...
दूरदृष्टि का न अभाव हो..
बुद्धि का करता सदुपयोग हो.
हर रिश्तों से परे हो......।
नायक बनना आसान नहीं..
यह करता कोई व्यापार नहीं.
किरदार इसका ......
हर किसी के वश में नहीं..।
परिवार हो.....
समाज हो.....
चाहे राष्ट्र हो.....
नायक होता स्तंभ है..।।
स्वरचित पूर्णिमा साह(भकत)
पश्चिम बंगाल
भावों के मोती
4/05/19
विषय- नायक
.
तुम्ही नायक तुम्ही चित्रकारा
तप्त से इस जग में हो बस तुम ही अनुधारा
तुम्ही रंगरेज, छविकार, नायक मेरे चित्रकारा
रंग सात नही सौ रंगो से रंग दिया तूने मुझको
रंगाई ना दे पाई तेरे पावन चित्रों की तुझको।
हे सुरभित बिन्दु मेरे ललाट के सूर्ख अविरल
तेरे संग ही जीवन मेरा प्रतिपल चला-चल
मन मंदिर में प्रज्जवलित दीप से उजियारे हो
इस बहती धारा में साहिल से बांह पसारे हो।
सांझ ढले लौट के आते मन खग के नीड़ तुम्ही
विश्रांति के पल- छिन में हो शांत सुधाकर तुम्ही
मेरी जीवन नैया के सुदृढ़ नाविक औ नायक तुम्ही
सदाबहार खिला रहे उस फूल की शाख तुम्ही।
स्वरचित।
कुसुम कोठारी।
4/05/19
विषय- नायक
.
तुम्ही नायक तुम्ही चित्रकारा
तप्त से इस जग में हो बस तुम ही अनुधारा
तुम्ही रंगरेज, छविकार, नायक मेरे चित्रकारा
रंग सात नही सौ रंगो से रंग दिया तूने मुझको
रंगाई ना दे पाई तेरे पावन चित्रों की तुझको।
हे सुरभित बिन्दु मेरे ललाट के सूर्ख अविरल
तेरे संग ही जीवन मेरा प्रतिपल चला-चल
मन मंदिर में प्रज्जवलित दीप से उजियारे हो
इस बहती धारा में साहिल से बांह पसारे हो।
सांझ ढले लौट के आते मन खग के नीड़ तुम्ही
विश्रांति के पल- छिन में हो शांत सुधाकर तुम्ही
मेरी जीवन नैया के सुदृढ़ नाविक औ नायक तुम्ही
सदाबहार खिला रहे उस फूल की शाख तुम्ही।
स्वरचित।
कुसुम कोठारी।
नमन भावों के मोती ,
विषय , नायक ,
शनिवार , 4 ,5, 2019 ,
घर का नायक पिता ही होता ,
देखभाल वही घर की करता ।
मेहनत की धूप से गुजर कर ,
ठंडी़ छाँव का एहसास दिलाता ।
देश की सीमा पर जो रहते प्रहरी ,
नींद नहीं उनको आती है गहरी ।
नायक बन मान सम्मान कमाते ,
सीना दुश्मन का कर देते छलनी ।
नये नये अविष्कार होते रहते ,
घर घर में सुख सुबिधा बढा़ते ।
अविष्कारक बन जाते नायक ,
चहु ओर प्रसिध्दि ये पाते रहते ।
राजनीति में कुछ होते हैं सितारे ,
लोक हितार्थ ही जो जीवन गुजारें ।
सच्चे अर्थों में होते हैं यही नायक ,
होते देश के विकास के परिचायक ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
विषय , नायक ,
शनिवार , 4 ,5, 2019 ,
घर का नायक पिता ही होता ,
देखभाल वही घर की करता ।
मेहनत की धूप से गुजर कर ,
ठंडी़ छाँव का एहसास दिलाता ।
देश की सीमा पर जो रहते प्रहरी ,
नींद नहीं उनको आती है गहरी ।
नायक बन मान सम्मान कमाते ,
सीना दुश्मन का कर देते छलनी ।
नये नये अविष्कार होते रहते ,
घर घर में सुख सुबिधा बढा़ते ।
अविष्कारक बन जाते नायक ,
चहु ओर प्रसिध्दि ये पाते रहते ।
राजनीति में कुछ होते हैं सितारे ,
लोक हितार्थ ही जो जीवन गुजारें ।
सच्चे अर्थों में होते हैं यही नायक ,
होते देश के विकास के परिचायक ।
स्वरचित , मीना शर्मा , मध्यप्रदेश ,
"नमन-मंच"
"दिंनाक-४/५/२०१९"
"शीर्षक-नायक"
कर्मनिष्ठ हो जो अपने कर्मो में
ख्याति के लिए नही ,करें जो काम
निडर होकर जो करें देश का काम
पुरुषोत्तम व जो नीति निपुण हो
ऐसे नायक भेजो भगवान।
अंहकार नही जिसको अपने कर्मों का
समाज में जो लाये सुरक्षा का भाव
सच्चे मन से सुने जो देश की पुकार
दूर करे जो भ्रष्टाचार,
ऐसे नायक भेजो भगवान।
देश विकास का करें जो काम
अन्याय का जो हो विरोधी
सृजन करें जो नवभारत का
चमत्कार कर दो हे भगवान
ऐसा नायक भेजों भगवान।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
"दिंनाक-४/५/२०१९"
"शीर्षक-नायक"
कर्मनिष्ठ हो जो अपने कर्मो में
ख्याति के लिए नही ,करें जो काम
निडर होकर जो करें देश का काम
पुरुषोत्तम व जो नीति निपुण हो
ऐसे नायक भेजो भगवान।
अंहकार नही जिसको अपने कर्मों का
समाज में जो लाये सुरक्षा का भाव
सच्चे मन से सुने जो देश की पुकार
दूर करे जो भ्रष्टाचार,
ऐसे नायक भेजो भगवान।
देश विकास का करें जो काम
अन्याय का जो हो विरोधी
सृजन करें जो नवभारत का
चमत्कार कर दो हे भगवान
ऐसा नायक भेजों भगवान।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
4/5/19
भावों के मोती
विषय- नायक
_______________
सुबह-सबेरे उठ कर आता
जग में उजियारा फ़ैलाता
जीवन है जिसके दम से
उससे ही कुदरत पनपे
सृष्टि का वह महानायक
वो जगे तो जग हँसे
ओढ़ लालिमा की चादर आता
प्रकृति को छूकर जगाता
देता दिन भर धूप सुनहरी
उसके दम से ही है ज़िंदगी
छुप जाता जब शाम ढले
तो सारा जीवन सोने चले
ताप सूर्य का कोई सह न सके
इसके बिना कोई रह न सके
बदलते मौसम इसके इशारे
बिन इसके पानी ना बरसे
हमसे रूठ कर यह छुप जाए
धरती से जीवन मिट जाए
फूल,पौधे का जीवनदाता
खिलती सृष्टि जीवन मुस्काता
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित
भावों के मोती
विषय- नायक
_______________
सुबह-सबेरे उठ कर आता
जग में उजियारा फ़ैलाता
जीवन है जिसके दम से
उससे ही कुदरत पनपे
सृष्टि का वह महानायक
वो जगे तो जग हँसे
ओढ़ लालिमा की चादर आता
प्रकृति को छूकर जगाता
देता दिन भर धूप सुनहरी
उसके दम से ही है ज़िंदगी
छुप जाता जब शाम ढले
तो सारा जीवन सोने चले
ताप सूर्य का कोई सह न सके
इसके बिना कोई रह न सके
बदलते मौसम इसके इशारे
बिन इसके पानी ना बरसे
हमसे रूठ कर यह छुप जाए
धरती से जीवन मिट जाए
फूल,पौधे का जीवनदाता
खिलती सृष्टि जीवन मुस्काता
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित
💐भावों के मोती 💐
💐सादर प्रणाम 💐
विषय=नायक
विधा=हाइकु
💐💐💐
(1)नौकर नहीं
जिम्मेदारी निभाएँ
नायक बने
💐💐💐
(2)कर्मो का खुद
करे प्रतिनिधित्व
बन नायक
💐💐💐
(3)नायक गुण
चेहरे पर भाव
सच्चा दिखाता
💐💐💐
(4)निभाएँ आप
नायक किरदार
मिलें सम्मान
💐💐💐
(5)सुख व दुःख
नायक की जिंदगी
चलती ऐसी
💐💐💐
(6)हमारा एक
ईश्वर है नायक
रखता ध्यान
💐💐💐
===रचनाकार ===
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
4/05/2019
💐सादर प्रणाम 💐
विषय=नायक
विधा=हाइकु
💐💐💐
(1)नौकर नहीं
जिम्मेदारी निभाएँ
नायक बने
💐💐💐
(2)कर्मो का खुद
करे प्रतिनिधित्व
बन नायक
💐💐💐
(3)नायक गुण
चेहरे पर भाव
सच्चा दिखाता
💐💐💐
(4)निभाएँ आप
नायक किरदार
मिलें सम्मान
💐💐💐
(5)सुख व दुःख
नायक की जिंदगी
चलती ऐसी
💐💐💐
(6)हमारा एक
ईश्वर है नायक
रखता ध्यान
💐💐💐
===रचनाकार ===
मुकेश भद्रावले
हरदा मध्यप्रदेश
4/05/2019
✍
नमन
भावों के मोती
४/५/२०१९
विषय-नायक
धर्मनिष्ठ और कर्म निष्ठ,
निष्ठा ही जिनकी पूंजी हो।
कटंक पथ पर चलते जाते,
बाधाओं से कहां वे घबराते।
ऐसे निष्ठावान मनुष्य,
सच्चे नायक हैं कहलाते।
मानवता जिनका धर्म सदा,
परसेवा जिनका कर्म सदा।
बनकर जनता वे नायक,
आदर्श नया रच जाते हैं।
सत्य की ज्योति जलाएं जो,
करूणा जिनकी बस पूंजी हो।
बनकर सेवक वे जनता के,
इतिहास नया रच जाते हैं।
अहिंसा का पथ चुनते हैं जो,
सदाचार का जो करते पालन।
जग रोशन जिनकी निष्ठा से,
वे जननायक कहलाते हैं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
भावों के मोती
४/५/२०१९
विषय-नायक
धर्मनिष्ठ और कर्म निष्ठ,
निष्ठा ही जिनकी पूंजी हो।
कटंक पथ पर चलते जाते,
बाधाओं से कहां वे घबराते।
ऐसे निष्ठावान मनुष्य,
सच्चे नायक हैं कहलाते।
मानवता जिनका धर्म सदा,
परसेवा जिनका कर्म सदा।
बनकर जनता वे नायक,
आदर्श नया रच जाते हैं।
सत्य की ज्योति जलाएं जो,
करूणा जिनकी बस पूंजी हो।
बनकर सेवक वे जनता के,
इतिहास नया रच जाते हैं।
अहिंसा का पथ चुनते हैं जो,
सदाचार का जो करते पालन।
जग रोशन जिनकी निष्ठा से,
वे जननायक कहलाते हैं।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
शुभ साँझ , सभी प्रबुद्धगण🙏💐
भावों के मोती
मंच को नमन🙏
दैनिक कार्य
स्वरचित लघु कविता
दिनांक 4.5.2019
दिन शनिवार
विषय नायक
रचयिता पूनम गोयल
होता है सर्वेसर्वा
कहानी का नायक,
किसी भी कहानी में ।
आरम्भ से लेकर
अंत तक ,
रहता है नायक
उस कहानी में ।।
सबको बाँधकर रखता नायक ,
सबको जोड़कर
रखता नायक ।
अपनी महत्वपूर्ण
भूमिका से ,
कहानी में
रोमांच भरता नायक ।।
कोई आधार नहीं ,
बिन नायक के ।
कोई आनन्द नहीं ,
बिन नायक के ।।
कहानी की तरह,
होता है ,
जीवन में भी एक नायक ।
जो बनता है ,
हमारे क़दम-क़दम पर सहायक ।।
घर का नायक पिता ,
देश का नायक नेता ।
रंगमंच का नायक ,
होता है अभिनेता ।।
इसी तरह
समस्त संसार में ,
नायक ,
अपना कर्त्तव्य निभाता ।
बनकर धुरी कहानी की ,
वह सबके हृदयों पर छा जाता ।।
भावों के मोती
मंच को नमन🙏
दैनिक कार्य
स्वरचित लघु कविता
दिनांक 4.5.2019
दिन शनिवार
विषय नायक
रचयिता पूनम गोयल
होता है सर्वेसर्वा
कहानी का नायक,
किसी भी कहानी में ।
आरम्भ से लेकर
अंत तक ,
रहता है नायक
उस कहानी में ।।
सबको बाँधकर रखता नायक ,
सबको जोड़कर
रखता नायक ।
अपनी महत्वपूर्ण
भूमिका से ,
कहानी में
रोमांच भरता नायक ।।
कोई आधार नहीं ,
बिन नायक के ।
कोई आनन्द नहीं ,
बिन नायक के ।।
कहानी की तरह,
होता है ,
जीवन में भी एक नायक ।
जो बनता है ,
हमारे क़दम-क़दम पर सहायक ।।
घर का नायक पिता ,
देश का नायक नेता ।
रंगमंच का नायक ,
होता है अभिनेता ।।
इसी तरह
समस्त संसार में ,
नायक ,
अपना कर्त्तव्य निभाता ।
बनकर धुरी कहानी की ,
वह सबके हृदयों पर छा जाता ।।
नमन मंच
०४/०५/२०१९
विषय--नायक
लघु कविता
किसी की शान में लिख कर मुझे नायक नहीं बनना,
सौदा करके अपने दिल का मुझे गायक नहीं बनना।
पथ में मेरे प्रलोभन की आएंगी बहुतेरी बाधाएं,
करके सौदा अपने जमीर का मुझे नायक नहीं बनना।
कार्य करूँ संग वीरों के बस इतना अरमान है,
निज देश हेतु यह शीश कटे बस इतना अरमान है।
कंटक पथ पर चलने से तनिक नहीं घबराऊं मैं,
निज देश हेतु सर्वस्व लुटे बस इतना अरमान है।
(अशोक राय वत्स) स्वरचित
जयपुर।
०४/०५/२०१९
विषय--नायक
लघु कविता
किसी की शान में लिख कर मुझे नायक नहीं बनना,
सौदा करके अपने दिल का मुझे गायक नहीं बनना।
पथ में मेरे प्रलोभन की आएंगी बहुतेरी बाधाएं,
करके सौदा अपने जमीर का मुझे नायक नहीं बनना।
कार्य करूँ संग वीरों के बस इतना अरमान है,
निज देश हेतु यह शीश कटे बस इतना अरमान है।
कंटक पथ पर चलने से तनिक नहीं घबराऊं मैं,
निज देश हेतु सर्वस्व लुटे बस इतना अरमान है।
(अशोक राय वत्स) स्वरचित
जयपुर।
नमन "भावों के मोती"
विषय- नायक
04/05/19
शनिवार
कविता
जो समाज के कष्ट स्वयं ही आत्मसात करता है,
चिंतनऔर मनन कर सबकी पीड़ा को हरता है।
स्वार्थभाव को त्याग सदा परसेवा का व्रत लेता ,
वही सही अर्थों में नायक पद को वहन करता है।
कितनी ही बाधाएं पथ को रोक खड़ी हो जाएँ,
पर वह निज कर्तव्य-बोध से विमुख नहीं होता है।
जन-जन केहित में होती है उसकी हर अभिलाषा,
उसका हर एक कदम राष्ट्रहित ही आगे बढ़ता है।
वह अपने उज्ज्वल चरित्र से जग में नाम कमाता,
सदा सभी के हृदय-पटल पर वह अंकित रहता है।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
विषय- नायक
04/05/19
शनिवार
कविता
जो समाज के कष्ट स्वयं ही आत्मसात करता है,
चिंतनऔर मनन कर सबकी पीड़ा को हरता है।
स्वार्थभाव को त्याग सदा परसेवा का व्रत लेता ,
वही सही अर्थों में नायक पद को वहन करता है।
कितनी ही बाधाएं पथ को रोक खड़ी हो जाएँ,
पर वह निज कर्तव्य-बोध से विमुख नहीं होता है।
जन-जन केहित में होती है उसकी हर अभिलाषा,
उसका हर एक कदम राष्ट्रहित ही आगे बढ़ता है।
वह अपने उज्ज्वल चरित्र से जग में नाम कमाता,
सदा सभी के हृदय-पटल पर वह अंकित रहता है।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
सादर नमन
विधा-हाईकु
विषय- नायक
१
जीवन पथ
गम खलनायक
सुख नायक
२
महा नायक
देकर बलिदान
वीर जवान
३
सच्चाई मार्ग
दुखों को सहकर
होते नायक
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
4/5/19
शनिवार
विधा-हाईकु
विषय- नायक
१
जीवन पथ
गम खलनायक
सुख नायक
२
महा नायक
देकर बलिदान
वीर जवान
३
सच्चाई मार्ग
दुखों को सहकर
होते नायक
****
स्वरचित-रेखा रविदत्त
4/5/19
शनिवार
मंच को नमन
दिनांक -4/5/2019
विषय-नायक
नायक मात्र शब्द नही
एक उजास नाम है
व्यक्तित्व की किताब का ।
कह देने भर से
कोई नायक नही बनता
समर्पित उसका जीवन
देश के नाम होता है ।
समाज के बीच रहकर
सेतुबंध -सा काम होता है
तपाता जाता है ख़ुद के व्यवहार को
परिणति आदर्श सोना होता है ।
पग पग पर चुनौतियाँ घेरती
लाँघकर एक एक कर सबको
जाना शिखर के पास होता है ।
तन मन धन की आहुति देकर
लिखना नया इतिहास होता है
इतिहास के पन्ने सम्मान में झुकते
दिशाओं में यशगान होता है
भविष्य के गर्भ का अभिमन्यु
ऐसे ही नायक का नाम होता है
✍🏻 संतोष कुमारी ‘ संप्रीति ‘
स्वरचित
दिनांक -4/5/2019
विषय-नायक
नायक मात्र शब्द नही
एक उजास नाम है
व्यक्तित्व की किताब का ।
कह देने भर से
कोई नायक नही बनता
समर्पित उसका जीवन
देश के नाम होता है ।
समाज के बीच रहकर
सेतुबंध -सा काम होता है
तपाता जाता है ख़ुद के व्यवहार को
परिणति आदर्श सोना होता है ।
पग पग पर चुनौतियाँ घेरती
लाँघकर एक एक कर सबको
जाना शिखर के पास होता है ।
तन मन धन की आहुति देकर
लिखना नया इतिहास होता है
इतिहास के पन्ने सम्मान में झुकते
दिशाओं में यशगान होता है
भविष्य के गर्भ का अभिमन्यु
ऐसे ही नायक का नाम होता है
✍🏻 संतोष कुमारी ‘ संप्रीति ‘
स्वरचित
नमन भावों के मोती ,
विषय, नायक,
शनिवार, 4, 5, 2019,
नायक वही
होना परोपकारी
कर्तव्य वोध ।
जीवन पथ
सहज व सहर्ष
चले नायक ।
फिल्म जगत
मनोरंजन भरा
नायक तारा ।
दिल का राजा
धड़कन साथिया
नायक होता ।
नायक देश
आजादी के दीवाने
श्रध्दा नमन ।
नायक होता
मुखिया परिवार
आदर्श घर ।
उपचारक
लाइलाज बीमारी
नायक होता ।
कलमकार
उपन्यास कहानी
नायक पैदा ।
सच्चे नायक
देश के रखवाले
जान भी फिदा ।
नायक दिल
मृदुल व्यवहार
सबसे प्यार ।
स्वरचित, मीना शर्मा , मध्यप्रदेश,
विषय, नायक,
शनिवार, 4, 5, 2019,
नायक वही
होना परोपकारी
कर्तव्य वोध ।
जीवन पथ
सहज व सहर्ष
चले नायक ।
फिल्म जगत
मनोरंजन भरा
नायक तारा ।
दिल का राजा
धड़कन साथिया
नायक होता ।
नायक देश
आजादी के दीवाने
श्रध्दा नमन ।
नायक होता
मुखिया परिवार
आदर्श घर ।
उपचारक
लाइलाज बीमारी
नायक होता ।
कलमकार
उपन्यास कहानी
नायक पैदा ।
सच्चे नायक
देश के रखवाले
जान भी फिदा ।
नायक दिल
मृदुल व्यवहार
सबसे प्यार ।
स्वरचित, मीना शर्मा , मध्यप्रदेश,
तिथि - 4/5/19
विधा - छंद -मुक्त
विषय - नायक
कुछ बालक
होतें हैं जन्मजात नायक
न हारते किसी से
दृढ़ता से सामना करते
किसी भी परिस्थिति का
दूसरे बालक से
खिलौना हथियाना
पूत के पांव
पालने में दिखने जैसा
जीवन के रंगमंच पर
पहली शुरुआत
कक्षा में
अन्य बच्चों पर दबदबा
कॉलेज के
चुनाव में जीत
दर्ज कराता
उभरता हुआ नायक
और फिर बदलता रुख
बड़ी सोच के साथ
समाज और देश सेवा
देश पर मर मिटने का जज्बा
कभी माँ के लिए
कभी बहन के लिए
और कभी पत्नी या प्रेमिका के लिए
उनका प्रिय नायक
यानी हीरो बन जाता है
नायक मार्गदर्शक बन
आगे रहता है
पीछे पदचिन्हों का
अनुसरण करती
भारी भीड़
कभी अभिनय भी
अगर करता है
अनुगामी आँख मूंद
अनुगमन करते हैं
मर मिटने को
तैयार हो जाते हैं
सच्चा नायक
करता है दिलों पर राज
यही है नायकत्व
सरिता गर्ग
स्व रचित
विधा - छंद -मुक्त
विषय - नायक
कुछ बालक
होतें हैं जन्मजात नायक
न हारते किसी से
दृढ़ता से सामना करते
किसी भी परिस्थिति का
दूसरे बालक से
खिलौना हथियाना
पूत के पांव
पालने में दिखने जैसा
जीवन के रंगमंच पर
पहली शुरुआत
कक्षा में
अन्य बच्चों पर दबदबा
कॉलेज के
चुनाव में जीत
दर्ज कराता
उभरता हुआ नायक
और फिर बदलता रुख
बड़ी सोच के साथ
समाज और देश सेवा
देश पर मर मिटने का जज्बा
कभी माँ के लिए
कभी बहन के लिए
और कभी पत्नी या प्रेमिका के लिए
उनका प्रिय नायक
यानी हीरो बन जाता है
नायक मार्गदर्शक बन
आगे रहता है
पीछे पदचिन्हों का
अनुसरण करती
भारी भीड़
कभी अभिनय भी
अगर करता है
अनुगामी आँख मूंद
अनुगमन करते हैं
मर मिटने को
तैयार हो जाते हैं
सच्चा नायक
करता है दिलों पर राज
यही है नायकत्व
सरिता गर्ग
स्व रचित
नमन मंच भावों के मोती
04/05/19
नायक
लघुकथा
****
विशाल एक प्रतिष्ठित कंपनी मे कार्यरत थे ।कुछ सदस्यों की टीम के साथ उनको केदारनाथ मे एक प्रोजेक्ट मे महत्व पूर्ण जिम्मेदारी के साथ भेजा गया ।
काफी काम खत्म हो चुका था ,थोड़ा सा ही बचा था लेकिन तभी केदारनाथ की भारी आपदा मे वो लोग फंस गए।मंदाकिनी नदी का महाप्रलय सब तबाह करने पर आमादा था ।
एक बहुत छोटी सी जगह पर विशाल अपने साथियों और गाँव के लोगो के साथ दो तीन दिन तक बिना कुछ खाये पिये फंसे रहे ।चारों तरफ तबाही देख विशाल का दिमाग कुंद हो रहा था इससे निकलने का कोई रास्ता नही नजर आ रहा था।
किसी तरह से उन्होने अपने निर्देशक से संपर्क साधा ,वो भी पिछले दिनों से लगातार संपर्क की कोशिश में थे।
कंपनी निर्देशक...मैं सहायता के लिए हेलिकॉप्टर का बंदोबस्त कर रहा हूँ ,तुम्हारी टीम लीडर के हैसियत से क्या कर्तव्य होंगे?
विशाल....सर आप बेफ़िक्र रहे, मैं ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगा ।
एकत्रित सभी लोग भयभीत और भूख प्यास से व्याकुल दयनीय अवस्था में थे ।
जब हेलीकॉप्टर पहुँचा तो कई फेरे मे विशाल अपने साथ के लोगों को भेजते रहे औरअपना कर्तव्य निभाते रहे ।
सबकी आंखों मे विशाल के लिए कृतज्ञता और श्रद्धा का भाव था ।
वो सही अर्थों में नायक बन अपने कई साथियों को बचाने में सफल रहे थे ।
आखिरी मे इतनी कठिन हालातों में जूझते वो वहीं बेहोश हो गए पर अपना वादा निभाते हुए वो नायक बन कई जिंदगियां बचाने में सफल रहे ।
(सच्ची घटना पर आधारित)
स्वरचित
अनिता सुधीर श्रीवास्तव
04/05/19
नायक
लघुकथा
****
विशाल एक प्रतिष्ठित कंपनी मे कार्यरत थे ।कुछ सदस्यों की टीम के साथ उनको केदारनाथ मे एक प्रोजेक्ट मे महत्व पूर्ण जिम्मेदारी के साथ भेजा गया ।
काफी काम खत्म हो चुका था ,थोड़ा सा ही बचा था लेकिन तभी केदारनाथ की भारी आपदा मे वो लोग फंस गए।मंदाकिनी नदी का महाप्रलय सब तबाह करने पर आमादा था ।
एक बहुत छोटी सी जगह पर विशाल अपने साथियों और गाँव के लोगो के साथ दो तीन दिन तक बिना कुछ खाये पिये फंसे रहे ।चारों तरफ तबाही देख विशाल का दिमाग कुंद हो रहा था इससे निकलने का कोई रास्ता नही नजर आ रहा था।
किसी तरह से उन्होने अपने निर्देशक से संपर्क साधा ,वो भी पिछले दिनों से लगातार संपर्क की कोशिश में थे।
कंपनी निर्देशक...मैं सहायता के लिए हेलिकॉप्टर का बंदोबस्त कर रहा हूँ ,तुम्हारी टीम लीडर के हैसियत से क्या कर्तव्य होंगे?
विशाल....सर आप बेफ़िक्र रहे, मैं ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगा ।
एकत्रित सभी लोग भयभीत और भूख प्यास से व्याकुल दयनीय अवस्था में थे ।
जब हेलीकॉप्टर पहुँचा तो कई फेरे मे विशाल अपने साथ के लोगों को भेजते रहे औरअपना कर्तव्य निभाते रहे ।
सबकी आंखों मे विशाल के लिए कृतज्ञता और श्रद्धा का भाव था ।
वो सही अर्थों में नायक बन अपने कई साथियों को बचाने में सफल रहे थे ।
आखिरी मे इतनी कठिन हालातों में जूझते वो वहीं बेहोश हो गए पर अपना वादा निभाते हुए वो नायक बन कई जिंदगियां बचाने में सफल रहे ।
(सच्ची घटना पर आधारित)
स्वरचित
अनिता सुधीर श्रीवास्तव
द्वितीय प्रस्तुति
कर्ण नायक या ...
सेवा से तुम्हारी प्रसन्न हो
ऋषि ने तुम्हें वरदान दिया
करती जिस देव की आराधना
उसकी संतान का उपहार दिया।
अज्ञानता थी तुम्हारी
तुमने परीक्षण कर डाला
सूर्य पुत्र मैं, गोद में तेरी,
तुमने गंगा में बहा डाला ।
इतनी विवश हो गयी तुम
क्षण भर भी सोचा नहीं,
अपने मान का ध्यान रहा ,
पर मेरा नाम मिटा डाला ।
कवच कुंडल पहना कर
रक्षा का कर्तव्य निभाया
सारथी दंपति ने पाला पोसा
मात पिता का फर्ज निभाया ।
सूर्य पुत्र बन जन्मा मै
सूत पुत्र पहचान बनी
ये गलती रही तुम्हारी , मैंने
जीवन भर विषपान किया।
कौन्तेय से राधेय बना मैं
क्या तुम्हें न ये बैचैन किया!
धमनियों में रक्त क्षत्रिय का
तो भाता कैसे रथ चलाना।
आचार्य द्रोण का तिरस्कार सहा
तो धनुष सीखना था ठाना।
पग पग पर अपमान सहा
क्या तुमको इसका भान रहा !
दीक्षा तो मुझे लेनी थी
झूठ पर मैंने नींव रखी ,
स्वयं को ब्राह्मण बता ,मैं
परशुराम का शिष्य बना ।
बालमन ने कितने आघात सहे
क्या तुमने भी ये वार सहा !
था मैं पांडवों मे जयेष्ठ
हर कला में उनसे श्रेष्ठ,
होता मैं हस्तिनापुर नरेश
क्या मुझे उचित अधिकार मिला
क्या तुम्हें अपराध बोध हुआ!
जब भी चाहा भला किसी का
शापित वचनों का दंश सहा
गुरु और धरती के शाप ने
शस्त्र विहीन ,रथ विहीन किया।
भरी सभा द्रौपदी ने
सूत पुत्र कह अपमान किया
मत्स्य आँख का भेदन कर
अर्जुन ने स्वयंवर जीत लिया ।
मैंने जो अपमान का घूंट पिया
क्या तुमने कभी विचार किया !
कठिन समय ,जब कोई न था
दुर्योधन ने मुझे मित्र कहा
अंग देश का राजा बन
अर्जुन से द्वंद युद्ध किया ।
मित्रता का धर्म निभाया
दुर्योधन जब भी गलत करे
कुटिलता छोड़ कर , उसको
कौशल से लड़ना बतलाया ।
दानवीर नाम सार्थक किया
इंद्र को कवच कुंडल दान दिया
तुमने भी तो पाँच पुत्रों
का जीवन मुझसे माँग लिया
क्या इसने तुम्हें व्यथित किया !
आज ,जब अपनी पहचान जान गया
माँ ,मित्र का धर्म निभाना होगा
मैंने अधर्म का साथ दिया ,
कलंक सदियों तक सहना होगा
अब तक जो मैंने पीड़ा सही
उसका क्या भान हुआ तुमको !
मेरी मृत्यु तक तुम अब
पहचान छुपा मेरी रखना
अपने भाइयों से लड़ने का
अपराध, मुझे क्षमा करना ।
जीवन भर जलता रहा आग में
चरित्र अवश्य मेरा बता देना
खलनायक क्यों बना मैं
माँ तुम जग को बतला देना ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
कर्ण नायक या ...
सेवा से तुम्हारी प्रसन्न हो
ऋषि ने तुम्हें वरदान दिया
करती जिस देव की आराधना
उसकी संतान का उपहार दिया।
अज्ञानता थी तुम्हारी
तुमने परीक्षण कर डाला
सूर्य पुत्र मैं, गोद में तेरी,
तुमने गंगा में बहा डाला ।
इतनी विवश हो गयी तुम
क्षण भर भी सोचा नहीं,
अपने मान का ध्यान रहा ,
पर मेरा नाम मिटा डाला ।
कवच कुंडल पहना कर
रक्षा का कर्तव्य निभाया
सारथी दंपति ने पाला पोसा
मात पिता का फर्ज निभाया ।
सूर्य पुत्र बन जन्मा मै
सूत पुत्र पहचान बनी
ये गलती रही तुम्हारी , मैंने
जीवन भर विषपान किया।
कौन्तेय से राधेय बना मैं
क्या तुम्हें न ये बैचैन किया!
धमनियों में रक्त क्षत्रिय का
तो भाता कैसे रथ चलाना।
आचार्य द्रोण का तिरस्कार सहा
तो धनुष सीखना था ठाना।
पग पग पर अपमान सहा
क्या तुमको इसका भान रहा !
दीक्षा तो मुझे लेनी थी
झूठ पर मैंने नींव रखी ,
स्वयं को ब्राह्मण बता ,मैं
परशुराम का शिष्य बना ।
बालमन ने कितने आघात सहे
क्या तुमने भी ये वार सहा !
था मैं पांडवों मे जयेष्ठ
हर कला में उनसे श्रेष्ठ,
होता मैं हस्तिनापुर नरेश
क्या मुझे उचित अधिकार मिला
क्या तुम्हें अपराध बोध हुआ!
जब भी चाहा भला किसी का
शापित वचनों का दंश सहा
गुरु और धरती के शाप ने
शस्त्र विहीन ,रथ विहीन किया।
भरी सभा द्रौपदी ने
सूत पुत्र कह अपमान किया
मत्स्य आँख का भेदन कर
अर्जुन ने स्वयंवर जीत लिया ।
मैंने जो अपमान का घूंट पिया
क्या तुमने कभी विचार किया !
कठिन समय ,जब कोई न था
दुर्योधन ने मुझे मित्र कहा
अंग देश का राजा बन
अर्जुन से द्वंद युद्ध किया ।
मित्रता का धर्म निभाया
दुर्योधन जब भी गलत करे
कुटिलता छोड़ कर , उसको
कौशल से लड़ना बतलाया ।
दानवीर नाम सार्थक किया
इंद्र को कवच कुंडल दान दिया
तुमने भी तो पाँच पुत्रों
का जीवन मुझसे माँग लिया
क्या इसने तुम्हें व्यथित किया !
आज ,जब अपनी पहचान जान गया
माँ ,मित्र का धर्म निभाना होगा
मैंने अधर्म का साथ दिया ,
कलंक सदियों तक सहना होगा
अब तक जो मैंने पीड़ा सही
उसका क्या भान हुआ तुमको !
मेरी मृत्यु तक तुम अब
पहचान छुपा मेरी रखना
अपने भाइयों से लड़ने का
अपराध, मुझे क्षमा करना ।
जीवन भर जलता रहा आग में
चरित्र अवश्य मेरा बता देना
खलनायक क्यों बना मैं
माँ तुम जग को बतला देना ।
स्वरचित
अनिता सुधीर
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