Tuesday, July 16

"गुरु/गुरु पूर्णिमा "16जुलाई 2019

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ब्लॉग संख्या :-449



16/7/2019
गुरु/गुरु पूर्णिमा
0 ऋतुराज दवे जी को समर्पित हाइकु🌹
1
सत्य की ज्योति
गुरु जीवन पुंज
तम से मुक्ति।

2
अथ से इति
सर्वत्र अनुराग
गुरु पराग।

3
गुरुत्व आँच
शिष्य कर्म तपाता
सोना साकार।

4
प्रथम गुरु
मात पिता चरण
जीवन सार।।

वीणा शर्मा वशिष्ठ
स्वरचित

16/07/19
गुरू/गुरू पूर्णिमा 
"
"""""""""""""""""""""""""""""

श्री गुरूदेव को समर्पित 🙏
*********************

गुरू होता भंडार ज्ञान का,
होता है अधिकारी मान का।

शून्य में से श्रृजन कर देता,
मूढों में ज्ञान रस भर देता।

माटी को सोने सा घड़ देता,
अज्ञान सब का सारा हर लेता।

जब गुरू हो हम उम्र मीत सा,
मिले ज्ञान उससे पगा प्रीति सा।

गुंजे शब्द कानों में गीत सा,
देता ज्ञान आसान सीख सा।

जब मैं पास न गुरू को पाता,
अंधकार हो मन में जाता।

कोई न हमको राह दिखाता,
मेरा जीवन थम सा जाता।

धन से न गुरू को तौला जाता,
धन से गुरू का न रिश्ता नाता।

ज्ञान वर्षा करना ही इनको आता,
जीवन ज्ञान दीप सा जगमगाता।

आपका साथ जिसके साथ है,
सारा जहाँ सादर उसके साथ है

सफल हुआ जीवन संग्राम है,
आपको हमारा सादर प्रणाम है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

स्व रचित
मीनू "रागिनी "
16/07/19

#गुरुपूर्णिमा_की_हार्दिक_शुभकामनाएं
दोहा
----------------------------------------

"गुरु स्थान प्रथम है, जो तारे भव नीर
मन को शांति देत है, हरे मम ह्रदय पीर"

"गुरु ज्ञान आधार है, हरे जो मम अज्ञान
ज्ञान रोशनी आत है, जब लगाऊँ ध्यान

मनहरण घनाक्षरी छंद
------------------------------------------

गुरु बिन ज्ञान नही, लगता ना ध्यान कही
ज्ञान उजाला करते, गुरु को नमन है

सद राह दिखाते जो,सद धर्म सिखाते जो
ऐसे राह प्रदर्शक, तुझको नमन है

मद में चूर होकर, भटका विवेक खोकर
आया चरणों मे तेरे, मुझको शरण दें

कर दो कृपा हे नाथ, रहें सदा सिर हाथ
पद धुली तेरी मिले, ऐसे ये चरण दे

@ सुमन जैन
नई दिल्ली

विषय .. गुरु/गुरू पूर्णिमा 
******************

निःशब्द हूँ शिक्षक मेरे, गुणगान कैसे करूं।
ना वो शब्द हैं ना वो योग्यता, मैं बखान कैसे करूं॥
****
मैं जो भी हूँ जैसा भी हूँ, शिक्षा है गुरु मेरे आपकी।
मेरे ज्ञान अरू विज्ञान में, दर्शन है गुरु मेरे आपकी॥
****
शिक्षा के हर इक सूक्ष्म का, विस्तार गुरु मेरे आप हो।
कविता में जो मैं लिख रहा, हर शब्द में बस आप हो॥
****
जैसा बनाया आप ने , वैसा ही हूँ मैं सामने।
है सूर्य धूमिल पर यहाँ, है तेज इतना आप में॥
****
शब्दों में विप्लव भर मेरे, डर दोष का मर्दन किया।
ऐसा जगाया जोश की, नव शेर का सृजन किया॥
****
यह वन्दना है आपकी, इस शेर मन के माप की।
मुझे माफ करना हे गुरु, जो शेर ने कभी पाप की॥
****

शेर सिंह सर्राफ 
देवरिया उ0प्र0

 नमन मंच भावों के मोती
शीर्षक गुरु,पूर्णिमा
विधा कविता

16 जुलाई 2019,मंगलवार

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु सम
गुरु जग के तारन कर्ता।
मायावी छल कपट द्वेष
गुरु शिष्य विपदा हरता।

बिन गुरु जीवन अंधियारा
गुरु प्रकाश पुंज खुद होता।
मात पिता का स्नेह लुटाते
बीज सदा प्रगति हित बोता।

लाख मुसीबत सहता है गुरु
कुम्भकार सा करे आकारित।
स्नेह ममता शिष्य बरसा कर
करे सदा शिष्य को संस्कारित।

सबकुछ देता लेता है नहीं
गुरु अद्भुत जग प्रिय नाम।
ऋण उऋण नहीं हो सकते
नतमस्तक हो करें प्रणाम।

गुरुपूर्णिमा पावन दिवस है
सभी परमगुरु ध्यान लगाते।
भूले भटके प्रिय शिष्यों को
परम पूजनीय राह दिखाते।

स्व0 रचित,मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।

16/07/2019
"गुरु/गुरु पूर्णिमा"
1
गुरु चरण
"हाइकु "समर्पण
श्रद्धा सुमन
2
गुरु पूर्णिमा
आशीर्वाद लेकर
बढ़ा कदम
3
गुरु दीपक
अंधकार से ज्योति
साहित्य पथ
4
गुरु वंदन
आलोकित जीवन
ज्ञान दीपक
5
ले गुरु नाम
काव्य का शुभारंभ
सुपरिणाम
6
गुरु संवाद
आशीर्वाद समान
ज्ञान प्रवाह
7
गुरु महान
पथ का प्रदर्शक
तम से ज्योति
8
गुरु सानिध्य
सद्ज्ञान की प्रगति
हो कृपा दृष्टि

स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।।

 शीर्षक - ''गुरू"
प्रथम प्रस्तुति


गुरू ज्ञान जो प्रीति लगायी
कायाकल्प जीवन में आयी ।।
हम ही नही कहते हैं यह
सारी दुनिया आजमायी ।।

दृढ़ संकल्प हमें करना होगा
उन वचनों में रंग भरना होगा ।।
तम ही तम हैं इस दुनिया में 
ये तम स्वयं हमें हरना होगा ।।

जागो करो नही देर ''शिवम"
चहुँदिश हमारे खड़े हैं गम ।।
कोई नही हैं सच्चा साथी 
क्यों कर रहे हो व्यर्थ वहम ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/07/2019

Sushma Beohar 🌹🙏श्री
श्री गुरु देव के श्री चरणों में सत् सत् नमन
🙏🌹
नमन मंच भावों के मोती
16/7 2019/बिषय ,,गुरुपूर्णिमा
मेरे मन का पापमय घोर अंधकार हरो
शीश तुम्हारे श्री चरणों में स्वीकार. करो स्वीकार करो
गुरुपूर्णिमा का पर्व है पावन
सत्गुरू मेरे मनभावन
वाणी में क्षमता नहीं है इतनी
महिमा बखान कर सकूं मैं उतनी
ध्यान हरदम रहे आपका
हृदय का संताप हरो 
हम है प्रभु कुटिल अज्ञानी
.गुरुवर की अद्भभुत कहानी
घिरे घोर तिमिर में की नादानी
गुरु की ममता न पहचानी
मुझ मूरख को क्षमा कर
नव भक्ति संचार करो
जिनके दर्शन मात्र से जीव कृतार्थ हो जाता है
ऐसे स्वरुपानंद को देख
परमानंद को पाता है
जगद्गुरु हैं आप सभी के
कलयुगी संसार में
मेरी भी नैया पार लगा दो
पड़ी हुई मझधार में
श्री चरणों की रज देदो
जीने का आधार करो 
स्वीकार करो स्वीकार करो
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार

दिनांक-16.07.2019
🌹सभी मित्रों को गुरु पूर्णिमा की बधाई 🌹
ज का शीर्षक-गुरु/गुरु पूर्णिमा
विधा- मुक्तक
=======================
(01)
चला प्रणय को टूटा सपना ।
किसको गुरू बनाऊँ अपना?
इधर उधर सर्वत्र दंभ है ,
बहुत कठिन साथी का मिलना ।।
(02)
मैंने तुमको गुरू बनाया प्रेयसि तुमने क़द्र न जानी ।
आता रहा प्यार पाने को विविध भाँति देखी अभिमानी ।।
बैठ गया हूँ हार मानकर निष्ठुरता से शत प्रतिशत मैं ,
चाहत मलय समीर सँजोई हवा चला दी नख़्लिस्तानी ।।
====================
"अ़क्स" दौनेरिया

नमन भावों जे मोती
16/7/2019
विषय - गुरु पूर्णिमा

जप ले वंदे गुरुदेव का नाम

बिना गुरु के ज्ञान अधूरा गुरुजी से मिलता ज्ञान।
हे आदरणीय गुरुजी आप ही तो मेरे भगवान।

जो गुरुदेव की महिमा गावे सबकी नैया पार लगावे
गुरुजी की सेवा करो हर कोई गुरु भक्ति-भाव जगावे
गुरु नाम का जाप करूँ मैं गुरुजी का करती घ्यान
हे आदरणीय गुरुजी आप ही तो मेरे भगवान।

जो गुरु का ध्यान लगावे मानव जन्म सफल हो जावे
शिष्य से गलती हो जाये तो सच्चाई की राह दिखावे
महिमा अपरंपार गुरुजी की कैसे करूँ मैं बखान
हे आदरणीय गुरुजी आप ही तो मेरे भगवान।

मन का अंधकार मिटावे सतगुरु ज्ञान का दीप जलावे 
गृह-क्लेश हो जिस घर में, संस्कार का पाठ पढ़ावे
गुरु नाम की माला जप लूँ, मैं मानव मूर्ख अज्ञान
हे आदरणीय गुरुजी आप ही तो मेरे भगवान।

छल-कपट को दूर भगावे, बुद्धि को निर्मल बनावे
मोह जाल में फंस जाए तो धर्म-कर्म की बात बतावे
बिना गुरु की कृपा के वंदे, ये जीवन व्यर्थ समान
हे आदरणीय गुरुजी आप ही तो मेरे भगवान।

गुरु से गुरुदक्षिणा पाऊँ सुबह-शाम नित्य भजन सुनाऊँ
आषाढ़ माह गुरु पूर्णिमा को गायत्री मंत्र से हवन कराऊँ
गुरुजी मेरे रग रग में समाये गुरुदेव का करूँ गुणगान
हे आदरणीय गुरुजी आप ही तो मेरे भगवान।

सुमन अग्रवाल"सागरिका"
आगरा
स्वरचित

भावों के मोती
16 07 19
विषय - गुरु, गुरु पूर्णिमा 

गुरु जहाँ गुरुत्व हो 
गुरु जहाँ गुरुर ना हो 
शिष्य जो विनयी हो 
शिष्य में लघुता का अनुराग हो, 
गुरु और शिष्य का रिश्ता 
होता बहुत पवित्र , गरिमा युक्त 
शिष्य कभी धृष्टता कर भी जाता, 
पर गुरु सदा गुरुत्व पर आरुढ़ रहते, 
गुरु की अभिव्यक्ति पर अगर 
शिष्य करता प्रतिक्रिया 
ये होती उसके सीखने की जिज्ञासा 
ना समझो इसे अनादर 
क्योंकि शिष्य बन जाये गर शक्कर 
तो भी हासिल नही कर सकता 
गुड़ की गुणवत्ता।
ऐसे गुरु शिष्य का साथ
गोविन्द तक पहुंचने का मार्ग ।

स्वरचित 

कुसुम कोठारी ।

भावों के मोती
बिषय- गुरु
माँ- बाप के बाद जीवन में 
स्थान होता गुरु का।
उनके चरणों में चढा श्रद्धा सुमन
मैं करुंगी बखान उनकी महिमा का।
पाकर अपने गुरु से ज्ञान
राम, कृष्ण बने भगवान
और शिवाजी,प्रताप बने महान।
दीपक की तरह खुद को जलाकर
जो जहां को रोशन करते हैं।
शिष्य की कामयाबी के लिए
वो अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। 
तभी तो गुरु गोविंद से पहले 
इस जहां में पूजे जाते हैं।
सात सागरों की स्याही बनाकर और
समग्र वनों की लेखनी बनाकर भी
गुरु की महिमा का बखान करना
शायद संभव नहीं होगा।

स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर

नमन मंच !भावों के मोती
तिथि। !16/07/19
विषय !गुरु
विधा !दोहा छन्द

मंच के सभी गुरुजनों को सादर अभिवादन 
आप सभी प्रबुद्धजनो और गुरुओं का मार्गदर्शन सदैव मिलता रहे।
***
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित सब नर नार।।

प्रथम गुरू माता पिता,दूजा ये संसार ।
गुरू कृपा यदि साथ तो,जीवन धन्य अपार।।

श्रद्धा अरु विश्वास से ,चित्त साध लें आज।
गुरू कृपा बिन होय कब,पूरन मङ्गल काज ।।

दूर करे मन का तमस,करे दुखों का नाश।
अध्यात्म की लौ जला ,उर में भरे प्रकाश।।

गुरू बिना मन नहि सधे,भरे ज्ञान भंडार।
मिले गुरू आशीष तो ,भवसागर से पार।।

**

स्वरचित
अनिता सुधीर

विधाःः काव्यःः

ले श्रद्धा भाव और श्रद्धा सुमन।
करते श्रीगुरूवर का अभिनंन्दन।
जो भी बिखरी हमें माया दिखती,
वरदान तुम्हारा गुरूवर का वंदन।

हम गुरूपूर्णिमा मनफूल मनाऐं।
नित गुरूदेव हम मनफूल चढाऐं।
कलुषित कषाय भरे अबतक जो,
धो गुरु चरणों में बनफूल चढाऐं।

रहे अनघढ रहे हम सबजन सारे,
हम सब माटी ये गुरु कुंभकार हैं।
रजत स्वर्ण सब हम भले मगर ये,
जो गुरू तराश रहे वेे स्वर्णकार हैं।

गुरू महिमा बडी अद्भुत अज्ञानी।
इसे कहाँ अभी भी किसने जानी।
अवर्णनीय इन गुरूओं की महिमा,
हम सभी अकिंचन ये हमने मानी।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.

आज का विशेष आयोजन
"गुरु/गुरु पूर्णिमा"
विधा --काव्य
=============================
"दोहे"
''''''''''''
गुरु की महिमा क्या कहें,.कोई ना कह पाय।
जो संभव है ईश से,. . . वह गुरु भी दे जाय।।
------------------
अजब अनोखी शक्ति ये,..केवल गुरु दिखलाय।
हमको गुरु से वह मिले,.. . ईश न जो दे पाय।।
-------------------
अपने मुँह से गुरु कथा,कैसे करें बखान।
ईश्वर का अवतार वो,. रूप धरे इंसान।।
------------
शिक्षक पारस मानिये,खुद को लोहा जान।
उसको छूते ही बनें ,. सारे कनक समान।।
----------------
पहली शिक्षक माँ सदा,पिता दूसरा जान।
सबसे पहली सीख दें ,पहला दें ये ज्ञान।।
----------------------
कच्ची मिट्टी गूँथ वो ,.. देता चाक चढ़ाय।
तपा ज्ञान की अगन में,गुरु दे घड़ा बनाय।।
-----------------
शिक्षक ऎसा होत है,....जैसे शीतल नीर।
प्यास बुझा दे ज्ञान की,हर ले सारी पीर।।
----------------
है गुरु ऎसी नाव जो ,.. . उस तट पर ले जाय।
जहाँ ज्ञान की भूख को,सही ग़िज़ा मिल पाय।।
=============================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी

दिन -मंगलवार 
विषय -गुरु 

आप सभी गुरुजनों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं🎉🎉🎉

🙏 गुरु वंदना

बस नाम नहीं है देव आपका,
काम भी देव सा कर दिया ।
कितने असहायों के मन भीतर,
प्रेरणा अमृत भर दिया ॥

निज साहस से निकले घर से,
दुनिया का आदर्श बने ।
रोक न पाए तुम्हें गुरुवर,
अंधियारे काले घने ।
जीवन आलोकित करने फिर, 
ज्ञान प्रकाश प्रखर दिया ॥
कितने असहायों के मन भीतर,
प्रेरणा अमृत भर दिया ॥1॥

मग में डग कैसे भरते हैं,
हमे आपने सिखलाया ।
दिव्य दृष्टि से हमें गुरुवर,
सत्य मार्ग ही दिखलाया ।
चुनौतियों से सिखा सामना,
राहत भरा सफ़र दिया ॥
कितने असाहायों के मन भीतर,
प्रेरणा अमृत भर दिया ॥2॥

क्या उपहार तुम्हें दूं गुरुवर,
दिए आपने ज्ञान नयन ।
उऋण न हो पाऊँ जीवन भर,
हे देव तुल्य तुमको नमन ।
सर्वश्रेष्ठ जीवन आभूषण,
हमको विद्या का वर दिया ॥
कितने असहायों के मन भीतर,
साहस अमृत भर दिया ॥3॥

बस नाम नहीं है देव आपका,
काम भी देव सा कर दिया ।
कितने असहायों के मन भीतर,
प्रेरणा अमृत भर दिया ॥

रचना स्वरचित एवं मौलिक है ।
©®🙏
-सुश्री अंजुमन 'आरज़ू'
छिंदवाड़ा मप्र

आज का विशेष आयोजन
"गुरु/गुरु पूर्णिमा"
विधा --मुक्त छंद
=============================
"गुरु पूर्णिमा पर"
" एक कविता गुरु के चरणों में "
गुरु वह नहीं है 
जो तेज धारा 
अपनी पीठ पर बिठाकर 
पार करा दे 
गुरु वह है 
जो तैरना सिखाकर 
कह दे कि जा पार कर 
मैं खड़ा हूँ किनारे 
संकट लगे तो पुकार लेना 

गुरु वह नहीं है 
जो हाथ पकड़कर 
रास्ते पर साथ ले जाय 
गुरु वह है जो 
आँखें और नज़र देकर 
सारे रास्ते दिखाकर कह दे 
कि जा
अपनी आँखों,अपनी नज़र का 
प्रयोग कर अपनी 
बेहतर नई राहें ढूंढ़ 

गुरु वह नहीं है 
जो ध्यान करना सिखाये 
गुरु वह है जो शिष्य को 
कभी कभी कुछ भी न करके 
केवल अपने अंदर उतरना सिखा दे 
और इस तरह स्वाभाविक 
ध्यान होने लगे 

गुरु वह नहीं है 
जो सत्य,सही गलत क्या है ?
वह बताये 
गुरू वह है जो 
बुद्धि,विवेक,ज्ञान,चेतना 
जाग्रत कर दे 
और कह दे कि जा 
अब तू स्वयं अपना सत्य खोज 
अपना सही गलत चुन ले 

गुरु वह नहीं है 
जो जीवन यापन की शिक्षा देकर 
धन अर्जन सिखा दे 
गुरु वह है 
जो अर्जित धन का प्रयोग 
अपने जीवन को 
और समस्त जगत को 
अधिकाधिक आनंदित करने में 
कैसे प्रयोग करें
वह सिखा दे 

गुरु वह नहीं है 
जो ईश्वर,देवता की पूजा सिखा दे 
गुरु वह है 
जो उद्दात्त कर्मों 
और उद्दात्त गुणों 
को जाग्रत करके 
शिष्य को देवत्व 
और ईश्वरत्व 
तक पहुँचाने की 
राहें खोल दे
=============================
"दिनेश प्रताप सिंह चौहान"
(स्वरचित)
एटा --यूपी

विषय - गुरु पूर्णिमा 
16/07/19
मंगलवार 
कविता 

राष्ट्र-भवन की नींव जिन्होंने अपने तप से डाली है,
ऐसे गुरुओं से भारत- भू कितनी गौरवशाली है|

मर्यादा का मार्ग राम को विश्वामित्र दिखाते थे,
श्रीकृष्ण को संदीपन गुरु कर्मयोग सिखलाते थे

चन्द्रगुप्त को राष्ट्रप्रेम का दृढ- संकल्प कराते थे,
मातृभूमि की पूजा ही उनको चाणक्य बताते थे|

ऐसे ही असंख्य गुरुओं की गाथा याद दिलाता है,
'गुरु -पूर्णिमा' पर्व गुरु के चरणों में ले जाता है|

आज गुरु-वंदन के इस पावन अवसर का मान रखें ,
गुरु की पदरज को मस्तक पर धारण कर सम्मान करें। 

स्वरचित 
डॉ ललिता सेंगर

विषय - गुरु / गुरु-पूर्णिमा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
दोहा
-----
(1)
गुरुवर सच्चा चाहिए, देता जो सद् ज्ञान।
धीर वीर ज्ञानी सबल, मानव बने महान।।

गुरु बिन होता है नहीं, भव से बेड़ा पार।
लख-चौरासी योनियां, मिलें खार ही खार।।

संयम सिखलाते गुरू, धो देते सब खोट।
बात पते की है यही, ले गुरुवर की ओट।।

गुरु की महिमा जानिये, गुरु ईश्वर का रूप।
सर्व हितैषी है वही, समय स्थान अनुरूप।।

गुरु को देते दोष जो, जाते हैं सब नर्क।
धरती पर रहते हुए, होता बेड़ा गर्क।।

गुरू पर्व आया सखा, चलो गुरू के द्वार।
संशय इसमें कुछ नहीं, निश्चित हो उद्धार।।

गुरू शिष्य दोनों मिलें, सुधरेंगे सब काज।
वेद हमें बतला रहे, आये सफल सुराज।।

गुरु पूनम त्योहार है, लो इसका आनंद।
शरण गुरू की जो गहे, कभी न हो मतिमंद

गुरु चरणों में शीश रख, करूँ नमन मैं रोज
आशिष उनकी जब मिले, द्विगुणित होता ओज।।

चंद्र-ग्रहण के दोष को, मिटा सकें भगवान।
आपाधापी छोड़ कर, धरो उन्हीं का ध्यान।।
~~~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया

प्रणाम🙏
16/7/2019
िषय-गुरु
🙏🌹🙏🌹🙏

ये मन बड़ा चंचल है
यहाँ प्रति पल होती हलचल है
इसको काबू में करना होगा..

एक जगह ये रुकता नहीं
अपनी बात पर टिकता नहीं
इसे रोकने को
कोई नियम तो लागू करना होगा...

कोई एक राह 
पकड़नी होगी
गुरु ज्ञानी की बाँह
पकड़नी होगी
वरना तो इस जीवन में
कोई जादू न होगा...

पर कैसे जाँचे
कैसे जाने
कैसे परखें?

कलियुग में तो शायद ही
कोई तुलसी,कबीर या दादू होगा..!!

@वंदना सोलंकी©️स्वरचित

सिंहावलोकन विधा में गुरु पूर्णिमा पर एक प्रयास आप गुणी के समक्ष मंच पर समर्पित।

खोज किए से कब खुले, हम प्रयास रत रोज।
ज्ञान चक्षु को खोलना, प्रिय गुरुवर की खोज।।

नीति ज्ञान अनुनय विनय, बता प्रेम की रीति।
रीति सफल सद्भाव की, जता दिए वह नीति।।

साख बड़ी धन धान्य से, धन स्वभाव ज्यों राख।
राख तजे निज मूल गुण, कहांँ रहे फिर साख।।

भूल किए को भूलना, भूल चुभे सम शूल।
शूल मूल सम मेटना, जिस कारण हुइ भूल।। 

राह दिखा अर्पित किए, नव जीवन की चाह।
चाह नमन की आपको, दिखलाती नित राह।।

अरुण
नौगाँव बुन्देलखण्ड

शीर्षक-- 🌹गुरू🌹
द्वितीय प्रस्तुति

गुरू का दिल से गुणगान गाया है
तब ही यह रंग जीवन में आया है ।।

बेशक यह किस्मत रूठी रही सदा
मगर वक्त पर सदगुरू मैंने पाया है ।।

हताशा थी ज्ञान पिपासा थी प्यासे को
ज्यों वो आकर खुद प्यास बुझाया है ।।

बिखरी थी सपनों की सारी दुनिया
आकर के वह स्वयं धीरज बँधाया है ।।

कितनी कितनी तरह से नही वह
यह जीवन का दर्शन समझाया है ।।

वरना मैं नाचीज क्या था कुछ नही 
यह सब गुरू का दिया कहलाया है ।।

कहने वाले कुछ भी कहें ज्ञान देकर
'शिवम' हमने गुरू का ऋण चुकाया है ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/07/2019

नमन भावों के मोती
गुरु पूर्णिमा की अनंत शुभकामना
दिनांक : -16/07/019
विषय : - गुरु

* जिन्दगी *

पलटती हूँ मैं जब - जब
जिन्दगी के पन्ने
हर पन्ने मुझसे पूछती है
क्या सीखा तूने मुझसे
बार - बार यही सवाल करती है। 

सीखा है तुझसे ही तो मैने
जीवन के घुमावदार, 
पेंचदार राह को.... 
समझा है तुझसे ही मैने
माता - पिता, गुरु, भाई - बहन
सखा और स्वयं अपने आप को...। 

सीखा है नदियों से मैने
कलकल बहते रहना
पर्वत के चोटी से सीखा
आत्मबल ऊँचा रखना। 

देता एक सीख वह पन्ना भी
जिसमें प्रकृति के कोमल मृदा से बना वह सुन्दर कलाई
तोड़ती दिन - रात पत्थर है। 
खुद के भाड़ से भी ज्यादा वह
मजबूरियाँ ढ़ोती फिरती है। 

जून -जुलाई के मौसम में
ये गुलमोहर के फूल भी 
कुछ कहती है
जहाँ झुलसते तन मन वहाँ वह
अपनी सुन्दर रूप खिला
नयन सुख बरसाती है। 

जीवन के विभिन्न मोड़ पर
ऐ जिंदगी तू ने ही
कुछ न कुछ दिखाया है
उन्हीं पलों को समेट कर
मेरी दुनिया सजाया है। 

यहाँ हमें नित हर राह पर
गुरु के दर्शन होते हैं
पग - पग करूँ नत् मस्तक सबको
सब हमें नई सीख दे जाते हैं। 

स्वरचित: - मुन्नी कामत।

तीय प्रस्तुति

आषाढ़ की पूर्णिमा गुरू दिवस मनाते हैं 
श्रद्धा से शीश हम गुरुचरणों में झुकाते है।

गुरु का जीवन में है सर्वोत्तम स्थान
मन का तमस दूर कर देता प्रकाश ।

गुरु वशिष्ठ ,गुरु संदीपनी को नमन
जिनके शिष्य भगवान राम और कृष्ण ।

एकलव्य ने दे अँगूठा गुरु द्रोणाचार्य को
जग को बताया महत्व गुरु दक्षिणा का ।

आरुणि रात भर लेटे रहे खेत की मेड़ पर
गुरु धौम्य का आदेश ले सिर माथे पर ।

पहचान हम अपनी खो रहे आज
गुरु शिष्य सम्बन्ध का हो रहा ह्रास।

गुरु और शिष्य अपनी मर्यादा पहचाने
वही सम्मान दिला ये परम्परा बचा लें ।स्वरचित
अनिता सुधीर


विषयःगुरु/गुरु पूर्णिमा

घनाक्षरी(मनहरण):
*
ब्रह्म-विद विप्र,गुरु ग्यान-रवि पूजन से,
अनमोल मंगल के , वर मिल जाते हैं।
हरे-भरे होते शुष्क , जीवन के मरुथल,
कर्म-पंथ के विकट - विघ्न टल जाते हैं।
त्रास-अवसाद कभी आते आसपास नहीं,
आततायी दानवों के , दुर्ग ढल जाते हैं।
रच जाते अक्षय कवच, अपने ही आप,
पथ में विजय के , प्रदीप जल जाते हैं।।

--डा.'शितिकंठ'

नमन भावों के मोती....समस्त गुरुजनों को मेरा नमन...सभी रचनाकारों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई...

II गुरु / गुरु पूर्णिमा II 

गुरु छवि ऐसी प्यारी मनवा....
गुरु छवि ऐसी प्यारी.....

भोर मेरे जीवन की गुरु से....
निंदिया भी आये प्यारी...मनवा....
गुरु छवि ऐसी प्यारी...

कर कृपा मेरी बांह पकड़ ली....
अंध कूप ले है उभारी....मनवा....
गुरु छवि ऐसी प्यारी.....

राह न भटकूं जीवन में कभी....
गुरु अखियां रहत निहारी...मनवा.....
गुरु छवि ऐसी प्यारी...

सोच मेरी मन भाव प्रेम के....
गुरु दे हैं उभारी...मनवा.....
गुरु छवि ऐसी प्यारी....मनवा....

तृष्णा मिटी मन तृप्त भया अब....
गुरु सागर बलिहारी....मनवा....
गुरु छवि ऐसी प्यारी....

गुरु मेरे की ज्योत जगी जब से....
कुमति मेरी सब हारी....मनवा...
गुरु छवि ऐसी प्यारी.... 

देख देख छवि गुर आपण की....
मेरी नाचें वृतियां सारी...मनवा....
गुरु छवि ऐसी प्यारी.....

गुरु छवि मैं जब भी निहारूं....
पाऊं कृष्ण मुरारी....मनवा...
गुरु छवि ऐसी प्यारी.....

II स्वरचित - सी.एम्.शर्मा II 
१६.०७.२०१९


नमन मंच को 
दिनांक - 16/7/2019
दिन - मंगलवार 
शीर्षक- गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर मै 
प्रथम गुरु अपनी माँ के चरणों में 
बारंबार नमन करती हूं 

मेरी प्रथम गुरु मेरी माँ का प्यार 
दिए जो उन्होंने मुझे संस्कार 
करती हूं मैं उनके दिए
संस्कारों का सत्कार 
जो ज्ञान का दीप जलाया 
मेरे अंतर्मन में 
पहला ज्ञान दिया मेरी माँ ने
नहीं करना किसी व्यक्ति से
कटुता का व्यवहार 
स्नेह प्रेम ही हो तुम्हारा सदाचार
सदैव करना तुम सबका सम्मान 
नहीं करना किसी का अपमान 
कभी किसी का दिल ना दुखाना
कभी किसी पर क्रोध ना जताना 
क्षमा भाव रखना अपने मन में
करे तुम्हारा जो अपमान 
जब मांगे वह क्षमादान दे देना
उसे क्षमादान 
हृदय अपना बड़ा बनाना 
यही है तुम्हारा प्रमुख ज्ञान 
जिसका देती हूं मैं तुम्हें वरदान 
क्रोध लोभ ईर्ष्या इन सब से 
रहना तुम बचकर हमेशा 
तभी होगा कल्याण हमेशा 
द्वितीय गुरू जिन्होंने दिया 
मुझे विद्या का ज्ञान और बनाया
मुझे महान 
सभी शिक्षकगण के चरणों मे 
करती हूं मैं बारंबार प्रणाम प्रणाम 
स्वरचित - हेमा जोशी 

भावों के मोती दिनांक 16/7/19
गुरू

है जीवन 
गुरू आश्रित 
होता सब मंगल

है गुरू बिन
भटकाव जीवन में 
मार्गदर्शक बनते
गुरू जीवन में 

है जीवन
क्षणभंगुर
बढ़ना है गर
सही दिशा राह पर
पकड़ लो ऊँगली 
अपने गुरू की

है गुरू 
जग का
पालनहार
करो वंदना 
सुबह शाम
होगा उनका
आशीर्वाद 
होंगे सभी 
सफल काम

स्वलिखित लेखक 
संतोष श्रीवास्तव भोपाल

दिनांकः-16-7-2019
वारः- भौमवार
विधाः- कविता
शार्षकः- गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाये व गुरु को नमन
हर स्थान को ही समझ लीजिये आप एक उत्तम स्कूल ।
सीखिये आप प्रत्येक स्थान पर ही करिये मत कोई भूल।।
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सबको हैं शुभ कामनायें।
बलिहारी उन सब गुरुओं की जिन्होंने हीरा दिया बनाय।।
उन सभी गुरुओं का करता हूँ भरपूर आदर तथा सम्मान।
किया है जिन्होंने प्रदान मुझको, कभी थोड़ा सा भी ज्ञान ।।
प्रथम गुरु अपनी माताजी को ही करता सर्वप्रथम प्रणाम।
दिये हैं जिन्होने मुझको उत्तम संस्कार व प्रारम्भिक ज्ञान।।
देना चाहिये पहले प्रथम गुरु, माता को सर्वाधिक सम्मान।
समस्त गुरुओं में रखती हैं हमारी माता ही सर्वोच्च स्थान।।
सभी गुरुओं का करना है हमको अधिक से अधिक सम्मान।
किसी भी गुरु को अपने तू ,दूसरों से कम नहीं कभी मान ।।
गुरु ही बनाता सबसे पहले, हम सबको एक उत्तम इन्सान ।
गुरु ही दिलाता हम सबको उत्तम ज्ञान व मिलाता भगवान ।।
डा0 सुरेन्द्र सिंह यादव
“व्यथित हृदय मुरादाबादी”
स्वरचित


विषय - गुरु
द्वितीय प्रस्तुति 

कुम्हार सरीखा सदगुरु
अगर मिल जाय 
मैं भी टंच बनु सुंदर आत्म स्वरूप ।
माटी और मानव
दोनों हैं प्रतिरूप
सही मन्तव्य पा जायें
तो सार्थक
वर्ना सिर्फ धूल ।
धन्य हैं वो जिन्हें 
जीवन घड़ने वाला
सच्चा कुम्हार मिल जाये
इस जहाँ तो क्या
सदा का आत्मानंद मिल जाये।

स्वरचित 

कुसुम कोठारी।


जय माँ शारदा...
"सादर नमन भावों के मोती"
.सभी को गुरुपूर्णिमा की आत्मीय शुभकामनाएँ...
ेरी प्रस्तुति सादर निवेदित.... 
(1222 1222 1222 1222)
---------------------------------------------------

मिला सानिध्य जो गुरु का सफल जीवन हमारा है |
सुखद आशीष की छाया तले सुखकर नजारा है ||

निखर पाये ज़माने में हुईं नजरें इनायत जो,
हमारी हर कमी को दूर कर हमको निखारा है ||

न भटकें कर्म पथ से हम न भूलें धर्म मर्यादा,
चलें नित नेक राहों पर किया हरपल इशारा है |

कभी जब ज़िंदगी की उलझनों ने आ हमें घेरा,
उचित ही सीख दे हमको गुरू ने ही उबारा है |

गुरू के बिन सफलता ज़िंदगी में मिल नहीं सकती,
अलौकिक ज्ञान दे गुरु ने सदा जीवन सँवारा है |

हे गुरुवर है हमारी प्रार्थना स्वीकार कर लेना,
दया की नित नजर रखना निवेदन ये हमारा है |

********************************
#स्वरचित 
प्रमोद गोल्हानी सरस 
कहानी सिवनी म.प्र.


#विषय: गुरु"गुरु पूर्णिमा"
#विधा:काव्य लेखन:
#रचनाकार:दुर्गा सिलगीवाला सोनी:

**""** गुरु कृपा **""**""

प्रथम गुरु सर नवाऊं जननी "
द्वितीय गुरु जनक बन्धु भगिनी"
सदगुरु शरण नवाऊं माथा,
वन्दहुं कृष्ण हरि रघुनाथा,

भाग्य विधाता स्वयं गोविंद हैं,
गुरु भक्ति कर्म शील बनाती है,
दोनों की कृपा ही जो मिले हमें
जिंदगी भी सफल हो जाती है,

नीति निपुणता पूर्वजों से मिलती,
संस्कार मिलते हैं मां बाप से,
शिक्षा दीक्षा गुरु जनों से मिलती,
यह गोविंद स्वयं कहते हैं आप से


वार : मंगलवार 
दिनांक : 16.07.2019
आज का विषय : 
गुरु / गुरुपूर्णिमा 
विधा : काव्य

गीत 

गुरु से ज्ञान अगर मिल जाये ,
अहो भाग्य है मानो !
सच्चा गुरु यदि हृदय बसा लें ,
ईश मिलन है जानो !!

हीरे जैसी परख करे है ,
कस दे हमें कसौटी !
पल पल को आगाह करे औ ,
अकसर देय चुनौती !
कभी न छूटे लक्ष्य हमारा ,
प्रत्यंचा बस तानो !!

माँ देती है ज्ञान हमें तो ,
गुरु तराशे हमको !
समय अगर है ताल ठोकता ,
कहे ठोक के खम को !
छाना है जिसको छलनी में ,
और न उसको छानो !!

देश , समाज , धर्म क्या होता ,
क्या है जिम्मेदारी !
क्या कर्तव्य हमारे तय हैं ,
अधिकारों पर भारी !
पग पग पर बस गुरु खड़ा है ,
मन में इतना ठानो !!

जब जब दर्पण में हम देखे ,
अपनी छवि हम पाते !
झाँके गुरु के नयनन में तो ,
रब की छवि पा जाते !
गुरु है पारस , जान लिया तो ,
भूलो नहीं , बखानो !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

नमन भावों के मोती
विषय गुरु
विधा कविता
दिनांक 16.7.2019
दिन मंगलवार

गुरुवे नमः
🍁🍁🍁🍁

गुरु हैं लेते कहाँ अवकाश
वे देते सदा उज्ज्वल प्रकाश
दुविधायें आती हैं जो भी
करते हैं उनका तुरन्त नाश।

प्रारब्ध में भी यदि वे चाहें
तो दे सकते हैं सुखद सी राहें
एक असीम अनुभूति शान्ति की
दिखला सकती उनकी बाँहें।

गुरु माहात्म्य एकदम निराला
यह अनुपम अध्यात्म शाला
ये अभिमन्त्रित करते राम माला
जो भरता हर अशान्त छाला।

गुरु पूर्णिमा होती है उत्तम
गुरु सानिध्य होता अत्युत्तम
गुरुकृपा से ही पाते हैं
अध्यात्ममय अलौकिक चरम।

स्वरचित
सुमित्रा नन्दन पन्त
जयपुर


बिषयःःगुरू/गुरूपूर्णिमा 
विधाः गजलः

एक प्रयास मात्रः

सदा ही आसरा गुरू तुम्हारा हमको सहारा है।
अलौकिक ज्ञान दे गुरू ने सदा जीवन संवार है

नहीं कोई परवाह है हमको न कभी करें चिंता,
हमें सब मुश्किलों से सदा गुरूवर ने उवारा है।

जमाना है बडा जालिम ये जानते अच्छी तरहा
दिखीं कठिनाईयां हमने गुरूवर को पुकारा है।

हमारे वशमें नहीं जो चल पाऐं कभी गुरू बिन
गुरु की दिव्य दृष्टि तो हमें गगनचुंबी सितारा है

पडे मिट्टी में कहीं घड सोना बना दिया हमको
किसी सांवली सूरत को गुरूवर ने निखारा है।

हम पडे रहते कहीं किसी नाली के किनारे पर
जिसने पिलाया ज्ञानामृत वह गुरूवर हमारा है

सदैव रहें गुरूचरणों में मिलता रहे गुरआशीष,
गुरूबिन अस्तित्वहीन न जीना हमें गंवारा है।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
जय जय श्री राम राम जी

2भा.,गजलःः
16/7/2019/मंगलवार


नमन मंच। गुरु पर कुछ दोहे------दोहे----

गोविन्द से गुरुवर बड़े, गुरु हैं गुण के खान
कलुषित मन पावन करे, भरे हृदय में ज्ञान। 
***
अन्धकार उर का मिटा, ज्ञान ज्योति जलाय। 
ज्ञान पुंज गुरुवर सदा,हरि से देत मिलाय। 
***
गुरु काशी काबा गुरु, गुरु ही चारो धाम। 
गुरु ही वेद पुराण हैं, बाँचो सुबहो शाम। 
***
बिना गुरु पावत नाहीं। कोई जग में ज्ञान। 
जोत जलावत ज्ञान की,मिटता सकल अज्ञान। 
***
गुरु कृपा जिसको मिले, उसकी नैया पार। 
भवसागर से तार दे, गुरु ही तारणहार। 

@ मणि बेन

आज का विषय - गुरु पूर्णिमा

🌹गुरू पूर्णिमा की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं🌹🙏🙏

विधा - छंदमुक्त कविता

----गुरू महिमा----

गुरू बिना ज्ञान नहीं
गुरू ज्ञान का सार,
मुझ पापी में ज्ञान भरयो
करूँ नमन शत-शत बार,

गुरू ज्ञान की ज्योत है
मिटा दे अज्ञान का तम,
जीवन हमारा तर जायेगा
शरण गुरू की ले हम,

शिष्य कहे गुरू से
ऐसा मार्ग दो दिखलाय,
बुरे कर्म तज सकूँ
जीवन सफल बन जाये,

गुरू मिलया तो जग मिलया
करो गुरू का सम्मान,
गुरू आज्ञा पालन हेतु
जिसने अंगूठा कर दिया दान,

गुरू ज्ञान की सीप है
बाकी सब पानी बूँद,
जो सीप माहि चल्यो गयो
बन गयो मोती रूप,

स्वरचित
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा सिरसा (हरियाणा)


नमन मंच
शीर्षक-- 🌹''गुरू"🌹
चतुर्थ प्रस्तुति

गुरू माँगे सच्ची श्रद्धा
श्रद्धा की आज कमी है ।।

क्या कहें कृपा इंसा पर
शायद यहीं पर थमी है ।।

वो गुरूकुल की पढ़ाई न
संस्कारों की रही जमीं है ।।

बड़ी बड़ी शोहरत दौलत
पर आँखों में रहे नमी है ।।

सच्चा सुख सच्चे पथ में
दृढ़ता विनम्रता न कहीं है ।।

कैसे बने लोक परलोक
वो राह 'शिवम' सब घुमी हैं ।।

हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 16/07/2019


नमन मंच
सभी गुणी जन को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
दिनांक-१६/७/२०१९"
"शीर्षक-गुरु/गुरु पूर्णिमा"
गुरु ज्ञान का पूंज है
हरे तम अज्ञान
शीश नवाये गुरु को
ये होते ईश समान

सन्मार्ग पर चलना सिखाये
जीवन में जागरूकता लाये
निराशा मन को दिलासा दिलाये
"स्वयं से "स्वयं का परिचय कराये।

ऐसे होते गुरु महान
नमस्कार उन्हें बारम्बार
चाहे शिष्य शिखर छू जाये
गुरु की महिमा कम ना हो पाये।

गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर
हर गुरु को नमस्कार बारम्बार
जिसने अपने ज्ञान ज्योति से
मेरे अन्तस में ज्ञान जगाये।
माँ पिता है प्रथम गुरु
जिनके याद में दिन रात बिताये

बड़े भाई बहन सभी गुरु हमारे
सभी सिखाते जीवन के पाठ
बच्चें भी आजकल गुरु समान
डिजिटल दुनिया से हमें अवगत कराये।
स्वरचित -आरती-श्रीवास्तव।


बिषयः ः#गुरू /गुरूपूर्णिमा,महिमा#
विधाःः दोहाः ः

गुरू वंदना हम सब करें रोज लेंय आशीष।
ईश विनय हम नित करें सदा झुकाऐं शीश।

गुरू महिमा बखान करें गुरू चंदन सा संग।
गर हम गुरू समीप रहें वैरभाव हो भंग।

गुरूवर से गुरूता मिले चरण पखारे मान।
गुरूवर से मिलता हमें ज्ञान मान सम्मान।

गुरूदेव आशीष देंय होय हमारी जीत।
गुरूवर की किरपा अगर मिलें हमें मनमीत।

रामराज हम सब करें यदि ध्यान गुरूजी देंय।
विद्या दान गुरूवर करें न कोई भिक्षा लेंय।

स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.


विधा-हाइकू

गुरुपूर्णिमा की सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं🌹🌹

🌹1)अभिनंदन
गुरु पथ वंदन
आत्ममंथन

🌹2) गुरु महिमा
निगुरा है अज्ञानी
जग ने मानी।

🌹3)गुरु पूर्णिमा
सर्वश्रेष्ठ दिवस
गुरु प्रार्थना।

🌹4)ईश का दूत
गुरु है पूजनीय 
मिटे संताप।

🌹5)सवार मन
अज्ञानता की नाव
खवैया गुरु।

🌹6)गुरु की आज्ञा
पत्थर की लकीर
माने सो तरे।

🌹7)गुरु महान
शिष्य गुरु की जान
सदा दे ज्ञान।

🌹8)कृष्ण -सुदामा
संदीपिनी आश्रम
गुरु निखारा।

🌹9)शिष्य सहता
कटु गुरु वचन
भाग्य चमका।

🌹10)मिटे संताप
करते मन्त्रजाप
पूर्ण हो काज।

🌹11)भारत-भूमि
गुरु चले सत्मार्ग
शिष्य अज्ञान ।

🌹12)निस्वार्थ ज्ञान
शिष्य उद्धार भाव
बांटते गुरु।

🌹13) श्रद्धा सुमन
करते है अर्पण
गुरु चरण।

🌹स्वरचित
🌹©सारिका विजयवर्गीय "वीणा"
🌹नागपुर (महाराष्ट्र)

नमनमंच
#विषय-----गुरू
#विधा------सजल
#दिनांक,-------16/07/19

अलौकिक ज्ञान दे गुरू ने सब जीवन सँवारा है।
अंधकार के पथ से हमें गुरू ने ही उबारा है ।।

तेरी चरणों में करती रहूँ पुष्प गुच्छ नित अर्पित ,
निस्वार्थ भाव से ही आप ने हमको निखारा है ।

हर जन्म में मिले मुझे तेरा ही आशीष गुरूवर ,
अज्ञान की नैया को लगाया गुरू ने किनारा है ।

तुम हो मात- पिता से बढ़कर ,नमन तुम्हें हे गुरूवर ,
कर दूँ जीवन अर्पण, जब भी मिले एक इशारा है । 

तेरी ज्ञान के ज्योति पूँज से रहें सदा आलोकित. ,
शिक्षा के गगन का एकमात्र ही जगमग सितारा है ।

#स्वरचित एवं #मौलिक*
#धनेश्वरीदेवांगन #धरा*
#रायगढ़ (#छत्तीसगढ़)

"भावों के मोती"पटल पर प्रेषित...
दिनांक-16-7-2019
विषय-गुरू पूर्णिमा पर लेखन,दृश्य श्रृव्य रचना..

स्वरचित गुरू-वंदन गीत
(दृश्य श्रृव्य सामग्री संलग्न )

बोल... "गुरू बिन ज्ञान नहीं"

गुरू बिन ज्ञान नहीं सखि री!
जग में मान नहीं...

गुरू तम से ले जाएं बचाकर
हां उजियार करें कुसुमाकर
कर पहचान यहीं 
सखि री!गुरू बिन ....
जग में...

गुरू जग के पालक हैं प्यारे
भवसागर से पार उतारे
उनसा ना कोई कहीं
सखि री!
गुरू बिन....
जग में....

काज संवारें ध्यान धरो तुम
गुन-सागर में हो जाओ गुम
गुरू-मुक्ता मिल जाए जहां पर
कोई सीप नहीं
सखि री!
गुरू बिन...
जग में...
____

स्वरचित ---
डा.अंजु लता सिंह 
नई दिल्ली

शीर्षक :- गुरु/गुरु पूर्णिमा

गुरु ही वह कुम्हार है..
जो कच्ची मिट्टी को घड़ा बनाता..
गुरु ही वह सुनार है..
जो सोने को कुंदन बनाता..
गुरु ही वह लोहार है...
जो लोहे को औजार बनाता..
गुरु ही वह शिल्पकार है..
जो पत्थर को मूरत बनाता..
गुरु ही करता जागृत हर ज्ञान चक्षु..
गुरु ही संयम है..गुरु ही संबल है..
गुरु ही आधार है..गुरु ही आकार है..
गुरु ही धरा है....गुरु ही आकाश है..
गुरु ही सर्वश्व...गुरु ही सर्वोच्च है..
गुरु ही आचार है..गुरु ही विचार है..
गुरु ही संस्कृति है...गुरु ही संस्कार है..
गुरु ही करते हर मार्ग प्रशस्त..
गुरु की महिमा अपरंपार है..

स्वरचित :- मुकेश राठौड़


नमन भावों के मोती
16 जुलाई 19 मंगलवार
विषय-गुरु/गुरुपूर्णिमा
विधा-हाइकु
💐💐💐💐💐💐
चाँद पे चढ़ा

अंतरिक्ष में कूदा

गुरु का ज्ञान👌
💐💐💐💐💐💐
गुरु महिमा

बखानी नहीं जाय

वर्णनातीत👍
💐💐💐💐💐💐
प्रथम गुरु

घर में मात-पितु

अंतिम दीक्षा💐
💐💐💐💐💐💐
श्रीराम साहू अकेला
💐💐💐💐💐💐
लघु कविता

" गुरू वही कहलाता है"

जब जब छाए घोर अंधेरा,
बन कर प्रकाश वह आता है।
हर लेता है तम को पल में,
जीवन में अलख जगाता है।

तज कर अपने सब सुखों को,
सदमार्ग हमें दिखलाता है।
जिसमें है संचित ज्ञान सुधा,
बस गुरु वही कहलाता है।

जब भी तम छाता जीवन में,
हिम्मत जबाब दे देती है।
धूमिल हो जाती सब आशाएं,
वह नई राह दिखलाता है।

मन होता है जब भी विचलित,
हालात हमें भटकाते हैं।
जो थाम ले वलगा ज्ञान रुपी
बस गुरु वही कहलाता है।

अज्ञान को जो दूर भगाए,
हमको नई पहचान दिलाए।
जब भी हावी हो नीरसता,
बन कर 'कृष्ण' उर्जा भर दे।

जो चले सदा ही सत्य मार्ग पर,
बन जाए सभी का भाग्य विधाता।
अहंकार तज दिल में बस जाए,
बस गुरु वही कहलाता है।
बस गुरु वही कहलाता है।।
(अशोक राय वत्स) © स्वरचित
जयपुर


सादर नमन भावों के मोती
16/07/2019
विषय - गुरु

गुरु के ज्ञान प्रकाश से
निखरती कितनी प्रतिभायें,
हुनर सभी में होता है 
साथ किसी का मिल जाये ।
सर पर हो हाथ गुरु का
मुश्किल बदले आसानी में,
हौंसला देता हिम्मत सबको 
भरे जोश दिलों की रवानी में ।
संवरे व्यक्तित्व हर किसी का
आशीष गुरू का मिल जाये,
उड़ान भरे उन्मुक्त गगन में 
अल्हड़ सा बचपन संवर जाये ।

-- नीता अग्रवाल 
स्वरचित
#सर्वाधिकार_सुरक्षित
नमन मंच 
विषय-- गुरु 
विधा---मुक्त 
******************

गुरु ज्ञान का है आगार
हम अज्ञानी आखर हैं 
चुन चुन कर अक्षर हमारे 
भरता उसमें सागर है 

सागर की असीमता में 
लहरों का आलोड़न है 
उठती-गिरती लहरों में 
हम सब निरंतर संघर्षरत् हैं ।

डा. नीलम


नमन भावों के मोती,
गुरु
मंगलवार
16,7,2019,

गूरू महिमा कहना कठिन है,
होता देव समान ।
आशीष गुरू का जिस पर है ,
बनता वही महान ।
श्री चरणों में गुरू के मिले,
संस्कार गुण ज्ञान ।
पूजिये गुरू के चरण कमल,
गुरू ज्ञान की खान ।

आषाढ़ मास गुरु पूर्णिमा,
तिथि गुरु का सम्मान ।
है यही हमारी परंपरा ,
देना गुरु को मान ।
गुरू शिष्य की ये परिपाटी ,
कहते वेद पुराण ।
अपनाते हम रहें हमेशा ,
शिष्य हेतु कल्याण ।

स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,

🌿🌹🍁🌹 🍁🌹🌿
प्रथम प्रयास हरिगीतिका छंद

16,12 पर यति
2122 2122 2,122 212
तोड़
2 , 3 ,4,3,4
3,4,5
शारदे माता यही आशा , 
अंधेर अब दूर हो
मिटती जगत से अब निराशा,
तम धरा से दूर हो।
गुरूओं को पा कर धन्य हों
कोई न मगरूर हो,
आशीष सभी गुरु दे रहे,
ज्ञान से सब चूर हों।

दीपक कोइ अब ऐसा जले,
मात के कदमों तले ,
भाव प्रेम हो द्वेष दूर हों
मिटते रहें फासले।

स्वरचित
नीलम शर्मा #नीलू

नमन मंच "भावों के मोती 
दिनांक -16/7/2019
विषय - गुरु/गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा पर्व है ज्ञान का 
बोध है दायित्व कृतज्ञता का ।
स्मरण है उत्तरदायित्व का 
उन पवित्र पवित्र संबंधों का 
जिन्होंने फैलाई है रोशनी इस जीवन में 
दिखाई है जिन्होंने सफलता की राहें ।
जीवन के सभी गुरुओं को शत -शत नमन।
स्वरचित 
मोहिनी पांडेय


विषय गुरू /गुरू पूर्णिमा 
🌹🌹💐🌷🌼🌻🌺🥀🌹
गुरू पूर
्णिमा के उपलक्ष मे ताकाॅ विधा(5+7+5+7+7) मे गुरूओं को नमन करने की कोशिश की है:

गुरू पूर्णिमा 
नमन गुरूजन
सदा आभारी ।
विकसित होकर।
बिखेरा तेरा ज्ञान ।

गर्भित मन
आपकी आशाओं का 
कर सम्मान।
ले ब्रह्माण्ड से सीख ।
पूर्णतम् की ओर ।

गुरुजनों को प्रणाम 
16/7/19
गुरु 
हाइकु 
-----------
1)
नदी में कूदा 
तैर कर निकला 
गुरु का बल।।
2)
अज्ञान व्याधि 
नव जीवन दान 
गुरु औषधि 
3)
रुपांतरण 
शिष्यत्व से गुरुत्व
गुरु कारण ।।
4)
गुरु के चोला 
घुमते दरवेश 
बचना चेला ।।
-----------
क्षीरोद्र कुमार पुरोहित

*गुरू की महिमा*

(यह रचना सच्ची घटना पर आधारित है इस पर फिल्म "सुपर30"बनी है |)

वो हैं आनंद कुमार,
सच्चे गुरू की मिसाल, 
गरीब बच्चों में बाँटा ज्ञान,
दिया उन्हें दिव्य ज्ञान |

भूख की तड़पन वो जानें, 
तीस बच्चें वो अनजाने, 
भारत के कोने-कोने से आये, 
गुरू आनंद की शरण पाये |

बिना फीस के दिया ज्ञान,
गुरू,शिष्यों की सच्ची लगन,
आई. आई. टी. में सब सफल, 
सुपर तीस वो रहें अव्वल |

स्वरचित *संगीता कुकरेती*

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