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ब्लॉग संख्या :-455
नमन-माँ शारदे को
नमन-भावो के मोती
दिनांक-23/07/2019
विषय-आजाद
स्वतंत्रता का दीवाना........
यह किसी नायक की जीवन यात्रा नहीं है ।
यह संपूर्ण युग की वीर गाथा है।
यह किसी स्त्री के रूप वैभव की वीर गाथा नहीं है।
यह आजादी के नायक के लौह भुज दडों की गाथा....।
समाँ से जल जाए जो परवाना
दुनिया कहती उसको दीवाना।
सर पर कफन लपेटे
कातिलों को ढूंढता दीवाना।।
मातृभूमि पर अर्पित होंगे
आजाद बिस्मिल रोशन मस्ताना।।
होगा इनका त्योहार सुहाना
बंदूकों का होगा अचूक निशाना।।
झन झन बज रही बेडियां
ताल दे रही स्वर अंजाना।।
लगे गूंजने रौद्र रूप
झूम उठेंगे यह तीनों अल्हड़ मस्ताना।।
लगे लहरने कारागृह में
इंकलाब की बहती धारा।।
जिसने भी इनका स्वर सुना
वह प्रतिउत्तर में हुंकारा।।
होली की हुड़दंग बन गई
उनकी मस्त जवानी।।
दूर उठाकर इन तीनों ने फेका
बुझते अहिंसा का पानी।।
मृत्यु मंच की ओर बढ़ चले
अब ये तीनों अलबेले।।
प्रश्न जटिल था प्रत्युत्तर से
मृत्यु से सबसे पहले कौन खेले।।
अधरो से मृत्यु चांदनी पीता
उम्मीदों का दीवाना।।
स्वतंत्रता तांडव नृत्य करेगा
आज अल्हड हर मस्ताना।।
पायलो की झंकार होगी
बादलों की हुंकार होगी।।
चांद सितारों संग राग सुनाएगा
स्वतंत्रता के ज्वाला का परवाना।।
विजय केतु को है फहराना
वल वेदी पर चढ़कर शीश कटाना।।
मलिन वेष आँसू कैसे
कंम्पित होठ तराना।।
नृत्य करेगी रण प्रांगण में
शमशीरो उनका अचूक निशाना।।
स्वतंत्रता के रण नायक
तेरा ठाठ रहेगा फकीराना।।
ऐसा अंतर्नाद करेंगे
ब्रितानी हुकूमत को है दहलाना।।
जब रण करने निकलेगा सवतंत्रता का दीवाना..........
सत्यप्रकाश सिंह केसर विद्या पीठ इटंर कालेज प्रयागराज
नमन-भावो के मोती
दिनांक-23/07/2019
विषय-आजाद
स्वतंत्रता का दीवाना........
यह किसी नायक की जीवन यात्रा नहीं है ।
यह संपूर्ण युग की वीर गाथा है।
यह किसी स्त्री के रूप वैभव की वीर गाथा नहीं है।
यह आजादी के नायक के लौह भुज दडों की गाथा....।
समाँ से जल जाए जो परवाना
दुनिया कहती उसको दीवाना।
सर पर कफन लपेटे
कातिलों को ढूंढता दीवाना।।
मातृभूमि पर अर्पित होंगे
आजाद बिस्मिल रोशन मस्ताना।।
होगा इनका त्योहार सुहाना
बंदूकों का होगा अचूक निशाना।।
झन झन बज रही बेडियां
ताल दे रही स्वर अंजाना।।
लगे गूंजने रौद्र रूप
झूम उठेंगे यह तीनों अल्हड़ मस्ताना।।
लगे लहरने कारागृह में
इंकलाब की बहती धारा।।
जिसने भी इनका स्वर सुना
वह प्रतिउत्तर में हुंकारा।।
होली की हुड़दंग बन गई
उनकी मस्त जवानी।।
दूर उठाकर इन तीनों ने फेका
बुझते अहिंसा का पानी।।
मृत्यु मंच की ओर बढ़ चले
अब ये तीनों अलबेले।।
प्रश्न जटिल था प्रत्युत्तर से
मृत्यु से सबसे पहले कौन खेले।।
अधरो से मृत्यु चांदनी पीता
उम्मीदों का दीवाना।।
स्वतंत्रता तांडव नृत्य करेगा
आज अल्हड हर मस्ताना।।
पायलो की झंकार होगी
बादलों की हुंकार होगी।।
चांद सितारों संग राग सुनाएगा
स्वतंत्रता के ज्वाला का परवाना।।
विजय केतु को है फहराना
वल वेदी पर चढ़कर शीश कटाना।।
मलिन वेष आँसू कैसे
कंम्पित होठ तराना।।
नृत्य करेगी रण प्रांगण में
शमशीरो उनका अचूक निशाना।।
स्वतंत्रता के रण नायक
तेरा ठाठ रहेगा फकीराना।।
ऐसा अंतर्नाद करेंगे
ब्रितानी हुकूमत को है दहलाना।।
जब रण करने निकलेगा सवतंत्रता का दीवाना..........
सत्यप्रकाश सिंह केसर विद्या पीठ इटंर कालेज प्रयागराज
नमन मं भावों के मोती
23/7/2019/
बिषय ,,बिषय,, आजाद,, चंद्रशेखर आजाद,, क्रांति,
भारत को आजाद कराने
बड़े बड़े बलिदानी थे
झुके नहीं रुके नहीं
ऐसे वो स्वभिमानी थे
स्वतंत्र भारत माँ को देखने का
मन में सपना था
इस भूमि पर केवल अधिकार अपना था
क्रांति के जो बीज बोए वही
पनपकर बड़े हुए
देश की खातिर अनेकों हाथ बढ़े हुए
हँस हँसकर जिन्होंने खाई गोली सीने पर
फिर क्यों न गर्व करें हम सच्चे सपूत नगीने पर
अंतिम समय तक आजाद। वतन के गीत गाते रहे
अमर रहे भारत माता भावों के मोती बिखराते रहे
न मरने का डर जिसे न शूली की परवाह थी
इनके हृदय में तो बस आजाद वतन की चाह थी
एक ही नारा एक ही जुनून ऐसे वो दीवाने थे
प्राणों को न्यौछावर कर दिया ऐसे वो परवाने थे
बड़े ही ही सम्मान से करते रहेंगे जिनको याद
सत् सत् नमन आपको भारत माँ के लाल चंद्रशेखर आज़ाद
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
23/7/2019/
बिषय ,,बिषय,, आजाद,, चंद्रशेखर आजाद,, क्रांति,
भारत को आजाद कराने
बड़े बड़े बलिदानी थे
झुके नहीं रुके नहीं
ऐसे वो स्वभिमानी थे
स्वतंत्र भारत माँ को देखने का
मन में सपना था
इस भूमि पर केवल अधिकार अपना था
क्रांति के जो बीज बोए वही
पनपकर बड़े हुए
देश की खातिर अनेकों हाथ बढ़े हुए
हँस हँसकर जिन्होंने खाई गोली सीने पर
फिर क्यों न गर्व करें हम सच्चे सपूत नगीने पर
अंतिम समय तक आजाद। वतन के गीत गाते रहे
अमर रहे भारत माता भावों के मोती बिखराते रहे
न मरने का डर जिसे न शूली की परवाह थी
इनके हृदय में तो बस आजाद वतन की चाह थी
एक ही नारा एक ही जुनून ऐसे वो दीवाने थे
प्राणों को न्यौछावर कर दिया ऐसे वो परवाने थे
बड़े ही ही सम्मान से करते रहेंगे जिनको याद
सत् सत् नमन आपको भारत माँ के लाल चंद्रशेखर आज़ाद
स्वरचित,, सुषमा ब्यौहार
सुप्रभात"भावो के मोती"
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन🌹
23/07/2019
"आजादी/क्राति"
मुक्तक
वो आजादी के दीवाने थे,
वो हिंद वतन के रखवाले थे,
जान वो अपनी कुर्बान कर गए,
हँसकर मौत को गले लगाए थे।
क्रांति की आग सीने में धधकते रहे
गुलामी की जंजीर वो काटते रहे
हाथ में आजादी की मशाल लिए
फिरंगियों को खूब धूल चटाते रहे।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।
🙏गुरुजनों को नमन🙏
🌹मित्रों का अभिनंदन🌹
23/07/2019
"आजादी/क्राति"
मुक्तक
वो आजादी के दीवाने थे,
वो हिंद वतन के रखवाले थे,
जान वो अपनी कुर्बान कर गए,
हँसकर मौत को गले लगाए थे।
क्रांति की आग सीने में धधकते रहे
गुलामी की जंजीर वो काटते रहे
हाथ में आजादी की मशाल लिए
फिरंगियों को खूब धूल चटाते रहे।।
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।
23 जुलाई 2019,मंगलवार
आज़ादी के प्रिय परवाने
निज हेतु जीवन न जीते।
मातृभूमि सम्मान हेतु ही
जीवन सदा देश हित बीते।
करें कुर्बान यौवनावस्था
इंकलाब नारों में गुजरे।
जीते आजादी के खातिर
जोश नित जनता में भरते।
चंद्रशेखर अमर सपूत वह
जीवन जिसका था आजाद।
एक वाक्य बस मुख में आता
प्रिय भारत माँ जिंदाबाद।
भगतसिंह राजगुरु शेखर
झूल गए फांसी फन्दों पर।
इंकलाब का नारा मुख पर
सलवट न आई बन्दों पर।
नतमस्तक है वतन हमारा
किया समर्पित स्वजीवन को।
अमर शहीदों की कुर्बानी ने
महका दिया भारत उपवन को।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
आज़ादी के प्रिय परवाने
निज हेतु जीवन न जीते।
मातृभूमि सम्मान हेतु ही
जीवन सदा देश हित बीते।
करें कुर्बान यौवनावस्था
इंकलाब नारों में गुजरे।
जीते आजादी के खातिर
जोश नित जनता में भरते।
चंद्रशेखर अमर सपूत वह
जीवन जिसका था आजाद।
एक वाक्य बस मुख में आता
प्रिय भारत माँ जिंदाबाद।
भगतसिंह राजगुरु शेखर
झूल गए फांसी फन्दों पर।
इंकलाब का नारा मुख पर
सलवट न आई बन्दों पर।
नतमस्तक है वतन हमारा
किया समर्पित स्वजीवन को।
अमर शहीदों की कुर्बानी ने
महका दिया भारत उपवन को।
स्व0 रचित,मौलिक
गोविन्द प्रसाद गौतम
सुप्रभात नमन मंच
शीर्षक - आजद चंद्रशेखर
आज अवतरण दिवस पर देश के सच्चे सपूत को शत-शत नमन
माँ बाप का इकलौता
आया देश के काम ।।
ऐसे महान सपूत को
शत-शत मेरा प्रणाम ।।
चंद्रशेखर माँ बाप ने
रखा था उसका नाम ।।
ऐसे वक्त जन्म लिया
जब देश था गुलाम ।।
अँग्रेजों की बर्बरता का
था तांडव सरेआम ।।
चुप्पी न साधा वो की
गोरों की नींद हराम ।।
बिगुल बजा आजादी
का लड़ा बांका संग्राम ।।
छक्के छुड़ाये गोरों के
''शिवम्" दे गया पैगाम ।।
जिस धरा का अन्न जल
लो सुवह और शाम ।।
उस संग अनीत अन्याय
का होता गलत अंजाम ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 23/07/2019
शीर्षक - आजद चंद्रशेखर
आज अवतरण दिवस पर देश के सच्चे सपूत को शत-शत नमन
माँ बाप का इकलौता
आया देश के काम ।।
ऐसे महान सपूत को
शत-शत मेरा प्रणाम ।।
चंद्रशेखर माँ बाप ने
रखा था उसका नाम ।।
ऐसे वक्त जन्म लिया
जब देश था गुलाम ।।
अँग्रेजों की बर्बरता का
था तांडव सरेआम ।।
चुप्पी न साधा वो की
गोरों की नींद हराम ।।
बिगुल बजा आजादी
का लड़ा बांका संग्राम ।।
छक्के छुड़ाये गोरों के
''शिवम्" दे गया पैगाम ।।
जिस धरा का अन्न जल
लो सुवह और शाम ।।
उस संग अनीत अन्याय
का होता गलत अंजाम ।।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 23/07/2019
नमन मंच
दिनांक .. 23/7/2019
विषय .. आजाद/ चन्द्रशेखर आजाद / क्रांन्ति
**********************************
आजादी के मतवालो मे, नाम तुम्हारा जिन्दा है।
चेहरे का वैभव मुंछो पे, ताव आज भी जिन्दा है॥
***
क्रांन्ति के जो भी मतवाले थे, नाम तेरा सिरमौर्य हुआ।
मार फिरंगी को मर कर ही, चन्द्रशेखर आजाद हुआ।
***
भारत के तुम वीर पुत्र हो, हम तुम पर नगमस्तक है।
शेर भला क्या लिखे तुम पे, तुम पे काल जयन्तर है॥
***
भारत भूमि धन्य सदा है, जिसका तुम सा लाल रहा।
खुद का तर्पण किया मगर, माता का गर्वित मान रहा॥
***
जय हो जय हो मातृभूमि, तेरे बलिदानी पुत्रो का।
माँ की गरिमा की रक्षा में, बलिदानी हर पुत्रो का॥
****
स्वरचित मौलिक ...
शेर सिंह सर्राफ
दिनांक .. 23/7/2019
विषय .. आजाद/ चन्द्रशेखर आजाद / क्रांन्ति
**********************************
आजादी के मतवालो मे, नाम तुम्हारा जिन्दा है।
चेहरे का वैभव मुंछो पे, ताव आज भी जिन्दा है॥
***
क्रांन्ति के जो भी मतवाले थे, नाम तेरा सिरमौर्य हुआ।
मार फिरंगी को मर कर ही, चन्द्रशेखर आजाद हुआ।
***
भारत के तुम वीर पुत्र हो, हम तुम पर नगमस्तक है।
शेर भला क्या लिखे तुम पे, तुम पे काल जयन्तर है॥
***
भारत भूमि धन्य सदा है, जिसका तुम सा लाल रहा।
खुद का तर्पण किया मगर, माता का गर्वित मान रहा॥
***
जय हो जय हो मातृभूमि, तेरे बलिदानी पुत्रो का।
माँ की गरिमा की रक्षा में, बलिदानी हर पुत्रो का॥
****
स्वरचित मौलिक ...
शेर सिंह सर्राफ
नमन भावों के मोती💐
कार्य:-शब्दलेखन
बिषय:- क्रांतिविधा:- मुक्त
तुम-
मुझे याद न दिलाओ
कुम्हार के चके की
और न उस मांटी की
जो दहकते अंगारों के बीच
रंग बदल देती है
पक्का सुर्ख-क्रांतिकारी सा,
' ओ शक्ति सामन्तो '।
जब मैं उठूंगा-
तो पूरब से पश्चिम
उत्तर से दक्षिण तक
सारे विश्व की
काली मांटी को
हाथों में भरकर
एक साथ गूंथ डालूंगा
और बना दूंगा
मुझसा पुतला-
' क्रांतिकारी सा '
मौलिक:
डॉ.स्वर्ण सिंह रघुवंशी, गुना(म.प्र.)
कार्य:-शब्दलेखन
बिषय:- क्रांतिविधा:- मुक्त
तुम-
मुझे याद न दिलाओ
कुम्हार के चके की
और न उस मांटी की
जो दहकते अंगारों के बीच
रंग बदल देती है
पक्का सुर्ख-क्रांतिकारी सा,
' ओ शक्ति सामन्तो '।
जब मैं उठूंगा-
तो पूरब से पश्चिम
उत्तर से दक्षिण तक
सारे विश्व की
काली मांटी को
हाथों में भरकर
एक साथ गूंथ डालूंगा
और बना दूंगा
मुझसा पुतला-
' क्रांतिकारी सा '
मौलिक:
डॉ.स्वर्ण सिंह रघुवंशी, गुना(म.प्र.)
नमन भावों के मोती
आज का विषय, आजाद, चंद्रशेखर आजाद, क्रान्ति
दिन, मंगलवार
दिनांक 23, 7,2019,
आजाद हैं जो हम सब आज ,
किया कितने वीरों ने था त्याग ।
नहीं कोई है उनका हिसाब,
थे सभी कितने लाजबाब ।
गुलामी का दर्द हमें क्या मालूम,
नहीं जिये हैं वो एहसास ।
हम तो रहते हैं बस आजाद ,
नहीं चाहते कोई कायदा कानून ।
आजादी का अर्थ उन्हें है ज्ञात,
लुटे गये थे जिनके जज्वात ।
मिटाया था किश्तों में खुद को,
जुनून था भारत को करना आजाद।
मिट गए हैं जो परवाने ,
हम करते तो हैं उनको याद ।
पर समझें जब उनका भाव,
रखें कुछ देश के लिए ताव ।
पनपने न दें गद्दारों को ,
संवारें अपने भारत को ।
सबक सिखायें हम लुटेरों को,
विकसित करें अपने भारत को ।
कायम रखें भारत के गौरव को,
दिल में रखें बस भारत को ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
आज का विषय, आजाद, चंद्रशेखर आजाद, क्रान्ति
दिन, मंगलवार
दिनांक 23, 7,2019,
आजाद हैं जो हम सब आज ,
किया कितने वीरों ने था त्याग ।
नहीं कोई है उनका हिसाब,
थे सभी कितने लाजबाब ।
गुलामी का दर्द हमें क्या मालूम,
नहीं जिये हैं वो एहसास ।
हम तो रहते हैं बस आजाद ,
नहीं चाहते कोई कायदा कानून ।
आजादी का अर्थ उन्हें है ज्ञात,
लुटे गये थे जिनके जज्वात ।
मिटाया था किश्तों में खुद को,
जुनून था भारत को करना आजाद।
मिट गए हैं जो परवाने ,
हम करते तो हैं उनको याद ।
पर समझें जब उनका भाव,
रखें कुछ देश के लिए ताव ।
पनपने न दें गद्दारों को ,
संवारें अपने भारत को ।
सबक सिखायें हम लुटेरों को,
विकसित करें अपने भारत को ।
कायम रखें भारत के गौरव को,
दिल में रखें बस भारत को ।
स्वरचित, मीना शर्मा, मध्यप्रदेश,
नमन मंच 🙏
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏🌹🌹
दिनांक- 23/7/2019
शीर्षक- "आजाद/चंद्रशेखर आजाद/क्रांति"
*******************
भारत की आजादी की ये,
कहानी बड़ी निराली है,
अपने खून से सींच गये धरती,
ये आजादी उनकी निशानी है |
क्रान्ति की मशाल जलायी,
क्रान्तिकारी वो बलिदानी थे,
चन्द्रशेखर,भगत,राजगुरू,बिस्मिल,
माँ भारती के सच्चे पुजारी थे |
हे हिन्द के निवासी! तुम,
आजादी की कीमत जानो,
खून अपना जो बहा गये,
कीमत उसकी तुम पहचानों |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏🌹🌹
दिनांक- 23/7/2019
शीर्षक- "आजाद/चंद्रशेखर आजाद/क्रांति"
*******************
भारत की आजादी की ये,
कहानी बड़ी निराली है,
अपने खून से सींच गये धरती,
ये आजादी उनकी निशानी है |
क्रान्ति की मशाल जलायी,
क्रान्तिकारी वो बलिदानी थे,
चन्द्रशेखर,भगत,राजगुरू,बिस्मिल,
माँ भारती के सच्चे पुजारी थे |
हे हिन्द के निवासी! तुम,
आजादी की कीमत जानो,
खून अपना जो बहा गये,
कीमत उसकी तुम पहचानों |
स्वरचित *संगीता कुकरेती*
भावों के मोती
शीर्षक-आजाद/ क्रांति
जब सर पे बांध के वो कफन चला
पहन के चोला गेरूआ।
भारत मां का सीना हो गया
ऐसे वीर सपूत कै लिए
गर्व से चौगुना।।
यूं तो लाखों वीर अवतरित हुए
अपनी इस धरा पर।
मगर आजाद सा मां का लाल
मिलेगा और कहां पर।
आन-बान-शान देख उसकी
दुश्मन का सर झुक गया।
शेर सी दहाड़ सुन उसकी
कलेजा दुश्मन का हिल गया।
फूर्ति चाल मे थी गजब की
आंखें भी थी लाल सुर्ख रक्त सी
मां की आशाओं पर जो
पूरा का पूरा खरा उतरा।
जिस मां ने उसे जनम दिया
उस मां को मेरा शुक्रिया।
देश का सर सारे जहां में
जिसने ऊंचा कर दिया।
ऐसे मां के सच्चे लाल को
शत् शत् नमन मेरा।।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
शीर्षक-आजाद/ क्रांति
जब सर पे बांध के वो कफन चला
पहन के चोला गेरूआ।
भारत मां का सीना हो गया
ऐसे वीर सपूत कै लिए
गर्व से चौगुना।।
यूं तो लाखों वीर अवतरित हुए
अपनी इस धरा पर।
मगर आजाद सा मां का लाल
मिलेगा और कहां पर।
आन-बान-शान देख उसकी
दुश्मन का सर झुक गया।
शेर सी दहाड़ सुन उसकी
कलेजा दुश्मन का हिल गया।
फूर्ति चाल मे थी गजब की
आंखें भी थी लाल सुर्ख रक्त सी
मां की आशाओं पर जो
पूरा का पूरा खरा उतरा।
जिस मां ने उसे जनम दिया
उस मां को मेरा शुक्रिया।
देश का सर सारे जहां में
जिसने ऊंचा कर दिया।
ऐसे मां के सच्चे लाल को
शत् शत् नमन मेरा।।
स्वरचित- निलम अग्रवाल, खड़कपुर
नमन मंच को
दिन :- मंगलवार
दिनांक :-23/07/2019
विषय :- आजाद/क्रांति/चंद्रशेखर आजाद
हिंद की शान वो..
भाभरा का लाल था..
क्रांति की मशाल वो..
माँ भारती का भाल था...
फिरंगियों के जुल्म का..
ज्वलंत वो जबाब था..
महका गया उपवन जो..
फूल वो लाजवाब था..
सह गया उम्र पंद्रह में ही..
सौ चाबूकों की मार जो..
नाम उस शेरदिल का...
चंद्रशेखर आजाद था..
शत् शत् नमन माँ भारती के शेर...
शहीद चंद्रशेखर आजाद जी को...
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
दिन :- मंगलवार
दिनांक :-23/07/2019
विषय :- आजाद/क्रांति/चंद्रशेखर आजाद
हिंद की शान वो..
भाभरा का लाल था..
क्रांति की मशाल वो..
माँ भारती का भाल था...
फिरंगियों के जुल्म का..
ज्वलंत वो जबाब था..
महका गया उपवन जो..
फूल वो लाजवाब था..
सह गया उम्र पंद्रह में ही..
सौ चाबूकों की मार जो..
नाम उस शेरदिल का...
चंद्रशेखर आजाद था..
शत् शत् नमन माँ भारती के शेर...
शहीद चंद्रशेखर आजाद जी को...
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂
स्वरचित :- मुकेश राठौड़
भावों के मोती
23/07 /19
विषय-आज़ाद, क्रांति
कण कण रज रंग गया
लहू था शहीदों का
कौन चुका पायेगा ऋण
मातृभूमि के सपूतों का
अब मिट्टी में वो उर्वरकता नही
जो ऐसे सपूत पैदा कर दे
अब प्रतिष्ठा के मान दण्ड
बदल रहे हैं प्रतिपल
देश भक्ति अब बस
है बिते युग की बातें
परोसी हुई मिली आजादी
कौन कीमत पहचाने
अपना दर्द सर्वोपरि है
दर्द देश का कौन जाने
वर्षों से एक भी प्रताप
सा योद्धा नही देखा
ना क्रांति के दूत आज़ाद
ना भगत सिंह ना राज गुरु
ना कोई सुख देव दिखा
ना तिलक ना पटेल
ना कोई सुभाष दिखा
और बहुत थे नामी गुमनामी
अब कदाचित ऐसे महावीर
दृष्टि गोचर होते नही
ये धरा का दुर्भाग्य है
या है कोई संकेत कयामत का
सब कुछ समझ से बाहर है
कोई राह सुलझी नही।
अब मिट्टी में वो उर्वरकता रही नही।
स्वरचित
कुसुम कोठारी।
23/07 /19
विषय-आज़ाद, क्रांति
कण कण रज रंग गया
लहू था शहीदों का
कौन चुका पायेगा ऋण
मातृभूमि के सपूतों का
अब मिट्टी में वो उर्वरकता नही
जो ऐसे सपूत पैदा कर दे
अब प्रतिष्ठा के मान दण्ड
बदल रहे हैं प्रतिपल
देश भक्ति अब बस
है बिते युग की बातें
परोसी हुई मिली आजादी
कौन कीमत पहचाने
अपना दर्द सर्वोपरि है
दर्द देश का कौन जाने
वर्षों से एक भी प्रताप
सा योद्धा नही देखा
ना क्रांति के दूत आज़ाद
ना भगत सिंह ना राज गुरु
ना कोई सुख देव दिखा
ना तिलक ना पटेल
ना कोई सुभाष दिखा
और बहुत थे नामी गुमनामी
अब कदाचित ऐसे महावीर
दृष्टि गोचर होते नही
ये धरा का दुर्भाग्य है
या है कोई संकेत कयामत का
सब कुछ समझ से बाहर है
कोई राह सुलझी नही।
अब मिट्टी में वो उर्वरकता रही नही।
स्वरचित
कुसुम कोठारी।
नमन-भावो के मोती
दिनांक-23/07/2019
विषय-आजाद की.......आजादी
प्रकृति के ऐ काले सूरज यह कैसी आजादी है।
किसी के घर में पूरी रोटी
किसी के घर में आधी है
यह कैसी आजादी है...
स्वतंत्रता अधूरी फर्क अधूरा
यह कैसी बर्बादी है
देश अपना अब भी ना सुधरा
यह कैसी आजादी है....
स्वप्न अधूरा ख्वाब पूरा
पूर्ण स्वतंत्रता आधी है
यह कैसी आजादी है.....
एक है सड़कों की जीनत
एक महलों की शहजादी
यह कैसी आजादी है.....
भूखे पेट कैसे जश्न मनाए
उन्हें मुबारक आजादी
जिनके तन पर खादी है
यह कैसी आजादी.....
फिकर किसे है फक्र की
शहर में शातिर अपराधी हैं
आजादी के बाद स्याह अंधेरा
यह कैसी आजादी है....
प्रश्न आनेको मन में उठते
कौन इसका वादी है
कौन है इसका प्रतिवादी है
यह कैसी आजादी है......
किसी के घर में शादी है
हे राजमहल के हंस
तुम्हारे घर तो चांदी है चांदी है
यह कैसी आजादी है....
कलकत्ता की गलियों से पूछो
नौनिहाल सोते सड़कों पर
अधूरी स्वतंत्रता अधूरा ख्वाब
कौन है इसका परिवादी है
यह कैसी आजादी है.....
अर्धरात्रि का मध्य बिंदु
स्वप्नन सजोये विमल इंदु
किरण चमके सरस्वती सिंधु
यह कैसी आजादी है......
मौलिक रचना
स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
दिनांक-23/07/2019
विषय-आजाद की.......आजादी
प्रकृति के ऐ काले सूरज यह कैसी आजादी है।
किसी के घर में पूरी रोटी
किसी के घर में आधी है
यह कैसी आजादी है...
स्वतंत्रता अधूरी फर्क अधूरा
यह कैसी बर्बादी है
देश अपना अब भी ना सुधरा
यह कैसी आजादी है....
स्वप्न अधूरा ख्वाब पूरा
पूर्ण स्वतंत्रता आधी है
यह कैसी आजादी है.....
एक है सड़कों की जीनत
एक महलों की शहजादी
यह कैसी आजादी है.....
भूखे पेट कैसे जश्न मनाए
उन्हें मुबारक आजादी
जिनके तन पर खादी है
यह कैसी आजादी.....
फिकर किसे है फक्र की
शहर में शातिर अपराधी हैं
आजादी के बाद स्याह अंधेरा
यह कैसी आजादी है....
प्रश्न आनेको मन में उठते
कौन इसका वादी है
कौन है इसका प्रतिवादी है
यह कैसी आजादी है......
किसी के घर में शादी है
हे राजमहल के हंस
तुम्हारे घर तो चांदी है चांदी है
यह कैसी आजादी है....
कलकत्ता की गलियों से पूछो
नौनिहाल सोते सड़कों पर
अधूरी स्वतंत्रता अधूरा ख्वाब
कौन है इसका परिवादी है
यह कैसी आजादी है.....
अर्धरात्रि का मध्य बिंदु
स्वप्नन सजोये विमल इंदु
किरण चमके सरस्वती सिंधु
यह कैसी आजादी है......
मौलिक रचना
स्वरचित
सत्य प्रकाश सिंह केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज
नमन मंच भावों के मोती
विषय-आज़ाद/चंद्रशेखर आज़ाद/क्रांति
*************************
आज़ाद था,आज़ाद हूँ ,
आज़ाद रहूँगा,
भारतवासी के दिलों पर ,
आबाद रहूँगा!
पसंद नही अहिंसा मुझको,
क्रांति की चिंगारी हूँ,
कौन काट पाया है मुझको,
चलती तेज सी आरी हूँ,
जन्म जन्म तक मतवालों का ,
नाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
रग-रग में स्वाधीनता मेरे,
दौड़ रही लहू बनकर,
घबराया मैं कभी नही,
खड़ा रहा अडिग तनकर!
युगों-युगों तक हर जुबा पर,
मैं याद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर ,
आबाद रहूँगा!
मंजूर नही कभी भी मुझको,
शत्रु के आगे झुक जाना,
स्वतंत्रता की आग जलाकर,
दीप सरीखा बुझ जाना!
सनक भरी आजादी का,
उन्माद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
रक्षक हूँ माँ भारती का,
हर हाल में लाज बचाऊँगा,
रक्तरंजित हो ये तन सारा,
कर्तव्य जरूर निभाऊंगा
गौर से सुनलो तुम ये फिरंगी
मैं तीखा स्वाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
हो जाऊं बलिदान वतन पर,
यही कामना करता हूँ,
देश तुम्हारे हाथों देकर,
मातृ भूमि पर मरता हूँ!
इंकलाब का नारा देकर,
जिंदाबाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
नौजवान आगे बढ़ जाओ,
न बुझने दो चिंगारी,
आज़ाद कराकर ही दम लेना,
माता जान से है प्यारी!
मरते दम तक तन मन से,
ज़िहाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर
आबाद रहूँगा!
चली गोलियां है दनादन,
मक्कारों ने घेर लिया,
प्रण मेरा भी हाथ न आऊं,
मैने जरा न देर किया!
गोली से कनपटी चीर दी,
क्रांति की आवाज रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
स्वरचित-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
चांगोटोला, बालाघाट ( मध्यप्रदेश )
विषय-आज़ाद/चंद्रशेखर आज़ाद/क्रांति
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आज़ाद था,आज़ाद हूँ ,
आज़ाद रहूँगा,
भारतवासी के दिलों पर ,
आबाद रहूँगा!
पसंद नही अहिंसा मुझको,
क्रांति की चिंगारी हूँ,
कौन काट पाया है मुझको,
चलती तेज सी आरी हूँ,
जन्म जन्म तक मतवालों का ,
नाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
रग-रग में स्वाधीनता मेरे,
दौड़ रही लहू बनकर,
घबराया मैं कभी नही,
खड़ा रहा अडिग तनकर!
युगों-युगों तक हर जुबा पर,
मैं याद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर ,
आबाद रहूँगा!
मंजूर नही कभी भी मुझको,
शत्रु के आगे झुक जाना,
स्वतंत्रता की आग जलाकर,
दीप सरीखा बुझ जाना!
सनक भरी आजादी का,
उन्माद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
रक्षक हूँ माँ भारती का,
हर हाल में लाज बचाऊँगा,
रक्तरंजित हो ये तन सारा,
कर्तव्य जरूर निभाऊंगा
गौर से सुनलो तुम ये फिरंगी
मैं तीखा स्वाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
हो जाऊं बलिदान वतन पर,
यही कामना करता हूँ,
देश तुम्हारे हाथों देकर,
मातृ भूमि पर मरता हूँ!
इंकलाब का नारा देकर,
जिंदाबाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
नौजवान आगे बढ़ जाओ,
न बुझने दो चिंगारी,
आज़ाद कराकर ही दम लेना,
माता जान से है प्यारी!
मरते दम तक तन मन से,
ज़िहाद रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर
आबाद रहूँगा!
चली गोलियां है दनादन,
मक्कारों ने घेर लिया,
प्रण मेरा भी हाथ न आऊं,
मैने जरा न देर किया!
गोली से कनपटी चीर दी,
क्रांति की आवाज रहूँगा!
भारतवासी के दिलों पर,
आबाद रहूँगा!
स्वरचित-राजेन्द्र मेश्राम "नील"
चांगोटोला, बालाघाट ( मध्यप्रदेश )
नमन मंच🌹🙏
23/7/2019
विषय-आज़ाद/चंद्रशेखर आजाद/क्रांति
***************
आज वतन अपना स्वतंत्र है
पर क्या यही होती आज़ादी है?
आज़ादी का असली मतलब
हमें भली भांति समझना और समझाना होगा...
भगतसिंह, आज़ाद,गाँधी बोस नेआज़ादी की खातिर कुर्बानी दी थी
अंग्रेजों से टक्कर लेकर जो लड़ी थी वो झांसी वाली रानी ही थी
उनके त्याग बलिदानों को हमें समझना और समझाना होगा..
गली मोहल्ले नुक्कड़ चौराहे पर देश प्रेम के चर्चे खूब होते हैं
सिर्फ कागज़ों में न्याय मुआवजे होते असल में तो घपले बड़े होते हैं
जन जन को अधिकार के प्रति अब जागरूक कराना होगा...
देशभक्ति की राह भूल कर नेतागण निजस्वार्थ में लिप्त हुए हैं
दो रोटी को तरसे गरीब जनता ये अपने ख़ज़ाने भरने में आसक्त हुए हैं
ऐसे पथभ्रष्ट स्वार्थियों को
कुछ तो सबक सिखाना होगा....
भाषा,धर्म,जातिगत झगड़े आज देशप्रेम से ऊपर है
क्षेत्रीयता का अनुराग सभी में आजकल सर्वोपरि है
सर्वधर्म भाव की भावना की
अलख को जन जन में जगाना होगा....
संगठित, एकत्रित होकर देश धर्म पर चलना है
ऊँच नीच के छोड़ दायरे एकजुट होकर रहना है
क्रांति की इस मशाल को अब
युवाशक्ति को आगे लेकर जाना होगा...
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
23/7/2019
विषय-आज़ाद/चंद्रशेखर आजाद/क्रांति
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आज वतन अपना स्वतंत्र है
पर क्या यही होती आज़ादी है?
आज़ादी का असली मतलब
हमें भली भांति समझना और समझाना होगा...
भगतसिंह, आज़ाद,गाँधी बोस नेआज़ादी की खातिर कुर्बानी दी थी
अंग्रेजों से टक्कर लेकर जो लड़ी थी वो झांसी वाली रानी ही थी
उनके त्याग बलिदानों को हमें समझना और समझाना होगा..
गली मोहल्ले नुक्कड़ चौराहे पर देश प्रेम के चर्चे खूब होते हैं
सिर्फ कागज़ों में न्याय मुआवजे होते असल में तो घपले बड़े होते हैं
जन जन को अधिकार के प्रति अब जागरूक कराना होगा...
देशभक्ति की राह भूल कर नेतागण निजस्वार्थ में लिप्त हुए हैं
दो रोटी को तरसे गरीब जनता ये अपने ख़ज़ाने भरने में आसक्त हुए हैं
ऐसे पथभ्रष्ट स्वार्थियों को
कुछ तो सबक सिखाना होगा....
भाषा,धर्म,जातिगत झगड़े आज देशप्रेम से ऊपर है
क्षेत्रीयता का अनुराग सभी में आजकल सर्वोपरि है
सर्वधर्म भाव की भावना की
अलख को जन जन में जगाना होगा....
संगठित, एकत्रित होकर देश धर्म पर चलना है
ऊँच नीच के छोड़ दायरे एकजुट होकर रहना है
क्रांति की इस मशाल को अब
युवाशक्ति को आगे लेकर जाना होगा...
✍️वंदना सोलंकी©️स्वरचित
नमन मंच
23/07/19
विषय आजाद /क्रांति
**
"स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है"
इसे मैं ले कर रहूँगा।,
"तुम मुझे खून दो
"मैं तुम्हें आजादी दूँगा ।
लोगों के मन में तब क्रांति के बीज बोये थे
ऐसे रगों में जोश भरते नारे फ़िजा मे गूंजे थे।
सेनानी सीने पर गोली खा ,फांसी के फंदे पर झूले थे ।
अथक प्रयास से गुलामी की बेडियों से आजाद हुऐ
आजाद भगतसिंह के प्रयासों से उन्मुक्त गगन मे उड़े।
स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक
स्वतंत्रता के अर्थ को पहचाने
इसका मतलब ये नही ,उच्श्रृंखल हो जाएं
सीमाओं मे रह दूषित मानसिकता से आजादी पाएं
जन जन मे देशभक्ति की अलख जगाएं
सत्यनिष्ठ हो कर्त्तव्यों का पालन करे
"राष्ट्र सर्वोपरि " ये भावना जागृत करें ।
अपनों ने घाव न दिए होते,
सोचो हम कहाँ खड़े होते
अंदर बाहर दुश्मन घात लगाए बैठे है
सैनिक अपनी जान गवा हमे सुरक्षित रखे है ।
इनसे ही देश मे शांति और अमन है
सैनिकों के बलिदान को शत शत नमन है।
अनिता सुधीर
23/07/19
विषय आजाद /क्रांति
**
"स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है"
इसे मैं ले कर रहूँगा।,
"तुम मुझे खून दो
"मैं तुम्हें आजादी दूँगा ।
लोगों के मन में तब क्रांति के बीज बोये थे
ऐसे रगों में जोश भरते नारे फ़िजा मे गूंजे थे।
सेनानी सीने पर गोली खा ,फांसी के फंदे पर झूले थे ।
अथक प्रयास से गुलामी की बेडियों से आजाद हुऐ
आजाद भगतसिंह के प्रयासों से उन्मुक्त गगन मे उड़े।
स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक
स्वतंत्रता के अर्थ को पहचाने
इसका मतलब ये नही ,उच्श्रृंखल हो जाएं
सीमाओं मे रह दूषित मानसिकता से आजादी पाएं
जन जन मे देशभक्ति की अलख जगाएं
सत्यनिष्ठ हो कर्त्तव्यों का पालन करे
"राष्ट्र सर्वोपरि " ये भावना जागृत करें ।
अपनों ने घाव न दिए होते,
सोचो हम कहाँ खड़े होते
अंदर बाहर दुश्मन घात लगाए बैठे है
सैनिक अपनी जान गवा हमे सुरक्षित रखे है ।
इनसे ही देश मे शांति और अमन है
सैनिकों के बलिदान को शत शत नमन है।
अनिता सुधीर
:#नींव का पत्थर::::::
हर भव्य इमारत जानती है,
उसकी अपनी कितनी म्याद है,
उसकी नींव में कितने पत्थर हैं
हर पत्थर उसकी बुनियाद है,
एक नींव भरी भारत की हमने,
कुछ पत्थर जो उसमे दफन हुवे,
आजाद भगत से कुछ पूत दबे हैं,
तिरंगे ही जिनके कफ़न हुवे है,
वो कबसे दफन हैं नींव के अंदर,
नेताओं उन्हें कुछ याद करो,
तुम द्रोह करो या तुम भ्रष्ट बनो,
पर यूं देश ना तुम बर्बाद करो,
क्या इसीलिए चुना था फांसी को,
तुम देश को ऐसे नर्क बनाओगे,
वो शहीद हो गए फंदे से झूलकर,
तुम विलायतों में धन छुपाओगे,
भूल से भी ना कभी तुलना करना,
तुम जैसे भ्रष्टों और उन वीरों में,
तुम मौज करो वातानुकूलों में,
वो बंधक बने जेल और जंजीरों में,
आजाद सुभाष ने चुनी थी गोली,
वो खुद गद्दी भी चुन सकते थे,
वो दौड़ते भागते क्रांति करते,
वो मौत से कभी भी ना डरते थे,
दुर्गा तू भी भगत आजाद बन जा,
तू भी नीव का पत्थर कहलाएगा,
वर्षों बरस तुझे सब याद करेंगे ,
तू भी श्रृद्धा से ही पूजा जाएगा,
हर भव्य इमारत जानती है,
उसकी अपनी कितनी म्याद है,
उसकी नींव में कितने पत्थर हैं
हर पत्थर उसकी बुनियाद है,
एक नींव भरी भारत की हमने,
कुछ पत्थर जो उसमे दफन हुवे,
आजाद भगत से कुछ पूत दबे हैं,
तिरंगे ही जिनके कफ़न हुवे है,
वो कबसे दफन हैं नींव के अंदर,
नेताओं उन्हें कुछ याद करो,
तुम द्रोह करो या तुम भ्रष्ट बनो,
पर यूं देश ना तुम बर्बाद करो,
क्या इसीलिए चुना था फांसी को,
तुम देश को ऐसे नर्क बनाओगे,
वो शहीद हो गए फंदे से झूलकर,
तुम विलायतों में धन छुपाओगे,
भूल से भी ना कभी तुलना करना,
तुम जैसे भ्रष्टों और उन वीरों में,
तुम मौज करो वातानुकूलों में,
वो बंधक बने जेल और जंजीरों में,
आजाद सुभाष ने चुनी थी गोली,
वो खुद गद्दी भी चुन सकते थे,
वो दौड़ते भागते क्रांति करते,
वो मौत से कभी भी ना डरते थे,
दुर्गा तू भी भगत आजाद बन जा,
तू भी नीव का पत्थर कहलाएगा,
वर्षों बरस तुझे सब याद करेंगे ,
तू भी श्रृद्धा से ही पूजा जाएगा,
नमन भावों के मोती।
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
💐💐💐💐💐💐💐
आजाद/ चंद्रशेखर आजाद/क्रांति
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
देश की खातिर जान दे दिया,
वे थे वीर बलिदानी।
जबतक चमके चांद, सितारे,
याद करेंगे सब उनकी कुर्बानी।
हाथ में लेकर तिरंगा झंडा,
हंसते, हंसते दे दी जान।
बड़े वीर बलिदानी थे वे,
वे थे ईन्सां बड़े महान।
माता समझा भारत मां को,
घरबार सब छोड़ दिया।
देश पे हुए कुर्बान वे,
नाम शहीदों में जोड़ दिया।
शत,शत नमन उनको हैं करते,
वे थे कितने स्वाभिमानी।
अमर रहेगा नाम उनका,
अमर रहेगी उनकी कहानी।
💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित कविता
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
नमस्कार गुरुजनों, मित्रों।
💐💐💐💐💐💐💐
आजाद/ चंद्रशेखर आजाद/क्रांति
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
देश की खातिर जान दे दिया,
वे थे वीर बलिदानी।
जबतक चमके चांद, सितारे,
याद करेंगे सब उनकी कुर्बानी।
हाथ में लेकर तिरंगा झंडा,
हंसते, हंसते दे दी जान।
बड़े वीर बलिदानी थे वे,
वे थे ईन्सां बड़े महान।
माता समझा भारत मां को,
घरबार सब छोड़ दिया।
देश पे हुए कुर्बान वे,
नाम शहीदों में जोड़ दिया।
शत,शत नमन उनको हैं करते,
वे थे कितने स्वाभिमानी।
अमर रहेगा नाम उनका,
अमर रहेगी उनकी कहानी।
💐💐💐💐💐💐💐💐
स्वरचित कविता
वीणा झा
बोकारो स्टील सिटी
नमन "भावो के मोती"
23/07/2019
"आजाद/क्रांति/चंद्रशेखर आजाद"
1अवतरण
"चंद्रशेखर आजाद"
गाँव "भाबरा"
2
अवतरण
हिंदुस्तानी सपूत
करुँ नमन
3
"चंद्रशेखर"
मौत गले लगाए
बेखौफ जीए
4
क्रांति चिंगारी
जन-गण जलाए
आजादी पाए
4
शूली चढ़ते
आजादी के दीवाने
हँस-हँसके
6
विगुल क्रांति
सर्वत्र जागरण
आजाद हिंद
7
क्राति दिवस
इतिहास के पन्ने
आज के दिन
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।।
23/07/2019
"आजाद/क्रांति/चंद्रशेखर आजाद"
1अवतरण
"चंद्रशेखर आजाद"
गाँव "भाबरा"
2
अवतरण
हिंदुस्तानी सपूत
करुँ नमन
3
"चंद्रशेखर"
मौत गले लगाए
बेखौफ जीए
4
क्रांति चिंगारी
जन-गण जलाए
आजादी पाए
4
शूली चढ़ते
आजादी के दीवाने
हँस-हँसके
6
विगुल क्रांति
सर्वत्र जागरण
आजाद हिंद
7
क्राति दिवस
इतिहास के पन्ने
आज के दिन
स्वरचित पूर्णिमा साह
पश्चिम बंगाल।।
नमन मंच
23/7/2019
आजादी के दीवाने थे,
हरफन मौला मस्ताने थे,
जान की बाजी खेल कर,
वो सच्चे देश के रखवाले थे ll
जब तक बच्चा खेला करते,
वो गोली खेलने वाले थे,
जन्म लिया उन जां बांजो ने,
वो फाँसी झूलने वाले थे ll
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
23/7/2019
आजादी के दीवाने थे,
हरफन मौला मस्ताने थे,
जान की बाजी खेल कर,
वो सच्चे देश के रखवाले थे ll
जब तक बच्चा खेला करते,
वो गोली खेलने वाले थे,
जन्म लिया उन जां बांजो ने,
वो फाँसी झूलने वाले थे ll
कुसुम पंत उत्साही
स्वरचित
नमन मंच
दिनांक-२३/७/२०१९
शीर्षक-आजाद/क्रांति/चन्द्र शेखर आजाद।"
देख दुर्दशा अधिन भारत का
हो गया जिसका हाल बेहाल
भारत माँ के वीर सपूत
वो थे चन्द्र शेखर आजाद ।
प्रेरणादायक रहा जीवन उनका
हसँते हसँते किये प्राण न्योछावर
जालियांवाला बाग कांड ने
झकझोर दिया मन मस्तिष्क उनका
देश को आजाद कराने को
ली उन्होंने जो कठोर प्रतिज्ञा
स्वतंत्रता आंदोलन में
लिया बढ़ चढ़ कर हिस्सा।
लड़ते रहे आजादी के लिए
अंग्रेजों से हो गई भिड़ंत
अंतिम गोली से अपने प्राणों को
भारत माँ को कर दिया अर्पण
धन्य धन्य हो गई भारत माँ
ऊँचा हो गया उनका भाल
ऐसे शहिदों पर गर्व है हमें
शत शत नमन है तुम्हें।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
दिनांक-२३/७/२०१९
शीर्षक-आजाद/क्रांति/चन्द्र शेखर आजाद।"
देख दुर्दशा अधिन भारत का
हो गया जिसका हाल बेहाल
भारत माँ के वीर सपूत
वो थे चन्द्र शेखर आजाद ।
प्रेरणादायक रहा जीवन उनका
हसँते हसँते किये प्राण न्योछावर
जालियांवाला बाग कांड ने
झकझोर दिया मन मस्तिष्क उनका
देश को आजाद कराने को
ली उन्होंने जो कठोर प्रतिज्ञा
स्वतंत्रता आंदोलन में
लिया बढ़ चढ़ कर हिस्सा।
लड़ते रहे आजादी के लिए
अंग्रेजों से हो गई भिड़ंत
अंतिम गोली से अपने प्राणों को
भारत माँ को कर दिया अर्पण
धन्य धन्य हो गई भारत माँ
ऊँचा हो गया उनका भाल
ऐसे शहिदों पर गर्व है हमें
शत शत नमन है तुम्हें।
स्वरचित-आरती-श्रीवास्तव।
भावों के मोती दिनांक 23/7/19
आजाद / क्रान्ति /चन्द्र शेखर आजाद
हर एक को
पसंद है
आजादी
हैं कुछ उसूल
आजादी के
रहें देश के प्रति
वफादार
सोचे देश के
बारे में
होते हैं जो
सच्चे क्रान्तिकारी
वो आजाद भगत
कहलाते हैं
करते नहीं जो
प्राणों की चिंता
वो देशभक्त
होते हैं
आज है जरूरत
एक क्रान्ति की
स्वार्थ, लालच
भ्रष्टाचार , घोटाले
हो खत्म
देश से
जले अलख
देश भक्ति की
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
आजाद / क्रान्ति /चन्द्र शेखर आजाद
हर एक को
पसंद है
आजादी
हैं कुछ उसूल
आजादी के
रहें देश के प्रति
वफादार
सोचे देश के
बारे में
होते हैं जो
सच्चे क्रान्तिकारी
वो आजाद भगत
कहलाते हैं
करते नहीं जो
प्राणों की चिंता
वो देशभक्त
होते हैं
आज है जरूरत
एक क्रान्ति की
स्वार्थ, लालच
भ्रष्टाचार , घोटाले
हो खत्म
देश से
जले अलख
देश भक्ति की
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
नमन मंच-भावों के मोती
दिनांक-23.07.2019
आज का आयोजन-
"आज़ाद/चन्द्र शेखर आजा़द/ क्रान्ति
विधा-मुक्तक
=======================
वो शख्स अना पर पेश हुआ
सरे दार चढ़ा सब छोड़ गया ।
गो हिम्मत उसकी क्या कहिए
पीछे न मुड़ा सब छोड़ गया ।।
आँखें मुतबातिर रोती हैं
जो अब तक याद सँजोए हम,
है आज तलक जिसका हम से
एहसान जुड़ा सब छोड़ गया ।।
=====================
"अ़क्स " दौनेरिया
दिनांक-23.07.2019
आज का आयोजन-
"आज़ाद/चन्द्र शेखर आजा़द/ क्रान्ति
विधा-मुक्तक
=======================
वो शख्स अना पर पेश हुआ
सरे दार चढ़ा सब छोड़ गया ।
गो हिम्मत उसकी क्या कहिए
पीछे न मुड़ा सब छोड़ गया ।।
आँखें मुतबातिर रोती हैं
जो अब तक याद सँजोए हम,
है आज तलक जिसका हम से
एहसान जुड़ा सब छोड़ गया ।।
=====================
"अ़क्स " दौनेरिया
विषय-आज़ाद/चंद्रशेखर आज़ाद/क्रांति
हे भारत के वीरो बढ़े चलो
आज माँ की आन बचानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है
कभी लड़े तुम अंग्रेजों से
#चंद्रशेखर आज़ाद बनकर
कभी बचाया माँ का आँचल
गाँधी, शास्त्री बनकर
दिखे न जिसमें छींटे खून के
वो बेकार जवानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है?
तुमने ही भगतसिंह बनकर
दुश्मन को ललकारा था
बाल,लाल,पाल तुम्ही हो
बिस्मिल भी नाम तुम्हारा था
मर न मिटे जो मातृभूमि पर
वो बेकार जवानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है?
तुम्हीं मिटे भारतभूमि पर
सुभाष चन्द्र बोस बनकर
लौटाया तुमने देश का गौरव
अंग्रेजों से सीना तनकर
कैसे भूलें पटेल वल्लभभाई को
उनकी भी खूब कहानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है?
स्वरचित✍️
-सीमा आचार्य-(म.प्र.)
हे भारत के वीरो बढ़े चलो
आज माँ की आन बचानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है
कभी लड़े तुम अंग्रेजों से
#चंद्रशेखर आज़ाद बनकर
कभी बचाया माँ का आँचल
गाँधी, शास्त्री बनकर
दिखे न जिसमें छींटे खून के
वो बेकार जवानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है?
तुमने ही भगतसिंह बनकर
दुश्मन को ललकारा था
बाल,लाल,पाल तुम्ही हो
बिस्मिल भी नाम तुम्हारा था
मर न मिटे जो मातृभूमि पर
वो बेकार जवानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है?
तुम्हीं मिटे भारतभूमि पर
सुभाष चन्द्र बोस बनकर
लौटाया तुमने देश का गौरव
अंग्रेजों से सीना तनकर
कैसे भूलें पटेल वल्लभभाई को
उनकी भी खूब कहानी है
भारत माँ पुकार रही...
क्या खून तुम्हारा पानी है?
स्वरचित✍️
-सीमा आचार्य-(म.प्र.)
द्वितीय प्रस्तुति
ठाठ फकीराना कहने वाला
फकीर न था वो अमीर था ।
वो हिन्दोस्तां की तकदीर था ।
अँग्रेजों को करारा जबाव
देने वाली वह शमशीर था ।
अपनी बात पर अडिग रहने
वाला पत्थर की लकीर था ।
आजाद भारत की इमारत
का मजबूत बुलंद तामीर था ।
अँग्रेज शासन की बुनियाद
हिलाने वाला वो परमवीर था ।
भारत माँ की गोद में पलने
वाला अनमोल रत्न वीर था ।
कहें माँ का दूध पिया 'शिवम'
सचमुच पिया माँ का क्षीर था ।
आसमां से उतर आया वह
बेशकीमती सितारा मुनीर था ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 23/07/2019
ठाठ फकीराना कहने वाला
फकीर न था वो अमीर था ।
वो हिन्दोस्तां की तकदीर था ।
अँग्रेजों को करारा जबाव
देने वाली वह शमशीर था ।
अपनी बात पर अडिग रहने
वाला पत्थर की लकीर था ।
आजाद भारत की इमारत
का मजबूत बुलंद तामीर था ।
अँग्रेज शासन की बुनियाद
हिलाने वाला वो परमवीर था ।
भारत माँ की गोद में पलने
वाला अनमोल रत्न वीर था ।
कहें माँ का दूध पिया 'शिवम'
सचमुच पिया माँ का क्षीर था ।
आसमां से उतर आया वह
बेशकीमती सितारा मुनीर था ।
हरि शंकर चाैरसिया''शिवम्"
स्वरचित 23/07/2019
नमन् भावों के मोती
दिनांक:23/07/19
विषय:आजाद /चंद्रशेखर/ क्रान्ति
विधा:कविता
चन्द्र समान शीतल मन
आजाद ख़्याल सुघड़ तन
कोमल चित्त दयालु परम
देश प्रेम ही परम् धर्म
शेरों सी दहाड़ उसकी शान
मूँछों पर सजी आन -बान
वाराणसी से गूंजी आज़ाद हुंकार
आज़ाद आज़ाद की जय जय कार
बिश्मिल की अदम्य शौर्य शक्ति
आजाद भगत साहस प्रेरित
लाहौर केस का अदभुत वेश
काकोरी काण्ड बना सन्देश
बहरा गूँगा अंग्रेजी शासन
बम फोड़ कंपाया सिंहासन
राजगुरु,सुखदेव,भगत की आशा
आजाद बने आजादी की परिभाषा
रौशन,लाहिड़ी व असफाक संग
एच एस आर ए अभिन्न अंग
यशपाल,भगत,बोहरा सज्जित
दुर्गा भाभी की सफल नीति
आजादी के मस्तानों की टोली
गाती हरदम इंकलाब की बोली
फाँसी के फन्दे को चूम-चूम
जिन्दगी निछावर झूम- झूम
निज बलिदानों की प्रथा चली
चहुँ ओर बसन्ती हवा चली
काल क्रूर की गति अब जीती
अल्फ्रेड पार्क में टूटी ज्योति
जंगे आज़ादी को गति देकर
चला वीर हँस निज बलि लेकर
क्रान्ति मशाल हुई प्रज्जवलित
ज्योति पुंज आजाद प्रकाशित
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
दिनांक:23/07/19
विषय:आजाद /चंद्रशेखर/ क्रान्ति
विधा:कविता
चन्द्र समान शीतल मन
आजाद ख़्याल सुघड़ तन
कोमल चित्त दयालु परम
देश प्रेम ही परम् धर्म
शेरों सी दहाड़ उसकी शान
मूँछों पर सजी आन -बान
वाराणसी से गूंजी आज़ाद हुंकार
आज़ाद आज़ाद की जय जय कार
बिश्मिल की अदम्य शौर्य शक्ति
आजाद भगत साहस प्रेरित
लाहौर केस का अदभुत वेश
काकोरी काण्ड बना सन्देश
बहरा गूँगा अंग्रेजी शासन
बम फोड़ कंपाया सिंहासन
राजगुरु,सुखदेव,भगत की आशा
आजाद बने आजादी की परिभाषा
रौशन,लाहिड़ी व असफाक संग
एच एस आर ए अभिन्न अंग
यशपाल,भगत,बोहरा सज्जित
दुर्गा भाभी की सफल नीति
आजादी के मस्तानों की टोली
गाती हरदम इंकलाब की बोली
फाँसी के फन्दे को चूम-चूम
जिन्दगी निछावर झूम- झूम
निज बलिदानों की प्रथा चली
चहुँ ओर बसन्ती हवा चली
काल क्रूर की गति अब जीती
अल्फ्रेड पार्क में टूटी ज्योति
जंगे आज़ादी को गति देकर
चला वीर हँस निज बलि लेकर
क्रान्ति मशाल हुई प्रज्जवलित
ज्योति पुंज आजाद प्रकाशित
स्वरचित
मनीष श्री
रायबरेली
मंगलवार
दोहे
भावों से आजाद थे , कर्मों से आज़ाद।
भारत के स्वातंत्र्य-हित,अमर हुए आज़ाद।।
बचपन से ही वीर के, प्रकट हुए थे चिह्न।
चन्द्रशेखर व्यक्तित्व में ,थे बिल्कुल ही भिन्न।।
जैसा उनका नाम था,था वैसा ही काम।
जीवन अर्पित कर दिया, आज़ादी के नाम।।
जिसकी एक हुँकार से , काँप उठे अंग्रेज।।
भारत में ओझल हुआ , शत्रु देश का तेज।।
जन्मदिवस पर हम उन्हें,नमन करें शत बार।
भारत-माँ के लाल पर ,करें पुष्प बौछार ।।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
दोहे
भावों से आजाद थे , कर्मों से आज़ाद।
भारत के स्वातंत्र्य-हित,अमर हुए आज़ाद।।
बचपन से ही वीर के, प्रकट हुए थे चिह्न।
चन्द्रशेखर व्यक्तित्व में ,थे बिल्कुल ही भिन्न।।
जैसा उनका नाम था,था वैसा ही काम।
जीवन अर्पित कर दिया, आज़ादी के नाम।।
जिसकी एक हुँकार से , काँप उठे अंग्रेज।।
भारत में ओझल हुआ , शत्रु देश का तेज।।
जन्मदिवस पर हम उन्हें,नमन करें शत बार।
भारत-माँ के लाल पर ,करें पुष्प बौछार ।।
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
नमन भावों के मोती
दिनांक : - 23/7/019
विषय : - आज़ाद/चंद्रशेखर आज़ाद/क्रांति
निज नाम को सार्थक किया,
इस भारती के लाल नें।
जब प्राण निकले देह से,
प्रणाम किया था काल नें।
वो सिंह सा साहस लिये,
रिपु बीच ऐसे तन गया।
आजाद हो भारत धरा,
प्रेरक सभी का बन गया।।
क्रांति की आंधी जब चली,
तब मिली आजादी हमें।
खुद चुन लिया था मौत को,
पर जिंदगी दे दी हमें।।
हे वीर! तुमको है नमन,
हम पर तुम्हारा कर्ज है,
कुर्बानियों का मान हो,
अब ये हमारा फर्ज है।
मणि अग्रवाल
दिनांक : - 23/7/019
विषय : - आज़ाद/चंद्रशेखर आज़ाद/क्रांति
निज नाम को सार्थक किया,
इस भारती के लाल नें।
जब प्राण निकले देह से,
प्रणाम किया था काल नें।
वो सिंह सा साहस लिये,
रिपु बीच ऐसे तन गया।
आजाद हो भारत धरा,
प्रेरक सभी का बन गया।।
क्रांति की आंधी जब चली,
तब मिली आजादी हमें।
खुद चुन लिया था मौत को,
पर जिंदगी दे दी हमें।।
हे वीर! तुमको है नमन,
हम पर तुम्हारा कर्ज है,
कुर्बानियों का मान हो,
अब ये हमारा फर्ज है।
मणि अग्रवाल
देख दुर्दशा भारत की
जिसने मन में संकल्प लिया।
आजाद रहे यह मातृभूमि
जिसने था मन मे ठान लिया।
वह महा बलि वह देश प्रेमी
आजादी का मतवाला था।
पंडित जी जिसका सम्बोधन
वह चन्द्र शेखर आजाद था।
आजाद जिया आजाद रहा
आजादी हेतु निज प्राण तजे।
वह भगत सखा वह क्रान्ति गुरु
जिससे हर पल कांपा शत्रु।
है नमन आज उस देश भक्त को
जो छोड़ धरा को चला गया।
जाते जाते आजादी का भाव
भारत के कण कण में घोल गया।
है बारमबार यह नमन मेरा
आजादी के मतवाले को।
उस चन्द शेखर आजाद को।
भारत माँ के उस लाल को।।
(अशोक राय वत्स)© स्वरचित
जयपुर
जिसने मन में संकल्प लिया।
आजाद रहे यह मातृभूमि
जिसने था मन मे ठान लिया।
वह महा बलि वह देश प्रेमी
आजादी का मतवाला था।
पंडित जी जिसका सम्बोधन
वह चन्द्र शेखर आजाद था।
आजाद जिया आजाद रहा
आजादी हेतु निज प्राण तजे।
वह भगत सखा वह क्रान्ति गुरु
जिससे हर पल कांपा शत्रु।
है नमन आज उस देश भक्त को
जो छोड़ धरा को चला गया।
जाते जाते आजादी का भाव
भारत के कण कण में घोल गया।
है बारमबार यह नमन मेरा
आजादी के मतवाले को।
उस चन्द शेखर आजाद को।
भारत माँ के उस लाल को।।
(अशोक राय वत्स)© स्वरचित
जयपुर
विधाःः काव्यःः
तू तो वीर प्रसूता भारतमाता,
हुए भगतसिंह आजाद यहाँ।
धन्यभाग्य हुऐ तुझसे जननी,
हुऐ चंद्र शेखर आजाद यहाँ।
नाकों चने चबाऐ अंग्रेजों को
थे आजाद सदा आजाद रहे।
थे भगतसिंह बटुकेश्वर साथी,
सदा संघर्षशील आजाद रहे।
पावन धरा झाबुआ की भूमि,
शेखर यहाँ जन्मे आजाद रहे।
जनक क्रांति के प्रणेताओं में,
अंकित स्वर्णाक्षर आजाद रहे।
वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,
शतशत तुमको करते हैं वंदन।
आजादी की सांस ले रहे हम,
करते आजाद का अभिनंदन।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
तू तो वीर प्रसूता भारतमाता,
हुए भगतसिंह आजाद यहाँ।
धन्यभाग्य हुऐ तुझसे जननी,
हुऐ चंद्र शेखर आजाद यहाँ।
नाकों चने चबाऐ अंग्रेजों को
थे आजाद सदा आजाद रहे।
थे भगतसिंह बटुकेश्वर साथी,
सदा संघर्षशील आजाद रहे।
पावन धरा झाबुआ की भूमि,
शेखर यहाँ जन्मे आजाद रहे।
जनक क्रांति के प्रणेताओं में,
अंकित स्वर्णाक्षर आजाद रहे।
वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,
शतशत तुमको करते हैं वंदन।
आजादी की सांस ले रहे हम,
करते आजाद का अभिनंदन।
स्वरचितः ः
इंजी. शंम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
मगराना गुना म.प्र.
विषयःआज़ाद/चंद्रशेखर आज़ाद/क्रान्ति
*
पराधीनता - पाश काटने , बढ़े वीर बलिदानी।
बिस्मिल,आज़ाद,चंद्रशेखर की उंनमें अमिट कहानी।
बिना ब्रिटिश-सत्ता इंगित के,हिलता कभी न पत्ता।
कड़ी चुनौती दी शेखर ने , लुटा प्राण अलबत्ता।
'जीते जी तन भी न छू सकें , पापी - अत्याचारी।'
इसीलिए उस क्रान्तिवीर ने गोली खुद को मारी।
धारण कर स्वदेश-माटी का,माथे पर शुभ चंदन।
ऐसे भारत के सपूत का कोटि - कोटिशः वंदन!!
-- डा.'शितिकंठ'
*
पराधीनता - पाश काटने , बढ़े वीर बलिदानी।
बिस्मिल,आज़ाद,चंद्रशेखर की उंनमें अमिट कहानी।
बिना ब्रिटिश-सत्ता इंगित के,हिलता कभी न पत्ता।
कड़ी चुनौती दी शेखर ने , लुटा प्राण अलबत्ता।
'जीते जी तन भी न छू सकें , पापी - अत्याचारी।'
इसीलिए उस क्रान्तिवीर ने गोली खुद को मारी।
धारण कर स्वदेश-माटी का,माथे पर शुभ चंदन।
ऐसे भारत के सपूत का कोटि - कोटिशः वंदन!!
-- डा.'शितिकंठ'
नमन मंच
विषय-- चंद्रशेखर आजाद
विधा---मुक्त
**********************
क्रांति की मशाल जला गये
वो आग का दरिया तैर कर
सर पर बांध कफन अपने
स्वतंत्र भारत कर गये
था नाम आजाद, आजाद ही रहे
गुलामी की बहुत जंजीरों से
मुक्त कर
हिंदुस्तान आजाद कर गये
अथाह यंत्रणा झेली थीं
भूख -प्यास को भूल कर
दर दर भेष बदल बदल कर
आजादी की अलख जगाई थी
घबराई अंग्रेजी सेना
घर में सेंध लगाई थी
मुखबिर साथी को बनाया
फिर आजाद को घेरा था
पर था दृढ़ निश्चई वो भी
ना हाथ लगा जीते जी
आखरी गोली अपने सर पर
मार वो शहीद हुआ
आजादी का पंछी देह से आजाद हुआ।
डा. नीलम
विषय-- चंद्रशेखर आजाद
विधा---मुक्त
**********************
क्रांति की मशाल जला गये
वो आग का दरिया तैर कर
सर पर बांध कफन अपने
स्वतंत्र भारत कर गये
था नाम आजाद, आजाद ही रहे
गुलामी की बहुत जंजीरों से
मुक्त कर
हिंदुस्तान आजाद कर गये
अथाह यंत्रणा झेली थीं
भूख -प्यास को भूल कर
दर दर भेष बदल बदल कर
आजादी की अलख जगाई थी
घबराई अंग्रेजी सेना
घर में सेंध लगाई थी
मुखबिर साथी को बनाया
फिर आजाद को घेरा था
पर था दृढ़ निश्चई वो भी
ना हाथ लगा जीते जी
आखरी गोली अपने सर पर
मार वो शहीद हुआ
आजादी का पंछी देह से आजाद हुआ।
डा. नीलम
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